Serial Story: तुम नारंगी हो जाओ न ओस (भाग-5)

‘‘तुम इजाजत दो तो मैं आज उस की खबर लूं घर पहुंच कर?’’ पारिजात क्रोध से उबल रहा था.

‘‘नहीं, कहीं ऐसा न हो कि फिर आप से बात करने पर भी अंकुश लग जाए.’’

‘‘ऐसा कैसे कर सकता है वह? उस की ही चलेगी क्या? तुम सोचसमझा कर बता देना कि मैं कब और कैसे समझाऊं उसे? यों अपने को मार कर कब तक जीती रहोगी? घुटघुट कर मर जाओगी एक दिन.’’

मिहिका फूटफूट कर रो पड़ी. रुंधे गले से बोली, ‘‘मुझे न जाने कितनी खुशियां मिल जाने की आशा थी इस रिश्ते से, कितने कुंआरे शौक पूरा करना चाहती थी शादी के बाद, खास महसूस करना और करवाना चाहती थी अचल को…लेकिन मिला क्या? निराशा, अपमान और कभी दूर न होने वाली रिक्तता.’’

‘‘आज कहीं रुक कर कौफी पीएंगे. यह मत कहना कि टाइम से घर न पहुंची तो अचल झागड़ने लगेगा. पहुंचने पर कुछ कहे तो मुझे फोन कर देना, डरना नहीं अब. मैं हूं ना.’’

मिहिका का चेहरा एक बच्चे सा खिल उठा. कौफी पीते हुए एक सुखद शांति दोनों के बीच तैरती रही, एक सुहाना एहसास दोनों को सहलाता रहा कि रिश्तों से परे वे एकदूसरे से जुड़ रहे हैं.

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कुछ देर बाद रात वाली घटना से उद्विग्न पारिजात बोल उठा, ‘‘बिना किसी रिश्ते के प्रेम करते हुए 2 लोगों का शारीरिक संबंध बनाना समाज को स्वीकार्य नहीं, किंतु विवाहित पुरुष चाहे पत्नी से प्रेम करे या उस का तिरस्कार, उसे संबंध बनाने की पूरी अनुमति है. समाज के लिए प्रेम कितना महत्त्वहीन है. मैं हैरान हूं.’’

अचल नियत दिन टूर पर चला गया. शाम को लौटते हुए उस दिन मिहिका ने पारिजात से कहा कि वह आज उस के घर चले. प्रतिदिन उन की चर्चा अधूरी रह जाती है, जिसे आज वे आराम से बैठ कर पूरा करेंगे.

पारिजात सहर्ष इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बोला, ‘‘बातोंबातों में रात अधिक हो गई तो तुम्हारे पास ही ठहर जाऊंगा.’’

मिहिका को छोड़ने के बाद अपने घर से नाइटसूट ले कर वह मिहिका के पास आ गया.

पुदीने और अदरक की चाय पीते हुए दोनों हंसीमजाक करते रहे. कुछ देर बाद मिहिका खाना बनाने के लिए उठी तो पारिजात ने उस का हाथ पकड़ कर बैठा दिया, ‘‘बाहर से मंगवा लेता हूं. बैठो न, अच्छा लगता है तुम्हारे साथ थौट्स शेयर करना.’’

मिहिका रुक गई. पारिजात की इस मनुहार भरे स्पर्श से उस के मन के मंजीरें खनकने लगीं, तन के सितार के तार में झांकार सी होने लगी.

पारिजात तो मिहिका को रोकना भर चाहता था. इस स्पर्श से उस के बदन में तरंगें उठने लगेंगी ऐसा तो उस ने सोचा भी न था. जैसे ठहरे हुए शांत पानी में सहसा कोई कंकड़ गिर गया हो. इन लहरों से पारिजात के मन में मची हलचल को केवल वही महसूस कर सकता था. उस का तन बारबार उस स्पर्श को दोहराने की जिद पर अड़े जा रहा था.

खाना खाने के बाद मिहिका नाइटी पहन कर आ गई. नैट के उस उजले परिधान में उस का गौरवर्ण शीशे सा दमक रहा था.

उसे देख पारिजात बोल उठा, ‘‘मिहिका, अपने नाम का अर्थ जानती हो न? ओस.

सचमुच तुम ओस सी पारदर्शी और उज्ज्वल हो. कोमल इतनी कि उड़ कर कहीं भी चली जाओ और जहां ठहर जाओ वहां सबकुछ निर्मल शीतल हो जाए. जो तुम को पा कर भी मलिन है उस ने कभी महसूसा ही नहीं ओस को, शायद जीभर  देख भी लेता तो निहाल हो जाता. मैं तो ख्वाब में भी तुम्हें छू लेता हूं तो ओस से भीग जाता हूं. सच कह रहा हूं मिहिका.’’

मिहिका जैसे सुधबुध खो बैठी थी. धीमे स्वर में बोली, ‘‘आप मेरी इतनी तारीफ न कीजिए, मेरे जज्बात बेतहाशा भाग रहे हैं. मर्यादा मुझा से लगातार सवाल कर रही है, रोकना चाह रही हूं खुद को खुद मैं, लेकिन मैं तो जैसे छूट कर भाग रही हूं आप के पास.’’

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पारिजात मिहिका के समीप आ गया. अपनी हथेलियां उस के गालों पर टिकाते हुए बोला, ‘‘ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम भी मुझा से प्रेम करने लगी हो.’’

‘‘जो भावनाएं मुझे अपने वश में कर रही हैं, ऐसी तो कभी थीं ही नहीं मुझा में. मैं सचमुच प्रेम में हूं, लेकिन यह प्रेम अपने साथ देह को यों उन्मादी बना रहा है?’’ मिहिका अधखुली आंखों से पारिजात की ओर देखते हुए बोली.

‘‘क्योंकि प्रेम में उठती तरंगें बिना स्पर्श के शांत नहीं होतीं. प्रेम के साथ देह का नाता जुड़ा हुआ है.’’

‘‘मेरे तन का रेशारेशा आज तुम्हें पाने को व्याकुल है,’’ पारिजात धीरे से अपने होंठ उस के कान से सटा कर बोला.

‘‘लेकिन मुझे बारबार मेरा प्रतिरूप रोक रहा है, कह रहा है मुझा से कि मैं किसी और की विवाहिता हूं.’’

‘‘ये नियम समाज ने बनाए हैं प्रेम ने नहीं. प्रेम तो कहता है कि स्त्री का मन जिसे पहली बार अपनी इच्छा से सर्वस्व सौंप देना चाहता है वही वर होता है उस का.’’

पारिजात का निश्छल, निर्मल व निस्पृह रूप तो मिहिका के मन को कब से बांधे हुए था. उस रूप को सराहते हुए उस का विवाहित होना कभी आड़े नहीं आया. आज उस का रितम प्रेमी सा स्वरूप मिहिका के व्यक्तित्व पर बुरी तरह छा रहा था, जिस में खो जाना चाहती थी वह. आत्ममंथन कर उसे अब फैसला करना ही था कि पारिजात के कौन से स्वरूप से नाता जोड़ना है उसे?

पारिजात पर इश्क की खुमारी बढ़ रही थी. मिहिका को हौले से जकड़ कर बोला, ‘‘पारिजात का मतलब पता है न मिहिका? पारिजात के फूल को हरसिंगार भी कहते हैं. शीत ऋतु में ही खिलता है यह फूल और ओस भी तो सर्द मौसम में ही पड़ती है न… परिजात खिल रहा है, ओस की चाह है उसे, बिखर जाओ न आज मुझा पर ओस की तरह.’’

‘‘पारिजात का फूल तो 2 रंग समेटे होता है. सफेद पंखुडि़यां और बीच में नारंगी- कहां ठहरे यह ओस बताओ न?’’ मिहिका के नर्म अधरों से शब्द गुलाब की पंखुडि़यों से झाड़ रहे थे.

‘‘जब ओस पारिजात की सफेद पंखुडि़यों पर गिरती है, तो अधिक देर टिक नहीं पाती, गिर जाती है आसपास कहीं. तुम ने ही तो कहा था न कि प्लैटोनिक लव की उम्र लंबी नहीं होती. पारिजात का नारंगी रंग ओस को गिरते ही थाम लेता है. फिर दोनों का वजूद एक हो जाता है, कोई जुदा नहीं कर सकता उन को. पारिजात आज कह रहा है कि ओस तुम मुझा में लीन हो कर नारंगी हो जाओ न,’’ पारिजात मिहिका में डूबा जा रहा था.

‘‘तो मुझे गिरने मत देना अब. दुनिया की नजरों में और मेरी अपनी खुद की निगाह में भी,’’ कह मिहिका पारिजात के सीने में से

लग गई.

उस रात दोनों के बीच एक नए संबंध ने जन्म लिया था, दोस्त से ज्यादा, प्रियप्रियेसी

संबंध से गूढ़, पतिपत्नी के सप्तपदी बंधन से मुक्त अनदेखाअनसुनाअनमोल सा रिश्ता.

आसमान में छाई मंदमंद लालिमा जब सूर्योदय का संकेत दे रही थी तो दोनों उनींदी आंखों में रात की खुमारी लिए एकदूसरे को स्नेह से ताक रहे थे.

‘‘दैहिक भूख मिटाने का नहीं, हमारे प्रेम का विस्तार होगा यह संबंध, मैं बारबार जीना चाहूंगा इसे, तुम्हें थामे हुए.’’

‘‘मुझे इस रिश्ते से कोई शिकायत नहीं, तुम पर अटूट विश्वास है, लेकिन प्रेम और देह का यह संबंध जानने के बाद मैं अचल का अपने तन पर प्रहार अब सह नहीं पाऊंगी,’’ आज मिहिका के अंदर एक नई स्त्री जन्म ले रही थी.

‘‘मैं ने तुम संग एक रात में उस अनाम संबंध को जी लिया, जहां मर्यादा की जंजीर हमें बांध नहीं पाई और वर्जनाएं एक होने से रोक न सकीं हमें. अब इस रिश्ते को तुम कोई नाम देना चाहती हो तो मैं साथ हूं. अचल को बहुत समझाया मैं ने. अपने मद में मस्त अब तो वह कुछ सुनना ही नहीं चाहता. तुम उस से रिश्ता तोड़ना चाहती हो तो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा.’’

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‘‘हां, मैं कानूनन अलग होना चाहती हूं उस से. पारिजात में समा कर ओस नारंगी हो जाना चाहती हैद हमेशा के लिए.’’

Serial Story: तुम नारंगी हो जाओ न ओस (भाग-4)

‘‘यदि पतिपत्नी भी प्रेमीप्रेमिका की तरह एकदूसरे को अपना सबकुछ मान लें, प्रेमांध हो कर निगाहें एकदूजे पर टंगी रहें तो विवाह का दूसरा नाम प्रेम होगा, पर इस के लिए पति की आस्था और समर्पण भी तो जरूरी है न मिहिका.’’

‘‘तो मैं क्या करूं? किसी को कैसे बदलूं?’’ मिहिका ने उसांस भरते हुए पूछा.

‘‘बदलना तुम्हें है. अपनी खुशियां वहां ढूंढ़ो जहां मिलें. अपने प्यार को यों व्यर्थ बहने दे रही हो? किसी बंजर में हरियाली क्यों नहीं करतीं? कुछ और नहीं तो औफिस वालों से हंसीमाजक कर मन बहलाया करो न अपना. पता है तुम्हारी चर्चा यहां के मेल स्टाफ में चलती रहती है. लोग कहते हैं तुम मैरिड ही नहीं लगतीं. तुम्हारी सुंदरता का सिर्फ मैं ही नहीं पूरा स्टाफ कायल है.’’

पारिजात की शरारत भरी बातें सुन उदास मिहिका की हंसी छूट गई, ‘‘आप भी तो कितने हैंडसम हैं, चर्चे तो आप के भी खूब होते होंगे. शादी नहीं करना चाहते ठीक है, लेकिन क्या कभी किसी से प्यार भी नहीं हुआ?’’ मिहिका ने भी नटखट अंदाज में पूछ लिया.

पारिजात कुछ सोचता सा गंभीर हो गया, ‘‘कई दिनों से अपने बारे में कुछ बताना चाहता था तुम्हें,’’ कह कर वह कुछ देर चुप हो गया जैसे अपनी बात कहने के लिए शब्द ढूंढ़ रहा हो. फिर बोला, ‘‘हुआ था प्यार, स्विट्जरलैंड में एक लड़की से. कुछ दिनों तक मेरे साथ रही थी मेरे घर पर. फिर एक दिन अचानक दोपहर में मैं घर आया. तो घर पर सन्नाटा था. मैं ने सोचा वह सो रही है.

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‘‘डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोल कर घुसा तो पाया कि वह अपने एक दोस्त के साथ हमबिस्तर थी. मेरा डिवोशन कराह उठा, लौयल्टी लहूलुहान हो गई. वह संबंध तोड़ दिया मैं ने. कुछ महीने लगे संभलने में मुझे. फिर सोचा कि फिजिकल नीड तो पूरी करनी होगी. दूसरा रिश्ता बना एक शादीशुदा स्त्री संग.

‘‘वह भी मेरी तरह केवल देह का रिश्ता चाहती थी. बहुत जल्दी खत्म हो गया यह रिश्ता भी. मैं ने ही अपने को अलग कर लिया था इस रिश्ते से. इस के बाद मैं नहीं बढ़ सका ऐसे रिश्तों में आगे.

‘‘ये दोनों घटनाएं मेरे स्विट्जरलैंड पहुंचने के बाद 6 महीनों के भीतर ही घट गई थीं. मुझे एहसास होने लगा था कि तन भोग चाहता है, लेकिन मन समर्पण और विश्वास. इस से बढ़ कर मैं ने यह भी महसूस किया कि बिना प्रेम के बनाए गए शारीरिक संबंध जानवरों की तरह हैं.’’

‘‘तो इसलिए ही आप शादी नहीं करना चाहते शायद. दोनों के बीच प्रेम पनपेगा या नहीं इस पर संदेह है आप को. जितना मैं ने समझा है आप रिश्तों का महत्त्व समझाते हैं, भावनाओं की कद्र है आप को, प्यार देना और पाना जानते हैं आप… तो करनी चाहिए शादी आप को.’’

पारिजात ने अचानक कार के ब्रेक लगा दिए. हलका सा झाटका लगा दोनों को. पारिजात बोला, ‘‘पता है तुम ने अभी मुझे जो कहा न, उसे सुन कर ऐसा ही झाटका लगा मुझे. क्या सचमुच मैं प्यार देना और पाना जानता हूं? मिहिका, तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिलीं?’’

कुछ देर तक खामोशी से बैठे सुकून भरे लमहों को जीते रहे दोनों. मिहिका का

घर आया तो दोनों ने मंदमंद मुसकराते हुए ‘बाय’ कह कर विदा ले ली.

घर पहुंच कर मिहिका रोज की तरह चाय बना कर बैडरूम में ले गई. अचल रोज की तरह आज टीवी देखने में व्यस्त नहीं था. चाय की चुसकी के साथ बात शुरू करते हुए बोला, ‘‘चलो तुम्हें आनेजाने की थकान से छुट्टी मिली, पारिजात भैया की कार का पूरा फायदा उठा रही हो. मुझे तो लोकल या बाहर के टूर से ही फुरसत नहीं मिलती. मजबूरी है, क्या किया जाए.’’

‘‘लेकिन उस दिन जब शाम को आप के साथ औफिस से राकेशजी आए थे तो वे कह रहे थे न कि जब स्टाफ के सभी लोग बाहर जाने को मना करते हैं तो आप उन की जगह जाने को तैयार हो जाते हैं.’’

‘‘मैं तो हमेशा झाठ बोलता हूं, दुनिया ही सच्ची है न?’’ आंखें तरेरते हुए अचल बोला.

मिहिका ने चुप रहने में ही भलाई समझा. जल्दीजल्दी चाय पी कर वह खाना बनाने चली गई.

किचन में रखे मोबाइल से नोटिफिकेशन का स्वर कानों में पड़ा तो मिहिका देख कर सकते में आ गई कि उस के बैंक खाते से क्व1 लाख निकल गए. दौड़ते हुए कमरे में जा कर अचल से घबराई सी बोली, ‘‘मेरे अकाउंट से किसी ने…’’

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‘‘अरे किसी ने क्या, मैं ने ही ट्रांसफर किए हैं पैसे अपनी नई सैके्रटरी गरिमा के नाम. नैस्ट वीक टूर पर मलयेशिया मेरे साथ जाएगी. कह रही थी कि टिकट के लिए एडवांस नहीं मिला औफिस से. वापस दे देगी तुम्हारे पैसे जब मिल जाएंगे उसे. वहां खर्च करने को भी नहीं हैं उस के पास. तनख्वाह बीमार सास के इलाज में चली जाती है उस की.’’

‘‘लेकिन आप को मुझा से पूछना तो चाहिए था पैसे निकालने से पहले? छोटी सी तो रकम जमा थी, सारा अकाउंट खाली हो गया. अभी मुझे दिन ही कितने हुए हैं नौकरी करते हुए,’’ कहते हुए मिहिका की आंखें भर आईं.

‘‘यह तुम्हारामेरा क्या कर रही हो? इतने दिनों से मेरा कमाया खा रही हो, मेरे पैसों से कपड़े, मौजमस्ती चल रही है. मैं ने आज पहली बार इस्तेमाल किए तुम्हारे पैसे तो आंखें दिखा रही हो?’’

‘‘लेकिन वह रकम तो आप गरिमा को…’’

‘‘चुप रहो बस,’’ मिहिका की बात बीच में काटते हुए अचल उठ कर उस के पास आ गया और धकेलते हुए बोला, ‘‘जा कर रसोई में अपना काम पूरा करो. मुझे भूख लगी है इस बात की जरा सी भी चिंता नहीं. बहस कर रही हो बेशर्मों की तरह.’’

मिहिका का मन किया कि अभी यहां से भाग जाए. सड़क पर दौड़े, चीखे, चिल्लाए, सब से कहे कि मैं हार गई हूं इस रिश्ते के खेल में, नहीं ढोया जाता यह पतिपत्नी का छद्म संबंध मुझा से. कम से कम तब मेरी पीड़ा सब के सामने तो होगी. इस स्थिति की तरह तो नहीं जीना होगा मुझे कि रोजरोज अपमान की आग में मोम सी पिघल रही हूं और दुनिया सोच रही है कोई जश्न चल रहा है, दोहरे जीवन से तंग आ चुकी हूं अब.

रात में बिस्तर पर अचल मिहिका के पास खिसकता हुआ आ गया.

मिहिका का दिमाग कुछ सोचने की स्थिति में नहीं था. ‘‘नींद आ रही है,’’ कहते हुए उस ने करवट बदल ली.

अचल उसे अपनी ओर खींचते हुए बोला, ‘‘बदन की प्यास बुझाने बाजारू औरत के पास जाऊं क्या?’’

निर्लज्जता से अपनी पिपासा शांत कर वह सो गया. मिहिका रातभर करवटें बदलती रही, लगा जैसे किसी ने जबरन उस की देह को निचोड़ दिया हो और वह लाचार घुट कर रह गई हो.

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अगले दिन औफिस में मिहिका उदास बैठी रही. बारबार रोना आ रहा था. शाम को वापसी के समय कार में बैठते ही पारिजात बोला, ‘‘कह दो जो मन में है. आज सारा दिन तुम्हें देख कर परेशान हो रहा था मैं.’’

मिहिका ने पिछली रात की सारी बातें बता दीं.

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Serial Story: तुम नारंगी हो जाओ न ओस (भाग-3)

‘‘मिहिका, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि विवाह की परिणति एक सुखद परिवार में हो, यही मान लिया गया है. विवाह का परिणाम 2 लोगों में प्रेम का पनपना तो कभी सोचता ही नहीं कोई. एक पुरुष अपने हिस्से का प्यार बाहर भी तलाश लेता है, लेकिन घर पर अपना साम्राज्य स्थापित करने से बाज नहीं आता. परिवार और संतान से जुड़ कर स्त्री को आजीवन यह दासता स्वीकार करने के लिए विवश होना पड़ता है.’’

‘‘न जाने आदमी आधिपत्य क्यों चाहता है? अपनी मनमानी करता है? अचल को भी मेरी किसी बात में न सुनना पसंद नहीं. औफिस में साथ काम करने वालियों से खूब दोस्ती है, लेकिन मेरा किसी आदमी से हंस कर बात करना बरदाश्त नहीं, जोे के लिए भी आप के कहने से मानना पड़ा या शायद इन दिनों बढ़ती महंगाई में अपनी सैलरी से मनचाहे खर्च नहीं कर पा रहे थे. मेरा बाहर निकलना तो अभी भी जी जलाता ही है इन का.’’

‘‘तुम्हारे हाथ का दर्द कैसा है?’’ पारिजात के सहसा पूछे गए इस प्रश्न से मिहिका अचकचा गई कि क्या पारिजात को मेरा अचल की बुराई करना नागवार गुजरा है या फिर…

मिहिका सोच ही रही थी कि पारिजात ने अगला सवाल खड़ा कर दिया, ‘‘क्या सचमुच तुम बाथरूम में फिसली थीं परसों? फिसलने से कलाई ऐसे तो नहीं मुड़ती.’’

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मिहिका ने छलछलाती आंखों को मूंद कर सिर झाका लिया. फिर

अपने को संयत कर बोली, ‘‘आप सही समझे, फिसली नहीं थी वाशरूम में. झाठ बोला था मैं ने आप से और औफिस में बाकी सब से भी.’’

‘‘इसी का नाम है न शादी? परसों तुम्हारे घर आया था. पहुंच कर बाहर ही खड़ा था कि अचल का स्वर कानों में पड़ा. तुम से कह रहा था कि किस का मैसेज पढ़ कर मुसकरा रही हो. तुम जवाब दिए बिना मैसेज पढ़ती रही होंगी शायद. फिर तुम्हारी दर्दभरी चीख सुनाई दी थी कि मेरी कलाई मुड़ गई. उस ने तुम्हारे हाथ से मोबाइल खींचा होगा, ऐसा मेरा अनुमान है. सच क्या है मिहिका?’’

मिहिका के गालों पर बहते आंसू सबकुछ कह गए.

‘‘शादी कर रिश्तों का ऐसा अंजाम हो यही तो नहीं चाहता मैं. पर ऐसा तो कब से होता आया है. औरत के लिए अपना पति ही सबकुछ होता है, लेकिन पति के लिए? क्या कहोगी जब एक रानी हो कर सीता को पति से परित्याग मिला, जो अपनी सुखसुविधाएं छोड़ 14 वर्ष के लिए पति के साथ वन में रहीं अपनी मरजी से. लक्ष्मण भी छोटे भाईर् का फर्ज निभाने चल दिए उन दोनों के पीछेपीछे. एक पति का फर्ज क्यों याद नहीं आया उन्हें? उर्मिला सी विरहिणी कौन होगी? पति के बिना महल का सुख चुभता रहा होगा न?’’

पारिजात लगातार बोल रहा था? ‘‘कहीं पढ़ी थी कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखी हुई कविता जो समर्पित थी सिद्धार्थ की पत्नी यशोधरा को. जब बुद्ध बनने चल दिए थे सिद्धार्थ बिना पत्नी को बताए, तब यही कहती होगी न यशोधरा ‘सखि वे मुझा से कह कर जाते…’ कितना दर्द भरा है इन चंद पंतियों में.’’

बातोंबातों में कब घर आ गया, दोनों को ही पता नहीं लगा. मिहिका उतरने लगी तो पारिजात बोला, ‘‘तुम उस दिन पूछ रही थीं न कि  आप को अचल की तरह ‘भैया’ कह कर बुलाऊं या औफिस वालों की तरह ‘सर’? तो इस का जवाब सुन कर उतरना.’’

मिहिका दरवाजा आधा खोले उत्तर की प्रतीक्षा में आंखें फैला कर पारिजात को देख रही थी.

‘‘तुम मुझा से बिना किसी संबोधन के बात किया करो. अच्छा लगता है मुझे कुछ न हो कर भी बहुत कुछ होना. मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया.’’

‘‘थैंक्स तो मुझे कहना चाहिए. कोई तो है जो मेरे दर्द को समझा सकता है. अच्छा, कल मिलेंगे,’’ कह कर वह चल तो दी, लेकिन उसे लग रहा था जैसे वह तो कहीं कार में ही छूट गई है, घर तो बस एक पत्नी जा रही है, एक बंधाबंधाया रिश्ता निभाने.

पारिजात अपने घर की ओर बढ़ा तो कार की खाली सीट पर एक

अदृश्य सा व्यक्तित्व दिख रहा था उसे. अपने पास बुलाता, अपने आकर्षण में बांधता हुआ ठीक मिहिका की तरह. घर पहुंचा तो वहां पसरा खालीपन सुर्ख रंगत लिए था आज.

कार्यालय में उन दोनों को घरेलू बातचीत के लिए अवसर कम ही मिलता था. सुबह आते समय भी औफिस के काम को ले कर बातचीत होती थी. घर लौटते हुए ही वे अपने विचार एकदूसरे के सामने रख पाते थे.

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‘‘तुम्हारी पर्सनल लाइफ से जुड़ा एक सवाल पूछूं?’’ उस दिन पारिजात ने मिहिका से कहा तो उस ने मुसकरा कर हामी में सिर हिला दिया.

‘‘कोई नन्ही जान नहीं आई तुम दोनों के जीवन में?’’

‘‘शादी के शुरू में अचल ने कहा था कि अभी वह अफोर्ड नहीं कर सकता. मैं उस के प्रत्येक निर्णय से सहमत थी.’’

‘‘तुम्हारा समर्पण दिखता था मुझे दो साल पहले भी.’’

पारिजात की बात सुन कर मिहिका के मन का बांध टूट गया. शब्द बहने लगे नदी की तरह, ‘‘मैं ने तो हमेशा चाहा कि अचल का मनचीता होने दूंगी. सोचा था कि अपना मन, अपनी इच्छाएं ताक पर रख उन की मनमानी पर निसार हो जाऊंगी तो उन के दिल की मलिका बन कर रहूंगी.

‘‘छन्न से दिल के टूटने की आवाज तब स्पष्ट सुनाई दी, जब एक दिन अपने किसी दोस्त और उस की पत्नी के सामने इन को मेरे लिए यह कहते पाया कि इस का अपना दिमाग तो है ही नहीं, जैसा मैं कहूं कर लेती है. मेरा प्रेम, मेरा त्याग अचल को मेरी कमजोरी लगता था. सुन कर मैं सन्न रह गई थी. सुनते ही किचन में उन उन सब के लिए चाय बनाते हुए प्याला हाथ से छूट गया. फर्श से टुकड़े उठाए तो लगा मेरे सुनहरे सपनों का चुभती किरचों में बिखराव हो चुका है. इन को मैं एकत्र तो कर सकती हूं पर जोड़ नहीं सकती.

उस दिन के बाद एक अलगाव सा हो गया मुझे अचल से. इस चुभन से बचने के लिए मां बनने की ख्वाहिश फिर से जब अचल के सामने रखी तो जवाब मिला कि जीवन का आनंद ले कर फिर जिम्मेदारी संभालने की सोचेंगे. जीवन का आनंद किस के साथ ले रहे हैं अचल? पत्नी को रोज रात 10 मिनट रौंदना कैसा आनंद है? प्रेम और विवाह का कोई संबंध नहीं? ऐसे कितने ही प्रश्न

मन में उठ गए हैं और जवाब न मिलने से बढ़ते ही जा रहे हैं.’’

आगे पढ़ें- पारिजात की शरारत भरी बातें सुन उदास मिहिका…

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Serial Story: तुम नारंगी हो जाओ न ओस (भाग-2)

‘‘मिहिका तुम्हें याद है अब तक?’’ मुसकराते हुए पारिजात बोला, ‘‘अचल, स्विट्जरलैंड में रहते हुए शायद ही कोई ऐसा दिन था जब मुझे पुदीनेअदरक की चाय याद नहीं आई हो. कम से कम एक वीक तक लगातार रोज आऊंगा चाय पीने, तभी मेरी तलब शांत होगी. थैंक यू मिहिका.’’

अचल खिसियानी हंसी हंस दिया. मिहिका के मन की सूखी रेत आज बहुत

दिनों बाद अचानक स्नेह के कतरे से नम हो गई. रात को सोने से पहले उस नम रेत पर हृदय स्पंदन बारबार एक नाम उकेर रहा था-पारिजात.

अचल की पीनेपिलाने और दोस्तों संग वक्त बिताने की आदत से पारिजात वाकिफ था, लेकिन उस का व्यवहार पत्नी के प्रति इतना शुष्क व कर्कश हो गया होगा ऐसा उस ने कभी नहीं सोचा था. अपने घर पहुंच कर आज का दृश्य उस की आंखों के सामने कौंधता रहा. ‘‘कैसा व्यवहार करता है अचल मिहिका के साथ. मैं ने तो इसे सदा हंसते हुए ही देखा था. अचल के साथ विवाह कर शायद भूल कर दी इस मिहिका ने, सोचते हुए पारिजात को नींद आ गई.

पारिजात के मन में उस दिन से मिहिका के प्रति सहानुभूति व स्नेह जाग उठा. मिहिका जब नई ब्याहता थी तब से वह देखता आ रहा था कि मिहिका अचल के प्रति कितनी समर्पित थी. इन दिनों 2-3 बार अचल के घर जाने के बाद पारिजात से मिहिका की घुटन छिप नहीं सकी. वह सोच रहा था कि यदि मिहिका चाहेगी तो वह उसे कहीं जौब दिलवा देगा. जल्द ही पारिजात को अपनी इच्छी पूरी करने का अवसर मिल गया. उस के इंस्टिट्यूट में डौक्यूमैंटेशन का काम देखने के लिए जो पोस्ट निकली वह मिहिका के सीवी से बिलकुल मैच करती थी.

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लाइब्रेरी साइंस में मास्टर्स डिगरी के साथ नैट की परीक्षा वालीफाई किए मिहिका जैसे स्टाफ की आवश्यकता थी वहां. पारिजात ने इस विषय में अचल व मिहिका से बात की और मिहिका ने अप्लाई कर दिया. इंटरव्यू हुआ और मिहिका को चुन लिया गया.

जौइन करने के बाद शुरूशुरू में मिहिका को थोड़ी तकलीफ जरूर हुई. सुबहसुबह घर का कामकाज, मैट्रो पकड़ने के लिए कसरत और पिछले कुछ वर्षों में अपने सब्जैट के टच में न होना. औफिस के काम की समस्या तो पारिजात के कारण सुलझा गई. उस ने एक लैपटौप इशू करवा दिया मिहिका के नाम पर. अब कोई प्रौब्लम आती तो मिहिका इंटरनैट की मदद से सुलझा लेती. अपने सब्जैट पर इन दिनों छपने वाले लेख भी पढ़ती रहती थी. एक मेड की मदद से घर के काम में आसानी होने लगी. तीसरी समस्या भी पारिजात ने सुलझा दी. अपनी पुरानी, जंग लगी कार कबाड़ी को दे कर पारिजात ने नई कार खरीद ली. मिहिका को मैट्रो के सफर से छुट्टी मिली और प्रतिदिन वह पारिजात के साथ ही आनेजाने लगी.

कार्यालय में मिहिका पूरी लग्न से अपने कार्य में जुटी रहती थी. पारिजात प्रसन्न था कि मिहिका को रिकमैंड कर उस ने कोई गलती नहीं की. मिहिका का लावण्य न चाहते हुए भी उसे चुपके से छू जाता था.

उधर अचल के अभद्र व्यवहार से क्षुब्ध मिहिका के अंदर एक किशोरी जाग

रही थी जो प्रेम की चाहना रखती थी, किसी के कंधे पर सिर टिका कर अपने को भूल जाना चाहती थी, रिश्तेनातों के बंधन को नकार देना चाहती थी, लेकिन उस के भीतर बैठी एक परिपक्व स्त्री यह जानती थी कि एक विवाहिता के लिए ये सब सोचना भी वर्जित है.

पारिजात को धीरेधीरे यह एहसास होने लगा कि मिहिका न केवल सुंदरता और तीक्ष्ण बुद्धि की स्वामिनी है वरन उस के विचार भी बहुत सुलझे हुए हैं, पारिजात जैसे दार्शनिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को उस का साथ भाने लगा था. दोनों  की मानवीय संवेदनाओं व मूल्यों को ले कर अकसर बातचीत होती रहती है.

‘‘क्या तुम्हें लगता है कि प्लैटोनिक लव जैसा कुछ होता है?’’ ड्राइव करते हुए एक दिन सहसा पारिजात अपने पास बैठी मिहिका से पूछ बैठा.

‘‘हो सकता है, लेकिन उस की उम्र ज्यादा नहीं होती होगी.’’

‘‘क्यों?’’

यद्यपि पारिजात के क्यों में प्रश्न का नहीं सहमति का भाव था, फिर भी मिहिका बोल पड़ी, ‘‘आप क्या समझेंगे ये बातें? आप तो ऐसे रिश्तों से बचते हैं न? तभी तो शादी नहीं की अब तक. है न?’’

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‘‘तो तुम्हें लगता है कि शादी कर लेने से ये बातें समझा जाता कोई इंसान?’’ मिहिका की ओर भरपूर नजर डालते हुए पारिजात ने पूछ लिया.

मिहिका अपने ही सवाल में उलझा गई.

पारिजात मुसकराते हुए बोला, ‘‘क्या सोचने लगीं? अच्छा कोई और बात करते हैं. पता है जब मैं ने पहली बार तुम्हें देखा था तो क्या सोचा था?’’

‘‘क्या?’’ मिहिका की आंखों में अजब सी जिज्ञासा थी.

‘‘मैं तब खुद से कह रहा था कि अपने छोटे भाई हिमांशु के लिए लड़कियां ढूंढ़ते समय मेरे जेहन में जो तसवीर थी वह हूबहू मिहिका से मिलती थी. मैं गलत नहीं था. तुम में वह सबकुछ है जो किसी लड़के मेरा मतलब अच्छे पति को चाहिए.’’

मिहिका ने कभी नहीं सोचा था कि पारिजात ऐसी बात कह सकता है. उस का मन चाह रहा था कि पारिजात उस के लिए कुछ और कहे, थोड़ी और प्रशंसा कर दे उस की. कुछ देर प्रतीक्षा के बाद मिहिका ने अपने मन की बात जानने के लिए उस से ही प्रश्न कर दिया, ‘‘आप लड़कियों को ले कर इतनी समझा रखते हैं तो अब तक किसी को चुना क्यों नहीं अपने लिए? शादी क्यों नहीं की अब तक?’’

‘‘मैं एक इमोशनल पर्सन हूं, प्यार की कद्र करता हूं, रस्म के नाम पर किसी पिंजरे में कैद नहीं होना चाहता. रिश्तों को ढोना नहीं चाहता मैं,’’ कह कर पारिजात चुप हो गया, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत कुछ कहना चाहता है.

‘‘पुरुष कब होता है किसी पिंजरे में कैद? यह पिंजरा तो औरत के लिए है जहां कैद हो कर वह ताउम्र अपना वजूद तलाशती है, आकाश को देख सकती है पर उड़ नहीं सकती,’’ मिहिका ठंडी आह भरते हुए बोली.

‘‘मैं किसी को कैद भी नहीं कर सकता…’’ कह कर पारिजात ने चुप्पी ओढ़ ली.

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मिहिका के मन में विचारों और सवालों की उथलपुथल चल रही थी. कुछ देर बाद बोली, ‘‘प्यार, इश्क, प्रेम… शब्द कुछ भी हों, लेकिन सब के सब अर्थहीन हैं. विवाह से पहले लगता है जैसे बहुत चमक है इन में, आंखों को चकाचौंध करता तिलिस्मी सा उजाला… शादी हुई कि प्रेम की परिभाषा अंधेरे में तलाशी जाने लगती है. रात का संबंध प्यार कहलाने लगता है.’’

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Serial Story: तुम नारंगी हो जाओ न ओस (भाग-1)

‘‘कलरात को खाना ज्यादा बना लेना,’’ अचल ने कहा तो मिहिका ने सोचा कि पूछ ले कि कितने दोस्त आ रहे हैं. मगर फिर यह सोच कर चुप रही कि अचल के मूड का क्या भरोसा? मन चाहा तो जवाब दे देगा वरना ‘तुम्हें क्या लेनादेना जितना कहा है करो’ कह कर अपमानित कर देगा.

अचल प्राय: अपने मित्रों को खाने पर बुलाता रहता था. उन शामों में वाइन का दौर चलता, हंसीमजाक और पत्नियों पर बनाए गए बेहूदा चुटकुले सुनेसुनाए जाते. यों तो अचल को मिहिका का अकेले कहीं भी आनाजाना, किसी पुरुष से हंस कर बात करना पसंद न था, लेकिन अपने मित्रों के लिए मिहिका को घंटों खाना बनाते देखना उस के अहम को संतुष्ट करता था.

मिहिका का आए हुए मित्रों के हंसीमजाक को अनसुना करते हुए सिर झाकाए खाना परोसना और देर रात उन के जाने तक जागते रहना मित्र मंडली में अचल का सीना अहंकार से चौड़ा कर देता था.

‘कभी तो पत्नी का दुखदर्द समझेगा, उस के साथ को दोस्तों सा पसंद करेगा’ सोच कर चुपचाप अचल की निरंकुशता सहती रहती थी मिहिका. प्रतिदिन की तरह ही सोते समय आज अचल जब कुछ मिनटों के लिए एक खुशमिजाज पति में तबदील हो गया तो मिहिका ने पूछ ही लिया, ‘‘कितने लोगों का खाना बनाना है कल शाम?’’

‘‘पारिजात भैया लौट रहे हैं स्विट्जरलैंड से. कल का डिनर हमारे घर पर ही होगा उन का,’’ अचल ने बताया.

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पारिजात का नाम मिहिका के मन को उल्लसित कर गया. अचल के मित्र हिमांशु से 5 वर्ष बड़ा उस का भाई पारिजात मिहिका का कुछ नहीं लगता था, फिर भी कुछकुछ अपना सा लगता था उसे.

पारिजात के नाम का जिक्र हुआ तो 3 वर्ष पूर्व के दिनों में खो गई मिहिका, जब उस का अचल से विवाह हुआ था. विवाह के बाद तब पारिजात के लिए मिहिका के मन में अलग सा स्थान बन गया था, जब मिहिका का स्वागत पारिजात ने यह कहते हुए किया था कि अचल की मुझे कोई चिंता नहीं रहेगी अब. तुम सी खूबसूरत, पढ़ीलिखी समझादार पत्नी जो मिल गई है उसे.

यों भी पारिजात सुदर्शन, सहृदय और सुलझे व्यतित्त्व का स्वामी होने के साथसाथ प्रतिभावान भी था. हिमांशु जब बीएससी कर रहा था तभी एक दुर्घटना में उस के मातापिता चल बसे थे. उस समय पारिजात का एक रिसर्र्च इंस्टिट्यूट में असिस्टैंट डाइरैटर की पोस्ट पर चयन हुआ था. हिमांशु को मातापिता का स्नेह देते हुए पारिजात ने पढ़ालिखा कर इंजीनियर बनाया और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्लेसमैंट होने पर कई लड़कियां देखने के बाद हिमांशु की हां होने पर उस का विवाह करवाया था.

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अचल पर भी पारिजात के कई उपकार थे. पारिजात ने उस की लिखनेपढ़ने में बहुत मदद की थी. इतना ही नहीं मिहिका के विवाह से कुछ वर्ष पूर्व जब अचल की विधवा मां कैंसर से पीडि़त हो अस्पताल में अंतिम दिन गिन रही थीं, तब पारिजात प्रतिदिन उन के पास जा कर बैठता, बातें कर उन का दिल बहलाता और कभीकभी रात में भी वहां ठहर जाता था. अचल की मां का देहांत हुआ तो अचल की बहन का अपने एक मित्र से रिश्ता तय करवा कर अचल का बोझा भी हलका कर दिया था पारिजात ने. यह बात अलग है कि दूसरों की जोडि़यां बनाने वाले पारिजात ने अपने लिए अविवाहित रहने का रास्ता चुना था.

अचल का विवाह हुआ ही था कि उस का मित्र हिमांशु अपनी पत्नी को ले कर आस्ट्रेलिया चला गया, लेकिन अचल के पास पारिजात का आनाजाना पहले की तरह ही चलता रहा. पारिजात जब भी आता था तो मिहिका का मन होता कि वह भी उन दोनों के साथ ही बैठी रहे. पारिजात की बातें सुनते हुए बहुत कुछ सीखने को मिल जाता था. बातों ही बातों में पारिजात उन की समस्याएं जान जाता व सुलझाने का पूरा प्रयास करता.

मिहिका उन दिनों अचल के देर रात तक घर लौटने से बहुत परेशान हो जाती थी. छुट्टी के दिन भी यारदोस्त डेरा जमाए रहते थे उस के घर पर. मिहिका अचल के साथ समय बिताने को तरस जाती थी. पारिजात ने न जाने कैसे मिहिका के मन को पढ़ लिया था. अचल को समझाते हुए कहता कि रात को वह घर देर से आना छोड़ दे. मिहिका के कानों ने कई बार पारिजात को अचल से यह कहते सुना था कि सारा दिन वह तुम्हारे इंतजार में काट देती है और संडे को भी तुम उसे किचन में लगा देते हो. पतिपत्नी का यही समय अपना होता है. बाद में बच्चे, घरगृहस्थी, ढेरों जिम्मेदारियां. जी लो अचल, इन सालों को मिहिका के साथ. कितनी खूबसूरत बीवी पाई है तुम ने.’’ लेकिन पारिजात के इतना समझाने पर भी अचल की आदतें नहीं बदल रही थीं.

अपने संस्थान के एक प्रोजैट में दिनरात परिश्रम करते हुए पारिजात को बहुत सराहना मिली और फिर निदेशक के पद पर प्रमोशन के साथ ही 2 वर्ष के लिए स्विट्जरलैंड जाने का औफर मिल गया था. आज उस के लौटने का समाचार सुन मिहिका उत्साह से भर उठी थी.

पारिजात की फ्लाइट का समय दोपहर 2 बजे का था. उस का घर अचल के घर से कुछ ही दूरी पर था. मिहिका ने अपने घर रखी डुप्लीकेट चाबी ले कर उस के घर की साफसफाई करवा दी, कुछ सामान ला कर रख दिया और गुलाब के ताजा फूल ला कर टेबल पर सजा दिए. एक मेड से पारिजात के घर का काम करने के लिए बात कर उस का मोबाइल नंबर अचल से कह कर पारिजात को व्हाट्सऐप करवा दिया.

अगले दिन दोपहर पारिजात जब अपने घर पहुंचा तो सब कुछ व्यवस्थित देख मन ही मन मिहिका को सराहे बिना नहीं रह सका. सायंकाल वह अचल व मिहिका से मिलने उन के घर जा पहुंचा. इन 2 वर्षों में उस में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं दे रहा था. कुछ देर साथ बैठने के बाद मिहिका चाय बना कर ले आई.

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चाय टेबल पर देख अचल मिहिका पर चिल्ला उठा, ‘‘तुम्हें कभी अकल नहीं आएगी. पारिजात भैया इतने दिन स्विट्जरलैंड में रह कर आए हैं, कौफी, जूस या सौफ्ट ड्रिंक ले कर आतीं न इन के लिए. सबकुछ मैं ही बताऊंगा?’’

‘‘मुझे याद है पहले भी ये जब आते थे मुझा से पुदीने और अदरक की चाय बनाने को कहते थे, इसलिए आज भी…’’ मिहिका ने मंद स्वर में उत्तर दिया.

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काम से वक्त निकालकर हनीमून पर पहुंचीं गौहर, वीडियो शेयर कर फैंस के साथ शेयर की खुशी

साल 2020 में शादी को लेकर सुर्खियों में रहीं बिग बौस 7 विनर  रह चुकी एक्ट्रेस गौहर खान इन दिनों हनीमून पर हैं. बीते दिनों शादी के तुरंत बाद गौहर शूटिंग के लिए लखनऊ के लिए निकली थीं, जिसके बाद अब छुट्टी मिलने पर वह पति जैद दरबार संग हनीमून पर निकल पड़ी हैं. आइए आपको दिखाते हैं गौहर खान के हनीमून की खास फोटोज…

डांस करते हुए नजर आई गौहर

इन दिनों उदयपुर में गौहर और ज़ैद दरबार हनीमून पर खूबसूरत फोटोज को फैन्स के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं. गौहर खान ने अपनी हनीमून की खुशी को फैंस के साथ शेयर किया है, जिसके चलते एक वीडियो शेयर में वह डांस करती हुए नजर आ रही हैं. वीडियो में गौहर साल 2008 में रिलीज हुई फिल्म ‘दोस्ताना’ के गाने ‘जाने क्यों’ पर शानदार स्टेप्स दिखाती नजर आ रही हैं. वहीं जैद ने भी लिखा है- फाइनली हमारा समय आ गया.

 

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जैद दरबार ने शेयर किए फोटोज

 

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जैद ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर भी कुछ तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं, जिसमें दोनों उदयपुर का मजा लेते दिख रहे हैं. होटल में शेयर की गई वीडियो और फोटोज में दोनों कपल बेहद खूबसूरत लग रहे हैं.

तांडव को लेकर सुर्खियों में हैं गौहर

 

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हाल ही में अमेजन पर रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव जहां सुर्खियों में हैं तो वहीं गौहर खान की दमदार एक्टिंग को लेकर सेलेब्स और फैंस उनकी तारीफ कर रहे हैं. इसी बीच सिद्धार्थ शुक्ला ने भी गौहर की तारीफ करते हुए वेब सीरीज की एक फोटो शेयर की थी, जो उनके वेब सीरीज के एक सीन की थी.

बता दें, गौहर खान के साथ तांडव वेब सीरीज ‘तांडव’ में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, जीशान अय्यूब, कृतिका कामरा और सुनिल ग्रोवर ने भी मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं.

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कपिल शर्मा से गुस्सा होने पर बोले सुनील ग्रोवर, पढ़ें खबर

कौमेडियन कपिल शर्मा अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. वहीं उनकी लड़ाइयां आज भी फैंस को याद हैं. दरअसल, ‘द कपिल शर्मा शो’ की जान रहे गुत्थी यानी सुनील ग्रोवर ने अपनी कपिल शर्मा से नाराजगी को लेकर कुछ बातें कही हैं, जिसके कारण कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर सुर्खियों में छा गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

नाराज होने को लेकर कही ये बात

दरअसल, तांडव फिल्म में अपनी एक्टिंग के लिए फैंस की तारीफ पा रहे सुनील ग्रोवर ने कपिल शर्मा को लेकर एक इंटरव्यू में कहा है कि वह कपिल से कभी नाराज नहीं रह सकते. सुनील ग्रोवर का कहना है कि वह इतने फनी हैं कि उनसे नाराज नहीं रहा जा सकता. इसी दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि उन्हें कपिल की कौन सी बात सबसे अधिक पसंद है, जिसपर कौमिडियन ने जवाब देते हुए कहा- उनकी हाजिरजवाबी.

 

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इस वजह से हुई थी लड़ाई

द कपिल शर्मा शो में साथ काम कर रहे सुनील ग्रोवर और कपिल शर्मा के बीच साल 2017 लड़ाई हो गई थी. वहीं खबरों की मानें तो कपिल शर्मा ने फ्लाइट में सुनील ग्रोवर के साथ बदसलूकी की थी, जिसके कारण दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. वहीं इस झगड़े का असर शो पर भी पड़ा था और सुनील ने कपिल का शो छोड़ दिया था. इसी के साथ सुनील के शो छोड़ने के बाद कपिल की पूरी टीम टूट गई थी.

बता दें, कपिल शर्मा इन दिनों सोनी टीवी पर अपना शो द कपिल शर्मा शो कर रहे हैं, जिसके कारण वह फैंस के बीच छाए हुए रहते हैं. वहीं इन दिनों खबरे हैं कि वह दोबारा पिता बनने वाले हैं. हालांकि इसे लेकर कपिल शर्मा की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नही की गई है.

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4 TIPS: फेस एसिड से पायें खूबसूरती

जब हम “एसिड” का नाम सुनते हैं तो डर लगने लगता है और सबसे पहले हमारे दिमाग में कैमिकल बर्न का ख्याल आता है क्यूंकि एसिड्स बहुत ही ख़तरनाक होते हैं. अपनी कोमल स्किन पर इनका प्रयोग करने के बारे में हम कल्पना में भी नहीं सोच सकते. लेकिन ऐसे भी कुछ एसिड्स होते हैं जो आपकी स्किन को निखारने का काम करते हैं. आज कल के मॉडल्स और एक्ट्रेसेस अपनी स्किन को पैंपर करने के लिए फेस एसिड का इस्तेमाल करती हैं. यहां तक के हमारे रोज़ाना क्रीम और मॉश्चराइजर में भी कुछ मात्रा में फेस एसिड्स पाए जाते है. यहां एसिड का मतलब तेजाब से नहीं बल्कि फल और अन्य खाद्य चीज़ों से उत्पादित होने वाले नेचरल एसिड का है.

अगर इन एसिड को मात्रा में सही ढंग से उपयोग किया जाए तो ये आपकी स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. आप अगर पिंपल, एक्ने, रिंकल्स, फाइन लाइन्स या फिर ऐज स्पॉट जैसी स्किन की समस्याओं से परेशान हैं तो फेस एसिड्स आपके चेहरे के लिए चमत्कारी साबित हो सकते हैं. ये सभी एसिड्स बाज़ार में सीरम के रूप में मिल जाते हैं और अपनी स्किन अनुसार आप इनका प्रयोग कर सकते हैं. किसी भी एसिड का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि आप धूप से बचाव करें और दिन में एस.पी.एफ का इस्तेमाल जरूर करें.

ये कुछ चार ऐसे एसिड्स हैं जिन्हें आप अपने चेहरे पर बिना झिझक के रोज़ाना इस्तेमाल कर सकते हैं:

1) कोजिक एसिड-

कोजीक एसिड चावल को फरमेंट करने वाले बैक्टीरिया में पाया जाता है. यह इंग्रीडिएंट एशिया के लगभग सभी स्किन केयर प्रोडक्ट में पाया जाता है. कोजिक एसिड मेलानिन के उत्पादन को रोकता है जिसके कारण इसके रोज़ाना इस्तेमाल से आपकी स्किन का रंग हल्का होता जाता है. चेहरे पर निखार लाने के साथ यह एसिड आपको हाइपर पिग्मेंटेशन और झाईयों से भी मुक्त करता है. सूरज के कारण अगर आपकी स्किन टैन हो गई है तो इसके इस्तेमाल से आप अपनी रंगत साफ कर सकते हैं.

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2) हेलुरोनिक एसिड-

ये एसिड स्किन को मॉइश्चराइज़ और प्लंप रखने में मदद करता है. स्किन में नमी बनाए रखने के लिए आप हेलुरोनिक एसिड युक्त सीरम के इस्तेमाल कर सकती हैं. उम्र के साथ साथ आपके स्किन में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला हेलुरोनिक एसिड धीरे धीरे कम होता जाता है. 40 साल की उम्र तक यह एसिड 50 फीसदी तक घट जाता है. इसके कारण आपकी स्किन बेजान और रूखी नज़र आती है. ऐसे में आप हेलुरोनिक एसिड युक्त क्रीम या सीरम का इस्तेमाल करके स्किन में नमी बढ़ाकर ग्लोइंग स्किन पा सकते हैं.

3) सैलिसिलिक एसिड-

“विलो” नामक वृक्ष की छाल से बनने वाला सैलिसिलिक एसिड स्किन को साफ रखने में उपयोगी माना जाता है. यह एक प्रकार का बीटा- हाइडॉक्सी- एसिड होता है जो स्किन के रोम छिद्रों में जाकर बेजान स्किन सेल्स, सीबम और बैक्टीरिया का सफाया करता है. ऑयली स्किन वालों को एक्ने और पिंपल्स की परेशानी बनी रहती है. ऐसे में इस एसिड का उपयोग करना आपकी स्किन के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. फेसवॉश या जेल के रूप में सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल किया जा सकता है.

4) लैक्टिक एसिड –

लैक्टिक एसिड सभी एसिड्स से अधिक सौम्य होता है. ये स्किन में पानी की कमी को पूरा करता है और स्किन की कोशिकाओं को हाइड्रेट रखता है. डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दही, चीज़, दूध में लैक्टिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. स्किन को निखारने और ऑयल कंट्रोल करने में लैक्टिक एसिड्स उपयोगी साबित होता है. यह स्किन को एक्सफोलिएट करके चिकना एवं कोमल बना देता है और फाइन लिंक्स एवं रिंकल्स जैसी समस्याओं को दूर करने में लाभदायक होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान लैक्टिक एसिड्स के प्रयोग से बचाव करना चाहिए.

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डॉक्टरी पर्चे और दवाई के पत्तों को जानें यहां

हम सभी को कभी न कभी डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन लेकर हम मेडिकल स्टोर पर जाते हैं और दवा लेना प्रारम्भ कर देते हैं. कई बार कुछ दवाइयां बच भी जाती हैं और हम उन्हें उठाकर रख देते हैं. घर में परिवार के किसी अन्य सदस्य को वैसी ही बीमारी होने पर हम वही दवा उसे भी दे देते हैं. या फिर प्रिस्क्रिप्शन देखकर अक्सर मेडिकल स्टोर से बिना सोचे बिचारे दवा खरीदकर खा लेते हैं.

कई बार असर उल्टा भी हो जाता है और लेने के देने पड़ जाते हैं. कुछ दवाइयां ऐसी होतीं हैं जिन्हें विशेष बीमारियों के लिए ही दिया जाता है और इनके पत्तों पर कुछ निशान बने होते हैं जिन पर हम कभी ध्यान ही नहीं देते. जब कि इन्हें जानना अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसी कोई भी दवाई आपके घर में है तो इन्हें लेने से पूर्व डॉक्टरी सलाह अवश्य लें.

-लाल रंग की लाइन

सभी एंटीबायोटिक दवाइयों पर साइड में लाल रंग की एक धारी होती है जिसका तात्पर्य होता है कि इन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना बेचा और खरीदा नहीं जा सकता. ये दवाइयां टी. वी.,मलेरिया, यूरिनरी इन्फेक्शन और एच आई वी जैसी गम्भीर बीमारियों में दी जातीं हैं. लाल धारी बने होने का उद्देश्य ही इनकी खुली बिक्री पर रोक लगाना है.

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-Rx(आर एक्स)

कुछ दवाइयों के नाम के सबसे ऊपर साइड में Rx लिखा होता है इसका मतलब है कि ऐसी दवाइयों का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही किया जा सकता है. इसे केवल वही खरीद सकता है जिसे डॉक्टर ने अपने पर्चे पर लिखकर दिया हो.

-NRx(एन आर एक्स)

यह भी दवाई के नाम के सबसे ऊपर ही लिखा होता है चूंकि ये नशीली दवाइयां होतीं है इन्हें केवल वही डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर लिख सकते हैं जिन्हें इन्हें लिखने का लाइसेंस प्राप्त हो और लाइसेंस धारी मेडिकल स्टोर ही बेच सकते हैं. मस्तिष्क सम्बन्धी और मिर्गी जैसी बीमारियां इसी केटेगिरी में आतीं हैं.

-XRx(एक्स आर एक्स)

इन्हें मेडिकल स्टोर से नहीं खरीदा जा सकता. ये केवल उन डॉक्टरों के पास होतीं हैं जिनके पास इनका लाइसेंस है. इसे डॉक्टर सीधे मरीज को दे सकते हैं. एनेस्थीसिया में दी जाने वाली दवाइयां इसी श्रेणी में आतीं हैं.

इसी प्रकार जब हम डॉक्टर को दिखाने जाते हैं तो डॉक्टर अपने प्रिस्क्रिप्शन पर दवाइयों के नाम के आगे कुछ कोड वर्ड लिखता है जो दवाइयों को लेने का तरीका बताता है परन्तु हम उस पर भी विशेष ध्यान नहीं देते. आमतौर पर मेडिकल स्टोर वाला दवाइयों को लेने का तरीका बताता तो है परन्तु कई बार उसकी भाषा समझ में नहीं आने या इंक फैल जाने पर हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है. तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ कोड वर्ड के बारे में-

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1-क्यू ओ डी (qOD)-एक दिन छोड़कर
2-क्यू एच(qH)-प्रति एक घण्टे पर
3-एस(S)-दूध या पानी के बिना
4-सी(C)-दूध या पानी के साथ
5-एस ओ एस(SOS)-आवश्यकता पड़ने पर
6-ए सी(A C)-भोजन से पहले
7-पी सी(P C)-भोजन के बाद
8-बी आई डी(BID)-दिन में दो बार
9-टी आई डी(TID)-दिन में तीन बार
10-क्यू आई डी(QID)-दिन में चार बार
11-ओ डी(OD)-दिन में एक बार
12-बी टी(BT)-सोते समय
13-बी बी एफ(BBF)-नाश्ते से पहले
14-बी डी(BD)-रात को भोजन से पहले
15-टी डब्ल्यू(Tw)-सप्ताह में दो बार
16-क्यू ए एम(QAM)-हर सुबह
17-क्यू पी(QP)-हर रात
18-क्यू 4एच(Q4H)-हर चार घण्टे में
19-एच एस(HS)-सोते समय
20-पी आर एन(PRN)-जरूरत के अनुसार
21-आर एक्स(Rx)-उपचार
22-क्यू(q)-प्रत्येक
23-क्यू डी(qD)-प्रतिदिन

क्या नौकर के बिना घर नहीं चल सकता

लेखिका-स्नेहा सिंह

सुजल और सुनंदा हमेशा खुश रहने वाले पति-पत्नी है.. इनके दो बच्चे हैं. एक दिन हमेशा खुश रहने वाला यह युगल दुखी और परेशान हो कर आपस में झगड़ रहा था. हर्ष और ग्रीष्मा, दोनों नौकरी करते हैं. इनका दो साल का एक बच्चा है. ये दोनों हमेशा तनावग्रस्त और चिड़चिड़े दिखाई देते हैं. इनका बच्चा भी इन्हें झगड़ते देख कर डरा-सहमा रहता है. अमी घर में रह कर अपना काम करती है. पर वह भी हमेशा परेशान रहती है. इन सभी की इस परेशनी की एक ही वजह है, कामवाला या कामवाली यानी नौकर या नौकरानी. अमी के यहां काम करने वाला नौकर अचानक जब उसका मन होता है, चला जाता है. वह अब तक न जाने कितनी बार घर में काम करने वालों को बदल चुकी है.

भारत के लगभग हर आदमी को इस बात का अनुभव है. खास कर शहरों में, जहां जीवन अत्यंत दौड-भाग वाला है. जिसकी वजह से बिना कामवाला या कामवाली के काम नहीं चलता. यह समस्या मात्र अमी, सुनंदा या ग्रीष्मा की ही नहीं है. हर उस नारी की है, जिसके यहां कामवाली या कामवाला आता है. जिस दिन घर का काम करने वाली नौकरानी या नौकर नहीं आता, उस दिन उनकी हालत एकदम खराब हो जाती है. यह एक ऐसी समस्याा है, जो लगभग सभी की है. आज के समय में हर जगह कामवाली का ऐसा बोलबाला हो गया है कि वह एक दिन न आए या कहीं बाहर चली जाए तो उसके बिना मालकिन तकलीफ में पड़ जाती हैं.

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घर में अंजान व्यक्तियों का प्रवेशः

घर में कामवाली या कामवाले के आने का मतलब घर में अंजान व्यक्ति के आने से आप अपनी आत्मीयता और आजादी गंवा बैठती हैं. आप उसकी उपस्थिति में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकतीं यानी कि कामवाली आपके समय के अनुसार नहीं चलेगी, आपको उसके समय के अनुसार समय को सेट कर के चलना होगा. क्योंकि वे काम करने के लिए आने-जाने का समय अपने हिसाब से तय करती हैं. इसलिए आपको अपने समय को उनके काम करने के समय से मैच कर के शिउ्यूल बनाना होगा. अगर आपको अचानक कहीं बाहर जाना हुआ तो अपना घर उसके भरोसे छोड़ कर जाना होगा. क्योकि वह अपनी फुरसत के हिसाब से ही आपके यहां काम करने आएगी. इस तरह घर का काम कराने वाले तमाम लोगों के अनुभव बताते हैं कि कामवाली की उपस्थिति एक अरुचिकर घूसखोरी के समान घटना है.

32 साल की रवीना एक रिटेल कंसलटेंट हैं. उनकी छह साल की एक बेटी है. वह पांच साल यूएसए में रह कर आई हैं. उनका कहना है कि यूएसए में तो वह अपने पति के साथ मिल कर घर के सारे काम करती थीं. वहां सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था. उसके बाद वे भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने घर के कामों में मदद के लिए एक कामवाला यानी नौकर रख लिया. परंतु कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि नौकर रखने से उनकी जिम्मेदारी घटने के बजाय अन्य तरह की नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं. उसमें अगर चौबीस घंटे का नौकर है तो किसी भी प्रकार की गोपनीयता नहीें रह जाती. अगर पति-पत्ल्ी मिल कर काम करते हैं तो उनके बीच आत्मीयता और प्रेम बढ़ता है. रवीना और उसके पति के बीच जो प्यार था, अब वह पहले जैसा नहीं रहा, ऊपर से नौकर की उपस्थिति तनाव का कारण बन गई है. अन्य एक गृहिणी का कहना है कि नौकर की पूरे दिन की हाजिरी से ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर कैमरा नजर रख रहा है. हम स्वतंत्र मन से कुछ कर नहीं सकते. एक अन्य गृहिणी का कहना है कि हमें टीवी देखने में भी परेशनी होती है. क्योंकि जब भी टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने के लिए सोचती हूं, कामवाली पहले ही आ कर टीवी के सामने बैठ जाती है या फिर टीवी चालू होने के बाद आा कर बैठ जाती है.

तमाम घरों में छोटे बच्चे केयरगिवर की डाह की वजह बन रहे हैं. पूरे दिन केयरगिवर के पास रहने की वजह से उनके मन में केयरगिवर के बीच संबंध का त्रिकोण बन जाता है. जिससे मां और केयरगिवर के बीच ईर्ष्या का भाव पैदा होता है. बड़े बच्चों को तो कामवाली की उपस्थ्तिि हमेशा खलल लगती है.

अलस्य आ सकता हैः

अक्सर गृहिणियां शिकायत करती हैं कि घर के काम में उनकी कोई मदद नहीं करता. वास्तव में कामवाली या नौकर होने के कारण घर का कोई आदमी मदद करने की जरूरत ही नहीं महसूस करता. यूएसए से आई रवीना के अनुभव के अनुसार, जब तक घर में नौकर नहीं था, सब लोब मिलजुल कर काम कर लेते थे. घर के ही लोग काम करते थे, इसलिए सारे काम अच्छी तरह होते थे. कुछ देखने या चेक करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नौकर के काम की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती, इसलिए मन में असंतोष पैदा होता है और दिल में कचोटता रहता है. जाने-अनजाने में मन में थोड़ा तनाव पैदा होता है.

जिन घरों में पूरे दिन नौकर रहता है, उस घर की महिलाएं आलसी हो जाती हैं. उनके मन मे आता है कि हम क्यों काम करें, काम करने के लिए नौकर तो रखा ही है. इस तरह मानसिक रूप से वे कोई काम करने को तैयार नहीं होतीं. परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक प्रवृत्ति घट जाती है. इसकी वजह से वे अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं. कोई काम करना नहीं होता, इसलिए तैयार हो कर घूमती रहती हैें. इसी के साथ बाहर के खान-पान से उनमें मोटापा आ जाता है. शारीरिक प्रवृत्ति घटने इंसान में स्थूलता आ जाती है और आदमी आलसी हो जाता है.

एक विशेषज्ञ के अनुसार, घर के काम करने से कैलरी भी अच्छी जलती है. वजन नियंत्रण में रहता है और मूड भी अच्छा रहता है. घर के काम करने से हर घंटे लगभग सौ से तीन सौ कैलरी जलती है. नौकर की आदी हो जाने के कारण हम उसके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. उनकी अनुपस्थिति से हमें घबराहट होने लगती है. जो आगे चल कर तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करती है.

बच्चों पर असरः

कामवाली की घर में लंबे समय तक उपस्थिति बच्चों के विकास और प्रगति में रुकावट बन सकती है. एक व्यवसायी मां का कहना है कि नौकर कितना भी जरूरी हो, वह कभी भी माता-पिता का विकल्प नहीं बन सकता. इसलिए मां-बाप कितना भी व्यस्त रहते होें, उन्हें एक निश्चित समय अपने बच्चे के साथ जरूर बिताना चाहिए. एक गृहिणी ने अपना अनुभव बताया कि उनका चार साल का बेटा आराम से सो रहा था. अचानक आधी रात को वह उठ कर रोने लगा. पूछने पर पता चला कि उन्होंने बच्चे के लिए जो आया रखी थी, वह बच्चे को डराती, धमकाती और मारती थी. जिससे वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करता था. दूसरी एक मां ने बताया कि जब उनकी आया शादी कर के ससुराल चली गई तो उन्हें अपने बच्चे की खूब चिंता हो रही थी, क्योंकि उनका बच्चा आया से खूब हिलामिला था. पर उन्होंने देखा कि आया के जाने के बाद उनका बच्चा काफी खुश दिखाई दे रहा था. अपना काम वह खुद ही करने लगा था. दरअसल हर समय आया की उपस्थिति की वजह से वह परावलंबी बन गया था. वह खुद अपने काम करने लगा तो उसका आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा था.

आया छुट्टी पर चली जाए या काम छोड़ कर चली जाए तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे समय में उन्हें संभालना पड़ता हैै. मां-बाप को बढ़ गई इस समस्या को दूर करने में खासी मेहनत करनी पड़ती है. एक मां ने आया के बजाय डे केयर सेंटर पसंद किया, क्योंकि जब आया काम छोड़ कर चली जाए तो उनका बच्चा परेशान हो जाता था. डे केयर सेंटर थोड़ा महंगे जरूर होते हैं, पर वहां इस तरह की कोई समस्या नहीं होती. जिससे मांएं निश्चिंत हो कर अपना काम कर सकती हैं.

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इलेक्ट्रानिक्स एप्लायंसिसः

वाशिंग मशीन, डिश वाशर और माइक्रोवेव ओवंस जैसे उपकरणों ने इंसान की जरूरत काफी घटा दी है. आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मदद से काम करने से इंसान का काफी समय बचने लगा है. एक गृहिणी अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए डे केयर सेंटर में छोड़ आती है. उतनी ही देर में वह घर के सारे काम निपटा लेती है. ओवन, वाशिंग मशीन, फूड प्रोसेसर आदि के होने के कारण वह अपने सारे काम खुद ही कर लेती है. उस गृहिणी को लगता है कि कामवाली के इंतजार और उसकी देखरेख में जो समय लगेगा, उतनी ही देर में सारे काम शांति से निपटाए जा सकते हैं. उसके पति भी उसे अकेली काम करते देख उसके काम में मदद करते हैं. उनके घर में कोई कामवाली नहीं आती, इसलिए पति उसके साथ काम कराने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें यह पसंद है. ऐसी महिलाओं को कामवाली का इंतजार करना, फिर वह आएगी या नहीं आएगी, यह भी एक सवाल बना रहता है, उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है, इसलिए जब से बाजार में हर तरह के उपकरण उपलब्ध हुए हैं, तब से कामवाली की अनिवार्यता काफी कम हो गई है.

घर के काम खुद करने से घर में हर सदस्य के मन में अपनेपन की भावना जागती है. साथ मिल कर काम करने से संबंध मतबूत होते हैं और घर भी स्वच्छ तथा व्यवस्थित रहता है.

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