समर फैशन के लिए परफेक्ट हैं South Actress रश्मिका मंदाना के ये लुक्स, देखें फोटोज

साउथ फिल्मों में अपनी एक्टिंग से धमाल मचाने वालीं एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) जल्द ही बौलीवुड में डेब्यू करने वाली है, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई हुई हैं. हालांकि हर कोई रश्मिका की एक्टिंग के अलावा इन दिनों उनके समर लुक्स सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. दरअसल, साड़ी से लेकर ड्रेसेस तक रश्मिका के हर लुक फैंस को पसंद आ रहे हैं. तो आइए आपको दिखाते हैं रश्मिका मंदाना के समर लुक, जिन्हें आप समर में ट्राय कर सकती हैं.

फ्रिल गाउन है परफेक्ट

समर फैशन की बात करें तो फ्रिल ड्रैसेस से लेकर साड़ी तक हर लुक ट्रैंडी होता है, जो हर कोई ट्राय करना चाहता है. रश्मिका का ये वाइट फ्रिल गाउन आपके लिए पार्टी परफेक्ट औप्शन है, जो आपके लुक को और भी खूबसूरत बना देगा.

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वाइट अनारकली है परफेक्ट

अगर आप इंडियन लुक समर के लिए ट्राय करना चाहती हैं तो रश्मिका मंदाना का क्रीम कलर अनारकली सूट आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ये समर कलेक्शन के लिए बेस्ट आउटफिट साबित हो सकता है, जो आपको गरमी से राहत देगा.

रफ्फल ड्रेस के साथ करें कुछ नया

फ्लावर प्रिंट समर हो या विंटर हर सीजन के लिए परफेक्ट रहता है. वहीं इस लुक के साथ दूसरा कौम्बिनेशन जोड़ कर ट्राय करें तो ये आपके लुक को ट्रैंडी बना सकता है. रफ्फल ड्रैस के साथ फ्लावर प्रिंट कौम्बिनेशन आपके लुक को और भी खूबसूरत बना सकता है.

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कौटन साड़ी करें ट्राय

समर कलेक्शन में कौटन सबसे अच्छा रहता है. कौटन की ड्रैस हो या साड़ी हर लुक गरमी से राहत दिलाता है. कौटन की साडी की बात करें तो रश्मिका मंदाना की ये प्लेन वाइट कौटन साड़ी के साथ यैलो कलर का औफशोल्डर ब्लाउज आपके लुक के लिए परफेक्ट है.

यैलो ड्रैस है समर परफेक्ट

समर कलेक्शन में यैलो कलर हर किसी का फेवरेट होता है. वहीं बौलीवुड एक्ट्रेसेस भी इस कलर के कई औप्शन ट्राय करती नजर आती है. रश्मिका मंदाना भी इस ट्रैंड को फौलो करती हुई यैलो कलर की औफ शोल्डर ड्रैस में नजर आईं, जो उनके लुक को खूबसूरत बना रहा है.

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फ्लावर प्रिंटेड औप्शन करें ट्राय

रश्मिका मंदाना के पास फ्लावर प्रिंटेड औपशन भी मौजूद हैं, जिन्हें आप समर में ट्राय कर सकती हैं, जो आपके लुक को और भी खूबसूरत बनाएगा.

गर्मियों में आपके घर को ठंडक देगें ये 5 खूबसूरत पौधे

गर्मियों में सुबह के 9-10 बजे से ही धूल भरी आंधी और लू चलने लगती है ऐसे में ग्रीन नेट या खस की चटाई भी गर्मी को घर में प्रवेश करने से रोक नहीं पाते. ए सी और कूलर को भी हर समय चलाकर नहीं रखा जा सकता. सबसे अच्छा है कि अपने घर को स्वाभाविक तरीके से ठंडा रखने का प्रयास किया जाए.

पेड़ पौधे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं घर में रखे ये पौधे जहां घर के सौंदर्य में तो चार चांद लगाते ही हैं साथ ही घर को ठंडक भी प्रदान करते हैं परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि घर के अंदर वे ही पौधे लगाए जाएं जो बिना धूप के भी जीवित रह सकें. जानकारी के अभाव में हम नर्सरी से अक्सर वे पौधे ले आते हैं जो घर के अंदर जीवित नहीं रह पाते. तो आइए आज हम आपको ऐसे पौधों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप घर के अंदर आराम से रख सकते हैं जो आपके घर को ठंडा रखने के साथ साथ सुंदर भी बनाएंगे.

1. बैम्बू प्लांट

घर के एंट्रेंस, लॉबी या ड्राइंग रूम कहीं पर भी आप इसे रख सकतीं हैं. यह तेज, कम या बिना धूप के भी बड़ी आसानी से पनप जाता है. यह बहुत सफाई पसन्द करता है इसलिए प्रति सप्ताह इसके पॉट को धोकर पानी अवश्य बदलना चाहिए. इसका कोई भी मेंटेनेंस नहीं होता. इसे बहुत अधिक छोटे पॉट की अपेक्षा मध्यम आकार के पॉट में लगाना उत्तम रहता है. आकार के अनुसार पॉट को बदलते रहना चाहिए.

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2. स्नैक प्लांट

अपना ध्यान खुद ही रखने वाला पौधा है ये. हल्के, गहरे रंग और विविध आकार में पाए जाने वाले ये पौधे देखने में तो सुंदर लगते ही हैं साथ ही घर को शुद्ध हवा और ठंडक भी प्रदान करते हैं. इनका नाममात्र का मेंटेनेंस है कि इन्हें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती.

3. रबर ट्री प्लांट

अगर आपके घर में बालकनी है तो आप इसे ले सकतीं हैं क्योंकि इसे अच्छी धूप की आवश्यकता होती है इसलिए घर के जिस कोने में सीधी अच्छी धूप आती हो इसे आप वहीं रखें. इसके चौड़े हरे रंग के पत्ते देखकर मन को शान्ति और सुकून का अहसास होता है. जब भी आपको इसकी मिट्टी की सतह सूखी दिखे तो पानी दें. पत्तों को साफ करने के लिए स्प्रे बॉटल का प्रयोग करें.

4. पाम प्लांट

यदि आपके घर में सूरज कीरोशनी का अभाव है तो आपके लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है. इसे बहुत कम रोशनी और पानी की आवश्यकता होती है. हल्की नमी वाली मिट्टी में भी यह बहुत अच्छी तरह पनप जाते हैं.

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5. मोन्स्टेरा प्लांट

बहुत ही कम धूप की चाहत रखने वाले ये पौधे बाथरूम के लिए बहुत उपयुक्त रहते है तो यदि आप अपने बाथरूम को स्वाभाविक लुक देना चाहते हैं तो इस पौधे का ही चयन करें. इसे बहुत कम नमी की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों को पानी से साफ करना ही पर्याप्त होता है.

पति या प्रेमी की दोस्त अगर महिला है तो

यह मानवीय प्रवत्ति है कि कोई भी स्त्री अपने बॉयफ्रेंड के साथ किसी दूसरी महिला को बर्दाश्त नहीं कर सकती है. लेकिन रिश्तों में खिचाव शायद इसी वजह से आने लगते हैं. जरूरी नहीं कि आपका बॉयफ्रेंड या जीवनसाथी वो सारी बातें आपसे शेयर करे जो एक्सपेक्ट करते हैं. वह अपने लाइफ में भी किसी दोस्त को बनाना चाहता है जिससे वह अपनी सारी बातें शेयर कर सके और समझ सके. लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वह आपसे दूरी बना रहा है या आपसे ऊब गया है. बस कुछ क्षण अपने लिए बिताना चाहता है. एक रिसर्च के मुताबिक  70% रिश्तों को ऐसी सिचुएशन का सामना करना पड़ता है.  जब पुरुष के पास 30% की तुलना में महिला ही अच्छी दोस्त बनती है किसी पुरूष के बजाए.

फिलहाल, यहां सवाल है कि अगर आपका बॉयफ्रेंड किसी अन्य महिला का सबसे अच्छा दोस्त है तो उस स्थिति में आप क्या करेंगी?

अपोजिट जेंडर पर महिलाओं को संदेह

सर्वे कहता है कि किसी पुरूष का अपने अपोजिट जेंडर से संबंध हैं या वह उसके घनिष्ट है तो लगभग 60% मामलों में ऐसे रिश्ते समाप्त हो जाते हैं. इसका कारण भी है क्योंकि महिला हो या पुरूष दोनो ही अपोजिट जेंडर को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. शोध में सामने आया है कि ऐसी स्थिति में 20% रिश्ते बर्बाद हो जाते हैं.रिश्तों में दरार इस हद तक पड़ जाती है कि इसे फिर से जोड़ा नहीं जा सकता है. 10% जोड़े ऐसे होते हैं जो ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं और आपसी तालमेल बनाकर चलते हैं.

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आपसी समझ जरूरी

शोध कहता है कि जहां आपसी समझ नहीं होती है दरार वहीं पड़ती है. ऐसे में अगर आपके बॉयफ्रेंड के पास कोई और महिला दोस्त है तो आपसी समझ इस तरह से अच्छी होनी चाहिए कि दूसरा कोई आपके रिश्तों को तोड़ने की कोशिश भी न कर सके.  अधीर बिल्कुल भी न बनें. अपने प्रेमी के साथ रोमांस करते रहें जिससे वह आपको छोड़ने की बात कभी जहन में भी न ला सके और आपका रिश्ता मजबूत बना रहे.

दोस्त को बनाएं दोस्त

जिससे आपको सबसे ज्यादा खतरा हो उसे आप अपना दोस्त बना लें क्योंकि यह सबसे अच्छा तरीका है किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने का.  अगर आपका जीवनसाथी किसी अन्य महिला को अपना बेस्ट फ्रेंड मानता है तो आप उस महिला को ही अपना दोस्त बना लो उसे चाय पर बुलाओ और उससे अपनी बात शेयर कर उसके राज जानें.

बॉयफ्रेंड से करें दोस्त जैसा व्यवहार

अगर आपका जीवनसाथी या बॉयफ्रेंड किसी को अपना दोस्त बनाता है और अपनी बाते आपसे शेयर करने के बजाए उससे शेयर करता है तो समझ जाएं कि उसके मन में आपके लिए थोड़ा बहुत डर बैठा हुआ है. डर आपको खोने का भी हो सकता है. झगड़े का भी हो सकता है, नासमझी का भी हो सकता है. इसलिए अपने रिश्तों में थोड़ा खुलापन दीजिए और अपने बॉयफ्रेंड से फ्रेंडली बिहैव कीजिए. चाहे वह महिला हो या पुरुष दोनों को ही आपसी समझ दिखानी होगी.

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अपने रिश्ते को सम्मान दें

अपनी दोस्ती का सम्मान करें. रिश्तों को मजबूती लाने के लिए जरूरी है कि एक-दूसरे प्रति सम्मान की भावना होना. अगर आपका बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड किसी अन्य अपोजिट जेंडर से बात करते हैं तो जलने के बजाए तालमेल बिठाएं. साथ ही सम्मान अगर आप उन्हें देंगे तो आप अपने कलीग के और भी ज्यादा करीब पहुंचेंगे. उसके दिल में आपके लिए पहले से भी ज्यादा प्यार पनपेगा. इसलिए जरूरी है इन सारी बातों को ध्यान में रखना. रिश्तों को फिर किसी उदाहरण की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी. रिश्तों में प्यार बहुत जरूरी है होना. छलावा कभी न करें. नहीं तो इसका खामियाजा भी आप ही को भुगतना पड़ सकता है.

दुनियादारी

Serial Story: दुनियादारी– भाग 1

ताऊजी के लिखे इस पत्र ने अनायास ही घर में खलबली मचा दी थी. मां का रोनाधोना शुरू हो गया था, ‘‘अब जा कर उन्हें सुध आई है. जब यह 12वीं पास हुई थी तब कितना कहा था उन से कि शहर में पढ़ा दो इस को. तब तो चुप लगा गए और अब जब लड़की के ब्याह का समय आया तो कहते हैं कि इसे शहर भेज दूं नौकरी करने. कोई जरूरत नहीं है, इस के भाग्य में जो लड़का होगा, वही इसे मिलेगा.’’

पापा ने शांत स्वर में कहा, ‘‘मैं ने ही उन को लिखा था कि शेफाली के लिए कोई अच्छा लड़का हो तो बताएं. उन्होंने यही तो लिखा है कि आजकल सब नौकरीशुदा लड़की को ही तरजीह देते हैं. इसलिए इसे सुनंदा के पास भेज दो. जब तक लड़का नहीं मिलता, कहीं कोई नौकरी कर लेगी.’’

‘‘तो क्या बेटी के ब्याह का दहेज बेटी की कमाई से ही जोड़ोगे? हमें नहीं भेजना है इसे शहर. अब तक जैसे निबाहा है, आगे भी निभ जाएगी. लेकिन जवान बेटी को इतनी दूर नहीं भेजूंगी. आएदिन कैसीकैसी खबरें आती रहती हैं. दिल्ली भेजने को मन नहीं मानता.’’

‘‘अरे, अकेले थोडे़ रहेगी. सुनंदा के यहां रहेगी.’’

‘‘बेटी दामाद पर बोझ बनेगी. क्या कहेंगे दामादजी.’’

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‘‘अरे, तो मैं ने थोड़ी उन से कहा था. यह भाई साहब का सुझाव है. कोई अच्छा लड़का मिल जाएगा तो इस के हाथ पीले कर देंगे. नहीं जंचा तो हाथ जोड़ कर माफी मांग लेंगे. अब इस मामले में ज्यादा बहस मत करो.’’

दूसरी तरफ उस पत्र ने शेफाली के युवा मन को स्वप्निल पंख दे दिए थे. उस ने भी मां को मनाना शुरू कर दिया, ‘‘मां, मुझे एक बार जाने दो न. कौन सा मैं नौकरी करने की सोच रही थी. लेकिन अगर मौका मिल रहा है तो हर्ज क्या है? अगर काम जंच गया तो तुम आ कर मेरे साथ रहना. हम अलग घर ले लेंगे. सोचो न मां, आगे छोटूबंटू के लिए भी नए रास्ते खुल जाएंगे.’’

रोतीबिसूरती मां मान गईं. शेफाली के जाने की तैयारी शुरू हो गई. आंसू भरी आंखों से विदाई देते हुए मां ने सावधानी से रहने की ढेरों हिदायतें दे डाली थीं.

ट्रेन की खिड़की से ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ का बोर्ड पढ़ते ही शेफाली के दिल की धड़कनें एक नई ताल में धड़क उठी थीं. उसे लेने सुनंदा दीदी के पति संदीप जीजाजी स्टेशन आए थे. बड़ा ही आकर्षक व्यक्तित्व था उन का. उस ने बढ़ कर पैर छूने चाहे तो उन्होंने बीच में ही रोक दिया. वह भी झिझक उठी. जब दीदी का विवाह हुआ था तब वह 8वीं में पढ़ती थी. लेकिन अब ग्रेजुएट हो गई थी.

स्टेशन से दीदी के घर तक का उस का सफर कितना रोमांचक और उत्सुकता से भरा था. वह अपने जीवन के इन सुखद क्षणों को सराहे बिना नहीं रह सकी, जिस ने उसे इतनी बड़ी कार में बैठने का मौका दिया था, अचानक एहसास हुआ कि इसी दुनिया में लोग इस तरह भी शान से जीते हैं.

खिड़की से बाहर झांकती शेफाली अपने देश की राजधानी के एकएक कोने के परिचय को आत्मसात करती जा रही थी. चौड़ी सड़कें, बडे़छोटे हर आकार के घर. बच्चों के खेलने के लिए जहांतहां बने पार्क. बढि़या होटल, सजीधजी दुकानें देख उस का मनमयूर नाच उठा. वह सोचने लगी कि यहां लड़कियां कितनी आजाद हैं. आराम से जींसपैंट, स्कर्ट और झलकता हुआ टौप पहन कर घूमती हैं. अपनेआप आटो रोक कर चढ़ जाती हैं. सब अपने में निश्ंिचत, बेधड़क घूम रही हैं. उसे आजादी का यह माहौल देख कर बहुत अच्छा लगा.

उस की सोच को विराम तब लगा जब जीजाजी ने जोर से हौर्न बजाया. गाड़ी एक बडे़ से फाटक के सामने रुकी थी. वरदी पहने एक चुस्त आदमी ने आ कर गेट खोला. पार्किंग में एकसाथ कई तरह की गाडि़यां खड़ी थीं. रंगबिरंगे कपड़ों में सजेसंवरे, दौड़ते बच्चों को खेलते देख कर उस ने अंदाजा लगाया कि यहां सब अमीर लोग रहते हैं.

जीजाजी का घर छठी मंजिल पर था. लिफ्ट से निकलते हुए पापा हड़बड़ा गए, ‘कहीं फंस गए तो इसी में रह जाएंगे,’ कह कर उन्होंने अपनी झेंप मिटाई थी. आमनेसामने कुल मिला कर 4 मकान थे. जीजाजी ने आगे बढ़ कर घंटी दबाई. घंटी दबाते ही एक मीठी फिल्मी धुन हवा में तैर गई.

हर घर के बाहर की सजावट वहां रहने वालों के कलात्मक शौक को दर्शा रही थी. दीदी के यहां दरवाजे के दोनों तरफ मिट्टी के बडे़बडे़ छेद वाले घडे़ रखे थे. मोटा मखमली पायदान, कतारों में लगे पौधे.

अंदर से किसी के आने की आहट हुई तो वह सहज हो गई. थोड़ी देर में दरवाजा खुला और एक अजनबी चेहरा नजर आया.

‘‘निर्मला, सामान उठाना,’’ कह कर जीजाजी भीतर चले गए थे.

‘‘मेमसाब बाथरूम में हैं,’’ कह कर निर्मला भी परदे के पीछे चली गई.

दोनों बापबेटी, सामने बिछे कालीन को पार कर, सोफे में धंस गए. घर किसी फिल्मी सेट की तरह सजा हुआ था. हर चीज इतनी कीमती कि दोनों कीमत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे. बड़ा सा टीवी, लेदर का सोफा, शीशे की गोल सेंटर टेबल, बढि़या कालीन, चमकदार भारी परदे. सजावट की अलमारी में रखी महंगीमहंगी चीजें, सुंदरसुंदर बरतन, अनेक प्रकार के कप और ग्लास, रंगबिरंगी मूर्तियां और सुनहरे फ्रेम में जड़ी बड़ीबड़ी पेंटिंग.

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अपने 2 कमरे वाले सरकारी घर को याद कर शेफाली सकुचा उठी थी. आंखों के सामने अपने घर की बेतरतीबी पसर गई. यहां आने से पहले वही घर शेफाली को कितना अच्छा लगता था. गृहप्रवेश वाले दिन सब की बधाइयां लेते हुए मां का कलेजा गर्व से कितना चौड़ा हो गया था. लेकिन कितना फर्क था इन 2 घरों की हैसियत में. ताऊजी के शहर आने से उन के परिवार के सदस्यों के रहनसहन के स्तर में कितना परिवर्तन आ गया था.

पल भर में ही निर्मला ट्रे में शीशे के चमचमाते गिलास में ठंडा पानी डाल कर ले आई. उस के बाद चाय और मिठाईनमकीन से सजी प्लेट रख गई. वह अपने काम में कुशल थी. अभी तक दीदी नहीं आईं. वक्त जैसे उन के इंतजार में रुक गया था. कितनी देर हो गई. वह तो जानती थीं कि आज हम आ रहे हैं फिर भी…जीजाजी भी अंदर जा कर गायब हो गए. ये भी कोई बात है. उस ने उकता कर पापा की तरफ देखा.

भतीजी के घर की शानोशौकत ने उन की आंखें फैला दी थीं. उन के चेहरे की खुशी और उत्कंठा के भाव बता रहे थे कि वह मां को सब बताने के लिए बेचैन हो रहे थे.

सच है, जिस लक्ष्मी को शेफाली के पापा ने सदा ज्ञान के आगे तुच्छ समझा था वही आज अपने भव्य रूप में उन्हें लुभा रही थी. सदा के संतोषीसुखी, पितापुत्री अपनी गरीबी को सोच कर आपस में ही संकुचित हो रहे थे.

‘‘अरे, चाय ठंडी हो रही है, लीजिए न चाचाजी.’’

मुसकुराती हुई, खुशबू बिखेरती हुई सुनंदा दीदी की मीठी आवाज गूंजी. कितनी गोरी, कितनी सुंदर, कितनी स्मार्ट लग रही थीं. उन्होंने आगे बढ़ कर पापा के पैर छुए.

पापा ने गद्गद कंठ से आशीर्वाद दिया.

शेफाली जैसे ही दीदी के पैर छूने को झुकी, उन्होंने उसे गले लगा लिया. उस के मन की सारी आशंकाएं खत्म हो गईं. वह सोच रही थी कि पहले से ही दर्पभरी दीदी इस वैभवऐश्वर्य को पा कर और घमंडी हो गई होंगी, लेकिन वह बदल गई हैं…यह भी नहीं सोचा कि रास्ते की गर्दधूल से सनी है मेरी देह. चाय पीते हुए दीदी ने सब का हाल पूछा. फिर उस का कमरा दिखाया.

‘‘बेटा, इतने प्यार से सुनंदा तुम को रख रही है, तुम भी उसे पूरा मानसम्मान देना. अच्छे से रहना. तुम्हारी मां सुनेगी तो खुश हो जाएगी. मुझे भी तसल्ली हुई कि तुम्हें यहां कोई कष्ट नहीं होगा.’’

भीतर से जीजाजी तैयार हो कर निकले. उन्हें आफिस जाना था. वह नाश्ता कर के विदा ले कर चले गए.

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‘‘आप लोग भी नहाधो लीजिए और नाश्ता कर के आराम कीजिए,’’ कह कर दीदी फोन पर व्यस्त हो गईं.

आगे पढ़ें- खाना खा कर पापा जा कर लेट गए. उन्हें…

Serial Story: दुनियादारी– भाग 2

खाना खा कर पापा जा कर लेट गए. उन्हें शाम की गाड़ी से लौटना था. उसे भी आराम करने को कह कर दीदी अपने कमरे में चली गईं.

शाम को दीदी ने पापा से कहा, ‘‘चाचाजी, मैं कुछ कपडे़ लाई थी, छोटूबंटू के लिए और चाचीजी के लिए साडि़यां. इन्हें रख लीजिए. मैं थोड़ा बाजार से आती हूं, फिर आप को स्टेशन छोड़ कर आफिस निकल जाऊंगी.’’

‘‘अभी शाम को आफिस, बिटिया,’’ पापा कहते हुए हिचके.

‘‘हां, चाचाजी, मैं एक काल सेंटर में नौकरी करती हूं. मेरे सारे क्लाइंट्स अमेरिकन हैं. अब भारत और अमेरिका में तो दिनरात का अंतर होता ही है. इसीलिए रात को नौकरी करनी पड़ती है. वैसे शिफ्ट बदलती रहती हैं. कंपनी सारी सुविधाएं देती है. आनेजाने के लिए कार पिकअप, खानापीना सब. सुबह 12 बजे मैं घर आ जाती हूं,’’ दीदी ने सहज हो कर जवाब दिया.

‘‘और दामादजी?’’

‘‘वह कंप्यूटर की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सिस्टम एनालिस्ट हैं. उन की ड्यूटी सुबह 10 से शाम 7 बजे तक होती है. वह 8 बजे शाम तक आएंगे. आप से भेंट नहीं हो पाएगी.’’

‘‘दीदी, आप अमेरिकियों से किस भाषा में बात करती हैं?’’ शेफाली ने जिज्ञासा जाहिर की.

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‘‘अमेरिकन इंग्लिश में, जिस की कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाती है,’’ दीदी ने मुसकरा कर कहा, ‘‘तुम भी सब सीख जाओगी. निर्मला, खाना जल्दी बना लेना. चाचाजी को जाना है.’’

‘‘घर की सारी व्यवस्था नौकरानी के हाथों में है. ऐसी नौकरी का क्या फायदा,’’ पापा बोले, ‘‘शेफाली, तुम ऐसी नौकरी मत करना, चाहे कितना भी पैसा मिले. हम लोग तो शहर के रहने वाले नहीं हैं. तुम्हारा ब्याहशादी सब बाकी है अभी, समझी न.’’

शेफाली ने हामी भरी, ‘‘आप बेफिक्र रहें, पापा.’’

पापा के जाने के बाद शेफाली ने निर्मला से पूछा, ‘‘मिंटी नजर नहीं आ रही है.’’

‘‘आज देर से आई है और तब आप सो रही थीं. अभी वह सो रही है.’’

निर्मला ने खाना बना कर टेबल पर रखा, फटाफट रसोई साफ की और बोली, ‘‘साहब आएंगे तो आप लोग खा लेना.’’

जीजाजी आते ही अपने कमरे में चले गए. वहां से टीवी चलने की आवाज आती रही. उस से उन्होंने बात भी नहीं की. वह अपनेआप को उपेक्षित महसूस करने लगी. रात को बिना खाए ही सो गई.

सुबह निर्मला के आने पर शेफाली की नींद टूटी. उस ने आते ही मिंटी का नाश्ता बनाया. फिर उसे उठाया, तैयार किया और 8 बजे स्कूल बस में चढ़ा आई. फिर जीजाजी के नाश्ते की तैयारी में लग गई. 10 बजे तक जीजाजी भी चले गए.

बेहद जल्दीजल्दी निर्मला काम निबटा रही थी. झाड़ ूपोंछा, बिस्तर झाड़ना, सोफे, परदे, खिड़की, दरवाजे, शोकेस सब की डस्ंिटग की. फिर फटाफट खाना बनाया. मशीन में कपड़े डाले. 12 बजे तक उस ने तमाम काम निबटा लिए, नहाधोकर शैंपू किए हुए बालों को फहराते हुए वह कपडे़ सुखाने लगी.

एकदम घड़ी की सुईयों से बंधा था निर्मला का एकएक काम. इतने काम में तो मां का सारा दिन निकल जाता है और फिर भी वह अस्तव्यस्त सी घूमती रहती हैं. मां ही क्या ज्यादातर औरतों का यही हाल है.

निर्मला का पति एक पब्लिक स्कूल में चौकीदार है. 7 साल की एक बेटी भी है, जो उसी स्कूल में पढ़ती है. घर में कूलर है, रंगीन टीवी है, टेप है. ये दीदी का घर संभालती है और इस का घर इस की सास संभालती है. आखिर निर्मला भी काम- काजी बहू है.

दरवाजे की घंटी ने मधुर स्वर छेड़ा, दीदी आ गईं. नींद से उन की आंखें लाल थीं. उन्होंने किसी तरह चाय के साथ एक टोस्ट निगला. ठंडे स्वर में उस का हाल पूछा और निर्मला को डिस्टर्ब न करने का निर्देश दे कर बेडरूम में चली गईं.

थोड़ी ही देर में मिंटी आ गई. जैसेतैसे निर्मला ने उस के कपडे़ बदले, खाना खिलाया, फिर मिंटी टीवी पर कार्टून देखने बैठ गई. निर्मला बीचबीच में उसे आवाज कम करने को कहती रहती. 4 बजे निर्मला उठी, चाय बनाई, खुद पी, शेफाली को दी, फिर मिंटी को घुमाने पार्क में ले गई. वहां से आ कर दूध पिलाया, खाना खिलाया और 6 बजे उसे सुला दिया.

शेफाली ने निर्मला से पूछा, ‘‘दीदी कब उठेंगी?’’

‘‘नींद टूटेगी तो उठ जाएंगी. इसीलिए बेबी को सुला दिया है, नहीं तो तंग करती है और मेमसाब गुस्सा हो जाती हैं.’’

वह यह देख कर हैरान रह गई कि 4 साल की बच्ची पूरी तरह आया के भरोसे परवरिश पा रही थी. मां बेखबर सो रही थी. पापा का फोन आया, बातें कीं, फिर वह बोर होने लगी. एक ही दिन में नीरसता सताने लगी. आ कर अपने कमरे में लेट गई. कैसी शांति है यहां, 4 कमरे, 4 आदमी. न कोई बातचीत, न ठहाके. उसे अपने घर की याद आ गई और रुलाई फूट पड़ी. जाने कब आंख लग गई.

घंटी बजी तो वह जागी. जीजाजी आए थे. वह बाथरूम से हाथमुंह धो कर बाहर निकली और ठिठक कर वापस अपने कमरे में चली गई. दीदीजीजाजी ड्राइंगरूम में ही टीवी के सामने एकदूसरे से लिपटे, एकदूसरे के होंठों को बेतहाशा चूम रहे थे, जैसे फिल्मों में देखती है. जीजाजी के हाथ दीदी के उभारों पर… शेफाली की कनपटी गरम हो गई.

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दीदी ने थोड़ी देर बाद निर्मला को आवाज दे कर चाय लाने को कहा. वह शर्म से पानीपानी हो गई. निर्मला सब जानतीदेखती होगी. वह थरथरा गई.

दीदी ने उस के बारे में पूछा, निर्मला बोली, ‘‘सो रही हैं.’’

शेफाली ने सुकून महसूस किया कि चलो, सामने नहीं जाना पड़ेगा. निर्मला चली गई. थोड़ी देर बाद दीदी भी. जीजाजी दरवाजे तक छोड़ने गए थे. उस ने परदे के पीछे से साफ उन का आलिंगन और चूमना देखा. अब रह गए जीजाजी और शेफाली. डर और संकोच से सराबोर वह सामने पड़ने से कतराती रही.

वह और जीजाजी रात को अकेले…आगे शेफाली सोच नहीं पाई. अब यहां रहना है तो निर्मला की तरह अनजान बन कर रहना होगा. इन के घर की निजता का खयाल रखना होगा.

कुछ ही दिनों में शेफाली यहां के माहौल में रम गई. अब स्कूल से आते ही मिंटी मौसीमौसी करने लगती. कहानियां सुनतेसुनते वह कब खा लेती पता ही नहीं चलता. दीदीजीजाजी भी निश्ंिचत हो कर मिंटी की प्यारी गप्पें सुनते. अब उसे सुलाने की जल्दी किसी को नहीं रहती.  शेफाली के पास छोड़ दोनों एकांत में वक्त बिताते. निर्मला भी निश्ंिचत हो काम निबटाती. घर के औपचारिक माहौल में एक स्वाभाविकता आ गई थी.

एक दिन दीदी ने सलाह दी, ‘‘शेफाली, तुम संदीप से कंप्यूटर सीख लो.’’ तो उस ने हिचक के साथ इस प्रस्ताव को स्वीकारा था. दीदी और निर्मला के जाने के बाद जब मिंटी सो जाती तो दोनों बैठ कर कंप्यूटर पर नया साफ्टवेयर सीखते. जीजाजी के बदन से उठती परफ्यूम की खुशबू उस को उस दृश्य की याद दिला देती थी.

कंप्यूटर के नामी इंस्टीट्यूट जो कोर्स 6 महीने में सिखाते हैं वह जीजाजी से कुछ ही दिनों में शेफाली सीख गई. कंप्यूटर टाइपिंग, ई-मेल करना, इंटरनेट पर काम करना, सर्च करना आदि.

फोन पर ये सब सुन कर मां भावुक हो उठीं, ‘‘तुम्हारे पापा कह रहे थे कि क्या हुआ जो उसे सुनंदा की तरह कानवेंट में नहीं पढ़ा पाए. समझदारी और दुनियादारी तो कोई भी शिक्षा सिखा देती है. शेफाली अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी तो भैया जैसा अच्छा दामाद हमें भी मिल जाएगा. दामादजी को भी तुम्हारा व्यवहार अच्छा लगा तो वह भी बढ़ कर मदद कर देंगे?’’

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जल्द ही शेफाली की मर्केंडाइजर की नौकरी लग गई. अब वह भी व्यस्त हो गई. अकसर जीजाजी उसे साथ ले आते.

फ्रेश हो कर वह अपने और जीजाजी के लिए कौफी बनाती. दिन भर के काम के बाद घर आ कर जीजाजी का साथ उसे भाने लगा था. दोनों साथ टीवी देखते. अब अटपटे दृश्यों पर चैनल नहीं बदले जाते थे. न ही कोई उस समय उठ कर जाता. सब कितना सामान्य लगने लगा था. शेफाली इसे मैच्योर होना कहती. फिर जहां ऐसा खुलापन चलता है तो क्या हर्ज है. दीदी तो उस के सामने सिगरेट भी पीने लगी थीं.

आगे पढ़ें- अपने आफिस के माहौल और वहां इस्तेमाल…

Serial Story: दुनियादारी– भाग 3

उस ने दीदी को कुछ दिन पहले एक लेख पढ़ने को दिया था, ‘धूम्रपान का गर्भ पर असर.’ दीदी हंस दी थीं, ‘‘अब कौन सा बच्चा पैदा करना है मुझे, एक हो गया न, और कौन सा मैं मिंटी के सामने पीती हूं्. देख न, इसीलिए रात की नौकरी  करती हूं. रात में तो सब सोते ही हैं. घर में रहो न रहो, क्या फर्क पड़ता है. दिन में मैं घर में ही रहती हूं ताकि मिंटी मां को मिस न करे.’’

साहस कर शेफाली बोल पड़ी, ‘‘लेकिन दीदी, जीजाजी…’’

दीदी हंसीं, ‘‘देख, मर्दों को दिन में एक बार या हफ्ते में औसतन 2-3 बार काफी होता है. मैं अपने पति को पूरा मजा देती हूं. संदीप ने कुछ कहा क्या? क्यों नहीं साली आधी घरवाली होती है.’’

यह कह कर दीदी ने आंख दबाई तो वह तिलमिला गई थी. छोटी बहन से इतना गंदा मजाक, ‘‘छी: दीदी, आप कैसी भाषा का इस्तेमाल करती हैं. जीजाजी बहुत अच्छे हैं. आप इस तरह बोलेंगी तो फिर मैं यहां नहीं रहूंगी…’’

वह खिलखिला पड़ीं, ‘‘यू विलेज गर्ल…जानती है, हमारे यहां क्या होता है…’’

और उन्होंने अपने आफिस के माहौल और वहां इस्तेमाल होने वाली भाषा का जो वर्णन किया, उसे वह सुन नहीं पाई.

‘‘दीदी, आप छोड़ दो ऐसी नौकरी.’’

वह हंसीं, ‘‘लाइफ इज मस्त आउट देअर. आजकल सब चलता है. आज का फंडा है, जिंदगी एक बार ही मिलती है, इसे भरपूर जीओ और ज्यादा अगरमगर की मत सोचो.’’

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तभी जीजाजी आए. अब दोनों उस के सामने ही ‘किस’ कर लेते. दीदी हंसहंस कर बोलीं, ‘‘शेफाली को तुम्हारी बहुत चिंता है. कह रही थी कि मैं रात की नौकरी छोड़ दूं. तुम अकेले हो जाते हो, क्यों?’’

शेफाली उठ कर भीतर चली गई. छी:, जरा भी लाजलिहाज नहीं है दीदी में. यह बात उन्हें कहनी चाहिए थी. या तो उन दोनों का आपस में बहुत विश्वास और खुलापन था या फिर दीदी की नजर में मेरी कोई अहमियत ही नहीं. जीजाजी की नजरें कितनी अजीब हो गई थीं.

उस रात मिंटी को बुखार आ गया लेकिन क्लाइंटविजिट की वजह से दीदी को जाना पड़ा. मिंटी के सोने के बाद जैसे ही वह उठी, जीजाजी बोले, ‘‘शेफाली, कौफी बनाओगी.’’

वह काफी बना लाई. जीजाजी एकाएक बोले, ‘‘तुम्हारे आने के बाद घर घर लगने लगा है. तुम्हारे आने से मिंटी को मां मिल गई. अब काम खत्म कर के मन करता है, सीधा तुम्हारे पास आऊं. काश, सुनंदा में भी तुम्हारे जैसी संवेदनशीलता होती, तो मेरी जिंदगी यों तन्हा नहीं होती. देखा, तुम तो समझ गईं वह जान कर भी नहीं समझना चाहती मेरा अकेलापन, मेरी तनहाई. दिन भर का थकाहारा घर आता हूं तो न पत्नी मिलती है और न बच्ची का साथ. तुम ने आ कर मेरी जिंदगी के बिखराव को संभाल लिया.’’

‘‘आप दीदी से कहिए न कि वह दूसरी नौकरी ढूंढ़ लें.’’

‘‘अब सिंपल ग्रेजुएट और 12वीं पास लोगों को इतने पैसे वाली नौकरी कौन देता है. बड़ीबड़ी डिगरी वाले तो मार्केट में घूमते हैं. यहां क्या योग्यता चाहिए, बस अच्छी अंगरेजी का ज्ञान और प्रकृति के नियमों के खिलाफ जीने की आदत. और बदले में मिलता है पैसा, कमीशन, पार्टियां, पिज्जाबर्गर और कोल्डड्रिंक्स. उसे जिंदगी की रंगीनियां चाहिए. और मैं ठहरा पार्टीपिकनिक से परहेज करने वाला.’’

शेफाली खामोश उन्हें निहार रही थी. मन मचलने लगा था. कैसी संवेदनशील थीं वे आंखें. अंदर तक कुछ शून्य सा पसर गया था. क्या वह मेरी तरफ आकर्षित हैं. मैं उन्हें अच्छी लगती हूं. वह मुझ से प्रेम करते हैं. रोमरोम में उठती ये कैसी सिहरन थी. आंखें मूंदे शेफाली अपनी देह की कंपन पर काबू पाने की चेष्टा करने लगी. जीजाजी ने उस के हाथों पर अपना हाथ धर दिया.

कप उठा कर वह किचन में चली गई. ये क्या हो रहा है उसे. जो बात कुंआरी हो कर वह समझ पाई क्या दीदी नहीं समझ पाती होंगी? दीदी ने तो कहा था कि वह हफ्ते के एवरेज का खयाल रखती हैं…तो…फिर…जीजाजी को मुझ से यह सब कहने की क्या जरूरत है…वह मेरी प्रशंसा कर क्या चाहते हैं…मुझ से यह सब क्यों कह रहे हैं…मुझे पाने के लिए…इतनी शिकायत है दीदी से तो फिर प्रेम प्रदर्शन क्यों करते हैं. दीदी का विरोध क्यों नहीं करते?

दीदी के व्यवहार में तो उस ने कभी जीजाजी के प्रति उपेक्षा महसूस नहीं की. अंदर दोनों में क्या बातें होती हैं वह नहीं जानती पर उस दिन जो ड्राइंगरूम में उस ने देखा था वह तो झूठ नहीं था. बिना चाहत, बिना प्रेम भी ऐसी उत्तेजना जगती है भला.

थोड़ी आहट के बाद किचन की बत्ती बंद हो गई. जीजाजी ने आ कर उसे बांहों में भर लिया. ये खुशबू, ये आलिंगन, ये स्पर्श, संदीप उसे पागलों की तरह चूमने लगे. उस का रोमरोम सिहर उठा. वह खुद को छुड़ाना नहीं चाहती थी. उस के बदन में चींटियां रेंगने लगीं. कितना अच्छा लग रहा है…

तभी फोन की घंटी बजी. दीदी का फोन था. मिंटी का हाल पूछ रही थीं. वह जैसे सोते से जागी. ये क्या करने जा रही थी वह? अपने ही हाथों अपना सर्वनाश. इस क्षणिक भावुकता का अंत क्या होने वाला था. उस के हाथ क्या लगता? कल को कुछ हो गया तो आरोप तो उस के ही सर आएगा. बढ़ावा भी तो उसी ने दिया था. वही दीदी से बात करने गई थी, उन के दांपत्य जीवन पर.

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दीदी के सामने शराफत का ढोंग करने वाले जीजाजी तो अपना मुंह तक नहीं खोलेंगे. उस की बात उसी के खिलाफ इस्तेमाल की जाएगी. क्या वह जानती थी कि ये फांस उसी के गले में अटकेगी. कितने चालाक निकले जीजाजी. मेरी कोमल भावनाओं को उकसा कर, मात्र मेरा उपयोग करना चाहते थे. आज अपने ही घर में अपनों के हाथ छली जाती. ऐसे ही अनचाहे तो हादसे हो जाते हैं.

अपनी उखड़ी सांसों को संयत करते हुए वह मिंटी के पास आ गई. दीदी को मिंटी की चिंता है और वह कैसे उन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे.

फोन रखने के बाद जीजाजी ने उसे कमरे में आने का इशारा किया. उसे खुद से घृणा होने लगी. शेफाली ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और मिंटी के पास ही सो गई. सुबह निर्मला के आने पर ही दरवाजा खोला.

मिंटी का बुखार और बढ़ गया था. दीदी ने आफिस से हफ्ते भर की छुट्टी ले ली. दिनरात बच्ची के पास ही बैठी रहतीं. अपने हाथों से उसे खिलातीं. उस के साथ बातें करतीं. उस के सामने दीदी का नया रूप उजागर हुआ था. सच कहते हैं, मां आखिर मां ही होती है और पुरुष, सिर्फ पुरुष.

शेफाली ने आननफानन में फैसला लिया और आफिस के एक सहयोगी की मदद से अलग घर ढूंढ़ लिया. सुनंदा दीदी हैरान रह गईं, ‘‘अचानक क्या हो गया, शेफाली? तुम्हारे आने से हम लोगों को कितना अच्छा लगने लगा है, मिंटी कितनी खुश रहने लगी है. मेरी लाइफ भी स्मूथ हो गई है. अब चाचाचाची क्या कहेंगे?’’

शेफाली ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘दीदी, आफिस दूर पड़ता है. फिर कितने दिन आप पर बोझ रहूंगी. इतने महीनों से तो आप ही के पास रह रही हूं. अब तो नौकरी भी कर रही हूं…’’

‘‘आई नो…पर तुम्हारी शादी तक चाचाजी ने कहा था, तुम यहीं रहोगी.’’

‘‘दीदी, शादी कब होगी, पता नहीं. कोई अच्छा लड़का मिलेगा तो जरूर करूंगी. पर अब कुछ साल नौकरी कर लूं. आप की तरह आत्मनिर्भर बन जिंदगी का मजा ले लूं. इस दिशा में कुछ होगा तो कहना. मैं आती रहूंगी…संपर्क में रहूंगी.’’

उस के होंठों पर मुसकराहट थी पर स्वर काफी सपाट था.

दीदी ने उलझे स्वर में ही जवाब दिया, ‘‘अब तुम ने सोच ही लिया है तो मैं क्या कहूं. पर मुझे अचानक इस फैसले का कारण समझ में नहीं आया. जीजाजी भी यहां नहीं हैं. उन से आ कर मिल लेना या फिर फोन कर देना.’’

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दीदी कभी जानें या न जानें पर उस रात कहां ले जातीं उस की ये भावनाएं… निश्चित ही पतन की ओर…मांबाप का गर्व भंग होता, भाई का उपहास, समाज में अनादर…सब से उबर गई. अपनों के बीच हुए किसी हादसे का शिकार होने से बच गई.

मां की कही बात याद आ गई, ‘‘समझदारी और दुनियादारी तो कोई भी शिक्षा सिखा देती है.’’

एक्ट्रेस वरीना हुसैन ने किया अफगानी पारंपरिक पोशाक में किया रैंप वॉक, Photos Viral

मूलतः अफगानी,मगर सलमान खान निर्मित फिल्म ‘‘लव यात्री’’ से बौलीवुड में कदम रखकर बौलीवुड अदाकारा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी वरीना हुसैन हाल ही में हेदराबाद में अुगानी परंपरागत पोशाक पहनकर रैंप वाक करते हुए नजर आयीं. वास्तव में वरीना हुसेन को हैदराबाद में अफगानी दूतावास द्वारा दस दिन तक चलने वाले ‘‘अफगानिस्तान फूड फेस्टिवल‘‘ के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था. यह त्यौहार भारत और अफगानिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों की पहचान के रूप में आयोजित किया गया है. यह एक सांस्कृतिक उत्सव होने के चलते इस फेस्टिवल में अफगानिस्तान के हैंडलूम, हेंडीक्राफ्ट, फैशन और फाइन आर्ट्स का प्रदर्शन किया जा रहा है.

 

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इस मौके पर वरीना हुसैन अफगानी पारंपरिक पोशाक में नजर आयी, जो अफगान की परंपरा और संस्कृति को दर्शाती है. वरीना इस खास मौके पर मुख्या अतिथि के तौर पर शामिल हुई थी और शो स्टॉपर बन कर इस फेस्टिवल की शुरुआत की. अभिनेत्री वरीना हुसेन रैंप पर चल कर अपनी अदाओं से सभी को अपनी ओर आकर्षित किया.  वरीना हुसेन ने अफगान की पारंपरिक पोशाक के रूप में मशहूर फिराक पार्टुग को मैजंटा पिंक और पारंपरिक अफगानी कुची आभूषण के साथ पहनकर रैंप वॉक किया, जिसकी तस्वीर और वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है.

 

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ये भी पढ़ें- कपिल शर्मा ने 40वें बर्थडे पर किया बेटे के नाम का खुलासा, पढ़ें खबर

 

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जहां तक वरीना हुसेन के कैरियर का सवाल है,तो वह फिल्म ‘‘द इंकम्प्लीट मैन‘‘ की शूटिंग खत्म कर चुकी हैं. तथा अब दक्षिण भारत में कल्याण राम के साथ फिल्म करने वाली हैं. बौलीवुड में फिल्म‘‘लव यात्री’’के बाद सलमान खान के साथ फिल्म ‘‘दबंग 3’’में ‘मुन्ना बदनाम हुआ.  ’’गाने में थिरकते हुए नजर आयी थी.

कपिल शर्मा ने 40वें बर्थडे पर किया बेटे के नाम का खुलासा, पढ़ें खबर

कौमेडी किंग कपिल शर्मा (Kapil Sharma) आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. जहां इन दिनों कपिल शो के कुछ समय के बंद होने के बाद अपनी फैमिली संग वक्त बिता रहे हैं तो वहीं सोशलमीडिया के जरिए फैंस के सवालों का जवाब देते नजर आते हैं. इसी बीच फैंस अक्सर उनके बेटे का नाम जानने की कोशिश भी करते हैं. वहीं आखिरकार कपिल शर्मा ने अपने 40वें बर्थडे पर बेटे के नाम का खुलासा किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है कपिल शर्मा के बेटे का नाम…

नीति मोहन ने पूछा ये सवाल

1 फरवरी को कपिल शर्मा और उनकी पत्नी गिन्नी चतरथ (Ginni Chatrath) दूसरे बच्चे के पैरेंट्स बने थे, जिसके बाद वह सुर्खियों में थी वहीं बीते 2 अप्रैल को कपिल शर्मा ने अपना 40 बर्थडे सेलिब्रेट किया. इस मौके पर फैंस और सेलेब्स ने उन्हें विश भी किया. वहीं सिंगर नीति मोहन ने भी कपिल शर्मा को बर्थडे विश करते लिखा, ‘जन्मदिन की शुभकामनाएं कपिल पाजी. आपको और आपके पूरे परिवार को ढेर सारा प्यार. अब तो बेबी बॉय का नाम बता दो.’

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कपिल ने ये रखा बेटे का नाम

नीति मोहन के सवाल पर कपिल शर्मा ने ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘शुक्रिया नीति, उम्मीद करता हूं कि तुम अपना पूरा ख्याल रख रही होगी. हमने उसका नाम त्रिशान रखा है.’ वहीं इस नाम का खुलासा करते ही फैंस कपिल शर्मा को बधाइयां दे रहे हैं.

2018 में हुई थी शादी

 

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अपनी बचपन की दोस्त गिन्नी चतरथ से हिंदू और सिख रीति-रिवाज के साथ कपिल शर्मा ने दिसंबर 2018 में शादी की थी. जिसके बाद दिसंबर, 2019 में गिन्नी ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम अनायरा रखा गया था. वहीं सोशलमीडिया पर कपिल की बेटी की फोटोज और वीडियो अक्सर वायरल होती रहती हैं, जो फैंस को काफी पसंद आती हैं.

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अनुपमा के सेट पर बढ़ा कोरोना का कहर, औनस्क्रीन बेटे के बाद वनराज को भी हुआ कोरोना

सीरियल अनुपमा की पौपुलैरिटी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है वहीं शो की कहानी में भी नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. इस बीच शो के सेट पर कोरोना का कहर देखने को मिला है. दरअसल, हाल ही में शो में अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली और तोषू के रोल में नजर आने वाले आशीष मेहरोत्रा कोरोना के शिकार हुए थे. हालांकि अब खबर है कि शो से जुड़े कुछ और सदस्य कोरोना पौजीटिव हो गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

वनराज हुए कोरोना पौजीटिव

खबरों की मानें तो सीरियल अनुपमा (Anupamaa) स्टार सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) भी कोरोना वायरस के शिकार हो गए हैं. दरअसल, सुधांशु पांडे ने अपने फैंस को जानकारी देते हुए पोस्ट शेयर की, जिसके बाद उनके फैंस उनके ठीक होने की दुआ कर रहे हैं.  वहीं इसके अलावा शे के प्रौड्यूसर राजन शाही भी कोरोना पीडित हो गए हैं, जिसका असर शो की कहानी पर पड़ने वाला है.

 

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काव्या ने कही ये बात

सीरियल अनुपमा की आगे की कहानी के बारे में बात करते हुए काव्या यानी मदालसा शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा है कि “स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं और राइटर्स ने पहले से ही इस पर काम करना शुरु कर दिए हैं. वहीं कर्फ्यू के कारण कम कलाकारों के साथ समय को ध्यान में रखते हुए शो के एपिसोड पर काम किया जा रहा है. वहीं मैं सभी के ठीक होने की कामना कर रही हूं ताकि सब चीजें पटरी पर लौट जाए.

बता दें, शो की कहानी अनुपमा और वनराज के ईर्द-गिर्द घूम रही है, जिसके चलते कोरोना के कारण शो की कहानी में बदलाव किए जाएंगे. वहीं आने वाले एपिसोड में शाह परिवार को अनुपमा और वनराज के तीन दिन में होने वाले तलाक का सच पता चल जाएगा, जिसके बाद शो का जोर काव्या की साजिशों और समर और नंदिनी की लव स्टोरी पर देखने को मिल सकता है.

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