सीरो सर्वे से पता लगेगा कितने लोगों में बन चुकी है  एंटीबॉडी

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की गहन पड़ताल के लिए 04 जून से सीरो सर्वे शुरू किया जा रहा है. सभी 75 जिलों में होने वाले इस सर्वे के माध्यम से यह पता लगाया जाएगा कि किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ. यही नहीं, इससे यह भी सामने आएगा कि कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है.

सोमवार को राज्य स्तरीय टीम-09 की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीरो सर्वे को लेकर हो रही तैयारियों की जानकारी ली. अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि 04 जून से शुरू हो रहे इस सर्वे को लेकर कार्ययोजना तैयार हो चुकी है. सैम्पलिंग कर लिंग और आयु सहित विभिन्न मानकों पर सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिलेवार सर्वे करने वाले कार्मिकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके परिणाम जून के अंत तक आने को संभावना है.

पहली लहर में भी हुआ था सीरो सर्वे:

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था. उस समय सीरो सर्वे में 22.1 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी.

कोरोना काल में योगी सरकार ने तोड़े गेंहू खरीद रिकार्ड

उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योगी सरकार प्रत्येक दिन नए मुकाम हासिल कर रही है. सूबे में अभी तक कुल 39.58 लाख मी.टन गेहं खरीद की जा चुकी है. इसके माध्यम से 828697 किसानों को सीधा लाभ मिला है. जबकि पिछले साल आज तक 23.92 लाख मी. टन गेहूं खरीद ही हो पाई थी. कोरोना की लड़ाई में पूरी ताकत से जुटी योगी सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों की बकाया 7817.68 करोड़ की राशि में से 6029.27 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों से यूपी के किसान काफी खुश है. उनका कहना है कि पिछली सरकारों में कभी उनको इतनी सहूलियत नहीं मिली थीं.

यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद के दौरान किसानों को भुगतान भी तेजी से किया जा रहा है. मात्र 72 घंटों के भीतर पैसा सीधे किसानों के एकाउंट में पहुंच रहा है. इतना ही नहीं ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल होने से मंडियों में बिचौलिये भी खत्म हो गये हैं. वर्षा की चेतावनी को देखते हुए सरकार हर सावधानी बरत रही है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए पहली बार मंडियों में न केवल अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था के सख्त निर्देश भी दिये.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को समाप्त करने का बड़ा काम किया है. इससे यूपी के किसानों को गेहूं खरीद में काफी राहत मिली है. जीवन और जीविका को बचाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने कोरोना काल में मंडियो में कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन कराने के निर्देश दिये. जिसके बाद से खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था भी की गई है.

इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनायेगी यूपी सरकार

प्रदेश सरकार अब इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनाने की मुहिम में जुट गई है. इसके तहत राज्य में गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54 और चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने के सात प्रोजेक्ट लगाए जाने की कार्रवाई चल रही हैं. गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54  प्रोजेक्ट में से 27 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं, जबकि 27 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं, आगामी सितंबर के अंत तह यह भी पूरे हो जायंगे. चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट में भी अगले चंद महीनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्टों की समीक्षा करते हुए इनमें जल्द से जल्द इनमें उत्पादन शुरू करने के निर्देश हैं. उत्पादन शुरू करने के लिए एनओसी जारी करने में को विलंब ना हो, यह भी मुख्यमंत्री ने कहा है.

गन्ना राज्य के किसानों की एक मुख्य नगदी फसल है. बुन्देलखंड को छोड़ कर राज्य के हर जिले में किसान गन्ने की पैदावार होती हैं. कुछ समय पहले तक चीनी मिले, खंडसारी और गुड के कारोबारी ही गन्ने पैदावार के खरीददार थे लेकिन अब गन्ने से इथेनॉल भी बनाई जाने लगी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही पहल पर राज्य में इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए लोगों ने रूचि दिखाई है. जिसके चलते अब किसानों को चीनी मिलों या खांडसारी करोबारियों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. प्रदेश सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने की शुरुआत कर अब गन्ने को ग्रीन गोल्ड सरीखा बना दिया है. इस क्षेत्र में अब भारी निवेश हो रहा है. राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों के जरिए इथेनॉल बनाने के लिए 61 प्रोजेक्ट लगाने के लिए लोगों का आगे आना इसका सबूत है. निवेश के इन प्रस्तावों के सूबे में आने से अब गन्ना उत्पादन में इजाफा होगा. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों से इथेनॉल बनाने संबंधी लगाए जा रहे कुल 61 प्रोजेक्टों से 25 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा.

इन विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने तथा उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस योजना से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि इथेनॉल गन्ने,  मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है. ये विशेषज्ञों कहते हैं कि दो माह पहले केंद्र सरकार ने इथेनॉल को स्टैंडर्ड फ्यूल घोषित किया है. ऐसे में अब इथेनॉल की मांग में इजाफा होगा. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उचित समय पर इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट लगाने में तेजी दिखाई है. प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश इथेनॉल के उत्पादन सबसे अन्य राज्यों से बहुत आगे निकल जाएगा. अभी भी उत्तर प्रदेश से हर वर्ष 126.10 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जाती है. राज्य में करीब 50 आसवानियां इथेनॉल बना रही हैं. इस वर्ष इथेनॉल बनाने संबंधी नए प्रोजेक्टों में उत्पादन शुरू होने से इथेनॉल उत्पादन में प्रदेश देश में सबसे ऊपर होगा और राज्य के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा. क्योंकि इन प्रोजेक्ट में गन्ना देने वाले किसानों को उनके गन्ने का भुगतान पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. और किसान गन्ना की फसल बोने से संकोच नहीं करेंगे. गन्ना किसानों के किए सोने जैसा खरा साबित होगा. इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबधी प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान देते हुए उनके शुरू करने की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिया हैं.

क्या होता है  इथेनॉल  :

अगर आसान शब्दों में कहें तो इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. एथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है लेकिन अब प्रदेश सरकार ने चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से भी इसे तैयार करने के सात प्रोजेक्ट स्थापित करने की अनुमति दी है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में स्थापित और नए लग रहे प्रोजेक्ट से उत्पादित इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर 35 फीसदी तक कार्बन मोनोऑक्साइड कम किया जा सकता है. साथ ही, इससे सल्फर डाइऑक्साइड को भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार सरकार ने 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य रखा है.पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था. सरकार के इस फैसले से आम लोगों को प्रदूषण से राहत मिलेगी. इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा. क्योंकि शुगर मिलों के पास आसानी से पैसा उपलब्ध हो जाएगा.

Super Dancer Chapter 4 में हुई शिल्पा शेट्टी की धांसू रीएंट्री, देसी लुक से गिराई बिजलियां

बॉलीवुड की सुपर मौम एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty Kundra) अपने फिटनेस और फैशन को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में एक्ट्रेस शिल्पा का डांस रियलिटी शो Super Dancer Chapter 4 में कैरी किया हुआ फैंस के बीच सुर्खियां बटोर रहा है. वहीं फैंस उनके लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के लेटेस्ट लुक्स की झलक…

बिजलियां गिराती दिखीं शिल्पा

‘ Super Dancer Chapter 4’ के मंच पर शिल्पा के वापसी करते ही शो सुर्खियों में हैं. कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद शिल्पा शेट्टी ने अपने नए लुक के साथ शो में धांसू एंट्री मारी है. हालांकि उनकी एंट्री के साथ सोशलमीडिया पर उनका लुक काफी सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, शिल्पा शेट्टी ने सनशाइन येलो कलर के थ्री पीस यानी सेपरेट्स सेट्स पहने था, जिसमें कटआउट स्लीव्स वाले शॉर्ट कुर्ता के साथ मैचिंग का शरारा और स्कैलप्ड दुपट्टा शामिल था. वहीं इस लुक पर अनकट मिरर वर्क का काम होने से शिल्पा का लुक शाइनी नजर आ रहा था, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे थे.

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साड़ी में जीतती हैं फैंस का दिल

एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी का साड़ी कलेक्शन बेहद खास है. वहीं फैंस के लिए वह अक्सर अपने लुक की झलक सोशलमीडिया के जरिए दिखाती रहती हैं. इसी बीच शिल्पा शेट्टी का  ये साड़ी लुक फैंस के बीच काफी वायरल हो रहा है. शिमरी कलर फुल साड़ी में शिल्पा बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

45 साल की उम्र में भी देतीं हैं टक्कर

45 साल की उम्र में भी शिल्पा शेट्टी का फैशन और फिटनेस बौलीवुड एक्ट्रेसेस को टक्कर देता नजर आता है. इंडियन हो या वेस्टर्न हर लुक में शिल्पा शेट्टी फैंस के दिलों पर राज करती हुई नजर आती हैं.

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लौकडाउन- भाग 3 : जब बिछड़े प्यार को मिलवाया तपेश के दोस्त ने

लेखिका- सावित्री रानी

तपेश खुद काम के सिलसिले में कई देशों में रह चुका था. इसलिए उसे इंग्लिश के भिन्नभिन्न एकसैंट्स की पहचान थी. उसे पता था कि लैबनान और ईजिप्ट जैसे देशों में पैसे वाले लोग अपनी पढ़ाई फ्रैंच माध्यम में भी करते हैं. तभी तपेश को कुछ दिन पहले पीयूष से फोन पर हुई बात याद आई. जब तपेश के घर पार्टी थी और पीयूष भी आमंत्रित था. लेकिन पार्टी वाले दिन पीयूष का फोन आया था, ‘‘आज मैं तेरे यहां पार्टी में नहीं आ सकूंगा. सारी यार.’’

‘‘क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है?’’

‘‘तबीयत बिलकुल ठीक है. दरअसल, आज ईजिप्ट से मेरा एक दोस्त आ रहा है तो उसे रिसीव करने जाना है.’’

‘‘ ठीक है.’’

‘‘उफ, तो यही दोस्त था जो ईजिप्ट से आया था,’’ तपेश अकेले ही बैठाबैठा बुदबुदा रहा था.

तभी नर्स ने आ कर सूचना दी कि आप पीयूष से मिल सकते हैं. उसे रूम में शिफ्ट कर दिया गया है.

तपेश रूम में पहुंचा तो वह महिला पहले से पीयूष के बैड के पास पड़ी कुरसी पर बैठी थी. पीयूष की हालत ठीक लग रही थी. उस ने उस महिला से मिलवाते हुए कहा, ‘‘तपेश, यह मेरी दोस्त नाहिद है. ईजिप्ट से आई है और नाहिद यह मेरा दोस्त तपेश.’’

‘‘हाई नाहिद.’’

‘‘हाई तपेश.’’

नाहिद की आंखों में पीयूष के लिए   झलकता चिंता का भाव काफी कुछ कह रहा था. पीयूष की हालत अब ठीक लग रही थी. तपेश उन दोनों को अकेला छोड़ कर डाक्टर से बात करने के बहाने वहां से चला गया. पता चला कि डाक्टर तो अभी व्यस्त हैं, तो वह रूम के बाहर बैंच पर बैठ गया.

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अब तपेश की कल्पना की उड़ान इस कहानी के सिरे ढूंढ़ने  लगी. उसे यह तो पता था कि पीयूष करीब 4 साल पहले किसी फौरेन असाइनमैंट पर ईजिप्ट गया था और वहां 2 साल रहा था. पर यह नाहिद की क्या कहानी है, इस बारे में उसे बिलकुल भी भनक नहीं थी.

तभी सामने से डाक्टर को आते देख कर तपेश उन से पीयूष के अपडेट्स लेने लगा.

डाक्टर ने बताया, ‘‘हम करोना के चलते पीयूष को यहां और ज्यादा दिन नहीं रखना चाहते. उस की हालत अब ठीक है. आप उसे घर ले जा सकते हैं. कुछ समय बाद उन को ऐंजिओप्लास्टी की जरूरत पड़ सकती है. हो सकता है न भी पड़े. फिर दवाइयों और इंस्ट्रक्शंस की लंबी लिस्ट दे कर डाक्टर चले गए.

तपेश ने पीयूष को अपने घर ले जाने की पेशकश करते हुए कहा, ‘‘मैं तु  झे अकेले नहीं छोड़ सकता यार. तू मेरे घर चल, वहां मैं और शालू मिल कर तेरी अच्छी देखभाल कर सकेंगे.’’

पीयूष ने सवालिया निगाहों से नाहिद की ओर देखा तो वह अपनी फ्रैंच इंग्लिश में बोली, ‘‘तपेश आप पीयूष की चिंता बिलकुल भी न करें. मैं उस का ध्यान रखूंगी. कोई जरूरत हुई तो आप को कौल कर लूंगी.’’

तपेश ने हैरानी और परेशानी से पीयूष की ओर देखा, ‘‘यार यह कैसे संभालेगी? न तो यह यहां की भाषा जानती है न ही इसे यहां का सिस्टम सम  झ आएगा.’’

नाहिद उन की हिंदी में हो रही बातचीत को न सम  झ पाने के कारण कुछ असमंजस में थी, सो बोली, ‘‘तपेश आप पीयूष के पास बैठो तब तक मैं डाक्टर से मिल कर आती हूं.’’

उस के जाते ही तपेश ने अपनी प्रश्नों से भरी निगाहें पीयूष की तरफ मोड़ी.

पीयूष अपनी सफाई देता सा बोला, ‘‘वह तु  झे पता है न कि मैं कुछ साल पहले ईजिप्ट गया था और वहां 2 साल रहा था?’’ पीयूष ने नजरें   झुका कर थोड़ा शरमाते हुए कहा.

‘‘हां, तो?’’

‘‘तो नाहिद वहां मेरी ही कंपनी में काम करती थी. यह ईजिप्ट के काफी जानेमाने परिवार की लड़की है, लेकिन जरा मनमौजी है. उसी दौरान इस का तलाक हुआ था. इसीलिए इस का नौकरी से भी मन उचट गया था. यह काफी परेशान रहने लगी थी.’’

‘‘फिर?’’

‘‘फिर इस ने नौकरी भी छोड़ दी थी.’’

‘‘तो फिर करती क्या है?’’

‘‘फिर इस ने वहीं ईजिप्ट के ऐलैक्जैंडरिया शहर में अपनी एक सोविनियर की शौप खोल ली थी. कला और कलाकृतियों की इसे काफी परख थी और यही उस का शौक भी था. तु  झे तो पता ही है कि मु  झे भी कला से काफी लगाव है.’’

‘‘हांहां, यह कौन नहीं जानता?’’

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‘‘तो बस इस के नौकरी छोड़ने के बाद भी हमारे शौक समान होने के कारण हमारी दोस्ती बरकरार रही. फिर मेरी सलाह पर इस ने इंडियन सोविनियर्स भी रखने शुरू कर दिए.’’

‘‘हां, पर तु  झे तो इंडिया वापस आए 2 साल हो गए, फिर अब यह यहां कैसे?’’

‘‘वह क्या है न मैं यहां से सोविनियर्स भेजता रहता हूं, जिन की वहां अब काफी मांग बढ़ गई है. तो इस बार नाहिद ने सोचा कि क्यों न इस बार अपनी पसंद से और ज्यादा मात्रा में सोविनियर खरीदे जाएं.’’

‘‘फिर?’’

‘‘फिर बस यह इसीलिए यहां आई थी, लेकिन 2 दिन बाद ही कोरोना की वजह से लौकडाउन हो गया और यह यहीं फंस गई.

‘‘लेकिन फंसी अच्छी,’’ मैं ने मजाक करते हुए एक आंख दबाई.

‘‘अरे नहीं यार, ऐसा कुछ भी नहीं है,’’ पीयूष नजरें   झुका कर बोला.

पीयूष और नाहिद पीयूष के घर लौट गए. 1-2 बार तपेश उस से मिलने पीयूष के घर गया और उस के चेहरे की लौटती रौनक देख कर नाहिद द्वारा की जा रही देखभाल से आश्वस्त हो कर लौट आया.

एक दिन तपेश के पास सुबहसुबह पीयूष का फोन आया, ‘‘क्या तू कल सुबह 9 बजे मेरे घर आ सकता है? मु  झे अस्पताल जाना है.’’

‘‘क्या हुआ? सब ठीक तो है न?’’

‘‘हांहां सब ठीक है. चैकअप के लिए बुलाया है.’’

‘‘ठीक है.’’

जब तपेश अगले दिन उस के घर पहुंचा तो उसे नाहिद और पीयूष दोनों कुछ ज्यादा ही ड्रैसअप से लगे. वह सम  झ न पाया कि

अस्पताल जाने के लिए इतना तैयार होने की भला क्या जरूरत थी. फिर सोचा छोड़ो यार जैसी उन की मरजी.

बाहर निकले तो पीयूष बोला, ‘‘गाड़ी मैं चलाऊंगा.’’

‘‘अरे लेकिन मैं हूं न.’’

‘‘नहीं मैं ही चलाऊंगा. अब तो मैं ठीक हूं,’’ वह जिद करने लगा.

हार कर तपेश ने उसे गाड़ी की चाबी देते हुए कहा, ‘‘ओके.’’

मगर थोड़ी देर में गाड़ी को अस्पताल की तरफ न मुड़ते देख तपेश बोला, ‘‘अरे यार, अस्पताल का कट तो पीछे रह गया. तेरा ध्यान कहां है?’’

पीयूष मुसकराते हुए बोला, ‘‘ध्यान सीधा मंजिल पर है.’’

‘‘मंजिल, कौन सी…’’ तपेश का वाक्य पूरा भी नहीं हो पाया था कि उस ने देखा गाड़ी मैरिज रजिस्ट्रार के औफिस के सामने जा रुकी.

‘‘पीयूष यार यहां क्यों, कैसे…’’

‘‘अरे यार मैरिज के लिए और कहां जाते हैं, मु  झे नहीं पता,’’ पीयूष ने गाड़ी से निकलते हुए ठहाका लगाया.

‘‘मैरिज, किस की, कैसे?’’

गाड़ी से निकल कर पीयूष और नाहिद ने एकदूसरे की बांहों में बांहें डालते हुए  एकसाथ कहा, ‘‘ऐसे,’’ और दोनों खिलखिला उठे.

तपेश ने नाहिद की ओर देखा तो उस के शर्म से लाल चेहरे से नईनवेली दुलहन   झलक रही थी.

‘‘अच्छा तो यह बात है. तो फिर यह भी बता दो कि इस गरीब की दौड़ क्यों लगवाई सुबहसुबह?’’

‘‘तो क्या गवाह हम खुद ही बन जाते?’’ अदा से मुसकराते हुए पीयूष बोला.

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तपेश खफा हुआ सोच रहा था, कितनी अजीब बात है मेरे दोस्त की भी. जिस की किश्ती किनारे पर डूब गई थी, उसे पार भी लगाया तो किस ने? तूफानों ने?

जिस करोना ने सारी दुनिया को हिला दिया, सब को घरों में बैठा दिया, सब की बड़ीबड़ी योजनाओं पर पानी फेर दिया, मिले हुओं को हमेशा के लिए बिछड़वा दिया, उस ने मेरे दोस्त की वह योजना भी सफल करवा दी, जो उस ने बनाई भी नहीं थी और उन्हें मिलवा दिया जिन्हें पता ही नहीं था कि उन्हें मिलना भी है. वाह रे करोना. वाह रे लौकडाउन.

5 Tips: ग्लोइंग स्किन के लिए मुल्तानी मिट्टी का इस तरह करें इस्तेमाल

मुल्तानी मिट्टी के इस्तेमाल से आपकी सुंदरता निखरती है. पर क्या आप जानती हैं कि इसका इस्तेमाल किस तरह से करना चाहिए. अगर इसका सही तरीके से आप इस्तेमाल करेंगी तो कहीं अधिक बेहतर परिणाम पा सकती हैं. ये चेहरे में कसावट लाने के साथ ही साफ करने में भी बहुत फायदेमंद है. तो चलिए जानते हैं,  मुलतानी मिट्टी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए.

1. गुलाब जल को मुलतानी मिट्टी में मिलाकर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. पेस्ट को तब तक चेहरे पर लगा रहने दें जब तक वो सूख न जाए. इस पेस्ट को लगाने से चेहरे पर मौजूद अतिरिक्त औयल साफ हो जाता है.

2. मुलतानी मिट्टी में बादाम के कुछ टुकड़ों को कूटकर डाल दीजिए और उसी में कुछ मात्रा में दूध मिला लीजिए. इसे चेहरे पर लगाने से चेहरा कोमल भी बना रहेगा और साफ भी हो जाएगा.

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3. पुदीने की कुछ पत्तियों को मिक्सर में पीस लीजिए. इसमें कुछ मात्रा में दही मिला लीजिए. इस पेस्ट को मुलतानी मिट्टी में मिलाकर लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं.

4. चंदन पाउडर में एक चम्मच टमाटर का रस मिला लीजिए. अब इसे मुलतानी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लीजिए. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं.

5. पपीते के एक चम्मच गूदे और एक से दो बूंद शहद को मुलतानी मिट्टी में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए. इस पेस्ट को लगाने से चेहरा निखर जाएगा.

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पोस्ट कोविड में फिट कैसे रहें, जानें सेलेब्रिटी फिटनेस इंस्ट्रक्टर यस्मिन कराचीवाला से

26 साल से अधिक फिटनेस को महत्व देने वाली सेलेब्रिटी फिटनेसइंस्ट्रक्टर यास्मिनकराचीवाला से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने फिटनेस के क्षेत्र में अपनी एक अलग छवि बनाई है. यही वजह है कि बॉलीवुड की कई बड़ी-बड़ी एक्ट्रेसेस यास्मिन के पास अपनी फिटनेस को बनाये रखने के लिए आती है. जिसमें कैटरिना कैफ, दीपिका पादुकोण, अलिया भट्ट, प्रीति जिंटा, नोरा फतेही, वानी कपूर आदि कई है. इतना ही नहीं वह ‘पिलाटेस’यानि फिजिकल फिटनेस की पायोनियर मानी जाती है. इसके अलावा उन्होंने फिटनेस को एक अलग स्थान देने की वजह से कई पुरस्कार भी जीती है. स्वभाव से हंसमुख और विनम्र यास्मिन से ‘समग्र स्वास्थ्य’ के अंतर्गत फिटनेस को लेकर बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-फिटनेस के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

अगर कोई फिट है तो उसे बीमारी नहीं होती और मैं बचपन से ही फिटनेस पसंद करती हूं. बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है कि लोग बीमार पड़ने के बाद वर्कआउट करते है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. हमेशा फिट रहना, हर किसी के लिए जरुरी है. मेरे बच्चों को भी मैंने फिटनेस की आदत बचपन से डाली है और अब वे दौड़ना, खेलना, वाक करना आदि कर एक्टिव रहते है. इससे वे अधिक बीमार भी नहीं पड़ते. अधिक वर्कआउट कभी भी नहीं करना चाहिए. व्यायाम के बाद फील गुड हार्मोन निकलता है, जिससे व्यक्ति ख़ुशी और एक्टिव महसूस करता है.

सवाल-कोरोना और लॉकडाउन में महिलाएं घर पर है, पहले वे काम के बाद थोड़ी पार्क में टहल लेती थी, लेकिन अब संभव नहीं, उन महिलाओं को आप क्या सुझाव देना चाहती है?

इसमें मैं हर महिलाओं को एक ही सलाह देती हूं, क्योंकि आज हर महिला के पास स्मार्ट फ़ोन है और उसमे हर घंटे ‘वाक फॉर 5 मिनट’ का अलार्म लगाइए, इससे घर के अंदर ही वाक, मार्चपास्ट करना मुश्किल नहीं. अगर मैं किसी महिला को एक घंटे घर पर वाक करने के लिए इस लॉकडाउन में कहूं, तो वह भी आसान नहीं, क्योंकि किसी का घर अधिक बड़ा न होना या घर में काफी लोगों का रहना हो सकता है, पर 5 मिनट कही भी वाक किया जा सकता है. इस तरह 8 अलार्म से हर घंटे 5 मिनट वाक करने पर वह टोटल 40 मिनट हो जाता है. उस समय अगर कोई खाना पका रही हो और अलार्म बज उठता है,तो वही खड़े रहकर 5 मिनट तक खाना पकाते हुए मार्चपास्ट कर सकती है. इस तरह से व्यायाम करना आसान होने के साथ-साथ मोबाइल के अलार्म से आपको 5 मिनट चलने की भी आदत होजाती है. जल्दी टोंड बॉडी पाने के लिए कुछ अलग एक्सरसाइज करने की जरुरत होती है, लेकिनमैंने देखा है कि ये तकनीक भी अच्छा काम करती है.

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सवाल-घर पर रहने वालों को किस प्रकार की डाइट फोलो करना उचित है?

अगर खाना घर पर बन रहा है, तो उसे हेल्दी बनाया जा सकता है. हर व्यक्ति के लिए 3 चाय चम्मच आयल सही होता है. खाने में तेल की मात्रा हमेशा ठीक होना चाहिए. स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए अधिक मात्रा में तेल डालना जरुरी नहीं. अगर खाना कंट्रोल्ड आयल में बनाया जा रहा हो और ब्रेकफास्ट, लंच के बाद डिनर में 4 से 5 घंटे का गैप होने पर सही  स्नैक्स का चयन करना जरुरी होता है. इसमें फ्रूट्स, स्प्राउट्स, आलमंड, सीड्स आदि रखने पर उसे स्नैक्स के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. आलमंड में बहुत सारे गुण होते है, इसे लेने पर पेट भरा हुआ महसूस होता हैऔर क्रेविंग्स नहीं होती. साथ ही आलमंड में फाइबर भी अधिक होता है. फ्रूट्स का सेवन करने से शुगर की क्रेविंग्स नहीं होती. अभी लॉकडाउन में हर कोई कुछ न कुछ मंचिंग के बारें में सोचते रहते है. सही तरीके से भोजन और स्नैक्स की प्लानिंग करने पर गलत ईटिंग कभी नहीं करेंगे.

सवाल-कोरोना की दूसरी लहर में अधिकतर लोगों को लंग्स की समस्या आ रही है, ऐसे में किस प्रकार की वर्कआउट लंग्स को मजबूत कर सकती है?

हर किसी को 5 मिनट का प्राणायाम करना आवश्यक है. इससे ब्रीदिंग सही होती है. हर एक्सरसाइज की ब्रीदिंग रिदम होती है, इसलिए व्यायाम करते समय सही ब्रीदिंग हो,इसका ख्याल रखनी चाहिए. इससे लंग्स की कैपासिटी बढ़ती है, क्योंकि लंग्स को ऑक्सीजन पूरे शरीर में भेजनी पड़ती है, ताकि थकान कम हो और लैक्टिक एसिड अधिक न बढे. लंग्स को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम ही सबसे अच्छा विकल्प है. मैंने किसी को वर्कआउट का समय नहीं दिया है, जिस व्यक्ति के पास जितना समय हो उतना वह व्यायाम कर सकता है.

सवाल-कोविड के बाद किस प्रकार की एक्सरसाइज करना जरुरी है, ताकि व्यक्ति जल्दी तंदुरुस्त हो सकें?

मुझे और मेरे पूरे परिवार को कोविड से ठीक होने के बाद मैंने सबसे अधिक ध्यान ब्रीदिंग पर दिया, इसके बाद फ्लेक्सिबिलिटी पर ध्यान दिया, क्योंकि कोविड में जॉइंट्स बहुत टाइट हो जाते है. मैंने मूवमेंट पर अधिक फोकस्ड किया था, क्योंकि यह एक वायरस है और इसके जाने के बाद कितना डैमेज शरीर को हुआ है उसका पता लगाना मुश्किल होता है. बहुत धीरे-धीरे लंग्स की कैपेसिटी और फेल्क्सिबिलिटी को बढ़ाना पड़ता है. इसमें शरीर के किस भाग में टाइटनेस है, उसे महसूस कर उस पर अधिक फोकस करना पड़ता है. इसके अलावा वाक करें, जिसमें पहले 5 से 10 मिनट इसके बाद समय को धीरे-धीरे बढाएं. कोरोना के बाद शरीर कमजोर हो जाता है, ऐसे में बॉडी को समझकर वर्कआउट करें, ताकि थकान महसूस न हो.

सवाल-बॉलीवुड की कलाकारों को देखकर आम जनता उनके जैसे बनने का प्रयास करते है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

मैंने हमेशा हर व्यक्ति से पहले ही कहती हूं कि अपने शरीर की सुने. सलमान खान, कैटरिना कैफ, दीपिका पादुकोण की बॉडी आपकी बॉडी नहीं है और आपको उनकी फिटनेस जर्नी कैसे बीती है, ये भी पता नहीं है. वर्कआउट की जो भी विडियो मैं और कैटरिना कैफ सोशल मीडिया पर डालते है,कैटरिना की फिटनेस इस वर्कआउट को करके नहीं हुई है, बल्कि उनकी बॉडी अभी फिट हुई है और वह इसे कर पा रही है. हर किसी को अपनी फिटनेस लेवल को देखना है और उस हिसाब व्यायाम करना पड़ता है. पहले नीव रखनी पड़ती है इसके बाद आगे बढ़ा जाता है. फाउंडेशन किसी भी एक्सरसाइज में बहुत जरुरी होता है. कई बार लोग मुझसे दीपिका पादुकोण के जैसे आर्म्स या कैटरिना कैफ की तरह एब्स चाहते है. अच्छी बात यह है कि वे उनके जैसे कद नहीं चाहते. मुझे उन लोगों को एक्सप्लेन करना पड़ता है, क्योंकि कई बार वर्कआउट के बाद उनकी एब्स कैटरिना से भी अच्छी हो सकती है और ऐसा होता भी है. खुद में बेस्ट वर्जन होने की कोशिश करने के लिए  उन्हें प्रेरित करती हूं. जहाँ भी वर्कआउट के लिए जाएँ, वहाँ जाने से पहले उसकी ट्रेनर और सिखाने के बारें पूरी जानकारी प्राप्त कर फिर जाए.

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सवाल-वर्कआउट की कोई 5 मंत्र बताइए, जिसे लॉकडाउन में हर कोई कर सकें?

स्क्वाट्स, ट्राईसेप्ट्स, पुशप्स, शोल्डर और एब वर्कआउट इसमें पूरी बॉडी कवर हो जाती है. ये करना आसान भी है, कहीं जाने की जरुरत नहीं पड़ती और हर किसी के घर में कुर्सी या पलंग होती है, उसका सहारा लेकर ये वर्कआउट किया जा सकता है.

सवाल-क्या वर्क आउट के बाद व्यक्ति एग्रेसिव हो जाता है?

ऐसा नहीं है, वर्कआउट से व्यक्ति का गुस्स रिलीज हो जाता है. इससे हर काम करने की एनर्जी बढती है. जो लोग एस्टेरोइड और तनाव को लेकर वर्कआउट करते है, वे अधिक एग्रेसिव हो जाते है.

Global Parents Day: रखें New Born बेबी का पूरा ध्यान

मानव जीवन में माता पिता का सर्वोच्च स्थान है. बच्चों के जन्म से ही माता-पिता उनके लिए आदर्श के रूप में होते हैं. भागदौड़ की इस जिंदगी में भले ही हम अपने माता-पिता से दूर हैं, लेकिन दुख हो या सुख हर परिस्थिति में वह हमारे साथ होते हैं .

परिवार के साथ- साथ, बच्चों का पोषण और संरक्षण माता-पिता की एक प्राथमिक जिम्मेदारी है. बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है कि वे अच्छे पारिवारिक माहौल में बड़े हों, जहां खुशी, प्यार और विश्वास हो.

जब बात हो न्यू बौर्न बेबी की देखभाल की सबसे महत्वपूर्ण समय मां के गर्भ के दौरान होता है. गर्भ के दौरान यदि मां स्वस्थ है, उसका खानपान उचित हो और गर्भ से संबंधित कोई विकार ना हो तो बच्चा जन्म के समय स्वस्थ रहता है. अपने नवजात बेबी की देखभाल करना माता-पिता के जीवन के सबसे खास अनुभवों में से एक होता है.

बेबी की सम्पूर्ण देखभाल के लिए कुछ सरल  टिप्स,  जिससे नए माता-पिता अपने बेबी  के साथ किसी भी चिंता के बिना पैरंटहुड का आनंद ले सकते हैं –

बेबी के  लिए चुने सही बाथिंग प्रोडक्ट्स –

बेबी के बॉथिंग प्रोडक्ट्स में  इस बात का ख़ास ध्यान रखना चाहिए की वह प्रोडक्ट्स बेबी की त्वचा को रूखा न  बनाये  और उसकी त्वचा पर कोमल  हों. बच्चों के साबुन की जगह बाथिंग जेल का प्रयोग किया जा सकता है जो की 100% साबुन मुक्त फार्मूला से बनाया जाता है और बेबी की  नाजुक त्वचा को जेंटली साफ करता है .  यह  नो टीयर्स फार्मूला इस तरह बनाया जाता है की यह बेबी की नाजुक आँखों  को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. यह हर रोज बेबी  के लिए प्रयोग किया जा सकता है  जिससे बेबी की त्वचा सॉफ्ट  और मॉइस्चरीज़ड बनी  रहे.

बेबी की मालिश के लिए –

भारत में बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है. बच्चे की मालिश नहलाने से एक घंटे पहले करनी चाहिए. बेबी मसाज ऑयल आपके बच्चे की नाजुक त्वचा को मॉइस्चराइज करता है. यह बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है. इससे बच्चों का शारीरिक विकास बेहतर होता है और वह हेल्थी रहते है| इसके लिए एक एलर्जी मुक्त , डर्मटॉलॉजिस्ट टेस्टेड मालिश का तेल प्रयोग में लाएं. ऑलिव और आलमंड आयल के तत्त्व बेबी की मालिश के लिए अत्यधिक लाभकारी होते हैं. नेचुरल स्किन इलास्टिसिटी बढ़ाने के लिए मालिश का  तेल  अत्यंत  उपयोगी  हैं.

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बेबी के दांत और मसूड़े के स्वस्थ्य के लिए –

बेबी की देखभाल करते समय बेबी के  मुँह की  स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण  है. बेहतर ओरल केयर प्रोडक्ट्स बच्चों के दांतों को साफ रखने के साथ-साथ मसूढ़ों को बैक्टीरिया मुक्त बनाने में काफी मदद करते  है. शुरुआती महीनों में बच्चे के मसूड़ों और दांतों की देखभाल करते समय अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. बेबीओं  के  टूथपेस्ट  फ्लोराइड – फ्री  होने चाहिए  ताकि  अगर  छोटे बच्चे टूथपेस्ट निगल भी ले तो भी वह उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाए.  टूथब्रश का शेप और ब्रिस्ल्स  दोनों का ही  अकार  बच्चो  के  मुँह के  हिसाब से डिज़ाइन किए जाता है जिससे वह मुँह के  अन्दर कोने-कोने तक सफाई कर सके और  ब्रिस्ल्स  काफी  मुलायम  होते  हैं  जो टेपरेड़  टेक्नोलॉजी से बनते हैं जिससे बच्चो के मसूड़े और  दांत  पर  सख्त नहीं होते. सही टूथपेस्ट और सही टूथब्रश चुन कर बच्चे की ओरल हेल्थ का ध्यान रखें.  स्वस्थ आदतों का अभ्यास करने से बेबीओं और बच्चों में कैविटी, दांतों की सड़न को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है.

बेबी को सुलाने के लिए  –

नींद पूरे परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, इसलिए अपने बच्चे की नींद को सुगम बनाने के लिए आदर्श समाधान खोजना महत्वपूर्ण है. पहले महीनों के दौरान, पालना सबसे अच्छा समाधान है क्योंकि एक समर्पित स्थान बच्चे को सुरक्षित और संरक्षित रखता है, जैसा उसने जन्म से नौ महीने पहले महसूस किया था. यह वैज्ञानिक रूप से प्रदर्शित है, कि बच्चे को माता-पिता पालने में अपने बिस्तर के जितना पास हो सके सुलायें. यह बच्चे के लिए सुरक्षित है और कई फायदे देता है: यह स्तनपान को आसान बनाता है, यह नवजात बेबी की मदद करता है सोने-जागने की लय को विनियमित करने में और यह बच्चे और माता-पिता के बीच के बंधन को मजबूत करता है.

बेबी को घुमाने के लिए –

स्ट्रोलर का सही तरीके से चुनाव  करना  बहुत आवश्यक है- ना सिर्फ बच्चे के आराम और सुरक्षा के लिए पर माता-पिता की सुविधा के हिसाब से भी. बेबी के स्ट्रोलर की सीट आरामदायक और आसानी से अडजस्टेबल होनी चाहिए. सबल स्ट्रोलर फ्रेम के साथ व्हील पर लगे सस्पेंशन और लॉक्स बच्चे को हर तरह के रास्तों पर सुरक्षित रखते है.  एक हाथ से फोल्ड और कॉम्पैक्ट हो जाने वाले स्ट्रोलर पेरेंट्स के लिए बहुत सुविधाजनक होते हैं और उन्हें अपने बच्चों के साथ बिताए समय का पूरी तरह से आनंद लेने  देते हैं.

बच्चों के कपड़ो को विशेष रूप से बेबी के कपड़ों के लिए बनाये गए लांड्री डिटर्जेंट से ही धोएं – माता पिता को केवल बेबी के कपड़ों के लिए बनाये गए लांड्री डिटर्जेंट का ही उपयोग करना चाहिए – जो ज़िद्दी दाग व गंध हटाने में कारगर हो.  इसके साथ साथ लांड्री डिटर्जेंट में रोगाणुओं का नाश करने की क्षमता होनी चाहिये. क्यूंकि हम जानते है कि बेबी की त्वचा कोमल होती है, इसलिए बेबी के कपड़ों को डर्मटोलॉजिकली टेस्टेड लांड्री डिटर्जेंट से ही धोना चाहिए.

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बेबी के लिए कॉटन के कपडे –

गर्मी का मौसम हो तो नवजात को कॉटन के कपड़े पहनाने चाहिए. कॉटन  के  हवादार  और  अच्छी  क्वालिटी  के  कपडे  न  केवल  आरामदायक  होते  है  बल्कि  ट्रेंडी  भी  होते  है.  समर ट्रेंड्स में  बच्चों क लिए सबसे  ज्यादा  क्यूट  प्रिंट्स  जैसे – एनिमल मैस्कॉट , शेप्स , फ्लोरल  प्रिंट्स  देखने  को  मिलते हैं.  इन प्रिंट्स में बच्चे बहुत खूबसूरत दिखते  है और साथ  ही जानवर, नेचर और शेप्स पहचानना भी सीखते है.

श्री राजेश वोहरा, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आर्ट्साना ग्रुप, इन एसोसिएशन विद कीको रिसर्च सेण्टर के द्वारा.

समर में बनाएं हेल्दी और टेस्टी रवा उत्तपम

गर्मियों में हल्का और हेल्दी खाना बेहद फायदेमंद होता है. लेकिन जब बात टेस्ट की बात होती है तो हम हेल्थ के साथ कौम्प्रोमाइज कर देते हैं. लेकिन आज हम आपके एक टेस्टी और हेल्दी रेसिपी के बारे में बताएंगे, जो आपको बेहद बसंद आएगी. रवा उत्तपम आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप शाम या सुबह के नाश्ते में खिला सकते हैं.

 सामग्री :

– रवा/सूजी (01 कप)

– प्याज़ (1/2 कप कटा हुआ)

– दही (1/4 कप)

– टमाटर (1/2 कप कटा हुआ)

– गाजर  (1/4 कप कद्दूकस किया हुआ)

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– हरी मिर्च (02 नग बारीक कटा हुआ)

– अदरक (01 इंच का टुकड़ा बारीक़ कटा हुआ)

– धनिया पत्ता ( 01 छोटा चम्म्च बारीक़ कटा हुआ)

– तेल (आवश्यकतानुसार)

– नमक ( स्वादानुसार)

रवा उत्तपम बनाने की विधि :

– सबसे पहले एक बाउल में रवा/सूजी और दही (खट्टा दही हो तो बेहतर है) डालकर मिला लें.

– इसके बाद थोड़ा सा पानी और नमक डाल फिर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

– फिर मिश्रण को ढ़क कर 30 मिनट के लिये रख दें.

– अब प्याज को छील कर महीन-महीन काट लें.

– साथ ही टमाटर, गाजर, हरी मिर्च और धनिया की पत्ती को धो कर बारीक काट लें.

– और अदरक को कद्दूकस कर लें.

– अब कटी हुई सारी सामग्री को रवा के मिश्रण में डालें और एक बार अच्छी तरह से चला लें.

– अब एक नौनस्टिक तवा को गैस पर रख कर गरम करें.

– तवा गरम होने पर गैस की आंच सिम कर दें.

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– अब एक छोटा चम्मच तेल तवा पर डालें और चम्मच से पूरे तवा पर फैला दें.

– यह तेल सिर्फ इसलिए है, जिससे रवा का मिश्रण तवा पर चिपके नहीं.

– अब एक बड़ा चम्मच रवा का मिश्रण लेकर तवा पर डाले और चम्मच की मदद से पूरे तवा पर पतला-     पतला फैला दें.

–  इसके बाद एक छोटा चम्मच तेल लें और उत्तपम के चारों ओर तवा पर डाल दें.

– जब उत्तपम की नीचे की लेयर सुनहरी रंग की हो जाए, उत्तम को पलट दें और दूसरी साइड को भी इसी   तरह से सेंक लें.

इसी तरह से सारे उत्तम सेंक लें.

जानें शादी के बाद क्यों बदलती है जिंदगी

शादी जिंदगी का एक अहम रिश्ता होता है. इसके जरिए आपको ढ़ेर सारा प्यार और नए रिश्ते मिलते हैं. शादी और भी कई चीजों से जुड़ी होती है जो आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है. ऐसी बहुत सी चीजे हैं जिन्हें आप शादी के बिना अनुभव नहीं कर सकती हैं. जब आप शादी के बंधन में बंध रही होती हैं तो आप एक नई जीवनशैली के साथ भी जुड़ रही होती हैं. शादी के बाद शुरुआत में आपकी जीवनशैली की बहुत सी चीजें बदल सकती है. आइए आज हम ऐसी ही चीजों के बारे में बात करते हैं.

1. आपको कुछ आदतों को छोड़ना पड़ता है

शादी से पहले हो सकता है काफी देर रात तक दोस्तों के साथ मस्ती करना, उनसे बात करना आपकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हो, लेकिन शादी के बाद हो सकता है आपका पार्टनर आपको इन सभी चीजों की अनुमति ना दे, ऐसे में आपको इन चीजों की कुर्बानी देनी पड़ सकती है.

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2. आपको एक नई जगह पर रहना होता है

शादी के बाद आपको इस बदलाव का सामना करना पड़ता है. आप अब तक जिस जगह पर रह रही थीं उसे छोड़कर किसी नई जगह पर शिफ्ट होना आपके लिए उत्साहित करने वाला भी हो सकता है तो बहुत से लोग इस बदलाव से परेशान भी हो सकते हैं. जैसे महिलाओं को अपने परिवार को छोड़कर अपना कमरा छोड़कर आपको एक नए घर में शिफ्ट होना पड़ता है.

3. आपको हर रोज एक इंसान की बातें सुननी होंगी

औफिस से आने के बाद आप थक जाती हैं और आराम करना चाहती हैं लेकिन अगर आप शादीशुदा हैं तो आपको अपने साथी को समय देना भी जरुरी है. जिस तरह आप शादी से पहले औफिस से आकर अपने कमरे में जाकर आराम करती थीं उस तरह की जीवनशैली शादी के बाद बदल जाती है. अब आपको अपने साथी की दिन भर की बातें सुनने के लिए समय देना भी जरुरी हो जाता है.

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4. आपको अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ सकता है

मान लीजिए कि आपके साथी को किसी दूसरे शहर में नौकरी मिली है और उनकी आय आपके परिवार की सबसे बड़ी वित्तीय शक्ति है तो आप क्या करेंगी. इस मोड़ पर आपको अपना नौकरी छोड़नी पड़ सकती है. इस तरह के बदलाव भी शादी के बाद आप अनुभव कर सकती हैं.

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