साइकिल चलाएं और सेहत पाएं

साइकिल के प्रति दीवानापन फिर से बढ़ता जा रहा है. कुछ साल पहले जहां लोग साइकिल से चलने में अपने को हीन समझतेे थे, वहीं अब जिनके घरों में लक्जरी कारें हैं वो भी साइकिल चला रहे हैं. युवा वर्ग में लड़के जहां चुस्त रहने के लिए साइकिल चला रहे हैं, वहीं युवतियां काया को छरहरी बनाने के लिए साइकिल का  उपयोग कर रही हैं. इसके अलावा लोग अपनी सेहत को मजबूत करने के लिए भी साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं. तो आइए हम बताते हैं साइकिल चलाने के फायदे. इन फायदों को जानने के बाद भी आप भी हैरान हो जाएंगे कि बस तीस मिनट  साइकिल चलाने से शरीरिक, मानसिक के अलावा, आत्मविश्वास  भी बढ़ता है.

ये हैं फायदे

1. अगर आप प्रतिदिन दो किमी या 30 मिनट तक साइकिल चलाते हैं तो ज्यादा समय तक जवान दिखेंगे. इसका कारण यह है कि रक्त संचरण बेहतर होता है और स्फूर्ति दिनों दिन बढ़ती जाती है .

2. आधे घंटे तक साइकिल चलाने से शरीर के सभी अंग एक्टिव हो जाते हैं एेसे में रात को बेहतरीन नींद आती है.

3. आधा घंटा साइकिल चलाने से बॉडी की इम्यून सेल्स ज्यादा एक्टिव होती हैं और लोग कम बीमार पड़ते हैं.

4. साइकिल चलाने से शरीर की तमाम मांस पेशियाँ स्वस्थ और मजबूत हो जाती हैं.और इससे आंतरिक आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

5. साइकित चलाने से दिमागी ताकत तेज होती है, निरंतर साइकिल चलाने वालों की निर्णय क्षमता पर गौर कीजिये यह सामान्य लोगों से अधिक ही होती है.

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6. आधे घंटे साइकिल चलाने से व्यक्ति इतनी कैलोरी नष्ट करता है कि उसके शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा कम हो जाती है.

7. नियमित रूप से साइक्लिंग करने से इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैरोलाइना में एक रिसर्च के बाद पाया गया कि जो लोग सप्ताह में कम से कम पांच दिन आधा घंटा साइकिल चलाते हैं, उनके बीमार पड़ने की संभावना 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में साइकिल चलाना बहुत लाभदायक है .

8. साइकिल चलाते समय दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं, जिससे शरीर में रक्तसंचार ठीक हो जाता है. इसके चलते दिल के दौरे जैसी समस्याएं नहीं आतीं. दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियां होने का ख़तरा काफ़ी कम हो जाता है.

9. विभिन्‍न अध्ययनों में पाया गया है कि नियमित रूप से साइकिल चलानेवाले तनाव और अवसाद का शिकार दूसरों की तुलना में काफ़ी कम होते हैं.

10. साइक्लिंग करने से ब्‍लड सेल्‍स और स्‍किन में ऑक्‍सीजन की पर्याप्‍त आपूर्ति होती है. इससे आपकी त्‍वचा ज्‍यादा अच्‍छी और चमकदार दिखती है. आम हमउम्र लोगों की तुलना में अधिक जवां दिखते हैं.सिर्फ़ जवां दिखते ही नहीं, आपका शरीर वास्तव में और जवां बन जाता है. आप महसूस कर सकते हैं कि स्टैमिना बढ़ गया है और शरीर में नई ऊर्जा और ताक़त आ गई है.

11. जो लोग साइक्लिंग के मुरीद हैं उनके पैर और तलवे काफ़ी मज़बूत होते हैं,  दरअसल, साइक्लिंग से पैरों की अच्छी एक्सरसाइज़ हो जाती है. वैसे देखा जाए तो साइक्लिंग से पूरे शरीर का अच्छा व्यायाम हो जाता है.

12. साइक्लिंग का एक बड़ा फ़ायदा यह भी है कि इससे शरीर के सभी अंगों के बीच अच्छा समन्वय स्थापित हो जाता है. हाथ, पैर, आंखें इन सभी के बीच अच्छा कॉर्डिनेशन होना शरीर के ओवरऑल संतुलन को बेहतर करता है. इतना ही नहीं, यदि आपको बाइक या स्कूटी चलाना सीखना है तो साइक्लिंग की जानकारी आपके बड़े काम आ सकती है.साइकिल चलाने से मन मे यह अपार खुशी बनी रहती है कि पर्यावरण के  हित में काम किया और जो भी योगदान दिया वह प्रकृति के  अनुकूल है .  यानि साइकिल चलाने का एक अर्थ यह भी हुआ कि हम अपनी धरती को प्रेम करते हैं .

कैसी साइकिल खरीदें:

साइकिल कैसी हो यह भी एक महत्त्वपूर्ण पहलू है . अगर रोजाना साइक्लिंग करते हैं तो कुछ इस तरह की  साइकिल खरीदें , जिससे लंबी दूरी तक साइकिल चलाने के बावजूद थकान नहीं होती है .

अगर आप अपनी दिनचर्या में हर काम साइक्लिंग से ही पूरा करना चाहते हैं और अपने इस शौक को पूरा करने के लिए एक साइकिल खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. शोरूम में कई तरह की फैंसी साइकिल होती हैं, जिसकी चकाचौंध में लोग ऐसा खोते हैं कि अपनी जरूरतों को पीछे छोड़कर महंगी साइकिल खरीद लेते हैं. इससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है. आमतौर पर बाजार में चार से पांच तरह की साइकिल होती हैं. कौन सी साइकिल खरीदनी है, ये उसके मकसद पर निर्भर है. सड़क पर चलानी है या पार्क में दो घंटे या चार घंटे बाजार मे काम है  या  ऊंचे नीचे पहाड़ों में. रेसिंग करनी है या नॉर्मल साइक्लिंग करनी है.

रोड बाइक

इसे रेसिंग साइकिल भी कहते हैं. यह बहुत ही हल्की होती है और इसके पहिए पतले होते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल वे लोग करते हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा साइक्लिंग करनी होती है. खासतौर पर जो प्रोफेशनल साइक्लिस्ट होते हैं. इस साइकिल से कुछ ही घंटे में सौ से सवा सौ किमी की दूरी तय की जा सकती है. इसकी कीमत तीस हजार रुपये से शुरू होकर लाखों में है. हालांकि इसका रखरखाव भी काफी महंगा है. रेसिंग वर्कआउट में यह साइकिल सबसे मुफीद मानी जाती है. ये बाइक बाहर से आती हैं. अधिकतर साइकिलें चीन व वियतनाम से आती हैं. हालांकि इस समय इसकी काफी लंबी वेटिंग चल रही है. यदि आज बुक करवाते हैं तो अगले साल तक आपके पास पहुंच पाएगी. यदि आप शहर में रहते हैं और रोजाना बीस से तीस किलोमीटर तक साइक्लिंग करना चाहते हैं तो ये साइकिल आपके लिए नहीं है. लेकिन रोजाना सौ किलोमीटर तक चलाना चाहते हैं तो आप इसे खरीद सकते हैं. इनकी बनावट ऐसी होती है कि लंबी दूरी तक साइकिल चलाने के बावजूद व्यक्ति में थकान नहीं होती.

मोटे टायर वाली साइकिल

आजकल यह साइकिल काफी ट्रेंड में है. मोटे टायर होने की वजह से इसे फैट टायर बाइक भी कहते हैं. आमतौर इसका इस्तेमाल रेतीली और बर्फीली जगहों पर किया जाता है. उन जगहों पर यह बहुत अच्छी चलती हैं. आम सड़क पर यह बाइक सक्सेसफुल नहीं होती. दरअसल इन बाइक को सड़क पर चलाने में काफी ताकत लगानी पड़ती है. छोटी दूरी के लिए ये साइकिलें चल जाती हैं. हालांकि किसी को वजन कम करना है तो वह इस साइकिल को खरीद सकता है. बाजार में इसकी कीमत 10 से 20 हजार के बीच है. देखने में यह बहुत ही खूबसूरत लगती है और इसे लेकर निकलने पर सभी की नजरें इस पर टिक जाती है. स्कूल जाने वाले बच्चों में इसे लेकर काफी उत्सुकता होती है.

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माउंटेन साइकिल : इसको कहीं भी चला सकते हैं

ये साइकिलें सबसे ज्यादा बिकती हैं. आमतौर पर रोजाना साइक्लिंग करने वाले इसी का इस्तेमाल करते हैं. ये साइकिल सड़क के साथ-साथ पहाड़ों व पगडंडी वाली जगहों पर भी खूब अच्छी चलती हैं. अच्छी पकड़, आरामदायक व गेयर की वैराइटी होने के कारण लोग इसे सबसे ज्यादा तवज्जो देते हैं. इसे एडवेंचर वाली साइकिल भी कहते हैं. इसके टायर भी मोटे होते हैं. इस साइकिल को चंडीगढ़ की साइकिल ट्रैक के साथ आसपास पहाड़ी व गांवों के रास्तों पर भी आराम से चला सकते हैं. हालांकि जो साइक्लिंग की शुरुआत करना चाहते हैं, वे इसे धैर्यपूर्वक चलाएं. खासकर पहाड़ी रास्तों में, क्योंकि इसमें बैलेंसिंग या डिस्क ब्रेक तेजी से लगाया तो गिरने का खतरा रहता है. इसके ब्रेक भी दो उंगुलियों के बजास सिर्फ एक उंगुली से दबाए जाते हैं. एडवेंचर्स रास्तों के लिए यह सबसे आइडियल साइकिल मानी जाती है. इसमें गेयर और बिना गेयर दोनों तरह के विकल्प मौजूद है. इसकी कीमत करीब दस से बीस हजार रुपये के बीच में होती है.

जब आप अपने लिए कालोनी आदि में हल्की सैर की साइकिल खरीदते हैं, तो उन्हें टायर की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. टायरों में एक स्पष्ट पैटर्न होना चाहिए और आंतरिक ट्यूब अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए. इस तरह, पहली बार साइकिल पर सवार होने पर आपको गिरने और साइकिल  को बार- बार  गिरने से बचा सकता है, और आंतरिक ट्यूब की गुणवत्ता साइकिल की सवारी करते समय टायर को विस्फोट से रोक सकती है. विशेष रूप से गर्म गर्मी में, एक्सपोजर आसानी से टायर विस्फोट का कारण बन सकता है, इसलिए शुरुआती साइकिल सवार को टायर के बारे में पूछने और पूछने के लिए ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा,  साइकिल पर सवारी करने से पहले, चालक को यह जांचना चाहिए कि साइकिल के टायर अच्छे हैं, चाहे गैस हो, गैस न हो, तो यह सुनिश्चित करने के लिए समय में फुलाया जाना चाहिए कि टायर सामान्य स्थिति में हैं.

रागविराग: भाग 1- कैसे स्वामी उमाशंकर के जाल में फंस गई शालिनी

विकास की दर क्या होती है, यह बात सुलभा की समझ से बाहर थी. वह मां से पूछ रही थी कि मां, विकास की दर बढ़ने से महंगाई क्यों बढ़ती है? मां, बेरोजगारी कम क्यों नहीं होती? मां यानी शालिनी चुप थी. उस का सिरदर्द यही था कि उस ने जब एम.ए. अर्थशास्त्र में किया था, तब इतनी चर्चा नहीं होती थी. बस किताबें पढ़ीं, परीक्षा दी और पास हो गए. बीएड किया और अध्यापक बन गए. वहां इस विकास दर का क्या काम? वह तो जब छठा वेतनमान मिला, तब पता लगा सचमुच विकास आ गया है. घर में 2 नए कमरे भी बनवा लिए. किराया भी आने लगा. पति सुभाष कहा करते थे कि एक फोरव्हीलर लेने का इरादा है, न जाने कब ले पाएंगे. पर दोनों पतिपत्नी को एरियर मिला तो कुछ बैंक से लोन ले लिया और कार ले आए. सचमुच विकास हो गया. पर शालिनी का मन अशांत रहता है, वह अपनेआप को माफ नहीं कर पाती है.

जब अकेली होती है, तब कुछ कांटा सा गड़ जाता है. सुभाष, धीरज की पढ़ाई और उस पर हो रहे कोचिंग के खर्च को देख कर कुछ कुढ़ से जाते हैं, ‘‘अरे, सुलभा की पढ़ाई पर तो इतना खर्च नहीं आया, पर इसे तो मुझे हर विषय की कोचिंग दिलानी पड़ रही है और फिर भी रिपोर्टकार्ड अच्छा नहीं है.’’

‘‘हां, पर इसे बीच में छोड़ भी तो नहीं सकते.’’

सुलभा पहले ही प्रयास में आईआईटी में आ गई थी. बस मां ने एक बार जी कड़ा कर के कंसल क्लासेज में दाखिला करा दिया था. पर धीरज को जब वह ले कर गई तो यही सुना, ‘‘क्या यह सुलभा का ही भाई है?’’

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‘‘हां,’’ वह अटक कर बोली. लगा कुछ भीतर अटक गया.

‘‘मैडम, यह तो ऐंट्रैंस टैस्ट ही क्वालीफाई नहीं कर पाया है. इस के लिए तो आप को सर से खुद मिलना होगा.’’

सुभाषजी हैरान थे. भाईबहन में इतना अंतर क्यों आ गया है? हार कर उन्होंने उसे अलगअलग जगह कोचिंग के लिए भेजना शुरू किया. अरे, आईआईटी में नहीं तो और इतने प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज खुल गए हैं कि किसी न किसी में दाखिला तो हो ही जाएगा.

हां, सुलभा विकास दर की बात कर रही थी. वह बैंक में ऐजुकेशन लोन की बात करने गई थी. उस ने कैंपस इंटरव्यू भी दिया था, पर उस का मन अमेरिका से एमबीए करने का था. बड़ीबड़ी सफल महिलाओं के नाम उस के होस्टल में रोज गूंजते रहते थे. हर नाम एक सपना होता है, जो कदमों में चार पहिए लगा देता है. बैंक मैनेजर बता रहे थे कि लोन मिल जाएगा फिर भी लगभग क्व5 लाख तो खुद के भी होने चाहिए. ठीक है किस्तें तो पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शुरू होंगी. फीस, टिकट का प्रबंध लोन में हो जाता है, वहां कैसे रहना है, आप तय कर लें.

रात को ही शालिनी ने सुभाष से बात की.

‘‘पर हमें धीरज के बारे में भी सोचना होगा,’’ सुभाष की राय थी, ‘‘उस पर खर्च अब शुरू होना है. अच्छी जगह जाएगा तो डोनेशन भी देना होगा, यह भी देखो.’’

रात में सुलभा के लिए फोन आया. फोन सुन कर वह खुशी से नाच उठी बोली, ‘‘कैंपस में इंटरव्यू दिया था, उस का रिजल्ट आ गया है, मुझे बुलाया है.’’

‘‘कहां?’’

‘‘मुंबई जाना होगा, कंपनी का गैस्टहाउस है.’’

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‘‘कब जाना है?’’

‘‘इसी 20 को.’’

‘‘पर ट्रेन रिजर्वेशन?’’

‘‘एजेंट से बात करती हूं, मुझे एसी का किराया तो कंपनी देगी. मां आप भी साथ चलो.’’

‘‘पर तुम्हारे पापा?’’

‘‘वे भी चलें तो अच्छा होगा, पर आप तो चलो ही.’’

सुभाष खुश थे कि चलो अभी बैंक लोन की बात तो टल गई. फिर टिकट मिल गए तो जाने की तैयारी के साथ सुलभा बहुत खुश थी.

सुभाष तो नहीं गए पर शालिनी अपनी बेटी के साथ मुंबई गई. वहां कंपनी के गैस्टहाउस के पास ही विशाल सत्संग आश्रम था.

‘‘मां, मैं तो शाम तक आऊंगी. यहां आप का मन नहीं लगे तो, आप पास बने सत्संग आश्रम में हो आना. वहां पुस्तकालय भी है. कुछ चेंज हो जाएगा,’’ सुलभा ने कहा तो शालिनी सत्संग का नाम सुन कर चौंक गई. एक फीकी सी मुसकराहट उस के चेहरे पर आई और वह सोचने लगी कि वक्त कभी कुछ भूलने नहीं देता. हम जिस बात को भुलाना चाहते हैं, वह बात नए रूप धारण कर हमारे सामने आ जाती है.

उसे याद आने लगे वे पुराने दिन जब अध्यात्म में उस की गहरी रुचि थी. वह उस से जुड़े प्रोग्राम टीवी पर अकसर देखती रहती थी. उस के पिता बिजनैसमैन थे और एक वक्त ऐसा आया था जब बिजनैस में उन्हें जबरदस्त घाटा हुआ था. उन्होंने बिजनैस से मुंह मोड़ लिया था और बहुत अधिक भजनपूजन में डूब गए थे. उस के बड़े भाई जनार्दन ने बिजनैस संभाल लिया था. वहीं सुभाष से उन की मुलाकात और बात हुई. उस के विवाह की बात वे वहीं तय कर आए. उसे तो बस सूचना ही मिली थी.

तभी वह एक दिन पिता के साथ स्वामी उमाशंकर के सत्संग में गई थी. उन्हें देखा था तो उन से प्रभावित हुई थी. सुंदर सी बड़ीबड़ी आंखें, जिस पर ठहर जाती थीं, वह मुग्ध हो कर उन की ओर खिंच जाता था. सफेद सिल्क की वे धोती पहनते थे और कंधे तक आए काले बालों के बीच उन का चेहरा ऐसा लगता था जैसे काले बादलों को विकीर्ण करता हुआ चांद आकाश में उतर आया हो.

शालिनी के पिता उन के पुराने भक्त थे. इसलिए वे आगे बैठे थे. गुरुजी ने उस की ओर देखा तो उन की निगाहें उस पर आ कर ठहर गईं.

शालिनी का जब विवाह हुआ, तब उस के भीतर न खुशी थी, न गम. बस वह विवाह को तैयार हो गई थी. पिता यही कहते थे कि यह गुरुजी का आशीर्वाद है.

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विवाह के कुछ ही महीने हुए होंगे कि सुभाष को विशेष अभियान के तहत कार्य करने के लिए सीमावर्ती इलाके में भेजा गया. शालिनी मां के घर आ गई थी.

तभी पिता ने एक दिन कहा, ‘‘मैं सत्संग में गया था. वहां उमाशंकरजी आने वाले हैं. वे कुछ दिन यहां रहेंगे. वे तुम्हें याद करते ही रहते हैं.’’

आगे पढ़ें- उस की आंखों में हलकी सी चमक आई.

Bigg Boss 15 में आने से पहले छाईं ‘नागिन’ एक्ट्रेस Adaa Khan, Photos Viral

‘बिग बॉस’ का 14वां सीजन खत्म हो चुका है. हालांकि इसके साथ ही 15वें सीजन के कंटेस्टेंट्स को लेकर खबरें आना शुरु हो गई है. दरअसल, नागिग फेम एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन की तरह एक और एक्ट्रेस नजर आने वाली है. खबरों की मानें तो बिग बॉस 14 के मेकर्स ने नागिन फेम अदा खान को सीजन 15 (Bigg Boss 15) के लिए अप्रोच किया गया है. हालांकि अभी तक कोई कंफर्मेशन नही मिला है. इसी बीच अदा खान के कुछ लुक्स सोशलमीडिया पर छा गए हैं, जिसे देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अदा खान की वायरल फोटोज…

लाल साड़ी में छाया जलवा

अदा खान का जलवा उनकी इंस्टाग्राम फोटोज को देखकर लगाया जा सकता है. नागिन एक्ट्रेस के लुक्स इन दिनों सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. उन्हीं में से एक है अदा खान की नेट पैटर्न वाली रेड साड़ी, जिसमें उनका लुक खूबसूरत लग रहा है. इसके साथ फ्लावर पैटर्न वाले मैचिंग इयरिंग्स अदा खान के लुक्स पर चार चांद लगा रहे हैं.

 

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शरारा में लगती हैं खूबसूरत

 

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शरारा इन दिनों बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेसेस के बीच छाया हुआ है. हर कोई शादी हो या कोई फंक्शन शरारा ट्राय करना पसंद करते हैं. इसी बीच अदा खान का ये रेड कलर को हैवी एम्ब्रौयडरी वाला शरारा बेहद खूबसूरत लग रहा है. इस लुक के साथ हैवी झुमके बेहद अच्छा कौम्बिनेशन लग रहा है.

अदा खान का ये लुक है खास

 

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लाइट पिंक कलर की प्रिंटेड लौंग स्कर्ट के साथ डार्क पिंक कलर का रफ्फल टौप अदा खान के लुक पर चार चांद लगा रहा है, जिसे पार्टी में आसानी से कैरी किया जा सकता है.

ड्रैस में लगती हैं हौट

 

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अदा खान के ड्रैसेस कलेक्शन की बात करें तो उनके लुक्स काफी स्टाइलिश और हौट लगते हैं. शिमरी पैटर्न वाला अदा खान की स्लिट पैटर्न ड्रैस उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है.

 

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Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 1

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

आज सुबह उठते ही अनुज ने यह तय कर लिया था कि वह औफिस नहीं जाएगा, बस पूरे दिन आराम करेगा या कोई अच्छी सी साहित्यिक पत्रिका पढ़ेगा. इस से थोड़ा मानसिक तनाव कम हो जाएगा, यही सोच कर उस ने सब से पहले अपने सीनियर और सहकर्मी दोनों को ही मैसेज कर दिया और फिर अनमने मन से चाय बनाने की तैयारी करने लगा.

अनुज को किचन में जाना बिलकुल पसंद नहीं था. जब तक कोमल उस के साथ थी, वह शायद ही कभी किचन में गया था, पर उस के जाने के बाद से उस के पास किचन में न जाने का कोई विकल्प नहीं था.

पिछ्ले 5 महीनों से वह लंच कैंटीन में और डिनर पास के होटल में कर लेता था, पर चाय या कुछ लाइट स्नैक्स के लिए किचन में आना उस की मजबूरी थी.

अनुज जब बहुत छोटा था, तभी उस के मातापिता का देहांत एक सड़क दुर्घटना में हो गया था और उस की परवरिश उस की बूआ ने की थी, जो उसे बहुत प्यार करती थी, इसलिए वहां उस के जिम्मे कोई काम नहीं था. फिर कालेज और आगे की पढ़ाई उस ने होस्टल में रह कर की थी, जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं. ऐसे में न तो उसे कोई काम करने का मौका मिला और न ही उस ने कभी ऐसी रुचि दिखाई.

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नौकरी शुरू करने के कुछ ही दिन बाद कोमल उस की जिंदगी में आ गई, फिर तो मानो उस की जिंदगी में पर लग गए…

वह इन्हीं खयालों में डूबा था कि अचानक उस के मोबाइल की घंटी बजी. फोन औफिस से ही था. उस ने फोन उठा लिया और बातें करने लगा. बातचीत लंबी चली और जब बात खत्म हुई, तब तक आधी चाय उबल कर नीचे आ चुकी थी. उसे बहुत गुस्सा आया और चाय पीने का मूड जाता रहा. तभी उसे खयाल आया कि अगर अभी कोमल यहां होती तो अब तक उसे दोबारा चाय मिल चुकी होती…

कोमल का खयाल आते ही वह गुस्से से भर गया. बेमन से उस ने टैलीविजन चालू कर दिया और अपने पसंदीदा चैनल की खोज में फटाफट चैनल बदलने लगा. तभी उसे याद आया कि वह जब भी ऐसा करता था तो कोमल उसे डांट दिया करती थी.

“क्या कर रहे हो, न खुद कुछ देखते हो और न दूसरों को देखने देते हो, मुझे पता है कि तुम गुस्से में हो, पर अपना गुस्सा इस पर क्यों निकाल रहे हो, कुछ खराब हो जाएगा तो बिना मतलब ही खर्च करना पड़ जाएगा. लाओ रिमोट… मुझे दो,” और वह रिमोट उस के हाथ से ले लिया करती थी.

“तुम्हें कैसे पता कि मैं गुस्से में हूं?”

“मुझे सब पता चल जाता है,” यह कह कर वह जोर से हंस दिया करती थी. उस की हंसी में मेरा गुस्सा न जाने कहां चला जाता था.

आज पता नहीं क्यों उसे कोमल की याद बारबार आ रही थी. वह उसे चाह कर भी भूल नहीं पा रहा था. अचानक उस के जेहन में कोमल से हुई उस की पहली मुलाकात का पूरा दृश्य किसी फिल्म की तरह घूमने लगा.

अनुज को एमबीए करते ही मुंबई की एक नामचीन एमएनसी में नौकरी मिल गई थी, और उस की कंपनी ने उसे रहने की सुविधा भी दे रखी थी, इसलिए वह बिलकुल टेंशन फ्री था. उस की बूआ भी यह जान कर बहुत खुश थीं क्योंकि मुंबई में मूल समस्या रहने की ही होती है.

अनुज को फ्लैट अंधेरी में मिला हुआ था और उस का औफिस नरीमन पाइंट में था और दोनों ही लोकेशन ऐसे थे कि उसे आनेजाने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी.

अनुज अपने व्यवहार और कुशल कार्यशैली के कारण कुछ ही समय में अपनी कंपनी में काफी लोकप्रिय हो गया था. उस की बौस उस के परफार्मेंस का उदाहरण दूसरों को दिया करती थीं.

एक दिन उस के बौस ने उसे बताया कि उस की कंपनी एक नया प्रोडक्ट लौंच करने वाली है, जिस की मार्केटिंग टीम को उसे ही लीड करना है. साथ ही, उस ने यह भी कहा कि उसे उस ऐड कंपनी से भी कोआर्डिनेट करना होगा, जिसे उस प्रोडक्ट का विज्ञापन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है, ताकि सबकुछ दिए गए टाइम फ्रेम में हो सके.

यह सुन कर अनुज बहुत खुश हुआ और इस ने यह जानकारी अपनी बूआ को भी दी.

अगले दिन ही उसे ऐड कंपनी के औफिस जाने को कहा गया, जो अंधेरी में ही था, जहां उसे टीम लीडर कोमल शर्मा से मिलना था. साथ ही, उस की बौस ने उसे कोमल का नंबर भी दे दिया, ताकि औफिस ढूंढ़ने में अगर कोई परेशानी हो तो वह उस से बात कर सके.

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अनुज लंच के बाद अपने औफिस से निकला और बड़ी आसानी से ऐड कंपनी के औफिस में पहुंच गया. कुछ देर इंतजार करने के बाद औफिस ब्वाय ने उसे मीटिंग रूम तक पहुंचा दिया.

मीटिंग में कोमल के अलावा 2 और लोग थे पारुल और नवनीत, एक आम परिचय के बाद ऐड कैंपेन पर लंबी बातचीत चली. बीचबीच में अनुज अपनी बौस को भी अपडेट करता रहा.

टी ब्रेक में थोड़ी पर्सनल बातचीत भी हुई. अनुज ने अपने बारे में विस्तार से बताया और यह भी कहा कि वह इस प्रोजैक्ट को ले कर काफी उत्साहित है और यह चाहता है कि यह पूरी तरह से सफल हो जाए.

कोमल ने भी उसे एश्योर किया कि उस की पूरी टीम अपना बेस्ट देगी, भले ही हमें शार्ट नोटिस पर ही मिलना क्यों न पड़े.

अनुज ने धीरे से कहा कि वह बैचलर है, इसलिए उसे लेट सीटिंग से भी कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि वह अंधेरी में ही रहता है.

इस पर कोमल ने मुसकराते हुए कहा कि बैचलर तो वह भी है और अंधेरी में ही रहती है. अगर जरूरत पड़ती है तो वह भी लेट सीटिंग को तैयार है.

उस दिन मीटिंग काफी देर तक चली. कोमल भी उस के साथ ही औफिस से निकली. दोनों कुछ दूर तक साथ ही रहे.

कोमल ने उसे बताया कि वह मूल रूप से राजस्थान की है, पर वह बौर्न ऐंड ब्रेट अप यहीं की है. उस के पापा का यहां अपना बिजनेस है.

अनुज ने भी उसे अपने बारे में बताया और फिर दोनों अलगअलग आटो ले कर निकल गए.

घर पहुंच कर अनुज बहुत देर तक इस प्रोजैक्ट के बारे में सोचता रहा. अगर वह इस में सफल हो जाता है तो जाहिर है, उस के कैरियर को अच्छा ग्रोथ मिल सकता है. उसे कोमल भी काफी अच्छी लगी. अपने काम की एक्सपर्ट, सुलझी हुई, मिलनसार और विनम्र भी, ठीक वैसी ही जैसी वह लाइफ पार्टनर चाहता है. उसे खुद पर हंसी भी आ गई, क्याक्या सोच लिया उस ने.

दूसरे दिन औफिस पहुंच कर उस ने अपनी बौस को पूरी जानकारी दी और उन्होंने अनुज के काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बाकी चीजों को छोड़ कर अभी सिर्फ इस प्रोजैक्ट पर ध्यान दे, क्योंकि कंपनी इसे अगले महीने ही बाजार में लाना चाहती है और इस के लिए अगर उसे हफ्तेभर अंधेरी में ही बैठना पड़े तो भी चलेगा, पर काम समय से पहले पूरा हो जाना चाहिए.

अनुज ने उन्हें बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैडम, प्लीज ट्रस्ट मी, आप ने जो ट्रस्ट मेरे ऊपर किया है, उसे कभी टूटने नहीं दूंगा, मेरे लिए भी यह एक चैलेंज की तरह है, जिसे मैं सही तरीके से अंजाम तक पहुंचा के ही कोई दूसरा काम करूंगा.”

“मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है अनुज, तभी तो मैं ने इस के लिए तुम्हें सेलेक्ट किया है और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगे.”

“बिलकुल नहीं मैडम, मैं जानता हूं कि मेरे कुछ सीनियर इस बात को ले कर आप से नाराज भी हैं, फिर भी आप मेरे साथ हैं.”

“गौड ब्लेस यू अनुज, डोंट वरी फौर आल सच इसुज, तुम बस इस काम पर ध्यान दो.”

“थैंक्स मैडम,” अनुज ने बहुत संजीदगी से कहा और अपने काम में लग गया.

पूरा एक हफ्ता मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने और मीटिंग में निकल गया और अगला हफ्ता उस ने पूरी तरह से ऐड कंपनी के लिए फ्री रखा था, ताकि इस बार सबकुछ फाइनल कर के सेल्स हेड और सीईओ के लिए प्रेजेंटेशन रखा जा सके.

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उस ने कोमल को पहले से ही फोन कर के अपने 3 दिन का प्रोग्राम बता दिया था और कोमल ने भी उस से वादा किया था कि उस की तरफ से सबकुछ तैयार है और डेडलाइन के पहले ही वह उसे फाइनल कौपी सौंप देगा.

आगे पढ़ें- आखिर सभी की मेहनत रंग लाई और…

Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 2

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

अगले सोमवार को अनुज सीधे कोमल के औफिस पहुंच गया और पूरे दिन वहीं रहा. उस ने महसूस किया था कि कोमल पहले की तुलना में उस से काफी फ्री हो गई थी. कोमल के लिए यह ऐड एक चैलेंज की तरह ही था और वह भी पूरी शिद्दत से उस काम में लगी हुई थी. आखिर सभी की मेहनत रंग लाई और जो ऐड तैयार हुआ, वह काफी आकर्षक था, जिसे ऐड कंपनी के डायरेक्टर ने भी देखते ही ओके कर दिया था. उस दिन भी अनुज और कोमल साथसाथ ही निकले, तो अनुज ने कहा,
“कोमल, आज तो एक कौफी बनती है मेरी तरफ से, आप ने बहुत मेहनत की है.”

“अच्छा… तो आप कौफी से ही काम चलाना चाहते हैं.”

“अरे नहीं, मैं तो आप की पूरी टीम को लंच दूंगा, बस. एक बार प्रोजैक्ट लौंच हो जाने दीजिए.”

“और डिनर मेरी तरफ से,” कोमल ने कहा.

“मैं तैयार हूं, चलिए इस की शुरुआत कौफी से करते हैं,” और दोनो कौफी कौर्नर में जा कर बैठ गए.

“आज मैं अपने पसंद की कौफी और्डर करती हूं, एनी प्रोब्लम?”

“बिलकुल नहीं.”

उस ने वेटर को बुला कर 2 कैफे मोचा और सैंडविच और्डर कर दिया और बोली,
“आज थोड़ी भूख सी लग रही है. आप को भी लग रही है क्या?”

“भूख तो नहीं है, पर शेयर जरूर करूंगा.”

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हम ने करीब आधा घंटा साथ बिताया. इस दरमियान हम ने एकदूसरे से काफी बातें शेयर कीं, मसलन हमारी रुचि, हमारी फैमिली,फ्यूचर प्लान आदि. मैं ने उसे बताया कि मुझे मुंबई काफी पसंद है और मैं शायद यहीं सैटल होना पसंद करूंगा. उस ने भी मुझे बताया कि उस के पास तो मुंबई के अलावा कोई औप्शन नहीं है और न ही उसे किसी और शहर में इंट्रेस्ट है.

कौफी खत्म होते ही हम बाहर आ गए और बात करतेकरते मेन रोड पर आ गए, जहां से हम दोनों ने आटो लिया और एकदूसरे को बाई कहते हुए अपनेअपने घर को निकल पड़े.

घर पहुंच कर अनुज काफी देर तक कोमल के बारे में ही सोचता रहा. उसे कोमल के बातचीत करने का अंदाज बहुत पसंद आता था. ऐसा लगता था मानो वह किसी करीबी से बात कर रहा हो. जरा सा भी ईगो नहीं है उस के पास, कौन कहेगा कि वह मुंबई जैसे महानगर में पलीबढ़ी है. काश, उसे ऐसी ही लाइफ पार्टनर मिल जाती. उस पूरी रात वह इन्हीं सब विचारों और कल्पनाओं में उलझा रहा.

सुबह औफिस पहुंचते ही अनुज ने सब से पहले मैडम फोन्सेका को फाइनल डमी दिखाई और उन को साथ ले कर प्रेजेंटेशन के लिए बोर्ड रूम में चला गया, जहां पहले से ही सेल्स हेड और सीईओ मौजूद थे. शुरुआत में अनुज थोड़ा नर्वस जरूर था, पर उस ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ प्रोडक्ट लौंच की मार्केटिंग स्ट्रेटजी और तैयार किए गए विज्ञापन के सारे डिटेल्स के बारे में बताया, जिस की सभी ने खुले मन से सराहना की. सीईओ ने तो उस की पीठ थपथपाते हुए कहा,
“यंग मैन यू हैव ए ब्राइट फ्यूचर कीप इट अप.”

अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था. औफिस के सभी लोग उस की तारीफ कर रहे थे. सब से ज्यादा खुश तो मिसेज फोन्सेका थीं, उन्हें अपने निर्णय पर बहुत गर्व हो रहा था.

अनुज ने सब से पहले इस के बारे में अपनी बूआ को बताया और फिर कोमल को, दोनों ही बहुत खुश हुए. कोमल ने तो लंच की डेट भी फिक्स कर दी.

नियत तारीख को प्रोडक्ट लौंच हो गया. उस का रैस्पोंस काफी अच्छा था. सभी लोग अनुज के परफोर्मेंस की तारीफ कर रहे थे.

अनुज ने कोमल की पूरी टीम के साथ लंच का प्रोमिस किया था, पर उस की टीम के 2 लोग छुट्टी पर थे, इसलिए लंच की डेट फिक्स नहीं हो पा रही थी. तो यह तय हुआ कि पहले डिनर वाली पार्टी हो जाए, फिर लंच कर लेंगे.

अगले फ्राइडे की रात अंधेरी के ही एक रेस्तरां में मिलना तय हुआ. उस दिन औफिस से सीधे डिनर पर जाने के बजाय वह पहले घर गया और फिर रेस्तरां पहुंचा.

अनुज के पहुंचने के कुछ ही देर बाद कोमल भी आ गई. उस ने दूर से ही हाथ हिलाया, तो कुछ देर के लिए वह उसे पहचान ही नहीं पाया, क्योंकि अब तक उस ने कोमल को साधारण ड्रेस में ही देखा था और आज वह साड़ी में थी. जब वह उस के करीब आई, तो कोमल ने ही कहा, “ऐसे क्यों देख रहे हैं आप? मैं साड़ी में हूं इसलिए, दरअसल, मुझे साड़ी बहुत पसंद है, पर औफिस में कोई नहीं पहनता तो मैं कैसे पहनूं?”

“सच कहूं, प्लीज, बुरा नहीं मानिएगा. बहुत अच्छी लग रही हैं, इसलिए नजर नहीं हट रही.”

“क्यों मेरा मजाक उड़ा रहे हैं? आप चलिए, अंदर चलते हैं.”

“अरे नहीं कोमलजी, सच कह रहा हूं.”

“चलिएचलिए, अंदर चलते हैं,” कहते हुए वह आगे बढ़ गई.

वैसे तो काफी लोग वेटिंग में थे, पर उस ने पहले से ही सीट रिजर्व करा ली थी, इसलिए हमें परेशानी नहीं हुई.

मैं ने बैठते ही कहा,
“कोमल, आप और्डर दे दीजिए. आप को इस का अच्छा आइडिया है.”

“फिर, मैं अपने पसंद का दूंगी,” उस ने हंसते हुए कहा.

“आप को जो पसंद है वही और्डर दीजिए.”

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उस ने एक सूप, एक स्टार्टर और मेन कोर्स का और्डर साथ में ही दे दिया. कुछ देर हम शांत रहे और फिर उस ने ही चुप्पी तोड़ी, “मैं भी आप के प्रोजैक्ट को ले कर काफी टेंस थी, पता नहीं कैसा रहेगा, पर आप की कम्पनी को हमारा काम पसंद आया. मुझे बहुत खुशी हुई.”

“आप लोगों ने भी काफी मेहनत की थी, तो जाहिर है कि इसे अप्रूवल मिलना ही था, वैसे आप कितने सालों से इस फील्ड में हैं.”

“मुझे 4 साल हो गए. मैं ने ग्रेजुएशन के बाद मास कम्युनिकेशंस में एडवांस डिप्लोमा किया और फिर जौब में आ गई.”

“आप के रिलेटिव्स भी मुंबई में ही हैं या राजस्थान भी जाना होता है आप का?”

“हमारे अधिकांश रिलेटिव्स मुंबई में ही हैं, पर राजस्थान से कनेक्शन है अभी भी. पर अकसर पापा ही जाते हैं. मेरा तो जाना नहीं होता.”

तब तक वेटर ने खाना सर्व कर दिया, पर हमारी बातचीत चलती रही.

“एक बात पूछ सकता हूं, बुरा तो नहीं मानेंगी?”

“पूछने के लिए इजाजत की जरूरत नहीं. आप पूछ सकते हैं.”

“आप का कोई बौयफ्रेंड तो होगा ही?”

“ऐसा कैसे कह सकते हैं आप?” उस ने मुस्कुराते हुए कहा.

“सौरी,अगर आप को बुरा लगा.”

“देखिए, आप जिस सेंस में पूछ रहे हैं उस सेंस में मेरा कोई बौयफ्रेंड नहीं… हां, काफी लड़के मेरे फ्रेंड हैं.”

“शादी के बारे में क्या सोचा है आप ने?”

“आप तो आज इंटरव्यू लेने के मूड मे हैं.”

-नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं. बस, ऐसे ही पूछ लिया.”

“शादी तो करना चाहती हूं. कुछ लड़कों से इस सिलसिले में मिली भी हूं, पर उन्हें मेरे जौब को ले कर प्रोब्लम थी, इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी.”

“कैसी प्रॉब्लम?”

“अनुज, मैं जिस फील्ड में हूं, वहां वर्किंग आवर फिक्स नहीं होता. कभीकभी देर रात तक क्लाइंट के या अपने औफिस में रहना पड़ता है, या कभीकभी मुंबई से हफ्तेपंद्रह दिन के लिए बाहर जाना होता है, क्लाइंट के साथ लंच या डिनर भी करना होता है. और हरेक लड़के को ऐसी लड़की अच्छी नहीं लगती. उन्हें हमारे कैरेक्टर पर शक होने लगता है, तो फिर शादी का औचित्य ही क्या रह जाता है.

“तो बेहतर है कि ऐसे लोगों से बात ही आगे नहीं बढ़ाई जाए. मुझे मेरा जौब बहुत पसंद है और मैं इसे न तो छोड़ सकती हूं और न चेंज कर सकती हूं.”

“कोमल, अगर मैं आप से यह कहूं कि मुझे आप के जौब से कोई परेशानी नहीं है, तो क्या आप मुझ से शादी करना चाहेंगी?

“मैं सीरियसली बोल रहा हूं, पता नहीं, यह सब कैसे बोल गया.”

कोमल ने पलभर के लिए खाना रोक दिया और मेरी आंखों में देखा, शायद उसे इस सवाल की उम्मीद नहीं थी या वह इस सवाल के लिए तैयार नहीं थी.

कुछ देर के लिए सिर्फ हम दोनों एकदूसरे को देख रहे थे. चुप्पी कोमल ने ही तोड़ी, “अनुज,जहां तक मैं आप को समझ पाई हूं कि मुझे आप एक अच्छे इनसान लगे, शायद इसीलिए मैं आप से इतना क्लोज भी हो गई, पर थोड़ा वक्त दीजिए, मैं अभी आप को इस का जबाब नहीं दे पाऊंगी.”

“कोमलजी, आप भी मुझे अच्छी लगीं, इसीलिए मैं ने अपने मन की बात आप से कह दी. अगर आप ना कह देंगी, तब भी जो रेस्पेक्ट आप के लिए है, वही रहेगा. आप यह भी जानती हैं कि एक बूआ के अलावा मेरा और कोई नहीं है.

“जी, आप ने बताया है.”

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तब तक हमारा डिनर भी हो चुका था. कोमल ने पहले किए गए वादे के अनुसार पेमेंट किया और हम दोनों रेस्तरां से बाहर निकले और वहीं से आटो ले कर अपने अपने घर लौट गए.

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Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 3

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

घर पहुंच कर मैं बारबार उस क्षण के बारे में हीं सोच रहा था कि मैं कैसे यह सब बोल गया, जबकि मैं इस के लिए तैयार हो कर नहीं गया था. इस में कोई दोराय नहीं कि कोमल मुझे पसंद नहीं थी, पर इतनी जल्दी मैं उसे प्रपोज कर दूंगा, यह मैं ने सोचा भी नहीं था,आखिर मेरे में इतनी हिम्मत आई कहां से, यह मैं खुद समझ नहीं पा रहा था. इसी उधेड़बुन में कब मेरी आंख लग गई, मैं खुद समझ नहीं पाया.

अचानक मोबाइल के लगातार बजने वाले रिंगटोन से मेरी नींद खुल गई. सब से पहले मैं ने घड़ी की तरफ देखा, 12 बज रहे थे. अभी कौन फोन कर रहा है, देखा तो कोमल का फोन था, मैं ने तुरंत फोन लिया, “सो गए थे आप, माफ कीजिएगा कि मैं ने जगा दिया आप को.”

“अरे नहीं, बस आंख लग गई थी. आप ठीक से घर तो पहुंच गई थीं?”

-हां, कोई परेशानी नहीं हुई. वहां से तो पास में ही है मेरा घर, अनुज मैं ने घर पहुंच कर बहुत सोचा और मेरे दिल और दिमाग दोनों ने यही कहा कि आप जैसा शख्स अगर लाइफ पार्टनर हो तो जिंदगी सुकून के साथ गुजारी जा सकती है, मैं ने आप के बारे में अपने पेरेंट्स को बता दिया है और वे आप से मिलना चाहते हैं. कल आ सकते हैं तो आ जाइए. एड्रेस व्हाट्सएप कर देती हूं.”

“मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि क्या कभी ऐसा होता है कि इनसान जो चाहे वह उसे इतनी जल्दी मिल जाए,” मैं ने धड़कते हुए दिल को किसी तरह थामा और कहा, “थैंक्स कोमल, मेरे पास शब्द नहीं हैं, मैं क्या कहूं आप को बस यही सोच रहा हूं कि कैसे कल की सुबह तक इंतजार कर पाऊंगा. आता हूं कल 11 बजे तक…”

उस ने हंसते हुए कहा, “रात गुजरेगी तो सुबह ही आएगी, हां, कल हम सब साथ में लंच करेंगे. आप अब सो जाइए, रात काफी हो गई है. कल मिलते हैं, बाई, गुड नाइट.”

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“टेक केयर, गुड नाइट…
अचानक मैं खुद को दुनिया का सब से भाग्यशाली इनसान समझने लगा था और ईश्वर को न जाने कितनी बार थैंक्स बोल चुका था. मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी और मुझे कल उस के घर जाने को ले कर टेंशन हो रही थी, पता नहीं वे लोग क्या पूछेंगे?कैसा व्यवहार करेंगे? पता नहीं, मुझे यह खुशी मिलेगी भी या नहीं? ऐसे ही अनेक सवाल मुझे परेशान कर रहे थे और ऐसे में नींद आती भी तो कैसे. मैं ने टीवी चालू कर दिया और यों ही चैनल बदलने लगा. शायद किसी चैनल पर कोई पुरानी फिल्म आ रही थी और मैं उसे ही देखतेदेखते सो गया.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे नींद खुली तो देखा टीवी औन ही था. फटाफट चाय बनाई और पेपर ले कर बैठ गया, पर पेपर पढ़ने का बिलकुल मूड नहीं हुआ, जेहन में सिर्फ कोमल ही घूम रही थी और मन ही मन उस के पैरेंट्स द्वारा पूछे जाने वाले काल्पनिक प्रश्नों का पूर्वाभ्यास कर रहा था. पता नहीं, क्यों ऐसा लग रहा था कि आज घड़ी की सूई आगे बढ़ ही नहीं रही है, साढ़े 10 बजते ही मैं ने अपना सब से लकी ड्रैस निकाला, जिसे पहन कर मैं ने जौब का इंटरव्यू दिया था और तैयार हो कर बिल्डिंग के नीचे आ गया. सामने ही एक आटो खड़ा था. मैं ने उसे जेबी नगर बोला और बैठ गया. साथ ही, कोमल को मेसेज भी कर दिया.

मुझे कोमल का फ्लैट खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. वह अपार्टमेंट के नीचे आ गई थी. मुझे देखते ही उस ने मुसकरा कर मेरा स्वागत किया और लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगी. उस का फ्लैट सातवें फ्लोर पर था. उस ने जैसे ही अपने घर की बेल दबाई, तो मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी. उस ने धीरे से कहा, “आल द बेस्ट” और मुसकराने लगी. दरवाजा उस की मम्मी ने खोला था.

“आ जाओ बेटा. हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे. मैं ने उन का अभिवादन किया और सोफे पर बैठ गया.

मुझे वे बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व की सौम्य सी महिला लगीं. मैं ने एक नजर हाल पर डाली. सबकुछ बहुत ही व्यवस्थित और करीने से सजा हुआ था. सारे फर्नीचर सफेद रंग के थे और उन की बनावट बहुत ही कलात्मक थी. इसी बीच कोमल मेरे लिए पानी ले कर आ गई, शायद वह समझ गई थी कि मुझे उस की जरूरत थी. मैं ने अपना गला तर किया, जिस से मुझे काफी राहत मिली.

मम्मी ने ही बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाया.

“तुम भी शायद अंधेरी में ही रहते हो?”

“हां आंटीजी, मैं वर्सोवा में रहता हूं. मेरी कंपनी ने मुझे फ्लैट दे रखा है.”

“और रहने वाले कहा के हो?”

“मैं भोपाल से हूं. सारी पढ़ाई भी वहीं से की है. मेरे पैरेंट्स की डेथ बहुत पहले ही हो गई थी. मेरी परवरिश बूआजी ने ही की है और उन का भी मेरे सिवा कोई नहीं है. वैसे तो और भी रिश्तेदार हैं, पर मेरे ताल्लुकात उन से ज्यादा नहीं हैं. मैं ने गौर किया कि वे मेरे चेहरे को बड़े गौर से देख रही थीं. शायद उसे पढ़ने की कोशिश कर रही होंगी, तभी कोमल के पापा आते हुए दिखे. मैं ने खड़े हो कर उन का अभिवादन किया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, “यस यंग मैन, कैसे हो, बी रिलैक्सड.”

“ठीक हूं अंकल.”

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“मुझे तुम्हारे बारे में कोमल ने सबकुछ बताया था. सच कहूं, तो जितना भरोसा मुझे अपने उपर नहीं है उस से कहीं ज्यादा अपनी बेटी पर है. अगर इस ने तुम्हें पसंद किया है, तो जरूर कुछ सोच कर ही किया होगा.

“और मैं उस के हर डिसीजन में उस के साथ हूं. बस, एक बात कहना चाहता हूं कि कोमल मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी है. इस का दिल कभी मत दुखाना. बड़े प्यार से पाला है इसे, उन का चेहरा बता रहा था कि वे इमोशनल हो गए थे,” मैं ने धीरे से कहा.

“अंकल, आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं,भले ही कोमल से मेरी मुलाकात बहुत पुरानी नहीं है, पर इतना मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि इस से बेहतर पार्टनर मुझे नहीं मिल सकती.

“थैंक यू माई सन… गौड ब्लेस यू. तुम दोनों खुश रहो और मुझे क्या चाहिए,” तभी उस की मम्मी ने कहा.

“कोमल, अनुज को अपना घर दिखाओ तब तक मैं लंच की तैयारी करती हूं.”

कोमल मुझे ले कर अपने रूम में आ गई. वह बहुत खुश दिख रही थी. मैं ने ही कहा, “कोमल, आप की फैमिली कितनी अच्छी है.”

“सिर्फ मेरी ही नहीं अब वो आप की भी है, बाई द वे, ये आप आप क्या लगा रखा है.

“ओके… चलो सही कहा तुम ने, शायद मैं बहुत लकी हूं इसीलिए ईश्वर ने मुझे तुम से मिलवाया और तुम अब मेरी जिंदगी में शामिल होने जा रही हो.”

“तुम नहीं मैं भी लकी हूं. तुम रियली बहुत अच्छे हो. अनुज बूआजी को फोन करो ना, मम्मी को उन से बात करनी है और मुझे भी.”

मैं ने बूआ को फोन लगा कर उन्हें सारी बातें बताईं और फोन कोमल को दे दिया.

कोमल और उस की मम्मी ने काफी देर तक बूआ से बातचीत की, तब तक मैं उस के पापा से उन के बिजनेस और उन के परिवार के बारे में बात करता रहा.

मुझे वो काफी इंट्रेस्टिंग लगे, बिलकुल सहज सरल पर काफी अनुभवी. मम्मी और बूआ की बातचीत तकरीबन घंटेभर चली. फिर हम ने लंच किया. मेरे यह कहने पर कि खाना काफी स्वादिष्ठ है.”

मम्मी ने तुरंत कहा, “ऐसा है तो हर संडे तुम्हारा लंच हमारे साथ ही रहेगा, नो एक्सक्यूज प्लीज.”

“ओके आंटीजी, जैसा आप का आदेश.”

फिर मैं ने जब चलने की बात की तो उस के पापा ने मुझे ड्रॉप करने की बात की. पर, मेरे लाख मना करने के बावजूद वे नहीं माने, फिर तो सभी गाड़ी में बैठ गए.

गाड़ी कोमल ही ड्राइव कर रही थी. मैं उस की बगल में बैठा था और मम्मीपापा पीछे. उन्होंने मुझे मेरे अपार्टमेंट के पास छोड़ दिया. आज मानो मुझे जन्नत मिल गई थी. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.

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मैं ने इस बारे में औफिस में किसी को नहीं बताया था, क्योंकि मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहता था. इस के बाद से मैं काफी बदल सा गया था. औफिस में मेरी परफार्मेंस से सभी खुश थे. लगभग हरेक संडे को हम मिलते ही थे और घंटों बैठ कर अपने भावी जीवन के सपने संजोया करते थे.

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Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 5

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

इसी सोचविचार में वह दिन भी आ गया, जिस दिन उसे मुंबई पहुंचना था. कोमल के पापा अपनी गाड़ी ले कर आ गए थे और अनुज को ले कर एयरपोर्ट पहुंच गए. नियत समय पर कोमल की फ्लाइट आ गई और वह कुछ ही देर में बाहर आ गई. उस ने दूर से ही चहकते हुए हाथ हिलाया और करीब आ कर सब से पहले अनुज से ही कहा था, “तुम्हें बहुत मिस किया मैं ने,” इस पर उस के पापा ने हंसते हुए कहा था कि फिर हम तो बेकार ही परेशान हो रहे थे.

एयरपोर्ट से निकल कर गाड़ी में बैठने तक के समय में ही कोमल ने पूरे एक महीने की रूटीन सुना डाली थी. उस की मम्मी ने जब कहा कि पहले उन के घर ही चलते हैं, तो कोमल ने मना कर दिया था कि नहीं, वह पहले अपने घर ही जाएगी.

घर पहुंचते ही सब से पहले कोमल ने बाहर से खाने का और्डर दे दिया और अस्तव्यस्त घर को ठीक करने मे लग गई. खाना आते ही दोनों ने खाना खाया और फिर कोमल ने उस के लिए बतौर गिफ्ट खरीदे गए. शर्ट, जींस, परफ्यूम का पैकेट देते हुए कहा, “यह सब मैं ने अपनी पसंद से खरीदा है. मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम्हें पसंद आएगा, मुझे पता है अनुज, तुम्हें बहुत तकलीफ हुई होगी, पर क्या करूं ऐसे मौके कम मिलते हैं, देखो ना अभी इस प्रोजैक्ट में मुझे कम से कम 2 हफ्ते और लगेंगे, तब जा कर यह कम्प्लीट होगा, बस थोड़ा सा और कोओपरेट कर दो, फिर मेरा पूरा समय तुम्हारे लिए होगा.

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“इटस ओके कोमल, बी हैप्पी.”

इस के बाद करीब 3 हफ्ते तक कोमल लगभग लेट ही आती थी, जबकि वह समय पर आ जाता था. कोमल यह महसूस करती थी कि अनुज उस से थोड़ा खिंचाखिंचा सा रहता है, पर अपनी तरफ से नौर्मल रहने की वह पूरी कोशिश करती थी.

कोमल को प्रोजैक्ट रिपोर्ट अगले संडे तक फाइनल करनी थी, जिस के लिए उसे संडे को औफिस जाना था और अनुज उस दिन मूवी देखने जाने के मूड में था, पर कोमल ने उस से कहा कि यह उस के कैरियर का सवाल है, इसलिए बस इस संडे तक वह बिजी है. उस के बाद कुछ दिन वह कोई नया काम नहीं लेगी.

नियत समय पर रिपोर्ट सबमिट हो गई. कोमल के काम को सभी ने सराहा और उसे प्रमोशन भी मिल गया.

कोमल ने अनुज से कहा कि एक दिन वर्किंग डे में ही छुट्टी लेते हैं और पूरे दिन बाहर घूमते हैं, पर अनुज ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी. उस रात डिनर के बाद कोमल ने अनुज से पूछ ही लिया, “अनुज, शायद तुम मुझ से नाराज हो. तुम्हारी परेशानी मैं समझ सकती हूं, पर क्या करूँ मैं उस औफर को छोड़ नहीं सकती थी.”

“नहीं, मैं नाराज नहीं हूं.”

“तुम झूठ बोल रहे हो. मैं समझ सकती हूं.”

“तो फिर पूछ क्यों रही हो?”

“मैं कितनी तुम्हें सचाई बता चुकी हूं, उन एक महीनों में शायद ही कोई दिन होगा, जिस दिन मैं ने तुम्हें मैसेज नहीं किया हो.”

“तो फिर गई ही क्यों थी, जब इतना प्यार था, तो जाना ही नहीं चाहिए था.”

“अनुज, मेरे औफिस में उस काम को मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता था, वह बहुत प्रेस्टीजियस कॉनट्रैक्ट था हमारी कंपनी के लिए.”

“मुझ से भी ज्यादा…”

“अनुज, तुम गलत समझ रहे हो. तुम से उस की तुलना कैसे हो सकती है? तुम मेरे लिए क्या हो, यह मुझे बताने की जरूरत थोड़े ही है.”

“इसीलिय शायद तुम ने मुझ से पूछने की भी जरूरत नहीं समझी कि तुम्हें सिंगापुर जाना भी चाहिए या नहीं.”


“अनुज, व्हाट डू यू मीन बाई पूछना यार, औफिस की जरूरत थी तो मुझे जाना था. हां, मैं ने तुम्हें तुरंत फोन इसलिए नहीं किया, क्योंकि मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी.”

“क्यों पूछ लेती तो तुम्हारा कद छोटा हो जाता.”

“तुम बेवजह बात बढ़ा रहे हो. प्लीज, सो जाओ.”

“बात मैं ने शुरू की या तुम ने?”

“बेशक, मैं ने की, पर मुझे नहीं पता था कि तुम इस कदर भरे पड़े हो, छोटी सी बात को इतना बड़ा क्यों बना रहे हो? हम पतिपत्नी हैं, बौयफ्रेंडगर्लफ्रेंड नहीं. और हां, तुम इतने पढ़ेलिखे हो, समझदार हो, फिर ये टिपिकल हसबैंड वाली लैंग्वेज क्यों बोल रहे हो?”

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“अच्छा… तो मैं टिपिकल हसबैंड टाइप हूं तो शादी ही क्यों की मुझ से?”

“अनुज, आई एम रियली सौरी. प्लीज, सो जाओ.”

“तुम सो जाओ. मुझे नींद नहीं आ रही है,” कह कर अनुज कमरे से बाहर आ कर ड्राइंगरूम में टीवी चालू कर बैठ गया.

2-3 दिन यों ही बगैर संवाद के गुजरा, जबकि कोमल पहल करती रही और सारी जिम्मेदारियां भी पूरी करती रही. एक दिन उस ने औफिस से ही फोन कर के अनुज को बताया कि मम्मी ने आज डिनर पर बुलाया है, तो मुझे उन की थोड़ी हेल्प करनी होगी, इसलिए वह पहले चली जाएगी और उसे औफिस से सीधे वहीं आने को कहा, तो अनुज ने कहा कि आज वर्कलोड ज्यादा है. उसे देर हो सकती है. अगर ज्यादा देर होगी तो वह नहीं भी आ सकता है.

इस पर कोमल ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता हम लोग वेट कर लेंगे. तुम जरूर आ जाना. दरअसल, अनुज वहां जाना नहीं चाहता था, इसलिए उस ने वर्कलोड का बहाना बना दिया और सीधे होटल से खाना पार्सल ले कर घर चला गया.

इस बीच कोमल का कई बार फोन आया, पर वह सिर्फ मैसेज दे कर छोड़ देता था. करीब रात 11 बजे कोमल का मैसेज आया कि हम ने तुम्हारा काफी वेट किया और अब रात ज्यादा हो गई है, इसलिए मैं यहीं रुक जाती हूं. कल औफिस के बाद घर आ जाऊंगी. उस ने उस मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया.

शाम को दोनों लगभग एक समय पर ही घर लौटे. कोमल ने रोज की तरह 2 कप चाय तैयार की और सोफे पर बैठ गई. उस ने अनुज से पूछा, “चाय के साथ कुछ और लोगे?”

“नहीं, आज मेरा चाय पीने का ही मूड नहीं है.”

“तो पहले बता देते, नहीं बनाती. कौफी लोगे?”

“नहीं, मेरा मूड नहीं है.”

“तुम्हारे मूड को अचानक क्या हो गया? औफिस में कुछ हुआ क्या?”

“नहीं, सब ठीक है.”

“फिर कोई तो वजह होगी?”

“तुम्हें सबकुछ बताना जरूरी है.”

“क्यों नहीं, मैं तुम्हारी बेटर हाफ हूं.”

“प्लीज, बहस मत करो. पीसफुली जीने दो.”

“इतना रूडली क्यों बोल रहे हो?”

“मैं ऐसा ही हूं.”

“तुम ऐसे बिलकुल नहीं हो, इसीलिए बुरा लगा.”

“हां ऐसा था नहीं, पर अब हो गया हूं और अगर कुछ दिन और तुम्हारे साथ रहा, तो शर्तिया पागल हो जाऊंगा.”

“मैं इतनी बुरी हूं अनुज तो फिर साथ रहने का क्या फायदा? मैं अपने पापा के घर चली जाती हूं. ऐसे भी हम लड़कियों का कोई घर तो होता नहीं ना.”

“ऐज यू विश,” कह कर अनुज वहां से निकल गया.

दूसरे दिन दोनों में कोई बात नहीं हुई. औफिस जाने के समय अनुज ने लंच का डब्बा भी नहीं लिया और बिना कुछ बोले निकल गया.

कोमल ने उसे फोन भी किया. उस ने न तो फोन लिया, न ही उस के मैसेज का जवाब दिया. शाम में भी दोनों में कोई बात नहीं हुई.

हां, अनुज ने उसे मैसेज दिया कि वह घर जा रहा है और फिर उसे दिल्ली के लिए निकलना है. शायद लौटने में एक हफ्ता लग सकता है. उस दिन कोमल मम्मी के पास चली गई.

हालांकि उस के मूड को देख कर मम्मी को कुछ संदेह हुआ, पर उन्होंने पूछा नहीं. एक हफ्ते में अनुज का कोई फोन तो नहीं आया, पर हां, एकदो मैसेज का जवाब जरूर दिया उस ने.

दिल्ली से लौटने की कोई सूचना उस ने नहीं दी और कोमल ने भी पहल नहीं की.

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हां, उस की मम्मी ने जरूर अनुज से बात की, पर उस का जवाब बिलकुल औपचारिक सा था. कोमल ने भी अपनी मम्मी को सबकुछ बता दिया और कहा कि जब तक अनुज लेने नहीं आएगा, वह नहीं जाएगी.

कोमल की मम्मी ने अनुज की बूआ को फोन किया था, तो उन की बातों से लगा कि उन्हें इस की कोई जानकारी नहीं थी, तो उन्होंने बताना भी उचित नहीं समझा, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि जैसे ही दोनों का गुस्सा शांत होगा, सबकुछ ठीक हो जाएगा.
इसी कशमकश में 5 महीने गुजर गए थे.

आज न जाने क्यों उसे ऐसा लग रहा था कि उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है. माना कि उस ने सिंगापुर के बारे में पहले नहीं बताया तो क्या हुआ, ऐसा तो वह कई बार करता है कि सीधे घर पहुंच कर उसे बताता है कि रात 12 बजे की फ्लाइट से चेन्नई जाना है और कोमल बिना किसी सवाल के आधे घंटे में उस का बैग तैयार कर देती है, और वह इतनी बेरुखी से उस से क्यों पेश आया. वहां रह कर भी वह उस के लिए कितनी परेशान रहा करती थी. अगर वह अपने कैरियर को ले कर सीरियस है तो इस में बुराई क्या है. क्या वह अपने कैरियर को ले कर सीरियस नहीं है? क्या अपने” स्यूडो मेल इगो” को संतुष्ट करने के लिए कोमल जैसी लड़की के लिए ऐसा अमानवीय व्यवहार करना उचित था.

उसे आज ऐसा लग रहा था मानो उस से कोई जघन्य अपराध हो गया हो और वह इस के लिए कभी खुद को माफ नहीं कर पाएगा. उस ने बगैर और देर किए व्हाटसएप पर एक छोटा सा मैसेज लिखा, “कोमल, कमिंग टू यू – प्रोमिस आई विल चेंज माइसेल्फ”
और बिना जवाब का इंतजार किए कोमल के औफिस के लिए निकल पड़ा.

Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 4

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

एक संडे कोमल पूरा लंच बना कर सपरिवार मेरे घर आ गई और फिर वहीं सब ने लंच किया. हमारी शादी की तारीख तय हो गई. शादी मुंबई में ही होनी थी. तय यही हुआ कि एंगेजमेंट और शादी सब एकसाथ ही हो जाएगी.

जब मैं ने इस की जानकारी अपने औफिस के लोगों ने दी, तो सभी खुश हुए क्योंकि शादी यहीं होनी थी तो सभी उस में शामिल हो सकते थे.

शादी की तारीख में जब 15 दिन बचे तो उस ने बूआ को भी मुंबई ही बुला लिया. फ्लैट के लिए सभी जरूरी सामान की शौपिंग कोमल, उस की मम्मी और उस ने साथ मिल कर ही की थी, बाकी तैयारियां कोमल के पापा और उन के करीबी मिल कर कर रहे थे. उस की अपनी शौपिंग भी उस ने कोमल के साथ मिल कर ही की थी.

शादी की तारीख के 2 दिन पहले एंगेजमेंट की रस्म हुई. उस की तरफ से औफिस के कुछ लोग थे और कोमल की तरफ से काफी लोग थे और उसी दिन उस का सभी से परिचय भी हुआ. कार्यक्रम काफी अच्छा रहा. सभी ने ऐंज्वाय किया और उन के सुखमय जीवन की कामना की. 2 दिन बाद ही शादी थी. उस के कुछ पुराने दोस्त भी आ गए थे, जो उस के घर ही रुके हुए थे. ऐसे में पूरा माहौल खुशनुमा बना हुआ था.

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शादी के दिन बरात के लिए सभी को शाम 7 बजे हाल पहुंचना था और उसी के अनुसार उस ने सभी को आमंत्रित किया हुआ था. वह अपने दोस्तों और बूआजी के साथ शाम 6 बजे ही पहुंच गया था. कोमल के परिवार के भी सभी करीबी लोग हाल पहुंच चुके थे. बरात में उस के औफिस के लगभग सभी लोग शामिल हुए. सबकुछ समायानुसार बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ.

अनुज के दोस्तों ने जब कोमल को देखा, तो उन्होंने अनुज को सही मामले में लकी माना.

शादी का मुहूर्त रात का था. खाने की व्यव्स्था बहुत ही बढिया थी. सभी लोग पूरे आयोजन की दिल से तारीफ कर रहे थे.

मुहूर्त के अनुसार सात फेरे के साथ शादी संपन्न हो गई और विदाई की रस्म के साथ वह कोमल को ले कर अपने घर आ गया. उस के दोस्त भी अगले दिन ही लौट गए, पर उस ने बूआजी को एक हफ्ते के लिए और रोक लिया था. उस ने एक हफ्ते की छुट्टी ले रखी थी. इस बीच जैसा बूआ या कोमल की मम्मी कहती थी, वैसा ही दोनों कर लिया करते थे.

अगले संडे को बूआ को भोपाल लौटना था. उस दिन कोमल के पैरेंट्स भी आ गए और सब लोग साथ ही एयरपोर्ट गए. बूआ ने दोनों को जी भर कर आशीर्वाद दिया और कोमल से कहा, “मैं इसे तुम्हारे हवाले कर रही हूं. अब तुम्हीं इस की सबकुछ हो.”

कोमल ने भी हंसते हुए बूआ को इस का आश्वासन दिया.

कोमल का साथ मिलते ही अनुज की जिंदगी को मानो पर लग गया था. वह बहुत ही खुश रहने लगा था. कोमल वाकई बूआ को दिए गए प्रोमिस को पूरा कर रही थी. वह औफिस की अपनी जिम्मेदारियों के साथसाथ अनुज का भी पूरा खयाल रखती थी. आमतौर पर दोनों के औफिस से वापस आने का समय एक ही था और मेड भी उसी समय आती थी, जिस के जिम्मे डिनर का काम था. लंच के लिए दोनों का डब्बा कोमल खुद तैयार करती थी और ब्रेकफास्ट का जिम्मा अनुज ने खुद ले रखा था.

इस तरह जिंदगी की गाड़ी एक पटरी पर चलने लगी थी. अनुज जब कभी टूर पर जाता था तो कोमल अपने घर चली जाती थी. इस से अनुज भी टेंशन फ्री रहता था और घर लौटने पर कोमल उस का ऐसे स्वागत करती थी मानो वह कई दिनों बाद लौटा हो.

एक दिन कोमल ने औफिस से लौट कर बहुत उत्साहित हो कर बताया कि उस की कंपनी को एक बहुत बड़ा प्रोजैक्ट मिला है और इसी सिलसिले में उसे अगले हफ्ते एक महीने के लिए सिंगापुर जाना होगा.

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यह सुनते ही अनुज का मन छोटा हो गया, जिस की गवाही उस का चेहरा दे रहा था. कोमल ने पूछा भी, “क्यों तुम्हें मेरी इस कामयाबी से खुशी नहीं हुई?”

“नहींनहीं, ऐसी बात नहीं है. कौंग्रेट्स, इन्फैक्ट मैं यह सोच रहा था कि हमारी नईनई शादी हुई है. ऐसे में तुम्हारा इतने दिनों के लिए जाना परेशान कर रहा है. मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है.”

“इस में चिंता की क्या बात है? मैं बच्ची थोड़े ही हूं. मैं अपना खयाल रख सकती हूं और मैं ने मम्मी से भी बात कर ली है. उन्होंने तो यहां तक कहा है कि इसी बहाने अनुज कुछ दिनों के लिए हमारे साथ रह लेगा तो हमारा भी अच्छा टाइम निकल जाएगा और उसे भी खानेपीने की तकलीफ नहीं होगी.”

“कोमल, मैं यहीं ठीक हूं. ऐसी कोई बात नहीं है, हां, बीचबीच में जा कर मिल जरूर लूंगा. चलो, नो टेंशन. तुम जरूर जाओ.”

“थैंक्स डीयर, तुम ने मेरी टेंशन कम कर दी. मैं तुम को ले कर रियली बहुत परेशान थी,” कोमल ने हंसते हुए कहा.

“चलो, आज डिनर के लिए कहीं बाहर चलते हैं,” अनुज ने कोमल को जाने के लिए कह तो दिया था, पर वह अंदर ही अंदर बहुत दुखी था. उसे लग रहा था कि उस से बिना पूछे कोमल ने इतना बड़ा निर्णय कैसे ले लिया? क्या कोमल के लिए उस की कोई अहमियत नहीं? अगर ऐसा ही हर बार होता रहा, तो क्या जिंदगी की गाड़ी चल पाएगी?

ऐसे तमाम सवाल उसे बारबार परेशान कर रहे थे, पर वह बाहर से खुद को बहुत खुश दिखाने की कोशिश जरूर कर रहा था. एक हफ्ता कुछ जल्दी ही गुजर गया. सिंगापुर के लिए संडे अर्ली मार्निंग की फ्लाइट थी, जिस का टिकट क्लाइंट ने ही बिजनेस क्लास में बुक किया था, जिसे ले कर कोमल बहुत उत्साहित थी. उस के पापा गाड़ी लेकर आ गए थे और हम सब मिल कर उसे छोड़ने एयरपोर्ट गए थे. चेकइन के लिए अंदर जाते वक्त उस की आंखें गीली हो गई थीं. वह बारबार कह रही थी, “अनुज, तुम ठीक से रहना. मम्मी के पास चले जाओ ना… अकेले तुम टेंशन में ही रहोगे, पर मुझे उस समय यह सब नाटकीय लग रहा था.

“एयरपोर्ट से लौटते वक्त मम्मीजी ने भी मुझे घर चलने के लिए कहा था, पर मैं ने कह दिया था कि छुट्टियों के दिन आ जाया करूंगा.

घर पहुंचने पर ऐसा लगा कि जैसे घर काटने को आमादा हो, कोमल मेरे लिए पूरे 2 दिन का खाना फ्रिज में रख कर गई थी, इसलिए खाना बनाने का टेंशन तो नहीं था, पर ऐसा लगता था मानो कोई ऐसी चीज अचानक गायब हो गई हो जो मेरी आदत में शुमार हो.

कोमल ने सिंगापुर पहुंचते ही उसे मैसेज कर दिया था, इसलिए एक टेंशन से उसे मुक्ति मिल गई थी. किसी तरह संडे का दिन बीता. मंडे सुबह जब वह औफिस पहुंचा, तो उस का मूड उखड़ाउखड़ा सा था. पूरे दिन उस का काम में मन नहीं लगा.

कोमल ने सुबह ही उसे मैसेज किया था कि उस के लिए जो अरेंजमेंटस वहां किए गए हैं, उस से वह संतुष्ट है और वह पूरी कोशिश करेगी कि अपना बेस्ट दे सके. साथ ही, उस ने यह भी लिखा था कि वह उसे बहुत मिस कर रही है.

अनुज के जेहन में एक बात बारबार आ रही थी कि अगर कोमल इतनी कैरियर माइंडेड है तो आगे सबकुछ कैसे चलेगा. हालांकि यह सही है कि उस ने पहले ही सबकुछ क्लीयर किया था. पर, अमूमन शादी के पहले लड़कियां अपने कैरियर को ले कर सीरियस रहती हैं, पर शादी के बाद भी इतना सीरियसनेस… इस बात को वह स्वीकार नहीं कर पा रहा था.

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आज कोमल को गए 15 दिन हो गए थे और इस बीच शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं रहा होगा, जब कोमल ने उस से यह नहीं कहा होगा कि उस के बगैर उसे बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा है, पर अनुज को लगता था कि कोमल कम से कम उस से एक बार पूछ तो लेती कि उसे औफिस के काम से सिंगापुर जाना है. वह थोड़े ही उसे मना करता, उसे यही बात बारबार परेशान करती थी.

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प्यार की भी भाषा होती है

साल 1993 में शाहरुख खान की मशहूर थ्रिलर फिल्म ‘बाजीगर’ आई थी. इस फिल्म के नायक और खलनायक शाहरुख ही बने थे. फिल्म ब्लौकबस्टर साबित हुई और शाहरुख खान रातोंरात सुपरस्टार बन गए, जिस के बाद उन के पांव कभी थमे नहीं. इस फिल्म का जिक्र करने का मकसद शाहरुख की बुलंदियों को बताने का नहीं है, बल्कि फिल्म के एक खूबसूरत गाने, ‘छिपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता…’ से है जो एक पार्टी में बज रहा होता है. यह गाना आशिकों की साइकोलौजी को दर्शाता है. अब इस गाने के बोल और उस में दिखाए कैरेक्टर हैं ही इतने दिलचस्प कि बात बननी लाजिमी है.
मामला यह है कि इस फिल्म में इंस्पैक्टर करण की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ रे कालेज के दिनों से ही प्रिया (काजोल) से प्यार करते थे. अपनी हथेलियों में प्रिया का नाम गुदवाए जहांतहां घूमा करते थे, चोरीचुपके उसे देखा करते थे, अंदर ही अंदर उसे अपनी प्रियतमा बना चुके थे, लेकिन जनाब कभी समय पर हाल ए दिल का इजहार ही नहीं कर पाए. फिर क्या, अजय शर्मा (शाहरुख) इतने में एंट्री मारते हैं और प्रिया के प्रेम की बाजी मार ले जाते हैं. अब ये करण जनाब पछताते हुए पूरी पार्टी में यही गाना गाते फिर रहे हैं. अजय के हाथों में प्रिया का हाथ देख रहे हैं तो खुद पर अफसोस जताते रह जाते हैं. यह तो है कि अगर करण साहब समय पर प्रिया से प्रेम का इजहार कर देते तो शायद पार्टी में अपना दुखड़ा न सुना रहे होते. हो सकता था इंस्पैक्टर करण ही बाजीगर कहलाए जाते.

खैर, यह तो रही फिल्म की बात. असल जिंदगी में क्या ऐसा नहीं होता कि फीलिंग्स और इमोशन तो गहरे होते हैं लेकिन जता ही नहीं पाते. खुल कर अपनी भावनाओं को उड़ेल ही नहीं पाते. यह बता नहीं पाते कि इस पल या किसी पल उन्हें कैसा एहसास हुआ था. बस, छिपतेछिपाते मन मसोस कर रह जाते हैं.
अपनी फीलिंग्स और इमोशंस को न जता पाना क्या यह सचाई नहीं? खासकर बात जब भारत की हो, तो यह और भी मुश्किल हो जाता है. लड़का, लड़की से प्यार करता है लेकिन जीवनभर कह नहीं पाता. यह समस्या सिर्फ जोड़ों से अधिक शादी के बाद पतिपत्नी के रिश्तों में भी दिखाई देती है, खासकर तब जब शादी अरेंज मैरिज हो. पति, पत्नी से प्यार करता है लेकिन कभी अपने प्यार, अपनी भावनाओं को खुल कर जता नहीं पाता. वहीं परिवार में यह भी देखा जाता है कि बाप, बेटे से प्यार करता है, उस की जरूरतों का खयाल तो रखता है, लेकिन मजाल है कि ठीक से गले लगा पाए. आम घरों में अकसर प्यार, इमोशन, फीलिंग जताने में एक असहजता सी महसूस होती है. प्यार में इन सब बुनियादी चीजों को न समझने से आपसी अंडरस्टैंडिंग में समस्या आने लगती है. रिश्ते बिखरने लगते हैं. तारतम्य नहीं बैठ पाता. भावनाएं व्यक्त नहीं हो पातीं. अब सवाल यह कि कहीं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों की कमी तो नहीं या उन माध्यमों की कमी है जिन से प्रेम व्यक्त किया जा सके.

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द फाइव लव लैंग्वेजेज

भारत में रिश्तों के बीच यह सब से आम समस्या है कि हम अपने इमोशन और फीलिंग्स को सामने वाले से जाहिर ही नहीं कर पाते. लोग रिश्तों की परवा तो करते हैं लेकिन फिर भी अधिकतर प्यार दिखाते समय जूझते दिखाई देते हैं. क्या यह सामान्य नहीं कि एक आम परिवार में जन्मदिन का प्रोग्राम तो कर लिया जाता है लेकिन जन्मदिन विश करते समय असहजता आड़े आने लगती है.

साल 1992 में गैरी चैपमैन की एक किताब आई थी, नाम था- ‘द 5 लव लैंग्वेजेज’. यह किताब इतनी फेमस हुई थी कि पहले एडिशन करोड़ों कौपियां बिक चुकी हैं. पुस्तक लिखने से पहले डा. चैपमैन ने अपने रुझन बनाने के लिए जोड़ों के साथ वर्षों का समय बिताया. उन्हें पता चला कि जोड़े एकदूसरे को व एकदूसरे की जरूरतों को गलत समझ रहे थे. अपने बनाए नोट्स के जरिए उन्होंने पाया कि प्रेम की भाषा होती है. जिसे उन्होंने ‘5 प्रेम भाषाएं’ कह कर संकलित किया.

चैपमैन के अनुसार, प्रेम भाषाएं आप के बच्चों, मातापिता, आप के सहकर्मियों और यहां तक कि आप के मित्रों के साथ आप के रिलेशन पर लागू होती हैं. हालांकि रिश्तों के अनुसार वे कुछ हद तक भिन्न हो सकती हैं. साथ ही, आप की प्रेमभाषा भी कभीकभी बदल सकती है. उदाहरण के लिए, यदि आप के लिए औफिस में एक बुरा दिन था तो आप एक निराशाजनक शब्द कहने के बजाय अपने साथी से गले मिलना पसंद कर सकते हैं. दुखी हैं तो बात शेयर करने और समय बिताने जैसा काम कर सकते हैं. प्रेम की असल चाबी आप का हमेशा संवाद में बने रहना होता है. प्रेम का कोई अंतबिंदु नहीं होता, यह सतत व निरंतर गतिमान रहता है.

प्रेम की भाषा कौन सी है

बोल प्रशंसा के : प्रशंसा व प्रोत्साहन के माध्यम से प्रेम को खूबसूरती से व्यक्त किया जा सकता है. यह एक प्रकार से अपनी सहमति व्यक्त करने जैसा भी होता है. आमतौर पर 2 लोगों के बीच काफीकुछ चीजें घटती हैं. कई चीजें ऐसी होती हैं जो प्रोत्साहन की हकदार होती हैं. लेकिन पार्टनर से अच्छा रिस्पौंस न मिलने के चलते निराशा हाथ लगती है, जिस के कारण रिश्ते में नीरसता आने लगती है. अच्छे रिश्तों को गढ़ने के लिए कौम्प्लीमैंट, एन्करेजमैंट, प्रेज की जरूरत होती है. आप प्यार जताने के लिए अपने पार्टनर की तारीफ कर के या उन्हें बता सकते हैं कि वे क्या अच्छा करते हैं, जिस से उन का कौन्फिडैंट बूस्ट होगा.

क्वालिटी टाइम : एक बड़ी समस्या यह बनी रहती है कि आज के समय में ध्यान भटकाने वाली कई चीजें आ चुकी हैं. सीधी नजरों से वार्त्तालाप सिमटता जा रहा है. इस का मतलब है, जब आप का पार्टनर आप से बात करे तो सैलफोन को नीचे रखना और टेबलैट, लैपटौप को बंद करना, सीधा आंखों से संपर्क बनाना और सक्रिय रूप से सुनना आदि ‘प्रेमभाषा’ का मजबूत बिंदु है. इसलिए जब आप अपने नजदीकी के साथ हों, जिसे आप अपना महसूस करते हों, तो कोशिश करें कि क्वालिटी टाइम बिताएं. क्वालिटी टाइम के लिए अलग से समय निकालें. सुनिश्चित करें कि जब आप अपने पार्टनर से बात करें तो सीधे कौन्टैक्ट बनाबना कर बात हो, ध्यान से सुनें कि दूसरा व्यक्ति क्या कह रहा है. हो सकता है वह आप को बात बताते समय ऐसी बात बता जाए जिस में आप की प्रतिक्रिया जरूरी हो और आप वह अनसुना कर दें, तो यह आप को गैरजिम्मेदार ही साबित करेगा.

कार्यभाव से प्रेमभाव : यह प्रेमभाषा का सब से जरूरी माध्यम है. कार्यभाव को समझना हो तो सब से बेहतर तरीके से मां के रूप में इसे समझ जा सकता है. जब मां अपने बच्चों के लिए कुछ करती है तो वह प्यार व सराहना महसूस करती है. क्या ऐसा भाव प्रेम का उत्तम स्थान नहीं? जब किसी के लिए स्वयं कार्य करने का मन करता है तो भीतर से प्यार उमड़ने लगता है. एकदूसरे के लिए दिल से काम करना, चाहे वह छोटा काम ही क्यों न हो, प्रेम की कसौटी को दिखाता है. लेकिन यहां समस्या यह है कि इस कसौटी पर खरा उतरने की जिम्मेदारी सामान्यतौर पर सिर्फ महिलाओं के पल्ले ही बांध दी जाती है. कार्यभाव म्यूचुअल होना जरूरी है वरना टकराव पैदा होने लगते हैं.

फिजिकल टच : इस प्रेमभाषा वाला व्यक्ति फिजिकल टच के माध्यम से प्यार महसूस कर/करा सकता है. यह टच जरूरी नहीं कि सैक्स का ही माध्यम बने. फिजिकल टच का मतलब अपने साथी/रिश्ते को किसी तरह से शारीरिक स्नेह दिखाना है, जैसे हाथ पकड़ना, बांह को छूना या सहलाना इत्यादि. यह एक प्रकार से ऐसा है जैसे, बस, शारीरिक रूप से अपने सहयोगियों/रिश्तों के करीब होना हो.

आप किसी समय दिखाते हैं कि आप किसी की केयर कर रहे हैं, इस के लिए फिजिकल टच सब से जरूरी भूमिका अदा करता है. मान लीजिए, कोई बहुत दुखी है. उसे उस समय किसी के कंधे का सहारा चाहिए, किसी करीबी से टाइट हग चाहिए. आप उस के करीबी हैं, आप अपने कंधे का सहारा देते हैं, गले लगाते हैं तो उसे यह सुकून देता है.

कपल्स के लिए फिजिकल टच की ‘प्रेमभाषा’ बहुत अहमियत रखती है. यह सुखदुख में प्यार जताने मात्र के लिए ही नहीं, बल्कि रोमांस, सैक्स और कामोत्तेजना में भरपूर काम आती है. सैक्स कपल्स के प्रेम को बनाए रखने का सब से इंपौर्टैंट पार्ट होता है. इस में किसिंग, फोरप्ले, इंटरकोर्स इत्यादि आते हैं. किसी कपल्स के लिए इस की जरूरत इस से समझ जा सकती है कि रिश्तों के टूटने या बिखरने में इस का बहुत महत्त्व होता है. यहां तक कि शादीशुदा जोड़ों में तलाक होने का इस की कमी को बड़ा आधार बनाया जाता है.

गिफ्ट्स : गिफ्ट्स एक बहुत ही सरल प्रेमभाषा है. आप प्यार महसूस करते हैं जब लोग आप को ‘प्यार के प्रतीक’ के तौर पर गिफ्ट देते हैं, जैसा कि चैपमैन कहते हैं, ‘‘यह किसी महंगेसस्ते उपहारों के बारे में नहीं है, बल्कि गिफ्ट देने के पीछे प्रतीकात्मक सोच के बारे में है जिसे प्रेमी को जताया जाता है. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि गिफ्ट महंगा है या सस्ता, बल्कि फर्क इस से पड़ता है कि गिफ्ट देने के लिए पार्टनर ने अपना समय, अपना विचार और इच्छा जताई है. यह चीज पार्टनर को भीतर से बेहद खुश करती है.

प्रेमभाषा प्रेम सिखाती है

प्यार एकदूसरे के लिए जीना सिखाता है. जब आप किसी से प्रेम में हों, चाहे उस का आप से किसी प्रकार का रिश्ता हो, आप को उस के प्रति जिम्मेदार बनाता है. यह सैल्फ की भावना को खत्म करता है. यह सहानुभूति रखना सिखाता है. यह इस बात पर ध्यान देना सिखाता है कि दूसरे व्यक्ति को क्या महत्त्वपूर्ण और अच्छा लगता है. जोड़े प्रेम भाषाओं को सीखने और उन्हें अपनाने के लिए कमिटेड होते हैं, तो वे सीखते हैं कि किसी और की जरूरतों को अपने से ऊपर कैसे रखा जाए.

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जब लोग एकदूसरे से प्रेमभाषा में डील शुरू करते हैं, तो वे ज्यादा ईमानदार होते हैं. जब यह भाषा आप अपने इर्दगिर्द बना रहे होते हैं तो आप के रिश्ते संतुष्ट और मजबूत बनते हैं. एक बार जब आप एकदूसरे की प्रेमभाषा को समझ गए तो आप देखेंगे कि चीजें पहले से कितनी आसान हो जाएंगी. याद रखें, हैल्दी रिश्ते पैदा नहीं होते हैं, वे सही केयर और कोशिशों के जरिए डैवलप किए जाते हैं. अगर आप एकदूसरे से प्यार करने के लिए कमिटेड हैं और अपनी प्रेमभाषा डैवलप कर चुके हैं, तो आप खुद को न केवल प्यार में और अधिक गहरा पाएंगे, बल्कि एक खुशहाल और अच्छे रिश्ते में भी आप खुद को देख पाएंगे. इसलिए प्यार को भीतर में दबा कर नहीं, उसे जता कर और बढ़ाया जा सकता है. इसे जताने के लिए पोलाइट तरीका अपनाए जाने की जरूरत है जिस से प्रेम सार्थक बन सके.

BIGG BOSS 14 की ट्रॉफी जीतने के बाद रुबीना को मिला किन्नर समाज का आर्शीवाद, देखें वीडियो

बिग बौस 14 का खिताब अपने नाम कर चुकीं एक्ट्रेस रुबीना दिलैक इन दिनों अपनी जीत का जश्न मनाने में बिजी हैं, जिसकी वीडियो वह लगातार अपने फैंस के लिए सोशलमीडिया पर शेयर कर रही हैं. इसी बीच रुबीना दिलैक ने अपनी जीत के जश्न की खुशी किन्नर समाज के साथ भी शेयर की हैं, जिसके वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

घर पर किया स्वागत

दोस्तों और परिवार के साथ अपनी जीत का जश्न मनाने के बाद रुबीना दिलैक ने अपने घर पर किन्नर समाज की गुरु का स्वागत किया है. दरअसल, रुबीना ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह किन्नर समाज की गुरु का आशीर्वाद लेते हुए नजर आ रही हैं. साथ ही काफी सारी फोटोज भी क्लिक करवाती दिख रही हैं.

 

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अभिनव से मिलना चाहतीं थीं गुरु मां

रुबीना के घर पहुंची गुरु मां की वीडियो सोशलमीडिया पर शेयर करते हुए रुबीना ने लिखा कि , “अन्नूजी हमें आशीर्वाद देने के लिए आई थीं. वह किन्नर समाज में गुरुमा हैं और वह सक्रिय रूप से मेरे शो #shakti का हिस्सा रही हैं. और खास तौर पर गुरु मा अभिनव से मिलना चाहता था क्योंकि वह उन्हें एक अच्छे इंसान लगते हैं.

 

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तलाक को लेकर किए कई खुलासे

 

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हाल ही सोशलमीडिया के जरिए फैंस से के सवालों का जवाब देते हुए कुछ दिनों पहले रुबीना दिलैक से अभिनव शुक्ला से तलाक की नौबत आने का कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि ये असल में इसलिए शुरू हुआ था क्योंकि वो रुबीना के लिए कॉफी लाना भूल गए थे.

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बता दें, बिग बौस 14 में रुबीना दिलैक अपनी शादी टूटने का खुलासा कर चुकी हैं. साथ ही इसी शो में वह अपनी शादी को दूसरा मौका देने की बात भी कह चुकी हैं.

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