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शादी से पहले अनचाहे बालों से छुटकारा पाने का परमानेंट तरीका क्या है?

सवाल-

मेरी शादी का दिन नजदीक है, लेकिन मैं अपने हाथपैरों पर दिखने वाले अनचाहे बालों को ले कर परेशान हूं. मुझे इन का कोई परमानैंट निदान चाहिए ताकि मैं शादी के बाद भी इन को रिमूव करने के टैंशन से फ्री रह सकूं?

जवाब

आप ने अपनी समस्या के साथ ही हल भी दे दिया है. आप परमानैंट सोल्यूशन चाहती हैं तो आप पल्स लाइट ट्रीटमैंट का सहारा ले सकती हैं, जो अनचाहे बालों से नजात का परमानैंट सोल्यूशन है.

इस की मदद से आप वैक्सिंग की तकलीफ से हमेशा के लिए फ्री हो जाएंगी. आईपीएल यानी इंटैंस पल्स्ड लाइट हेयर रिडक्शन की आसान व कारगर और सब से ऐडवांश तकनीक है.

इस का ट्रीटमैंट शुरू करने से पहले कुछ जरूरी चिकित्सीय जांच की जाती है. जरूरत पड़ने पर आवश्यक सलाह व दवाएं भी दी जाती हैं. यह पूरी तरह सुरक्षित और असरदार तकनीक है. इस के जरीए 7 से 10 सिटिंग्स में ही 60 से 80% बाल रिमूव हो सकते हैं.

अंडरआर्म्स, हाथपांव जैसे बौडी के बड़े हिस्से के अनचाहे बालों को हटाना हो तो इस तकनीक का इस्तेमाल बेहतर होता है. अपर लिप और चिन जैसे छोटे हिस्से के परमानैंट हेयर रिडक्शन के लिए भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है.

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स्किन को खूबसूरत, कोमल और अनचाहे बालों से मुक्त बनाने के लिए वैक्सिंग से बेहतर कोई विकल्प नहीं. इससे न केवल अनचाहे बाल हटते हैं बल्कि टेनिंग जैसी समस्या भी दूर होती है. वैक्सिंग कराने के बाद सामान्यत: स्किन कम से कम दो सप्ताह तक मुलायम रहती है, जो बाल फिर से उगते हैं, वे भी बारीक और कोमल होते हैं. नियमित वैक्सिंग कराने से 3-4 सप्ताह तक बाल नहीं आते तथा समय के साथ बालों का विकास भी कम हो जाता है. वैक्सिंग कई तरह की होती है, जिसे आप अपनी  सुविधानुसार करना सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वैक्सिंग से पहले जान लें वैक्स के बारे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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जब प्रेमी हो बेहद खर्चीला 

‘डेटिंग’ शब्द मन के कोमल भावों को जगाने के लिए काफी है. हमारा प्रेमी हमारे साथ होता है, जिस में हम अपने होने वाले जीवनसाथी की छवि देखते हैं. उस के साथ समय बिताना, आने वाले जीवन के सुहाने सपने सजाना कितना सुहावना होता है ये सब. कैसा होगा हमारा लाइफ पार्टनर, यह विचार अकसर मन में घूमता है. हम सभी अपने दिलों में एक तसवीर और दिमाग में एक चैकलिस्ट रखते हैं कि हमारे पार्टनर में ये खूबियां होंगी, वह स्मार्ट होगा, केयरिंग होगा, मु झे सम झेगा आदि. अमूमन लिस्ट लंबी ही होती है.

लेकिन इस लिस्ट में से एक गुण जो अकसर छूट जाता है वह है उस की ज्यादा या कम खर्चा करने की आदतें. आप का प्रेमी कितना मनीस्मार्ट है, इस का सीधा असर आप के रिश्ते पर पड़ता है. ‘यूनिवर्सिटी औफ ऐरीजोना’ ने करीब 500 लोगों का डाटा इकट्ठा किया. सभी अपने 20 के दशक में थे और अपने प्रेमी के प्रति भावनात्मक रूप से प्रतिबद्ध थे. इस शोध का परिणाम रहा कि वे कपल जिन में प्रेमी पैसों को ले कर जिम्मेदाराना स्वभाव के थे, उन में आपसी खुशी व तालमेल अधिक देखने को मिला. इस के उलट जिन कपल्स में पैसे के प्रति लापरवाही दिखी, वहां एकदूसरे पर कम विश्वास देखने को मिला. ‘यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन’ में भी एक शोध हुआ जहां यह बात सामने आई कि शुरुआत में हो सकता है कि खर्च को ले कर एकदूसरे के विपरीत सोच आपसी आकर्षण का कारण बने, किंतु लंबे समय में इस से झगड़े, मनमुटाव और अधिक चिंता के लक्षण देखने को मिले.

रैड फ्लैग

इस का सीधा सा अर्थ है कि जैसे रंगरूप, व्यक्तित्व, व्यवहार आदि एक रिश्ते के लिए माने रखते हैं, वैसे ही पैसे के प्रति सोच और रवैया भी आपसी तालमेल के लिए आवश्यक है. यदि आप का प्रेमी खर्चीला है तो इस में आप कुछ समय तक तो खुश हो सकती हैं, उस के दिए तोहफों और महंगी जगहों पर करवाए डिनर को ले कर इतरा सकती हैं, किंतु लंबे समय में इस गुण को अवगुण बनने में देर नहीं लगेगी. फिनसेफ कंपनी के फाउंडर डाइरैक्टर मृण अग्रवाल कहते हैं कि किसी रिश्ते को बनाए रखने के लिए यह जरूरी होता है कि कपल आर्थिक मामलों में एकजैसी सोच रखते हों. दोनों की मानसिकता कमाने, बचाने, निवेश करने और लोन लेने में मिलती हो तो जिंदगी के अन्य उतारचढ़ाव आसानी से झेले जा सकते हैं. हालांकि पैसों से जुड़ी बातचीत तभी होनी चाहिए जब रिश्ते को कुछ समय बीत चुका हो.

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शुरुआत में पैसों से संबंधित बातें ठीक नहीं, ऐसा एक हाल ही में की गई स्टडी से सामने आया, जिस में करीब 60% लोगों ने माना कि कम से कम 6 महीनों बाद ही प्रेमियों को एकदूसरे से अपनी आर्थिक स्थिति शेयर करनी चाहिए. मगर यदि आप का प्रेमी तब भी अपने आर्थिक हालात के बारे में बात करने से कतराए तो यह एक रैड फ्लैग है.

तारेश भाटिया, सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लैनर कहते हैं कि आप का प्रेमी पिछले 4-5 सालों से नौकरी कर रहा है और अभी तक कोई ऐसेट नहीं बना पाया है जैसे घर, गाड़ी, बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड या फिक्स्ड डिपौजिट तो इस का मतलब हो सकता है कि उस का कोई फाइनैंशियल गोल ही नहीं हैं. यह निश्चित तौर पर चेतावनी की तरह देखा जाना चाहिए. यह आर्थिक लापरवाही का चिह्न है, जिस का गलत असर आप के आने वाले जीवन पर अवश्य पड़ेगा.

तारेश सु झाव देते हैं कि यदि आप का प्रेमी बहुत महंगी जगह डिनर पर ले जाए या फिर किसी फैंसी जगह घुमाने ले जाए, जबकि उस की आमदनी इतनी ऊंची जगह के लायक नहीं है तो आप को उसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए. हो सकता है उस की आदत अपनी आय से अधिक खर्च करने की हो. आप को इस के बारे में जितनी जल्दी पता चल जाए, उतना बेहतर, क्योंकि शादी के बाद ऐसी आदतों के सुधर जाने के चांस कम ही होते हैं.

कैसे पहचानें कि आप का प्रेमी पैसे के प्रति लापरवाह तो नहीं?

कीमत से बेअसर

वर्षा कहती है, ‘‘रेहान के साथ घूमने जाने का मतलब है शौपिंग, उसे खरीदारी करना इतना पसंद है कि क्या बताऊं. उसे हर चीज चाहिए. सबकुछ लेटैस्ट. चाहे ब्रैंडेड कपड़ेजूते हों या फिर इलैक्ट्रौनिक गैजेट, रेहान को सबकुछ चाहिए. यू नेम इट. लेकिन मेरी परेशानी यह है कि कुछ भी खरीदते समय वह उस की कीमत ही नहीं देखता. उस का यही हाल डिनर का बिल चुकाने, घर के लिए ग्रोसरी खरीदने या फिर वेटर को टिप देते समय भी है. ऐसा कब तक चलेगा? आखिर हम प्राइवेट नौकरियों में हैं. कोई खजाना तो गड़ा नहीं है हमारे पास.’’

पिछले 3 सालों से कपल रहे रेहान और वर्षा अब शादी के बारे में सोच रहे हैं. ऐसे में वर्षा का भविष्य को ले कर चिंताग्रस्त होना स्वाभाविक लगता है.

‘हाऊ टु बी हैप्पी पार्टनर्स’ की लेखिका डा. टीना टेसीना कहती हैं, ‘‘रिश्ते में आर्थिक बेवफाई तब होती है जब आपसी संवाद साफ न हो या फिर आप मतभेद अवौइड कर रहे हों. समय रहते पैसों को ले कर बातचीत कर लेने में ही भलाई है. एक आदतन खर्चीले व्यक्ति के साथ जिंदगी बिताना आसान नहीं होता. उस पर आगे चल कर उस के कर्जों में डूब जाने की आशंका भी अधिक रहती है. प्रेमी वो अच्छा जो जीवनमूल्यों पर ध्यान दे न कि केवल भौतिकताओं और दिखावों पर.

चादर से लंबे पैर

शिखा का बौयफ्रैंड उस की सहेलियों के लिए जलन का कारण है. उस का बीएमडब्ल्यू कार में आना, महंगे तोहफों से शिखा को रि झाना, ऊंचे रेस्तराओं में पार्टी देना, इन सब से आज शिखा खुश है परंतु कहीं उस के मन में एक सवाल कुलबुलाता रहता है कि एक साधारण सी कंपनी में असिस्टैंट मैनेजर होते हुए वह ये सब कैसे अफोर्ड करता है? स्पष्ट है कि वह क्रैडिट कार्ड और लोन के बलबूते यह जिंदगी जी रहा है. तारेश भाटिया कहते हैं कि आप का प्रेमी कैसे कपड़े पहनता है, कैसा लाइफस्टाइल जीता है, कौन सी गाड़ी चलाता है, इन सब प्रश्नों में आप को इस बात का उत्तर मिलेगा कि कहीं उस का जिंदगी जीने का ढंग उस की आय के मुकाबले बेपरवाह तो नहीं. अगर वह बचत की नहीं, केवल खर्चे की बातें करता है तो यह ध्यान देने लायक बात है, क्योंकि जल्द ही उस के क्रैडिट बिल उस का वजूद खाने लगेंगे. इसलिए इस बात को उस की शानशौकत में दब कर टालें नहीं, बल्कि जितना जल्दी हो सके उस से इस विषय में बात करें.
यदि आर्थिक फुजूलखर्च चलता ही रहे तो इस का मतलब यह भी है कि आप का प्रेमी आप को अपने खर्चों से कम आंकता है. उस के लिए खर्चीला जीवन आप से अधिक महत्त्वपूर्ण है.

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टीना टेसीना इस आदत को संबंधों में विश्वासघात की तरह देखती हैं. यश और निवेदिता, दोनों 30 के दशक में हैं और जल्दी ही शादी करने वाले हैं. शादी से पहले दोनों ने एकदूसरे के निवेश और बचत के बारे में खुल कर बातचीत की. वे कहते हैं, ‘‘हम पिछले 5 साल से प्रेमी हैं. ऐसे में शादी से पहले हमें एकदूसरे के बारे में पूरी जानकारी होनी जरूरी है. घर, गाड़ी, यहां तक कि कैमरा व लैपटौप को भी हम अच्छे असेट मानते हैं.’’

निवेदिता बताती है, ‘‘यश, जोकि एक मार्केटिंग मैनेजर हैं, की आदत जरूरत से अधिक खर्च करने की थी. मैं एक बैंकर हूं. बचत करना और सही जगह निवेश करना मेरे जौब का हिस्सा है. यश की अधिक खर्चा करने की आदत ने एक बार हमारा ब्रेकअप भी करवा दिया था. दिक्कत यह थी कि हमें पता ही नहीं चलता कि पैसे कहां खर्च हो गए. दरअसल, यश को रोज बाहर खाने और पीने की आदत थी. अच्छे रेस्तरां में खाना और ड्रिंक्स बहुत महंगा पड़ता है.

तब मैं ने यश से पूछा कि उसे बाहर क्या पसंद है बाहर के खाने का स्वाद, वहां का माहौल या फिर घर पर खाना पकाने का आलस, फिर काफी विचार कर के दोनों ने अपनी ग्रौसरी लिस्ट में रैडी टु कुक रैसिपीज जोड़ लीं ताकि घर पर स्वाद बदला जा सके और खाना बनाना भी आसान रहे. एकसाथ सोचने से आप जल्दी सही निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं. जब से दोबारा पैचअप हुआ है, हम अपनी आज की और भविष्य की आर्थिक जरूरतों का पूरा ब्यौरा रखते हैं.’’ मनोवैज्ञानिक कोण

मनोवैज्ञानिक डा. प्रीति कहती हैं कि हमारे जो ट्रेट साधारणतया बाहर नहीं आते, वे आर्थिक लेनदेन में आसानी से निकल आते हैं. इसलिए प्रेमी के साथ आगे बढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि कहीं उन के अधिक खर्च करने की आदत कोई रैड फ्लैग तो नहीं. जैसे आप का प्रेमी आप के आर्थिक तौरतरीकों को काबू करने की कोशिश करें या फिर आप की खर्च करने या न करने की प्रवृत्ति को नीचा दिखाए. इन सब के पीछे उस की अपनी मनोग्रंथि हो सकती है. प्रेमी के प्यार में पागल हो कर आप की अपनी विवेचना और साफ सोचनेसम झने की शक्ति कम हो सकती है. ‘‘जब हम प्यार में होते हैं तो हम अपने प्रेमी की हर बात पर विश्वास करते हैं और उस की कमियों को नजरअंदाज करते हैं,’’ यह कहना है डा. प्रीति का.

अपोजिट अट्रैक्ट

अंगरेजी में कहते हैं कि हम उन की तरफ आकर्षित होते हैं, जो हम से बिलकुल अलग होते हैं या विपरीत सोच और स्वभाव के होते हैं जैसे अंतर्मुखी लोग बहिर्मुखी लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं. लेकिन अगर आप पैसे बचाने के लिए घर से लंच ले कर औफिस जाती हैं, वहीं आप का प्रेमी रोज लंचडिनर सब बाहर से मंगवा कर खाता है तो आप दोनों की बचत कैसे होगी?

सुमन का प्रेमी सैल्फ पैंपरिंग में बहुत विश्वास रखता है. उसे हर महीने एक बेहतरीन पार्लर में अपना फेशियल, पैडीक्योर और हेयर स्पा करवाने का शौक था. इतने खर्चे तभी हो पाते थे जब वह हर महीने अपने क्रैडिट कार्ड का केवल न्यूनतम बिल चुकाता था और बाकी का सारा इकट्ठा होता जाता था. पर ऐसा कब तक चलता. सुमन के लाख सम झाने पर भी जब उस ने अपने तौरतरीके नहीं बदले तो हार कर सुमन को यह रिश्ता तोड़ना पड़ा.

कैसे निबटें इस स्थिति से

स्टूडैंट लोन ऐक्सपर्ट शशि मोहन का मानना है कि जो कपल अपनी आर्थिक स्थिति
और संकट के विषय में खुल कर बात करते हैं, वह अच्छी फाइनैंशियल चौइस करने में सक्षम होते हैं.

संग बनाएं बजट: एकदूसरे की बात सुन कर, एकदूसरे की जरूरतें सम झते हुए आप दोनों को एकसाथ बैठ कर बजट तैयार करना चाहिए. इस से आप की इच्छाएं भी पूरी हो जाएंगी, आप के खर्च सीमित रहेंगे और आप भविष्य के लिए जोड़ भी सकेंगे. बजट बनाने का एक अच्छा तरीका है. 50/30/20 बजट. इस का मतलब- टैक्स काटने के बाद की अपनी कमाई का 50% से अधिक हिस्सा आप अपनी जरूरतों पर खर्च नहीं करेंगे, 30% से अधिक हिस्सा अपनी इच्छाओं पर खर्च नहीं करेंगे और कम से कम 20% हिस्सा बचाएंगे.

फाइनैंशियल प्लान तैयार करें: किसी भी पक्ष को निशाना न बनाते हुए एक ऐसा प्लान तैयार करें जहां आप दोनों अगले 5-10-15-20 सालों में पहुंचना चाहते हों. भविष्य के अपने पड़ाव सोचें और उसी हिसाब से अभी से बचत योजना तैयार करें. मासिक खर्चे: कुछ लोग अपने खर्चे रोक ही नहीं पाते, फिर चाहे वो ब्रैंडेड बैग पर खर्च हो, कीमती घडि़यों पर हो या फिर किसी महंगी हौबी अथवा खेल पर. ऐसे में आप को अपने प्रेमी को इस बात के लिए राजी करना होगा कि हर महीने आप दोनों के खाते में कुछ निर्धारित राशि आएगी.

उस का व्यय आप की अपनी मरजी पर होगा किंतु उस राशि से अधिक आप को नहीं मिलेगा. जैसे मातापिता किशोर बच्चों को जेबखर्च देते हैं, वैसे ही आप भी कुछ निर्धारित राशि एक लिफाफे में रख कर अपने प्रेमी के हवाले करें. फिर उन पैसों को वह कैसे खर्च करता है, इस मामले में आप बिलकुल दखल नहीं देंगी. इस के 3 फायदे होंगे. पहला, आप दोनों वह बचत कर सकेंगे जो आप ने सोची है. आप के खर्चों पर एक सीलिंग लग जाएगी. दूसरा फायदा यह होगा कि आप का प्रेमी अपनी इच्छा से खर्चा कर के संतुष्टि पा सकेगा, बिना किसी रोकटोक के और तीसरा फायदा यह होगा कि इस खर्च के बारे में आप दोनों में से किसी को भी किसी तरह की ग्लानि का सामना नहीं करना पड़ेगा यानी गिल्ट फ्री स्पैंडिंग.

अधिक खर्चीला प्रेमी शुरुआत में आप को लुभा सकता है, इंप्रैस कर सकता है, मगर यदि आप दोनों अपनी जिंदगी साथ बिताने की सोच रहे हैं तो अच्छे लाइफस्टाइल के लिए आप के बैंक अकाउंट में धनराशि का होना आवश्यक है और इस के लिए जरूरत पड़ती है खर्चे पर थोड़ी लगाम लगाने की.

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रिश्ता आगे बढ़ाने से पहले

– जब आप का प्रेमी अकसर अपने खर्चों के बारे में आप से छिपाए या झूठ बोले.
– जब आप को खर्चों की रसीदें मिलें और आप का प्रेमी उन के बारे में आप को न बताए.
– जब आप के जौइंट बैंक अकाउंट से आप का प्रेमी अकेले ही पैसे निकाल कर खर्च करता फिरे.
– जब उस के सिर पर भारी स्टूडैंट लोन हो और वह अपनी कमाई का अधिकतर हिस्सा केवल खर्च करने में गंवा दे.
– उसे क्रैडिट कार्ड के चसके की बुरी लत लग चुकी हो.
– आप की तरह उसे बचत करने की आदत न हो, जिस कारण उसे न तो बजट बनाना आता हो और न ही बजट में खर्च करना.
– जब अपनी कमाई से उस का खर्च पूरा न पड़ता हो और उसे सब से उधार मांगने की बुरी लत लग चुकी हो. इन सभी गलत आदतों की वजह से आप का प्रेमी पैसों की कीमत नहीं सम झ पाएगा. उस के ऊपर पैसों की तंगी, उधारी,
डांवांडोल रिश्ते और आगे चल कर तनाव संबंधी परेशानियों का आना तय है. ऐसे में इस रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले अच्छी तरह विचार कर लेने में ही आप की भलाई है.

तो रंगों से खिल उठेगा आशियाना

मौनसून का मौसम भले मन को भाता हो, लेकिन इस के खत्म होते ही घर को दोबारा पेंट करवाने की जरूरत होती है. घर को पेंट कराना  जरूरी हो जाता है ताकि अपने आशियाने को बिल्कुल नया और आकर्षक रूप दिया जा सके. घर को पेंट करवाना सब से मुख्य काम होता है. उसे पेंट करवाने के लिए अपनी पसंद के रंग ही काफी नहीं होते, बल्कि उन में विभिन्न रंगों का कैसे समायोजन किया जाए यह भी जरूरी है ताकि घर की सुंदरता और निखर जाए. आइए, जानते हैं पेंट कैसा हो और विभिन्न रंगों के कंट्रास्ट का कैसे प्रयोग किया जाए:

कलर का हो बैलेंस

पेंट कई तरह के होते हैं. लेकिन सब से जरूरी बात यह होती है कि कमरों के लिए रंग कैसा प्रयोग करना चाहिए और उस की क्वालिटी कैसी होनी चाहिए. हालांकि कमरों में किस कलर का पेंट करवाना है यह व्यक्तिगत पसंद होती है, फिर भी डिजाइनर्स की राय यही रहती है कि अगर आप अपनी पसंद का कोई कलर घर में करवाना चाहते हैं, तो उसे खासतौर से किस जगह पर कराना है और किस तरीके से कराना है, इस बात पर ध्यान देना जरूरी होता है.

अगर आप ने किसी ब्राइट कलर का प्रयोग किया है तो उसे मिनीमाइज करने के लिए उस में कंट्रास्ट का प्रयोग करना चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि वह ओवरडन न हो, क्योंकि पेंट से अगर किसी जगह की इंपौर्टैंस बढ़ सकती है तो कम भी हो सकती है. डार्क कलर से हो सकता है कमरे का पूरा लुक छोटा लगने लगे या फिर कमरे में इतना लाइट कलर करवा दिया कि वह एकदम प्लेन लगने लगे. उसे किस तरीके से कलर करना है इस के लिए यह सुझाव है कि अगर आप डार्क और लाइट कलर का प्रयोग करते हैं, तो उस का अनुपात 30-70 का रहना चाहिए. अगर आप ने खास किसी एक कलर को चुना है, तो सुझाव है कि सारी दीवारें एक कलर की ही न करवाएं. अगर आप ने व्हाइट कलर करवाया है, तो उस की अलग बात है.

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लेकिन अगर कोई कलर चूज करने की बात आती है चाहे आप वाल पेपर के फार्म में ही लगाना चाहते हैं, तो आप एक वाल को जो भी सब से ज्यादा दिखने वाली हो जिसे फीचर वाल कहते हैं, उस में अपने कलर को ऐड कीजिए, क्योंकि कलर एक ऐसी चीज है, जिस का हमारे मूड पर बहुत असर पड़ता है.

सीलिंग हो प्लेन

सीलिंग को प्लेन ही रखना चाहिए. उसे ओवर पावर नहीं करना चाहिए. जितना उस में प्लेन कलर होगा उतना ही अच्छा होगा. व्हाइट कलर स्ट्रैस को कम करता है. ग्रीन हैल्थ के लिए अच्छा रहता है. ब्लू स्ट्रेस को कम करता है.

फोकल पौइंट के लिए टैक्स्चर

फोकल पौइंट टैक्स्चर पेंट से अलग-अलग पैटर्न को यूज कर सकते हैं. इस में टैक्स्चर बनाए जा सकते हैं, वाल पेपर का प्रयोग किया जाता है, स्टैंसिल्स का भी प्रयोग कर सकते हैं. वाइब्रैंट लुक के लिए अगर पेंट की बात करें तो वाइब्रैंट कलर्स में पूरी स्कीम के साथ बैलेंस करना बहुत जरूरी है. इस में अनुपात 30-70 से ज्यादा न हो वरना इस के बाद यह स्पेस को ओवर पावर करना शुरू कर देता है.

टैक्स्चर में भी 50-50 का अनुपात ले सकते हैं या अगर आप को कोई कलर ज्यादा लगाना है तो वह पर्सनल चौइस है. उस में कोई भी कलर प्रयोग कर सकते हैं. छोटी जगह पर टैक्स्चर बनवा रहे हैं तो वहां वाइब्रैंट कलर का रेशो कम रखें. टैक्स्चर पेंट या सामान्य पेंट करवाने से पहले अगर दीवारों पर प्लास्टर या पीओपी है, तो बहुत अच्छा वरना वाल पुट्टी होनी बहुत जरूरी है. पेंट करवाएं तो 3-4 लेयर्स में करवाएं. एक लेयर के सूखने पर दूसरी लेयर करवाएं. अगर जल्दीजल्दी लेयर चढ़वाएंगे तो दीवारों पर पपड़ी या सीलन नजर आ सकती है.

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किस तरह का पेंट है बैस्ट

घर के लिए प्लास्टिक पेंट ठीक होता है. इसे आप पानी से धो भी सकते हैं. इस से अपर ग्रेड में जाना है, तो साटन फिनिश और रौयल पेंट आते हैं.

थोड़ी सावधानी

जब भी पेंट करवाना हो और आप किसी को विद मैटीरियल ठेका दे रहे हों तो पैकेट अपने सामने ही खोलने को कहें. आजकल पेंट की सस्ते के साथसाथ लो ग्रेड क्वालिटी भी आती है. डुप्लिकेट पेंट भी आते हैं, जो बाद में फेड हो जाते हैं, बबल्स और पपड़ी आने लगती है, इसलिए पेंट कराते समय पूरी तरह सजग रहें.

 मंदिर नहीं अस्पताल जरूरी

अब चाहे कोविड-19 की वैक्सीन आ जाए, देश को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में एक बार फिर सोचना होगा. यह पक्का है कि कोविड का काला साया वैक्सीन के बाद भी छाया रहेगा और जरा सा बुखार डर फैला देगा. लोगों को तुरंत डाक्टरों के पास या फिर अस्पतालों में भागना होगा.

जरूरी है कि शहर हो या कसबा या फिर गांव अस्पताल अब पहली जरूरत बनेंगे. अब अस्पताल समाज की सब से बड़ी गारंटी हैं, पुलिस थाने से भी बढ़ कर जैसे सरकार ने चप्पेचप्पे पर पुलिस थाना, पुलिस चौकी खोल रखी है और जैसे वे रातदिन सड़कों पर मौजूद रहते हैं, वैसे ही स्वास्थ्य सेवाएं हर जगह मौजूद रहनी चाहिए.

अब हर महल्ले, हर कौलोनी, हर गली, हर गांव में अच्छाखासा क्लीनिक बनाना होगा ताकि घर के आदमी ही नहीं औरतें, चाहे अकेली, बच्चों या पति के साथ रहती हों हलका बुखार या सिरदर्द होने पर बेधड़क क्लीनिक जा कर डाक्टर से मिल सकें.

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यह जरूरी है कि स्वास्थ्य सेवाएं अब उसी तरह सस्ती हों जैसे बिजली और पानी है. सरकार को दखल देना होगा और स्वास्थ्य के लिए दवा उद्योगों, अस्पतालों और बाकी सब शिक्षा को भरपूर सहायता देनी होगी. लाखों नए डाक्टर तैयार करने होंगे.

होटलों, धर्मशालाओं में एक हिस्सा अस्पताल जैसा हो. हर बाजार, स्कूल, सिनेमाघर में किसी न किसी तरह चिकित्सा सेवा उपलब्ध हो.

कोविड-19 के कारण दुनियाभर के करोड़ों परिवारों को आर्थिक संकट ?ोलना पड़ रहा है. एक बीमार कइयों की जेब का पैसा खा जाता है. इस कोविड में लाखों ने मोटा पैसा खर्च किया है. डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने जान पर खेल कर लोगों को बचाया है पर यह बारबार नहीं हो सकता और जरूरी है कि समाज परमानैंट इंतजाम करे.

किसी भी मंदिर, पूजापाठ, इबादत, चर्च, मसजिद से ज्यादा जरूरी अस्पताल है. किसी शुभ अवसर पर लोगों के घरों में माता की चौकी नहीं, डाक्टर कैंप लगाना चाहिए ताकि बच्चे के जन्मदिन या किसी शादी पर सब लोग खाने पर भी आएं और हैल्थ चैकअप भी करा ले जाएं. इम्यूनिटी लैवल हर जने का मजबूत रहे ताकि कोविड जैसा वायरस हमला करे तो भी बौडी इतनी मजबूत हो कि उसे सह सके.

ग्लोबल वार्मिंग और ट्रैवल के कारण तरहतरह की नई बीमारियां अब पनपेंगी और कोई राम मंदिर, कोई पटेल की मूर्ति या नया संसद भवन इस के लिए आम जनता को तैयार नहीं कर सकता. इस के लिए तो हर महल्ले में डाक्टर होना चाहिए जैसा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रयास किया था और महल्ले क्लीनिक बनवाए थे. 5-6 बैड के क्लीनिक और 2-3 डाक्टर हर थोड़ी दूर पर मिलने चाहिए और हर जगह मैडिकल ऐंबुलैंस पुलिस गाडि़यों की तरह सुलभ होनी चाहिए.

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इस का खर्च जाहिर है सरकार के टैक्सों में से उठाना होगा, क्योंकि आज एक की बीमारी हजारों को प्रभावित कर सकती है. यह साझ सुरक्षा का मामला है. यह जीवन का आधार व अधिकार है. चिकित्सा केवल पैसे वाले सफल लोगों की बपौती न हो, यह गारंटी तय करनी होगी.

ऑस्टियोपोरोसिस: 50+ महिलाओं के लिए फायदेमंद होगी ये डाइट

50 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते,अक्सर महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस,स्क़िन प्राब्लम्ज़,वज़न में बढ़ोतरी जैसी बीमारियों से सामना पड़ने लगता है. ऐसी अवस्था में अपनी डायट के प्रति ज़रा सी लापरवाही भी आपकी दशा को बद से बदतर बना देती है. उम्र बढ़ने के साथ साथ महिलाओं को इन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अपने भोजन में ज़रूर शामिल करना चाहिए.

A-मज़बूत हड्डियों के लिए कैलशियम

पचास से अधिक उम्र की तीन में एक महिला की ऑस्टीयोपोरोसिस की वजह से हड्डियां टूटने की समस्या का सामना करना पड़ता हैं. उम्र बढ़ने के साथ हमारा शरीर कम कैलशियम अवशोषित करता है. इसलिए इस ओर ध्यान देना हर महिला के लिए ज़रूरी हो जाता है.पचास से अधिक उम्र की महिलाओं को रोज़ाना १२०० मिलिग्राम कैलशियम की ज़रूरत पड़ती है.जिसे अपने डॉक्टर की सलाह पर ,टेबलेट या कैप्सूल फ़ॉर्म में ले सकती हैं. डेयरी प्रॉडक्ट्स कैलशियम का सबसे अच्छा सत्रोत है,लेकिन इन्हें पचाने की क्षमता,कई महिलाओं में कम होती है.

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B-स्वस्थ मांसपेशियों के लिए प्रोटीन

उम्र बढ़ने के साथ गति विधि कम हो जाती है,जो सारकोपेनिया से जुड़ा है.यह एक प्राकृतिक प्रोसेस है जिससे मांसपेशियों को नुक़सान पहुँचता है. 80 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते ,महिलाएं अपनी मांसपेशियों का ज़्यादातर हिस्सा खो चुकी होती हैं.अगर आप खाने में प्रोटीन का सेवन अच्छी तरह करती रहें तो आपकी मांसपेशियां सुदृढ़ बनी रहेंगी.यदि आप शाकाहारी हैं तो प्रोटीन युक्त सब्ज़ियां खाएं,जिससे आपके शरीर को भरपेट प्रोटीन मिले.

अपनी डायट में सोया,क्विनोवा,अंडे, डेयरी प्रॉडक्ट्स,नट्स,और बीन्स को शामिल करें,आपके शरीर को कितने प्रोटीन को शामिल करें ये आपके वज़न पर निर्भर करता है.समान्यत:एक्स्पर्ट्स 1.5; ग्राम प्रोटीन ,प्रति किलोग्राम वज़न पर पर लेने की सलाह देते हैं.

C-स्वस्थ दिमाग़ के लिए विटामिन बी-12

बढ़ती उम्र के साथ महिलाएं एक महत्वपूर्णपोषक तत्व,विटामिन B-12 अवशोषित नहीं कर पातीं हैं। जो,स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं और दिमाग़ दोनों के लिए आवश्यक है.अंडे,दूध,लीन मीट,मछली जैसे पदार्थ बी-१२ के अच्छे स्त्रोत हैं. हालांकि 5० से अधिक उम्र की महिलाओं को रोज़ाना 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी-12 का सेवन करना चाहिए.

D-स्वस्थ बालों और त्वचा के और बालों के लिए उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं अपनी त्वचा और बालों की रंगत खोने लगती हैं. इन्हें बरक़रार रखने के लिए तमाम प्रयास करने के बावजूद कुछ ख़ास असर दिखाई नहीं देता.

  • विटामिन ई के सेवन से आपकी त्वचा में ग़ज़ब का असर दिखलाई देने लगता है.
  • रात में सोने से पहले विटामिन ई और एलोवेरा जेल को मिक्स कर हल्के हाथों से चेहरे पर लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा चमक उठता है.
  • बादाम के तेल में विटामिन ई के साथ मिक्स करके आंखों के नीचे लगाने से काले घेरे ख़त्म हो जाते हैं.
  • विटामिन ई ऑयल में एक चम्मच शहद मिलाकर सोने से पहले अपने होंठों पर लगाने से होठों की शुष्क पपड़ियां जाती रहती हैं.
  • इतना ही नहीं विटामिन ई का सेवन,बढ़ती उम्र के साथ ह्रदय की मांसपेशियों को भी मज़बूत करने में मददगार सिद्ध होता है.

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E-कोशिकाओं के नुक़सान के लिए एंटीआक्सिडेंटस

यदि आप बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना चाहती हैं ,जैसे सूजन,डायबिटीज़,हार्ट की समस्या,दृष्टि दोष,और अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहती हैं तो अपनी डायट में एंटीओक्सीडेंट आहार युक्त आहार का सेवन करें जैसे,

  • डार्क
  • चाकलेट ,
  • लहसुन,
  • हल्दी,
  • चुकंदर,
  • अदरक,
  • अनार,
  • कीवी आदि.

BEAUTY TIPS: ओट्स से बने स्किन बेनेफिट्स पैक्स के बारे में जानें

फिटनेस को लेकर हर कोई संजीदा है. हर कोई हेल्थ को लेजर जागरूक हो गया है. इसके लिए नाश्ते में एक कटोरी ओट्स आपका परफेक्ट केयरटेकर है. इसमें फाइबर, आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी का अच्छा स्रोत होता है. अगर आप ओट्स को रोज खाते हैं तो आपको दिल की बिमारी, डायबटीज और डाइजेशन की समस्या से राहत मिलती है. ओट्स खाना अच्छी आदत में शामिल है. इसके आलवा स्किन के लिए भी ओट्स के अनगिनत फायदे हैं जो शायद ही आपको मालुम हो. आज का ये लेख विशेष तौर पर सौन्दर्य से जुड़ी बातों पर आधारित है. जो आपको बहुत काम आने वाली हैं.

1. स्किन को करे रिपेयर-

हर रोज प्रदूषण, धूल धक्कड़ और धूप के सम्पर्क में रहने से स्किन को काफी नुक्सान पहुंचता है. जिससे स्किन रुखी और शुष्क हो जाती है. इससे स्किन में इचिंग और कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं. ऐसे में स्किन को पोषक तत्वों के डोज की जरूरत होती है. जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन हो. इसके लिए ओट्स से बेहतर कुछ और हो नहीं सकता. ओट्स अपने मॉइस्चराइजिंग, क्लींजिंग, एंटीऑक्सिडेंट काऊ गुणों के लिए जाना जाता है. आप सूखे ओट्स को पीसकर खुद के लिए पैक तैयार कर सकते हैं. ओट्स के पाउडर को गर्म पानी में मिला कर उसमें लैवेंडर या लेमनग्रास की कुछ बूंदे डालें. 15 से 20 मिनट के लिए इस में भिगो कर रखें. फिर मुलायम तौलिये को इसमें सोक के अपने शरीर में स्क्रब करें. हफ्ते में में दो इसा करना सबसे अच्छा है.

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2. डीप क्लींजिंग-

त्वचा की गहराई से सफाई होना बेहद जरूरी है. एक समय के बाद हमारी त्वचा सांस लेना चाहती है, और अगर हम त्वचा को साफ़ नहीं रखेंगे तो कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. सबसे ज्यादा दिक्कत ब्लैकहेड्स की होती है. इसे हटाने और त्वचा की डीप क्लींजिंग के लिए आपको एक बड़ा चम्मच दही में एक बड़ा चम्मच पिसा हुआ ओट्स मिलाएं. इसमें कुछ बूंदे शहद, कच्चा दूध और जैतून का तेल मिलाएं. चेहरे में लगाने के बाद 10 से 15 मिनट के लिए छोड़ दें. और गर्म पानी से हल्के हाथों से स्क्रब करें. इससे आपके चेहरे के ब्लैकहेड्स के साथ डीप क्लींजिंग करने में मदद मिलेगी.

3. दूर करे मुंहासे-

टोंड, निखरी, गोरी और बिना मुहासे वाली स्किन की चाह हर किसी को होती है. अगर आप मुहासों को ददोर करना चाहती हैं तो आप रोज एक कटोरी ओट्स खाएं.क्योंकि यह फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स का सबसे अच्छा स्रोत है. इसका पैक बनाने के लिए आप एक अंडे का सफेद भाग लें और उसमें बड़ा चम्मच ओस पाउडर के साथ आधा नींबू का रस मिलाएं. इस पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं. और इसे 15 से 20 मिनट तक सूखने दिन और धो लें.आप हफ्ते में तो बार ऐसा कर सकती हैं.

4. ऑइल करे कंट्रोल-

ओट्स अपनी स्किन में ऑइल को कंट्रोल करता है. इसके अलावा संवेदनशील और ड्राई स्किन को भी साल रखता है. आप ऑइल कंट्रोल करने के लिए इसका पैक बनाइए. इसके लिए आपको दो बड़े चम्मच ओट्स के पाउडर में एक टमाटर का रस, दो बड़े चम्मच गुलाब जल के साथ मिला लें. इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं. और इसे 15 मिनट सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें. आपको इसका रिजल्ट खुद नजर आने लगेगा.

5. इचिंग करे दूर-

सर में इचिंग यानी की खुजली और ऑयली होने का इलाज आसान है. लेकिन आपको ये भी जानना जरूरी है कि ये किस वजह से हो रहा है. आप ओट्स के साथ अपनी इस समस्या का हल निकाल सकते हैं. जो बिलकुल नैचुरल है. इस समस्या से निजात पाने के लिए आप एक बड़ा चम्मच ओट्स और कच्चा धुध मिलाकर उसमें ऑर्गेनिक बादाम का तेल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. इससे अपनी स्कैल्प में मसाज करें. आधे घंटे के बाद इसे पानी से हल्के शैम्पू से धो लें.

6. हटाए चेहरे के बाल-

लड़कियां सबसे ज्यादा अपने चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने के लिए परेशान होती हैं. इसके लिए वो क्या कुछ नहीं करती हैं. आप इस समस्या से आसानी से निपट सकती हैं. आप ओट्स के पाउडर को अपने चेहरे में लगाकर छोड़ दें. सूखने के बाद आप हल्के गाठों से स्क्रब करें और इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बाद दोहराएं. आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे.

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ओट्स आपकी हेल्थ ना सिर्फ अंदर से बल्कि बाहर से केयर करता है. आप रोज एक कटोरी ओट्स खाएं. और इसके साथ ही हमारे द्वारा बताई हुई टिप्स की मदद से अपनी स्किन सम्बंधित कोई भी परेशानी चुटकियों में खत्म कर सकती है.

Winter Special: स्नैक्स में बनाएं वेजिटेबल लजानिया

पास्ता तो आजकल अधिकतर सभी घरों में बनाया जाता है लेकिन पास्ता से स्वादिष्ट वेजीटेबल लजानिया डिश तैयार की जाती है इसके बारे में कम ही लोगों को पता होता है. आप भी अगर पास्ता को अलग तरह से बनाना चाहती हैं तो ये डिश बना सकती हैं.

वेजीटेबल लजानिया एक बहुत ही स्वादिष्ट डिश है, इसे आसानी से बनाया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं स्वादिष्ट वेजीटेबल लजानिया बनाने की विधि.

सामग्री

लजानिया पास्ता शीट्स

मिक्स सब्जियां- एक कप उबली हुई

पालक- 1/2 कप कटा हुआ

प्याज- 2 बारीक कटे हुए

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लहसुन

टमाटर

टमाटर प्यूरी- 1/2 कप

ताजी स्वीट बेसिल की पत्तियां 5-6 टुकड़े

नमक स्वादानुसार

कालीमिर्च पाउडर

लालमिर्च

मोजरेला चीज कद्दूकस किया हुआ

जैतून का तेल- एक बड़ा चम्मच

मिक्स हर्ब- 1/2 छोटा चम्मच

विधि

सबसे पहले पास्ता शीट्स को उबाल लें, इसके बाद एक कढ़ाही में थोड़ा सा तेल डालकर गर्म करें और इसमें कटे हुए प्याज और लहसुन को डालकर अच्छे से भूनें.

प्याज, लहसुन भुन जाने के बाद इसमें टमाटर डालें और इसे पकने दें. अब एक बर्तन में नमक, कालीमिर्च व मिक्स हर्ब्स डालकर सॉस तैयार कर लें.

लजानिया डिश तैयार करने के लिए सबसे पहले एक बेकिंग वाले डिश में नीचे थोड़ा सॉस डालें और उस सॉस के ऊपर पास्ता शीट को रख दें.

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इस शीट के ऊपर उबली हुई मिक्स सब्जियां डालकर उसमें चीज, लालमिर्च व बेसिल मिला दें. अब इस पर दूसरी पास्ता शीट रखें और इस पर भी पहले की तरह सॉस, पालक व चीज डाल दें.

अब इस डिश को ओवन में 200 सेंटीग्रेट पर 10 मिनट तक बेक करें. फिर इस तैयार डिश को बाहर निकाल कर सभी को सर्व करें. स्वादिष्ट वेजीटेबल लजानिया बनकर तैयार है इसे गरमागरम सर्व करें.

BIRTHDAY SPECIAL: हर दुल्हन के लिए परफेक्ट है दीपिका के ये वेडिंग लुक

शादियों का सीजन शुरू हो चुका है, जिसके लिए लड़कियों की शादी शौपिंग भी शुरू हो गई है. गर्ल्स की बात करें तो वह फैशन के मामले में बौलीवुड एक्ट्रेस को फौलो करना पसंद करती हैं. बौलीवुड की बात एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण 5 सितंबर को अपना 34वां बर्थडे मना रही हैं. हर कोई दीपिका के लुक को कौपी करना चाहता है. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो अपनी शादी के लुक को लेकर सुर्खियों में रहने वाली दीपिका ने 2 रीति रिवाजों से शादी की थी, जिसमें उनका लुक देखने लायक था, जिसे इन दिनों हर कोई कौपी कर रहा है. दीपिका के मेहंदी के रस्म से लेकर रिसेप्शन तक खूबसूरत लुक की झलक आज हम आपको दिखाएंगे. आज हम दीपिका के शादी लुक की बात करेंगे, जिसे आप भी अपनी शादी में ट्राय कर सकती है.

1. वेडिंग लुक के लिए ट्राय करें दीपिका का ये लुक

अगर आप भी अपनी वेडिंग के लिए लहंगे की तलाश में है तो पहले दीपिका के इस सिंधी वेडिंग वाले लुक पर नजर डाल लें. आजकल वेडिंग की बात करें तो हल्का लुक रखना पसंद करती हैं. सिंपल लहंगे के साथ हैवी ज्वैलरी या हैवी लहंगे के साथ लाइट ज्वैलरी वाला पैटर्न वाला लुक इन दिनों पौपुलर है. दीपिका की तरह आप सिंपल लहंगे के साथ हैवी ज्वैलरी के साथ हैवी दुपट्टा आपके लुक को परफेक्ट रहेगा. ये आपके लुक को ट्रैंडी बनाने में मदद करेगा.

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2. साउथ इंडियन वेडिंग के लिए परफेक्ट है ये लुक

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वेडिंग की बात करें तो दीपिका ने सिंधी और साउथ इंडियन दोनों रीति रिवाजों से शादी की है, जिसमें उनका लुक परफेक्ट है. सिंपल कांजीवरम साड़ी के साथ साउथ इंडियन ज्वैलरी आपके लुक को परफेक्ट और ट्रैंडी लुक देने में मदद करेगा.

3. शादी के बाद के लिए ट्राय करें ये लुक

reception

गोल्डन के कौम्बिनेशन के साथ क्रीम कलर की ये साड़ी आपके लुक के लिए परफेक्ट है. हैवी कड़ाई वाली इस साड़ी के साथ हैवी दुपट्टा आपके लुक के लिए परफेक्ट है. इस क्रीम कलर की साड़ी के साथ हैवी गोल्डन ब्लाउज आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. वेस्टर्न लुक भी है वेडिंग के लिए परफेक्ट

अगर आप भी अपनी वेडिंग पर कुछ वेस्टर्न ट्राय करना चाहते हैं तो दीपिका की तरह रेड कलर का गाउन ट्राय करें. ये आपके लुक को वेस्टर्न के साथ इंडियन फील देगा.

समय के महत्व को पहचानो और सफलता पाओ !

समय ही धन है, वर्षो पुरानी यह बात सौ फीसदी सत्य है. अगर समय के साथ हम चलाना सीख जाते है, तो जिंदगी की गाड़ी बड़े आराम से शान से चलती है. कठिन काम थोड़ा समय लेता है, इसलिए खुद पर विश्वास कीजिए और योजना के साथ उसे करने की ठान लीजिए. समय का सही इस्तेमाल कीजिए और मौके का फायदा उठाइए, आप विजेता बन सकते हैं.

‘ भिन्न-भिन्न कामों को करने के लिए लगाए गए समय और उनको करने के क्रम को सोच-विचार कर व्यवस्थित करना समय ही टाइम मैनेजमेंट कहलाता है. ‘

ठीक तरह टाइम मैनेजमेंट से आपकी दक्षता और प्रोडक्टिविटी बढ़ती है और काम सही समय पर पूरे होते हैं. आपने अकसर लोगों को कहते सुना होगा कि करना तो बहुत चाहते हैं, लेकिन समय की कमी आड़े आ जाती है. बात ऐसी नहीं है. सभी को दिन भर में समय 24 घंटे का ही मिलता है. कोई इसका अधिकतम उपयोग करता है तो कोई नहीं. अगर जिंदगी में कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ना है, तो आज की बसे बड़ी जरूरत समय प्रबंधन ही है. प्रभावी रूप से टाइम मैनजमेंट करने के लिए आपको लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत है. उचित लक्ष्य निर्धारित करने के बिना आप परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं में फंसकर एक भ्रम पर अपना समय नष्ट कर देंगे. बचपन में एक कहावत सुनी होगी कि समय अमूल्य होता है. समय के साथ बचपन भले कहीं पीछे छूट गया, लेकिन इस कहावत का मतलब वैसे का वैसे ही है. तो आइए पांच विंदु में समझते है कैसे समय को सही से प्रबंधित करें ….

1. कैसे करें टाइम मैनेजमेंट: हम अपने काम करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं, बशर्ते हम अपने समय का ठीक तरह ख्याल रखें. इसे नष्ट न करें. इसके हिसाब से काम करने की प्लानिंग करें. टाइम मैनेजमेंट वह सबसे बड़ी कुंजी है, जो आपके भार को तो कम करती ही है, साथ ही साथ आपको औरों के मुकाबले सफलता के करीब लाती है. वहीं अगर आप समय बर्बाद करते हैं, तो तनाव बढ़ता है, तरह-तरह की समस्याएं पैदा होती हैं और ध्यान लक्ष्य से भटक जाता है. इसके साथ आपकी प्रोडक्टिविटी में भी कमी आ जाती है.

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2. खुद को आंकें: खुद को आंकने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप एक डायरी मेंटेन करना शुरू कर दें. डायरी में आप रोज अपना समय कैसे बिताते हैं, इस बात का उल्लेख करें और ध्यान रखें कि जो कुछ भी आप लिखें, उसमें पूरी ईमानदारी बरतें. खुद का आकलन करने का यह सबसे अच्छा तरीका है. इससे आपको पता चलेगा कि आपने अपना कितना समय गैरजरूरी कामों में दिया. जब आप अकेले बैठकर इस बात पर गौर करेंगे तो दूसरे दिन खुद-ब-खुद अपने समय की कद्र करना शुरू कर देंगे.

3. प्लानिंग जरूरी :- समय का समुचित उपयोग करने के लिए जरूरी है कि टाइम मैनेजमेंट की प्लानिंग सही तरीके से की जाए. रोज किए जाने वाले सारे कामों की लिस्ट तैयार करें और उन कामों पर अपना फोकस बनाए रखें. यह काम रोज सुबह सबसे पहले करें.

4. प्राथमिकताएं :- अपनी प्राथमिकताओं को समझना जरूरी है. प्राथमिकताएं और अन्य दूसरे कामों की लिस्ट उनकी उपयोगिता के अनुसार बनाएं. आपने जिस काम को करने की समय सीमा पहले निर्धारित की है, उसे हर हाल में पहले करने की कोशिश करें. उसमें ज्यादा समय लग रहा है तो भले उसे छोड़ कर आगे बढ़ें. नहीं तो आपका पूरा शेड्यूल खराब हो जाएगा. एक काम में उलझे रहेंगे तो कोई भी काम नहीं हो पाएगा. इससे एक बार फिर आप टेंशन में घिर जाएंगे.

5. इन बातो का रखें ध्यान

* जो समय को बर्बाद करता है, समय उसको बर्बाद कर देता है. इसलिए समय का सही उपयोग कीजिए और दुनिया को जीत लीजिए.

* लोग कहते हैं कि समय से पहले और भाग्य से अधिक न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा, लेकिन आप समय के साथ चलकर देखिए.

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* कठिन काम थोड़ा समय लेता है, इसलिए खुद पर विश्वास कीजिए और योजना के साथ उसे करने की ठान लीजिए. समय का सही इस्तेमाल कीजिए और मौके का फायदा उठाइए, फिर आप विजेता बन सकते हैं.

* हर व्यक्ति के जीवन में सफलता पाने के लिए ईश्वर तीन अवसर देता है. पहला बचपन में, दूसरा जवानी में और तीसरा बुढ़ापे में. लेकिन सफल वही होता है, जो किसी भी एक अवसर का समय रहते लाभ उठाता है.

धुंधली तस्वीरें: क्या बेटे की खुशहाल जिंदगी देखने की उन की लालसा पूरी हुई

लेखिका- बिंदु सिन्हा

सुभद्रा देवी अकेली बैठी कुछ सोच रही थीं कि अचानक सुमि की आवाज आई, ‘‘बूआजी.’’

पलट कर देखा तो सुमि ही खड़ी थी. अपने दोनों हाथ पीछे किए मुसकरा रही थी.

‘‘क्या है री, बड़ी खुश नजर आ रही है?’’

‘‘हां, बूआजी, मुंह मीठा कराइए तो एक चीज दूं.’’

‘‘अब बोल भी, पहेलियां न बुझा.’’

‘‘ऊंह, पहले मिठाई,’’ सुमि मचल उठी.

‘‘तो जा, फ्रिज खोल कर निकाल ले, गुलाबजामुन धरे हैं.’’

‘‘ऐसे नहीं, अपने हाथ से खिलाइए, बूआजी,’’ 10 वर्ष की सुमि उम्र के हिसाब से कुछ अधिक ही चंचल थी.

‘‘अब तू ऐसे नहीं मानेगी,’’ वे उठने लगीं तो सुमि ने खिलखिलाते हुए एक भारी सा लिफाफा बढ़ा दिया उन की ओर, ‘‘यह लीजिए, बूआजी. अमेरिका से आया है, जरूर विकी के फोटो होंगे.’’

उन्होंने लपक कर लिफाफा ले लिया, ‘‘बड़ी शरारती हो गई है तू. लगता है, अब तेरी मां से शिकायत करनी पड़ेगी.’’

‘‘मैं गुलाबजामुन ले लूं?’’

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‘‘हांहां, तेरे लिए ही तो मंगवा कर रखे हैं,’’ उन्होंने जल्दीजल्दी लिफाफा खोलते हुए कहा.

उन के एकाकी जीवन में एक सुमि ही तो थी जो जबतब आ कर हंसी बिखेर जाती. मकान का निचला हिस्सा उन्होंने किराए पर उठा दिया था, अपने ही कालेज की एक लेक्चरर उमा को. सुमि उन्हीं की बेटी थी. दोनों पतिपत्नी उन का बहुत खयाल रखते थे. उमा के पति तो उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह मानते थे और ‘दीदी’ कहा करते थे. इसी नाते सुमि उन्हें बूआ कहा करती थी.

लिफाफे में विकी के ही फोटो थे. वह अब चलने लगा था. ट्राइसाइकिल पर बैठ कर हाथ हिला रहा था. पार्क में फूलों के बीच खड़ा विकी बहुत सुंदर लग रहा था. उस के जन्म के समय जब वे न्यूयार्क गई थीं, हर घड़ी उसे छाती से लगाए रहतीं. लिंडा अकसर शिकायत करती, ‘आप इस की आदतें बिगाड़ देंगी. यहां बच्चे को गोद में लेने को समय ही किस के पास है? हम काम करने वाले लोग…बच्चे को गोद में ले कर बैठें तो काम कैसे चलेगा भला?’

विक्रम का भी यही कहना था, ‘हां, मां, लिंडा ठीक कहती है. तुम उस की आदतें मत खराब करो. तुम तो कुछ दिनों बाद चली जाओगी, फिर कौन संभालेगा इसे? झूले में डाल दो, पड़ा झूलता रहेगा.’ विक्रम खुद ही विकी को झूले में डाल कर चाबी भर देता, ‘अब झूलने दो इसे, ऐसे ही सो जाएगा.’

गोलमटोल विकी को देख कर उन का मन करता कि उसे हर घड़ी गोद में ले कर निहारती रहें, फिर जाने कब देखने को मिले. जन्म के दूसरे दिन जब नामकरण की समस्या उठी तो विक्रम ने कहा, ‘नाम तो अम्मा तुम ही रखो, कोई सुंदर सा.’

और तब खूब सोचसमझ कर उन्होंने नाम चुना था, ‘विवेक.’ ‘विवेक बन कर हमेशा तुम लोगों को राह दिखाता रहेगा.’

विक्रम हंसने लगा था, ‘खूब कहा मां, हमारे बीच विवेक की ही तो कमी है. जबतब बिना बात के ही ठन जाती है आपस में.’

‘और क्या, अब इस तरह लड़नाझगड़ना बंद करो. वरना बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा.’

पूरे 5 वर्ष हो गए थे विक्रम का विवाह हुए. इंजीनियरिंग की डिगरी लेने के बाद अमेरिका गया एमटेक करने तो वहीं रह गया.

पत्र में लिखा था, ‘यहां अच्छी नौकरी मिल गई है, मां. यहां रह कर मैं हर साल भारत आ सकता हूं, तुम से मिलने के लिए. वहां की कमाई में क्या रखा है. घुटघुट कर जीना, जरूरी चीजों के लिए भी तरसते रहना.’

उस का पत्र पढ़ कर जवाब में सुभद्रा देवी लिख नहीं सकीं कि हां बेटे, वहां हर बात का आराम तो है पर अपना देश अपना ही होता है.

उन्हें लगा कि आजकल सिद्धांत की बातें भला कौन सुनता है. इस भौतिकवादी युग में तो बस सब को सिर्फ पैसा चाहिए, आराम और सुख चाहिए. देश के लिए प्यार और कुरबानी तो गए जमाने की बातें हो गईं.

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उन्होंने लिख दिया, ‘बेटे, तुम खुद समझदार हो. मुझे पूरा विश्वास है, जो भी करोगे, खूब सोचसमझ कर करोगे. अगर वहां रहने में ही तुम्हारी भलाई है तो वहीं रहो. लेकिन शादीब्याह कर अपनी गृहस्थी बसा लो. लड़की वाले हमेशा चक्कर लगाया करते हैं. तुम लिखो तो दोचार तसवीरें भेजूं. तुम्हें जो पसंद आए, अपनी राय दो तो बात पक्की कर दूं. आ कर शादी कर लो. मैं भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाऊंगी.’

बहुत दिनों तक विक्रम ब्याह की बात टालता रहा. आखिर जब सुभद्रा देवी ने बहुत दबाव डाला तो लिखा उस ने, ‘मैं ने यहीं एक लड़की देख ली है, मां. यहीं शादी करना चाहता हूं. लड़की अच्छे परिवार की है, उस के पिता यहां एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं. अगर तुम्हें एतराज न हो तो…बात कुछ ऐसी है न मां, जब यहां रहना है तो भारतीय लड़की के साथ निभाने में कठिनाई हो सकती है. यहां की संस्कृति बिलकुल भिन्न है. लिंडा एक अच्छी लड़की है. तुम किसी बात की चिंता मत करना.’

पत्र पढ़ कर वे सहसा समझ नहीं पाईं कि खुश हों या रोएं. नहीं, रोएं भी क्यों भला? उन्होंने तुरंत अपने को संयत कर लिया, विक्रम शादी कर रहा है. यह तो खुशी की बात है. हर मां यही तो चाहती है कि संतान खुश रहे.

बेटे की खुशी के सिवा और उन्हें चाहिए भी क्या? जब त्रिपुरारि बाबू का निधन हुआ तब विक्रम हाई स्कूल में था. नीमा भी अविवाहित थी, तब कालेज में लेक्चरर थी, अब तो रीडर हो गई है. बच्चों पर कभी बोझ नहीं बनीं, बल्कि उन्हें ही देती रहीं. अब इस मौके पर भी विक्रम को खुशी देने में वे कृपण क्यों हों भला.

खुले दिल से लिख दिया, बिना किसी शिकवाशिकायत के, ‘बेटे, जिस में तुम्हें खुशी मिले, वही करो. मुझे कोई एतराज नहीं बल्कि मैं तो कहूंगी कि यहीं आ कर शादी करो, मुझे अधिक खुशी होगी. परिवार के सब लोग शामिल होंगे.’

पर लिंडा इस के लिए राजी नहीं हुई. वह तो भारत आना भी नहीं चाहती थी. विक्रम के बारबार आग्रह करने पर कहीं जा कर तैयार हुई.

कुल 15 दिनों के लिए आए थे वे लोग. सुभद्रा देवी की खुशी की कोई सीमा नहीं थी, सिरआंखों पर रखा उन्हें. पूरा परिवार इकट्ठा हुआ था इस खुशी के अवसर पर. सब ने लिंडा को उपहार दिए.

कैसे हंसीखुशी में 10 दिन बीत गए, किसी को पता ही नहीं चला. घर में हर घड़ी गहमागहमी छाई रहती. लेकिन इस दौरान लिंडा उदास ही रही. उसे यह सब बिलकुल पसंद नहीं था.

उस ने विक्रम से कहा भी, ‘न हो तो किसी होटल में चले चलो, यहां तो दिनभर लोगों का आनाजाना लगा रहता है. वहां कम से कम अपने समय पर अपना तो अधिकार होगा.’

आखिर भारत दर्शन के बहाने विक्रम किसी तरह निकल सका घर से. 4-5 दिन दिल्ली, आगरा, लखनऊ घूमने के बाद वे लोग लौट आए थे.

एक दिन लिंडा ने हंसते हुए कहा, ‘सुना था तुम्हारा देश सिर्फ साधुओं और सांपों का देश है. ऐसा ही पढ़ा था कहीं. पर साधु तो दिखे दोएक, लेकिन सांप एक भी नहीं दिखा. वैसे भी अब सांप रहे भी तो कहां, तुम्हारे देश में तो सिर्फ आदमी ही आदमी हैं. जिधर देखो, उधर नरमुंड. वाकई काबिलेतारीफ है तुम्हारा देश भी, जिस के पास इतनी बड़ी जनशक्ति है वह तरक्की में इतना पीछे क्यों है भला?’

विक्रम कट कर रह गया. कोई जवाब नहीं सूझा उसे. लिंडा ने कुछ गलत तो कहा नहीं था.

‘मैं तो भई, इस तरह जनसंख्या बढ़ाने में विश्वास नहीं रखती,’ एक दिन लिंडा ने यह कहा तो विक्रम चौंक पड़ा, ‘क्या मतलब?’

‘मतलब कुछ खास नहीं. अभी कुछ दिन मौजमस्ती में गुजार लें. दुनिया की सैर कर लें, फिर परिवार बढ़ाने की बात भी सोच लेंगे.’

विक्रम मुसकराया, ‘आखिर परिवार की बात तुम्हारे दिमाग में आई तो. कुछ दिनों बाद तुम खुद महसूस करोगी, हमारे बीच एक तीसरा तो होना ही चाहिए.’

ब्याह के पूरे 4 वर्ष बाद वह स्थिति आई. विक्रम के उत्साह का ठिकाना नहीं था. मां को पहले ही लिख दिया, ‘तुम कालेज से छुट्टियां ले लेना, मां. इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा. ऐसे समय तुम्हारा यहां रहना बहुत जरूरी है, मैं टिकट भेज दूंगा. आने की तैयारी अभी से करो.’

इस के पहले भी कई बार बुलाया था विक्रम ने, पर वे हमेशा कोई न कोई बहाना बना कर टालती रही थीं. इस बार तो वे खुद जाने को उत्सुक थीं, ‘भला अकेली बहू बेचारी क्याक्या करेगी. घर में कोई तो होना चाहिए उस की मदद के लिए, बच्चे की सारसंभाल के लिए,’ सब से कहती फिरतीं.

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अमेरिका चली तो गईं पर वहां पहुंच कर उन्हें ऐसा लगा कि लिंडा को उन की बिलकुल जरूरत नहीं. मां बनने की सारी तैयारी उस ने खुद ही कर ली थी. उन से किसी बात में राय भी नहीं ली. विक्रम ने बताया, ‘यहां मां बनने वाली महिलाओं के लिए कक्षाएं होती हैं, मां. बच्चा पालने के सारे तरीके सिखाए जाते हैं. लिंडा भी कक्षाओं में जाती रही है.’

लिंडा पूरे 6 दिन अस्पताल में रही. पोता होने की खुशी से सराबोर सुभद्रा देवी के अचरज का तब ठिकाना न रहा जब विक्रम ने बताया, ‘यहां पति के सिवा और किसी को अस्पताल में जाने की इजाजत नहीं, मां. मुलाकात के समय चल कर तुम बच्चे को देख लेना.’

बड़ी मुश्किल से तीसरे दिन दादीमां होने के नाते उन्हें दिन में अस्पताल में रहने की इजाजत मिली. लेकिन वे एक दिन में ही ऊब गईं वहां से. लिंडा को उन की कोई जरूरत नहीं थी और बच्चा तो दूसरे कमरे में था नर्सों की देखभाल में.

लिंडा घर आई तो उन्होंने भरसक उस की सेवा की थी. सुबहसुबह अपने हाथों से कौफी बना कर देतीं. बचपन से मांसमछली कभी छुआ नहीं था, खाना तो दूर की बात थी, पर वहां लिंडा के लिए रोज ही कभी आमलेट बनातीं तो कभी चिकन बर्गर.

काम से फुरसत मिलते ही वे विकी को गोद में उठा लेतीं और मन ही मन गुनगुनाते हुए उस की बलैया लिया करतीं.

विकी को देखने लिंडा की मां और बहन आई थीं, पर घंटे भर से अधिक कोई नहीं रुका. ‘लिंडा अभी बहुत कमजोर है, उसे आराम की जरूरत है,’ कह कर वे चली गईं. वे हैरान थीं यह सब देख कर. सोचने लगीं कि क्या उन्हें भी वहां नहीं रुकना चाहिए. शायद उन की उपस्थिति से लिंडा को परेशानी होती हो पर किसी तरह 2 महीने का समय तो काटना ही था.

लिंडा को उन की जरूरत नहीं, विकी को भी उन की जरूरत नहीं क्योंकि गोद में लेने से उस की आदत बिगड़ जाएगी और विक्रम को तो कभी फुरसत ही नहीं मिलती, उन के पास घड़ीभर बैठने की. घरबाहर के सब काम उसे ही तो संभालने थे. काम करते हुए थक जाता बिलकुल. घर में होता भी तो टीवी चालू कर देता. कब बैठे उन के पास, और बातें भी करे तो क्या?

विकी 2 महीने का था, जब वे उसे छोड़ कर आई थीं. तब से कितना अंतर आ गया था. तसवीरें तो विक्रम हमेशा भेजा करता था, तकरीबन हर महीने. इस बार ढाई महीने के बाद पत्र आया था. तसवीरें भी ढेर सारी थीं, एकएक तसवीर को निहारती वे निहाल हुई जा रही थीं, रहरह कर आंखें छलछला उठतीं. उन की खुशी का अनुमान लगा कर ही सुमि ने मिठाई मांगी थी.

भरापूरा परिवार होते हुए भी वे बिलकुल अकेली थीं. बस चिट्ठियां ही थीं जो बीच में जोड़ने का काम करती थीं. पूरे ढाई महीने बाद विक्रम का पत्र और विकी की तसवीरें देख उन की खुशी रोके नहीं रुक रही थी. सब से पहले जा कर उमा और उस के पति को तसवीरें दिखाईं, ‘‘देखो तो, अपना विकी कितना सुंदर लगता है. बिलकुल विक्रम की तरह है न?’’ फिर पासपड़ोस में सब को दिखाईं,

दूसरे दिन कालेज जाने लगीं तो तसवीरों को अपने पर्स में डाल लिया. सब को दिखाती फिरीं, ‘‘अब तो मुझ से रहा नहीं जाता यहां. इच्छा हो रही है, उड़ कर पहुंच जाऊं अपने विकी के पास. उसे सीने से लगा लूं.’’

‘‘विक्रम तो हमेशा बुलाता है आप को. इस बार गरमी की छुट्टियों में चली जाइए,’’ शैलजा ने कहा तो वे और उत्साहित हो उठीं, ‘‘हां, जरूर जाऊंगी इस बार. छुट्टियां तो अभी बहुत पड़ी हैं. रिटायर होने से पहले क्यों न सब इस्तेमाल कर लूं.’’

‘‘यह भी आप ने ठीक ही सोचा. तो पहले ही चली जाइए, छुट्टियों का इंतजार क्यों करना भला?’’

‘‘वही तो. लिखूंगी विक्रम को, टिकट भेज दे. वीजा तो मेरा है ही, पिछली बार ही 5 साल का मिल गया था.’’

‘‘फिर तो जल्दी निकल जाइए. क्या धरा है यहां, रोज किसी न किसी बात को ले कर खिचखिच लगी ही रहती है. 5-6 महीने चैन से बीत जाएंगे.’’

विक्रम पहले तो उन्हें हर चिट्ठी में आने के लिए लिखता था. कारण जान कर भी वे अनजान बनने की कोशिश करती रही थीं. दरअसल, विक्रम और लिंडा दोनों ही काम पर चले जाते थे. कुछ दिनों तक विकी को शिशुसदन में डाला, फिर ‘बेबीसिटर’ के पास छोड़ने लगे. लिंडा के लिए तो यह कोई नई बात नहीं थी, पर विक्रम हमेशा महसूस करता कि बच्चे को जो आत्मीयता और प्यार मिलना चाहिए मातापिता की ओर से, उस में कमी हो रही है.

इसीलिए वह उन्हें बारबार आने को लिखता था. एक बार लिखा था, ‘अब नौकरी छोड़ ही दो मां, हम दोनों इतना कमाते हैं कि तुम्हारी सब जरूरतें पूरी कर सकते हैं. क्या कमी है तुम्हें? आ जाओ यहां और बाकी के दिन चैन से बिताओ, वहां तो रोज कुछ न कुछ लगा ही रहता है, आज बिजली नहीं तो कल पानी नहीं.’

उन्होंने लिख दिया था, ‘बेटे, हम अभावों में रहने के अभ्यस्त हो चुके हैं. हम ने वे दिन भी देखे हैं जब बिजली नहीं थी, पानी के नल नहीं थे, लेकिन केरोसिन तेल के लैंप और मिट्टी के दीए तो थे, कुएं का पानी तो था. वह सब अब भी है यहां. तुम मेरी चिंता बिलकुल मत करो, मैं मजे में हूं.’

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पर अब वे इंतजार कर रही थीं विक्रम के बुलावे का. उस की चिट्ठी आई पूरे 4 महीने बाद, वह भी बिलकुल मामूली सी. सिर्फ कुशलक्षेम पूछा था. कालेज में सहकर्मियों के सामने उन्होंने झूठमूठ का बहाना बनाया, ‘‘यहां सब लोग विकी को देखना चाहते थे न, इसलिए मैं ने विक्रम को ही लिखा है आने के लिए. छुट्टी मिलते ही आ जाएगा. मैं अगले साल जाऊंगी.’’

विक्रम के पत्र अब भी आते, लेकिन बहुत ही देर में, बिलकुल संक्षिप्त से. फिर वे अपनी ओर से लिख न सकीं, ‘मैं आना चाहती हूं विक्रम, विकी को और तुम लोगों को देखने की बड़ी इच्छा है.’

पत्रों की भाषा बताती थी कि विक्रम उन से दिनबदिन दूर होता जा रहा है. वह इस के लिए मन ही मन खुद को ही दोषी ठहराया करतीं कि वह तो बराबर बुलाता था पहले, मैं ही तो इनकार करती रही. जब विकी छोटा था, उसे दादीमां की गोद की जरूरत थी. अब तो बड़ा हो गया है, कुछ दिनों में स्कूल जाने लगेगा. शायद, इसी कारण विक्रम नाराज हो गया हो. नाराज होना भी चाहिए. इतना बुलाया लेकिन वे बारबार इनकार करती गईं. शायद अच्छा नहीं किया. अब यही लिखूं कि एक बार यहां आओ विक्रम, लिंडा और विकी के साथ, सब लोग तुम सब से मिलना चाहते हैं.

इस बीच विक्रम का संक्षिप्त पत्र आया, ‘मैं ने अब तक तुम्हें लिखा नहीं था मां, विकी से अब हमारा कोई संबंध नहीं. विकी जब कुल 15 महीने का था, तभी लिंडा से मेरा तलाक हो गया. विकी चूंकि बहुत छोटा था, इसलिए कोर्ट के फैसले के अनुसार वह लिंडा के पास रह गया. तब से मैं ने उसे देखा भी नहीं. वह तो मुझे पहचान भी नहीं पाएगा.’

पत्र पढ़ कर वे सन्न रह गईं. यह क्या लिखा है विक्रम ने. लिंडा को तलाक दे दिया. अब तक विक्रम के सारे कुसूर वे माफ करती रही थीं, अमेरिका में रहने का फैसला किया, तब भी कुछ नहीं कहा. लिंडा से शादी की, तब भी कुछ नहीं कहा, लेकिन तलाक वाली बात ने उन्हें अंदर से तोड़ ही दिया.

दूसरे ही दिन उसे पत्र लिखा, ‘‘मुझे तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी, विक्रम. जरूर मेरी शिक्षादीक्षा में ही कोई कमी रह गई, जो तुम ऐसे निकले. हमारे यहां रिश्ते जोड़े जाते हैं, उन्हें तोड़ने में हम विश्वास नहीं रखते. तुम्हारी इस गलती को मैं कभी क्षमा नहीं कर सकूंगी, कभी भी नहीं. तुम ने मेरी, अपनी और साथसाथ अपने देश की तौहीन की है. ऐसे संस्कार तुम्हें मिले कहां?’’

पत्र को लिफाफे में डाल कर पता लिखते हुए वे फूटफूट कर रो पड़ीं. लग रहा था कि अंदर कोई महीन सा धागा था, जो टूट गया है, छिन्नभिन्न हो गया है. सामने दीवार पर विक्रम, लिंडा और विकी की तसवीरें लगी थीं, मुसकराती लिंडा, हंसता विक्रम और नन्हा सा गोलमटोल विकी. आंसुओं के कारण सारी तसवीरें धुंधली लग रही थीं. उन्होंने आंसू पोंछे नहीं, बस रोती रहीं देर तक.

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