महिका का दिल धड़क उठा. उस की नजर अफरोजा की तरफ गई. मुश्किल से 5 फुट 3 इंच की ऊंचाई होगी उस की. गोरी, दुबलीपतली, हलकी लंबाई में तीखा सा चेहरा, ऊंची नाक, सिल्क के महीन धागों सी भूरे बालों और काले कजरारे सुरमे वाली आंखें. जरीदार जरदोजी के पीले सूट में अफरोज़ा आम्रपाली सी संगीतमय लग रही थी. सच, उस ने अपनी आंखों से देखा, अच्युत ने अफरोजा को बड़ी गहरी नजर से देख आंखें हटाईं और अफ़रोजा की आंखों में विद्युतधारा चमक उठी. होंठों पर उस के गुलमोहर की खिलखिलाहट सी तैर गई.
फिर यह दर्शित से धीमेधीमे क्या बात कर रही होगी… जो भी हो, अच्युत महिका का है. उस ने उसे पाने का संकल्प ले रखा है. उसे इस करोड़ों की संपत्ति का उत्तराधिकार पाना है. अच्युत इस लड़की के प्रति कहीं कमजोर तो नहीं हो रहा… नहीं. ऐसा हो तो कैसे. दवा का असर ऐसा होने तो न देगा.
दर्शित ने व्यंग्यभरी अजीब सी अफसोसनाक मुसकान लिए महिका को देखा और इतने में अच्युत ने डाक्टर केशव से कहा, “कितने रुपए दिए गए डाक्टर साहब?”
50 हजार रुपए देने की बात थी. अभी तक 25 हजार रुपए दिए गए.”
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“किस एवज में अंकल?” चौंकी महिका. एक तरह से कहा जाए तो डर और सतर्कता ने उस के चेहरे पर जर्द मातम फैला दिया था, जैसे प्रेमपत्र लिखे जाने के लिए निकाले गए सफेद चमचमाते कागज पर अचानक स्याही गिर गई हो.
“अच्युत, आप को कोई ऐसी दवा या ड्रग देने की पेशकश की गई थी जिस से आप कम सोचसमझ सकें और किसी के निर्देश अनुसार काम करने में ही अपनी भलाई समझें,” डाक्टर ने कहा.
“किस ने किया यह डाक्टर केशव?” अच्युत धीमे मगर गहरे स्वर में पूछ रहे थे.
महिका जमीन की ओर देखती बैठी थी. उस ने डाक्टर केशव को एकबारगी इस तरह देखा जैसे कुछ अनुरोध करना चाहती हो.
डाक्टर केशव अनदेखा करते बोले, “महिका जी मेरे घर आई थीं, उन्हीं की ऐसी इच्छा थी.”
अब सारी आंखें महिका की तरफ थीं.
अचानक महिका ने अच्युत पर निशाना साधा- “अगर मेरे साथ जिंदगी में आगे बढ़ने की गुंजाइश ही नहीं थी तो मुझे अपने साथ दुबई क्यों ले गए थे?”
“अंकल, आप ने वे रुपए मुझे लौटा दिए और सारी बातें बताईं. लेकिन क्या आप ने महिका को यह बताया कि आप मेरे पापा के दोस्त हैं और हमारे पारिवारिक शुभचिंतक? आप ने मुझे कोई दिमाग की दवा नहीं दी, बल्कि विटामिन की गोलियां दीं.”
“बेटा, उन्हें ये सब बताना मैं ने जरूरी नहीं समझा. लालच के मारे से क्या ही बात करता.”
“अच्युत जी, आप मुझे दुबई ले जा कर खुद ही मेरे लालच में फंसे. मेरे पास हम दोनों के उन अंतरंग पलों के वीडियो और तसवीरें हैं जो आधीरात में आप के बहकने की कहानी कहते हैं. ये लीजिए मन भर कर देखिए और दिखाइए. मैं जानती थी, मेरी चाहतों को लालच का नाम दे कर मेरी तौहीन की जाएगी.
“सारे प्रमाण मैं ने इन्हीं दिनों के लिए रखे थे. आप मेरे इतने करीब आ कर मुझे धोखा नहीं दे सकते. और दर्शित को न्योता दे कर क्यों बुलाया यहां? आप के पैसे इन्होंने लिए हैं, मैं ने नहीं. और डाक्टर साहब, आप के पास क्या प्रमाण है कि आप को दवा के लिए रुपए दिए मैं ने?”
अच्युत कुछ कहता, अफ़रोजा बोल पड़ी- “बहुत हुआ महिका जी, डाक्टर केशव के घर जब आप गई थीं और डील कर रही थीं, तब पास ही लगे कमरे में मैं मौजूद हो कर आप की सारी बातें रिकौर्ड कर रही थी. आप भी सुन लीजिए. सर ने मुझे इसी काम के लिए बुलाया था जब आप ने सर से फोन पर बात की थी. और जहां तक अच्युत का आप को ले कर लालच की बात है, जो वीडियो आप दिखा रही हैं उसे आप ने अच्युत को ड्रग दे कर बेहोशी में लिया है. यह भी जानिए कि आप जब दुबई जाने की जिद कर रही थीं, तो अच्युत ने सोचा कि आप को शायद विदेश घूमने का यह मौका गंवाना बहुत मायूस कर देगा. आप के मुंबई आ कर संघर्ष करने की घटनाओं से अच्युत वाकिफ थे, इसलिए आप को साथ ले गए. अच्युत ने मुझ से बाद में मेरी राय भी मांगी थी और मेरे कहने पर ही आप का टिकट बनवाया था. मुझे अच्युत पर पूरा भरोसा है. यों ही दूरियों के बावजूद सालों से हमारा रिश्ता पुख्ता नहीं है.”
“आप कैसे कह सकती हैं कि मैं ने उन्हें कुछ खिलापिला कर तसवीरें लीं?”
“क्योंकि मैं ने इन्हें बताया है, महिका. मेरे पास उस समय की सारी टैस्ट रिपोर्ट हैं. और तुम ने कहां से कौन सी दिमाग को कमजोर करने वाली ड्रग ली, इस के भी तथ्य हैं. देखोगी? या पुलिस से मांग कर देखोगी? कहो, क्या चाहती हो? “अच्युत ने सख्त लहजे में कहा तो महिका कमजोर पड़ गई.”
“कुछ नहीं, मैं यहां से जाना चाहती हूं.”
“दर्शित, तुम चाहो तो महिका से शादी कर सकते हो क्योंकि महिका को ले कर मेरा ऐसा कोई भी इरादा नहीं है. हालांकि महिका के चयन की स्वतंत्रता पर मुझे कुछ भी नहीं कहना चाहिए क्योंकि रिश्ते में आना अकेले की बात नहीं होती, लेकिन इन्होंने मेरे चयन की स्वतंत्रता का भी हनन किया है. अपने स्वार्थ के लिए मुझे मोहरा बनाया. यह जानना महिका के लिए दिलचस्प होगा कि अफरोजा के साथ मेरा प्यार लगभग 10 सालों का है, जब हम साथ कालेज में पढ़ते थे. अफरोजा के घर में तंगी थी, इसलिए अब तक वह नौकरी कर के घर संभाल रही थी. कभी मुझ से मदद लेने की गुंजाइश नहीं रखी. जरूरी नहीं होता कि आप के विकास की प्रक्रिया हमेशा आप के मन के अनुसार ही रही हो. आप का अच्छा होना आप का परिचय है और आप का परिचय दूसरों को प्रभावित करता है, आप का व्यक्तिगत इतिहास नहीं.
“अब उस के छोटे भाई की नौकरी लग गई है तो… क्यों रोज़, अब तो मेरे पास आ जाओगी न हमेशा के लिए?” अच्युत बड़ी गहरी बातें बोल गया था.
महिका ने देखा, अफ़रोजा के गोरे गाल रक्तिम गुलाब से खिल गए थे. आंखों में शरारती मुसकान के साथ बड़ी सी हामी.
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दर्शित ने तुरंत कहा, “दोस्त, स्वीकार कर लेना भले ही आसान नहीं, लेकिन स्थिति को स्वीकार कर लेने के बाद मुश्किलें जरूर आसान हो जाती हैं. मैं महिका के साथ जिंदगी बिताने की बात तो अब सोच भी नहीं सकता. इस धक्के को अब मैं ने स्वीकार लिया है. हां, जिस घर में हम दोनों हैं वहां से महिका के कहीं और जाने तक उसे मोहलत दे दूंगा, तब तक मैं ड्राइंगरूम में रह लूंगा और खाने का इंतजाम हम दोनों अलग कर लेंगे. अब उम्मीद है, महिका जल्द उस फ्लैट को छोड़ देगी. अच्युत के रुपए मैं ने उस अकाउंट से निकाल कर महिका को दे दिए थे, इस के प्रमाण, शुक्र है, मैं ने रख लिए थे. मैं अब उस अकाउंट से निकल जाऊंगा, अच्युत संभाल लेना.”
“महिका तुम रुपए कब लौटाओगी? मेरी फर्म में अब तुम्हारी जगह तो होगी नहीं. हां, इतना जरूर कर सकता हूं कि तुम्हें कानूनी फेर में न डालूं, बस, स्टैंपपेपर पर तुम जबानबंदी कर दो कि तुम मेरे रुपए किसी एक तय तारीख तक लौटा दोगी. बोलो, मंजूर है?” अच्युत सीधी बात पर आ गए थे.
“मुझे 2 साल चाहिए, मुझे एक नौकरी की तलाश होगी,” महिका ने अपनी झेंप को छिपा लिया था.
“हम एक कानूनी डील करेंगे, तुम 2 साल भले ही लो, लेकिन तय यह भी होगा कि मेरे रुपए तुम्हें तय तारीख तक लौटाने होंगे, वरना मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा, समय तुम 2 साल कहो या 3 साल, मैं दूंगा.”
“शुक्रिया, पुरुषों के लिए मेरे अनुभव बड़े दुखद थे. आज दर्शित और अच्युत के साथ कुछ सालों के अनुभव ने मुझे अपनी धारणाओं को फिर से नई फुहार में धोने की इच्छा जगाई है. अफ़रोजा खूब खुश रहना और दर्शित, मैं तुम्हारे योग्य नहीं हूं, मगर जिंदगी आगे चल कर आप को खूब खुशी दे, दुआ कर के जा रही हूं. मैं अपना सामान ले कर अभी निकल जाऊंगी दर्शित, एक गर्ल्स होस्टल पहले देखा था, वहीं शिफ्ट हो रही हूं. अच्युत जी, गलतियों के लिए मैं ने तो कोई हाशिया छोड़ा नहीं था, आप ने सुधारने के लिए दिया.
“जो भी कहूं, कम है, लेकिन आप को पाने की चाह सिर्फ पैसे के लिए ही नहीं थी, इतना विश्वास कर लेना.” यह कह कर महिका उठ कर खड़ी हो गई.
इस लड़की के लिए किसी के मन में कोई चाह न थी, फिर भी उस के जाते ही जैसे सब निस्तब्ध हो गए.
दर्शित की आंखों के कोर में आंसुओं की 2 बूंदें आ कर ठहर गईं एक हाशिए पर हमेशा रह जाने के लिए.
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