‘तारक मेहता’ में होगी ‘दयाबेन’ की वापसी! प्रोड्यूसर ने किया खुलासा

सब टीवी का कौमेडी ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) कई सालों से औडियंस को एंटरटेन कर रहा है. हालांकि शो से दयाबेन के चले जाने से फैंस काफी दुखी हुए थे. वहीं इसी के कारण फैंस लगातार शो में दयाबेन  (Disha Vakani) की वापसी को लेकर अपनी इच्छा के बारे में शो के मेकर्स को बता रहे हैं. वहीं अब शो के प्रोड्यूसर असित मोदी (producer Asit Modi) ने दया बेन की एंट्री कब होगी इस को लेकर बयान दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला….

इतना मांगा है समय

दयाबेन अब शो में वापस आएगी या नहीं, इस पर अब प्रोड्यूसर असित मोदी ने चुप्पी तोड़ते हुए एक इंटरव्यू में कहा है कि ‘मैं समझ सकता हूं कि अब दर्शक भी दया भाभी का इंतजार करते-करते थक चुके हैं. एक दर्शक के नजरिए से बोलूं तो मैं भी दया भाभी को शो में वापस चाहता हूं, लेकिन इस महामारी के दौरान कुछ चीजें संभव नहीं हैं. लोगों को मुझे अगले 2-3 महीनों तक सपोर्ट करना होगा. मैं उनसे विनती करता हूं कि वो हमारी परेशानी समझें.’

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फैंस कर रहें हैं सवाल

4 साल से शो से दूर दयाबेन की वापसी को लेकर कई लोगों ने सवाल किए हैं. वहीं दयाबेन के फैंस का कहना है कि अगर वह उन्हें शो में नहीं ला सकते तो उन्हें ये शो बंद कर देना चाहिए. हालांकि कुछ लोग आज भी शो में दयाबेन की एंट्री का इंतजार कर रहे हैं.

बता दें, ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में दयाबेन का रोल प्ले कर रही एक्ट्रेस दिशा ने 2017 से इस शो से प्रेग्नेंसी के कारण ब्रेक लिया था, जिसके कुछ साल बाद उनकी वापसी को लेकर खबरें सोशलमीडिया पर छा गई थीं. हालांकि मेकर्स के साथ दिशा वकानी की कुछ बात नही बन पाई और उन्होंने शो में एंट्री से इंकार कर दिया. वहीं खबरें थीं कि अब वह कभी शो का हिस्सा नही बनेंगी. हालांकि अब प्रौड्यूसर असित मोदी के इस बयान के बाद देखना होगा कि शो में नई दयाबेन आती है या दिशा वकानी ही इस रोल को निभाती हैं.

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टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) टीआरपी लिस्ट के पहले पायदान पर कायम है. हालांकि बीते दिनों सीरियल के कई सितारों के कोरोना पौजीटिव होने के बाद शो की फैन फौलोइंग पर असर पड़ने लगा था. लेकिन अब मेकर्स ने नए ट्विस्ट एंड टर्न्स के साथ कहानी में नए बदलाव करने का फैसला कर लिया है, जिसके चलते शो में 5 नए बदलाव देखने को मिलने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होंगे ये बदलाव

मुसीबत में फंसेगी पाखी

आने वाले दिनों में इस सीरियल में एक के बाद एक नए ट्विस्ट आने वाले हैं. वहीं शो में आने वाला पहला ट्विस्ट इन दिनों फैंस को हैरान कर रहा है. दरअसल, अनुपमा और वनराज की गैरमौजूदगी में पाखी (Muskan Bamne) एक पार्टी में जाएगी. जहां उसका दोस्त उससे बदत्मीजी करेगा, जिसके बाद पाखी उसपर हाथ उठाएगी. वहीं पाखी के इस काम के बाद उसका दोस्त उससे बदला लेने की कोशिश करेगा, जिसके बाद वह अनजाने में वन नाइट स्टैंड स्कैंडल का शिकार हो जाएगी. वहीं इस बात की भनक अनुपमा को लगने के बाद सभी हैरान हो जाएगें.

 

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वनराज और अनुपमा का होगा तलाक

पाखी की मुसीबत के बीच अनुपमा और वनराज शाह हाउस पहुंचेंगे तो काव्या दोनों के तलाक का राज खोलती नजर आएगी. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड्स में आप देखेंगे कि अनुपमा (Rupali Ganguly) और वनराज (Sudhanshu Pandey) का तलाक हो जाएगा. हालांकि इस दौरान दोनों अपना रिश्ता टूटने को लेकर काफी इमोशनल होते हुए दिखेंगे. लेकिन काव्या इस तलाक का जश्न मनाती हुई नजर आएगी.

अनुपमा का होगा मेकओवर

 

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तलाक के बाद जहां वनराज काव्या से शादी करने का प्लान बनाएगा तो वहीं तलाक के बाद पाखी, किंजल (Nidhi Shah) और समर (Paras Kalnawat) मिलकर अनुपमा से अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हुए उसका मेकओवर करने की जिद करेंगे, जिसे अनुपमा मना नही कर पाएगी. वहीं अनुपमा अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हुए अपने पैरों पर खड़े होते हुए अपने सपने पूरे करती नजर आएगी.

राम कपूर की होगी एंट्री

‘अनुपमा’ की जिंदगी से वनराज की एक्जिट होते ही सीरियल में एक्टर राम कपूर की एंट्री होगी, जो कि अनुपमा के पुराने प्यार के रोल में नजर आएंगे. वहीं राम कपूर सीरियल में अनुपमा का हर कदम पर साथ देते हुए मदद भी करते दिखेंगे.

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वनराज को होगा गलती का एहसास

 

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राम कपूर की एंट्री के बाद जहां अनुपमा की जिंदगी पटरी पर लौटेगी तो वहीं वनराज और काव्या के बीच मुसीबतें शुरु हो जाएंगी. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में वनराज और काव्या के बीच लड़ाइयां बढ़ जाएगी, जिसके कारण वह अपनी जिंदगी में अनुपमा की कमी को महसूस करता दिखेगा. इसी के साथ उसे अनुपमा को अपनी जिंदगी से दूर करने पर गलती का एहसास होगा.

बच्चों को चुगलखोर न बनायें 

चुगली की शुरुआत ही किसी मसालेदार या चटपटी  ख़बर से होती है, इसलिए बाल मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चो को ऐसी कोई भी बात बहुत रोचक लगती है वो  इन्हें उच्च श्रेणी की कहानी  मान लेते हैं. आपको यदि आपके बच्चे भी  अपने आसपास की चटपटी ख़बरें, वो भी नमक-मिर्च लगाकर सुना रहे  हों, तो आप एकदम सजग हो जायें.  ये आदत आपके बच्चे के  पूरे व्यक्तित्व को  खराब कर सकती है और उनको कल्पना की ऐसी दुनिया में ले जाएगी जो बहुत ही अवसाद वाली होगी  जहां वास्तविकता तो मुश्किल से  एक प्रतिशत भी नहीं  होगी और मसाला तथा झूठ सौ प्रतिशत.

बच्चे का  नजरिया बिगड़ने लगेगा वो सच को अनदेखा करना सीख जायेगा चुगलखोरी उसको बेसिर पैर की  बातें बनाना सिखा देगी. यह बहुत ही  जोखिम भरा स्वभाव है जो बच्चे में तब ही विकसित होता है जब माता पिता उसमें रूचि लेते  हैं, क्योंकि इनके द्वारा बताई जानेवाली ख़बरों का अंदाज बहुत ही रोचक होता है भले ही आधार ख़ुद बच्चे को  भी मालूम नहीं होता. ऐसी बातों को अहमियत न दें वरना बच्चे का सोचने का  तरीका बेढंगा  होगा और भविष्य अंधकारमय .बालमन बहुत ही उत्सुक हुआ करता है.अक्सर बच्चों की आदत होती ही  है वे अपने तथा औरों के घर की बातें आते-जाते कान लगाकर  सुनने की कोशिश करते हैं. ऐसे में कोशिश कीजिए कि आप जब भी कोई ऐसी बात कर रहे हों तो सामान्य बनकर करें ताकि बच्चे में कान लगाने वाली आदत विकसित न हो एक घटना सबके लिए सबक है. मीता का अपनी भावनाओं पर कभी कोई काबू नहीं है इसलिए वो तैश  मे आकर बगैर कुछ सोचे समझे अडो़स -पड़ोस, नाते रि-श्तेदार सबकी बातें बच्चों के सामने बेहिचक कर देती थी.मीता की  बातें सुनकर उसके बच्चों के मन मे भी संबंधित व्यक्ति के लिए बहुत ही गलत भावना पैदा होने लगी. और एक दिन इसी बात पर किसी पारिवारिक उत्सव मे मीता के बच्चों ने उस रिश्तेदार की  बहुत सारी चुगली  खुलेआम कर दी.

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मीता और वहां उपस्थित  बाकी सब भी  हक्के -बक्के से  रह गये कि बच्चों के  मुख से ऐसी बातें आखिर निकलीं भी तो कैसे ? और बाद मे हरेक ने  इसके लिए सिर्फ मीता को ही जिम्मेदार ठहराया.और वहां पर बहुत बड़ा हंगामा हुआ.

अच्छा माहौल था पर रंग मे भंग पड़ गया. मीता को बहुत शर्मिंदा होकर वापस लौटना पड़ा. आखिर गलती तो उसी की  थी. उसने बच्चों मे नफरत का  बीज बो दिया था.

मीता जैसी गलती  बहुत सारी मां कर देती हैं. किसी से नाराज होकर अपना मन हलका करना हो तो यह नहीं सोचती कि बच्चे तो बिलकुल अबोध है उन पर इसका गलत असर पडे़गा. मन मे जब गुस्से का  जहर भरा हुआ होता है तब कुछ भी समझ नहीं आता कि क्या बोलें और क्या नहीं. पर यह तो हमारे हाथ मे ही है कि किसी भी तरह की चुगली आदि से बच्चों को दूर ही रखें वो हमारा भविष्य हैं.किसी ने कहा  है कि “निंदा रस में बड़ा मजा आता है, परंतु यह निंदा रस आप के अंदर तो नकारात्मकता भरता ही है, कई बार दूसरों के सामने भी आप की स्थिति को खराब कर देता है. कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं, इसलिए आज आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही गई बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जाएगी. ऐसे में आप के संबंध बिगड़ते देर नहीं लगेगी.”

हमको अपना जीवन सहजता से जीना चाहिए हर इंसान मे कुछ न कुछ कमी तो होती ही है कमी की  तरफ ध्यान देते रहेंगे तो बार बार चुगली  करने का  ही मन होगा और कभी न कभी वो बात अपने बच्चों के  सामने भी कह देंगे बस वहीं से बच्चों की  आदत भी वैसे ही ढलने लगेगी.जब भी किसी से नाराजगी हो तो उसी समय अपनी दो चार खराब आदतें भी याद कर लेनी चाहिए ताकि हम संतुलित होकर रहे और  कम से कम हमारे मुंह से गलत बात निकलकर बच्चों के कान मे तो नहीं जायेगी.

बच्चे अपनी मां की  विचारधारा से बहुत प्रभावित रहते हैं. वो वैसे ही बनना चाहते हैं जैसी उनकी मां है . अगर वो बार- बार अपनी मां को चुगली करते हुए सुनेंगे तो खुद भी वैसे ही बनना चाहेंगे.अगर ऐसा हुआ तो बहुत मुश्किल होगी.चुगली, पर निंदा, दूसरों के चटपटे  किस्से, फालतू गपशप मे बहुत रस आता है और फोन वगैरह पर यह सब बार बार बच्चों के सामने दोहराया जाता है तो हौले हौले वो भी स्कूल कालोनी आदि मे हर किसी मे अनुकरणीय बातों की बजाय हमेशा कुछ  चटपटे से किस्से् खोजने लगते हैं यही उनका सबसे पसंदीदा काम बन जाता है.

अब दुष्परिणाम यह होता है कि बच्चों की सोच संकुचित होने लगती है. उनका विकास अवरूद्ध होता है जो बहुत ही घातक है.

केवल जीवन जी लेना ही सब कुछ नहीं होता है इससे भी महत्वपूर्ण होता है अच्छी विचारधारा का पालन करना इसको अपनी नियमित आदत बनाना. दिमाग को खूबसूरत सोचने के  लिए यथासंभव प्रेरित करना चाहिए यह बहुत आसान है और बडा ही लाभदायक भी. चुगली करने वाले व्यक्ति के मन में चुगली के साथ-साथ झूठ बोलना, बुराई करना, मतभेद करवाना, निंदा करना आदि अनेक बुरी आदतें भी जन्म ले लेती है.इससे वह इन सब से बच नहीं पाता और समय के साथ-साथ अपना अस्तित्व खो बैठता है. न तो वह भरोसे के  काबिल रहता है न किसी मान सम्मान के.

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हर किसी का जीवन एक ही तरह से नही गुजरता है, इसलिए कहीं किसी के  निजी जीवन मे  कुछ

अटपटा है तो  एक व्यक्ति की बात मसालेदार बनाकर उसको अन्य लोगों  तक फैलाना और  उनके मध्य मनमुटाव पैदा करने के उद्देश्य से कहना बहुत ही विस्फोटक काम है.

आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों  में अपने परिवार के  किसी सदस्य की  बोली के अंदाज़ मे ही चुगली करने की बुरी आदत हौले हौले बनती रहती है. यह आदत बालक को समाज और व्यक्तित्व से पूर्णतया अलग कर देती है.

किसी की  निजी बातें आखिर इस तरह मजे लेकर  करनी ही क्यों हैं यह मानवीयता  नहीं है और यह आदत बहुत ही  गंदी भी  है, इससे बचकर रहना ही आपके लिए श्रेष्ठ है.

मुंह से निकली हुई बात बहुत लंबा सफर तय करती है.दिमाग की  ऊर्जा को सही जगह पर लगाना चाहिए.

नकारात्मक बातों से इस पर बहुत दबाव पड़ता है.

बच्चों को प्रगति करते हुए देखना चाहते हैं तो घर पर किसी की  भी चुगली  मत कीजिये. मन मे शीतलता, स्फूर्ति, गतिशीलता वाली बातें ही साझा करें. सोचिये  क्या हमारे देश को शिवाजी, ध्रुव, आरूणि,

प्रहलाद जैसे बालक मिलते अगर वहां भी चुगलियों का  सिलसिला चल रहा होता.कुदरती तौर पर बच्चे सचमुच बहुत ही संवेदनशील होते है, कोमल हृदय के  होते हैं.आपके मुँह से बार बार  चुगली, निंदा आदि से उनको अनावश्यक तनाव हो सकता है और उनकी पढ़ाई मे बाधा आ सकती है. अपनी जुबान को बेवजह  खराब न करें. आत्मविश्वास ही दिमाग की  खुराक है और  चुगली नहीं बल्कि सहयोग, सामूहिकता, सबके साथ निरंतर प्रसन्नता  ही इसकी असली  सुगंध है.

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प्रेशर कुकर इस्तेमाल करने का सही तरीका जानती हैं आप

खाना बनाने में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल करना आम बात है. खाना बनाने के बर्तनों में प्रेशर कुकर सबसे महत्वपूर्ण बर्तन है, जिसका ढक्कन बंद करने के बाद आपको न तो चम्मच हिलाने की जरूरत पड़ती है और न ही बार-बार यह देख‍ना पड़ता है कि खाना पका या नहीं. बस सीटी के हिसाब से अंदाजा लग जाता है कि खाना तैयार है. लेकिन क्या आपको आपके कुकर का सही इस्तेमाल करना आता है. अगर नहीं तो हम आपकी मुश्किल आसान कर देते हैं और आपको बताते हैं कुकर के इस्तेमाल का सही तरीका.

1. कुकर को जबरदस्ती न खोलें

प्रेशर कुकर में खाना पकाते समय इसमें भाप बन जाता है. जब गैस को बंद किया जाता है उसके बाद भी कुछ देर तक भाप कुकर में ही रहती है लेकिन कई लोग इसमें से प्रेशर निकलने का इंतजार नहीं करते और इसे जबरदस्ती खोलने की कोशिश करते हैं जिससे कई बार कुकर फट सकता है. ऐसे में हमेशा अच्छे से भाप निकलने के बाद ही इसे खोंले.

2. पानी के बिना कुकर का इस्तेमाल

प्रेशर कुकर में कुछ भी पकाते समय इस बात को ध्यान रखें कि इसमें थोड़ा बहुत पानी जरूर हो. इसके अलावा कुकर पानी से बिल्कुल ऊपर तक न भरें, क्योंकि भाप को जमा होने के लिए जगह की जरूरत होती है. ज्यादा पानी होने की वजह से कुकर फट सकता है.

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3. प्रेशर कुकर में दरार

कुकर जब काफी पुराना हो जाता है तो उसमें दरारें या गढ्ढे पड़ जाते हैं जिसे इस्तेमाल करने से नुकसान हो सकता है. इसके लिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कुकर अच्छी तरह साफ हो और उसमें कोई दरार न हो.

4. बंद करने का तरीका

कुकर को हमेशा सही तरीके से बंद करें जिससे भाप सही तरीके से बन जाए और खाना भी अच्छे से पके. कई कुकर की रबड़ खराब होती है जिससे उसमें खाना पकाने में बहुत समय लगता है. ऐसे में नया कुकर लें नहीं तो उसकी रबड़ बदलवाएं.

5. कुकर से पानी बाहर आना

कई बार ऐसा होता है कि प्रेशर कुकर से पानी बाहर निकल आता है और यह इतना गर्म होता है कि शरीर पर पड़े इसके छींटों से त्वचा लाल हो जाती है. इसकी वजह प्रेशर कुकर में पानी की मात्रा का अनुपात सही नहीं होना होता है. खाने की तुलना में पानी ज्यादा हो तो कुकर से पानी बाहर निकलता है. ऐसा करने से खाना भी स्वादहीन हो जाता है. इससे बचने के लिए पानी की मात्रा का सही अंदाजा लगाना सीखें.

6. हर चीज कुकर में उबालने की नहीं होती

कई लोग हर चीज प्रेशर कुकर में ही उबालते हैं. जबकि हर चीज का अपना रूप और पकने का अपना तरीका होता है. कुकर में अनाज और कुछ सब्जियों को तो उबाला जा सकता है, लेकिन हर चीज को नहीं.

7. मसालों का गलत इस्तेमाल

प्रेशर कुकर में खाना बनाने के दौरान लोग मसालों के इस्तेमाल पर ध्यान नहीं देते. अगर आप चाहते हैं कि आपका खाना स्वादिष्ट बने तो ताजी सब्ज‍ियों और ताजे मसालों का इस्तेमाल करें. अगर ये संभव न हो तो खड़े मसालों का प्रयोग करें.

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8. प्याज लहसुन के इस्तेमाल में रखें खास ख्याल

कई बार लोग प्रेशर कुकर में खाना बनाने के दौरान कच्चा प्याज, लहसुन और अदरक यूं ही डाल देते हैं. लेकिन इससे खाने का स्वाद नहीं आता. कुकर में खाना बनाने के दौरान प्याज, लहसुन और अदरक को पहले किसी फ्राइंग पैन में भून लेना बेहतर रहेगा. ऐसा करने से इन चीजों की महक व स्वाद बरकरार रहेंगे.

जानें कैसा था प्राची तेहलान का नैटबौल की पूर्व कप्तान से एक्ट्रेस तक का सफर

आकर्षक, आत्मविश्वास से भरपूर,  5 फुट 9 इंच लंबी, खूबसूरत प्राची तेहलान इंडियन नैटबौल की पूर्व कप्तान होने के साथसाथ जानीमानी अदाकारा भी हैं. उन की कप्तानी में 2011 में भारतीय टीम ने दक्षिण एशियाई बीच खेलों में अपना पहला पदक जीता था. 2016 में प्राची तेहलान ‘दीया और बाती हम’ सीरियल से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. इस के बाद उन्होंने कई साउथ की और पंजाबी फिल्में कीं.

हाल ही में प्राची को अपनी पहली फिल्म ‘ममंगम’ के लिए कलाभवन मणि मैमोरियल अवार्ड्स 2021 के तहत बैस्ट ऐक्ट्रैस का  अवार्ड मिला.

उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश पेश हैं:

खिलाड़ी से ऐक्ट्रैस कैसे बनीं?

मैं उस वक्त दिल्ली में काम कर रही थी. तभी मुझे एक बहुत बड़े प्रोडक्शन हाउस से औफर आया. यह वही प्रोडक्शन हाउस था, जिन का स्टार प्लस पर आने वाला प्राइम टाइम शो ‘दीया और बाती हम’ था. उन्होंने मुझे फेसबुक से कौंटैक्ट किया और कहा कि हम आप को इस सीरियल में मौका देना चाहते हैं. मगर शर्त यह है कि आप को 3 दिन के अंदर ही मुंबई शिफ्ट होना होगा.

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मेरे लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था, क्योंकि अपना शहर और जौब छोड़ कर अचानक नए शहर में जा कर नए क्षेत्र में काम शुरू करना कठिन था. मगर मैं ने सोचा कि मुझे एक नया मौका मिल रहा है, इसलिए ट्राई करना तो बनता ही है. पेरैंट्स की भी सपोर्ट मेरे साथ थी और सब से बड़ी बात यह कि मुंबई में मेरी मौसी रहती थीं. इसलिए मेरे लिए यह फैसला लेना कठिन नहीं था. मैं ने उसी वक्त मुंबई शिफ्ट किया और मौसी के यहां रह कर ‘दीया और बाती हम’ शो के साथ ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत की.

इस के बाद मैं ने 2 पंजाबी फिल्में कीं और फिर स्टार प्लस के ही एक और शो ‘इक्यावन’ में काम किया. फिर मुझे सुपरस्टार ममूटी के साथ मलयालम फिल्म करने का मौका मिला. इस तरह अचानक मेरी जिंदगी की दिशा बदली और मैं खिलाड़ी से ऐक्ट्रैस बन गई.

आप की लंबी हाइट ने सफलता की राह में कैसे आप का साथ दिया?

मैं ने जीवन में जो भी सफलता पाई वह मुख्यतया अपनी हाइट की वजह से ही पाई है. भले ही वह बास्केटबौल और नैटबौल खेलना हो या फिर ‘दीया और बाती’ में मौका मिलना, दरअसल ‘दीया और बाती’ में एक लंबी लड़की की जरूरत थी. तभी मुझे वहां मौका दिया गया और मैं ऐक्ट्रैस बन पाई.

क्या भारतीय खिलाडि़यों को विदेशियों की तुलना में कम सहूलियत मिलती है?

जी हां भारतीय खिलाडि़यों को हर तरह से बहुत कम सहूलियत मिलती है. भले ही वह इंफ्रास्ट्रक्चर की बात हो, फैसिलिटीज हो या फिर जौब औपर्च्यूनिटी की बात, हर तरीके से पिछड़े  हुए हैं. पिछले दिनों कौमनवैल्थ गेम्स से पहले  मैं 21 दिनों के लिए आस्ट्रेलिया गई थी. वहां  पर आस्ट्रेलियन इंस्टिट्यूट औफ स्पोर्ट्स में  रुकना हुआ.

अगर हम उस की तुलना अपनी ‘स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया’ से करें तो हमें पता चलेगा कि कितना बड़ा अंतर है. वहां सारी सैवन स्टार फैसिलिटीज, बेहतरीन सैनिटाइजेशन, वैल इक्यूपिड और प्लान्ड कमरे, कैफेटेरिया, डाइट सबकुछ था. विदेशों में खिलाडि़यों को बहुत अच्छी फैसिलिटीज मिलती है पर भारत में वह नहीं मिल पाता.

हाल ही में आप के साथ कुछ लड़कों  द्वारा बदतमीजी की जाने की घटना सामने  आई. महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में क्या कहना चाहेंगी?

उस रात मैं पति के साथ एक फैमिली गैटटुगैदर से वापस आ रही थी. रास्ते में 4 युवकों ने हमारी कार का पीछा करना शुरू किया और हमारे पीछेपीछे सोसाइटी में भी घुस गए. मेरा मानना है कि दिल्ली बहुत असुरक्षित है. लोग गाडि़यों में दारू पीते हैं, छेड़खानी करते हैं. कैपिटल हो कर भी दिल्ली में कुछ लोग पता नहीं क्यों इतने गंदे हैं जबकि मुंबई में माहौल बहुत अच्छा है. कोई लड़का किसी लड़की को घूर कर देखने की भी हिम्मत नहीं करता. दिल्ली और मुंबई के लोगों की सोच में 10 साल का फर्क है.

आप खुद को खिलाड़ी देखना ज्यादा पसंद करती हैं या ऐक्ट्रैस?

मैं खुद को खिलाड़ी देखना ज्यादा पसंद करती हूं. स्पोर्ट्स के जरीए ही मेरी जिंदगी का आधार तैयार हुआ. मैं जब ऐक्ट्रैस के तौर पर काम करती हूं तो भी मेरा स्पोर्ट्स पर्सन होना काफी हैल्पफुल होता है.

कोरोना से आप ने क्या सीखा?

कोरोना ने हमें सिखाया कि जिंदगी बहुत अनिश्चित है. जिंदगी में महत्त्वपूर्ण क्या है, इस बात को समझना जरूरी है. हमें ऐंबिशियस होना चाहिए. काम करना भी जरूरी है. मगर जीवन में बैलेंस रखना भी बहुत जरूरी है. हम जिंदगी में बस दौड़े जा रहे थे. कंपीटिशन में उलझे हुए थे. मगर हमें यह समझना जरूरी है कि अपनों के साथ समय बिताना, खूबसूरत यादें सजाना और खुश रहना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है.

स्त्रियों की स्थिति मजबूत करने के लिए सब से जरूरी क्या है?

सब से जरूरी यह है कि स्त्रियां सैल्फ डिफैंस करना सीखें. वे शिक्षित हों और यहां के सिस्टम को दुरुस्त किया जाए ताकि लोग गलत करने से पहले 10 बार सोचें. लड़कियों को बाहर निकलने से पहले यह न सोचना पड़े कि कहीं कोई दुर्घटना न घट जाए.

Summer Special: फैमिली के लिए बनाएं ड्राई फ्रूट्स मैंगो लस्सी

फलों का राजा कहा जाने वाला आम हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. गर्मियों के मौसम में ये आपको हर मार्केट में आसानी से मिल जाएगे. यह हमें कई बीमारियों से बचाता है.

आपने आम से संबंधित कई तरह की रेसिपी बनाई और खाई होगी, लेकिन हम आपको ऐसे रेसिपी के बारे में बता रहे हैं जो स्वाद में बेमिसाल होने के साथ-साथ सेहतमंद भी है. तो  फिर देर किस बात की. बनाइए ड्राई फूट्स मैंगो लस्सी..

सामग्री

1. एक कप दही

2. एक आम छिला कटा हुआ

3. तीन चमम्च चीनी

4.  5-6 पिस्ता

5. गुलाब जल कुछ बूंद

6. आवश्कतानुसार आइस क्यूब

ऐसे बनाएं ड्राई फूट्स मैंगो लस्सी

सबसे पहले बादाम और पिस्ता ग्राइंडर में डालकर पाउडर बना लें. इसे एक बाउल में निकाल लें. इसके बाद इसमें दही, आम, चीनी और गुलाब जल डालकर चलाएं. जब ये अच्छी तरह से मैश हो जाए तो इसे एक पैन में छान लें. और पिर एक गिलास में कुछ आइस क्यूब, ड्राई फ्रूट्स का पाउडर डालकर इसे डालें. आपकी ड्राई फ्रूट्स मैंगो लस्सी बनकर तैयार है.

शादी की शॉपिंग में बिजी हुईं राहुल वैद्य की गर्लफ्रैंड! वीडियो में दिखाई लहंगों की झलक

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) में अपने प्यार का इजहार करने वाले सिंगर राहुल वैद्य (Rahul Vaidya) अपनी गर्लफ्रेंड और एक्ट्रेस दिशा परमार संग जल्द शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. वहीं सोशलमीडिया में शादी की फोटो को लेकर राहुल और दिशा काफी सुर्खियों में छा गए हैं, जिसके बाद अब दिशा परमार ने अपने कुछ वेडिंग लुक शेयर किए हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. दरअसल, एक्ट्रेस दिशा परमार ने 29 सेकंड का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने प्री वेडिंग से लेकर वेडिंग डे तक के कुछ खास लुक्स दिखाए हैं. आइए आपको दिखाते दिशा परमार के वेडिंग लुक्स…

1. Purple लहंगें में गिराई बिजलियां

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29 सेकंड की वीडियो में दिशा परमार ने 4 लहंगो की झलक दिखाई, जिनमें पहला लहंगा है मिरर वर्क और पर्ल वर्क वाला पर्पल कलर का लहंगा. इस लहंगे साथ दिशा ने पर्ल ज्वैलरी कैरी की थी, जो उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

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2. पिंक लहंगे में लग रही थीं कमाल

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पिंक कलर के लहंगे में दिशा परमार बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक के साथ चेन वाली ज्वैलरी काफी ट्रैंडी साबित हो रही थी, जो वेडिंग कलेक्शन के लिए परफेक्ट लुक है.

3. बनारसी कौम्बिनेशन है परफेक्ट 

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बनारसी दुपट्टे और साड़ियां इन दिनों ट्रैंड में हैं. वहीं औरेंज कलर के लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टा दिशा परमार के लुक को ट्रैंडी बना रहा था. इस लुक के साथ गोल्ड के झुपके काफी खूबसूरत लग रहे थे.

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4. ब्राइडल लुक में दिखीं खूबसूरत

 

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दिशा परमार ने अपने ब्राइडल लुक की झलक भी सोशलमीडिया के जरिए दिखाई. हालांकि ये लुक्स एक फोटोशूट के लिए किए गए थे. लेकिन इन सभी लुक में दिशा किसी नई नवेली दुल्हन से खूबसूरत लग रही थी.

 

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शादी की वायरल फोटोज में लगी थीं खूबसूरत

 

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हाल ही में सोशलमीडिया पर राहुल वैद्य और गर्लफ्रेंड दिशा परमार की एक शादी की फोटो वायरल हुई थी, जिसमें दोनों दुल्हा-दुल्हन बने हुए थे. हालांकि ये फोटो दोनों के अपकमिंग सौंग की थी.

उस रात अचानक: क्या गुंजन साबित कर पाई?

Serial Story: उस रात अचानक– भाग 1

रोज की तरह आज भी दोनों पतिपत्नी प्रशांत और गुंजन रात का खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकल पड़े थे.

प्रशांत एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है और गुंजन एक ट्रैवल एंड टूर कंपनी में काम करती है. दोनों अच्छाखासा वेतन पाते हैं. सुखसुविधा के हर साजोसामान से घर भरा पड़ा है. दफ्तर दोनों ही अपनीअपनी कार से आतेजाते हैं.

शरीर का थोड़ाबहुत व्यायाम हो जाए और पतिपत्नी को परस्पर एकदूसरे से बातचीत का अवसर मिल जाए, इस उद्देश्य से दोनों रोज ही घर से लंबी सैर के लिए निकलते हैं.

प्रशांत को पान खाने का भी शौक था. शहर की चर्चित पान की दुकान, आपस में बातचीत करते कब करीब आ जाती, उन्हें पता ही नहीं चलता था. पति के साथ गुंजन भी गुलकंद वाला मीठा पान खाने की आदी हो गई थी.

दोनों के विवाह को साढ़े 3 साल हो चुके हैं. प्रशांत के मातापिता घर में नन्हे बच्चे की किलकारियां सुनने को बेचैन हैं किंतु वे दोनों अपने ही कैरियर में व्यस्त, ऊंचाइयों को छूने की महत्त्वाकांक्षा मन में पाले हुए हैं.

प्रशांत पिछले कुछ अरसे से गुंजन को अपनी नौकरी बदलने के लिए जबतब कह देता, ‘‘अब हमें अपने परिवार की योजना बनानी चाहिए…तुम यह भागदौड़ वाली नौकरी छोड़ दो. इस में काफी समय खर्च करना पड़ता है. कहीं किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाने की नौकरी का प्रयास करो. यू नो, टीचिंग लाइन में माहौल भी अच्छा…सभ्य मिलता है और छुट्टियां भी काफी मिल जाती हैं.’’

प्रशांत की इस सलाह का आशय गुंजन भलीभांति जानती है.

‘‘यह भी अच्छी नौकरी है…और फिर मेरी रुचि का काम भी है. दूसरी नौकरी क्या आसानी से मिल जाएगी? लगीलगाई बढि़या नौकरी छोड़ कर दूसरी नौकरी की तलाश के लिए भागदौड़ करना क्या सही होगा?’’ गुंजन के सवाल पर पुन: प्रशांत ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लेकिन गुंजन, सारा दिन पुरुष ग्राहकों के साथ डील करना…’’

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प्रशांत के मन की बात भांप कर गुंजन बीच में ही बात काटती हुई बोली, ‘‘अच्छा ठीक है. इस बारे में सोचूंगी.’’

इनसान की प्रकृति भी विचित्र होती है. जीवनसाथी के रूप में उसे एक पढ़ीलिखी आधुनिका पत्नी की भी कामना होती है और साथ ही वह नौकरीपेशा, अच्छा वेतन पाने वाली पत्नी की भी उम्मीद करता है और वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी घरपरिवार का पूरा खयाल रखे, घर के हर सदस्य की जरूरत पर तुरंत हाजिर हो.

किंतु इनसान के भीतर की परंपरा- वादी सोच औरत को अपने कार्यक्षेत्र में पुरुष सहकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करने को भी सहजता से पचा नहीं पाती.

प्रशांत की ठेठ पुरुषवादी मान- सिकता गुंजन के व्यावसायिक संबंधों को ले कर जबतब सचेत हो जाती.

जब कभी गुंजन कार्य की अधिकता के चलते घर देर से वापस आती तो प्रशांत के दिल व दिमाग पर संदेह का कीड़ा कुलबुलाने लगता.

गुंजन के समक्ष उस की वाणी तो मौन रहती किंतु आंखों और चेहरे के अप्रिय भाव कई सवाल पूछते प्रतीत होते थे.

गुंजन के नाम कोई भी पत्र आता तो प्रशांत पहले पढ़ता. उस के फोन काल्स के बारे में जानने को उत्सुक रहता. आफिस के मामलों में गुंजन से कैफियत मांगता रहता.

ऐसे मौकों पर गुंजन तिलमिला कर रह जाया करती थी. वह सोचती थी कि आज के दौर में व्यक्ति को खुले दिमाग का अवश्य होना चाहिए. पर प्रत्यक्ष वह प्रशांत के हर प्रश्न का सटीक उत्तर दे कर उन की जिज्ञासाएं शांत कर देती थी और अपनी मधुर खिलखिलाहट से वातावरण को हलकाफुलका बना देती थी.

‘‘प्रशांत, तुम इतने पजेसिव हो… शक्की हो…’’ उस के घुंघराले बालों में प्यार से उंगलियां फेरती वह कह उठती थी.

‘‘डियर, सभी मर्द ऐसे ही होते हैं,’’ प्रशांत उसे बांहों में भींच कह उठता था. तब गुंजन का तनमन खिल उठता था.

दोनों टहलते बातें करते जा रहे थे. तभी प्रशांत का मोबाइल बज उठा और वह फोन पर बात करता चला जा रहा था.

पति के पीछेपीछे चलती गुंजन पति के साथ कदम मिला कर चल नहीं पा रही थी क्योंकि जल्दबाजी में आज वह पुरानी चप्पल पहन आई थी. दौड़ कर पति के साथ कदम मिलाने के प्रयास में ठोकर खा कर गिरने को ही थी कि उस की चप्पल टूट गई थी.

प्रशांत अभी भी कान पर मोबाइल लगाए अपनी ही धुन में आगे निकल चुका था.

गुंजन ने पति को पुकारना चाहा किंतु पलक झपकते ही उस की आंखों के सामने काला अंधकार छा गया था. गुंजन के चेहरे को किसी ने कपड़े से कस कर ढांप दिया था और जबरदस्ती खींच कर कार में बिठा कार दौड़ा दी थी.

गुंजन ने हाथपैर मारने का बहुतेरा प्रयास किया किंतु सब व्यर्थ, उस के हाथपैरों को भी बांध दिया गया था.

लाचार और भयभीत गुंजन का दम घुटने लगा था. बेबस छटपटाहट से वह कुछ ही देर में सुधबुध खो बैठी थी.

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उधर प्रशांत स्तब्ध खड़ा गुंजन को यहांवहां देख रहा था. परेशान हो कर दौड़ता हुआ घर वापस आया पर वहां भी गुंजन को न पा कर उस के हाथों के तोते उड़ गए थे. वह अनजानी आशंका से भयभीत हो पुन: उसी रास्ते पर दौड़ कर आया और राह चलते लोगों, आसपास की दुकानों पर पूछताछ करने लगा. किंतु कोई लाभ न हुआ.

घर वापस आ कर परिचितों, रिश्तेदारों तथा मित्रों से फोन पर पूछताछ करने के बाद भी उसे निराशा ही हाथ लगी.

सारी रात आंखों ही आंखों में कट गई. पौ फटते ही अचानक फोन की घंटी बज उठी. प्रशांत ने लपक कर फोन का रिसीवर कान से लगाया और परेशान हो उठा.

गुंजन के अपहरण की जानकारी देते हुए अपहरणकर्ताओं ने फिरौती के रूप में एक बड़ी रकम की मांग की थी. साथ ही सख्त शब्दों में धमकी दी गई थी कि अपहरण की भनक या जानकारी पुलिस को नहीं लगनी चाहिए वरना पत्नी से हाथ धोना पड़ेगा.

पूरा घर सहम गया था. चुपचाप पुलिस को सूचना देते ही पुलिस तुरंत सक्रियता से छानबीन में जुट गई थी.

अपहरणकर्ता गुंजन को ले तुरंत शहर से सटे एक गांव में आए थे जहां एक छुटभैये गुंडा नेता की आलीशान कोठी निर्माणाधीन थी. उस कोठी के ही एक खास कोने में गुंजन को ला कर रख दिया गया था.

आगे पढ़ें- गुंजन को वहीं छिपा कर अपहरणकर्ता…

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Serial Story: उस रात अचानक– भाग 2

उस निर्माणाधीन कोठी की हिफाजत और देखभाल के लिए नेता का एक खास कृपापात्र, जो दूर के रिश्ते में नेता का साला लगता था, रात में सोने के लिए आता था. कभीकभार उस के साथ पत्नी और बच्चे भी आ जाते थे.

गुंजन को वहीं छिपा कर अपहरणकर्ता खुद निडरता से फिरौती की रकम के लिए फोन करने के बाद उस के मिलने की प्रतीक्षा में थे. कोठी के मालिक का उन लोगों पर वरदहस्त था. अपहरणकर्ता इसलिए भी निश्ंिचत थे कि बंधी हुई बेबस चिडि़या आखिर यहां से कैसे कहीं भाग जाएगी? इसी सोच के चलते वे गुंजन की तरफ से लापरवाह थे.

प्रशांत दुखी- परेशान मन से पत्नी की सकुशल वापसी की प्रतीक्षा कर रहा था.

रात बीतने का एक प्रहर अभी शेष था, तभी गुंजन ने घर के मुख्यद्वार की घंटी बजा दी. प्रशांत ने दरवाजा खोला, बदहवास गुंजन को एकाएक सामने खड़ा देख वह दंग रह गया था. आश्चर्य मिश्रित हर्ष से उस का चेहरा खिल गया था.

गुंजन की रुलाई फूट पड़ी थी. डरीसहमी गुंजन पति के चौड़े सीने से लग रोतीबिसूरती बोली, ‘‘प्रशांत, उन अपहरणकर्ताओं ने मेरे खूबसूरत कंगन और कानों के कीमती ‘टौप्स’ निकाल लिए.’’

प्रशांत ने पत्नी की आंखों में झांका, ‘‘सिर्फ कंगन और कानों के झुमके ही गए?’’

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‘‘वह तो अच्छा हुआ उस दिन मैं ने अपना मंगलसूत्र गले से उतार कर सोनार को बनने के लिए दे दिया था क्योंकि उस की लडि़यों के मोती निकल गए थे,’’ गुंजन अपनी ही रौ में बोल रही थी, ‘‘गले में पहना होता तो वे निर्दयी उसे भी उतार लेते,’’ गुंजन ने सरलता से पति को देखते व्यथित मन से कहा.

किंतु प्रशांत की आंखों में उभरे विचित्र भावों को देख वह चौंक गई थी. सासससुर की आंखों में भी प्रश्नों की जिज्ञासाएं थीं.

केस खुदबखुद सुलझ गया था. पुलिस ने भी राहत की सांस ली.

गुंजन ने अपनी स्वयं घर वापसी की घटना घर के सदस्यों को कह सुनाई थी.

‘‘रात को उस खंडहरनुमा कोठी में एक महिला ने मुझे वहां बंधा हुआ देखा. पहले तो वह हैरान हुई फिर उस ने शायद किसी से फोन पर बात की और कुछ ही देर बाद मुझे बंधन से मुक्त कर तुरंत वहां से भगा दिया. उस ने ही मुझे पैसे भी दिए ताकि मैं घर वापस जा सकूं…मेरी आपबीती सुन कर उस महिला ने मुझे बताया था कि कोठी के मालिक उस के रिश्तेदार हैं…उस ने मुझे हिदायत दी कि मैं इस घटना का जिक्र किसी से न करूं…उस महिला ने वहां से भागने में मेरी मदद करते हुए कहा था, ‘तुम यहां बंधी रही हो, इस बात का जिक्र कहीं न करना…चुनावों का वक्त है…कोठी के मालिक की साख पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए… चुनावों का माहौल न होता तो तुम यहां से जा नहीं सकती थीं. इस वक्त चुनाव की चिंता है, उन्हें बस…’’’

गुंजन की सकुशल वापसी से सासससुर खुश थे…

‘‘बेटा, पुलिस की मदद से बहू के गहने तो उन लुटेरों से वापस ले लो…’’

गुंजन की सास को बहू के गहनों की चिंता सता रही थी किंतु गुंजन को गहनों से अधिक अपनी घरवापसी प्रिय लग रही थी.

गुंजन तो उम्मीद ही छोड़ चुकी थी उस अंधेरे नरक से वापसी की. उन बदमाशों की कैद में क्याक्या अनर्गल विचार…कैसीकैसी आशंकाएं उठती थीं उस के मन में. याद कर वह सिहर उठी थी.

भयंकर अट्टहास के साथ गुंजन ने उन बदमाशों के गंदे इरादे भी सुने थे, ‘‘यार, अब की बड़ा हाथ मारा है. कमाई तो अच्छी होगी ही…फिर इतनी खूबसूरत, जवान, ऐसा गदराया जिस्म है कि बस… खूब मजा आएगा,’’ यह कह कर उन्होंने गुंजन के जिस्म पर हाथ फेरा तो वह कसमसा उठी थी. हाथपैर बंधे थे, आंखें भी ढंकी थीं.

अपने समीप उन बदमाशों की पगध्वनि सुन कर गुंजन सहम गई थी और अपने सर्वनाश की कल्पना कर उस ने आंखें जोर से भींच लीं.

‘‘अरे, मजे फिर ले लेना. इस काम के लिए तुम्हें रोकूंगा भी नहीं, लेकिन इस के घर वाले ने पुलिस को इत्तला कर दी है इसलिए आज की रात तो पहले हमें अपनी जान बचानी है. कल जैसा जी में आए करना,’’ तीनों की सम्मिलित हंसी गूंज गई थी.

और उसी रात गुंजन उस अजनबी औरत के कारण घर वापस आ सकी थी.

गुंजन सहीसलामत अपने घर वापस आने पर खुश थी लेकिन घर का माहौल जैसे उसे कुछ बदलाबदला लग रहा था.

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प्रशांत का बदला व्यवहार उसे बेचैन कर रहा था. वह गुंजन से कुछ खिंचाखिंचा रहने लगा. गुंजन का बिना फिरौती दिए खुद ही घर वापस आ जाना उसे अस्वाभाविक लग रहा था. ‘सिर्फ जेवर ले कर ही अपहरणकर्ता खुश हो गए…क्या गुंजन उन के पास सहीसलामत रही होगी?’

प्रशांत के प्यार की गरमाहट समाप्त होती जा रही थी. दिनप्रतिदिन प्रशांत की उदासीनता और उपेक्षा से गुंजन दुखी और निराश रहने लगी थी.

इसी बीच दफ्तर के काम के दौरान उसे जबरदस्त चक्कर आ गया था. सिर घूम गया था. ‘शायद खानेपीने की लापरवाही से ऐसा हो,’ यह सोच कर वह कैंटीन की ओर बढ़ गई. किंतु जैसे ही कौर उठा कर मुंह में डाला तो उबकाई का उसे एहसास हुआ और वह उलटी के लिए टायलेट की ओर भागी. इस के बाद तो गुंजन निढाल सी हो गई और आफिस से छुट्टी ले डाक्टर के पास चली गई.

गुंजन का शक सही निकला. लेडी डाक्टर ने उसे गर्भवती होने की खुशखबरी सुनाई. गुंजन का तनमन खिल उठा. वह प्रशांत को यह खुशखबरी सुनाने को आतुर थी.

‘अब प्रशांत का व्यवहार भी उस के साथ अच्छा हो जाएगा, यह जान कर कि वह पिता बनने वाला है, खुश होगा,’ गुंजन मन ही मन विचार करती घर पहुंच गई थी.           –क्रमश:        

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