असल जिंदगी में पति को खो चुकी हैं Imlie की ‘मालिनी’, बयां किया दर्द

स्टार प्लस का सीरियल इमली (Imlie) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. जहां शो की कहानी में आदित्य और इमली की नजदीकियां बढ़ रही हैं, जिसके कारण मालिनी परेशान है. वहीं शो के किरदार उनकी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. दरअसल, शो में मालिनी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस मयूरी देशमुख (Mayuri Deshmukh) ने पति आशुतोष देशमुख की मौत के नौ महीने बाद अपना दर्द बयां किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

मुश्किलों का सामना कर चुकी हैं मयूरी

रियल लाइफ में मालिनी यानी मयूरी देशमुख की जिंदगी में बीते साल आए बदलाव ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी है. दरअसल, जुलाई 2020 में सुशांत सिंह राजपूत की तरह ही मयूरी देशमुख के पति ने भी सुसाइड कर लिया था, जिस हादसे ने उनकी जिंदगी को पूरा बदल कर रख दिया. वहीं खुद को संभालते हुए ने सीरियल की दुनियां में कदम रखा और सीरियल इमली में मालिनी के किरदार को चुना.

ये भी पढ़ें- बेटी के लिए अनुपमा ने दिखाया काव्या को घर से बाहर का रास्ता, क्या करेगा वनराज

पति को लेकर कही ये बात

मयूरी देशमुख ने हाल ही में अपनी पति की मौत पर चुप्पी तोड़ी है. हाल ही में एक्ट्रेस ने बताया है कि वह अपने पति को कितना मिस करती हैं. मयूरी देशमुख ने कहा, ‘वो आज भी मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं. मैं उनसे आज भी बहुत प्यार करती हूं. लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि मैं अकेले अपनी जिंदगी नहीं बिता सकती. अकेले रहने के लिए आशुतोष का प्यार ही काफी है. मयूरी देशमुख के पति आशुतोष अपनी भतीजी को बहुत करीब थे. मयूरी देशमुख के पति को बच्चों से बहुत प्यार था. आशुतोष के जाने के बाद मैं बच्चे पालने के बारे में सोच रही हूं. शायद मैं किसी बच्चे को गोद ले लूं. बच्चों के लिए दोबारा शादी करने की क्या जरूरत है.’

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Xxshreyansh creationsx (@meena15k)

बता दें, सीरियल ‘इमली’ (Imlie) की मालिनी की भी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नही चल रही है. दरअसल, आदित्य अपनी जिंदगी में इमली को शामिल कर रहा है, जिसके बाद मालिनी को लगने लगा है कि अब उसकी शादी नही चल पाएगी. वहीं मालिनी आने वाले एपिसोड्स में सीरियल की कहानी में मालिनी बड़ा कदम उठाते हुए नजर आने वाली है.

ये भी पढ़ें- ‘तारक मेहता…’ के सेट पर कोरोना का कहर, सुंदरलाल के बाद इस शख्स को भी हुआ Corona

बेहद आसान है मोटापा कम करना, जानिए कैसे

मोटापा आधुनिक सभ्यता की देन है. कुछ दशकों पूर्व तक भारतीय कुपोषण के शिकार थे, जबकि मोटापा केवल विकसित देशों में पाया जाता था. किंतु आज भारत में कुपोषण व मोटापा दोनों ही हैं. 2014 के ब्रितानी चिकित्सा जर्नल के अनुसार जहां 1975 में भारत मोटापे में 19वें स्थान पर था, वहीं 2014 में महिलाओं के लिए तीसरे तथा पुरुषों के लिए 5वें स्थान पर पहुंच चुका था. भौतिक सुखसुविधाओं में फंस कर लोग खानपान, रहनसहन की गलत आदतों के कारण मोटापे से ग्रस्त हो रहे हैं, जिस की वजह से लाइफस्टाइल डिजीज अर्थात उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदयरोग, घुटनों की समस्या, पैरों में दर्द, महिलाओं में मासिकधर्म और बांझपन संबंधी परेशानियां हो रही हैं.

न्यूजीलैंड के औक्लैंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, दुनिया की करीब 76% आबादी मोटापे की शिकार है. केवल 14% आबादी ऐसी है जिस का वजन सामान्य है.

मोटापा कौन कम नहीं करना चाहता और कई बार लोग इसी चक्कर में कई झांसों में भी फंस जाते हैं. बसों, औटो में लगे इश्तिहार कि वजन कम करना चाहते हैं तो संपर्क करें, केवल लोगों को भ्रमित करते हैं. फिर शल्य चिकित्सा द्वारा भी वजन कम करने पर क्या गारंटी है कि वजन दोबारा नहीं बढ़ेगा.

यदि अपना खानपान, रहनसहन नहीं बदला तो अवश्य दोबारा मोटा होने में देर नहीं लगेगी. मगर घबराइए नहीं, मोटापा कम करना उतना कठिन भी नहीं है.

ये भी पढ़ें- तो हाजमा रहेगा सही

डा. एस के गर्ग मोटापे से बचे रहने के लिए निम्न सलाह देते हैं:

खूब पीएं पानी : एक वैबसाइट के अनुसार जो लोग ज्यादा पानी पीते हैं वे अपना वजन दूसरों के मुकाबले जल्दी कम कर लेते हैं. इस का कारण यह है कि पानी से पेट भर जाता है, जिस से भूख कम लगती है और खाना कम खाया जाता है.

थोड़ीथोड़ी देर में खाते रहें : एकसाथ बहुत अधिक खाने के बजाय, दिन भर थोड़ाथोड़ा खाते रहें. ऐसा करने से दिन भर शारीरिक शक्ति बनी रहती है. सीधे शब्दों में कहें तो जब भूख लगे तब खाना खाएं और जब पेट भर जाए तब रुक जाएं.

अपने शरीर की सुनें : हम में से अधिकतर लोग बाहरी संकेतों के अनुसार खाना शुरू या पूरा करते हैं, जैसे हमारी थाली में खाना बचा तो नहीं या अन्य लोगों ने खाना खत्म किया या फिर दफ्तर में लंच टाइम हो गया. इस की जगह आंतरिक संकेतों पर ध्यान दीजिए. यह समझिए कि आप को भूख लगी है या नहीं और स्वाद में अधिक खाने से बचें. बड़ेबूढ़े स्वास्थ्य की कुंजी पेट ठूंस खाने को नहीं, अपितु थोड़ा सा भूखा रहने को बताते हैं.

भावुक खाने से बचें : जब हम अधिक भावुक या खुश हों, परेशान हों या दुखी, तब हम आमतौर पर अधिक खाने लगते हैं. यह हमारे मन का अपनी स्थिति से आंख चुराने का एक मनोवैज्ञानिक तरीका होता है. दफ्तर में कार्यभार की डैडलाइन निकट हो या घर में बच्चों के अनुशासन को ले कर कोई समस्या, अकसर अपनी मानसिक परेशानी का हल हम खाने में ढूंढ़ने लगते हैं. भूख हो या नहीं, कुछ खाने का मन करने लगता है. इस से बचें, क्योंकि खाने से आप की समस्या का हल नहीं निकलेगा उलटा समस्या बढ़ेगी.

ट्रिगर फूड को कहें न : कुछ खाने के पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें खाते हुए हमारे हाथ रुक ही नहीं पाते हैं. चिप्स का पैकेट खोला तो जब तक वह खत्म नहीं हो जाता. हमारा मुंह चलता रहेगा. ऐसा ही हमारे साथ पेस्ट्री, पास्ता, डोनट, चौकलेट आदि खाते समय होता है. ऐसे खानों में रिफाइंड तेल, नमक और चीनी की मात्रा अधिक होने से ये हमारे शरीर में ब्लड शुगर का अनुपात बिगाड़ देते हैं. आप ऐसे खानों को जितनी जल्दी अपनी डाइट से बाहर कर दें उतना ही लाभप्रद रहेगा.

पोर्शन कंट्रोल : सैलिब्रिटी डाइटीशियन, रुजुता दिवेकर की देखरेख में वजन कम करती अभिनेत्री करीना कपूर कहती हैं कि सब कुछ खाओ, मगर सही मात्रा में. डाक्टर गर्ग के अनुसार चाहे आम या चीकू जैसे बेहद मीठे फल खाएं, किंतु यदि अपने खाने की मात्रा को नियंत्रित रखें तो नुकसान नहीं होगा. इसलिए यदि आप अपना वजन सही रखना चाहते हैं तो अपनी थाली में खाने की मात्रा भी सही रखें. स्वादस्वाद में अत्यधिक न खा बैठें.

सफेद भोजन से तोबा : अकसर सफेद रंग को शांति, अच्छाई से जोड़ कर देखा जाता है. किंतु भोजन में यह इस के विपरीत है. सफेद रंग के खाने को अपनी थाली से निकाल दें. मसलन, सफेद चावल की जगह भूरे चावल खाना स्वास्थ्यवर्धक है. सफेद ब्रैड, पास्ता, नूडल, मैदे से बनी चीजें और चीनी सभी हमारी सेहत को खराब करने में अहम भूमिका निभाते हैं. कारण, इन्हें प्रोसैस करते समय अधिकतर पोशक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और बच जाती है अधिक मात्रा में कैलोरी. अत: इन की जगह चुनिए जई, साबूत अनाज, दलिया, फलियां, ब्राउन ब्रैड, ब्राउन चावल, मावा आदि.

तैलीय भोज्यपदार्थ को कहें न : फास्ट फूड, फ्राइज, डोनट, चिप्स, आलू के चिप्स जैसे तैलीय व्यंजनों को अपने खाने से बाहर करें.

1 बड़े चम्मच तेल में 120 कैलोरी होती है. अधिक तैलीय खाने से शरीर में आलस भरता है. इस की जगह भुना, उबला, भाप में पकाया, बिना तेल के पकाया हुआ या कच्चा भोजन करना उचित है.

मीठा कम खाएं: मिठाई, आइसक्रीम, कैंडी, चौकलेट, केक, जैली या डोनट आदि में चीनी होने के कारण ये हमारे शरीर में शुगर पैदा करते हैं, जोकि एक तरफ तो पेट भरती है और दूसरी तरफ अधिक खाने की इच्छा पैदा करती है. इस से बेहतर है कि आप मीठे में स्वस्थ विकल्प लें जैसे खरबूज, तरबूज आदि फल. इन में प्राकृतिक मीठापन होता है.

हैल्दी स्नैक्स खाएं : जब हलकीफुलकी भूख लगे तब हैल्दी स्नैक्स खाएं जैसे फल, सलाद, मुरमुरा, घर में बनाया नमकीन, भुने चने, भुनी मूंगफली आदि. यदि आप नौकरीपेशा हैं, तो दफ्तर में ऐसा सामान अपने पास रखें ताकि भूख लगने पर आप बिस्कुट या चौकलेट आदि की ओर हाथ न बढ़ाएं.

ये भी पढ़ें- हैल्दी प्रैग्नेंसी के लिए ऐसे करें प्लानिंग

कम खाएं

डबलरोटी, अंडे, मछली, चिकन, दालें, मावा, दूध तथा दूध से बनी चीजें.

खूब खाएं

हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अन्य सब्जियां, सलाद, पानी.

कभीकभार खाएं

मिठाई, अत्यधिक मीठे फल जैसे आम, चीकू, केला, हलवाई के यहां बने स्नैक्स, चीज, केक, चौकलेट, आइसक्रीम, बिस्कुट, तैलीय पकवान, मक्खन, फास्ट फूड और सौफ्ट ड्रिंक.

कट्टरपंथी और महिलाएं

एक 26 साल की युवती के घर में तीन बंदूकधारी घुसते हैं और उसे बिस्तर पर ही गोलियों से छलनी कर के मार देते हैं. क्या उन्हें सजा मिलेगी? नहीं क्योंकि वह युवती अमेरिका की एक अश्वेत युवती थी. और गोलियां मारने वाले 3 गोरे पुलिसकर्मी थे जो ड्रग ढूंढने उस युवती के घर में घुसे थे. पिछले साल 13 मार्च को हुई इस घटना की तो ज्यादा को याद दिलाना भी अमेरिकी मीडिया जरूरत नहीं समझता.

भारत और अमेरिका दोनों लोकतंत्र अपने गरीबों, जन्म से अलग या धर्म से अल्पसंख्यकों के प्रति लोकतंत्र की बराबरी की दुहाईयों के बावजूद ये भयंकर भेदभाव कर रहे हैं. दोनों जगह लोकतंत्र की आड़ में और स्वतंत्र अदालतों के विशाल भवनों के बावजूद औरतों के साथसाथ जन्म से अलग दलित, पिछड़े या अश्वेतों को पुलिस का कहर सहना पड़ रहा है.

भारत में पुलिस वाले निरंतर निर्दोषों को गिरफ्तार कर रहे हैं और जैलों में ठूंस रहे हैं, अमेरिका में गिरफ्तार कर के जेल में तो ठूंसते हैं ही, गोली भी मार डालने या जार्ज फ्लायड की तरह घुटने के नीचे गर्दन दबा कर मार रहे हैं. यह युवती ब्रीओन्ना टेलर इस भेदभाव की शिकार हुई.

ये भी पढ़ें- Ripped Jeans विवाद पर ट्विटर पर महिला हस्तियों का पलटवार

युवतियां अपराधी नहीं हो सकतीं. यह नहीं कहा जा रहा पर यदि किसी पर संदेह है तो उसे अदालत में घसीटो, उस के खिलाफ सुबूत जमा करो. उसे सजा दिलवाओ. पर भारत और अमेरिका में आज सजा पहले दी जा रही है. जेल में बंद करने का हक कर पुलिस वाले को खुलेआम दे दिया गया है. जो पहुंच वाले उन्हें पुलिस व अदालतों पर भरोसा है क्योंकि उन के पास पहुंच और पैसा है पर आम गरीब साधारण केवल जन्म के दोष के कारण पुलिस वाले की हथकड़े पहने या गोली खाए यह 16वीं सदी का समाज है.
यह अफसोस है कि भारत और अमेरिका दोनों के लोकतंत्र बुरी तरह आज हेट ट्रैंड में गुजर रहे हैं. आज राजनीतिक नेता ही नहीं, सामाजिक नेता और मीडिया दोनों निर्माण कर रहे है तो उन दीवारों को जेंडर, बर्थ, फेश का बहाना ले कर बना रहे हैं जो समाज में दहशत पैदा कर रही हैं और समाज को पूरी तरह झिन्नमिल कर रही हैं. बहुसंख्यक प्रभावशाली कहने लगे हैं कि यह देश मेरा है, हत्यारा है और तुम पराए हो क्योंकि तुम्हारे नाम अलग हैं. तुम्हारे कपड़े अलग हैं, तुम्हारा खानपीन अलग है.

इस का पूरा बोझ औरतों पर पड़ रहा है जिन के अजीज बेटे, पति, बेटियां, मांएं, पिता सहेलिया, मित्र आज हर समय शक के घेरे में हैं. यह नहीं कि जो बहुसंख्यक व प्रभावशाली व खुद के किए जाने वाले अत्याचार का खुद शिकार नहीं होता. ऐसा कट्टरपंथी जो बाहर हिंसा का समर्थन करता है घर में कमजोर माने जाने वालों पर, चाहे वह पत्नी हो, बेटी हो या वृद्ध मांबाप. ये प्रति असहिष्णु हो उठता है. वह घर में भी हिंसा का उपयोग करता है. उस की भाव भंगिता में कसैलापन आ जाता है.

ये भी पढ़ें- सहमति से बना संबंध जब रेप में बदल जाए

ब्रीओना टेलर को मारने वाले या हाथरस में बलात्कार की शिकार युवती को जलाने वाले एक जैसी मानसिकता के कट्टरपंथी हैं जिन के शिकार आम लोग तो है ही, घर भी हो रहे हैं.

मुझसे 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 38 साल की कामकाजी अविवाहिता हूं. घर की परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि शादी नहीं कर पाई. इस का कुसूरवार भी मैं खुद को मानती हूं. मातापिता जब तक थे तब तक सहारा था अब भाईभाभी अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं तो कई बार अकेलापन महसूस होता है. क्या शादी से मेरा अकेलापन दूर हो सकता है और मुझे जिंदगी जीने का मकसद मिल सकता है? मुझ से 5 साल छोटा एक लड़का शादी करने को तैयार है पर सोचती हूं कि न जाने परिवार और समाज क्या सोचेगा? बताएं क्या करूं?

जवाब-

पलपल बदलती दुनिया में कई बार अकेलापन महसूस होता है. आप के साथ इस की वजहें भी हैं. मातापिता के गुजर जाने के बाद जाहिर है आप अपना दुखदर्द शायद ही किसी के साथ बांट पा रही होंगी.

कई ऐसी बातें होती हैं, जिन्हें आप किसी से भी फिर चाहे वे दोस्त हों या रिश्तेदार खुल कर नहीं कह सकतीं. यों तो अकेलापन दूर करने के कई साधन हैं पर चूंकि आप विवाह करने को उत्सुक हैं तो समाज व रिश्तेदारों की परवाह किए बगैर शादी कर सकती हैं.

आप से 5 साल छोटा लड़का आप से विवाह करने को इच्छुक है तो बिना वक्त गंवाए शादी के लिए हामी भर दें. इस से न सिर्फ आप का अकेलापन दूर हो जाएगा, आप को जीने का मकसद भी मिल जाएगा. लड़का इतना भी छोटा नहीं है कि आप की जोड़ी बेमेल लगे. समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद अच्छा व खुशहाल शादीशुदा जीवन बिता रहे हैं. यदि बाद में कोई दिक्कत होगी तो देखा जाएगा. यह जोखिम वह लड़का ले रहा है, आप नहीं.

ये भी पढ़ें-सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिसका असर हमारी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ रहा है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

2 बेटियां बोझ नहीं अभिमान

‘‘दोबेटियां हैं फिर भी हंसती है,’’ जी बिलकुल यही पंक्ति शरण ने अपनी बहन को कही थी अलका के बारे में जब उन की बहन दूसरी संतान भी लड़की हो जाने पर दुखों के दरिया में डूब रही थी.

भले ही शरण की मंशा अलका को दुख पहुंचाने की नहीं रही हो पर बात मानसिकता की थी, जो अलका को गहरे चुभ गई थी.

इसी तरह अलका को अपनी उस रिश्तेदार की सास की हताश आवाज भी हमेशा गूंजती हुई प्रतीत होती जिन्होंने अपनी दूसरी पोती के जन्म के बाद अलका को इंगित करते हुए कहा था, ‘‘मेरी बहू भी हो गई इसी की तरह. अब डाक्टर ने और बच्चे करने से मना भी कर दिया है. हम तो कहीं के नहीं रहे.’’

ऐसे हर जुमले को अलका ने एक चुनौती की ही तरह लिया. उसे लगता कि उस के मांसमज्जा रक्त से निर्मित उस की संतान ही उस के लिए अनमोल है चाहे उस का लिंग कुछ भी हो. जब उसे दूसरी बेटी हुई थी तो अधिकांश लोग मानो अफसोस जाहिर करते हुए मिलते मानो उस से कोई भूल हो गई हो. पहला निर्णय तो उस ने अपनी नसबंदी करवा कर इस बहस को ही खत्म कर दिया कि कुदरत ने चाहा तो अगली बार लड़का होगा.

चूंकि बेटा था ही नहीं तो भेदभाव जैसा प्रश्न उठा ही नहीं. उस ने हर लिहाज से अपनी बेटियों को बहुत काबिल बनाया. आज उस की बेटियां उम्र की तीसरे दशक में हैं और हर लिहाज से एक उदाहरण हैं उस की जानपहचान और रिश्तेदारी में.

अलका खुद एक मजबूत और उन्नत सोच वाली महिला है तो बेटियों को भी मजबूत और स्ट्रौंग बनना ही था. कहा भी जाता है कि इतनी मजबूत बनो कि आप की बेटी आप जैसा बनना पसंद करे और बेटा आप की जैसी सोच वाली महिला की तरफ आकर्षित हो.

पालने की पहली शर्त

संतान चाहे जो हो बेटा या फिर बेटी उसे पालने की पहली शर्त यही सोच हो कि उसे इतना काबिल बनाया जाए कि कल को वह किसी पर किसी भी चीज के लिए आश्रित न बने, चाहे वह आर्थिक हो या फिर सामाजिक. लोगबाग पालनपोषण के क्रम में कई बार लड़कियों को दूसरे के घर भेजने की तैयारी में उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत नहीं बनाते हैं और लड़कों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के चक्कर में घरेलू कार्यों में पूर्ण आश्रित तैयार कर देते हैं. पालनपोषण लिंग आधारित न हो कर आत्मनिर्भर बनाने वाला होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- ऐसे पहचानें मतलबी दोस्त

बेटी को बेटा जैसा बनाने की बात फुजूल है. लोग बड़े गर्व से कहते हैं हम ने तो अपनी बेटी को बेटों से कम नहीं समझा. अरे बेटे कैसे इतने पूर्ण हो गए कि उन्हें विशेषण के रूप में इस्तेमाल किया जाए बोली व्यवहार में? कई लड़के तो अवगुणों के खान सरीखे भी मिलते हैं तो फिर उन्हें इतनी व्यापकता के साथ कैसे हम तुलनीय बना सोच लेते हैं?

लक्ष्य निर्धारित करें

नजर उठा कर देखेंगे तो देशदुनिया में कई आदर्श छवियां दिखेंगी जिन की तरह आप अपनी बेटी को बनता देखना चाहेंगे. लक्ष्य निर्धारण का मतलब सिर्फ कोई प्रोफैशन ही नहीं होता है, बल्कि एक इंसान, एक व्यक्तित्व, एक मानसिकता ये सभी भी विकास के इस क्रम में सहभागी होते हैं, जिन से बच्चियों को लबरेज करना है.

बेटों के जैसे पालने के चक्कर में खन्नाजी ने अपनी बेटी को बरबाद ही कर दिया, ‘‘हम तो फर्क नहीं करते हैं’’ की सोच में उन की बेटी सुहानी आधुनिकता का नकाब पहने एक बरबाद शख्सियत तैयार हो गई, जिसे न तो रोजमर्रा के कामों की जानकारी थी, न ही शिक्षा का इतना ऊंचा पायदान ही था कि यदि खन्ना साहब न भी रहें तो वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहेगी.

कुल मिला कर वह पार्टी करने वाली, ऐश करने वाली परजीवी तैयार हो गई थी, जिसे हर हाल में किसी न किसी पर निर्भर रहना ही था चाहे पति या पिता. यहां हम ने देखा कि खन्नाजी बिना ऐंड रिजल्ट पर विचार किए सुहानी को वही छूट या सहूलियत देते गए जो वे अपने बेटे को दे रहे थे. नतीजा यह निकला कि सुहानी एक अर्धविकसित खंडित व्यक्तित्व की स्वामिनी तैयार हो गई. अब बेटा चाहे जैसा तैयार हुआ हो.

आजकल तो लोगों के आमतौर पर 1 या  2 बच्चे ही होते हैं. बेटे खूब पढ़लिख घर से दूर व्यस्त हो जाते हैं तो लोग बेटियों से अपनी बुढ़ापे में सेवा और कर्तव्य की अपेक्षा करने लगते हैं. बेटियों के संवेदनशील और सेवाभावी होने का लाभ उठाते हैं. ये वही मांबाप होते हैं जिन्होंने अपनी जवानी में बेटियों को पराए घर भेजने की तैयारी से पाला था.

बेटी जो खुद किसी और पर आर्थिक रूप से आश्रित हो, वह किस सीमा तक मदद कर पाएगी? साहित्य आजकल अटा पड़ा है नालायक बहूबेटों बनाम सेविका बेटी के किस्सों से. लोगों का नजरिया तो बदला अपनी बेटियों के प्रति पर देर से.

काश, कि वे लोग अपनी बेटी के हाथ से कलम छीन कलछी न पकड़ाए होते. शिक्षा की सीढ़ी चढ़ती बेटी की टांग खींच असमय उसे शादी की बेडि़यां न पहनाई होतीं.  -रीता गुप्ता –

ऐसे बनाएं आत्मनिर्भर

कुछ सफल पेरैंट्स, जिन की सिर्फ बेटियां थीं और जो बाद में एक अच्छी सफल आत्मनिर्भर इंसान बनीं और अपने मातापिता का भी सहारा बनीं, से लिए गए टिप्स यहां पेश हैं:

– सब से पहले तो बेटी को यह एहसास नहीं होने देना है कि बेटा न होने पर वे लाचारी में उन्हें पाल रहे हैं. वह आप के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण है यह बताना जरूरी है.

– हमेशा यह भरोसा देना है कि यह घर हमेशा उस का है चाहे उस की शादी हो जाए या वह खुद ही कितने भी घरों की मालकिन बन जाए.

– घरपरिवार और समाज में जो सफल हैं उन की बातें, उन के किस्से उन्हें खूब सुनाएं. किन के जैसा बनना चाहिए यह भी आप सुझाव के तौर पर सुझाएं. ध्यान रखें आप को उन की राह प्रशस्त करनी है अपनी इच्छा नहीं थोपनी है.

– बेटी को छुईमुई नाजुक कली न बनाएं, उसे शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत बनाएं. उसे निर्णय लेने की आजादी प्रदान करें, विश्वास रखें ज्यादातर वह वही निर्णय लेगी जो आप चाहते होंगे, पर यह अधिकार उसे दे, कभी गलत भी साबित हुआ तो उसे हतोत्साहित न करें. ज्यादा टोकाटाकी से बच्चों में आत्महीनता की भावना भर जाती है.

– बेटी के साथ हमेशा सहजता से बात करें. संप्रेषण वह विद्या है जो दिलों के तार को जोड़े रखता है. उस की बातों को हमेशा सुनें, आप यदि शुरू से उस की बातों को सुनते रहेंगे तो उस को भी सुननेबताने की आदत बनी रहेगी. बातचीत के दौरान आप उसे सहीगलत भी बता सकते हैं. यदि घर में ही बेटी को कहनेसुनने वाले मिलेंगे तो वह धीरेधीरे विकास के क्रम में अपने दोस्तों के किस्सों के साथसाथ किसी विशेष बन रहे दोस्त की भी सूचना देगी.

ये भी पढ़ें- हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए ये आदतें बदलना है जरूरी

– बेटी को हमेशा यह मालूम होना चाहिए  कि उसे एक उम्र तक आर्थिक रूप से  पूर्ण आत्मनिर्भर हो जाना है. आर्थिक रूप से स्वतंत्रता उसे जीवन में जो आत्मबल देगी वह अपूर्व सुख होता है. तभी वह जीवन के फैसले लेने में सक्षम होगी और अपने मातापिता की बुढ़ापे की लाठी भी बन सकेगी.

बेटे हो या न हो गम न करें, संतान जो हो संस्कारी और संवेदनशील हो.

Holi Special: घर पर ही बनाएं शानदार कोको स्प्रैड

चॉकलेट बच्चों का प्रिय खाद्य पदार्थ है. आजकल तो आइसक्रीम, केक से लेकर परांठा, लड्डू, बर्फी, समोसा, कचौरी जैसे देशी व्यंजनों में भी चॉकलेट फ्लेवर दिया जाने लगा है. बच्चे, बड़े सभी की पसन्द को देखते हुए आज बाजार में विभिन्न ब्रांड के चॉकलेट सॉस, चॉकलेट मिल्क और चॉकलेट स्प्रैड की भरमार है. कोको या चॉकलेट स्प्रैड का प्रयोग रोटी, परांठा, पूरी और ब्रेड पर चाकू से फैलाकर किया जाता है. बाजार में 100 ग्राम कोको स्प्रैड की कीमत लगभग 150 रुपये पड़ती है इसलिए आज हम इसे घर पर ही बनाएंगे जिससे यह सस्ता तो पड़ेगा ही साथ ही पौष्टिक और हाइजीनिक भी रहेगा.

कितने लोंगों के लिए 8-10
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

ये भी पढ़ें- Holi Special: घर की बची नमकीन से बनाएं स्वादिष्ट मसाला समोसा

सामग्री

मिल्क चॉकलेट 150 ग्राम
मक्खन 1 टेबलस्पून
काजू 1/2 कप
छिल्का उतरी रोस्टेड मूंगफली 1/2 कप
नमक 1 चुटकी
पिसी शकर 2 टेबलस्पून
वनीला एसेंस 1 टीस्पून

विधि

एक पैन में आधा लीटर पानी गर्म करें. इसके ऊपर एक कांच का बाउल रखकर चॉकलेट डालकर लगातार चलाते हुए पिघला लें. जब यह पूरी तरह पिघल जाए तो मक्खन मिलाएं, जब मिश्रण एकसार हो जाये तो गैस बंद कर दें. मूंगफली और काजू को मिक्सी में फाइन पाउडर फॉर्म में पीस लें. जब ये एकदम चिकना हो जाये तो मिक्सी के जार में ही नमक, वनीला एसेंस, और पिघली चॉकलेट डालकर चलाएं ताकि ये अच्छी तरह मिक्स हो जाये. शानदार और पौष्टिक कोको स्प्रैड तैयार है. आप इसे परांठा, या ब्रेड किसी पर भी स्प्रेड करके बच्चों को दें, वे उंगलियां चाटते रह जाएंगे.

ये भी पढ़ें- Holi Special: ऐसे बनाएं चूरमा लड्डू

अटूट प्यार: भाग 3- यामिनी से क्यों दूर हो गया था रोहित

गुस्से से उस के होंठ कांपने लगे. बिना बताए इस तरह की हरकत? शादी नहीं करनी थी तो पहले बता देता. चोरों की तरह बिना कुछ बताए गायब हो जाना तो उस की कायरता है.

यामिनी की जिंदगी अजीब हो गई थी. रोहित पर उसे बहुत गुस्सा आता. लेकिन वह उस की यादों से दूर जाता ही नहीं था. उस की आंखों से जबतब आंसू छलक पड़ते. किसी काम में जी नहीं लगता. वह कभी मोबाइल चैक करती, कभी टीवी का चैनल बदलती तो कभी बालकनी में जा कर बाहर का नजारा देखती.

हर पल वह रोहितरोहित कह कर पुकारती. पता नहीं रोहित तक उस की आवाज पहुंचती भी थी या नहीं? वह यामिनी को लेने लौट कर आएगा भी या नहीं? कहीं वह अपनी नई दुनिया न बसा ले. यामिनी के दिल में डर बैठने लगता. फिर वह खुद ही अपने दिल को समझाती कि रोहित ऐसा नहीं है. एक दिन जरूर लौट कर आएगा और उसे अपना बना कर ले जाएगा.

लेकिन जैसेजैसे समय बीत रहा था यामिनी का मन डूबता जा रहा था. उस की उंगलियां रोहित का मोबाइल नंबर डायल करतेकरते शिथिल हो गईं. हर दिन वह उस की कौल आने का इंतजार करती. लेकिन न तो रोहित का कौल आया, न ही वह खुद आया. 2 महीने तक फोन लगालगा कर यामिनी हार गई तो उस ने मोबाइल फोन को छूना भी बंद कर दिया. उसे नफरत सी हो गई मोबाइल फोन से. एक दिन गुस्से में उस ने रोहित का मोबाइल नंबर ही अपने मोबाइल फोन से डिलीट कर दिया.

दिन बीतते रहे. एक दिन यामिनी के पापा के तबादले की खबर आई. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में कौंस्टेबल थे. तबादले की वजह से पूरा परिवार आगरा आ गया.

यामिनी के मन से रोहित की उम्मीद अब लगभग खत्म सी हो गई थी.

आगरा में आ कर यामिनी को लगा कि शायद अपनी बीती जिंदगी को भूलने में अब आसानी हो. वह अकसर सोचती, ‘आगरा में ताजमहल है. कहते हैं वह मोहब्बत का प्रतीक है. लेकिन सचाई तो सारी दुनिया जानती है कि वह एक कब्र है. सही माने में वह मोहब्बत की कब्र है. ऊपर से रौनक है जबकि भीतर में एक दर्द दफन है. तो क्या उस के प्यार का भी यही हश्र होगा?’

घर में यामिनी की शादी की बात जब कभी होती तो उस का मन खिन्न हो जाता. शादी और प्यार दोनों से नफरत होने लगी थी उसे. जो चाहा वह मिला नहीं तो अनचाहे से भला क्या उम्मीद हो? उस ने सब को मना कर दिया कि कोई उस की शादी की बात न करे.

यामिनी को आगरा आए हुए 1 साल बीत चुका था. रोहित 3 साल से जाने किस दुनिया में गुम था. वह सोचती, ‘क्या रोहित को कभी मेरी याद नहीं आती होगी? अगर उस का प्यार छलावा था तो मुझे भुलावे में रखने की क्या जरूरत थी? एक बार अपने दिल की बात कह तो देता. मैं दिल में चाहे जितना भी रोती पर उसे माफ कर देती. कम से कम मेरा भ्रम तो टूट जाता कि प्यार सच्चा भी होता है?’

जब से यामिनी आगरा आई थी वह कहीं आतीजाती नहीं थी. नई जगह, नए लोग और अपने अधूरे प्यार में जलती रहती. कहीं भी उस का मन नहीं लगता. लेकिन एक दिन मां की जिद पर उसे पड़ोस में जाना पड़ा, क्योंकि पड़ोस की संध्या आंटी की बेटी नीला को लड़के देखने वाले आ रहे थे.

मां को लगा कि शायद शादीविवाह का माहौल देख कर यामिनी का मन कुछ बहल जाए. नीला का शृंगार करने की जिम्मेदारी यामिनी को सौंपी गई. अपना साजशृंगार भूल चुकी यामिनी नीला को सजाने में इतनी मसरूफ हुई कि नीला भी उस के कुशल हाथों की मुरीद हो गई. उस की सुंदरता से यामिनी को रश्क सा हो गया. शायद उस में ही कमी थी जो रोहित उस की दुनिया से दूर हो गया.

लड़के वाले आ चुके थे. नीला का शृंगार भी पूरा हो चुका था. नीला की मां चाहती थीं कि वही नीला को ले कर लड़के के पास जाए. यामिनी का जी नहीं कर रहा था. लेकिन संध्या आंटी का जी दुखाने का उस का इरादा न हुआ. वह बेमन से नीला के कंधे पर हाथ रख कर हाल की ओर चल पड़ी.

सामने सोफे पर बैठे लड़के को देख कर यामिनी गश खा कर गिर पड़ी. जिस का उस ने पलपल इंतजार किया, जिस के लिए आंसू बहाए, अपना सुखचैन छोड़ा और जो जाने क्यों चुपके से उस की जिंदगी से दूर चला गया था, वह बेवफा रोहित उस के सामने बैठा था, नीला के लिए किसी राजकुमार की तरह सज कर.

‘यामिनी… यामिनी…’ आंखें खोलो, तभी कोई मधुर आवाज यामिनी के कानों से टकराई. उस के मुंह पर पानी के छीटे मारे जा रहे थे. उस ने आंखें खोली. चिरपरिचित बांहों में उसे खुद के होने का एहसास हुआ.

‘‘आंखें खोलो यामिनी…’’ फिर वही मधुर आवाज हाल में गूंजी.

यामिनी के होंठ से कुछ शब्द फिसले, ‘‘तुम रोहित हो न?’’

‘‘हां यामिनी…मैं रोहित हूं.’’

यामिनी की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. वह बोल पड़ी, ‘‘तुम ने मुझ से बेवफाई क्यों की रोहित? कहां चले गए थे तुम मुझे बिना बताए. मैं आज तक तुम्हें ढूंढ़ रही हूं. तुम्हारे दूर जाने के बाद मैं कितना रोई हूं, कितना तड़पी हूं, तुम क्या जानो. अगर तुम मुझ से दूर होना चाहते थे तो मुझे बता देना चाहिए था न. मैं ही पागल थी जो तुम्हारे प्यार में घुलती रही आज तक.’’

‘‘मैं भी बहुत रोया हूं…बहुत तड़पा हूं,’’ रोहित बोला. उस ने कहा, ‘‘क्या वह दिन तुम्हें याद है जब तुम अंतिम बार मुझ से मिली थीं?’’

‘‘हां,’’ यामिनी बोली.

‘‘उस दिन तुम्हारे जाने के ठीक बाद तुम्हारे पापा आए थे 4-5 लोगों के साथ. सभी पुलिस की वरदी में थे.’’

‘‘क्या…’’ हैरानी से यामिनी की आंखें फटी की फटी रह गई.

रोहित ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे पापा ने कहा कि मैं तुम से कभी न मिलूं और तुम्हारी दुनिया से दूर हो जाऊं, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. उन के एक सहकर्मी ने हम दोनों को एकसाथ पार्क में देख लिया था और तुम्हारे पापा को बता दिया था. इसीलिए तुम्हारे पापा बेहद नाराज थे. वे मुझे तुम से दूर कर तुम्हारी जल्द शादी कर देना चाहते थे. अब तुम्हीं बताओ यामिनी, मैं क्या करता? पुलिस वालों से मैं कैसे लड़ता वह भी तुम्हारे पापा से. तुम्हारी जिंदगी में कोई तूफान नहीं आए, इसीलिए तुम से दूर जाने के सिवा मेरे पास कोई उपाय नहीं था.’’

‘‘और इसीलिए मैं ने अपना सिम कार्ड तोड़ कर फेंक दिया और दिल पर पत्थर रख कर दिल्ली आ गया. दिल्ली में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा. 1 साल के बाद मुझे बैंक में पीओ के पद के लिए चुन लिया गया. लेकिन मेरी जिंदगी में तुम नहीं थीं. इसीलिए खुशियां भी मुझ से रूठ गई थीं. हर पल मेरी आंखें तुम्हें ढूंढ़ती रहती थीं. लेकिन फिर खयाल आता कि तुम्हारी शादी हो गई होगी अब तक. यादों के सहारे ही जिंदगी गुजारनी होगी मुझे. पर न जाने क्यों, मेरा दिल यह मानता ही न था. लगता था कि तुम मेरे सिवा किसी और की हो ही नहीं सकती.’’

‘‘कहीं तुम अब भी मेरा इंतजार न कर रही हो, इसीलिए हिम्मत कर तुम से मिलने इलाहाबाद गया ताकि सचाई का पता चल सके. पर तुम सपरिवार कहीं और जा चुकी थीं. तुम्हें ढूंढ़ने की हर मुमकिन कोशिश के बाद भी जब तुम नहीं मिलीं तो अपने चाचाचाची की जिद पर खुद को हालात के हवाले कर दिया. इसीलिए आज मैं यहां हूं. लेकिन अब तुम मुझे मिल गई. अब कोई मुझे तुम से जुदा नहीं कर सकता.’’

रोहित के मुंह से इन शब्दों को सुन कर यामिनी के दिल को एक सुकून सा  मिला. यामिनी को महसूस होने लगा कि सच में सच्चा प्यार अटूट होता है. लेकिन उस के पापा रोहित को धमकाने गए थे, यह जान यामिनी हैरत में थी. उसे अब रोहित पर गर्व हो रहा था, क्योंकि वह बेवफा नहीं था. वह चाहता तो यामिनी को ढूंढ़ने के बजाए पहले ही कहीं और शादी कर लेता.

अटूट प्यार: भाग 2- यामिनी से क्यों दूर हो गया था रोहित

ऐसे ही 3 साल कब बीत गए उन्हें एहसास ही न हुआ. खुशियों के वे पल जैसे पंख लगा कर उड़ गए और उन के जुदाई के दिन आ गए. दरअसल, उन की कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई थी. रोहित ने आगे की पढ़ाई के लिए कालेज में ही पुन: दाखिला ले लिया. वह प्रोफैसर बनना चाहता था. लेकिन यामिनी के आगे की पढ़ाई के लिए उस के पापा ने मना कर दिया. इसीलिए अब उस का रोहित से मिलनाजुलना बेहद मुश्किल हो गया. हर पल उसे रोहित की याद आती. रोहित से दूर रहने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता.

यामिनी के मम्मीपापा अब उस की शादी कर के अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. इसीलिए यामिनी के लिए लड़का ढूंढ़ा जाने लगा था. उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया गया था. रोहित से दिल की बात कहना भी कठिन हो गया उस के लिए. मोबाइल फोन का ही आसरा रह गया था. वह जब भी मौका पाती, रोहित को फोन कर देती और उसे कुछ करने के लिए कहती ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो जाएं. लेकिन रोहित को कोई उपाय नहीं दिखता.

जब घर में शादी की बात चलती तो यामिनी की हालत बुरी हो जाती. रोहित से दूर होने की बात सोच कर उस का मन अजीब हो जाता. अपने मम्मीपापा को रोहित के बारे में बताने की उस की हिम्मत नहीं होती थी. पापा पुलिस में थे. इसीलिए गरम मिजाज के थे. हालांकि शायद ही वह कभी गुस्सा हुए हों यामिनी पर. वह उन की इकलौती बेटी जो थी.

एक दिन यामिनी को उस की मां ने बताया कि उसे देखने कुछ मेहमान आएंगे. लड़का डाक्टर है. यह जान कर यामिनी की आंखों से आंसू निकल गए. वह किसी तरह सब से बच कर रोहित से मिलने गई. उस के गले से लिपट कर रो पड़ी. जब उस ने अपने लिए लड़का देखे जाने की बात बताई तो रोहित भी अपने आंसू नहीं रोक पाया.

तभी यामिनी बोली, ‘‘रोहित, तुम मुझे मेरे पापा से मांग लो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’

कुछ सोचते हुए मायूस शब्दों में रोहित बोला, ‘‘अभी इस दुनिया में मेरा खुद का ही कोई ठिकाना नहीं है. मैं किस मुंह से तुम्हारे पापा से तुम्हें मांग पाऊंगा. अगर उन्होंने मना कर दिया तो हमारी उम्मीद टूट जाएगी. जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता, तुम्हें धीरज रखना होगा. मेरे किसी योग्य होने तक अपनी शादी को किसी बहाने टलवा लो. मैं जल्दी ही तुम्हारा हाथ मांगने आऊंगा.’’

‘‘काश, मैं ऐसा कर पाती. जीवन की अंतिम सांस तक तुम्हारा इंतजार करूं, पर न जाने क्यों मेरे मम्मीपापा को मेरी शादी की जल्दी पड़ी है? रोहित, मेरे पापा से मेरा हाथ मांग लो. मैं जिंदगी भर तुम्हारा एहसान मानूंगी.’’ यामिनी अपनी रौ में कहती चली गई, ‘‘मैं किसी और से शादी नहीं कर सकती. तुम नहीं मिले तो मैं अपनी जान दे दूंगी.’’

रोहित ने घबरा कर कहा, ‘‘ऐसा गजब नहीं करना. तुम से दूर होने की बात मैं सोच भी नहीं सकता. लेकिन फिलहाल हमें इंतजार करना ही पड़ेगा.’’

यामिनी एक उम्मीद लिए अपने घर लौट आई. रोहित से जिंदगी भर के लिए मिलने के खयाल से उस के दिल की धड़कन बढ़ जाती. उस ने सोचा, क्या हसीन समां होगा जब वह और रोहित हमेशा के लिए साथ होंगे.

लेकिन चंद दिनों बाद ही यामिनी के खयालों की हसीन दुनिया ढहती नजर आई. उन की मां ने बताया कि अगले दिन ही उसे देखने मेहमान आ रहे हैं. यामिनी को काटो तो खून नहीं. उस ने घबरा कर रोहित को फोन किया. पर यह क्या? वह काल पर काल करती गई और उधर रिंग होती रही लेकिन रोहित ने फोन रिसीव नहीं किया. आखिर रोहित को आज हो क्या गया है? फोन क्यों नहीं उठा रहा है? वह काफी परेशान हो गई.

शायद वह किसी काम में व्यस्त होगा. इसलिए यामिनी ने थोड़ी देर ठहर कर कौल किया. लेकिन फिर भी उस ने फोन नहीं उठाया. ऐसा कभी नहीं हुआ था. वह तो तुरंत कौल रिसीव करता था या मिस्ड होने पर खुद ही कौलबैक करता था. आधी रात हो गई लेकिन यामिनी की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह रोहित को कौल करती रही. अंत में कोई जवाब दिए बिना रोहित का मोबाइल फोन स्विच औफ हो गया तो यामिनी की रुलाई फूट पड़ी.

अगले दिन सुबह पापा के ड्यूटी पर जाने के बाद यामिनी बहाना बना कर घर से निकल गई और रोहित के कमरे पर जा पहुंची, क्योंकि मेहमान शाम को आने वाले थे. पर यह क्या? वहां ताला लगा था. आसपास के लोगों से उस ने पूछा तो पता चला कि रोहित कमरा खाली कर कहीं जा चुका है. वह कहां गया है, यह कोई

नहीं बता पाया. यामिनी की आंखों में आंसू आ गए. अब वह क्या करे? कहां जाए? रोहित बिना कुछ कहे जाने कहां चला गया था. लेकिन रोहित ऐसा कर सकता है, यामिनी को यकीन नहीं हो रहा था.

शाम निकट आती जा रही थी और उस की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी.

अगर लड़के वालों ने उसे पसंद कर लिया तो क्या होगा? वह कैसे मना कर पाएगी शादी के लिए? उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उस ने सोचा, यह वक्त कहीं ठहर जाए तो कितना अच्छा हो. लेकिन गुजरते वक्त पर किस का अधिकार होता है.

धीरेधीरे शाम आ ही गई. लड़के वाले कई लोगों के साथ यामिनी को देखने आ गए. यामिनी का कलेजा जैसे मुंह को आ गया. जीवन में कभी खुद को उस ने इतना लाचार नहीं महसूस किया था. मां की जिद पर उस ने मन ही मन रोते हुए अपना शृंगार किया. उसे लड़के वालों के सामने ले जाया गया.

उस का दिल रो रहा था. रोहित से वह जुदा नहीं होना चाहती थी. यह सोच कर यामिनी की पीड़ा और बढ़ जाती कि अगर सब रजामंद हो गए तो क्या होगा? इस कठिन घड़ी में रोहित उसे बिना कुछ कहे कहां गायब हो गया था. यामिनी अकेले दम पर कैसे प्यार निभा पाएगी? उस ने क्या सिर्फ मस्ती करने के लिए प्यार किया था? जब निभाने और जिम्मेदारी उठाने की बात आई तो उसे छोड़ कर चुपचाप गायब हो गया. यह कैसा प्यार था उस का?

लेकिन यामिनी का मन रोहित के अलावा किसी और को स्वीकार करने को तैयार नहीं था. वह मन ही मन कामना कर रही थी कि लड़के वाले उसे नापसंद कर दें. लेकिन उन लोगों ने उसे पसंद कर लिया. अपने प्यार को टूटता देख यामिनी बेसब्र होती जा रही थी. इतनी कठिन घड़ी में वह अपनी भावनाओं के साथ अकेली थी. रोहित तो जाने किस दुनिया में गुम था. आखिर उस ने ऐसा क्यों किया? क्या प्यार उस के लिए मन बहलाने की चीज थी? यामिनी का विकल मन रोने को हो रहा था.

घर में खुशी का माहौल था. उस की मां सभी परिचितों एवं रिश्तेदारों को फोन पर लड़के वालों द्वारा यामिनी को पसंद किए जाने की सूचना दे रही थीं. पापा धूमधाम से शादी करने के लिए जरूरी इंतजाम के बारे में सोच रहे थे. लेकिन यामिनी मन ही मन घुट रही थी. रोहित को वह भूल नहीं पा रही थी. वह सोचती कि काश, उस की यह शादी न हो. उस के दिल में तो सिर्फ रोहित बसा था. वह कैसे किसी और के साथ न्याय कर पाएगी.

कुछ दिन बीते और इसी दौरान एक नई घटना घट गई. जिस बात को ले कर यामिनी घुली जा रही थी वह बिना कोशिश के ही हल हो गई. लड़के वाले शादी को ले कर आनाकानी करने लगे थे. जो शादी में मध्यस्थ का काम कर रहे थे उन्होंने बताया कि लड़के वालों ने ज्यादा दहेज के लालच में दूसरी जगह शादी पक्की कर ली. यह जान कर यामिनी को राहत सी महसूस हुई. कई दिनों के बाद उस की होंठों पर मुसकराहट आई.

शादी की बात टलते ही यामिनी को राहत मिली. पर अफसोस, रोहित अब भी उस के संपर्क में नहीं था. वह रोहित को याद कर हर पल बेचैन रहने लगी. बिना बताए वह कहां चला गया है? उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों स्विच औफ कर लिया है? ज्योंज्यों दिन बीत रहे थे उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. कभीकभी उसे लगता कि रोहित ने उस के साथ धोखा किया है.

यामिनी हमेशा रोहित के नंबर पर कौल करती. लेकिन मोबाइल फोन हमेशा स्विच औफ मिलता. उस ने फेसबुक पर भी कई मैसेज पोस्ट किए पर कोई जवाब नहीं मिला. एक दिन उस ने देखा कि रोहित ने उसे फेसबुक पर भी ब्लौक कर रखा था. उस की इस हरकत पर यामिनी को बहुत गुस्सा आया. जिस के लिए उस ने अपना सारा चैन खो दिया, वह उस से दूर होने की हर कोशिश कर रहा है.

आगे पढ़ें- गुस्से से उस के होंठ कांपने लगे. बिना…

‘पिंक’ और ‘बदला’ के बाद अब फिल्म ‘चेहरे’ में वकील की भूमिका निभाएंगे अमिताभ बच्चन, पढ़ें खबर

जब से बाजार में फिल्म‘‘चेहरे’’का ट्रेलर आया है, तब से इसके दमदार दृश्यों ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया है. रूमी जाफरी निर्देशित रोमांचक फिल्म ‘‘चेहरे’’ में दो व्यक्तियों की कहानी है, जो न्याय का खेल जीतने के लिए लड़ रहे हैं. इन दोनों व्यक्तियों के किरदार में बौलीवुड के शहशाह अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी हैं. इसमें एक बार फिर अमिताभ बच्चन वकील के दमदार किरदार को निभाते हुए नजर आएंगे.

पिछले कुछ वर्षों से अमिताभ बच्चन ने ‘पिंक’, ‘बदला’सहित कई सफलतम फिल्में दी हैं. अब वह ‘चेहरे’में नजर आएंगे. दिलचस्प बात यह है कि इन सभी फिल्मों में उन्हें एक ऐसे वकील का किरदार दोहराते हुए देखा गया है, जो न्याय की लड़ाई लड़ते रहे हैं. वक्त के साथ वह विविधतापूर्ण किरदार निभाते आए हैं. एक वक्त वह था, जब उन्होंने युवा,  मजबूत,  और देहाती आदमी की भूमिका निभाई थी,  जो बुराई के खिलाफ लड़ रहा था. फिर एक ऐसा दौर आया,  जहां उन्होंने पिता के आंकड़े और इतने अधिक विविध चरित्रों को प्रतिरूपित किया. फिर एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने फिल्म ‘पीकू’में भाष्कर बनर्जी जैसा किरदार निभाकर लोगों का दिल जीत लिया. वह फिल्म दर फिल्म इस बात का अहसास कराते रहते है कि शेर हमेशा जंगल पर राज करते हैं.

ये भी पढ़ें- ‘तारक मेहता…’ के सेट पर कोरोना का कहर, सुंदरलाल के बाद ये शख्स भी निकला Corona Positive

अब फिल्म निर्माता आनंद पंडित की फिल्म ‘चेहरे’ के माध्यम से अमिताभ बच्चन तीसरी वकील के किरदार में नजर आएंगे, जो एक जघन्य अपराध के पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए उत्सुक है.

इस संदर्भ में आनंद पंडित कहते हैं-‘‘अमिताभ बच्चन जी सूरज के नीचे किसी भी चरित्र को चित्रित कर सकते हैं. वह उपहार है. हालांकि,  जब आप एक वकील के चरित्र की कल्पना करते हैं,  तो उसकी उपस्थिति मजबूत और विश्वसनीय और जिम्मेदार दिखनी चाहिए. श्री बच्चन को ऐसी भूमिकाओं को स्वीकार करते हुए देखें. यह पहली बार है जब अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी स्क्रीन शेयर कर रहे हैं. ’’

‘‘आनंद पंडित मोशन पिक्चर्स’’और ‘‘सरस्वती एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’’ द्वारा निर्मित,  रूमी जाफरी द्वारा निर्देशित ‘‘चेहरे‘‘ में अन्नू कपूर,  क्रिस्टेल डिसूजा,  धृतिमान चटर्जी,  रघुबीर यादव,  सिद्धनाथ कपूर और रिया चक्रवर्ती भी हैं. यह फिल्म अब 9 अप्रैल 2021 को सिनेमा घरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

ये भी पढ़ें- बेटी के लिए अनुपमा ने दिखाया काव्या को घर से बाहर का रास्ता, क्या करेगा वनराज

https://www.youtube.com/watch?v=NGlcDRVDUs8

‘तारक मेहता…’ के सेट पर कोरोना का कहर, सुंदरलाल के बाद इस शख्स को भी हुआ Corona

कोरोना वायरस का कहर इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है. वहीं सेलेब्स भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. हाल ही में जहां सब टीवी के सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) के सुंदर लाल यानी मयूर वकानी कोरोना के शिकार हो गए थे तो वहीं अब खबर है सीरियल का एक और एक्टर को कोरोना हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्टर ने खुद दी जानकारी

खबरों की मानें तो सीरियल में मास्टर भिड़े के किरदार में नजर आने वाले मन्दार चंदवादकर (Mandar Chandwadkar) कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं. दरअसल, मन्दार चंदवादकर ने खुद एक इंटरव्यू में बताया है कि, ‘बीते कुछ समय से मुझे सर्दी खांसी की शिकायत थी. बीते दिन पूजा करते समय मैंने महसूस किया कि मैं कुछ भी सूंघ नहीं कर पा रहा हूं. जिसके बाद मैंने कोरोना वायरस टेस्ट करवाने का फैसला किया.’

ये भी पढ़ें- बेटी के लिए अनुपमा ने दिखाया काव्या को घर से बाहर का रास्ता, क्या करेगा वनराज

शो के दूसरे कलाकारों का भी होगा कोरोना टेस्ट

मन्दार चंदवादकर ने आगे बताया, ‘जैसे ही मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव निकली वैसे ही मैंने सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम को इस बात की जानकारी दे दी. मैंने खुद को घर पर आइसोलेट कर लिया है. इसके अलावा मैंने अपने को स्टार सोनालिका और पलक को भी कोरोना टेस्ट करने का सुझाव दिया है.’  वहीं खबरों की मानें तो शो के सेट पर भी गाइडलाइंस का ध्यान रखते हुए सभी का कोरोना टेस्ट करवा दिया गया है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है.

बता दें, हाल ही में सुंदरलाल के रोल में नजर आने वाले दिशा वकानी के भाई मयूर वकानी को भी कोरोना वायरस हो गया है, जिसके कारण वह इन दिनों आइसोलेशन में हैं और खबर है कि वह अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं. साथ ही उनकी हालत पहले से बेहतर बताई जा रही है.

ये भी पढ़ें- दोस्त की शादी में गर्लफ्रेंड दिशा संग ठुमके लगाते नजर आए राहुल वैद्य, Video Viral

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें