Serial Story: दस्विदानिया – भाग 2

नताशा से कुछ बात कर इंस्ट्रक्टर ने दीपक से पूछा, ‘‘तुम ने नताशा से कोई गंदी बात की थी? वह बहुत नाराज है तुम से.’’

‘‘मैं ने तो ऐसी कोई बात नहीं की थी,’’ बोल कर दीपक ने जो आखिरी बात नताशा को कही थी उसे दोहरा दिया.

इंस्ट्रक्टर ने भी सिर पीटते हुए कहा, ‘‘बेवकूफ यह तुम ने क्या कह दिया? इस का मतलब समझते हो?’’

‘‘हां, तुम्हारी ड्रैस बहुत अच्छी है?’’

‘‘नेत (नो), इस का अर्थ तुम्हारी पैंटी बहुत अच्छी है, होता है बेवकूफ.’’

तब दीपक अपने मित्र की ओर सवालिया आंखों से देखने लगा. फिर कहा, ‘‘तुम ने ही सिखाया था यह शब्द मुझे.’’

नताशा भी आश्चर्य से उस की तरफ देखने लगी थी. दोस्त भी अपनी सफाई में बोला, ‘‘अरे यार मैं ने तो यों ही बता दिया था. मुझे लेडीज ड्रैस का यही एक शब्द आता था. मुझे क्या पता था कि तू नताशा को बोलने जा रहा है. आई एम सौरी.’’

फिर नताशा की ओर देख कर बोला, ‘‘आई एम सौरी नताशा. मेरी वजह से यह गड़बड़ हुई है. दरअसल, दीपक ने तुम्हारी ड्रैस की तारीफ करनी चाही होगी… यह बेचारा बेकुसूर है.’’

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यह सुन कर सभी एकसाथ हंस पड़े.

दीपक ने नताशा से कहा, ‘‘ईजवीनीते (सौरी) नताशा. मैं ने जानबूझ कर उस समय ऐसा नहीं कहा था.’’

‘‘ईजवीनीते. प्रस्तिते (सौरी, ऐक्सक्यूज मी). हम दोनों गलतफहमी के शिकार हुए.’’

इंस्ट्रक्टर बोला, ‘‘चलो इसे भी एक अप्रैल फूल जोक समझ कर भूल जाओ.’’

इस के बाद नताशा और दीपक में मित्रता और गहरी हो चली. दोनों शालीनतापूर्वक अपनी दोस्ती निभा रहे थे. दीपक तो इस रिश्ते को धीरेधीरे दोस्ती से आगे ले जाना चाहता था, पर कुछ संकोच से, कुछ दोस्ती टूटने के भय से और कुछ समय के अभाव से मन की बात जबान पर नहीं ला रहा था.

इसी बीच दीपक के इंडिया लौटने का दिन भी आ गया था. एअरपोर्ट पर नताशा दीपक को बिदा करने आई थी. उस ने आंखों में छलक आए आंसू छिपाने के लिए रंगीन चश्मा पहन लिया. दीपक को पहली बार महसूस हुआ जैसे वह भी मन की कुछ बात चाह कर भी नहीं कर पा रही है. दीपक के चेहरे की उदासी किसी से छिपी नहीं थी.

‘‘दस्विदानिया, (गुड बाई), होप टु सी यू अगेन,’’ बोल कर दोनों गले मिले.

दीपक भारत लौट आया. नताशा से उस का संपर्क फोन से लगातार बना हुआ था. इसी बीच डिपार्टमैंटल परीक्षा और इंटरव्यू द्वारा दीपक को वायुसेना में कमीशन मिल गया. वह अफसर बन गया. हालांकि उस के ऊपर कोई बंदिश नहीं थी, उस के मातापिता गुजर चुके थे, फिर भी अभी तक उस ने शादी नहीं की थी.

इस बीच नताशा ने उसे बताया कि उस के पापा भी चल बसे. उन्हें कैंसर था. संदेह था कि चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में हुई भयानक दुर्घटना के बाद कुछ लोगों में रैडिएशन की मात्रा काफी बढ़ गई थी. शायद उन के कैंसर की यही वजह रही होगी.

पिता की बीमारी में नताशा महीनों उन के साथ रही थी. इसलिए उस ने नौकरी भी छोड़ दी थी. फिलहाल कोई नौकरी नहीं थी और पिता के घर का कर्ज भी चुकाना था. वह एक नाइट क्लब में डांस कर और मसाज पार्लर जौइन कर काम चला रही थी. उस ने दीपक से इस बारे में कुछ नहीं कहा था, पर बराबर संपर्क बना हुआ था.

लगभग 2 साल बाद दीपक दिल्ली एअरपोर्ट पर था. अचानक उस की नजर नताशा पर पड़ी. वह दौड़ कर उस के पास गया और बोला, ‘‘नताशा, अचानक तुम यहां? मुझे खबर क्यों नहीं की?’’

नताशा भी अकस्मात उसे देख कर घबरा उठी. फिर अपनेआप को कुछ सहज कर कहा, ‘‘मुझे भी अचानक यहां आना पड़ा. समय नहीं मिल सका बात करने के लिए…तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं अभी एक घरेलू उड़ान से यहां आया हूं. खैर, चलो कहीं बैठ कर कौफी पीते हैं. बाकी बातें वहीं होंगी.’’

दोनों एअरपोर्ट के रेस्तरां में बैठे कौफी पी रहे थे. दीपक ने फिर पूछा, ‘‘अब बताओ यहां किस लिए आई हो?’’

नताशा खामोश थी. फिर कौफी की चुसकी लेते हुए बोली, ‘‘एक जरूरी काम से किसी से मिलना है. 2 दिन बाद लौट जाऊंगी.’’

‘‘ठीक है पर क्या काम है, किस से मिलना है, मुझे नहीं बताओगी? क्या मैं भी तुम्हारे साथ चल सकता हूं?’’

‘‘नहीं, मुझे वहां अकेले ही जाना होगा.’’

‘‘चलो, मैं तुम्हें ड्रौप कर दूंगा.’’

‘‘नेत, स्पासिबा (नो, थैंक्स). मेरी कार बाहर खड़ी होगी.’’

‘‘कार को वापस भेज देंगे. कम से कम कुछ देर तक तो तुम्हारे साथ ऐंजौय कर लूंगा.’’

‘‘क्यों मेरे पीछे पड़े हो?’’ बोल कर नताशा उठ कर जाने लगी.

दीपक ने उस का हाथ पकड़ कर रोका और कहा, ‘‘ठीक है, तुम जाओ, मगर मुझ से नाराजगी का कारण बताती जाओ.’’

नताशा तो रुक गई, पर अपने आंसुओं को गालों पर गिरने से न रोक सकी.

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दीपक के द्वारा बारबार पूछे जाने पर वह रो पड़ी और फिर उस ने अपनी पूरी कहानी बताई, ‘‘मैं तुम से क्या कहती? अभी तक तो मैं सिर्फ डांस या मसाज करती आई थी पर मैं पिता का घर किसी भी कीमत पर बचाना चाहती हूं. मैं ने एक ऐस्कौर्ट एजेंसी जौइन कर ली है. शायद आने वाले 2 दिन मुझे किसी बड़े बिजनैसमैन के साथ ही गुजारने पड़ेंगे. तुम समझ रहे हो न मैं क्या कहना

चाहती हूं? ’’

‘‘हां, मैं समझ सकता हूं. तुम्हें किस ने हायर किया है, मुझे बता सकती हो?’’

‘‘नो, सौरी. हो सकता है जो नाम मैं जानती हूं वह गलत हो. मैं ने भी उसे अपना सही नाम नहीं बताया है. वैसे भी इस प्रोफैशन की बात किसी तीसरे आदमी को हम नहीं बताते हैं. मैं बस इतना जानती हूं कि मुझे 3 दिनों के लिए 4000 डौलर मिले हैं.’’

‘‘तुम उसे फोन करो, उसे पैसे वापस कर देंगे.’’

‘‘नहीं, यह आसान नहीं है. वह मेरी एजेंसी का पुराना भरोसे वाला ग्राहक है.’’

कुछ देर सोचने के बाद दीपक ने कहा ‘‘एक आइडिया है, उम्मीद है काम कर जाएगा. उस का फोन नंबर तो होगा तुम्हारे पास?’’

‘‘नहीं, मुझे होटल का नंबर और रूम नंबर पता है.’’

‘‘गुड, तुम उसे फोन लगाओ और कहो कि तुम्हें कस्टम वालों ने पकड़ लिया है. तुम्हारे पर्स में कुछ ड्रग्स मिले. तुम्हें खुद पता नहीं कि कहां से ड्रग्स पर्स में आ गए और अब वही तुम्हारी सहायता कर सकता है.’’

नताशा ने फोन कर उस बिजनैसमैन से बात कर वैसा ही कहा.

उधर से वह फोन पर गुस्सा हो कर नताशा से बोला, ‘‘यू इडियट, तुम ने मेरे या

इस होटल के बारे में कस्टम औफिसर को क्या बताया है?’’

‘‘सर, मैं ने तो अभी तक कुछ नहीं बताया है… पर परदेश में बस आप का ही सहारा है. आप कुछ कोशिश करें तो मामला रफादफा हो जाएगा. मैं अपने डौलर तो साथ लाई नहीं हूं.’’

‘‘मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता हूं. खबरदार दोबारा फोन करने की कोशिश की.

अब तुम जानो और तुम्हारा काम… भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारे 4000 डौलर,’’ और उस ने फोन काट दिया.

बिजनैसमैन की बातें सुन कर दोनों एकसाथ खुशी से उछल पड़े. नताशा बोली, ‘‘अब तो मेरे डौलर भी बच गए. पापा के घर का काफी कर्ज चुका सकती हूं. मेरा रिटर्न टिकट तो 2 दिन बाद का है. फिर भी मैं कोशिश करती हूं कि आज रात की फ्लाइट मिल जाए,’’ कह वह रसियन एअरलाइन एरोफ्लोट के काउंटर की तरफ बढ़ी.

दीपक ने उसे रोक कर कहा, ‘‘रुको, इस की कोई जरूरत नहीं है. तुम अभी मेरे साथ चलो. कम से कम 2 दिन तो मेरा साथ दो.’’

दीपक ने नताशा को एक होटल में ठहराया. काफी देर दोनों बातें करते रहे. दोनोें एकदूसरे का दुखसुख समझ रहे थे. रात में डिनर के बाद दीपक चलने लगा. उसे गले से लगाते हुए होंठों पर ऊंगली फेरते हुए बोला, ‘‘नताशा, या लुवलुवा (आई लव यू). कल सुबह फिर मिलते हैं. दोबरोय नोचि (गुड नाइट).’’

‘‘आई लव यू टू,’’ दीपक के बालों को सहलाते हुए नताशा ने कहा.

अगले दिन जब दीपक नताशा से मिलने आया तो वह स्कारलेट कलर के सुंदर लौंग फ्रौक में बैठी थी. बिलकुल उसी तरह जैसे मास्को के होटल में मिली थी.

दीपक बोला, ‘‘दोबरोय उत्रो. क्रासावित्सा (गुड मौर्निंग, ब्यूटीफुल).’’

‘‘कौन ब्यूटीफुल है मैं या तृसिकी?’’ वह हंसते हुए बोली

‘‘दोनों.’’

‘‘यू नौटी बौय,’’ बोल कर नताशा दीपक से सट कर खड़ी हो गई.

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Serial Story: दस्विदानिया – भाग 3

दीपक ने उसे अपनी बांहों में ले कर कहा, ‘‘अब तुम कहीं नहीं जाओगी. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. मैं कल ही अपनी शादी के लिए औफिस में अर्जी दे दूंगा.’’

‘‘आई लव यू दीपक, पर मुझे कल जाने दो. मैं ने पिता की निशानी बचाने के लिए अपनी अस्मिता दांव पर लगा दी… मुझे अपने देश जा कर सबकुछ ठीक करने के लिए मुझे कुछ समय दो.’’

अगले दिन नताशा एरोफ्लोट की फ्लाइट से मास्को जा रही थी. दीपक उसे छोड़ने दिल्ली एअरपोर्ट आया था. उस के चेहरे पर उदासी देख कर वह बोली, ‘‘उम्मीद है फिर जल्दी मिलेंगे. डौंट गैट अपसैट. बाय, टेक केयर, दस्विदानिया,’’ और वह एरोफ्लोट की काउंटर पर चैक इन करने बढ़ गई. दोनों हाथ हिला कर एकदूसरे से बिदा ले रहे थे.

कुछ दिनों बाद दीपक ने अपने सीनियर से शादी की अर्जी दे कर इजाजत मांगने

की बात की तो सीनियर ने कहा, ‘‘सेना का कोई भी सिपाही किसी विदेशी से शादी नहीं कर सकता है, तुम्हें पता है कि नहीं?’’

‘‘सर, पता है, इसीलिए तो पहले मैं इस की इजाजत लेना चाहता हूं.’’

‘‘और तुम सोचते हो तुम्हें इजाजत मिल जाएगी? यह सेना के नियमों के विरुद्ध है, तुम्हें इस की इजाजत कोईर् भी नहीं दे सकता है.’’

‘‘सर, हम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं. मैं शादी उसी से करूंगा.’’

‘‘बेवकूफी नहीं करो, अपने देश में क्या लड़कियों की कमी है?’’

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‘‘बेशक नहीं है सर, पर प्यार तो एक से ही किया है मैं ने, सिर्फ नताशा से.’’

‘‘तुम अपना और मेरा समय बरबाद कर रहे हो. तुम्हारा कमीशन पूरा होने में कितना वक्त बाकी है अभी?’’

‘‘सर, अभी तो करीब 12 साल बाकी हैं.’’

‘‘तब 2 ही उपाय हैं या तो 12 साल इंतजार करो या फिर नताशा को अपनी नागरिकता छोड़ने को कहो. और कोई उपाय नहीं है.’’

‘‘अगर मैं त्यागपत्र देना चाहूं तो?’’

‘‘वह भी स्वीकार नहीं होगा. देश और सेना के प्रति तुम्हारा कुछ कर्तव्य बनता है जो प्यार से ज्यादा जरूरी है, याद रखना.’’

‘‘यस सर, मैं अपनी ड्यूटी भी निभाऊंगा… मैं कमीशन पूरा होने तक इंतजार करूंगा,’’ कह वह सोचने लगा कि पता नहीं नताशा इतने लंबे समय तक मेरी प्रतीक्षा करेगी या नहीं. फिर सोचा कि नताशा को सभी बातें बता दे.

दीपक ने जब नताशा से बात की तो उस ने कहा, ‘‘12 साल क्या मैं कयामत तक तुम्हारा इंतजार कर सकती हूं… तुम बेशक देश के प्रति अपना फर्ज निभाओ. मैं इंतजार कर लूंगी.’’

नताशा से बात कर दीपक को खुशी हुई. दोनों में प्यारभरी बातें होती रहती थीं. वे बराबर एकदूसरे के संपर्क में रहते. धीरेधीरे समय बीतता जा रहा था. करीब 2 साल बाद एक बार नताशा दीपक से मिलने इंडिया आई थी. दीपक ने महसूस किया उस के चेहरे पर पहले जैसी चमक नहीं थी. स्वास्थ्य भी कुछ गिरा सा लग रहा था.

दीपक के पूछने पर उस ने कहा, ‘‘कोई खास बात नहीं है, सफर की थकावट और थोड़ा सिरदर्द है.’’

दोनों में मर्यादित प्रेम संबंध बना हुआ था. एक दिन बाद नताशा ने लौटते समय कहा, ‘‘इंतजार का समय 2 साल कम हो गया.’’

‘‘हां, बाकी भी कट जाएगा.’’

बेलारूस लौटने के बाद से नताशा का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था. कभी जोर से सिरदर्द, कभी बुखार तो कभी नाक से खून बहता. सारे टैस्ट किए गए तो पता चला कि उसे ब्लड कैंसर है. डाक्टर ने बताया कि फिलहाल दवा लेती रहो, पर 2 साल के अंदर कुछ भी हो सकता है. नताशा अपनी जिंदगी से निराश हो चली थी. एक तरफ अकेलापन तो दूसरी ओर जानलेवा बीमारी. फिर भी उस ने दीपक को कुछ नहीं बताया.

इधर कुछ महीने बाद दीपक को 3-4 दिनों से तेज बुखार था.

वह अपने एअरफोर्स के अस्पताल में दिखाने गया. उस समय फ्लाइट लैफ्टिनैंट डाक्टर ईशा ड्यूटी पर थीं. चैकअप किया तो दीपक को 103 डिग्री से ज्यादा ही फीवर था.

डाक्टर बोली, ‘‘तुम्हें एडमिट होना होगा. आज फीवर का चौथा दिन है…कुछ ब्लड टैस्ट करूंगी.’’

दीपक अस्पताल में भरती था. टैस्ट से पता चला कि उसे टाईफाइड है.

डा. ईशा ने पूछा, ‘‘तुम्हारे घर में और कौनकौन हैं, आई मीन वाइफ, बच्चे?’’

‘‘मैं बैचलर हूं डाक्टर… वैसे भी और कोई नहीं है मेरा.’’

‘‘डौंट वरी, हम लोग हैं न,’’ डाक्टर उस की नब्ज देखते हुए बोलीं.

बीचबीच में कभीकभी दीपक का खुबार 103 से 104 डिग्री तक हो जाता तो वह नताशानताशा पुकारता. डा. ईशा के पूछने पर उस ने नताशा के बारे में बता दिया. डाक्टर ने नताशा का फोन नंबर ले कर उसे फोन कर दिया. 2 दिन बाद नताशा दीपक से मिलने पहुंच गई. उस दिन दीपक का फीवर कम था. नताशा उस के कैबिन में दीपक के बालों को सहला रही थी.

तभी डा. ईशा ने प्रवेश किया. बोलीं, ‘‘आई एम सौरी, मैं बाद में आ जाती हूं. बस रूटीन चैकअप करना है. आज इन्हें कुछ आराम है.’’

दीपक बोला, ‘‘नहीं डाक्टर, आप को जाने की जरूरत नहीं है. आप अपना काम कर लें… अब नताशा आ गई है, तो मैं ठीक हो जाऊंगा.’’

डा. ईशा ने नताशा से पूछा, ‘‘तुम इंडिया कितने दिनों के लिए आई हो?’’

‘‘ज्यादा से ज्यादा 2 दिन तक रुक सकती हूं.’’

‘‘ठीक है, इन का बुखार उतरना शुरू हो गया है. उम्मीद है कल तक कुछ और आराम मिलेगा.’’

डाक्टर के जाने के बाद दीपक ने नताशा से पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है? थकीथकी लग रही हो?’’

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‘‘नहीं, मैं बिलकुल ठीक हूं. तुम आराम करो. मैं अभी चलती हूं. फिर आऊंगी शाम को विजिटिंग आवर्स में.’’

नताशा डा. ईशा से मिलने उन के कैबिन में गई तो डा. ईशा बोलीं, ‘‘आप लंच मेरे साथ लेंगी… मेरे क्वार्टर में आ जाना, मैं वेट करूंगी.’’

लंच के बाद नताशा डा. ईशा से बैठी बातें कर रही थी. डा. ईशा ने कहा, ‘‘क्या बात है, इंडियन खाना पसंद नहीं आया? तुम ने तो कुछ खाया ही नहीं. तुम्हें तो इंडियन खाने की आदत डालनी होगी.’’

‘‘नहीं, खाना बहुत अच्छा था. मैं ने भरपेट खा लिया है.’’

‘‘दीपक तुम्हें बहुत चाहते हैं… तुम्हारे लिए लंबा इंतजार करने को तैयार हैं.’’

उसी समय नताशा के सिर में जोर का दर्द हुआ और नाक से खून रिसने लगा. डा. ईशा उसे सहारा दे कर वाशबेसिन तक ले गई, फिर बैड पर आराम करने के लिए लिटा दिया और पूछा, ‘‘तुम्हें क्या तकलीफ है और ऐसा कितने दिनों से हो रहा है?’’

नताशा ने अपने बैग से दवा खाई और अपनी पूरी बीमारी विस्तार से बता दी. फिर अपनी फाइल और रिपोर्ट उन्हें दिखा कर कहा, ‘‘अब मेरी जिंदगी कुछ ही महीनों की बची है. डाक्टर ने कहा है कि ज्यादा से ज्यादा 1 साल. मैं चाहती हूं आप दीपक को धीरेधीरे समझाएं… हो सकता है मैं इस के बाद अब उस से मिल न सकूं, क्योंकि लंबी यात्रा के लायक नहीं रहूंगी.’’

अगले दिन दीपक को अस्पताल से छुट्टी मिल गई. वह अपने क्वार्टर में नताशा के साथ था. नताशा को अगले दिन जाना था. दीपक बोला, ‘‘मैं तो एअरफोर्स में हूं, मेरा विदेश जाना संभव नहीं है. तुम्हीं मिलने आ जाया करो. मुझे बहुत अच्छा लगता है तुम से मिल कर.’’

‘‘अच्छा तो मुझे भी लगता है, पर मुझे लगता है तुम्हारी देखभाल करने वाला कोई यहां होना चाहिए. मेरे इंतजार में कहीं तुम्हारे स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े.’’

‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा. मैं वेट कर लूंगा.’’

नताशा जा रही थी. दीपक से बिदा लेते समय उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. डाक्टर ने दीपक को एअरपोर्ट जाने से मना कर दिया था.

नताशा बोली, ‘‘दस्विदानिया, दोस्त.’’

डा. ईशा नताशा के साथ एअरपोर्ट आई थीं.

नताशा बोली, ‘‘डाक्टर, अब मैं दीपक से मिलने नहीं आ सकती हूं…आप समझ ही रही हैं न… मैं ने दीपक से कुछ नहीं कहा है. पर आप उसे सच बता दीजिएगा.’’

नताशा चली गई. डा. ईशा ने उस की बीमारी के बारे में दीपक को बता दिया. वह बहुत दुखी हुआ. डा. ईशा दीपक से अकसर मिलने आतीं और उसे समझातीं. लगभग 6 महीने बाद नताशा का आखिरी फोन उसे मिला. वह अस्पताल में अंतिम सांसें गिन रही थी.

नताशा ने कहा, ‘‘सौरी दोस्त, मैं अब और तुम्हारा इंतजार नहीं कर सकती हूं. किसी भी पल आखिरी सांस ले सकती हूं. टेक केयर औफ योरसैल्फ. दस्विदानिया, प्राश्चे नवसेदगा (गुड बाय सदा के लिए).’’

करीब आधे घंटे के बाद नताशा की मृत्यु की खबर दीपक को मिली. वह

बहुत दुखी हुआ. उस की आंखों से भी लगातार आंसू बह रहे थे. डा. ईशा दीपक को सांत्वना दे रही थी.

बीमारी के बाद दीपक और ईशा दोनों अकसर मिलने लगे थे. एक दिन दोनों साथ बैठे थे. दीपक थोड़ा सहज हो चला था. वह बोला, ‘‘अकेलापन काटने को दौड़ता है.’’

‘‘आप देश के बहादुर सैनिक हो. अपना मनोबल बनाए रखो. ड्यूटी के बाद कुछ अन्य कार्यों में अपनेआप को व्यस्त रखो.’’

‘‘मैं नताशा को भुला नहीं पा रहा हूं.’’

‘‘यादें इतनी आसानी से नहीं भूलतीं, पर कभीकभी यादों को हाशिए पर रख कर जिंदगी में आगे बढ़ना होता है. मैं भी उसे कहां भूल सकी हूं.’’

‘‘किसे?’’

‘‘फ्लाइंग अफसर राकेश से मेरी शादी तय हुई थी. हम दोनों एकदूसरे को चाहते भी थे, पर एक टैस्ट फ्लाइट के क्रैश होने से वह नहीं रहा.’’

‘‘उफ , सो सौरी.’’

कुछ दिन बाद क्लब में डा. ईशा और दीपक एक सीनियर अफसर स्क्वाड्रन लीडर उमेश के साथ बैठे थे. उमेश ने कहा, ‘‘तुम दोनों की कहानी मिलतीजुलती है. क्यों न तुम दोनों एक हो कर एकदूसरे के सुखदुख में साथ दो.’’

डा. ईशा और दीपक एकदूसरे को देखने लगे. उमेश ने महसूस किया कि दोनों की आंखों से स्वीकृति का भाव साफ छलक रहा है.

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REVIEW: गैंगस्टर व हिंसा का महिमा मंडन है जौन अब्राहम और इमरान हाशमी की फिल्म ‘मुंबई सागा’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः भूषण कुमार, अनुराधा गुप्ता, संगीता अहिर, किशन कुमार

निर्देशकः संजय गुप्ता

कलाकारः जौन अब्राहम, इमरान हाशमी, सुनील शेट्टी,  काजल अग्रवाल,  रोहित रॉय,  अंजना सुखानी,  महेश मांजरेकर,  प्रतीक बब्बर व अन्य.

अवधिः दो घंटे सात मिनट 31 सेकंड

अस्सी व नब्बे के दशक में मुंबई में गैंगस्टर के कुछ गुटों के बीच आपसी लड़ाई चरम सीमा पर थी, जिन्हे राजनीतिक दलों का वरदहस्त हासिल था. इसी दशक में मुंबई में गवली गैंग, अमर व अश्विन गैंग का बोलबाला था. फिल्मकार संजय गुप्ता ने इसी काल की कुछ सत्य घटनाओं और उस काल के अशांत मुंबई को अपनी फिल्म‘‘मंुबई सागा’’में पिरोया है.

कहानीः

फिल्म‘‘मुंबई सागा’’की कहानी अस्सी के दशक में शुरू होती है. एक भाजी मार्केट में भाजी बेचने वालो से गायतोंडे(अमोल गुप्ते) के गुंडे हफ्ता वसूली करते हैं. जो हफ्ता देने से मना कर दे, उसके साथ मारपीट करते हैं. एक दिन सब्जी की दुकान पर अर्जुन बैठा होता है, वह हफ्ता देने से मना कर देता है, तो गायतोंडे के गुंडे उसे मौत के घाट उतारने के लिए रेल की पटरी पर लिटा देते हैं. सीमा(काजल अग्रवाल) इसकी खबर अर्जुन के भाई अमत्र्य राव(जौन अब्राहम) को देती है, अमत्र्य राव अपने भाई को बचा लेता है, पर अब वह गायतोंडे के गुंडो को सबक सिखाने का मन बना लेता है. दूसरे दिन वह अपने पिता की बजाय खुद सब्जी की दुकान पर बैठता है और गुंडों को हफ्ता देने से इंकार कर देता है. फिर अमत्र्य राव कई गुंडों को पीटता है, एक का हाथ काट देता है. गायतोंडे के इशारे पर पुलिस महकमा हरकत में आता है और अमत्र्य राव को जेल में बंद कर दिया जाता है, जहां गायतोंडे के पालतू गुंडों से अमत्र्य राव की लड़ाई होती है. यहीं जेल में अमत्र्य राव की मुलाकात ड्ग्स के धंधे से जुड़े नारी खान(गुलशन ग्रोवर) से होती है. दूसरे दिन अमत्र्य राव की जमानत हो जाती है. पता चलता है कि यह जमानत भाउ(महेश मांजरेकर) ने करायी है. भाउ एक राजनीतिक दल के सर्वेसर्वा हैं.

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इधर अमत्र्य राव, नारी खान की सलाह पर मुराली शंकर(सुनील शेट्टी ) से मिलता है और मुराली की सलाह पर अमल करते हुए गायतोंडे के अवैध हथियारों पर कब्जा कर अपना गैंग खड़ा कर लेता है. अमत्र्यराव के गैंग में बाबा(रोहित रौय),  सदाशिव,  चंदू वगैरह हैं. अब अमत्र्य राव को भाउ का वरदहस्त हासिल हो जाता है. अंततः दादर का इलाका अमत्र्य राव का हो जाता है. भाउ की मदद से अमत्र्य राव अपने भाई अर्जुन को पढ़ने के लिए बोर्डिंग स्कूल भेज देता है. भाउ दशहरे की रैली में ऐलान करते हैं कि उनके पास दादर का लड़का है. भाउ जो चाहते हैं, वही मुंबई शहर में होता है. भाउ ही बंबई शहर का नाम बदलकर मुंबई करने का ऐलान करते हैं, जिसे सरकार मान लेती है. इधर अमत्र्य राव की वजह से गायतोंडे दादर छोड़कर भायखला इलाके में अपना दबदबा बना लेते हैं. अर्जुन( प्रतीक बब्बर) पढ़ाई पूरी कर वापस आता है, तो अमत्र्य राव उसकी पसंद की लड़की से उसकी शादी कराकर उसे हमेशा के लिए लंदन भेज देता है.

अचानक खेतान मिल को बेचने का निर्णय सुनील खेतान(समीर सोनी) लेते हैं, जिसमें गायतोंडे मदद कर रहे हैं. सुनील खेतान के पिता मिल बेचने से इंकार करते हैं, पर कुछ ही दिन में उनकी रहस्यमय मौत हो जाती है. खेतान मिल के वर्करों को उनके घरों से बेघर करने की जिम्मेदारी गायतोंडे लेेते हैं. भाउ, अमत्र्य राव को बुलाकर कहते है कि मिल वर्करों का नुकसान उन्हें पसंद नहीं. वह मिल वर्करों के वोट हासिल करना चाहते हैं. अमत्र्य राव पहले सुनील खेतान को समझाता है,  फिर सुनील खेतान की हत्या कर देता है. इसी बीच अर्जुन लंदन से वापस आ जाता है. सुनील की हत्या से गुस्से में आकर अर्जुन पर असफल जानलेवा हमला करवाता है. उधर सुनील खेतान की पत्नी मुंबई पुलिस कमिश्नर के दफ्तर में जाकर उनसे कहती है कि वह उस पुलिस अफसर को दस करोड़ रूपए देगी, जो उसके पति के हत्यारे अमत्र्य राव का सिर काटेगा.

अब पुलिस इंस्पेक्टर विजय सावरकर (इमरान हाशमी) , अमत्र्य राव को खत्म करने के पीछे पड़ जाता है. वह सदाशिव को पकड़कर जानकारी हासिल कर अमत्र्य राव गैंग के पांच लोगों को गोली से भून देता है. अर्जुन पुलिस को भेद देने वाले सदाशिव (विवान पाराशर) को बाबा के सामने मार देता है. इससे अमत्र्य राव नाराज भी होता है. भाउ, अमत्र्य राव को कुछ दिन के लिए देश छोड़ देने के लिए कहते हैं. यहां अब गैंग का मुखिया अर्जुन को बनाने के लिए भाउ कह देते हैं. अमत्र्य राव, लंदन नारी खान के पास पत्नी सीमा संग चला जाता है. पुलिस इंस्पेक्टर विजय सावरकर चुप नही है. विजय सावरकर की चाल में अर्जुन फंसता है और विजय की गोली घायल होकर अस्पताल पहुंच जाता है. अर्जुन के बारे में खबर मिलने पर भाउ के मना करने के बावजूद अमत्र्स राव मुंबई वापस आता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अमत्र्य राव को पता चल जाता है कि पुलिस इंस्पेक्टर विजय सावरकार सैलरी सरकार से लेता है, लेकिन वह भाउ के इशारे पर ही काम करता है. अमत्र्य राव, भाउ से मिलकर यह बात बता देता है. भाउ कहते हैं कि अर्जुन को इलाज के लिए विदेश भेजने के रास्ते में इंस्पेक्टर विजय नही आएगा. फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अर्जुन को अपने खास हवाई जहाज में बैठाकर नारी खान ले जाते हैं, मगर उनकी आंखों के सामने ही विजय, अमत्र्य राव को गोलियों से भून देता है. उसके बाद भाउ, बाबा को मुंबई का डॉन बना देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

अंडरवल्र्ड व गैंगस्टर की कहानियों पर काम करने में संजय गुप्ता को महारत हासिल है. कहानी में नयापन नही है, यह टिपिकल  गैंगस्टर फिल्म है. यह फिल्म संजय गुप्ता की पहचान के अनुरूप ही है. संजय गुप्ता की इस फिल्म से यह बात उभरकर आती है कि अंडरवल्र्ड और पुलिस विभाग,  राजनेताओं की कठपुतली है. भाउ का किरदार देखकर स्व. बाला साहेब ठाकरे की छवि उभरती है. संजय गुप्ता ने अस्सी व नब्बे के मुंबई को सही अंदाज में पेश किया है. मगर इसमें इमोशन कहीं नही है. सिर्फ मार धाड़ ही है. जबकि जिंदगी बिना इमोशन के नही चलती. इसके अलावा इस फिल्म की कमजोर कड़ी मुराली व नारी खान जैसे किरदार हैं. लगता है जैसे फिल्मकार ने जबरन इन किरदारों को जोड़ा हो. पटकथा के स्तर पर कई अन्य खामियां भी हैं. अस्सी के दशक में एक हीरो,  बीस गुंडों से अकेले लड़ता था, यह बात तब दर्शक पसंद करता था, मगर वर्तमान नई पीढ़ी के गले से यह बात नही उतरती. यह भी इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है. फिर भी एक्शन प्रेमी दर्शकों को यह फिल्म पसंद आएगी. इंटरवल के बाद फिल्म निर्देशक के हाथ से फिसल गयी है. यहां तक कि क्लायमेक्स को गढ़ने में भी वह बुरी तरह से मात खा गए हैं. इंटरवल के बाद फिल्म को एडीटिंग टेबलपर कसे जाने की जरुरत थी. काश संजय गुप्ता ने सेट आदि  पर पैसा खर्च करने की बजाय लेखन व निर्देशन मे मेहनत की होती.

फिल्म के संवाद काफी अच्छे बन पड़े हैं. मसलन-‘‘बंदूक से निकली गोली न ईद देखती है न होली. ’’, ‘‘मराठी को जो रोकेगा, मराठी उसे ठोकेगा. ’’, ‘‘मेरी गोली से बचने के लिए तुझे बार बार खुशकिस्मत होना पड़ेगा. . और मुझे सिर्फ एक बार. ’’

कहानी अस्सी व नब्बे के दशक की है. इस धरातल पर यो यो हनी सिंह का रैप सॉंग सटीक नही बैठता.

तकनीकी स्तर पर भी फिल्म काफी कमजेार है. कैमरामैन का काम भी बेकार है.

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अभिनयः

जौन अब्राहम का अभिनय अच्छा है, मगर इस फिल्म में वह कुछ नया नही दे पाए. कई दृश्यों में वह खुद को दोहराते हुए नजर आते हैं. एक्शन दृश्यों में वह अच्छे हैं, मगर  इमोशनल दृश्यों में वह नही जमे. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सावरकर के किरदार में इमरान हाशमी ने बेहतरीन परफार्मेंस दी है. भाउ के किरदार में महेश मांजरेकर का अभिनय शानदार है. अर्जुन के किरदार में प्रतीक बब्बर ने एक बार फिर बुरी तरह से निराश किया है. उनके सपाट चेहरे पर कोई भाव ही नहीं आते. सुनील शेट्टी और गुलशन ग्रोवर की प्रतिभा को जाया किया गया है. गुलशन ग्रोवर इस फिल्म में अतिमहत्वहीन नारी खान का किरदार निभाने के लिए क्यों तैयार हुए, यह बात समझ से परे है. काजल अग्रवाल, रोहित शेट्टी, राजेंद्र गुप्ता, अंजना सुखानी के हिस्से करने को कुछ खास रहा ही नहीं. गायतोंडे के किरदार में अमोल गुप्ते भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं.

दोस्त की शादी में गर्लफ्रेंड दिशा संग ठुमके लगाते नजर आए राहुल वैद्य, Video Viral

बिग बौस 14 के घर से निकलने के बाद सिंगर राहुल वैद्य सुर्खियों में हैं. जहां हाल ही में राहुल अपने जिगरी दोस्त अली गोनी और जैस्मिन भसीन के साथ गर्लफ्रेंड दिशा परमार संग नजर आए थे. तो वहीं एक शादी में अपने लुक के लिए ट्रोल भी हुए थे. इसी बीच राहुल वैद्य का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह गर्लफ्रेंड दिशा संग डांस करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं राहुल-दिशा के डांस का वायरल वीडियो…

वायरल हुआ वीडियो

हाल ही में राहुल वैद्य गर्लफ्रेंड दिशा परमार के साथ दोस्त की शादी में शामिल हुए थे, जिसकी फोटोज और वीडियो उन्होंने फैंस के लिए शेयर की थी. वहीं एक फोटो में अपने आउटफिट को लेकर वह ट्रोलिंग का शिकार भी हुए थे. इसी बीच सोशल मीडिया पर राहुल और दिशा का एक डांस वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह ठुमके लगाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, वीडियो में दिशा और राहुल वैद्य, बौलीवुड के किंग शाहरुख खान के गाने ‘तुमसे मिलके दिल का’ पर डांस करते दिख रहे हैं. वहीं फैंस दोनों के इस डांस की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

 

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पहले भी कर चुके हैं डांस

 

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राहुल दिशा की इससे पहले एक और वीडियो वायरल हो चुकी हैं, जिसमें वह ‘दिल चोरी’ गाने पर दोस्त की शादी में डांस करते नजर आए थे. वहीं दोनों की कैमेस्ट्री की फैंस ने काफी तारीफें भी कर रहे हैं. इसके अलावा हाल ही में अली गोनी और जैस्मीन भसीन संग नजर आए थे. जहां दिशा परमार भी साथ पहुंची थीं.

 

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बता दें, सिंगर राहुल वैद्य ने रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ में एक्ट्रेस दिशा परमार को उनके बर्थडे पर शादी के लिए प्रपोज किया था. वहीं खबरें हैं कि दोनों की शादी जल्द होने वाली है, जिसकी तैयारियां शुरु हो चुकी है.

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6 टिप्स: लीविंग रूम सजाते समय न करें ये गलतियां

घर का लिविंग रूम घर की जान होता है. आमतौर पर, लिविंग रूम को सजाते समय हम केवल अपनी पसंद और इच्छा के बारे में सोचते हैं और डिजाइन की नजर से देखा जाए तो लीविंग रूम को सजाते समय होने वाली गलतियों की तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता. लिविंग रूम को सजाते वक्त हर छोटी से छोटी बात को ध्यान में रखें और कभी ना करें ये गलतियां.

1. लाइटिंग का रखें खयाल

लाइटिंग अगर सही तरीके से नहीं होगी तो आपके लिविंग रूम की पूरी सजावट खराब हो जाएगी. सुनिश्चित करें की हर तरफ प्रकाश फैला हो. केवल एक लाइट ऊपर लगा देना, सजावट में होने वाली सबसे बड़ी गलती है.

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2. गलत कालीन का रखें ध्यान

हमेशा ध्यान दें कि आप का कालीन कमरे के आकार और बनावट के साथ अच्छी तरह से मेल खाता हो. रंग का चयन करते समय भी सावधान रहें.

3. पोजिशनिंग भी है जरूरी

सुनिश्चित करें कि सभी फर्नीचर ठीक तरह से रखे गए हैं. गलत जगह पर टीवी लगाना घर की सजावट में होने वाली आम गलतियों में से एक है. सोफा को दीवार से सटाते हुए रखना एक और बड़ी गलती है. आपको लगता है कि इससे कमरा और अधिक बड़ा लगेगा, तो ध्यान दें कि आप अपनी बैठक की सजावट को खराब कर रही हैं.

4. गहरे रंग की दीवार

दीवार पर गहरे रंग का प्रयोग करने से कमरे का आकर छोटा और खराब लगेगा. यदि आप कोई गहरा रंग करना चाहते हैं तो इस का उपयोग किसी एक दीवार पर करें और अन्य सभी दीवारों पर हल्के रंग का उपयोग करें.

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5. आर्ट गैलरी

लिविंग रूम को आर्ट गैलरी बनाना एक आम गलती है जो ज्यादातर लोग करते हैं. न्यूनतम फर्नीचर का प्रयोग करें और इसे अच्छी तरह से व्यवस्थित करें|

6. पर्दे का भी रखें ध्यान

खिड़की की लंबाई वाले पर्दे अब फैशन से बाहर हो चुके हैं. जमीन तक की लंबाई वाले पर्दे का प्रयोग करें और पर्दे की छड़ को थोड़ा ऊंची जगह पर लगाएं. यह आपकी बैठक को विशाल और शानदार लुक देगा.

हैल्दी प्रैग्नेंसी के लिए ऐसे करें प्लानिंग

गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मां और जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भधारण करने से पहले ही प्लानिंग कर ली जाए. गर्भावस्था के 4 चरण होते हैं- पूर्व गर्भावस्था, गर्भावस्था के दौरान, प्रसव अवधि और प्रसव के बाद. आइए, जानते हैं इन चारों चरणों के दौरान रखी जानें वाली सावधानियों के बारे में:

गर्भावस्था से पहले

अगर आप मां बनने की योजना बना रही हैं तो सब से पहले किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. इस से आप को स्वस्थ प्रैगनैंसी प्लान करने में सहायता मिलेगी. गर्भधारण करने के 3 महीने पहले से जिसे प्रीप्रैगनैंसी पीरियड कहते हैं, डाक्टर के सुझाव अनुसार जीवनशैली में परिवर्तन लाने से न केवल प्रजनन क्षमता सुधरती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं भी कम होती हैं और प्रसव के बाद रिकवर होने में भी सहायता मिलती है.

प्रैगनैंट होने से पहले अपनी मैडिकल हिस्ट्री डाक्टर से जरूर डिस्कस करें और निम्न बातों पर फोकस रखें:

– कहीं आप को डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, किडनी, हार्ट डिजीज वगैरह तो नहीं है. यदि ऐसी कोई शिकायत है तो प्रैगनैंसी से पहले उसे कंट्रोल जरूर कर लें.

– गर्भ से पहले एचआईवी, हैपेटाइटिस बी सिफिलिस आदि टैस्ट जरूर करवा लेने चाहिए ताकि प्रैगनैंसी या डिलिवरी के समय यह इन्फैक्शन बच्चे में न चला जाए.

– आप को ब्लड टैस्ट करा कर यह भी देख लेना चाहिए कि चिकनपौक्स जैसी बीमारियों से बचाने वाले टीके लगे हैं या नहीं. कहीं आप को इन बीमारियों का खतरा तो नहीं, क्योंकि ऐसे इन्फैक्शन कोख में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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– आप को फाइब्रौयड्स और ऐंडोमिट्रिओसिस की संभावना के लिए भी जांच करवा लेनी चाहिए.

– अगर आप के परिवार में डाउन सिंड्रोम, थैलेसीमिया का इतिहास रहा है तो इस बारे में भी डाक्टर को बताएं.

– अगर आप को मूत्रमार्ग संक्रमण होने की जरा भी संभावना हो तो पेशाब की पूरी जांच जरूर करा लें. समस्या निकलने पर गर्भधारण करने से पहले पूरा इलाज कराएं.

सर्वाइकल स्मीयर

याद करें कि आप ने पिछली बार सर्वाइकल स्मीयर टैस्ट कब करवाया था. यदि अगला टैस्ट आने वाले 1 साल में करवाना बाकी है तो उसे अभी करा लें. स्मीयर जांच सामान्यतया गर्भावस्था में नहीं कराई जाती है, क्योंकि गर्भावस्था की वजह से ग्रीवा में बदलाव आ सकते हैं और सही रिपोर्ट आने में कठिनाई हो सकती है.

वजन

अगर आप का वजन ज्यादा है और बौडी मास इंडैक्स (बीएमआई) 23 या इस से अधिक है, तो डाक्टर आप को वजन  कम करने की सलाह देंगे. वजन घटाने से आप के गर्भधारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और आप अपनी गर्भावस्था की सेहतमंद शुरुआत कर सकती हैं.

अगर आप का वजन कम है तो डाक्टर से बीएमआई बढ़ाने के सुरक्षित उपायों के बारे में बात करें. यदि आप का वजन कम है तो माहवारी चक्र अनियमित रहने की भी संभावना अधिक होती है. इस से भी गर्भधारण में समस्याएं आती हैं. आप का बीएमआई 18.5 और 22.9 के बीच होना चाहिए.

गर्भावस्था के दौरान

द इंस्टिट्यूट औफ मैडिसिन की गाइडलाइंस के अनुसार प्रैगनैंसी के दौरान महिला को अपने बीएमआई के हिसाब से वजन बढ़ाना चाहिए. अंडरवेट वूमन यानी बीएमआई 18.5 से कम हो तो उसे 12 से 18 किलोग्राम तक वजन बढ़ाना चाहिए. नौर्मल वेट वूमन यानी बीएमआई 18.5 से 25 हो तो 11 से 15 किलोग्राम तक वजन बढ़ाएं. महिला ओवर वेट हो यानी 25 से 30 तक बीएमआई हो तो उसे 7 से 11 किलोग्राम तक वजन बढ़ने देना चाहिए. 30 से ज्यादा बीएमआई होने पर 5 से 9 किलोग्राम तक वजन बढ़ाना चाहिए.

व्यायाम

व्यायाम हैल्दी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा है. कोई कौंप्लिकेशन न हो तो प्रैगनैंट वूमन को हैल्दी रहने के लिए नियमित व्यायाम करते रहना चाहिए. कम से कम 30 मिनट का सामान्य व्यायाम जरूर करें. आइस हौकी, किक बौक्सिंग, हौर्सबैक राइडिंग आदि न करें.

संतुलित और पोषक भोजन खाएं

मैक्स हौस्टिपल, शालीमार बाग, दिल्ली के डा. एसएन बासु कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें ताकि बच्चे के विकास और आप के शरीर में हो रहे बदलावों के लिए आप का शरीर तैयार हो सके. एक मां बनने वाली महिला को आमतौर पर प्रतिदिन 300 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है. इस दौरान ताजा फल, सब्जियां, साबूत अनाज, दूध, दुग्ध उत्पाद और अंडे का सेवन जरूर करें. जंक फूड के सेवन से बचें. प्रोटीन, आयरन और कैल्सियम का सेवन बढ़ा दें और वसा का कम कर दें. गर्भावस्था के दौरान 11 किलोग्राम तक वजन बढ़ना सामान्य बात है, लेकिन अत्यधिक वजन न बढ़ने दें.

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सप्लिमैंट्स

गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन कैल्सियम, फौलेट और आयरन की निश्चित मात्रा की निरंतर आवश्यकता होती है. इन की पूर्ति के लिए सप्लिमैंट्स का सेवन करना जरूरी होता है. कैल्सियम-1200 एमएल, फौलेट – 600 से 800 एमएल, आयरन -27 एमएल. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान 100 एमजी की आयरन की 100 गोलियों का सेवन अवश्य करना चाहिए. ये मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी हैं.

प्रैगनैंसी के शुरुआती दिनों में विटामिंस की मेगा डोज बर्थ डिफैक्ट्स की वजह बन सकती है. प्रैगनैंट महिलाओं को अनपाश्चयुरीकृत दूध, सौफ्ट चीज और ऐनिमल फूड भी नहीं लेना चाहिए. इस से मिसकैरेज और दूसरी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

पर्याप्त नींद लें

गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त आराम और नींद की जरूरत होती है. उन्हें रात में कम से कम 8 घंटे और दिन में 2 घंटे सोना चाहिए. नींद की कमी के कारण शरीर की लय गड़बड़ा जाती है.

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें

गर्भावस्था के दौरान भी अपनी सामान्य दिनचर्या जारी रखें. घर का काम करें. अगर नौकरी करती हैं तो औफिस जाएं, रोज आधा घंटा टहलें. डाक्टर की सलाह के हिसाब से अपना वर्कआउट जारी रखें. ध्यान रखें, इस दौरान रस्सी न कूदें और न ही कोई ऐसा कार्य करें जिस से शरीर को झटका लगे.

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शराब का सेवन न करें

जो महिलाएं शराब का सेवन करती हैं उन के बच्चों का जन्म के समय भार कम होता है. वे सीखने, बोलने, समझने में सुस्त होते हैं. उन में हाइपर ऐक्टिविटी की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है.

धूम्रपान न करें

धूम्रपान से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि धूम्रपान के कारण बच्चे कटे हुए होंठ या तालू के साथ जन्म लेते हैं. मृत बच्चे के जन्म लेने की भी आशंका बढ़ जाती है.

कैफीन का सेवन कम करें

एक गर्भवती महिला को 1 दिन में 200 एमएल से अधिक कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए. कैफीन प्लैसेंटा के द्वारा गर्भस्थ शिशु के अंदर आ कर उस के हृदय की दर को प्रभावित कर सकता है.

भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखें

गर्भावस्था में भावनात्मक स्वास्थ्य का खयाल रखें. मूड स्विंग अधिक हो तो अवसाद की शिकार हो सकती हैं. अगर 2 सप्ताह तक यह स्थिति बनी रहती है तो डाक्टर से संपर्क करें.

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उचित सावधानी रखें

गर्भावस्था के दौरान लंबे समय तक खड़े रहना, भारी सामान उठाना, चढ़ना, अत्यधिक शोर, कंपन और तापमान से बचें. ऊंची एड़ी के जूतेचप्पल न पहनें और न ही लंबी दूरी की यात्रा करें. प्रसव: डा. बासु कहते हैं कि सामान्य प्रसव में रिकवरी जल्दी हो जाती है. 7 से 10 दिनों में शरीर में ऊर्जा का स्तर सामान्य हो जाता है. जबकि आमतौर पर सिजेरियन डिलिवरी के बाद 4 से 6 सप्ताह तक कोई काम न करने की सलाह दी जाती है. अस्पताल से घर आने पर अधिक शारीरिक मेहनत न करें. भारी ऐक्सरसाइज न करें. ज्यादा वजन वाला सामान न उठाएं. जब तक डाक्टर न कहे शारीरिक संबंध न बनाएं.

प्रसव के बाद: प्रसव के तुरंत बाद वजन घटाने में जल्दबाजी न करें. संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें. बच्चे को स्तनपान जरूर कराएं.

औफिस में 2 महिलाएं हैं जो आपस में लड़ती रहती हैं, जिसके कारण मैं परेशान हो गया हूं?

सवाल-

मैं 20 वर्षीय लड़की हूं. जिस औफिस में मैं काम करती हूं वहां 2 महिलाएं हैं जो आपस में लड़ती रहती हैं. वे दोनों मुझ से सीनियर हैं तो मैं उन के बीच में, इसलिए नहीं आती. गरमी के दिन आ गए हैं. दोनों मैडमों में से एक को ठंड बहुत लगती है. वह पंखा चलाने नहीं देती. दूसरी को हमेशा गरमी लगती रहती है तो वह पंखा चलाने के पक्ष में रहती है. एक पंखे के कारण वे लड़ाईझगड़ा शुरू कर देती हैं. दोनों सीट भी नहीं बदल सकतीं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं इस में क्या करूं. कृपया मेरी सहायता करें?

जवाब-

गरमी के मौसम में गरमी लगना स्वाभाविक है. जो मैडम पंखा चलाने को कह रही हैं, वे अपनी जगह सही हैं. दूसरी मैडम को ठंड अधिक लगती है तो उन्हें भी गलत नहीं कह सकते. आप के कहेनुसार वे सीट चेंज नहीं कर सकतीं तो इस समस्या का एक ही उपाय है कि वे घर से कोई गरम कपड़ा साथ लाएं और पंखा चलाने पर पहन लें. आप उन्हें यह सलाह दे सकती हैं. इस समस्या का हल आपसी समझदारी में है. एकदूसरे का सम्मान करें और लड़ाईझगड़ा छोड़ मन लगा कर काम करें. आपस में प्यार रहेगा तो न ठंड लगेगी और न गरमी.

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औफिस में कई बार कठिन परिस्थितियां आती हैं क्योंकि यहां आप को कैरियर के साथसाथ कलीग्स और बौस का भी खयाल रखना पड़ता है. इन मुश्किलों से निबटने के लिए काफी सावधानी और संयम बरतने की जरूरत पड़ती है. जानिए ऐसी ही कुछ मुश्किल सिचुएशंस और उन के समाधान के बारे में.

1. आप का पूर्व बौस आप का जूनियर बन जाए

आप जिस कंपनी में काम करते थे, वहां के बौस का आप बड़ा सम्मान करते थे. अचानक एक दिन आप को पता लगता है कि वही बौस आप की मौजूदा कंपनी में काम करने लगा है और अब वह आप को रिपोर्ट करेगा यानी अब वह आप का जूनियर है. ऐसी स्थिति में आप को सिचुएशन को बहुत ही आराम से हैंडिल करना होगा. इस बात का खयाल रखें कि पूर्व बौस को इंडस्ट्री में आप से ज्यादा अनुभव है और मौजूदा स्थिति में उसे कंफर्टेबल होना चाहिए. आप को उस से सलाह लेनी चाहिए. अगर आप अपने पूर्व बौस के साथ काम करने में सहज नहीं हैं तो आप प्रबंधन की मंजूरी से एक अलग टीम के साथ काम कर सकते हैं. अगर आप को मौजूदा स्थिति में ही काम करना है तो पूर्व बौस से काम की चुनौतियों को ले कर चर्चा करें. आप अब भी अपने पर्सनल स्पेस में पूर्व बौस का सम्मान करते रहें. अपने नियोक्ता को इस बारे में बता दें कि वह शख्स आप का बौस रह चुका है. अगर आप खुद ऐसे व्यक्ति को रिपोर्ट कर रहे हैं, जो पहले आप के जूनियर के तौर पर काम कर चुका है तो प्रोफैशनल की तरह व्यवहार करें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- औफिस की मुश्किल सिचुएशन

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सहमति से बना संबंध जब रेप में बदल जाए

योंतो आए दिन रेप के मामले लगातार सामने आते रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिन में प्रेमिका ने अपने प्रेमी पर रेप का इलजाम लगाया. ऐसे मामले सच में चौंका देने वाले होते हैं.

प्रयागराज से दिल्ली आए विशाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही चौंका देने वाली है. विशाल दिल्ली में अपनी गर्लफ्रैंड कंचन के साथ एक ही फ्लैट में रहता था. दोनों साथ में रह कर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे. साथ कोचिंग जानाआना था. दोनों ज्यादातर वक्त एकदूसरे के साथ ही बिताते थे.

विशाल अपने कैरियर को ले कर बहुत सीरियस था, जबकि कंचन अपने कैरियर से ज्यादा विशाल को ले कर सीरियस थी या यों कह लीजिए कंचन विशाल के साथ अपना भविष्य देखने लगी थी.

यूपी के बलिया की रहने वाली कंचन का स्वभाव थोड़ा जिद्दी और गुस्से वाला था. दिल्ली आने के बाद उस में काफी बदलाव आया. विशाल और कंचन की मुलाकात दिल्ली में हुई. देखते ही देखते दोनों एकदूसरे के करीब आने लगे.

ये नजदीकियां विशाल के लिए खतरनाक साबित होंगी इस का उसे अंदाजा भी नहीं था. एक ही फ्लैट में रहने के बावजूद विशाल ने कभी कंचन के साथ सैक्स संबंध बनाने की कोशिश नहीं की. दोनों एकदूसरे के नजदीक तो आए, लेकिन एक दायरे में रह कर.

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विशाल अपने परिवार का अकेला बेटा था और उस के पेरैंट्स चाहते थे कि वह जल्दी शादी कर ले. इधर विशाल की परीक्षा शुरू होने वाली थी और दूसरी तरफ शादी का दबाव. विशाल ने अपने परिवार वालों से गुस्से में बोल दिया कि अगर उस की परीक्षा क्लीयर हो गई तो वह जल्द ही शादी कर लेगा.

2 महीने बाद विशाल का रिजल्ट आया, जिसे देख कंचन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. विशाल ने परीक्षा क्लीयर कर ली थी.

अब कंचन को डर था कि विशाल उस से दूर हो जाएगा. विशाल बहुत खुश नजर आ रहा था. आखिर उस की मेहनत रंग जो लाई थी. उस के घर वाले भी बहुत खुश थे.

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उधर कंचन के व्यवहार में बदलाव दिखने लगा था. हर बात पर गुस्सा, चिड़चिड़ापन. विशाल ये सब देख रहा था, लेकिन उस ने कंचन से कुछ कहा नहीं. रिश्ते की शुरुआत में ही विशाल ने कंचन को बोल दिया था कि वह उस से शादी नहीं कर सकता और इस बात पर कंचन भी विशाल से सहमत थी. लेकिन अब वह उस पर अपना हक जमाने लगी थी. विशाल कंचन की इन हरकतों को नजरअंदाज कर देता था.

कुछ समय बाद विशाल ने फैसला किया कि अब उसे अलग हो जाना चाहिए. अत: वह कुछ दिनों के लिए प्रयागराज चला गया. प्रयागराज जाते ही कुछ दिनों बाद उस की सगाई हो गई. यह बात जब विशाल ने कंचन को बताई तो वह उस पर चिल्लाने लगी. धमकियां देने लगी कि अगर विशाल ने उस से शादी नहीं की तो वह मर जाएगी, उसे बरबाद कर देगी

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विशाल ने कंचन को बहुत समझाने की कोशिश की पर वह तो अपनी जिद्द पर अड़ी थी. सगाई के बाद जब विशाल दिल्ली अपने फ्लैट सामान लेने आया तो उस दिन कंचन फ्लैट में ही थी. विशाल के आने पर कंचन फूटफूट कर रोने लगी और उस से शादी के लिए बोलने लगी. विशाल उसे समझा रहा था. तभी कंचन उस के घर वालों को भी उलटासीधा सुनाने लगी. विशाल से यह सहन न हुआ तो वह उसी वक्त वहां से गुस्से में निकल गया.

पूरी रात विशाल परेशान था. उस रात विशाल अपने एक दोस्त के घर रुका. उसे परेशान देख दोस्त ने उस से परेशानी की वजह पूछी. लेकिन विशाल चुप रहा. अगली सुबह जब विशाल उठा तो सबकुछ बदल चुका था. पुलिस उस के सामने थी. उस के दोस्त के घर वाले उसे गुस्से में देख रहे थे. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है. दरअसल, मामला यह था कि कंचन ने विशाल पर जबरदस्ती यानी रेप का आरोप लगाया था. यह बात सुनते ही विशाल हक्काबक्का रह गया. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कंचन ऐसा इलजाम भी उस पर लगा सकती है. कंचन के द्वारा विशाल पर झूठा रेप का इलजाम लगाने से विशाल की पूरी दुनिया तहसनहस हो गई.

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आखिर क्यों होता है ऐसा

दरअसल, एकदूसरे के टच में रहते हुए यानी लंबे समय तक साथ रहते हुए पार्टनर के साथ इमोशनल जुड़ाव हो जाता है. यह जुड़ाव इतना गहरा होता है कि किसी एक का जुदा होना दूसरे को बरदाश्त नहीं होता. ऐसे में जब किसी एक की तरफ से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है तो दूसरा कुछ भी करने पर उतारू हो जाता है.

इस बारे में मनोचिकित्सक अमित कुमार का कहना है, ‘‘जब हम किसी के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं फिर चाहे वह कोई पशु हो या इंसान हम धीरेधीरे उस से क्लोज हो जाते हैं और फिर इस बात का एहसास हमें तब होता है जब वह दूर चला जाता है.’’

अगर हम रिलेशनशिप की बात करें तो एक ही रूम में एक व्यक्ति के साथ रहना, सारा वक्त साथ बिताना, छोटी से छोटी बातें भी शेयर करना ये सब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है. दरअसल, हमें इस की आदत हो जाती है और जब ऐसा न हो तो गुस्सा आना स्वाभाविक है.

मगर जरूरत से ज्यादा गुस्सा आना, हर बात पर लड़ना यह तभी होता है जब सामने वाले की जिंदगी में वैसा नहीं होता जैसा वह चाहता है. आप देखेंगे ऐसे व्यक्ति तुरंत गुस्सा करने लगते हैं तो कभी शांत रहते हैं. इन का यह व्यवहार इन्हें डिप्रैशन की ओर ले जाता है. डिप्रैशन से पीडि़त व्यक्ति हर वक्त खुद में खोया नजर आएगा. ऐसे लोग जिद में आ कर कुछ भी कर सकते हैं.

मगर ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे घिनौने इलजाम अपने फायदे के लिए लालच में आ कर लगाते हैं.

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कैसे बचें रेप के झूठे इलजाम से रेप एक जघन्य अपराध है, इस में कोई दो राय नहीं, पर जब सहमति से संबंध बनें और बाद में लड़की रेप का झूठा इलजाम लगा दे तो यह कानून का बेजा इस्तेमाल ही कहलाएगा.

कई बार लड़की के मातापिता ही ऐसा इलजाम लगा देते हैं और वह भी सिर्फ कुछ रुपयों, कुछ दिनों की सुखसुविधा के लिए. यह कहां की समझदारी है? शायद वे भूल जाते हैं कि इस से उन की बेटी के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

यदि कोई किसी पर रेप का झूठा आरोप लगाता है और वह झूठा साबित होता है तो हमारे कानून के अनुसार इलजाम लगाने वाले को 10 साल की सजा के साथसाथ जुरमाना भी देना पड़ सकता है.

मुद्दे की बात यह है कि आखिर कैसे इन निर्दोष पीडि़तों को रेप के झूठे आरोप से बचाया जाए? न जाने आज कितने निर्दोष व्यक्ति कालकोठरी में इस कलंक के साथ घुटघुट कर जिंदगी जी रहे हैं.

कुछ सुझाव

इस पूरे मामले पर एडवोकेट सुमित शर्मा कहते हैं कि जैसा हम जानते हैं आजकल किसी भी महिला या पुरुष की दोस्ती के बाद शारीरिक संबंध बनाना कोई बड़ी बात नहीं है. ऐसे में बहुत सी लड़कियां पुरुष को शादी के लिए या ठगने के लिए उस पर रेप का आरोप लगा देती हैं. यदि कोई पुरुष शादी का झांसा दे कर शारीरिक संबंध बनाता है तो यह रेप की श्रेणी में आता है. लेकिन कई बार लड़का निर्दोष होता है और लड़की के जाल में फंस जाता है. ऐसे में लड़कों को इन सुझावों को अपनाना चाहिए:

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– यदि रेप करने का कोई ठोस सुबूत नहीं है तो आप लड़की से शारीरिक संबंध नकार सकते हैं तथा मैडिकल टैस्ट में टू फिंगर टैस्ट की रिपोर्ट पर जोर दे कर लड़की को गलत साबित कर सकते हैं.

– अगर लड़की ने कभी शारीरिक संबंध के लिए अप्रोच किया है और उस का कोई सुबूत आप के पास है तो आप उसे कोर्ट में पेश कर सकते हैं.

– यदि शारीरिक संबंधों की रिपोर्ट फोरेंसिंक रिपोर्ट या वीडियो अथवा फोटो में है तो आप संबंध बनाना स्वीकार करें तथा संबंध धोखे

से नहीं बनाए यह साबित करें. लेकिन ध्यान रखें यह तभी कारगर है जब लड़की की उम्र 18 वर्ष हो.

– मैडिकल रिपोर्ट की कमियां देखें व उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल करें.

– यदि केस ज्यादा गंभीर हो तो चार्जशीट जल्दी फाइल करवाने की कोशिश करें.

Holi Special: ऐसे बनाएं चूरमा लड्डू

अगर आप कुछ टेस्टी और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो चूरमा लड्डू आपके लिए बेस्ट रेसिपी है. चूरमा लड्डू आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप आसानी से बना सकते हैं.

हमें चाहिए

– बाजरे का आटा(1 कप)

– बादाम (8 से 10)

– काजू (4 से 5)

– किशमिश   (8 से 10)

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– गुड़ (1/4 कप)

– घी (1 बड़ा चम्मच)

बनाने का तरीका

– बाजरे का आटा गूंध कर रोटियां सेंक लें.

– रोटियों के टुकड़े कर उन्हें बादाम, काजू, किशमिश, गुड़ और घी के साथ मिक्सी में दरदरा पीसें.

– तैयार मिश्रण के लड्डू बनाएं और गर्मागर्म परोसें.

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हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए ये आदतें बदलना है जरूरी

आमतौर पर इंसान का स्वभाव नहीं बदलता. मगर जब किसी की शादी हो जाती है, तो उसे अपने पार्टनर की खुशी की खातिर अपना स्वभाव बदलना चाहिए, तभी दांपत्य में मधुरता आ पाती है वरना अपने स्वभाव, आदतों और व्यवहार के प्रति अडि़यल रवैया रखने से दांपत्य में दूरियां बढ़ती जाती हैं. आप के समक्ष भी यह नौबत न आए इस के लिए छोड़ें ये आदतें:

– आप शादी के पहले चाहे जब सोते या सोती हों अथवा उठते या उठती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के साने और उठने के समय से तालमेल बैठाना होगा यानी अपने स्वभाव को बदलना होगा. देर रात जगने या रात होते ही सोने की आदत बदलनी होगी. यदि पतिपत्नी एक समय ही सोएं तो सवेरे वे एकसाथ उठ सकते हैं अन्यथा एक सुबह 6 बजे तो दूसरा 10 बजे सो कर उठेगा.

– शादी से पहले आप भले कितने ही क्रोधी या जिद्दी स्वभाव के रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की खुशी की खातिर आप को अपने स्वभाव को शांत बनाना होगा और जिद पर अड़े रहने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. पार्टनर की इच्छा का भी सम्मान करना होगा. यदि आप ने अपने क्रोध पर काबू रखना नहीं छोड़ा तो दांपत्य में मिठास नहीं आ पाएगी.

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– शादी से पहले आप की खानपान संबंधी आदतें चाहें जैसी रही हों, शादी के बाद पार्टनर से समझौता करने में ही भलाई है. हालांकि खाने के मामले में आप की अपनी पसंद या नापसंद हो सकती है, लेकिन पार्टनर की इच्छा की खातिर आप को उस में बदलाव लाना चाहिए.

– शादी पूर्व भले ही आप घर का कोई भी काम नहीं करते या करती हों अथवा उसे करने की जरूरत नहीं पड़ी हो, लेकिन शादी के बाद दोनों को ही घरेलू कार्यों में रुचि ले कर एकदूसरे का हाथ बंटाना चाहिए. पति को पुरुष होने का अहम त्यागना होगा. घर का कोई भी काम ओछा या घटिया नहीं होता. इस में किसी तरह की कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.

– शादी पूर्व आप अपनी मरजी से शौपिंग करते या करती थीं, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की रुचि और पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए, इस से आपसी प्रेम बढ़ता है.

– शादी के पूर्व भले ही आप कितने ही स्वार्थी रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद आप को यह स्वभाव छोड़ कर अपने पार्टनर के बारे में भी सोचना चाहिए. उस की भावनाओं की कद्र भी करनी होगी. सदैव अपने को सर्वोपरि या सर्वाधिक बुद्धिमान मानने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. अपने पार्टनर को अपने से कमतर न समझें.

– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी मौजमस्ती करते या करती हों, घर से बाहर यारदोस्तों, सखीसहेलियों के बीच समय गुजारती हों, लेकिन शादी के बाद अपने इस स्वभाव को बदलना होगा, क्योंकि अब आप अकेले या अकेली नहीं हैं, आप का पार्टनर भी है. उस की खुशी साथ रहने और साथ समय गुजारने में है.

– शादी से पहले आप भले ही धूम्रपान या मदिरापान करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद यदि पार्टनर को आप की यह आदत पसंद नहीं है, तो इसे तत्काल छोड़ना ही अच्छा है. इस से दांपत्य की खुशियां बढ़ जाती हैं. धूम्रपान या मदिरापान अथवा और किसी व्यसन को त्याग कर तो देखें, जिंदगी कितनी हसीन है.

– शादी के पूर्व आप का भले ही बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड रही हो, लेकिन शादी के बाद उस से दूरी बनाए रखनी चाहिए अन्यथा दांपत्य की सारी खुशियां तबाह हो सकती हैं. अपने पार्टनर के प्रति पूर्ण वफादार बनें.

– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी बहस करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद अपना यह स्वभाव बदलें. बात का बतंगड़ बनाने से कोई लाभ नहीं. इस से विवाद को जन्म मिलता है. इसलिए चुप रहने में ही भलाई है. हां, उचित अवसर देख कर आप अपनी बात पार्टनर के समक्ष रख सकते या सकती हैं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे अनावश्यक रूप से दूसरों को टोकते हैं या अपनी सलाह देते हैं. यह उन का स्वभाव बन जाता है. लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की टोकाटाकी नहीं करनी चाहिए. वह भी समझदार है. उस की समझदारी पर प्रश्नचिह्न न लगाएं.

– यदि शादी के पहले आप होस्टल में रह कर पढ़े या पढ़ी हैं, तो आप को अपना कमरा व्यवस्थित रखने की आदत नहीं होती. कपड़े, कापीकिताबें, अन्य सामान जहांवहां बिखरा रहता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद भी आप का यह स्वभाव नहीं बदलता. लेकिन यह प्रवृत्ति गलत है. इसलिए आप पति हों या पत्नी, अपना सामान व्यवस्थित रखने की आदत डालें अन्यथा इस बात पर भी अनावश्यक कलह पैदा हो सकती है, जो दांपत्य की खुशियों को लील सकती है.

– यदि आप किसी बड़े पद पर कार्यरत हों और अपने अधीनस्थों से आदेशात्मक लहजे में बात करने की आदत हो तो इसे बदलिए, क्योंकि पार्टनर में कोई किसी का अधिकारी या अधीनस्थ नहीं होता. दोनों का दर्जा समान होता है. इसलिए अफसरी का रोब पार्टनर पर न झाडे़ं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे हरकिसी की आलोचना करते हैं या उस के कार्य में मीनमेख निकालते हैं. लेकिन शादी के बाद उन्हें अपने इस स्वभाव को बदलना होगा. अपने भीतर से नकारात्मकता का विचार निकालना होगा. यदि पार्टनर एकदूसरे की आलोचना करें, कार्य में कमियां गिनाने लगें, तो उन के बीच खुशियां कैसे कायम रह सकती हैं- इसलिए बुराई करने के बजाय गुणों आदि की तारीफ करना सीखें.

– कुछ लोगों की आदत होती है कि वे सदैव अपने को सही और सामने वाले या वाली को गलत समझते हैं. यह उन का अपना स्वभाव होता है. लेकिन शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा, क्योंकि सदैव आप ही सही नहीं होते या होतीं. आप का पार्टनर भी सही हो सकता या सकती है. इसलिए उस का पक्ष जाने बगैर उसे गलत मानना ठीक नहीं.

– शादी के पहले भले ही आप अपने काम की वजह से कितने ही व्यस्त रहते या रहती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के लिए भी समय निकालना चाहिए. उस की इच्छाओं, भावनाओं की अनदेखी करना  ठीक नहीं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि सामने वाले या वाली पर हावी होना चाहते या चाहती हैं. यह मानसिकता ठीक नहीं. पतिपत्नी के बीच हावी होने का स्वभाव उन के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर सकता है.

– यदि आप तुनकमिजाज स्वभाव के रहे या रहीं हैं, तो शादी के बाद वक्त आ गया है अपने इस स्वभाव में बदलाव का, क्योंकि अब तुनकमिजाजी नहीं चलेगी. यदि आप ने अपना स्वभाव नहीं बदला तो दांपत्य जीवन में तकरार थमने का नाम नहीं लेगी.

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– यदि आप में धैर्य नाम की कोई चीज नहीं है और सदैव अधीर रहते या रहती हैं, तो शादी के बाद अपने स्वभाव में परिवर्तन लाएं. धैर्यपूर्वक एकदूसरे की बात सुनें, समझें. उस के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें. अकारण विरोध न करें.

– बहुत से लोग शक्की स्वभाव के होते हैं. वे हर बात, घटना, रिश्ते आदि को शक की निगाह से देखते हैं, जबकि वास्तव में यह उन का संदेह होता है. यदि आप भी शक्की स्वभाव वाले या वाली हैं, तो इसे बदलें, क्योंकि शादी के बाद यदि पतिपत्नी ने एकदूसरे पर शक किया, तो दांपत्य को बिखरते देर नहीं लगेगी. दांपत्य की बुनियाद विश्वास पर टिकी होती है.

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