रुबीना दिलैक के सीरियल समेत इन 5 टीवी सीरियल्स पर लगेगा ताला! पढ़ें खबर

साल 2020 से अब तक टीवी इंडस्ट्री में बदलाव देखने को मिले हैं. जहां कई सितारों ने दुनिया को अलविदा कहा है तो वहीं कई सीरियल्स लौकडाउन के कारण बंद हो गए हैं. इसी बीच खबर हैं कि जुलाई में 5 और सीरियल्स बंद होने वाले हैं, जिसमें रुबीना दिलैक के शो का नाम भी शामिल है. आइए आपको दिखाते हैं पूरी खबर…

रुबीना के शो पर गिरी गाज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

कलर्स का रियलिटी शो बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) जल्द ही शुरू होने वाला है, जिसका हाल ही में प्रोमो भी रिलीज किया गया था. इसी बीच खबरे हैं कि मेकर्स रुबीना दिलाइक के शो  ‘शक्ति अस्तित्व के एहसास की’ (Shakti Astitva Ke Ehsaas Ki) की जगह बिग बौस 15 को देना चाहते हैं, जिसके कारण सीरियल को बंद करने की बात कही जा रही है.

एक महीने का मिला था कुर्बान हुआ को टाइम

https://www.youtube.com/watch?v=NMloEecA_wE

बीते दिनों Zee TV के सीरियल कुर्बान हुआ (Qurbaan Hua) को कम टीआरपी के चलते बंद करने की खबरें आईं थीं. हालांकि औडियंस का शो के लिए प्यार देखने के बाद मेकर्स ने सीरियल को एक महीने के लिए बढ़ा दिया था. लेकिन अब मेकर्स ने शो को बंद करने का मन बना लिया है.

ये भी पढ़ें- सई को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश करेगा विराट, खुलेगी पाखी की पोल!

तेरा यार हूं मैं

https://www.youtube.com/watch?v=9rGxCTV2jHc

टीवी एक्टर सुदीप साहिर और सयंतनी घोष का सीरियल तेरा यार हूं मैं (Tera Yaar Hoon Main) भी बंद होने वाला है. हालांकि यह सीरियल पिछले साल अगस्त में लॉन्च किया गया था. लेकिन कम टीआरपी के चलते खबरे हैं कि इस शो पर भी ताला लगने वाला है.

कांटेलाल एंड संस

सोनी टीवी का सीरियल कांटेलाल एंड संस (Kaantelal and Sons) भी कम बजट के चलते बंद करने का फैसला लिया गया है. हालांकि शो की टीआरपी भी कम थी. वहीं औडियंस भी सीरियल को ज्यादा पसंद नही कर रही थी.

 हीरो गायब मोड ऑन

सिद्धार्थ निगम और अभिषेक निगम स्टारर शो हीरो गायब मोड ऑन (Hero Gayab Mode On) के भी बंद करने की खबरें इन दिनों छाई हुई हैं. वहीं कुछ महीनों पहले शुरु हुए इस सीरियल की टीआरपी भी कम ही है.

ये भी पढ़ें- Anupamaa में खराब हुई वनराज की हालत! बेटे समर से कही भीख मांगने की बात

जानें क्या हैं अरोमा थेरेपी मसाज के फायदे

पूरे हफ्ते में काम कर कर के आप बहुत थक जाती हैं और हफ्ते के अंत तक आते आते आपकी सारी एनर्जी खत्म हो जाती है. आपके हफ्ते में या महीने में एक दिन ऐसा होना चाहिए जिस दिन आप पूरी तरह रिलैक्स रहें और आप फोन आदि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहें, जिसमें आप थोड़ा समय खुद के साथ बिता सकें. लेकिन आप ऐसा क्या कर सकती हैं जिससे आप पूरी तरह से रिलैक्स हो सकें और आपके अंदर एक रीसेट हो सके ताकि आप दुबारा से उसी एनर्जी के साथ काम कर सकें जिसके साथ आपने शुरू किया था. अगर आप ऐसा कुछ खोज रही हैं तो आप अरोमा थेरेपी मसाज ले सकती हैं. यह आपको महीने में एक बार तो अवश्य लेनी चाहिए और इसके बहुत सारे लाभ भी होते हैं जो आपको इसका आदी बना देंगे. तो आइए जानते हैं अरोमा मैजिक थेरेपी क्या होती है और इसके आपको क्या क्या लाभ मिल सकते हैं?

 क्या होती है अरोमा थेरेपी?

अरोमा थेरेपी एक प्रकार की मसाज होती है. इसके दौरान विभिन्न प्रकार के अलग अलग एसेंशियल ऑयल का प्रयोग किया जाता है ताकि आपको अलग अलग तरह की अरोमा का अनुभव प्रदान किया जा सके. जैसे यूक्लेप्टस आपको डिटॉक्स करने में मदद करता है, कैफ़ीन आपके अंदर एनर्जी भरता है और लेवेंडर आपको अच्छी नींद आने में मदद करता है. आप जिस जगह से मसाज ले रहे हैं उनसे आप एसेंशियल ऑयल के बारे में बात कर सकते हैं कि वह किस किस ऑयल का प्रयोग करेंगे और उनके क्या क्या लाभ होते हैं. यह अलग अलग तरह से जैसे डिटॉक्स मसाज, बॉडी रैप मसाज आदि तरह से होती है.

ये भी पढ़ें- इन 5 टिप्स से बनाएं पलकों को घना

 अरोमा थेरेपी मसाज के लाभ

-यह आपकी बॉडी की सेल्स को डिटॉक्स करती है.

-आपके दिमाग को पूरी तरह से रिफ्रेश कर देती है.

-आपके अंदर एक शांति पैदा करती है.

-आपके शरीर को मस्तिष्क को रिजूविनेट करती है.

-आपकी एक्सफोलिएट होने वाली स्किन को एसेंशियल ऑयल हाइड्रेट करते हैं.

-आपके ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव करती है.

-इस थेरेपी को लेने के बाद आपकी स्किन स्मूथ हो जाती है और अच्छे से पोषण को अब्जॉर्ब कर पाती है.

 खुद को इस थेरेपी के लिए कैसा तैयार करें?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक मसाज लेने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप अपने आप को पानी पी कर अच्छे से हाइड्रेट कर लें. आपके शरीर का कोई भी भाग सेंसिटिव नहीं होना चाहिए. इसके अलावा किसी भी अन्य मसाज की तरह यह मसाज लें और खुद को अधिक से अधिक रिलैक्स करने की कोशिश करें.

 अरोमा थेरेपी मसाज के दौरान आप क्या एक्सपेक्ट कर सकती हैं?

इसके अलग अलग प्रकार होते हैं और अगर आप डिटॉक्स रैप ट्रीटमेंट का चयन करती हैं तो सबसे पहले ड्राई बॉडी ब्रशिंग की जाती है. जिसमें आपका शरीर एक्सफोलिएट होता है. स्क्रब को उतारने के लिए एक बॉडी मास्क का प्रयोग किया जाता है. यह आपकी स्किन को ब्राइट और रिफाइन करता है. इसके बाद आपको ऑयल की एक अच्छी मसाज दी जाती है. मसाज अगर आप पहली बार करवा रही हैं तो इसमें आपके सारे शरीर की मूवमेंट होने के कारण आपकी स्किन थोड़ी लाल पड़ सकती है और आपको इसकी आदत होने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन यह पूरी तरह से नॉर्मल है.

 क्या इस मसाज के कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं?

मसाज के बाद आपका अधिक आराम करने का मन करेगा क्योंकि आपकी एनर्जी में एक बढ़ोतरी होती है. ऐसा 12 से 24 घंटे के लिए हो सकता है और यह आपके पाचन को स्टिमुलेट करता है और आपके अंदर एक डायरेटिक प्रभाव पैदा करता है.

ये भी पढ़ें- Makeup Tips: ऐसे लगाएं पाउडर फाउंडेशन

 मसाज के बाद क्या क्या करना चाहिए?

आपको मसाज लेने के बाद अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए ताकि आपके शरीर से सारे टॉक्सिंस फ्लश हो सकें. अपने आप के साथ थोड़ी जेंटल रहें. अपने शरीर और मस्तिष्क को इस उपचार का अच्छा असर देने के लिए थोड़ा समय दें.

शुरू में आपको लगेगा की यह मसाज नॉर्मल तरह की है लेकिन बाद में आपको इसके नतीजे देखने को मिलेंगे और यह एक्जैक्ट रूप से वही करती है जो इसमें दावा किया जाता है.

पैनक्रियाटिक रोगों की बड़ी वजह है अल्कोहल सेवन, धूम्रपान और गॉल ब्लॉडर स्टोन

बदलती तकनीकों से आसान हो गया है पैनक्रियाटिक रोगों का इलाज, अब न्यूनतम शल्यक्रिया एंडोस्कोपिक तकनीक होने लगी है ज्यादा कारगर और लोकप्रिय युवा कामकाजी प्रोफेशनल्स में अल्कोहल सेवन, धूम्रपान के बढ़ते चलन और गॉल स्टोन के स्टोन के कारण पैनक्रियाटिक रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारियों में एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस और पैनक्रियाटिक कैंसर के मामले ज्यादा हैं. लेकिन आधुनिक एंडोस्कोपिक पैनक्रियाटिक प्रक्रियाओं की उपलब्धता और इस बीमारी की बेहतर समझ और अनुभव रखने वाली विशेष पैनक्रियाटिक केयर टीमों की बदौलत इससे जुड़े गंभीर रोगों पर भी अब आसानी से काबू पाया जा सकता है.

आधुनिक पैनक्रियाटिक उपचार न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक के सिद्धांत पर आधारित है और इसे मरीजों के लिए सुरक्षित और स्वीकार्य इलाज माना जाता है.

पेट के पीछे ऊपरी हिस्से में मौजूद पैनक्रियाज पाचन एंजाइम और हार्मोन्स (ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने वाले इंसुलिन सहित) को संचित रखता है. पैनक्रियाज का मुख्य कार्य शक्तिशाली पाचन एंजाइम को छोटी आंत में संचित रखते हुए पाचन में सहयोग करना होता है. लेकिन स्रावित होने से पहले ही जब पाचन एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं तो ये पैनक्रियाज को नुकसान पहुंचाने लगते हैं जिनसे पैनक्रियाज में सूजन यानी पैनक्रियाटाइटिस की स्थिति बन जाती है.

ये भी पढ़ें- बीमारी के कारण भी हो सकती है डबल चिन की प्रौब्लम, पढ़ें खबर

एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस इनमें सबसे आम बीमारी है जो गॉलस्टोन, प्रतिदिन 50 ग्राम से ज्यादा अल्कोहल सेवन, खून में अधिक वसा और कैल्सियम होने, कुछ दवाइयों के सेवन, पेट के ऊपरी हिस्से में चोट, वायरल संक्रमण और पैनक्रियाटिक ट्यूमर के कारण होती है. गॉल ब्लाडर में पथरी पित्त वाहिनी तक पहुंच सकती है और इससे पैनक्रियाज नली में रुकावट आ सकती है जिस कारण एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस होता है. बुजुर्गोंं में ट्यूमर ही इसका बड़ा कारण है. इसमें पेट के ऊपरी हिस्से से दर्द बढ़ते हुए पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच जाता है. कुछ गंभीर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ और पेशाब करने में भी दिक्कत आने लगती है.

इस बीमारी का पता लगने पर ज्यादातर मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है. मामूली पैनक्रियाटाइटिस आम तौर पर एनलजेसिक और इंट्रावेनस दवाइयों से ही ठीक हो जाती है. लेकिन थोड़ा गंभीर और एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस जानलेवा भी बन सकती है और इसमें मरीजों को लगातार निगरानी और सपोर्टिव केयर में रखना पड़ता है. ऐसी स्थिति में मरीज को नाक के जरिये ट्यूब डालकर भोजन पहुंचाया जाता है. पैनक्रियाज के आसपास की नलियों से संक्रमित द्रव को  कई बार एंडोस्कोपिक तरीके से या ड्रेन ट्यूब के जरिये बाहर निकाला जाता है. उचित इलाज और विशेषज्ञों की देखरेख में एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस से पीड़ित ज्यादातर मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं. इस बीमारी की पुनरावृत्ति से बचने के लिए अल्कोहल का सेवन छोड़ देना चाहिए और गॉल ब्लाडर सर्जरी के जरिये पथरी निकलवा लेनी चाहिए. लिपिड या कैल्सियम लेवल को दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है.

इसके अलावा क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस की डायनोसिस और इलाज में एंडोस्कोपिक स्कारलेस प्रक्रियाओं की अहम भूमिका होती है. इसमें मरीज को लगातार दर्द या पेट के ऊपरी हिस्से में बार—बार दर्द होता है. लंबे समय तक बीमार रहने पर भोजन पचाने के लिए जरूरी पैनक्रियाटिक एंजाइम की कमी और इंसुलिन के अभाव में डायबिटीज होने के कारण डायरिया की शिकायत हो जाती है. पैनक्रियाज और इसकी नली की जांच के लिए इसमें एमआरसीपी और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड जैसे टेस्ट कराने पड़ते हैं.

ये भी पढ़ें- 8 टिप्स: दांत दर्द से पाएं तुरंत आराम

पैनक्रियाटिक ट्यूमर भी धूम्रपान, डायबिटीज मेलिटस, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस और मोटापे के कारण होता है. इसके लक्षणों में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, पीलिया, भूख की कमी और वजन कम होना है. ऐसे मरीजों का सबसे पहले सीटी स्कैन किया जाता है. इसके बाद जरूरत पड़ने पर ईयूएस और टिश्यू सैंपलिंग कराई जाती है. इसमें लगभग 20 फीसदी कैंसर का पता लगते ही सर्जरी कराई जाती है, बाकी मरीजों को कीमोथेरापी दी जाती है. कीमोथेरापी के बाद बहुत कम  जख्म रह जाता है और फिर मरीज की सर्जरी की जाती है. कीमोथेरापी से पहले मरीज के पीलिया के इलाज के लिए कई बार ईआरसीपी और स्टेंटिंग भी कराई जाती है. ईआरसीपी के दौरान पित्त वाहिनी में स्टेंट डाला जाता है ताकि ट्यूमर के कारण आए अवरोध को दूर किया जा सके. पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित कुछ मरीजों को तेज दर्द भी हो सकता है, ऐसे में उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए ईयूएस गाइडेड सीपीएन (सेलियक प्लेक्सस न्यूरोलिसिस) कराया जाता है.

डॉ. विकास सिंगला, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के निदेशक और प्रमुख, मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित.

नए कलेवर में नजर आएगा मिशन शक्ति अभियान

योगी सरकार ने जब से उत्तर प्रदेश में सत्ता की बागड़ोर संभाली तब से निरंतर महिलाओं और बेटियों के उत्थान पर काम कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा, सेहत, शिक्षा और उनको आत्मनिर्भर यूपी की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने मिशन शक्ति जैसे वृहद अभियान की शुरूआत कर उनके कदमों को विकास पथ पर बढ़ाने का कार्य किया है. राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा, सम्मारन और सशक्तिकरण के लिए संकल्पित है. जिसके तहत “मिशन शक्ति” के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. ऐसे में मिशन शक्ति के पहले व दूसरे चरण की सफलता के बाद जल्दा ही प्रदेश में फिर से मिशन शक्ति के नए चरण की शुरूआत होने जा रही है.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की जरूरतमंद महिलाओं और बेटियों के लिए कई स्वर्णिम योजनाओं को प्रदेश में लागू किया जिसके कारण कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद सीएम योगी की यह स्वर्णिम योजनाएं प्रदेश की महिलाओं बेटियों के लिए ढाल बनी हैं. ऐसे में मिशन शक्ति अभियान नवीन ऊर्जा के साथ एक बार फिर से प्रदेश में शुरू होने जा रहा है जिससे महिलाओं व बेटियों को संबल मिलेगा. सीएम ने बैठक में आदेश दिए की स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्राम्य विकास पंचायती राज, गृह, महिला एवं बाल विकास विभाग परस्पर समन्वय के साथ मिशन शक्ति के अगले चरण की विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें. इसके साथ ही उन्होंेने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि महिलाओं व बेटियों से जुड़े आपराधिक घटनाओं पर संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्रवाई की जाए.

योजनाओं के जरिए महिलाओं को दिखाई स्वावलंबन की राह

महिला स्वयं सहायता समूह, बीसी सखी जैसी योजनाओं ने महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखाई है. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह जैसी योजना ने बालिकाओं और उनके अभिभावकों को बड़ा संबल दिया है. ऐसे में प्रदेश में मिशन शक्ति के पहले और दूसरे चरण की सफलता के बाद सीएम योगी आदित्य नाथ ने संबधित विभाग और अधिकारियों को मिशन शक्ति अभियान को नवीन ऊर्जा के साथ नई दिशा देने के निर्देश दिए हैं.

कोरोना काल में भी योगी सरकार की योजनाओं से आधी आबादी को मिला प्रोत्साोहन

कोरोना काल खंड के बावजूद भी कन्या सुमंगला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना,181 महिला हेल्प डेस्क, वन स्टॉप सेंटर,महिला शक्ति केंद्र और रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष जैसी सीएम की लाभकारी योजनाओं से कई नए लाभार्थी जुड़े हैं. महिलाओं के चौमुखी विकास के लिए उनकी सुरक्षा, शिक्षा, स्वा.वलंबन, सम्माेन, सेहत को केन्द्रित करते हुए योगी सरकार की योजनाओं से प्रदेश की आधी आबादी को प्रोत्सा‍हन मिल रहा है. कोरोना काल में ‘पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना’ के तहत 1.85 लाख नए लाभार्थी जुड़े हैं. पति की मृत्योिपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत 27.95 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है. प्रदेश में कन्या सुमंगला योजना एक अप्रैल 2019 से लागू हुई. तब से आज तक प्रदेश में इस योजना के तहत 7.58 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है. बता दें कि मार्च 2021 तक यह आंकड़ा 7.14 लाख था पर महज तीन महीनों में इस योजना से लगभग 44 हजार नए लाभार्थियों को जोड़ उन तक योजना का लाभ पहुंचाया जा रहा है.

12.76 लाख महिलाओं और बेटियों को योजनाओं का लाभ

प्रदेश के 64 जनपदों में महिला शक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. साल 2020-2021 में कुल 37,406 गतिविधियों के जरिए 18.46 लाख महिलाओं और बेटियों को जागरूक किया गया. इसके साथ ही कोरोना काल के बावजूद महिला शक्ति केंद्रों के जरिए प्रदेश की 12.76 लाख महिलाओं और बेटियों को सीएम की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया है.

योजनाओं के जरिए महिलाओं को दिखाई स्वावलंबन की राह

महिला स्वयं सहायता समूह, बीसी सखी जैसी योजनाओं ने महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखाई है. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह जैसी योजना ने बालिकाओं और उनके अभिभावकों को बड़ा संबल दिया है. ऐसे में प्रदेश में मिशन शक्ति के पहले और दूसरे चरण की सफलता के बाद सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने संबधित विभाग और अधिकारियों को मिशन शक्ति अभियान को नवीन ऊर्जा के साथ नई दिशा देने के निर्देश दिए हैं.

कोरोना काल में भी योगी सरकार की योजनाओं से आधी आबादी को मिला प्रोत्‍साहन

कोरोना काल खंड के बावजूद भी कन्या सुमंगला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना,181 महिला हेल्प डेस्क, वन स्टॉप सेंटर,महिला शक्ति केंद्र और रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष जैसी सीएम की लाभकारी योजनाओं से कई नए लाभार्थी जुड़े हैं. महिलाओं के चौमुखी विकास के लिए उनकी सुरक्षा, शिक्षा, स्‍वावलंबन, सम्‍मान, सेहत को केन्द्रित करते हुए योगी सरकार की योजनाओं से प्रदेश की आधी आबादी को प्रोत्‍साहन मिल रहा है. कोरोना काल में ‘पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना’ के तहत 1.85 लाख नए लाभार्थी जुड़े हैं. पति की मृत्‍योपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत 27.95 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है. प्रदेश में कन्या सुमंगला योजना एक अप्रैल 2019 से लागू हुई. तब से आज तक प्रदेश में इस योजना के तहत 7.58 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है. बता दें कि मार्च 2021 तक यह आंकड़ा 7.14 लाख था पर महज तीन महीनों में इस योजना से लगभग 44 हजार नए लाभार्थियों को जोड़ उन तक योजना का लाभ पहुंचाया जा रहा है.

12.76 लाख महिलाओं और बेटियों को योजनाओं का लाभ

प्रदेश के 64 जनपदों में महिला शक्ति केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. साल 2020-2021 में कुल 37,406 गतिविधियों के जरिए 18.46 लाख महिलाओं और बेटियों को जागरूक किया गया. इसके साथ ही कोरोना काल के बावजूद महिला शक्ति केंद्रों के जरिए प्रदेश की 12.76 लाख महिलाओं और बेटियों को सीएम की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया है.

सई को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश करेगा विराट, खुलेगी पाखी की पोल!

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां आपने देखा कि एक्सीडेंट के बाद सई को होश आ जाता है. लेकिन वह पाखी की लगाई हुई आग के कारण और विराट के लगाए उस पर इल्जाम को याद करते हुए उससे ना मिलने की बात कहती है, जिसे सुनने के बाद विराट टूट जाता है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में विराट का एक कदम पाखी की दुनिया हिलाने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे.

टूट गई है सई

अब तक आपने देखा कि होश में आने के बाद सई, विराट से ना मिलने की बात कहती है. वहीं पुलकित भी सई को चौह्वाण हाउस ना भेजने की बात कहेगा. क्योंकि वह सई को टूटता हुआ नही देख सकता है. दूसरी तरफ पाखी, विराट का दिल जीतने के लिए उसे दिलासा देते हुए नजर आएगी. हालांकि विराट को गुस्सा आएगा और वह पाखी पर खूब चिल्लाते हुए कहेगा कि एक औरत होकर वो सई के खिलाफ उसे भड़का रही है और उसे शर्म आनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Anupamaa में खराब हुई वनराज की हालत! बेटे समर से कही भीख मांगने की बात

विराट को पता चलेगा सच

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई के लिए परेशान विराट को उसके पिता समझाएंगे कि सई की कोई गलती नही है और ना ही उसके दोस्त अजिंक्य की. दरअसल, निनाद, विराट को बताएगा कि पत्रलेखा यानी पाखी ने अजिंक्य को जबरदस्ती सई के कमरे में भेजा था. हालांकि उसने मना भी किया था. वहीं निनाद की बात सुनकर विराट समझ जाएगा कि ये सब पाखी की साजिश थी.

इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में पाखी की पोल खुलती नजर आएगी. हालांकि देखना होगा कि विराट पाखी को क्या सजा देता है और क्या सई, विराट को कभी माफ कर पाएगी.

ये भी पढ़ें- विराट से झगड़े के बाद हुआ सई का एक्सीडेंट, देखें वीडियो

Anupamaa में खराब हुई वनराज की हालत! बेटे समर से कही भीख मांगने की बात

टीवी के नंबर वन शो अनुपमा में इन दिनों गंभीर माहौल देखने को मिल रहा है. हालांकि शो के सेट पर रूपाली गांगुली से लेकर सुधांशू पांडे तक मस्ती करते नजर आते हैं, जिसे वह अपने फैंस के लिए सोशलमीडिया पर शेयर करते रहते हैं. इसी बीच वनराज यानी सुधांशू पांडे ने समर यानी पारस कलनावत संग एक वीडियो शेयर की है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

वनराज की हालत हुई खराब

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sudhanshu Pandey (@sudanshu_pandey)

इन दिनों सीरियल अनुपमा में वनराज के कैफे के कारण उसकी हालत खराब नजर आ रही है, जिसके कारण उसका गुस्सा भी देखने को मिल रहा है. वहीं वायरल वीडियो की मानें तो अब वनराज, समर को भीख मांगने की बात करता नजर आ रहा है. दरअसल, समर के रोल में नजर आने वाले एक्टर पारस कलनावत ने इंस्ट्रागाम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उनके साथ पिता वनराज यानी एक्टर सुधांशु पांडे नजर आ रहे हैं. वीडियो में समर जहां गिटार लेकर गाना गाता नजर आ रहा है तो वहीं वनराज उसका गाना सुनकर भीख मांगने की बात कहता दिख रहा है. दोनों की इस वीडियो पर फैंस मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं.

ये भी पढें- वनराज का कैफे बंद करने के लिए राखी ने चली नई चाल, क्या करेगी अनुपमा

शो में हो सकती है री एंट्री

अनुपमा में हाल ही में एक एक्ट्रेस की एंट्री हुई है, जिसके कारण शो में बवाल देखने को मिल रहा है. वहीं खबरे हैं कि डौक्टर अद्वैत के रोल में नजर आ चुके अपूर्वा अग्निहोत्री एक बार फिर शो में नजर आने वाले हैं. वहीं कहा जा रहा है कि शो में वह अनुपमा संग नजदीकियां बढ़ाते नजर आएंगे. हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नही हुई है. लेकिन समर यानी पारस कलनावत की एक वीडियो को देखकर फैंस इस बात का अंदाजा लगाते नजर आ रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupamaa’s Fanpage (@anupamaafp_)

सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो वनराज के कैफे में आई फूड क्रिटिक उसे 2 स्टार देने वाली है, जिसके चलते वह काव्या पर भड़कता नजर आएगा और बा के साथ-साथ अनुपमा का साथ देगा.

ये भी पढ़ें- अनुपमा से लेकर पाखी तक, टीवी सेलेब्स पर चढ़ा इस बच्चे का बुखार

Friendship Day Special: मेकिंग फ्रेंड्स इज एन आर्ट

वाकई दोस्ती करना एक कला है और यह भी तय है कि यह कला सब को नहीं आती. लेकिन इसकी जरूरत सभी को पड़ती है. दोस्ती करने का गुण जिसमें होता है उसे जिंदगी में बहुत सारी परेशानियों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है. हालांकि कई बार इसके चलते कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है; लेकिन कुल मिलाकर दोस्ती करने का गुण जिंदगी के लिए एक फायदेमंद सौदा ही है.  अतः अगर आपको यह कला नहीं आती तो आइये हम बताते हैं ये कला कैसे सीख सकते हैं?
जब भी किसी नये व्यक्ति से मिलें और उससे दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहें तो कुछ सामान्य शिष्टता का पालन जरूर करें. मसलन किसी अपिरिचित को भूलकर भी ‘तुम’ या ‘तू’ जैसे शब्दों से संबोधित न करें. भले वह कितना ही अनौपचारिक लग रहा हो. क्योंकि जब तक हम किसी के बहुत करीब नहीं होते, तब तक हमारा दिल और दिमाग दोनो ही किसी से इस कदर बिंदास जुबान की उम्मीद नहीं करते. ऐसे में जब हम किसी को उसकी बिना उम्मीद के इतने अधिकार से संबोधित करते हैं तो यह बात उसे बुरी लगती है. इस तरह पहली मुलाकात में ही आपके प्रति किसी का इम्प्रेशन बहुत खराब हो जाता है. क्योंकि हम इस बात को मानें या न मानंे फस्र्ट इम्प्रेशन आपके बारे में किसी को भी राय बनाने की छूट देता है.
हमारी किसी से तब भी दोस्ती नहीं हो पाती, जब हम किसी से पहली बार मिल रहे हों और इस पहली बार में ही उस पर अपनी रहीसियत का रौब डाल दें. वैसे तो अपनी रहीसियत का रौब किसी पर कभी भी नहीं जमाना चाहिए. लेकिन अगर आप किसी पहली बार मिल रहे हों, जो आपको अब के पहले बिल्कुल न जानता हो, उस पर इस तरह की कोशिश कभी न करें वरना वह कभी आपका दोस्त तो क्या अच्छी राय रखने वाला परिचित भी नहीं बन सकेगा. किसी अपरिचित व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए जब हम बार बार उबासियां लेते हैं तो भले यह हमारी किसी समस्या की वजह से हो लेकिन यह बात सामने वाले व्यक्ति को अपने अपमान जैसा महसूस होती है. अगर वाकई आपको बहुत उबासियां आ रही हों, तो सामने वाले व्यक्ति से माफी मांगें और किसी और दिन बैठने व बातचीत की बात कहें, उस दिन और उस समय तो इस बातचीत को विराम देना ही शिष्टाचार है. क्योंकि अगर आप उबासियों के बावजूद बातचीत करते रहते हैं तो सामने वाला व्यक्ति समझ जाता है कि आप उसे टेकेन फाॅर ग्रांटेड ले रहे हैं.
किसी भी नये व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए न तो आप उसे लगातार सुनाते रहें और न ही लगातार सिर्फ उसे सुनते रहें. एक प्रभावशाली मुलाकात का तरीका यही है कि आपके सुनने और सुनाने पर बराबर की भागीदारी हो, बराबर नहीं तो 60 और 40 का अनुपात तो हो ही. अगर आप किसी नए नए परिचित हुए व्यक्ति को बोलने का मौका ही नहीं देंगे तो वह आप से किस तरह जुड़ पायेगा. लेकिन यदि आप चुप्पे बने रहे और वही एकालाप के स्वर में बोलता रहा तो यह भी बोरियत भरा बर्ताव होगा. एक बात का और ध्यान रखें नए-नए परिचित व्यक्ति की वैयक्तिक जिंदगी के बारे में जानने की उत्सुकता न दिखायें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि किसी नए परिचित हुए व्यक्ति की तारीफ में कंजूसी न करें. लेकिन इस पर भी सजग रहें कि किसी को इतना भी महिमामंडित न करें कि आपकी तारीफ चापलूसी लगने लगे.
अगर हम वाकई किसी के साथ दोस्ती के इच्छुक हैं तो हमेशा पहल की अपेक्षा ही न करें. दोस्ती करना चाहते हैं तो पहल भी करना सीखें. दोस्ती की गाइडलाइन में एक बड़ी सलाह ये भी है कि पहली बार परिचित हुए किसी व्यक्ति पर अपने ज्ञान का रौब कभी न गांठें. साथ इस पुरानी सीख पर भी हमेशा अमल करें कि किसी पुरुष की तनख्वाह और किसी औरत की उम्र नहीं पूछनी चाहिए. अगर मामला पहली मुलाकात का हो, तब तो ऐसी हरकत बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए. अगर आपमें यह आदत होगी तो आपकी कभी किसी से दोस्ती की गुंजाइश नहीं बनेगी. अगर किसी पार्टी में किसी से पहली बार मिल रहे हों, तो मेजबान के द्वारा परिचय कराये जाने पर हमेशा संतुलित और व्यवहारिक बात करें. बातचीत का संदर्भ वही रखंे जिसमें इस नए व्यक्ति की भी रूचि हो. उसके कपड़ों की क्वालिटी और उनकी कीमत के बारे में कतई न पूछें. इसी क्रम में इस बात को भी जान लें कि अगर आपकी किसी औरत से पहली मुलाकात हो रही है तो कृपा करके कभी भी पहली मुलाकात में किसी महिला से उसका मोबाइल नंबर न मांगें और अगर यह मुलाकात किसी पुरुष से है तो पहली ही मुलाकात में उसके साथ किसी बिजनेस का प्लान न बनाएं वरना वह घर जाकर आपको शेखचिल्ली की पदवी से नवाजेगा, दोस्ती तो भला आपसे क्या करेगा.

सभी युद्धों से खतरनाक ‘कोविड का युद्ध’

युद्ध मानव इतिहास का निरंतर हिस्सा रहे हैं. हर युग में आम जनता को बेबात में युद्धों में घसीटा जाता रहा है और युद्ध का मतलब है कि हर रोज की जिंदगी का टूट जाना. युद्ध के दौरान शहर नष्ट हो जाते. युवा लड़ाई पर चले जाते, खाने के लाले पड़ जाते, घर में किसे मारा डाला जाए पता नहीं रहता. फिर भी एक चीज जो प्रकृति की देन व आवश्यकता दोनों है, चलती रही. वह प्रेम है. युवा प्रेम हर तरह की कंडीली झाडिय़ों में भी पनपा, फूलों के बागों में पनपा, गोलियों में भी पनपा, आज प्रेम कोविड के खूनी पंजों में भी पनप रहा है.

आज कोविड का युद्ध पहले के सभी युद्धों से खतरनाक है क्योंकि यह हर व्यक्ति को अपनी खुद की वजह जेल में बंद कर रहा है. हजार बंदिशें लोगों पर लगी है जो विदेशियों के आक्रमणों में नहीं लगी, दंगों में नहीं लगीं. अकाल और बाढ़ में नहीं लगी, युद्ध क्षेत्रों में नहीं लगी. एकदूसरे से गले लगना और बात करने तक पर पाबंदी कोविड ने हर जने को जो एक छत के नीचे पहले से नहीं रहता. छूने, सहयोग, पास बैठ कर बात करने पर पाबंदी लगा दी. ऐसे में नया प्रेम कैसे हो, कैसे प्रकृति को छूने की चाहत, एकदूसरे में समा जाने की जरूरत पूरी हो.

कोविड ने जो कैद की है, वह लोकडाउनों के हटने के बाद भी न के बराबर हट रही है. मास्क में चेहरों से प्रेम निवेदशन कैसे हो सकते हैं? 2 गज की दूरी रखने से एकदूसरे का स्पर्श कैसे मिल सकता है?

ये भी पढ़ें- आज के युग में समलैंगिक प्रेम

अब जिन्हें वैक्सीन लगी है, वे ढूंढ रहे हैं कि जिन्हें वैक्सीन लग चुकी हैं. उन में से कौन उन के लायक हैं पर यह वैक्सीन ऐसी नहीं जिस का ठप्पा पार्कों पर लगा हो. इस वैक्सीन के बाद भी मास्क जरूरी है. अब वह प्राकृतिक जरूरत एक जीवन साभी को कैसे पूरी हो. कोविड की दूसरी लहर जिस में एक छत के नीचे रह रहे पूरे परिवार बिमार पड़ गए सब को बुरी तरह डस दिया है.

गनीमत है कि मौडर्न टैक्नोलौजी ने इंस्ट्राग्राम, फेसबुक, व्हाट्सऐप के दरवाजे खुले रखे पर ये तो कैद खानों की छोटी खिड़कियां थीं जहां से सिर्फ आंख दिखा सकते हैं. एक इंच बाई एक इंच के चेहरे को देख कर किसी के व्यक्तित्व की पहचान तो नहीं हो सकता.

हां इस दौरान भारत में शादियां हुईं पर उन में चेहरा फेसबुक पर देखा गया, कुछ मिनट के लिए मास्क हटा और हो या न कर दी गई, 18वीं सदी की शादी की तरह. बाकी बातें सोशल मीडिया पर हुईं पर आधी अधूरी. जब तक कोई चाय के प्याले में अपनी उंगली डुबा कर न पिलाए, प्रेम थोड़े पनपना है. अब जो शादियां पक्की हो रही थीं, वे शारीरिक मिलन का समझौता हैं प्रेम का अंतिम लक्ष्य पूरा होना नहीं.

ये भी पढ़ें- उपवास के जाल में उलझी नारी

वायरल हेपेटाइटिस है एक साइलेंट बीमारी

लिवर यानि यकृत हमारे शरीर का प्रमुख अंग है, जो पोषक तत्वों को पूरे शरीर में प्रोसेस करने के साथ-साथ खून को फ़िल्टर करता है. इन्फेक्शन्स के खिलाफ लड़ता है. वायरल हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई वायरस जब लिवर को संक्रमित करते है, तो लिवर में सूजन आ जाती है. इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की एचपीबी(Hepato-Pancreatico-Biliary) एंड लिवर ट्रांसप्लांट की डॉ. कांचन मोटवानी कहती है कि वायरल हेपेटाइटिस के वायरस लिवर को नुकसान पहुंचाकर उसके कार्य को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में टॉक्सिन्स का निर्माण होने की संभावना बढती है. इससे लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर भी हो सकता है.

यकृत के रिस्क फैक्टर

हेपेटाइटिस ए और ई वायरस के संक्रमण से क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस हो सकता है. कई मरीज़ों में, यह कुछ हफ्तों या महीनों में अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में मरीज़ के लिवर का काम बहुत ही तेज़ी से बंद पड़ने लगता है, अगर लिवर ट्रांसप्लांट तुरंत न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

हेपेटाइटिस बी और सी से लिवर का तीव्र नुकसान होने की केस शायद ही कभी होती होगी, लेकिन ये वायरस व्यक्ति के शरीर में बने रहते है और लंबे समय के बाद लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बन जाते है.

ये भी पढ़ें- 8 टिप्स: दांत दर्द से पाएं तुरंत आराम

लक्षण

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के ज़रिए मल या मौखिक मार्ग से फैलते है. अधिकतर ये बीमारियां गन्दगी वाले इलाकों में पायी जाती है. संक्रमित व्यक्ति में कई बार किसी प्रकार की लक्षण नहीं दिखाई पड़ती या किसी में पीलिया, पेट में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, भूख न लगना, बुखार, सामान्य कमजोरी आदि जैसे लक्षण दिखाई दे सकते है. ज़्यादातर मामलों में, ये लक्षण सपोर्टिव उपचार के साथ ठीक हो जाते है. अधिकांश मरीज़ों में, वायरस शरीर से निकल जाता है और मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. बहुत कम प्रतिशत मामलों में, यह बीमारी अचानक से, तीव्र लिवर फेलियर का कारण बनती है, ऐसे मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है. बहुत कम केसेज में, किसी मरीज को आपातकालीन लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत हो सकती है.

हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित रक्त और रक्त के प्रोडक्ट्स से फैलते है. यह संक्रमित गर्भवती महिला से बच्चे के जन्म के दौरान नवजात बच्चे में भी फैल सकता है. शुरू में रोगियों में कोई लक्षण नहीं होता या बहुत अस्पष्ट लक्षण होता है, लेकिन इसके वायरस खून में बना रहता है और धीरे-धीरे लीवर को नुकसान पहुंचाता है. क्रोनिक हेपेटाइटिस से सिरोसिस, लीवर फेलियर और लीवर कैंसर जैसी जटिलताएं हो सकती है.

रोकथाम

वायरल हेपेटाइटिस से खुद को बचाने के सबसे असरदार तरीकें निम्न है,

• सूचना और जागरूकता फैलाना,
• पीने का शुद्ध पानी होना, शौचालय, घर और आसपड़ोस के इलाके को स्वच्छ रखना,
• सभी का टीकाकरण होना,
• रक्त और रक्त उत्पादों की सुरक्षा
• असुरक्षित यौन संबंध न करना आदि है.

इलाज

• एक्यूट हेपेटाइटिस में आराम करें, बहुत सारे तरल पदार्थ पिएं और हेल्दी भोजन लें. सपोर्टिव दवाएं इन लक्षणों से आराम दिलाने में मदद कर सकती है.

• डॉक्टर की सलाह या पर्चे के बिना दवाइयां न लें, अल्टरनेटिव दवाइयों के सेवन से बचें, ये लीवर को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है.

• क्रोनिक हेपेटाइटिस (हेपेटाइटिस बी और सी) में, अधिक कॉम्प्लीकेशन को रोकने के लिए जल्दी जांच और उपचार लेना जरुरी है. वायरल हेपेटाइटिस का निदान अगर रोगाणु द्वारा लिवर को प्रभावित करने से पहले किया जाता है, तो उसे ठीक करने के लिए प्रभावी दवाइयां उपलब्ध है. कुछ मामलों में, यदि क्रोनिक बीमारी से लिवर पहले ही डैमेज हो चुका है, तो लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ सकती है.

ये भी पढ़ें- बीमारी के कारण भी हो सकती है डबल चिन की प्रौब्लम, पढ़ें खबर

इन 5 टिप्स से बनाएं पलकों को घना

कई लड़कियां आंखों की सुंदरता को उभारने के लिए नकली या आर्टिफिशियल पलकों का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन जब आप अपनी पलकों को प्राकृतिक रूप से घना बना सकती हैं, तो इतनी तकलीफ उठाने की जरूरत क्या है. लड़कियों की खूबसूरती उन की आंखों से होती है और यदि उन की पलकें घनी हैं तब तो कहने ही क्या.

कई युवतियों की पलकें घनी नहीं होतीं, इसलिए वे अपनी आंखों की सुंदरता को उभारने के लिए नकली या आर्टिफिशियल पलकों का सहारा लेती हैं, जिन्हें ज्यादा समय तक अपनाने से नुकसान भी हो सकता है. आइए, जानते हैं कि किस तरह आप अपनी पलकों को कुदरती तौर पर घना और मोटा बना सकती हैं:

1. कैस्टर तेल

रात को सोते समय हर रोज अपनी पलकों पर इस तेल को लगाएं. चाहें तो तेल को हलका सा गरम भी कर सकती हैं. इस को 2 महीने तक लगाएं और फिर देखिए कि आप की पलकें किस तरह से घनी हो जाती हैं.

ये भी पढ़ें- Makeup Tips: ऐसे लगाएं पाउडर फाउंडेशन

2. विटामिन ई तेल

एक छोटा सा आइलैश ब्रश लें और उसे इस तेल में डुबो कर रोजाना अपनी पलकों पर लगाएं. चाहें तो विटामिन ई की कुछ टैबलेट को क्रश कर इस तेल के साथ मिला कर लगा सकती हैं. अगर आप की पलकों पर खुजली होती है तो वह भी इस तेल को लगाने से खत्म हो जाएगी.

3. वैसलीन

यदि आप किसी प्रकार का तेल नहीं लगाना चाहतीं, तो वैसलीन इस का बेहतर विकल्प है. रोजाना रात को सोने से पहले अपनी पलकों पर वैसलीन लगाएं. उस के बाद सुबह उठते ही पलकों पर हलके गरम पानी से छींटे मार कर साफ करें, वरना पूरे दिन वे चिपचिपाती रहेंगी.

4. प्रोटीन डाइट

अगर आप का शरीर स्वस्थ रहेगा, तो जाहिर सी बात है कि आप की आंखें और पलकें भी ठीक रहेंगी. रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन का इस्तेमाल करें क्योंकि त्वचा, बाल, नाखून और पलकों को इस की बहुत जरूरत होती है. अपने आहार में दाल, मछली, मीट, चने और मेवे आदि को शामिल कीजिए.

ये भी पढ़ें- इन 8 टिप्स से पाएं नेचुरल ग्लॉसी मेकअप लुक

5. ब्रश

जिस तरह से हम अपने बालों को झाड़ते हैं, ठीक उसी तरह से हमें अपनी पलकों को भी ब्रश से झाड़ना चाहिए. चाहें तो मसकारे का ब्रश भी प्रयोग कर सकती हैं. पलकों को रोजाना 2 बार ब्रश से जरूर झाड़ें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें