Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah के ‘सुंदरलाल’ को हुआ कोरोना, पढ़ें खबर

कोरोनावायरस की वैक्सीन आने के बाद भी कोरोना के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. कई जगहों पर लौकडाउन लगाने का नौबत आ चुकी हैं. वहीं सेलेब्स भी इस बीमारी के चपेट में आते जा रहे हैं. हाल ही में सीरियल गुम है किसी के प्यार के में लीड रोल में नजर आने वाले नील भट्ट कोरोना पौजीटिव पाए गए थे तो वहीं अब कौमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में दयाबेन के भाई के रोल में नजर आने वाले सुंदरलाल यानी मयूर वकाणी कोरोना पौजीटिव हो गए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

फैंस को दी जानकारी

दिशा वकाणी के रियल लाइफ भाई मयूर वकाणी ने फैंस को जानकारी देते हुए लिखा-, ‘COVID-19 के कुछ लक्षणों के बाद, मैंने खुद का टेस्ट करवाया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.  मैंने खुद को आइसोलेट कर लिया है.  मेरा अनुरोध है कि जो भी मेरे संपर्क में आए हैं वे सावधान रहें और प्रोटोकॉल का पालन करें.  आप मेरी चिंता ना करें, आप के प्यार, प्रार्थनाओं और आशीकरण से मैं सही हूं.  जल्द ही ठीक हो जाऊंगा, आप मस्त स्वस्थ रहें. ‘

शो पर शूटिंग करते आए थे नजर

सीरियल के ट्रैक की बात करें तो पेमेंट न होने के चलते जेठालाल काफी परेशान है. इसी कारण वह दुकान बेचने का फैसला करता है. इसलिए जेठालाल अपने पुरखों की जमीन बेचने जाता हैं. लेकिन तभी उन्हें पता चलता है कि सुंदरलाल ने जिसके साथ जमीन की डील करवाई है वो कोई और नहीं बल्कि बोगीलाल है, जिन्हें जेठालाल को 50 लाख रुपये देने है लेकिन वो खुद को दिवालिया बताकर पैसे न देने की मजबूरी बता चुका है. वहीं इसी ट्रैक में सुंदर लाल यानी मयूर वकाणी भी नजर आए थे. खबरों की मानें तो  सुंदर ऊर्फ  मयूर वकाणी हाल ही में शो की शूटिंग मुंबई में करने पहुंचे थे, जिसके बाद वह दोबारा अहमदाबाद चले गए थे. जहां वह कोरोना पौजीटिव हो गए और अब वह अस्पताल में भर्ती हैं.

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शो के जरिए कर रहे हैं एंटरटेन

पिछले 12 साल से फैंस को एंटरटेन कर रहा शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा आज भी उतना ही पौपुलर है, जितना पहले था. हर कोई शो के नए या पुराने सभी एपिसोड देखना पसंद करता है.  वहीं सुंदर लाल यानी मयूर वकाणी भी तारक मेहता का उल्टा चश्मा कॉमेडी शो में दिशा वकाणी यानी दयाबेन के रियल भाई मयूर वकाणी (Mayur Vakani) भी काफी लंबे समय से इससे जुड़े हुए हैं.

बता दें, लौकडाउन और कोरोना के कहर के कारण शो के कई सितारों ने शो को अलविदा कह दिया है, जिनमें अंजलि भाभी और सोढ़ी का किरदार निभाने वाले सितारे शामिल हैं.

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दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी लेक्का की गिनती इन दिनों मशहूर पंजाबी पॉप गायक एवं गीतकार के रूप में होती है. मजेदार बात यह है कि  लेक्का को बहुत ही छोटी उम्र में अहसास हो चुका था कि संगीत ही उनका प्यार व संगीत ही उनकी जिंदगी है. लेक्का ने चार साल की छोटी उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था और सात साल की उम्र में ही स्थानीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर स्टेज सिंगिंग की दुनिया में खुद को हिट बना चुकी थी. वैसे  उनके अंदर इस प्रतिभा का अहसास सबसे पहले संगीतकार विशाल ददलानी ने किया था और विशाल ददलानी ने ही लेक्का को भारत के अगले पॉप स्टार के रूप में चिह्नित किया.  तभी तो वीएच1 द्वारा जून 2018 में आयोजित ‘वर्ल्ड म्यूजिक वीक‘ के चंनिंदा कलाकारों में से लेक्का भी एक थीं.

लेक्का इन दिनों एक बार फिर अपनी गायकी के चलते धमाल मचा रही हैं. लेक्का ने हाल ही में दिल्ली में अपने नवीनतम हिंदी-पंजाबी मिक्स ट्रैक ‘काबिल-ए-तारीफ‘ का जबरदस्त प्रमोशन किया. दिल्ली में कनॉट प्लेस स्थित कनॉट क्लब हाउस में आयोजित प्रमोशनल कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए लेक्का ने बताया,  ‘इस गीत की रचना करने की प्रक्रिया वास्तव में काफी रोमांचक थी,  क्योंकि हम इस गाने पर एक साल से काम कर रहे थे. तकनीकी रूप से गीत को पिछले साल ही रिलीज हो जाना चाहिए था,  क्योंकि हमने पिछले वर्ष की शुरुआत में ही इस पर काम करना शुरू कर दिया था. लेकिन कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से दुनिया मानो ठहर सी गई थी. ऐसे में हम फोन के जरिए ही आपसी संचार कर रहे थे. आखिरकार लॉकडाउन समाप्त होने पर हमने गाने को रिकॉर्ड किया,  इसका वीडियो तैयार किया और अब अंत में हम इसे जारी कर रहे हैं. ‘’

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हाल ही में संपन्न दक्षिण एशिया के सबसे बड़े इंग्लिश सिंगिंग रियलिटी शो ‘द स्टेज सीजन 3‘ में लेक्का भारत की शीर्ष फाइनलिस्ट थीं.

वनराज के हाथों में शाह हाउस छोड़कर जाएगी अनुपमा, आएगा नया ट्विस्ट

 स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में नए-नए ट्विस्ट देखर फैंस काफी एक्साइटेड हैं. वहीं शो के किरदार भी जमकर मेहनत करते नजर आ रहे हैं. लेकिन अब शो की कहानी में नया मोड़ आने वाला है. हाल ही में हमने बताया था कि वनराज अपने और काव्या के रिश्ते को नाम देने वाला है, जिसके बाद पूरा शाह परिवार हैरान हो गया था. वहीं अब इस फैसले के बाद अनुपमा भी बड़ा फैसला लेते हुए नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज का रौद्र अवतार आया नजर

अब तक आपने देखा कि शिवरात्रि के मौके पर नंदिनी को शाह हाउस में देखकर वनराज आगबबूला हो जाता है. वहीं समर भी इस मौके पर तांडव करता नजर आता है, जिसके बाद वनराज और समर के बीच झगड़ा शुरु हो जाता है. हालांकि अनुपमा पूरी कोशिश करती हैं कि दोनों की लड़ाई रुक जाए. लेकिन वनराज का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच जाता है और वह घर छोड़ने का फैसला करता है. पर काव्या उसे समझाती है कि यह घर उसका है, जिसके कारण वनराज ना खुद और ना ही काव्या को घर छोड़कर जाने के लिए कहता है. और कहता है कि अब वह काव्या से शादी करके उसी घर में रहेगा.

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अनुपमा लेगी ये फैसला

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज को घर छोड़कर जाने के फैसले से अनुपमा परेशान हो जाएगी औऱ बापूजी से कहेगी कि वह शाह हाउस वनराज के नाम पर कर देगी और घर को छोड़ने का फैसला करेगी. वहीं वनराज इस फैसले को जब सुनेगा तो वह कहेगा कि उसने सही फैसला किया है क्योंकि अब वह शाह हाउस को छोड़कर कहीं नही जाएगा. वहीं काव्या, अनुपमा को घर छोड़ने से रोकती नजर आएगी. हालांकि यह सब काव्या के प्लान का हिस्सा ही है. ताकि वह एक-एक करके सभी को घर से निकाल सके.

 

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खबरों की मानें तो आनेवाले एपिसोड में वनराज पूरे परिवार के सामने काव्‍या को रिंग पहनाता हुआ नजर आएगा. वहीं यह सब देखकर अनुपमा टूटती हुई दिखेगी. लेकिन वो किसी को अपने दर्द को पता नहीं लगने देगी पर समर उसके दर्द को समझ जाएगा औऱ वनराज की शादी के खिलाफ खड़ा होगा.

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जीवन जीने की कला है कामसूत्र

कामसूत्र का नाम आते ही कुछ झिझक, कुछ शर्मिंदगी सा अहसास होता है. यह दरअसल नजरिया भर है. हकीकत में 2000 वर्ष पुराना यह ग्रंथ खुद में पूर्ण है. यह अच्छा खुशहाल जीवन जीने के तरीके बताता है. यह भी बताता है कि किस तरह सेक्स ऊर्जा, संतुष्टि और आनंद की अनुभूति कराता है.

समाज को दिशा देना ही है कामसूत्र का उद्देश्य

सेक्स से संबंधित कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो कामसूत्र में अधिकतर रहन-सहन, समाज में उठने-बैठने, पहनने, सजने-संवरने और आकर्षित दिखने के नुस्खे बताए गए हैं. बताया गया है कि सुंदर और योग्य युवा कैसा होना चाहिए. इसी तरह गुणी युवती जो सभी के मन को भा जाए में क्या-क्या विशेषताएं अपेक्षित हैं. यह शास्त्र बताता है कि ज्ञान होने और उस पर अमल करने पर इन खूबियों को सीखा जा सकता है. जब अधिक से अधिक लोग इस शास्त्र के ज्ञान से लाभ उठाएंगे तो व्यक्ति के साथ ही सभ्य समाज का निर्माण होगा. ऐसा समाज जो शिक्षा, संस्कृति, उत्सव, कला और आनंद से भरा होगा.

खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है

ऋषि वात्सयायन का यह प्राचीन ग्रंथ बताता है कि जीवन में सृजन और आनंद की अनुभूति देने वाला सेक्स कोई बुरी चीज नहीं है. यह तो खुशहाल वैवाहिक जीवन की नींव है. सेक्स के दौरान पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण होता है. जिसमें शरीर से शरीर और आत्मा से आत्मा का मिलन होता है. इस मिलन से ही आनंद की अनुभूति और बच्चों का जन्म होता है. परिवार बढ़ता है, खुशहाली आती है. एक दूजे के प्रति समर्पण और निरंतर आनंद पति-पत्नी के साथ ही परिवार के लिए खुशी का आधार साबित होता है.

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कामसूत्र और हिंदू परंपराएं

माना जाता है कि कामसूत्र के मूल में प्रेम है. हिंदू जीवनशैली में धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ काम को विशेष महत्व दिया गया है. कालांतर में काम यानि सेक्स को देश, काल, परिस्थितियों के अनुसार शर्मिंदगी से देखा जाने लगा. धर्म और अर्थ के बाद हिंदू मान्यताओं में काम का विशेष स्थान है. दरअसल काम व अनुभूति है जिसमें सभी पांच इंद्रियों को आनंद की अनुभूति होती है.

अध्यात्म की ओर

काम या सेक्स ब्रह्माण्ड की सृजनात्मक शक्ति है. जो कुछ भी जीवित है वह काम की वजह से ही है. मानव में काम शक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक किसी भी रूप में हो सकती है. सृष्टि में जहां भी आकर्षण, उत्साह, प्रेरणा है वहां किसी न किसी रूप में काम ऊर्जा है. इसी लिए प्रकृति मनोहर और प्रेरक लगती है.

कब गलत हो जाता है सेक्स

जब सेक्स युवक-युवती की सहमति के बिना बलपूर्वक किया जाता है तब वह गलत हो जाता है. लगभग सभी जगह इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. इसी तरह जब किसी निहित स्वार्थ, घृणा के भाव के साथ सेक्स किया जाता है तब भी इसका स्वरूप और आनंद खत्म या कम हो जाता है. सेक्स दरअसल निर्मल और निश्चल होता है. इस रूप में ही वह हर प्रकार से आनंद का अहसास कराता है.

मूल्यों का जरूर रखें ध्यान

मूल्यों के बिना सेक्स अधूरा रहता है. यह मूल्य स्त्री और पुरुष दोनों के बीच होते हैं. समाज के भी अपने मूल्य होते हैं. स्त्री को पुरुष के मूल्यों का और पुरुष को स्त्री के मूल्यों का और दोनों को समाज के मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए. ऐसा करते हुए शारीरिक के साथ ही मानसिक आनंद की अनुभूति होती है. व्यक्ति और समाज के मूल्य या अलग-अलग व्यक्तियों और समाजों के विभिन्न मूल्य हो सकते हैं. उनका सम्मान किया जाना चाहिए.

गृह सज्जा भी सिखाता है कामसूत्र

कामसूत्र में गृह सज्जा और उसके महत्व का भी वर्णन है. अच्छे घर में एक उद्यान और एक रसोई के बगीचे या किचन गार्डन का महत्व बताया गया है. यह भी कि इन बगीचों की खूबसूरती का व्यक्ति के विकास और दिमाग पर क्या असर पड़ता है. यही नहीं, घर में साज सजावट के महत्व को भी रेखांकित किया गया है.

संगीत भी है खास

कामसूत्र में संगीत को विशेष स्थान दिया गया है. खुद के लिए तो संगीत विशेष होता ही है. अच्छा गायन, वादन दूसरों को भी मंत्रमुग्ध कर देता है. नृत्य,गायन या वादन में निपुण स्त्री या पुरुष सहज ही किसी के दिल में जगह बना लेते हैं. इसीलिए प्राचीन काल में भी राजभवनों में संगीत संध्याओं और आयोजनों का विशेष महत्व था. लोग भी अपने-अपने स्तर पर छोटे-बड़े आयोजन करते थे. कामसूत्र शाम को संगीत व मनोरंजन पर विशेष महत्व देता है.

महिलाओं के लिए स्थान

कामसूत्र प्राचीन होते हुए भी आज भी बहुत प्रासंगिक है. इस ग्रंथ में महिलाओं की खुशी पर बहुत ध्यान दिया गया है. आदर्श घर ऐसा होना चाहिए जिसमें महिलाओं के नितांत निजी पलों के लिए अलग स्थान हो. वहां पति, घर के स्वामी यहां तक की राजा के भी जाने से पहले संबंधित महिला की अनुमति जरूरी है. ऐसा इसलिए कि महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता के पल मिल सकें. उस दौरान किसी का भी कोई हस्तक्षेप न हो. वे जैसे चाहें श्रृंगार करें, कपड़े पहनें, स्नान करें. जिस भी अवस्था में रहें, मनमुताबिक गाएं, नृत्य करें या खाना खाएं उन्हें रोकने-टोकने वाला न हो.

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दिनचर्या का भी वर्णन

कामसूत्र में अच्छी दिनचर्या का भी वर्णन किया गया है. इसमें स्वच्छता, स्नान आदि के बाद धार्मिक आयोजन पूजा-पाठ के साथ दिन की शुरुआत, इसके बाद राजकीय या व्यापार के कार्य शामिल हैं. दोपहर के भोजन के बाद घोड़े या अन्य प्रिय जानवरों के साथ भ्रमण, मनोरंजन के अन्य साधनों का भी जिक्र है. इसके बाद शाम को स्नान, सुगंधित द्रव्यों का उपयोग, संगीत, भजन आदि में समय व्यतीत करना अच्छा बताया गया है.

खेल, संगीत, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं भी महत्वपूर्ण

कामसूत्र के अनुसार जीवन को जीवंत बनाने में संगीत के साथ ही खेलकूद, सामान्य ज्ञान व पराक्रम से संबंधित अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष स्थान है. इन प्रतियोगिताओं को देखने वालों का मनोरंजन तो होता ही है, इनके विजेताओं का समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है. नवयुवक या नवयुवती की ख्याति होती है. उसके प्रशंसक बढ़ते हैं.

सेक्स लाइफ बेहतर करने के तरीके

कामसूत्र के दूसरे भाग संप्रोगिका में ही काम या सेक्स के जरिए अपने सेक्स जीवन को बेहतर बनाने के तौर तरीके बताए गए हैं. स्त्री-पुरुष या पति-पत्नी का एक दूसरे को देखने, स्पर्श करने, लुभाने, परफ्यूम आदि का प्रयोग और प्राकृतिक संगीत या आवाजों के बीच अंतरंग पलों को अधिक से अधिक आनंद भरा बनाने के तरीके बताए गए हैं.

मंदिरों की चित्रकारी भी बयां करती महत्व

मध्य प्रदेश के खजुराहो समेत कई प्राचीन मंदिरों पर विभिन्न प्रेम मुद्राओं में युवक-युवतियों का चित्रांकन भी भारतीय समाज के काम संबंधों के प्रति स्वच्छ और स्वीकार्य नजरिए को दर्शाता है. मंदिरों में इन चित्रों की मौजूदगी दर्शाती है कि सेक्स जीवन का महत्वपूर्ण अंग है. समर्पण और जिम्मेदारी के साथ इसका निर्वाह करते हुए सांसारिक के साथ ही आध्यात्मिक आनंद भी हासिल किया जा सकता है.

कैसे चुनें बेहतर पति या पत्नी

अच्छा जीवन जीने के साथ ही कामसूत्र अच्छे जीवन साथी का चयन और मनपसंद जीवन साथी को हासिल करने के तौर तरीके भी बताता है. यह ग्रंथ विभिन्न स्वभाव व आचरण वाले स्त्री, पुरुषों के लिए उनके अनुकूल जीवन साथी की खूबियों को रेखांकित करता है. इसके साथ ही यह भी बताता है कि युवक या युवती क्या-क्या आचरण करे जिससे वह अपनी पसंद की युवती या अपने पसंद के युवक का मन जीत ले और शादी के बाद हमेशा के लिए वे एक-दूजे के हो जाएं.

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खाने में करें इन चीजों का बदलाव तो बनी रहेगी हेल्थ

आपने एक से भले दो की कहावत तो सुनी होगी. यही कहावत खाद्य पदार्थों पर भी लागू होती है. जी हां, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जिनका किसी दूसरे खाद्य पदार्थ के साथ मिश्रण कर सेवन करने से उसका स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही में दोनों इडेबल फूड के मिक्स-अप से पोषक तत्व भी दोगुना बढ़ जाते हैं. उदाहरण के तौर पर पीनट-बटर चॉकलेट के साथ अच्छा टेस्ट देता है. ऐसे ही कई सारे खाद्य पदार्थ के संयोजन हैं जिनके सेवन से बहुत सारे फायदे मिलते हैं. चलिए जानते हैं ऐसे ही उन एडिबल फूड के बारे में जो स्वाद के साथ ही सेहत भी स्ट्रॉंग रखते हैं –

  • डार्क चॉकलेट और रास्पबेरी
  • दही और शतावरी
  • टमाटर के साथ ऑलिव ऑयल
  • सिरका और चावल
  • मांस और गाजर
  • ग्रीन टी के साथ लेमन जूस
  • ट्यूना और एडैमाम

डार्क चॉकलेट और रास्पबेरी:  शोध के मुताबिक रास्पबेरी में वजन कम करने या मेनटेन रखने में मददगार सिद्ध होता है. इसमे पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड और डार्क चॉकलेट के समायोजन से ह्रदय स्वस्थ बना रहता है और कभी भी हार्ट अटैक की समस्या नहीं होती है.

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दही और शतावरी: दही के गुणों से हम सभी अच्छी तरह से परिचित हैं. दही न सिर्फ पाचन क्रिया को दुरूस्त रखता है बल्कि भूख को भी बढ़ाने का गुण इसमें पाया जाता है. इसको शतावरी के साथ लेने से शरीर में कैल्सियम की कमी पूरी होती है. इसमें पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन पाया है, शतावरी में फाइबर होता है जो हड्डियों के लिए बहुत जरूरी होता है. अत: दही और शतावरी का मिश्रण गुड हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है.

टमाटर के साथ ऑलिव ऑयल : लाल टमाटर के किस्से बचपन में आपने बहुत सुने होंगे. दरअसल, टमाटर में उच्च मात्रा में लाइकोपीन पाया जाता है, जो फैट में घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है. टमाटर को आप सलाद में यूज कर सकते हैं. टमाटर के साथ ऑलिव ऑयल लेने से लाइकोपीन के अवशोषण को यह बढ़ा देता है.

सिरका और चावल : चावल का मेल हर तरल खाद्य पदार्थों के साथ आसानी से हो जाता है. ज्यादातर लोगों को चावल बेहद पसंद होते हैं. वहीं चिकित्सक चावल को खाने में परहेज बरतनेकी बात भी करते हैं, क्योंकि इसमें फैट व शुगर लेवल ज्यादा पाया जाता है. लेकिन अगर आप चावल को सिरके के साथ खाते हैं तो यह चावल में मौजूद ग्लाइसेमिक लोड को 20 से 30 प्रतिशत तक कम कर सकता है.

ग्रीन टी और नींबू का रस: एक रिसर्च के मुताबिक लेमन जूस और ग्रीन टी के समायोजन से शरीर में कई सारे पोषक तत्व मिलते हैं. इसमें मौजूद विटामिन-सी बॉडी को ग्रीन-टी में मौजूद कैटेचिन और एंटीऑक्सीडेंट से ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. इन दोनों का कॉम्बिनेशन सेहत के लिए बहुत अच्छा साबित होता है.

मांस और गाजर: गाजर को खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, ऐसा हम सभी जानते हैं. इसमें कैरोटीन, विटामिन-ए व बी उच्च मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में मौजूद कोशिकाओं के विकास के लिए अति आवश्यक है. वहीं मांस में जस्ता नाम का फैक्ट पाया जाता है, जो विटामिन-ए और जस्ता की सहक्रियाशीलता से जैव उपलब्धता व विटामिन-ए के अवशोषण बढ़ा देता है.

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ट्यूना और एडमॉम: हड्डियों की मजबूती के लिए ट्यूना और एडमॉम का मिश्रण बहुत जरूरी है. इसमें जीनिस्टीन नाम का फैक्ट पाया जाता है. यह फैक्ट आपको  सोया में मिलता है. अगर आप दोनों को साथ में लेते हैं तो विटामिन-डी की कमी पूरी होती है साथ ही हडि्डयां और मशल्स दोनों ही मजबूत रहते हैं.

हालांकि स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी चीज को इस्तेमाल करने से पहले आप अपने घरेलू डायटीशियन व चिकित्सक से सलाह जरूर लें क्योंकि दुनिया में जितने लोग हैं, उतनी ही उनकी अलग-अलग शारीरिक समस्याएं भी हैं.

क्यों नहीं हो पा रहा आपका रिलेशनशिप मजबूत, जानें यहां

एक-दूसरे को खोने का डर और हद से ज्यादा इंटरफेयर और केयर कभी-कभी रिश्तों को बोझिल बना देता है. “वह मेरा है और सिर्फ मुझसे प्यार करता है” ऐसी धारणा चिंता का विषय बन जाता है और बात न होते हुए भी बात-बात पर झगड़ा करना तनाव का कारण बन जाता है. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि आपके साथ गलत हो रहा होता है लेकिन उसको खोने के डर से आप गलत चीजों को भी अवॉयड कर देते हैं जोकि कुशल रिश्ते के लिए ये सकारात्मक चीजें नहीं हैं. फिर भी आप अपनी चाहत देखते हो और उसको अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं.

कुछ इसी तरह के लक्षण रिलेशनशिप में ब्रेक ला सकती है. ऐसा क्यों होता है, किसी रिश्ते में विश्वासनीयता में कमी क्यों आती है और क्यों रिश्तों को संभालना इतना मुश्किल हो गया है. चलिए जानते हैं कुछ प्वांइट्स के बारे में जो आप कहीं न कहीं मिस कर जाते हो-

  • फियर ऑफ़ मिसिंग आउट
  • अकेलेपन का डर
  • आदत बन जाना
  • असुरक्षा की भावना

फियर ऑफ़ मिसिंग आउटहमेशा उस चीज के बारे में डरना, जिसका असल में कोई अस्तिव ही नहीं है. अपने पार्टनर को लेकर ये मिस अंडरस्टैंडिंग बना लेना कि आगे क्या होगा, भविष्य कैसा होगा? क्या हम दोनों हमेशा साथ रह सकेंगे? ऐसे ही कई सारे सवाल जो आपके अंदर बेचैनी ला देते हैं और इन्हीं बातों को लेकर आप परेशान रहते हैं. सबसे ज्यादा सवाल तो यह आता है कि “वह तो सुंदर है उसे तो और मिल जाएंगे पर मेरा क्या होगा, मुझे कौन पूछेगा? मैं कैसे रहूंगा…?” यही कारण है कि आप अपने आपमे संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा खोने का डर बना रहता है जिससे आप प्यार के लिए तरसते रहते हैं.

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अकेलेपन का डर

फिर से अकेलेपन का डर आपको सुकून से वह पल भी नहीं बिताने देता जो आप उस समय अपने पार्टनर के साथ जी रहे होते हैं. जबिक यह बात आप अच्छी तरह से जानते हैं कि वह आपके साथ लंबे समय तक एक-साथ नहीं रह सकेगा, फिर भी आप यह सोचकर कम्प्रोमाइज करने के लिए तैयार रहते हैं कि वह जिसके साथ रहेगा आप मैनेज कर लोगे क्योंकि आप अपने को कभी उससे दूर रखना पसंद नहीं करते हो. अगर आपसे अलग हो जाएगा तो आप कैसे रहेंगे, इसी डर को लेकर आप अकेलेपन से डरते हैं.

आदत बन जाना

नेहू अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती है, उसने अपने पार्टनर को अपनीआदत बना ली है. यानि कि उसका पार्टनर उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा होता है फिर भी वह उसे सहन करती है और यह सोचती है कि थोड़े समय बाद सब ठीक हो जाएगा. लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है, नेहू का पार्टनर उससे बुरा बर्ताव करता है और वह उसे सुनती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेहू ने उसे अपनी आदत में शामिल कर लिया है और बिछड़ने का डर भी उससे यह सब सुनने को मजबूर कर देता है. ऐसा तभी हो रहा होता है क्योंकि कहीं न कहीं नेहू के पास्ट में ऐसी ही कोई घटना पहले हो चुकी होती है. शायद यही कारण है कि उसे अपने पार्टनर से जुदा होने का डर हमेशा सताता रहता है और उसकी आदत उसके पार्टनर को और भी ज्यादा उस पर हावी होने का मौका देती है.

असुरक्षा की भावना आना

असुरक्षा की भावना आना हर किसी के मन का शंका का विषय रहता है. अपने आपको किसी अन्य से तुलना करने पर कमतर समझना यही आत्मविश्वास को कमजोर करती है और आप अपने व्यक्तित्व के मूल्य को समझने में विफल रहते हैं. आप अपने पार्टनर को लेकर भी असुरक्षित फील करते हैं. कहीं आपका पार्टनर आपके अलावा किसी और से संबंध न बना ले, ऐसी भावना आना हर महिला या पुरुष का स्वाभाविक स्वभाव होता है.

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ऐसे में आप अपने आपको अकदम फ्री कर दें और प्रकृति की गोद में अपना समय दें जिससे आप असुरक्षित न महसूस कर सकें. नेचर से आपको मन को शांति और शुकून दोनों ही मिलेगा. साथ ही आप अपने रिश्ते को कुछ पल के लिए ही सही खुलापन दीजिए जिससे आप एक-दूसरे को समझ सकें और एक मजबूत रिश्ता बना सकें.

ममता बनर्जी से दीदी तक का सफ़र

नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी और पैरों में हवाई चप्पल पहने हुए एक महिला जिसका जन्म कोलकाता के बहुत ही गरीब परिवार में हुआ, बाद में जाकर कोलकाता की मुख्यमंत्री बनती है. चेहरे पर एक अलग सा तेज और बातों से एकदम साफ और कड़क. जो अपने सादे जीवन और अपने मुकर स्वभाव के लिए ही राजनीति में जानी जाती है. अपने नाम की बजाय दीदी के नाम से संबोधित की जाती है. आज हम बात कर रहे हैं ममता बनर्जी के जीवन की.

ममता बनर्जी का बचपन

ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में हुआ था. ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और जब वो बहुत छोटी थी, तभी उनकी मृत्यु हो गई. बताया जाता है कि गरीब परिवार का होने का कारण उन्हें अपने छोटे भाई-बहन का पालन पोषण करने के लिए काम में अपनी मां का हाथ बंटाना पड़ता था. जिसके लिए उन्हें दूध बेचने का काम भी करना पड़ा है.

पढ़ाई और डिग्रियां

ममता बनर्जी दक्षिण कोलकाता के जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास ऑनर्स की डिग्री ली है. इसके बाद ममता बनर्जी ने इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री कलकत्ता विश्वविद्यालय से ली. इसके बाद उन्होंने श्रीशिक्षायतन कॉलेसज से बीएम की और कोलकाता स्थित जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और फिर राजनीति में अपने कदम को इतनी मजबूती से जमाया कि आज पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कद का किसी भी पार्टी में कोई भी नेता नहीं है.

15 साल की उम्र मे राजनीतिक करियर की शुरूआत

70 के दशक में मात्र 15 साल की उम्र मे कांग्रेस पार्टी से जुड़ने वाली ममता बनर्जी ने सबसे पहले एक पदाधिकारी के रूप में 1976 में अपना काम संभाला. इस दौरान वो 1975 में पश्चिम बंगाल में महिला कांग्रेस (I) की जनरल सेक्रेटरी नियु्क्त की गईं. इसके बाद 1978 में ममता कलकत्ता दक्षिण की जिला कांग्रेस कमेटी (I) की सेक्रेटरी बनीं. 1984 में ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा सीट से हराया. जिसके बाद उन्हें देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ. इसके बाद 1991 में वो दोबारा लोकसभा की सांसद बनीं और इस बार उन्हें केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग में राज्यमंत्री भी बनाया गया.

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वर्ष 1991 में जब नरसिम्‍हा राव की सरकार बनी तब उन्हें मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल के साथ ही महिला और बाल विकास राज्य मंत्री भी बनाया गया. खेल मंत्री के तौर पर उन्होंने देश में खेलों की दशा सुधारने को लेकर सरकार से मतभेद होने पर इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी. इस वजह से 1993 में उन्हें इस मंत्रालय से छुट्‍टी दे दी गई.

TMC का गठन

इसके बाद 1996 में ममता एक बार फिर सांसद बनीं, लेकिन ममता के राजनीतिक जीवन में एक अहम मोड़ तब आया जब वर्ष 1998 में कांग्रेस पर माकपा के सामने हथियार डालने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपनी नई पार्टी तृणमूल कांग्रेस बना ली. ममता की पार्टी ने जल्दी ही कांग्रेस से राज्य के मुख्य विपक्षी दल की गद्दी छीन ली. साल 2011 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने अकेले अपने बूते ही तृणमूल कांग्रेस को सत्ता के शिखर तक पहुंचा दिया.

राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही ममता का एकमात्र मकसद बंगाल की सत्ता से वामपंथियों को बेदख़ल करना था. इसके लिए उन्होंने कई बार अपने सहयोगी बदले. पार्टी गठन के शुरुआती दिनों में ममता बनर्जी तब बीजेपी के सबसे बड़े नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी की करीबी रहीं. इसके अलावा उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेलमंत्री के रूप में भी काम किया. 2002 में उन्होंने अपना पहला रेल बजट पेश किया. ममता बनर्जी ने रेलवे के नवीनीकरण की दिशा में बड़े फैसले लिए. इस बजट में उन्होंने बंगाल को सबसे ज्यादा सुविधाएं दी, जिसको लेकर थोड़ा विवाद भी हुआ.

लेकिन तहलका कांड की वजह से महज 17 महीने बाद ही इस्तीफ़ा देकर सरकार से अलग हो गईं. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को राज्य की 42 में महज एक ही सीट मिली थी. वह भी सीट ममता की ही थी. लेकिन उसके बाद सिंगुर और नंदीग्राम में किसानों के हक में जमीन अधिग्रहण विरोधी लड़ाई के ज़रिए ममता ग़रीबों की मसीहा के तौर पर उभरीं. यही वजह थी कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल की सीटों की तादाद एक से बढ़ कर 19 तक पहुंच गई.

UPA से फिर जोड़ा नाता

साल 2009 के आम चुनावों से पहले ममता ने फिर एक बार यूपीए से नाता जोड़ लिया. इस गठबंधन को 26 सीटें मिलीं और ममता फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गईं. उन्हें दूसरी बार रेल मंत्री बना दिया गया. रेल मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल लोकलुभावन घोषणाओं और कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है. 2010 के नगरीय चुनावों में तृणमूल ने फिर एक बार कोलकाता नगर निगम पर कब्जा कर लिया.

बंगाल में वामपंथ का सफाया, TMC की बड़ी जीत

साल 2011 में टीएमसी ने ‘मां, माटी, मानुष’ के नारे के साथ विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की. ममता राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और 34 वर्षों तक राज्‍य की सत्ता पर काबि‍ज वामपंथी मोर्चे का सफाया हो गया. ममता की पार्टी ने राज्‍य विधानसभा की 294 सीटों में से 184 पर कब्‍जा किया.

UPA से तोड़ा नाता

केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों पर अपनी पैठ जमाने के बाद ममता ने 18 सितंबर 2012 को यूपीए से अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद नंदीग्राम में हिंसा की घटना हुई. सेज (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) विकसित करने के लिए गांव वालों की जमीन ली जानी थी. माओवादियों के समर्थन से गांव वालों ने पुलिस कार्रवाई का प्रतिरोध किया, लेकिन गांव वालों और पुलिस बलों के हिंसक संघर्ष में 14 लोगों की मौत हो हुई.

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ममता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री शिवराज पाटिल से कहा कि बंगाल में सीपीएम समर्थकों की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए. बाद में जब राज्य सरकार ने परियोजना को समाप्त कर दिया, तब हिंसक विरोध भी थम गया. लेकिन इस दौरान केंद्र और कांग्रेस से उनके मतभेद शुरू हो गए.

2019 के लोकसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी का दल पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनकर उभरा. 42 सीटों पर हुए चुनाव में ममता सबसे बड़े दल के रूप में 22 सीट जीत सकीं. इसके अलावा बीजेपी को 18 सीटों पर विजय मिलीं. बड़ी बात ये कि प्रधानमंत्री मोदी विरोध के लिए ममता बनर्जी हमेशा बीजेपी के खिलाफ रहीं. सीएए, एनआरसी, जीएसटी, नोटबंदी और किसान आंदोलन तक ममता ने मोदी सरकार के तमाम फैसले के विरोध में खड़ी नजर आई. अब वह 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बीजेपी के सामने प्रमुख दल के रूप में खड़ी नजर आ रही हैं.

फ़ैसलों पर अफ़सोस ना करने वाली ममता

ममता ने कभी अपने फ़ैसलों पर अफ़सोस नहीं जताया. ज़िद और टकराव की इस राजनीति ने ही उनको क़ामयाबी दिलाई है. उनकी छवि धीरे-धीरे एक ऐसे नेता की बन रही है जो केंद्र की एनडीए सरकार, प्रधानमंत्री, भाजपा और उसके ताक़तवर नेताओं से भी दो-दो हाथ करने से नहीं डरतीं.

राज्य में कांग्रेस के छात्र संगठन छात्र परिषद की नेता के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली ममता ने तमाम मुकाम अपने दम पर हासिल किए. अपनी ज़िद और जुझारूपन के चलते उनको सैकड़ों बार पुलिस और माकपा काडरों की लाठियां खानी पड़ी. इस ज़िद, जुझारूपन और शोषितों के हक़ की लड़ाई के लिए मीडिया ने उनको अग्निकन्या का नाम दिया था.

कांग्रेस में रहते हुए भी ममता ने कभी पार्टी के बाक़ी नेताओं की तरह माकपा की चरण वंदना नहीं की. वह हमेशा उसके हर ग़लत फ़ैसलों और नीतियों का विरोध करती रहीं. उस दौर में बंगाल में कांग्रेस को माकपा की बी टीम कहा जाता था.

निजी या सार्वजनिक जीवन में उनके रहन-सहन और आचरण पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह रही है कि वह ज़मीन से जुड़ी नेता हैं. वह चाहे सिंगुर में किसानों के समर्थन में धरना और आमरण अनशन का मामला हो या फिर नंदीग्राम में पुलिस की गोलियों के शिकार लोगों के हक़ की लड़ाई का, ममता ने हमेशा मोर्चे पर रह कर लड़ाई की.

उनके करियर में कई ऐसी विवादास्पद घटनाएँ हुई हैं, जिनके कारण ममता बनर्जी की छवि एकसनकी और आत्मप्रशंसा में डूबे रहने वाले एक राजनीतिज्ञ की बनी.

उन पर तानाशाही के आरोप भी लगते रहे हैं. लेकिन बंगाल पर दो लाख करोड़ के भारी-भरकम कर्ज के बावजूद उन्होंने अपने बूते जितनी नई परियोजनाओं की शुरुआत की, उसकी दूसरी मिसाल कम ही देखने को मिलती है.

ममता पर भ्रष्ट नेताओं को संरक्षण देने समेत कई सवाल उठते रहे हैं. लेकिन उनके कट्टर आलोचक भी मानते हैं कि वे निजी जीवन में बेहद ईमानदार हैं. वर्ष 1993 में युवा कांग्रेस अध्यक्ष रहते राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग अभियान के दौरान पुलिस की गोली से 13 युवक मारे गए थे. तबसे ममता हर साल 21 जुलाई को शहीद रैली का आयोजन करती रहीं हैं. उन्होंने उन पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी तो दी ही, उनको आर्थिक सहायता भी दिलाई.

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कविता और पेंटिग की शौकिन ममता

ममता एक राजनेता होने के अलावा एक कवि, लेखक और चित्रकार भी हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी कविता और कहानी की दर्जनों किताबें आ चुकी हैं. ‘राजनीति’ शीर्षक से उनकी एक कविता काफी चर्चित रही है. अपने भाषणों में भी वे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और शरतचंद्र का हवाला देती रही हैं. वर्ष 2012 में टाइम पत्रिका ने उन्हें विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था.

हाथों में झुर्रियां पड़ने से मेरी स्किन खराब हो गई है, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है. सर्दियों में मेरे हाथों में झुर्रियां सी पड़ गई हैं जो देखने में बहुत खराब लगती हैं. कृपया समाधान बताएं?

जवाब-

पहले तो यह समझना जरूरी है कि हमारे हाथों व पैरों की स्किन हमेशा ड्राई क्यों होती है? दरअसल, हाथों व पैरों की स्किन में कोई औयल ग्लैंड्स नहीं होती है, जिस  के कारण हमें अलग से औयल लगाना पड़ता है. हम बारबार हाथ धोते हैं इसलिए हमें मौइस्चराइजिंग क्रीम जरूर लगानी चाहिए. यह आप के हाथों को मुलायम और चिकना बनाए रखती है और झुर्रियां भी नहीं पड़तीं.

ज्यादातर साबुन आप के हाथों को रूखा बना देते हैं, इसलिए लिक्विड हैंडवाश इस्तेमाल करेंगी तो बेहतर होगा, नहीं तो कोई ऐसा सोप इस्तेमाल करें जिस में मौइस्चराइजर हो.

हाथों की स्किन को और ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए आप रात को सोने से पहले अपने हाथों में थोड़ी सी वैसलीन लगा कर कौटन ग्लब्ज पहन कर सो जाएं. अपने हाथों की स्किन को चमकदार बनाने के लिए 1 चम्मच सेंधा नमक में बादाम औयल या जैतून औयल की कुछ बूंदें मिला कर उस से हाथों को स्क्रब करें. आप इसे सप्ताह में 2-3 बार कर सकती हैं.

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डिप्रेशन, प्रदूषण और हार्मोनल असंतुलन की वजह से समय से पहले एजिंग की समस्या होने लगती है. ऐसे में बाजार में मिलने वाले महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट आपके चेहरे से झुर्रियां ठीक करने के वादे तो बहुत करते हैं पर इनका आपकी त्वचा पर गहरा साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है. ऐसे में आपकी किचन में मौजूद ये कुछ खास चीजें आपके चेहरे पर दिखने वाली झुर्रियों को महीने भर में बिना किसी साइड इफेक्ट के कम कर देगी.

नारियल

नारियल का दूध एंटीआक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है जो झुर्रियों को दूर रखता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए करीब आधा कप नारियल का दूध ले लें. इसके बाद अब इसे कौटन की मदद से अपने चेहरे पर 10 मिनट तक लगाकर रखें. सूखने पर चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. इस उपाय को हफ्ते में तीन बार जरूर करें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जब चेहरे पर दिखने लगे झुर्रियां

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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Holi Special: ब्रेकफास्ट में बनाएं हैल्दी और टेस्टी लौकी डोसा

आज क्या नाश्ता बनाऊं इस समस्या से प्रत्येक महिला को हर दिन दो चार होना पड़ता है. रोज रोज पूरी, परांठा, पकोड़े, जलेबी और समोसे जैसे चिकने खाद्य पदार्थ खाना सेहतमंद नहीं होता. कोरोना के आगमन के बाद से पौष्टिक खाद्य पदार्थ के सेवन पर निरन्तर जोर दिया जा रहा है ताकि शरीर स्वस्थ और सेहतमंद रह सके. लौकी, पालक, मैथी, तोरई और बीन्स जैसी हरी सब्जियों में विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाने से इन्हें खाना सदा से ही स्वास्थवर्धक माना जाता रहा है.

परन्तु बच्चे तो बच्चे बल्कि कई घरों में तो बड़े तक हरी सब्जियों को खाना पसंद नहीं करते तो क्यों न इन्हें कुछ ट्विस्ट के साथ अपने भोजन में शामिल कर लिया जाए ताकि घर के सभी सदस्य इन्हें चटखारे लेकर खाएं. तो इसी ट्विस्ट के साथ आज हम आपको लौकी से डोसा बनाना बतायेंगे जिसे बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही यह बहुत स्वादिष्ट भी होता है.

लौकी डोसा

कितने लोंगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज

हमें चाहिए

चावल 1 कटोरी
उड़द की धुली दाल 1/2 कटोरी
मैथी दाना 5-6दाने
लौकी 500 ग्राम
नमक 1/4 टीस्पून
तेल 2 टीस्पून

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बनाने का तरीका

डोसा बनाने से 7-8 घण्टे पूर्व दाल, चावल और मेथीदाना को पानी में भिगो दें. 8 घण्टे बाद पानी निकाल दें. लौकी को छीलकर बीच से काट लें और बीज वाले भाग को अलग कर दें. अब इसे छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर दाल और चावल के साथ बारीक पीस लें. आवश्यतानुसार पानी का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि घोल बहुत अधिक गाढ़ा या बहुत अधिक पतला न होकर मध्यम कंसिस्टेंसी का हो. अब इस घोल को ढककर किसी गर्म स्थान पर 6 से 7 घण्टे के लिए खमीर उठने के लिए रख दें. जब खमीर उठ जाए तो नमक मिलाकर चलायें. एक नॉनस्टिक तवे पर चिकनाई लगाकर तैयार मिश्रण से पतला पतला डोसा बनाएं और मनचाही स्टफिंग भरके सर्व करें.

हैल्दी डोसा बनाने के टिप्स

-लौकी के स्थान पर आप पालक, बथुआ, चौलाई, लाल भाजी और चुकंदर जैसी किसी भी पौष्टिक हरी सब्जी का प्रयोग कर सकतीं हैं.

-यदि आप बाजार में उपलब्ध रेडीमेड बेटर का प्रयोग कर रहीं हैं तो सब्जियों को पीसने के स्थान बारीक काटकर या किसकर बेटर में मिला लें.

-आलू, पनीर, टोफू या अन्य किसी भी सब्जी की स्टफिंग भर सकतीं हैं.

-यदि आप बहुत जल्दी में हैं और स्टफिंग बनाने का समय नहीं है तो जब डोसा एक तरफ से सिक जाए तो किसी भी चटनी या अचार को अच्छी तरह फैलाकर थोड़ा सेव या मिक्सचर फैला दें, स्वादिष्ट डोसा तैयार हो जाएगा.

-1कप रवा, आधा कप मैदा, आधा कप बेसन को 1 कप दही और 1 कप पानी में मिलाकर बेटर बनाएं और 15 मिनट रखकर मनचाही सब्जियां डालकर इंस्टैंट डोसा बनाएं.

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नई बहू के लिए परफेक्ट हैं ‘गुम है किसी के प्यार में’ की ‘सई’ के ये लुक्स

‘गुम है किसी के प्यार में’ Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसके कारण सीरियल टीआरपी चार्ट में टौप 5 में पहुंच गया है. दरअसल, सई और विराट (Virat) की जिंदगी में एक लेटर के कारण गलतफहमियां बढ़ती जा रही है. वहीं सई , पुलकित और देवयानी की शादी को भी सपोर्ट करती नजर आ रही है. तो वहीं पाखी के कारण अब विराट भी सई के खिलाफ हो गया है. लेकिन आज हम सीरियल के किसी आने वाले ट्रैक की नहीं बल्कि सीरियल के मेल लीड एक्ट्रेस आयशा सिंह के फैशन सेंस की बात कर रहे हैं. वकालत छोड़ कर एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाली आयशा सिंह का यह पहला सीरियल है, जिसमें वह मराठी फैमिली की बहू सई का किरदार निभाती हुईं नजर आ रही हैं. इसीलिए आज हम आपको सई यानी आयशा सिंह के कुछ लुक्स बताएंगे, जिसे नई नवेली बहू ट्राय कर सकती हैं.

साड़ी में खूबसूरत लगती हैं आयशा

सीरियल में सई के किरदार निभाने वाली आयशा सिंह अक्सर नई नई साड़ियां कैरी करती नजर आती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं आयशा के इस लुक की बाद करें तो हैवी यैलो साड़ी और उसके साथ कौंट्रास्ट ब्लाउज उनके लुक को खूबसूरत बना रहा है.

 

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सूट में भी रहती हैं सिंपल

 

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सई के किरदार में आयशा अक्सर सिंपल लुक में नजर आती हैं. हालांकि उनके कपड़े उनको अलग ही लुक देते हैं. फुलकारी सूट में सई का ये लुक काफी खूबसूरत है, जिसके साथ कम ज्वैलरी उनकी लुक को एलीगेंट बना रही है.

मराठी लुक में लगती हैं खास

 

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मराठी बहू सई के किरदार में नजर आने वाली आयशा का मराठी वेडिंग लुक भी बेहद खूबसूरत था. ग्रीन और रेड कलर के कौम्बिनेशन वाली साड़ी में आयशा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इसके साथ मराठी नथ के साथ ज्वैलपी उनके लुक को कम्पलीट कर रही थी.

शादी के बाद कुछ यूं था सई का अंदाज

 

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विराट से शादी के बाद सई का लुक पूरी तरह चेंज हो गया है. अब वह हैवी और ट्रैंडी लुक में सजधजकर साड़ी पहने नजर आती हैं, जिसमें उनका लुक काफी खूबसूरत लगता है.

 

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