अगर रिश्तों में हो जलन की भावना

आप जिसे मानते हैं, अगर वो किसी और को भी आपके जितना चाहता है. तो जलन होना स्वाभाविक है. पर अगर जलन जरुरत से ज्यादा हो जाए तो आपके रिश्ते के लिए मुसीबत बन सकता है. इसलिये अगर आप भी उनमें से है जो अपने साथी को लेकर बहुत जलन महसूस करते हैं तो इस भावना से बचने के लिए ये तरीके आजमा सकती हैं.

1. हदों का रखें ध्यान 

अगर आप दिन-रात जलन की भावना से परेशान हो रहे हैं तो आपको थोड़े ब्रेक की जरुरत है. अगर आपका साथी आपको आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं हैं या आप इस विषय पर खुलकर बात नहीं कर सकती हैं तो बहुत ज्यादा परेशान ना करें. खुद की सीमा को तय करें कि आप किस हद तक इस भावना को झेल सकती हैं.

ये भी पढ़ें- जानें शादी के बाद क्यों बदलती है जिंदगी

2. तनाव को मैनेज करें

आपके अंदर पल रही जलन की भावना तनाव का एक कारण हो सकती है. अगर आप पहले से ही चिंतित और परेशान है तो आप इस स्थिति में और अधिक तनाव महसूस करेंगी. इसलिए बेहतर होगा कि आप खुद से ही चिंता को काबू करने की कोशिश करें. इसके लिए आप व्यायाम, पोषक आहार, योगा और ध्यान का सहारा ले सकती हैं. कभी-कभी जलन की भावना को दूर करने के लिए अपना अच्छे से ख्याल रखना भी काफी होता है.

3. सीधे बात करें

रिश्तों मे बढ़ रही जलन को रोकने के लिए जरुरी है कि आप अपने साथी से सीधे इसके बारे में बात करें. यदि आप इस बारे में बात नहीं करेंगी तो आप अपनी जलन को उन पर जाहिर करने लगेंगे जिससे स्थिति और खराब हो जाएगी. सीधे से बात करने से आप उन्हें समझा पाएंगी कि आप कैसा महसूस कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- मां के बिना पिता बच्चों को कैसे संभाले

4. बात करते वक्त रखें संयम

जब आप अपने साथी से बात कर रही हैं तो अपने स्वभाव को सामान्य रखें और शांत रहकर बात करें. साथी पर जरुरत से ज्यादा दबाव ना डालें. अगर वह इस विषय पर बात करने के लिए तैयार नहीं है तो इंतजार करें. अगर आप उनके बारे में बार-बार उनके दोस्तो और साथियों से जानकारी लेते रहेंगे तो हो सकता है इस बात से आपके पार्टनर को बुरा लग जाए. इसलिये किसी भी बात को बार-बार पूछने से परहेज करें और थोड़ा संयम रखें.

दोहरे मापदंड

सावधान: कहीं आपकी सेहत न बिगाड़ दें पैक्ड फ्रूट जूस

आज कल कई घरों में देखा गया है कि नाश्‍ते के वक्‍त वह जूस के तौर पर बाजार वाला पैक्‍ड जूस ही पीना पसंद करते हैं. कभी-कभार मुंह का स्वाद बदलने के लिये इसे पीना कुछ बुरा नहीं है, लेकिन इन्हें प्राकृतिक फलों की जगह दे देना बिल्‍कुल भी सही नहीं है.

पैक्ड उत्पादों में 100 फीसदी फलों का जूस नहीं होता. इसके अलावा भी पैक्ड जूस में कई अन्य तरह की खूबियां या गुण गायब होते हैं. आइये और जानते हैं इनके बारे में.

नहीं होता फाइबर

पैक्ड जूस बनाते वक्त बहुत से फलों के जूस को उबाला जाता है, ताकि उनमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो सके. इसी के साथ इसमें जरूरी विटामिन और प्राकृतिक तत्व भी खत्म हो जाते हैं. इन पैक्‍ड जूस में फाइबर या गूदा नहीं होता क्‍योंकि उसे निकाल दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- पोस्ट कोविड में फिट कैसे रहें, जानें सेलेब्रिटी फिटनेस इंस्ट्रक्टर यस्मिन कराचीवाला से

मोटापा बढ़ता है

पैक्ड फ्रूट जूस में बहुत अधिक मात्रा में चीनी होती है जो कि इसे कैलोरी में ज्‍यादा बनाता है. ऐसे में वजन कम करने की सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि प्राकृतिक फल और सब्जियों की तुलना में पैक्ड जूस को लेने से ज्यादा वजन बढ़ता है.

आर्टिफीशियल कलर

प्राकृतिक फलों में आर्टिफीशियल रंग नहीं मिला होता लेकिन पैक्‍ट फ्रूट जूस में आर्टिफीशियल कलर का प्रयोग किया जाता है, जिससे वह देखने में फल के रंग के जूस का लगे. यह बाजारू रंग शरीर के लिये बहुत ज्‍यादा हानिकारक होते हैं क्‍योंकि जब आप इसका सेवन करेगे तो आपको अपनी जीभ पर रंग दिखेगा.

पेट की समस्याएं

कुछ फलों में सॉर्बिटॉल जैसी शुगर मौजूद होती है, जो आसानी से पचती नहीं. ऐसे में पैक्ड जूस के कारण पेट से जुड़ी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं. नाशपाती, स्वीट चेरी और सेब सरीखे कुछ फलों में ऐसी ही शुगर मौजूद होती है. ऐसे में इन फलों के पैक्ड जूस पीने से गैस, पेट में उथल-पुथल और डायरिया की समस्या भी देखने में आती है. ऐसे जूस को पचाने में बच्चों को ज्यादा समस्या आती है.

डायबिटीज में नुकसानदेह

डायबिटीज के मरीजों को यह जूस बिल्‍कुल भी नहीं पीना चाहिये. दरअसल ये जूस रिफाइंड शुगर से बने होते हैं, जो डायबिटिक लोगों के लिए ठीक नहीं. अगर इनके लेबल पर ‘शुगर – फ्री’ भी लिखा हो, तब भी इनके सेवन से बचना चाहिए. मीठे फल और गाजर या चुकंदर जैसे हाई-शुगर वेजिटेबल्स जूस के रूप में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देते हैं. ये डायबिटीज और ब्लड ग्लूकोज डिसऑर्डर के लिए हानिकारक होते हैं.

ये भी पढ़ें- World Tobacco Day: अब भी नही समझेंगे तंबाकू के खतरे तो कभी नहीं समझेंगे

अनियमित ब्लड शुगर

पैक्ड जूस में फलों के छिलके का सत्त नहीं होता, इसलिए शरीर को प्राकृतिक फाइबर नहीं मिल पाते. साबुत फल और सब्जियों को पचाने में शरीर को जितना समय मिलता है, उससे कहीं कम समय में शरीर जूस को जज्ब कर लेता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर का स्तर भी तुरंत बढ़ जाता है.

प्रैग्नेंट वूमन के लिए बेस्ट हैं ये 11 आउटफिट्स

प्रैगनैंट होने का मतलब यह नहीं कि आप फैशन ट्रैंड्स को फौलो करना छोड़ दें. मैटरनिटी आउटफिट के साथसाथ बाजार में ऐसे और कई आउटफिट्स हैं, जो आप को प्रैगनैंसी के दौरान भी सुपर स्टाइलिस्ट लुक दे सकते हैं. ऐसे आउटफिट्स का चुनाव करते वक्त किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, बताया फैशन डिजाइनर शिल्पी सक्सेना ने:

1. शिफ्ट ड्रैस

औफिशियल मीटिंग में शिफ्ट ड्रैस क्लासी लुक देती है, इसलिए अपने वार्डरोब में शिफ्ट ड्रैस भी जरूर शामिल करें. स्टाइल के साथ कंफर्ट भी चाहती हैं, तो ए लाइन वाली शिफ्ट ड्रैस खरीदें. हौट लुक के लिए स्पैगेटी स्ट्रैप्स या स्कूप नैक वाली शिफ्ट ड्रैस पहनें.

2. जंपसूट

क्यूट लुक के लिए प्रैगनैंसी के दौरान आप जंपसूट ट्राई कर सकती हैं. इस के साथ कभी टीशर्ट तो कभी शर्ट पहन कर एक ही जंपसूट से आप 2 डिफरैंट लुक पा सकती हैं. स्लिम लुक के लिए ब्लैक जंपसूट चूज करें.

ये भी पढ़ें- Super Dancer Chapter 4 में हुई शिल्पा शेट्टी धासू वापसी, लुक से गिराई बिजलियां

3. मैक्सी ड्रैस

शौर्ट ट्रिप या बीच पर जाने का मन बना रही हैं, तो मैक्सी ड्रैस को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बनाएं. सफर के लिए इस से बेहतर और आरामदायक आउटफिट और कोई नहीं. स्टाइलिस्ट लुक के लिए मैक्सी ड्रैस पर बैल्ट लगा लें.

4. रैप ड्रैस

ऐलिगैंट लुक के लिए रैप ड्रैस भी ट्राई कर सकती हैं. चूंकि यह ऐडजस्टेबल होती है, इसलिए इसे पूरे 9 महीने ही नहीं, बल्कि प्रैगनैंसी के बाद भी पहना जा सकता है. चाहें तो रैप ड्रैस के बजाय रैप टौप भी पहन सकती हैं.

5. स्टोल

अपने प्लेन आउटफिट को स्मार्ट लुक देने के लिए वार्डरोब में कलरफुल स्टोल का कलैक्शन भी जरूर रखें. स्टोल बेबी बंप को कवर करने के भी काम आता है. अगर आप टीशर्ट पहन रही हैं, तो स्टोल के बजाय स्कार्फ पहनें.

6. वन पीस ड्रैस

प्रैगनैंट होने का यह मतलब नहीं कि आप पार्टी अटैंड करना छोड़ दें. ईवनिंग पार्टी जैसे खास मौके पर वन पीस ड्रैस पहन कर आप ग्लैमरस नजर आ सकती हैं. पार्टी की जान बनना चाहती हैं, तो औफशोल्डर फ्लोर स्विपिंग वन पीस ड्रैस पहनें.

7. ट्यूनिक

अगर आप औफिस गोइंग वूमन हैं, तो अपने वार्डरोब में 2-4 ट्यूनिक को जरूर जगह दें. औफिस में फौर्मल लुक के लिए ट्यूनिक बैस्ट है. इसे आप लैगिंग और जींस दोनों के साथ पहन सकती हैं. थाइज लैंथ, ब्रेसलेट स्लीव्स और वीनैक ट्यूनिक प्योर फौर्मल लुक के लिए बैस्ट हैं.

8. मैटरनिटी जींस

प्रैगनैंसी के दौरान आप अपनी स्किनी जींस न सही, लेकिन मैटरनिटी जींस जरूर पहन सकती हैं. स्ट्रैची मैटीरियल से बनी जींस काफी कंफर्टेबल होती है. जींस के साथ फ्लेयर टौप पहन कर आप बेबी बंप को कवर कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- रियल लाइफ में काफी बोल्ड है पंड्या स्टोर की धरा, फोटोज देख हो जाएंगे हैरान

9. स्कर्ट

कैजुअल लुक के लिए स्कर्ट से बढि़या औप्शन और कोई नहीं. अगर आप स्टाइल के साथ कंफर्ट भी चाहती हैं, तो हाई वेस्ट स्कर्ट खरीदें, जो आप के बढ़ते बेबी बंप के साथ आसानी से ऐडजस्ट हो सके. सेमीकैजुअल लुक के लिए स्कर्ट के साथ टौप पहनें और ऊपर से श्रग या डैनिम की स्लीवलैस जैकेट पहन लें.

10. लैगिंग

अपने मैटरनिटी वार्डरोब में डिफरैंट शेड्स की 3-4 लैगिंग्स जरूर रखें. लैगिंग काफी कंफर्टेबल होती है. स्ट्रैचेबल होने के कारण इसे पहन कर आप आसानी से उठबैठ भी सकती हैं. स्मार्ट लुक के लिए लैगिंग के साथ लौंग टौप, ट्यूनिक या कुरती पहनें.

11. जौगर

प्रैगनैंसी के दौरान अपने स्वैटपैंट्स के कलैक्शन को जौगर से रिप्लेस करें. स्वैटपैंट्स

के मुकाबले इस का लुक ज्यादा खूबसूरत नजर आता है. इसे जौगिंग के दौरान ही नहीं, बल्कि औफिस में भी पहन सकती हैं. अगर आप स्पोर्टी लुक पसंद करती हैं, तो जौगर के साथ लूज टीशर्ट पहनें.

कार्डिगन

फैशनेबल लुक के लिए अपने वार्डरोब में कार्डिगन रखना न भूलें. यह कभी आउट औफ फैशन नहीं होता. इसे आप टीशर्ट या टौप के

साथ पहन सकती हैं. स्टाइलिश लुक के लिए कार्डिगन को ओपन रखें. इसे बैल्ट या बटन से कवर न करें.

कम बजट में मैटरनिटी शौपिंग

ज्यादा पैसे खर्च किए बिना फैशनेबल नजर आना चाहती हैं, तो अपने वार्डरोब का मेकओवर कुछ इस तरह करें:

– फुल साइज 8-10 टौप खरीदने के बजाय 2-3 मैटरनिटी टौप खरीद लें.

– मैटरनिटी जींस या लैगिंग दोनों में से कोई एक खरीदें.

– मैटरनिटी पैंट या फिर हाई वेस्ट स्कर्ट खरीदें. दोनों खरीदने की जरूरत नहीं.

– स्मार्ट लुक के लिए कार्डिगन या जैकेट दोनों में से कोई एक काफी है.

– वार्डरोब में 2 से ज्यादा शिफ्ट, रैप या शौर्ट ड्रैस न रखें.

विश्वास के घातक टुकड़े- भाग 2 : इंद्र को जब आई पहली पत्नी पूर्णिमा की याद

पूर्णिमा मायके चली जरूर गई थी, लेकिन उस का मन इंद्र पर ही टिका रहा. सोच रही थी कि अब तो वह आजाद पंछी की तरह रहेगा. पता नहीं वह क्या करता होगा. मन नहीं माना तो उस ने इंद्र को फोन लगाया.

‘‘कौन?’’ उधर से आवाज आई.

‘‘अब तुम्हें मेरी आवाज भी पहचान में नहीं आ रही.’’ पूर्णिमा ने उखड़े स्वर में कहा.

‘‘पूर्णिमा, तुम से बाद में बात करूंगा.’’ कह कर इंद्र ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

इस दरमियान उस के कानों में कुछ ऐसी आवाजें आईं मानो कोई पिक्चर चल रही हो. घड़ी की तरफ देखा, शाम के 5 बज रहे थे. शक के कीड़े फिर कुलबुलाए. इंद्र कहीं अपनी उसी सहकर्मी के साथ पिक्चर तो नहीं देख रहा. सोच कर पूर्णिमा की बेचैनी बढ़ गई. पूर्णिमा की मां की नजर उस पर पड़ी, तो वह बोलीं, ‘‘यहां अकेले क्यों बैठी हो?’’

‘‘तो कहां जाऊं?’’ पूर्णिमा झल्लाई.

‘‘जब से आई हो परेशान दिख रही हो. इंद्र से कुछ कहासुनी तो नहीं हो गई.’’ मां ने पूछा.

‘‘हांहां, मैं ही बुरी हूं. झगड़ालू हूं.’’ पूर्णिमा रुआंसी हो गई. मां ने करीब आ कर स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरा तो वह शांत हो गई.

पूर्णिमा को मायके में रहते 15 दिन हो गए. इस बीच एक दो बार इंद्र का फोन आया लेकिन मात्र औपचारिकता के लिए. एक दिन पूर्णिमा की सास का फोन आया, ‘‘पूर्णिमा, कब आ रही हो?’’

‘‘मम्मीजी, मैं जानती हूं आप को मेरी फिक्र है, लेकिन इंद्र ने एक बार भी नहीं कहा कि आ जाओ. जब उसे मेरी जरूरत ही नहीं है तो मैं आ कर क्या करूंगी.’’ पूर्णिमा ने कहा.

‘‘ऐसे कैसे हो सकता है, उस ने तो तुम्हें कई बार फोन किए.’’ सास बोलीं.

ये भी पढ़ें- उसके हिस्से की जूठन: क्यों निखिल से नफरत करने लगी कुमुद

‘‘वह तो कह रहा था कि तुम आने के लिए तैयार नहीं हो.’’

सास की बात सुन कर पूर्णिमा तिलमिला गई. अब इंद्र झूठ भी बोलने लगा था. काफी सोचविचार कर पूर्णिमा ने वापस ससुराल जाने का मन बनाया. इंद्र के मन में क्या चल रहा है, यह जानना उस के लिए बेहद जरूरी था. वह अपनी ससुराल चली गई.

इंद्र ने अचानक आई पूर्णिमा को देखा तो अचकचा गया. बोला, ‘‘बताया होता तो मैं लेने आ जाता.’’

‘‘तुम्हें फुरसत हो तब न?’’ पूर्णिमा के चेहरे पर व्यंग्य की रेखाएं खिंच गईं.

इंद्र ने पूर्णिमा को मनाने की कोशिश की, ‘‘आज शाम को पिक्चर चलते हैं.’’

‘‘नहीं जाना मुझे पिक्चर.’’ वह बोली.

‘‘जैसी तुम्हारी मरजी.’’ कह कर इंद्र अपने दूसरे कामों में लग गया.

एक रात इंद्र गंभीर था. पूर्णिमा को अहसास हो गया था कि उस के मस्तिष्क में कुछ चल रहा है. उस वक्त पूर्णिमा कोई किताब पढ़ रही थी. लेकिन बीचबीच में इंद्र के चेहरे पर आतेजाते भावों को चोर नजरों से देख लेती थी.

‘‘पूर्णिमा, मैं अंजलि से शादी करना चाहता हूं.’’ इंद्र का इतना कहना भर था कि पूर्णिमा की जिंदगी में भूचाल सा आ गया. उस ने किताब एक तरफ रखी, ‘‘मेरा शक ठीक निकला. अंजलि नाम है न उस का. बहुत खूब.’’ पूर्णिमा हंसी.

इस हंसी में रोष भी था तो बेवफाई की एक गहरी पीड़ा भी, जिस का अहसास सिर्फ उस स्त्री को ही हो सकता है, जिस ने पति को देवता मान कर अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया हो.

‘‘तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? अभी मैं जिंदा हूं.’’ वह बोली.

‘‘काफी सोचविचार कर मैं ने यह फैसला लिया है.’’ इंद्र ने कहा, ‘‘डाक्टर ने साफ कह दिया है कि तुम्हारे मां बनने की संभावना क्षीण है.’’

‘‘नहीं बनूंगी. मगर इस घर में सौतन कभी नहीं आएगी. कैसी बेगैरत लड़की है. एक शादीशुदा मर्द को फंसाया और तुम कैसे पुरुष हो जिस ने लाज, शरम, सब को ताक पर रख कर एक लड़की को जाल में फांस लिया.’’

‘‘वह स्वयं तैयार है.’’

‘‘मैं तुम से बहस नहीं करना चाहता. बात काफी बढ़ चुकी है. वह पेट से है.’’

‘‘बगैर शादी के?’’ वह चौंकी.

‘‘उस की इजाजत तुम से चाहता हूं.’’

‘‘न दूं तो?’’

‘‘तुम्हारी मरजी. अगर तुम मां बन सकती तो यह नौबत ही नहीं आती.’’

‘‘सोचो, अगर तुम बाप नहीं बन पाते और मैं यही रास्ता अपनाती, तब क्या तुम मुझे ऐसी ही इजाजत देते?’’ इंद्र के पास इस का कोई जवाब नहीं था.

पूर्णिमा की मनोदशा अब एक परकटे परिंदे की तरह हो गई. जब कुछ नहीं सूझा तो वह गुस्से में बोली, ‘‘बताओ, तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया? क्यों मेरे अस्तित्व को गाली दी? क्या सोचा था कि मेरी नाक के नीचे व्यभिचार करोगे और मैं चुप बैठी रहूंगी.’’

‘‘तो जाओ चिल्लाओ. कुछ मिलने वाला नहीं है.’’ इंद्र भी ढिठाई पर उतर आया.

‘‘अगर न चिल्लाऊं तो?’’

‘‘बड़ी मां का दरजा मिलेगा.’’ इंद्र ने कहा.

‘‘तुम्हारी उस रखैल के बच्चे की बड़ी मां का दरजा घिन आती है मुझे उस के नाम से.’’ इंद्र ने गुस्से में पूर्णिमा को मारने के लिए हाथ उठाया.

ये भी पढ़ें- नो एंट्री: ईशा क्यों पति से दूर होकर निशांत की तरफ आकर्षित हो रही थी

‘‘खबरदार, जो मुझे हाथ भी लगाया.’’ पूर्णिमा के तेवर देख कर इंद्र ने हाथ पीछे खींच लिया. उस रात जो कुछ हुआ, उस से पूर्णिमा का मन व्यथित था. सुबह उस का किसी काम में मन नहीं लगा. वह बीमारी का बहाना बना कर लेटी रही. इंद्र औफिस चला गया तब उठी. सास ने पूर्णिमा का हाल पूछा.

डायनिंग कुरसी पर बैठी पूर्णिमा बोली, ‘‘मांजी, इंद्र दूसरी शादी करना चाहता है. क्या आप इस के लिए तैयार हैं?’’

कुछ पल सोच कर वह बोलीं, ‘‘यह इंद्र का निजी मामला है, इस में मैं कुछ नहीं कर सकती.’’

‘‘इस का मतलब इंद्र के इस फैसले पर आप को कोई आपत्ति नहीं है?’’ पूर्णिमा ने पूछा.

‘‘देखो पूर्णिमा, हर आदमी बाप बनना चाहता है. उस ने भरसक प्रयास किया. जब डाक्टरों ने तुम्हारे बारे में साफसाफ कह दिया. तो वह जो कर रहा है उस में मैं कुछ भी नहीं कर सकती.’’

‘‘ऐसे कैसे हो सकता है कि एक छत के नीचे मेरी सौत रहे?’’

‘‘यह तुम्हें सोचना होगा. रही मानसम्मान की बात, तो मैं जब तक रहूंगी तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी.’’

‘‘न रही तब?’’ पूर्णिमा ने कहा तो सास ने कोई जवाब नहीं दिया.

इंद्र औफिस से देर से आया. आने के बाद कपड़े उतार कर बिना खाएपीए बिस्तर पर पड़ गया. पूर्णिमा सोच रही थी कि किस हक से इंद्र से मनुहार करे. पर मन नहीं माना.

‘‘खाना लगा दूं?’’

‘‘मैं खा कर आया हूं.’’ सुनते ही पूर्णिमा का पारा चढ़ गया. क्योंकि वह जानती थी कि खाना किस के साथ खाया होगा. गुस्से में पूर्णिमा भी बिना खाएपीए अलग बिस्तर लगा कर सोने चली गई.

नींद आने का सवाल ही नहीं था. बारबार मन एक ही बात पर आ टिकता. इंद्र के बारे में उस ने जैसा सोचा था, वह उस से अलग निकला. उसे सपने में भी भान नहीं था कि वह ऐसा कदम भी उठा सकता है.

‘‘क्या सोचा है तुम ने?’’ इंद्र का स्वर अपेक्षाकृत धीमा था.

‘‘जब तुम ने फैसला ले ही लिया है तो मैं कुछ नहीं कर सकती. पर इतना जरूर बता दो कि मेरी इस घर में क्या स्थिति होगी? स्वामिनी या नौकरानी. अर्द्धांगिनी तो अब कोई और कहलाएगी.’’ पूर्णिमा भरे मन से बोली.

‘‘तुम्हारा दरजा बरकरार रहेगा?’’ इंद्र का चेहरा खिल गया.

‘‘रात का बंटवारा कैसे करोगे?’’ पूर्णिमा के इस अप्रत्याशित सवाल पर वह सकपका गया. जब कुछ नहीं सूझा तो उलटे उसी पर थोप दिया.

पूर्णिमा गुस्से में बोली, ‘‘अंजलि से प्यार मुझ से राय ले कर किया था?’’

इंद्र पूर्णिमा के कथन पर झल्ला गया, ‘‘पुराने पन्ने पलटने से कोई फायदा नहीं.’’

पूर्णिमा ने यह खबर अपने मायके पहुंचा दी. उस के मम्मीपापा, भाईबहन सभी रोष से भर गए. पापा तल्ख स्वर में बोले, ‘‘पूर्णिमा, तुम यहीं चली आओ. कोई जरूरत नहीं है, उस के पास रहने की.’’

‘‘वहां आ कर क्या मिलेगा? एक नीरस उबाऊ जिंदगी. सब का अपनाअपना लक्ष्य रहेगा, वही मेरे लिए एक बांझ स्त्री का अभिशप्त जीवन. बहुत होगा किसी स्कूल में नौकरी कर लूंगी. क्या इस से मेरा दुख कम हो जाएगा?’’ कहतेकहते पूर्णिमा की आंखों में आंसू भर आए.

‘‘मैं तुम्हारी दूसरी शादी करवा दूंगा.’’ पापा बोले.

‘‘कोई जरूरत नहीं है. वहां भी दूसरे के बच्चे पालने होंगे. इस से अच्छा सौतन के ही खिलाऊं.’’

‘‘मैं उसे जेल भिजवा दूंगा.’’ पिता ने कहा.

‘‘उस से मिलेगा क्या? बेहतर है कि समय का इंतजार करूं. हो सकता है मेरी गोद भर जाए.’’ पूर्णिमा ने आशा नहीं छोड़ी थी. अंतत: इंद्र से अपनी मर्जी से अंजलि के साथ शादी कर ली. उस की पत्नी बन कर वह घर में आ गई.

औफिस से आ कर इंद्र सब से पहले पूर्णिमा के कमरे में आता था. पर जल्द ही उसे पूर्णिमा से ऊब होने लगी थी. अंजलि की खुशबू वह पूर्णिमा के कमरे तक महसूस करता. फिर तेजी से चल कर उस के पास जाता. अंजलि उसी के इंतजार में सजधज कर तैयार बैठी रहती. गोरीचिट्टी अंजलि जब होंठों पर लिपस्टिक लगाती तो उस के होंठ गुलाब की पंखुडि़यां जैसे लगते थे.

ये भी पढ़ें- Mother’s Day Special: मां और मोबाइल- वैदेही जी ने मोबाइल से क्या किया?

एक हफ्ते बाद पहली बार इंद्र रात बिताने पूर्णिमा के पास आया.

पूर्णिमा को कहीं न कहीं विश्वास था कि वह मां अवश्य बनेगी. बेमन से उस के पास 2 घंटे बिता कर वह अंजलि के पास चला गया. पूर्णिमा अपने अरमानों का कत्ल होते देखती रही. इंद्र उस की भावनाओं को रौंद रहा था. सोचतेसोचते उस की आंखें भीग गईं.

एक दिन वह भी आया, जब अंजलि मां बनने वाली थी. इंद्र काफी परेशान था. पूर्णिमा से बोला, ‘‘हो सके तो अस्पताल में तुम रह जाओ. पता नहीं किस चीज की जरूरत हो.’’

यह सुन कर पूर्णिमा का दिल भर आया. वह सोचने लगी कि आज इंद्र, अंजलि के लिए कितना परेशान है. अगर वह सक्षम होती तो उस की परेशानी पर उस का हक होता. पूर्णिमा की आंखों में आंसू छलक आए. इंद्र की नजर उस पर पड़ी, ‘‘रोनेधोने से क्या मिलने वाला है. खुशियां मनाओ कि इस घर में एक चिराग जलने वाला है. जिस की रोशनी में हम सब नहाएंगे.’’

‘‘सिर्फ तुम दोनों.’’ वह बोली.

‘‘वह तुम्हें बड़ी मां कहेगा.’’ इंद्र ने खुश हो कर कहा.

‘‘नहीं बनना है मुझे किसी की बड़ी मां.’’ पूर्णिमा गुस्से में बोली.

इंद्र जाने लगा तो कुछ सोच कर पूर्णिमा ने कहा, ‘‘किस नर्सिंगहोम में जाना होगा?’’

आगे पढें- कुछ घंटे के इंतजार के बाद अंजलि को…

ये भी पढ़ें- Short Story: कबूतरों का घर

शेफ कुनाल कपूर से जानें फल, सब्जियों को स्टोर करने के तरीके

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अपनों को खो चुके लोग इतने डरे हुए है कि वे अपने परिवार जन को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है, क्योंकि इस समय परिवार के प्रत्येक व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहना बहुत आवश्यक है. मास्क से लेकर हायजिन तक सभी गाइडलाइन्स को लोग फोलो कर रहे है, ऐसे में फल और सब्जियों को धोने की प्रक्रिया भी शामिल है, क्योंकि बाज़ार में आने वाले फल और सब्जियां कई हाथो से गुजर कर घर तक पहुंचती है और इस महामारी से लड़ने का एकमात्र प्राकृतिक तरीका है रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करना, खुद को अधिक मजबूत बनाना और मल्टीविटामिन्स को अपनी दिनचर्या में शामिल करना आदि है. इसके अलावा संतुलित भोजन में फल और सब्जियों का शामिल होना भी जरुरी है. नैचुरल प्रोडक्ट शरीर को कई पोषक तत्व प्रदान करते हैं,जो वायरस से लड़ने और स्वस्थ रहने में मदद करता है.

इस बारें में आईटीसी निमवाश के ब्रांड एम्बेसेडर शेफ कुणाल कपूर कहते है कि फल और सब्जियां स्थानीय मंडियों, खुदरा दुकानों या फेरीवालों के माध्यम से घर तक पहुँचती है, ऐसे में उन्हें कीटाणु मुक्त करना बहुत ज़रूरी है, ताकि फलों और सब्जियों की सतह से कोविड-19 के वायरस, अन्य जीवाणुओं और कीटनाशकों को दूर किया जा सकें. अगर किसी भी फल या सब्जी को कच्चा खाना चाहते है, तो ऐसे में दस्त जैसी बीमारियों से दूर रहने के लिए उन्हें साफ़ कर लेना बेहद ज़रूरी है. फल और सब्जियों को साफ़ करने और स्टोर करने के टिप्स निम्न है,

• जैसे ही सब्जियां घर में आए, उसकी छंटाई करें और देख लें कि कौन-कौन सी सब्जी थोड़ी खराब है या खराब होने के कगार पर है. उन्हें अलग रखें और पहले इस्तेमाल कर लें.
• उन्हें स्टोर करने से पहले किसी फल और सब्जी धोने वाले घोल, नमक पानी, या विनेगर के घोल में डुबोकर, अच्छी तरह धोकर सुखा लें. इससे कच्चे फल और सब्जियां फ्रिज में या कहीं स्टोर करने से पहले जीवाणु मुक्त हो जायेंगे.
• अगर उन्हें रखने के पहले धोने का समय नहीं है, तो ध्यान रखें कि पकाने या खाने के पहले सब्जी और फल को जीवाणु मुक्त करने वाले घोल से अवश्य धो लें.
• नैचुरल प्रोडक्ट को काटने के बाद नहीं धोना चाहिए, क्योंकि सब्जियों और फलों को काटने के पहले ही धोना उचित होता है. उन्हें काटने के बाद धोने पर पानी के साथ उनके पोषक तत्व भी बह जाते है.

ये भी पढ़ें- Global Parents Day: रखें New Born बेबी का पूरा ध्यान

स्टोर करने की विधि

इसके आगे शेफ कुणाल कहते है कि सब्जियों और फलों अधिक दिनों तक स्टोर करना भी एक चुनौती है, क्योंकि आजकल कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है, ऐसे में बार-बार मार्केट जाना संभव नहीं होता. इसलिए फल और सब्जियों को अलग-अलग स्टोर करना बेहतर होता है.

हरी पत्तेदार सब्जियां

हरी पत्तीदार सब्जियों को धोने के बाद उन्हें कागज़ में लपेट दें और प्लास्टिक के डब्बे या बंद प्लास्टिक बैग में स्टोर करें. स्टोर करने के पहले कुम्हलाई या सड़ी-गली पत्तियों को निकाल दें. कई बार लोग सब्जियों के प्रयोग के बाद दोबारा उसी प्लास्टिक कंटेनर का प्रयोग करते है, इसलिए उसे हर बार के इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह साफ़ करके सुखाने के बाद उसमें स्टोर करें.

टमाटर

टमाटर को सही स्टोर करना एक चैलेन्ज होता है, टमाटर के पके होने पर उन्हें फ्रिज में स्टोर करें या किसी टोकरी या जालीदार बैग में स्टोर करें, जिससे हवा का प्रवाह होता रहे.

पत्तागोभी

पत्ता गोभी के ऊपर का भाग सही होने पर उसे वैसे ही फ्रिज में रखा जा सकता है, यदि ऊपरी भाग हटा दिया गया है, तो उन्हें एक एयर-टाइट बैग में स्टोर करें, इसे उपयोग करते समय काले भाग को हटा देना सही होता है, ताकि इसका ऑक्सीडाईज्ड भाग निकल जाय, इसके बाद पसंद के अनुसार किसी भी व्यंजन में इसका उपयोग किया जा सकता है.

ब्रोकली और फूलगोभी

इन सब्जियों को घर लाते ही साफ कर लें, क्योंकि इनमें अक्सर कीड़े और रोगाणु पाए जाते है इन्हें धोने के बाद पूरा सुखाया जा सकता है या फिर इन्हें छोटे-छोटे फूलों में बांटकर रखा जा सकता है, छोटे फूलों को स्टोर करना भी आसान होता है. ब्रोकली और फूलगोभी को एक कपड़े पर सुखाएं और दूसरे कपड़े से ढक दें, ताकि सारी नमी इनमें बनी रहे, सीधे धूप में सुखाने पर ये ख़राब हो सकते है.

आम

आम के पकने तक उसे एक अंधेरी जगह में स्टोर करे, उसके बाद उसे फ्रिज में रखें, आम के पक जाने के बाद उन्हें धो लें या भिगो दें, आम को सब्जियों से दूर रखें, ताकि दूसरे उत्पाद पर उसका असर न पड़े.

खट्टे फल

खट्टे फलों को फ्रिज में या बाहर खुले जालीदार बैग में स्टोर करें.

ये भी पढ़ें- बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सिखाएं ये 8 आदतें

सेब और अन्य सरस फल

सेब और अन्य रसवालें फलों जैसे जामुन, बेर, अंगूर, स्ट्राबेरी आदि को उपयोग करने से पहले ही धोएं, अगर वे पहले पानी के संपर्क में आते हैं, तो खराब भी हो सकते है.

Summer Special: जानें क्या हैं सनस्क्रीन लगाने के चार फायदे

सनस्क्रीन हमारी स्किन के लिए बनाई गई ऐसी क्रीम है जो सूरज की पराबैंगनी किरणों से हमारी स्किन पर होने वाले नुकसान से बचाती है. लोग ज्यादातर सनस्क्रीन का इस्तेमाल गर्मियों के मौसम में करते हैं. जबकि हमारी स्किन को सूरज से हर समय बचाव की जरूरत होती है. इसलिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल ना सिर्फ गर्मियों में बल्कि हर मौसम में करना चाहिए. सनस्क्रीन हमारी स्किन के लिए एक परत का काम करती है, जिससे की अल्ट्रा वायलेट किरणे हमारी स्किन को डैमेज नहीं कर पातीं. हमारी स्किन पर ऐसी परत का होना बहुत आवश्यक है. जब भी आप बाज़ार में सनस्क्रीन खरीदने जाएं, ध्यान रहे कि सनस्क्रीन में जितना ज़्यादा एसपीएफ यानी की सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर होगा, आपकी सनस्क्रीन उतनी ही ज़्यादा प्रभावशाली होगी.

चलिए जानते हैं सनस्क्रीन लगाने के अन्य फायदों के बारे में –

1) टैनिंग से करे बचाव-

सूरज की खतरनाक किरणें से हमारी स्किन पर बहुत भारी नुकसान होता है. स्किन में टैनिंग होना भी अन्य नुकसानों में से एक है. टैनिंग की वजह से हमारे शरीर के कुछ हिस्से काले हो जाते हैं और कुछ अपने नेचरल कलर में ही रहते हैं जिसके कारण हमारा शरीर दो रंग का दिखने लगता है. टैनिंग का सबसे अच्छा इलाज है सनस्क्रीन. जब भी आप धूप में बाहर निकलें, तो शरीर के खुले हुए हिस्सों पर सनस्क्रीन लगा कर जाएं. इससे आप टैनिंग की समस्या से बचे रहेंगे.

ये भी पढ़ें- 5 Tips: ग्लोइंग स्किन के लिए मुल्तानी मिट्टी का इस तरह करें इस्तेमाल

2) स्किन को दे हेल्थी ग्लो-

सनस्क्रीन में एसपीएफ होने के साथ साथ कई तरह के प्रोटीन पाए जाते हैं जैसे की कॉलेजिन, केराटिन और इलास्टिन, जो की हमारी स्किन को हानिकारक किरणों से बचाने के साथ साथ स्किन को एक हेल्थी ग्लो भी देते हैं. इसलिए सनस्क्रीन लगाने से स्किन भी ग्लो करने लगती है.

3) एजिंग से बचाए-

अगर स्किन को धूप से प्रोटेक्ट ना किया जाए तो स्किन रूखी और बेजान होकर डैमेज होने लगती है जिसके कारण चेहरे पर फाइन लाइंस और झुरियां दिखाई पढ़ने लगती हैं. इसलिए स्किन को किसी भी प्रकार से डैमेज से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बहुत आवश्यक है. सनस्क्रीन स्किन के बाहर एक परत का काम करती है जिससे हमारी स्किन डैमेज नहीं होती और जवां नज़र आती है.

4) स्किन कैंसर से बचाए-

धूप में बिना प्रोटेक्शन के बाहर निकलने से स्किन डैमेज तो होती ही है लेकिन साथ ही स्किन कैंसर जैसे की मेलोनोमा होने की संभावना भी बढ़ जाती है. स्किन कैंसर से बचने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. सनस्क्रीन स्किन के बाहरी हिस्से पर एक ऐसी परत बना लेती है जिससे हमारी स्किन पर धूप की हानिकारक किरणों का कोई असर नही हो पाता.

ये भी पढ़ें- 5 टिप्स: होममेड तरीके से पाएं डार्क सर्कल से छुटकारा

जीवनज्योति- भाग 2: क्या पूरा हुआ ज्योति का आई.पी.एस. बनने का सपना

लेखक- मनोज सिन्हा

ज्योति तो उन के दिल का टुकड़ा थी, उसे मर जाने तक को कह दिया उन्होंने. कैसे निकली यह बात उन की जबान से. खुद को धिक्कारते हुए बिस्तर से उतर कर विक्षिप्तों की तरह टहलने लगे थे मुंशीजी. बारबार एक ही यक्षप्रश्न, आखिर कैसे हुआ यह हादसा?

आत्मग्लानि की आग से पसीज उठा था उन का सर्वस्व. यह सोच कर अपने कमरे से निकल गए थे कि ज्योति बिटिया को सारा अंतर्द्वंद्व, सारी व्यथा सुना कर पश्चात्ताप कर लेंगे.

…इस बार मुंशीजी की व्यथा सुमित्रा नहीं सह सकी. लौट कर बिस्तर पर उन के लेटते ही धीरे से उन के सीने पर हाथ रखा था सुमित्रा ने. करवट बदल कर मुंशीजी ने भी देखा था सुमित्रा की बंद पलकों से सहानुभूति की बूंदें अब भी लुढ़क रही थीं.

आंख लगी ही थी कि अचानक चिहुंक कर जाग गई ज्योति.

बाबूजी का क्रोध एवं आवेश में फुंफकारता चेहरा अवचेतन से निकल कर बारबार उसे डरा रहा था. प्रतिध्वनित हो रही थी वही सारी दिल दरकाती बातें जो उस के अंतस में बहुत दूर जा कर धंस गई थीं. इस असह्य पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए ज्योति कईकई प्रयास कर चुकी थी, पर सब बेकार.

अचानक ही उस का चेहरा सख्त हो गया. आंखों में बेगानेपन का एक ऐसा मरुस्थल उतर आया था जहां मोहमाया, वेदनासंवेदना, मानअपमान के न तो झाड़झंखाड़ थे और न ही आंसूअवसाद का कोई अस्तित्व. एक निर्णय ने उस के भय के सारे अंतर्द्वंद्वों को धो डाला था और दरवाजे का सांकल खोल, अमावस की इस काली निशा में वह गुम हो गई थी.

वह अपने घर से जितनी दूर होती जा रही थी, बाबूजी का स्वर अनुगूंज अंतस में और अधिक शोर मचाने लगा था. वह जल्द से जल्द उस पुल पर पहुंच जाना चाहती थी जहां नदी का अथाह पानी उसे इन तमाम पीड़ाओं से मुक्ति दिला कर अपने आगोश में बहा ले जाता. दूर, बहुत दूर.

इस धुन में उस की चाल तेज, और तेज होती जा रही थी. बाहर में गूंजते बाबूजी के शब्द ‘मरती क्यों नहीं…नदी, तालाब में डूब क्यों नहीं जाती…बोझ है…अभिशाप है…’ और अंदर में जान दे देने की, खुद को मिटा देने की एक खीझभरी जिद.

ये भी पढ़ें- लावारिस: सेठ प्रमोद ने क्या सुनयना को दिया उसका हक

अचानक ज्योति को लगा कि बाबूजी की आवाज के साथसाथ कहीं से कोई दूसरा स्वर भी घुलमिल कर आ रहा है. उस ने थोड़ा थम कर उस आवाज को गौर से सुननेसमझने की चेष्टा की थी. हां, कोई तो था जो दबे स्वर में उसे बारबार पुकार रहा था, ‘ज्योति…ज्योति…ज्योति…’

एक पल को ठिठक गई ज्योति. पलट कर उस ने चारों ओर देखा तो कोई नहीं था दूरदूर तक. तो फिर कौन है इस निर्जन वन में जो उसे आवाज दे रहा था.

‘‘आत्महत्या करने जा रही हो ज्योति,’’ करीब आता स्वर सुनाई दिया ज्योति को.

ज्योति ने खीज कर पूछा था, ‘‘देखो, तुम जो भी हो मेरे सामने आ कर बात करो. मुझे डराने की कोशिश मत करो. आखिर कौन हो तुम?’’ ज्योति ने अपना मन कड़ा किया था.

‘‘मौत के जिस रास्ते पर तुम जा रही हो उसी रास्ते में मैं तुम्हारे सामने हूं, ज्योति.’’

कानों पर तो यकीन हो रहा था, मगर कहीं आंखें तो धोखा नहीं दे रही हैं उसे. पलकों को कस कर भींचा और झपकाया था ज्योति ने. विस्फारित नेत्रों से इस अंधेरे की खाक छान रही थी वह. कुछ भी तो नहीं था आसपास.

‘‘सामने? खड़े हो तो दिखाई क्यों नहीं देते?’’

‘‘इसलिए कि तुम मुझे देखना नहीं चाहतीं. देखो, मैं ठीक तुम्हारे सामने आ कर खड़ा हो गया हूं देख रही हो मुझे?’’

‘‘नहीं…मगर तुम चाहते क्या हो, कौन हो तुम?’’ गहराते रहस्य ने ज्योति की व्यग्रता को और उत्प्रेरित किया था.

‘‘मुझे अनदेखा कर रही हो तुम. जरा दिल की गहराइयों में मन की आंखों से देखो, ज्योति…मैं जीवन हूं.’’

‘‘जीवन, कौन जीवन? मैं किसी जीवन को नहीं जानती…’’

‘‘तुम जैसी समझदार लड़की के मुंह से इस तरह की बातें अच्छी नहीं लगतीं. मुझे पहचानो. मैं जीवन हूं, तुम्हारा जीवन.’’

‘‘बकवास बंद करो और हट जाओ मेरे रास्ते से.’’

अदृश्य तत्त्व का स्वर फिर ज्योति के कानों से टकराया था, ‘‘ठीक है, तुम्हारे रास्ते से हट जाऊंगा, मगर मुझे बता दो कि क्या तुम सचमुच आत्महत्या करने जा रही हो या…’’

‘‘जी हां, मैं सच में आत्महत्या ही करने जा रही हूं. पुल से नदी में कूद कर जान दे दूंगी, और कुछ?’’

एक क्षण की खामोशी और फिर, ‘‘अरे हां, सुनो? ज्योति, जब तक तुम मर नहीं जातीं, तब तक क्या मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूं? इस बीच बातें करते हुए तुम्हारा यह अंतिम सफर भी अच्छे से कट जाएगा…तो चलूं तुम्हारे साथ?’’

‘‘तुम आओ या जाओ, मेरी बला से,’’ एकदम से भन्ना कर बोली ज्योति.

और एक झटके के साथ आगे बढ़ी तो अनजान रास्ता और उस पर से किसी अदृश्य रहस्य की उपस्थिति का आभास. इसी घबराहट में किसी कटे पेड़ के ठूंठ से जा टकराई और दर्द से बिलबिला उठी थी.

फिर वही आवाज, ‘‘चोट लग गई न. बिना सोचेसमझे तुम कितने दुर्गम रास्ते पर निकल पड़ी हो, ज्योति.’’

‘मर नहीं जाऊंगी इन छोटीमोटी ठोकरों से,’ क्रोध के मनोवेग से चीखती हुई बड़बड़ाने लगी थी, ‘…बहुत चोटें सही हैं मैं ने अपने कलेजे पर…मर तो नहीं गई मैं. हां, मरूंगी…आत्महत्या करूंगी. मुझे चोट लगे, तुम्हें इस से क्या मतलब?’

‘‘नहीं, कोई मतलब नहीं. मगर मैं नहीं चाहता कि मरने से पहले तुम्हारे शरीर पर कोई चोट लगे. क्योंकि तुम्हारी चोट से मैं भी आहत होता हूं. जानती हो ज्योति, आत्महत्या में ऐसा भी होता है कि कई बार आदमी मर नहीं पाता. टूटफूट कर एक लंगड़ेलूले, अपंगता की जिंदगी जीता है. तब वह दोबारा आत्महत्या का प्रयास भी नहीं करता. क्योंकि एक बार के प्रयास का कठोर एहसास जो उसे होता है.’’

खामोश रहना ही उचित समझा था उस ने. कदम और तेज हो गए थे उस के संकल्पित लक्ष्य की ओर. तभी जीवन ने फिर पूछा, ‘‘तुम आत्महत्या क्यों करना चाहती हो?’’

इस तरह चुप रह कर आखिर कब तक वह इस आफत को टालती. गरज उठी थी, ‘‘क्या बताऊं मैं, क्या दुखड़ा रोऊं मैं, तुम जैसे अनजान, अदृश्य, गैर के सामने? यह बताऊं कि एक गरीब मुनीम के घर हम 3 बेटियां अभिशाप हैं, एक बोझ हैं हम. सब से बड़ी बोझ मैं, ज्योति सहाय, एम.ए. फर्स्ट क्लास. फर्स्ट… मगर नौकरी के लिए मोहताज…’’

‘‘मगर बेरोजगारी की समस्या तो सिर्फ तुम्हारे अकेले की समस्या नहीं है. यह तो एक आम सामाजिक बीमारी है जिस से हर कोई जूझ रहा है.’’

ये भी पढ़ें- कुढ़न: औरत की इज्जत से खेलने पर आमादा समाज

‘‘हां, बेरोजगारी मेरे अकेले की समस्या नहीं. मगर मैं एक समस्या हूं, गरीब बाप के सर पर पड़ी एक बोझ, क्या तुम नहीं जानते कि समाज में मध्य वर्गीय लड़कियों के लिए कई वर्जनाएं हैं. बातबात में मातापिता की पगडि़यां उछलती हैं. हर वक्त खानदान की इज्जत और भविष्य के सामने बदनामी, लोकलज्जा, मुंह चिढ़ाता समाज नजर आता है और वैसे भी लोग एक मजबूर, जरूरतमंद, गरीब और जवान लड़की को सिर्फ देखते ही नहीं, बल्कि निर्वस्त्र कर के महसूस भी करते रहते हैं. लेकिन तुम हो कौन, जो परत दर परत मुझ से सब कुछ जान लेना चाहते हो?’’

‘‘मैं ने कहा न, मैं जीवन हूं, तुम्हारा जीवन. बिलकुल सत्य और संघर्षों से भरा हूं. कोई मुझे प्यार का गीत समझ कर गुनगुनाता है तो कोई पहेली, कोई जंग समझता है. मैं तो एक सच हूं, ज्योति, मगर इतना कमजोर कि स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकता. मौत के कू्रर पंजे एक झटके में मुझे शरीर से अलग कर देते हैं. मेरी भौतिकता ही खत्म कर देते हैं. और जबजब अपने अस्तित्व पर मुझे खतरा महसूस होता है, लोगों के सामने आता हूं, बातें करता हूं, खुद को तसल्ली देता हूं. आज भी तो इसीलिए आया हूं तुम्हारे पास, मेरी रक्षा करोगी न.’’

विचारों की इस उमड़घुमड़ में ज्योति इतना गुम हो गई कि जंगल कब खत्म हो गया पता तक नहीं चला. सड़क पर और तेज कदमों से उस पुल की दिशा में बढ़ गई थी वह जो अब ज्यादा दूर नहीं था. अचानक एक झटका सा लगा ज्योति को कि इतनी देर से जीवन ने कुछ कहा नहीं, कहां गया वह? इतना चुप तो रहने वाला नहीं था वह. कहीं चला तो नहीं गया अचानक.

सुनसान रात में जिस भय की उपस्थिति से भी नहीं घबराई थी ज्योति, अचानक उस के न होने की कल्पना मात्र से कांप गई थी वह. एक हांक लगाई थी ज्योति ने, ‘‘ज…ज…जीवन?…मिस्टर जीवन, चले गए क्या?’’

‘‘गलत सोच रही हो, ज्योति. मैं तो तुम्हारा जीवन हूं और तुम्हारी खातिर मौत से भी लड़ने को तैयार हूं. अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं तो तुम्हें तभी छोड़ं ूगा जब मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि मौत की गोद में तुम गहरी नींद सो गई हो.’’

‘‘अच्छा, फिर तुम गायब कहां हो गए थे?’’

‘‘गायब तो नहीं, हां चुप जरूर हो गया था. क्यों मेरा चुप हो जाना तुम्हें अच्छा नहीं लगा?’’

अब क्या जवाब दे ज्योति इस प्रश्न का. एकदम से कोई बहाना नहीं सूझ रहा था उसे.

‘‘ऐ ज्योति, सच क्यों नहीं कहतीं कि तुम्हें मुझ से यानी अपने इस जीवन से पे्रम हो गया है.’’

आगे पढ़ें- एक क्षण तक कुछ बोल नहीं पाई….

ये भी पढ़ें- दोहरे मापदंड: खुद पर बीती तो क्या सचिन को अपनी गलती का एहसास हुआ

जमानत होते ही करण मेहरा ने किया शाकिंग खुलासा, पत्नी निशा रावल ने झूठे केस में फंसाया

ये रिश्ता क्या कहलाता है में नैतिक के रोल में फैंस का दिल जीतने वाले एक्टर करण मेहरा अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल, करण की पत्नी निशा रावल ने सोमवार रात को उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का केस कर दिया था, जिसके बाद वह गिरफ्तार हो गए थे. हालांकि अब वह रिहा हो चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में वाइफ निशा के खिलाफ बयान दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहा है करण मेहरा ने….

अलग होने की सोच रहे थे करण मेहरा

करण मेहरा ने एक इंटरव्यू में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि, ” इतने साल की मेहनत और आपकी शादी में ये सब होना बहुत दुख की बात है. दरअसल, पिछले एक महीने से हमारे बीच डिस्कशन चल रहा था, क्योंकि काफी कुछ समय से चीजें ठीक नहीं चल रही थीं. तो हम सोच रहे थे कि हमें अलग हो जाना चाहिए,इसलिए हम चीजों को ठीक करने की कोशिश कर रहे थे. निशा और उनके भाई ने बात सुलझाने के लिए एक एलिमनी अमाउंट मांगा, लेकिन वो अमाउंट इतना ज्यादा था कि मैंने कहा कि ये पॉसिबल नहीं है.”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Karan Mehra (@realkaranmehra)

ये भी पढ़ें- अनुपमा के बाद वनराज ने काव्या को दिया धोखा, शादी के बीच किया ये काम

एलीमनी को लेकर कही ये बात

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Karan Mehra (@realkaranmehra)

आगे अपने रिश्ते पर बात करते हुए करण मेहरा ने कहा, ” एलिमनी को लेकर इसी बात पर सोमवार रात बात हुई. मैंने उन्हें कहा कि ये नहीं हो पाएगा मुझसे तो उन्होंने कहा कि तुम लोग लीगल कर लेना फिर तो मैंने भी कहा की लीगल ही करते हैं, जिसके बाद मैं कमरे में आकर अपनी फैमिली से बात कर रहा था.  तभी निशा अंदर आई और उन्होंने मुझे, मेरी मम्मी मेरे पापा और मेरे भाई को गाली देना शुरू कर दिया. वो जोर जोर से चिल्लाने लगी इतना ही नहीं निशा ने मुझपर थूका भी. वहीं मैंने निशा को बाहर जाने के लिए कहा, जिस पर निशा ने मुझे धमकी देते हुए कहा कि देखो अब मैं क्या करती हूं. फिर वो बाहर गई और दीवार पर अपना सि‍र मारा. सबको ये बताया कि करण ने ये किया है. दूसरी तरफ निशा के भाई ने आकर फिर मुझपर हाथ उठाया. निशा के भाई ने मुझे मारा. मैंने उनके भाई को कहा मैंने निशा को नहीं मारा है और आप ये घर के कैमरे में चेक कर सकते हैं लेकिन कैमरे पहले से ही बंद किए हुए थे.”

3 साल का है बेटा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Karan Mehra (@realkaranmehra)

तलाक और इस मामले के बीच आपको बता दें, करण मेहरा और निशा रावल की शादी 2012 में हुई थी, जिसके बाद 2017 में उनका बेटा कविश मेहरा हुआ था, जो अब तीन साल का हो चुका है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Karan Mehra (@realkaranmehra)


ये भी पढ़ें- Titanic के Rose और Jack बने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा, Funny वीडियो

बता दें, पुलिस ने पूछताछ के बाद करण मेहरा को जमानत दे दी हैं. वहीं इस पूरे मामले में अभी कर निशा रावल का कोई बयान सामने नहीं आया है. हालांकि करण मेहरा के फैंस सच जानने के लिए बेताब हैं.

सीरो सर्वे से पता लगेगा कितने लोगों में बन चुकी है  एंटीबॉडी

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की गहन पड़ताल के लिए 04 जून से सीरो सर्वे शुरू किया जा रहा है. सभी 75 जिलों में होने वाले इस सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ. यही नहीं, इससे यह भी सामने आएगा कि कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है.

सोमवार को राज्य स्तरीय टीम-09 की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीरो सर्वे को लेकर हो रही तैयारियों की जानकारी ली. अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि 04 जून से शुरू हो रहे इस सर्वे को लेकर कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. सैम्पलिंग कर लिंग और आयु सहित विभिन्न मानकों पर सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिलेवार सर्वे करने वाले कार्मिकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके परिणाम जून के अंत तक आने को संभावना है.

पहली लहर में भी हुआ था सीरो सर्वे:

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था. उस समय सीरो सर्वे में 22.1 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें