गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था समर तो वनराज को ऐसे आया गुस्सा, देखें Funny वीडियो

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ पाखी, काव्या के भड़काने पर अनुपमा के खिलाफ हो गई है तो वहीं औफस्क्रीन अनुपमा की टीम मस्ती करती नजर आ रही है. इसी बीच समर और वनराज का एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वनराज, समर की जूते से पिटाई करता हुआ नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो….

समर ने किया ये काम

 

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हाल ही में अनुपमा के सेट से वनराज यानी सुधांशू पांडे ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमे वह समर फोन पर लड़की से बात करते हुए पकड़ते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं पकड़ने के बाद उसकी पिटाई भी कर देते हैं. वीडियो को शेयर करते हुए सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने लिखा, ‘बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी. 10 लड़कियों का नंबर लेकर सबसे एक ही बात कहता है. इतना प्यार कैसे संभालेगा.’ दूसरी तरफ समर यानी पारस कलनावत ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘हम ही मार खा गए, ये जालिम दुनिया चैन से आशिकी भी नहीं लड़ाने देती.’ फैंस को दोनों का ये वीडियो बेहद पसंद आ रहा है.

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काव्या संग मस्ती करती है अनुपमा की टीम


अनुपमा के सेट से कई मजेदार वीडियो सामने आती है. हाल ही में काव्या, वनराज, समर, किंजल और नंदिनी जमकर डांस करते हुए नजर आए थे, जिसकी वीडियो बहुत वायरल हो रही है.

काव्या ने चली नई चाल

सीरियल में आने वाले ट्विस्ट की बात करें तो काव्या के भड़काने पर पाखी अनुपमा के खिलाफ हो गई है. दरअसल, काव्या ने पाखी से कहा है कि अनुपमा के पास उसे डांस सिखाने का वक्त नही है, जिसके चलते वह काव्या से डांस सीख रही है. वहीं पाखी का गुस्सा अनुपमा पर अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलने वाला है.

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कहीं आप बच्चों को बहुत ज्यादा डांटते तो नहीं

कहते हैं बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छा व्यवहार माता-पिता से वसीयत के तौर पर मिलते हैं. ये वसीयत बच्चों के पास कैसे लानी है इसकी जिम्मेदारी भी माता-पिता की ही होती है. इस चक्कर में माता पिता अपने बच्चों के प्रति ओवर-करेक्टिंग या क्रिटिकल मोड चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि दुनिया जमाने में उनके बच्चे सबसे सही हो, अच्छे व्यवहार करने वाले हों. जिसके चलते वो अपने बच्चों को सही करने में लग जाते हैं. लेकिन उनका ये स्टेप कभी कभी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है. वो बच्चों के फैसले और समस्याओं को सुलझाने के बजाए और भी उलझा देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वो बच्चों के बजाए खुद का विश्लेष्ण करें और खुद को बेहतर बनाने में समय दें. इसके लिए क्या सलाह देते हैं विशेषज्ञ, आइये जानते हैं.

कम होने लगता है कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट-

बच्चों पर ज्यादा हावी होना उन्हें परेशान करने लगता है. उनके अंदर से कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट कहीं गुम सी होने लगती है.  ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जब आप जब आप सब कुछ अपने बच्चे के लिए तय करते हैं, और उसकी क्षमताओं को नजरअंदाज भी करते हैं. आप उसकी सराहना भी नहीं करते और दूसरों के आगे हमेशा उसे एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हैं. तो  वो खुद को बेहद गिरा हुआ और कमजोर महसूस करने लगता है. जिससे उसके कांफिडेंस और सेल्फरिस्पेक्ट में कमी होने लगती है. क्योंकि वो आपके फैसलों के आगे खुद को कभी भी सहज महसूस नहीं करेगा.

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बच्चे हो जाते हैं जिद्दी- 

अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो हमेशा अपने बच्चों को सुधारने में लगे रहते हैं, और हमेशा यही सोचते हैं, कि वो अच्छे हो जाएं. तो यकीन मानिये कि आप उन्हने ऐसा करके परेशान करते हैं. आप अपने बच्चों की क्षमताओं को सीमित करते हैं. उन्हें दूसरों के आगे अक्षम महसूस करवाते हैं. ऐसे बच्चे और भी ज्यादा चिडचिडे  होने लगते हैं. और वो जिद्दी होने लगते हैं.

वैल्यू खोना-

किसी ने सच ही कहा कि, आप जितना कम बोलेंगे, आपके शब्दों के मायने उतने ही ज्यादा होंगे. ऐसे में ये कहावत तभी सही बैठती है जब आप इसे अपने बचों पर आजमा सकते हैं. जब भी आप अपने बच्चों के हर फैसलों पर उनकी आलोचना करते हैं और उन्हें हर वक्त डांटते हैं तो आपके द्वारा कही हर बात और शब्द कम प्रभावशाली होते हैं. आप चाहे जितनी भी गम्भीर परिस्थितयों में उन्हें संभालने की कोशिश क्यों ना करें. आपका हर फैसला आयर हर आदेश उनके लिए सिर्फ किसी बैकग्राउंड म्यूजिक से कम नहीं होगा. और वो इसका जवाब देना भी बंद कर देंगे. जिससे आपकी वैल्यू ही कम हो जाएगी.

बिगड़ने लगते हैं रिश्ते- 

हर पैरेंट्स के लिए उनके बच्चे पूरी दुनिया होते हैं. उन्हें आपके साथ और आपकी गाइडेंस की जरूरत होती है. लेकिन आप हर वक्त उन्हें सुधारने के लिए उनके पीछे पड़े रहें वो इस बात को बिलकुल पसंद नहीं करते. आप उन्हें सुधारना ही चाहते हैं, तो उनके प्रति शांत और विन्रम रवैया अपना सकते हैं. आप उन्हें सुधारने के साथ उनके अंदर की खामियां भी स्वीकार करें. अगर आप हर वक्त उनकी पसंद और फैसलों में हस्तक्षेप करते रहेंगे तो इससे आपका अपने बच्चे के साथ रिश्ता बिगड़ना लगभग तय है.

क्या है समाधान-

बच्चों को सुधारना अगर आप इसे अपने दायें हाथ का खेल समझते हैं, तो आप अपने और अपने बच्चे के रिश्ते को बिगाड़ रहे हैं. एक तरीके से आप उसका आत्मसम्मान और कांफिडेंस भी गिरा रहे हैं. अगर आप चाहते हैं, आपका बच्चा इन सब चीजों से ना जूझे, तो इसका समाधान क्या हो आइये जानते हैं.

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बच्चों को उनके लिए चीजें तय करने दें.

अगर वो अपने लिए गलत चुनते हैं, तो इसका एहसास भी वो खुद ही करेंगे.

बच्चों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ाने में उनकी मदद करें.

उन्हें कठिन चुनौतियों का सामना खुद करने दें.

उन्हें हर बात में रोक टोक ना करने दें.

बच्चों से छोटी छोटी बात पर लड़ने में अपना समय और एनर्जी दोनों की बर्बाद ना करें.

ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनको आपने अगर आजमा लिया. तो आप अपने बच्चे से अपना रिश्ता बेहतर बना लेंगे. आप बस इस बात का ख्याल रखें ज्यादा रोक टोक ना करें. आप अपने बच्चों की ताकत बनें, ना की उनकी कमजोरी.

समय की मांग है वसीयत करना

कोरोना की दूसरी लहर में नीता और उसके पति की अकस्मात मृत्यु हो गयी. एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत इकलौता बेटा अमन फ्लाइट्स के न चलने के कारण भारत नहीं आ पाया. जब 3 माह बाद वह आया तो तब तक उसके घर का आधे से अधिक समान नाते रिश्तेदार ले जा चुके थे. लंबे समय से भारत न आने के कारण उसे अपने पिता की परिसम्पत्तियों की भी कोई जानकारी नहीं थी जिसके चलते उसे क्लेम्स लेने में अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

वीणा कोचिंग संस्थान को भोपाल में सफलतापूर्वक चलाने वाले वर्मा दम्पत्ति की अचानक कोरोना के कारण मृत्यु हो गयी दोनों बच्चे अभी नाबालिक हैं. माता पिता के जाने के बाद न तो परिवार में किसी को उनकी परिसम्पत्तियों के बारे में पता है और न ही कोई बच्चों की देखभाल करने वाला है.

कोरोना काल से पूर्व यदि परिवार का मुखिया परिवार के समक्ष वसीयत की बात करता था तो परिवार के सदस्य उसे “क्यों व्यर्थ की बातें कर रहे हो” कहकर झिड़क देते थे और बात आई गयी हो जाती थी पर कोरोना के आगमन के बाद से वसीयत एक आवश्यक आवश्यकता बन गयी है. कोरोना काल से पूर्व पति या पत्नी में जीवित सदस्य आर्थिक मैनेजमेंट कर लिया करता था परन्तु कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पूरे पूरे परिवार ही कोरोना की चपेट में आकर इस संसार से विदा ले गए. इसके अतिरिक्त कई बच्चों के माता पिता एक साथ चले जाने से वे अनाथ हो गए ऐसे में बच्चों की परवरिश कौन करेगा यह बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है. वसीयत करना तो हमेशा से ही सुरक्षाप्रद रहा है. वसीयत के अभाव में इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारणों से भी वसीयत करना अत्यंत आवश्यक है-

क्यों जरूरी है वसीयत बनाना

-सम्पत्ति के शांतिपूर्ण और कानूनी बंटवारे के लिए ताकि आपके जाने के बाद बच्चे ताउम्र एक दूसरे से सम्पत्ति के लिए आपस में झगड़ते ही न रहें.

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-वसीयत के अभाव में सम्पत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार अधिनियम के तहत किया जाता है. जिससे कई वर्ष तक केस कोर्ट में लंबित हो जाते हैं और इस पूरे अंतराल के दौरान उत्तराधिकारी आपसी मनमुटाव में जीते हैं. वसीयत करने से समस्त सम्पत्ति का बंटवारा सुगमता से हो जाता है.

-हो सकता है कि आपका कोई बच्चा आर्थिक रूप से कमजोर हो और आप उसके लिए अन्य से अधिक करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में आप वसीयत बनाकर अपने मनमुताबिक बंटवारा कर सकते हैं इससे आपके जाने के बाद उनके आपसी सम्बन्ध भी खराब नहीं होगें.

-कोरोना के कारण कई परिवारों में पति पत्नी दोनों ही अपने नाबालिग बच्चों को छोड़कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए ऐसे में आपके जाने के बाद उनकी देखभाल कौन करेगा इसका निर्धारण आप वसीयत करके आसानी से कर सकते हैं, और आज के समय यह करना अत्यंत आवश्यक भी है.

-चूंकि वसीयत के समय सारी संपत्ति की लिस्ट बन जाती है इसलिए आपकी सम्पत्ति के बारे में आपके वकील और गवाह को पता होता है तो उत्तराधिकारियों के लिए बीमा आदि की राशि का क्लेम करना आसान हो जाता है.

ऐसे बनाएं वसीयत

-अचल संपत्ति बैंक जमा, शेयर, बीमा, सोना, और अन्य सभी निवेश सहित अपनी सभी परिसम्पत्तियों की एक लिस्ट बनाकर तैयार करें.

-लाभर्थियों के बारे में फैसला करें कि किसे आप क्या और कितना देना चाहते हैं.

-यदि आपके बच्चे नाबालिग हैं तो उनके  लिए केयरटेकर या अभिभावक नियुक्त करें.  प्रयास करें कि अभिभावक कोई आपका नजदीकी ही हो.

-वसीयत बनाते समय दो ऐसे  गवाह तय करें जो स्वतंत्र हों और लाभार्थियों से किसी प्रकार का कोई सम्बंध न रखते हों.

-वसीयत में एक निष्पादक अवश्य नियुक्त करें, सम्पत्तियों, और उधार की जानकारी जुटाना, कर्ज का भुगतान, और अंत में वसीयत के अनुसार सम्पत्ति का बंटवारा करना इसका मुख्य काम होता है.

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-वसीयत अच्छी क्वालिटी के ए फोर साइज के पेपर पर अथवा हरे रंग के बहीखाता पत्र पर साफ शब्दों में लिखकर या प्रिंट करवाएं क्योंकि ये पेपर समय के साथ खराब नहीं होते.

– वसीयत को मोड़े बगैर बड़े लिफाफे या प्लास्टिक के मोटे फोल्डर में सुरक्षित रखें.

सार्कोमा कैंसर: घबराएं नहीं करवाएं इलाज

आज हम इतने अधिक बिजी हैं कि खुद का ध्यान ही नहीं रख पाते हैं. ऐसे में अनजाने में अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आते हैं. फिर चाहे बात हो उसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी की. बता दें कि  दुनिया भर में वर्ष 2020 में 10 मिलियन के करीब लोगों की मृत्यु का कारण विभिन्न तरह के  कैंसर हैं. क्योंकि हम खुद का ध्यान नहीं रखने के कारण शुरुवाती लक्षणों को इग्नोर जो कर देते हैं और जब स्तिथि हमारे हाथ से निकल जाती है तब तक जान पर आ बनती है. आपको बता दें कि  सार्कोमा कैंसर भले ही आम नहीं है. लेकिन ये तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं इस बारे में मणिपाल होस्पिटल के कंसल्टेंट ओर्थोपेडिक ओंको सर्जन डाक्टर श्रीमंत बी एस से.

क्या है सार्कोमा कैंसर

सोफ्ट टिश्यू सार्कोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के चारों और मौजूद टिश्यू में हो जाता है. इसमें मांसपेशियों , वसा , रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं के साथसाथ जोइंट्स भी शामिल होते हैं. वयस्कों की तुलना में इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे व उसके बाद युवा आते हैं. और ये कैंसर तब और अधिक घातक हो जाता है, जब ये अंगों में फैलना शुरू हो जाता है. इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए, वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.

कब होता है 

वैसे तो इसके किसी खास कारण के बारे में नहीं पता है. लेकिन ये आमतौर पर तब होता है , जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं .

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कैसे पहचाने  

– हड्डियों में दर्द होना, खासकर के रात के समय. जिसके कारण सोने में दिक्कत महसूस होना.

–  सूजन के साथ बड़े आकार की गांठ बनने लगती है, जो तेजी से बढ़ती जाती है.

– चलते समय सामान्य से गिरने या जख्म के कारण हड्डी का टूटना.

– पेशाब के साथ कई बार ब्लड का आना.

– पेट में बहुत तेज दर्द होना.

– उल्टी जैसी फीलिंग होना.

– हड्डियों में दर्द होना.

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं , ताकि जरूरी जांच से बीमारी के बारे में पता लगाकर समय पर इलाज शुरू किया जा सके.

हड्डियों के कैंसर कितने प्रकार के होते हैं

ये निर्म प्रकार के होते हैं –

– ओस्टोओसाकोमा

– इविंगज़ सार्कोमा

– कोंड्रोसार्कोमा

– एडमोंटीनोमा

हड्डियों के कैंसर के निदान के लिए कौन से टेस्ट्स

– एक्सरे (प्लेन रेडियोग्राफ )

– ब्लड टेस्ट्स

– एमआरआई या सिटी स्कैन

– बायोसपी

– होल बोडी स्कैन.

कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं – 

सबसे पहले कैंसर की स्टेज व कैंसर के टाइप को देखकर डॉक्टरों की टीम इलाज शुरू करती है. इसके उपचार के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी या रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. बता दें कि 10 पर्सेंट से अधिक हड्डियों के कैंसर के मामले में लिम्ब सालवेज सर्जरी से उपचार किया जाता है. इससे अवयव यानि अंग बच सके. वहीं बाकि उपायों से भी उस गांठ को निकाला जाता है. ताकि व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सके.

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सर्जरी या ट्रीटमेंट के दौरान–  

किन बातों का रखें खयाल 

– नियमित जांच के साथ हर 3 – 6 महीने के अंतराल में स्कैन.

– अपनी डाइट का खास खयाल रखना.

– डाक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना.

– कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर से संपर्क करना.

– दवाओं को सही समय पर लेना.

– शरीर पर भार पड़ने वाली किसी भी एक्टिविटी से थोड़े समय तक दूरी बना कर रखना.

– ट्रीटमेंट के दौरान या सर्जरी के बाद बिना पूछे किसी भी दवा का सेवन नहीं करना.

निजता के अधिकार पर सरकार

आप अपने घर की चारदीवारी में क्या हैं, कैसे रहते हैं, क्या पढ़ते हैं, क्या जमा करते हैं, क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं, ये सब बातें समाज ही नहीं सदियों से सामाजिक वैज्ञानिक और कानूनी विशेषज्ञ कहते रहे कि आप का अधिकार है. एक घर चाहे जितना कमजोर हो, दरवाजा कितना ही पापड़ सा हो, छत कितनी ही पतली हो, सरकार कानून व समाज की दृष्टि से आपका किया है, एक अभेद किला.

अफसोस की बात है कि बहुत से लोग इस किले के राज को राज रखना नहीं जानते और आज यह आम है कि पुलिस वाले जब चाहे घरों में घुस कर कैसे रहते हैं, क्या करते हैं जानने का हक रखने की बात करते हैं.

अपने राज्यों के प्रति…..न रहने का एक कारण अपने निजी क्षणों, अपने कमरे, अपने रहनसहन के फोटो फेसबुक, व्हाट्सएप पर बांटना है. आज मैं ने पो……विद खास खाया दिखाने के लिए अपनी क्रोकरी दिखाते हैं और आज नई साड़ी पहनी दिखाने के लिए चोरी ड्रेस नायाब का फोटो डालते हैं. शौर्य वीडियो प्लेटफौर्सों पर तो घरों के दोनों दुनिया भर के लिए खोल दिए गए हैं. लोगों को अपनी निजता के अधिकार की लेथ भर की ङ्क्षचता नहीं रह गई. जराजरा सी बात पर वीडियो काल कर के लड़कियां अपने कमरे की पूरी ज्योग्रौफी दुनिया में बांट देती हैं. आप का किला शीशे का बन कर गया है जिस की सारी खिड़कियां परदे खुले हुए हैं.

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यही आदत आज निजता के अधिकार को खत्म कर रही है. उत्पादक ही नहीं सरकार भी हर नागरिक का पूरा प्रोफाइल बनाने में लगी हुई है. दुनिया भर में लोगों को चेहरों से पहचानने की तकनीक तो ढूंढी जा रही है, उन के बाथरूम तक कैमरों की नजरों में रिकार्ड हो रहे हैं और अमेरिका के विधन डेरा सेंटरों में जमा हो रहे हैं.

आप अगर कानूनबद्ध नागरिक हैं तो आप को किसी बात की ङ्क्षचता नहीं पर यदि किसी उत्पादक को मालूम हो जाए कि आप जनाडू शैंपू इस्तेमाल करती हैं तो आप की जान खा सकता है कि उस का फिनाडू थैंपू खरीदें, आप चाहे एक चीज को खरीद लेते हैं ताकि हल्ले से तो बच सकें. यह निजता का हल है.

इस अधिकार पर दुनिया भर की अदालतों ने लंबेलंबे फैसले दिए हैं और पुलिस यह जानकर कि आप खुद अपनी निजता के हक की ङ्क्षचता नहीं कर रहे, जरा सी बात पर आप का पूरा घर छान सकती है. सैंकड़ों छापों में से केवल इक्कादुक्का के घरों से कुछ आपत्ति जनक मिलता है पर चूंकि लोग अपनी निजता के हक को खो चुके हैं, वे चूं नहीं कर रहे.

एक सक्षम समाज वह है जिस में नागरिक अपने हकों के प्रति सचेत हैं. अपना व्हाट्सएप गु्रप बनाइए, अपने लिए एप डाउनलोड करिए पर अपने राज जाहिर न होने दें. याद रखिए ये लोग अपने ही हर बात जान लेंगे तो कभी भी आप के दुश्मन के हाथों में भी पड़ सकती है.

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Monsoon Special: बच्चों के लिए बनाएं टेस्टी वड़ा पाव

अगर आप मौनसून में बच्चों के लिए टेस्टी और हेल्दी रेसिपी बनाना चाहती हैं तो आज हम आपक वड़ा पाव की रेसिपी बताएंगे. मुंबई में वड़ा पाव औल टाइम फेवरेट फूड है, जिसे हर कोई पसंद करता है.

बनाने के लिए

–  7-8 लहसुन की कलियां

–  4-5 हरीमिर्चें

–  3-4 आलू उबले हुए

–  1/4 कप औयल

–  1 बड़ा चम्मच सरसों

–  1/4 छोटा चम्मच हींग

–  करी पत्ता

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी हुई

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने के लिए बैटर की

–  1 कप बेसन

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  नमक स्वादानुसार.

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बनाने के लिए मिर्च फ्राई की

–  5-6 बीच से कटी हुई मिर्चें

–  फ्राई करने के लिए औयल.

बनाने के लिए वड़ा पाव चटनी की

–  2 बड़े चम्मच औयल

–  1/2 कप मूंगफली

–  4-5 लहसुन की कलियां

–  1/2 कप फ्राइड बेसन बैटर क्रंब्स

–  2 बड़े चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  फ्राई करने के लिए औयल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक पैन में तेल गरम कर के उस में सरसों, हींग, करीपत्ता, लहसुन, हरीमिर्च, हलदी और आलू डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस में नमक और धनियापत्ती डाल कर अच्छी तरह मिलाते हुए एक तरफ ठंडा होने के लिए रख दें.

विधि बैटर की

एक बाउल में भुना बेसन, हलदी, लालमिर्च पाउडर, नमक और जरूरत के हिसाब से पानी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं.

विधि वड़ा पाव की

एक पैन में तेल गरम कर उस में हरीमिर्च व लहसुन डाल कर अच्छी तरह फ्राई करें. फिर एक पैन गरम कर उस में औयल, मूंगफली, लहसुन, फ्राइड बेसन बैटर क्रंब्स, लालमिर्च पाउडर व नमक डाल कर ग्राइंडर में डाल कर दरदरा पेस्ट तैयार करें. फिर आलू मिक्स्चर से मीडियम साइज की बौल्स बनाते हुए उन्हें बेसन के बैटर में लपेटें और तेल में सुनहरा होने तक फ्राई करें. फ्राइड चिली और मूंगफली की चटनी के साथ सर्व करें.

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मौनसून के मौसम में त्वचा में संक्रमण, चेहरे की त्वचा का फटना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, पैरों या नाखूनों पर फंगस होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पेश हैं, इन सब समस्याओं से बचने के उपाय:

1. त्वचा को शांत करने के लिए क्लींजिंग, टोनिंग और फिर मौइस्चराइजिंग जरूरी है. बालों को घुंघराले होने और सूखेपन से बचाने के लिए उन्हें पौष्टिकता प्रदान करना आवश्यक है.

2. घर से बाहर जाने से पहले बालों पर ऐंटीपौल्यूशन स्प्रे का प्रयोग करें. त्वचा को भी सुरक्षित रखना आवश्यक है, इसलिए सनस्क्रीन, ऐलोवेरा जैल और अन्य स्किन प्रोटैक्टर्स जो आप की त्वचा पर सुरक्षात्मक परत बना कर त्वचा संबंधी समस्याओं से बचाते हैं, का प्रयोग कर सकती हैं. ये स्किन प्रोटैक्टर्स आप की त्वचा के रोमछिद्रों को 6-7 घंटों के लिए बंद कर देते हैं और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

3. त्वचा को हाइड्रेटेड और रिजुविनेट रखने के लिए नियमित रूप से ऐक्सफौलिएशन और स्क्रबिंग करना तथा ग्लो पैक लगाना भी आवश्यक है. आप जब घर से बाहर निकलती हैं तो जहरीले प्रदूषकों का सामना करने के लिए घर में बने पैक का प्रयोग करना भी अच्छा रहता है.

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4. मौनसून के मौसम में भीगने से बाल अनहैल्दी और गंदे हो जाते हैं, क्योंकि बारिश के पानी में अनेक प्रकार के कैमिकल्स और विषैले तत्त्व मिले होते हैं. ऐसे में अच्छे शैंपू और कंडीशनर का प्रयोग करें. ये बालों के शौफ्ट बनाए रखते हैं और उन की नमी को बाहर नहीं जाने देते. बालों की तेल से नियमित मालिश करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि बरसात के दौरान वातावरण में नमी की मात्रा काफी अधिक होती है, जो बालों की जड़ों को बंद कर देती है.

5.  तेल लगाने के बाद भी बालों की स्टीमिंग और मास्किंग की जानी चाहिए. यदि आप घर पर ही मास्क तैयार करना चाहती हैं तो सब से अच्छा विकल्प है ऐवोकाडो के साथ केला, जैतून का तेल या अांवला, रीठा और शिकाकाई जैसी सामग्री का प्रयोग करना. नियमित अंतराल में बालों में कंघी करें.

6.  मौनसून के दौरान सिंथैटिक या टाइट कपड़े न पहनें. ढीले और सूती कपड़े पहनें वरना आप को स्किन इन्फैक्शन और चकत्ते पड़ने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अपनी त्वचा पर सभी कीटाणुनाशक उत्पादों जैसे साबुन, पाउडर, बौडी लोशन आदि का प्रयोग करें जो नमी और शरीर से पसीना आने के दौरान भी त्वचा को सभी प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं.

7.  मुंहासों और चकत्तों को रोकने के लिए चेहरे को हमेशा साफ रखें. अधिक औयली मेकअप प्रोडक्ट्स का प्रयोग न करें. आप के मेकअप प्रोडक्ट्स पाउडर या मिनरल बेस्ड होने चाहिए जो स्किन के लिए फ्रैंडली होते हैं. इस के अलावा अच्छी गुणवत्ता वाले मेकअप उत्पादों का ही प्रयोग करें, क्योंकि आप की त्वचा हाई टैंपरेचर और नमी के कारण जल्दी इन्फैक्शन का शिकार हो जाती है.

8.  फास्ट फूड या अनहैल्दी खाना न खाएं. यदि आप फास्ट फूड खाना ही चाहती हैं या खाने को मजबूर हैं तो आप को यह तय करना चाहिए कि आप का खाना ताजा और गरम हो. पहले से पका खाना बिलकुल न खाएं.

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9.  अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं ताकि शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ पेशाब के द्वारा बाहर निकल सकें. शरीर को साफ रखें. इस के लिए सुबह और शाम दोनों समय स्नान करें.

Family Story In Hindi: मन्नो बड़ी हो गई है- भाग 2

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

पर नहीं, तब मम्मी ठीक ही कहती थीं. समझ शादी के बाद ही आती है. महेश के प्यारभरे दो शब्द सुन कर मेरे हाथ तेजी से चलने लगते हैं. वरना दिल करता है कि चकलाबेलन नाले में फेंक दूं. 10 मिनट खाना लेट हो जाए तो पेट क्या रोटी हजम करने से मना कर देता है? क्या सास को पता नहीं कि शादी के तुरंत बाद कितना कुछ बदल जाता है. उस में तालमेल बैठाने में वक्त तो चाहिए न. पर क्या बोलूं? बोली, तो कहेंगे कि अभी से जवाब देने लगी है. जातेजाते महेश शाम को ब्रैड रोल्स खाने की फरमाइश कर गया. मुसकरा कर उस का यह आग्रह करना अच्छा लगा था.

‘क्या करण ऐसा नहीं हो सकता?’ मन ही मन सोचते हुए मैं सास को नाश्ता देने गई. वहां पहुंची तो करण जमीन पर बैठे हुए पलंग पर बैठी सास के पांवों पर सिर रखे, अधलेटा बैठा था. देख कर मैं भीतर तक सुलग सी गई.

‘‘नाश्ता…’’ मैं नाश्ते की प्लेट सास के आगे रख कर चुपचाप वापस जाने लगी.

‘‘मैडमजी, एक तो केतकी को समय पर नाश्ता नहीं दिया, ऊपर से मुंह सुजा रखा है. देख कर मुसकराईं भी नहीं,’’ अपनी मां के साथ टेढ़ी नजर से देखते हुए करण ने कहा.

‘‘नहीं तो, ऐसा तो नहीं है. चाय पिएंगे आप?’’ जबरदस्ती मुसकराई थी मैं.

‘‘ले आओ,’’ करण वापस यों ही पड़ गया. मुसकराहट का आवरण ओढ़ना कितना भारी होता है, आज मैं ने महसूस किया. मैं वापस रसोई में आ गई. मुझे बरबस मां की नसीहत याद आने लगी.

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मम्मी ने एक दिन भैया से कहा था कि सुबह की पहली चाय तुम दोनों अपने कमरे में ही मंगा कर पी लिया करो. मम्मी की बात सुन कर मैं झुंझलाई थी कि क्यों ऐसे पाठ उन्हें जबरदस्ती पढ़ाती हो. तब मां ने बताया था कि उठते ही मां के पास लेट जाने या बैठने से पत्नी को ऐसे लगता है कि मानो उस का पति रातभर अपनी पत्नी नहीं, मां के बारे में ही सोचता रहा हो. ऐसी सोच बिस्तर पर ही खत्म कर देनी चाहिए. तभी पत्नी पति की इज्जत कर सकती है. मां तो मां ही है. पत्नी लाख चाहे पर बेटे के दिल से मां की कीमत तो कम होगी नहीं. पर ऐसे में बहू के दिल में सास की इज्जत भी बढ़ती है.

करण को सास के पैरों पर लिपटा देख, मम्मी की बात सही लगने लगी. मुझे यही महसूस हुआ जैसे करण सास से कह रहा हो, ‘मां, बस, एक तुम्हीं मुझे इस से बचा सकती हो.’

करण के साथ जब मैं नाश्ता कर रही थी तो सास बोलीं, ‘‘अच्छी तरह खिला देना, वरना मायके में जा कर कहेगी कि खाने को नहीं पूछते.’’

करण अपनी मां की बातों को सुन कर हंसने लगा और मेरा चेहरा कठोर हो गया. खानापूर्ति कर के मैं पोंछा लगाने उठ गई. सारे कमरों में पोंछा लगा कर आई तो देखा करण सास के साथ ताश खेल रहा है. मैं हैरान रह गई. मेरे मुंह से निकल गया, ‘‘काम पर नहीं जाना है?’’

‘‘मुझे नहीं पता है?’’ करण गुस्से से देख कर बोला. मैं समझ नहीं पाई कि आखिर मैं ने ऐसा क्या कह दिया था.

‘‘तुम्हें जलन हो रही है, हमें एकसाथ बैठे देख कर?’’

‘‘बेटा, तुम जाओ, यह तो हमें इकट्ठा बैठा नहीं देख सकती,’’ सास ताश फेंक कर बिस्तर पर पसर गईं.

करण ने सास को मनाने के प्रयास में मुझे बहुत डांटा. मैं खामोश ही बनी रही.

उस दिन भैया से भी भाभी ने पूछा था, ‘कहां चले गए थे. शादी में नहीं जाना क्या?’ तब मुझे गुस्सा आ गया था कि भैया मेरे काम से बाजार गए हैं, इसलिए भाभी इस तरह बोली हैं. भैया भी भाभी पर बिगड़े थे. मुझे अच्छा लगा था कि भैया ने मेरी तरफदारी की. कभी यह सोचा भी न था कि भाभी भी तो हम लोगों की तरह ही हैं. उन्हें भी तो बुरा लगता होगा. ऐसा उन्होंने क्या पूछ लिया, जिस का मैं ने बतंगड़ बना दिया था. आज महसूस हो रहा है कि तब मैं कितनी गलत थी.

करण दूसरे कमरे से झांकताझांकता मेरे पीछे स्नानघर में घुस गया.

‘‘तुम्हें बोलना जरूरी था. मम्मी को नाराज कर दिया. चुप नहीं रहा जाता,’’ करण जानबूझ कर चिल्लाने लगा ताकि उस की मां सुन लें. दिल चाहा कि करण का गिरेबान पकड़ कर पूछूं कि मां को खुश करने के लिए मुझे जलील करना जरूरी है क्या?

कुछ भी कह नहीं पाई. चुपचाप आंगन में झाड़ू लगाती रही. आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. करण ने देखा भी, पर एक बार भी नहीं पूछा कि रो क्यों रही हो. कमरे से किसी काम से निकली तो करण को सास के साथ हंसता देख कर मेरा दम घुटने लगा. मैं और परेशान हो गई. उठ कर रसोई में आ दोपहर का खाना बनाने लगी. बारबार मम्मी व भाभी की बातें याद आने लगीं. मम्मी कहती थीं कि जब घर में किसी का मूड ठीक न हो तो फालतू हंसा नहीं करते. नहीं तो उसे लगता है कि हम उस पर हंस रहे हैं. और भाभी, वे तो हमेशा मेरा मूड ठीक करने की कोशिश किया करतीं. तब कभी महसूस ही नहीं हुआ कि इन छोटीछोटी बातों का भी कोई अर्थ होता है.

ये लोग तो मूड बिगाड़ कर कहते हैं कि तुरंत चेहरा हंसता हुआ बना लो. मानो मेरे दिल ही न हो. इन से एक प्रश्न पूछो तो चुभ जाता है. मुझे जलील भी कर दें तो चाहते हैं कि मैं सोचूं भी नहीं. क्या मैं इंसान नहीं? मैं कोई इन का खरीदा हुआ सामान हूं?

दोपहर का खाना बनाया, खिलाया, फिर रसोई संभालतेसंभालते 3 बज गए. तभी ध्यान आया कि महेश को ब्रैड रोल्स देने हैं. सो, ब्रैड रोल्स बनाने की तैयारी शुरू कर दी. आलू उबालने को रख कर कपड़े धोने चली गई. कपड़े धो कर जब वापस आई तो करण व्यंग्य से बोला, ‘‘मैडमजी, कहां घूमने चली गई थीं. पता नहीं कुकर में क्या रख गईं कि गैस बंद करने के लिए मम्मीजी को उठना पड़ा.’’

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हद हो गई. गैस बंद करना भी इन की मां के लिए भारी काम हो गया. और मेरी कोई परवा ही नहीं है. मैं रसोई में ही जमीन पर बैठ कर आलू छीलने लगी. तभी करण आ गया.

‘‘क्या कर रही हो? 2 मिनट मम्मी के पास बैठने का, उन का मन बहलाने का वक्त नहीं है तुम्हारे पास. जब देखो रसोई में ही पड़ी रहती हो.’’

खामोश रहना बेहतर समझ कर मैं खामोश ही रही.

‘‘जवाब नहीं दे सकतीं तुम?’’ करण झुंझलाया था.

‘‘काम खत्म होगा तो आ जाऊंगी,’’ मैं बिना देखे ही बोली.

‘काम का तो बहाना है. हमारी मम्मी ने तो जैसे कभी काम ही न किया हो,’ बड़बड़ाते हुए वह निकल गया.

कितना फर्क है मेरी मम्मी और सास में. मेरी मम्मी मुझ से कहती थीं कि भाभी का हाथ बंटा दे, खाना रख दे. बरतन उठा दे. फ्रिज में पानी की बोतल रख दे. सब को दूध पकड़ा दे. साफ बरतन संभाल दे. इन छोटेछोटे कामों से ही भाभी को इतना वक्त मिल जाता कि वे मम्मी के पास बैठ जातीं.

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फिल्म ‘मिमी’ में सरोगेटेड मदर के रोल में नजर आएंगी कृति सैनन, ट्रेलर हुआ वायरल

पिछले 15 वर्षों से बॉलीवुड में कार्यरत निर्माता दिनेश वीजन  ठोस पारिवारिक मनोरंजन वाली फिल्में परोसते आए हैं. जिनमें ‘बीइंग सर्कस’,  ‘हाईजैक’, ‘लव आज कल’, ‘कॉकटेल’,  ‘लेकर हम दिल दीवाना’,  ‘हैप्पी एंडिंग’, ‘बदलापुर’, ‘हिंदी मीडियम’,  ‘लुका छुपी’जैसी कई सफल फिल्मों का समावेश है. अब ‘जियो स्टूडियो’’के साथ मिलकर दिनेश वीजन एक फिल्म ‘‘मिमी’’लेकर आ रहे हैं, जिसका ट्रेलर आज जारी किया जा चुका है.

फिल्म‘‘मिमी’की कहानी सरोगेट मदर’के इर्द गिर्द घूमती है. यह फिल्म सफल मराठी फिल्म‘‘मला आई व्हायच’’का हिंदी रूपांतरण है, जिसे लक्ष्मण उतेकर ने निर्देशित किया है और इसमें मुख्य किरदार में कृति सैनन हैं. इसके अलावा इसमें पंकज त्रिपाठी व साई ताम्हणकर भी हैं. ,

इस अद्भुत कहानी में हास्य और भावनाओं का एक दिलकश मिश्रण है. फिल्म का ट्रेलर हमें ना सिर्फ गुदगुदाता है, बल्कि हंसाकर लोट-पोट भी करता है. फिल्म के ट्रेलर में पंकज त्रिपाठी और कृति सैनन के बीच कुछ दमदार कॉमिक टाइमिंग का अहसास होता है. इनके बीच की नोकझोक और केमिस्ट्री आपको उत्साहित होने पर मजबूर कर देती है. यह हमें कहानी की एक दिलचस्प झलक भी देता है. ट्ेलर के अनुसार यह कहानी एक उत्साही और बेपरवाह लड़की की अद्वित्यीय कहानी है,  जो जल्दी पैसा कमाने के लिए सरोगेट मदर बन जाती है. जब उसकी योजना अंतिम क्षण में बिगड़ जाती है, तो क्या सब कुछ खत्म जाता है? आगे क्या होता है? मिमी का ट्रेलर हमें निश्चित रूप से फिल्म के बारे में  कई अनुमान लगाने के लिए मजबूर कर देता है!

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फिल्म‘‘मिमी’’की चर्चा करते हुए निर्माता दिनेश विजन कहते है- “यह ट्रेलर फिल्म ‘मिमी’ की तरह ही गर्मजोशी,  उत्साह और हंसी से भरा है. यह हमारी पहली एक्सक्लूसिव ओटीटी रिलीज है, और सिनेमाघरों में परिवार के संग लौटने के लिए कुछ समय लग सकता है. ‘मिमी’ के साथ हम परिवारों के लिए उनके घरों में आराम से बैठकर देखने वाला एक अच्छा सिनेमा लाए हैं. हमें उम्मीद है कि कृति सैनन का प्यारा और हास्यपूर्ण अवतार ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को खुशी देगा. इस फिल्म को ‘जियो सिनेमा’और ‘नेटफ्लिक्स’दो ओटीटी प्लेटफार्म एक साथ तीस जुलाई से स्ट्रीम करने वाले हैं. ’’

कृति सैनन अपने इंस्टाग्राम पर रिलीज की तारीख की घोषणा के साथ फिल्म का एक नया पोस्टर साझा कर चुकी हैं.  कृति सैनन कहती हैं-‘‘यह उपदेशात्मक या गंभीर नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप सरोगेसी पर फिल्म देखने जा रहे हैं और यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म होगी. यह एक बहुत ही मनोरंजक फिल्म है,  जो हास्य से भरपूर है,  और बहुत सारे उतार-चढ़ाव से भरी है. मैंने जिस महिला की भूमिका निभाया है, उसकी तमन्ना फिल्म अभिनेत्री बनने की है. ’’

फिल्म‘‘मिमी’’में शामिल कई लोगों के पुनर्मिलन का प्रतीक है.  इस फिल्म में कृति सैनन,  पंकज त्रिपाठी,  निर्देशक लक्ष्मण उटेकर और निर्माता दिनेश विजान सफलतम रोमांटिक-कॉमेडी ‘लुका छुप्पी’ के बाद एक साथ आए हैं.

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‘जियो स्टूडियो ’ और दिनेश विजान की कंपनी मैडॉक फिल्म्स प्रोडक्शन निर्मित तथा लक्ष्मण उटेकर  निर्देशित फिल्म‘‘मिमी’’में कृति सैनन,  पंकज त्रिपाठी,  साई तम्हंकर,  सुप्रिया पाठक और मनोज पाहवा ने अभिनय किया है. लक्ष्मण उटेकर ने रोहन शंकर के साथ ‘मिमी’की कहानी और पटकथा लिखी है,  जिन्होंने संवाद भी लिखे हैं. यह फिल्म  30 जुलाई 2021 से जियो सिनेमा और नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी.

किंजल के बाद अनुपमा के खिलाफ पाखी को भड़काएगी काव्या, करेगी ये काम

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) को पूरा एक साल हो गया है, जिसके चलते सीरियल के स्टार्स बेहद खुश हैं. वहीं नए-नए ट्विस्ट एंड टर्न्स के कारण सीरियल की टीआरपी भी पहले नंबर पर बनी हुई हैं. वहीं अब अपकमिंग एपिसोड्स में अनुपमा की जिंदगी में नया तूफान आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

किंजल परितोष ने छोड़ा शाह हाउस

अब तक आपने देखा कि अनुपमा जहां अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर चुकी है तो वहीं काव्या और वनराज की जिंदगी में उलट-पुलट शुरु हो गई है, जिसके चलते सीरियल में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी बीच किंजल और पारितोष ने भी घर छोड़कर राखी के पेंट हाउस में रहने का फैसला कर लिया है. हालांकि इसके चलते जहां अनुपमा टूटती हुई नजर आएगी तो वहीं वनराज (Sudhanshu Pandey) और बा नाराज दिखेंगे. हालांकि किंजल शाह हाउस छोड़ना नहीं चाहती लेकिन परितोष और किंजल की मां राखी अपने फैसले पर अड़े हुए हैं.

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अनुपमा पर लगाया बा ने इल्जाम

काव्या का बा को अपनी तरफ करने का प्लान धीरे-धीरे कामयाब हो रहा है. दरअसल, परितोष के घर छोड़ने के लिए बा अपकमिंग एपसोड में अनुपमा को जिम्मेदार ठहराने वाली है. दरअसल, बा, अनुपमा से कहेंगी कि घर में बंटवारा पहले ही हो गया था, अब वह परिवार भी बांट रही है. हालांकि वनराज (Sudhanshu Pandey) इस बात पर बा के खिलाफ होगा. लेकिन बा ज्यादा देर अनुपमा से नाराज नही रहेंगे.

पाखी को भड़काएगी काव्या

 

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बीते दिनों जहां काव्या , किंजल को अनुपमा के खिलाफ भड़काती नजर आई थी तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में उसका अगला मोहरा पाखी होगी. दरअसल, आने वाले एपिसोड में समर पूरे परिवार को अनुपमा की एकेडमी दिखाने ले जाएगा. इस दौरान  पाखी और काव्या अकेले रहेंगे. वहीं पाखी लगातार अनुपमा (Anupama) को फोन मिलाएगी, लेकिन नेटवर्क न होने की वजह से अनुपमा का फोन नहीं लगेगा. ऐसे में काव्या (Madalsa Sharma), पाखी से कहेगी कि अनुपमा की पहली प्रायॉरिटी समर है. इसके बाद वो किंजल और पारितोष को चाहती है और फिर नंदिनी. और उसका नंबर आखिर में आता है, जिसके बाद पाखी सोचती नजर आएगी. हालांकि देखना होगा कि क्या पाखी अनुपमा के खिलाफ होगी या काव्या का सपना फिर टूट जाएगा.

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