ताकि गैजेट्स का आंखों पर न हो असर

टैक्नोलौजी डिजिटलाइजेशन के इस युग में खुद को उन का मुरीद होने से रोक पाना मुश्किल है. कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट्स, लैपटौप्स और टैलीविजन जैसे डिजिटल डिवाइस अब सिर्फ लोगों की जरूरत नहीं रह गए हैं, बल्कि अब लोग इन के ऐडिक्ट हो चुके हैं. हमारे इस ऐडिक्शन की कीमत हमारी आंखों को चुकानी पड़ती है. इन गैजेट्स व डिवाइस के चलते हमारी आंखें न सिर्फ थक जाती हैं, बल्कि उन में जलन व लाल होने की शिकायत भी होने लगती है. ऐसी तकलीफों से बचने के लिए पेश हैं, कुछ टिप्स:

रूटीन चैकअप: अगर आप कंप्यूटर में लगातार काम करती हैं, तो साल में 1 बार नेत्रविज्ञानी के पास जरूर जाएं. अगर आप की आंखें लाल रहती हैं और उन में खुजली होती है तो समझ लीजिए कि आप की आंखों को जांच की जरूरत है.

रिड्यूस ग्लेयर: सिस्टम के मौनिटर पर ऐंटीग्लेयर स्क्रीन जरूर लगवाएं. संभव हो तो अपने आसपास की दीवारों पर गहरे रंग का पेंट करवाएं. इस से रिफ्लैक्शन की प्रक्रिया रुक जाती है, जो आप की आंखों को आराम पहुंचाती है.

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बे्रक लें: लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहना आंखों को नुकसान पहुंचाता है. कंप्यूटर की स्क्रीन पर एकटक देर तक देखना सही नहीं है. हर 1 घंटे में कुछ मिनट का बे्रक जरूर लें.

स्पैक्ट्स में प्रोटैक्टिव लैंस का प्रयोग: सही लैंस के इस्तेमाल से आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है. कौंटैक्ट लैंस आंखों की नमी को बचाने का काम करते हैं. कंप्यूटर पर लगातार काम करते रहने से आंखों की नमी को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में सही लैंस का चुनाव करना बेहद जरूरी है. इसिलोर के क्रिजाल प्रिवेंसिया आंखों के लिए बहुत लाभकारी हैं. ये लैंस कंप्यूटर और स्मार्टफोन की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आंखों को बचाते हैं.

ऐक्सरसाइज आंखों की: अपनी हथेलियों को तब तक रगड़ें जब तक वे गरम न हो जाएं. इस के बाद उन्हें आंखों पर रखें. इस से आंखों को आराम मिलता है. लगातार कंप्यूटर पर काम करने व इस के प्रभाव से आंखों को बचाने के लिए आप 20-20-20 रूल फौलो कर सकती हैं. अपनी कंप्यूटर स्क्रीन से हर 20 मिनट में 20 सैकंड के लिए नजरें हटाएं तथा कंप्यूटर के बीच की दूरी कम से कम 20 इंच बनाए रखें.

सही रोशनी: बहुत ज्यादा रोशनी होने से आंखों पर तनाव पड़ता है. ऐसे में बहुत ज्यादा रोशनी वाले स्थान पर कंप्यूटर में काम न करें. फ्लोर लैंप की रोशनी कंप्यूटर पर काम करने के लिए सही रहती है.

पानी का चमत्कार: पानी वाकई चमत्कारी होता है. आंखों को दिन में कई बार पानी से धो कर आप न सिर्फ उन्हें साफ बल्कि तरोताजा भी रख सकती हैं. थोड़ेथोड़े अंतराल में पानी पीते रहने से भी आंखों को फायदा होता है. लगातार कंप्यूटर पर काम करते रहने से आंखों से किनारे पर सूजन आ जाती है. पानी पीते रहने से आप इस परेशानी से दूर रह सकती हैं.

सही पोश्चर: कंप्यूटर पर काम करने के दौरान आप के बैठने के पोश्चर से आंखों से विजन पर बहुत फर्क पड़ता है. आप के काम करने की जगह का स्ट्रक्चर व कुरसी भी आंखों पर असर डालती है. काम करने के दौरान कंप्यूटर से आप की आंखों की दूरी करीब 20 से 24 इंच होनी चाहिए और कंप्यूटर की स्क्रीन आंखों से 10 से 15 इंच नीचे होनी चाहिए. आप डैस्क लैंप भी प्रयोग कर सकती हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि लैंप की रोशनी बहुत ज्यादा  हो.

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हैल्दी डाइट: बैलेंस डाइट के जरीए आप विटामिन ए, सी और ई की कमी को दूर कर सकती हैं. ये सभी विटामिन आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं. फल, सब्जियां खाएं. इन में टमाटर, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियां लें. डाक्टर आंखों के स्वास्थ्य के लिए मछली खाने की सलाह भी देते हैं. इस से ओमेगा-3 मिलता है, जो आंखों के लिए अच्छा होता है.

– शिव कुमार
सीईओ, इसिलोर इंडिया

आखिर किस बात से ‘छोटी सरदारनी’ फेम डेलनाज ईरानी को होता है दुःख ?

पिछले 22 वर्षों से फिल्मों और टीवी सीरियलों में अभिनय कर सीरियल‘छोटी सरदारनी’ फेम अदाकारा डेलनाज इर्ररानी ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है. हाल ही डेलनाज ईरानी ने ‘यूट्यूब’पर अपने चैनल की भी शुरूआत की है. लेकिन मुझे इस बात का गम है कि लोग अक्सर बौलीवुड मनोरंजन उद्योग को बड़ी बुरी दुनिया की संज्ञा देते हैं. कुछ लोग बौलीवुड को अवसाद और चिंता से मुद्दों के केंद्र के रूप में भी देखते हैं. जिससे डेलनाज ईरानी कदापि सहमत नही है. वह कहती हैं-‘‘मेरी राय में अवसाद व चिंता के मुद्दे आपको हर क्षेत्र व हर जगह मिल जाएंगे. कहीं और जाने की भी जरुरत नही है. यह सब तो मुझे लगता है कि सड़क पर चलने वाले एक सामान्य व्यक्ति में शायद बैंक में काम कर रहा है, एक शिक्षक या किसी को भी अवसाद या चिंता हो सकती है. अफसोस की बात यह है कि हमें यानी कि बौलीवुड को हर कोई साफ्ट टार्गेट बनाता रहता है. हमें हर चीज के लिए लक्षित किया जाता है. इतना ही नहीं सच जाने बगैर लोगो ने अपने दिमाग में यह बैठा लिया है कि मनोरंजन उद्योग एक बड़ी बुरी दुनिया है,  यहाँ सब कुछ होता है, जो बहुत दुखद है. ’’

वेब सीरीज ‘‘परी‘‘ में नजर आने वाली डेलनाज का मानना है कि हर पेशे के फायदे और नुकसान होते हैं. और मनोरंजन उद्योग के संदर्भ में एकमात्र बुरी बात यह है कि यहां अनिश्चितता और असुरक्षा है. यही तनाव का एक बिंदु है. क्योंकि इस उद्योग में कोई भी 9 से 5 की नौकरी में नहीं हैं. आप नहीं जानते कि आपको अगली फिल्म, वेब सीरीज या टीवी सीरियल में कब काम करने का मौका मिलने वाला है. इसी के चलते लोग यहां तनाव में रहते हैं. मगर हम यह कैसे भूल जाते हंै कि हर कोई तनाव से गुजरता है. गृहिणी भी तनाव से गुजर सकती है. आप घर बैठे तनाव से ग्रस्त हो सकते हैं. तनाव से संबंधित चीजें पूरी तरह से पेशेवर नहीं हैं,  फिर भी हमें हमेशा खराब रोशनी में लक्षित किया जाता है. लेकिन केवल एक चीज तनाव का प्रकार है, वह हमारे पास अन्य सामान्य लोगों से बहुत अलग है. ‘‘

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डेलनाज इ्ररानी आगे कहती हैं-‘‘एक तथ्य यह भी है कि मनोरंजन उद्योग में लोग अपनी शारीरिक बनावट आदि पर अधिक ध्यान देते हैं और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं. यहां लोग सोचते हैं कि जब आप शारीरिक रूप से फिट होते हैं, तो आप एकदम ठीक रहते हैं. लेकिन अगर आप मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, तो बौलीवुड में लोग इसे अनदेखा करना पसंद करते हैं या शायद यह एक कलंक है. यहां लोग जिम जाते हैं,  अपने शरीर की देखभाल करते हैं,  अच्छा दिखना चाहते हैं,  स्वस्थ रहना चाहते हैं. लेकिन क्या आप वास्तव में जानते हैं कि आप भीतर से स्वस्थ हैं या नहीं? और अगर आप मानसिक रूप से खुश,  समझदार और फिट हैं,  तभी आपके शरीर की सभी शारीरिक गतिविधियां सुचारू रूप से प्रतिक्रिया करेंगी अन्यथा नही. विश्लेषण करने और पता लगाने की आवश्यकता है कि क्या कोई चीज खुद को परेशान कर रही है और तदनुसार लें आवश्यक मदद. ’’

डेलनाज ईरानी यहीं पर नहीं रूकती. वह कहती हैं-‘‘अच्छे मानसिक संतुलन की कुंजी खुश रहना, सकारात्मक रहना और परिवार और दोस्तों की एक मजबूत सहायता प्रणाली भी मदद करती है. व्यक्तिगत रूप से, अपने मूड को बेहतर बनाए रखने के लिए मैं अक्सर कुछ खाती हूं या पसंदीदा किताब पढ़ती हॅू.  या आध्यात्मिक गीत सुनती है. कम दिनों के बारे में सोचने से बचती हॅूं. ’’

वह आगे कहती हैं-‘‘जिस दिन मुझे लगता है कि दिन अच्छा नही है, कुछ कमी है, तो फिर मैं उसे सुधारने की दिशा में सोचने की बजाय उसे नजरंदाज करने की कोशिश  करती हूं. मैं इसे खुशी का दिन बनाने की कोशिश नहीं करती. कई बार ऐसे दिन मैं ‘सैड’गाने सुनती हॅूं. यह वह दिन होते हैं जब मैं ढेर सारे आध्यात्मिक गीत बजाती हूं और मुझे अपनी ऊर्जा वापस मिलती है. इसके अलावा मैं एक किताब भी पढ़ती हूं. इसके अलावा ध्यान करती हूं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य से निपटने में मदद मिलती है. ’’

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खुद को एक सकारात्मक इंसान मानने वाली डेलनाज ईरानी कहती हैं-‘‘मैं हर चीज को सकारात्मक तरीके से देखती हूं और इसी तरह अब तक मैंने अपना जीवन जिया है. मैंने हमेशा महसूस किया है कि ‘जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है‘ . मैंने हमेशा अपने जीवन को इस बात को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाया है कि मुझे खुश रहना है और मुझे सुरक्षित रहना है,  मुझे अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य रखना है और मैं एक समस्या को दूर करने के लिए कुछ भी करेंगे और इसी तरह मैंने अपना जीवन व्यतीत किया है. ’’

इस सीरियल पर पड़ी कोरोना की मार, मेकर्स ने रातों रात किया शो बंद करने का फैसला

कोरोनावायरस के साथ नई बीमारियों के चलते आम से लेकर खास जिंदगी पर असर पड़ रहा है. दिन प्रतिदिन लौकड़ाउन बढ़ता जा रहा है तो वहीं सीरियल्स की दुनिया में भी इसका असर देखने को मिला है. जहां बीते साल कोरोना की मार के चलते बंद हुए थे तो वहीं इस साल भी सीरियल बंद करने की नौबत आ गई है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

कोरोना की पड़ी मार

दरअसल, कोरोना के कहर के कारण सीरियल की शूटिंग करना टीवी सितारों के लिए भारी पड़ रहा है. जहां मेकर्स कई बार लोकेशन बदल चुके हैं तो वहीं अब टीवी शोज की शूटिंग पर ताला लगने का फैसला भी किया गया है.  मानव गोहिल औऱ रति पांडे स्टारर स्टार प्लस के सीरियल शादी मुबारक को बंद करने का फैसला लिया है. हालांकि फैंस सीरियल को ना बंद करने को लेकर ट्विटर पर #bringbackshaadimubarak ट्रैंड कर रहे हैं.

 

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पिछले साल शुरु हुआ था सीरियल

 

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बीते साल रिलीज होने वाले सीरियल ‘शादी मुबारक’ की कहानी दर्शकों के बीच काफी पौपुलर हुई थी. कोरोना के कारण सीरियल की शूटिंग रोक दी गई थी. इस दौरान सीरियल के लीड एक्टर मानव गोहिल भी कोरोना के शिकार हो गए थे. हालांकि ठीक होने के बाद मानव गोहिल समेत सभी सितारों ने सीरियल की शूटिंग शुरु कर दी थी. लेकिन कोरोना के हालात को देखते हुए सीरियल ‘शादी मुबारक’ के मेकर्स ने इस शो को बंद करने का फैसला किया है.

 

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बता दें, बीते साल भी टीआरपी को देखते हुए कई सीरियल्स को बंद करने का फैसला लिया था, जिनमें कई पौपुलर सीरियल्स के नाम भी शामिल थे. वहीं इस साल भी कई सीरियल्स का बंद करने का फैसला लिया गया है. वहीं खबरे हैं कि मन की आवाज प्रतिज्ञा 2 भी इस लिस्ट में शामिल है.

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कोरोना काल में अनाथ बच्चों के नाथ बने योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महामारी के समय एक ओर प्रदेशवासियों को कोरोना के प्रकोप से बचा रहे हैं तो दूसरी कठिन समय में अपनों के दूर चले जाने से मायूस बच्चों के लिए भी संवेदनशील हैं. कोरोना संक्रमण की चपेट में आए माता – पिता के बच्चे जो
18 साल से कम आयु वर्ग के हैं उनकी सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है. कई बार सीएम योगी आदित्यनाथ का वात्सल्य रूप सभी को देखने को मिला है. ऐसे में योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में एक नई कार्ययोजना पर काम कर रही है. जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के ऐसे बच्चों को राहत मिलेगी जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया है.

प्रदेश में 555 ऐसे बच्चों को किया गया चिन्हित

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया की प्रदेश में अब तक ऐसे करीबन 555 बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग ने प्रदेश के सभी जनपदों के डीएम को ऐसे सभी बच्चों की सूची तैयार कर भेजने के आदेश दिए हैं. जिससे ऐसे सभी बच्चों के संबंध में सूचनायें संबंधित विभागों, जिला प्रशासन को पूर्व से प्राप्त सूचनाओं, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, गैर सरकारी संगठनों, ब्लाॅक तथा ग्राम बाल संरक्षण समितियों, कोविड रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर गठित निगरानी समितियों और अन्य बाल संरक्षण हितधारकों के सहयोग व समन्वय किया जा रहा है.

सीएम जल्द देंगे इन बच्चों को बड़ा तोहफा

कोरोना काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों के भरण पोषण, आर्थिक ,शिक्षा, काउंसलिंग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता राज्य सरकार करेगी. ऐसे में एक बड़ी कार्य योजना के तहत सीएम ने महिला एवम बाल विकास को निर्देश जारी किए हैं. महिला कल्याण विभाग की ओर से जिसका प्रस्ताव तैयार कर सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है.

वनराज के खिलाफ होगी अनुपमा तो बा को अपनी तरफ करेगी काव्या

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा (Anupamaa) की कहानी ने नया मोड़ ले लिया है. जहां तलाक के बाद नंदिनी और समर की सगाई रुक गई है तो वहीं वनराज और बा का अनुपमा पर गुस्सा देखने को मिल रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में सीरियल की कहानी में और भी कई नए ट्विस्ट आने को तैयार है. आइए आपको बताते हैं सीरियल के आगे की कहानी….

बा और वनराज के खिलाफ जाती है अनुपमा

 

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सीरियल में अब तक आपने देखा कि अनुपमा से तलाक के बाद वनराज अपने पुराने मतलबी स्वभाव में वापस लौट आया है. वहीं बा भी अब अनुपमा के खिलाफ हो गई हैं. दरअसल. समर की सगाई में अनुपमा और पूरे परिवार को नंदिनी के मां ना बन पाने का सच पता चल जाता है, जिसके बाद जहां अनुपमा अपने बेटे समर और होने वाली बहू नंदिनी का साथ देती नजर आती है तो वहीं बा और वनराज सगाई तोड़ने का फैसला करते हैं.

 

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वनराज को चुनौती देगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपने डांस की प्रैक्टिस करती नजर आएगी तो वहीं वनराज आकर स्पीकर को फेंकता नजर आएगा. साथ ही अनुपमा से कहेगा कि उनकी वजह से उसका इंटरव्यू खराब हो गया. और वह अनुपमा का ये डांस करने का सपना तोड़ देगा. हालांकि जवाब में अनुपमा कहेगी कि वह पहले भी अपने लिए खड़ी हुई है और आगे भी खड़ी रहेगी. दूसरी तरफ अद्वैत से रिश्ते को लेकर वनराज अनुपमा पर इल्जाम लगाएगा, जिस पर अनुपमा कहेगी कि लड़का और लड़की दोस्त हो सकते हैं. वहीं काव्या और वनराज के रिश्ते पर तंज कसते हुए अनुपमा कहेगी कि हर कोई दोस्ती की आड़ में कोई और रिश्ता नही बनाता.

 

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बता दें, अनुपमा के खिलाफ काव्या अपनी चालें चलती हुई नजर आ रही है. जहां वह वनराज को अद्वैत और अनुपमा करीब आने को लेकर भड़का रही है तो वहीं बा को भी अनुपमा के खिलाफ करने का प्लान बना रही है, जिसके कारण सीरियल की कहानी में धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं.

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कोरोना काल में बिखरते परिवारों को जोड़ेगा राज्य महिला आयोग

कोरोना महामारी के बीच राज्य महिला आयोग यूपी के विभिन्न जनपदों से आने वाले दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुराचार के मामलों का निस्तारण करा रहा है. कोरोना काल में ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पारिवारिक कलह से टूटते परिवारों को वापास जोड़ने का काम आयोग की सदस्यों ने पूरी संजीदगी के साथ किया है. राज्य महिला आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पीड़ित महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण के लिये ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की है. तो पति-पत्नी, बेटा-बहू के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट को भी दूर करने का काम निरंतर जारी है.

कोरोना काल में 15 मार्च से 17 मई तक राज्य महिला आयोग ने यूपी के विभिन्न जनपदों से आई 6258 शिकायतों पर सुनवाई की है. इनमें से 3204 महिलाओं को न्याय दिलाया जा चुका है. जबकि 3054 शिकायतों पर कार्रवाई कर जल्द निस्तारित करने में आयोग के सदस्य जुटे हैं. इसके अलावा लखनऊ और अन्य जिलों से सदस्यों के मोबाइल पर आने वाली शिकायतों का रोज संज्ञान लिया जा रहा है. जिन जिलों से शिकायतें आयोग की सदस्यों के पास आ रही हैं वहां के संबंधित अधिकारियों से बात कर मामलों का निस्तारित कराया जा रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल बताती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर कोरोना काल में यूपी में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल रहा है. आयोग की सभी 25 सदस्य इस काम में दिन- रात जुटीं हैं. गौरतलब है कि योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें समाज में बराबरी का दर्ज दिलाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. इनसे निरंतर पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना संभव हुआ है.

यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में आ रही कमी

कोरोना महामारी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की महिलाओं को घर बैठे न्याय दिलाने की पहल राज्य महिला आयोग ने की है. पीड़ित महिलाओं को मिल रहे न्याय के कारण उनपर होने वाले अपराधों की संख्या काफी घटी है. महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य जमीनी स्तर पर ठोस कार्ययोजना बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने में जुटी हैं.

पीड़ित महिलाएं व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 पर भेज रही शिकायतें

प्रदेश के 75 जिलों में महिला आयोग की ओर से व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 जारी किया गया है. उत्पीड़न की शिकार महिलाएं इसपर अपनी शिकायतें भेज रहीं है. अध्यक्ष और सदस्य अपने निजी ई-मेल पर भी शिकायत पत्र मंगा रहे हैं. जिससे पीड़ित महिलाओं की सुनवाई और शिकायतों का जल्द से जल्द निस्तारण किया जा सके.

न्याय के साथ बीमार महिलाओं को इलाज दिलाने में भी आयोग की सदस्य आगे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता प्रदेश की महिलाओं को सशक्त बनाना और अपराधों पर अंकुश लगाना है. उन्होंने राज्य महिला आयोग को अपनी भूमिका बढ़ाते हुए महिलाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर टीम बनाकर काम करने के निर्देश दिये हैं . कोरोना काल में पीड़ित महिलाओं को न्याय ही नहीं, बीमार महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कराने के लेकर उनको इलाज दिलाने की मदद भी आयोग की महिला सदस्यों की ओर से किया जा रहा है.

समर की सगाई में अनुपमा से लेकर काव्या के लुक का छाया जादू, देखें फोटोज

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा की कहानी में मेकर्स आए दिन नए ट्विस्ट ला रहे हैं. सीरियल में इन दिनों वनराज-अनुपमा के तलाक के बाद समर-नंदिनी की सगाई का सेलिब्रेशन देखने को मिल रहा है. हालांकि इस दौरान शाह हाउस में बवाल भी देखने को मिल रहा है. लेकिन आज हम सीरियल की कहानी की नहीं बल्कि समर-नदिंनी की सगाई में शाह हाउस की गर्ल गैंग के लुक्स की बात करेंगे. अनपुमा हो या काव्या हर किसी का लुक सीरियल में देखने लायक हैं. आइए आपको दिखाते हैं समर-नंदिनी की सगाई में शाह फैमिली के लुक्स की झलक…

अनुपमा का अलग था लुक

अनुपमा के रोल में रुपाली गांगुली का नया लुक देखने को मिला है. पिंक और वाइट कलर के कौम्बिनेशन वाली कढ़ाईदार साड़ी में रुपाली गांगुली का लुक बेहद खूबसूरत लग रहा है. वहीं इस लुक के साथ कुंदन की ज्वैलरी अनुपमा यानी रुपाली के लुक पर चार चांद लगा रहा है.

 

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काव्या का अंदाज भी था खास

सीरियल अनुपमा में काव्या के रोल में मदालसा शर्मा के नए-नए लुक सामने आते हैं. वहीं समर-नंदिनी की सगाई में भी मदालसा शर्मा का खूबसूरत अंदाज देखने को मिला है. सगाई सेलिब्रेशन में मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma Photos) व्हाइट और लाइट ब्लू कलर की साड़ी पहनें नजर आईं, जिसके साथ हैवी ज्वेलरी और स्टाइलिश हेयर उनके लुक को एकदम परफेक्ट बनाते दिखे.

नंदिनी को देखता रह गया समर

अपनी सगाई में नंदिनी बेहद खूबसूरत अंदाज में नजर आईं. वाइट कलर के हैवी लहंगे के साथ पिंक कलर के ब्लाउज का पहना था. वहीं हैवी कारीगरी वाला दुपट्टा उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था. नंदिनी यानी अनघा का ये लुक समर यानी पारस कलनावत भी देखते रह गए.

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पाखी ने भी दिखाया स्टाइल

भाई की सगाई में पाखी यानी मुस्कान बामने फ्लावर प्रिंट पैटर्न वाले रफ्फल क्रौपटौप में नजर आईं, जिसके साथ प्लेन वाइट स्कर्ट के साथ रेड कलर के मैचिंग इयरिंग्स बेहद खूबसूरत लग रहे थे.

#Coronavirus: क्या प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन देना सही है?

इस वक्त देश में ऐसी तमाम खबरें आ रही हैं कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन देना ठीक होगा कि नहीं ?प्रेग्नेंट महिलाओं के वैक्सीनेशन को लेकर आखिर क्यों इतना कंफ्यूजन है ? हालांकि अभी भी इस पर रिसर्च जारी है लेकिन फिर भी कुछ विशेषज्ञ ने जो कहा उस पर भी गौर फरमाना बनता है. हालांकि एक नए रिसर्च में एक बात सामने आई है कि वैक्सीनेशन मां और बच्चे के लिए कवच साबित होगा. लेकिन ये कितना सही है और कितना गलत इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. अभी हाल ही में एक गर्भवती महिला ने अपनी आखिरी सांस ली है उनका नाम डिंपल था और वो एक डॉक्टर थीं….उन्होंने एक वीडियो के जरिए देश को संदेश दिया जिसको सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए. अपनी वीडियो में महिला ने कहा कि…..

मैं ये वीडियो बना रही हूं बहुत मुश्किल से…मैं सभी को एक बात कहना चाहती हूं…जो मुझे जानते हैं…प्लीज कोरोना को हल्के में नहीं लें…इसके बहुत खराब लक्षण हैं…मैं बोल नहीं पा रही हूं, मुझे बोलने में काफी दिक्कत हो रही है…..लेकिन फिर भी मैं आप सब तक ये संदेश पहुंचाना चाहती हूं…प्लीज जब भी आप बाहर जाएं…मास्क जरूर पहनें..जब भी आप किसी से बात करते हैं…चाहे घर पर हों या फिर बाहर हों…ये आपके अपनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है…मैं भगवान से मनाती हूं कि ये कंडीशन किसी की भी नहीं हो…जो मेरी है….खासतौर पर मेरी प्रेग्नेंसी के दौरान…मैं सचमुच में चाहती हूं कि ये लक्षण किसी को भी नहीं आएं…प्लीज अपने घरवालों को ये बताएं कि इसे बिल्कुल भी हल्के में ना लें…प्लीज गैर जिम्मेदार मत बनिए…अपने मास्क पहनकर बाहर निकलें…अगर आपको किसी से मिलना है…किसी से बात करनी है…अपना मास्क मत हटाना क्योंकि आपके घर में बुजुर्ग लोग भी होंगे…बच्चे होंगे…प्रेग्नेंट महिलाएं भी होंगी…उनको इससे सबसे ज्यादा खतरा है…सबसे ज्यादा और इस समय मैंने अपनी पूरी जान लगा दी…मैं कभी भी इस तरीके से बैठने वाली नहीं हूं…मुझे हमेशा काम करना पसंद है…भागना पसंद है…चलना पसंद है…मैं हमेशा एक्टिव रहती थी…लेकिन….अब नहीं….

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अब आप खुद सोचिए कि इस वीडियो में एक दर्द है क्योंकि एक मां की..जिसके पेट में उसका सात महीने का बच्चा था..पर डॉक्टर होते हुए भी वो कुछ नहीं कर पाई…कोरोना ने उन्हें भी छीन लिया. आगे ना जाने ये कोरोना कितनी गर्भवती महिलाओं की जान लेगा ? एक महिला जब गर्भवती होती है तो अपने बच्चे के आने का बड़ी ही बेसबरी से इंतजार करती है.घर में एक नन्हें मेहमान के आने की खुशी एक मां से बेहतर शायद ही कोई समझ पाए क्योंकि उस नन्हें मेहमान को जन्म तो वो औरत ही देती है जो उसकी मां है जिसने उसे नौ माह तक अपने गर्भ में रखा होता है..सारे दर्द.. सारी तकलीफ सह कर भी वो खुश होती है लेकिन ऐसे में अगर कोरोना जैसी महामारी की चपेट में वो महिला आ जाए तो फिर क्या होगा इसका तो हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं.

अब ये वीडियो देखने के बाद तो यही लगता है कि…वैक्सीन ही एक मात्र कवच है..जो दुनिया भर में फैली महामारी का रामबाण इलाज है…पर यही वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को दी जाए या नहीं…इसे लेकर अगर दुनिया, डॉक्टर्स यहां तक की हेल्थ मीनिस्ट्री भी कंफ्यूज है..तो ये वाकई हैरानी की बात है क्योंकि इस कंफ्यूजन की वजह से एक नहीं…दो जिंदगियां दाव पर हैं. जरा सोचिए शायद अगर उस महिला को वैक्सीन लगी होती तो शायद दोनों जाने बच जाती लेकिन चूंकि डॉक्टर्स अभी भी कंफ्यूज हैं कि गर्भवती महिला को वैक्सीन देना ठीक है या नहीं इसलिए शायद ना देना भी ठीक था…लेकिन फिर भी जिस महिला ने अपनी जान गवाई उसका संदेश एक सवाल जरूर खड़ा करता है कि आखिर मां-बच्चे को वैक्सीन क्यों नहीं मिल सकती है ?

एक खबर के मुताबिक…..प्रेगनेंट और स्तनपान कराने वाली औरतें कोविड-19 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का हिस्सा नहीं थीं. इसलिए जो औरतें प्रेगनेंट हैं, या फिर जो प्रेग्नेंसी को लेकर श्योर नहीं हैं या फिर स्तनपान करा रही हैं, उन्हें कोविड-19 वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए

हालांकि इन सारी चीजों को देखते हुए ….भारत में गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन देने की अपील की गई है…इसको लेकर 13 संस्थाओं ने मिलकर भारत सरकार को ड्राफ्ट दिया है…ज्वाइंट कोलाबोरेटिव ग्रुप ने ये सलाह दी है कि वैक्सीन से ही दो जिंदगी बचाई जा सकती है. उनका कहना है कि प्रेग्नेंट महिला को वैक्सीन देने से अजन्मा बच्चा भी सुरक्षित होगा. या फिर जो महिलाएं बच्चे को जन्म दे चुकी हैं वो भी वैक्सीन अलग से लगवा सकती हैं लेकिन फिर उस बच्चे को वैक्सीन लगा सकते हैं या नहीं ये भी एक बड़ा प्रश्न है. हालांकि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन कैसे दी जाए, क्या तरीका हो, इस मामले में पूरा ड्राफ्ट सौंपा गया. तो वहीं WHO के मुताबिक …..गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होने का कोई सबूत नहीं है, लेकिन फिर भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही वैक्सीन लगानी चाहिए. WHO ने आगे कहा कि गर्भवती महिलाओं में वायरस से संक्रमण का खतरा ज्यादा है. इसलिए सावधान रखने की जरूरत है.वैक्सीन से गर्भनाल गिरने की अफवाह भी लोगों ने फैलाई थी लेकिन इस अफवाह को फिलहाल नजरअंदाज करना ही ठीक होगा. लेकिन यहां पर गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन ना लगाने का एक और कारण भी है क्योंकि कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि ब्राजील में प्रेग्नेंट महिलाओं की वैक्सीन पर रोक लगा दी गई थी और ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि एक महिला की स्ट्रोक से मौत हो गई थी.
एस्ट्राजेनिका की वैक्सीन को लगाने पर रोक लगी थी लेकिन फाइजर और सिनोवाक वैक्सीन पर रोक नहीं लगी थी.

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UNICEF के मुताबिक जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में ये सामने आया है कि नई वैक्सीन का शुरूआती ट्रायल गर्भवती महिलाओं पर नहीं करते हैं.
वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी भले ही हैं लेकिन आंकड़े नहीं होने से हिचक है लोगों के मन में.क्योंकि गर्भवती कितनी महिलाओं की जांच कोरोना से गई है इसके लिए कोई आंकड़ा नहीं है. लेकिन फिर भी निडर होकर वैक्सीन लगवाना है और साथ ही नियमित रूप से जांच भी कराते रहना है. हालांकि FIGO (International Federation of Gynecology and Obstetrics) के मुताबिक अमेरिका में 35 हजार प्रेग्नेंट महिलाओं ने वैक्सीन लगाई, कोई साइड इफेक्ट नहीं. लेकिन भारत में अभी भी कंफ्यूजन बना हुआ है. एक और रिसर्च के मुताबिक नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फेनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन की रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ….कोविड वैक्सीन महिलाओं के गर्भनाल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है, वैक्सीन लेने के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे में खून असामान्य नहीं होता. इस रिसर्च में कोविड वैक्सीन लेने वाली 84 महिलाएं में शामिल की गईं थीं. वैक्सीन नहीं लेने वाली 116 गर्भवती महिलाएं भी रिसर्च में शामिल थीं.रिसर्च में ये बात सामने निकल कर आई कि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए वैक्सीन सुरक्षित है….कोरोना वैक्सीन से किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है. ये रिसर्च शिकागो के प्रेंटिस वुमेंस हॉस्पिटल में गर्भवती महिलाओं पर किया गया था.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं के लिए जनवरी 2021 की गाइडलाइन जारी की है जिसमें. ये बताया गया कि….

जो भी औरतें मां बनने वाली हैं….. वो घर से बाहर बिल्कुल ना जाएं,
डॉक्टर के मुताबिक सर्दी-बुखार की दवा रखें
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं
बीपी, शुगर, सांस लेने वाली महिलाएं इस बात का विशेष ध्यान रखें
जरूरी ना हो तो अस्तपाल जाने से बचें, डॉक्टर की सलाह पर घर में ही अपने जरूरत का सामान रखें.
ऑक्सीमीटर, पल्स मीटर, थर्मामीटर पास रखें
गायनाकोलॉजिस्ट से फोन पर कंसल्ट करते रहें
प्रॉपर डाइट लें, रोज. योगा करें और वॉकिंग भी करें

इस बीच एक खबर ये भी आई थी कि अब गर्भवती महिलाएं को वैक्सीन चुनने की मंजूरी मिलेगी और स्तनपान कराने वाली महिलाएं कभी भी वैक्सीन लगवा सकती हैं…लेकिन देखना यही है कि सरकार और हेल्थ मिनिस्ट्री इस पर आगे क्या फैसला करेंगी ?

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Mother’s Day Special: लंच में परोसें पनीर मखनी

अगर आपको पनीर की कोई खास डिश सर्व करनी है तो पनीर मखनी आजमाएं. इसका टेस्ट लजीज और बिल्कुल हटके है.

हमें चाहिए

200 ग्राम पनीर चौकोर टुकड़ों में कटा हुआ

एक प्याज कटा हुआ

लहसुन की 4 कलियां छिली और कटी हुई

2 टमाटर कटे हुए

एक छोटा चम्मच लहसुन-अदरक का पेस्ट

6 काजू

एक तेजपत्ता

एक दालचीनी का टुकड़ा

2 छोटी इलायची

आधा छोटी चम्मच सूखी कसूरी मेथी

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एक छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

आधा छोटा चम्मच चीनी

स्वादानुसार नमक

2 बड़े चम्मच मलाई (क्रीम)

मक्खन या तेल

बारीक कटी हरी धनिया की पत्तियां

बनाने का तरीका

पैन में मक्खन या तेल गर्म करें. इसमें जीरा, तेजपत्ता, दालचीनी, और छोटी इलायची का तड़का लगाएं. अब इसमें प्याज, लहसुन और काजू डालकर मध्यम आंच पर पकाएं.

जब प्याज का रंग हल्का सुनहरा हो जाए तो पैन में टमाटर, लाल मिर्च और नमक डालें. टमाटर नर्म हो जाएं तो इसमें कसूरी मेथी और एक कप पानी डालकर 5 मिनट तक पकाएं.

अब गैस बंद कर दें. प्याज-टमाटर का मिश्रण ठंडा करके इसे मिक्सर में पीसकर पेस्ट तैयार कर लें.

इसके बाद पैन में मक्खन या तेल गर्म करें. इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर मध्यम आंच पर 30 सैकेंड तक पकाएं. अब पैन में प्याज-टमाटर का पेस्ट डालकर चलाएं. फिर इसमें एक कप पानी और चीनी डालें.

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ग्रेवी को मध्यम आंच पर तब तक पकाएं जब इससे तेल अलग होता नजर न आए. ग्रेवी को ढककर 5 मिनट तक पकाएं.

इसके बाद ढक्कन हटाकर ग्रवी में पनीर डालकर मिक्स करें. अब मलाई (क्रीम) डालकर मिलाएं और गैस बंद कर दें.

पनीर मखनी तैयार है. इसे हरी धनिया पत्तियों से गार्निश करके रोटी के साथ सर्व करें.

#Coronavirus: मानसिक तनाव से जूझने के लिए बच्चों को दें ब्रेन डायट

वैसे तो सभी पैरेंट्स अपने बच्चों की डायट का हमेशा ख्याल रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन ये दिन कुछ खास हैं. कोरोना की जकड़बंदी से पूरे हिंदुस्तान में हाहाकार मचा हुआ है. हर तरफ भय और दहशत का माहौल है. इस सबके बीच लगातार ये खबरें आ रही हैं, विशेषज्ञों के अनुमान आ रहे हैं कि इससे भयानक कोरोना की तीसरी लहर अभी आनी है, जिसमें खास तौरपर बच्चे निशाने पर होंगे. इन आशंकित अनुमानों ने हर मां-बाप को बहुत चिंतित कर दिया है. डाॅक्टरों से लेकर फूड विशेषज्ञ तक इन दिनों मां-बाप को बच्चों के लिए अतिरिक्त रूप से पौष्टिक डायट देने की बात कह रहे हैं, जिसे आम तौरपर ब्रेन डायट के नाम से संबोधित किया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए हमें अपने बच्चों को अभी से नियमित तौरपर ब्रेन डायट देनी चाहिए, जिससे वे शारीरिक रूप से मजबूत रहेंगे, उनमें बेहतर इम्यूनिटी रहेगी और कोरोना का मुकाबला आसानी से कर लेंगे.

…तो आइये जरा समझ लेते हैं कि ये ब्रेन डायट आखिर है क्या? इसमें कौन-कौन से चीजें शामिल होती हैं.

जामुनी फल- जामुन, काले अंगूर और शहतूत जैसे फल जिनका रंग काला, जामुनी या नीला होता है, में एंटीऑक्सीडेंट्स विटामिन और प्लांट कंपाउंड जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं, जो ब्रेन सेल्स को डैमेज करनेवाले ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स को कंट्रोल करते हैं.

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हरी सब्जियां- समस्त हरी सब्जियों में आयरन होता है, जिससे याद्दाश्त तेज होती है और दिमाग को तेज करनेवाले न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्राव होता है. साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग को अनेक बीमारियों से मुक्त रखते हैं.

ड्रायफ्रूट्स- विटामिन ई का प्रमुख स्रोत अखरोट, बादाम, काजू, अलसी, मगज, पीनट बटर, बादाम बटर और हेजलनट सभी दिमाग को दुरुस्त रखते हैं. इसलिए इन्हें भरपूर मात्रा में बच्चों को दें.

बींस- शरीर के ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करती है. ऊर्जा के लिए दिमाग को नियमित रूप से ग्लूकोज चाहिए और चूंकि मस्तिष्क लंबे समय तक ग्लूकोज को स्टोर करके नहीं रख पाता, इसलिए वो नियमित ऊर्जा कम प्रदान कर पाता है. कोई भी हरी फली, दाल, राजमा, लोबिया सभी दिमाग के लिए फायदेमंद होते हैं.

अनार- अनार के जूस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग को फ्री रैडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं.

गोभी- फूलगोभी, ब्रोकली और पत्तागोभी एंटीऑक्सीडेंट्स और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है. ये तत्व दिमाग की क्षमताओं पर बुरा असर डालने वाले विभिन्न टाॅक्सिंस से दिमाग को सुरक्षित रखते हैं.

स्ट्रॉबेरी- वैज्ञानिकों के अनुसार स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेरीज जैसे फलों में दिमाग को ऑक्सीडेंटिव स्ट्रेस से सुरक्षित रखने की क्षमता होती है. इन्हें खाने से दिमाग की क्षमता बढ़ती है.

सोया- एक शोध के अनुसार सोया में एस्ट्रोजेन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो दिमाग को तेज बनाते हैं. इसलिए बच्चे के खाने में सोया या टोफू से बने पदार्थ जरूर शामिल करें.

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ओमेगा व फैटी एसिड- ओमेगा-3 न केवल नर्वस सिस्टम को सुचारू रखता है बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. यह फैटी एसिड अलसी और अखरोट में पाया जाता है.

विटामिन बी- विटामिन बी दिमाग को ऑक्सीजन पहुंचाने और फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करता है. साथ ही विटामिन बी 12 दिमाग के सेल्स को स्वस्थ रखने का काम भी करता है.

रोजमेरी- नार्थ अंब्रिया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक द्वारा किये गये एक टेस्ट के अनुसार रोजमेरी ऑयल याद्दाश्त को दुरुस्त रखने का काम करता है. इसलिए बच्चे के सलाद में रोजमेरी ऑयल डालें.

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