जानें, चेहरे पर क्यों होते हैं पिंपल?

चेहरे पर पिंपल होना आम बात है, लेकिन चेहरे पर हमेशा पिंपल और उसके दाग धब्बे का बने रहना कोई आम बात नहीं है. इसके लिए आप खुद जिम्मेदार हो सकती हैं. पिंपल या एक्ने होने पर हम अक्सर अपनी त्वचा या फिर अपनी डाइट को कोसती हैं. लेकिन एक्ने होने के पीछे केवल यही दो समस्याएं नहीं हैं बल्कि इसके पीछे कई अजीबो गरीब चीजें जिम्मेदार हैं, जिनके बारे में हम आज आपको बताएंगे. यहां जानिए क्‍या है वो 6 कारण जिनकी वजह से आपके चेहरे पर पिंपल होते हैं.

मोबाइल फोन

क्या आप घंटो तक अपने दोस्तों से फोन पर चिपके रहते हैं? और क्या आपको जरा सा भी एहसास है कि लंबे समय तक फोन को अपनी त्वचा से चिपकाए रखने से तेल निकलता है, जो फोन में पनप रहे बैक्टीरिया के संपर्क में आ के त्वचा पर जम जाते हैं और इन्हीं से पैदा होते हैं एक्ने. इसलिये फोन को प्रयोग करने के बाद टिशू पेपर से अपना फेस पोछना कभी ना भूलें.

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हेयर स्टाइलिंग

ज्यादातर हेयर प्रोडक्ट गाढे और तैलिय होते हैं. इसलिये जब हम सो रहे होते हैं, तब यह हमारी त्वचा के सम्पर्क में आ जाते हैं और स्किन के पोर्स को ब्लौक कर देते हैं. यह इसी तरह होता है जैसे किसी ने त्वचा पर तेल लगा दिया हो. इसलिये हमेशा औयल फ्री हेयर प्रोडक्ट का ही प्रयोग करना चाहिये. साथ ही एक्ने पैदा करने में हेयर स्टाइल का भी काफी रोल होता है. लंबे बाल जो मुंह को छूते हों, वह स्किन के पोर्स को ब्लौक कर देते हैं.

हाथों से चेहरा रगड़ना

यह एक आम चीज है जो लगभग हर दूसरा इंसान करता है. हमारे हाथ गंदगी और कीटाणुओं से भरे हुए होते हैं. जब भी हम अपनी हथेलियों को चेहरे पर रखते हैं तो कीटाणु का हमला सीधे हमारी स्किन पोर्स पर होता है. जिससे पिंपल जैसी समस्या पैदा हो जाती है.

हार्ड वाटर

जी हां, आपको यह जानकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन पानी भी पिंपल पैदा करने के लिये बहुत हद तक जिम्मेदार होता है. अगर आप हार्ड वाटर का प्रयोग कर रहे हैं, तो वह चेहरे पर कैमिकल रेसीड़यू छोड़ देता है जिससे पिंपल बनने लगता है.

टूथपेस्ट

कई लोगों को ध्यान ही नहीं होता है कि उनके मुंह से टूथब्रश करते वक्‍त झाग निकलता रहता है. कई टूथपेस्ट में फलोराइड होता है, जो एक्ने पैदा करता है. इसके अलावा सोडियम लौरियल सल्फेट भी स्किन में जलन पैदा करता है.

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यात्रा

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि हमेश यात्रा करने के ही बाद हमारे चेहरे पर एक्ने क्यों आते हैं. दरअसल यह मौसम, पानी और खाने के बदलाव की वजह से होता है. अगर आप फ्लाइट द्वारा यात्रा कर रहीं हैं तो आप की त्वचा बहुत ही कम आर्द्र वातावरण के संपर्क में आती है. जिससे आयल ग्रंथी से ज्यादा तेल निकलता है और यह समस्या पैदा हो जाती है.

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Women’s Day Special: ममता के रंग- प्राची ने कुणाल की अम्मा की कैसी छवि बनाई थी

‘‘दीदी, वे लोग आ गए,’’ कहते हुए पोंछे को वहीं फर्श पर फेंकते हुए कजरी जैसे ही बाहर की तरफ दौड़ी, प्राची का दिल जोर से धड़क उठा. सिर पर पल्ला रखते हुए उस ने एक बार अपनेआप को आईने में देख लिया. सच, एकदम आदर्श बहू लग रही थी.

मन में उठ रही ढेरों शंकाओं ने प्राची को परेशान कर दिया. जब नईनवेली दुलहन ससुराल आती है, तब सास उस की आरती उतारती है. लेकिन यहां पर किस्सा उलटा था, बहू के घर सास पहली बार आ रही थी.

अम्मा प्राची और कुणाल के विवाह के खिलाफ थीं, इसलिए दोनों ने कोर्टमैरिज कर ली थी. शादी को साल भर होने जा रहा था कि अम्मा ने सूचित किया कि  वे आ रही हैं.

कई बार प्राची ने सोचा था कि स्टेशन जाने से पहले वह कुणाल से विस्तार से बात करेगी कि अम्मा के आते ही उसे उन का सामना कैसे करना है? लेकिन अम्मा के आने की सूचना मिलते ही घर सजानेसंवारने की व्यस्तता और खुशी से रोमांचित प्राची तो जैसे सबकुछ भूल गई थी.

‘‘प्राची,’’ बाहर से कुणाल की पुकार सुनते ही उस का चेहरा लाल हो गया. अम्मा का स्वागत उन के चरणों को छू कर ही करेगी, यह सोचते हुए वह बाहर निकल आई.

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पर अम्मा को देखते ही जैसे पैरों में ब्रेक लग गए. उन का रूपरंग तो उस की कल्पना के उलट था. बौयकट बाल, होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक और साड़ी के स्थान पर बगैर दुपट्टे का सूट देख कर वह स्तब्ध रह गई.

अम्मा की आधुनिक छवि को देख कर वह जैसे अपने ही स्थान पर जड़ हो गई थी. न आगे बढ़ कर चरणों को छू पाई, न ही हाथ जोड़ कर नमस्ते तक करने की औपचारिकता निभा पाई.

‘‘कुणाल, तुम्हारा चुनाव अच्छा है,’’ अम्मा ने अंगरेजी में कहा और प्राची के गालों को चूम लिया. पर प्राची का चेहरा शर्म से गुलनार न हो पाया.

कुणाल प्राची की उधेड़बुन से अनजान मां के कंधों को थामे लगातार बड़बड़ाता जा रहा था.

प्राची की आंखें यह सोच कर भर आईं कि मां की जो कमी उसे प्रकृति ने दी थी, वह कभी पूरी नहीं हो पाएगी. रसोई में अपने काम को अंतिम रूप देते हुए वह सोच रही थी, कितनी तारीफ करता था कुणाल अपनी अम्मा की, उन के ममत्व की. जो तसवीर कुणाल ने अपने कमरे में लगा रखी थी, उस में तो वास्तव में अम्मा आदर्श मां ही लग रही थीं. नाक में नथ, बड़ी सी बिंदी, कानों में झुमके, सीधे पल्ले की जरी वाली साड़ी, घने काले बाल…

प्राची के मन में अपनी मां की जो छवि रहरह कर उभरती, उस से कितनी मिलतीजुलती थी, कुणाल की अम्मा की तसवीर. इसीलिए तो अम्मा के प्रति प्राची बेहद भावुक थी.

जब भी कुणाल अम्मा की ममता का जिक्र करता, प्राची का ममता के लिए ललकता मन तड़प उठता. वह अम्मा को देखने और उन के प्यार को पाने की उम्मीद लगा बैठती.

अम्मा के ममत्व का जिक्र करते हुए कुणाल कहा करता था, ‘जब अम्मा थकीहारी रसोई का काम निबटा कर बैठती थीं, तब बजाय उन को आराम देने के, मैं उन की गोद में सिर रख कर लेट जाया करता था. जानती हो, तब वे अपने माथे का पसीना पोंछना भूल कर अपने हाथों को मेरे बालों पर फेरती रहतीं…सच…कितना सुख मिलता था तब. जब मुझे मैडिकल कालेज जाना पड़ा, तब उन की याद में नींद नहीं आती थी…’

‘अम्मा बहुत ममतामयी हैं न? उन्हें गुस्सा तो कभी नहीं आता होगा?’ प्राची पूछती.

‘नहीं, तुम गलत कह रही हो. अम्मा जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही सख्त भी हैं. झूठ से तो उन्हें सख्त नफरत है. मुझे याद है, एक बार मैं स्कूल से एक बच्चे की पैंसिल उठा लाया था और अम्मा से झूठ कह दिया कि मेरे दोस्त ने मुझे पैंसिल तोहफे में दी है. जाने कैसे, अम्मा मेरा झूठ भांप गई थीं. अगले रोज वे मेरे साथ स्कूल आईं और मेरे दोस्त से पैंसिल के बारे में पूछा. उस के इनकार करने पर मुझे जो डांट पिलाई थी, वह मैं आज तक नहीं भूला,’ कुणाल ने कहा, ‘तब से ले कर आज तक मैं ने कभी अम्मा से झूठ नहीं बोला.

‘पिताजी के निधन के बाद अम्मा हमेशा इस बात से आशंकित रहती थीं कि मैं और मेरे भैया कहीं गलत राह पर न चले जाएं.’

प्राची हमेशा अपनी सास की तसवीर में उन के चेहरे को देखते हुए उन के व्यक्तित्व को आंकने का प्रयास करती रहती. अम्मा की तसवीर की तरफ देखते हुए कुणाल उस से कहता, ‘जानती हो, यह अम्मा की शादी की तसवीर है. इस के अलावा उन की और कोई तसवीर मेरे पास नहीं है.’

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‘कुणाल, मैं कई बार यह सोच कर खुद को अपराधी महसूस करती हूं कि मेरी वजह से तुम अम्मा से दूर हो गए, न तुम मुझ से विवाह करते, न अम्मा से जुदा होना पड़ता.’

‘प्राची, क्या पागलों जैसी बात कर रही हो. अम्मा को मैं अच्छी तरह से जानता हूं. वे हम से ज्यादा दिनों तक अलग नहीं रह सकतीं. वे हमें जल्दी ही अपने पास बुलाएंगी.’

‘काश, वह दिन जल्दी आता,’ प्राची धीमे स्वर में कहती, ‘मैं ने अपनी मां को नहीं देखा है. मैं 6 माह की थी जब उन की मृत्यु हो गई. पिताजी ने मेरी देखरेख में कोई कमी नहीं की थी, लेकिन मां की ममता के लिए हमेशा मेरा मन ललकता रहता है. कल रागिनी आई थी. जब उसे पता चला कि मैं गर्भवती हूं तो मुझ से पूछने आ गई कि मेरी क्या खाने की इच्छा है? मेरा मन भर आया. रागिनी मेरी सहेली है, उस के पूछने में एक दर्द था. मेरी मां नहीं हैं न, इसीलिए शायद वह अपने स्नेह से उस कमी को थोड़ा कम करने का प्रयास कर रही थी,’ आंखों को पोंछते हुए प्राची बोली.

कुणाल ने उसे सीने से लगाते हुए कहा, ‘यह कभी मत कहना कि तुम्हारी मां नहीं, अम्मा तुम्हारी भी तो मां हैं?’

‘जरूर हैं, इसीलिए तो उन से मिलने को ललचाती रहती हूं. पर न जाने उन से कब मिलना हो पाएगा. और फिर यह भी तो नहीं पता कि मुझे माफ करना उन के लिए संभव होगा या नहीं.’

‘सबकुछ ठीक हो जाएगा,’ कहते हुए कुणाल ने प्राची के माथे पर हाथ फेरते हुए उसे यकीन दिलाने की कोशिश की.

प्राची की अम्मा के प्रति छटपटाहट और उन के स्नेह को पाने की ललक देख कर कुणाल का मन पीडि़त हुआ करता था. अम्मा चाहे कुणाल को पत्र लिखें या न लिखें. लेकिन कुणाल हर हफ्ते उन्हें पत्र जरूर लिखता.

प्राची कई बार कुणाल से जिद करती कि वह अम्मा से टैलीफोन कर बात करे, ताकि प्राची भी कम से कम उन की आवाज तो सुन सके. लेकिन जब भी कुणाल फोन करता, अम्मा रिसीवर रख देतीं.

कुणाल द्वारा पिछले हफ्ते लिखे गए खत में प्राची के गर्भवती होने की सूचना के साथसाथ उस की मां का प्यार पाने की इच्छा का कुछ ज्यादा ही बखान हो गया था, तभी तो अम्मा पसीज गई थीं और फोन पर सूचित किया था कि वे आ रही हैं.

प्राची अम्मा के आने की खबर सुन कर पूरी रात सो न पाई थी. उस ने कल्पना की थी कि अम्मा आते ही उसे सीने से लगा लेंगी, हालचाल पूछेंगी, लेकिन यहां तो सबकुछ उलटा नजर आ रहा था.

कुणाल और अम्मा की बातों का स्वर काफी तेज था. अम्मा शायद भैया के व्यापार के बारे में कुछ बता रही थीं और कुणाल अपने को अधिक बुद्धिजीवी साबित करने का प्रयास करते हुए उन की छोटीमोटी गलतियों का आभास कराता जा रहा था.

गर्भावस्था में भी अब तक प्राची को काम करने में कोई असुविधा नहीं हुई थी, लेकिन पूरी रात न सो पाने से वह असहज हो उठी थी. साथ ही, अम्मा को अपने खयालों के मुताबिक न पा कर उस में एक अजीब सा तनाव आ गया था. अचानक उसे कुणाल भी पराया सा लगने लगा था.

किसी तरह नाश्ता बना कर प्राची ने डाइनिंग टेबल पर लगा दिया और अम्मा व कुणाल को बुलाने कमरे में आ गई.

अम्मा पलंग पर बैठी थीं और कुणाल उन की गोद में सिर रख कर लेटा था. अम्मा की उंगलियां कुणाल के बालों में उलझी हुई थीं. प्राची ने देखा, अम्मा का एक भी बाल सफेद नहीं है. ‘शायद बालों को रंगती हों,’ प्राची ने सोचा और मन ही मन हंस दी, ‘युवा दिखने का शौक भी कितना अजीब होता है. बच्चे बड़े हो गए और मां का जवान दिखने का पागलपन.’

प्राची के मनोभावों से परे अम्मा और कुणाल अपनी ही बातचीत में खोए हुए थे. अम्मा कह रही थीं, ‘‘बेटा, तू अब वहीं आ जा, अपना अस्पताल खोल ले. अब दूरदूर नहीं रहा जाता.’’

‘‘अभी नहीं, अम्मा, मैं करीब 5 साल मैडिकल अस्पताल में ही प्रैक्टिस करना चाहता हूं. यहां रह कर तरहतरह के मरीजों से निबटना तो सीख लूं. जब भी अस्पताल खोलूंगा, वहीं खोलूंगा, तुम्हारे पास, यह तो तय है.’’

‘‘अम्मा, नाश्ता तैयार है,’’ दोनों के प्रेमालाप में विघ्न डालते हुए प्राची को बोलना पड़ा.

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‘‘अच्छा बेटी, चलो कुणाल, तुम दोनों से मिल कर मेरी तो भूख ही मर गई,’’ अम्मा ने उठते हुए कहा.

‘‘पर अम्मां, मेरी भूख तो दोगुनी हो गई,’’ कुणाल ने उन के हाथों को अपने हाथ में लेते हुए कहा.

‘‘पागल कहीं का, तू तो बिलकुल नहीं बदला,’’ अम्मा ने लाड़ जताते हुए कहा.

नाश्ते की मेज पर न तो अम्मा और न कुणाल को इतनी फुरसत थी कि नाश्ते की तारीफ में कुछ कहें, न ही यह याद रहा कि प्राची भी भूखी है. रात अम्मा से मिलने की उत्सुकता में उस की नींद और भूख, दोनों मर गई थीं.

पर अब प्राची भूख सहन नहीं कर पा रही थी. उसे लग रहा था, अम्मा उस से भी साथ खाने को कहेंगी या कम से कम कुणाल तो उस का खयाल रखेगा. पर सबकुछ आशा के उलट हो रहा था. अब तक प्राची के बगैर चाय तक न पीने वाला कुणाल बड़े मजे से कटलेट सौस में डुबो कर खाए जा रहा था. प्राची के मन में अकेलेपन का एहसास बढ़ता ही जा रहा था.

मां व बेटे के इस रूप को देख कर प्राची को भी संकोच को दरकिनार करना पड़ा और वह अपने लिए प्लेट ले कर नाश्ता करने के लिए बैठ गई. नाश्ता स्वादहीन लग रहा था, पर भूख को शांत करने के लिए वह बड़ी तेजी से 2-3 कटलेट निगल गई. फलस्वरूप, उसे उबकाई आने लगी. रातभर के जागरण और सुबह से हो रहे मानसिक तनाव से पीडि़त प्राची को कटलेट हजम नहीं हुए.

प्राची तेजी से उठ कर बाथरूम की ओर दौड़ पड़ी. भीतर जा कर जो कुछ खाया था, सब उगल दिया. माथे पर छलक आई पसीने की बूंदों को पोंछते हुए बाथरूम में खड़ी रही. ऐसा लग रहा था जैसे अभी गिर पड़ेगी. सिर भी चकराने लगा था. तभी 2 कोमल भुजाओं ने प्राची को संभाल लिया. ‘‘चल बेटी, तू आराम कर.’’ लेकिन प्राची वहां से हट न पाई. थोड़ी सी गंदगी बाथरूम के बाहर भी फैल गई थी. सो, यह बोली, ‘‘अम्मा, वह वहां भी थोड़ी सी गंदगी…’’

‘‘मैं साफ कर लूंगी, तू चल कर आराम कर,’’ अम्मा प्राची को सहारा दे कर उसे उस के कमरे तक ले आईं. फिर बिस्तर पर लिटा कर उस के चेहरे को तौलिए से पोंछ कर साफ किया.

कुणाल ने एक गिलास पानी से प्राची को एक गोली खिला दी. अब कुणाल के चेहरे पर परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे. ‘‘ज्यादा भागदौड़ हो गई होगी न. अब तुम आराम करो.’’

‘कुणाल, मुझे उबकाई आ गई थी. बाथरूम के बाहर भी जरा सी गंदगी हो गई है. अम्मा साफ करेंगी तो अच्छा नहीं लगेगा. सास से कोई ऐसे काम नहीं करवाता.’’

‘‘पागल,’’ प्राची के गालों पर प्यार से चपत मारता हुआ कुणाल बोला, ‘‘वे तुम्हारी मां हैं मां. और उन्हें जो करना है, वह करेंगी ही. मेरे कहने से मानेंगी थोड़े ही.’’

‘‘फिर भी,’’ प्राची ने उठने का प्रयास करते हुए कहा.

‘‘तुम चुपचाप लेटी रहो और सोने का प्रयास करो,’’ कुणाल धीरेधीरे उस के माथे पर हाथ फेरता रहा. कब नींद आ गई, प्राची को पता ही न चला.

जब उस की आंख खुली तो अम्मा को अपने सिरहाने बैठा पाया. वे नेलपौलिश रिमूवर से अपने नाखून साफ कर रही थीं, प्राची ने उठने का प्रयास किया तो अम्मा ने रोक दिया, ‘‘न बेटी, तुम आराम करो. तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं. मैं आ गईर् हूं और सिर्फ तुम्हें आराम देने के लिए ही आई हूं.’’

‘‘अम्मा, मुझे अच्छा नहीं लग रहा, मैं आप की सेवा भी नहीं कर पा रही हूं.’’

‘‘नहीं बेटी, मैं अपने हिस्से का आराम करती रहूंगी, तुम चिंता मत करो. जब से योगाभ्यास करने लगी हूं, खुद को काफी स्वस्थ महसूस कर रही हूं. अपने योग शिक्षक से तुम्हारे करने योग्य योग भी सीख कर आई हूं, तुम्हें जरूर सिखाऊंगी, लेकिन पहले तुम्हारे डाक्टर से मिलना होगा. तुम मेरी और कुणाल की चिंता छोड़ दो. तुम्हारे प्रसव तक घर की देखभाल मैं करूंगी.’’

‘‘अम्मां, तब तक आप यहीं रहेंगी?’’

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‘‘हां,’’ उन्होंने मुसकराते हुए कहा.

प्राची एकटक अम्मा को ताकती रही, वे ममता की प्रतिमूर्ति लग रही थीं. वह सोचने लगी कि केवल वेशभूषा से किसी के दिल को भला कैसे आंका जा सकता है. अम्मा ने लिपस्टिक भी लगाई थी, चेहरे पर पाउडर और कटे बालों में हेयरबैंड भी. पर अब प्राची को सबकुछ अच्छा लग रहा था क्योंकि अम्मा के मेकअप वाले आवरण की ओट से झांकती उन की अंदरूनी खूबसूरती और ममत्व का रंग उसे अब स्पष्ट दिखाई देने लगा था.

तो समझिये वही आप का सोलमेट है

सोलमेट आप का रोमांटिक पार्टनर, दोस्त, रिश्तेदार या टीचर कोई भी हो सकता है जिस के साथ आप गहरा और मजबूत कनेक्शन महसूस करते हैं. वह आप को चुनौतियां देता है, प्रेरणा देता है, सहारा देता है और हर समय आप के जेहन में  होता है. आप को महसूस कराता है कि वास्तव में आप को जीवन में क्या चाहिए. आप उस से शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक रूप  से कनेक्टेड होते हैं.

कैसे पहचानें कि वही है आप का सोलमेट

1. उस के संपर्क में आते ही मन को गहरा सुकून मिले

कोई शख्स जिस के साथ आप कंफर्टेबल, ओरिजिनल, पीसफुल और सिक्योर महसूस करते हैं. आप खुश रहते हैं. उस के आते ही आप के मन की बैचेनी दूर हो जाती है और हर तरह के काम में आप का मन लगने लगता है तो समझिये वही है आप का सोलमेट.

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2. ऐसा लगे कि लंबे समय से आप एकदूसरे को जानते समझते हो

पहली दफा जब आप उस से मिलते हैं तो वह अजनबी नहीं लगता. उस से बातें करने में आप नर्वस नहीं होते. लगता है जैसे आप इस शख्स से हर तरह की बात शेयर  कर सकते हैं.  कोई राज रखने की जरुरत नहीं लगती. आप उस पर पूरा विश्वास कर पाते हैं. ऐसी फीलिंगस  तभी आती है जब आप सोलमेट से मिलते हैं.

3. ह्रदय से आवाज आती है कि यही है वहजिस की आज तक तलाश थी

भले ही आप की उम्र कितनी भी हो या कितनों  के प्रति आकर्षण महसूस कर चुके हो , आप शादीशुदा ही क्यों न हो , जिंदगी का एक मोड़ ऐसा जरूर आता है जब आप को किसी से मिल कर महसूस होता है कि बस यही है वह जिस की तलाश आप के हृदय को थी. उस के साथ आप जीवन में ठहराव और स्थिरता महसूस करते हैं और आप को मन की गहराइयों से महसूस होता है कि आप कभी उस से अलग ही नहीं थे.

4. उस से मिलने के बाद आप हर मुश्किल का सामना करने में खुद को समर्थ पाते हैं

कोई शख्स जिस के करीब होने से ही आप अपने अंदर उर्जा, सकारात्मकता और साहस महसूस करें, हर चुनौती का सामना करने और मुश्किलों को हराने के लिए खड़े हो जाएं और ऐसा लगे जैसे वह शख्स अंधेरों के बीच रोशनी  के रूप में आप के साथ है ,वही आप का सोलमेट है.

5. सुरक्षित महसूस करें

जब आप को लगे कि किसी शख्स के प्रति आप खुद खिंचे चले जा रहे हैं मानो कोई चुम्बकीय शक्ति आप दोनों के बीच है. आप उस के पास होते हैं तो हर तरह से सुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

6. जरूरी नहीं कि वह खूबसूरत ही हो

सच्चे प्यार का अर्थ केवल फिजिकली अट्रैक्ट होना नहीं वरन मेंटली और इमोशनली जुड़ना है. यदि आप उस की आंखों में खुद को और अपनी आंखों में उसे देख सकते हैं तो समझिए वह आप का प्यार है ,सोलमेट है.  आप दोनों एकदूसरे से अलग नहीं वरन एक महसूस करते हैं.  जहां तू और मैं  है वहां अटैचमेंट या रिलेशनशिप हो सकता है पर यह गहरा नहीं होता और जल्द टूट भी सकता है. पर सोलमेट के साथ आप का रिश्ता कभी नहीं टूटता.

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7. कुछ पाने की चाह नहीं

जब किसी से मिल कर आप को और कुछ पाने की चाह न बचे. आप को उस से कुछ चाहिए नहीं फिर भी वह आप के जीवन में सब से महत्वपूर्ण होता है और ऐसा किसी कैमिकल लोचे की वजह से नहीं बल्कि ह्रदय से उठी आवाज की वजह से हो. आप चुपचापघंटों उस के साथ समय बिता सकते हैं, उसे देखते रह सकते हैं, करीब रह सकते हैं और दूर रह कर भी उसे महसूस कर सकते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

कैरियर और बच्चे में किसी एक का चुनाव करना, मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ: पंकज भदौरिया मास्टर शैफ

2010 में मास्टर शैफ सीजन 1 की विनर रहीं पंकज भदौरिया आज किसी परिचय की मुहताज नहीं हैं. ‘शैफ पंकज का जायका,’ ‘किफायती किचन,’ ‘3 कोर्स विद पंकज,’ ‘रसोई से पंकज भदौरिया के साथ’ जैसे कई टीवी शोज ने उन्हें घरघर में पहचान दिलाई है. उन की 2 कुकबुक ‘बार्बी : आई एम शैफ’ और ‘चिकन फ्रौम माई किचन’ दुनियाभर में काफी मशहूर रही हैं. 2 बच्चों की मां पंकज स्कूल टीचर से कैसे बनीं मास्टर शैफ, किस तरह उन्होंने परिवार को संभालते हुए कैरियर में ऊंची उड़ान भरी, चलिए, जानते हैं:

कुकिंग में दिलचस्पी कब से हुई?

मेरे पेरैंट्स को कुकिंग का बहुत शौक था. वे बहुत अच्छे होम कुक थे. लोगों को पार्टी में बुलाना और उन्हें अपने हाथों से तरहतरह की रैसिपीज बना कर खिलाना उन्हें अच्छा लगता था. उस वक्त मुझे भी लगता था कि अच्छा खाना बनाने से न सिर्फ अच्छा खाना खाने को मिलता है, बल्कि कइयों की तारीफ भी मिलती है. इसीलिए मेरी रुचि भी कुकिंग में बढ़ने लगी. मैं 11 साल की उम्र से खाना बनाने लगी. मुझे शुरुआत से कुकिंग में ऐक्सपैरिमैंट करने का बहुत शौक था. इंटरनैशनल फूड जैसे चाइनीज, इटैलियन, थाई बनाना मुझे ज्यादा अच्छा लगता था. शादी के बाद पति भी खाने के शौकीन निकले, इसलिए कुकिंग और ऐक्सपैरिमैंट का सिलसिला जारी रहा.

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बहुत छोटी उम्र में पेरैंट्स को खो दिया. ऐसे में आप के लिए कैरियर की डगर कितनी मुश्किल रही?

जब मैं 13 साल की थी तब मेरे पिता की मौत हो गई. 21 साल की उम्र में मैं ने अपनी मां को भी खो दिया. मेरी मां अकसर कहती थीं कि शिक्षा एक ऐसा गहना है, जिसे आप से कोई नहीं छीन सकता, इसलिए हमेशा पढ़ाई जारी रखना. चूंकि मेरी मां कम पढ़ीलिखी थीं. इसलिए पिता की मौत के बाद उन्हें अच्छी जौब नहीं मिल पाई, इसलिए भी वे मुझे हमेशा पढ़ने को कहती थीं. मैं ने अंगरेजी में एमए किया और फिर स्कूल में पढ़ाने लगी. बाद में शादी हो गई. ससुराल वालों के साथ पार्टी में आने वाले भी मेरे खाने की बहुत तारीफ करने लगे, जिस से मुझे महसूस होता था कि शायद मैं कुछ खास बनाती हूं. उसी दौरान मैं ने टीवी पर मास्टर शैफ का विज्ञापन देखा. मैं ने टीचिंग छोड़ कर इस में भाग लिया और जीतने के बाद अपने पैशन को प्रोफैशन बना लिया. अपने सपनों को साकार करने के लिए मैं ने जो हिम्मत दिखाई उस ने मेरी जिंदगी को एक नई दिशा दी.

घर संभालते हुए कैरियर में आगे जाना मुमकिन हो पाया?

जब मैं घर में रहती हूं तब बस घर में रहती हूं और जब बाहर जाती हूं, तो पूरी तरह से बाहर रहती हूं. मैं बहुत जल्दी स्विच औफ और स्विच औन कर लेती हूं. घर में मैं होम मोड पर होती हूं, बिलकुल एक सामान्य घरेलू महिला की तरह. खुद खाना बनाती हूं, सफाई करती हूं आदि. खाने को ले कर अपने बच्चों की सारी फरमाइशों को भी पूरा करती हूं. मैं अपनी प्रोफैशनल लाइफ को घर के दरवाजे के बाहर छोड़ आती हूं और जब औफिस जाती हूं, तो घर को घर में छोड़ आती हूं. जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए हर महिला को मैनेजमैंट के गुण आने चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं कर पाती तो उसे परिवार और अपने काम के साथ पूरा न्याय करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

अपने दोनों बच्चों के साथ कैसा रिश्ता है?

19 साल की बेटी और 15 साल का बेटा दोनों मेरे सब से अच्छे फ्रैंड हैं. मेरे पेरैंट्स ने भी मुझे ऐसे ही बड़ा किया है. मेरी मां और मेरे पिता दोनों ही मेरे अच्छे फ्रैंड रहे हैं. हम बच्चों को अच्छा इनसान बनाने में यकीन रखते हैं. हम उन्हें मैंटली और फिजिकली तौर पर फिट रखते हैं. हम चारों मिल कर एकसाथ खेलतेकूदते भी हैं. हर तरह की मूवी देखते हैं, हर मुद्दे पर बात करते हैं. आजकल की पेरैंटिंग की डिमांड भी यही है कि मां-बाप अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बना कर रखें ताकि वे अपनी किसी बात को आप के साथ शेयर करने से हिचकिचाएं नहीं.

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मां बनने के बाद कैरियर को छोड़ने वाली महिलाओं को क्या सलाह देंगी?

औरत की जिंदगी में ऐसा पड़ाव आता है, जब उसे कैरियर और बच्चे के बीच किसी एक का चुनाव करना पड़ता है. शुक्र है मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ, लेकिन जिन महिलाओं को बच्चों की परवरिश के लिए ऐसा फैसला लेना पड़ा है, मेरे अनुसार वे मिड ऐज में दोबारा काम शुरू कर सकती हैं किसी भी रूप में जैसे पार्टटाइम, वर्क फ्रौम होम आदि.

Edited by Rosy

साइकिल चलाएं और सेहत पाएं

साइकिल के प्रति दीवानापन फिर से बढ़ता जा रहा है. कुछ साल पहले जहां लोग साइकिल से चलने में अपने को हीन समझतेे थे, वहीं अब जिनके घरों में लक्जरी कारें हैं वो भी साइकिल चला रहे हैं. युवा वर्ग में लड़के जहां चुस्त रहने के लिए साइकिल चला रहे हैं, वहीं युवतियां काया को छरहरी बनाने के लिए साइकिल का  उपयोग कर रही हैं. इसके अलावा लोग अपनी सेहत को मजबूत करने के लिए भी साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं. तो आइए हम बताते हैं साइकिल चलाने के फायदे. इन फायदों को जानने के बाद भी आप भी हैरान हो जाएंगे कि बस तीस मिनट  साइकिल चलाने से शरीरिक, मानसिक के अलावा, आत्मविश्वास  भी बढ़ता है.

ये हैं फायदे

1. अगर आप प्रतिदिन दो किमी या 30 मिनट तक साइकिल चलाते हैं तो ज्यादा समय तक जवान दिखेंगे. इसका कारण यह है कि रक्त संचरण बेहतर होता है और स्फूर्ति दिनों दिन बढ़ती जाती है .

2. आधे घंटे तक साइकिल चलाने से शरीर के सभी अंग एक्टिव हो जाते हैं एेसे में रात को बेहतरीन नींद आती है.

3. आधा घंटा साइकिल चलाने से बॉडी की इम्यून सेल्स ज्यादा एक्टिव होती हैं और लोग कम बीमार पड़ते हैं.

4. साइकिल चलाने से शरीर की तमाम मांस पेशियाँ स्वस्थ और मजबूत हो जाती हैं.और इससे आंतरिक आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

5. साइकित चलाने से दिमागी ताकत तेज होती है, निरंतर साइकिल चलाने वालों की निर्णय क्षमता पर गौर कीजिये यह सामान्य लोगों से अधिक ही होती है.

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6. आधे घंटे साइकिल चलाने से व्यक्ति इतनी कैलोरी नष्ट करता है कि उसके शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा कम हो जाती है.

7. नियमित रूप से साइक्लिंग करने से इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैरोलाइना में एक रिसर्च के बाद पाया गया कि जो लोग सप्ताह में कम से कम पांच दिन आधा घंटा साइकिल चलाते हैं, उनके बीमार पड़ने की संभावना 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में साइकिल चलाना बहुत लाभदायक है .

8. साइकिल चलाते समय दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं, जिससे शरीर में रक्तसंचार ठीक हो जाता है. इसके चलते दिल के दौरे जैसी समस्याएं नहीं आतीं. दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियां होने का ख़तरा काफ़ी कम हो जाता है.

9. विभिन्‍न अध्ययनों में पाया गया है कि नियमित रूप से साइकिल चलानेवाले तनाव और अवसाद का शिकार दूसरों की तुलना में काफ़ी कम होते हैं.

10. साइक्लिंग करने से ब्‍लड सेल्‍स और स्‍किन में ऑक्‍सीजन की पर्याप्‍त आपूर्ति होती है. इससे आपकी त्‍वचा ज्‍यादा अच्‍छी और चमकदार दिखती है. आम हमउम्र लोगों की तुलना में अधिक जवां दिखते हैं.सिर्फ़ जवां दिखते ही नहीं, आपका शरीर वास्तव में और जवां बन जाता है. आप महसूस कर सकते हैं कि स्टैमिना बढ़ गया है और शरीर में नई ऊर्जा और ताक़त आ गई है.

11. जो लोग साइक्लिंग के मुरीद हैं उनके पैर और तलवे काफ़ी मज़बूत होते हैं,  दरअसल, साइक्लिंग से पैरों की अच्छी एक्सरसाइज़ हो जाती है. वैसे देखा जाए तो साइक्लिंग से पूरे शरीर का अच्छा व्यायाम हो जाता है.

12. साइक्लिंग का एक बड़ा फ़ायदा यह भी है कि इससे शरीर के सभी अंगों के बीच अच्छा समन्वय स्थापित हो जाता है. हाथ, पैर, आंखें इन सभी के बीच अच्छा कॉर्डिनेशन होना शरीर के ओवरऑल संतुलन को बेहतर करता है. इतना ही नहीं, यदि आपको बाइक या स्कूटी चलाना सीखना है तो साइक्लिंग की जानकारी आपके बड़े काम आ सकती है.साइकिल चलाने से मन मे यह अपार खुशी बनी रहती है कि पर्यावरण के  हित में काम किया और जो भी योगदान दिया वह प्रकृति के  अनुकूल है .  यानि साइकिल चलाने का एक अर्थ यह भी हुआ कि हम अपनी धरती को प्रेम करते हैं .

कैसी साइकिल खरीदें:

साइकिल कैसी हो यह भी एक महत्त्वपूर्ण पहलू है . अगर रोजाना साइक्लिंग करते हैं तो कुछ इस तरह की  साइकिल खरीदें , जिससे लंबी दूरी तक साइकिल चलाने के बावजूद थकान नहीं होती है .

अगर आप अपनी दिनचर्या में हर काम साइक्लिंग से ही पूरा करना चाहते हैं और अपने इस शौक को पूरा करने के लिए एक साइकिल खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. शोरूम में कई तरह की फैंसी साइकिल होती हैं, जिसकी चकाचौंध में लोग ऐसा खोते हैं कि अपनी जरूरतों को पीछे छोड़कर महंगी साइकिल खरीद लेते हैं. इससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है. आमतौर पर बाजार में चार से पांच तरह की साइकिल होती हैं. कौन सी साइकिल खरीदनी है, ये उसके मकसद पर निर्भर है. सड़क पर चलानी है या पार्क में दो घंटे या चार घंटे बाजार मे काम है  या  ऊंचे नीचे पहाड़ों में. रेसिंग करनी है या नॉर्मल साइक्लिंग करनी है.

रोड बाइक

इसे रेसिंग साइकिल भी कहते हैं. यह बहुत ही हल्की होती है और इसके पहिए पतले होते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल वे लोग करते हैं, जिन्हें बहुत ज्यादा साइक्लिंग करनी होती है. खासतौर पर जो प्रोफेशनल साइक्लिस्ट होते हैं. इस साइकिल से कुछ ही घंटे में सौ से सवा सौ किमी की दूरी तय की जा सकती है. इसकी कीमत तीस हजार रुपये से शुरू होकर लाखों में है. हालांकि इसका रखरखाव भी काफी महंगा है. रेसिंग वर्कआउट में यह साइकिल सबसे मुफीद मानी जाती है. ये बाइक बाहर से आती हैं. अधिकतर साइकिलें चीन व वियतनाम से आती हैं. हालांकि इस समय इसकी काफी लंबी वेटिंग चल रही है. यदि आज बुक करवाते हैं तो अगले साल तक आपके पास पहुंच पाएगी. यदि आप शहर में रहते हैं और रोजाना बीस से तीस किलोमीटर तक साइक्लिंग करना चाहते हैं तो ये साइकिल आपके लिए नहीं है. लेकिन रोजाना सौ किलोमीटर तक चलाना चाहते हैं तो आप इसे खरीद सकते हैं. इनकी बनावट ऐसी होती है कि लंबी दूरी तक साइकिल चलाने के बावजूद व्यक्ति में थकान नहीं होती.

मोटे टायर वाली साइकिल

आजकल यह साइकिल काफी ट्रेंड में है. मोटे टायर होने की वजह से इसे फैट टायर बाइक भी कहते हैं. आमतौर इसका इस्तेमाल रेतीली और बर्फीली जगहों पर किया जाता है. उन जगहों पर यह बहुत अच्छी चलती हैं. आम सड़क पर यह बाइक सक्सेसफुल नहीं होती. दरअसल इन बाइक को सड़क पर चलाने में काफी ताकत लगानी पड़ती है. छोटी दूरी के लिए ये साइकिलें चल जाती हैं. हालांकि किसी को वजन कम करना है तो वह इस साइकिल को खरीद सकता है. बाजार में इसकी कीमत 10 से 20 हजार के बीच है. देखने में यह बहुत ही खूबसूरत लगती है और इसे लेकर निकलने पर सभी की नजरें इस पर टिक जाती है. स्कूल जाने वाले बच्चों में इसे लेकर काफी उत्सुकता होती है.

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माउंटेन साइकिल : इसको कहीं भी चला सकते हैं

ये साइकिलें सबसे ज्यादा बिकती हैं. आमतौर पर रोजाना साइक्लिंग करने वाले इसी का इस्तेमाल करते हैं. ये साइकिल सड़क के साथ-साथ पहाड़ों व पगडंडी वाली जगहों पर भी खूब अच्छी चलती हैं. अच्छी पकड़, आरामदायक व गेयर की वैराइटी होने के कारण लोग इसे सबसे ज्यादा तवज्जो देते हैं. इसे एडवेंचर वाली साइकिल भी कहते हैं. इसके टायर भी मोटे होते हैं. इस साइकिल को चंडीगढ़ की साइकिल ट्रैक के साथ आसपास पहाड़ी व गांवों के रास्तों पर भी आराम से चला सकते हैं. हालांकि जो साइक्लिंग की शुरुआत करना चाहते हैं, वे इसे धैर्यपूर्वक चलाएं. खासकर पहाड़ी रास्तों में, क्योंकि इसमें बैलेंसिंग या डिस्क ब्रेक तेजी से लगाया तो गिरने का खतरा रहता है. इसके ब्रेक भी दो उंगुलियों के बजास सिर्फ एक उंगुली से दबाए जाते हैं. एडवेंचर्स रास्तों के लिए यह सबसे आइडियल साइकिल मानी जाती है. इसमें गेयर और बिना गेयर दोनों तरह के विकल्प मौजूद है. इसकी कीमत करीब दस से बीस हजार रुपये के बीच में होती है.

जब आप अपने लिए कालोनी आदि में हल्की सैर की साइकिल खरीदते हैं, तो उन्हें टायर की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. टायरों में एक स्पष्ट पैटर्न होना चाहिए और आंतरिक ट्यूब अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए. इस तरह, पहली बार साइकिल पर सवार होने पर आपको गिरने और साइकिल  को बार- बार  गिरने से बचा सकता है, और आंतरिक ट्यूब की गुणवत्ता साइकिल की सवारी करते समय टायर को विस्फोट से रोक सकती है. विशेष रूप से गर्म गर्मी में, एक्सपोजर आसानी से टायर विस्फोट का कारण बन सकता है, इसलिए शुरुआती साइकिल सवार को टायर के बारे में पूछने और पूछने के लिए ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा,  साइकिल पर सवारी करने से पहले, चालक को यह जांचना चाहिए कि साइकिल के टायर अच्छे हैं, चाहे गैस हो, गैस न हो, तो यह सुनिश्चित करने के लिए समय में फुलाया जाना चाहिए कि टायर सामान्य स्थिति में हैं.

रागविराग: भाग 1- कैसे स्वामी उमाशंकर के जाल में फंस गई शालिनी

विकास की दर क्या होती है, यह बात सुलभा की समझ से बाहर थी. वह मां से पूछ रही थी कि मां, विकास की दर बढ़ने से महंगाई क्यों बढ़ती है? मां, बेरोजगारी कम क्यों नहीं होती? मां यानी शालिनी चुप थी. उस का सिरदर्द यही था कि उस ने जब एम.ए. अर्थशास्त्र में किया था, तब इतनी चर्चा नहीं होती थी. बस किताबें पढ़ीं, परीक्षा दी और पास हो गए. बीएड किया और अध्यापक बन गए. वहां इस विकास दर का क्या काम? वह तो जब छठा वेतनमान मिला, तब पता लगा सचमुच विकास आ गया है. घर में 2 नए कमरे भी बनवा लिए. किराया भी आने लगा. पति सुभाष कहा करते थे कि एक फोरव्हीलर लेने का इरादा है, न जाने कब ले पाएंगे. पर दोनों पतिपत्नी को एरियर मिला तो कुछ बैंक से लोन ले लिया और कार ले आए. सचमुच विकास हो गया. पर शालिनी का मन अशांत रहता है, वह अपनेआप को माफ नहीं कर पाती है.

जब अकेली होती है, तब कुछ कांटा सा गड़ जाता है. सुभाष, धीरज की पढ़ाई और उस पर हो रहे कोचिंग के खर्च को देख कर कुछ कुढ़ से जाते हैं, ‘‘अरे, सुलभा की पढ़ाई पर तो इतना खर्च नहीं आया, पर इसे तो मुझे हर विषय की कोचिंग दिलानी पड़ रही है और फिर भी रिपोर्टकार्ड अच्छा नहीं है.’’

‘‘हां, पर इसे बीच में छोड़ भी तो नहीं सकते.’’

सुलभा पहले ही प्रयास में आईआईटी में आ गई थी. बस मां ने एक बार जी कड़ा कर के कंसल क्लासेज में दाखिला करा दिया था. पर धीरज को जब वह ले कर गई तो यही सुना, ‘‘क्या यह सुलभा का ही भाई है?’’

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‘‘हां,’’ वह अटक कर बोली. लगा कुछ भीतर अटक गया.

‘‘मैडम, यह तो ऐंट्रैंस टैस्ट ही क्वालीफाई नहीं कर पाया है. इस के लिए तो आप को सर से खुद मिलना होगा.’’

सुभाषजी हैरान थे. भाईबहन में इतना अंतर क्यों आ गया है? हार कर उन्होंने उसे अलगअलग जगह कोचिंग के लिए भेजना शुरू किया. अरे, आईआईटी में नहीं तो और इतने प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज खुल गए हैं कि किसी न किसी में दाखिला तो हो ही जाएगा.

हां, सुलभा विकास दर की बात कर रही थी. वह बैंक में ऐजुकेशन लोन की बात करने गई थी. उस ने कैंपस इंटरव्यू भी दिया था, पर उस का मन अमेरिका से एमबीए करने का था. बड़ीबड़ी सफल महिलाओं के नाम उस के होस्टल में रोज गूंजते रहते थे. हर नाम एक सपना होता है, जो कदमों में चार पहिए लगा देता है. बैंक मैनेजर बता रहे थे कि लोन मिल जाएगा फिर भी लगभग क्व5 लाख तो खुद के भी होने चाहिए. ठीक है किस्तें तो पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शुरू होंगी. फीस, टिकट का प्रबंध लोन में हो जाता है, वहां कैसे रहना है, आप तय कर लें.

रात को ही शालिनी ने सुभाष से बात की.

‘‘पर हमें धीरज के बारे में भी सोचना होगा,’’ सुभाष की राय थी, ‘‘उस पर खर्च अब शुरू होना है. अच्छी जगह जाएगा तो डोनेशन भी देना होगा, यह भी देखो.’’

रात में सुलभा के लिए फोन आया. फोन सुन कर वह खुशी से नाच उठी बोली, ‘‘कैंपस में इंटरव्यू दिया था, उस का रिजल्ट आ गया है, मुझे बुलाया है.’’

‘‘कहां?’’

‘‘मुंबई जाना होगा, कंपनी का गैस्टहाउस है.’’

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‘‘कब जाना है?’’

‘‘इसी 20 को.’’

‘‘पर ट्रेन रिजर्वेशन?’’

‘‘एजेंट से बात करती हूं, मुझे एसी का किराया तो कंपनी देगी. मां आप भी साथ चलो.’’

‘‘पर तुम्हारे पापा?’’

‘‘वे भी चलें तो अच्छा होगा, पर आप तो चलो ही.’’

सुभाष खुश थे कि चलो अभी बैंक लोन की बात तो टल गई. फिर टिकट मिल गए तो जाने की तैयारी के साथ सुलभा बहुत खुश थी.

सुभाष तो नहीं गए पर शालिनी अपनी बेटी के साथ मुंबई गई. वहां कंपनी के गैस्टहाउस के पास ही विशाल सत्संग आश्रम था.

‘‘मां, मैं तो शाम तक आऊंगी. यहां आप का मन नहीं लगे तो, आप पास बने सत्संग आश्रम में हो आना. वहां पुस्तकालय भी है. कुछ चेंज हो जाएगा,’’ सुलभा ने कहा तो शालिनी सत्संग का नाम सुन कर चौंक गई. एक फीकी सी मुसकराहट उस के चेहरे पर आई और वह सोचने लगी कि वक्त कभी कुछ भूलने नहीं देता. हम जिस बात को भुलाना चाहते हैं, वह बात नए रूप धारण कर हमारे सामने आ जाती है.

उसे याद आने लगे वे पुराने दिन जब अध्यात्म में उस की गहरी रुचि थी. वह उस से जुड़े प्रोग्राम टीवी पर अकसर देखती रहती थी. उस के पिता बिजनैसमैन थे और एक वक्त ऐसा आया था जब बिजनैस में उन्हें जबरदस्त घाटा हुआ था. उन्होंने बिजनैस से मुंह मोड़ लिया था और बहुत अधिक भजनपूजन में डूब गए थे. उस के बड़े भाई जनार्दन ने बिजनैस संभाल लिया था. वहीं सुभाष से उन की मुलाकात और बात हुई. उस के विवाह की बात वे वहीं तय कर आए. उसे तो बस सूचना ही मिली थी.

तभी वह एक दिन पिता के साथ स्वामी उमाशंकर के सत्संग में गई थी. उन्हें देखा था तो उन से प्रभावित हुई थी. सुंदर सी बड़ीबड़ी आंखें, जिस पर ठहर जाती थीं, वह मुग्ध हो कर उन की ओर खिंच जाता था. सफेद सिल्क की वे धोती पहनते थे और कंधे तक आए काले बालों के बीच उन का चेहरा ऐसा लगता था जैसे काले बादलों को विकीर्ण करता हुआ चांद आकाश में उतर आया हो.

शालिनी के पिता उन के पुराने भक्त थे. इसलिए वे आगे बैठे थे. गुरुजी ने उस की ओर देखा तो उन की निगाहें उस पर आ कर ठहर गईं.

शालिनी का जब विवाह हुआ, तब उस के भीतर न खुशी थी, न गम. बस वह विवाह को तैयार हो गई थी. पिता यही कहते थे कि यह गुरुजी का आशीर्वाद है.

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विवाह के कुछ ही महीने हुए होंगे कि सुभाष को विशेष अभियान के तहत कार्य करने के लिए सीमावर्ती इलाके में भेजा गया. शालिनी मां के घर आ गई थी.

तभी पिता ने एक दिन कहा, ‘‘मैं सत्संग में गया था. वहां उमाशंकरजी आने वाले हैं. वे कुछ दिन यहां रहेंगे. वे तुम्हें याद करते ही रहते हैं.’’

आगे पढ़ें- उस की आंखों में हलकी सी चमक आई.

Bigg Boss 15 में आने से पहले छाईं ‘नागिन’ एक्ट्रेस Adaa Khan, Photos Viral

‘बिग बॉस’ का 14वां सीजन खत्म हो चुका है. हालांकि इसके साथ ही 15वें सीजन के कंटेस्टेंट्स को लेकर खबरें आना शुरु हो गई है. दरअसल, नागिग फेम एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन की तरह एक और एक्ट्रेस नजर आने वाली है. खबरों की मानें तो बिग बॉस 14 के मेकर्स ने नागिन फेम अदा खान को सीजन 15 (Bigg Boss 15) के लिए अप्रोच किया गया है. हालांकि अभी तक कोई कंफर्मेशन नही मिला है. इसी बीच अदा खान के कुछ लुक्स सोशलमीडिया पर छा गए हैं, जिसे देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अदा खान की वायरल फोटोज…

लाल साड़ी में छाया जलवा

अदा खान का जलवा उनकी इंस्टाग्राम फोटोज को देखकर लगाया जा सकता है. नागिन एक्ट्रेस के लुक्स इन दिनों सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. उन्हीं में से एक है अदा खान की नेट पैटर्न वाली रेड साड़ी, जिसमें उनका लुक खूबसूरत लग रहा है. इसके साथ फ्लावर पैटर्न वाले मैचिंग इयरिंग्स अदा खान के लुक्स पर चार चांद लगा रहे हैं.

 

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शरारा में लगती हैं खूबसूरत

 

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शरारा इन दिनों बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेसेस के बीच छाया हुआ है. हर कोई शादी हो या कोई फंक्शन शरारा ट्राय करना पसंद करते हैं. इसी बीच अदा खान का ये रेड कलर को हैवी एम्ब्रौयडरी वाला शरारा बेहद खूबसूरत लग रहा है. इस लुक के साथ हैवी झुमके बेहद अच्छा कौम्बिनेशन लग रहा है.

अदा खान का ये लुक है खास

 

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लाइट पिंक कलर की प्रिंटेड लौंग स्कर्ट के साथ डार्क पिंक कलर का रफ्फल टौप अदा खान के लुक पर चार चांद लगा रहा है, जिसे पार्टी में आसानी से कैरी किया जा सकता है.

ड्रैस में लगती हैं हौट

 

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अदा खान के ड्रैसेस कलेक्शन की बात करें तो उनके लुक्स काफी स्टाइलिश और हौट लगते हैं. शिमरी पैटर्न वाला अदा खान की स्लिट पैटर्न ड्रैस उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है.

 

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Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 1

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

आज सुबह उठते ही अनुज ने यह तय कर लिया था कि वह औफिस नहीं जाएगा, बस पूरे दिन आराम करेगा या कोई अच्छी सी साहित्यिक पत्रिका पढ़ेगा. इस से थोड़ा मानसिक तनाव कम हो जाएगा, यही सोच कर उस ने सब से पहले अपने सीनियर और सहकर्मी दोनों को ही मैसेज कर दिया और फिर अनमने मन से चाय बनाने की तैयारी करने लगा.

अनुज को किचन में जाना बिलकुल पसंद नहीं था. जब तक कोमल उस के साथ थी, वह शायद ही कभी किचन में गया था, पर उस के जाने के बाद से उस के पास किचन में न जाने का कोई विकल्प नहीं था.

पिछ्ले 5 महीनों से वह लंच कैंटीन में और डिनर पास के होटल में कर लेता था, पर चाय या कुछ लाइट स्नैक्स के लिए किचन में आना उस की मजबूरी थी.

अनुज जब बहुत छोटा था, तभी उस के मातापिता का देहांत एक सड़क दुर्घटना में हो गया था और उस की परवरिश उस की बूआ ने की थी, जो उसे बहुत प्यार करती थी, इसलिए वहां उस के जिम्मे कोई काम नहीं था. फिर कालेज और आगे की पढ़ाई उस ने होस्टल में रह कर की थी, जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं. ऐसे में न तो उसे कोई काम करने का मौका मिला और न ही उस ने कभी ऐसी रुचि दिखाई.

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नौकरी शुरू करने के कुछ ही दिन बाद कोमल उस की जिंदगी में आ गई, फिर तो मानो उस की जिंदगी में पर लग गए…

वह इन्हीं खयालों में डूबा था कि अचानक उस के मोबाइल की घंटी बजी. फोन औफिस से ही था. उस ने फोन उठा लिया और बातें करने लगा. बातचीत लंबी चली और जब बात खत्म हुई, तब तक आधी चाय उबल कर नीचे आ चुकी थी. उसे बहुत गुस्सा आया और चाय पीने का मूड जाता रहा. तभी उसे खयाल आया कि अगर अभी कोमल यहां होती तो अब तक उसे दोबारा चाय मिल चुकी होती…

कोमल का खयाल आते ही वह गुस्से से भर गया. बेमन से उस ने टैलीविजन चालू कर दिया और अपने पसंदीदा चैनल की खोज में फटाफट चैनल बदलने लगा. तभी उसे याद आया कि वह जब भी ऐसा करता था तो कोमल उसे डांट दिया करती थी.

“क्या कर रहे हो, न खुद कुछ देखते हो और न दूसरों को देखने देते हो, मुझे पता है कि तुम गुस्से में हो, पर अपना गुस्सा इस पर क्यों निकाल रहे हो, कुछ खराब हो जाएगा तो बिना मतलब ही खर्च करना पड़ जाएगा. लाओ रिमोट… मुझे दो,” और वह रिमोट उस के हाथ से ले लिया करती थी.

“तुम्हें कैसे पता कि मैं गुस्से में हूं?”

“मुझे सब पता चल जाता है,” यह कह कर वह जोर से हंस दिया करती थी. उस की हंसी में मेरा गुस्सा न जाने कहां चला जाता था.

आज पता नहीं क्यों उसे कोमल की याद बारबार आ रही थी. वह उसे चाह कर भी भूल नहीं पा रहा था. अचानक उस के जेहन में कोमल से हुई उस की पहली मुलाकात का पूरा दृश्य किसी फिल्म की तरह घूमने लगा.

अनुज को एमबीए करते ही मुंबई की एक नामचीन एमएनसी में नौकरी मिल गई थी, और उस की कंपनी ने उसे रहने की सुविधा भी दे रखी थी, इसलिए वह बिलकुल टेंशन फ्री था. उस की बूआ भी यह जान कर बहुत खुश थीं क्योंकि मुंबई में मूल समस्या रहने की ही होती है.

अनुज को फ्लैट अंधेरी में मिला हुआ था और उस का औफिस नरीमन पाइंट में था और दोनों ही लोकेशन ऐसे थे कि उसे आनेजाने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी.

अनुज अपने व्यवहार और कुशल कार्यशैली के कारण कुछ ही समय में अपनी कंपनी में काफी लोकप्रिय हो गया था. उस की बौस उस के परफार्मेंस का उदाहरण दूसरों को दिया करती थीं.

एक दिन उस के बौस ने उसे बताया कि उस की कंपनी एक नया प्रोडक्ट लौंच करने वाली है, जिस की मार्केटिंग टीम को उसे ही लीड करना है. साथ ही, उस ने यह भी कहा कि उसे उस ऐड कंपनी से भी कोआर्डिनेट करना होगा, जिसे उस प्रोडक्ट का विज्ञापन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है, ताकि सबकुछ दिए गए टाइम फ्रेम में हो सके.

यह सुन कर अनुज बहुत खुश हुआ और इस ने यह जानकारी अपनी बूआ को भी दी.

अगले दिन ही उसे ऐड कंपनी के औफिस जाने को कहा गया, जो अंधेरी में ही था, जहां उसे टीम लीडर कोमल शर्मा से मिलना था. साथ ही, उस की बौस ने उसे कोमल का नंबर भी दे दिया, ताकि औफिस ढूंढ़ने में अगर कोई परेशानी हो तो वह उस से बात कर सके.

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अनुज लंच के बाद अपने औफिस से निकला और बड़ी आसानी से ऐड कंपनी के औफिस में पहुंच गया. कुछ देर इंतजार करने के बाद औफिस ब्वाय ने उसे मीटिंग रूम तक पहुंचा दिया.

मीटिंग में कोमल के अलावा 2 और लोग थे पारुल और नवनीत, एक आम परिचय के बाद ऐड कैंपेन पर लंबी बातचीत चली. बीचबीच में अनुज अपनी बौस को भी अपडेट करता रहा.

टी ब्रेक में थोड़ी पर्सनल बातचीत भी हुई. अनुज ने अपने बारे में विस्तार से बताया और यह भी कहा कि वह इस प्रोजैक्ट को ले कर काफी उत्साहित है और यह चाहता है कि यह पूरी तरह से सफल हो जाए.

कोमल ने भी उसे एश्योर किया कि उस की पूरी टीम अपना बेस्ट देगी, भले ही हमें शार्ट नोटिस पर ही मिलना क्यों न पड़े.

अनुज ने धीरे से कहा कि वह बैचलर है, इसलिए उसे लेट सीटिंग से भी कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि वह अंधेरी में ही रहता है.

इस पर कोमल ने मुसकराते हुए कहा कि बैचलर तो वह भी है और अंधेरी में ही रहती है. अगर जरूरत पड़ती है तो वह भी लेट सीटिंग को तैयार है.

उस दिन मीटिंग काफी देर तक चली. कोमल भी उस के साथ ही औफिस से निकली. दोनों कुछ दूर तक साथ ही रहे.

कोमल ने उसे बताया कि वह मूल रूप से राजस्थान की है, पर वह बौर्न ऐंड ब्रेट अप यहीं की है. उस के पापा का यहां अपना बिजनेस है.

अनुज ने भी उसे अपने बारे में बताया और फिर दोनों अलगअलग आटो ले कर निकल गए.

घर पहुंच कर अनुज बहुत देर तक इस प्रोजैक्ट के बारे में सोचता रहा. अगर वह इस में सफल हो जाता है तो जाहिर है, उस के कैरियर को अच्छा ग्रोथ मिल सकता है. उसे कोमल भी काफी अच्छी लगी. अपने काम की एक्सपर्ट, सुलझी हुई, मिलनसार और विनम्र भी, ठीक वैसी ही जैसी वह लाइफ पार्टनर चाहता है. उसे खुद पर हंसी भी आ गई, क्याक्या सोच लिया उस ने.

दूसरे दिन औफिस पहुंच कर उस ने अपनी बौस को पूरी जानकारी दी और उन्होंने अनुज के काम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बाकी चीजों को छोड़ कर अभी सिर्फ इस प्रोजैक्ट पर ध्यान दे, क्योंकि कंपनी इसे अगले महीने ही बाजार में लाना चाहती है और इस के लिए अगर उसे हफ्तेभर अंधेरी में ही बैठना पड़े तो भी चलेगा, पर काम समय से पहले पूरा हो जाना चाहिए.

अनुज ने उन्हें बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैडम, प्लीज ट्रस्ट मी, आप ने जो ट्रस्ट मेरे ऊपर किया है, उसे कभी टूटने नहीं दूंगा, मेरे लिए भी यह एक चैलेंज की तरह है, जिसे मैं सही तरीके से अंजाम तक पहुंचा के ही कोई दूसरा काम करूंगा.”

“मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है अनुज, तभी तो मैं ने इस के लिए तुम्हें सेलेक्ट किया है और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगे.”

“बिलकुल नहीं मैडम, मैं जानता हूं कि मेरे कुछ सीनियर इस बात को ले कर आप से नाराज भी हैं, फिर भी आप मेरे साथ हैं.”

“गौड ब्लेस यू अनुज, डोंट वरी फौर आल सच इसुज, तुम बस इस काम पर ध्यान दो.”

“थैंक्स मैडम,” अनुज ने बहुत संजीदगी से कहा और अपने काम में लग गया.

पूरा एक हफ्ता मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने और मीटिंग में निकल गया और अगला हफ्ता उस ने पूरी तरह से ऐड कंपनी के लिए फ्री रखा था, ताकि इस बार सबकुछ फाइनल कर के सेल्स हेड और सीईओ के लिए प्रेजेंटेशन रखा जा सके.

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उस ने कोमल को पहले से ही फोन कर के अपने 3 दिन का प्रोग्राम बता दिया था और कोमल ने भी उस से वादा किया था कि उस की तरफ से सबकुछ तैयार है और डेडलाइन के पहले ही वह उसे फाइनल कौपी सौंप देगा.

आगे पढ़ें- आखिर सभी की मेहनत रंग लाई और…

Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 2

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

अगले सोमवार को अनुज सीधे कोमल के औफिस पहुंच गया और पूरे दिन वहीं रहा. उस ने महसूस किया था कि कोमल पहले की तुलना में उस से काफी फ्री हो गई थी. कोमल के लिए यह ऐड एक चैलेंज की तरह ही था और वह भी पूरी शिद्दत से उस काम में लगी हुई थी. आखिर सभी की मेहनत रंग लाई और जो ऐड तैयार हुआ, वह काफी आकर्षक था, जिसे ऐड कंपनी के डायरेक्टर ने भी देखते ही ओके कर दिया था. उस दिन भी अनुज और कोमल साथसाथ ही निकले, तो अनुज ने कहा,
“कोमल, आज तो एक कौफी बनती है मेरी तरफ से, आप ने बहुत मेहनत की है.”

“अच्छा… तो आप कौफी से ही काम चलाना चाहते हैं.”

“अरे नहीं, मैं तो आप की पूरी टीम को लंच दूंगा, बस. एक बार प्रोजैक्ट लौंच हो जाने दीजिए.”

“और डिनर मेरी तरफ से,” कोमल ने कहा.

“मैं तैयार हूं, चलिए इस की शुरुआत कौफी से करते हैं,” और दोनो कौफी कौर्नर में जा कर बैठ गए.

“आज मैं अपने पसंद की कौफी और्डर करती हूं, एनी प्रोब्लम?”

“बिलकुल नहीं.”

उस ने वेटर को बुला कर 2 कैफे मोचा और सैंडविच और्डर कर दिया और बोली,
“आज थोड़ी भूख सी लग रही है. आप को भी लग रही है क्या?”

“भूख तो नहीं है, पर शेयर जरूर करूंगा.”

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हम ने करीब आधा घंटा साथ बिताया. इस दरमियान हम ने एकदूसरे से काफी बातें शेयर कीं, मसलन हमारी रुचि, हमारी फैमिली,फ्यूचर प्लान आदि. मैं ने उसे बताया कि मुझे मुंबई काफी पसंद है और मैं शायद यहीं सैटल होना पसंद करूंगा. उस ने भी मुझे बताया कि उस के पास तो मुंबई के अलावा कोई औप्शन नहीं है और न ही उसे किसी और शहर में इंट्रेस्ट है.

कौफी खत्म होते ही हम बाहर आ गए और बात करतेकरते मेन रोड पर आ गए, जहां से हम दोनों ने आटो लिया और एकदूसरे को बाई कहते हुए अपनेअपने घर को निकल पड़े.

घर पहुंच कर अनुज काफी देर तक कोमल के बारे में ही सोचता रहा. उसे कोमल के बातचीत करने का अंदाज बहुत पसंद आता था. ऐसा लगता था मानो वह किसी करीबी से बात कर रहा हो. जरा सा भी ईगो नहीं है उस के पास, कौन कहेगा कि वह मुंबई जैसे महानगर में पलीबढ़ी है. काश, उसे ऐसी ही लाइफ पार्टनर मिल जाती. उस पूरी रात वह इन्हीं सब विचारों और कल्पनाओं में उलझा रहा.

सुबह औफिस पहुंचते ही अनुज ने सब से पहले मैडम फोन्सेका को फाइनल डमी दिखाई और उन को साथ ले कर प्रेजेंटेशन के लिए बोर्ड रूम में चला गया, जहां पहले से ही सेल्स हेड और सीईओ मौजूद थे. शुरुआत में अनुज थोड़ा नर्वस जरूर था, पर उस ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ प्रोडक्ट लौंच की मार्केटिंग स्ट्रेटजी और तैयार किए गए विज्ञापन के सारे डिटेल्स के बारे में बताया, जिस की सभी ने खुले मन से सराहना की. सीईओ ने तो उस की पीठ थपथपाते हुए कहा,
“यंग मैन यू हैव ए ब्राइट फ्यूचर कीप इट अप.”

अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था. औफिस के सभी लोग उस की तारीफ कर रहे थे. सब से ज्यादा खुश तो मिसेज फोन्सेका थीं, उन्हें अपने निर्णय पर बहुत गर्व हो रहा था.

अनुज ने सब से पहले इस के बारे में अपनी बूआ को बताया और फिर कोमल को, दोनों ही बहुत खुश हुए. कोमल ने तो लंच की डेट भी फिक्स कर दी.

नियत तारीख को प्रोडक्ट लौंच हो गया. उस का रैस्पोंस काफी अच्छा था. सभी लोग अनुज के परफोर्मेंस की तारीफ कर रहे थे.

अनुज ने कोमल की पूरी टीम के साथ लंच का प्रोमिस किया था, पर उस की टीम के 2 लोग छुट्टी पर थे, इसलिए लंच की डेट फिक्स नहीं हो पा रही थी. तो यह तय हुआ कि पहले डिनर वाली पार्टी हो जाए, फिर लंच कर लेंगे.

अगले फ्राइडे की रात अंधेरी के ही एक रेस्तरां में मिलना तय हुआ. उस दिन औफिस से सीधे डिनर पर जाने के बजाय वह पहले घर गया और फिर रेस्तरां पहुंचा.

अनुज के पहुंचने के कुछ ही देर बाद कोमल भी आ गई. उस ने दूर से ही हाथ हिलाया, तो कुछ देर के लिए वह उसे पहचान ही नहीं पाया, क्योंकि अब तक उस ने कोमल को साधारण ड्रेस में ही देखा था और आज वह साड़ी में थी. जब वह उस के करीब आई, तो कोमल ने ही कहा, “ऐसे क्यों देख रहे हैं आप? मैं साड़ी में हूं इसलिए, दरअसल, मुझे साड़ी बहुत पसंद है, पर औफिस में कोई नहीं पहनता तो मैं कैसे पहनूं?”

“सच कहूं, प्लीज, बुरा नहीं मानिएगा. बहुत अच्छी लग रही हैं, इसलिए नजर नहीं हट रही.”

“क्यों मेरा मजाक उड़ा रहे हैं? आप चलिए, अंदर चलते हैं.”

“अरे नहीं कोमलजी, सच कह रहा हूं.”

“चलिएचलिए, अंदर चलते हैं,” कहते हुए वह आगे बढ़ गई.

वैसे तो काफी लोग वेटिंग में थे, पर उस ने पहले से ही सीट रिजर्व करा ली थी, इसलिए हमें परेशानी नहीं हुई.

मैं ने बैठते ही कहा,
“कोमल, आप और्डर दे दीजिए. आप को इस का अच्छा आइडिया है.”

“फिर, मैं अपने पसंद का दूंगी,” उस ने हंसते हुए कहा.

“आप को जो पसंद है वही और्डर दीजिए.”

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उस ने एक सूप, एक स्टार्टर और मेन कोर्स का और्डर साथ में ही दे दिया. कुछ देर हम शांत रहे और फिर उस ने ही चुप्पी तोड़ी, “मैं भी आप के प्रोजैक्ट को ले कर काफी टेंस थी, पता नहीं कैसा रहेगा, पर आप की कम्पनी को हमारा काम पसंद आया. मुझे बहुत खुशी हुई.”

“आप लोगों ने भी काफी मेहनत की थी, तो जाहिर है कि इसे अप्रूवल मिलना ही था, वैसे आप कितने सालों से इस फील्ड में हैं.”

“मुझे 4 साल हो गए. मैं ने ग्रेजुएशन के बाद मास कम्युनिकेशंस में एडवांस डिप्लोमा किया और फिर जौब में आ गई.”

“आप के रिलेटिव्स भी मुंबई में ही हैं या राजस्थान भी जाना होता है आप का?”

“हमारे अधिकांश रिलेटिव्स मुंबई में ही हैं, पर राजस्थान से कनेक्शन है अभी भी. पर अकसर पापा ही जाते हैं. मेरा तो जाना नहीं होता.”

तब तक वेटर ने खाना सर्व कर दिया, पर हमारी बातचीत चलती रही.

“एक बात पूछ सकता हूं, बुरा तो नहीं मानेंगी?”

“पूछने के लिए इजाजत की जरूरत नहीं. आप पूछ सकते हैं.”

“आप का कोई बौयफ्रेंड तो होगा ही?”

“ऐसा कैसे कह सकते हैं आप?” उस ने मुस्कुराते हुए कहा.

“सौरी,अगर आप को बुरा लगा.”

“देखिए, आप जिस सेंस में पूछ रहे हैं उस सेंस में मेरा कोई बौयफ्रेंड नहीं… हां, काफी लड़के मेरे फ्रेंड हैं.”

“शादी के बारे में क्या सोचा है आप ने?”

“आप तो आज इंटरव्यू लेने के मूड मे हैं.”

-नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं. बस, ऐसे ही पूछ लिया.”

“शादी तो करना चाहती हूं. कुछ लड़कों से इस सिलसिले में मिली भी हूं, पर उन्हें मेरे जौब को ले कर प्रोब्लम थी, इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी.”

“कैसी प्रॉब्लम?”

“अनुज, मैं जिस फील्ड में हूं, वहां वर्किंग आवर फिक्स नहीं होता. कभीकभी देर रात तक क्लाइंट के या अपने औफिस में रहना पड़ता है, या कभीकभी मुंबई से हफ्तेपंद्रह दिन के लिए बाहर जाना होता है, क्लाइंट के साथ लंच या डिनर भी करना होता है. और हरेक लड़के को ऐसी लड़की अच्छी नहीं लगती. उन्हें हमारे कैरेक्टर पर शक होने लगता है, तो फिर शादी का औचित्य ही क्या रह जाता है.

“तो बेहतर है कि ऐसे लोगों से बात ही आगे नहीं बढ़ाई जाए. मुझे मेरा जौब बहुत पसंद है और मैं इसे न तो छोड़ सकती हूं और न चेंज कर सकती हूं.”

“कोमल, अगर मैं आप से यह कहूं कि मुझे आप के जौब से कोई परेशानी नहीं है, तो क्या आप मुझ से शादी करना चाहेंगी?

“मैं सीरियसली बोल रहा हूं, पता नहीं, यह सब कैसे बोल गया.”

कोमल ने पलभर के लिए खाना रोक दिया और मेरी आंखों में देखा, शायद उसे इस सवाल की उम्मीद नहीं थी या वह इस सवाल के लिए तैयार नहीं थी.

कुछ देर के लिए सिर्फ हम दोनों एकदूसरे को देख रहे थे. चुप्पी कोमल ने ही तोड़ी, “अनुज,जहां तक मैं आप को समझ पाई हूं कि मुझे आप एक अच्छे इनसान लगे, शायद इसीलिए मैं आप से इतना क्लोज भी हो गई, पर थोड़ा वक्त दीजिए, मैं अभी आप को इस का जबाब नहीं दे पाऊंगी.”

“कोमलजी, आप भी मुझे अच्छी लगीं, इसीलिए मैं ने अपने मन की बात आप से कह दी. अगर आप ना कह देंगी, तब भी जो रेस्पेक्ट आप के लिए है, वही रहेगा. आप यह भी जानती हैं कि एक बूआ के अलावा मेरा और कोई नहीं है.

“जी, आप ने बताया है.”

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तब तक हमारा डिनर भी हो चुका था. कोमल ने पहले किए गए वादे के अनुसार पेमेंट किया और हम दोनों रेस्तरां से बाहर निकले और वहीं से आटो ले कर अपने अपने घर लौट गए.

आगे पढ़ें- अचानक मोबाइल के लगातार बजने…

Serial Story: आई विल चेंज माईसेल्फ- भाग 3

लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

घर पहुंच कर मैं बारबार उस क्षण के बारे में हीं सोच रहा था कि मैं कैसे यह सब बोल गया, जबकि मैं इस के लिए तैयार हो कर नहीं गया था. इस में कोई दोराय नहीं कि कोमल मुझे पसंद नहीं थी, पर इतनी जल्दी मैं उसे प्रपोज कर दूंगा, यह मैं ने सोचा भी नहीं था,आखिर मेरे में इतनी हिम्मत आई कहां से, यह मैं खुद समझ नहीं पा रहा था. इसी उधेड़बुन में कब मेरी आंख लग गई, मैं खुद समझ नहीं पाया.

अचानक मोबाइल के लगातार बजने वाले रिंगटोन से मेरी नींद खुल गई. सब से पहले मैं ने घड़ी की तरफ देखा, 12 बज रहे थे. अभी कौन फोन कर रहा है, देखा तो कोमल का फोन था, मैं ने तुरंत फोन लिया, “सो गए थे आप, माफ कीजिएगा कि मैं ने जगा दिया आप को.”

“अरे नहीं, बस आंख लग गई थी. आप ठीक से घर तो पहुंच गई थीं?”

-हां, कोई परेशानी नहीं हुई. वहां से तो पास में ही है मेरा घर, अनुज मैं ने घर पहुंच कर बहुत सोचा और मेरे दिल और दिमाग दोनों ने यही कहा कि आप जैसा शख्स अगर लाइफ पार्टनर हो तो जिंदगी सुकून के साथ गुजारी जा सकती है, मैं ने आप के बारे में अपने पेरेंट्स को बता दिया है और वे आप से मिलना चाहते हैं. कल आ सकते हैं तो आ जाइए. एड्रेस व्हाट्सएप कर देती हूं.”

“मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि क्या कभी ऐसा होता है कि इनसान जो चाहे वह उसे इतनी जल्दी मिल जाए,” मैं ने धड़कते हुए दिल को किसी तरह थामा और कहा, “थैंक्स कोमल, मेरे पास शब्द नहीं हैं, मैं क्या कहूं आप को बस यही सोच रहा हूं कि कैसे कल की सुबह तक इंतजार कर पाऊंगा. आता हूं कल 11 बजे तक…”

उस ने हंसते हुए कहा, “रात गुजरेगी तो सुबह ही आएगी, हां, कल हम सब साथ में लंच करेंगे. आप अब सो जाइए, रात काफी हो गई है. कल मिलते हैं, बाई, गुड नाइट.”

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“टेक केयर, गुड नाइट…
अचानक मैं खुद को दुनिया का सब से भाग्यशाली इनसान समझने लगा था और ईश्वर को न जाने कितनी बार थैंक्स बोल चुका था. मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी और मुझे कल उस के घर जाने को ले कर टेंशन हो रही थी, पता नहीं वे लोग क्या पूछेंगे?कैसा व्यवहार करेंगे? पता नहीं, मुझे यह खुशी मिलेगी भी या नहीं? ऐसे ही अनेक सवाल मुझे परेशान कर रहे थे और ऐसे में नींद आती भी तो कैसे. मैं ने टीवी चालू कर दिया और यों ही चैनल बदलने लगा. शायद किसी चैनल पर कोई पुरानी फिल्म आ रही थी और मैं उसे ही देखतेदेखते सो गया.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे नींद खुली तो देखा टीवी औन ही था. फटाफट चाय बनाई और पेपर ले कर बैठ गया, पर पेपर पढ़ने का बिलकुल मूड नहीं हुआ, जेहन में सिर्फ कोमल ही घूम रही थी और मन ही मन उस के पैरेंट्स द्वारा पूछे जाने वाले काल्पनिक प्रश्नों का पूर्वाभ्यास कर रहा था. पता नहीं, क्यों ऐसा लग रहा था कि आज घड़ी की सूई आगे बढ़ ही नहीं रही है, साढ़े 10 बजते ही मैं ने अपना सब से लकी ड्रैस निकाला, जिसे पहन कर मैं ने जौब का इंटरव्यू दिया था और तैयार हो कर बिल्डिंग के नीचे आ गया. सामने ही एक आटो खड़ा था. मैं ने उसे जेबी नगर बोला और बैठ गया. साथ ही, कोमल को मेसेज भी कर दिया.

मुझे कोमल का फ्लैट खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. वह अपार्टमेंट के नीचे आ गई थी. मुझे देखते ही उस ने मुसकरा कर मेरा स्वागत किया और लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगी. उस का फ्लैट सातवें फ्लोर पर था. उस ने जैसे ही अपने घर की बेल दबाई, तो मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी. उस ने धीरे से कहा, “आल द बेस्ट” और मुसकराने लगी. दरवाजा उस की मम्मी ने खोला था.

“आ जाओ बेटा. हम तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे. मैं ने उन का अभिवादन किया और सोफे पर बैठ गया.

मुझे वे बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व की सौम्य सी महिला लगीं. मैं ने एक नजर हाल पर डाली. सबकुछ बहुत ही व्यवस्थित और करीने से सजा हुआ था. सारे फर्नीचर सफेद रंग के थे और उन की बनावट बहुत ही कलात्मक थी. इसी बीच कोमल मेरे लिए पानी ले कर आ गई, शायद वह समझ गई थी कि मुझे उस की जरूरत थी. मैं ने अपना गला तर किया, जिस से मुझे काफी राहत मिली.

मम्मी ने ही बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाया.

“तुम भी शायद अंधेरी में ही रहते हो?”

“हां आंटीजी, मैं वर्सोवा में रहता हूं. मेरी कंपनी ने मुझे फ्लैट दे रखा है.”

“और रहने वाले कहा के हो?”

“मैं भोपाल से हूं. सारी पढ़ाई भी वहीं से की है. मेरे पैरेंट्स की डेथ बहुत पहले ही हो गई थी. मेरी परवरिश बूआजी ने ही की है और उन का भी मेरे सिवा कोई नहीं है. वैसे तो और भी रिश्तेदार हैं, पर मेरे ताल्लुकात उन से ज्यादा नहीं हैं. मैं ने गौर किया कि वे मेरे चेहरे को बड़े गौर से देख रही थीं. शायद उसे पढ़ने की कोशिश कर रही होंगी, तभी कोमल के पापा आते हुए दिखे. मैं ने खड़े हो कर उन का अभिवादन किया, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, “यस यंग मैन, कैसे हो, बी रिलैक्सड.”

“ठीक हूं अंकल.”

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“मुझे तुम्हारे बारे में कोमल ने सबकुछ बताया था. सच कहूं, तो जितना भरोसा मुझे अपने उपर नहीं है उस से कहीं ज्यादा अपनी बेटी पर है. अगर इस ने तुम्हें पसंद किया है, तो जरूर कुछ सोच कर ही किया होगा.

“और मैं उस के हर डिसीजन में उस के साथ हूं. बस, एक बात कहना चाहता हूं कि कोमल मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी है. इस का दिल कभी मत दुखाना. बड़े प्यार से पाला है इसे, उन का चेहरा बता रहा था कि वे इमोशनल हो गए थे,” मैं ने धीरे से कहा.

“अंकल, आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं,भले ही कोमल से मेरी मुलाकात बहुत पुरानी नहीं है, पर इतना मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि इस से बेहतर पार्टनर मुझे नहीं मिल सकती.

“थैंक यू माई सन… गौड ब्लेस यू. तुम दोनों खुश रहो और मुझे क्या चाहिए,” तभी उस की मम्मी ने कहा.

“कोमल, अनुज को अपना घर दिखाओ तब तक मैं लंच की तैयारी करती हूं.”

कोमल मुझे ले कर अपने रूम में आ गई. वह बहुत खुश दिख रही थी. मैं ने ही कहा, “कोमल, आप की फैमिली कितनी अच्छी है.”

“सिर्फ मेरी ही नहीं अब वो आप की भी है, बाई द वे, ये आप आप क्या लगा रखा है.

“ओके… चलो सही कहा तुम ने, शायद मैं बहुत लकी हूं इसीलिए ईश्वर ने मुझे तुम से मिलवाया और तुम अब मेरी जिंदगी में शामिल होने जा रही हो.”

“तुम नहीं मैं भी लकी हूं. तुम रियली बहुत अच्छे हो. अनुज बूआजी को फोन करो ना, मम्मी को उन से बात करनी है और मुझे भी.”

मैं ने बूआ को फोन लगा कर उन्हें सारी बातें बताईं और फोन कोमल को दे दिया.

कोमल और उस की मम्मी ने काफी देर तक बूआ से बातचीत की, तब तक मैं उस के पापा से उन के बिजनेस और उन के परिवार के बारे में बात करता रहा.

मुझे वो काफी इंट्रेस्टिंग लगे, बिलकुल सहज सरल पर काफी अनुभवी. मम्मी और बूआ की बातचीत तकरीबन घंटेभर चली. फिर हम ने लंच किया. मेरे यह कहने पर कि खाना काफी स्वादिष्ठ है.”

मम्मी ने तुरंत कहा, “ऐसा है तो हर संडे तुम्हारा लंच हमारे साथ ही रहेगा, नो एक्सक्यूज प्लीज.”

“ओके आंटीजी, जैसा आप का आदेश.”

फिर मैं ने जब चलने की बात की तो उस के पापा ने मुझे ड्रॉप करने की बात की. पर, मेरे लाख मना करने के बावजूद वे नहीं माने, फिर तो सभी गाड़ी में बैठ गए.

गाड़ी कोमल ही ड्राइव कर रही थी. मैं उस की बगल में बैठा था और मम्मीपापा पीछे. उन्होंने मुझे मेरे अपार्टमेंट के पास छोड़ दिया. आज मानो मुझे जन्नत मिल गई थी. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.

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मैं ने इस बारे में औफिस में किसी को नहीं बताया था, क्योंकि मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहता था. इस के बाद से मैं काफी बदल सा गया था. औफिस में मेरी परफार्मेंस से सभी खुश थे. लगभग हरेक संडे को हम मिलते ही थे और घंटों बैठ कर अपने भावी जीवन के सपने संजोया करते थे.

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