Acne से बचने के लिए करें इन 5 प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल  

जैसे ही गर्मियों की शुरुवात होती है,  हमारी स्किन पर पिंपल्स निकलने शुरू हो जाते  हैं , जो काफी बड़ेबड़े होने के साथसाथ काफी पैनफुल भी होते हैं. ये न सिर्फ  फेस को खराब दिखाने  का काम करते हैं  बल्कि इनमें इतनी अधिक इरिटेशन होने के कारण न तो  फेस को देखने को दिल करता है  और न ही कोई क्रीम अप्लाई करने को. बस हर दम यही सोचते हैं कि बस किसी तरह से इनसे छुटकारा मिल जाए.

असल में गर्मियां जहां हमें कूल से कपड़े पहनने का मौका देती है, वहीं इस समय स्किन पर बहुत ज्यादा इंफेक्शन होने के चांसेस होते हैं. क्योंकि पॉलूशन व मौसम में उमस व गर्मी होने के कारण  धूलमिट्टी व गंदगी के स्किन पर चिपकने के चांसेस सबसे ज्यादा बढ़ जाते  हैं. ऐसे में अगर हम स्किन की प्रोपर केयर नहीं करते हैं तो उसका नतीजा पिंपल्स के रूप में हमारे सामने आता है. और एक बार जब स्किन पर पिंपल्स निकल जाते हैं तो उसके लिए हम मार्केट से वो सभी प्रोडक्ट्स खरीद लाते हैं जो हमें हमारे किसी अपने ने बताए होते हैं या फिर हमने टीवी पर  ऐड में  देखा होता है . लेकिन सही जानकारी के अभाव में आप ये प्रोडक्ट तो खरीद लेते हैं , जिसका रिजल्ट आपकी स्किन को कोई भी फायदा नहीं पहुंचाता  है. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स के बारे में बताएंगे, जो एक्ने को कंट्रोल करने के साथसाथ आपकी स्किन को क्लीयर बनाने का काम करेंगे  . तो आइए जानते हैं उन प्रोडक्ट्स के बारे में.

1 न्यूट्रिजिना आयल फ्री फाश 

ये फेसवाश जेंटल तरीके से स्किन के पोर्स को क्लीन कर स्किन को क्लीयर बनाने का काम करता है. ये अल्कोहल व आयल फ्री है. जिससे स्किन की प्रोटेक्टिव लेयर को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता है. साथ ही इसमें सैलिसिलिक एसिड जो बीटा हाइड्रोक्सी एसिड होता है,  होने के कारण ये स्किन से धीरेधीरे एक्ने को हटाकर स्किन पर इनके कारण होने वाली जलन को कम करता है. क्योंकि इसमेँ पोर्स को डीपली क्लीन करने के साथसाथ सीबम को रिमूव करने की पावर जो होती है. ये फेसवाश आपकी स्किन को ड्राई किए  बिना एक्ने को कम करता है.

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2 एक्ने क्लीनजर विद बेंज़ोइल पेरोक्साइड 

इसमें बेंज़ोइल पेरोक्साइड प्रोपर्टीज होने के कारण ये एक्ने के लिए जिम्मेदार होने वाले बैक्टीरिया को मारने का काम करता है. साथ ही ये पोर्स को डीपली जेंटली क्लीन करने का भी काम करता है. ये हर तरह के एक्ने में असरदार है. डर्मेटोलिस्ट भी इसे लगाने की सलाह देते हैं. आप इससे दिन में दो बार फेस को क्लीन करने के बाद हफ्तेभर बाद  अपनी स्किन को बेदाग पा सकते हैं.

3 फैब इंडिया टी ट्री टोनर 

बता दें कि  टी ट्री युक्त प्रोडक्ट्स खास कर के एक्ने स्किन वालों के लिए काफी असरदार होते हैं. वैसे इसे कोई भी अप्लाई कर सकता है. क्योंकि  इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटी माइक्रोबियल प्रोपर्टीज जो होती हैं. साथ ही ये अल्कोहल फ्री व सैलिसिलिक एसिड युक्त होने के कारण जड़ से पिंपल्स को हटाने का काम करता है . बता दें कि ये स्किन पर एक्ने के कारण होने वाली जलन को कम कर उसे ठंडक पहुंचाने में भी काफी कारगर साबित होता है . इसे आप रोजाना 2 बार अप्लाई करें. फिर देखें कैसे स्किन से धूलमिट्टी क्लीयर होकर स्किन चमक उठेगी.

4. लोटस कुकुम्बर एंड बेसिल लीव टोनर 

ये टोनर एंटी बैक्टीरियल प्रोपर्टीज से भरपूर होने के कारण  आपकी स्किन को माइक्रोब्स से बचाने के साथसाथ स्किन को काफी कूलिंग इफेक्ट देने का काम करता है. जिससे स्किन पर एक्ने होने से रूकते हैं और स्किन  फिर से सोफ्ट व बेदाग बन जाती है. इसमें स्किन के ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने वाली प्रोपर्टीज होने के साथ ये न्यू सेल्स के पुनर्निर्माण के साथ स्किन पर  ग्लो लाने का काम करता है.

5 खादी मिंट एंड कुकुम्बर फेस स्प्रे 

इसमें नेचुरल इंग्रीडिएंट्स जैसे मिंट, कुकुम्बर, गुलाब की पत्तियां , बेसिल लीव्स होने के कारण ये पोर्स को क्लीन करके स्किन को क्लीन करता है. इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज होने के कारण ये स्किन को जर्म्स से बचाने के साथसाथ स्किन को ठंडक देकर फ्रैश फील करवाने का काम करती है.  दिन में 2 बार इसका स्प्रे आपकी स्किन की रंगत को ही बदल देगा.ॉ

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कुछ बातें जो है बड़े काम की– 

-जब  भी एक्ने से ट्रीट करने के लिए प्रोडक्ट खरीदें, तो उसमें इंग्रीडिएंट्स को देख कर ही खरीदें. क्योंकि अगर आप काफी हार्श व केमिकल्स वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगी तो आपकी स्किन काफी ज्यादा ड्राई होने के साथसाथ स्किन की हालत और ख़राब हो सकती है. इसलिए माइल्ड प्रोडक्ट्स ही खरीदें. अल्कोहल फ्री प्रोडक्ट्स खरीदने पर ही जोर दें.

– चाहे पिंपल्स आपको कितना भी इर्रिटेट करें , लेकिन फिर भी उसे दबाने की कोशिश न करें. क्योंकि इससे दाग पड़ने के साथसाथ स्किन पर जलन और ज्यादा बढ़ सकती है.

– जब तक स्किन पर एक्ने हैं , तब तक मेकअप प्रोडक्ट्स लगाने से बचें. और अगर करना भी पड़े तो माइल्ड व नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने प्रोडक्ट्स ही इस्तेमाल करें.

–  इस दौरान फाउंडेशन लगाने से बचें, क्योंकि इसमें फ्रेग्रेन्स व पैराबीन्स होने के कारण ये स्किन की जलन को और बढ़ाकर मुंहासों को और उभरा हुआ व लाल बना सकता है.

– आप तले भुने खाने व प्रोसेस्ड फ़ूड से दूरी बनाकर रखें. क्योंकि ये सीबम प्रोडक्शन को बढ़ाकर एक्ने को बढ़ाने का काम करता है.

– दिन में 2 – 3  बार चेहरे को साफ पानी से धोएं व खूब पानी पिएं. क्योंकि इससे स्किन पर जमा गंदगी निकलने के साथसाथ बॉडी से टोक्सिंस बाहर निकलते हैं. जिससे एक्ने की समस्या कम होती है.

– ऐडाप्लेन नामक इंग्रीडिएंट स्किन पर एक्सेस आयल के प्रोडक्शन को रोकता है. जो एक्ने के इलाज में काफी असरदार होता है.

–  स्किन को एक्सफोलिएट जरूर करें, क्योंकि इससे डेड स्किन रिमूव होती है.

Summer Special: दिमाग बढ़ाए ओट्स उपमा

ओट्स मील वैसे तो कई तरीकों से बनाया जा सकता है, लेकिन ओट्स उपमा बनाने में काफी आसान है और यह टेस्टी भी लगता है. ओट्स में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन व फोलिक एसिड पाया जाता है. यह दिमाग को तेज करने में मदद करते हैं.

ओट्स उपमा की आसान रेसिपी

सामग्री

2 कप क्विक कुकिंग रोल्ड ओट्स

3 टी-स्पून तेल

1 टी-स्पून हल्दी पाउडर

1 टी-स्पून सरसों

1 टी-स्पून उड़द की दाल

4 से 6 किलो करी पत्ते

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2 सूखी कश्मीरी लाल मिर्च, टुकड़े की हुई

2 हरी मिर्च, बीच में से चीर दी हुई

1/2 कप बारीक कटा हुआ प्याज

1/4 कप बारीक कटा हुआ गाजर

1/4 कप हरा मटर

1 टी-स्पून चीनी

नमक स्वाद नुसार

सजाने के लिए

2 टी-स्पून बारीक कटा हुआ हरा धनिया

विधि

एक नॉन-स्टिक पैन में एक टी-स्पून तेल गरम किजिए और उसमें ओट्स और ½ टी-स्पून हल्दी पाउडर डालकर उसे सूनहरा होने तक पकाए. ओट्स को निकालकर एक तरफ रख दीजिए.

उसी पैन में 2 टी-स्पून तेल गरम कीजिए और उसमें सरसो डाल दीजिए.

जब सरसों चटकने लगे, तब उड़द की दाल, करीपत्ते, लाल मिर्च और हरी मिर्च डालकर मध्यम आँच पर 2 मिनट तक पकाइए.

उसमें प्याज डालकर मध्यम आंच पर 2 मिनट या प्याज अर्ध-पारदर्शक होने तक पकाइए.

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उसमें गाजर, हरे मटर और बचा हुआ ½ टी-स्पून हल्दी पाउडर डालकर मध्यम आंच पर और 2 मिनट तक पकाइए.

अब उसमें ओट्स का मिश्रण, चीनी और नमक डालकर, मिला कर मध्यम आंच पर 1 मिनट, लगातार हिलाते हुए, पकाइए.

उसमें 1½ कप गरम पानी डाल कर, ढक्कन से ढ़क कर धीमी आंच पर 5 से 7 मिनट तक पकाइए.

हरे धनिए से सजाकर तुरंत परोसिए.

‘Dostana 2’ से बाहर हुए Kartik Aaryan तो Kangana Ranaut को आया गुस्सा, कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत अपने बेबाकपन के लिए जानी जाती हैं. जहां बीते साल वह एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से बौलीवुड के दिग्गज लोगों पर इल्जाम लगाती दिखीं तो वहीं अब एक बार फिर एक्ट्रेस का गुस्सा देखने को मिला है. वहीं इस बार उनका निशाना प्रौड्यूसर करण जौहर बने हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

कार्तिक आर्यन हुए दोस्ताना 2 से बाहर

दरअसल, बीते दिनों खबर थी कि करण जौहर ने बॉलीवुड अभिनेता कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) को फिल्म ‘दोस्ताना 2’ से बाहर कर दिया है, जिसका कारण कार्तिक आर्यन का अनप्रोफेशनल व्यवहार बताया जा रहा है. हालांकि कार्तिक आर्यन ने ‘दोस्ताना 2’ (Dostana 2) की 20 दिनों की शूटिंग भी पूरी कर ली थी. लेकिन उन्हें बावजूद इसके फिल्म से निकाला गया.

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कंगना का फूटा गुस्सा

करण जौहर है के इस फैसले के बाद बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए ट्वीट किया है. दरअसल, कंगना रनौत ने सुशांत को याद करते हुए लिखा कि कार्तिक आर्यन ने बॉलीवुड में कदम जमाने के लिए बहुत मेहनत की है. उसे आगे जाना चाहिए. मैं नैपो गैंग के पापा से गुजारिश करना चाहती हूं कि कार्तिक आर्यन को छोड़ दे.साथ ही कहा कि सुशांत सिंह राजपूत भी इन लोगों के पीछे नहीं भागा था. इन लोगों ने उसे जान देने पर मजबूर कर दिया. तुम जैसे घटिया लोगों को कार्तिक आर्यन से दूर रहना चाहिए.

सुशांत के लिए कही ये बात

अपने दूसरे ट्वीट में कंगना रनौत ने लिखा, कार्तिक आर्यन को इन नेपो चिल्लर के आगे नहीं झुकना चाहिए. इन लोगों ने गलत व्यवहार की वजह से कार्तिक आर्यन को फिल्म से बाहर कर दिया. इनको लगता है कि किसी को पता नहीं चलेगा. ये लोग सुशांत के ड्रग एडिक्शन की स्टोरीज की तरह कहानियां बना रहे हैं. इनको लगता था कि सुशांत सिंह राजपूत भी अनप्रोफेशनल थे.

 

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बता दें, करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस की ओर से दोस्ताना 2 की री-कास्ट‍िंग को लेकर बयान में कहा गया है कि ‘प्रोफेशनल कारणों की वजह से Collin D’Cunha के निर्देशन में बन रही फिल्म दोस्ताना 2 की री-कास्ट‍िंग दोबारा की जाएगी. ऑफिशियल अनाउंसमेंट का इंतजार करें’.

‘मास्टर भिड़े’ के बाद ‘Tarak Mehta’ के गोली समेत 3 क्रू मेंबर्स को हुआ कोरोना, पढ़ें खबर

देश में इन दिनों कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है. जहां इसका सबसे ज्यादा असर मुंबई में देखने को मिला है. दरअसल, हाल ही में मुंबई में लौकडाउन लगाया गया है, जिसके कारण कई सीरियल्स की शूटिंग गोवा और हैदराबाद रखी गई है. वहीं कुछ सेलेब्स की रिपोर्ट कोरोना पौजिटीव आने के बाद सीरियल्स की शूटिंग रोक दी गई है. वहीं अब खबर है कि सब टीवी के सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) के कुछ मेंबर कोरोना के शिकार हो गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

ये एक्टर हुआ कोरोना का शिकार

दरअसल, सीरियल में गोली के रोल में नजर आने वाले एक्टर कुश शाह (Kush Shah) के साथ तीन क्रू मेंबर्स को भी कोरोना हो गया है. खबरों की मानें तो 9 अप्रैल को सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा के 100 मेंबर्स का कोरोना वायरस टेस्ट करवाया गया था. जिसके बाद अब 4 लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं.

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प्रौड्यूसर ने कही ये बात

कोरोना के मरीज निकलने के बारे में शो के प्रोड्यूसर असित मोदी (Asit Modi) ने  कहा कि हम लोग शूटिंग लोकेशन में कोई बदलाव नहीं करने वाले हैं. 2-3 दिन पहले ही सरकार ने कोरोना वायरस की नई गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिसमें कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि शोज की शूटिंग नहीं की जा सकती. हालांकि इस दौरान गाइडलाइन्स को फॉलो करते हुए हमने अपनी पूरी टीम का कोरोना वायरस टेस्ट करवाया था, जिसके बाद टीम के 4 लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैं. वहीं इन लोगों को घर पर आइसोलेट भी कर दिया गया है.

बता दें, गोली से पहले मास्टर भिड़े और सुंदर लाल का किरदार निभाने वाले सितारे भी कोरोना का शिकार हो गए थे. हांलांकि अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं.

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समर स्पेशल: बच्चों के लिए बनाएं ये खास वेज मसाला टिक्का

हम महिलाओं के सामने तो सबसे बड़ी चुनौती होती है कि नाश्ता ऐसा होना चाहिए जो हैल्दी भी हो और सबको पसन्द भी आये. आपकी इसी समस्या को हल करते हुए हम आपको आज एक ऐसा नाश्ता बनाना बता रहे हैं जो पौष्टिक भी है, टेस्टी भी और जिसे बनाना भी बहुत आसान है. बड़े ही नहीं बच्चों को भी यह बेहद पसंद आता है. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

रवा या सूजी 1/4 कप
बेसन 1 कप
बारीक कटा प्याज 1 टेबलस्पून
बारीक कटी गाजर 1 टेबलस्पून
कटी बीन्स 1 टेबलस्पून
कटा टमाटर 1 टेबलस्पून

कटी शिमला मिर्च 1 टेबलस्पून
मटर 1 टेबलस्पून
नमक स्वादानुसार
हींग चुटकीभर
जीरा 1/4 टीस्पून
कटी हरी धनिया 1 टेबलस्पून
हरी मिर्च, अदरक पेस्ट 1 टीस्पून
पानी 2 कप
दही 2 कप
तेल 2 टेबलस्पून
चाट मसाला 1 टीस्पून
चिली फ्लैक्स 1 टीस्पून

विधि

  • रवा और बेसन को दही और पानी में अच्छी तरह मिलाएं. ध्यान रखें कि गुठली न रहें.
  • अब तेल, चाट मसाला और चिली फ्लैक्स को छोड़कर सभी सब्जियां और मसाले भी अच्छी तरह मिला लें. एक चौकोर ट्रे में चिकनाई लगाकर अलग रख दें.
  • तैयार मिश्रण को एक नॉनस्टिक पैन में डालकर गैस पर चढ़ा दें. लगातार चलाते हुए मिश्रण के गाढ़ा होने तक पकाएं. जब मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगे तो गैस बंद कर दें और मिश्रण को चिकनाई लगी ट्रे में एकसार फैला दें.
  • आधे घण्टे बाद जब मिश्रण ठंडा हो जाये तो चौकोर टुकड़ों में काट लें.
  • अब गर्म तेल में इन चौकोर टुकड़ों को मंदी आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक शैलो फ्राई करें.
  • तैयार टिक्कों पर चाट मसाला और चिली फ्लैक्स बुरकें और टोमेटो सॉस या हरी चटनी के साथ सर्व करें. आप चाहें तो बिना फ्राई किये भी प्रयोग कर सकतीं हैं.

कोरोना की दूसरी लहर

कोविड 19 की दूसरी लहर. (दिल्ली के अरङ्क्षवद केजरीवाल तो इसे दिल्ली की चौथी लहर कहते हैं) पटरी पर लौटती ङ्क्षजदगी को फिर से बिगाड़ रही है. यह अब देखना बाकि है कि क्या हम से इतना उत्साह और धैर्य बचा है कि हम एक और इस माहमारी के थपेड़े खा सकें?

यह न भूलें कि छोटे पैमानों पर मानव जाति इस से ज्यादा बड़े जीवन पर हमले देख चुकी है. दुनिया भर में इतिहास साक्षी है कि बारबार लंबे युद्ध हुए चाहे कबीलों और देशों के बीच में ही पर हर युद्ध की लहर कोविड 19 की तरह ही होती थी. दोनों तरफ के आक्रमिक अपने सीधी पटरी  पर चलती ङ्क्षजदगी को उतार कर दूसरी तरफ के लोगों की ङ्क्षजदगी को बिगाडऩे चल पड़ते थे.

अकाल कईकई साल चलते रहे हैं. प्लेग, हैजा, मलेरिया बारबार समाज के हिस्सों को तंग करता रहा है, बारबार लगातार. कोविड की तरह विदेशी लूटेरे लूटने, औरतों के उठा ले जाने, घरों को जला डालने बारबार आते और हर तरह की बचाव की कोशिश के बावजूद ङ्क्षजदगी तहसनहस कर जाते. प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध 4-5 साल चले और उन्होंने यूरोप के बड़े हिस्से को इन दिनों इसी तरह कफ्र्यू में रखा जैसा अब कोविड रख रहा है.

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फर्क यह है कि विज्ञान और तकनीक के कारण हमें भरोसा हो गया था कि हमें कुछ नहीं होगा. हमें 100 साल आराम से जीने की अस्था दिला दी गई थी. लोग पक्के मकान बनाने लगे थे जो 50-100 साल रहेंगे. बैंक भी 30-40 साल की योजनाएं धड़ाधड़ बेच रहे थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद कोरिया, वियतनाम, कंबोडिया, अफ्रीका के  रवांडा व सीरिया व लेबनान के अलावा दुनिया लगभग शांत रही है.

1945 के बाद न्यूक्लीयर बार का डर रहा पर उस से वास्तव में कुछ हुआ नहीं. सोवियत रूसी साम्राज्य बिखर गया पर बिना तहसनहस किए. भारत में लगातार ङ्क्षहदूमुसलिम-ङ्क्षहदूमुसलिम हो रहा है पर अभी तक मुसलमानों के साथ वह व्यवहार नहीं हो रहा जैसा हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के साथ 1938 के बाद करना शुरू किया था.

घरबार सुरक्षित हैं, यह भावना कूटकूट कर भर गई थी जिसे कोविड 19 की खटखटाहट परेशान कर रही है. करोड़ो बिमार होने लगे हैं. वैक्सीन के बनने के बाद खुल सके बाजार, स्कूल फिर बंद होने लगे हैं. औरतों को फिर एक बार कफ्र्यू में रहने का कहा जा रहा है. अभी तो यह शुरूआत है. बात मईजून तक सुधरेगी या बिगड़ेगी पता नहीं.

घरों की अर्थव्यवस्था पहले से ही डगमगा रही है. गनीमत है कि खाने की दुनिया में कभी नहीं. यह भी गनीमत है कि दुनिया की फैक्ट्री चीन अभी भी धड़ाधड़ राशन बना रहा है. चीजों की कमी होगी यह नहीं लगता पर एक……का भाव, एक भय फैलने लगा है. यह अबसाद में तो नहीं ले जाएगा. पहली लहर में समाज को वैक्सीन पर उम्मीद थी. जब तक दवाई नहीं, कड़ाई में भलाई सही का सिद्धांत चल रहा था. अब दूसरी लहर, पहली से ज्यादा लील रही है और वैक्सीन आ चुकी है. अब आगे क्या?

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आगे वही जो समाज हमेशा करता रहा है. हिम्मत न हारना और प्रकृति से लडऩा, लाखों सालों में मानव ने बहुत कुछ सीखा है. सभ्यता के 10000 सालों में बहुत कुछ नया ईजाद किया है. आज प्रकृति का कहर उस पर हावी नहीं है. वह प्रकृति पर हावी है. आज टैलीक्यूनिकेशन से वह सारी दुनिया से जुड़ा है. उसे पलपल की खबर है. वह इस खतरे से भी लड़ सकता है.

आदमी ने रेगिस्तानों, पहाड़ों, समुद्रों को ऐसे ही नहीं पार कर लिया. हर आपदा का तोड़ है. कुछ प्रयोग शालाओं में कुछ घरों में अगर मन में विश्वास है तो हम आधे चौथाई से काम भी चला सकते हैं. कोविड को सिर्फ कुछ नंबर समझें. बिमार हो गए तो उसे कैंसर से कहीं कम समझें. कोविड से ज्यादा लोग शराब के कारण मरते हैं, दिल की बिमारियों से मरते हैं, कार ऐक्सीडैंटों में मरते हैं. हिम्मत न हारिए. हादसा हो जाए तो भी कपड़े झाडिए और आगे चल पड़ें. कोविड हो या न हो, जीवन साथी हो या न हो, संरक्षक हो या न हो, खुद पर भरोसा कोविड 19 के कहर की सब से बडी दश है.

Success कोई मशीनी फार्मूला नहीं

क्या तकनीकी ने इंसान के निजी कौशल को शून्य कर दिया है? क्या तमाम सफलताओं का एक निश्चित तयशुदा फार्मूला है और वे उन्हें फार्मूलों के चलते मिलते हैं? क्या अब हमारे काम करने के ढंग और भावनाओं या हमारे निजी संभव का हमारी सफलता से कोई लेना देना नहीं है? कई अध्ययन मानते हैं ऐसा नहीं है. आज भी सफलता निजी, गुणों का नतीजा होती है.

दो साल पहले हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एक अध्ययन के मीडिया में छपे निष्कर्ष बताते हैं कि सफलता आज भी व्यक्तिगत उद्यम हैं न कि तकनीकी का नतीजा. यही वजह है कि हर गतिविधि को एक नियम में ढाल देने के बावजूद सफलता सुनिश्चित नहीं है. इसे आज भी सजगता, प्रतिबद्धता, जुनून और ईमानदारी जैसे वैयक्तिक गुणों और मूल्यों से ही हासिल किया जा सकता है. इसीलिये हमारी कुछ आदतों का महत्वपूर्ण योगदान हमें अमीर बनाने या सफल बनाने में होता है.

सवाल है ये आदतें क्या हैं? इनमें पहली आदत है कि अमीर आदमी तमाम चकाचैंध के बावजूद दिन को दिन रात को रात मानता है. रात में समय से सोकर सुबह जल्दी उठता है. अमीर आदमी की हर गतिविधि में अपनी एक तयशुदा गति होती है. वह न तो कभी हड़बड़ी में होता है, न ही आत्मघाती बेफिक्री में डूबा होता है. उसकी दैनिक दिनचर्या में एक लय होती है. अमीर लोग हर रोज कुछ न कुछ नया सीखते हैं या यूं कहें कि वे हमेशा कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं. देखने के इस दौर में भी वे कुछ न कुछ नया पढ़ते ही रहते हैं. अमीर आदमी या सफल आदमी ही नहीं बल्कि हर सुखी और हर खुश व्यक्ति नियमित रूप से सुबह व्यायाम करता है. बिल गेट्स आज भी हर दिन सुबह जल्दी उठकर कोई प्रेरक या नयी सीख देने वाली किसी किताब के कुछ अंश जरूर पढ़ते हैं.

लेकिन सिर्फ बिल गेट्स ही नहीं ज्यादातर अमीर लोग महीने में कोई एक या दो किताब जरूर पढ़ते हैं. इसके अलावा वह नॉलेज बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह की पुस्तकें पढ़ना पसंद करते हैं. अमीर और सफल व्यक्ति हर दिन सुबह उठकर कुछ सौ शब्द खुद से जरूर लिखता है भले दफ्तर में एक-एक शब्द लिखने के लिए कितने ही असिस्टेंट क्यों न हों. लिखने के दौरान सबसे ज्यादा नए विचार आते हैं. हर अमीर और सफल आदमी का हर दिन का अपना शेड्यूल होता है. वह उसमें बहुत आपातकाल में ही कोई तब्दीली करते हैं. कहते हैं रतन टाटा के पहले से तय दैनिक शिड्यूल में अगर अचानक करोंड़ों के बिजनेस डील की कोई मीटिंग भी आ टपकती थी तो वे उसे भी विन्रमता से उसके लिए मना कर देते थे.

समय की पंक्चुअलिटी की बात तो हम सब लोग करते हैं. एक किस्म से यह फैशन बन गया है. यही ऐसी बातें करते हुए हम महात्मा गांधी से लेकर माओ तक को कोट करना भी नहीं भूलते मगर हकीकत में अपने निजी जीवन में सिर्फ 3-5 फीसदी लोग ही समय के पाबंद होते हैं. लेकिन यह भी एक नोट करने वाली बात है कि जितने सफल लोग होते हैं या अमीर लोग होते हैं, उनमें 95 प्रतिशत तक को समय का पाबंद पाया गया है. इससे पता चलता है कि अमीर लोग हमेशा अपने और दूसरे के समय का ध्यान रखते हैं. लेकिन समय से पाबंदगी का सम्बन्ध किसी से मिलने के समय की पाबंदी ही नहीं होती. अमीर लोगों के लिए इसके बड़े और व्यापक सन्दर्भों में मायने होते हैं.

अमीर लोग किसी को दिए हुए समय के प्रति तो संवेदनशील होते ही हैं ये दिन के उन सबसे महत्वपूर्ण घंटों की भी बखूबी पहचान करते हैं, जिनमें वे सबसे ज्यादा काम कर सकते हैं. दूसरे शब्दों में जो सबसे उत्पादक घंटे होते हैं. इसके साथ ही अमीर लोग ऐसे कामों मे कभी भी समय खराब नहीं करते जो उन्हें कोई परिणाम नहीं देते हों. वे अपने सभी काम प्लानिंग के साथ करते हैं. इसलिए वे आज की लिस्ट को आज ही खत्म कर पाते हैं यानी हर दिन के अपने टारगेट को हासिल कर लेते हैं. दुनिया के सभी अमीर या सफल लोग समय का कई हिस्सों में प्रबंधन करते हैं. ज्यादातर लोग हर दिन के अपने काम की एक लिखित सूची रखते है, जो उन्हें उनके दैनिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती है.

कहते हैं सफलता का पहला राज यह है किसी एक स्रोत पर ही पूरी तरह से निर्भर न रहें. जिसे हम कर्कुलेटिव रिस्क कहते हैं वह यही है कि सारा दांव एक ही चीज पर लगाने का जोखिम मोल न लें. अमीर लोग यही करते हैं. वह आय के किसी एक स्रोत के बजाय अनेक स्त्रोत विकसित करते हैं. इसके लिए वह समय-समय पर कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं. हमेशा अपने को अपडेट करते रहते हैं. किसी से भी सीखने में उन्हें कोई परहेज नहीं होता. अमीर लोगों में एक सुदृढ़ टीम भावना होती है. वह कभी भी किसी काम को अकेले करने में विश्वास नहीं करते. ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलने और बातचीत करने में रुचि रखते हैं. इसीलिये वे हमेशा नए-नए प्लेटफार्म तैयार करते रहते हैं.

Serial Story: मुक्ति – भाग 1

लेखक- आर केशवन

अचानक जया की नींद टूटी और वह हड़बड़ा कर उठी. घड़ी का अलार्म शायद बजबज कर थक चुका था. आज तो सोती रह गई वह. साढ़े 6 बज रहे थे. सुबह का आधा समय तो यों ही हाथ से निकल गया था.

वह उठी और तेजी से गेट की ओर चल पड़ी. दूध का पैकेट जाने कितनी देर से वैसे ही पड़ा था. अखबार भी अनाथों की तरह उसे अपने समीप बुला रहा था.

उस का दिल धक से रह गया. यानी आज भी गंगा नहीं आएगी. आ जाती तो अब तक एक प्याली गरम चाय की उसे नसीब हो गई होती और वह अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाती. उसे अपनी काम वाली बाई गंगा पर बहुत जोर से खीज हो आई. अब तक वह कई बार गंगा को हिदायत दे चुकी थी कि छुट्टी करनी हो तो पहले बता दे. कम से कम इस तरह की हबड़तबड़ तो नहीं रहेगी.

वह झट से किचन में गई और चाय का पानी रख कर बच्चों को उठाने लगी. दिमाग में खयाल आया कि हर कोई थोड़ाथोड़ा अपना काम निबटाएगा तब जा कर सब को समय पर स्कूल व दफ्तर जाने को मिलेगा.

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नल खोला तो पाया कि पानी लो प्रेशर में दम तोड़ रहा?था. उस ने मन ही मन हिसाब लगाया तो टंकी को पूरा भरे 7 दिन हो गए थे. अब इस जल्दी के समय में टैंकर को भी बुलाना होगा.  उस ने झंझोड़ते हुए पति गणेश को जगाया, ‘‘अब उठो भी, यह चाय पकड़ो और जरा मेरी मदद कर दो. आज गंगा नहीं आएगी. बच्चों को तैयार कर दो जल्दी से. उन की बस आती ही होगी.’’

पति गणेश उठे और उठते ही नित्य कर्मों से निबटने चले गए तो पीछे से जया ने आवाज दी, ‘‘और हां, टैंकर के लिए भी जरा फोन कर दो. इधर पानी खत्म हुआ जा रहा है.’’

‘‘तुम्हीं कर दो न. कितनी देर लगती है. आज मुझे आफिस जल्दी जाना है,’’ वह झुंझलाए.

‘‘जैसे मुझे तो कहीं जाना ही नहीं है,’’ उस का रोमरोम गुस्से से भर गया. पति के साथ पत्नी भले ही दफ्तर जाए तब भी सब घरेलू काम उसी की झोली में आ गिरेंगे. पुरुष तो बेचारा थकहार कर दफ्तर से लौटता है. औरतें तो आफिस में काम ही नहीं करतीं सिवा स्वेटर बुनने के. यही तो जब  तब उलाहना देते हैं गणेश.

कितनी बार जया मिन्नतें कर चुकी थी कि बच्चों के गृहकार्य में मदद कर दीजिए पर पति टस से मस नहीं होते थे, ऊपर से कहते, ‘‘जया यार, हम से यह सब नहीं होता. तुम मल्टी टास्किंग कर लेती हो, मैं नहीं,’’ और वह फिर बासी खबरों को पढ़ने में मशगूल हो जाते.

मनमसोस कर रह जाती जया. गणेश ने उस की शिकायतों को कुछ इस तरह लेना शुरू कर दिया?था जैसे कोई धार्मिक प्रवचन हों. ऊपर से उलटी पट्टी पढ़ाता था उन का पड़ोसी नाथन जो गणेश से भी दो कदम आगे था. दोनों की बातचीत सुन कर तो जया का खून ही खौल उठता था.

‘‘अरे, यार, जैसे दफ्तर में बौस की डांट नहीं सुनते हो, वैसे ही बीवी की भी सुन लिया करो. यह भी तो यार एक व्यावसायिक संकट ही है,’’ और दोनों के ठहाके से पूरा गलियारा गूंज उठा?था.

जया के तनबदन में आग लग आई थी. क्या बीवीबच्चों के साथ रहना भी महज कामकाज लगता?था इन मर्दों को. तब औरतों को तो न जाने दिन में कितनी बार ऐसा ही प्रतीत होना चाहिए. घर संभालो, बच्चों को देखो, पति की फरमाइशों को पूरा करो, खटो दिनरात अरे, आक्यूपेशन तो महिलाओं के लिए है. बेचारी शिकायत भी नहीं करतीं.

जैसेतैसे 4 दिन इसी तरह गुजर गए. गंगा अब तक नहीं लौटी थी. वह पूछताछ करने ही वाली थी कि रानी ने कालबेल बजाते हुए घर में प्रवेश किया.

‘‘बीबीजी, गंगा ने आप को खबर करने के लिए मुझ से कहा था,’’ रानी बोली, ‘‘वह कुछ दिन अभी और नहीं आ पाएगी. उस की तबीयत बहुत खराब है.’’

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रानी से गंगा का हाल सुना तो जया उद्वेलित हो उठी.  यह कैसी जिंदगी थी बेचारी गंगा की. शराबी पति घर की जिम्मेदारियां संभालना तो दूर, निरंतर खटती गंगा को जानवरों की तरह पीटता रहता और मार खाखा कर वह अधमरी सी हो गई थी.

‘‘छोड़ क्यों नहीं देती गंगा उसे. यह भी कोई जिंदगी है?’’ जया बोली.

माथे पर ढेर सारी सलवटें ले कर हाथ का काम छोड़ कर रानी ने एकबारगी जया को देखा और कहने लगी, ‘‘छोड़ कर जाएगी कहां वह बीबीजी? कम से कम कहने के लिए तो एक पति है न उस के पास. उसे भी अलग कर दे तो कौन करेगा रखवाली उस की? आप नहीं जानतीं मेमसाहब, हम लोग टिन की चादरों से बनी छतों के नीचे झुग्गियों में रहते हैं. हमारे पति हैं तो हम बुरी नजर से बचे हुए हैं. गले में मंगलसूत्र पड़ा हो तो पराए मर्द ज्यादा ताकझांक नहीं करते.’’

अजीब विडंबना थी. क्या सचमुच गरीब औरतों के पति सिर्फ एक सुरक्षा कवच भर ?हैं. विवाह के क्या अब यही माने रह गए? शायद हां, अब तो औरतें भी इस बंधन को महज एक व्यवसाय जैसा ही महसूस करने लगी हैं.

गंगा की हालत ने जया को विचलित कर दिया था. कितनी समझदार व सीधी है गंगा. उसे चुपचाप काम करते हुए, कुशलतापूर्वक कार्यों को अंजाम देते हुए जया ने पाया था. यही वजह थी कि उस की लगातार छुट्टियों के बाद भी उसे छोड़ने का खयाल वह नहीं कर पाई.

रानी लगातार बोले जा रही थी. उस की बातों से साफ झलक रहा?था कि गंगा की यह गाथा उस के पासपड़ोस वालों के लिए चिरपरिचित थी. इसीलिए तो उन्हें बिलकुल अचरज नहीं हो रहा था गंगा की हालत पर.

जया के मन में अचानक यह विचार कौंध आया कि क्या वह स्वयं अपने पति को गंगा की परिस्थितियों में छोड़ पाती? कोई जवाब न सूझा.

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‘‘यार, एक कप चाय तो दे दो,’’ पति ने आवाज दी तो उस का खून खौल उठा.

जनाब देख रहे हैं कि अकेली घर के कामों से जूझ रही हूं फिर भी फरमाइश पर फरमाइश करे जा रहे हैं. यह समझ में नहीं आता कि अपनी फरमाइश थोड़ी कम कर लें.

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Serial Story: मुक्ति – भाग 2

लेखक- आर केशवन

जया का मन रहरह कर विद्रोह कर रहा था. उसे लगा कि अब तक जिम्मेदारियों के निर्वाह में शायद वही सब से अधिक योगदान दिए जा रही थी. गणेश तो मासिक आय ला कर बस उस के हाथ में धर देता और निजात पा जाता. दफ्तर जाते हुए वह रास्ते भर इन्हीं घटनाक्रमों पर विचार करती रही. उसे लग रहा था कि स्त्री जाति के साथ इतना अन्याय शायद ही किसी और देश में होता हो.

दोपहर को जब वह लंच के लिए उठने लगी तो फोन की घंटी बज उठी. दूसरी ओर सहेली पद्मा थी. वह भी गंगा के काम पर न आने से परेशान थी. जैसेतैसे संक्षेप में जया ने उसे गंगा की समस्या बयान की तो पद्मा तैश में आ गई, ‘‘उस राक्षस को तो जिंदा गाड़ देना चाहिए. मैं तो कहती हूं कि हम उसे पुलिस में पकड़वा देते हैं. बेचारी गंगा को कुछ दिन तो राहत मिलेगी. उस से भी अच्छा होगा यदि हम उसे तलाक दिलवा कर छुड़वा लें. गंगा के लिए हम सबकुछ सोच लेंगे. एक टेलरिंग यूनिट खोल देंगे,’’ पद्मा फोन पर लगातार बोले जा रही थी.

पद्मा के पति ने नौकरी से स्वैच्छिक अवकाश प्राप्त कर लिया था और घर से ही ‘कंसलटेंसी’ का काम कर रहे थे. न तो पद्मा को काम वाली का अभाव इतनी बुरी तरह खलता था, न ही उसे इस बात की चिंता?थी कि सिंक में पड़े बर्तनों को कौन साफ करेगा. पति घर के काम में पद्मा का पूरापूरा हाथ बंटाते थे. वह भी निश्चिंत हो अपने दफ्तर के काम में लगी रहती. वह आला दर्जे की पत्रकार थी. बढि़या बंगला, ऐशोआराम और फिर बैठेबिठाए घर में एक अदद पति मैनसर्वेंट हो तो भला पद्मा को कौन सी दिक्कत होगी.

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वह कहते हैं न कि जब आदमी का पेट भरा हो तो वह दूसरे की भूख के बारे में भी सोच सकता?है. तभी तो वह इतने चाव से गंगा को अलग करवाने की योजना बना रही थी.

पद्मा अपनी ही रौ में सुझाव पर सुझाव दिए जा रही थी. महिला क्लब की एक खास सदस्य होने के नाते वह ऐसे तमाम रास्ते जया को बताए जा रही थी जिस से गंगा का उद्धार हो सके.

जया अचंभित थी. मात्र 4 घंटों के अंतराल में उसे इस विषय पर दो अलगअलग प्रतिक्रियाएं मिली थीं. कहां तो पद्मा तलाक की बात कर रही?थी और उधर सुबह ही रानी के मुंह से उस ने सुना था कि गंगा अपने ‘सुरक्षाकवच’ की तिलांजलि देने को कतई तैयार नहीं होगी. स्वयं गंगा का इस बारे में क्या कहना होगा, इस के बारे में वह कोई फैसला नहीं कर पाई.

जब जया ने अपना शक जाहिर किया तो पद्मा बिफर उठी, ‘‘क्या तुम ऐसे दमघोंटू बंधन में रह पाओगी? छोड़ नहीं दोगी अपने पति को?’’

जया बस, सोचती रह गई. हां, इतना जरूर तय था कि पद्मा को एक ताजातरीन स्टोरी अवश्य मिल गई थी.

महिला क्लब के सभी सदस्यों को पद्मा का सुझाव कुछ ज्यादा ही भा गया सिवा एकदो को छोड़ कर, जिन्हें इस योजना में खामियां नजर आ रही थीं. जया ने ज्यादातर के चेहरों पर एक अजब उत्सुकता देखी. आखिर कोई भी क्यों ऐसा मौका गंवाएगा, जिस में जनता की वाहवाही लूटने का भरपूर मसाला हो.

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प्रस्ताव शतप्रतिशत मतों से पारित हो गया. तय हुआ कि महिला क्लब की ओर से पद्मा व जया गंगा के घर जाएंगी व उसे समझाबुझा कर राजी करेंगी.

गंगा अब तक काम पर नहीं लौटी थी. रानी आ तो रही?थी, पर उस का आना महज भरपाई भर था. जया को घर का सारा काम स्वयं ही करना पड़ रहा था. आज तो उस की तबीयत ही नहीं कर रही थी कि वह घर का काम करे. उस ने निश्चय किया कि वह दफ्तर से छुट्टी लेगी. थोड़ा आराम करेगी व पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार पद्मा को साथ ले कर गंगा के घर जाएगी, उस का हालचाल पूछने. यह बात उस ने पति को नहीं बताई. इस डर से कि कहीं गणेश उसे 2-3 बाहर के काम भी न बता दें.

रानी से बातों ही बातों में उस ने गंगा के घर का पता पूछ लिया. जब से महिला मंडली की बैठक हुई थी, रानी तो मानो सभी मैडमों से नाराज थी, ‘‘आप पढ़ीलिखी औरतों का तो दिमाग चल गया है. अरे, क्या एक औरत अपने बसेबसाए घर व पति को छोड़ सकती है? और वैसे भी क्या आप लोग उस के आदमी को कोई सजा दे रहे हो? अरे, वह तो मजे से दूसरी ले आएगा और गंगा रह जाएगी बेघर और बेआसरा.’’

40 साल की रानी को हाईसोसाइटी की इन औरतों पर निहायत ही क्रोध आ रहा था.

क्रमश:

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लॉकडाउन में वजन बढ़ना और खराब स्वास्थ्य का कारण क्या खराब नींद हो सकती है?

48 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल, भास्कर बोस का वजन हमेशा से ही अधिक था, लेकिन धूम्रपान के कारण उच्च रक्तचाप, फैटी लीवर, कोविड की समस्या के बावजूद पिछले साल लॉकडाउन से पहले तक पहले उनकी सारी समस्याएं नियंत्रित रह रही थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद उन्हें घर से ही ऑफिस का काम करना पड़ा. उन्हें दिसंबर 2020 में सांस लेने में तकलीफ होने लगी जो कि नए साल तक दैनिक गतिविधियों के दौरान काफी बढ़ गई थी. उन्होंने सुस्ती भी रहने लगी और उन्हें महसूस होेने लगा कि रात में ठीक से सोने के बावजूद उन्हें दिन भर नींद आती रहती थी.

सौभाग्य से, उनके पारिवारिक चिकित्सक ने उन्हें पल्मोनोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह दी. उनके व्यक्तिगत इतिहास की जाँच करने के बाद, उन्होंने बताया कि 2020 में लॉकडाउन के बाद से उनका वजन लगभग 25 किलोग्राम (110 किलोग्राम से लगभग 130 किलोग्राम तक) बढ़ गया और उनकी जीवन शैली निष्क्रिय हो गयी. यही नहीं‚ वे अत्यधिक पीने लगे, धूम्रपान करने लगे और उनकी नींद का पैटर्न भी अनियमित हो गया. उन्होंने अपने लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग करने और अत्यधिक टीवी देखने की बात भी कही.

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क्लिनिक में, उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, यहाँ तक कि जब वे आराम कर रहे थे तब भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. डॉक्टर के साथ बातचीत करते समय कभी-कभार उनकी सांस उखड़ रही थी. उन्होंने रक्तचाप का स्तर बढ़ा हुआ था और ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था. उसके बाद उनकी स्लीप स्टडी करायी गयी, जिसमें देखा गया कि उनकी पूरी रात की नींद के दौरान उनकी साँस प्रति घंटे 34 बार की दर से रुक रही थी और उसकी नींद की गुणवत्ता बहुत खराब थी. उनमें खराब नींद के साथ– साथ ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) का निदान किया गया ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (ओएचएस) होने की भी संभावना व्यक्त की गयी. इसके कारण रक्तचाप बढ़ना‚ तरल की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड रिटेंशन के साथ रेस्पायरेटरी फेल्योर हो गया. उनके परीक्षणों से यह भी पता चला कि उन्हें फैटी लीवर और मधुमेह भी हो गया है.

मोटापा मधुमेह और दिल की समस्याओं का एक जाना-माना कारण है, लेकिन ये दुष्प्रभाव लंबे समय में देखे जाते हैं. लेकिन यह तथ्य कम लोगों को ही पता है कि मोटापा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है जैसा कि श्री बी बी के साथ हुआ.

ओएसए एक ऐसी बीमारी है जो ऊपरी वायुमार्ग में रुकावट के कारण होती है, जो कुछ ऐसे मोटे रोगियों में नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट पैदा करती है, जिनकी जन्म के समय से ही गर्दन मोटी और ऊपरी वायुमार्ग संकीर्ण होता है. सांस लेने में रुकावट से रात में रुक-रुक कर नींद टूटने लगती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है. नतीजतन, ओएसए पीड़ित व्यक्ति दिन भर नींद महसूस करता है. जिसके कारण ओएसए पीड़ित व्यक्ति के ड्राइविंग करने पर विशेष रूप से सड़क यातायात दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. इसके कारण स्ट्रेस हार्मोन के स्तर में वृद्धि हो सकती है जिसका शरीर पर दुष्प्रभाव हो सकता है और उच्च रक्तचाप हो सकता है. ओएसए के बहुत गंभीर होने पर नींद में अचानक मृत्यु हो सकती है. खराब नींद वाले लोगों (ओएसए के कारण) या अनियमित नींद की आदतों की वजह से खराब नींद वाले लोगों में  अक्सर मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन होता है और कुछ हार्मोनल असंतुलन होता है जिसके कारण उन्हें अधिक भूख लगने लगती है और वे भोजन करने के बाद तृप्ति महसूस नहीं करते हैं और यह प्रवृत्ति आगे बढ़ती जाती है और इसके कारण वजन और भी अधिक बढ़ने लगता है और ओएसए के बढ़ने का एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है.

मोटापा हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम का अक्सर मोटापे से ग्रस्त ओएसए रोगियों के साथ संबंध होता है जिसके कारण दिन के समय रेस्पायरेटरी फेल्योर (सांस की तकलीफ), ऑक्सीजन के स्तर में कमी और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि हो सकती है, शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो सकती है और यह घातक हो सकता है.

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हालांकि ऐसे मामलों में वजन कम करने और मोटापे के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को दूर करने में समय लगता है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि ओएसए और ओएचएस के कारण होने वाले मोटापे के तीव्र दुष्प्रभाव को पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (पीएपी) नामक मेकैनिकल थेरेपी से तुरंत दूर किया जा सकता है. ये दो प्रकार के हो सकते हैं – बाईलेवल (बाई-पैप) और कंटीनुअस (सी-पैप). स्लीप मेडिसीन प्रशिक्षित पल्मोनोलॉजिस्ट रोगी का मार्गदर्शन कर सकता है कि कौन सी चिकित्सा उसके लिए सर्वोत्तम है.

मिस्टर बीबी को कुछ वाटर पिल्स के साथ बाई-पैप थेरेपी दी गई, जिससे उनके मूत्र में वृद्धि हुई और शरीर में तरल की मात्रा भी ठीक हो गयी. पहले सप्ताह में ही उनका वजन5 किलोग्राम कम हो गया, उनका रक्तचाप नियंत्रित हो गया, वह बिल्कुल अलग और तरोताजा महसूस कर रहे थे.

डॉ विकास मित्तल, प्रमुख कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी एवं स्लीप मेडिसीन विभाग, Max Hospital, Shalimar Bagh से बातचीत पर आधारित.. 

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