इन टिप्स की मदद से अपने जिद्दी बच्चे को करें कंट्रोल

अक्सर देखा गया है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों में भी कई बदलाव आने लगते हैं. टीनएजर्स अपने फैसले खुद लेने लगते हैं और उनका स्वभाव दूसरों के प्रति भी उखड़ा-उखड़ा रहने लगता हैं. जिसकी वजह से उन्हें कुछ भी समझाया जाता है तो वे नाराज होकर बैठ जाते हैं और बड़ों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगते हैं.

अगर आप भी अपने बच्चे के जिद्दीपण की इस आदत से परेशानी में है तो आप हमारे द्वारा बताए जा रहे इन टिप्स की मदद से अपने बच्चों को अनुशासन में रहना सिखा सकते हैं. तो आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में.

1. घर ही बच्चों का पहला स्कूल

दो-ढाई साल की उम्र में बच्चे घर के सदस्यों से सबकुछ सिखते हैं. इसलिए अपने बच्चे में अच्छी आदतें डालने के लिए पेरेंट्स को उनकी इसी उम्र में सचेत हो जाना चाहिए. अपने बच्चों के सामने अपना व्यवहार सहीं रखें जैसे बड़ों को सम्मान दें तो छोटों के साथ प्यार से बात करें. आपको ऐसा करते देख बच्चे भी यहीं सीखेंगे.

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2. प्ले ग्राउंड में भी रखें अनुशासन

अगर आप अपने बच्चों के साथ रोजाना किसी पार्क यानी सार्वजनिक स्थल पर जा रहे है तो वहां भी बच्चों के अनुशासन का पूरा ख्याल रखें. उन्हें दूसरे बच्चों के साथ मिलकर खेलने की शिक्षा दें और मारपीट या गलत हरकतें न करने जैसी बातें समझाएं. इससे बच्चों में इम्पैथी यानी दूसरों की तकलीफ समझने की भावना विकसित होगी और दूसरा खेल-खेल में बच्चे अनुशासन के नियम भी सीख जाएंगे.

3. सिखाएं एंगर मैनेजमेंट

बच्चे में छोटी-छोटी बातों पर रूठना या जिद्द करने की आदत होती है लेकिन पेरेंट्स को उनकी इस आदत पर ओवर रिएक्ट करने के बजाए धीरे-धीरे उन्हें समझाना चाहिए. उन्हें प्यार से समझाएं कि तुम्हारी हर बात मानना न मुमकिन है. अगर बच्चा गुस्से में तोडफ़ोड़ या हिंसक व्यवहार करने लगे तो उसकी जिद्द को पूरा न करें बल्कि ऐसी स्थिति में उससे शांत रहने को कहें.

4. बड़ों का सम्मान करने की दें शिक्षा

बच्चों की शरारतें और प्यारी-प्यारी बातें तो सभी को अच्छी लगती है लेकिन कभी-कभी वह कई अपशब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं. बच्चे की ऐसी हरकत को नादानी समझकर इग्नोर न करें क्योंकि इससे बच्चों को अपनी गलती का एहसास नहीं होगा. बच्चों की ऐसी हरकत करने पर उसे रोके न की हंसकर बात को टाल दें.

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5. बच्चों को सिखाएं विनम्रता का पाठ

बच्चों को केवल परिवार के साथ ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों के साथ विनम्र व्यवहार अपनाना चाहिए. बच्चे को समझाएं कि उन सभी के साथ प्यार से पेश आना चाहिए जो हमारी मदद करते हैं. इसी के सात उनमें एक आदत ऐसी भी डालें कि वह ऐसे लोगों के लिए अंकल-आंटी या भैया-दीदी जैसे सम्मान सूचक शब्दों का इस्तेमाल करें. इससे उन्हें सामाजिक व्यवहार सीखने में मदद मिलेगी.

घर की चाबी हो सब के पास

आज प्रियांक को घर लौटने में काफी देर हो गई थी. रात 12 बजे के करीब घर की सीढि़यां चढ़ते हुए उस की टांगें कांप रही थीं. वैसे वजह बहुत सामान्य थी. औफिस में पार्टी होने की वजह से उसे देर हो गई थी. मगर वह जानता था कि इस बात पर घर में कुहराम मच सकता है. दरअसल, उस के यहां सालों से यह नियम चला आ रहा था कि घर का कोई भी सदस्य रात 9 बजे के बाद घर से बाहर नहीं रहेगा. सब को समय पर लौटने की सख्त हिदायत थी. ऐसे में वह जानता था कि उसे नियम उल्लंघन की सजा भोगनी पड़ेगी.

पहली घंटी पर ही उस की मां ने दरवाजा खोल दिया. गुस्से से उन की आंखें लाल हो रही थीं. झट उसे अंदर खींच दरवाजा बंद करते हुए वे फुसफुसाईं, ‘‘अपने कमरे में जल्दी जा, मैं खाना वहीं ले कर आ रही हूं. तेरे पिता जाग रहे हैं. बहुत गुस्से में हैं. जल्दी खा कर सो जा.’’

अब सवाल यह उठता है कि एक जवान लड़का जो जौब कर रहा है यदि अपने औफिस में काम की वजह से किसी दिन देर से घर लौटता है तो क्या उसे इस बात के लिए डांटनाफटकारना चाहिए? क्या इस उम्र में आ कर भी वह इतना समझदार नहीं हुआ कि अपना भलाबुरा समझ सके और अपनी जिम्मेदारी खुद उठा सके? इसी तरह घर की बहूबेटियों पर भी पाबंदियां कम नहीं रहतीं.

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बरेली की रहने वाली विनीता मलिक कहती हैं, ‘‘हमारे यहां घर की चाबी दादी के पास होती है. यदि कोई बच्चा देर से घर लौटता है तो उस की पिटाई होती है. यही वजह है कि मैं न तो कालेज के बाद डांस क्लास जा पाती हूं और न ही कभी किसी फ्रैंड की पार्टी अटैंड कर पाती हूं. थोड़ी भी देर हो जाए तो जान सांसत में आने लगती है. जिंदगी में एक घुटन सी है. कुछ करने या आगे बढ़ने की इच्छा दबा कर जीना पड़ता है.’’

2 बच्चों की मां कनुप्रिया अपना दुखड़ा सुनाती हुई कहती है, ‘‘शादी के 10 साल बीत गए पर आज तक पति के साथ कभी लेट नाइट मूवी या पार्टी नहीं जा पाई. यहां तक कि एक बार सहेली की शादी से आने में देर हो गई तो सासूमां दरवाजे पर ही बैठी मिलीं. पहले तो बीसियों बार फोन कर के पूछती रहीं कि और कितनी देर लगेगी और आने के बाद तो पूरा घर सिर पर उठा लिया कि इतनी रात तक बहू बाहर क्यों रही.’’

जाहिर है आज के समय में भी कुछ घरों में ऐसा आलम नजर आ जाता है जब टाइमबेटाइम घर का दरवाजा खुलवा कर घर में घुसना एक बड़ी परीक्षा की घड़ी बन जाती है.

पर क्या यह उचित है? क्या होना यह नहीं चाहिए कि घर के सभी सदस्यों के पास अलग चाबी हो ताकि जिसे जब आना है दूसरों को डिस्टर्ब किए बगैर अंदर आ जाए? कई दफा घर का बच्चा स्कूलकालेज से जल्दी लौट आए तो भी घर वाले सवाल खड़े कर देते हैं. आखिर यह उस का भी घर है. यदि वह अपने घर में भी बेखटके नहीं आ सकता तो फिर कहां जाएगा?

ज्यादा बंदिशों से घुटता है दम

अकसर ज्यादा बंदिशें लगाए जाने वाले घरों के बच्चे ही गलत कारनामे करते हैं, क्योंकि बंदिशें जब उन का दम घोटने लगती हैं तो वे हर बंधन तोड़ कर खुली हवा में सांस लेने को बेताब हो जाते हैं.

बेहतर हो कि घर में सब को अपनी जिंदगी जीने, अपने फैसले लेने और अपने हिसाब से आगे बढ़ने की आजादी मिले. जरूरत से ज्यादा रोकटोक उन्हें विद्रोही बना सकती है. बच्चों में अच्छे संस्कार डालना, भलेबुरे का ज्ञान कराना, घर के हालात समझाते हुए उन्हें उन की जिम्मेदारियों से अवगत कराना आदि अभिभावकों का काम है. मगर हर समय उन की चौकीदारी करना या हर वक्त उन पर निगाह रखना गलत है. बच्चों को थोड़ी आजादी दें. उन्हें अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने दें.

चिल्लाना उचित नहीं

बहुत से मातापिता की आदत होती है कि वे बच्चों पर छोटीछोटी बातों पर चिल्लाते रहते हैं. यहां तक कि घर देर से लौटने, किसी से बात कर लेने या फिर मनमुताबिक सफलता न मिलने पर भी डांटते हैं. दूसरों के सामने बेइज्जती करते हैं. अत: ऐसे मातापिता को अपनी इस आदत को छोड़ने की जरूरत है. उन का ऐसा व्यवहार न केवल उन दोनों के संबंध पर बुरा असर डालेगा, बल्कि बच्चों के विकास में भी बाधक होगा.

बच्चों को थोड़ा स्पेस दें. उन्हें खुद अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होने दें. बच्चों पर चिल्लाने के बजाय उन उम्मीदों पर ध्यान दें जो आप उन से लगाते हैं. बच्चों को उन की उम्र और क्षमता के हिसाब से जिम्मेदारियां दें. जरूरत पड़ने पर उन की मदद करें.

वार्निंग दे कर छोड़ दें

यदि बच्चा बिना उचित वजह के भी कहीं से देर से लौटे तो भी उस से बहुत तेज आवाज में बात न करें. बच्चे तेज आवाज से डर जाते हैं और अपनी बात सामने नहीं रख पाते. बेहतर होगा कि आप अपने गुस्से या नाराजगी पर नियंत्रण कर के हमेशा बच्चे से सामान्य हो कर बात करें. उस से आंखें मिलाएं और फिर मजबूती से अपनी बात रखें. ऐसे में बच्चा आप और आप की बातों को अनदेखा नहीं कर सकता. उसे वार्निंग दे कर छोड़ दें. वह आगे से ऐसी गलती करने से पहले सोचेगा. फिर आप को भी उस पर नजर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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विश्वास करें

हर बच्चे की अपनी अलग क्षमता होती है, अपने सपने होते हैं. उस पर विश्वास करें. उसे अपने पर खोलने दें. बंदिशों के बोझ से उस के परों को इतना बोझिल न बना दें कि वह उड़ ही न पाए. बच्चे पर भरोसा करें. हां अगर वह आप का भरोसा तोड़े तो दोबारा भरोसा बनने तक बेशक आप उस की स्वतंत्रता में कटौती कर सकते हैं.

रोल मौडल बनें

बच्चे आमतौर पर वही करते हैं, जो वे अपने मातापिता से सीखते हैं. अत: अपने बच्चों का रोल मौडल बनें. आप जैसा व्यवहार उन का देखना चाहते हैं वैसा ही खुद करें. उन पर हर पल नजर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

फायदेमंद भी है अकेले घर में रहना

अकसर हमें लगता है कि बच्चा घर में अकेला पहुंचेगा तो उसे बोरियत, अकेलेपन और डर का सामना करना पड़ेगा. लेकिन कुछ बच्चों पर सकारात्मक प्र्रभाव भी पड़ता है. चाबी अपने हाथ में होने और अपनी इच्छा से घर में अकेले रह कर उन में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, कठिन परिस्थितियों से निबटने का हौसला और घर के कामों में अपना योगदान देने की प्रवृत्ति जैसी खूबियां उभरती हैं. वे कम उम्र में ही अपने भरोसे जीना सीख जाते हैं.

बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के साथ चाबी शेयर करना

आजकल लड़केलड़कियां पढ़ाई या जौब के सिलसिले में अकसर कमरा या पूरा फ्लैट ले कर अकेले रहते हैं. कई बार 2 या 3 लोग मिल कर भी कोई घर ले लेते हैं. परिवार और घर वालों से दूर रह रहे ये लड़केलड़कियां समय के साथ अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के काफी करीब आने लगते हैं. वे साथ जीवन गुजारने को ले कर उत्साहित हैं. ऐसे में एकदूसरे की इतनी आदत हो जाती है कि वे घर की चाबी भी शेयर करने लगते हैं. इस तरह अपनी चाबी किसी को देना गलत नहीं पर कुछ बातों का खयाल जरूर रखें:

– यदि आप को लगता है कि अब आप अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड को अपने घर की चाबी दे सकते हैं तो इस का मतलब है कि आप उस के साथ अपना भविष्य देख रहे हैं. आप उस के साथ सुरक्षित और कंफर्टेबल महसूस कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि आप का पार्टनर आप के बारे में सबकुछ जाने और समझे. आप उस से कुछ भी छिपा कर रखने की जरूरत महसूस नहीं करते. फिर भी कुछ बातें और कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन के प्रति सावधानी रखना जरूरी है.

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– अपने घर वालों को अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड के बारे में थोड़ी जानकारी जरूर दें.

– यदि आप अकेली रहती हैं तब तो अपने बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड को चाबी देने का फैसला आप का अपना है. पर यदि आप के रूममेट्स भी हैं तो उन से पूछ कर ही चाबी किसी के साथ शेयर करें, क्योंकि इस फैसले में उन की सहमति भी जरूरी है.

Bigg Boss 14 खत्म होते ही बदला Nikki Tamboli का अंदाज, देखें फोटोज

बिग बॉस 14 के कंटेस्टेट इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. जहां कोई अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है तो वहीं कुछ घरवाले अपने फैशन के चलते छाए हुए हैं. दरअसल, बिग बॉस के घर से निकलने के बाद निक्की तम्बोली (Nikki Tamboli) एक के बाद एक नए लुक्स में नजर आ रही हैं, जिसके चलते वह फैंस के बीच फैशन के चलते छा गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं निक्की तम्बोली के वायरल लुक्स…

पार्टी में ऐसा था निक्की तम्बोली का अंदाज

हाल ही में बिग बॉस 14 के कंटेस्टेंट्स ने एक पार्टी रखी थी, जिसमें सभी कंटेस्टेंट नजर आए थे. हालांकि सबसे ज्यादा निक्की तम्बोली ने सुर्खियां बटोरी था. दरअसल, निक्की ब्लू कलर के शिमरी गाउन वाले आउटफिट में नजर आई थीं, जिसमें उनका लुक काफी हौट लग रहा था.

 

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बेहद स्टाइलिश हैं निक्की तम्बोली

nikki tamboli

निक्की तम्बोली बीते दिन एक इवेंट का हिस्सा बनने पहुंची थीं, जहां वह कलरफुल ड्रेस पहने नजर आईं थीं. निक्की तम्बोली इस लुक में काफी खूबसूरत लग रही थीं. वहीं फैंस भी उनके इस लुक की तारीफें करते नही थक रहे थे.

कुछ ऐसा था एयरपोर्ट लुक

 

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स्टार्स का एयरपोर्ट लुक काफी स्टाइलिश और कंफरटेबल होता है. वहीं इन लुक्स को ध्यान में रखते हुए निक्की तम्बोली ने भी एयरपोर्ट के लिए कुछ ऐसा ही लुक ट्राय किया. निक्की ने ऑरेंज कलर के ट्राउजर और क्रौप जैकेट के साथ अपने लुक को स्टाइलिश बनाया, जिसमें वह काफी स्टाइलिश लग रही थीं.

 

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रुबीना के साथ पार्टी में कुछ यूं लुक

 

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बिग बौस 14 की ट्रॉफी जीतने के बाद हाल ही में रुबीना दिलैक ने एक पार्टी रखी थी, जिसमें निक्की तम्बोली भी नजर आईं थी. वहीं इस पार्टी में भी निक्की तम्बोली का लुक सिंपल लेकिन स्टाइलिश नजर आया था. औरेंज कलर की प्लेन सिल्क ड्रैस में निक्की बेहद खूबसूरत लग रहीं थीं.

#terasuit: जैस्मिन भसीन संग अली गोनी का नया Song हुआ रिलीज, देखें Video

‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) में अपनी कैमेस्ट्री को लेकर फैंस के बीच जगह बनाने वाले एक्टर अली गोनी (Aly Goni) और जैस्मिन भसीन (Jasmin Bhasin) इन दिनों वेकेशन का लुत्फ उठा रहे हैं. हालांकि इस बीच दोनों अपने काम के लिए भी लगातार वक्त निकाल रहे हैं, जिसके कारण दोनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. दरअसल, आज यानी 8 मार्च को टोनी कक्कड़ का नया गाना रिलीज हुआ है, जिसमें अली गोनी और जैस्मिन भसीन की जोड़ी नजर आ रही है. आइए आपको दिखाते हैं अली और जैस्मीन के गाने की वीडियो…

रोमांटिक है अली-जैस्मिन का अदाज

नेहा कक्कड़ के भाई और सिंगर टोनी कक्कड़ का नया गाना ‘तेरा सूट’ आज रिलीज हो चुका है, जिसमें अली गोनी और जैस्मिन भसीन की केमेस्ट्री तो देखते ही बन रही है. वहीं इस गाने में अली और जैस्मीन होली का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं.

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कश्मीर की वादियों में किया प्यार का इजहार

अली ने हाल ही में अपने प्यार का इजहार करते हुए एक बहुत ही रोमांटिक नोट के साथ जैस्मिन की एक फोटो शेयर की थी. फोटो शेयर करते हुए अली ने लिखा, ‘हम ही हमारी दुनिया हैं.’ दरअसल, हाल ही में सोशलमीडिया पर एक ट्रैंड देखने को मिला था, जिसमें सवाल पूछा जा रहा था कि जैस्मीन के घर कौन जाएगा, जिसका जवाब देते हुए अली गोनी ने ये  फोटो शेयर की थी.

बता दें, हाल ही में एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन अपने एक पोस्ट के कारण ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं. दरअसल, हाल ही में जैस्मीन ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया है, जिससे कुछ यूजर्स भड़क गए हैं और उन्हें खरी-खोटी सुना रहे हैं. जैस्मिन ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘कुछ लोग सच में अपनी बात मनवाने में माहिर होते हैं. वो झूठ बोल सकते हैं, धोखा दे सकते हैं, आपके साथ गलत तरीके से पेश आ सकते हैं और बावजूद इसके वो सबकुछ दिखाते हैं कि आपकी ही गलती है. #kahinpadhathaa’

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महिलाएं कहीं भी महसूस करें असुरक्षित, मिलाएं 112-यूपी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम ‘मिशन शक्ति’ के तहत 17 अक्टूबर 2020 से 28 फरवरी 2021 तक 1,21,509 महिलाओं को सहायता पहुंचाई गयी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए मिशन शक्ति कार्यक्रम शुरु किया गया है. वर्ष भर में 112-यूपी ने घरेलू हिंसा में 3,27,833 पीड़ित महिलाओं तक मदद पहुँचाने का कार्य किया है.

महिलाओं को सुरक्षा का भाव

महिलाओं में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए पूरे प्रदेश 300 महिला पीआरवी 112-यूपी की ओर से संचालित की जा रही हैं.

मिशन शक्ति के तहत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रदेश भर की महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना 112-यूपी का मुख्य उद्देश्य है. रात्रि में अकेली महिला को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए महिला स्कार्ट की सुविधा शुरू की गयी है. गाँव हो या शहर कोई भी महिला रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक इस सुविधा का लाभ ले सकती है. एक वर्ष में 518 महिलाओं ने इस सुविधा का लाभ उठाया है.

बुजुर्गों की मदद

बुज़ुगों में सामाजिक सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से ‘सवेरा’ योजना के तहत 1,70,296 महिलाओं का पंजीकरण किया गया है. महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए 112-यूपी द्वारा जिलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. प्रदेश भर में 112-यूपी की 4500 पीआरवी रात-दिन प्रदेश में आम जनमानस की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं.

घरेलू हिंसा पर अंकुश लगाने की पहल

मिशन शक्ति के तहत घरेलू हिंसा पर अंकुश लगाने और महिलाओं को त्वरित सहायता उपलब्ध के लिए 112-यूपी द्वारा प्रदेश भर में 300 महिला पीआरवी चलाई जा रही हैं. इस पीआरवी पर महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि पीड़ित महिला बेझिझक अपनी बात महिला पुलिस कर्मियों को बता सके. घरेलू हिंसा के मामलों में महिलाओं को 112 की तरफ से ‘प्रबल प्रतिक्रिया’ दी जाती है.

1090 व 181 के साथ एकीकरण

मिशन शक्ति का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के साथ-साथ उनको स्वावलंबी बनाना भी है. प्रदेश के किसी भी कोने से अगर कोई महिला पुलिस की मदद लेने के लिए 1090 पर कॉल करती है तो उसकी कॉल 112-यूपी पर स्थानांतरित कर दी जाती है. इसी तरह स्वरोजगार के लिए किसी तरह की मदद चाहने वाली महिलाओं की कॉल को 112 से 181 स्थानांतरित की जाती है. विभिन्न सरकारी हेल्प लाइनों से एकीकरण के बाद 112-यूपी के कार्य का दायरा भी बढ़ गया है.

जैस्मिन भसीन के पोस्ट को देख भड़के रुबीना के फैंस, कही ये बात

Bigg Boss 14 का सीजन काफी धमाकेदार रहा है. जहां शो के कंटेस्टेंट इन दिनों वेकेशन का लुत्फ उठा रहे हैं तो वहीं कुछ कंटेस्टेंट अपने काम में दोबारा बिजी हो गए हैं. इसी बीच पौपुलर कंटेस्टेंट में से एक एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन अपने एक पोस्ट के कारण ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला

पोस्ट के चलते छाई जैस्मीन

बिग बौस 14 में किसी वक्त पर एक-दूसरे की अच्छी दोस्त रहीं जैस्मिन और रुबीना के बीच इतनी कड़वाहट बढ़ चुकी है, जिसका अंदाजा फैंस जैस्मीन के पोस्ट के जरिए लगा रहे हैं. दरअसल, हाल ही में जैस्मीन ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया है, जिससे कुछ यूजर्स भड़क गए हैं और उन्हें खरी-खोटी सुना रहे हैं.

लिखी थी ये बात

जैस्मिन ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘कुछ लोग सच में अपनी बात मनवाने में माहिर होते हैं. वो झूठ बोल सकते हैं, धोखा दे सकते हैं, आपके साथ गलत तरीके से पेश आ सकते हैं और बावजूद इसके वो सबकुछ दिखाते हैं कि आपकी ही गलती है. #kahinpadhathaa’.

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फैंस को आया गुस्सा

जैस्मिन भसीन के इस ट्विट के बाद लोगों ने उन्हें निशाना बनाना शुरु कर दिया है. दरअसल, लोगों का मानना है कि जैस्मीन का ये पोस्ट रुबीना दिलैक के लिए है. वहीं इस पोस्ट के बाद रुबीना के फैंस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और इसी के चलते फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरु कर दिया. एक यूजर ने लिखा, ‘लड़की तुम्हारे दिल में बहुत नफरत भरी है. बिग बॉस खत्म हो चुका है. अब आगे बढ़ो और रुबीना को इस तरह ताना मारना बंद करो.’ वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ‘आपके पास कोई काम नहीं है क्या? मूव ऑन कर लो.’ वहीं कुछ अन्य यूजर्स ने जैस्मिन को ‘नेगेटिव’ और ‘जलन से भरी हुई’ बताना शुरू कर दिया.

जैस्मीन ने दी सफाई

ट्रोलिंग का शिकार होते ही जैस्मीन भसीन ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि ठीक है तो मुझे एक बात साफ कर दूं, बिग बॉस एक बेस्ट सफर था, जिसने मेरी पर्सनल और प्रौफेशनल लाइफ को खुशियों और सफलता से भर दिया है, लेकिन अब शो खत्म हो गया है और मैं हर उस चीज के लिए आभारी हूं जो शो ने मुझे दी है और मेरे पास कुछ भी नहीं है किसी के खिलाफ रखने के लिए.  इसी के साथ जैस्मीन ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि लाइफ में नई शुरुआत करने के लिए आगे बढ़ना पड़ता है. इसलिए मैं लोगों से अनुरोध करती हूं कि शो के किसी भी प्रतियोगी के साथ मेरे कार्यों, पोस्ट या ट्वीट्स को नही रिलेट करना चाहिए. संक्षेप में “उड़ते तीर” पकडने बैंड करदो यार. चिल करौ और खुश रहो.

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कहीं ये तो नहीं एलर्जी का कारण

बदलते मौसम में एलर्जी होना आम बात है. एलर्जी कई तरह की होती है, जैसे- मौसम के बदलाव से एलर्जी, दूध, दही से एलर्जी, जानवरों से एलर्जी, धूल-मिट्टी से एलर्जी. एलर्जी कई तरह की होती है. मौसम के बदलने से होने वाली एलर्जी से शरीर में कई तरह के बदलाव देखे जाते है. फ्लू होने का खतरा भी बढ़ जाता है. जिनका शरीर नाजुक होता है उन्हें मौसम के बदलने से सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसे वायरल फ्लू जकड़ लेता है. जैसे ही मौसम बदलता है वैसे ही कई सारी बीमारियां दस्तक देना शुरू कर देती हैं.

कुछ शरीर ऐसे होते हैं जो वायरल की चपेट में आसानी से आ जाते हैं. जिनमें नाक, कान, गला, आंख जैसी सेसिंटिव जगह जल्दी से फ्लू की चपेट में आ जाती है. सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखें, जिससे कोई भी वायरल फ्लू आपको अपने कब्जे में न ले सकें.
क्या होते हैं एलर्जी के कारण –

एलर्जी के कारण

खाने की चीजों से एलर्जी –

ये बहुत ही आश्चर्य की बात लगती है कि क्या किसी को कभी खाने से एलर्जी हो सकती है. जी हां, खाने से भी कुछ लोगों को एलर्जी होती है. जैसे मूंगफली, दूध, अंडे को खाने से जी मिचलाना, खुजली होना जैसे कई सिमटम्स देखे जा सकते हैं.

धूल से एलर्जी –

मौसम के साथ धूल से भी एलर्जी हो सकती है. धूल में आमतौर पर माइक्रोब्स होते हैं जो हमारे आस-पास के वातावरण में मौजूद रहते हैं. धूल से होने वाली एलर्जी से आमतौर पर छींकें, आंख और नाक से पानी आना संबंधित परेशानी हो सकती है.

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कीट-पतंगों से एलर्जी –

मच्छर, कीट-पतंगों से एलर्जी भी मौसम के बदलाव से होती है. ठंड से गर्मी के मौसम में बदलाव होने से मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जाता है. जिससे स्किन में रेडनेस, रैशेज, दाने आना स्वाभाविक है. कभी-कभी तो उल्टी, चक्कर और बुखार भी आ सकता है.

मौसम से एलर्जी –

मौसम के बदलाव से एलर्जी होना बहुत आम बात है, लेकिन अगर सावधानी नहीं बरती गई तो जान से हाथ भी धोना पड़ सकता है. मौसम बदलने से गले में खराश, बुखार, नाक बहना, आंखों में जलन जैसी समस्या होने लगती है. अगर आपको ऐसी समस्या है तो घर के बाहर कम से कम निकलें. तापमान में तेज बदलाव से बचें. ठंडे-गर्म तापमान से बचें.

और भी कई तरह की एलर्जी होती है, बशर्ते सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. नहीं तो इसका खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ सकता है.

बदलते मौसम में बरतें यह सावधानियां

1. बदलते मौसम में कपड़ों का चयन बेहद सोच-समझकर करना चहिए, बदलते मौसम में सूती कपड़ों को वरीयता देनी चाहिए.

2. अपने खानपान पर विशेषतौर पर ध्यान देना चाहिए. हो सके तो भोजन में पौष्टिक आहार लें, इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है साथ ही पानी को पीते रहना चाहिए.

3. ध्यान रहे ठंडे पदार्थों का सेवन कभी वायरल फीवर का कारण बन सकता है, इसलिए ठंडी चीजें अवॉयड करें.

4. सिर दर्द या बुखार होने पर कोई भी पेन किलर न लें, दवा लेने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

5. बदलते मौसम में योग करना बेहद फायदेमंद होता है, अगर आप सुबह मॉर्निंग वॉक करने के लिए जाते हैं तो एक्सरसाज करना न भूंले.

6. मौसम के बदलाव से खांसी और फेफड़ों में जकड़न होने लगती है. पीड़ित व्यक्ति अगर रोज भाप लेने के साथ ही गुनगुने पानी से गरारे करता है तो इससे काफी आराम मिलेगा.

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सर्दियों का मौसम जा रहा है और गर्मियों की एंट्री हो रही है, ऐसे में वायरल रोगों के बढ़ने का आंकड़ा भी रफ्तार के साथ बढ़ रहा है. जागरूकता के साथ देखभाल मौसम बदलने पर किया जाए तो शायद किसी एलर्जी का सामना कभी न करना पड़े. बदलते मौसम में खानपान का ध्यान जरूर देना चाहिए, जिससे आपका रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो सके. अगर आपको भी मौसम बदलने के साथ ही शरीर में बदलाव आते दिखाई दें, जैसे- जुकाम, खांसी, बुखार आदि तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें. साथ ही साथ मौसमी फलों का सेवन करना बेहद लाभकारी होता है. फलों से एनर्जी तो मिलती ही है साथ ही में तरोताजगी भी मिलती है. अपने खानपान पर फोकस की कीजिए और रोगों से दूर रहिए.

मल्टीटास्किंग और बेबी केयर के बीच वर्किंग वुमन ऐसे बनाएं बैलेंस

पुराने समय में, जब संयुक्त परिवार होते थे, परिवार के बुजुर्ग सदस्य माता-पिता की अनुपस्थिति में घर के बच्चों की देखभाल करते थे. लेकिन पिछले कई वर्षों से न्यूक्लियर परिवारो की बढ़ती संख्या के साथ माता- पिता अपने परिवारों से अलग रह रहे हैं और ऐसे में, नई माताओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए और उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अपने करियर से ब्रेक लेने की उम्मीद रखी जाती है.

जब बच्चे के देखभाल और पालन की बात आती है, तो माता पिता की चिंता बढ़ जाती है. यदि माता- पिता दोनों ही कामकाजी हो तो, ऐसे में आपके पास समय और अतिरिक्त सहायता का आभाव हो सकता है. पेरेंट्स अपने काम के रूटीन के कारण अपने शिशु की दिनचर्या को बैलेंस नहीं कर पाते है, अक्सर नये माता पिता शिशु के लिए नैनी रखते हैं जो हर वक़्त उनकी देखभाल कर सके.

ऐसे में शिशु की देखभाल करने के लिए पेरेंट्स के लिए मल्टी-फंक्शनल व पोर्टेबल प्रोडक्ट्स अत्यंत उपयोगी और सुविधाजनक होते है. फिर चाहे वह बच्चे को सुलाने का समय हो, खिलाना हो, या फिर बच्चे के साथ बाहर की सैर हो. ऐसे प्रोडक्ट्स बच्चे को जरुरी सपोर्ट और आराम प्रदान करते है, और पेरेंट्स को बच्चे को पालने के साथ काम को बैलेंस करने का अवसर भी देते है
घर हो या बाहर, यह वर्किंग पेरेंट्स के लिए मस्ट हैव प्रोडक्ट्स हैं

1. शिशु के लिए स्ट्रोलर –

स्ट्रोलर का सही तरीके से चुनाव करना बहुत आवश्यक है- ना सिर्फ बच्चे के आराम और सुरक्षा के लिए पर माता-पिता की सुविधा के हिसाब से भी. शिशु के स्ट्रोलर की सीट आरामदायक और आसानी से अडजस्टेबल होनी चाहिए. सबल स्ट्रोलर फ्रेम के साथ व्हील पर लगे सस्पेंशन और लॉक्स बच्चे को हर तरह के रास्तों पर सुरक्षित रखते है. एक हाथ से फोल्ड और कॉम्पैक्ट हो जाने वाले स्ट्रोलर पेरेंट्स के लिए बहुत सुविधाजनक होते हैं और उन्हें बच्चे के साथ समय एन्जॉय करने देते हैं.

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2. शिशु का प्लेपेन / पालना-

एक स्मार्ट पालना आपके शिशु और पेरेंट्स दोनों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है. प्लेपेन आपके शिशु के लिए 2 इन 1 प्रोडक्ट है जिसमें शिशु आराम से सो भी सकता है और दिन के समय मे शिशु के खेलने के लिए इस्तेमाल भी हो सकता है. यह उन व्यस्त माता-पिता के लिए अत्यंत सुविधाजनक प्रोडक्ट मे से एक है जिसका जालीदार फैब्रिक शिशु को अत्यधिक आराम प्रदान करने में सहायक होता है और माता पिता इस पैनलिंग के जरिये अपने शिशु पर निगरानी रख सकते है.

3. बेबी कन्वर्टबल चेयर –

यह एक 4 इन 1 समाधान है. आप इसे अपने शिशु की शांतिपूर्ण नींद के लिए एक पालने के रूप में उपयोग कर सकते हैं और खिलोने लगाकर शिशु को व्यस्त भी रख सकते है. आप डाइनिंग टेबल पर अपने साथ शिशु को खाना खिलाने के लिए इसे हाई चेयर के रूप में भी परिवर्तित कर सकते है. और जब शिशु स्वयं खाना शुरू करते हैं, तो यह आसानी से कुर्सी के रूप में भी परिवर्तित की जा सकती है.

4. बेबी हाई चेयर-

खाने के दौरान शांत और आराम से बैठे हुए बच्चे ज्यादा स्वस्थ तरीके से भोजन करते हैं और भोजन का ज्यादा आनंद लेते हैं. बेबी हाई चेयर बच्चे को उचित स्तिथि में रखती है और उन्हें जीवन भर के लिए अच्छी आदतें सिखाती है. हाई चेयर अडजस्टेबल होनी चाहिए जिसे टेबल की हाइट, बच्चे की ग्रोथ और माता -पिता की सुविधा के हिसाब से हाइट और बैकरेस्ट एडजस्ट हो सके. भोजन के बाद हाई चेयर को साफ़ करना और कॉम्पैक्ट फोल्ड करके रखना भी आसान होना चाहिए. 2-इन-1 हाई चेयर के बैकरेस्ट रेकलीन हो जाते हैं और बच्चे को भोजन के बाद आराम से सोने की सुरक्षित जगह मिलती है.

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5. माताओं के लिए ब्रैस्ट फीडिंग पम्पस –

कामकाजी माताओं की सहायता के लिए आजकल मार्किट में ब्रैस्ट फीडिंग पम्प्स भी उपलब्ध हैं जो माताओं को लम्बे समय तक स्तनपान कराने में बहुत उपयोगी हैं. यह माताओं को न केवल ब्रैस्ट मिल्क एक्सट्रेक्ट करने अपितु आसानी से स्टोर करने में भी मदद प्रदान करते हैं ताकि मां की अनुपस्थिति में मां का दूध व उसके गुण शिशु को उपलब्ध हो सकें. ब्रैस्ट पम्प का चुनाव करते समय माताओं को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि ब्रैस्ट पम्प प्रभावी एवं सौम्य ढंग से दूध एक्सट्रेक्ट कर सके और साथ ही माँ के हाथ व बाजू पर प्रेशर न डाले जिससे कि वह लम्बे समय तक शिशु को ब्रैस्ट मिल्क के गुण उपलब्ध करा पाएं.
श्री राजेश वोहरा, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आर्ट्साना ग्रुप, इन एसोसिएशन विद कीको रिसर्च सेण्टर

बच्चों को घर पर बनाएं टेस्टी Waffle

बच्चों को हमेशा दाल रोटी सब्जी के अलावा कुछ खाना होता है और चॉकलेट का स्वाद तो उनके सिर चढ़कर बोलता है. आजकल यूं भी बाजार में चॉकलेट और उससे बने व्यंजनों की भरमार है. उन्हीं में से एक है वोफल जो बाजार में काफी महंगे दाम पर मिलता है परन्तु यह बच्चों को बहुत पसंद आता है. यूं तो Waffle को बनाने के लिए Waffle मेकर की आवश्यकता होती है परन्तु आज हम इसे घर पर ही ब्रेड और चॉकलेट से बनाना बताएंगे. इसे बनाना बहुत आसान तो है साथ ही यह झटपट बन भी जाता है इसके अतिरिक्त घर पर बनाने से यह सस्ता भी पड़ता है. इसलिए जब भी बच्चे दाल रोटी के अलावा कुछ चॉकलेटी खाने की डिमांड करें तो आप उन्हें इस बार वोफल बनाकर खिला सकतीं हैं. तो आइये जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

Waffle

कितने लोंगों के लिए 2
बनने में लगने वाला समय 10 मिनट
मील टाइप वेज

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सामग्री

ब्रेड स्लाइस 3
बटर 1 टीस्पून
डेरी मिल्क चॉकलेट 2
फाइव स्टार चॉकलेट 2
चॉकलेट सॉस 1 टेबलस्पून
चॉकलेट चिप्स 1 टीस्पून
स्ट्राबेरी 2
वनीला आइसक्रीम 2 स्कूप

विधि

ब्रेड के किनारों को काट लें. एक नॉनस्टिक पैन पर बटर लगाकर तीनों ब्रेड स्लाइस को दोनों तरफ से हल्का सुनहरा होने तक सेंके. अब एक स्लाइस के ऊपर डेरी मिल्क को तोड़कर पूरी ब्रेड पर फैला दें, इसके ऊपर दूसरा ब्रेड स्लाइस रखें और ऊपरी सतह पर फाइव स्टार को तोड़कर फैला दें. अब तीसरे ब्रेड स्लाइस से फाइव स्टार वाली ब्रेड को ढक दें और एकदम धीमी आंच पर दबा दबाकर अच्छी तरह सेंके. जब ब्रेड स्लाइस एकदम क्रिस्पी हो जाएं तो एक प्लेट में निकालकर बीच से तिरछा काट लें. दोनों कटे भागों पर ऊपर से वनीला आइस्क्रीम रखकर चॉकलेट चिप्स डालें. स्ट्राबेरी के टुकड़ों से सजाकर बच्चों को एकदम बाजार जैसा वोफल खाने को दें.

नोट-आप अपनी इच्छानुसार किसी भी फ्लेवर की आइसक्रीम और चॉकलेट का प्रयोग कर सकतीं हैं.

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प्रैग्नेंसी में भी स्किन रहे बेदाग

प्रैगनैंसी के दौरान बौडी में तमाम तरह के हारमोनल बदलाव होते हैं, जिन का प्रभाव बौडी पर अलगअलग तरह से पड़ता है. इन बदलाव का सब से ज्यादा प्रभाव स्किन पर पड़ता है, जिस की वजह से झंइयां, स्ट्रैच मार्क्स और पिंपल्स भी पड़ जाते हैं. मगर इन्हें ले कर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय के अंदर यह परेशानी खुद दूर हो जाती है. कई बार स्किन पर होने वाले कुछ बदलाव जैसे झंइयां और स्ट्रैच मार्क्स का प्रभाव स्किन पर रहता है. इस से बचने के लए प्रैगनैंसी के दौरान कुछ केयर करनी जरूर है. इस संबंध में अमरावती अस्पताल, लखनऊ की स्किन और हेयर स्पैशलिस्ट डाक्टर प्रियंका सिंह कहती हैं, ‘‘प्रैगनैंसी जीवन का बहुत खूबसूरत एहसास होता है. इस में स्किन से जुड़ी कुछ परेशानियां होती हैं. मगर इन्हें ले कर किसी तरह का तनाव लेने की जरूरत नहीं होती है. थोड़ी सी केयर और डाक्टर की सलाह से इन परेशानियों से बचा जा सकता है.’’

पिंपल्स से डरें नहीं

प्रैगनैंसी का स्किन पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है. इस दौरान स्किन में चमक आती है. पिंपल्स होने से स्किन पर निशान पड़ जाते हैं. किशोरावस्था की तरह कई महिलाओं को प्रैगनैंसी में भी पिंपल्स होने लगते हैं. ऐसा हारमोन का स्तर घटनेबढ़ने के कारण होता है. प्रैगनैंसी के शुरुआती महीनों में ऐसा होने की संभावना ज्यादा रहती है.

अगर पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान पिंपल्स होते हैं, तो बहुत संभव है कि प्रैगनैंसी के दौरान भी हों. अत: इन से बचने  के लिए लैक्टिक ऐसिड और ट्री औयल का इस्तेमाल करें. प्रैगनैंसी के दौरान चेहरे और स्किन पर झंइयां और दागधब्बे भी हो सकते हैं. हारमोन बढ़ने के कारण स्किन पर तिल, निप्पल आदि भी ज्यादा गहरे रंग के दिखने लगते हैं. धूप में निकलने से यह समस्या और बढ़ सकती है. वैसे तो कुछ महिलाओं में डिलिवरी के बाद ये धब्बे अपनेआप हलके हो जाते हैं, मगर कुछ के साथ ऐसा नहीं होता. अत: जब भी वे बाहर निकलें तो कम से कम 30 एसपीएफ का सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

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प्रैगनैंसी में स्किन के रूखेपन के लिए व उसे नम और चिकनी बनाए रखने के लिए मौइस्चराइजर का प्रयोग करें. इस से स्किन पर झर्रियां नहीं पड़ेंगी और वह जवां दिखाई देगी.

मौइस्चराइजर प्रैगनैंसी में स्किन की नमी को बढ़ा नहीं सकता, पर उस की कुदरती नमी को बनाए रख सकती हैं. अपनी स्किन के अनुरूप ब्यूटी प्रोडक्ट्स चुनें और जरूरी हो तो प्रैगनैंसी के दौरान अपनी स्किन के अनुसार उन्हें बदलें. प्रैगनैंसी के दौरान पूरे 9 महीने स्किन एकजैसी नहीं रहती. इसलिए उस में आए बदलाव के अनुसार क्रीम का भी प्रयोग करें. इस संबंध में डाक्टर से सलाह भी लेती रहें.

कई महिलाओं को प्रैगनैंसी के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत रहती है, जिस की वजह से उन्हें नींद लेने में तकलीफ होती है. पूरी नींद न लेने के कारण भी स्किन पर प्रभाव पड़ता है. अच्छी नींद के लिए सोने से पहले सिर या पूरे शरीर की मालिश फायदेमंद रहती है.

प्रैगनैंसी के दौरान पड़ने वाली झंइयों से बचने के लिए अपनी डाइट का भी ध्यान रखें. झंइयों को स्थाई रूप से ठीक करने के लिए लेजर ट्रीटमैंट ही कारगर होता है. किसी अच्छी डीप पिगमैंटेशन क्रीम का नियमित प्रयोग करने से भी लाभ हो सकता है.

स्ट्रैच मार्क्स हो जाना

झंइयां की ही तरह महिलाओं को पेट और स्तनों पर प्रैगनैंसी के दौरान स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं. कुछ महिलाओं को जांघों, कूल्हों और हाथों पर भी स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं. ये कभी नहीं जाते. हां, समय के साथ हलके जरूर हो जाते हैं. प्रैगनैंसी में पड़ने वाले स्ट्रैच मार्क्स से बचने के लिए गर्भ के चौथे महीने से विटामिन ई औयल नियमित पेट व पेडू पर हलके हाथों से लगाएं स्ट्रैच मार्क्स कम होंगे.

नसों का उभरना

कई महिलों में प्रैगनैंसी के दौरान नसों के उभर आने की समस्या होती है. पैरों, चेहरे, गरदन और हाथों पर आमतौर पर यह समस्या होती है. कुछ महिलाओं को नसों में सूजन और चेहरे के लाल होने जैसी समस्याएं भी होती हैं. कुछ महिलाओं की स्किन प्रैगनैंसी में रूखी और संवेदनशील हो जाती है. इसे घर पर ही उपचार कर के ठीक किया जा सकता है.

कुछ महिलाओं में खासकर जो ठंडी  जगहों पर रहती हैं उन में प्रैगनैंसी में ज्यादा हारमोन बनने से पैरों में अस्थाई तौर पर दाग  हो जाते हैं. इस से स्किन का रंग खराब हो जाता है, आमतौर पर बच्चे के जन्म के बदा ठीक हो जाता है.

मेकअप में छिपा सकती हैं ये निशान

प्रैगनैंसी के दौरान इस तरह के निशान पड़ने से सुंदरता प्रभावित न हो इस से बचने के लिए मेकअप का सहारा लिया जा सकता है. मेकअप आर्टिस्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘प्रैगनैंसी में स्किन केयर के साथ ही साथ मेकअप करने में भी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी मेकअप प्रोडक्ट का स्किन पर गलत प्रभाव न पड़े. नारियल के तेल से स्किन की नियमित मालिश करें. हमेशा सोने से पहले मेकअप उतार लें.

ऐसा न करने से स्किन के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिस से उस पर दागधब्बे पड़ जाते हैं. हर  रोज रात को चेहरे को अच्छी तरह साफ करे ताकि उस पर मेकअप का कोई निशान, मैल,  धूल आदि न रहे.

सुबह मेकअप करने से पहले क्लींजिंग करें ताकि स्किन तरोताजा, साफसुथरी और चिपचिपाहट रहित रहे क्लींजिंग के बाद हलका टोनर इस्तेमाल करें. ताकि स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाएं और क्लींजर का निशान न रहे. इस से आप की स्किन स्वच्छ रहेगी.

प्रैग्नेंट महिलाओं के हारमोन में  अनेक उतारचढ़ाव होते हैं, जो उन की स्किन  को संवेदनशील बनाते हैं. परिणामस्वरूप उन  की स्किन पर पिगमैंटेशन होने का खतरा बढ़  जाता है.

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प्रैग्नेंसी में स्किन संबंधी समस्याओं का कारण गलत आहार लेना और सही देखभाल न करना भी होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान भोजन में पर्याप्त ताजे फल, सब्जियां, साबूत अनाज, वनस्पति तेल, सेम, दालें, अंडा, दूध, पनीर, मछली आदि शामिल करें. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. इस से भी स्किन का रंग साफ होता है. प्रैगनैंसी में जो भोजन  करती हैं, उस का सीधा असर स्किन पर पड़ता है. ऐसे में प्रैगनैंसी में डाइट ऐसी हो, जो स्किन को हैल्दी बनाए.

विटामिन से स्किन की देखभाल

प्रैग्नेंसी में स्वस्थ और सुंदर स्किन के लिए विटामिन लेनी बहुत जरूरी होते हैं. विटामिन ‘ए’ की कमी से स्किन रूखी हो जाती है. इस से धारियां पड़ जाती हैं और स्किन के छिद्र बड़े हो जाते हैं. फल, सब्जियां, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली का तेल, अंडे और कलेजी विटामिन ‘ए’ के अच्छे स्रोत हैं. विटामिन ‘बी’ से रक्त प्रवाह बढ़ता है. यह अतिरिक्त चिकनाहट को कम करता है.

स्किन की अधिकांश समस्याओं की जड़ विटामिन ‘बी’ की कमी होती है. साबुत अनाज, कलेजी, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, अंडा आदि विटामिन ‘बी’ के अच्छे स्रोत हैं.

स्वस्थ, चमकदार व सुंदर स्किन के लिए विटामिनट ‘सी’ जरूरी होता है. इस के इस्तेमाल से स्किन ढीली नहीं होती, बल्कि जवां बनी रहती है. खट्टे फल, स्ट्राबैरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और भुने आलू विटामिन ‘सी’ के अच्छे स्रोत हैं. विटामिन ‘ई’ की कमी से स्किन में असमय झुर्रियां पड़ जाती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियों, साबूत अनाज और वनस्पति तेलों में विटामिन ‘ई’ पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. विटामिनों के साथसाथ कुछ खनिजपदार्थ भी स्किन की कुदरती खूबसूरती को बढ़ाने में मदद करते हैं.

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