प्याज की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

लखनऊ . देश में उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन में सबसे अव्वल स्थान पर है. इसके बाद पश्चिम बंगाल तथा बिहार का नाम आता है. परन्तु प्याज उत्पादन को लेकर यूपी की स्थित बेहतर नहीं है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आया प्याज यूपी की जरुरतों को पूरा कर रहा है. खपत के मुताबिक़ यूपी में प्याज का उत्पादन ना कर पाने के कारण वर्षों से यह स्थिति है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब इसे बदलने का ठान ली है.

मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश अब प्याज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने. मुख्यमंत्री की इस मंशा को पूरा करने के लिए उद्यान विभाग ने प्याज की खेती को और बढ़ावा देने की तैयारी की है. जिसके तहत क्रमबद्ध तरीके से लगातार राज्य में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.

इसकी शुरूआत करते हुए इस खरीफ सीजन में बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर सहित गंगा के किनारे के उन क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां बरसात का पानी ना भरता हो. इस संबंध में तैयार की गई योजना के तहत प्याज की खेती करने वाले किसानों को बीज आदि उपलब्ध कराए जायंगे.

उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार, राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत है. जबकि रवि और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख मीट्रिक टन ही हो रहा है. अभी सूबे में 28,538  हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है. जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही सूबे की जरूरत के मुताबिक़ यानि की 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा. यह कठिन कार्य है पर इसे किया जा सकता है. सूबे के कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अफसरों ने इस कठिन कार्य को करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है.

इसके अनुसार हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता. इसके तहत गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है. अभी गंगा के किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है. इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा.

सरकार का मत है कि प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों से सूबे में किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और प्रदेश की भी घरेलू जरूरत भी पूरी होगी. जिसके चलते राज्य को दूसरे राज्यों से प्याज मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और राज्य में प्याज की कमी के चलते इसके दाम बढ़ेंगे नहीं. किसानों को उनके प्याज की उचित कीमत मिलती रहेगी. इसी सोच के तहत इस खरीफ के सीजन में किसानों को प्याज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है. राज्य में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं. इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी. अमूमन एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 50 हजार रुपए की लागत से करीब 150 से 200 कुंतल प्याज की पैदावार होती है. इन बीजों के उपयोग से प्याज की पैदावार में इजाफा होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी. फ़िलहाल प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग को अगले रवी सीजन में भी लागू किया जाएगा, ताकि हर साल प्याज उत्पादन को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा किसान प्याज की खेती करने में उत्साह दिखाएं.

REVIEW: जानें कैसी है सुनील ग्रोवर की वेब सीरीज ‘Sunflower’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः रिलायंस इंटरटनमेंट

क्रिएटरः विकास बहल

लेखकः विकास बहल व चैताली परमार

निर्देशकः विकास बहल व राहुल सेन गुप्ता

कलाकारः सुनील ग्रोवर, रणवीर शोरी, आशीश विद्यार्थी, रिया नलावडे,  मुकुल चड्ढा,  डायाना एरप्पा, अश्विन कौशल,  सलोनी खन्ना, सोनल झा,  गिरीश कुलकर्णी, शोनाली नागरानी व अन्य

अवधिः पांच घंटे पांच मिनट,  30 से 45 मिनट के आठ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5 ,  ग्यारह जून से

फिल्म‘‘क्वीन’’सहित कई फिल्मों के लेखक व निर्देशक विकास बहल इस बार क्राइम थ्रिलर व डार्क ह्यूमर मिश्रित वेब सीरीज ‘‘सनफ्लावर’’ लेकर आए हैं, जो कि इंसान को अवसाद की ओर ही ले जाती है और यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ‘‘क्वीन’’जैसी बेहतरीन फिल्म के लेखक व निर्देशक विकास बहल ही इस वेब सीरीज के क्रिएटर, सह लेखक व निर्देशक हैं.

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कहानीः

मुंबई शहर में समाज के  प्रतिष्ठित लोगों से युक्त एक सोसायटी है सनफ्लावर. इस सोसायटी के दिलचस्प किरदारो में हिंदी रसायन शास्त्र शिक्षक आहूजा (मुकुल चड्ढा), अमीर अभिमानी पड़ोसी राजकपूर (अश्विन कौशल),  नैतिक पुलिसिंग के ध्वजवाहक दिलीप अय्यर (आशीष विद्यार्थी), मासूम मगर विचित्र सोनू (सुनील ग्रोवर) व अन्य. अमीर घमंड में चूर राज कपूर हर दिन अपने पड़ोसियों को परेाान करते है. एक सुबह राज कपूर की नौकरानी कामनी(सुश्री अन्नपूर्णा सोनी) लोगों को तथा पुलिस को सूचित करती है कि कपूर की मौत हो गयी है. वैसे दर्शक को अहसास हो जाता है कि कपूर की हत्या कैसे हुई है. पर कपूर की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए शांत और नियंत्रित पुलिस इंस्पेक्टर  देवेंद्र (रणवीर शौरी) और उनके आकर्षक जूनियर सहयोगी तांबे (गिरीश कुलकर्णी)आते हैं.

इधर पुलिस मामले की जांच कर रही है, तो वहीं सनफ्लावर सोसाइटी के लिए एक नेक सचिव की तलाश शुरू करती है, जो समाज की तथाकथित गरिमा और शांति को बनाए रख सके. दिलीप अय्यर (आशीष विद्यार्थी) नैतिक पुलिस व्यवस्था के आदर्श रूपक के रूप में सेवा करते हुए संस्कृति और परंपरा के नाम पर कठोर नियमों और विनियमों के साथ आते हैं. डॉ. आहुजा बुराइयों का अवतार हैं. वह रूढ़िवादी,  हिंसक,  दोहरे चेहरे वाले,  पितृसत्तात्मक सोच के साथ ही इस कदर मंत्रमुग्ध इंसान है, जो बिस्तर पर पत्नी संग अंतरंग होने पर चाहते हैं कि पत्नी उनकी प्रशंसा करे. कहानी धीरे धीरे घिसटती रहती है. कई किरदार आते रहते हैं. कई बार इमानदार, तो कई बार मानसिक रोगी नजर आने वाले सोनू सिंह अपने आफिस की सहकर्मी  आंचल (सलोनी खन्ना)पर प्यार की डोर डालने के प्रयास मे लगे नजर आते है, आठवें एपीसोड में पता चलता है कि उनकी पहली प्रेमिका जुही ने उन्हे छोड़कर अशीश कपूर का हाथ थाम लिया था. प्रोफेसर आहुजा गुस्सैल हैं, यह बात सामने आती रहती है. वह अपना अपराध छिपाने के प्रयास में असफल होते रहतें हैं, मगर बार बार दोषारोपण अपनी पत्नी(राधा भट्ट ) पर करते रहते हैं.

सातवें एपीसोड में इंस्पेक्टर तांबे को सोनू सिंह हत्यारा नजर आात है जबकि इंस्पेक्टर देवेंद्र को प्रोफेसर आहूजा . आठवें एपीसोड में पुलिस सोनू सिंह की ही तलाश करती रह जाती है और सोनू सिंह अपहृत होकर चंडीगढ़ गुरलीन के पिता के पास पहुंच जाता है.

लेखन व निर्देशनः

‘सनफ्लावर’’नाम रूपक के तौर पर है. इस मर्डर मिस्ट्री व ब्लैक कॉमेडी वाली वेब सीरीज को इतना नुकीला ऐसा होना चाहिए था कि दर्शक देखते ही रह जाए, मगर यहां तो सब कुछ सपाट सा है. बेहतरीन कलाकारों के बावजूद वेब सीरीज सही नही बन पायी.  इस वेब सीरीज की अति कमजोर कड़ी है इसकी कहानी व पटकथा. कहानी इतनी धीमी गति से आगे बढ़ती है कि दर्शक अवसाद से ग्रस्त हो जाता है. यह अधपकी खिचड़ी के अलावा कुछ नही है. कई किरदारों का चरित्र चित्रण भी सही ढंग से नही हो पाया है.       ‘

कहानी अति धीमी गति से आगे बढ़ती है. सोनू सिंह यानी कि सुनील ग्रोवर का अपने घर को बंद कर आफिस जाने का दृश्य काफी बोरिंग है और इसे कई एपीसोड में दोहराया गया है. कैब ड्राइवर संग सोनू सिंह का मंुबई की सड़कों पर पकड़ा पकड़ी एकदम बचकानी हरकत लगती है और यह काफी लंबा दृश्य है, जो कि दर्शकों को बोर करता है.

यूं तो यह एक मर्डर मिस्ट्री है, मगर लेखक व निर्देशक ने इसमें कुछ विचित्र सामाजिक टिप्पणियां की है. मसलन-सोसायटी में बैचलर लड़कियों को किराए पर मकान न देना, तीन तीन शादीयां कर चुके पुरूषों,  ट्रांसजेंडर और पान बेचने वाले को सोसायटी में फ्लैट खरीदने पर पाबंदी लगाना वगैरह. . इस तरह की बातें समाज व देश को एकजुट नही खंडित करने का ही काम करती है.

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अभिनयः

जहां तक अभिनय का सवाल है तो अजीब, विचित्र और मजाकिया मासूमियत के सोनू सिंह के किरदार को जीवंत करने में सुनील गा्रेवर सफल रहे हैं. इंस्पेक्टर के किरदार में रणवीर शौरी भी ठीक हैं. इंस्पेक्टर तांबे की भूमिका में गिरीश कुलकर्णी अपने अंदाज में लोगों का मनोरंजन करने में सफल और लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं. गुरलीन के किरदार में सिमरन नेरूरकर प्रभावित करती हैं. उनके चेहरे व उनकी आवाज में मासूमियत हमेशा रहती है. आशीष विद्यार्थी,  मुकुल चड्ढा, अश्विन कौशल, दयाना इरप्पा, सलोनी खन्ना, सोनल झा का अभिनय ठीक ठाक है.

मदरसा छात्रों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ रही है योगी सरकार

योगी सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण की मुहिम के क्रम में छात्रों की ऑनलाइन शिक्षा को लेकर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद और आईआईएम व आईआईटी के दिग्गछज मदरसा शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे. बाकायदा स्पेरशल क्लावसेज के जरिए शिक्षकों को बताया जाएगा कि ऑनलाइन पढ़ाई कैसे कराई जाए.

मदरसा बोर्ड की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें भाषा समिति के सदस्य दानिश आजाद, रजिस्ट्रा र मदरसा बोर्ड आरपी सिंह समेत कई जिलों के अल्प संख्येक कल्यायण अधिकारी व शिक्षाविद शामिल रहे.

प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों का आधुनिककरण शुरू कर दिया है. कोरोना काल में मदरसो में छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई चालू हो गई है. यूपी मदरसा बोर्ड भाषा समिति के सहयोग से मंडलवार शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार कर रहा है. इसमें माध्यसमिक शिक्षा परिषद से जुड़े शिक्षाविद व काउंसर और कई डीएमओ मदरसा शिक्षकों को विषय ट्रेनिंग दे रहे हैं.

खासकर शिक्षकों को बताया कि वह सरल तरीके से बच्चोंा को कैसे पढ़ाएं. दानिश आजाद बताते हैं कि मदरसा शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई की ट्रेनिंग देने के लिए आईआईटी व आईआईएम वर्तमान व पूर्व छात्रों से बात की गई है. कई छात्रों ने शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने की हामी भर दी है. विश्वकविद्यालयों के पूर्व कुलपति, रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़ने को तैयार हैं.

भाषा समिति के सदस्यअ दानिश आजाद बताते हैं कि उपनिदेशक संजय कुमार मिश्र व जगमोहन सिंह, मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रा र आरपी सिंह व मदरसा शिक्षक एसोसिएशन की ओर से ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इसमें डीएमओ कानपुर वर्षा अग्रवाल, असमत मलिक प्रशिक्षक माध्यगमिक शिक्षा परिषद, डीएमओ अमरोहा नरेश यादव व उर्दू और दीनीयात एक्सषपर्ट डॉ एजाज अंजुम ने शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई की बारिकियों के बारे में बताया. उन्होंीने कहा कि कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई ही जारी रहेगी. ऐसे में शिक्षकों को इसके लिए अपनी तैयारी करना चाहिए. दानिश आजाद ने बताया कि कौन-कौन सी ऑनलाइन एप के जरिए वह छात्रों से सीधे जुड़ सकते हैं. दानिश आजाद बताते हैं कि अभी हाल में मुलाकात के दौरान मुख्यएमंत्री ने मदरसा छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने के निर्देश दिए थे.

अनुपमा का गृहप्रवेश करेगी बा, काव्या का क्या होगा अगला प्लान

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा एक बार फिर टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर पहुंच गया है, जिसके चलते मेकर्स ने सीरियल की कहानी में नया मोड़ लाने का फैसला किया है. दरअसल, हाल ही में दिखाया गया था कि बापूजी ने अपनी प्रौपर्टी को तीन हिस्सों में बांट दिया है, जिसमें अनुपमा का नाम भी शामिल है. इस बीच काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में काव्या का गुस्सा और बढ़ने वाला है. आइए आपको बतातें हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा का होगा गृहप्रवेश

 

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अब तक आपने देखा कि शाह परिवार काव्या को घर की बहू मानने के लिए राजी नही है. हालांकि काव्या अपना हक छोड़ने की फिराक में बिल्कुल नहीं है. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में काव्या अनुपमा को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ेगी. दरअसल, बा गृहप्रवेश की थाली लेकर आएगी और काव्या समझेगी कि बा उसका स्वागत करने वाली है. लेकिन बा, काव्या से कहेगी कि वह उसका नहीं अनुपमा का स्वागत करने के लिए थाली लेकर आई है, जिसके कारण काव्या गुस्से में नजर आएगी. वहीं वह पूरी कोशिश करेगी कि अनुपमा को घर से बाहर निकाल सके. हालांकि उसके साथ पूरा परिवार खड़ा नजर आएगा.

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काव्या-नंदिनी की औफस्क्रीन बढ़ी बौंडिंग

सीरियल के ट्रैक से दूर काव्या और नंदिनी यानी मदालसा शर्मा और अनघा भोसले की दोस्ती बढ़ती जा रही है. जहां बीते दिनों दोनों स्पा में मस्ती करते दिखे थे तो वहीं सोशलमिडिया पर हाल ही में वायरल हुई वीडियो में दोनों चाय पर चर्चा करते नजर आए. इसमें दोनों की मस्ती देखकर फैंस का अच्छा रिएक्शन देखने को मिल रहा है.

औफस्क्रीन मस्ती करती हैं काव्या

औफस्क्रीन मस्ती करने के मामले में मिथुन चक्रवर्ती की बहू मदालसा शर्मा का नाम सबसे आगे है. सीरियल अनुपमा के सेट पर वह कास्ट के साथ जमकर मस्ती करती हुई नजर आती है. वहीं फैंस उनकी काफी तारीफें भी करते रहते हैं.

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Romantic Story: कैसा यह प्यार है -भाग 2

लेखिका- प्रेमलता यदु 

निर्धारित समय पर हम रेलवे स्टेशन पहुंचे और जैसे ही हम अपने आरक्षित बर्थ के निकट पहुंचे, मैं ने लपक कर विन्डो सीट अपने भाई से हथिया ली. वह खिसियाया हुआ मुझे तिरछी नजरों से घूरने लगा. लेकिन मैं उस की परवा किए बगैर विन्डो सीट पर जम कर बैठ गई. कुछ समय बाद ट्रेन धीमी गति से चलने लगी और देखते ही देखते उस की रफ़्तार तेज़ हो गई.

एक के बाद एक सारे स्टेशन पीछे छुटते जा रहे थे और मैं खिड़की पर अपनी कुहनी टिकाए बाहर के नज़ारे व प्रकृति का मनोरम दृश्य देखने में लीन हो ग‌ई. गांव पहुंचे तो देखा बूआ भी अपने दोनों बच्चों के साथ आ चुकी थीं. सब से मिल कर सफ़र की सारी थकान उड़नछू हो गई और हम सब बच्चों की टोली भी पूर्ण हो गई.

रात के खाने और दादी की कहानियों के पश्चात दूसरे दिन जब मैं नहा कर अपने बालों को सुखाने छत पर गई और बेसुध हो अपने बालों को झटकने लगी तभी सहसा मेरी नज़रें सामने वाले छत पर जा टिकीं और मेरा जी धक से हुआ. मेरी सांसें थमने लगीं. ऐसा लगा जैसे किसी ने ठहरे हुए पानी में कंकड़ फेंक दिया हो. दिल में अजीब सी हलचल व तरंगें उठने लगीं. मैं ने देखा व्हाइट टीशर्ट और ब्लू जींस में एक हैंडसम डैशिंग लड़का आंखों में ऐनक चढ़ाए, हाथों में किताब लिए कुछ पढ़ रहा है. मेरी निगाहें उसी पर ठहर गईं. वह मेरे दिल में मच रही खलबली से बेखबर अपनी ही धुन में किताब पर आंखें गड़ाए बैठा था.

आज से पहले मैं ने उसे कभी इस गांव में नहीं देखा. यह कौनहै? मोहन काका की छत पर क्या कर रहा है? उस ने मेरी ओर देखा होगा या नहीं? ऐसे अनेक सवाल मेरे ज़ेहन में कौंध ग‌ए. तभी मेरी बूआ की बेटी रीमी आ गई और कहने लगी- “पीहू, जल्दी चलो, सब तुम्हारी राह देख रहे हैं.”

मैं हड़बड़ा कर उस के संग नीचे आ गई. बच्चों की टोली गांव की गलियों, खेतों और बागीचों पर ऊधम मचाने को तैयार खड़ी थी. लेकिन मेरा ध्यान छत पर बैठे, मेरे उस चितचोर पर जा अटका था जिस की एक छोटी सी झलक ने मुझे इंगित कर दिया कि यही मेरे सपनों का राजकुमार है जिस का मुझे बरसों से इंतज़ार था. मेरे मन ने मुझ से सवाल किया, क्या यही प्यार है…?

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मन में आए इस ख़याल को मैं शेयर करना चाहती थी किंतु यहां इस घर पर ऐसा कोई नहीं था जिस से मैं हालेदिल बयां कर सकूं. वैसे तो रीमी मेरी हमउम्र, सहेली और बहन सबकुछ थी लेकिन उस के बावजूद मुझे रूही की कमी महसूस हो रही थी. काश, वह इस वक्त यहां होती, मैं अपना दिल खोल कर रख देती.

किसी से कुछ कहे बगैर सब के साथ मैं घर से बाहर निकल तो आई परंतु मन छत पर ही छूट गया था और अब पहले जैसी शरारतें सूझ भी नहीं रही थीं. सब मौजमस्ती कर रहे थे और मैं मस्ती करने का नाटक. तभी चाचा का छोटा बेटा बंटी बोला, “पीहू दीदी, चलो हम सब मेड़ों पर अपने हाथों को ऊपर उठा कर चलते हैं. देखते हैं कौन जीतता है.”

सब मान गए और मेड़ों पर चलने लगे. मैं भी बेमन से हाथों को ऊपर उठा चलने लगी. हर बार की तरह इस बार मैं सब से आगे नहीं बल्कि सब से पीछे थी. अभी मैं बैलेंस बना कर कुछ दूर चली ही थी कि मैं ने देखा, वह प्रकृति की छटाओं में बिखरे रंगबिरंगे खूबसूरत नजारों को अपने कैमरे में कैद कर रहा है. उसे दोबारा अपनी नज़रों के समक्ष देख मैं अनबैलेंस हो कर गिरने ही वाली थी कि उस ने मुझे थाम लिया और मैं उस की बांहों में जा गिरी. दिल में धुकधुकी होने लगी और मेरा रोमरोम उस के स्पर्श मात्र से पुलकित हो उठा. मैं कुछ कहती, उस से पूर्व ही वह चिढ़ते हुए बोला- “जब मेड़ पर चलना नहीं आता तो चल क्यों रही हो?”

इतना कह वह मेरी ओर देखे बैगर वहां से मुंह बना कर चला गया. उस का यह व्यवहार अप्रिय व रूखा था. मैं अंदर ही अंदर तिलमिला उठी.

‘मेरी जैसी खूबसूरत मौडर्न लड़की जो स्कूल, महल्ले, सड़क जहां से भी गुज़र जाए, लड़के मुड़मुड़ कर देखा करते, बात करने व साथ पाने को लालायित रहते हैं और इस ने मुझे देखा भी नहीं. उसे किस बात का गरूर है,’ मैं मन में बुदबुदाई. उसे अपने ऊपर गरूर था या मुझे अपनी खूबसूरती पर नाज़, कुछ समझ नहीं आया. परंतु उस का यह व्यवहार अत्यंत ही अशोभनीय जरूर था, आज तक किसी ने मुझ से इस प्रकार बात नहीं की थी.

मैं रूही से ये सारी बातें बताना चाहती थी लेकिन इस गांव में केवल एक ही पीसीओ बूथ था और वह भी अकसर ख़राब ही रहता. मैं रूही से अपने दिल की बात तो कह नहीं पाई क्योंकि घर से ये बातें कह पाना संभव नहीं था लेकिन मैं अकेले ही तफतीश में जुट गई. काफी कोशिशों के बाद मैं केवल इतना ही जानकारी प्राप्त कर पाई कि उस का नाम अनादि है और वह मोहन काका की बहन का बेटा है जो पहली बार यहां गांव आया है.

12वीं का रिजल्ट घोषित हो गया और गरमी की छुट्टियां भी समाप्त हो गईं . इस बार की छुट्टियां बिलकुल भी वैसी नहीं बीतीं जैसे हर साल बीततीं. मन उदास था. अब उसे कभी न देख पाने की कशक मन में लिए मैं घर लौट आई. गांव से रेलवे स्टेशन के लिए निकलते वक्त जब मैं ने छत की ओर देखा तब वह छत पर ही लाइट ब्लू रंग की टीशर्ट और आंखों पर गौगल चढ़ाए खड़ा था. वह किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं लग रहा था. लेकिन उस ने एक बार भी नज़र उठा मेरी तरफ नहीं देखा. मेरी आंखें डबडबा गईं और मेरा पहला प्यार शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया.

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घर पहुंचते और मौका पाते ही मैं रूही को फोन पर सारी बातें बताने लगी और जब मैं ने उस से कहा कि उस ने मेरी ओर देखा तक नहीं, तो रूही हंसती हुई कहने लगी- “तुझे कैसे पता चला कि उस ने तेरी ओर देखा नहीं जबकि उस ने तो गौगल पहन रखा था.”

रूही की इस बात से तसल्ली हुई कि शायद उस ने मुझे देखा होगा. इस विचार मात्र से मेरे संपूर्ण शरीर में लहर सी दौड़ गई.

न‌ई उमंग, न‌ए जोश के साथ मैं कालेज की तैयारी में लग ग‌ई. आज कालेज में मेरा पहला दिन था. नया कालेज, नए फ्रैंड्स, नया क्लास और एक नए एहसास के साथ सबकुछ नयानया सा बहुत अच्छा लग रहा था. तभी पता चला कि कालेज लायब्रेरी में लायब्रेरीकार्ड बनाए जा रहे हैं. मैं और मेरी कुछ क्लासमेट मिल कर लायब्रेरी की ओर चल पड़े.

कौरीडोर पर पहुंचते ही मेरी धड़कन तेज और पैरों की रफ्तार धीमी हो गई. मैं ने देखा, अनादि लायब्रेरी के दरवाजे पर खड़ा है. यह हकीकत है या मेरी नज़रों का धोखा. यह जानने के लिए मैं धड़कते दिल के साथ हौलेहौले बढ़ने लगी. करीब पहुंची तो देखा मेरा पहला प्यार, मेरे सामने है.

दोबारा उसे अपने निकट पा कर यों लगा जैसे कुदरत ने मेरी सुन ली हो और मुझे मेरे अधूरी प्रेमकहानी को पूर्ण करने का अवसर प्रदान किया हो. वह अनादि ही था. मेरी नज़रों में चमक आ गई और मैं उसे देख अपने बालों को कान के पीछे लेती, नजरें झुका शरमाती हुई धीरे से मुसकरा दी, लेकिन उस ने मेरी तरफ देखा तक नहीं. उस ने मुझे इस प्रकार अनदेखा किया जैसे वह मुझे पहचानता ही न हो.

आगे पढ़ें- सैशन स्टार्ट हो चुका था. मैं अपनी…

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Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: सई ने सास बनकर किया भवानी को परेशान, देखें फनी वीडियो

स्टार प्लस का टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) फैंस के बीच काफी सुर्खियां बटोर रहा है. वहीं सई और विराट की जोड़ी को फैंस बेहद पसंद कर रहे हैं. हालांकि पाखी और भवानी (Kishori Shahane) पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सई (Ayesha Singh) को विराट से दूर रख सकें. लेकिन हाल ही में सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सीरियल के किरदार का फेरबदल हो गया है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

किरदारों का हुआ फेरबदल

 

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जहां भवानी अपनी बहू सई को घर से धक्के देकर घर से बाहर निकालने का प्लान बनाती है तो वहीं अब कहानी पलट गई है. दरअसल, औफस्क्रीन सई को भवानी की सास बनने का मौका मिल गया है. हाल ही में आइशा सिंह यानी सई ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें सई, भवानी के गेटअप में  तो भवानी सई के लुक में नजर आ रही हैं. वहीं सई जमकर अपनी बहू की जमकर क्लास लगाती दिख रही है.

 

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भवानी पर प्यार लुटाती है सई

 

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सीरियल में जहां भवानी और सई एक दूसरे की फूटी आंख नही पसंद करते तो वहीं औफस्क्रीन आएशा सिंह और किशोरी सहाने एक दूसरे के साथ अक्सर फोटो खिंचवातीं और प्यार लुटाती हुई नजर आती हैं, जिसका सबूत आइशा सिंह की शेयर की गई फोटोज हैं.

 

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पाखी के कारण बढ़ रही विराट-सई के बीच दूरियां

 

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सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो विराट-सई के बीच जहां प्यार वाला ट्रैक शुरु हो गया है तो वहीं पाखी और भवानी ने भी अपनी चालें चलना शुरु कर दिया है, जिसके कारण सई और विराट के बीच लड़ाईयां होती नजर आ रही हैं. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में भवानी विराट को पाखी को खाना खिलाने के लिए कहती है. हालांकि विराट इस बात से मना करता है. लेकिन सई ये बात सुन लेगी. इसी कारण वह पुलकित के घर चली जाएगी, जिसके कारण विराट जहां परेशान होगा तो वहीं भवानी उसे भड़काने का काम करती दिखेगी.

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उत्तर प्रदेश में मानक से 10 गुना ज्यादा टेस्ट हो रहे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोरोना प्रबंधन को लेकर रणनीति का नतीजा है कि यूपी मॉडल दूसरे राज्यों के लिए नजीर है. सीएम योगी की एग्रेसिव टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग की रणनीति से यूपी मॉडल देश में सबसे आगे है. प्रदेश में वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से अधिक हर रोज 10 गुना ज्यादा जांच की जा रही है. डब्ल्यूएचओ ने प्रदेश में रोजाना 32 हजार टेस्ट का लक्ष्य दिया था, लेकिन प्रदेश में रोजाना औसतन तीन लाख से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं.

पिछड़ रहे दूसरे राज्य :

जबकि आबादी के हिसाब से यूपी की तुलना में छोटे होने के बावजूद दूसरे राज्य कोरोना प्रबंधन से लेकर कांटेक्ट टेस्टिंग में भी काफी पिछड़े हैं.

सीएम योगी की एग्रेसिव ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति का असर है कि प्रदेश में रिकवरी रेट बेहतर है और पाजिटीविटी रेट भी कम है. प्रदेश में डब्ल्यूएचओ के मानक से अधिक प्रति पाजिटिव केस पर 31 कांटेक्ट सैंपल टेस्ट किए गए हैं. जबकि अन्य राज्य जांच के मामले में बहुत पीछे हैं. महाराष्ट्र में 6.4, कर्नाटक में 11.5, केरल में 8, दिल्ली में 14, तमिलनाडु में 12.8, आंध्र प्रदेश में 11.4 कांटेक्ट सैंपल टेस्ट किए गए हैं. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में भी यूपी के माइक्रो मैनेजमेंट की प्रशंसा की है.

सीएम योगी के निर्देश पर बनाए गए माइक्रो कन्टेनमेंट जोन ने संक्रमण की चेन को तोड़ा है. रैपिड रिस्पांस टीम और निगरानी समितियों ने गांव-गांव जाकर बड़ी संख्या में लोगों की जांच की है. प्रदेश में 31 मार्च के बाद से ही 64 फीसदी टेस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए हैं. देश में सबसे अधिक टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है और अब तक 5,25,03,838 सैंपल की जांच की गई है.

यूपी में जितने कुल एक्टिव केस, उससे ज्यादा रोजाना नए केस आ रहे दूसरे राज्यों में

प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 3,05,731 लोगों की जांच में महज 642 नए केस आए हैं. इसी दौरान 1231 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है और कुल एक्टिव केस 12,244 हैं. जबकि पिछले 24 घंटे में तमिलनाडु में 17,321, केरल में 16,204, कर्नाटक में 10,959, महाराष्ट्र में 10,989 और आंध्र प्रदेश में 8766 नए केस आए हैं. प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़कर हुआ 98 फीसदी और पाजिटिविटी रेट 0.2 फीसदी हो गया है.

जून, जुलाई और अगस्त में 10 करोड़ प्रदेशवासियों को टीका लगाने की योजना

योगी सरकार का जून, जुलाई और अगस्त माह में 10 करोड़ प्रदेशवासियों को टीका लगाने की योजना है. सरकार 14 जून से गरीब तबके से जुड़े लोगों का अलग से निशुल्क टीकाकरण कराएगी. इसमें सब्जी विक्रेता और आटो टेम्पो चालक का भी टीकाकरण होगा. सरकार का जोर ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण बढ़ाने पर है. 1.30 लाख कॉमन सर्विस सेंटर से ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क पंजीकरण किया जा रहा है. प्रदेश में कुल 02 करोड़ 15 लाख 65 हजार 323 वैक्सीन डोज लगाई गई है. कल एक दिन में 3,91,449 डोज टीके के दिए गए हैं.

पांच राजकीय मेडिकल कॉलेजों और एक निजी मेडिकल कॉलेज में पीकू और नीकू बेड की स्थापना
सीएम योगी के निर्देश पर तीसरे लहर को देखते हुए पांच राजकीय मेडिकल कॉलेजों और एक निजी मेडिकल कॉलेज में पीकू और नीकू बेड की स्थापना की गई है. अस्पतालों में अभी से बच्चों के लिए तीन हजार से अधिक बेड्स तैयार किए गए हैं. 15 जून तक सरकारी अस्पतालों में 100 बेड के पीडियाट्रिक आईसीयू तैयार होने की उम्मीद है.

प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है- श्री नवनीत कुमार सहगल

अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी 3टी का फार्मूला ट्रेस, ट्रैक और ट्रीट तथा आंशिक कोरोना कफ्र्यू एवं वृहद टीकाकरण का परिणाम है कि प्रदेश को संक्रमण नियंत्रण में सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल के लगभग 03 लाख 10 हजार एक्टिव मामलों में लगभग 96 प्रतिशत की कमी आयी है. सर्विलांस के माध्यम से निगरानी समितियों द्वारा ट्रेसिंग के तहत घर-घर जाकर संक्रमण की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका एन्टीजन टेस्ट भी कराया जा रहा है. अगर एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आ रहा है और लक्षण हैं तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ उनको 11 लाख मेडिकल किट भी बांटी गयी है. उन्होंने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से सरकारी मशीनरी द्वारा उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या में से अब तक 18 करोड़ लोगों से उनका हालचाल जाना गया है. प्रदेश में संक्रमण कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्टों की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके इलाज किया जा सके. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक टेस्ट कराये जा रहे हैं. 31 मार्च से अब तक 65 प्रतिशत टेस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में किये गये है.

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में कोविड के एक्टिव केसों की संख्या 600 से कम होने पर जनपदों में आंशिक कोरोना कफ्र्यू हटाकर पूर्व की तरह साप्ताहिक बंदी एवं रात्रिकालीन कफ्र्यू लागू रहेगा. उन्होंने बताया कि साप्ताहिक बंदी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों व शहरी क्षेत्रों मंे फोगिंग, सैनेटाइजेशन व साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में 86,700 तथा शहरी क्षेत्रों में 82,000 कर्मचारी लगाये गये है.

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना सेे संक्रमित 642 नये मामले आये हैं. प्रदेश में विगत 24 घंटों में 1,231 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना के कुल 12,244 एक्टिव मामले हैं. प्रदेश में रिकवरी रेट 98 प्रतिशत है. उन्होंने बताया कि बीते 24 घंटों में 03 जनपदों में शून्य, 24 जनपदों में दो डिजिट तथा 48 जनपदों में सिंगल डिजिट में कोरोना के नये मामले आये हैं. गत एक दिन में कुल 3,05,731 सैम्पल की जांच की गयी है. प्रदेश में अब तक कुल 05 करोड़ 25 लाख से अधिक सैम्पल की जांच की गयी है. कोविड-19 के टेस्ट में आधे से ज्यादा आरटीपीसीआर के माध्यम किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोविड टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 2,15,88,323 लोगों का टीकाकरण किया गया है. कल एक दिन में 3,91,441 लोगों का टीकाकरण किया गया है, जो कि अन्य प्रदेशों में किए जा रहे एक दिन के टीकाकरण से अधिक है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रतिदिन किए जा रहे टीकाकरण को 06 लाख करते हुए इसे 10 लाख तक बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. माह जून में 01 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है. अगले माह से प्रतिदिन 10 लाख से अधिक टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया है. तीन महीनों में 10 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम-9 की समीक्षा बैठक में ब्लैक फंगस बीमारी की समीक्षा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री जी द्वारा ब्लैक फंगस की दवाएं समुचित मात्रा में उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में आॅक्सीजन की बेड की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है. कल 100 बेड बढ़ाये गये हैं, जिसमें 50 आईसीयू एवं 50 आइसोलेशन बेड हैं. प्रदेश में आॅक्सीजन समुचित मात्रा में उपलब्ध है. भविष्य में आॅक्सीजन की प्रदेश में कोई समस्या न हो इसके लिए 428 आॅक्सीजन प्लाण्ट अस्पतालों में लगाये जा रहे हैं, जिसमें से 78 प्लाण्ट क्रियाशील हो गए हैं. प्रदेश में कल लगभग 325 मी0टन आॅक्सीजन की सप्लाई की गयी है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी कल 23 लाख संगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे श्रमिकों को 1000 रुपये भत्ता उनके खातों में स्थानान्तरित किया गया. रेहड़ी, पटरी आदि लोगों को 1000 रुपये भत्ता देने हेतु 14 लाख से अधिक पात्र व्यक्तियों का सत्यापन करा दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 17 लाख मजदूर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी द्वारा मनरेगा के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के कार्यों का और तेजी से अमल में लाने के निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत प्रतिदिन रोजगार देने की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा रही है. प्रदेश सरकार द्वारा मिशन रोजगार चलाया जा रहा है. जिसके तहत समस्त विभाग, आयोग, निगम तथा बोर्डों में जहां पर भी रिक्तियां हैं उन्हें पारदर्शी तरीके भरा जा रहा है. अब तक 04 सालों में 04 लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं. उन्होंने बताया कि विगत 04 वर्षों में एमएसएमई द्वारा 02 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराया गया है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा गेंहूँ खरीद की निरन्तर समीक्षा की जा रही है. गेहँू खरीद 15 जून, 2021 तक की जाती है. मुख्यमंत्री जी द्वारा कहा गया है कि इसके बाद भी अगर किसान अपना गेंहँू लेकर क्रय केन्द्र पर आता है तो उसके आगे भी खरीद होती रहेगी. प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है. गेहँू क्रय अभियान में 10 लाख से अधिक किसानों से 48,85,366.26 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है, जो विगत वर्ष से डेढ़ गुना अधिक है. उन्होंने बताया कि खरीफ फसल के लिए खाद, बीज की व्यवस्था की जाये.

परिवार नियोजन के बाद सेक्स से कोई प्रौब्लम तो नहीं है?

सवाल- 

मैं 52 वर्षीय महिला हूं. पति को गुजरे 5 साल हो गए हैं. पिछले कुछ महीनों से एक 27 वर्षीय अविवाहित युवक से मेरे जिस्मानी संबंध हैं. वह मेरा बहुत खयाल रखता है और हम दोनों आपसी रजामंदी से सैक्स संबंध बनाते हैं. मैं उस के साथ सहज महसूस करती हूं और वह न सिर्फ सैक्स में, बल्कि दुखतकलीफ में भी सदैव साथ निभाता है. वह काफी जोशीला भी है मगर सैक्स के समय उसे कंडोम लगाना पसंद नहीं है. हालांकि मैं परिवार नियोजन करा चुकी हूं. इस में कोई खतरा तो नहीं है? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप के सैक्स पार्टनर का सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग नहीं करने से परिवार नियोजन से कोई संबंध नहीं है. सैक्स संबंध के दौरान गर्भ ठहरेगा इस की भी गुंजाइश न के बराबर है. पर कंडोम न सिर्फ गर्भनिरोध में बल्कि यौनजनित संक्रमण से भी बचाव करने का अच्छा साधन माना जाता है.

सैक्स पार्टनर से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस से आप दोनों ही

यौन संक्रमण से बचे रहेंगे और तनावमुक्त हो कर सैक्स का आनंद उठा पाएंगे.

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श्वेता खाना खाकर सोने चली गयी थी. उसका पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले श्वेता रात के खाने पर पति का देर तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आये तो खाने पर उसका इंतजार न करे. इसके बाद देर होने पर श्वेता खाना खाकर लेट जाती थी. इसके बाद भी उसको नंीद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधें के बारे में सोच रही थी. उसको लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात से घर लौटता था. इसके बाद कभी सेा जाता था तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध् बनाने के लिये मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुच चुकी श्वेता को इस तरह संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. कभी तो श्वेता को लगता जैसे पति प्यार न करके बलात्कार कर रहा हो.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सेक्स में पति की जबरदस्ती

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Summer Special: बौडी स्किन की केयर भी है जरूरी

आप अपने चेहरे की खूबसूरती और उसके निखार को बनाए रखने के लिए क्या कुछ नहीं करतीं, लेकिन जब सवाल आता है बौडी की स्किन का, तब आप उसका खयाल नहीं रखतीं, आप भूल जाती हैं कि चेहरे के नीचे की स्किन का निखार बरकरार रखना भी जरूरी है…

भ्रम और तथ्य

भ्रम: बौडी लोशन केवल ड्राई स्किन वालों के लिए होते हैं.

तथ्य: उम्र और प्रदूषण का फर्क स्किन पर भी पड़ता है जिससे स्किन की नमी और पीएच बैलेंस बिगड़ जाता है. इसलिए ऐसे बौडी लोशन का चुनाव करें जो वर्ष भर आपकी स्किन की सुरक्षा करे.

भ्रम: सारे मौइश्चराइजर एक जैसे होते हैं.

तथ्य: मौइश्चराइजर कई प्रकार के होते हैं जिन्हें आप अपनी स्किन के अनुसार चुन सकती हैं. सही मिश्रण वाला मौइश्चराइजर वह होता है जिसमें ग्लिसरीन, डाईमैथिकन और जैली जैसे बहुमूल्य पदार्थों की सही मात्रा हो. ऐसे बौडी मौइश्चराइजर का चुनाव करें जो आपकी स्किन को गहराई से मौइश्चराइज कर उसे डैमेज होने से बचाए.

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भ्रम: बौडी लोशन की आवश्यकता केवल सर्दियों में ही पड़ती है.

तथ्य: सर्दी हो या गरमी, मौइश्चराइजर की जरूरत स्किन को हर मौसम में पड़ती है. कई महिलाएं गरमी के मौसम में सिर्फ इस डर से मौइश्चराइजर का इस्तेमाल नहीं करतीं, क्योंकि उनकी यह मान्यता है कि मौइश्चराइजर लगाने से उन्हें अधिक पसीना आएगा और स्किन चिपचिपी हो जाएगी. लेकिन यह गलत सोच है. वास्तव में कड़ी धूप आपकी स्किन को नुकसान पहुंचाती है और उसे रूखी व बेजान बना देती है. आप ऐसे बौडी लोशन का चुनाव करें जो नौनस्टिकी होने के साथसाथ आपकी स्किन को हाइड्रेटेड और मुलायम रखे.

सिर्फ निखरा चेहरा काफी नहीं

आप मानें या न मानें लेकिन ज्यादातर भारतीय महिलाएं अपनी बौडी की स्किनकेयर की तरफ काफी लापरवाही बरतती हैं. यही कारण है कि हमारा सारा ध्यान चेहरे की खूबसूरती की तरफ होता और हम अपनी बौडी की उपेक्षा करने लगते हैं. चेहरे के साथ ही शरीर के बाकी हिस्सों की देखभाल ही महिलाओं को संपूर्ण खूबसूरती दे सकती है.

पर्यावरण का स्किन पर बुरा प्रभाव

स्किन के डैमेज होने का बड़ा कारण है सूर्य की तेज किरणें. सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों से स्किन झुलस जाती है, और जब आप इसकी ओर ध्यान नहीं देती हैं तो यह अंदर से डैमेज होने लगती है. इससे स्किन में समय से पहले झांइयां और एजिंग मार्क्स दिखने लगते हैं. स्किन का दुश्मन अकेला सूर्य ही नहीं बल्कि प्रदूषण, धूल मिट्टी और खराब हवा भी है. क्या आप जानती हैं धूल के कण स्किन के पोर्स से 20 गुना छोटे होते हैं और इसलिए स्किन में इनका प्रवेश करना बहुत आसान है. ये कण स्किन की एपिडर्मिस परत की गहराई में प्रवेश कर जाते हैं और इससे स्किन डीहाइड्रेटेड हो जाती है. वहीं प्रदूषण स्किन की कोलोजन और लिपिड लेयर को नष्ट कर देता है जिससे स्किन पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

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नमी की कमी

हम सभी को पता है कि स्किन में नमी बरकरार रहने से वह हाइड्रेटेड और कोमल रहती है. इससे स्किन में युवापन और ताजापन बना रहता है और उसकी सेहत भी सही रहती है. स्किन पर मौइश्चराइजर की परत उसे पर्यावरण से होने वाले नुकसानों से बचा कर रखती है और उसमें नमी को कायम रखती है.

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