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जानें क्या हैं माफ करने के पौजीटिव इफेक्ट

जिस तरह से एक फूल को खिलने के लिए उसे सही मात्रा में हवा, पानी और धूप की जरूरत होती है. ठीक उसी तरह से एक इंसान को आगे बढ़ने या खिलने के लिए गर्मजोशी और सकारात्मकता से भरे हुए दिल की जरूरत होती है. साथ ही जरूरत है एक आशा से भरे मन और दृढ़ निश्चय की. हालांकि, अक्सर कई लोग अपनी जीवन में ये सभी बातें लागू करने में विफल हो जाते हैं. और नकारात्मकता से भर जाते हैं. जो हमें अपनी वास्तविक क्षमताओं को महसूस करने से रोकते हैं. और हम अपने नकारात्मक स्वाभाव के चलते लोगों से दूर होते चले जाते हैं और उन्हें उनकी गलतियों के लिए क्षमा नहीं कर पाते.

1. गलत है नकारात्मकता-

अगर हमारे दिल में नकारात्मकताएं हैं तो ये हमारे साथ-साथ दूसरों के लिए भी गलत हो सकता है. क्योंकि इससे हमारे व्यवहार में भी काफी बदलाव आ जाते हैं. जिससे बात-बात गुस्सा आना और नफरत भरने लगती है. जो हमारे स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है. वहीं बात अगर किसी को क्षमा करने की करें तो अगर आपके अंदर सकारात्मकता रहेगी तो, आपके लिए ये काम बेहद आसान हो जाएगा. इससे आप किसी के चहरे में हंसी और प्यार भी ला पाएंगे.

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2. क्षमा करना क्यों जरूरी-

दूसों को क्षमा करना ना सिर्फ हमारे की सकारात्मकता को दर्शाती है, बल्कि दूसरों के प्रति प्रेम की भावना को भी बढ़ाता है. क्षमा करना कई मायनों में जरूरी भी है आइये जानते हैं क्यों?

• क्षमा करने से आप खुद को अच्छा महसूस कर पाएंगे. आपके अंदर से क्रोध या अतीत की बातें भुलाने में मदद मिलती है और आप आगे बढ़ पाते हैं.
• अगर आप किसी को क्षमा करते हैं तो इससे मानसिक स्थिति में सुधार आता है. आप बार-बार एक बारे में नहीं सोचते. अगर आप सोचना बंद कर देंगे तो आपको ब्लडप्रेशर और अवसाद की समस्या कम हो जाएगी.
• अगर आपके अंदर सकारात्मकता होगी तो आपके अंदर दूसरों क्व प्रति आदर, करुना और आत्मविश्वास बढेगा. जिससे आप एक बेहतर इंसान बनेंगे.
• क्षमा करने से आप मानसिक तौर पर खुद कलो स्वस्थ्य बना पाएंगे. क्षमा करने से आप खुद के विचारों और भावनाओं में हेरफेर को रोक पाएंगे.
• क्षमा करने से आपको दिमागी रूप से शांति मिलेगी. आपके लिए ये दुनिया भले ही कितनी निराशजनक क्यों ना हो लेकिन, जहां आपने किसी के प्रति सकारात्मकता दिखाई और क्षमा किया, उसी बीच आप साड़ी अराजकताओं से भी दूर हो जाएंगे.

3. रिश्ते बनाए बेहतर-

आप अगर किसी को क्षमा करते हैं तो इससे आपके रिश्ते काफी बेहतर बनेंगे. आप अगर अपने माता-पिता, दोस्त, करीबी रिश्तेदारों या सहकर्मियों के साथ अगर आपकी कभी बहस भी होती है तो सिर्फ एक सॉरी आपके रिश्ते जो और भी मजबूर बना देगा.

4. दिखाए समझदारी-

दूसरों को क्षमा करना या क्षमा मांगना आपकी समझदारी को दर्शाता है. अगर आप किसी से दो शब्द प्यार के साथ क्षमा याचना करते हैं तो आप किसी भी इंसान का दिल जीत सकते हैं. सामने झट से आपकी साड़ी नकारात्मकता भुला कर आपको अच्छे नजरिये से देखने लगता है. इसी समझदारी से आप आप बड़ी से बड़ी कठनाइयों का भी सामना कर सकते हैं.

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5. खत्म करें नफरत-

आप अंदर अगर एक बाद क्षमा करने की भावना आ गयी तो समझिये आपके अंदर की नफरत ही खत्म हो जाएगी. और आपको नये सिरे से जीवन को जीने की इच्छुक बनाती है.

किसी के लिए अपने दिल से नफरत खत्म कर सकारात्मक होना बड़ी बात है. इससे आपका व्यक्तित्व दूसरों के लिए प्रेरणा बनेगा. इसलिए ये समझिये की जिन्दगी छोटी है, इस छोटी सी जिन्दगी में दूसरों को क्षमा करने या क्षमा मांगने से आगे कई रिश्ते बचते हैं तो आपको पीछे नहीं हटना चाहिए.

अरूबा कबीर, मेंटल हेल्थ थैरेपिस्ट काउंसलर एंड फाउंडर ऑफ एनसो वैलनेस से बातचीत पर आधारित

किराए का घर: न टैंशन न सिरदर्द

दिल्ली हर साल करीब 5 लाख नए लोगों को आश्रय देती है. लगातार महंगे हो रहे दिल्ली जैसे महानगरों में लोग सस्ते में कैसे रहें, यह सभी दिल्लीवासियों का प्रश्न है. वाकई बड़े शहरों में रिहाइश बड़ी समस्या है. घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन प्रौपर्टी के बढ़ते दामों की वजह से ज्यादातर लोगों के लिए पैसा दे कर घर खरीदना कठिन ही नहीं नामुमकिन भी है. ऐसे में किराए पर घर ले कर रहना एक बेहतर विकल्प है.

किराए के घर में भी आप सुकून से जिंदगी बिता सकते हैं और अपना मकान होने की जो चिकचिक है, उस से मुक्ति भी पा सकते हैं. रीयल ऐस्टेट ऐडवायजरी फर्म सैंचुरी 21 के एक सर्वे में यह सामने आया है कि कुछ खास प्रोफैशंस के युवा अपना घर बहुत जल्दी नहीं खरीदते. मीडिया, फाइनैंस, ऐडवर्टाइजिंग और आईटी जैसे फील्ड में काम करने वाला युवावर्ग अपनी जौब जल्दी जल्दी बदलता रहता है. ऐसे में यह तय ही नहीं होता कि ये युवा एक शहर में कितने समय तक रहेंगे, इसलिए वे घर खरीदने में जल्दबाजी नहीं दिखाते. कुल मिला कर वे एनसीआर में अपना घर लेने के बजाय पौश कालोनी में रैंट पर रहना पसंद करते हैं.

अपना घर न खरीद कर किराए के घर में रहना पसंद करने वाले इन युवाओं के अपनेअपने तर्क हैं. कई कहते हैं कि वे ऐसी लोकैलिटी में ही रहना चाहते हैं जहां उन के मकान के पास तमाम सुखसुविधाएं उपलब्ध हों, तो कई युवा लोन के झमेले में नहीं फंसना चाहते. उन का कहना है कि वे अपनी पूरी सैलरी का मजा लेना चाहते हैं. वे हर महीने उस का बड़ा हिस्सा लोन में नहीं दे सकते.

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औफिस के पास घर

टीवी आर्टिस्ट अनुपम 10 साल पहले कोलकाता से दिल्ली आए थे. तब वे बैचलर थे. पहली जरूरत मकान की थी. उन्होंने लाजपत नगर में एक कमरा तलाश लिया और 2-3 साल वहां पर रहे. फिर शादी हुई, तो उन्हें मकान बदलना पड़ा. तब वे पत्नी के साथ 2 कमरों के एक मकान में शिफ्ट हो गए. समय गुजरता रहा. 2 बच्चे हुए. वे आज भी अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही हैं, लेकिन अपना घर आज तक नहीं खरीदा. कारण पैसे की कमी नहीं, बल्कि उन का अपना मिजाज है.

अनुपम कहते हैं कि घर खरीदने के बारे में कभी सोचा ही नहीं. मैं किराएदार रह कर भी खुश हूं. हम एक मकान में 4-5 साल आराम से गुजार लेते हैं. मेरी रिहाइश का यह पूरा इलाका मुझे सूट करता है, क्योंकि मेरा औफिस यहां से बहुत पास है. मैं एनसीआर में घर खरीद सकता हूं, लेकिन उस से मेरी परेशानियां बढ़ जाएंगी. खासतौर पर आनेजाने की परेशानियां. हम साउथ दिल्ली को नहीं छोड़ना चाहते.

अमित अग्रवाल को ही लीजिए, आईटी प्रोफैशनल अमित ने नोएडा में एक घर खरीदा, लेकिन वहां सिर्फ 1 साल ही रहे. उस के बाद वे परिवार सहित विवेक विहार शिफ्ट हो गए, जहां वे पिछले 12 सालों से किराए पर रह रहे थे. अमित का कहना है कि कई साल यहां रहने के कारण हमें इस जगह से लगाव हो गया है. हम यहां से चले तो गए, लेकिन नोएडा में ऐडजस्ट नहीं कर पाए, क्योंकि पौश कालोनी होने के कारण वहां किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है. लेकिन यहां सभी पड़ोसी एकदूसरे के सुखदुख में शामिल होते हैं.

इस के अलावा बच्चों को भी बहुत दूर स्कूल आनेजाने में परेशानी हो रही थी. मन मार कर रहने के बजाय हम ने विवेक विहार में रैंट पर रहना पसंद किया. सर्वे में यह भी पता चला है कि कई युवा अपने वर्किंग प्लेस पर रैंट पर ही रहते हैं और अपने नेटिव प्लेस के पास ही अपना घर खरीदना पसंद करते हैं. ऐसे लोग मेरठ, देहरादून, जबलपुर, चंडीगढ़, मुरादाबाद, नैनीताल, वृंदावन जैसी जगहों पर प्रौपर्टी में इन्वैस्ट करते हैं. आइए जानें किराए के घर में रहना कैसे आप को टैंशन और सिरदर्द से बचाता है-

लोकेशन अच्छी नहीं तो घर बदलें

अपर्णा का कहना है कि कुछ साल पहले ही हम ने ब्रिज विहार में घर खरीदा. बारिश का मौसम आने पर पता चला कि घर के पास वाले नाले में पानी भर जाने के कारण घर के नीचे वाले फ्लोर पर पानी भर जाता है. किराए का घर होता तो बदल कर दूसरा घर ले लेते, लेकिन अपना घर बेचना इतना आसान नहीं होता और फिर उस मकान की कीमत भी ज्यादा नहीं थी. इसी तरह प्रियंका का कहना है कि हम ने गरमियों में घर खरीदा था और यह नहीं देखा कि इस घर में धूप आती है या नहीं.

सर्दियां आईं तो पता चला कि इस घर में धूप का नामोनिशान नहीं है. इस वजह से घर भी बहुत ठंडा रहता है. मेरा बच्चा अभी छोटा है और उसे धूप दिखाना जरूरी होता है, इसलिए मुझे घर से काफी दूर पार्क में आना पड़ता है. हमेशा मन में मलाल रहता है कि अगर यह घर किराए का होता तो कब का बदल दिया होता.

यही नहीं, बल्कि कई बार अपना मकान खरीद लेने पर पता चलता है कि यहां पार्किंग की दिक्कत है, बिजलीपानी की समस्या है, साफसफाई नहीं होती, घर के पास शराब का ठेका खुला है आदि. ऐसी परेशानियों को अपने घर में झेलना आप की मजबूरी हो जाती है, लेकिन किराए का घर बदलने का औप्शन होता है.

तबादले की जौब में मुश्किल नहीं

प्राइवेट नौकरी हो या सरकारी, हर किसी में ट्रांसफर तो होता ही है और ट्रांसफर हो जाने के बाद सब से बड़ी दिक्कत आती है अपना घर छोड़ कर किसी दूसरे शहर में जा कर किराए का घर ले कर बसने की. पहले तो अपना खुद का घर छोड़ कर जाने का मन ही नहीं करता, क्योंकि आप ने उसे अपने ढंग से सैट जो किया होता है. उस घर के हिसाब से ही फर्नीचर आदि खरीदा होता है. किसी दूसरे शहर में उतना बड़ा घर मिलता है या नहीं यह भी एक प्रश्न खड़ा हो जाता है.

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किराए के घर में अगर ड्राइंगरूम छोटा है और आप का सोफा बड़ा तो उसे ऐडजस्ट करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन आप पहले से ही किराए के घर में रहते हैं, तो आप को पता होता है कि आप को जल्दीजल्दी घर बदलना पड़ेगा, इसलिए आप उसी के हिसाब से फर्नीचर खरीदते हैं. जैसे, छोटा सोफा, फ्लोरिंग, फर्नीचर वगैरह. ट्रैवलिंग में टूटने वाली चीजें ऐसे लोग कम रखते हैं.

औफिस का ट्रैवलिंग टाइम बचता है

टीसीएस कंपनी में कंसल्टैंट मैनेजर अनुभव का कहना है कि मैं रोज गे्रटर नोएडा से कनाट प्लेस अपने औफिस आता हूं. मेरा ट्रैवलिंग टाइम करीब डेढ़ से 2 घंटे का होता है. अपने घर से औफिस पहुंचने के लिए ट्रैफिक जाम और लंबा रास्ता कवर करने में ही मेरी 50 पर्सैंट ऐनर्जी कंज्यूम हो जाती है. इस के बाद औफिस में किसी भी प्रोडक्टिव काम के लिए ऐनर्जी नहीं बचती. अब लगता है कि अगर मेरा गे्रटर नोएडा में अपना घर नहीं होता तो मैं अपने औफिस के पास ही अपनी पसंद का कोई किराए का घर ले लेता और ट्रैवलिंग टाइम के साथसाथ हर महीने लगभग 10 से 12 हजार रुपए महीना पैट्रोल पर होने वाले खर्च को भी बचा पाता. इस के साथ ही ज्यादा टै्रवलिंग के चलते बौडी पेन, बैक पेन, ब्लडप्रैशर व स्टै्रस के कारण डायबिटीज आदि बीमारियां भी हो सकती हैं.

किस्तें चुकाने का झंझट नहीं

घर खरीदने के बजाय किराए पर घर लेने से आप को ईएमआई की तुलना में कम खर्च करना होगा. इस तरह बची हुई रकम को आप 20 साल के लिए किसी दूसरे निवेश में लगा सकते हैं, जिस से बाद में घर खरीद सकते हैं. ईएमआई भरने के चक्कर में लोगों के घर का बजट गड़बड़ा जाता है. इस से घर में कलह और स्ट्रैस आते हैं, जबकि किराए का घर लें, तो अपनी पाकेट के अनुसार 5 या 6 हजार रुपए का घर ले सकते हैं.

मैंटेनंस की टैंशन नहीं

अगर घर अपना हो तो हजार झंझट रहते हैं, जैसे अगर आप कालोनी में फर्स्ट फ्लोर पर रहते हैं, तो आए दिन नीचे के घर वाला शिकायत करता है कि आप के बाथरूम से मेरे घर में सीलन आ गई है उसे ठीक कराएं, तो कभी आप का पाइप भर गया है, जिस से मेरी नाली में पानी आ रहा है आदि, जिस के कारण बेवजह परेशानी के साथ पैसा भी खर्च होता है. लेकिन आप किराए पर रहते हैं, तो आराम से कह सकते हैं कि हम तो किराए पर हैं, आप मकानमालिक से बात करें.

इस के बाद उस टूटफूट का खर्चा मकान मालिक और नीचे के घर वाला आधा-आधा उठाते हैं. उसे सही कराने का टैंशन आप की नहीं है. आप को बस मकान मालिक का फोन नंबर देना है. अपना घर होता है तो आए दिन मकान में वाइटवाश कराने का भी मन करता है, लेकिन आप किराए पर हैं, तो आप को पता है कि मकान मालिक 2 साल से पहले नहीं कराएगा और आप अपनी जेब से पैसा नहीं खर्चेंगे.

अपने घर में आप पैसा किसी न किसी वजह से लगाते ही रहते हैं. जैसे, अगर किसी घर में आप ने देख लिया कि उस के घर की किचन में अच्छा वुडनवर्क है या फिर पीओपी का काम बहुत अच्छा है, तो आप भी धीरेधीरे कर के वे सब काम करवाने लगते हैं, जिस में बहुत पैसा खर्च हो जाता है. अगर किराए का घर है, तो अगली बार वैसा ही घर ढूंढ सकते हैं. किराए के घर में टैंशन न हो, इस के लिए इन बातों पर ध्यान दें-

– जहां तक हो सके किराए के घर में नए फर्नीचर पर पैसा बरबाद न करें. अगर आप अपने पुराने फर्नीचर से बोर हो गए हैं, तो कम खर्च में उसे नया लुक दे सकते हैं. इस के लिए फर्नीचर पर पड़ी खरोंचों को भरवाएं, उस पर वार्निश करवाएं, उस के ऊपर सिल्क, सैटिन या गुजराती ऐंब्रैयडरी के कवर चढ़ाएं. कुछ ऐसा ही आप कुशन कवर के साथ करें.

– किराए पर रहने वाले लोगों को कभी भी शिफ्ट करना पड़ सकता है और शिफ्टिंग में सब से ज्यादा नुकसान फर्नीचर का होता है. ऐसे में आप पुराना या सस्ता फर्नीचर इस्तेमाल कर के इस नुकसान से बच सकते हैं.

– अगर आप को लगता है कि आप कुछ समय और इसी तरह किराए पर रहने वाले हैं, तो ऐसे में आप के लिए बेहतर होगा कि आप भारी फर्नीचर लेने के बजाय हलका फर्नीचर लें. जैसे, सोफे की जगह केन, आयरन वुड कौंबिनेशन या मैकैनाइज्ड फर्नीचर.

– सोफे के साथ गद्दी अलग से रखें ताकि शिफ्टिंग में परेशानी न हो.

– अगर आप का मकान मालिक आप को नए सिरे से पेंट करवाने की इजाजत नहीं दे रहा तो ऐसे में आप बोरिंग रंग से ऐसे नजात पा सकते हैं. इस के लिए आप को दीवारों पर थोड़ी सी क्रिएटिविटी दिखानी होगी. दीवारों को छोटे शीशों या गुजराती या राजस्थानी प्रिंट के पैच से सजा कर उन्हें बिलकुल नया लुक दे सकते हैं.

– भारी दिखने वाले फर्नीचर से बचें, क्योंकि यह कमरे को भरा-भरा लुक देता है.

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– कमरे में स्पेस ज्यादा है तो 2 या 3 मीटिंग अरेंजमैंट कर सकते हैं. सैटी, जमीन पर गद्दे, मोढ़े, रंगीन दरियां कमरे को आकर्षक लुक दे सकते हैं.

– शिफ्टिंग के समय सामान को भरने वाले बौक्स को भी आप सजावट में इस्तेमाल कर सकते हैं. बौक्स के ऊपर गद्दा डाल कर सैटी या मेज का काम ले सकते हैं. आप चाहें तो उसे प्रैस की टेबल के रूप में उपयोग कर सकते हैं.

– डाइनिंग टेबल भी फोल्डिंग ले सकते हैं, यह जगह भी कम घेरेगी.

– बैड व सैटी में स्टोरेज बौक्स बनवाएं ताकि उन में सामान रखा जा सके.

– छोटे कमरे में लंबा फर्नीचर न रखें.

– मैगजीन, अखबार आदि के लिए स्टैंड बनवाएं.

– बच्चों के सोने के लिए बंक बैड बनवाएं. ये कम जगह घेरते हैं.

– बच्चों की स्टडी टेबल फोल्डिंग बनवाएं, जो इस्तेमाल करने के बाद दीवार पर लगाई जा सके.

– टेबल के भीतरी हिस्से में शैल्फ बनवा कर उस में कापी किताबें रखी जा सकती हैं.

– परदे खूबसूरत रंगों के हों ताकि घर बदलने पर भी इस्तेमाल में लाए जा सकें.

– किराए के घर में दीवारों, अलमारियों, दुछत्ती आदि को ढकने के लिए खूबसूरत परदे लगवाएं.

– घर में लाइटिंग की ऐसी कोई व्यवस्था न करें जो स्थाई हो, बल्कि रोशनी के लिए टेबल लैंप या स्टैंडिंग लैंप लगवाएं.

– घर के अंदर आर्टिफिशयल फूलों के गमलों का प्रयोग करें. घर छोड़ने की स्थिति में आप इन्हें ले कर भी जा सकती हैं.

– घर में कांच का ज्यादा सामान इकट्ठा न करें, क्योंकि उस के टूटने का डर ज्यादा रहता है.

– टीवी को रखने के लिए टीवी ट्राली लेने के बजाय टीवी का दीवार पर लगाने वाला स्टैंड खरीद लें ताकि यह जगह न घेरे और हर जगह आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सके.

– घर सजाते समय सामान की लिस्ट बना लें कि आप के पास क्या क्या है और कौन सी चीज आप ने किस टांड या दुछत्ती पर रखी है. इस से दोबारा घर बदलने में आसानी होगी.

निर्णय: पूर्वा ने ताऊजी के घर रहने के बाद कैसा निर्णय लिया

Serial Story: निर्णय (भाग-2)

वह चुप रही थी. इसी तरह से दिन बीतते रहे. 6 महीने पूरे हो गए थे. उस का प्रोबेशन पीरियड समाप्त हो गया था. वह परमानैंट हो गई थी. उसे इंक्रीमैंट भी मिल गया था. वह खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी. वह रास्ते से मिठाई खरीदती लाई. ‘‘ताऊजी, मेरी प्रमोशन हो गई है… लीजिए मिठाई. मुंह मीठा करिए,’’ कह उस ने डब्बा

उन के सामने कर दिया. ‘‘अब कितनी सैलरी हो गई तुम्हारी?’’

‘‘क्व50 हजार.’’ ‘‘वाह रे… मैं तो इतना विद्वान लैक्चरर था, परंतु इतनी जल्दी इतनी सैलरी नहीं हुई.’’

‘‘ताऊजी, अब समय बदल गया है. इंजीनियर को इतनी ही सैलरी मिलती है और फिर आईटी सैक्टर में इंक्रीमैंट जल्दीजल्दी मिलता है.’’ ‘‘हां… हां… मैं सब समझता हूं कि तुम्हारा क्या चल रहा है,’’ उन की निगाहों में शक साफ झलक रहा था.

औफिस से लौटने में पूर्वा को रोज रात के लगभग 8 बज जाते थे. एक दिन औफिस में पार्टी थी. दूसरे साथियों के आग्रह को वह ठुकरा नहीं सकी और लौटने में उसे 10 बजे गए. वह तेजी से दौड़तीभागती घर पहुंची तो ताऊजी ने ही दरवाजा खोला. उन की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे.

आज उन्होंने उस पर सीधा हमला बोला, ‘‘मैं सब कुछ जानसमझ रहा हूं कि औफिस के नाम पर क्या चल रहा है. शरीर के सारे अंग अलगअलग पैसा कमाने के साधन बन गए हैं. लता मंगेशकर अपने गले की बदौलत धनकुबेर बन बैठी हैं तो सलमान खान हो या प्रियंका चोपड़ा अपनी कमर मटका कर धन कमा रहे हैं. मजदूर बोझा उठा कर पैसा कमा रहा है. नाचने वालियां नाच कर और सैक्स वर्कर अपने शरीर से धन कमा रही हैं. ‘‘यह भौतिकवाद का युग है. जिस के पास जितना अधिक धन है, वह उतना ही सामर्थ्यवान है. मैडमजी, आधुनिक बन कर क्या लड़कियां शरीर बेच कर धन नहीं कमा रही हैं… आप को मुझे सफाई देने की जरूरत नहीं है.’’

पूर्वा भाग कर ताईजी के पास पहुंच गई. इस समय ताऊजी की भावभंगिमा डरावनी लग रही थी. ताईजी ने उसे प्यार से समझाया, ‘‘कुछ नहीं बिटिया… आज इन्होंने कुछ ज्यादा चढ़ा ली होगी… तुम्हारी फिक्र में सोए न होंगे, इसलिए बकबक करने लगे होंगे. हम लोग भी

तो बेटीबहू वाले हैं और फिर तुम भी तो हमारी बिटिया ही हो. ऐसी गंदी बात वे सोचते हैं तो इस का पाप तो उन्हें ही लगेगा… शराब व मुराद बड़ी बुरी चीज है. तुम इन की बातों को दिल पर मत लो.’’

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उस रात ताईजी उसे बहुत ममतामयी लगी थीं. उसे इस बात की खुशी थी कि कम से कम ताईजी तो उसे गलत नहीं समझतीं. उस से खाना भी नहीं खाया गया था. उस की आंखों से आंसू बह निकले थे. ताईजी ने प्यार से उस के आंसू पोंछे थे. वे बोली थीं, ‘‘अपने पापा से कुछ मत कहना, क्योंकि ये दोनों भाई एक से हैं. मेरी तो जिंदगी बीत गई इन के साथ रोते हुए.’’

पूर्वा मन ही मन सोच रही थी कि यदि इन बातों की भनक भी मांपापा को लगी तो नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी.

ताईजी की प्यार भरी बातों से उस का मन हलका हो गया था. कुछ ही दिन बीते थे कि सुबहसुबह वह न्यूजपेपर खोल कर उस पर निगाहें टिकाए कमरे में जा रही थी. तभी

उधर से ताऊजी चाय का प्याला हाथ में ले कर आ रहे थे. वह उन से हलकी सी टकरा गई और चाय उन के हाथ पर छलक गई. बस फिर क्या था.

वे आपे से बाहर हो उठे, ‘‘तुम अफसर होगी तो अपने दफ्तर की… हमें नहीं सौंप रही अपनी कमाई… 26 साल की होने को आई, शादी नहीं हुई वरना तो अब तक 2 बच्चों की मां होती. ‘‘तमीज तो सीखी ही नहीं है… नीचे देख कर तो चलना ही नहीं सीखा… मेरी बात गांठ बांध लो, यदि यही हाल रहा तो एक दिन तुम जिन ऊंचाइयों का ख्वाब देख रही हो, उन से औंधे मुंह गिरोगी. उस दिन सारा दिमाग ठिकाने आ जाएगा.’’

धीरेधीरे ताऊजी को शायद उस की शक्ल से ही चिढ़ होने लगी थी. रोज सुबह ही शुरू हो जाते. किसी न किसी बात पर बड़बड़ कर उस का मूड खराब कर देते. सुबह वह चाहे जितनी जल्दी बाथरूम जाए वे उसी समय बाहर से खटखटाना शुरू कर देते कि कोई इतनी देर बाथरूम में लगाता है भला? वह बाजार से कभी सब्जी, कभी फल तो कभी नाश्ता ला कर ताईजी को तो खुश रख पा रही थी, पर ताऊजी बहुत विचित्र थे. उन्हें खुश रखना टेढ़ी खीर था.

जब पूर्वा बहुत परेशान हो गई तो एक दिन फोन पर मां से अपने मन का गुबार निकाल ही दिया, ‘‘मां, लंच और सुबह का नाश्ता में औफिस में खाती हूं. बस एक टाइम रात का खाना खाती हूं. इस के एवज में मैं बराबर घर का सामान लाती रहती हूं. अब मेरी सहनशक्ति जवाब देने लगी है. मेरा यहां रहना अब नामुमकिन होता जा रहा है… अगले महीने मैं कोई पीजी देख कर उस में शिफ्ट हो जाऊंगी.’’ पापा हमेशा मां की बातों पर अपने कान लगाए रहते थे. छोटे घरों की यह मजबूरी होती है कि कोई बात किसी से छिपाना आसान नहीं होता.

वे तुरंत मोबाइल अपने हाथ में ले कर बोले, ‘‘बेटी, यदि पीजी में जा कर रहोगी तो हम दोनों भाइयों के बीच दरार पड़ जाएगी… इसलिए समझदारी से काम लो. जब वे आज भी मुझे कुछ भी बोलने से बाज नहीं आते हैं तो तुम तो मेरी बिटिया हो… उन्हें तो हमेशा चीखनेचिल्लाने और उलटासीधा बोलने की आदत रही है. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं, मान जाओ.’’ बस बात यहीं समाप्त हो गई थी. पूर्वा के चुप रहने के कारण ताऊजी ओछी हरकतों पर उतर आए थे. लाइट जाते ही यदि इनवर्टर से पंखा चल रहा होता तो दौड़ कर आते और पंखा बंद कर देते.

4 बातें अलग से सुनाते, ‘‘मैडमजी, यह औफिस नहीं घर है. यहां दूसरे लोग भी रहते हैं.’’ यदि फ्रिज से पानी की बोतल निकालती तो व्यंग्य से बोलते, ‘‘इस गरीब पर दया कर के यदि एक ठंडी बोतल छोड़ दी जाए, तो बड़ी मेहरबानी होगी.’’ जब कभी वह रात में खाना नहीं खाती तो उसे अगली सुबह बासी रोटियां खानी पड़तीं या फिर ताऊजी की उलटीसीधी बातें सुननी पड़तीं. ताऊजी को सांस फूलने की बीमारी थी. सर्दियों का मौसम आ गया था. उन्हें ठंड बहुत लगती थी. इसलिए वे हफ्तों नहीं नहाते थे.

शरीर में तेल मालिश के बड़े शौकीन थे. धूप में बैठ कर घंटों तेल मालिश करना उन का प्रिय टाइमपास था. जब वे पास से निकलते तो सरसों के तेल की तेज महक से नाक बंद कर लेने का मन करता, परंतु उन के डर से पूर्वा सांस रोक कर रह जाती थी. एक दिन पूर्वा से बोले, ‘‘अभिमान तो किसी का नहीं रहा है, तुम भला कौन सी चीज हो… दुनिया में जाने कितने अफसर पड़े हैं, परंतु ऐसा अनर्थ नहीं देखा कि मंदिर में सिर भी न झुकाए?’’

 

उस ने इशारे से ताईजी से पूछा था तो वे धीरेधीरे बड़बड़ाईं, ‘‘सठिया गए हैं. हर समय दारू के नशे में रहेंगे तो ऐसे ही उलटासीधा बकेंगे. इन की इन्हीं हरकतों के चलते न तो बेटाबहू कभी यहां आना चाहते हैं और न बेटी. ‘‘बिटिया, तुम इन की बातों पर ध्यान मत दिया करो. इन की तरह जोरजोर से घंटा बजाने से ही थोड़े पूजा होती है.’’

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Serial Story: निर्णय (भाग-1)

मदन ने फोन उठाया. ‘‘कैसी तबीयत है तुम्हारी? यदि हम फोन न करें तो तुम से कभी बात भी न हो… पूर्वा की शादी के लिए कोशिश कर रहे हो या उसे ऐसे ही बैठाए रखने का इरादा है?’’ उधर से आवाज आई.

‘‘नहींनहीं, भाई साहब… आप को तो मालूम है कि उस ने बैंक से लोन ले कर पढ़ाई पूरी करी है, तो पहले उसे लोन चुकाना है, इसलिए नौकरी देख रही है.’’ ‘‘तो अब तुम बैठ कर बेटी की कमाई पर ऐश करोगे.’’

‘‘अरे नहीं, मैं तो अपाहिज हूं… उस की शादी आप को ही करनी है. कोई लड़का निगाह में हो तो बात चलाइएगा.’’ ‘‘ठीक है.’’

मदनजी पत्नी संध्या से बोले, ‘‘भाई साहब को हम लोगों की कितनी फिक्र रहती है.’’ तभी चहकती हुई पूर्वा मां से लिपट कर बोली, ‘‘मां, मेरा कैंपस सलैक्शन हो गया है.’’

‘‘अरे वाह, शाबाश,’’ वे बेटी का माथा चूमते हुए बोलीं, ‘‘तुम्हारी जौब किस कंपनी में लगी है?’’ ‘‘विप्रो,’’ कह उस ने पापा के चरणस्पर्श किए.

पापा की आंखें सजल हो उठीं. बोले, ‘‘खूब तरक्की करो, मेरी बेटी… कब और कहां जौइन करना है?’’ ‘‘पापा, जौइनिंग लैटर आने के बाद ही पता लगेगा… वैसे मैं ने दिल्ली के लिए लिखा था.’’

‘‘ठीक है, तुम्हारा रहने का प्रबंध ताऊजी के यहां हो जाएगा.’’ ‘‘पापा, मैं अपने रहने के विषय में निर्णय नहीं कर सकती?’’

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‘‘तुम्हारा दिमाग खराब है क्या?’’ पूर्वा का जौइनिंग लैटर आ गया था. दिल्ली औफिस में जौइन करना था.

दिल्ली का नाम सुनते ही पापा खुश हो उठे. उन्होंने तुरंत ताऊजी को फोन लगा कर सूचना दे दी, ‘‘भाई साहब, पूर्वा की नौकरी दिल्ली में लग गई है. 15 तारीख से जौइन करना है.’’ ‘‘यह तो बड़ी खुशी की बात है.’’

‘‘अभी कुछ दिन आप के पास रहेगी, फिर अपने लिए कमरा देख लेगी.’’ ‘‘क्यों? क्या वह मेरी बेटी नहीं है? डौली, बिन्नी का कमरा खाली ही तो पड़ा है. हम लोगों का भी मन लग जाएगा.’’

संध्याजी धीरे से बोलीं, ‘‘उन के घर पर रहना ठीक नहीं रहेगा, क्योंकि औफिस के चक्कर में घर के कामों में यह हाथ नहीं बंटा पाएगी, तो भाभीजी को अच्छा नहीं लगेगा.’’ ‘‘तुम्हारे दिमाग में तो बस ऊटपटांग बातें ही घूमती रहती हैं. मेरे भाई साहब तो हमेशा तुम्हारी आंखों की किरकिरी रहे हैं. जवान लड़की यहांवहां रहेगी वह तुम्हारे लिए ठीक है, पर भाई साहब के घर ठीक नहीं है. तुम्हें तो कभी यह अच्छा ही नहीं लगता कि हम दोनों भाई आपस में प्रेम से रहें.’’

पूर्वा ने स्थिति को संभालते हुए कहा, ‘‘बस पापा, आप शांत हो जाएं… मैं ताऊजी के घर ही रहूंगी.’’

संध्या मन ही मन सोचने लगीं कि यदि उन के पास पैसा होता तो उस के लिए कोई राजकुमार ढूंढ़ कर उसे डोली में बैठा कर विदा कर देतीं. परंतु मजबूरी जो न करवाए वह थोड़ा है. वे सोचने लगीं कि बैंक से लोन उठा कर किसी तरह बेटी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई है. इसीलिए शादी से पहले नौकरी कर के लोन चुकाना जरूरी है. दूसरी बात आजकल सभी लोग बताते हैं कि नौकरी करने वाली लड़कियों को अच्छे लड़के जल्दी मिलते हैं, क्योंकि महंगाई के जमाने में एक की कमाई से सारे शौक पूरे नहीं हो सकते. इसलिए अपने सपनों को सच करने के लिए दोनों का कमाऊ होना आवश्यक हो गया है. आजकल शादियों में खर्च भी अधिक होने लगा है. उस दिन घरघर झाड़ूपोंछा करने वाली माधुरी भी अपनी बेटी की शादी में क्व4 लाख खर्च हो जाने की बात कह रही थी. वह क्व4 लाख खर्च कर सकती है तो वे तो सरकारी स्कूल में टीचर हैं. उन के पास तो कुछ भी नहीं है… जो कुछ कमाया वह पति की बीमारी और बेटी की शिक्षा पर खर्च करती रही हैं.

उन्होंने तो यह शपथ भी ले रखी है कि बेटी की शादी में दहेज नहीं देंगी और बेटे की शादी में लेंगी नहीं. तभी बेटी की आवाज से उन की तंद्रा भंग हुई, ‘‘मां, यह आप ने इतने बड़े डब्बे में क्या भर दिया है?’’

‘‘तू नहीं समझती, तेरे ताऊजी को लड्डू बहुत पसंद हैं और अचार व मठरियां तेरी ताई के लिए हैं,’’ फिर आंखों में आंसू भर आगे बोलीं, ‘‘देख बेटा, दूसरे के घर में निभाना आसान थोड़े ही होता है. यहां की तरह पटरपटर मत करना… ताऊजी के सामने तो बिलकुल मुंह बंद रखना. ‘‘ताऊजी को तो तुम जानती ही हो. 3-5 कर के उन्होंने 2-4 किताबें छपवा ली हैं, तो अपने को बहुत महान लेखक, ज्ञानी और विद्वान समझने लगे हैं. मेरी बात गांठ बांध ले,

उन से न तो बहस करना और न ही उन्हें कभी जवाब देना.’’ संध्याजी ने भीगी आंखों से बेटी को विदा किया था. जबकि उस के पापा भाई साहब के घर भेज कर बहुत खुश और आश्वस्त थे कि उन की बेटी अपने घर पर रहेगी और वहां उसे कोई परेशानी नहीं होगी.

पूर्वा पहली बार दिल्ली अकेले जा रही थी, इसलिए थोड़ी घबराई हुई थी, मगर स्टेशन पर ताऊजी को देख उस ने राहत की सांस ली. घर पहुंचते ही ताईजी की निगाहें उस से अधिक उस के साथ आए बड़े से डब्बे पर थीं.

ताऊजी के सूने घर में पूर्वा के आने से मानो नवजीवन का संचार हो गया. ताऊजी को उन की ऊलजलूल तुकबंदियों को सुनने के लिए एक श्रोता मिल गया था और ताईजी को उन की किचन के लिए एक पार्टटाइम सहायक. कुछ दिन तक तो पूर्वा इन सब परिस्थितियों से तालमेल बैठाने का प्रयास करती रही, पर चक्की के 2 पाटों के बीच वह पिसने लगी थी. थकीमांदी औफिस से आती तो दोनों अपनीअपनी जरूरतों के लिए उसे अपने पास चाहते और फिर दोनों के बीच लड़ाई शुरू हो जाती. उस की समझ नहीं आता कि क्या करे?

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उस ने मन ही मन हल सोचा कि वह औफिस से देर से आया करेगी. तब तक दोनों अपने टीवी सीरियल में व्यस्त हुआ करेंगे. मगर ताऊजी बहुत तेज दिमाग थे या कह लो पूरे घाघ. उन्हें यह उस की उद्दंडता लगी थी. वे उस की चतुराई को समझ गए थे. इसलिए उन्होंने विरोधी पार्टी वाले तेवर दिखाने शुरू कर दिए.

अगले ही दिन उसे घुड़कते हुए बोले, ‘‘इतनी देर औफिस में क्या करती रहती हो? समय से लौटा करो. यह कोई होटल थोड़े ही है कि जब मरजी मुंह उठा कर चली आई. वहां दिन भर चहकती रहती होगी और घर में घुसी नहीं कि मुंह लटक जाता है.’’

आगे पढ़ें- वह चुप रही थी. इसी तरह से…

Serial Story: निर्णय (भाग-3)

रात में जब ताऊजी टीवी बंद कर के अपने कमरे में चले जाते तो वह अपना मनपसंद सीरियल, गाने या फिर पिक्चर लगा लेती. परंतु उसे परेशान करने के लिए वे फिर से लौट कर वहां आ जाते और झट चैनल बदल देते. अनावश्यक घंटों ऊंघते हुए हाथ में रिमोट ले कर चैनल बदलते रहते. कभी भूलवश टीवी की आवाज अधिक हो जाती तो चीखते हुए हाजिर हो जाते, ‘‘महारानीजी, आज आप सोने देंगी या रात्रिजागरण का कार्यक्रम करवाओगी. ‘‘मैडमजी आप तो जवान हैं. मैं 65 साल का बूढ़ा हूं… अब इतना दमखम तो बचा नहीं कि रात भर जाग सकूं.’’

पूर्वा तुरंत टीवी बंद कर के सोने का अभिनय करती और मन ही मन टीवी से दूर रहने का निश्चय करती. मगर 2-4 दिन बाद उस का मन मचल उठता और रिमोट हाथ में उठा लेती.

वहां रहते हुए लगभग 2 साल हो चुके थे. अपनी कंपनी और सैलरी दोनों से वह खुश थी, परंतु ये ताऊजी तो पूरी तरह से हाथ धो कर उस के पीछे पड़े रहते थे.

कुछ दिनों से ताऊजी अखबार के वैवाहिक विज्ञापनों में निशान लगाने में व्यस्त थे. एक दिन पूर्वा ने उन्हें ताईजी से कहते सुना, ‘‘अब तो इस ने बहुत रुपए जमा कर लिए होंगे. उन्हीं पैसों से इस की शादी कर देंगे.’’

उस ने उन विज्ञापनों को देखा, जिन पर निशान लगे थे. उन में से कोई 40 वर्ष का था तो कोई विधुर. यहां तक कि एक मंदबुद्धि भी था. अब वह परेशान हो उठी थी कि ताऊजी ने तो हद ही पार कर दी. वह परेशान हो उठी थी. इस समस्या का सामना वह कैसे करे. उस का औफिस में भी मन नहीं लगता था. तभी एक दिन किसी लड़के को उस के औफिस का पता बता कर वहां भेज दिया. उस समय उस की स्थिति बहुत विचित्र हो गई. फ्रैंड्स के बीच उस का खूब मजाक बना. वह बिफर पड़ी थी. घर पहुंचते ही ताईजी से लिपट कर बिलख पड़ी.

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जब वह काफी देर रो ली तो उन्होंने उसे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘देखो बिटिया, तुम्हारे ताऊजी की सब बेवकूफियां हम जानते हैं. तुम अपने औफिस के किसी लड़के को पसंद करती हो तो बताओ, मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’ ताईजी ने प्यार से अपने हाथ से उसे खाना खिलाया था. रात में जब वह लेटी तो उस की नींद उड़ी हुई थी. उसे अपने कालेज के मस्ती भरे दिन याद आ रहे थे. वह बीटैक में फ्रैशर थी. रैगिंग के डर से कांप रही थी. उसे अपने सीनियर को प्रोपोज कर के किस करना था. उस की आंखें बरस पड़ी थीं.

उस के आंसू देख कर एक सीनियर को उस पर दया आ गई. उस ने शालीनतापूर्वक अपनी हथेली उस के सामने रख कर किस करने को कहा. उस दिन वह आसानी से बच गई थी. वह सीनियर शशांक था. उसी दिन से वह उस का दोस्त बन गया. दोनों साथ पढ़ाई करते, कौफी पीते, साथ घूमते. उस की सारी समस्याओं का हल शशांक चुटकियों में कर देता.

धीरेधीरे न जाने कब शुरू हो गया मोबाइल पर कभी न खत्म होने वाला लंबीलंबी बातों का सिलसिला. जिस दिन दोनों एकदूसरे को न देखते या बात न करते सब कुछ अधूराअधूरा लगता. शायद इसी को प्यार कहते हैं, परंतु अभी तो दोनों के सामने अपनाअपना कैरियर था. यह सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा था. शशांक की फाइनल परीक्षा हो चुकी थी. वह बहुत खुश था. उस का कैंपस सलैक्शन भी हो चुका था. बस प्लेसमैंट मिलना था. उस की जाने की तैयारी चल रही थी. वह उदास हो उठी थी. तब उस ने गंभीर हो कर उसे शादी के लिए प्रोपोज कर दिया. बस इसी बात को ले कर वह उस से नाराज हो गई और उस से बातचीत बंद कर दी.

जब जाने का समय आया तो शशांक उस से मिलने आया. उस ने प्रौमिस किया कि दोनों दोस्त बने रहेंगे, उस से अधिक कुछ नहीं. वह सिलसिला आज भी चल रहा था. शशांक को बैंगलुरु में पोस्टिंग मिली थी. वह गुड़गांव में थी, इसलिए मुलाकातें तो मुश्किल हो गई थीं, पर औनलाइन चैटिंग और फोन पर मस्ती चलती रहती थी.

अब जब ताऊजी उस की शादी की कोशिश करने लगे हैं और ताईजी भी उस से उस के मनपसंद लड़के के बारे में पूछ रही हैं तो उस के लिए प्यार की मीठीमीठी घंटियां बजने लगीं. शशांक जैसा जीवनसाथी ही तो उसे अपने लिए चाहिए पर उस ने तो इन दिनों उस से इस संबंध में कोई बात ही नहीं की. उस का मन तरंगित हो उठा… मगर क्षण भर में ही उसे अपने सपने टूटते से लगे, क्योंकि शशांक एसटी कोटे से था. पापा और ताऊजी दोनों को ही अपने ब्राह्मणत्व का बड़ा गुमान था. इस विषय को ले कर वे पक्के रूढि़वादी थे. कई दिनों तक वह अनिर्णय की स्थिति में रही.

अब वह करे तो क्या करे? मांपापा की आंखों में तैरती खुशियों की चमक, ममतामयी ताईजी का पलपल प्यार से गले लगा कर कहना कि मेरी लाडो को दुनियाजहां की सारी खुशियां मिलें. परंतु ताऊजी उसे संदिग्ध लगते थे. वे फोन पर फुसफुसाते हुए न जाने किस गुणाभाग में लगे रहते थे. पूर्वा को दूरदूर तक कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था. वह ताऊजी की फुसफुसाहटों पर अपने कान लगाए रहती. उसे पूरा विश्वास था कि ताऊजी उस की शादी फिक्स करवाने के एवज में अवश्य कोई लंबा हाथ मार रहे होंगे. वह चुपके से उन के कागज टटोलती, उन का फोन चैक करती कि कोई एसएमएस उसे पढ़ने को मिल जाए, परंतु वह अपने शक को सच में परिवर्तित करने में सफल नहीं हो पा रही थी.

पूर्वा को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे किसी दलदल में धंसती जा रही है जहां से निकलना कठिन है. वह इसी उलझन में थी. तभी उसे ऐसा अनुभव हुआ कि शशांक ने उस की हथेलियों को पकड़ लिया है और उसे दलदल से बाहर निकाल लिया है. वह उस के साथ भागती जा रही है. वह चौंक कर अपने चारों ओर देखने

लगी, क्योंकि वह अब भी अपनी हथेलियों में उस के हाथों के स्पर्श को महसूस कर रही थी. उस ने शरमाते हुए अपनी हथेलियों को स्वयं ही चूम लिया जैसे वे अपनी नहीं वरन शशांक की हों. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. शशांक जैसे उस के रोमरोम में समाया हो. अब वह उस के बिना एक पल भी नहीं रह सकती थी.

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उस के मन की ऊहापोह एवं अनिर्णय की स्थिति समाप्त हो चुकी थी. वह ताऊजी के लिए अपने भावी जीवन की बलि नहीं चढ़ा सकती. उस ने तुरंत शशांक को फोन मिला कर पूछा, ‘‘मुझ से शादी करोगे?’’

शशांक खुशी से उछल पड़ा, ‘‘डियर, इस दिन का तो मैं कब से इंतजार कर रहा था. बताओ मैं कब आऊं?’’ उस का दिल बल्लियों उछल रहा था.

ताऊजी के रुद्र रूप को सोच आज पूर्वा मुसकरा उठी थी. अंतत: वह ताऊजी के जाल से आजाद होने जा रही थी. अब उस के मन में न ताऊजी का डर था और न ही मम्मीपापा का. वह ममतामयी ताईजी की शुक्रगुजार थी. उन्होंने सदा उस का साथ दिया.

पूर्वा के सिर से बड़ा बोझ उतर चुका था. वह तय कर चुकी थी कि वह अपने निर्णय पर अडिग रहेगी. इस घुटन भरी जिंदगी से आजाद हो कर खुली हवा में सांस लेगी. वह मंदमंद मुसकरा उठी थी.

WELCOME 2021: नए साल के रंग, सितारों के संग

साल 2021 नई खुशियों के साथ प्रवेश कर चुका है. विश्व में हर कोई अच्छी और नई जीवन शैली के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे है. साल 2021 उम्मीदों और चुनौतियों का है,क्योंकि पूरे विश्व को वैक्सीनेशन के साथ अपने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का है. फिर से नॉर्मल जीवन जीने की चाहत में सभी देश लगे हुए है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में भी काम शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी बहुत ख़राब दौर से इंडस्ट्री गुजर रही है, उसे फिर से नार्मल बनाने की दिशा में सभी कलाकार दिन रात काम कर रहे है, ऐसे में सेलेब्रिटी के नए साल के रेजोल्यूशन भी पिछले कई सालों से अलग है, आखिर क्या है, उनकी सोच और संकल्प? आइये जाने. 

अनिरुद्ध दवे

अभिनेता अनिरुद्ध दवे कहते है कि मेरा नए साल का संकल्प किताबें पढना और अधिक से अधिक लिखना है. मैं अपनी प्रोडक्शन कंपनी को, जो पिछले साल काफी नुक्सान झेली है, उसे अगले लेवल तक ले जाना चाहता हूं. 

 

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अविनाश मिश्रा 

 

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धारावाहिक ‘ये तेरी गलियां’ फेम अभिनेता अविनाश मिश्रा कहते है कि मैं कभी संकल्प इसलिए नहीं लेता, क्योंकि मुझे विश्वास है कि कोई भी उसे पूरे साल में पूरा नहीं कर पाता, लेकिन इस साल मैं अपने काम पर अधिक फोकस रहने की संकल्प लिया है.

अंगद हसिजा 

 

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अभिनेता अंगद हसिजा का कहना है कि मेरा रेजोल्यूशन थोडा अद्भुत है, क्योंकि मैं इस साल की पहली तारीख से शाकाहारी बनने जा रहा हूं, जो मेरे लिए असंभव है, क्योंकि मैं वर्कआउट के दौरान चिकन और अंडे लेता था, ल्र्किन अभी मुझे कुछ ऑर्गेनिक फल और सब्जियां खाने की इच्छा है. अभी तक किसी को मेरे इस संकल्प के बारे में पता नहीं है, पर मैं इतना श्योर हूं कि जब मेरे परिवार को इसका पता चलेगा, तो उन्हें शॉक लगेगा. 

रोहित चौधरी \

rohit

अभिनेता रोहित कहते है कि हर कोई कोविड 19 की इस महामारी से बाहर निकलना चाहता है, क्योंकि इस बीमारी की वजह से पिछले साल सारे काम काज रुक गए थे और वह इस साल पूरा होगा. साथ ही काम भी पहले जैसे शुरू होने की उम्मीद है. मेरा संकल्प है कि कोरोना संक्रमण से सभी आज़ाद हो जाए और मैं अपने इनकम्पलीट प्रोजेक्ट को पूरा कर सकूँ. तभी सफलता सबके हाथ लग पाएगी. 

सृष्टि जैन 

 

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अभिनेत्री सृष्टि जैन कहती है कि मैं हर साल रेजोल्यूशन लेती हूं और उसे तोड़ देती हूं, लेकिन इस साल मैं उसे पूरा करने की कोशिश करुँगी. मेरा संकल्प हमेशा पोजिटिव रहना और हर दिन एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करना है. मेरे विचार से विश्व में भी सकारात्मक सोच और अच्छे सोच के लोग है. मैं उसमें अपने विचार को जोड़ना चाहती हूं. 

राजेश कुमार 

 

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कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक छाप छोड़ चुके अभिनेता राजेश कुमार का कहना है कि मैं इस साल हर तरीके की वेब सीरीज को करने की इच्छा रखता हूं. मेरा सबसे बड़ा संकल्प है कि मैं सभी निर्माता , निर्देशक से एक निगेटिव रोल देने के लिए कहूंगा. इसके अलावा मैं पिछले 3 वर्षों से फार्मिंग में लगा हुआ हूं. इस साल मैं उगाये गए चीजो के लिए सही मार्केटिंग करूँगा और कई कृषकों को अपने साथ जोडून्गा. इसे मैं बिहार और मुंबई के आसपास के क्षेत्रों में परिचित करवाने की कोशिश करूँगा. 

शरद मल्होत्रा 

अभिनेता शरद कहते है कि मेरा संकल्प हर तीसरे महीने में कोलकाता जाने की है, जो मैं इस साल पेंड़ेमिक की वजह से नहीं जा पाया. 

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विजयेन्द्र कुमेरिया 

मेरा नए साल का संकल्प डिजिटल की दुनिया को एक्स्प्लोर करना है, इसमें मैं एक्टिंग और प्रोडक्शन दोनों में काम करने की कोशिश में हूं, क्योंकि अभी फ्यूचर डिजिटल का ही है. मुझे उम्मीद है कि मैं अपने मकसद में कामयाब होऊंगा.

विजय पुष्कर 

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अभिनेता विजय पुष्कर का कहना है कि इस साल का मेरा संकल्प काम पर ध्यान देना है, जिसे मैंने 9 महीने में पेंड़ेमिक और लॉकडाउन की वजह से खोया है. अभिनय मेरा पैशन है और कैमरे के आगे आना मुझे बहुत अच्छा फील कराता है. इसके अलावा इस साल मैं पोजिटिव रहना, पोजिटिव जीवन-यापन करना और पॉजिटिव चीजों को आकर्षित करना चाहता हूं.

प्रणिता पंडित 

pranita

मेरा नए साल का रेजोल्यूशन वजन कम करना और शेप में आना है. काम शुरू करने के साथ-साथ मैं अपने जीवन में भी सामंजस्य चाहती हूं. मैं देश महामारी मुक्त देखना चाहती हूं. इसके अलावा मैं एम् बी ए की पढाई पूरी करना चाहती हूं.  

अलविदा 2020- सारा अली खान से लेकर श्रद्धा कपूर तक, ड्रग्स मामले में कंट्रोवर्सी का शिकार हुए ये सितारे

जब सेलेब्रिटी पर आई मुसीबत- 2020 बॉलीवुड के लिए कितना ख़ास रहा और कितना नहीं, ये तो वहीं सेलेब्रिटी समझ सकते हैं, जिन्होनें इसे झेला. नई दुनिया में कदम रखने से लेकर दुनिया को अलविदा करने तक का 2020 का ये सफ़र अधूरा रहेगा अगर हम सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ड्रग के मामले पर बात न करें. असल में ये 2020 का सबसे बड़ा चर्चित मामला रहा जिसने तूल पकड़ा. बात जब ड्रग कनेक्शन्स की जांच में आई तो छोटी से बड़ी उस हर सेलेब्रिटी का नाम सामने आया, जिससे उनके फैंस निराश हो गये. तो चलिए अब जानते हैं 2020 में ड्रग से जुड़े सेलेब्रिटी के बारे में भी.

1. दीपिका पादुकोण- दीपिका के फैंस को तब झटका लगा जब दीपिका का नाम ड्रग्स के मामले में सामने आया. जहां दीपिका की मैनेजर करिश्मा प्रकाश का नाम भी समाने आया था. बता दें दीपिका की अपनी मैनेजर से चैट वायरल हुई थी जिसमें वो ‘माल’ के बारे में पूछ रही थीं. मामले को लेकर दीपिका से एनसीबी ने भी पूछताछ की थी.

2. सारा अली खान- बॉलीवुड के नवाब सैफ अली खान की बेटी और एक्ट्रेस सारा अली खान का नाम भी ड्रग्स के मामले में सामने आया था. हालांकि एनसीबी की पूछताछ में उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के साथ अपने रिलेशन की बात भी कबूली थी. उन्होंने ये भी बताया की शूटिंग के दौरान उन्होंने सुशांत को ड्रग्स लेते हुए देखा भी था.

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3. अर्जुन कपूर- बॉलीवुड अभिनेता अर्जुन कपूर भी इस आरोप से खुद को नहीं बचा पाए. जब घंटों तक शक के आधार पर अर्जुन से एनसीबी ने पूछताछ की तो उन्होंने ड्रग लेने की बात से साफ़ इंकार कर दिया.

4. श्रद्धा कपूर- लाखों दिलों की धड़कन बॉलीवुड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर के लिए भी 2020 कम मुश्किलों भरा नहीं रहा है. एनसीबी ने जब श्रद्धा कपूर से पूछताछ की तो उन्होंने इस बात से पर्दा उठाते हुए बताया कि उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को शूटिंग के दौरान वैनिटी में ड्रग्स लेते हुए पकड़ा था.

5. भारती सिंह- हंसी ठिठोली करने वाली भारती सिंह भी 2020 की इस मुसीबत से नहीं बच पायीं. एनसीबी ने भारती के घर में में छापेमारी कर गांजा बारामद किया था. और उन्होंने ड्रग्स लेने की बात भी कबूली. इसके लिए भारती और उनके पति को गिरफ्तार भी किया गया था.

6. प्रितिका चौहान- टीवी एक्ट्रेस प्रितिका चौहान का नाम ड्रग्स मामले में सामने आया था. जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उनके उपर ड्रग्स लेने और सप्लाई करने का आरोप लगाया गया था.

7. रिया चक्रवर्ती- जैसे-जैसे बॉलीवुड में ड्रग्स को लेकर मामले सामने आए, वैसे-वैसे कई सेलेब्रिटी के नाम भी सामने आये. जिसमें रिया चक्रवर्ती का नाम सबसे ऊपर रहा. जब से सुशांत की मौत हुई उसके बाद से ही रिया पर लगातार आरोप लगते रहे. कड़ाई से एनसीबी ने जब पूछताछ की तो रिया ने ड्रग की सप्लाई और लेने की बात कबूली. जिसके लिए रिया को जेल की हवा भी खानी पड़ी.

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8. रकुल प्रीत सिंह- ड्रग्स मामले में जब रिया चक्रवर्ती का नाम सामने आया तो उनकी साथ रकुल प्रीत सिंह की चैट भी सोशल मिडिया पर वायरल हुई. एनसीबी की पूछताछ में उन्होंने चैट को माना और बताया की चैट 2018 की थी. उन्होंने बताया कि एक बार रिया उनके घर पर ड्रग्स छोड़कर चली गयी थीं, जिसके लेकर रकुल ने उन्हें मैसेज किया था.

तो देखा आपने कि कैसे 2020 बॉलीवुड के लिए शाॅकिंग से भरा रहा. ये साल ही कुछ ऐसा था, जिसे ये सितारे कभी चाहकर भी नहीं भुला पायेंगे.

अलविदा 2020: गौहर से लेकर नेहा कक्कड़ तक, इस साल शादी के बंधन में बंधे ये 9 सेलेब्स

जिस साल का बेसब्री से इंतजार था, वो अब आ गया है. लेकिन अभी बात करते हैं 2020 की जिसमें कुछ ख़ुशी के पल भी गुज़रे, जो छोटे पर्दे से बड़े पर्दे में देखने को मिले.

बात 2020 की हो, तो ये साल ना सिर्फ कोरोना माहामारी के बीच गुजरा, बल्कि बहुत सी ऐसी बातें हुईं जो कभी आंखों को नम कर गयीं, तो कभी मन में ख़ुशी भर गयीं. कुछ ऐसा रहा खट्टे-मीठे और सुख-दुख के पलों से भरा रहा था ये साल. लेकिन इस इस साल कई सेलेब्रिटी ने एक दूसरे का हाथ थामकर नई जिंदगी की शुरुआत की.

जिन्होनें थामा एक दूजे का हाथ- 2020 ऐसे सेलेब्रिटी के लिए यादगार बन गया जिनको अपने जीवनसाथी मिल गये. जिन्होनें नई जिन्दगी में कदम रखा. चलिए जानते हैं उन सेलेब्रिटी के बारे में जिन्होने शादी करके अपने लिए 2020 यादगार बना लिया और वो इसी मीठी यादों के साथ अपने लाइफ पार्टनर के साथ इस साल को अलविदा कहेंगे.

1. रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़

रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़ की शादी साल की सबसे चर्चित शादियों में से एक है. दोनों को ‘नेहू द व्याह’ में एक दूसरे से प्यार हुआ. और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. पहले चंडीगढ़ फिर दिल्ली में शादी के कार्यक्रम किया गये. जिसके बाद मुम्बई में रिसेप्शन भी किया गया.

 

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2. काजल अग्रवाल और गौतम किचलू-

 

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बॉलीवुड एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने अपने बॉयफ्रेंड गौतम किचलू से 30 नवंबर को शादी कर ली. अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार के लिए एक रिसेप्शन भी आयोजित किया.

3. हार्दिक पांड्या और नतासा स्टैंकोविक-

2020 जाते जाते क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने फैंस को झटका दे दिया. हार्दिक ने अपनी गर्लफ्रेंड नतासा स्टैंकोविक के साथ ना सिर्फ शादी की घोषणा की, बल्कि पापा बनने की गुड न्यूज़ भी दे डाली. हालंकि उनके इस सरप्राइज का फैंस की तरफ से मिला जुला रिएक्शन सामने आ रहा है.

4. आदित्य नारायण और श्वेता अग्रवाल-

 

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साल में रोहनप्रीत और नेहा की शादी के बाद आदित्य और श्वेता की शादी ने फैंस को खुश कर दिया. दोनों दस सालों से एक दूसरे को प्यार करते थे. दोनों की शादी ककी तस्वीरें भी सोशल मिडिया पर खूब वायरल हो रही हैं.

5. राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज-

 

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राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज ने 8 अगस्त, 2020 को शादी के बंधन में बंध गए. युगल की प्रेम कहानी पूरी तरह से आकर्षक है. गाँठ बाँधने से पहले वे पारिवारिक मित्र थे.

6. कुनाल वर्मा और पूजा बनर्जी-

इस साल टीवी अभिनेत्री पूजा बनर्जी ने भी कुणाल वर्मा के साथ शादी के बंधन में बंध गयीं. दोनों की शादी की पिक्स फैंस को खूब भा रही हैं.

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7. नीति टेलर और परीक्षित बावा-

 

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टेलीविजन अभिनेत्री नीति टेलर ने अपने मंगेतर परीक्षित बावा के साथ अगस्त में शादी कर ली. इस समारोह में उनके मम्मी-पापा और करीबी परिवार के सदस्य ही सिर्फ मौजूद थे.

8. मनीष रायसिंह और संगीता चौहान-

 

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छोटे पर्दे के फेम मनीष रायसिंहन ने इस साल जून के महीने में संगीता चौहान के साथ अपनी जिन्दगी की नई पारी शुरू कर दी. दोनों की शादी मुंबई के गुरुद्वारे में सम्पन्न हुई. जहां उमके करीबी और माता-पिता ने अपना आशीर्वाद दिया.

9.  शहिर शेख और रुचिका कपूर-

टेलीविजन के मशहूर एक्टर शहिर शेख ने कुछ दिन पहले अपनी गर्लफ्रेंड रुचिका कपूर से कोर्ट मैरिज कर ली. शादी में सिर्फ परिवार के लोग ही शामिल हुए. बता दें रुचिका एकता कपूर की फिल्म डिविजन की हेड हैं.

ये साल जितना शॉकिंग रहा है उतना ही रॉकिंग भी रहा है. फिलहाल अपने फैंस के लिए ये सेलेब्रिटी हर गम भुलाकर नये साल को एंजॉय कर रहे हैं.

अलविदा 2020: सुशांत से लेकर इरफान खान तक, इन सितारों ने कहा दुनिया को अलविदा

फिल्मी सितारों ने जितनी खुशियां समेटीं, उतना ही दुगना दुख भी झेला है. 2020 साल में बहुत से बड़े सेलेब्रिटिज़ ने हमेशा के लिए अपने फैंस और पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया. कुछ सितारों ने कोरोना महामारी के चपेट में आकर हम सबका साथ छोड़ा, तो कुछ ने अलग वजहों से. तो चलिए अब जानते हैं उन सितारों की बारे में जो अब सिर्फ एक याद बनकर रह गये हैं.

1. इरफ़ान खान बॉलीवुड की दुनिया के बसे चहेते अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल 2020 को अंतिम सांस ली. उन्हें एक संक्रमण के साथ धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अभिनेता कई सालों से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे. इरफान ने कमर्शियल फिल्मों के जरिये दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी.

2. ऋषि कपूर बॉलीवुड में फिल्म बॉबी से दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया. 2018 में पहली बार उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला था. ऋषि कपूर अपने दशक की फिल्मों में रोमांटिक हीरों के रूप में भी अपनी जगह बनाई.

3. सुशांत सिंह राजपूत बॉलीवुड के यंग और डैशिंग एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने न सिर्फ फैंस को बल्कि पूरे बॉलीवुड जगत को शॉक कर दिया. उनके फैंस और करीबी इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थे कि अब उनका सुपर हीरो उनके बीच नहीं रहा. 14 जून बॉलीवुड के लिए ब्लैक डे से कम नहीं था. सुशांत टीवी धारावाहिक “पवित्रा रिश्ता” से अपने करियर की शुरुवात की थी.

4. दिव्या भटनागर– टीवी एक्ट्रेस दिव्या भटनागर, ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम का कोविड -19 के कारण 11दिसंबर को निधन हो गया. उनको कार्डियक अरेस्ट हुआ था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 7 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई.

 

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5. समीर शर्मा टीवी एक्टर समीर शर्मा को 6 अगस्त 2020 को, उन्हें मलाड में अपनी रसोई की छत से लटका पाया गया. वह फरवरी 2020 में अपने किराए के इस अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए थे. बिल्डिंग का सिक्योरिटी गार्ड उनकी मृत्यु की खबर देने वाला पहला व्यक्ति था. स्थानीय पुलिस द्वारा ये सुसाइड का मामला माना गया.

6. सरोज खान बॉलीवुड को अपने इशारों में नचाने वाली कोरियोग्राफर सरोज खान ने 2 जुलाई 2020 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. सरोज खान बॉलीवुड में मास्टरजी कहलाने की शौकीन थीं. सरोज खान का निधन बॉलीवुड के लिए तगड़ा झटका था.

7. गायक एसपी बालसुब्रमण्यमअभिनेता एसपी बालासुब्रह्मण्यम का निधन 74 साल की उम्र में 25 सितंबर को कोरोनावायरस के कारण हो गया. अगस्त के पहले सप्ताह में कोविड -19 से संक्रमित होने के बाद, उनकी हालत बिगड़ी. उसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था. वह अपनी अंतिम सांस तक वेंटिलेटर पर रहे. भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रशंसक उन्हें याद करेंगे. उन्होंने 40,000 से अधिक गाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

8. वाजिद खान बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद की जोड़ी 1 जून को तब टूट गयी जब दिल का दौरा पड़ने से साजिद खान का निधन हो गया. साजिद-वाजिद को सलमान खान अभिनीत “दबंग” फिल्मों में उनके गीतों के लिए जाना जाता है.

9. भूपेश कुमार पंड्या

थिएटर के व्यक्तित्व और अभिनेता भूपेश कुमार पंड्या का 23 सितंबर को फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई के बाद निधन हो गया. भूपेश ने विक्की डोनर और हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया.

10. आसिफ बसरा बॉलीवुड एक्टर आसिफ बसरा ने 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आत्महत्या कर ली थी. जहां वह लगभग चार साल से रह रहे थे. “ब्लैक फ्राइडे”, “परजानिया”, “जब वी मेट” और “काई पो चे” जैसी कई अन्य फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले आसिफ हम हमारे बीच नहीं रहे.

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11. आशालता वबगांवकर

वयोवृद्ध अभिनेता आशालता वाबगांवकर का 22 सितंबर को 79 वर्ष की आयु में सतारा में निधन हो गया. वाबगांवकर ने वो सात दिन, अहिस्ता अहिस्ता, शौकीन, अंकुश और नमक हलाल जैसी फिल्मों में काम किया था.

12. राहत इंदौरी

कवि और गीतकार राहत इंदौरी का निधन 11 अगस्त को कार्डियोरैसपाइरेटरी अरेस्ट के कारण हो गया था. अपनी कई प्रसिद्ध कविताओं के अलावा, उन्हें “चोरी चोरी नज़रें मिलीं” (करीब), “बूम्ब्रो” (मिशन कश्मीर), “ये रिश्ता क्या कहलाता है ”(मीनाक्षी),“ दिल को हजार बार ”(मर्डर) आदि में गीतों के लिए जाना जाता था.

13. अस्तद देबू समकालीन भारतीय नृतक अस्तद देबू एक ऐसे व्यक्तित्व हैं नृत्य की कई तकनीक के बारे में जानकारी थी. इनका निधन 10 दिसंबर हुआ. वह लिम्फोमा नाम की बिमारी से पीड़ित थे. जो एक तरह के ब्लड कैंसर को विकसित करता है. देबो ने कथक के साथ-साथ कथकली के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में एक अद्वितीय संलयन नृत्य के रूप में अपना प्रशिक्षण दिया.

इनके अलावा भोजपुरी अभिनेता अनुपमा पाठक, दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री कुमकुम, बॉलीवुड निर्देशक रजत मुखर्जी, मशहूर अभिनेता जगदीप जिनको सूरमा भोपाली के नाम से जाना जाता है, सुशील गौड़ा, फिल्म निर्माता हरीश शाह, टेलीविजन अभिनेता जागेश मुकाती, कन्नड़ कलाकार चिरंजीवी सरजा, फिल्म निर्माता-पटकथा लेखक बासु चटर्जी, बॉलीवुड निर्माता अनिल सूरी,दिग्गज गीतकार योगेश गौड़, टेलीविजन अभिनेत्री प्रीता मेहता, अभिनेता मोहित बघेल, अनुभवी अभिनेत्री निम्मी, वयोवृद्ध गीतकार अभिलाष, कन्नड़ हास्य कलाकार रॉकलाइन, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाकाल, तमिल अभिनेता फ्लोरेंट सी परेरा, वयोवृद्ध ओडिया अभिनेता अजय दास दास , तेलुगु टीवी अभिनेत्री श्रावणी कोंडापल्ली, तेलुगु अभिनेता जया प्रकाश रेड्डी, वयोवृद्ध संगीत संगीतकार एस मोहिंदर, वयोवृद्ध असमिया गायिका अर्चना महंता, वयोवृद्ध फिल्म निर्माता एबी राज, निर्देशक-अभिनेता शशिकांत कामत, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाक्कल का भी इस बीते साल 2020 में निधन हो गया.

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