संपूर्णा: भाग 2- पत्नी को पैर की जूती समझने वाले मिथिलेश का क्या हुआ अंजाम

मिथिलेश के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उस के होश उड़ा दिए. त्योरियां चढ़ गईं मिथिलेश की. बोला, ‘‘सीधी बात समझ नहीं आती. बिस्तर पर आते ही तुरंत मेरी सेवा में लग जाया करो,’’ अब तक मिथिलेश ने उस की साड़ी निकाल किनारे फेंक दी थी और उस की संगमरमरी देह पर निर्ममता के हजारों घोड़े दौड़ा दिए थे.

अपनी जानकारी में या अपनी बिरादरी में अब तक ऐसी ही स्त्रियों को वह देखता आया था जो पति के दुर्व्यवहार को हंस कर टाल जाया करती थीं.

मिट्टी कितनी ही एक सी हो, मूर्तियां तो अलग होती ही हैं. सिद्धी भी मिथिलेश की उम्मीद से परे थी. वह न तो उठी और न ही चाय बनाई. मिथिलेश भी मिथिलेश था. वह रसोई से चाय के खाली कप उठा लाया और बैडरूम की जमीन पर पटक दिए. उसे बालों से पकड़ कर खींचा और चीखा, ‘‘बाप का राज समझती है? औरत हो कर मर्द पर गुस्सा दिखाती है? मांबाप ने पति की इज्जत करना नहीं सिखाया? मुंह उठा कर चली आई,’’ और बस तब से हर दिन रोबदार, इज्जतदार पति के प्रति समर्पण का कुहरा छटता गया. उस की लगभग प्रतिदिन ऐसे इज्जतदार पति से मुलाकात होती जो उस का गर्व नहीं बल्कि खुद में अहंकार का विस्फोट था. उसे पास बैठा कर कभी उस की मनुहार नहीं करता, बल्कि अपराधी की तरह सिद्धी को सामने खड़ा कर उसे फटकरता था.

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ऐसे कठिन दिन बिताए. फिर भी 5 साल गुजर गए. सिद्धी को अपने जीवन में कुछ अच्छा होने की उम्मीद अब भी बाकी लगती थी, यद्यपि अब तक न तो बच्चे हो पाए थे और न ही कैरियर बन पाया था.

इतना जरूर था कि उस की निराशा बगावत पर आ गई थी और डर की दीवार टूटने पर आमादा थी.

एक दिन अचानक उस के पिता की मृत्यु की सूचना आई. सिद्धी खबर मिलते ही मां के पास चली गई. लेकिन मिथिलेश तो श्राद्ध के दिन अपना चेहरा दिखाने पहुंचा.

चिन्मय अब बैंक में मैनेजर था. सूटबूट में उस की रौनक देखते ही बनती थी. सिद्धी के पिता की मृत्यु के बाद मां के घर में पसरे सूनेपन को चिन्मय भरसक भरने की कोशिश करता. सिद्धी के साथ ठिठोली करता, उसे चिढ़ाता, उस से मानमनौबल करता. सिद्धी की जो बातें कभी उस का बचपना लगती थीं आज मिथिलेश के व्यक्तित्व से दोचार होने के बाद एक पुरुष साथी में जरूरी गुण लगने लगी थी. इज्जत देने के लिए प्रेम होना जरूरी है और पतिपत्नी के बीच प्रेम समानता के बिना कहां संभव है?

चिन्मय की मदद से उस ने एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में साइकोलौजिस्ट की नौकरी ढूंढ़ ली थी. तनख्वाह अच्छी थी. सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक वहां बैठने की बात थी जो सिद्धी को सहज स्वीकार्य था.

खोए हुए आत्मविश्वास का मंत्रपाठ जो चिन्मय ने दिया उस के भरोसे अब मिथिलेश की नाजायज चीखों के आगे डटे रहने की उस में फिर से शक्ति आने लगी. अलबत्ता, मिथिलेश धीरेधीरे उस की तरफ से लापरवाह होता गया. कुछ हद तक अनसुने, अनदेखे का भाव. हां बिस्तर की चाकरी सिद्धी को हर हाल में करनी पड़ती.

चिन्मय की जिंदगी निराली थी. बड़े भाईभाभी उस के साथ रहते तो थे, लेकिन आंगन के बीच एक दीवार खड़ी थी जो भाभी कोशिशों का नतीजा थी. सिद्धी के प्रति लगाव और भाभी का व्यवहार कुल मिला कर उस ने शादी के खयाल को परे ही कर रखा था.

एक तरफ के दोमंजिले मकान में चिन्मय ऊपर और नीचे  उस के मम्मीपापा रहते थे. मातापिता की उम्र अधिक थी और ज्यादातर वे कामवाली के भरोसे रहते. चिन्मय उन का बराबर खयाल रखता. छुट्टी के दिन उन्हें घुमाने भी ले जाता.

वापस आ कर सिद्धी मिथिलेश के गुस्से को और झेल पाने में खुद को लाचार पा रही थी. कुछ मन लगे, कुछ ध्यान बंटे इसलिए रिद्धी को वह अपने पास बुलाने लगी थी. यों साल गुजरा. आज सिद्धी की तबीयत ठीक नहीं थी. सोचा कि नर्सिंगहोम न जाए, फिर कुछ मरीजों का सोच कर वह चली गई. वापस जब आई तब दिन के 11 बज रहे थे. सोचा था जल्दी आ कर थोड़ा आराम कर लेगी.

सीढि़यों से दूसरी मंजिल पर आतेआते उस ने कई ऐसी आवाजें सूनीं जिन से विश्वास की चूलें हिल गईं. आंखें पथरा गईं. बैडरूम से आती आवाजें साफ होती गईं जो सीने में सौसौ हथौड़ों के बराबर थीं.

रिद्धी की आवाज आ रही थी, ‘‘जीजू बस अब और नहीं,’’ खिलखिलाहट के साथ कहती हुई वह शायद जीजू पर लोट गई थी.

सिद्धी की अनुभवी आंखें अंदर का सारा दृश्य देख रही थीं.

‘‘जीजू… दीदी आ जाएगी,’’ छोड़ो अब और नहीं.

‘‘अभी देर है, वैसे आ भी जाएगी तो क्या, मैं परवाह नहीं करता.’’

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सिद्धी दूसरे कमरे तक किसी तरह खुद को ढकलते हुए ले गई और बिस्तर पर फेंक दिया अपनेआप को. घृणा से भर गई वह अपने जीवन के प्रति. एक पत्नी होने का उसे इतना दुखद सिला क्यों मिल रहा है?

मिथिलेश बदमिजाज था, पत्नी को पैरों की जूती समझता था. परंपरावादी सोच को शास्त्रवाक्य मान कर पत्नी को अपने से नीच जीव समझता था. सहने की हद होती है और इस हद की रेखा सिद्धी को ही खींचनी थी.

रात को सोते वक्त सिद्धी की सपनों से लवरेज आंखें अफसोस के आंसुओं से दोहरी हो गईं.

मिथिलेश उसे देखते ही मशीन की तरह अपने शिकंजे में कसने लगा. वह परे हट कर चीखी, ‘‘आप ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा

क्यों किया?’’

ढीठ की तरह मिथिलेश ने जवाब दिया, ‘‘मुझ पर उंगली उठाने का तुम्हें कोई हक नहीं. पहले मेरा वंश बढ़ाओ, फिर सवाल करना, समझ.’’

यही एक नश्तर था जो सिद्धी को हर आड़े वक्त पर चुभता था. क्या वह वाकई मां  बनने लायक नहीं थी? क्या वह इतने सालों से बिना चैकअप कराए बैठी है? वह नहीं, मिथिलेश पिता बनने के काबिल नहीं. लेकिन वह चुप है ताकि मिथिलेश को बुरा न लगे.

इधर मिथिलेश इस खुशी में उसे धोखे और मक्कारी से नवाज रहा है कि वह औरत है. उस के पैरों की जूती है. क्यों शरीर की किसी कमी के जाहिर होने पर मर्द की इज्जत चली जाएगी? क्यों मर्द की इज्जत अहंकार की प्रत्यंचा पर चढ़ा तीर होती है? क्या मिथिलेश जैसा पति दोस्त नहीं. पत्नी का मालिक होता है? सैकड़ों अनसुलझे सवाल सिद्धी को परेशान करने लगे थे.

मिथिलेश के दिल में क्यों इतनी खुन्नस है? क्या सिद्धी का पढ़ालिखा समझदार होना मिथिलेश के अंह को चोट पहुंचाता है? क्या यही इज्जतदार होने की निशानी है?

अगले दिन दोपहर तक सिद्धी का कोई अतापता नहीं था. खानेपीने का इंतजाम कर वह निकल गई थी. शाम को मिथिलेश के हाथों में उस का डाक्टरी परीक्षण था. यह उस के स्त्रीत्व का प्रमाणपत्र था जैसे.

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रिपोर्ट को नौर्मल देख मिथिलेश की त्योरियां चढ़ गईं. रिपोर्ट को टेबल पर फेंक उस ने कहा, ‘‘यह अपनी किसी पहचानवाली से करवा लाई हो, आपस की मिलीभगत होगी.’’

‘‘आप ने खुद की जांच कर ली है या नहीं… कुछ नहीं तो कम से कम मेरी बहन के साथ मेरे पीछे गलत रिश्ता तो न बनाते,’’ सिद्धी ने तीखे शब्दों में कहा.

आगे पढ़ें- सिद्धी ने उसी वक्त अपने…

कोरोना से हुआ Nikki Tamboli के भाई का निधन, इमोशनल पोस्ट के जरिए बताया अपना दर्द

कोरोना का कहर एक बार फिर आम से लेकर खास लोगों की जिंदगी में कहर बनकर टूट रहा है. जहां बीते साल कई दिग्गजों ने अपनी फैमिली को अलविदा कहा तो वहीं इस साल भी कोरोना के कारण कई अपनों ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. इसी बीच खबर है कि बिग बॉस 14 में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस और मौडल निक्की तंबोली (Nikki Tamboli) के भाई का निधन हो गया है, जिसके चलते उन्होंने सोशलमीडिया पर इमोशनल पोस्ट शेयर किया है…

भाई के लिए लिखा इमोशनल पोस्ट

 

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बीते कुछ दिनों से निक्की तम्बोली के भाई जतिन कोरोना संक्रमित थे, जिसके बाद अब उनका निधन हो गया है. भाई के निधन से टूट चुकीं निक्की तम्बोली ने एक फोटो के साथ इमोशनल पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘हमें नहीं पता था कि आज की सुबह भगवान तुम्हें अपने पास बुला लेगा. जिंदगी में हमने तुम्हें बहुत प्यार किया. तुम्हारे निधन के बाद भी हम उतना ही प्यार करेंगे. तुम्हें खोने से हमारा दिल टूट गया है. तुम अकेले नहीं गए हो. हमारा एक हिस्सा तुम्हारे साथ चला गया है. जब भगवान ने तुम्हें बुलाया तो तुम अच्छी यादें छोड़कर गए हो. तुमने किसी को भी आखिरी अलविदा नहीं कहा. हमें पता चलता, उससे पहले ही तुम जा चुके थे. हम तुम्हें लाखों बार मिस करेंगे. तुम्हें याद कर हम लाखों बार रोएंगे. मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने धरती पर तुम्हें मेरा भाई बनाकर भेजा. तुम हमेशा याद आओगे. भगवान तुम्हारी आत्मा को शांति दे. मैं तुम्हें मिस करती हूं दादा.’

 

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दोस्तों ने किया मैसेज

निक्की तम्बोली के भाई के निधन की खबर मिलते ही सोशलमीडिया पर उनके दोस्तों ने श्रद्धाजलि देने और हौसला देने की बात कही.

 

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भाई के लिए रखी थी पूजा

 

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बीते दिनों निक्की तम्बोली ने भाई के लिए पूजा रखवाई थी, जिसकी फोटोज उन्होंने सोशलमीडिया पर शेयर की थीं. वहीं फैंस से उनके भाई के लिए प्रार्थना करने के लिए भी कहा था. वहीं निक्की के भाई के निधन के बाद सेलेब्स श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

सुगंधा मिश्रा के पति ने दिखाया शादी के बाद का हाल, Video Viral

द कपिल शर्मा शो में दर्शकों को एंटरटेन करने वाली सिंगर और कॉमेडियन सुगंधा मिश्रा (Sugandha Mishra) हाल ही में कॉमेडियन और एक्टर संकेत भोसले (Sanket Bhosale) संग शादी के बंधन में बंधे हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज सोशलमीडिया पर धमाल मचा रही है. इस बीच नई दुल्हन यानी सुगंधा मिश्रा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर फैंस हैरान हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है वीडियो में खास…

शादी के बाद का दिखाया हाल

हाल ही में कॉमेडियन और एक्टर संकेत भोसले (Sanket Bhosale) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें सुगंधा मिश्रा (Sugandha Mishra) कितनी ‘केयरिंग वाइफ’ हैं के बारे में दिखाया गया है. दरअसल, वीडियो में संकेत बैड पर सोए हुए हैं और सुगंधा गुड मॉनिंग कहकर उन्हें विश करती हैं. हाथ में चाय का कप लिया हुए सुगंधा पूछती हैं कि चाय पीनी है? कैसी लाइट या स्ट्रोग. इसके जवाब में वह कहते हैं स्ट्रोग. सुगंधा ये सुनकर कहती हैं तो चाय पत्ती दो चम्मच और दूध एक दम थोड़ा सा डालना जाओ. अपनी नई-नई पत्नी से ये सुनकर संकेत की आंखे फटी की फटी रह जाती हैं. वहीं कैप्शन में संकेत ने लिखा- ‘शादी के बाद’.

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शादी के बाद शेयर किया था वीडियो

जहां संकेत के इस शादी के बाद वाले वीडियो को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग अपना दर्द भी बयां कर रहे हैं. हालांकि इस बीच संकेत ने एक और वीडियो शेयर किया है, जिसमें सुगंधा मिश्रा ब्लश करती नजर रही हैं. वही संकेत सुंगधा को मिसेज भोसले कहते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, यह वीडियो शादी के बाद का है, जिसमें दोनों एक कार में बैठे नजर आ रहे हैं.

बता दें कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच इस कपल ने करीबी रिश्तेदार और दोस्त के बीच शादी की थी. वहीं शादी के लिए मेहमानों का कोरोना टेस्ट भी करवाया गया था.

क्यों Rubina Dilaik से नहीं मिलना चाहते पति Abhinav Shukla! पढ़ें पूरी खबर

बिग बौस 14 में अपने तलाक को लेकर खुलासा कर चुकीं एक्ट्रेस रुबीना दिलैक (Rubina Dilaik) अपनी शादीशुदा जिंदगी को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं हाल ही में कोरोना पौजीटिव होने के चलते वह इन दिनों अपनी फैमिली और पति अभिनव शुक्ला से दूर हैं. इस बीच अभिनव शुक्ला के एक बयान ने फैंस को चौंका दिया है. दरअसल, एक इंटरव्यू में अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) ने अपनी पत्नी रुबीना दिलैक को लेकर बात कही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

शिमला में हैं रुबीना

 

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बीते दिनों शूटिंग में बिजी रहीं एक्ट्रेस रुबीना दिलैक (Rubina Dilaik) अपने होमटाउन शिमला में हैं. वहीं इस दौरान उनकी कोरोना की रिपोर्ट पौजिटिव आई है, जिसके चलते वह सेल्फ आइसोलेशन में हैं. हालांकि पति अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) उनके साथ इस समय मौजूद नहीं हैं. वहीं इस मामले को लेकर अभिनव (Abhinav Shukla) ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैं यहीं रहूंगा. रूबीना अपने घर शिमला में क्वारंटीन हैं. मैं वहां जाता भी हूं तो परिवार वाले मुझे उससे फिलहाल मिलने नहीं देंगे. इसलिए अभी वहां जाने का कोई मतलब नहीं है. वहीं लोगों से पैनिक न करने की अपील करते हुए अभिनल शुक्ला ने कहा समझदारी से इस बीमारी से लड़ने की जरूरत है.

 

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अभिनव शुक्ला ने कही ये बात

 

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एक्टर ने कहा,‘पैनिक होने से कुछ नहीं होगा. हमें इस वक्त संयम के साथ इस बीमारी को हराना चाहिए. अगर हम घबराएंगे तो हमारे आस-पास वाले लोग भी घबराने लग जाएंगे. हम सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि रुबीना बहुत जल्दी ठीक हो जाएगी.’ वहीं रुबीना को याद करते हुए एक पोस्ट शेयर करते हुए हाल ही में एक फोटो भी शेयर की थी, जिसके जरिए साफ दिख रहा था कि वह अपनी वाइफ को कितना मिस कर रहे हैं.

 

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बता दें, बिग बौस 14 के दौरान अभिनव शुक्ला और रुबीना दिलैक ने अपने दिसंबर 2020 में होने वाले तलाक का खुलासा किया था. हालांकि इस शो के अंत में इस कपल ने जिंदगी भर साथ रहने का वादा भी किया था. साथ ही दोबारा शादी का फैसला भी किया था.

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शादी से पहले मुझे TB हो गया था, क्या इसका असर प्रैग्नेंसी पर पड़ता है?

सवाल–

मेरी उम्र 31 साल है. मेरी शादी को 6 साल हो गए हैं. शादी से पहले मुझे TB हो गई थी. अब मैं गर्भधारण नहीं कर पा रही हूं. क्या इस का टीबी से कोई संबंध है?

जवाब-

टीबी भारत में एक बहुत ही सामान्य समस्या है. ज्यादातर यह फेफड़ों को प्रभावित करती है पर यह अंडेदानी और बच्चेदानी तक भी फैल सकती है. अगर समय रहते उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में यकीनन परेशानी आ सकती है. अगर यह बच्चेदानी को प्रभावित करती है तो फैलोपियन ट्यूब्स ब्लौक हो सकती हैं. यह स्थिति धीरेधीरे माहवारी को कम करती है या बंद भी कर सकती है. जांच कराएं कि कहीं यह बच्चेदानी तक तो नहीं पहुंच गई है. यदि पहुंच गई है तो समय रहते दवा शुरू करने से इसे प्रारंभिक चरण में ठीक किया जा सकता है. अगर इस के बारे में देर से पता चला है और यह ट्यूब्स तक पहुंच गई है तो लैप्रोस्कोपी या दूरबीन से ट्यूब्स को खोला जा सकता है. अगर ट्यूब्स इतनी क्षतिग्रस्त हो गई हैं कि उन्हें खोला नहीं जा सकता तो फिर आप को मां बनने के लिए आईवीएफ का विकल्प चुनना पड़ेगा.

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जिनको ये लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों की बीमारी है, तो उन्हें अपनी सोच पर दोबारा विचार करने की जरूरत है! मेडिकल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में टीबी के कुल मरीजों में से 5-10% मरीज हड्डी की टीबी से पीड़ित हैं और यह आंकड़ा नरंतर बढ़ता जा रहा है. स्पाइनल टीबी को लेकर जागरुकता में कमी ही इसका मुख्य कारण है. यही वजह है कि लोग अक्सर इसके लक्षणों को अन्देखा करते हैं, जिसके कारण टीबी का बेक्टीरिया हड्डियों और स्पाइन को प्रभावित करता रहता है. यदि हम संख्याओं की बात करें तो भारत में लगभग 1 लाख लोग ऑस्टियोआर्टिकुलर टीबी से पीड़ित हैं, जिसके कारण बढ़ते बच्चों के हाथ-पैर आवश्यकता अनुसार नहीं बढ़ पाते हैं और कुछ मामलों में पूरा शरीर लकवे की चपेट में आजाता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- टीबी सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं, हड्डियों को भी करती है प्रभावित

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

भूल: भाग 3- शिखा के ससुराल से मायके आने की क्या थी वजह

पिछला भाग- भूल: भाग-2

‘‘तब मुझे सहयोग करो. शिखा नौकरी भी छोड़ देगी और लौटने के लिए भी राजी हो जाएगी. मेरी समझ से उसे सारा ध्यान रोहित के उचित पालनपोषण पर लगाना चाहिए.’’

‘‘जी बिलकुल.’’

‘‘मैं जो कहूंगी, वह करोगे?’’

‘‘मुझे क्या करना है?’’

‘‘तुम रोहित को आज चिडि़याघर दिखा लाओ. शाम को लौटना और यहां आने से पहले मुझे फोन कर लेना. ध्यान बस इसी बात का रखना कि तुम्हें शिखा से कोई संपर्क नहीं रखना है. तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मैं शाम को दूंगी.’’

कुछ देर खामोश रह कर उस ने सोचविचार किया और फिर मेरी बात मान ली.

कुछ देर बाद बापबेटा चिडि़याघर घूमने निकल गए. उन के जाने के बाद मैं ने शिखा को औफिस में फोन किया और भय से कांपती आवाज से बोली, ‘‘बेटी, तू इसी वक्त घर आ जा. हम सब बड़ी मुसीबत में हैं.’’

‘‘रोहित को कुछ हुआ है क्या?’’ वह फौरन घबरा उठी.

‘‘रोहित को भी… और राजीव को भी… तू फौरन यहां पहुंच और देख, उस तरुण से न इस बात की चर्चा करना, न उस के साथ आना वरना सब बहुत गड़बड़ हो जाएगा. बस, फौरन आ जा,’’ और मैं ने फोन काट दिया. करीब 15 मिनट के अंदर शिखा घर आ गई.

वह मेरे सामने पहुंची, तो मैं ने गुस्से से घूरना शुरू कर दिया.‘‘क्या हुआ है? मुझे ऐसे क्यों देख रही हैं?’’ उस की घबराहट और बढ़ गई.

‘‘अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार कर तुझे क्या मिला है, बेवकूफ? मैं ने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि मेरी बेटी चरित्रहीन निकलेगी,’’ क्रोधावेश के कारण मेरी आवाज कांप उठी.

‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’ मन में चोर होने के कारण उस का चेहरा फौरन पीला पड़ गया.

‘‘राजीव को सब पता लग गया है, बेहया…’’

‘‘क्या पता लग गया है उन्हें?’’ पूरा वाक्य मुंह से निकले में वह कई बार अटकी.

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‘‘तरुण और तुम्हारे गलत संबंध के बारे में.’’

‘‘हमारे बीच कोई गलत संबंध नहीं है,’’ उस ने आवाज ऊंची कर के अपने इनकार में वजन पैदा करना चाहा.

‘‘तू क्या सोमवार और बुधवार को उस के साथ रेस्तरां में नहीं गई थी?’’

‘‘नहीं… और अगर गई भी थी तो इस से यह साबित नहीं होता कि तरुण और मेरे…’’

‘‘पिछले शुक्रवार को तुम दोनों ने क्या फिल्म नहीं देखी थी?’’

‘‘नहीं,’’ उस ने झूठ बोला.

मैं ने आगे बढ़ कर एक जोर का तमाचा उस के गाल पर जड़ा और चिल्लाई, ‘‘यों झूठ बोल कर तू अब अपने माथे पर लगा कलंक का टीका साफ नहीं कर पाएगी, मूर्ख लड़की. राजीव रोहित को तुझ से दूर ले गया है. उस ने तुम्हें अपनी व अपने बेटेकी जिंदगी से बाहर निकाल फेंकने का निर्णय ले लिया है… हमारी नाक कटा दी तू ने और अपनी तो जिंदगी ही बरबाद कर ली.’’

मेरे चांटे का फौरन असर हुआ. वह झूठ बोल कर अपना बचाव करना भूल गई. अपने हाथों में उस ने अपना मुंह छिपाया और रो पड़ी.

‘‘अब क्यों रो रही है?’’ मैं ने उस पर चोट करना जारी रखा, ‘‘राजीव से तलाक मिल जाएगा तुझे. जा कर उस तरुण से बात कर कि वह भी अब अपनी पत्नी से तलाक ले कर तुझे अपनाए.’’

‘‘मैं रोहित से दूर नहीं रह सकती हूं,’’ अपनी इच्छा बता कर वह और जोर से रो पड़ी.

‘‘रोहित के पिता को धोखा दे कर… उस के प्रेम को अपमानित कर के तू किस मुंह से रोहित को मांग रही है? अब तू उन्हें भूल जा और उस तरुण के साथ…’’

‘‘उस का नाम मत लो, मां,’’ वह तड़प उठी, ‘‘मैं उस से आगे कोई संबंध नहीं रखूंगी. मैं भटक गई थी… मुझे उन दोनों के साथ ही रहना है, मां.’’

‘‘अब यह नहीं हो सकता, बेटी.’’

‘‘मां, कुछ करो, प्लीज,’’ वह मेरे गले लग कर बिलखने लगी.

मैं ने मन ही मन राहत की सांस ली. शिखा की प्रतिक्रिया से साफ जाहिर था कि तरुण और उस के बीच अवैध संबंध नहीं था.

मेरी मूर्ख बेटी ने ससुराल में मिली आजादी का गलत फायदा उठाया था. अपने पति के प्रेम का नाजायज फायदा उठाते हुए वह नासमझी में भटक गई थी.

मैं बंदर के हाथ उस्तरा देने की कुसूरवार थी. मुझे पता था कि मेरी बेटी सुंदर ज्यादा है और गुणवान कम. ऐसी लड़कियां संयुक्त परिवार की सुरक्षा में ज्यादा सुखी रहती हैं. उसे परिवार से अलग कर मैं ने भारी भूल की थी.

जिस भय, चिंता व तनाव भरी मनोदशा का शिखा शिकार थी, उस के चलते उस से अपनी हर बात मनवाना मेरे लिए कठिन नहीं था. राजीव और रोहित को पाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार थी.

मैं ने आसानी से उसे फौरन नौकरी छोड़ने व ससुराल लौटने को तैयार कर लिया.

‘‘बेटी, जगह की कमी, ससुराल वालों के दुर्व्यवहार या किसी अन्य मजबूरी के कारण बहुएं संयुक्त परिवार को छोड़ देती हैं, पर तू सिर्फ जिम्मेदारियों से बचने के लिए अलग हुई. तुझे गलत शह देने की कुसूरवार मैं भी हूं. तू ससुराल लौट कर ही सुखी रहेगी, इस में कोई शक नहीं. तू मुझ से एक वादा कर,’’ मैं बहुत गंभीर हो गई.

‘‘कैसा वादा?’’ उस ने आंसू पोंछते हुए पूछा.

‘‘यही कि इस बार लौट कर तुम अपने उत्तरदायित्वों को सही तरह से निभाओगी… अपने संयुक्त परिवार की मजबूत कड़ी बनोगी.’’

‘‘बनूंगी, मां,’’ उस ने जोर से कहा.

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मैं ने आगे झुक कर उस का माथा चूमा और भावुक लहजे में बोली, ‘‘अब सच बात सुन. जिस व्यक्ति ने मुझे तरुण और तुम्हारे बारे में बताया है, वह राजीव नहीं है और उस ने भूल सुधार फौरन न होने की स्थिति में सब कुछ राजीव को बताने की धमकी भी दी है.’’

‘‘क…कौन है वह व्यक्ति?’’ उस ने परेशान लहजे में पूछा.

‘‘उस का नाम मत पूछ. बस, अपनेआप को बदल डाल, बेटी और अपने विवाहित जीवन की सुरक्षा व खुशियों को फिर कभी अपनी मूर्खता व नासमझी द्वारा दांव पर मत लगाना. इस बार तुम बच जाओगी, पर भविष्य में…’’

उस ने मेरे मुंह पर हाथ रख कर मजबूत स्वर में जवाब दिया, ‘‘भविष्य में ऐसी भूल कभी नहीं दोहराऊंगी, मां. पर तुम्हें विश्वास है कि सब जानने वाला वह इंसान अपना मुंह बंद रखेगा?’’

‘‘हां, बेटी,’’ मैं ने उसे अपनी छाती से लगाया और मौन आंसू बहाने लगी, क्योंकि अपने द्वारा की गई भूलों का कड़वा पल सामने आया देख मैं खुद को काफी शर्मिंदा महसूस कर रही थी.

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बेहद स्टाइलिश हैं ‘अनुपमा’ की होने वाली ‘छोटी बहू’, ये लुक्स देख हो जाएंगे फिदा

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों सीरियस माहौल देखने को मिल रहा है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में धमाल भी देखने को मिलने वाला है. दरअसल, अनुपमा की बीमारी के बीच शाह परिवार समर और नंदिनी (Angha Bhosle) के रिश्ते के लिए मान जाएगा, जिसके चलते शो में समर (Paras Kalnawat) की सगाई नंदिनी से होती हुई नजर आएगी. वहीं अनुपमा भी अपनी छोटी बहू मिलने की खुशी में झूमती नजर आएगी. पर आज हम आपको शो की कहानी के बारे में नहीं बल्कि समर की नंदिनी (Angha Bhosle) यानी अनुपमा की छोटी बहू के स्टाइलिश अंदाज के बारे में बताने वाले हैं. आइए आपको दिखाते हैं नंदिनी यानी अनघा भोसले (Angha Bhosle) के कुछ स्टाइलिश लुक्स, जिसे नई नवेली दुल्हन हो या लड़कियां आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

साड़ी में फोटोज हुई वायरल

हाल ही में सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिनमें अनुपमा-वनराज अपने बेटे समर और नंदिनी (Angha Bhosle) को आर्शाीवाद देते नजर आ रहे हैं. वहीं इस दौरान नंदिनी लाल साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही है.

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बनारसी सूट में लगती हैं खूबसूरत

पिछले दिनों सीरियल में नंदिनी (Angha Bhosle) बनारसी सूट में जलवे बिखेरती नजर आईं थीं. ग्रीन कलर के अनारकली में नंदिनी यानी अनघा का लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं इस लुक के साथ मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक को चार चांद लगा रहा था.

वेस्टर्न में भी दिखा चुकी हैं जलवे

इंडियन ही नहीं सीरियल में वेस्टर्न लुक में भी नंदिनी यानी अनघा (Angha Bhosle)  जलवे बिखेरती नजर आई थीं. पिंक कलर के गाउन में अनघा का लुक काफी खूबसूरत लग रहा था.

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शरारा में लगती हैं परी

शरारा इन दिनों ट्रैंड में है. वहीं अनघा (Angha Bhosle) भी शरारा ट्रैंड ट्राय करना नही भूलीं. रेड कलर के शरारा में अनघा बेहद खूबसूरत लग रही हैं. उनका ये लुक नई नवेली दुल्हन के लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा.

Mother’s Day Special: बच्चों को खिलाएं फ्रूट आइसक्रीम

समर सीजन में अगर आप अपने बच्चों को हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करके खिलाना चाहती हैं तो फ्रूट आइसक्रीम आप ट्राय कर सकती है. ये आसानी से आप बना सकती हैं.

सामग्री

– 1 आम पका

– 2 कीवी

– 4 बड़े चम्मच अनार के दाने

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– 1 सेब

– 1 केला

– 150 ग्राम वैनिला आइसक्रीम

– थोड़े से बारीक कटे बादाम.

विधि

सभी फलों को छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. एक बाउल में वैनिला आइसक्रीम को अच्छी तरह फेंट कर उस में कटे फल मिला दें. सर्विंग बाउल में तैयार फ्रूटी आइसक्रीम डालें और बादाम से गार्निश कर सर्व करें.

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6 टिप्स: घर में होगी काकरोच की ‘नो एंट्री’

घरों में अक्सर सीलन बढ़ जाती है और काकरोचों के पनपने के लिए ये सबसे अनुकूल समय होता है. इनके सबसे अधि‍क पनपने की जगहें किचन और स्टोर रूम होती है.

बाजार में ऐसे कई उत्पाद मौजूद हैं जो ये दावा करते हैं कि उनके इस्तेमाल से काकरोच हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे लेकिन इन रासायनिक चीजों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा भी साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब आपके घर में छोटे बच्चें हो. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं.

1. तेजपत्ते का इस्तेमाल

तेजपत्ते की गंध से काकरोच भागते हैं. घर के जिस कोने में काकरोच हों वहां तेजपत्ते की कुछ पत्ति‍यों को मसलकर रख दें. काकरोच उस जगह से भाग जाएंगे. दरअसल, तेजपत्ते को मसलने पर आपको हाथों में हल्का तेल नजर आएगा. इसी की गंध से काकरोच भागते हैं. समय-समय पर पत्ति‍यां बदलते रहें.

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2. बेकिंग पाउडर और चीनी

एक कटोरे में बराबर मात्रा में बेकिंग पाउडर और चीनी मिलाएं और इस मिश्रण को जहां काकरोच की आवाजाही होती है वहां छिड़क दें. चीनी का मीठा स्वाद काकरोचों को आकर्षि‍त करता है और बेकिंग सोडा उन्हें मारने का काम करता है. समय-समय पर इसे बदलते रहें.

3. लौंग की गंध

तेज गंध वाली लौंग भी काकरोचों को भगाने के लिए एक अच्छा उपाय है. किचन की दरवाजों और स्टोर रूम की अलमारियों में लौंग की कुछ कलियों को रख दीजिए. इस उपाय से काकरोच भाग जाएंगे.

4. बोरेक्स

प्रभावित जगहों पर बोरेक्स पाउडर का छिड़काव कर दें. इससे काकरोच भाग जाते हैं लेकिन ये खतरनाक भी साबित हो सकता है. बोरेक्स पाउडर का छिड़काव करने के समय ये ध्यान रखें कि वो बच्चों की पहुंच से दूर हो.

5. केरोसिन आयल

केरोसिन आयल के इस्तेमाल से भी काकरोच भाग जाते हैं लेकिन इसकी बदबू से निपटने के लिए आपको तैयार रहना पड़ेगा.

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6. कुछ अन्य टिप्स

– पानी के निकास वाली सभी जगहों पर जाली लगी होनी चाहिए.

– फल-सब्जी के छिलकों को ज्यादा समय तक घर में न रहने दें.

– काकरोचों की संख्या बढ़ने से पहले ही हरकत में आ जाएं.

– स्प्रे करने के दौरान अपनी त्वचा को ढककर रखें.

बच्चों की जिंदगी बचाना ही Music की जर्नी का मकसद मानती हैं पलक, पढ़ें इंटरव्यू

‘एक था टाइगर,’ ‘आशिकी 2,’ ‘किक,’ ‘प्रेम रतन धन पायो,’ ‘काबिल,’ ‘बागी,’ ‘एमएस धोनी,’ ‘लव यात्री’ सहित सैकड़ों फिल्मों के अति लोकप्रिय गीत गा चुकीं बौलीवुड गायिका पलक मुच्छल दिल के रोगी व निर्धन बच्चों की काफी सहायता करती हैं. वे म्यूजिकल कंसर्ट से होने वाली कमाई से दिल के मरीज बच्चों के औपरेशन करवा कर उन्हें नई जिंदगी दिलाती हैं. अब तक वे 2,368 बच्चों के हृदय के औपरेशन का सारा खर्च उठा कर उन्हें नई जिंदगी दिला चुकी हैं.

प्रस्तुत हैं, पलक मुच्छल से हुई ऐक्सक्लूसिब बातचीत के कुछ अहम अंश:

अपने व अपने परिवार के संबंध में जानकारी देंगी?

मेरा जन्म 30 मार्च, 1992 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था. मेरे पिता राज कुमार मुच्छल अकाउंटैंट और मां अमिता मुच्छल गृहिणी हैं. मैं 8 साल की उम्र से चैरिटी स्टेज शो में गा कर पैसा इकट्ठा कर के गरीब बच्चों के दिल का औपरेशन कराती आ रही हूं. अब तक 2,368 निर्धन बच्चों के दिलों का औपरेशन करवा चुकी हूं. ये सभी बच्चे अब खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं, जबकि कई सौ बच्चे अभी भी मेरी मदद की आस लिए प्रतीक्षा सूची में हैं.

लोगों की मदद करने का विचार मन में  कब आया?

जहां तक मुझे याद है मैं ने सर्वप्रथम 6 साल की उम्र में नेत्रहीन बच्चों के लिए स्टेज पर गा कर धन इकट्ठा किया था. उस के बाद कारगिल के जवानों के लिए दुकानदुकान पर जा कर दुकान में मौजूद लोगों को ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ गीत सुना कर चंदा मांगते हुए क्व25 हजार इकट्ठा कर के दिए थे. वास्तव में मेरी शुरू से ही लोगों की मदद करने की इच्छा रही है.

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गरीब व दिल के मरीज बच्चों के मुफ्त  में औपरेशन करवाने का सिलसिला कब शुरू किया था?

मार्च, 2000 की बात है. एक दिन हमारे घर पर मदद की उम्मीद ले कर राधेश्याम कुरील आए थे. उन के 6 साल के बेटे लोकेश के हृदय में दो छेद थे. राधेश्याम कुरील उन दिनों एक मोची की दुकान पर क्व75 रोज कमाते थे. उन के लिए अपने बेटे के दिल की सर्जरी करवाना असंभव था.

जब उन्होंने हमारे घर पर मेरे मातापिता के सामने अपना यह दुख बयां किया, तो मैं ने 8 मार्च, 2000 की शाम अपना पहला चैरिटी शो कर दिल के मरीज उस बच्चे के लिए क्व51 हजार एकत्रित किए. मीडिया ने इस कार्यक्रम को प्रचारित कर दिया, जिसे एक चैनल पर उन दिनों बंगलुरु के ‘मणिपाल हार्ट हाउंडेशन’ में कार्यरत डाक्टर देवी शेट्टी ने देखा, तो वे लोकेश का औपरेशन नि:शुल्क करने को तैयार हो गईं. 24 मार्च, 2000 को लोकेश का औपरेशन हो गया और मणिपाल हार्ट फाउंडेशन की दरियादिली से मेरे इकट्ठा किए क्व51 हजार बच गए. मैं ने यह क्व51 हजार लोकेश को ही देने चाहे. पर गरीबी के बावजूद उस के मांबाप ने यह रकम लेने से मना करते हुए किसी अन्य गरीब हृदयरोगी बच्चे के औपरेशन पर खर्च करने के लिए कहा. तब मेरे मातापिता ने स्थानीय समाचारपत्रों में यह खबर प्रकाशित कराई.

खबर के छपते ही हमारे पास चारों ओर से आग्रह आने लगे और हफ्तेभर में ही गुजारिशों का अंबार लग गया. उस वक्त तक हमें पता नहीं था कि शहर में इतने बच्चे हृदयरोगी, जिन के पास इलाज करवाने के लिए धन की कमी है. उस के बाद मैं ने केवल उन्हीं बच्चों को मदद के लिए चुनने का निश्चय किया, जो बहुत ही गरीब और 17 वर्ष से कम उम्र के थे. मैं ने उस वक्त 11 साल की उम्र के 7 बच्चों का औपरेशन इंदौर के ‘भंडारी अस्पताल व रिसर्च सैंटर’ में करवाया. तब से मैं अपने ज्यादातर बच्चों के औपरेशन इंदौर के ‘भंडारी अस्पताल व रिसर्च सैंटर’ में ही करवाती हूं. उस के बाद मैं ने गरीब बच्चों के दिल का औपरेशन करवाना अपनी समाज सेवा का मिशन बना लिया.

तो क्या आप सिर्फ भारतीय बच्चों की ही मदद करती हैं या…?

हम ने अपने इस मिशन को सरहद की सीमाओं में नहीं बांधा है, बल्कि हम ने कई विदेशी हृदयरोगियों के बच्चों के खर्च को भी वहन किया है. जुलाई, 2003 में पाकिस्तान के नदीम दंपती अपनी बेटी नूर फातिमा के दिल के छेद का इलाज करवाने बंगलुरु आए थे, जिस का खर्च हम ने वहन किया था.

कोरोना व लौकडाउन में तो आप का काम बंद रहा होगा?

मेरा अपना म्यूजिक स्टूडियो है. मेरा भाई संगीतकार है. मैं खुद गीत लिखती हूं, तो हम ने कई फिल्मों के लिए अपने स्टूडियो में लौकडाउन के समय गीत तैयार किए. इस के अलावा हम ने अपनी संगीत कंपनी और यूट्यूब चैनल ‘पर्ल म्यूजिक’ भी शुरू किया, जिस के एक लाख से अधिक सब्सक्राइबर हो गए हैं.

इस के अलावा लौकडाउन के दौरान जब सारे म्यूजिकल कंसर्ट बंद हो गए, तब हमारे म्यूजीशियनों को तकलीफ हुई. मुझे अपने ही एक म्यूजीशियन से जानकारी मिली, तब मैं ने अपनी ‘डौल्स’ को बेच कर मध्य प्रदेश के 400 म्यूजीशियनों तक पूरे 5 माह तक राशन आदि सामग्री भिजवाई. मेरे पास 50 से अधिक डौल्स थीं.

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अब तक आप किन भाषाओं में गा चुकी हैं?

मैं 17 भाषाओं में गाती हूं. मैं शास्त्रीय गीत ज्यादा गाती हूं. शमशाद बेगम, नूरजहां, लता मंगेशकर, सुनिधि चौहान के गाए गीतों को ज्यादा गाती हूं, पर हर शो में ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ गीत जरूर गाती हूं.

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