Serial Story: कभी-कभी ऐसा भी… – भाग 2

पूरा जुर्माना अदा कर के आत्म- विश्वास से भरी जब थाने से बाहर निकल रही थी तो देखा कि 2 पुलिस वाले बड़ी बेदर्दी से 2 लड़कों को घसीट कर ला रहे थे. उन में से एक पुलिस वाला चीखता जा रहा था, ‘‘झूठ बोलते हो कि उन मैडम का पर्स तुम ने नहीं झपटा है.’’

‘‘नाक में दम कर रखा है तुम बाइक वालों ने. कभी किसी औरत की चेन तो कभी पर्स. झपट कर बाइक पर भागते हो कि किसी की पकड़ में नहीं आते. आज आए हो जैसेतैसे पकड़ में. तुम बाइक वालों की वजह से पुलिस विभाग बदनाम हो गया है. तुम्हारी वजह से कहीं नारी शक्ति प्रदर्शन किए जा रहे हैं तो कहीं मंत्रीजी के शहर में शांति बनाए रखने के फोन पर फोन आते रहते हैं. बस, अब तुम पकड़ में आए हो, अब देखना कैसे तुम से तुम्हारे पूरे गैंग का भंडाफोड़ हम करते हैं.’’

एक पुलिस वाला बके जा रहा था तो दूसरा कालर से घसीटता हुआ उन्हें थाने के अंदर ले जा रहा था. ऐसा दृश्य मैं ने तो सिर्फ फिल्मों में ही देखा था. डर के मारे मेरी तो घिग्गी ही बंध गई. नजर बचा कर साइड से निकलना चाहती थी कि बड़ी तेजी से आवाज आई, ‘‘मैडम, मैडम, अरे…अरे यह तो वही मैडम हैं…’’

मैं चौंकी कि यहां मुझे जानने वाला कौन आ गया. पीछे मुड़ कर देखा. बड़ी मुश्किल से पुलिस की गिरफ्त से खुद को छुड़ाते हुए वे दोनों लड़के मेरी तरफ लपके. मैं डर कर पीछे हटने लगी. अब जाने यह किस नई मुसीबत में फंस गई.

‘‘मैडम, आप ने हमें पहचाना नहीं,’’ उन में से एक बोला. मुझे देख कर कुछ अजीब सी उम्मीद दिखी उस के चेहरे पर.

‘‘मैं ने…आप को…’’ मैं असमंजस में थी…लग तो रहा था कि जरूर इन दोनों को कहीं देखा है. मगर कहां?

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‘‘मैडम, हम वही दोनों हैं जिन्होंने अभी कुछ दिनों पहले आप की गाड़ी की स्टेपनी बदली थी, उस दिन जब बीच रास्ते में…याद आया आप को,’’ अब दूसरे ने मुझे याद दिलाने की कोशिश की.

उन के याद दिलाने पर सब याद आ गया. इस गाड़ी की वजह से मैं एक नहीं, कई बार मुश्किल में फंसी हूं. श्रेयस ने यहां से जाते वक्त कहा भी था, ‘एक ड्राइवर रख देता हूं, तुम्हें आसानी रहेगी. तुम अकेली कहांकहां आतीजाती रहोगी. बाहर के कामों व रास्तों की तुम्हें कुछ जानकारी भी नहीं है.’ मगर तब मैं ने ही यह कह कर मना कर दिया था कि अरे, मुझे ड्राइविंग आती तो है. फिर ड्राइवर की क्या जरूरत है. रोजरोज मुझे कहीं जाना नहीं होता है. कभीकभी की जरूरत के लिए खामखां ही किसी को सारे वक्त सिर पर बिठाए रखूं. लेकिन बाद में लगा कि सिर्फ गाड़ी चलाना आने से ही कुछ नहीं होता. घर से बाहर निकलने पर एक महिला के लिए कई और भी मुसीबतें सामने आती हैं, जैसे आज यह आई और आज से करीब 2 महीने पहले वह आई थी.

उस दिन मेरी गाड़ी का बीच रास्ते में चलतेचलते ही टायर पंक्चर हो गया था. गाड़ी को एक तरफ रोकने के अलावा और कोई चारा नहीं था. बड़ी बेटी को उस की कोचिंग क्लास से लेने जा रही थी कि यह घटना घट गई. उस के फोन पर फोन आ रहे थे और मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करूं. गाड़ी में दूसरी स्टेपनी रखी तो थी लेकिन उसे लगाने वाला कोई चाहिए था. आसपास न कोई मैकेनिक शौप थी और न कोई मददगार. कितनी ही गाडि़यां, टेंपो, आटोरिक्शा आए और देखते हुए चले गए. मुझ में डर, घबराहट और चिंता बढ़ती जा रही थी. उधर, बेटी भी कोचिंग क्लास से बाहर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी. श्रेयस को फोन मिलाया तो वह फिर कहीं व्यस्त थे, सो खीझ कर बोले, ‘अरे, पूरबी, इसीलिए तुम से बोला था कि ड्राइवर रख लेते हैं…अब मैं यहां इतनी दूर से क्या करूं?’ कह कर उन्होंने फोन रख दिया.

काफी समय यों ही खड़ेखड़े निकल गया. तभी 2 लड़के मसीहा बन कर प्रकट हो गए. उन में से एक बाइक से उतर कर बोला, ‘मे आई हेल्प यू, मैडम?’

समझ में ही नहीं आया कि एकाएक क्या जवाब दूं. बस, मुंह से स्वत: ही निकल गया, ‘यस…प्लीज.’ और फिर 10 मिनट में ही दोनों लड़कों ने मेरी समस्या हल कर मुझे इतने बड़े संकट से उबार लिया. मैं तो तब उन दोनों लड़कों की इतनी कृतज्ञ हो गई कि बस, थैंक्स…थैंक्स ही कहती रही. रुंधे गले से आभार व्यक्त करती हुई बोली थी, ‘‘तुम लोगों ने आज मेरी इतनी मदद की है कि लगता है कि इनसानियत और मानवता अभी इस दुनिया में हैं. इतनी देर से अकेली परेशान खड़ी थी मैं. कोई नहीं रुका मेरी मदद को.’’ थोड़ी देर बाद फिर श्रेयस का फोन आया तो उन्हें जब उन लड़कों के बारे में बताया तो वह भी बहुत आभारी हुए उन के. बोले, ‘जहां इस समाज में बुरे लोग हैं तो अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है.’

और आज मेरे वे 2 मसीहा, मेरे मददगार इस हालत में थे. पहचानते ही तुरंत उन के पास आ कर बोली, ‘‘अरे, यह सब क्या है? तुम लोग इस हालत में. इंस्पेक्टर साहब, इन्हें क्यों पकड़ रखा है? ये बहुत अच्छे लड़के हैं.’’

‘‘अरे, मैडम, आप को नहीं पता. ये वे बाइक सवार हैं जिन की शिकायतें लेले के आप लोग आएदिन पुलिस थाने आया करते हैं. बमुश्किल आज ये पकड़ में आए हैं. बस, अब इन के संगसंग इन के पूरे गिरोह को भी पकड़ लेंगे और आप लोगों की शिकायतें दूर कर देंगे.’’

इतना बोल कर वे दोनों पुलिस वाले उन्हें खींचते हुए अंदर ले गए. मैं भी उन के पीछेपीछे हो ली.

मुझे अपने साथ खड़ा देख कर वे दोनों मेरी तरफ बड़ी उम्मीद से देखने लगे. फिर बोले, ‘‘मैडम, यकीन कीजिए, हम ने कुछ नहीं किया है. आप को तो पता है कि हम कैसे हैं. उन मैडम का पर्स झपट कर हम से आगे बाइक सवार ले जा रहे थे और उन मैडम ने हमें पकड़वा दिया. हम सचमुच निर्दोष हैं. हमें बचा लीजिए, प्लीज…’’

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एक लड़का तो बच्चों की तरह जोरजोर से रोने लगा था. दूसरा बोला, ‘‘इंस्पेक्टर साहब, हम तो वहां से गुजर रहे थे बस. आप ने हमें पकड़ लिया. वे चोर तो भाग निकले. हमें छोड़ दीजिए. हम अच्छे घर के लड़के हैं. हमारे मम्मी-पापा को पता चलेगा तो उन पर तो आफत ही आ जाएगी.’’

हालांकि मैं उन्हें बिलकुल नहीं जानती थी. यहां तक कि उन का नामपता भी मुझे मालूम नहीं था लेकिन कोई भी अच्छाबुरा व्यक्ति अपने कर्मों से पहचाना जाता है. मेरी मदद कर के उन्होंने साबित कर दिया था कि वे अच्छे लड़के हैं और अब उन की मदद करने की मेरी बारी थी. ऐसे कैसे ये पुलिस वाले किसी को भी जबरदस्ती पकड़ कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेंगे और गुनाहगार शहर में दंगा मचाने को आजाद घूमते रहेंगे.

अब जो भी हो, मुझे उन की मदद करनी ही है, सो मैं ने कहा, ‘‘इंस्पेक्टर साहब, मैं इन्हें जानती हूं. ये बड़े अच्छे लड़के हैं. मेरे भाई हैं. आप गलत लोगों को पकड़ लाए हैं. इन्हें छोड़ दीजिए.’’

‘‘अरे मैडम, इन के मासूम और भोले चेहरों पर मत जाइए. जब चोर पकड़ में आता है तो वह ऐसे ही भोला बनता है. बड़ी मुश्किल से तो ये दोनों पकड़ में आए हैं और आप कहती हैं कि इन्हें छोड़ दें… और फिर ये आप के भाई कैसे हुए? दोनों तो मुसलिम हैं और अभी आप ने चालान की रसीद पर पूरबी अग्रवाल के नाम से साइन किया है तो आप हिंदू हुईं न,’’ बीच में वह पुलिस वाला बोल पड़ा जिस से मैं ने अपनी गाड़ी छुड़वाई थी.

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Serial Story: कभी-कभी ऐसा भी… – भाग 1

शौपिंग कर के बाहर आई तो देखा मेरी गाड़ी गायब थी. मेरे तो होश ही उड़ गए कि यह क्या हो गया, गाड़ी कहां गई मेरी? अभी थोड़ी देर पहले यहीं तो पार्क कर के गई थी. आगेपीछे, इधरउधर बदहवास सी मैं ने सब जगह जा कर देखा कि शायद मैं ही जल्दी में सही जगह भूल गई हूं. मगर नहीं, मेरी गाड़ी का तो वहां नामोनिशान भी नहीं था. चूंकि वहां कई और गाडि़यां खड़ी थीं, इसलिए मैं ने भी वहीं एक जगह अपनी गाड़ी लगा दी थी और अंदर बाजार में चली गई थी. बेबसी में मेरी आंखों से आंसू निकल आए.

पिछले साल, जब से श्रेयस का ट्रांसफर गाजियाबाद से गोरखपुर हुआ है और मुझे बच्चों की पढ़ाई की वजह से यहां अकेले रहना पड़ रहा है, जिंदगी का जैसे रुख ही बदल गया है. जिंदगी बहुत बेरंग और मुश्किल लगने लगी है.

श्रेयस उत्तर प्रदेश सरकार की उच्च सरकारी सेवा में है, सो हमेशा नौकर- चाकर, गाड़ी सभी सुविधाएं मिलती रहीं. कभी कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. बैठेबिठाए ही एक हुक्म के साथ सब काम हो जाता था. पिछले साल प्रमोशन के साथ जब उन का तबादला हुआ तो उस समय बड़ी बेटी 10वीं कक्षा में थी, सो मैं उस के साथ जा ही नहीं सकती थी और इस साल अब छोटी बेटी 10वीं कक्षा में है. सही माने में तो अब अकेले रहने पर मुझे आटेदाल का भाव पता चल रहा था.

सही में कितना मुश्किल है अकेले रहना, वह भी एक औरत के लिए. जिंदगी की कितनी ही सचाइयां इस 1 साल के दौरान आईना जैसे बन कर मेरे सामने आई थीं.

औरों की तो मुझे पता नहीं, लेकिन मेरे संग तो ऐसा ही था. शादी से पहले भी कभी कुछ नहीं सीख पाई क्योंकि पापा भी उच्च सरकारी नौकरी में थे, सो जहां जाते थे, बस हर दम गार्ड, अर्दली आदि संग ही रहते थे. शादी के बाद श्रेयस के संग भी सब मजे से चलता रहा. मुश्किलें तो अब आ रही हैं अकेले रह के.

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मोबाइल फोन से अपनी परेशानी श्रेयस के साथ शेयर करनी चाही तो वह भी एक मीटिंग में थे, सो जल्दी से बोले, ‘‘परेशान मत हो पूरबी. हो सकता है कि नौनपार्किंग की वजह से पुलिस वाले गाड़ी थाने खींच ले गए हों. मिल जाएगी…’’

उन से बात कर के थोड़ी हिम्मत तो खैर मिली ही मगर मेरी गाड़ी…मरती क्या न करती. पता कर के जैसेतैसे रिकशा से पास ही के थाने पहुंची. वहां दूर से ही अपनी गाड़ी खड़ी देख कर जान में जान आई.

श्रेयस ने अभी फोन पर समझाया था कि पुलिस वालों से ज्यादा कुछ नहीं बोलना. वे जो जुर्माना, चालान भरने को कहें, चुपचाप भर के अपनी गाड़ी ले आना. मुझे पता है कि अगर उन्होंने जरा भी ऐसावैसा तुम से कह दिया तो तुम्हें सहन नहीं होगा. अपनी इज्जत अपने ही हाथ में है, पूरबी.

दूर रह कर के भी श्रेयस इसी तरह मेरा मनोबल बनाए रखते थे और आज भी उन के शब्दों से मुझ में बहुत हिम्मत आ गई और मैं लपकते हुए अंदर पहुंची. जो थानेदार सा वहां बैठा था उस से बोली, ‘‘मेरी गाड़ी, जो आप यहां ले आए हैं, मैं वापस लेने आई हूं.’’

उस ने पहले मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा, फिर बहुत अजीब ढंग से बोला, ‘‘अच्छा तो वह ‘वेगनार’ आप की है. अरे, मैडमजी, क्यों इधरउधर गाड़ी खड़ी कर देती हैं आप और परेशानी हम लोगों को होती है.’’

मैं तो चुपचाप श्रेयस के कहे मुताबिक शांति से जुर्माना भर कर अपनी गाड़ी ले जाती लेकिन जिस बुरे ढंग से उस ने मुझ से कहा, वह भला मुझे कहां सहन होने वाला था. श्रेयस कितना सही समझते हैं मुझे, क्योंकि बचपन से अब तक मैं जिस माहौल में रही थी ऐसी किसी परिस्थिति से कभी सामना हुआ ही नहीं था. गुस्से से बोली, ‘‘देखा था मैं ने, वहां कोई ‘नो पार्किंग’ का बोर्ड नहीं था. और भी कई गाडि़यां वहां खड़ी थीं तो उन्हें क्यों नहीं खींच लाए आप लोग. मेरी ही गाड़ी से क्या दुश्मनी है भैया,’’ कहतेकहते अपने गुस्से पर थोड़ा सा नियंत्रण हो गया था मेरा.

इतने में अंदर से एक और पुलिस वाला भी वहां आ पहुंचा. मेरी बात उस ने सुन ली थी. आते ही गुस्से से बोला, ‘‘नो पार्किंग का बोर्ड तो कई बार लगा चुके हैं हम लोग पर आप जैसे लोग ही उसे हटा कर इधरउधर रख देते हैं और फिर आप से भला हमारी क्या दुश्मनी होगी. बस, पुलिस के हाथों जब जो आ जाए. हो सकता है और गाडि़यों में उस वक्त ड्राइवर बैठे हों. खैर, यह तो बताइए कि पेपर्स, लाइसेंस, आर.सी. आदि सब हैं न आप की गाड़ी में. नहीं तो और मुश्किल हो जाएगी. जुर्माना भी ज्यादा भरना पड़ेगा और काररवाई भी लंबी होगी.’’

उस के शब्दों से मैं फिर डर गई मगर ऊपर से बोल्ड हो कर बोली, ‘‘वह सब है. चाहें तो चेक कर लें और जुर्माना बताएं, कितना भरना है.’’

मेरे बोलने के अंदाज से शायद वे दोनों पुलिस वाले समझ गए कि मैं कोई ऊंची चीज हूं. पहले वाला बोला, ‘‘परेशान मत होइए मैडम, ऐसा है कि अगर आप परची कटवाएंगी तो 500 रुपए देने पड़ेंगे और नहीं तो 300 रुपए में ही काम चल जाएगा. आप भी क्या करोगी परची कटा कर. आप 300 रुपए हमें दे जाएं और अपनी गाड़ी ले जाएं.’’

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उस की बात सुन कर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, मगर मैं अकेली कर भी क्या सकती थी. हर जगह हर कोने में यही सब चल रहा है एक भयंकर बीमारी के रूप में, जिस का कोई इलाज कम से कम अकेले मेरे पास तो नहीं है. 300 रुपए ले कर चालान की परची नहीं काटने वाले ये लोग रुपए अपनीअपनी जेब में ही रख लेंगे.

मुझ में ज्यादा समझ तो नहीं थी लेकिन यह जरूर पता था कि जिंदगी में शार्टकट कहीं नहीं मारने चाहिए. उन से पहुंच तो आप जरूर जल्दी जाएंगे लेकिन बाद में लगेगा कि जल्दबाजी में गलत ही आ गए. कई बार घर पर भी ए.सी., फ्रिज, वाशिंग मशीन या अन्य किसी सामान की सर्विसिंग के लिए मेकैनिक बुलाओ तो वे भी अब यही कहने लगे हैं कि मैडम, बिल अगर नहीं बनवाएंगी तो थोड़ा कम पड़ जाएगा. बाकी तो फिर कंपनी के जो रेट हैं, वही देने पड़ेंगे.

श्रेयस हमेशा यह रास्ता अपनाने को मना करते हैं. कहते हैं कि थोड़े लालच की वजह से यह शार्टकट ठीक नहीं. अरे, यथोचित ढंग से बिल बनवाओ ताकि कोई समस्या हो तो कंपनी वालों को हड़का तो सको. वह आदमी तो अपनी बात से मुकर भी सकता है, कंपनी छोड़ कर इधरउधर जा भी सकता है मगर कंपनी भाग कर कहां जाएगी. इतना सब सोच कर मैं ने कहा, ‘‘नहीं, आप चालान की रसीद काटिए. मैं पूरा जुर्माना भरूंगी.’’

मेरे इस निर्णय से उन दोनों के चेहरे लटक गए, उन की जेबें जो गरम होने से रह गई थीं. मुझे उन का मायूस चेहरा देख कर वाकई बहुत अच्छा लगा. तभी मन में आया कि इनसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है, जरूरत है अपने पर विश्वास की और पहल करने की.

वैसे तो श्रेयस के साथ के कई अफसर यहां थे और पापा के समय के भी कई अंकल मेरे जानकार थे. चाहती तो किसी को भी फोन कर के हेल्प ले सकती थी लेकिन श्रेयस के पीछे पहली बार घर संभालना पड़ रहा था और अब तो नईनई चुनौतियों का सामना खुद करने में मजा आने लगा था. ये आएदिन की मुश्किलें, मुसीबतें, जब इन्हें खुद हल करती थी तो जो खुशी और संतुष्टि मिलती उस का स्वाद वाकई कुछ और ही होता था.

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जानें COVID में कैसे शूटिंग कर रही है एक्ट्रेस संदीपा धर

फिल्म ‘ इसी लाइफ में ‘ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री संदीपा धर प्रशिक्षित भरतनाट्यम डांसर है. उन्हें हमेशा से कुछ अलग करने की इच्छा रहती थी, जिसमें साथ दिया उनकी माँ सुषमा धर और पिता एम् के धर ने. उन्हें कभी लगा नहीं था कि वह एक दिन अभिनेत्री के नाम से पहचानी जायेंगी. वह अभिनय को एन्जॉय करती है और हर तरह की फिल्मों में काम करना चाहती है. स्वभाव से हंसमुख और विनम्र संदीपा को हमेशा हर नई भूमिका आकर्षित करती है. उनकी वेब सीरीज ‘बिसात’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनकी भूमिका को सभी सराह रहे है, उन्होंने वेब सीरीज के बारें में बात की पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस वेब सीरीज को करने की खास वजह क्या रही

इसकी कहानी मुझे बहुत पसंद आई थी, क्योंकि इसे जिस तरीके से लिखी गयी है, वह मुझे अच्छी लगी. यह एक मर्डर मिस्ट्री है और अंत में मर्डर करने वाले का पता चलता है. जब मैं इसकी स्क्रिप्ट पढ़ रही थी, तो बार-बार अगले एपिसोड को पढने की इच्छा हो रही थी. मैंने एक दर्शक की तरह इसे पढ़ी और मुझे मज़ा आया. इसके अलावा निर्देशक विक्रम भट्ट इस तरह की फिल्मों के लिए ही जाने जाते है, इसलिए ‘ना’ कहने की कोई वजह नहीं थी. मुझे हमेशा से लेयर्ड चरित्र निभाना पसंद है, जिसकी ताक में मैं हमेशा रहती हूं. मुझे महिलाओं को बेचारी जैसे प्रेडिक्ट करना पसंद नहीं होता, जैसा अधिकतर फिल्मों में दिखाया जाता है.

सवाल-एक मनोचिकित्सक की भूमिका निभाने के लिए आपको कितनी तैयारी करनी पड़ी?

मुझे बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि इससे पहले मैं कभी भी किसी मनोचिकित्सक ने नहीं मिली थी. मुझे पता भी नहीं था कि ये कैसे होता है और किस तरीके से व्यक्ति की चिकित्सा करते है. शूटिंग से पहले डेढ़ महीने मैंने कई मनोचिकित्सक से मिली, उनसे बातचीत कर उनके हांव-भांव जानने की कोशिश की, क्योंकि उनके प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बारें में समझना जरुरी था.

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सवाल-ये चरित्र आपसे कितना मेल खाता है?

ये चरित्र मुझसे बिल्कुल अपोजिट रहा, इसके लिए मुझे मेहनत अधिक करनी पड़ी, क्योंकि मैं रियल लाइफ में बहुत बातूनी, एनर्जेटिक और बबली हूं,लेकिन मेरी भूमिका मेच्योर, गंभीर और शान्त की थी, जिसे करने में मेहनत लगी.

सवाल-महिला उत्पीडन की घटनाएं आज भी मीडिया की सुर्ख़ियों में होती है, इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानती है, परिवार, समाज या धर्म?

मेरे हिसाब से सभी इसके जिम्मेदार है, लेकिन सबसे बड़ी भूमिका व्यक्ति की सोच की होती है, क्योंकि परिवार में जिस तरह से एक पिता, माँ के साथ व्यवहार करता है, उसे बच्चे देखते है और बड़े होकर बच्चे भी वैसी ही व्यवहार करने लगते है, इसलिए पारिवारिक वातावरण का अच्छा होना बहुत जरुरी है. इसमें लडको को उनके पेरेंट्स को सही शिक्षा देने की जरुरत है,ताकि बड़े होकर वे किसी भी महिला को सम्मान दे सकें.

सवाल-महिलाये बाहर निकलकर अपने साथ हुए दूराचार को कहने से डरती क्यों है?इस बारें में आपकी सोच क्या है?

हमारे समाज का ये दस्तूर है कि हर ख़राब चीजों के लिए महिलाओं को दोषी करार दिया जाता है, क्योंकि ये पुरुषसत्तात्मक समाज है, जिसमें पुरुषों की बातों को सही माना जाता है. अभी महिलाओं में काफी बदलाव आया है, वे किसी बात को कहने से नहीं डरती. उम्मीद है, धीरे-धीरे इसमें और अधिक सुधार आएगा.

सवाल-अभिनय के क्षेत्र में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था, परिवार ने आपको इस काम में कितना सहयोग दिया?

मैं कभी भी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थी, क्योंकि मेरा मकसद अभिनय करना नहीं था. ये इत्तफाक से हो गया. जब मुझे राजश्री प्रोडक्शन वालों ने सामने से आकर मुझे ऑफ़र दिया, जिससे मुझे लगा कि मुझे इसमें कोशिश कर लेनी चाहिए. मेरे परिवार ने हमेशा मुझे सहयोग दिया है. उन्होंने ही मुझे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. मैं तब कॉलेज में थी और लास्ट इयर में थी, इसलिए अगर मैं अभिनय में सफल न भी होती, तो पढाई में आगे बढ़ती. राजश्री प्रोडक्शन की वजह से मेरे परिवार वालों ने भी मना नहीं किया. अभी भी वे बहुत सहयोग देते है. मेरी माँ भी बहुत स्ट्रोंग महिला है, उन्होंने जो चाहा किया. मैं भी वैसी ही माँ की तरह बहुत स्ट्रोंग हूं.

सवाल-किस फिल्म से आपको ब्रेक मिला और आप सबकी नज़र में आ गई ?

अभी तक जितने भी काम मैंने किये है, वह मुझे एक कदम आगे बढ़ने में मदद की है, लेकिन मेरी पहली फिल्म ‘इसी लाइफ में’ रियल ब्रेक है, जिसके बाद मैं हर घर में पहचानी गयी.

सवाल-आप किस माध्यम में काम करना अधिक पसंद करती है, वेब, फिल्म या टीवी?

मुझे कैमरे के आगे आना पसंद है और हर तरह की भूमिका करने की इच्छा है. इसमें चाहे फिल्म हो या वेब सीरीज मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मुझे अच्छे निर्देशक और अच्छे लोगों के साथ काम करना पसंद है.

सवाल-आप एक क्लासिकल भरतनाट्यम डांसर भी है, क्या उसे मिस करती है?

हां अवश्य करती हूं. मैंने टीवी के लिए एक क्लासिकल जिंगल दिया है, जो मुझे अच्छा लगा. मुझे डांस किसी भी फॉर्म में हो करना पसंद है. आगे भी अगर मुझे मौका मिला तो अवश्य करुँगी. मेरी इच्छा है कि एक छत के नीचे अलग-अलग देशों से डांसर्स को बुलाकार बच्चों को तालीम देना चाहती हूं. ऐसे बहुत सारे डांस फॉर्म है, जिसे हमारे देश के लोग जानते नहीं है. सिर्फ क्लासिकल ही यहाँ के लोग अच्छा जानते है. प्रोजेक्ट बड़ा है, लेकिन मैं अवश्य ऐसे डांस फॉर्म को इंडिया में लाना चाहती हूं.

सवाल-आपकी ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है

पूरी लाइफ एक ड्रीम की तरह है. इसमें सपने भी कई रंगों के है, जो करना है. अभी तो मेरा काम करना शुरू हुआ है.

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सवाल-क्या आपको कभी नेपोटिज्म का सामना करना पड़ा?

मुझे कभी नेपोटिज्म का सामना नहीं पड़ा, क्योंकि मेरी शुरुआत राजश्री प्रोडक्शन से हुई थी, जो मुझे आसानी से मिल गयी थी.

सवाल-पिछले साल की तरह कोरोना फिर से एक बार आ गया है, ऐसे में किस तरह से काम कर रही है?

अभी तक मैने कोविड पीरियड में जो भी काम किये है, वे सभी प्रोडक्शन हाउसेस कोविड प्रोटोकॉल फोलो कर रहे है. शूटिंग से पहले कोविड टेस्ट होता है और हर सप्ताह में कोविड  टेस्ट करते है. ये टेस्ट पूरी क्रू के लिए होता है. इसके अलावा सेनिटाईजेशन और मास्क पहनना सबके लिए अनिवार्य है. शॉट देते समय केवल मास्क कलाकार को उतारना पड़ता है. यही वजह है कि मैं कोविड के बढ़ने पर भी बाहर जाकर काम कर पायी. सावधानी न होने पर कोई भी काम पर जाने से पहले 10 बार सोचेगा, रिस्क नहीं लेगा. काम तो होता रहता है, पर लाइफ और हेल्थ को बनाए रखना सबसे अधिक जरुरी है. लॉकडाउन के दौरान मैंने अब तक 4 वेब सीरीज की शूटिंग पूरी की है और प्रोडक्शन हाउसेस ने एक्स्ट्रा सावधानी बरती है, जिससे कोई भी कोविड पॉजिटिव नहीं हुआ.

सवाल-कोई मेसेज जो आप देना चाहे?

मैं महिलाओं को मेसेज देना चाहती हूं, क्योंकि औरतों के पास परिवार की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, इसमें बच्चों की सोच को अच्छा बनाये, ऐसा मत बनाइये, जैसा आप देखना चाहते है. लड़के और लड़की में भेद-भाव न करे. किसी भी गलत बात को आगे आकर कहे, डरे नहीं. मन की बातों को दूसरों से शेयर करना सीखे.

Arshi Khan को हुआ कोरोना तो एक फैन के हाथ पर Kiss करने का वीडियो हुआ वायरल

कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जहां इसका शिकार आम आदमी हो रहा है तो वहीं सेलेब्स भी इससे बचने में नाकाम हैं. वहीं खबरे हैं कि बिग बौस 14 में नजर आ चुकी कंटेस्टेंट अर्शी खान भी इस बीमारी का शिकार हो चुकी हैं. इस बीच हाल ही में एयरपोर्ट पर अर्शी खान की एक वीडियो भी वायरल हो रही है, जिसमें उनका फैन हाथों पर किस करता नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

अर्शी खान को हुआ कोरोना

एक्ट्रेस अर्शी खान भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई हैं, जिसकी जानकारी खुद अर्शी खान ने अपने सोशलमीडिया के जरिए फैंस को दी हैं. एक पोस्ट शेयर करते हुए अर्शी खान ने लिखा, ‘बीते दिन मैंने एयरपोर्ट पर कोरोना टेस्ट करवाया था, जिसके बाद मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. हालांकि मुझमें कोरोना के लक्षण नजर आ रहे थे. वहीं जो लोग भी मेरे संपर्क में आए हैं वो सभी लोग अपना टेस्ट करवा लें और सावधानी बरतें. अल्लाह सबको सलामत रखे.’

 

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फैन के साथ वीडियो हुआ वायरल

 

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जहां सोशलमीडिया पर फैंस उनकी सलामती की दुआ मांग रहे हैं तो वहीं उनकी फैमिली उनसे दूर भोपाल में हैं. इस बीच बीते दिनों एयरपोर्ट पर अर्शी खान की ये पोस्ट सामने आने के बाद फैंस के बीच हंगामा मच गया है. दरअसल, वीडियो में अर्शी खान का एक फैन उनके साथ जहां फोटो खिचवाता दिख रहा है तो वहीं उनके हाथों पर किस करता नजर आ रहा है. वहीं अर्शी खान भी वीडियो में बिना मास्क के नजर आ रही हैं, जिसके बाद फैंस हैरान है.

 

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बता दें, अर्शी खान इन दिनों एक वेब सीरीज में काम कर रही हैं तो वहीं बिग बॉस 14 के घर से बाहर आने के बाद उन्हें एक बॉलीवुड फिल्म में भी काम करने का मौका मिला है.

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कोरोना के कारण 3 महीने बाद ही बंद हुआ ये सीरियल तो इन 4 TV सीरियल्स पर भी गिरी गाज?

कोरोना का कहर दिन प्रतिदिन बढता ही जा रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर मुंबई में देखने को मिल रहा है. दरअसल, जहां मुंबई में ज्यादा मामलों के चलते लौकडाउन लगाया गया है. तो सीरियल और फिल्मों की शूटिंग पर भी इसका असर पड़ रहा है. बीते दिनों कुछ सीरियल्स की शूटिंग की जगहों को बदला गया था. तो वहीं अब खबर है कि पिछले साल की तरह कुछ सीरियल्स बंद हो रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

‘तेरी लाडली मैं’ होगा बंद

टीवी सीरियल ‘तेरी लाडली मैं’ (Teri Laadli Main) पर कोरोना का कहर देखने को मिला है. दरअसल, खबरे हैं कि सीरियल को बिना क्लाइमैक्स के ही बंद कर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के कारण शो को अचानक ही बंद करने का फैसला किया गया है. वहीं इसकी जानकारी एक्टर गौरव वाधवा (Gaurav Wadhwa) ने देते हुए एक इंटरव्यू में कहा है कि ‘शो के ऑफ एयर होने की खबर सही है. मुझे भी इसके बारे में हाल ही पता चला. दुख है कि कोरोना महामारी के कारण यह सब हो रहा है. हम शो का क्लाइमैक्स भी शूट नहीं कर रहे हैं और बीच में ही इसे बंद किया जा रहा है.’

 

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‘हमारी वाली गुड न्यूज’ के एक्टर ने कही ये बात

‘तेरी लाडली मैं’ सीरियल के अलावा खबरे हैं कि तीन और टीवी शोज जून में बंद हो सकते हैं, जिनमें ‘तुझसे है राब्ता’, ‘तेरी मेरी इक जिंदड़ी’ और ‘हमारी वाली गुड न्यूज’ के नाम शामिल हैं. खबरों के मुताबिक ‘हमारी वाली गुड न्यूज’ के एक्टर शक्ति आनंद ने जून में सीरियल बंद होने को लेकर एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें कोई हैरानी नहीं होगी क्योंकि शो की टीआरपी बहुत ही कम है. शो को बंद किए जाने से ज्यादा बड़े और ध्यान देने वाले और भी मुद्दे हैं, जिनमें कोरोना सबसे बड़ा मुद्दा है. हालांकि एक्टर ने शो बंद होने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है.

इन शोज पर भी गिर सकती है गाज

 

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कोरोना के प्रकोप का असर टीवी ‘कुर्बान हुआ’ और  ‘तेरी मेरी इक जिंदड़ी’ पर भी देखने को मिल सकता है. दरअसल, शो की कास्ट और क्रू मेंबर्स ने भी जून में सीरियल बंद होने की खबरें सुनी हैं. हालांकि प्रोड्यूसर्स ने टीम को आश्वासन दिया है कि सब ठीक है. अब देखना है कि इस बार कोरोना का गाज किन सीरियल्स पर पड़ती है.

क्यों आज भी पीछे हैं कामकाजी महिलाएं

महामारी और स्लोडाउन के कारण वूमन वर्कर्स की संख्या लगातार घट रही है. अध्ययनों के मुताबिक़ वैसे भी हमारे देश में काम करने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है. भारत में काम करने की उम्र वाले 67 % पुरुषों के देखे महिलाओं की संख्या केवल 9 % है.

आजादी के 74 साल से अधिक बीत जाने के बावजूद रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. खासकर युवा महिलाओं को अपने करियर के रास्ते में बहुत सी बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के लिए रोजगार के क्षेत्र में जेंडर गैप की स्थिति आज भी वैसी ही है जैसी 1950 की शुरुआत में थी. भले ही महिलाओं ने कितनी भी टेक्निकल या वोकेशनल ट्रेनिंग ले ली हो उन्हें वर्कप्लेस में लैंगिक असमानता का दंश आज भी भोगना पड़ रहा है. आज भी उन के हिस्से कम वेतन वाली नौकरियां ही आती हैं.

महामारी की मार कामकाजी महिलाओं पर

आजकल अच्छी फॉर्मल नौकरियां, जिन में करियर बनाने के अच्छे मौके मिलते हैं, घट रही हैं. कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित जॉब ज्यादा है. सीएमआईई (CMIE) के एक अध्ययन के मुताबिक़ कामकाजी महिलाओं के लिए यह काफी कठिन समय है. महामारी की वजह से बाजार में वैसे ही जॉब कम हैं. वर्किंग ऐज की 11% महिलाओं के देखे 71 % पुरुष जॉब कर रहे हैं. इस के बावजूद महिलाओं में बेरोजगारी दर 17 % है जब कि पुरुषों में इस के देखे काफी कम यानी 6% ही है. मतलब बहुत थोड़ी सी महिलाएं हैं जो नौकरियां ढूंढ रही हैं और उन के लिए भी पुरुषों के देखे नौकरी पाना बहुत कठिन है. ऐसी स्थिति रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं के प्रति भेदभाव की वजह से है.

CMIE के आंकड़ों के मुताबिक़ 2019 -20 में महिला श्रमिकों की संख्या महज 10.7 % थी जब की उन्हें लॉकडाउन के पहले महीने यानी अप्रैल 2020 में 13.9 % जॉब लॉस की स्थिति से गुजरना पड़ा. नवंबर 2020 तक ज्यादातर पुरुषों ने वापस जॉब प्राप्त कर ली मगर महिलाओं के साथ ऐसा नहीं हो सका. नवंबर 2020 तक 49 % महिलाओं की नौकरी छूट चुकी थी मगर बहुत कम महिलाओं को ही वापस काम मिल सका.

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हाल ही में ऑनलाइन पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन अपॉर्च्युनिटी-2021 के सर्वे में भी इसी बात का खुलासा हुआ है कि महामारी की वजह से महिलाएं अधिक प्रभावित हुई हैं और उन्हें अधिक दवाब का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे 18 से 65 साल की उम्र के लोगों पर ऑनलाइन किया गया. जिस में ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान समेत 7 देशों के लोग शामिल हुए.

सर्वे के मुताबिक़ इस कोरोना महामारी का विदेशों में काम कर रही महिलाओं की तुलना में भारत की कामकाजी महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है. 90% महिलाएं कोराेना के चलते दबाव में हैं. पूरे एशिया पेसिफिक देशों में महिलाओं को काम और सैलरी के लिए कड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है और कई जगह पर पक्षपात का सामना करना पड़ा. 22% महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना उतनी वरीयता नहीं दी जाती.

यही नहीं देश की 37% कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं जबकि 25% पुरुष भी इस से सहमत हैं. इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है.

ऑफिस के साथ घर संभालने की जिम्मेदारी

युवा महिलाएं जब जॉब के लिए निकलती हैं तब पहले तो उन्हें बहुत मुश्किल से नौकरी मिल पाती है. उस पर बहुत जल्दी ही घर और मातृत्व की जिम्मेदारियों की वजह से नौकरी करने में मुश्किलें भी आने लगती हैं. घरवाले उसे घर संभालने की सलाह देते हैं. नौकरी में की जाने वाली उस की मेहनत को नजरअंदाज किया जाता है और यह उम्मीद रखी जाती है कि वह घर लौट कर मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ खाना बनाएगी और घर व बच्चे की देखभाल और साफसफाई भी करेगी. यही वजह है कि लड़कियां अधिक जिम्मेदारी वाली जॉब लेने से बचती हैं.

एम्प्लायर भी लड़कियों को ज्यादा महत्वपूर्ण ओहदा देने से पहले सौ बार सोचते हैं. कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का ख़याल रहता है कि शादी के बाद उसे जॉब कंटीन्यू करने या अपनी जिम्मेदारियां निभाने में कठिनाइयां आ सकती हैं. इस लिए वे उसे कम महत्वपूर्ण ओहदे पर रखते हैं. इधर महिलाएं भी अपनी परिस्थितियां जानती हैं इस लिए सहज सरल काम को तवज्जो देती हैं.

लगभग दो तिहाई कामकाजी महिलाएं परिवार और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना कर रही हैं.

महिलाएं क्यों मंजूर करती हैं कम वेतन वाली जॉब

घरवाले अपने घर की बहूबेटियों को वैसी जॉब लेने की सलाह देते हैं जिस में समय कम देना पड़े और ऑफिस भी आसपास हो भले ही सैलरी कितनी ही कम क्यों न हो. वैसे भी उन का तर्क यही होता है कि तेरी सैलरी से घर नहीं चल रहा फिर सैलरी के पीछे घर की जिम्मेदारियों से मुंह क्यों मोड़ना. यही सब बातें हैं जिन की वजह से जानेअनजाने महिलाओं को कम सैलरी वाले जॉब की तरफ धकेला जाता है.घर और बच्चों की देखभाल में लगी महिलाओं की आँखें धीरेधीरे एक शानदार नौकरी और करियर के सपने देखना भूल जाती हैं और वह खुद को घर परिवार तक सीमित रखना सीख जाती है.

शादी के बाद ज्यादातर महिलाओं का नौकरी न कर पाने या कम सैलरी वाली जॉब करने की एक वजह यह भी होती है क्योंकि वह नौकरी करना भी चाहे तो उस पर बहुत सी पाबंदियां लगा दी जाती हैं. मसलन घर के बड़ों द्वारा महिला को ताकीद किया जाना कि वह किसी भी तरह शाम सात बजे के अंदर घर में दाखिल हो जाए, कभी जरूरी होने पर उसे घरवालों से मीटिंग वगैरह के लिए दूसरे शहर जाने की अनुमति नहीं मिलती, घर का कोई सदस्य बीमार हो तो सब से पहले उसे ही छुट्टी लेनी पड़ती है,

किसी भी घर में पुरुष को ही मुख्य कमाऊ सदस्य माना जाता है. औरतों को आगे आने का अवसर कम मिलता है. औरतें कम वेतन वाले जॉब भी कर लेती हैं क्योंकि वे काम करें या न करें यह बात घर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण नहीं होती. इसलिए अक्सर उन्हें ऐसी जॉब ही ढूंढने की सलाह दी जाती है जिन्हें वे आसानी से घर के काम निपटाते हुए कर सकें भले ही वेतन कम ही क्यों न हो.

गांवों के देखे शहरों में ज्यादा खराब स्थिति

सीएमआईई (CMIE) के कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे में भारतीय महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी के संदर्भ में 2 अनपेक्षित ट्रेंड दिखते हैं. पहला तो यह कि शहरों की पढ़ीलिखी महिलाओं के देखे ग्रामीण इलाकों की ज्यादा महिलाएं बाहर काम करने जाती हैं. 2019-20 में काम करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या 11.3 % थी जब कि शहरी महिलाओं की भागीदारी केवल 9.7 % थी. वैसे तो दोनों ही स्थिति सही नहीं मगर शहरी पढ़ीलिखी ट्रेंड महिलाओं के लिए अधिक और बेहतर जॉब ओपरच्यूनिटीज़ की उम्मीद की जानी स्वाभाविक है जबकि असलियत इस के विपरीत है. दूसरा यह कि युवा महिलाओं को सूटेबल जॉब मिलने में ज्यादा परेशानी आती है.

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एक और स्टडी के मुताबिक़ शहरी आबादी की तुलना में गाँवों में महिलाएं घर के बाहर जाकर ज्यादा काम करती हैं. गांवों में 35 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं खेतों में काम करती हैं और इनमें से 45 प्रतिशत महिलाएं वर्षभर में पचास हजार रुपए भी नहीं कमा पातीं. इन में मात्र 26 प्रतिशत महिलाएं अपने पैसों को अपनी मर्जी अनुसार खर्च कर पाती है.

शहरी क्षेत्र में वार्षिक आय 2 से 5 लाख वाले परिवारों में केवल 13 प्रतिशत महिलाएं नौकरी करने जाती हैं जबकि पाँच लाख से ऊपर वाले आय वर्ग में यह प्रतिशत 9 ही है. वहीं गांव में पचास हजार से पाँच लाख रुपए प्रतिवर्ष की आय वाले परिवारों में महिलाओं के काम करने का प्रतिशत 16 से 19 है.

महिलाओं के साथ वर्कप्लेस में हिंसा और यौन शोषण

हाल ही में एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन हररिस्पेक्ट ने एक डाटा पब्लिश किया जो भारतीय फैक्ट्रियों में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा पर आधारित है. यह डाटा मुख्य रूप से एक स्टडी पर आधारित है. इस स्टडी के तहत फैक्ट्रियों में काम करने वाले 11,500 स्त्रियों, पुरुषों और उन के मैनेजर्स को सर्वे में शामिल किया गया. पाया गया कि इन फैक्ट्रियों में काम करने वाली महिलाओं को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है. यह डाटा भारतीय समाज में, जिस में रोजगार भी शामिल है, महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, हिंसा और यौन शोषण को स्पष्ट रूप से दिखाता है.

इस अध्ययन में शामिल 34 % पुरुष और महिला वर्कर्स ने इस कथन पर सहमति जताई कि कई दफा ऐसा मौका भी आता है जब एक औरत मारपीट डिज़र्व करती है. यही नहीं 36 % वर्कर्स ने इस बात पर भी सहमति जताई कि यदि सुपरवाइज़र किसी महिला कर्मचारी को सजेस्टिव कमैंट्स देता है और वह इंटरेस्टेड दिखती है तो यह सेक्सुअल हरैसमेंट नहीं है.

इस अध्ययन में ऐसे कई कारण बताये गए हैं जिन की वजह से घर या ऑफिस में महिलाओं के साथ हिंसा होती है. इस के लिए पुरुषवादी सामाजिक पैटर्न और जेंडर नॉर्म्स जो महिलाओं को पुरुषों के अधीन रखता है, जिम्मेदार हैं. औरतों को शुरू से सामाजिक और आर्थिक रूप से पुरुषों पर निर्भर माना जाता है. ऐसे में कहीं न कहीं उसे घर और ऑफिस में अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ जाता है जो बहुत स्वाभाविक है. ओहदा हो या वेतन उसे अक्सर पुरुषों के सामान क्षमता होने के बावजूद निम्न पोजीशन दी जाती है.

यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक़ 28 से ज़्यादा प्रतिशत लोगों ने पति द्वारा अपनी पत्नी की पिटाई करने को न्यायसंगत ठहराया.

जरूरी है सोच में बदलाव

यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम)की एक रिपोर्ट में 75 देशों के आंकड़ों का अध्ययन किया गया. इन देशों में विश्व की लगभग 80 फीसदी आबादी बसती है. इन आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया है कि महिलाओं को समानता हासिल करने के मामले में बहुत सी अदृश्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों के अनुसार जिन लोगों की राय शामिल की गई उन में से लगभग आधे लोगों का ख़याल था कि पुरुष श्रेष्ठ राजनीतिक नेता होते हैं जबकि 40 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों का विचार था कि पुरुष बेहतर कारोबारी एग्जीक्यूटिव होते हैं इसलिए जब अर्थव्यवस्था धीमी हो तो उस तरह की नौकरियां या कामकाज पुरुषों को मिलने चाहिए.

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अक्सर यह देखने में आता है कि घर में अगर लड़का और लड़की दोनों हैं तो लड़के को नौकरी के लिए दूसरे शहर में भेजने में भी कोई समस्या नहीं रहती और लड़की को बहुत हुआ तो उसी शहर में छोटीमोटी नौकरी करने के लिए भेज दिया जाता है और वह भी काफी मानमनौव्वल के बाद.

कुल मिलाकर अब भी सामाजिक बंधनों के कारण महिलाएं चाहकर भी अपना योगदान आर्थिक विकास में नहीं दे पा रही हैं. हम चाहें कितनी भी आर्थिक आजादी की बातें कर लें पर जब तक महिलाओं के विकास व आजादी को ले कर खुलापन नहीं आएगा तब तक आर्थिक आजादी अधूरी नजर आती है.

5 टिप्स: कम बजट में ऐसे सजाएं अपना घर

अक्सर हम घर को सजाने के लिए मार्केट से कई तरह के नए चीजें खरीदते हैं. ये आपके घर को तो चमका देते हैं, लेकिन कईं बार ये बजट से बाहर चले जाते हैं. आज हम आपको घर को सजाने के कुछ खास टिप्स बताएंगे, जिसे आप अपने बजट में ट्राय कर सकते हैं. इन टिप्स से आपका घर बेहद खूबसूरत और ट्रेंडी नजर आएगा.

1. मुख्य द्वार की सजावट

इसके लिए आप फूलों या मिट्टी से बने सजावट के सामान का इस्तेमाल कर सकती हैं. आजकल बाजार में मिट्टी से बना बेहद आकर्षक सजावट का सामान उपलब्ध है. आप अपने घर के मुख्य द्वार पर मिट्टी की रंग-बिरंगी विंड चाइम लगा सकती हैं. इसके अलावा आप दरवाजे के पास मिट्टी के आकर्षक बरतन में पानी भर कर उसमें 5 से 7 सुंदर फूल सजा सकती हैं.

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2. कैसे करें लिविंग रूम की सजावट

अगर आपको लग रहा है कि घर में रंग-रोगन कराना आपके बजट से बाहर है तो चिंता की कोई बात नहीं. आप पूरे घर में पेंट न करवा कर अपने ड्राइंग रूम की एक दीवार को गहरे रंग में रंग कर नया लुक दे सकती हैं. इसके अलावा सोफे के ऊपर के भाग में किसी खास आकार में पहले से मौजूद रंग का 3 गुना ज्यादा गहरा शेड लगा कर दीवार पर कला का काम कर सकती हैं.

3. दीवार की सजावट

आजकल पेपर वर्क, पेपर पेस्टिंग द्वारा भी दीवारों को सजाने का चलन है. इसकी लागत पेंट करवाने की तुलना में बेहद कम आती है और आपका घर भी बिल्कुल नया-सा दिखने लगता है. ये पेपर घर की साज-सज्जा के मुताबिक फ्लोरल, प्लेन हर प्रकार के डिजाइन में मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं.

4. सोफा कवर बदलें

दूसरा विकल्प यह है कि सोफा बदलने की बजाय सोफे के कवर और कुशन को बदल दें. अगर आपके सोफे के कवर का रंग क्रीम है, तो कुशन आप तीन बड़े आकार के और तीन छोटे साइज के लें. छोटे वाले कुशन का रंग थोड़ा डार्क शेड का रखें. आप अपने कुशन कवर का रंग अपने दरवाजे और खिड़कियों के रंग से मैच करता हुआ भी रख सकती हैं.

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5. कृत्रिम फर्श से पाएं नया फर्श

अगर आपका फर्श खराब हो गया है या पुराने चलन के मुताबिक बना है तो चिंता की कोई बात नहीं. आप फ्लोरिंग मैटीरियल द्वारा अपने फर्श को बिना तोड़-फोड़ किए ही नया जैसा बना सकती हैं. ये फ्लोरिंग मैटीरियल हर रंग व डिजाइन में बाजार में उपलब्ध हैं.

आप चाहें तो अगले साल इसे फिर बदल सकती हैं और घर को फिर से एक नया लुक दे सकती हैं. इस फ्लोरिंग की खासियत यह है कि इसे आप ठीक उसी प्रकार से साफ कर सकती हैं, जैसे मार्बल, टाइल्स या चिप्स के फर्श को साफ किया जाता है.

6. फूलों से सजाएं घर

घर में फूलों से सजावट सबसे सस्ती, सरल व आकर्षक होती है. इसके लिए आप ताजे फूल या बाजार में आसानी से उपलब्ध आर्टिफिशयल फूलों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सेंटर टेबल पर कांच की कटोरी में पानी भर कर उसमें रंग-बिरंगे फूल रखें या फिर बाउल में फ्लोटिंग कैंडल जला कर भी आप कमरे की रौनक बढ़ा सकती हैं.

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प्रैग्नेंसी में DSP शिल्पा साहू ने कुछ यूं निभाया कर्तव्य

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से देश इस वक्त बुरी तरह से प्रभावित है…लोगों को कोरोना से बचाने के लिए पुलिस इन दिनों हर संभव कोशिश कर रही है और लोगों से अपील भी कर रही है कि आप भी एक जिम्मेदार नागरिक बने और लॉक डाउन के दौरान घर पर सुरक्षित रहें, गाइडलाइंस का पालन करें, दूरी बना कर रखें, मास्क लगाकर ही बाहर निकलें वो भी जरूरी हो तो और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें…खैर पुलिस तो अपना काम अच्छे से कर ही रही है लेकिन इस बीच एक नई तस्वीर देखने को मिली.

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक गर्भवती महिला मुंह में मास्क लगाए ….हांथ में लठ्ठ लेकर सड़क पर घूम रही है और सामान्य कपड़ो में है. उस महिला की काफी तारीफ हो रही है. सोशल मीडिया पर काफी मशहूर भी हो गई कुछ भी पल में. दरअसल ये महिला चिलचिलाती धूप, तपती दुपहरी में सड़क पर लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करा रहीं एक डीएसपी हैं. वह 5 महीने की प्रेग्नेंट हैं और हाथ में डंडा लेकर कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए सड़क पर नजर आई. प्रेग्नेंसी के बावजूद सड़क पर उतरकर इस तरह ड्यूटी करतीं डीएसपी को लोग सैल्यूट कर रहे हैं और उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. उसी बीच किसी ने उनकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया जो कुछ ही देर में वायरल हो गया.

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डीएसपी शिल्पा साहू सड़क पर कुछ अन्य जवानों के साथ मिलकर कोरोना महामारी के खिलाफ निगरानी कर रही हैं जबकि वो पांच महीने की गर्भवती हैं.जरा सोचिए कि ज्यादातर गर्भवती औरते घर पर आराम करती हैं और उनका परिवार उनकी देखभाल करता है लेकिन डीएसपी शिल्पा अपना कर्तव्य निभा रही हैं. अपनी ड्यूटी को इतनी मेहनत और लगन से निभाने वाली डीएसपी का पूरा नाम शिल्पा साहू है. डीएसपी शिल्पा साहू छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित बस्तर डिवीजन के दंतेवाड़ा में नियुक्त हैं…साथ ही सड़क पर आने- जाने वाले लोगों से कोरोना काल में लॉकडाउन के गाइडलाइंस का पालन करने की अपील करती हैं उनसे वजह पूछ रही हैं.उन्हें घर पर रहने की नसीहत दे रही हैं.

एक खबर के मुताबिक डीएसपी शिल्पा साहू ने खुद बताया कि वे पांच माह की गर्भवती हैं, मगर इस वक्त पूरा देश मुश्किल में है… हर जगब लोग परेशान हैं इसलिए मैं ड्यूटी कर रही हूं क्योंकि ऐसे वक्त में देश को मेरी जरूरत है. लोगों को कोरोना महामारी को लेकर जागरूक करने और कोरोना की इस दूसरी खतरनाक लहर में लॉकडाउन का सख्ती से पालना करवाना बहुत जरूरी है. तभी हम कोरोना को हरा पाएंगे और लोगों को सुरक्षित रख पाएंगे.

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ये वीडियो हम सभी देशवासियों को एक प्रेरणा भी देता है कि किस तरह से पुलिस ,डॉक्टर और फ्रंट लाइन वर्कर्स अपनी जिंदगी को दाव पर लगाकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं….सिर्फ हमें बचाने के लिए तो क्यों न हम भी उनका पूरा सहयोग करें.

राम कपूर नहीं ये फेमस एक्टर बनेगा ‘अनुपमा’ का नया हमसफर! पढ़ें खबर

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा के हाल ही में रिलीज हुए प्रोमो ने दर्शकों को हैरान कर दिया है. हर कोई सीरियल में आने वाले नए-ट्विस्ट एंड टर्न्स का इंतजार कर रहा है. जहां हाल ही में खबर थी कि राम कपूर शो का हिस्सा बनने वाले हैं तो वहीं अब अनुपमा और वनराज की जिंदगी में आने वाले नए सदस्य का भी खुलासा हो गया है. आइए आपको बताते हैं कौन है वो एक्टर, जो आएगा अनुपमा की जिंदगी में नजर…

ये एक्टर आएगा अनुपमा में नजर

हाल ही में सीरियल अनुपमा में राम कपूर की एंट्री को लेकर फैंस काफी एक्साइटेड नजर आए थे. हालांकि अब खबर है कि शो में दूसरे एक्टर की एंट्री होने वाली है, जो अनुपमा और वनराज की जिंदगी में खलबली मचा देगा. दरअसल, सीरियल अनुपमा में बौलीवुड से लेकर टीवी सीरियल्स में अपनी एक्टिंग से फैंस का दिल जीत चुके एक्टर अपूर्वा अग्निहोत्री नजर आने वाले हैं, जिसका खुलासा उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में किया है.

 

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अपूर्वा ने कही ये बात

 

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मेकर्स की तरफ से आधिकारिक बयान से पहले एक्टर अपूर्वा अग्निहोत्री ने हाल ही में शो में अपने कैरेक्टर को लेकर एक इंटरव्यू में कहा, ” मेरा कैरेक्टर अनुपमा और शाह परिवार की लाइफ में नया मोड़ लेकर आएगा. मैंने इस रोल के लिए हामी भरने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि यह कई मायनों में अलग है. मेरे किरदार में कई शेड्स हैं जो शो की कहानी में धीरे-धीरे खुलते जाएंगे. ”

टीवी पर वापसी को लेकर कही ये बात

 

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लंबे समय के बाद टीवी पर वापसी को लेकर एक्टर अपूर्वा अग्निहोत्री ने कहा कि मैं कुछ समय के बाद टीवी पर वापसी करने जा रहा हूं. जब अनुपमा के इस कैरेक्टर के लिए मुझे औफर किया गया तो मैं मना नहीं कर पाया क्योंकि शो के निर्माता राजन शाही टेलीविजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक हैं और यह शो स्टार प्लस और टीवी पर सबसे हिट शो है, इसलिए रियलिटी में मैं इस औफर को मना नहीं कर पाया. ”


बता दें, शो में अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली ने भी काफी सालों बाद टीवी की दुनिया में वापसी की है, जिसके बाद उनका शो पहले नंबर पर है. वहीं शो में आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स फैंस को काफी पसंद आ रहे हैं.

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कार्डिक अरेस्ट से हुआ हिना खान के पिता का निधन, शूटिंग छोड़ वापस मुंबई लौटीं

कोरोना के साल 2020 के बाद अब 2021 भी लोगों पर भारी पड़ रहा है. वहीं सेलेब्स पर भी यह साल मुसीबत बन कर टूट रहा है. जहां सेलेब्स कोरोना के शिकार हो रहे हैं तो वहीं कुछ सेलेब्स के चाहने वालों ने दुनिया को अलविदा कहा है. इसी बीच खबर है कि टीवी एक्ट्रेस हिना खान के पिता का भी बीती रात निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

हिना खान के पिता की हुआ निधन

दरअसल, बीती रात यानी मंगलवार को हिना ख़ान के पिता का मुंबई में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया, जिसके बाद एक्ट्रेस कश्मीर में चल रही शूटिंग छोड़ मुंबई वापस लौट आई हैं. वहीं खबर है कि मुंबई में ही वह पिता को अंतिम विदाई देंगी.

 

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पिता से खास रिश्ता

 

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हिना खान अपनी फैमिली के काफी करीब हैं. वहीं उनकी अपने पिता से काफी अच्छी बॉन्डिंग भी थी. वहीं वेकेशन हो या फैमिली टाइम वह अक्सर पिता के साथ वक्त बिताती हुई नजर आती थीं. कई बार वह पिता के साथ वेकेशन का भी लुत्फ उठाते नजर आती थीं. कई तस्वीरें और वीडियो शेयर करती रहती थीं.

 

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हिना के पिता करते थे सपोर्ट

 

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हिना के पिता उन्हें बहुत सपोर्ट करते थे, जिसका खुलासा उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था. एक्ट्रेस ने बताया था, ‘मुझे नहीं पता कि ये बात कितने लोग जानते हैं लेकिन मैं जब मुंबई आई थी तो इस बारे में सिर्फ मेरे पापा जानते थे. मैंने सिर्फ इस बारे में अपने पापा को बताया था कि मैं मुंबई रही हूं बाकी किसी को नहीं पता था. मेरी मम्मी और बाकी के परिवार वालो तो लगा था कि मैं दिल्ली हूं. मैंने अपनी ज़िंदगी में चाहें जो फैसला लिया हो मेरे पापा उसमें हमेशा मेरे पार्टनर इन क्राइम रहे हैं. मैं आगे भी अपनी ज़िंदगी में जो भी करूंगा या कर रही हूं इस बारे में पापा से बात करती हूं. मैं हमेशा पापा की राजकुमारी रही हूं. बल्कि बिग बॉस में भी मेरे बेड पर लिखा था ‘पापा की बेटी’.

बता दें, हाल ही में हिना खान का एक गाना रिलीज भी हुआ था, जो फैंस को काफी पसंद आया था. वहीं वह जल्द ही साहिर शेख संग काम करती हुई नजर आने वाली थीं, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं.

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