Serial Story: मार्जिन औफ एरर (भाग-4)

महिका का दिल धड़क उठा. उस की नजर अफरोजा की तरफ गई. मुश्किल से 5 फुट 3 इंच की ऊंचाई होगी उस की. गोरी, दुबलीपतली, हलकी लंबाई में तीखा सा चेहरा, ऊंची नाक, सिल्क के महीन धागों सी भूरे बालों और काले कजरारे सुरमे वाली आंखें. जरीदार जरदोजी के पीले सूट में अफरोज़ा आम्रपाली सी संगीतमय लग रही थी. सच, उस ने अपनी आंखों से देखा, अच्युत ने अफरोजा को बड़ी गहरी नजर से देख आंखें हटाईं और अफ़रोजा की आंखों में विद्युतधारा चमक उठी. होंठों पर उस के गुलमोहर की खिलखिलाहट सी तैर गई.

फिर यह दर्शित से धीमेधीमे क्या बात कर रही होगी… जो भी हो, अच्युत महिका का है. उस ने उसे पाने का संकल्प ले रखा है. उसे इस करोड़ों की संपत्ति का उत्तराधिकार पाना है. अच्युत इस लड़की के प्रति कहीं कमजोर तो नहीं हो रहा… नहीं. ऐसा हो तो कैसे. दवा का असर ऐसा होने तो न देगा.

दर्शित ने व्यंग्यभरी अजीब सी अफसोसनाक मुसकान लिए महिका को देखा और इतने में अच्युत ने डाक्टर केशव से कहा, “कितने रुपए दिए गए डाक्टर साहब?”

50 हजार रुपए देने की बात थी. अभी तक 25 हजार रुपए दिए गए.”

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“किस एवज में अंकल?” चौंकी महिका. एक तरह से कहा जाए तो डर और सतर्कता ने उस के चेहरे पर जर्द मातम फैला दिया था, जैसे प्रेमपत्र लिखे जाने के लिए निकाले गए सफेद चमचमाते कागज पर अचानक स्याही गिर गई हो.

“अच्युत, आप को कोई ऐसी दवा या ड्रग देने की पेशकश की गई थी जिस से आप कम सोचसमझ सकें और किसी के निर्देश अनुसार काम करने में ही अपनी भलाई समझें,” डाक्टर ने कहा.

“किस ने किया यह डाक्टर केशव?” अच्युत धीमे मगर गहरे स्वर में पूछ रहे थे.

महिका जमीन की ओर देखती बैठी थी. उस ने डाक्टर केशव को एकबारगी इस तरह देखा जैसे कुछ अनुरोध करना चाहती हो.

डाक्टर केशव अनदेखा करते बोले, “महिका जी मेरे घर आई थीं, उन्हीं की ऐसी इच्छा थी.”

अब सारी आंखें महिका की तरफ थीं.

अचानक महिका ने अच्युत पर निशाना साधा- “अगर मेरे साथ जिंदगी में आगे बढ़ने की गुंजाइश ही नहीं थी तो मुझे अपने साथ दुबई क्यों ले गए थे?”

“अंकल, आप ने वे रुपए मुझे लौटा दिए और सारी बातें बताईं. लेकिन क्या आप ने महिका को यह बताया कि आप मेरे पापा के दोस्त हैं और हमारे पारिवारिक शुभचिंतक? आप ने मुझे कोई दिमाग की दवा नहीं दी, बल्कि विटामिन की गोलियां दीं.”

“बेटा, उन्हें ये सब बताना मैं ने जरूरी नहीं समझा. लालच के मारे से क्या ही बात करता.”

“अच्युत जी, आप मुझे दुबई ले जा कर खुद ही मेरे लालच में फंसे. मेरे पास हम दोनों के उन अंतरंग पलों के वीडियो और तसवीरें हैं जो आधीरात में आप के बहकने की कहानी कहते हैं. ये लीजिए मन भर कर देखिए और दिखाइए. मैं जानती थी, मेरी चाहतों को लालच का नाम दे कर मेरी तौहीन की जाएगी.

“सारे प्रमाण मैं ने इन्हीं दिनों के लिए रखे थे. आप मेरे इतने करीब आ कर मुझे धोखा नहीं दे सकते. और दर्शित को न्योता दे कर क्यों बुलाया यहां? आप के पैसे इन्होंने लिए हैं, मैं ने नहीं. और डाक्टर साहब, आप के पास क्या प्रमाण है कि आप को दवा के लिए रुपए दिए मैं ने?”

अच्युत कुछ कहता, अफ़रोजा बोल पड़ी- “बहुत हुआ महिका जी, डाक्टर केशव के घर जब आप गई थीं और डील कर रही थीं, तब पास ही लगे कमरे में मैं मौजूद हो कर आप की सारी बातें रिकौर्ड कर रही थी. आप भी सुन लीजिए. सर ने मुझे इसी काम के लिए बुलाया था जब आप ने सर से फोन पर बात की थी. और जहां तक अच्युत का आप को ले कर लालच की बात है, जो वीडियो आप दिखा रही हैं उसे आप ने अच्युत को ड्रग दे कर बेहोशी में लिया है. यह भी जानिए कि आप जब दुबई जाने की जिद कर रही थीं, तो अच्युत ने सोचा कि आप को शायद विदेश घूमने का यह मौका गंवाना बहुत मायूस कर देगा. आप के मुंबई आ कर संघर्ष करने की घटनाओं से अच्युत वाकिफ थे, इसलिए आप को साथ ले गए. अच्युत ने मुझ से बाद में मेरी राय भी मांगी थी और मेरे कहने पर ही आप का टिकट बनवाया था. मुझे अच्युत पर पूरा भरोसा है. यों ही दूरियों के बावजूद सालों से हमारा रिश्ता पुख्ता नहीं है.”

“आप कैसे कह सकती हैं कि मैं ने उन्हें कुछ खिलापिला कर तसवीरें लीं?”

“क्योंकि मैं ने इन्हें बताया है, महिका. मेरे पास उस समय की सारी टैस्ट रिपोर्ट हैं. और तुम ने कहां से कौन सी दिमाग को कमजोर करने वाली ड्रग ली, इस के भी तथ्य हैं. देखोगी? या पुलिस से मांग कर देखोगी? कहो, क्या चाहती हो? “अच्युत ने सख्त लहजे में कहा तो महिका कमजोर पड़ गई.”

“कुछ नहीं, मैं यहां से जाना चाहती हूं.”

“दर्शित, तुम चाहो तो महिका से शादी कर सकते हो क्योंकि महिका को ले कर मेरा ऐसा कोई भी इरादा नहीं है. हालांकि महिका के चयन की स्वतंत्रता पर मुझे कुछ भी नहीं कहना चाहिए क्योंकि रिश्ते में आना अकेले की बात नहीं होती, लेकिन इन्होंने मेरे चयन की स्वतंत्रता का भी हनन किया है. अपने स्वार्थ के लिए मुझे मोहरा बनाया. यह जानना महिका के लिए दिलचस्प होगा कि अफरोजा के साथ मेरा प्यार लगभग 10 सालों का है, जब हम साथ कालेज में पढ़ते थे. अफरोजा के घर में तंगी थी, इसलिए अब तक वह नौकरी कर के घर संभाल रही थी. कभी मुझ से मदद लेने की गुंजाइश नहीं रखी. जरूरी नहीं होता कि आप के विकास की प्रक्रिया हमेशा आप के मन के अनुसार ही रही हो. आप का अच्छा होना आप का परिचय है और आप का परिचय दूसरों को प्रभावित करता है, आप का व्यक्तिगत इतिहास नहीं.

“अब उस के छोटे भाई की नौकरी लग गई है तो… क्यों रोज़, अब तो मेरे पास आ जाओगी न हमेशा के लिए?” अच्युत बड़ी गहरी बातें बोल गया था.

महिका ने देखा, अफ़रोजा के गोरे गाल रक्तिम गुलाब से खिल गए थे. आंखों में शरारती मुसकान के साथ बड़ी सी हामी.

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दर्शित ने तुरंत कहा, “दोस्त, स्वीकार कर लेना भले ही आसान नहीं, लेकिन स्थिति को स्वीकार कर लेने के बाद मुश्किलें जरूर आसान हो जाती हैं. मैं महिका के साथ जिंदगी बिताने की बात तो अब सोच भी नहीं सकता. इस धक्के को अब मैं ने स्वीकार लिया है. हां, जिस घर में हम दोनों हैं वहां से महिका के कहीं और जाने तक उसे मोहलत दे दूंगा, तब तक मैं ड्राइंगरूम में रह लूंगा और खाने का इंतजाम हम दोनों अलग कर लेंगे. अब उम्मीद है, महिका जल्द उस फ्लैट को छोड़ देगी. अच्युत के रुपए मैं ने उस अकाउंट से निकाल कर महिका को दे दिए थे, इस के प्रमाण, शुक्र है, मैं ने रख लिए थे. मैं अब उस अकाउंट से निकल जाऊंगा, अच्युत संभाल लेना.”

“महिका तुम रुपए कब लौटाओगी? मेरी फर्म में अब तुम्हारी जगह तो होगी नहीं. हां, इतना जरूर कर सकता हूं कि तुम्हें कानूनी फेर में न डालूं, बस, स्टैंपपेपर पर तुम जबानबंदी कर दो कि तुम मेरे रुपए किसी एक तय तारीख तक लौटा दोगी. बोलो, मंजूर है?” अच्युत सीधी बात पर आ गए थे.

“मुझे 2 साल चाहिए, मुझे एक नौकरी की तलाश होगी,” महिका ने अपनी झेंप को छिपा लिया था.

“हम एक कानूनी डील करेंगे, तुम 2 साल भले ही लो, लेकिन तय यह भी होगा कि मेरे रुपए तुम्हें तय तारीख तक लौटाने होंगे, वरना मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा, समय तुम 2 साल कहो या 3 साल, मैं दूंगा.”

“शुक्रिया, पुरुषों के लिए मेरे अनुभव बड़े दुखद थे. आज दर्शित और अच्युत के साथ कुछ सालों के अनुभव ने मुझे अपनी धारणाओं को फिर से नई फुहार में धोने की इच्छा जगाई है. अफ़रोजा खूब खुश रहना और दर्शित, मैं तुम्हारे योग्य नहीं हूं, मगर जिंदगी आगे चल कर आप को खूब खुशी दे, दुआ कर के जा रही हूं. मैं अपना सामान ले कर अभी निकल जाऊंगी दर्शित, एक गर्ल्स होस्टल पहले देखा था, वहीं शिफ्ट हो रही हूं. अच्युत जी, गलतियों के लिए मैं ने तो कोई हाशिया छोड़ा नहीं था, आप ने सुधारने के लिए दिया.

“जो भी कहूं, कम है, लेकिन आप को पाने की चाह सिर्फ पैसे के लिए ही नहीं थी, इतना विश्वास कर लेना.” यह कह कर महिका उठ कर खड़ी हो गई.

इस लड़की के लिए किसी के मन में कोई चाह न थी, फिर भी उस के जाते ही जैसे सब निस्तब्ध हो गए.

दर्शित की आंखों के कोर में आंसुओं की 2 बूंदें आ कर ठहर गईं एक हाशिए पर हमेशा रह जाने के लिए.

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Serial Story: मार्जिन औफ एरर (भाग-2)

पहली बार अच्युत और दर्शित एकदूसरे से मिल रहे थे. महिका एक बड़े बिज़नैस फर्म का हिस्सा है, इतना तो जानता था दर्शित, लेकिन उस के सामने इतना अनिंद्य सुंदर युवक खड़ा होगा, जतन से बारबार दिल को घिस कर छुड़ाया गया. उस का डर उस के इतना सामने होगा, उसे अंदेशा न था.

साल में 10 लाख रुपए से ऊपर कमाने वाली महिका को कभी पैसे की नजर से आंका नहीं उस ने, मगर आज अच्युत के आगे महिका उस की पहुंच के बाहर के छीके में लगी मक्खन महसूस हो रही है.

आज से 4 वर्षों पहले जब दोनों रहने को एक अदद किराए का फ्लैट ढूंढ़ रहे थे तब महिका दर्शित से टकराई थी और उसी की पहल पर दोनों किराए के इस फ्लैट में साझा हिसाब से रहने लगे थे. तब महिका किसी छोटे से वर्कशौप में रिसैप्शनिस्ट थी और छिटपुट मौडलिंग करती थी. अव्वल तो वह महीने के 15 हजार रुपए किराए दे ही नहीं सकती थी, दूसरे, जितना वह पैसे दे सकती थी, दर्शित ने उस की भी कभी आशा नहीं की. उस ने सिर्फ मांगा था भरोसा और प्यार. और हां, दर्शित को महिका से प्यार होता जा रहा था.

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मिलनसार स्वभाव के हैंडसम अच्युत को देख दर्शित झिझक रहा था. सरसरी निगाह उस ने अच्युत की उंगलियों पर चलाई. सोने की अंगूठी जिसे वह ढूंढ़ रहा था, वास्तव में वह तो उस की उन उंगलियों में उस अंगूठी की अनुपस्थिति को ढूंढ़ रहा था, जिसे महिका ने 5 दिनों पहले खरीदा था. उसे अच्युत की उंगलियां सोनेहीरे की अंगूठियों से लदीफंदी मिलीं, जिन में महिका की अंगूठी भी रही हो. लेकिन अब दर्शित को खुशफहमी में रहने की कला आ गई थी शायद डार्विन के सर्वाइवल सिद्धांत के अनुरूप. उस ने अंगूठी वाली बात दिल से निकाल देने में ही अपनी भलाई समझी.

अच्युत से बातचीत में यह तय हुआ कि उन की अनुपस्थिति में अकाउंट का फाइनल और रुपयों को बैंक में जमा करवा देने का काम दर्शित का होगा.

रात को बैडरूम में आसपास सोते हुए दर्शित ने महिका से कहा, “मही, हम 4 साल से लिवइन में हैं, अब मुझे डर सताने लगा है. क्या दुबई जाने से पहले तुम मुझ से शादी कर लोगी?”

“क्यों, डर कैसा?” महिका ने लापरवाही से कहा.

“तुम मेरे पास वापस तो आओगी न इसी तरह, जैसे अभी हो?”

“अरे यार, तुम बड़े झक्की और सेंटी हो. इतना क्यों सोचते हो. सब ठीक है. मुझे सोने दो, सुबह काफी सारी तैयारी करनी है. तुम भी अपना काम समझ लेना.”

दर्शित को उस का जवाब नहीं मिला, वह शांति और निश्चितता नहीं मिली जो एक समर्पित प्रेमी अपनी प्रेमिका से चाह सकता है.

महिका पीछे मुड़ कर सो गई है.

जिंदगी के छूटे क़दमों को भी तो वह पीछे छोड़ आगे बढ़ आई है आज.

एक किशोरी जिसे पिता और भाई के कड़े अनुचित अनुशासन में लंबा समय गुजारना पड़ा, जिस की मां का आंचल 10वीं पास करते हुए छूट गया और मां की किडनी की बीमारी से मृत्यु के बाद पिता से हमेशा यह सुनना पड़ता रहा कि ‘बेटी को फूलकुमारी बना कर छोड़ गई इस की मां, यह नहीं कि औरत जन्म लेने का सही कायदा सिखा जाती. बहुत लाड़ दिया बेटी को. अब बातबात पर टेसुएं बहाएगी नकारा.’

सरल नहीं था आज की इस महिका को अपने अंदर तैयार करना. अब इस बदलाव के साथ वह खुद से बिलकुल भी उम्मीद नहीं करती कि उसे पुरुष समाज के प्रति स्नेहिल समर्पित होना चाहिए. पिता और बड़े भाई के प्रकोप से बचने के लिए फिर भी कुछ तो मां का स्नेहिल स्पर्श था, लेकिन मां के जाने के बाद जैसे महिका अनाथ ही हो गई थी. पिता के वाक्यवाण हों या भाई के थप्पड़, या फिर घुटनभरी पराधीनता, सारी लड़ाई तो उस के अकेले की ही थी.

जैसेतैसे स्नातक कर उस के लिए मां द्वारा रखी गई गहने की पोटली को लिए वह चुपके से मुंबई की ट्रेन में चढ़ चुकी थी. खुद का परिचय छिपा कर कैसेकैसे पापड़ बेले उस ने कि आज वह बड़ी बिज़नैस फर्म में पर्सनल असिस्टैंट है और आगे सुनहरा अवसर उस के द्वार पर खड़ा है.

कोई अर्थ नहीं दर्शित के इन प्रलापों का. उसे जो पाना है, पा कर रहेगी. पुरुषों की भावना भी भला कभी सच्ची हुई है, उस ने तो नहीं जाना है. यह सब सोचती है महिका.

दुबई के एक शानदार होटल के सुइट में अच्युत शूटिंग के बाद स्पा के लिए तैयार थे कि महिका अंदर आई, . “गुड इवनिंग सर.”

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अच्युत चाय तैयार करने की तयारी में थे, बोले, “चाय लोगी?”

“लाइए सर, मैं बनाती हूं.”

अच्युत के पास सोफे पर बैठते हुए महिका के हाथ के स्पर्श ने अच्युत को अवाक नहीं किया. वे महीनों से महिका का मन पढ़ रहे थे. हां, खुद कुछ झिझक में पड़ गए. बाथिंगगाउन में उन के अधखुले बदन के बहुत करीब थी फ्लर्ट करने को उत्सुक महिका.

चाय खत्म करते ही अच्युत उठ खड़े हुए और बड़ी सी खिड़की के सामने खड़े हो कर दुबई का नजारा देखते हुए कहा, “दर्शित की ओर से कोई ख़बर?”

महिका ने बहाने से फिर अच्युत के सीने से लग कर खड़ी होते हुए जवाब दिया, “वहां की डिटेल मैं ने मेल कर दी है आप को. सर, फिर से आप को शुक्रिया कहना था, आप ने मुझे दुबई आने का, नई दुनिया देखने का मौका दिया.’

अच्युत शांति से पीछे हटते हुए बोले, “कोई बात नहीं. एंजौय द मूड एंड अपौरचुनिटी. मैं आता हूं स्पा से. तुम अभी अपने कमरे में जा सकती हो.”

तीनचार दिन सिनेमा शूटिंग की व्यस्तता रही. इस दौरान महिका को अच्युत के आसपास जाने की गुंजाइश नहीं रही.

4 दिनों बाद रात को 9 बजे अच्युत जब अपने सुइट में डिनर कर रहे थे, महिका हाथ में 2 गिलास बादाम की लस्सी के साथ पहुंची, काफी जोर दे कर कहा, “सर, कितने दिनों बाद आप से मिल रही हूं. मुझे पता है आप को बादाम की लस्सी पसंद है, मेरे लिए ले लीजिए.”

अच्युत की खास इच्छा तो नहीं थी, फिर भी महिका को निराश न करते हुए उन्होंने पी लिया.

खाना ख़त्म करते तक अच्युत कुछ थकान महसूस कर रहे थे.

महिका से कहा, “शायद तीनचार दिन के लगातार शूटिंग के बाद ज्यादा थकान महसूस कर रहा हूं, सोना चाहता हूं, महिका अब तुम जाओ.”

महिका लौटने के बजाय उन के बिस्तर पर आ कर उनींदे अच्युत को सोने में मदद करने लगी.

इस के बाद अच्युत को होश नहीं रहा कि महिका कब तक उन के साथ रुकी.

सुबह अच्युत को सिर भारी सा लगा. आंखें खुल नहीं रही थीं, कमज़ोरी के साथ उबासी सा छाया रहा मूड पर.

अच्युत ने शूटिंग यूनिट को फोन कर डाक्टर बुलवाया और सारे जरूरी टैस्ट करवाए.

महिका ने अच्युत की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी. बिजनैस की जानकारी से ले कर शूटिंग में साथ, निजी देखभाल से ले कर खुश रखने की कोशिश. बस, उस की एक जिद फिर अच्युत ने पूरी नहीं होने दी कि चाय या कौफी बना कर वह अच्युत को पिलाए.

वापस मुंबई आ कर फिर से नाविक ने अपनी पुरानी किस्ती संभाली, यानी, अच्युत अपने कामों पर गौर फरमाने लगे.

अकाउंट का मसला देख अच्युत के पैरों के नीचे से जमीन लगभग खिसक ही गई. लाखों रुपए महिका और अच्युत के बिजनैस फर्म के जौइंट अकाउंट में इन दिनों डाले गए थे.

महिका ने यह नया अकाउंट खुलवाया था और दर्शित को अथौरिटी दे रखी थी. यह सब कब और क्यों?

अच्युत को अब तक लगता था कि महिका सिर्फ उसे पाने की होड़ में है. अब रुपयों का यह खेल…

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महिका से अच्युत ने सीधे पूछा. महिका आश्चर्य में पड़ गई. बाध्य हो कर अच्युत ने दर्शित को बुलवा भेजा. हफ्ता बीत गया और जब दर्शित नहीं आया तो अच्युत परेशान होने लगे. इस बीच अचानक बैंक से महिका का नाम कट कर सिर्फ दर्शित का नाम रह गया. इस अकाउंट में 12 लाख जमा किए गए थे अच्युत के बिज़नैस की कमाई से. दोचार दिन में वे रुपए गायब होने लगे, यानी निकाल लिए गए.

अच्युत की मानसिक परेशानी की वजह ये 12 लाख रुपए नहीं थे. फिर भी वे परेशान थे. अब महिका के लिए उलझने की बारी थी. जब 12 लाख रुपए के जाने का गम नहीं, तो परेशान क्यों हैं अच्युत. महिका देख रही थी कि अच्युत दिन में कई बार अपने काम की टेबल पर सिर रख कर सो जाया करते हैं. और पूछने पर, रातभर नींद न आने की बात कहते हैं.

एक दिन अच्युत महिका के साथ मनोरोग विशेषज्ञ डाक्टर केशव के पास पहुंचे. महिका ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए अच्युत की परिस्थिति के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाई. अच्युत ने कहा, “डाक्टर साहब, महिका ही अब से मेरे बारे में बात कर लेगी, मेरी दवा आदि आप इन्हें ही दे देना.”

महिका अब अच्युत को बिना नागा के दवा खिला जाती.

अच्युत को थोड़ा सुस्त, मायूस और उनींदी देखती महिका तो उस के सिर पर हाथ फिराती, उसे अपने करीब लाने की कोशिश करती. थोड़ा अवाक होती कि अच्युत हमेशा उस से अलग हो कर किसी काम के लिए कैसे उठ कर चले जाते हैं जब उसे लगता कि अब वह अच्युत को कमजोर कर सकेगी.

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Serial Story: मार्जिन औफ एरर (भाग-1)

जिंदगी के गणित में हम कितनी ही सफल तकनीकें अपना लें, अनिश्चित का एक हाशिया छोड़ना ही पड़ता है. भूलों की पराबैंगनी किरणों के लिए एक स्थान, जो हमारी जिंदगी का अमिट हिस्सा हो, रहता है, मार्जिन एरर का.

चाहे महिका हो या अच्युत या फिर दर्शित ही, इस मार्जिन औफ एरर की गुंजाइश तो सब की जिंदगी में थी. हां, बेहतर किस ने यह बात समझी, यह बड़ी बात थी. महिका ने समझी यह बात? या फिर दर्शित मान पाया इस सच को? या कि अच्युत ने ही इस हाशिए को हाशिए पर छोड़, नया रास्ता तलाश लिया?

छोटे से फ्लैट के हवादार सुसज्जित कमरे में 12 बजे की काली रात के समय आरामदायक बिस्तर पर दर्शित और महिका आसपास सो रहे थे. 25 साल की महिका रातरानी सी महकती अपने पारदर्शी गुलाबी नाइटगाउन में निश्चिंत नींद में है.

32 साल का दर्शित नींद में भी उस की उपस्थिति को महसूस करता हुआ अनजाने ही अपने हाथों से महिका को जकड़ लेता है. तृप्ति और खुशी के स्पंदन से दर्शित की नींद कुछ खुल सी जाती है. महिका को अपने पास गहरी नींद सोता देख वह आश्वस्त हो फिर से नींद में डूब जाता है.

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नींद कितनी मुश्किल और अनमोल है, यह दर्शित कम बेहतर नहीं समझता. एक सुकूनभरी नींद के उचट जाने से ही तो उम्मीद की तलाश में वह इस रतजगे शहर मुंबई भागा आया था.

वरना, सिलीगुड़ी का वह छोटा सा मगर अच्छा खासा चलता होटल क्योंकर रातोंरात उस के सबकुछ छिन जाने का सबब बन जाता.

आह, उस नेपाली लड़की को याद कर उस का दिल मरोड़ सा जाता है. विश्वास और प्यार, संवेदना और भरोसा कितनी बेदाम चीजें हैं कि लोगों को पल में उन्हें ठोकर मारने में तकलीफ नहीं होती.

जाने क्यों दर्शित की नींद अपना सुकून खो चुकी है. जाने क्यों खोई हुई आश्वस्ति जैसे लौटी ही न हो, लेकिन लौटने के लिए व्याकुल हो.

शायद कुछ घंटे वह सो गया था. इस बार फिर उस के हाथ महिका की ओर बढ़े और वह चौंक कर उठ बैठा. बगल में नहीं थी महिका. फिर से उठ कर चली गई थी उस की प्रेयसी, उस की लिवइन पार्टनर महिका. आजकल अकसर ही आधी रात के बाद दर्शित को बिना बताए वह बिस्तर से उठ कर चली जाती है.

दर्शित बहुत घबराता है. वह उठ कर महिका को देखने जाता है.

ऐसे ही किसी सुबह दर्शित को निशिता भी तो नहीं मिली थी घर में. हमेशा के लिए चली गई थी वह.

दर्शित घबरा कर महिका को पूरे घर में ढूंढता है. वह उसे ड्राइंग या बालकनी में बैठ फोन में कुछ करती दिखती है. दर्शित को देखते ही वह चिढ़ जाती है.

दर्शित को डर लगता है- फिर से वही सब दोहराया न जाए जिसे वह अतीत में विसर्जित कर आया है.

“क्या कर रही हो महिका? रोज आधी रात को बिस्तर से उठ क्यों आती हो?”

“औफिस का काम करती हूं, तुम क्यों पीछे आए?”

“आधी रात को ऐसा क्या काम पड़ जाता…” दर्शित ने झिझक तोड़ते हुए पूछना चाहा तो महिका ने कहा, “देखो दर्शित, मुझे इतनी पाबंदी पसंद नहीं. आती हूं तो आती हूं, तुम्हें जगाती तो नहीं हूं नींद से?”

दर्शित चुप हो गया लेकिन उस के मन के बियाबां में कैसा बवाल मचा था, यह वही जानता था.

बात बढ़ाना नहीं चाहता था दर्शित. दरअसल वह शांतिप्रिय है, सीधा और प्रेमी स्वभाव का है. लेकिन साथ ही, उस की श्रवणशक्ति तेज थी. वह संभावित खतरा सूंघ सकता था. इसी वजह से वह बेचैन था. पुराने अनुभवों के दर्द उसे डराते हैं.

महिका और दर्शित का रात का खाना दर्शित के खुद के होटल से आ जाता है. दोपहर जो जहां काम पर, वह वही लंच करता है. बची सुबह, तो दोनों मिल कर कुछ बना लेते हैं. आज महिका दर्शित पर कोई काम लादे बिना, खुद ही रसोई में घुस गई थी.

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जिस के दिल में कुछ छिपाने वाली बात हो वह कभी भी सवाल वाली आंखों के आगे नहीं रहना चाहता. दर्शित यह समझता था, इसलिए वह महिका के व्यवहार पर और भी चिंतित हुआ.

दर्शित का यहां मुंबई के एक्सप्रैस हाईवे के पास रैस्टोरैंट है. कुछ कर्मचारी काम करते है. लेकिन दर्शित स्वयं भी मेहनत करने में विश्वास करता है.

हां, वह महत्त्वाकांक्षी इतना भी नहीं कि अपनी सुखशांति दांव पर लगा दे. महिका अकसर उस से बहस छेड़ देती है और किसी तरह वह बहसबाजी से बच निकलता है.

महिका के औफिस निकल जाने के बाद ही वह अपने होटल के लिए निकलता है. आज भी इसी तरह निकलते वक़्त ड्राइंगरूम के दराज वाले साइड टेबल से चाबी उठाते हुए उस की नजर एक बिल पर गई.

एक सोने की अंगूठी का बिल? क्यों?

क्या महिका उसे गिफ्ट देना चाहती है? अभी महीनाभर पहले ही तो उस के जन्मदिन पर उसे शर्ट दिया था.

वह बहुत खुश था, कीमत कोई माने नहीं रखती अगर भावनाएं सच्ची हों. दर्शित ऐसा ही तो है.

मगर अब यह अंगूठी? 5 दिन हो गए उसे अंगूठी खरीदे हुए, उस ने कुछ बताया नहीं.

दर्शित ने थकहार कर दिमाग का कपाट बंद किया और होटल के लिए निकल गया.

दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल्स के विशाल कौंप्लैक्स की लिफ्ट में चढ़ते हुए महिका ने अपने फोन का सैल्फी कैमरा औन किया. खुद का चेहरा चैक किया. ग्लैमरस थी वह. और लग भी रही थी. पैंसिलस्कर्ट को थोड़ा सही कर वह लिफ्ट से निकल आई. फोन मैचिंग वैनिटी में रखा. पांचछह फुट हाइट थी उस की. स्टाइल और एटिट्यूड के लिए वह 2 इंच की पैंसिलहिल जरूर पहनती है, खासकर, अच्युत सर के औफिस आते समय.

अच्युत – उस के सपनों के महल की नींव जैसा… विरासत में मिली कंपनी को अच्युत ने अपने बलबूते पर आयातनिर्यात कंपनी में तबदील किया, जिस की आज सारे विश्व में चेन कंपनियां थीं. बड़ी बात यह भी थी कि वह इस कंपनी और अपनी पुश्तैनी संपत्ति का इकलौता वारिस है. हजारों में एक खूबसूरत, स्मार्ट और व्यवहारकुशल.

कल्याण वेस्ट में 15 हजार रुपए महीने के किराए के घर से मालाबार हिल्स के अच्युत सर के कंपनी तक के रास्ते भले ही महिका के लिए कठिन रहे हों, जिंदगी ने उसे खूब संघर्ष दिखाया हो, पर अब जरूर उस के सपने पूरे होंगे.

अगर ऐसा होना न होता तो अच्युत सर सभी विश्वस्त लोगों में से उसे ही अपनी कंपनी के रिसैप्शनिस्ट से पर्सनल असिस्टैंट क्यों बनाते. महिका का खूबसूरत, सुडौल और स्मार्ट शरीर के साथ चालाक दिमाग शायद उस के लिए उस के तमाम सपने पूरे करने के औजार हैं.

और तो और, अब यह नया मौका भी. महिका को पूरा विश्वास हो चला है कि उस के सपने समय के रश्मिरथ पर सवार उस की ओर ही बढ़े चले आ रहे हैं.

विशाल केबिन में शीशे की टेबल के सामने कुरसी की बगल में खड़े हो कर 30 वर्ष के स्मार्ट, खूबसूरत, लंबे अच्युत कोई फाइल पढ़ रहे थे. महिका दरवाजे पर खड़ी हो कर अच्युत से कहती है- “सर, जन्मदिन मुबारक हो.”

“आओ, आओ महिका, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था. मैं कुछ दिन नहीं रहूंगा, ‘नौसिखिए’ फिल्म की शूटिंग के लिए दुबई जा रहा हूं. वहां से यूरोप ट्रिप है बिज़नैस के सिलसिले में. मेरे पीछे तुम्हें मैं कुछ विशेष ड्यूटी दे जाऊंगा.”

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महिका के सुर संगम का सारा ताल झन से टूट गया. उस ने चेहरे के भाव को अभिनय कौशल से छिपा कर कहा, “सर, “मैं तो आप की निजी असिस्टैंट हूं. मेरा तो आप के साथ होना बहुत जरूरी होगा. आप की शूटिंग हो या बिजनैस, आप को डिस्टर्ब हुए बिना अपना काम पूरा करना है. कोई तो आप के साथ होना चाहिए जो आप की व्यस्तता के पलों में आप को अन्य उलझनों से दूर रखे. फिर शूटिंग का यह आप का पहला अनुभव है, शायद. कोई मेरे जैसा अपना साथ रहे…”

महिका साहस और स्मार्टनैस के जरिए अच्युत के कुछ करीब आ गई थी.

अच्युत महसूस करता है उस की सुवासित देह की गंध. वासना में लिपटी महिका की नजर. स्वर में तृष्णा की खनक. 25 साल के यौवन का मादक ज्वार.

तुरंत ही महिका बात बदलते हुए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश करती कहती है, “सर, यह सोने की अंगूठी मैं ने आप की दी हुई तनख्वाह से खरीदी है. सब तो आप का ही है. आप इसे ना न कहना. यह मेरी भावना है. अगर आप ने नहीं लिया तो मैं बहुत दुखी हो जाऊंगी, सर.”

महिका अंगूठी उस के दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में पहना देती है.

अच्युत उसे धन्यवाद देते हुए अंगूठी की प्रशंसा करते हैं और उसे अपनी ओर से एक कीमती पेन गिफ्ट करते हैं.

महिका फिर उसी सवाल पर आ गई. महिका को सामने की कुरसी पर बैठने का इशारा कर अच्युत अपनी कुरसी पर बैठ गए.

“लेकिन इधर काम कई सैक्टर में बढ़ गया है. अकाउंट्स में अभी नए लोग आए हैं. भरोसे के लिए कोई तो चाहिए. इस बार फिल्म वालों की मुझ पर नजर पड़ गई, तो मना नहीं कर पाया उन्हें.”

“सर, आप को सुझाव दूं? सर, मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है, बहुत ईमानदार, सीधा और विश्वासी. अकाउंट्स में ऊंची डिग्री है. अभी वह होटल व्यवसाय में है. हम जब तक यहां न रहें, वह रोज दोतीन घंटे के लिए आ कर अकाउंट के मामले देख सकता है. उस से यहां की सारी खबर भी हमें मिल जाएगी और बात हम तीनों के बीच ही रहेगी.”

“ठीक है, तुम्हारी इतनी ही इच्छा है, तो चलो.”

“सर, सो स्वीट औफ यूं. लड़के को कल ले आती हूं.”

आगे पढ़ें- पहली बार अच्युत और दर्शित…

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Serial Story: मार्जिन औफ एरर (भाग-3)

इधर दर्शित का मसला वाकई बहुत पेचीदा लग रहा था अच्युत को. देखनेभालने में इतना सीधा. ऐसा कैसे कर सकता है कि महिका को छोड़ कर रुपए ले कर भाग जाए. क्या महिका ने उसे समझने में भूल की? महिका की मानें तो ऐसा ही है.

एक दिन अचानक किसी से कुछ कहे बिना अच्युत दर्शित के होटल पहुंच गए. अच्युत को उम्मीद ही नहीं थी कि दर्शित होटल में मिलेगा भी.

दर्शित उन्हें यों अचानक देख कर कुछ अचंभित, अप्रत्याशित सा महसूस करता उन की ओर बढ़ आया और अच्युत को मजबूरन अपने संग अपने छोटे से केबिन में ले गया.

अच्युत मन ही मन तैयार हो कर ही आए थे, भले ही उसे दर्शित के यहां होने की उम्मीद न थी.

“दर्शित, मै जानता हूं, तुम निर्दोष हो. मुझे मेरे 12 लाख रुपयों की फिक्र जितनी है उस से ज्यादा मुझे तुम्हारी फिक्र है. मैं असली अपराधी को पहचानता हूं, तुम मुझे, बस, इतना बता दो कि तुम इतना भी क्यों डर रहे हो कि सामने वाले की सारी बातें तुम्हें माननी पड़ीं? तुम बताओगे दर्शित, वरना मैं पुलिस को बुलाऊंगा.”

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दर्शित अब तक सफेद पड़ चुका था, कहा, “महिका की शर्तों की वजह से. मैं उसे हमेशा के लिए खोना नहीं चाहता था, एक दर्द है जो दोबारा महसूस करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी.”

“दर्शित, मैं जब तुम से मिला था, इतना जरूर समझा था कि आदमी तुम खरे हो. मैं बिजनैसमैन हूं, इंसान को समझे बिना काम नहीं चलता. कुछ तो दिक्कत है तुम्हारे साथ. क्या तुम महिका के साथ सीरियस रिलेशन में हो? महिका को देख कर वैसे कभी लगा नहीं. एक दोस्त समझो मुझे और खुद को मेरे सामने खोल दो. मैं जो कुछ समझ रहा हूं उस से दुविधा बढ़ रही है. अपने बारे में बताओ, तो यह दुविधा मिटे,” अच्युत करुणा से भरा दर्शित की आंखों में सीधा देखते हुए कह रहा था. विश्वास की एक नाजुक मगर स्पष्ट रोशनी दर्शित की आंखों तक पहुंच रही थी.

“अच्युत जी,”

“सिर्फ अच्युत कहो, दर्शित.”

“अच्युत, दरअसल, मेरी जिंदगी के पिछले पन्ने काफी कटेफटे हैं, इसलिए अभी के इन अधलिखे पन्नों की हिफाजत की बड़ी फिक्र लगी रहती है.”

“पिछली जिंदगी के ऐसे क्या गम हैं?” अच्युत ने सादगी से पूछा.

“आप सुनेंगे?”

“जरूर दोस्त, मैं जब तक आप को पूरी तरह नहीं समझूंगा, अभी की इन घटनाओं का हिसाब कहां मिला पाऊंगा?”

दर्शित की आंखों में सिलीगुड़ी का उस का छोटा होटल था. पिता के इस सामान्य से ढाबेनुमा होटल को सुंदर सा लौज सहित रैस्टोरैंट बनवा लिया था. अच्छा चलता था. दार्जिलिंग, सिक्किम जाने वाले देशीविदेशी पर्यटक एकदो दिन रुक कर आगे जाते, तो सस्ता, साफ व अच्छे होटल के लिए दर्शित के ‘वातायन’ होटल को चुनते. ग्राहकों के प्रति दर्शित का व्यवहार तो घर में आए किसी सम्मानित अतिथि सा होता.

दोमंजिला लौज़ और दो वक़्त खाने की व्यवस्था. 5 कर्मचारी थे. और ज्यादा से ज्यादा दर्शित ही दौड़भाग कर लेता.

ऐसे ही किसी एक व्यस्ततम दिन में जब वह ग्राहकों में उलझा था, एक 19-20 साल की नेपाली लड़की उस के पास आ खड़ी हुई. उस की पीठ पर स्कूलबैग जैसा एक बैग था, गोरा गोल चेहरा धूल और थकान से मटमैला हो रहा था. भूख जैसे आंखों में थकान की कालिमा सी पसरी थी.

दर्शित की ओर बिन कुछ कहे एकटक देखती रही थी कि जैसे दर्शित उस का कब का परिचित हो. और 28 साल का दर्शित भी तो. ग्राहकों की बात पर राजी हो कर उन्हें जल्द एक कर्मचारी लड़के के साथ कमरे की ओर भेज उस नेपाली लड़की के पास आ गया था.

टूटीफूटी हिंदी, बांग्ला और नेपाली उच्चारण में उस ने जो भी कहा, उस का मर्म यह था कि उस का नाम निशिता है. वह गरीब घर की पहली संतान है. पिता नहीं रहे, मां किसी तरह घरों में कई तरह के काम कर 3 बच्चों को पाल रही थी.

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ऐसे ही समय उस के गांव में मजदूर ढूंढने वाली गाड़ी से कुछ लोग आए. निशिता उन के साथ काम की तलाश में सिलीगुड़ी शहर आ गई. 2 दिनों में ही पता चला कि वह कमउम्र की लड़कियों के अश्लील वीडियो बना कर बेचने वाला गिरोह था .

निशिता वहां से भाग तो आई थी, लेकिन उस के काम की तलाश यों ही रह गई थी. अब एक काम के बिना गांव किस मुंह से लौटे. दूसरे, उसे दोपांच दिन यहां रुकने और खाने को मिल जाए, तो काम ढूंढ़ कर बिल चुका देगी.

सारी स्थितियां जान कर नर्मदिल दर्शित ने न केवल उस के रहनेखाने का प्रबंध किया बल्कि अपने सहयोगी के तौर पर उसे काम पर रख एक संतोषजनक तनख्वाह का भी इंतजाम कर दिया.

सालभर काम करते हुए दर्शित और निशिता इतने ही निकट आ गए कि अनाम से रिश्ते ने नाम तलाश लिए, उन्होंने विवाह कर लिया. किश्तों में अपने घर रुपए भी भेजती रही थी निशिता इन दिनों.

अभी छोटेछोटे नाजुक सपनों ने जागने से पहले अंगड़ाई ली ही थी कि एक सुबह दर्शित सो कर उठते ही सदमे में आ गया. सारा घर और होटल छान मारा, निशिता कहीं नहीं दिखी. बैडरूम की अलमारी देखने को वह दौड़ा गया. हां, वहां सारा खुलासा हो पड़ा था.

कुछ दर्शित की मां के गहने और होटल के 5 लाख रुपए जो आज बैंक में जमा करना था, नदारद थे. निशिता का फोन बंद था और हमेशा के लिए बंद ही रह गया.

टूटे दिल से लोगों के जोर देने पर जब पुलिस की तहकीकात शुरू करवाई गई तो तीनचार महीने बाद पता चला, वह अरब देश चली गई है. नेपाल के जिस किसी भी बौर्डर से वह आई थी, दर्शित के पूछने पर उस ने जो पता दिया था, वह सरासर झूठ था.

आह, वह लगाव, नेह और एकाकी जीवन में अचानक झूम कर आए मीठे बयार का इस तरह कुछ तहसनहस कर देने वाला तूफ़ान बन जाना दर्शित को अवसाद में ले गया.

सालभर की टूटफूट के बाद आखिर उस ने जीने की राह तलाशी और अपने पिता के होटल व घर को बेच मुंबई आ गया और यहां एक मध्यमस्तरीय होटल खरीदा.

अब जब सबकुछ ठीक था. वह महिका के लिए फिर उसी प्रेम और आकर्षण में गहरे डूब चुका था. इतना कि अब फिर से उसे वह खोने की हालत में नहीं था.

“महिका के प्रेम में इतने अंधे हो गए हो कि महिका तुम्हें उलझा कर स्वार्थ साध रही है और तुम न नहीं कह पा रहे हो, क्यों दर्शित? मुझ से कुछ भी छिपा नहीं है. कहो तो आगे मैं तुम्हारा दोस्त बन कर तुम्हें इस मुसीबत से निकाल सकता हूं.”

“डरता हूं, महिका रिश्ता समाप्त कर देगी.”

रिश्ता 2 लोगों के बीच होता है. महिका ने कभी तुम से रिश्ता समझा ही नहीं दर्शित. सच सुन सकोगे?”

“हां, अब यही ठीक है, सुनूंगा.”

“वह मेरे साथ क्यों गई थी विदेश? क्या तुम कुछ नहीं जानते?”

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दर्शित का चेहरा सफेद पड़ गया था, बोला, “डरता था सच से”

“डर तो तुम्हें और डराएगा. उस ने कोई कसर नहीं छोड़ी तुम्हें धोखा देने की. सच स्वीकार लोगे तो ज्यादा धक्के से बच जाओगे. यह तुम्हारे लिए जानना जरूरी होगा दर्शित कि उस ने मुझ से संबंध बनाने के लिए काफी होड़ लगाई, यहां तक कि… खैर, दर्शित, मुझे रुपए का हिसाब दो. यह सब क्या है?”

दर्शित कमजोर पड़ गया था, बोला, “उस ने ही सब किया. पहले आप की फर्म के साथ खुद के नाम से अकाउंट खोल मुझ से रुपए डलवाए. मेरा नाम उस में शामिल करवाया, बाद में आप पर जाहिर हो जाने पर मुझ से रुपए निकलवाए और अपना नाम बैंक अकाउंट से हटाया. मुझ से कहा कि रुपए निकाल कर उसे दे दूं और ऐसा प्रतीत करवाऊं कि रुपए मैं ने निकाले. यह उसी ने कहा था कि आप के बुलाने पर न जा कर आप का मेरे प्रति संदेह पुख्ता करूं.”

“तुम ने साथ दिया दर्शित. क्या गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं तुम में?”

“हिम्मत नहीं रही अच्युत. महिका के बिना बहुत अधूरा हो जाऊंगा. उस ने खुद को देने की यही शर्त रखी.”

“संभालो दर्शित खुद को. आईना नहीं अपनी आंखें साफ करो. चलता हूं. डरने की जरूरत नहीं. महिका को कुछ भी नहीं बता रहा हूं अभी.”

अच्युत और महिका साइकोथेरैपिस्ट डाक्टर केशव के क्लिनिक में थे. अच्युत ने महिका को साथ चलने को कहा था. उस ने उस से कहा कि वह अभी दवा के ज्यादा डोज की जरूरत महसूस कर रहा है. महिका ही यह मामला संभालती थी. वह तब अवाक हो गई जब डाक्टर केशव के क्लिनिक में दर्शित को देखा, सोचा, यह तो साथ ही रहता है उस के, बताया नहीं कि यहां आ रहा है. वैसे चारपांच दिनों से कटाकटा सा था उस से.

महिका को माहौल अजीब लग रहा था. डाक्टर केशव की असिस्टैंट अफरोजा दर्शित के साथ धीरेधीरे बात कर रही थी. डाक्टर केशव कुछ अजीब सी निगाहें लिए अच्युत के स्वागत में मुसकरा रहे थे.

आगे पढ़ें- महिका का दिल धड़क उठा. उस की…

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वेब सीरीज ‘तांडव’ से डिंपल कपड़िया की डिजिटल प्लैटफौर्म में एंट्री, पढ़ें खबर

हिमांशु किशन मेहरा और अली अब्बास ज़फर द्वारा निर्मित और अली अब्बास ज़फर द्वारा निर्देशित, इस 9 भाग के सीरिज ‘तां मैं सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, तिग्मांशु धूलिया और सुनील ग्रोवर की अहम भूमिकाएं हैं.”तांडव” का प्रीमियर 15 जनवरी 2021 को अमेजन प्राइम वीडियो पर होगा

डिंपल कपाड़िया अमेजॉन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज ‘तांडव’ शेख डिजिटल माध्यम पर कदम रखने जा रही हैं, इस वेब सीरीज का प्रसारण 15 जनवरी से शुरू होगा. इस वेब सीरीज में सैफ अली खान, जीशान अयूब और सुनील ग्रोवर ऐसे के किरदारों मैं नजर आने वाले हैं, जिन किरदारों में अब तक दर्शकों ने इन्हें नहीं देखा है.

अमेज़न प्राइम वीडियो ने नए वर्ष का आगाज अपनी मौलिक वेब सीरीज तांडव के एक शानदार और प्रभावशाली टीज़र के बाद अब ट्रेलर का अनावरण करके किया हैं. हिमांशु किशन मेहरा और अली अब्बास ज़फर द्वारा निर्मित और अली अब्बास ज़फर द्वारा निर्देशित है . अली अब्बास जफर इस वेब सीरीज डिजिटल निर्देशन में अपना पहला कदम रख रहे हैं. गौरव सोलंकी लिखित इस वेब सीरीज में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर, तिग्मांशु धूलिया, डीनो मोरिया, कुमुद मिश्रा, गौहर खान, अमायरा दस्तूर , मोहम्मद जीशान अयूब, कृतिका कामरा, सारा जेन डायस, संध्या मृदुल, अनूप, परेश पाहुजा और शोनाली नागरानी के साथ कुछ अन्य कलाकार भी इसमें शामिल हैं.

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अली अब्बास जफर के साथ, डिंपल कपाड़िया और कृतिका कामरा भी ‘तांडव’ से डिजिटल डेब्यू कर रही हैं.

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी में स्थापित यह वेब सीरीज सीरिज दर्शकों को अराजकता की एक अंधेरी दुनिया की गलियों में ले जाएगी और उन लोगों के काले कारनामों को उजागर करेगी. इस काल्पनिक वेब सीरिज मैं दर्शन देखेंगे कि लोग किस तरह सत्ता की लालच में गहराई तक खो जाते हैं.

‘तांडव’ में अपने केदार का जिक्र करते हुए सैफ अली खान ने कहा, “भारत के मनोरंजन जगत ने फिर से बदलाव के युग में प्रवेश किया है और ‘तांडव’ जैसी कहानियां इस बदलाव में आगे बढ़ रही हैं. एक अभिनेता के रूप में, मेरे लिए इसका लेखन और आकर्षक विशेषताओं का निर्माण, जिसमे ग्रे शेड की भूमिका अधिक महत्व रखती है.जब मैंने अपने समर के इस चरित्र की पेचीदगियों के बारे में पढ़ा और तांडव की दुनिया में गहरी पैठ बनाई, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस व्यक्तित्व को कैसे अपनाना है. ”

अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने कहा, “तांडव एक राजनीतिक थ्रिलर है.यह एक काल्पनिक कहानी है, जो शायद आपको पर्दे के पीछे की राजनीति और देश में सत्ता की गलियों में क्या चल रही है, इसकी स्पष्ट जानकारी देती है. मैंने इसमें अनुराधा की ऐसी भूमिका की है ,जिसे मैंने पहले कभी नहीं निभाया है. मुझे खुशी है कि मैंने अपने साथियों के साथ इस काम के साथ डिजिटल शुरुआत भी की है इसमें प्रत्येक चरित्र की भूमिका के एक से अधिक शेड हैं और मुझे उम्मीद है कि यह सीरिज दर्शकों को जोड कर रखेगी. ”

जबकि सुनील ग्रोवर ने कहा, “तांडव में मुझे साड़ी पहने और हंसते हुए नहीं देखा जाए गा. मैंने इसमें गुरपाल का किरदार निभाया है.गुरपाल एक सर्वांगीण व्यक्तित्व है और मैंने ऐसी भूमिका पहले कभी नहीं निभाई है. अली के साथ काम करने से पहले, मुझे पता था कि तांडव एक आकर्षक कहानी है और साथसाथ यह दिलचस्प भी है. अली ने एक ऐसी दुनिया बनाई है, जो दर्शकों को लुभाती है और उन्होंने मुझे वह भूमिका दी है जिसका इंतजार एक हर कलाकार को होता है. स्वाभाविक रूप से मैंने इस भूमिका के लिए हां कहा और सैफ, डिंपल जी जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ काम करना मेरे लिए यह एक बोनस कम नही था.”

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वेब सीरीज ‘तांडव’ का सारांश:

प्रमुख राजनीतिक दल के करिश्माई नेता समर प्रताप (सैफ अली खान) को लगता है कि उनकी पार्टी (लोकसभा) चुनाव जीतने के बाद वह प्रधान मंत्री का पद हासिल करने के लिए तैयार हैं.लेकिन समर के पिता, पार्टी प्रमुख और प्रधानमंत्री देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) रिटायर होने के लिए तैयार नहीं हैं. अनुराधा, (डिंपल कपाड़िया), पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल दास (कुमुद मिश्रा) देवकीनंदन के करीबी हैं और कई नेताओं में से एक हैं जो खुद को कुर्सी के योग्य मानते हैं. लेकिन किसी को भी आसानी से कुर्सी नहीं मिलती. इसके साथ साथ ही एक समानांतर कहानी चलती है, जिसमें कैंपस एक्टिविस्ट शिवाजी (जीशान अयूब), जो युवाओं के लिए एक आदर्श है, वह एक राजनीतिक कार्यक्रम में रात भर में ही युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन जाता हैं. शिव बदलाव लाना चाहते हैं, युवाओं को दिशा देना चाहता हैं और राजनीतिक सत्ता के स्तंभों को उखाड़ फेंकना चाहता हैं. शिव सत्ता के स्वाद को समझता हैं. वर्तमान राष्ट्रीय राजनीति और कैंपस की राजनीति आमने-सामने आने पर शिव और समर प्रताप का जीवन अंतरंग हो जाता है. इसमें, घटनाओं की एक श्रृंखला की तरह राजनीति होती है और सभी रिश्तों में धोखाधड़ी, योजनाबद्ध साजिशों, प्रलोभनों, अति-महत्वाकांक्षाओं और हिंसा को उजागर करती है.

स्वरा भास्कर के एक्स बौयफ्रेंड हिमांशु शर्मा ने मंगेतर संग रचाई शादी, फोटोज वायरल

बीते दिनों एक्ट्रेस स्वरा भास्कर के एक्स बॉयफ्रेंड रह चुके राइटर हिमांशु शर्मा अपनी सगाई की फोटोज के लिए सोशलमीडिया पर छाए हुए थे. वहीं अब उनकी शादी के फोटोज ने सोशलमीडिया पर तहलका मचा दिया है. दरअसल, फिल्म इंडस्ट्री के दो बड़े राइटर्स कनिका ढिल्लन (Kanika Dhillon) और हिमांशु शर्मा (Himanshu Sharma) ने शादी कर ली है, जिसकी फोटोज दोनों ने फैंस के साथ शेयर की है. आइए आपको दिखाते हैं उनके शादी की फोटोज…

पिछले महीने हुए थी सगाई

बीते एक साल से एक-दूसरे को डेट कर रहे राइटर्स कनिका ढिल्लन (Kanika Dhillon) और हिमांशु शर्मा ने बीते महीने दिसंबर में सगाई की थी. वहीं दोनों ने पिछले साल जून में अपनी रिलेशनशिप को औफिशयल भी किया था. वहीं अपने फैंस के साथ खुशियों को शेयर करते हुए कनिका ने अपनी शादी की फोटोज शेयर की है.

 

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शादी की फोटोज की शेयर

 

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कनिका ने फोटोज शेयर करते हुए लिखा, ‘हिमांशु शर्मा के साथ 2021 की नई शुरुआत.’वहीं फोटोज शेयर करने के बाद हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है. साथ उनकी फोटोज को फैंस वायरल भी कर रहे हैं. पता हो कि हिमांशु शर्मा पहले एक्ट्रेस स्वरा भास्कर के साथ 5 साल तक रिलेशनशिप में थे. वहीं कनिका ढिल्लन ने पहले फिल्म मेकर प्रकाश कोवलामुडी से शादी की थी, जिसके बाद साल 2019 में दोनों का तलाक हो गया था.

 

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बता दें, कनिका फिल्म इंडस्ट्री की एक मशहूर स्क्रीनराइटर हैं. उन्होंने ‘जजमेंटल है क्या’, ‘मनमर्जियां’, ‘केदारनाथ’ और ‘हसीन दिलरुबा’ जैसी फिल्में लिखी हैं. वहीं वहीं हिमांशु शर्मा ने अब तक कई सुपरहिट फिल्में लिखी हैं, जिसमें ‘तनु वेड्स मनु’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ और ‘रांझणा’ जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं.

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‘भाभीजी घर पर हैं!’ में ‘गोरी मेम’ के रोल में नजर आएंगी ये एक्ट्रेस, पढ़ें खबर

बीते साल कई सेलेब्स ने जहां लौकडाउन के कारण कई सीरियल्स बंद हो गए तो वहीं कई स्टार्स ने अपने सीरियल्स को अलविदा कहने का फैसला किया. वहीं इस लिस्ट में ‘भाभीजी घर पर हैं!’ की ‘गोरी मेम अनीता भाभी’ यानी सौम्या टंडन का भी नाम शामिल था. हालांकि 5 साल से शो का अटूट हिस्सा रही सौम्या ने शो छोड़ने का दुख जताया था. वहीं फैंस भी उनके इस अचानक लिए फैसले से काफी दुखी हुए थे. लेकिन अब मेकर्स ने नई भाभी जा लाने का फैसला कर दिया, जिसके लिए एक्ट्रेस का चुनाव भी हो चुका है. आइए आपको बताते हैं कौन होगीं नई ‘गोरी मेम’….

ये एक्ट्रेस लेंगी सौम्या टंडन की जगह

‘भाभीजी घर पर हैं!’ में काफी वक्त से ‘गोरी मैम’ यानी अनीता भाभी के रोल के लिए एक्ट्रेस की तलाश अब खत्म हो गई है. दरअसल, खबरों की मानें तो अब एक्ट्रेस नेहा पेंडसे शो में गोरी मैम का रोल निभाती नजर आएंगी. ‘मे आइ कम इन मैडम’ कौमेडी शो में लीड रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस नेहा पेंडसे ‘भाभीजी घर पर हैं!’ के प्रौड्यूसर संजय और बिनायफर के साथ काम कर चुकी हैं.

 

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सौम्या टंडन के शो छोड़ने की ये थी वजह

 

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हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में सौम्या टंडन ने ‘भाभीजी घर पर हैं!’ को छोड़ने की वजह बताते हुए कहा था, ‘हां मैंने अपने कॉन्ट्रैक्ट को आगे न बढ़वाने का फैसला किया है. आप कह सकते हैं कि एक स्थायी नौकरी को छोड़ने का यह बहुत ही अव्यवहारिक फैसला है क्योंकि मैं एक जमे हुए शो को छोड़ रही हूं. लेकिन मैंने महसूस किया कि एक स्थायी सैलरी पाना और नौकरी करना कुछ ज्यादा मजेदार नहीं था. एक आर्टिस्ट के तौर पर मैं आगे बढ़ना चाहती हूं. ऐसे प्रॉजेक्ट्स करना चाहती हूं जहां आर्टिस्ट के तौर पर ग्रोथ मिले.’


बता दें, ‘भाभीजी घर पर हैं!’ एंड टीवी का काफी पौपुलर प्रोग्राम है, जिसे सभी बेहद पसंद करते हैं. कौमेडी के तौर पर यह सीरियल सभी को बेहद एंटरटेन करता है.  वहीं इससे पहले शिल्पा शिंदे ने भी निजी कारणों के कारण शो को अलविदा कहने का फैसला लिया था.

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शादी से पहले अनचाहे बालों से छुटकारा पाने का परमानेंट तरीका क्या है?

सवाल-

मेरी शादी का दिन नजदीक है, लेकिन मैं अपने हाथपैरों पर दिखने वाले अनचाहे बालों को ले कर परेशान हूं. मुझे इन का कोई परमानैंट निदान चाहिए ताकि मैं शादी के बाद भी इन को रिमूव करने के टैंशन से फ्री रह सकूं?

जवाब

आप ने अपनी समस्या के साथ ही हल भी दे दिया है. आप परमानैंट सोल्यूशन चाहती हैं तो आप पल्स लाइट ट्रीटमैंट का सहारा ले सकती हैं, जो अनचाहे बालों से नजात का परमानैंट सोल्यूशन है.

इस की मदद से आप वैक्सिंग की तकलीफ से हमेशा के लिए फ्री हो जाएंगी. आईपीएल यानी इंटैंस पल्स्ड लाइट हेयर रिडक्शन की आसान व कारगर और सब से ऐडवांश तकनीक है.

इस का ट्रीटमैंट शुरू करने से पहले कुछ जरूरी चिकित्सीय जांच की जाती है. जरूरत पड़ने पर आवश्यक सलाह व दवाएं भी दी जाती हैं. यह पूरी तरह सुरक्षित और असरदार तकनीक है. इस के जरीए 7 से 10 सिटिंग्स में ही 60 से 80% बाल रिमूव हो सकते हैं.

अंडरआर्म्स, हाथपांव जैसे बौडी के बड़े हिस्से के अनचाहे बालों को हटाना हो तो इस तकनीक का इस्तेमाल बेहतर होता है. अपर लिप और चिन जैसे छोटे हिस्से के परमानैंट हेयर रिडक्शन के लिए भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है.

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स्किन को खूबसूरत, कोमल और अनचाहे बालों से मुक्त बनाने के लिए वैक्सिंग से बेहतर कोई विकल्प नहीं. इससे न केवल अनचाहे बाल हटते हैं बल्कि टेनिंग जैसी समस्या भी दूर होती है. वैक्सिंग कराने के बाद सामान्यत: स्किन कम से कम दो सप्ताह तक मुलायम रहती है, जो बाल फिर से उगते हैं, वे भी बारीक और कोमल होते हैं. नियमित वैक्सिंग कराने से 3-4 सप्ताह तक बाल नहीं आते तथा समय के साथ बालों का विकास भी कम हो जाता है. वैक्सिंग कई तरह की होती है, जिसे आप अपनी  सुविधानुसार करना सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वैक्सिंग से पहले जान लें वैक्स के बारे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब प्रेमी हो बेहद खर्चीला 

‘डेटिंग’ शब्द मन के कोमल भावों को जगाने के लिए काफी है. हमारा प्रेमी हमारे साथ होता है, जिस में हम अपने होने वाले जीवनसाथी की छवि देखते हैं. उस के साथ समय बिताना, आने वाले जीवन के सुहाने सपने सजाना कितना सुहावना होता है ये सब. कैसा होगा हमारा लाइफ पार्टनर, यह विचार अकसर मन में घूमता है. हम सभी अपने दिलों में एक तसवीर और दिमाग में एक चैकलिस्ट रखते हैं कि हमारे पार्टनर में ये खूबियां होंगी, वह स्मार्ट होगा, केयरिंग होगा, मु झे सम झेगा आदि. अमूमन लिस्ट लंबी ही होती है.

लेकिन इस लिस्ट में से एक गुण जो अकसर छूट जाता है वह है उस की ज्यादा या कम खर्चा करने की आदतें. आप का प्रेमी कितना मनीस्मार्ट है, इस का सीधा असर आप के रिश्ते पर पड़ता है. ‘यूनिवर्सिटी औफ ऐरीजोना’ ने करीब 500 लोगों का डाटा इकट्ठा किया. सभी अपने 20 के दशक में थे और अपने प्रेमी के प्रति भावनात्मक रूप से प्रतिबद्ध थे. इस शोध का परिणाम रहा कि वे कपल जिन में प्रेमी पैसों को ले कर जिम्मेदाराना स्वभाव के थे, उन में आपसी खुशी व तालमेल अधिक देखने को मिला. इस के उलट जिन कपल्स में पैसे के प्रति लापरवाही दिखी, वहां एकदूसरे पर कम विश्वास देखने को मिला. ‘यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन’ में भी एक शोध हुआ जहां यह बात सामने आई कि शुरुआत में हो सकता है कि खर्च को ले कर एकदूसरे के विपरीत सोच आपसी आकर्षण का कारण बने, किंतु लंबे समय में इस से झगड़े, मनमुटाव और अधिक चिंता के लक्षण देखने को मिले.

रैड फ्लैग

इस का सीधा सा अर्थ है कि जैसे रंगरूप, व्यक्तित्व, व्यवहार आदि एक रिश्ते के लिए माने रखते हैं, वैसे ही पैसे के प्रति सोच और रवैया भी आपसी तालमेल के लिए आवश्यक है. यदि आप का प्रेमी खर्चीला है तो इस में आप कुछ समय तक तो खुश हो सकती हैं, उस के दिए तोहफों और महंगी जगहों पर करवाए डिनर को ले कर इतरा सकती हैं, किंतु लंबे समय में इस गुण को अवगुण बनने में देर नहीं लगेगी. फिनसेफ कंपनी के फाउंडर डाइरैक्टर मृण अग्रवाल कहते हैं कि किसी रिश्ते को बनाए रखने के लिए यह जरूरी होता है कि कपल आर्थिक मामलों में एकजैसी सोच रखते हों. दोनों की मानसिकता कमाने, बचाने, निवेश करने और लोन लेने में मिलती हो तो जिंदगी के अन्य उतारचढ़ाव आसानी से झेले जा सकते हैं. हालांकि पैसों से जुड़ी बातचीत तभी होनी चाहिए जब रिश्ते को कुछ समय बीत चुका हो.

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शुरुआत में पैसों से संबंधित बातें ठीक नहीं, ऐसा एक हाल ही में की गई स्टडी से सामने आया, जिस में करीब 60% लोगों ने माना कि कम से कम 6 महीनों बाद ही प्रेमियों को एकदूसरे से अपनी आर्थिक स्थिति शेयर करनी चाहिए. मगर यदि आप का प्रेमी तब भी अपने आर्थिक हालात के बारे में बात करने से कतराए तो यह एक रैड फ्लैग है.

तारेश भाटिया, सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लैनर कहते हैं कि आप का प्रेमी पिछले 4-5 सालों से नौकरी कर रहा है और अभी तक कोई ऐसेट नहीं बना पाया है जैसे घर, गाड़ी, बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड या फिक्स्ड डिपौजिट तो इस का मतलब हो सकता है कि उस का कोई फाइनैंशियल गोल ही नहीं हैं. यह निश्चित तौर पर चेतावनी की तरह देखा जाना चाहिए. यह आर्थिक लापरवाही का चिह्न है, जिस का गलत असर आप के आने वाले जीवन पर अवश्य पड़ेगा.

तारेश सु झाव देते हैं कि यदि आप का प्रेमी बहुत महंगी जगह डिनर पर ले जाए या फिर किसी फैंसी जगह घुमाने ले जाए, जबकि उस की आमदनी इतनी ऊंची जगह के लायक नहीं है तो आप को उसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए. हो सकता है उस की आदत अपनी आय से अधिक खर्च करने की हो. आप को इस के बारे में जितनी जल्दी पता चल जाए, उतना बेहतर, क्योंकि शादी के बाद ऐसी आदतों के सुधर जाने के चांस कम ही होते हैं.

कैसे पहचानें कि आप का प्रेमी पैसे के प्रति लापरवाह तो नहीं?

कीमत से बेअसर

वर्षा कहती है, ‘‘रेहान के साथ घूमने जाने का मतलब है शौपिंग, उसे खरीदारी करना इतना पसंद है कि क्या बताऊं. उसे हर चीज चाहिए. सबकुछ लेटैस्ट. चाहे ब्रैंडेड कपड़ेजूते हों या फिर इलैक्ट्रौनिक गैजेट, रेहान को सबकुछ चाहिए. यू नेम इट. लेकिन मेरी परेशानी यह है कि कुछ भी खरीदते समय वह उस की कीमत ही नहीं देखता. उस का यही हाल डिनर का बिल चुकाने, घर के लिए ग्रोसरी खरीदने या फिर वेटर को टिप देते समय भी है. ऐसा कब तक चलेगा? आखिर हम प्राइवेट नौकरियों में हैं. कोई खजाना तो गड़ा नहीं है हमारे पास.’’

पिछले 3 सालों से कपल रहे रेहान और वर्षा अब शादी के बारे में सोच रहे हैं. ऐसे में वर्षा का भविष्य को ले कर चिंताग्रस्त होना स्वाभाविक लगता है.

‘हाऊ टु बी हैप्पी पार्टनर्स’ की लेखिका डा. टीना टेसीना कहती हैं, ‘‘रिश्ते में आर्थिक बेवफाई तब होती है जब आपसी संवाद साफ न हो या फिर आप मतभेद अवौइड कर रहे हों. समय रहते पैसों को ले कर बातचीत कर लेने में ही भलाई है. एक आदतन खर्चीले व्यक्ति के साथ जिंदगी बिताना आसान नहीं होता. उस पर आगे चल कर उस के कर्जों में डूब जाने की आशंका भी अधिक रहती है. प्रेमी वो अच्छा जो जीवनमूल्यों पर ध्यान दे न कि केवल भौतिकताओं और दिखावों पर.

चादर से लंबे पैर

शिखा का बौयफ्रैंड उस की सहेलियों के लिए जलन का कारण है. उस का बीएमडब्ल्यू कार में आना, महंगे तोहफों से शिखा को रि झाना, ऊंचे रेस्तराओं में पार्टी देना, इन सब से आज शिखा खुश है परंतु कहीं उस के मन में एक सवाल कुलबुलाता रहता है कि एक साधारण सी कंपनी में असिस्टैंट मैनेजर होते हुए वह ये सब कैसे अफोर्ड करता है? स्पष्ट है कि वह क्रैडिट कार्ड और लोन के बलबूते यह जिंदगी जी रहा है. तारेश भाटिया कहते हैं कि आप का प्रेमी कैसे कपड़े पहनता है, कैसा लाइफस्टाइल जीता है, कौन सी गाड़ी चलाता है, इन सब प्रश्नों में आप को इस बात का उत्तर मिलेगा कि कहीं उस का जिंदगी जीने का ढंग उस की आय के मुकाबले बेपरवाह तो नहीं. अगर वह बचत की नहीं, केवल खर्चे की बातें करता है तो यह ध्यान देने लायक बात है, क्योंकि जल्द ही उस के क्रैडिट बिल उस का वजूद खाने लगेंगे. इसलिए इस बात को उस की शानशौकत में दब कर टालें नहीं, बल्कि जितना जल्दी हो सके उस से इस विषय में बात करें.
यदि आर्थिक फुजूलखर्च चलता ही रहे तो इस का मतलब यह भी है कि आप का प्रेमी आप को अपने खर्चों से कम आंकता है. उस के लिए खर्चीला जीवन आप से अधिक महत्त्वपूर्ण है.

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टीना टेसीना इस आदत को संबंधों में विश्वासघात की तरह देखती हैं. यश और निवेदिता, दोनों 30 के दशक में हैं और जल्दी ही शादी करने वाले हैं. शादी से पहले दोनों ने एकदूसरे के निवेश और बचत के बारे में खुल कर बातचीत की. वे कहते हैं, ‘‘हम पिछले 5 साल से प्रेमी हैं. ऐसे में शादी से पहले हमें एकदूसरे के बारे में पूरी जानकारी होनी जरूरी है. घर, गाड़ी, यहां तक कि कैमरा व लैपटौप को भी हम अच्छे असेट मानते हैं.’’

निवेदिता बताती है, ‘‘यश, जोकि एक मार्केटिंग मैनेजर हैं, की आदत जरूरत से अधिक खर्च करने की थी. मैं एक बैंकर हूं. बचत करना और सही जगह निवेश करना मेरे जौब का हिस्सा है. यश की अधिक खर्चा करने की आदत ने एक बार हमारा ब्रेकअप भी करवा दिया था. दिक्कत यह थी कि हमें पता ही नहीं चलता कि पैसे कहां खर्च हो गए. दरअसल, यश को रोज बाहर खाने और पीने की आदत थी. अच्छे रेस्तरां में खाना और ड्रिंक्स बहुत महंगा पड़ता है.

तब मैं ने यश से पूछा कि उसे बाहर क्या पसंद है बाहर के खाने का स्वाद, वहां का माहौल या फिर घर पर खाना पकाने का आलस, फिर काफी विचार कर के दोनों ने अपनी ग्रौसरी लिस्ट में रैडी टु कुक रैसिपीज जोड़ लीं ताकि घर पर स्वाद बदला जा सके और खाना बनाना भी आसान रहे. एकसाथ सोचने से आप जल्दी सही निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं. जब से दोबारा पैचअप हुआ है, हम अपनी आज की और भविष्य की आर्थिक जरूरतों का पूरा ब्यौरा रखते हैं.’’ मनोवैज्ञानिक कोण

मनोवैज्ञानिक डा. प्रीति कहती हैं कि हमारे जो ट्रेट साधारणतया बाहर नहीं आते, वे आर्थिक लेनदेन में आसानी से निकल आते हैं. इसलिए प्रेमी के साथ आगे बढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि कहीं उन के अधिक खर्च करने की आदत कोई रैड फ्लैग तो नहीं. जैसे आप का प्रेमी आप के आर्थिक तौरतरीकों को काबू करने की कोशिश करें या फिर आप की खर्च करने या न करने की प्रवृत्ति को नीचा दिखाए. इन सब के पीछे उस की अपनी मनोग्रंथि हो सकती है. प्रेमी के प्यार में पागल हो कर आप की अपनी विवेचना और साफ सोचनेसम झने की शक्ति कम हो सकती है. ‘‘जब हम प्यार में होते हैं तो हम अपने प्रेमी की हर बात पर विश्वास करते हैं और उस की कमियों को नजरअंदाज करते हैं,’’ यह कहना है डा. प्रीति का.

अपोजिट अट्रैक्ट

अंगरेजी में कहते हैं कि हम उन की तरफ आकर्षित होते हैं, जो हम से बिलकुल अलग होते हैं या विपरीत सोच और स्वभाव के होते हैं जैसे अंतर्मुखी लोग बहिर्मुखी लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं. लेकिन अगर आप पैसे बचाने के लिए घर से लंच ले कर औफिस जाती हैं, वहीं आप का प्रेमी रोज लंचडिनर सब बाहर से मंगवा कर खाता है तो आप दोनों की बचत कैसे होगी?

सुमन का प्रेमी सैल्फ पैंपरिंग में बहुत विश्वास रखता है. उसे हर महीने एक बेहतरीन पार्लर में अपना फेशियल, पैडीक्योर और हेयर स्पा करवाने का शौक था. इतने खर्चे तभी हो पाते थे जब वह हर महीने अपने क्रैडिट कार्ड का केवल न्यूनतम बिल चुकाता था और बाकी का सारा इकट्ठा होता जाता था. पर ऐसा कब तक चलता. सुमन के लाख सम झाने पर भी जब उस ने अपने तौरतरीके नहीं बदले तो हार कर सुमन को यह रिश्ता तोड़ना पड़ा.

कैसे निबटें इस स्थिति से

स्टूडैंट लोन ऐक्सपर्ट शशि मोहन का मानना है कि जो कपल अपनी आर्थिक स्थिति
और संकट के विषय में खुल कर बात करते हैं, वह अच्छी फाइनैंशियल चौइस करने में सक्षम होते हैं.

संग बनाएं बजट: एकदूसरे की बात सुन कर, एकदूसरे की जरूरतें सम झते हुए आप दोनों को एकसाथ बैठ कर बजट तैयार करना चाहिए. इस से आप की इच्छाएं भी पूरी हो जाएंगी, आप के खर्च सीमित रहेंगे और आप भविष्य के लिए जोड़ भी सकेंगे. बजट बनाने का एक अच्छा तरीका है. 50/30/20 बजट. इस का मतलब- टैक्स काटने के बाद की अपनी कमाई का 50% से अधिक हिस्सा आप अपनी जरूरतों पर खर्च नहीं करेंगे, 30% से अधिक हिस्सा अपनी इच्छाओं पर खर्च नहीं करेंगे और कम से कम 20% हिस्सा बचाएंगे.

फाइनैंशियल प्लान तैयार करें: किसी भी पक्ष को निशाना न बनाते हुए एक ऐसा प्लान तैयार करें जहां आप दोनों अगले 5-10-15-20 सालों में पहुंचना चाहते हों. भविष्य के अपने पड़ाव सोचें और उसी हिसाब से अभी से बचत योजना तैयार करें. मासिक खर्चे: कुछ लोग अपने खर्चे रोक ही नहीं पाते, फिर चाहे वो ब्रैंडेड बैग पर खर्च हो, कीमती घडि़यों पर हो या फिर किसी महंगी हौबी अथवा खेल पर. ऐसे में आप को अपने प्रेमी को इस बात के लिए राजी करना होगा कि हर महीने आप दोनों के खाते में कुछ निर्धारित राशि आएगी.

उस का व्यय आप की अपनी मरजी पर होगा किंतु उस राशि से अधिक आप को नहीं मिलेगा. जैसे मातापिता किशोर बच्चों को जेबखर्च देते हैं, वैसे ही आप भी कुछ निर्धारित राशि एक लिफाफे में रख कर अपने प्रेमी के हवाले करें. फिर उन पैसों को वह कैसे खर्च करता है, इस मामले में आप बिलकुल दखल नहीं देंगी. इस के 3 फायदे होंगे. पहला, आप दोनों वह बचत कर सकेंगे जो आप ने सोची है. आप के खर्चों पर एक सीलिंग लग जाएगी. दूसरा फायदा यह होगा कि आप का प्रेमी अपनी इच्छा से खर्चा कर के संतुष्टि पा सकेगा, बिना किसी रोकटोक के और तीसरा फायदा यह होगा कि इस खर्च के बारे में आप दोनों में से किसी को भी किसी तरह की ग्लानि का सामना नहीं करना पड़ेगा यानी गिल्ट फ्री स्पैंडिंग.

अधिक खर्चीला प्रेमी शुरुआत में आप को लुभा सकता है, इंप्रैस कर सकता है, मगर यदि आप दोनों अपनी जिंदगी साथ बिताने की सोच रहे हैं तो अच्छे लाइफस्टाइल के लिए आप के बैंक अकाउंट में धनराशि का होना आवश्यक है और इस के लिए जरूरत पड़ती है खर्चे पर थोड़ी लगाम लगाने की.

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रिश्ता आगे बढ़ाने से पहले

– जब आप का प्रेमी अकसर अपने खर्चों के बारे में आप से छिपाए या झूठ बोले.
– जब आप को खर्चों की रसीदें मिलें और आप का प्रेमी उन के बारे में आप को न बताए.
– जब आप के जौइंट बैंक अकाउंट से आप का प्रेमी अकेले ही पैसे निकाल कर खर्च करता फिरे.
– जब उस के सिर पर भारी स्टूडैंट लोन हो और वह अपनी कमाई का अधिकतर हिस्सा केवल खर्च करने में गंवा दे.
– उसे क्रैडिट कार्ड के चसके की बुरी लत लग चुकी हो.
– आप की तरह उसे बचत करने की आदत न हो, जिस कारण उसे न तो बजट बनाना आता हो और न ही बजट में खर्च करना.
– जब अपनी कमाई से उस का खर्च पूरा न पड़ता हो और उसे सब से उधार मांगने की बुरी लत लग चुकी हो. इन सभी गलत आदतों की वजह से आप का प्रेमी पैसों की कीमत नहीं सम झ पाएगा. उस के ऊपर पैसों की तंगी, उधारी,
डांवांडोल रिश्ते और आगे चल कर तनाव संबंधी परेशानियों का आना तय है. ऐसे में इस रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले अच्छी तरह विचार कर लेने में ही आप की भलाई है.

तो रंगों से खिल उठेगा आशियाना

मौनसून का मौसम भले मन को भाता हो, लेकिन इस के खत्म होते ही घर को दोबारा पेंट करवाने की जरूरत होती है. घर को पेंट कराना  जरूरी हो जाता है ताकि अपने आशियाने को बिल्कुल नया और आकर्षक रूप दिया जा सके. घर को पेंट करवाना सब से मुख्य काम होता है. उसे पेंट करवाने के लिए अपनी पसंद के रंग ही काफी नहीं होते, बल्कि उन में विभिन्न रंगों का कैसे समायोजन किया जाए यह भी जरूरी है ताकि घर की सुंदरता और निखर जाए. आइए, जानते हैं पेंट कैसा हो और विभिन्न रंगों के कंट्रास्ट का कैसे प्रयोग किया जाए:

कलर का हो बैलेंस

पेंट कई तरह के होते हैं. लेकिन सब से जरूरी बात यह होती है कि कमरों के लिए रंग कैसा प्रयोग करना चाहिए और उस की क्वालिटी कैसी होनी चाहिए. हालांकि कमरों में किस कलर का पेंट करवाना है यह व्यक्तिगत पसंद होती है, फिर भी डिजाइनर्स की राय यही रहती है कि अगर आप अपनी पसंद का कोई कलर घर में करवाना चाहते हैं, तो उसे खासतौर से किस जगह पर कराना है और किस तरीके से कराना है, इस बात पर ध्यान देना जरूरी होता है.

अगर आप ने किसी ब्राइट कलर का प्रयोग किया है तो उसे मिनीमाइज करने के लिए उस में कंट्रास्ट का प्रयोग करना चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि वह ओवरडन न हो, क्योंकि पेंट से अगर किसी जगह की इंपौर्टैंस बढ़ सकती है तो कम भी हो सकती है. डार्क कलर से हो सकता है कमरे का पूरा लुक छोटा लगने लगे या फिर कमरे में इतना लाइट कलर करवा दिया कि वह एकदम प्लेन लगने लगे. उसे किस तरीके से कलर करना है इस के लिए यह सुझाव है कि अगर आप डार्क और लाइट कलर का प्रयोग करते हैं, तो उस का अनुपात 30-70 का रहना चाहिए. अगर आप ने खास किसी एक कलर को चुना है, तो सुझाव है कि सारी दीवारें एक कलर की ही न करवाएं. अगर आप ने व्हाइट कलर करवाया है, तो उस की अलग बात है.

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लेकिन अगर कोई कलर चूज करने की बात आती है चाहे आप वाल पेपर के फार्म में ही लगाना चाहते हैं, तो आप एक वाल को जो भी सब से ज्यादा दिखने वाली हो जिसे फीचर वाल कहते हैं, उस में अपने कलर को ऐड कीजिए, क्योंकि कलर एक ऐसी चीज है, जिस का हमारे मूड पर बहुत असर पड़ता है.

सीलिंग हो प्लेन

सीलिंग को प्लेन ही रखना चाहिए. उसे ओवर पावर नहीं करना चाहिए. जितना उस में प्लेन कलर होगा उतना ही अच्छा होगा. व्हाइट कलर स्ट्रैस को कम करता है. ग्रीन हैल्थ के लिए अच्छा रहता है. ब्लू स्ट्रेस को कम करता है.

फोकल पौइंट के लिए टैक्स्चर

फोकल पौइंट टैक्स्चर पेंट से अलग-अलग पैटर्न को यूज कर सकते हैं. इस में टैक्स्चर बनाए जा सकते हैं, वाल पेपर का प्रयोग किया जाता है, स्टैंसिल्स का भी प्रयोग कर सकते हैं. वाइब्रैंट लुक के लिए अगर पेंट की बात करें तो वाइब्रैंट कलर्स में पूरी स्कीम के साथ बैलेंस करना बहुत जरूरी है. इस में अनुपात 30-70 से ज्यादा न हो वरना इस के बाद यह स्पेस को ओवर पावर करना शुरू कर देता है.

टैक्स्चर में भी 50-50 का अनुपात ले सकते हैं या अगर आप को कोई कलर ज्यादा लगाना है तो वह पर्सनल चौइस है. उस में कोई भी कलर प्रयोग कर सकते हैं. छोटी जगह पर टैक्स्चर बनवा रहे हैं तो वहां वाइब्रैंट कलर का रेशो कम रखें. टैक्स्चर पेंट या सामान्य पेंट करवाने से पहले अगर दीवारों पर प्लास्टर या पीओपी है, तो बहुत अच्छा वरना वाल पुट्टी होनी बहुत जरूरी है. पेंट करवाएं तो 3-4 लेयर्स में करवाएं. एक लेयर के सूखने पर दूसरी लेयर करवाएं. अगर जल्दीजल्दी लेयर चढ़वाएंगे तो दीवारों पर पपड़ी या सीलन नजर आ सकती है.

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किस तरह का पेंट है बैस्ट

घर के लिए प्लास्टिक पेंट ठीक होता है. इसे आप पानी से धो भी सकते हैं. इस से अपर ग्रेड में जाना है, तो साटन फिनिश और रौयल पेंट आते हैं.

थोड़ी सावधानी

जब भी पेंट करवाना हो और आप किसी को विद मैटीरियल ठेका दे रहे हों तो पैकेट अपने सामने ही खोलने को कहें. आजकल पेंट की सस्ते के साथसाथ लो ग्रेड क्वालिटी भी आती है. डुप्लिकेट पेंट भी आते हैं, जो बाद में फेड हो जाते हैं, बबल्स और पपड़ी आने लगती है, इसलिए पेंट कराते समय पूरी तरह सजग रहें.

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