जानें क्या हैं Whatsapp ग्रुप के 7 एटिकेट्स

आजकल तकनीक का जमाना है और उसी का एक हिस्सा है सोशल मीडिया. फेसबुक, व्हाट्स एप, ट्विटर, यू ट्यूब जैसे अनेकों प्लेटफॉर्म आज मौजूद हैं जिनसे जिंदगी काफी आसान भी हुई है. कोरोना काल में जब मेल मुलाकातों का सर्वथा अभाव था तो व्हाट्स एप पर ही लोगों ने एकदूसरे का सम्बल बढ़ाया.

व्हाट्स एप पर ग्रुप बनाना आजकल बड़ी ही आसान और सहज बात है. आजकल व्हाट्स पर ग्रुप बनाकर बड़े बड़े ऑफिसेज के क्रिया कलाप किये जाते हैं. यहां पर ग्रुप बनाने से लाभ यह होता है कि एक साथ आप कई लोगों तक अपनी बात पहुंचा पाते हैं. यद्यपि आजकल टेलीग्राम पर भी ग्रुप बनाकर चर्चा की जाती है परन्तु टेलीग्राम की अपेक्षा व्हाट्स एप अधिक चलन में है. ग्रुप में जुड़ना तो आसान है परन्तु वहां के नियम कायदों को फॉलो करना अत्यंत आवश्यक होता है. यहां पर प्रस्तुत है व्हाट्स एप ग्रुप के 7 एटिकेट्स जिन्हें हम सबको आवश्यक रूप से अपनाना चाहिए-

1. -पूछना है जरूरी

किसी भी प्रकार का ग्रुप बनाते समय सम्बंधित सदस्यों को ग्रुप में जोड़ने से पहले पूछ अवश्य लें कि वे ग्रुप में जुड़ना चाहते हैं अथवा नहीं क्योंकि कई बार आपके परिचित ही एक दूसरे को आपस में जानते नहीं है ऐसे में वे ग्रुप में स्वयम को असहज अनुभव करते हैं और ग्रुप को छोड़ देते हैं इसलिए पूछना अत्यंत आवश्यक है हां परिवार के सदस्यों को आप बिना पूछे जोड़ सकते हैं.

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2. -नियमों का करें पालन

पारिवारिक के अलावा अक्सर ग्रुप किसी व्यवसाय, किसी गतिविधि या चर्चा के लिए बनाए जाते हैं. यदि आप ऐसे किसी ग्रुप के सदस्य हैं तो उस ग्रुप एडमिन के द्वारा बनाये गए नियमों का पालन अवश्य करें. उदाहरण के लिए सोसाइटी के ग्रुप आवश्यक सूचनाओं के लिए तो किसी प्रकाशन संस्थान का ग्रुप विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बनाया जाता है और ऐसे ग्रुप्स पर इमोजी, गुडमार्निंग और अन्य कोई भी सन्देश भेजना मना होता है इसी प्रकार के नियम प्रत्येक ग्रुप के होते हैं.

3. -निजी बातें न करें

अक्सर लोग ग्रुप पर ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करना प्रारम्भ कर देते हैं जो उस ग्रुप में एड नहीं होता है. बाद में किसी अन्य से जब उसे पता चलता है तो वह दुखी होता है. इसलिए ग्रुप पर किसी भी निजी चर्चा को करने से बचें और यदि कोई कर भी रहा है तो भी उसे रोक दें.

4. -पोस्ट करने से पहले पढ़ लें

आप किसी भी प्रकार के ग्रुप से जुड़ें हों वहां पर हो रही चर्चा के बारे में कुछ भी पोस्ट करने से पहले पूर्व के संदेशों को भली भांति पढ़ लें फिर अपना मत पोस्ट करें. अक्सर लोग बिना पढ़े बस अपना मत व्यक्त कर देते हैं जिससे कई बार बात बिगड़ जाती है.

5. -ग्रुप का नाम न बदलें

ग्रुप का नाम एडमिन अपने अनुसार रखता है. इसलिए एडमिन द्वारा रखे गए नाम, फोटो या सन्देश को बदलने का प्रयास न करें. यदि आप उसमें कुछ बदलाव चाहते ही हैं तो एडमिन के व्यक्तिगत नम्बर पर जाकर सजेस्ट कर सकते हैं.

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6. -@का करें प्रयोग

यदि आप ग्रुप के किसी एक ही व्यक्ति के लिए कुछ मैसेज करना चाहते हैं तो उस व्यक्ति के नाम से पूर्व @का प्रयोग करें इससे जब भी वह व्यक्ति ग्रुप खोलेगा तो उसे स्वयम को टैग किये जाने का नोटिफिकेशन दिखेगा और वह आसानी से जबाब दे सकेगा.

7. -व्यक्तिगत पोस्टिंग न करें

ग्रुप पर कभी भी अपने व्यवसाय, चैनल या किसी समारोह आदि की व्यक्तिगत जानकारी पोस्ट न करें. आपके द्वारा इस प्रकार किया गया अपना प्रचार दूसरों के लिए आपत्तिजनक हो सकता है इसके अतिरिक्त आपको देखकर दूसरे भी अपना प्रचार प्रसार करना प्रारम्भ कर देते हैं जिससे ग्रुप की गरिमा ही समाप्त हो जाती है.

Monsoon Special: चावल के आटे से बनाएं ये हेल्दी रेसिपी

कोरोना आगमन के बाद से हर कोई सेहतमंद खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहता है. हरी सब्जियां, मोटे अनाज और फलों को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. यदि थोड़े से प्रयासों से इन्हें अपनी रोज की डाइट में शामिल कर लिया जाए तो इनका सेवन करना काफी आसान हो जाता है. आमतौर पर घरों में गेहूं के आटे का प्रयोग किया जाता है परन्तु आज हम आपको चावल के आटे से हैल्दी और आसान व्यंजन बनाना बता रहे हैं. चावल का आटा ग्लूटन फ्री और फाइबर से भरपूर होता है इसलिए हैल्थ कॉन्सस लोगों के लिए ये वरदान है. अपने इन्हीं गुणों के कारण यह वजन कम करने में भी कारगर है. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-हैल्दी रोटी

कितने लोगों के लिए         4

बनने में लगने वाला समय   30 मिनट

मील टाइप                      वेज

सामग्री

चावल का आटा            1 कप

घी                                1 टीस्पून

पालक कटी                    1 कप

हरा धनिया                      1/2 कप

हरी मिर्च                          4

अदरक                            1 इंच

प्याज                              1

लहसुन                            4 कली

नमक                              1 टीस्पून

जीरा                                1/4 टीस्पून

विधि

पालक को हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक लहसुन, प्याज, जीरे, नमक और 1/2 कप पानी के साथ पेस्ट फॉर्म में ग्राइंड कर लें. एक भगौने में डेढ़ कप पानी गर्म करके पालक प्यूरी और घी डाल दें. जब पानी में उबाल आ जाये तो गैस बंद कर दें और चावल के आटे को चलाते हुए धीरे धीरे डालें. पूरा आटा डालकर आधे घण्टे के लिए ढककर रख दें. आधे घण्टे बाद आटे को चिकनाई लगे हाथों से अच्छी तरह मसलकर चिकना कर लें. तैयार आटे से नीबू के बराबर की बॉल लेकर चकले पर रोटी बेलें. परोथन के लिए चावल के आटे का ही प्रयोग करें. तवे पर दोनों तरफ से सेंककर गैस पर सेंककर घी लगाएं. गर्मागर्म रोटी रायता, सब्जी या दाल के साथ परोसें. आप चाहें तो इससे परांठा भी बना सकतीं हैं.

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-टमाटरी मठरी

कितने लोगों के लिए          8

बनने में लगने वाला समय     40 मिनट

मील टाइप                      वेज

सामग्री

चावल का आटा                2 कप

टमाटर पके                     2

उबले आलू                      2

हरी मिर्च                          4

अदरक                            1 इंच

अजवाइन                         1/4 टीस्पून

हींग                                 चुटकी भर

हरा धनिया                       1 टीस्पून

तलने के लिए तेल

विधि

टमाटर, आलू, हरी मिर्च, और अदरक को ग्राइंड करके पेस्ट बना लें. अब चावल के आटे में अजवाइन, नमक, हरा धनिया, हींग और 1 टीस्पून तेल  अच्छी तरह मिलाएं. अब तैयार टमाटर और आलू की प्यूरी को धीरे धीरे आटे में मिलाते हुए आटा गूंथे. तैयार आटे से छोटी छोटी लोई लेकर एक पॉलीथिन पर रखें. ऊपर से दूसरी पॉलीथिन रखकर कटोरी से दबाकर मठरी का शेप दें. चाकू या कांटे से इसमें बीच में छेद कर दें ताकि तलने पर पूरी जैसी न फूले. इसी प्रकार सारी मठरियां बेल लें. मद्धिम गरम तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें.

आटे को गूंथकर न रखें वरना यह पानी छोड़ देगा.

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खूबसूरती और हेल्थ से जुड़े हुए नीम के पानी से नहाने के फायदे

अगर आप अपने सौंदर्य को निखारना चाहती है तो नीम के पत्तों के पानी से नहा कर खूबसूरती को बढ़ा सकती है. नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है.

भारत में लगभग कई हजार वर्षों से नीम का प्रयोग किया जा रहा है. नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है. लेकिन कड़वा होने के बाद भी नीम को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता हैं. नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है, नीम के गुणों के कारण इसे धरती का ‘कल्प वृक्ष’ भी कहा जाता है. नीम के पेड़ के सभी हिस्से हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए लाभकारी होते हैं. नीम का पेड़  स्किन इंफेक्शन, घावों, संक्रमित जलन और कुछ फंगल इंफेक्‍शन जैसी कई समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है. वेदों में नीम को “सर्व रोग निवारिणी” कहा गया है जिसका अर्थ “सभी रोगों को दूर करने वाली” है. नीम की पत्ती को पानी में उबाल कर इस पानी से नहा कर, आप स्वस्थ होने के साथ खूबसूरती को भी निखार सकती हैं.

नीम का पानी बनाने का तरीका

एक पतीले में से 10  से 12 गिलास पानी डाल कर गैस चूल्हे पर चढ़ा दे फिर इस पानी में कुछ नीम की पत्तियां धो कर डाले. कुछ देर इसे उबले, जब उबाल आने लगे तब गैस बंद कर दे. नीम का पानी ठंडा होने पर इस पानी को नहाने की  बाल्टी में मिलाकर नहाएं. ऐसा हफ्ते में दे बार कर सकते हैं.

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 नीम के पानी से नहाने के फायदे

अगर आप अपने सौंदर्य को निखारना चाहती है तो नीम के पत्तों के पानी से नहा कर खूबसूरती को बढ़ा सकती है. नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है. नीम के पानी के लाभ इतने हैं कि जिन्‍हें जानकर आप भी नीम का उपयोग किये बिना नहीं रह पाएगें. आइए जाने नीम के पानी से नहाने के लाभ क्‍या हैं. इस बारे में बता रहे है, डॉ. अजय राणा, विश्व प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं. इसका तात्‍पर्य यह है कि नीम के पानी से नहाने के फायदे आपको त्‍वचा संक्रमण से बचा सकते हैं.

1. नीम में कई आयुर्वेदिक और मेडिकल गुण होते है, जिसके कारण इसके पानी से नहाने से एक्ने, स्कार्स और ब्लैकहेड्स ठीक हो जाते है.

2. नीम के पानी से नहाने से आप शरीर की बदबू को दूर कर सकते हैं. अक्‍सर शरीर के नमी युक्‍त भाग जैसे जननांग क्षेत्र या बगल में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति के कारण शरीर से बदबू आने लगती है. नीम के पानी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण उन बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं.

3. नीम के लीव्स का पानी कई प्रकार के आँखों के इंफेक्शन को भी ठीक करने में मदद करता है. जैसे आंख की खुजली, आंख आना इत्यादि के लिए कर सकते हैं. नीम के पानी से नहाने के दौरान नीम का पानी आपकी आंखों में मौजूद बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद कर सकता है.

4. नीम एंटी- बैक्टेरियल एजेंट की तरह काम करता है, जिसके कारण ह्युमिडिटी और गर्मियों में बोइल्स और स्किन एलर्जिस को ठीक करने के लिए नीम के पानी से नहाना काफी फायदेमंद है.

5. नीम के पानी से नहाने से बालों से डेंड्रफ कम हो जाते है और यह बालों को स्मूद और चमकदार बनाता है.नियमित रूप से सप्‍ताह में 2 बार नीम के पानी से नहाए. यह आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिलाने में भी सहायक होता है.

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6. नीम का पानी पिंपल्स, रेशैज और अनेक प्रकार के स्किन प्रॉब्लम को भी ठीक करने में मदद करता है.

7. नीम में एंटी- फंगल और एंटी – बैक्टेरियल प्रोपर्टीज होती है, जो एक्जिमा, चिकनपॉक्स और सोरियासिस जैसे बीमारियों के लिए बहुत लाभकारी है.

नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं. जिससे ये आपत्‍वचा संक्रमण से बच सकते हैं.

काव्या से कम नही हैं ‘वनराज’ की बहन ‘डौली’, फैशन के मामले में देती हैं मात

रूपाली गांगुली और सुधांशू पांडे का सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं सीरियल के सितारे घर-घर में फेमस हो गए हैं. काव्या से लेकर पाखी तक हर कोई सीरियल के सितारों की एक्टिंग से लेकर फैशन तक हर कोई कायल है. इसी बीच आज हम आपको वनराज की बहन डौली के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस एकता सरइया के बारे में बताएंगे. अनुपमा में डौली यानी एकता एक से बढ़कर एक लुक में नजर आती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं इन लुक्स में वह मदालसा शर्मा यानी काव्या को टक्कर देती नजर आती हैं. आइए आपको दिखाते हैं वनराज की बहन डौली के लुक्स…

साड़ी में दिखाईं अदाएं

 

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वनराज की बहन डौली यानी एकता सरइया सीरियल अनुपमा में नए-नए लुक्स में नजर आती हैं. वहीं हाल ही में एक सीन में वह रेड कलर की प्लेन साड़ी में जलवे बिखेरती नजर आईं, जिसे देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नही थक रहे थे.

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एकता लगती हैं कमाल

 

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अगर डौली यानी एकता सरइया के साड़ी लुक्स की बात करें तो वह नई-नई साड़ियों में बेहद खूबसूरत लगती हैं. एकता की ये वाइट नेट साड़ी बेहद खूबसूरत है. वहीं इस पर की गई कारीगरी और कौंट्रास्ट में रेड ब्लाउज उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है. फैंस को उनका ये लुक काफी पसंद आ रहा है.

सूट में कुछ ऐसा है चार्म

 

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टीवी सीरियल्स में एक से बढ़कर एक लुक्स देखने को मिलते हैं. वहीं सूट्स की वैरायटी देखी जाए तो अनारकली से लेकर सिंपल सूट भी बेहद खूबसूरत लगते हैं. ऐसे ही एक सीन में एकता वाइट कलर की पैंट के साथ यैलो कुर्ते में नजर आईं. वहीं इसके साथ नेट की प्रिंटेड चुन्नी एकता के लुक पर चार चांद लगा रही थी.

 

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इन 6 Selfcare प्रोडक्ट्स का करें इस्तेमाल और घर बैठे पाएं स्पा जैसा एक्सीपिरियंस

कोविड 19 महामारी के चलते हो सकता है आप सैलून या स्पा जाने से डर रही हों और इस कारण आप अपनी ग्रूमिंग या हाइजीन का ध्यान नहीं रख रही हो. लेकिन अब आपको खुद को ग्रूमिंग या सेल्फ केयर करने के लिए अब आपको स्पा जाने की जरूरत नहीं है. आप कुछ घरेलू रेमेडी या घर पर ही कुछ अच्छे प्रोडक्ट्स का प्रयोग करके स्पा जैसा अनुभव प्राप्त कर सकती है. इस अनुभव से आपके माइंड को और बॉडी को रिलैक्स मिलेगा और आपको काफी अच्छा भी महसूस होगा. आपको हफ्ते में एक दिन ऐसा निकाल लेना चाहिए जिस दिन आप अपनी खुद की केयर करें और बाकी के कामों को न बोल सकें. तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी टिप्स जिनसे आप घर ही स्पा जैसा अनुभव प्राप्त कर सकती हैं.

1. शीट मास्क :

यह प्रोडक्ट प्रयोग करने में बहुत आसान होते हैं, प्रयोग करने में आपको किसी प्रकार की मुसीबत नहीं होती है और शीट मास्क सस्ते भी होते हैं. आप इन्हें ऑनलाइन भी खरीद सकती हैं. अपनी स्किन को एक्सफोलिए करने के बाद उसमें से निकले हुए सारे न्यूट्रिएंट्स को वापिस से स्किन में ले जाने का शीट मास्क से बेहतर कोई तरीका नहीं है और यह आपको मॉइश्चर भी प्रदान करता है.

2. लिप मास्क :

अगर आप अपनी स्किन को प्रयाप्त मात्रा में पोषण देने के लिए शीट मास्क का प्रयोग कर रही हैं तो आपको अपने होंठों का भी ख्याल रखना होगा. इसके लिए आप एक लिप मास्क खरीद सकती हैं. इससे आपके होंठ भी मॉइश्चराइज रहेंगे और आप इसी बहाने उन्हें भी थोड़ा पैंपर कर सकेंगी.

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3. हेयर मास्क :

सेल्फ केयर डे हेयर केयर के बिना तो अधूरा ही रहता है इसलिए आपको बालों की केयर करने के लिए हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए. इससे आपके बालों को फ्रिजीनेस और ड्राई बालों से राहत मिलेगी. अगर आप बालों को थोड़ी एक्स्ट्रा न्यूरिशमेंट देना चाहती है तो बालों में मास्क अप्लाई करने के बाद थोड़ी स्टीम भी दे सकती है .

4. हर्बल टी :

अपने बालों और स्किन की केयर करने के साथ साथ आपको थोड़ा समय अपने शरीर को भी देना चाहिए और अगर आप अपने शरीर को रिलैक्स करवाना चाहती हैं तो हर्बल चाय पीने से अच्छा कोई तरीका नहीं है. अगर आप एक स्पेशल डे ही सेल्फ केयर करती हैं तो आप हर्बल चाय के लिए हिबिस्कस टी का प्रयोग कर सकती है .

5. एप्सम साल्ट :

अगर आप अपनी मसल्स को रिलैक्स करना चाहती है. तो जब तक आपके सभी मास्क स्किन या होंठों पर रहते हैं तब तक आप अपने पैरों को गर्म पानी से युक्त एक बाल्टी में रख सकती हैं और इस पानी के अंदर थोड़ा सा इप्सम साल्ट भी मिक्स कर दें. इस नमक से मिले हुए पानी से आपको थोड़ी और रिलैक्सिंग वाइब्स मिलेंगी और आप पानी में अपने पैरों को एंजॉय भी कर सकेंगी.

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6. बाथ बॉम्ब्स :

रिलैक्स होने के बाद  अब आपको अच्छे से नहाने की आवश्यकता है और इसके लिए आप एक बाथ बॉम्ब का प्रयोग कर सकती हैं. बाथ बॉम्ब की तरफ केवल देखने से ही आपको बहुत सेटिस्फेक्शन मिलती है. जब आप इसे पानी में डिसॉल्व करती है तो यह देखने में भी आपको बहुत राहत और संतुष्टि मिलती है.  यह आप की स्किन के लिए भी बहुत अच्छा होता है.

अगर आप इन सभी टिप्स का प्रयोग करती है तो आप घर पर खुद ही खुद को रिलैक्स कर सकती हैं और इस चीज के लिए आपको किसी भी महंगे प्रोडक्ट की जरूरत नहीं होती है और आपका स्पा जा कर महंगे महंगे ट्रीटमेंट लेने का पैसा भी बच जाता है इसलिए हम कह सकते है कि यह बहुत पॉकेट फ्रेंडली भी होता है.

जब मायके से न लौटे बीवी

पेशे से मैकैनिक 22 साल का शफीक खान भोपाल की अकबर कालोनी में परिवार के साथ रहता था. उस की कमाई भी ठीकठाक थी और दूसरी परेशानी भी नहीं थी. लेकिन बीते 18 अक्तूबर को उस ने घर में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. ऐशबाग थाने की पुलिस ने जब मामला दर्ज कर तफतीश शुरू की तो पता चला कि शरीफ की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी और उस की बीवी शादी के बाद पहली बार मायके गई तो फिर नहीं लौटी.

शरीफ और उस के घर वालों ने पूरी कोशिश की थी कि बहू घर लौट आए. लेकिन कई दफा बुलाने और लाने जाने पर भी उस ने ससुराल आने से इनकार कर दिया तो शरीफ परेशान हो उठा और वह तनाव में रहने लगा. फिर उसे परेशानी और तनाव से बचने का बेहतर रास्ता खुदकुशी करना ही लगा.

22 साल की उम्र ज्यादा नहीं होती. फिर भी इस उम्र में शादी हो जाए तो मियांबीवी हसीन सपने देखते हैं. एकदूसरे से वादे करते हैं और चौबीसों घंटों रोमांस में डूबे रहते हैं, पर कई मामलों में उलटा भी होता है. जैसाकि अगस्त के महीने में भोपाल के ही एक और नौजवान अभिषेक के साथ हुआ था. उस की शादी को भी ज्यादा दिन नहीं हुए थे. लेकिन बीवी मायके गई तो फिर उस ने ससुराल आने से साफ इनकार कर दिया.

अभिषेक खातेपीते इज्जतदार घराने का लड़का था. अच्छे काम की तलाश में था. घर में पैसों की कमी न थी और शादी के पहले ही उस की ससुराल वालों को बता दिया था कि नौकरी या करोबार अभिषेक की बहुत बड़ी जरूरत नहीं. लड़का अच्छा था, ग्रैजएुट था, सेहतमंद था और मालदार घराने का था, इसलिए ससुराल वालों ने अनामिका (बदला नाम) की शादी उस से धूमधाम से कर दी. जब पहली विदाई के लिए अभिषेक के घर वालों ने समधियाने फोन किया तो यह सुन कर सन्न रह गए कि बहू ससुराल नहीं लौटना चाहती. वजह पूछने पर कोई साफ जवाब नहीं मिला.

कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा. अभी बहू बच्ची ही तो है. मायके का लगाव नहीं छोड़ पा रही है जैसी बातें सोच कर अभिषेक के घर वाले सब्र कर गए. लेकिन अभिषेक ज्यादा सब्र नहीं रख पाया और उस ने भी शफीक की तरह जीवन समाप्त करने का कदम उठा डाला.

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मौज के दिनों में मौत

शादी के बाद के शुरुआती दिन शादीशुदाओं के लिए बेहद रंगीन, रोमांटिक, हसीन होते हैं, लेकिन शफीक और अभिषेक जैसे नौजवानों की भी कमी नहीं, जिन के हिस्से में महज इस वजह से मायूसी, तनाव और ताने आते हैं, क्योंकि उन की बीवियां मायके से नहीं लौटतीं. मौजमस्ती के इन दिनों अगर बीवी की यह बेरुखी कोई शौहर न झेल पाए तो बात कतई हैरत की नहीं, क्योंकि आमतौर पर इस का दोष उस के सिर मढ़ दिया जाता है जो खुद नहीं समझ पाता कि आखिरकार क्यों बीवी वापस नहीं आ रही.

बीवियों के मायके में रहने या वहां से न आने की कई वजहें होती हैं, लेकिन समाज और रिश्तेदार उंगली पति की मर्दानगी पर उठाने का लुत्फ उठाते हैं. कई दफा ये ताने कि इस में दम नहीं होगा या बीवी का पहले से ही मायके में किसी से चक्कर चल रहा होगा, इसलिए वापस नहीं आ रही. इस से नातजर बेकार पति परेशान हो उठता है. बीवी से बात करता है तो वह साफसाफ वजह नहीं बताती पर साफसाफ यह जरूर कह देती है कि मुझे नहीं रहना तुम्हारे और तुम्हारे घर वालों के साथ. तब शौहर के सपने चकनाचूर हो जाते हैं. एक मियाद के बाद वह भी यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि

उस का पहले से कहीं चक्कर चल रहा होगा. शादी तो उस ने घर वालों के दबाव में आ कर कर ली होगी.

पर मेरा क्या कुसूर, यह सवाल जब शौहर के जेहन में बारबार हथोड़े की तरह बजता है और इस का कोई मुकम्मल जवाब कहीं से नहीं मिलता तो उसे जिंदगी और दुनिया बेकार लगती है. उसे लगता है सारे लोग उसे ही घूरघूर कर यह कहते देख रहे हैं कि कैसे मर्द हो, जो बीवी को काबू में नहीं रख पाए? जरूर तुम्हीं में कोई कमी होगी.

धीरेधीरे शफीक और अभिषेक जैसे शौहरों की हालत पिंजरे में फड़फड़ाते पक्षी की तरह होने लगती है. वे गुमसुम रहने लगते हैं, लोगों से कन्नी काटते हैं, अपना काम सलीके और लगन से नहीं कर पाते. बीवी की याद आती है तो हर कीमत पर वे वापस लाना चाहते हैं, लेकिन बीवी किसी भी कीमत पर आने को तैयार नहीं होती तो इन का मरने की हद तक उतारू हो जाना चिंता की बात समाज के दबाव और कायदेकानून के लिहाज से है. कई दफा तो घर वाले भी शौहरों का साथ यह कहते हुए नहीं देते कि तुम जाने और तुम्हारी बीवी. हमारी जिम्मेदारी शादी कराने की थी जो हम ने पूरी कर दी. अब वह नहीं आ रही तो हम क्या उस की चौखट पर अपनी नाक रगड़ें?

क्या हैं वजहें

बीवी के ससुराल वापस न आने की वजहों पर गौर करें तो पहली और अहम बात है उस की नादानी, नासमझी और जिम्मेदारियां न उठा पाने की नाकामी. जाहिर है, इस का सीधा संबंध उम्र से है, जो वक्त रहते ठीक हो जाता है. लेकिन कई मामलों से समझ आता है कि वाकई लड़की का मायके में किसी से चक्कर था.

और वह आशिक के दबाव में है या ब्लेकमैलिंग की शिकार है. कई लड़कियां घर वालों की खुशी के लिए शादी तो कर लेती हैं, पर अपने पहले प्यार को नहीं भूल पातीं. इसलिए भी उन का शौहर से लगाव नहीं हो पाता.

विदिशा के उमेश की शादी को 2 साल हो चले हैं, लेकिन उस की बीवी भी ससुराल नहीं आती. पहली रात ही उस ने दिनेश को बता दिया था कि वह भरेपूरे परिवार में नहीं रह सकती, इसलिए वह अलग हो जाए. इस पर उमेश ने समझा कि ऐसा तो होता रहता है. आजकल हर लड़की आजादी से रहना चाहती है. धीरेधीरे बीवी घर वालों से घुलमिल जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा.

लेकिन जिस तालमेल की उम्मीद दिनेश कर रहा था वह बीवी और घर वालों के बीच नहीं बैठा तो 2-3 बार ससुराल आ कर बीवी ने ऐलान कर दिया कि अब कुछ भी हो जाए वह मायके में ही रहेगी.

उमेश जैसे पतियों की समझ में नहीं आता कि कैसे इस स्थिति से निबटें, क्योंकि ससुराल वाले भी अपनी बेटी का साथ देते हैं. उधर यारदोस्त, नातेरिश्तेदार और समाज वाले भी बातें बनाना शुरू कर देते हैं, तो पूरा घर हैरानपेरशान हो जाता है.

मगर उमेश ने बुजदिली का रास्ता न चुनते हुए अदालत की पनाह ली. एक वकील की सलाह पर कोर्ट में बीवी को वापस आने के लिए दरख्वास्त लगा दी. वह सोच रहा था कि इस से बीवी को अक्ल आ जाएगी. लेकिन हुआ उलटा. ससुराल वालों और बीवी ने उस के घर वालों के खिलाफ दहेज मांगने और परेशान करने का झूठा मामला दर्ज करा दिया. उमेश गिरफ्तार हो गया. कुछ दिन बाद जमानत पर छूट आया, लेकिन अब वह खुद नहीं चाहता कि ऐसी बेगैरत, झूठी और बेवफा औरत के साथ जिंदगी काटे, इसलिए अब वह तलाक चाहता है.

कई मामलों में बीवियां अपनी कोई कमजोरी या छोटीमोटी जिस्मानी या दिमागी बीमारी छिपाने के लिए भी ससुराल नहीं लौटतीं

इधर कानून भी ज्यादा मदद हैरानपेरशान शौहरों की नहीं कर पाता. वजह काररवाई का लंबा चलना, बदनामी होना और अदालत में गुनहगारों सरीखे खड़े रहना होती है. इसलिए अधिकतर शौहर अदालत के नाम से घबराते हैं. जाहिर है, बीवी का वापस न आना ऐसी समस्या है, जिस का कोई सटीक हल नहीं मगर हल यह भी नहीं है कि खुदकुशी कर ली जाए.

ऐसा भी नहीं है कि ससुराल न लौटने की जिम्मेदार बीवी ही हो. कुछ मामलों में पति की बेरोजगारी, निकम्मापन, घर में पूछपरख न होना, नामर्दी जैसी वजहें भी होतीं हैं.

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क्या है हल

ऐसे शौहर क्या करें, जिन की बीवियां लाख समझानेबुझाने पर भी ससुराल नहीं आतीं? इस का सटीक जवाब किसी के पास नहीं. वजह हर मामले में थोड़ी अलग होती है.

बीवी मायके में रहे तो शौहर को समझ और सब्र से काम लेना चाहिए और लोगों की बातों और तानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. सब से पहले वजह ढूंढ़नी चाहिए. अगर बीवी की पटरी घर वालों से नहीं बैठ रही है या वह जिद्दी और गुस्सैल स्वाभाव की है तो अलग रहना ही बेहतर रहता है. यह ठीक है कि जिन मातापिता ने जन्म दिया, पालापोसा, तामील दिलाई और अपने पैरों पर खड़ा किया उन्हें एक कल की लड़की के लिए छोड़ देने का फैसला खुद को धिक्कारने वाला ही नहीं शर्मिंदगी भरा भी होता है, लेकिन सवाल चूंकि पूरी जिंदगी का होता है, इसलिए कारगर यही साबित होता है.

बेहतर यह फैसला लेने से पहले घर वालों को भरोसे में ले कर सारी बात समझाई जाए. बेटे की इस मजबूरी को अब मातापिता समझने लगे हैं, इसलिए उन्हें रोकते नहीं. ससुराल वापस न आने की वजह अगर बीवी का शादी से पहले के प्यार का चक्कर हो तो अलग होने से भी कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि बीवी सुधरने या पहले को तो छोड़ने से रही. इसलिए ऐसे मामले में तलाक देना बेहतर होता है. लेकिन इस के लिए सब्र और हिम्मत की जरूरत होती है. पहले बीवी से इस बाबत खुल कर बात करना चाहिए. अपनी जिद पर नहीं अड़ना चाहिए, क्योंकि यह तय है कि वह आप की हो कर नहीं रह सकती.

धीरेधीरे जब वह समझ जाए और तलाक  के लिए तैयार हो जाए तो बजाय मुकदमे के रजामंदी से तलाक लेना बेहतर होता है. इस के लिए कानून की धारा हिंदू मैरिज ऐक्ट 13 (सी) में इंतजाम है, जिस के तहत मियांबीवी दोनों अदालत में दरख्वाहस्त देते हैं कि खयालात न मिलने से उन का साथ रहना मुमकिन नहीं, इसलिए तलाक कर दिया जाए. इस के लिए अदालत दोनों को सोचने के लिए 6 महीने या 1 साल का वक्त देती है, जिसे खामोशी से गुजार देना शौहर के लिए फायदेमंद रहता है. इस मियाद के बाद भी दोनों अदालत में अपनी बात पर कायम रहें तो तलाक आसानी से हो जाता है. आमतौर पर आपसी रजामंदी से तलाक में शौहर बीवी का सारा सामान और दहेज में मिले तोहफे व नक्दी लौटा देता है. लेकिन इस की लिखापढ़ी दरख्वाहस्त में जरूर करनी चाहिए.

कमउम्र बीवियां अगर ससुराल में तालमेल न बैठा पाने की शिकायत करें तो बजाय जल्दबाजी के सब्र से काम लेना चाहिए. ऐसी बीवियां शौहर से ज्यादा वक्त चाहती हैं इसलिए शादी के बाद हनीमून पर जाना और वक्तवक्त पर कुछ दिनों के लिए घूमने जाना कारगर साबित होता है ताकि बीवी का शौहर से लगाव बढ़े.

इस के बाद भी बात न बने तो समाज से घबरा कर शराब पीने लगना, बीवी और उस के घर वालों को धमकाना, लड़नाझगड़ना या फिर खुदकुशी कर लेना बेवकूफी है. थोड़ा इंतजार कर हालात देखना ठीक रहता है.

लोग क्या कहेंगे, बीवी बदचलन है या खुद को कमजोर समझने लगना जैसी बातें समस्या का हल नहीं हैं. समस्या का हल है तलाक जो आसानी से नहीं होता, लेकिन देरसबेर हो ही जाता है. इस दौरान बेहतर रहता है कि आने वाली जिंदगी के सपने नए सिरे से बुने जाएं और पैसा कमाया जाए. याद रखें जिंदगी जीने के लिए होती है, जिसे किसी दूसरे की गलती पर कुरबार कर देना कतई बुद्धिमानी की बात नहीं.

सैक्स में जल्दबाजी नहीं

यह दिलचस्प मामला भी भोपाल का है, जिसे शौहर के बहनोई ने सुलाझाया. हुआ यों कि उस के साले की बीवी ससुराल नहीं आ रही थी. बात फैली तो तरहतरह की बातें होने लगीं. बहनोई ने साले को भरोसे में ले कर वजह पूछी तो पता चला कि गड़बड़ पहली ही रात हो हो गई थी.

शौहर जबरन हमबिस्तरी करने पर उतारू था और बीवी डर रही थी. जब वह नहीं मानी तो शौहर ने जबरदस्ती की कोशिश की लेकिन कायमयाब नहीं हो पाया. दूसरे दिन बीवी बहाना बना कर सास के पास सो गई और 4 दिन बाद विदा हो कर मायके चली गई. इस दौरान वह पति के वहशियाना बरवात से काफी डरीसहमी रही.

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मायके जा कर उस ने सुकून की सांस ली और मातापिता से कह दिया कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी. मां ने पुचकार कर वजह पूछी तो उस ने सच बता दिया. दोनों के घर वालों के बीच बातचीज हुई. शौहर को उस के जीजा ने समझाया कि सैक्स के मामले में जल्दबाजी न करें. धीरेधीरे करे तो बीवी का डर खत्म हो जाएगा और वह खुद साथ देने लगेगी. बात शौहर की समझ में आ गई. अब 3 साल बाद हालात यह है कि बीवी मायके नहीं जाना चाहती क्योंकि उस के डर की जगह प्यार ने ले ली. 1 साल के बच्चे की मां भी है. यानी सैक्स से डर भी कभीकभार ससुराल न लौटने की वजह बन जाता है. ऐसे मामलों में जिम्मेदारी पति की बनती है कि वह पहली रात को ही शेर बनने के चक्कर में न पड़े. बीवी से प्यार से पेश आए, उस का डर खत्म करे.

बार-बार सर्दी-जुकाम होना ठीक नहीं

मौसम बदलने पर बीमार पड़ना या फिर सर्दी-जुकाम हो जाना आम बात है लेकिन अगर आप उन लोगों में से शामिल हैं जिन्हें साल के 12 महीने में से 10 महीने सर्दी जुकाम रहता है, तो आपको इसपर विचार करने की जरूरत है. वैसे शायद आप अकेली नहीं है जो इस तरह की समस्या से दो-चार हो रही हैं. चलिए आज हम आपको इस खबर में बताते हैं कि आखिर बार-बार बीमार पड़ने की वजह क्या है…

सही तरीके से हाथ न धोना

सामान्य सर्दी जुकाम बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर हो जाता है. सेंटर फार डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की मानें तो कम से कम 20 सेकंड तक अच्छी तरह से हाथ धोना चाहिए. इसके अलावा खाना खाने से पहले, ट्वाइलेट का इस्तेमाल करने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल के बाद और खांसने या छींकने के बाद भी हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करती हैं तो आपको भी सर्दी जुकाम होने का खतरा रहता है.

कमजोर इम्यूनिटी

इसमें कोई शक नहीं कि वैसे लोग जिनका इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर होती है वे जल्दी बीमार पड़ते हैं. इम्यूनिटी वीक होने की कई वजहें होती है जिसमें औटोइम्यून समस्या, कुछ बीमारियां या फिर कई तरह की दवाईयां शामिल होती हैं जो शरीर को कमजोर बना देती हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है.

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शरीर में पानी की कमी

अगर आपका शरीर डिहाइड्रेटेड है यानी शरीर में पानी की कमी है तब भी आपका इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे आपके बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. खुद को हाइड्रेटेड रखकर आप बीमार पड़ने के खतरे को कई गुना कम कर सकती हैं.

बार-बार चेहरा छूना

शरीर में कीटाणुओं के पहुंचने का सबसे आसान तरीका है हमारे हाथों के जरिए… अगर आपके हाथों में कीटाणु हैं क्योंकि आपने अपने हाथ सही तरीके से नहीं धोएं हैं या फिर कोई गंदगी जगह छूने के बाद आपने हैंडवाश नहीं किया है और उसके बाद आप अपना चेहरा या मुंह छूते हैं तो हाथों में लगे कीटाणु बड़ी आसानी से हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं.

किसी चीज से ऐलर्जी

अगर आपको किसी चीज से ऐलर्जी है तो आपकी सर्दी जुकाम की समस्या और ज्यादा बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं ऐलर्जी की वजह से सर्दी के लक्षण भी आए दिन दिखते और बढ़ते नजर आते हैं. अगर आपकी सर्दी जुकाम की समस्या 7 दिन के अंदर ठीक नहीं होती तो आपको डाक्टर से संपर्क कर चेक करवाना चाहिए कि कहीं आपको किसी तरह की कोई ऐलर्जी तो नहीं है.

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Monsoon Special: फैमिली के लिए बनाएं चावल के वड़े

अगर आप भी वड़े की शौकीन हैं और अपनी फैमिली के लिए वड़े की रेसिपी ट्राय करना चाहती हैं तो चावल के वड़े की आसान रेसिपी आपके लिए अच्छा औप्शन है.

हमें चाहिए- 

–  1 कप चावल का आटा

– 1/4 कप दही फेटा हुआ

–  1 कप पानी

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

–  थोड़े से करीपत्ते कटे

–  1 बड़ा चम्मच लालमिर्च कुटी

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– 1/4 चम्मच बेकिंग सोडा

–  थोड़ी सी हरीमिर्चें कटी

–  1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

–  पर्याप्त तेल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका-

एक बाउल में दही, चावल का आटा और थोड़ा पानी मिला कर मुलायम बैटर तैयार करें. बैटर थोड़ा पतला होना चाहिए. कड़ाही को तेल से चिकना कर आंच पर चढ़ाएं और तैयार बैटर को इस में डाल कर अदरकलहसुन का पेस्ट, लालमिर्च, नमक, हरीमिर्च, धनियापत्ती, करीपत्ता मिला कर मिश्रण ठोस होने तक भूनें. आंच से उतार कर ठंडा होने पर मिश्रण में बेकिंग सोडा मिलाएं और थोड़ा गूंध लें. हाथों में चिकनाई लगा कर मिश्रण को वड़े का आकार दे कर गरम तेल में सुनहरा तल लें. तैयार वड़े हरी चटनी के साथ परोसें.

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ससुराल में रिश्ते निभाएं ऐसे

सिर्फ 7 फेरे ले लेने से पतिपत्नी का रिश्ता नहीं बनता है. रिश्ता बनता है समझदारी से निबाहने के जज्बे से, पतिपत्नी का रिश्ता बनते ही सब से अहम रिश्ता बनता है सासबहू का. या तो सासबहू का रिश्ता बेहद मधुर बनता है या फिर दोनों ही जिद्दी और चिड़चिड़ी होती हैं. ऐसा बहुत कम पाया गया है कि दोनों में से एक ही जिद्दी और चिड़चिड़ी हो. जिद दोनों तरफ से होती है. एक तरफ से जिद हो और कहना मान लिया जाए तो झगड़ा किस बात का? एक तरफ से जिद होती है तो उस की प्रतिक्रियास्वरूप दूसरी ओर से भी और भी ज्यादा जिद का प्रयास होता है. यह संबंधों को बिगाड़ देता है. इस के नुकसान देर से पता चलते हैं. तब यह रोग लाइलाज हो जाता है.

कटुता से प्रभावित रिश्ते

सासबहू के संबंध में कटुता आना अन्य रिश्तों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. मनोवैज्ञानिक स्टीव कूपर का मत है कि संबंध में कटुता एक कुचक्र है. एक बार यह शुरू हो गया तो संबंध निरंतर बिगड़ते चले जाते हैं. बिगड़ते रिश्तों में आप जीवन के आनंद से वंचित रह जाते हैं. अन्य रिश्ते जो प्रभावित होते हैं वे हैं छोटे बच्चों के साथ संबंध, देवरदेवरानी, ननदननदोई, जेठजेठानी, पति के भाईभाभी आदि. ये वह रिश्ते हैं जो परिवार में वृद्धि के साथ जन्म लेते हैं. इन रिश्तों को निभाना रस्सी पर नट के बैलेंस बनाने के समान है. हर रिश्ते में अहं अपना काम करता है और अनियंत्रित तथा असंतुलित अहं के कारण घर का माहौल शीघ्रता से बिगड़ता है.

जेठजेठानी

यह रिश्ता बड़े होने के साथ आदर व सम्मान चाहता है. बहू का कर्तव्य है वह रिश्तों को निभाते समय आदर व सत्कार से पेश आए. जेठजेठानी की तरफ से यह प्रयास होना चाहिए कि बहू को बच्चों के समान प्यार दें. उस की हर आवश्यकता का ध्यान रखें. यह प्यार दोतरफा है.

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देवरदेवरानी

देवरदेवरानी के साथ बहू का रिश्ता सौहार्दपूर्ण होना चाहिए. अगर देवरदेवरानी से कोई गलत व्यवहार हो जाए तो बहू को क्षमाशील और सहनशील होना चाहिए. यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि बहू को अपने सम्मान का खयाल नहीं रखना चाहिए. उस के आत्मसम्मान की रक्षा होनी चाहिए.

बच्चों के साथ व्यवहार

छोटे बच्चे संयुक्त परिवार में बड़े लाड़प्यार से पाले जाते हैं. सास तो उन को पूरा प्यार देती है. बहू को चाहिए वह भी उन्हें मां की तरह प्यार करे. उन का स्वभाव कोमल होता है. उन्हें कू्रर स्वभाव वाली बहू अच्छी नहीं लगती.

ननद-ननदोई के साथ व्यवहार

ननद शादी के बाद अकसर पति के साथ मायके आती है. वह बेशक थोड़े समय के लिए ही आए उस का स्वागत और सत्कार खुले दिल से होना चाहिए. घर के दामाद का भी आदर से भरपूर स्वागत होना चाहिए. बहू को चाहिए वह बढ़चढ़ कर परिवार के लोगों के साथ उन के सत्कार में भागीदार बने. उन्हें एहसास कराए कि उन का परिवार में आनाजाना उसे अच्छा लगता है. ननद परिवार की लड़की है. इस के लिए जाते समय ननदननदोई को उचित उपहार दे कर विदा किया जाए. सासबहू दोनों आपस में बातचीत कर के उपहार की व्यवस्था करें. जब पत्नी सब रिश्तों में अपने सद्भाव की मिठास भरती है, उन्हें अपने व्यवहार से सम्मान और प्यार देती है तो ऐसी बहू अपने पति की प्यारी और गर्व के योग्य बन जाती है. फिर कहा भी जाता है कि बहू वही जो पिया मन भाए.

वयस्क लड़का-लड़की

संयुक्त परिवार में जब बहू प्रवेश करती है तो सब से अधिक खुश होते हैं परिवार के कुंआरे लड़कालड़की. उन्हें मित्रवत व्यवहार की जरूरत होती है. अगर ससुराल आने पर बहू का रवैया उन के साथ मित्रवत होता है तो वह सास का दिल जीत लेती है. बहू उन का मार्गदर्शन करने की स्थिति में होती है.

सासबहू से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा

नकचढ़ी और जिद्दी स्वभाव से हार न मानते हुए, सभी रिश्तेदारों की जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें अवसर दें कि निम्न बिंदुओं पर खुद को पू्रव कर सकें.

दूसरे रिश्तेदारों की स्थिति में खुद को रख कर सोचें. उन की अपेक्षा क्या है, उस के अनुसार व्यवहार द्वारा घर वालों का दिल जीतें.

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उन से व्यवहार करने में क्षमाशील और सहनशील बनें. गलती सभी से हो सकती है, यह मान कर चलें. अपनी गलती सहर्ष स्वीकारें.

अपना नजरिया सैक्रीफाइस वाला रखें. पौजिटिव सोच रिश्तों के पोषण के लिए टौनिक का काम करती है. गिव ऐंड टेक अच्छी नीति है. 

5 Tips: हैल्दी Eating पर महंगी नहीं 

अधिकांश लोगों को लगता है कि अगर हैल्दी फूड खाना है, तो अपनी जेब पर बोझ डालना पड़ेगा. तभी आप अपनी सेहत का ध्यान रख पाएंगे. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. आप इस बात से अनजान हैं कि अगर आपको फ़ास्ट फूड  व स्नैक्स की ज्यादा लत है, तो ये आपके हैल्दी फूड से ज्यादा महंगा व आपकी सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेय साबित होता है. आपको बता दें कि अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखकर हैल्दी फूड के ओप्शन को चूज़ करते हैं , तो ये इकोनोमिकली भी आपकी पौकेट को सूट करने के साथ आपकी हैल्थ का भी खास ध्यान रखने का काम करेगा. तो जानते हैं इस संबंध में न्यूट्रिशनिस्ट शिखा महाजन से.

1. सीजनल चीजें ही खाएं 

हमेशा सीजनल फल व सब्जियां ही खाएं. क्योंकि ये ज्यादा फ्रैश , स्वादिष्ट होने के साथ गैर मौसमी उत्पादों की तुलना में कम महंगे होते हैं. असल में इस तथ्य का कारण यह है कि मौसमी फल व सब्जियों को उनके पूरी तरह से पकने के बाद ही काटा जाता है. और उन्हें बहुत दूर तक नहीं ले जाया जाता. जिससे खेत से ग्रोसरी स्टोर शेल्फ तक पहुंचने वाले समय में कमी आती है. और सीजनल फल व सब्जियां ज्यादा फ्रैश व स्वादिष्ट लगती है. साथ ही हमें सस्ते दामों पर भी मिल पाती है.

विभिन्न प्रकार के इंटरनेट संसाधन हैं , जो आपको इस बात की जानकारी देंगे कि इस सीजन में आपके क्षेत्र में कौन से फल व सब्जियां उपलब्ध हैं. जिसकी जानकारी लेकर आप अपने नज़दीकी ग्रोसरी स्टोर या लोकल मार्केट से उसे खरीद कर अपनी पॉकेट व अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं.

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2. खुद से कटिंग करें 

आज हर चीज इतनी आसान हो गई है कि चाहे ग्रोसरी सामान को घर लाने की बात हो या फिर फ्रूट्स, वेजिज़ की कटिंग की, हर चीज हमें अपनी सुविधानुसार मिल जाती है. आपको फलों , सब्ज़ियों से लेकर मीट , नट्स, चीज सब कटा हुआ मिल जाता है. यहां तक कि रेडी टू ईट फूड भी. जो भले ही आपके काम को आसान बनाने का काम करें, लेकिन दुकानदार इसकी पैकेजिंग, कटिंग के नाम पर काफी पैसे वसूलते हैं. और साथ ही इन चीजों की फ्रेशनेस की भी कोई गारंटी नहीं होती है.  ऐसे में आप रेडी टू इट फ़ूड व कटी हुई फल व सब्जियों के आसान आप्शन को छोड़ कर खुद से ही घर पर फल, सब्जियों व अन्य चीजों को काटें. इससे आप एक्टिव भी रहेंगे, हैल्दी भी खाएंगे और साथ ही पैसों की भी बचत कर पाएंगे.

3. प्लांट बेस्ड प्रोटीन स्रोत को चुनें 

दिनोंदिन जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है. उसी तरह मीट, फिश, चिकन के रेट्स में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. भले ही ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. लेकिन अगर बात सिर्फ प्रोटीन लेने की है तो आप इसे लेने के लिए अपनी डाइट में थोड़े सस्ते प्रोटीन के स्रोत जैसे बीन्स, पनीर, टोफू, छोले , दालें आदि को शामिल करें. क्योंकि ये चीजें प्रोटीन व फाइबर में हाई होने के साथ इसमें ढेरों विटामिन्स व मिनरल्स भी होते हैं. इन चीजों को आप पुलाव, सैलेड, स्टिर फ्राई, सूप इत्यादि में भी शामिल कर सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं कि आप पूरी तरह से वेजिटेरियन बन जाएं. बस आप पहले प्लांट बेस्ड प्रोटीन डाइट को हफ्ते में 3 – 4 दिन शामिल करें और देखें कि ये कम पैसों में भी आपकी हैल्थ का ध्यान रखती है. यहां तक कि फ्लेक्सिटरियन डाइट भी आपको बड़ी मात्रा में प्लांट बेस्ड मील्स लेने की सलाह देती है और ओकेशनली एनिमल बेस्ड मील्स.  इसलिए समझदार बनकर पौकेट को सूट करने वाली प्रोटीन रिच फूड को अपनी डाइट में शामिल करें.

4. घर पर उगाएं सब्जियां 

आप अपने घर में सब्जियां उगा सकते हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हमारे आंगन में तो इतनी जगह ही नहीं है. तो आपको बता दें कि आप अपनी छोटी सी बालकनी में भी कम जगह घेरने वाले गमले लगाकर उसमें हरी पत्तेदार व मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे खुद की सेहत का ध्यान रखने के साथसाथ नेचर के प्रति अपने प्यार को और जता सकते हैं. इसके लिए बस आपको सोइल, सीड और धूप वाले एरिया की जरूरत होगी. इसके लिए खिड़की के पास वाली जगह या फिर बालकनी का एरिया परफेक्ट है.

यदि आप सीमित धूप वाले अपार्टमेंट में रहते हैं तो आप इंडोर हाइड्रोपोनिक गार्डन के विकल्प को चुनें. क्योंकि ये पौधों को हवा देने के लिए एलईडी लाइट्स के साथ आते हैं. ताकि पौधों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके.

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5. शौपिंग रूटीन बदलें 

क्या आज रोजाना फल व सब्जियां खरीदते हैं और हफ्ते भर बाद उसके खराब हो जाने के बाद उसे फ़ेंक देते हैं ? अगर ये नियमित रूप से होता है तो फ्रोज़न फूड सैक्शन में देखें कि फल व सब्जियां अपनी नूट्रिशनल वैल्यू नहीं खोते हैं , अगर उन्हें ताजा होने की स्तिथि में ही रख दिया जाता है. इसलिए जरूरत की चीजों को ही बाहर निकालें , बाकी को एडवांस्ड फ्रिजर  में सही टेम्परेचर पर स्टोर करके रख दें. ये ताजा रहने के साथसाथ ज्यादा महंगे भी नहीं पड़ेंगे. क्योंकि ख़राब होने पर फेंक देना मतलब पैसों की बर्बादी होना ही है. ऐसे में आप बिना नुकसान उठाए अपनी हैल्थ का रखें खयाल.

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