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अलविदा 2020: सुशांत से लेकर इरफान खान तक, इन सितारों ने कहा दुनिया को अलविदा

फिल्मी सितारों ने जितनी खुशियां समेटीं, उतना ही दुगना दुख भी झेला है. 2020 साल में बहुत से बड़े सेलेब्रिटिज़ ने हमेशा के लिए अपने फैंस और पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया. कुछ सितारों ने कोरोना महामारी के चपेट में आकर हम सबका साथ छोड़ा, तो कुछ ने अलग वजहों से. तो चलिए अब जानते हैं उन सितारों की बारे में जो अब सिर्फ एक याद बनकर रह गये हैं.

1. इरफ़ान खान बॉलीवुड की दुनिया के बसे चहेते अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल 2020 को अंतिम सांस ली. उन्हें एक संक्रमण के साथ धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अभिनेता कई सालों से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे. इरफान ने कमर्शियल फिल्मों के जरिये दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी.

2. ऋषि कपूर बॉलीवुड में फिल्म बॉबी से दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया. 2018 में पहली बार उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला था. ऋषि कपूर अपने दशक की फिल्मों में रोमांटिक हीरों के रूप में भी अपनी जगह बनाई.

3. सुशांत सिंह राजपूत बॉलीवुड के यंग और डैशिंग एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने न सिर्फ फैंस को बल्कि पूरे बॉलीवुड जगत को शॉक कर दिया. उनके फैंस और करीबी इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थे कि अब उनका सुपर हीरो उनके बीच नहीं रहा. 14 जून बॉलीवुड के लिए ब्लैक डे से कम नहीं था. सुशांत टीवी धारावाहिक “पवित्रा रिश्ता” से अपने करियर की शुरुवात की थी.

4. दिव्या भटनागर– टीवी एक्ट्रेस दिव्या भटनागर, ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम का कोविड -19 के कारण 11दिसंबर को निधन हो गया. उनको कार्डियक अरेस्ट हुआ था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 7 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई.

 

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5. समीर शर्मा टीवी एक्टर समीर शर्मा को 6 अगस्त 2020 को, उन्हें मलाड में अपनी रसोई की छत से लटका पाया गया. वह फरवरी 2020 में अपने किराए के इस अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए थे. बिल्डिंग का सिक्योरिटी गार्ड उनकी मृत्यु की खबर देने वाला पहला व्यक्ति था. स्थानीय पुलिस द्वारा ये सुसाइड का मामला माना गया.

6. सरोज खान बॉलीवुड को अपने इशारों में नचाने वाली कोरियोग्राफर सरोज खान ने 2 जुलाई 2020 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. सरोज खान बॉलीवुड में मास्टरजी कहलाने की शौकीन थीं. सरोज खान का निधन बॉलीवुड के लिए तगड़ा झटका था.

7. गायक एसपी बालसुब्रमण्यमअभिनेता एसपी बालासुब्रह्मण्यम का निधन 74 साल की उम्र में 25 सितंबर को कोरोनावायरस के कारण हो गया. अगस्त के पहले सप्ताह में कोविड -19 से संक्रमित होने के बाद, उनकी हालत बिगड़ी. उसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था. वह अपनी अंतिम सांस तक वेंटिलेटर पर रहे. भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रशंसक उन्हें याद करेंगे. उन्होंने 40,000 से अधिक गाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

8. वाजिद खान बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद की जोड़ी 1 जून को तब टूट गयी जब दिल का दौरा पड़ने से साजिद खान का निधन हो गया. साजिद-वाजिद को सलमान खान अभिनीत “दबंग” फिल्मों में उनके गीतों के लिए जाना जाता है.

9. भूपेश कुमार पंड्या

थिएटर के व्यक्तित्व और अभिनेता भूपेश कुमार पंड्या का 23 सितंबर को फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई के बाद निधन हो गया. भूपेश ने विक्की डोनर और हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया.

10. आसिफ बसरा बॉलीवुड एक्टर आसिफ बसरा ने 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आत्महत्या कर ली थी. जहां वह लगभग चार साल से रह रहे थे. “ब्लैक फ्राइडे”, “परजानिया”, “जब वी मेट” और “काई पो चे” जैसी कई अन्य फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले आसिफ हम हमारे बीच नहीं रहे.

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11. आशालता वबगांवकर

वयोवृद्ध अभिनेता आशालता वाबगांवकर का 22 सितंबर को 79 वर्ष की आयु में सतारा में निधन हो गया. वाबगांवकर ने वो सात दिन, अहिस्ता अहिस्ता, शौकीन, अंकुश और नमक हलाल जैसी फिल्मों में काम किया था.

12. राहत इंदौरी

कवि और गीतकार राहत इंदौरी का निधन 11 अगस्त को कार्डियोरैसपाइरेटरी अरेस्ट के कारण हो गया था. अपनी कई प्रसिद्ध कविताओं के अलावा, उन्हें “चोरी चोरी नज़रें मिलीं” (करीब), “बूम्ब्रो” (मिशन कश्मीर), “ये रिश्ता क्या कहलाता है ”(मीनाक्षी),“ दिल को हजार बार ”(मर्डर) आदि में गीतों के लिए जाना जाता था.

13. अस्तद देबू समकालीन भारतीय नृतक अस्तद देबू एक ऐसे व्यक्तित्व हैं नृत्य की कई तकनीक के बारे में जानकारी थी. इनका निधन 10 दिसंबर हुआ. वह लिम्फोमा नाम की बिमारी से पीड़ित थे. जो एक तरह के ब्लड कैंसर को विकसित करता है. देबो ने कथक के साथ-साथ कथकली के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में एक अद्वितीय संलयन नृत्य के रूप में अपना प्रशिक्षण दिया.

इनके अलावा भोजपुरी अभिनेता अनुपमा पाठक, दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री कुमकुम, बॉलीवुड निर्देशक रजत मुखर्जी, मशहूर अभिनेता जगदीप जिनको सूरमा भोपाली के नाम से जाना जाता है, सुशील गौड़ा, फिल्म निर्माता हरीश शाह, टेलीविजन अभिनेता जागेश मुकाती, कन्नड़ कलाकार चिरंजीवी सरजा, फिल्म निर्माता-पटकथा लेखक बासु चटर्जी, बॉलीवुड निर्माता अनिल सूरी,दिग्गज गीतकार योगेश गौड़, टेलीविजन अभिनेत्री प्रीता मेहता, अभिनेता मोहित बघेल, अनुभवी अभिनेत्री निम्मी, वयोवृद्ध गीतकार अभिलाष, कन्नड़ हास्य कलाकार रॉकलाइन, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाकाल, तमिल अभिनेता फ्लोरेंट सी परेरा, वयोवृद्ध ओडिया अभिनेता अजय दास दास , तेलुगु टीवी अभिनेत्री श्रावणी कोंडापल्ली, तेलुगु अभिनेता जया प्रकाश रेड्डी, वयोवृद्ध संगीत संगीतकार एस मोहिंदर, वयोवृद्ध असमिया गायिका अर्चना महंता, वयोवृद्ध फिल्म निर्माता एबी राज, निर्देशक-अभिनेता शशिकांत कामत, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाक्कल का भी इस बीते साल 2020 में निधन हो गया.

मुसकुराता नववर्ष: भाग-1

कावेरी लंचबाक्स पैक कर उसे अपने बैग में रखने के लिए बढ़ी ही थीं कि उन का बेटा दौड़ता हुआ आया और दरवाजे से ही चिल्ला कर बोला, ‘‘अम्मां, गांव में पिताजी का इंतकाल हो गया.’’

कावेरी ने सुना पर बात को अनसुना कर वे अपना काम करती रहीं. यद्यपि पति के मरने की खबर से एक क्षण को मन में कुछ जरूर हुआ था, किंतु उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई.

‘‘आप सुन रही हैं न?’’ यह कह कर सुंदरम ने मां का कंधा पकड़ उन्हें झकझोरा तो कावेरी उसे एकटक निहारती रहीं, मानो पूछ रही हों कि तू क्यों झकझोरझकझोर कर यह कह रहा है.

छोटा बेटा भी तब तक वहां आ गया था और क्रोध से मां को घूरने लगा, मानो वे उस की अपराधिनी हों, ‘‘पिता कल रात को गुजर गए हैं और आप यह सुन कर भी दफ्तर जाने की तैयारी में हैं?’’

कावेरी चुपचाप फाइलें उठा कर बैग में सहेजने लगीं. उन का दिल सुन्न था. न उस में स्पंदन, न संवेदन की कोई लहर थी. उन का हृदय मरुस्थल सा बन चुका था.

छोटे बेटे ने अपनी पत्नी की ओर देख कर कहा, ‘‘रोओ…चिल्लाओ…छाती पीटो… माथा पटको…अपने अनाथ होने की दुहाई दो…’’ इस पर भी अम्मां की कोई प्रतिक्रिया न देख कर छोटे बेटे मुन्नूस्वामी ने पूछा, ‘‘अम्मां, तुम दफ्तर जा रही हो…’’

कावेरी अपना पर्स और बैग उठा कर घर से निकल गईं.

बसों की भीड़भाड़ में भी कावेरी का मन शांत रहा. दफ्तर में भी उन्होंने किसी से कुछ नहीं बताया और रोज की तरह अपना काम करती रहीं.

कावेरी के दफ्तर चले जाने से उन की दोनों भाभियां मन ही मन काफी नाराज थीं. बड़ी भाभी अमलू तड़प उठी और उस ने देवरानी वल्ली को खूब भड़काया. एक बजतेबजते दफ्तर में अमलू भाभी ने फोन कर बता दिया कि कावेरी के पति की रात को मौत हो गई है.

‘तुम्हारे पति का कल रात देहांत हो गया और तुम दफ्तर आ गईं?’’ मैनेजर ने कहा.

कावेरी के इस व्यवहार से दफ्तर के लोगों को समझ में आ गया कि कहीं कुछ गड़बड़ है. दफ्तर में दबी जबान से चर्चा होने लगी.  कावेरी को दफ्तर का वातावरण अजनबी सा लगने लगा तो वे घर आ गईं. घर में आसपड़ोस के लोग जमा थे. उन की भाभियां और बहुएं उन के बुरे व्यवहार को ले कर चर्चा कर रही थीं. घर का दृश्य देख कावेरी को समझते देर न लगी कि अमलू भाभी किस बात को ले कर इतना फसाद खड़ा कर रही हैं.

कावेरी को देखते ही बेटा सुंदरम पास आ कर बोला, ‘‘अम्मां, हम सब जा रहे हैं. तुम चलोगी?’’

‘‘तुम सब का मरने वाले के साथ कौन सा रिश्ता है जो मेरा जीवन यातनाओं से भरते जा रहे हो…आज तक तुम ने अपने बाप की शक्ल देखी…आज 35 साल के बाद सब चेत रहे हैं… जिस से मेरा नाता तुम सब ने मिल कर तुड़वा दिया था. आज मेरे सूखे जख्म क्यों छील कर हरे कर रहे हो?’’

‘‘नहीं, कावेरी,’’ बड़े भाई ने समझाते हुए कहा, ‘‘जो हुआ सो हुआ…तुम्हारी ससुराल से यह खबर आई है, अगर खबर न आई होती तो बात दूसरी थी.’’

‘‘आखिर है तो वह तुम्हारे दोनों बेटों का पिता…’’ छोटे भाई ने जोड़ा.

दोनों बहुएं यह नहीं चाहती थीं कि बाहर का कोई बात बनाए. इसलिए कहा, ‘‘देखो, अम्मां, अब पिताजी जीवित नहीं हैं. मरते समय उन्होंने अपने भाई से अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने की बात कही भी होगी तो हमें क्या पता? मां, अगर आप जाएंगी तो उन की आत्मा को शांति मिलेगी कि मेरी पत्नी ने मुझे माफ कर दिया, मेरा अंतिम संस्कार भी किया. आप की आने वाली पीढ़ी यानी पोतेपोतियों के सुखमय जीवन के लिए आप का चलना जरूरी है.’’

‘‘आप सब जाइए और दुनियादारी निभाइए,’’ कावेरी ने कहा, ‘‘मैं न दुनियादारी निभाऊंगी और न आप की बातों में आऊंगी.’’

यह सुनने के बाद बड़ी भाभी अमलू ने सिर धुनना शुरू किया और जोरजोर से कावेरी को ताने देने लगीं. दूसरी भाभी भी बड़ी के मुताबिक छाती पीटने लगीं. घर में चीखनेचिल्लाने की आवाजें गूंजने लगीं.

दोनों भाइयों के जोर देने पर अनमनी सी कावेरी उठीं और बोलीं, ‘‘आप को मेरा जीवन नरक में ढकेल कर खुशी होती है तो चलो,’’ इतना कह चप्पल पहन वे घर से बाहर आ गईं.

35 साल पहले जिस घर को छोड़ कर कावेरी गई थीं उस घर में पति कुमरेशन की लाश जमीन पर पड़ी थी. शराब पीपी कर उन का शरीर बड़ा भद्दा और स्याह पड़ चुका था. दूर से देखने पर किसी कोढ़ी की लाश लगती थी. उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं. कावेरी ने एक नजर लाश पर डाली और मन घृणा से भर गया था. इतना ऊंचा पद और पैसा होते हुए भी कुत्ते की मौत…इस पियक्कड़ को क्या पता कि सारा पैसा छोटा भाई खा गया था. कावेरी का मन भर आया. वे बाहर आ गईं.

‘‘क्रियाकर्म, दाहसंस्कार, रीतिनीति नहीं निभाओगी, भाभी?’’ कावेरी के देवर ने पूछा.

‘‘आज तक तुम ने किया है, आगे भी तुम ही करो,’’ इतना कह कर कावेरी खामोश हो गईं.

उन के मन में पति के मरने का तनिक भी अफसोस न था. रिश्तेदारों ने उन को बिठा कर सिर पर पानी डाला, पहनने को साधारण सी साड़ी दी और विधवा को लगाने वाली भभूत लगाई.

दाहसंस्कार करते समय पोतीपोते मृतक कुमरेशन के इर्दगिर्द खड़े कर दिए गए. दाहसंस्कार कर शाम 7 बजे सब घर आ गए थे. बड़े बेटे सुंदरम ने बताया कि दाहसंस्कार का सारा इंतजाम उन्हें (अम्मां को) ही करना है. कावेरी क्षुब्ध हो उठीं.

‘‘मुझे कुछ नहीं करना है. मैं इस आदमी को नहीं जानती. जब मेरे दफ्तर के पीछे रहते हुए भी यह कभी मुझ से मिलने नहीं आया, न कभी पता लगाया कि बच्चे कैसे हैं, कितने बड़े हो गए हैं? क्या कर रहे हैं? आज मेरे दोनों बच्चे काबिल और बेहतर जीवन जी रहे हैं तो अपने बाप के कारण नहीं बल्कि मेरे कारण क्योंकि मैं खुद रातदिन मेहनत करती रही, किसी ने मुझे मदद की…’’

‘‘पर अम्मां,’’ मुन्नूस्वामी ने टोका.

‘‘तू चुप कर,’’ कावेरी चीखीं, ‘‘तू क्या उस की तरफदारी कर रहा है? तू ने तो अपने पिता की शक्ल तक नहीं देखी. आज ही देखी है न…फिर कौन सा पिता और कौन सा चाचा…

‘मर गया तो क्रियाकर्म हमें करना है और जिंदा था तो सब उस का था…’ कावेरी ने भाभियों के तेवर देखे तो समझ गईं कि ये बदला लेना चाहती हैं, अत: एकाएक चिल्लाईं, ‘‘तुम मुझे विधवा देखना चाहती हो न, ठीक है आज से तुम सब अपने मन की करो. मैं कुछ नहीं बोलूंगी.’’

आगे पढ़ें- तेरहवीं तक प्रतिदिन पौ…

मुसकुराता नववर्ष: भाग-3

कावेरी की सास मरने से 1 साल पहले चोरी से उस से मिलने आई थीं. उस के जेवर लौटाते हुए उन्होंने कहा था, ‘तेरी हिम्मत की दाद देती हूं. औरतों को हमेशा भोगने की चीज ही समझा जाता रहा है, हमारी बिरादरी की औरतों ने ऐसा ही जीवन जिया है. उन की दुनिया को बड़ी चतुराई से घर की चारदीवारी में सीमित रखने की साजिश पुरुषों द्वारा आज भी रची जा रही है और आज भी वे शोषण की शिकार हैं.’

वे थोड़ी देर को रुकीं फिर कहने लगीं, ‘अनुशासन, हया, तमीज सब औरतों के ही आभूषण हैं. पुरुष कितना भी अनैतिक और अशोभनीय आचरण करे, उस के चरित्र पर कभी कलंक नहीं लगाया जाता जैसे कि वह सामाजिक अनुशासन के परे है. समाज के सभी स्तरों पर औरतों के ऊपर अकथनीय उत्पीड़न होता है.’ फिर उन्होंने बातों का रुख बदला, ‘तू ने सुंदरम को वकील बना दिया. यह तेरी हिम्मत की बात है. भाइयों से कभी पैसे की मदद नहीं मांगी. शादी भी भाई की लड़की से न कर वकालत पास लड़की से की यह और भी खुशी की बात थी.’ ‘छोटे मुन्नूस्वामी को लाइब्रेरियन बना दिया और उस की शादी भी भाई की लड़की से नहीं की. यह भी शान की बात है. छोटी बहू को काम पर लगवा दिया. आज की महंगाई के चलते सब काम अच्छी तरह निबटा दिया. मैं तुम्हें आज प्रणाम करती हूं. ये गहने ले.’

‘नहीं, अम्मां,’ कावेरी बोली, ‘आप ने मेरी हर बात को समझा और मुझ से मिलने आईं, यही मेरे लिए काफी है. ये गहने आप ही रखिए. कभी आड़े वक्त आप के काम आएंगे,’ फिर थोड़ा रुक कर आगे बोली, ‘क्या एक सवाल आप से कर सकती हूं…’

‘हां,’ उन्हें शायद अंदेशा हो गया था.

‘मां हो कर भी आप ने घर में ऐसा वातावरण क्यों बनने दिया था?’

वे बहुत देर तक गंभीर बनी रहीं फिर बोलीं, ‘तुझे यह पता है न कि हमारे यहां ज्यादातर पुरुष के कम से कम 2 घर होते ही हैं. यह सामाजिक प्रथा मान्यता प्राप्त थी. संध्या समय खूब बनावशृंगार कर औरतों का मंदिर में प्रिय को मिलने जाना, और मैं इस प्रथा के खिलाफ थी, उस का अंत करना चाहती थी किंतु पुलिसकर्मी हो कर भी तेरे दादा व नाना, पिता सब बढ़ावा देते रहे और अपना अधिकार समझ कर खुलेआम इस अनैतिकता को करते रहे,’ कह कर वे चुप हो गईं…

‘अब तो सबकुछ बदल चुका है. समाज में बहुत बदलाव आ गया है, अम्मां.’

‘मैं ने मन पर एक बड़ा पत्थर रख कर जीवन से समझौता कर लिया था, किंतु तू ने बहादुरी से काम लिया क्योंकि तू पढ़ीलिखी थी.’

‘जीवन साहस का नाम है, अम्मां,’ कावेरी बोली, ‘अगर आप साहस करतीं तो आज न आप के पुत्र की दुर्दशा होती और न मेरी गृहस्थी टूटती. अब मैं उसे अपना पति नहीं मानती. उस के मरने पर मैं किसी प्रकार का शोक नहीं मनाऊंगी.’

‘ठीक है,’ अम्मां ने कहा और इसी के साथ कावेरी उठ कर बैठ गई. घड़ी पर नजर डाली तो 4 बजने वाले थे. अब उस का मन बेचैन नहीं था. मन ही मन विचार उत्पन्न हुए कि दुनिया का सब से बड़ा आश्चर्य क्या है? यक्ष के प्रश्न वाला प्रसंग मन में उठा.

यक्ष के इस प्रश्न पर युधिष्ठिर ने जवाब दिया, ‘हम में से प्रत्येक को इस बात की जानकारी है कि जब हम पैदा हुए हैं तो एक दिन मरना भी पडे़गा, फिर भी यही माने बैठे हैं कि हम सदा के लिए जिंदा रहेंगे. आज पति नाम का जीव शरीर छोड़ कर चला गया है तो कल मुझे भी जाना ही होगा.’

इस तथ्य से मुक्त होने में मानव तब तक अक्षम है जब तक कि वह अपनी सोच अथवा मानसिक स्तर को ऊर्ध्वमुखी न बनाए. जीवन भी ऐसा ही सत्य है और मृत्यु भी, जिस का सामना हम सभी को कभी न कभी करना ही होगा. इस दुनिया में पैदा हुई हर चीज का अंत है. जीवन हर क्षण में हमें मृत्यु के करीब ला रहा है. हम बूढ़े होना नहीं चाहते किंतु होते जाते हैं. हम अपने शरीर को अपना मानते हैं किंतु यह तो हमारा नहीं है.

मुझे अब क्या करना चाहिए…विचार पलटा. हमारा इस धरा पर आवागमन चलता रहेगा. हर दिन सूर्य निकलता है तो डूबता भी है. बड़ी बात तो यह है कि हर वक्त नया बन कर निकलता है. प्रकृति का यह नियम कब कौन बदल सका है. इसलिए मुझे भी हर दिन नए सूर्य की तरह जीना चाहिए. उसे आने वाले नववर्ष से प्रेरणा मिलने लगी. हर साल एक नया साल के रूप में आता है. मैं ने अपने हिस्से की तमाम जिम्मेदारियां निभा दी हैं.

मैं आज तक अनभिज्ञ रही. आज से और ज्यादा काम करूंगी. क्या जरूरत है बीती जिंदगी की गलतियों पर विचार कर कोसना. मेरी जो बची जिंदगी है उसे और ऊर्जावान बना कर कुछ अपने बच्चों, कुछ खुद के लिए और कुछ इस धरा के लिए कर पाऊं यही तो नियति है.

मंदिर के घंटे ने 4 बजाए. दर्शनार्थियों की भीड़ उद्घोष के साथ मंदिर के मुख्यद्वार की ओर चल पड़ी. कोरा पाखंड. जिस ने पत्नी को जीवन भर दुख दिए उस को पंडेपुरोहित भी दानदक्षिणा के लालच में आसानी से श्रेष्ठ जन साबित कर देते हैं. यह धोखेबाजी औरतों को बहुत महंगी पड़ती है. कावेरी ने तमाम मलिनता को परे फेंक दिया. कमरे में देखा तो सारा परिवार उसी तरह थकामांदा सोया था. उस ने केसरी बार्डर वाली साड़ी निकाली. नहाधो कर तैयार हुई. कुमकुम लगाई. पर्स खोल कर चैकबुक निकाली. बड़ेछोटे सब के नाम 2-2 हजार के चैक काटे. साथ ही एक पत्र लिखा :

‘मेरे बच्चो,

‘मैं बस स्टैंड के बाहर की सीढि़यों पर बैठी हूं, सूर्य की प्रथम किरण के फूटते ही मेरे मन का अंधकार मिट गया है. जन्ममरण हमारी नियति है इसलिए सब लोग घूमेंफिरें, जो खरीदफरोख्त करनी है, करें. किसी को अब और मायूस हो कर बैठने की जरूरत नहीं है. ‘आज नया वर्ष है. इस नए वर्ष का स्वागत नई सोच से करें. ‘मैं जिस तरह प्रतिदिन रहती आई हूं वैसे ही रहूंगी.

आप की कावेरी.’

प्रात: 7 बजे के आसपास जब परिवार के सदस्य उठे और पत्र पढ़ा तो उन के मन में भी नया प्रकाश हुआ. कल तक जो कावेरी को दोषी करार दे रहे थे, उस के परिपक्व विचार देख सब के सब नकारात्मक मार्ग से सकारात्मक मार्ग की ओर सोचने लगे. एक नई खुशी की लहर घरपरिवार में फैल गई. ऐसी खुशी जो बिलकुल नई तरह की थी. सब ने देखा, केसरी साड़ी पहने सजीधजी अम्मां बस स्टैंड की सीढि़यों के पास बैठी थीं और एकटक सूर्य को देख रही थीं. सब दौड़ते हुए उन के पास पहुंच गए और उन्हें गले से लगा कर प्यार करने लगे.

आज सूर्य की किरणें नई आभा बिखेर रही हैं.

मुसकुराता नववर्ष: भाग-2

तेरहवीं तक प्रतिदिन पौ फटने से पहले ससुराल के रिश्तेनाते वाले कावेरी पर पानी डालते. उन का हर दिन अलगअलग फूलों से शृंगार करते किंतु पहनने को 2 साडि़यां ही देते. किसी चीज को छूना उन के लिए मना था. 12वें दिन मुंहअंधेरे ही उठ कर गले का मंगलसूत्र दूध में डलवा दिया गया और मुंह छिपा कर घर के एक कोने में बिठा दिया गया.

तेरहवीं के बाद मंगलसूत्र तिरुपति की हुंडी में डालने के लिए परिवार एकसाथ जाना चाहता था पर दूरदर्शी बड़े भाई ने समझदारी से काम किया. वे अपनी छोटी बहन के दिल का हाल जानते थे. वे कावेरी को और टूटते नहीं देखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने ऐसी तारीख निश्चित की जिस से काम भी हो जाए और आने वाले नए साल की सुखदाई सुबह भी हो जाए.

कावेरी पिछले 35 साल के जीवन में  जाने कैसेकैसे कंटीले रास्तों को पार कर चुकी थीं. उन्होंने कमरे में झांका तो सारा परिवार गहरी नींद में सो रहा था. खिड़की खोल कर बाहर देखा तो सड़क पर उन के जीवन की भांति सन्नाटा छाया था. हां, भाभियों के चेहरे संतुष्ट प्रतीत हो रहे थे.

हवा तेज चल रही थी. खिड़की के पट जोरजोर से हिलने लगे. उन्हें अंदर तक किसी अज्ञात भय ने घेर लिया. उन्होंने झट उठ कर खिड़की बंद कर दी. मन में उठ रहा शोर बढ़ता जा रहा था. सांयसांय की आवाज मानो मरे पति की हो जो मुंह चिढ़ा कर कह रही हो, ‘क्यों, घर छोड़ कर भाग गई थी न. आज मेरी विधवा बनी है.’ और इस के साथ ही अतीत के वे दिन कावेरी की आंखों के सामने साकार होने लगे.

अमलू भाभी की जिद के चलते ही मातापिता ने इस रिश्ते के लिए हां की थी क्योंकि कुमरेशन भाभी का चचेरा भाई था और कावेरी की सुंदरता पर मुग्ध था. उस ने अमलू भाभी को उपहार में साडि़यां, गहने दे कर पटा लिया था.

कुमरेशन पुलिस विभाग में कर्मचारी था. आसपड़ोस वालों ने तारीफ करते हुए कहा था, ‘कावेरी ने क्या तकदीर पाई है. लड़का अच्छी सरकारी नौकरी के साथसाथ हृष्टपुष्ट व रूपवान भी है.’ भाभी की मां ने कहा था, ‘उपहारों से घर भर जाएगा और कुमरेशन तो एक काबिल पुलिस वाला है.’

शादी के बाद कावेरी की घरगृहस्थी खूब जमी. सास ज्यादा न बोलतीं. मशीन की तरह घर का सारा काम करती रहतीं. कावेरी भी उन का पूरा हाथ बटाती. सुंदरम 2 साल का था और मुन्नूस्वामी 2 माह का था. एक दिन सास ने कहा, ‘आज कुछ मेहमान आने वाले हैं. अच्छी तरह से तैयार हो जाना’ और उन की आज्ञानुसार वह तैयार हो गई थी. घर में जो मेहमान के नाम पर आए वे सारे के सारे ऐयाश थे. देर रात तक खातेपीते रहे. उस दिन से यह हर रोज का नियम बन गया.  आएदिन शराब की बोतलें, सोडा, मछली आदि लाई जाती और मां बनाया करतीं. जब वे आते उस समय कुमरेशन ड्यूटी पर होते. कावेरी जब भी इस बारे में पति से कुछ कहना चाहती तो वे बिना सुने उठ कर चल पड़ते.

एक दिन सास ने जब कहा, ‘कावेरी, उस के साथ पिक्चर जा कर देख आ,’ तो वह भौचक्की हो सास की तरफ देखती रह गई.

‘मुझे पिक्चर देखना पसंद नहीं है, मां. मेरा बच्चा बहुत छोटा है,’ यह कह कावेरी सास की बात टाल गई.

2 दिन बाद कुमरेशन ड्यूटी से घर आए तो मां की बातें सुन कर झुंझला उठे. ‘तुम ने इसे समझाया नहीं कि इसे पिक्चर जाना चाहिए था, क्या वे इसे खा जाते?’

पति के मुंह से यह सुन कर कावेरी को काठ मार गया. उस रात इसी बात को ले कर पतिपत्नी दोनों में खूब बहस छिड़ी. बात मारपीट पर उतर आई थी. कावेरी समझ नहीं पा रही थी कि पुलिस विभाग में काम करने वाला उस का पति उसे गलत काम करने को क्यों कह रहा है. पत्नी को दासी समझने वाला कुमरेशन आदेशात्मक स्वर में बात करता रहा, ‘2 बच्चों की मां बन चुकी हो परंतु जीवन में पति का फायदा कैसे करना है, यह पता नहीं,’ बालों को पकड़ कर कहा था, ‘ऐ सुन, जो मां कहती हैं वैसा कर. मुझे यह अच्छी नौकरी ही नहीं अपने परिवार को भी बचा कर रखना है.’

‘तो ईमानदारी से काम कीजिए…’

‘क्या…मुझे पाठ पढ़ाती है… पुलिस वाले को…’

कावेरी पति की ओर देखती रह गई.

‘ऐसे क्या देख रही है…’ कहतेकहते उस का सिर दीवार पर दे मारा था. बहुत चोट लगी थी. सिर से खून बहने लगा था.

उस दिन से दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा और दूरियां भी. हर रोज जलसे मनाए जाते. दोपहर तक मछली, चिकन, अंडे, सोडा शराब की बोतलें आ जातीं. देवर इन्हें ला कर कमरे में रख देता. धीरेधीरे कावेरी की सहनशक्ति का हृस होने लगा. मेहमानों की सेवा में लगी कावेरी जब भी बच्चा रोता तो वह उन्हें छोड़ कर बच्चे को उठा लेती, दूध पिलाती. एक दिन कमरे से बाहर आने में देर होती देख पति खूब झल्लाए और मुन्नूस्वामी और सुंदरम को उठा कर घर के बाहर पटक दिया.

कावेरी तब पहली बार बिफरी थी, ‘आप बच्चों को इस तरह क्यों पटक रहे हैं. घड़ी देखी है. पौने 12 बज रहे हैं. मैं अब कमरे से बाहर नहीं आऊंगी.’ और दोनों बच्चों को ले वह अंदर आ गई थी. कमरा बंद कर लिया. उस दिन जीवन में जो तूफान आया तो उस ने जीवन की धारा ही बदल दी. बंद कमरे में कावेरी यही सोचती रही कि मायके जा कर क्या कहेगी? ऐयाश लोग कब किस को क्या कह दें, पता थोड़े ही चलता है. दहेज मैं कम नहीं लाई… फिर…ऐसी हरकतें क्यों…

कावेरी घृणा, क्रोध से भर उठी. पतिपत्नी का पवित्र रिश्ता… उसे घुटन होने लगी. अगर घर में पैसे चाहिए तो वह कमा कर लाएगी, ट्यूशनों से कमाएगी किंतु अपने चरित्र में दाग नहीं लगने देगी.

मुन्नूस्वामी के 2 साल पूरे होते ही उस ने नौकरी ढूंढ़नी शुरू कर दी. नौकरी पब्लिक लाइब्रेरी में मिल गई थी. वह भी पूरे 1,500 रुपए की. इसे सुन कर सास सब से ज्यादा खुश हुई थीं. पहली बार उन के चेहरे पर सच्ची मुसकान थी. तब यह नौकरी और तनख्वाह बहुत बड़ी मानी जाती थी. अब छोटीछोटी बात भी घर में उठने लगी. एक दिन कावेरी पुस्तकालय से बाहर निकली तो लाइब्रेरी के एक कर्मचारी को उस ने समझाया कि चाबी कहां जमा करनी है. पति ने यह देखा तो वे आगबबूला हो उठे.

‘कावेरी, किसी पराए मर्द के साथ बातें करते तुझे शर्म नहीं आती?’ उस ने तब पति को बहुत समझाया कि वह कर्मचारी है और लाइबे्ररियन होने के नाते उसे समझाना होता है. उस दिन कुमरेशन ने उसे खूब पीटा और खिन्न हो कर वह दोनों बच्चों को ले कर मायके आ गई. पिता को जब पता चला तो उन्होंने अपना सिर पीट लिया. दोनों भाइयों ने उसे ससुराल नहीं जाने दिया. यद्यपि कावेरी ने भाइयों को समझाया था कि जा कर पता तो लगाओ कि सचाई क्या है. किंतु किसी ने कुछ न सुना. रिश्ता तोड़ दिया गया.

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बतौर नर्स कोरोना मरीजों की देखभाल कर चुकी एक्ट्रेस शिखा मल्होत्रा बनीं वोलिनी की ब्रांड अंबेसडर

शाहरुख खान के साथ फिल्म “फैन”, तापसी पन्नू के साथ फिल्म “रनिंग शादी “तथा फिल्म “कांचली” में बताओ हीरोइन अभिनय कर अपनी एक अलग पहचान बना लेने वाली अभिनेत्री शिखा मल्होत्रा एक प्रशिक्षित नर्स भी हैं . इसी वजह से कोरोना महामारी के दौरान छह माह तक वह मुंबई के एक अस्पताल में बतौर नर्स करोना मरीजों की देखभाल का काम मुफ्त में किया. यहां तक कि कोरोना मरीजों की देखभाल करते करते वह स्वयं को रोना की चपेट में आ गई थी.उनके इस सामाजिक और मानवीय सेवा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, अभिनेत्री कैटरीना कैफ़, सोनू सूद , शत्रुघन सिन्हा के साथ ही नीति आयोग ने बहुत प्रसंशा की थी .

उन्हीं शिखा मल्होत्रा को वोलिनी ने 2 वर्ष के लिए ब्रांड अंबेसडर नियुक्त किया है.पिछले दिनो लोकप्रिय विज्ञापन फ़िल्मों की निर्देशिका कोपल नथानी ने वोलिनी रियल हीरोज़ सीरिज़ के लिए एक विज्ञापन फ़िल्म का शूट किया था, जिसे हाल में कई न्यून चैनल और मनोरंजन टीवी चैनल पर प्रसारित किया जा रहा हैं. हिंदी , अंग्रेज़ी, मराठी , गुजराती , तेलगू , तमिल कन्नड़ , मलयालम के साथ ही कई अन्य भाषाओं में भी रिलीज़ किया गया हैं .

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इस संबंध में शिखा मल्होत्रा ने कहा,” मैं वोलिनी जैसे भरोसेमन्द ब्रांड से जुड़कर बहुत खुश हूँ . वोलिनी की दर्द से तुरंत आराम का एक भरोसा दशकों से हैं मैं इसी लेगसी को प्रमोट करूँगी . उम्मीद हैं कि ब्रांड के नए क़ैपेन लोगों को पसंद आएगा.”

विज्ञापन का लिंक : https://youtu.be/wsYuaeDDv7Q

वैसे कोरोनावायरस से स्वस्थ होने के बाद शिखा मल्होत्रा ने पुनः कोरोनावायरस के मरीजों की देखभाल के लिए नर्स के तौर पर काम करने की इच्छा जाहिर की. मगर वह अस्पताल में नर्स के तौर पर नहीं बल्कि पैरालाइज मरीज के तौर पर पहुंची. पहले उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में ,फिर कूपर अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन दिनों वह के एम अस्पताल में भर्ती हैं. शिखा मल्होत्रा ने अस्पताल से कहा है कि अभी उन्हें स्वस्थ होने में समय लगेगा . शरीर का दाहिना हिस्सा अभी तक काम नहीं कर रहा है . लेकिन शिखा मल्होत्रा को उम्मीद है कि वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगी.

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ननद सुष्मिता सेन के बॉयफ्रेंड को Charu Asopa ने कहा ‘जीजू’, Video Viral

पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस चारू असोपा इन दिनों पति राजीव सेन और उनकी फैमिली संग दुबई में वेकेशन एंजौय करती नजर आ रही हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार शेयर कर रही हैं. लेकिन हाल ही में चारू असोपा का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह सुष्मिता सेन के बौयफ्रेंड रोहमन शौल संग मस्ती करती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

क्रिसमस पर शेयर किया था वीडियो

दुबई में न्यू ईयर सेलिब्रेट करने पहुंची चारु असोपा और ननद सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) और उनके बॉयफ्रेंड रोहमन शॉल (Rohman Shawl) समेत पूरी फैमिली इन दिनों सेलिब्रेशन के मूड में नजर आ रही है. वहीं कुछ समय पहले अपनी पूरी फैमिली के साथ चारु असोपा क्रिसमस सेलीब्रेट करती नजर आई थी, जिस दौरान उन्होंने एक वीडियो शेयर भी की थी, जिसमें चारु असोपा अपनी ननद सुष्मिता सेन के बॉयफ्रेंड रोहमन शॉल को जीजू कहती नजर आईं थीं. वहीं रोहमन शॉल, सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन के गले मिलते भी नजर आए थे.

 

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सोशलमीडिया पर छाया वीडियो

 

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चारु असोपा के इस वीडियो को देखने के बाद जहां फैंस हैरान हैं तो वहीं सोशलमीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं इस वीडियो में चारु असोपा अपने पति राजीव सेन और सुष्मिता सेन के साथ जमकर डांस करती भी नजर आ रही हैं.

 

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बता दें, सुष्मिता सेन अपने और रोहमन शॉल के रिलेशनशिप को लेकर काफी गंभीर हैं, हालांकि वह अपने इस रिश्ते को फैंस और मीडिया से छिपाकर रखना पसंद नही करती. इसीलिए वह अक्सर वेकेशन हो या कोई सेलिब्रेशन साथ में नजर आते हैं. वहीं रोहमन सुष्मिता और उनकी बेटियों के साथ भी काफी टाइम बिताते भी नजर आते हैं.

अपनी लाडो संग जमकर नाचे कपिल शर्मा, Video Viral

टीवी के कौमेडी किंग कपिल शर्मा (Kapil Sharma) अक्सर शो और अपनी हाजिरजवाबी को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. हर कोई जहां उनकी तारीफ करता है तो वहीं कई बार वह ट्रोलिंग का शिकार भी हो जाते हैं. लेकिन बावजूद इसके कपिल के फैंस उनकी नई फोटोज और वीडियो का इंतजार करते हैं. वहीं बात जब उनकी बेटी अनायरा की फोटोज और वीडियो की हो तो फैंस काफी पसंद करते हैं. इसी बीच कपिल शर्मा की एक और वीडियो बेटी अनायरा संग वायरल हो रही है, जिसमें वह बेटी संग डांस करते नजर आ रहे हैं.

कपिल ने शेयर किया बेटी का वीडियो

बेटी अनायरा को अपना लकी चार्म मानने वाले कपिल (Kapil Sharma) अक्सर उसके साथ मस्ती करते हुए नजर आते हैं. वहीं कुछ दिन पहले ही क्रिसमस के मौके पर कपिल ने अनायरा के साथ सेलिब्रेशन की फोटोज शेयर करने के बाद अब एक क्यूट वीडियो शेयर फैंस के साथ शेयर किया है.

 

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बेटी संग नाचे कपिल शर्मा

वीडियो में कपिल शर्मा, अनायरा को गोद में उठाकर नाचते नजर आ रहे हैं. वहीं अनायरा भी कपिल के साथ नाचते-नाचते कैमरे को पोज देती नजर आ रही है. वहीं वीडियो देखने के बाद फैंस भी अनायरा को देखकर काफी खुश हैं और ढेरों कमेंट कर रहे हैं.

एक साल की हो चुकी हैं अनायरा

 

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हाल ही में 10 दिसंबर को कपिल और वाइफ गिन्नी चतरथ ने अनायरा का पहला बर्थडे सेलिब्रेट किया था, जिसमें भारती सिंह जैसे सितारे भी पार्टी करते नजर आए थे. वहीं इसी के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कपिल शर्मा दोबारा पापा बनने वाले हैं. हालांकि इस वक्त कपिल शर्मा ने इस खबर को लेकर कोई रिएक्शन नही दिया है.

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एक्ट्रेस हिमानी शिवपुरी से जानिए, साल 2020 की कुछ खट्टी मीठी यादें और संकल्प

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाली अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी किसी परिचय की मोहताज नहीं. उन्होंने पढाई के दौरान ही अभिनय की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा,दिल्ली से पास होकर वे मुंबई आई और चलचित्र की दुनिया में कदम रखी. उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में कई सफल फिल्में और टीवी शोज की है. अभी हिमानी शिवपुरी & टीवी पर ‘हप्पू सिंह की उलटन पलटन’में कटोरी अम्मा की भूमिका निभा रही है. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख हिमानी ने साल 2020 की कुछ खट्टी मीठी बातें और आने वाले साल 2021 के संकल्प के बारें में खास गृहशोभा के साथ शेयर की. पेश है कुछ अंश.

सवाल-साल 2020 आपके लिए कैसा रहा?इस पेंडेमिक से आपको किस प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए?

साल 2020 सबके लिए ही बहुत चुनौतीपूर्ण साल रहा है, खासकर सभी कलाकारों के लिए बिना काम के 5 महीने बैठे रहना बहुत ही मुश्किल था. मैंने लगातार काम किया है, ऐसे में 5 महीने बिना काम किये बिताना कठिन हो रहा था, क्योंकि ये हमारी कोई निश्चित जॉब नहीं है. हम सब डेली काम करने वाले मजदूर की तरह है. शूटिंग नहीं है, तो पैसा भी नहीं है. मैंने अपना घर चला लिया है, लेकिन ऐसे बहुत सारे कलाकार है, जिनको काम न करने पर पैसे नहीं और उनकी रोजीरोटी चलना मुश्किल हो गया था. मुझे उन मजदूरों को देखकर भी बहुत दुःख हुआ, जिन्हें जीने के लिए पैदल अपने घर के लिए मुंबई से रवाना होना पड़ा. बहुतों को खाना-पानी नहीं मिला, कुछ लोग राह चलते हुए मर भी गए, एक बेटी अपने पिता को साईकिल पर बिठाकर अपने गाँव ले जा रही थी. इन सारी घटनाओं को देखने पर बहुत मायूसी हुई और लगा कि आज भी हमारे देश में मजदूरों की हालत सोचनीय है. इस महामारी ने बहुत कुछ सीखने, समझने का मौका भी दिया है.

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इसके अलावा कुछ काम घर से हो सकता था, तो लोगों ने किया, लेकिन अभिनय घर से नहीं हो सकता. अभिनय के लिए घर से निकलने की जरुरत होती है. कुछ किया नहीं जा सकता था. इन 5 महीनों में मुझे आत्ममंथन करने का मौका मिला, जो काम के दौरान संभव नहीं होता था. इन 5 महीनों में मैंने अपने परिवार और खुद के लिए समय निकाला, जिसमें किताब पढना, कवितायेँ लिखना, मैडिटेशन का कोर्स करना आदि किया, जो बहुत अच्छा लगता था. जब अनलॉक की प्रक्रियां शुरू हुई तो मैं फ्लैट से नीचे उतरकर वाक् भी करती थी.

मैं खुद को प्रिविलेज्ड मानती हूं, क्योंकि मैं घर में अपने परिवार के साथ रहती हूं, जबकि कुछ लोग एक कमरे में 10 से 15एक साथ रहने की जरुरत लॉकडाउन के दौरान पड़ी थी.

सवाल-शूटिंग पर जाने से पहले आपने किस तरह की सावधानियां बरती, ताकि कोरोना से आप संक्रमित न हो?

जब डेली सोप की शूटिंग शुरू हुई, तो मैं काम पर जाने से मना करती रही, क्योंकि मुझे डर लग रहा था, लेकिन बेटे ने समझाया और मैंने भी समझी कि मेरे काम करने से कई घरों के चूल्हे जलते है. कलाकार के अलावा क्रू मेंबर, मेकअप मैन, हेयर ड्रेसर, लाइट मैन आदि किसी के पास काम नहीं था. शूटिंग शुरू न होने पर उनकी रोजीरोटी चलना मुश्किल था. फिर मैंने हिम्मत कर पूरी सावधानी के साथ काम पर जाने लगी. 5 महीने के बाद घर से निकलने पर असहाय और डर का अनुभव रहा है, क्योंकि कोविड 19 का ये दुश्मन वायरस अंजाना है, इसके बारें में किसी को कोई जानकारी या इलाज नहीं है.

सवाल-कोरोना पॉजिटिव होने पर आपके अनुभव क्या थे?

काम करते-करते मुझे कोरोना हो गया. मुझे बुखार और बदन दर्द हो गया था. जब मैं बुखार की दवा लेती तो बुखार कम हो जाता था. ऐसे मैंने दो रात बिताने के बाद जब फॅमिली डॉक्टर के कहने पर टेस्ट किया, तो कोरोना पॉजिटिव निकला. पहले हॉस्पिटल में एडमिट होने के लिए बेड नहीं मिल रहे थे. फिर किसी तरह एक हॉस्पिटल में जगह मिली और मैं एडमिट हुई. इस बीमारी में मुझे टोटल आइसोलेशन में रहना पड़ा था, डॉक्टर और नर्सेज पूरी पीपीई किट पहन कर दूर से मेरा इलाज करते थे. मेडिकल के लोग भी मुझ तक आने से डर रहे थे और ये अनुभव मेरे लिए बहुत ही अलग थी. बिना टीवी के एक कमरे में रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था, मैं धूप और आसपास को देखने के लिए तरस रही थी. खुद को मैं असहाय महसूस कर रही थी, लेकिन मेरे एक मित्र ने कविता लिखने की सलाह दी और मैंने अपने अनुभव को लेकर कोरोना पर एक कविता लिख डाली और सोशल मिडिया पर डाल दी, जिसे  लोगों ने काफी पसंद किया.

7 दिन अस्पताल रहने के बाद मैं घर आई और 15 दिन के लिए खुद को क्वारेंटिन किया और एक महीने के बाद फिर से काम शुरू किया, पर शारीरिक रूप से मैं बहुत कमजोर हो चुकी थी. ये अच्छा रहा कि मेरे बेटे, मेड सर्वेंट और को-एक्टर किसी को भी कोरोना नहीं हुआ. इस प्रकार ये साल बहुत ही विचित्र रहा है और बहुत कुछ सीखाकर जा रहा है. मैं चाहती हूं कि आने वाला साल सबके लिए बेहतर हो.

सवाल-अभी जिंदगी को आप किस नजरिये से देख पाती है?

मैंने आज तक 2 या 3 दिन की छुट्टी ली होगी. पहली बार जिंदगी 5 महीने के लिए रुक गयी थी. बहुत असुक्षा का माहौल चारों तरफ था. मैंने जबसे होश सम्हाला है, अभिनय किया है, पहले थिएटर, फिर फिल्म, टीवी आदि . जब मेरे पति की मृत्यु हुई, तो मैं उस समय अकेले पूरे परिवार की सपोर्टर थी. साथ ही बेटे की परवरिश भी करनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण का अनुभव अनिश्चितता का था. ये साल बहुत कुछ सीखा गया है. ये समय जल्दी निकल जाएँ और फिर से सब नार्मल हो जाए, इसकी मैं कामना करती हूं. पेंड़ेमिक काफी यादगार रहेगा. इसकी कहानी आगे आने वाले जेनरेशन को भी मैं बता पाउंगी. इसके अलावा इतने बड़े पेंडेमिक की वजह हम सब ही है, क्योंकि पर्यावरण का हम सबने सत्यानाश कर दिया है.

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सवाल-आपका नए साल का रेजोल्यूशन क्या है?

हर साल मैंने संकल्प लिया है, पर इस साल का संकल्प हर साल से अलग होगा. जब मुझे कोरोना संक्रमण हुआ था, तो मुझे लगा था कि मैं वापस घर अस्पताल से लौट करआउंगी या नहीं. मुझे याद है, हॉस्पिटल जाने से पहले मैंने अपनी सारी अंगूठी निकाल दी थी. ऐसे समय में पता चलता है कि जीवन कितना बहुमूल्य है. धन, घर बार, शोहरत जिसके लिए लोग भागते है, वह सब बेकार है. सबसे बड़ी चीज आज हेल्थ है. इस सच्चाई को नजदीक से मैं भुगत चुकी हूं. इसलिए मैं आगे आने वाले सभी वर्षों में स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दूंगी. इसके अलावा थोड़े में संतुष्ट रहना आज आवश्यक है. लोगों में बहुत कुछ पाने की होड़ पिछले कुछ सालों से लगी थी, जिसमें वे परिवार, ख़ुशी और स्वास्थ्य का ध्यान बिलकुल भी नहीं दे रहे थे. कोविड 19 ने विश्व में सभी को ये सीख दी है कि वर्तमान में आपके पास जो है, उसी को एन्जॉय करें और परिवार के साथ खुश रहे, ये आज का संकल्प सबके लिए होनी चाहिए, क्योंकि आज का पल कभी वापस लौट कर नहीं आता.

5 TIPS: बालों को बचाना है तो उन्हें बांधे

लंबे और घने बाल जब लड़कियां खोल कर रखती हैं तो वे और भी खूबसूरत दिखने लगती हैं यानी कि खुले बाल उनकी सुंदरता में चार-चांद लगा देता है. पर बालों को हर समय खुला छोड़ना बिल्‍कुल संभव नहीं हो पाता इसलिए अच्‍छा होगा कि उन्‍हें बांध कर रखा जाए. रबर बैंड से बाल बांध कर रखने से आपके बाल बेवजह टूटने से रुक जाते हैं और कलरफुल बैंड बालों की शोभा भी बढ़ाते हैं. बालों को झड़ने से बचाने के‍ लिए उन्‍हें बांधना बहुत ही जरुरी है.

जानिए बालों को क्यों बांधे ?

1. स्‍कार्फ बांधे

रात को सोने से पहले बालों को स्‍कार्फ से बांधने से बाल स्‍वस्‍थ्‍य रहते हैं. जिन लोगों के बाल लंबे हैं, उन्‍हें बाल जरुर स्‍कार्फ से बांधने चाहिये. रात को सोते समय पता नहीं चलता कि आप बेड़ पर कहां से कहां तक जाएंगी और आपके बाल कितने टूटेगें, इसलिए अच्‍छा है कि उन्‍हें बांध लिया जाए.

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2. रात में बालों का टूटना

रात में सोते वक्‍त बाल उलझ जाते हैं और सुबह कंघी करते वक्‍त टूट जाते हैं. जब भी रात में सोने जाएं तो अपने बालों को बांध कर ही सोएं वरना वह बहुत झड़ेंगे.

3. रबर बैंड बांधे

गर्मियों में बालों को बांधना जरुरी है. जब भी बाला बांधे तो ज्‍यादा टाइट रबर बैंड न बांधे. इससे बाल बैंड में बुरी तरह से टूट कर उलझ जाते हैं. इसलिए हमेशा सिल्‍क या साटन का बैंड चुने, जो खोलते समय आराम से बालों से फिसल जाए.

4. हेयरस्‍टाइल

ऐसी हेयरस्‍टाइल रखें जिसको बनाने से आपके बाल न टूटे. इसलिए अच्‍छा रहेगा कि आप एक सिंपल सी पोनी टेल रखें, जो बालों को टूटने से बचायेगी. हाई पोनी टेल गर्मियों में सही रहती है क्‍योंकि वह आपके शरीर से लग कर बालों को तोड़ेगी नहीं.

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5. बालों का सूखापन

रात का समय आपके बालों को सूखा और कमजोर बना देता है. वह इसलिए क्‍योंकि सिर के नीचे लगाने वाली तकिया, बालों से नमी और तेल को सोख लेती है. इसलिए जब आप कंघी करेंगी तब बाल कमजोर हो कर टूट जाएंगे. सोते समय बालों को बांधे और स्‍कार्फ लगाएं.

जिम में महिलाएं वेट ट्रेनिंग है जरूरी

मेघना को सब ‘मोटीमोटी’ कह कर चिढ़ाते थे. जब उस की शादी हुई थी तब वह 52 किलो की थी, पर आज शादी के 5 साल बाद 2 बच्चों की मां बनने पर उस का वजन 70 किलो हो गया है. इसी तनाव में किसी ने मेघना को सलाह दी कि वह जिम जौइन कर ले, ताकि अपना वजन कम कर सके.

मेघना ने घर के पास के ही एक जिम में जानकारी ली और फीस जमा कर के शुरू कर दिया अपना वजन घटाना. पर जिम के पहले दिन जब ट्रेनर ने मेघना को वेट ट्रेनिंग की सलाह दी तो उसे लगा कि वजन कम करने में वेट ट्रेनिंग का क्या रोल है?

ट्रेनर ने समझाया तो मेघना ने मन मार कर अपने उस की बात मानी और कार्डियो, जुंबा और लाइट ऐक्सरसाइज के साथसाथ वेट ट्रेनिंग भी की. इस का नतीजा चौंकाने वाला था.

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ऐसा क्यों होता है कि जिम में वेट ट्रेनिंग को सिर्फ पुरुषों की ही ऐक्सरसाइस माना जाता है? महिलाओं को वेट ट्रेनिंग करने से क्या फायदा होता है?

इसी सिलसिले में मुंबई के वर्ली इलाके में ‘आइडियल बौडी फिटनैस’ नामक जिम में फिटनैस इंस्ट्रक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट अंजू गुप्ता ने बताया, “जिम में कार्डियो और वेट ट्रेनिंग में बहुत फर्क होता है. आज से कई साल पहले जिम में वेट रूम में जाने से पहले खुद मैं भी कार्डियो पर ज्यादा ध्यान देती थी. लेकिन वेट ट्रेनिंग ने मेरी बौडी शेप को एकदम से बदल दिया.

“बहुत सी महिलाएं कार्डियो ट्रेनिंग पर इसलिए ज्यादा जोर देती हैं, क्योंकि वे वेट ट्रेनिंग को पुरुषों का काम मानती हैं और सोचती हैं कि डंबल उठाने से उन की बौडी मर्दाना हो जाएगी. पर ऐसा नहीं है. इस से न केवल वेट लौस होता है, बल्कि महिलाएं पहले से ज्यादा ऐक्टिव बन जाती हैं.”

‘मिस इंडिया फिटनैस, 2018 अवार्ड’ विजेता फिगर एथलीट मधु प्रिया ने महिलाओं की वेट ट्रेनिंग पर बताया, “जब महिलाएं वेट ट्रेनिंग करती हैं तो उन के एब्स टोन होते हैं और बट आकर्षक दिखते हैं. इस के अलावा यह सोच भी गलत है कि हैवी ऐक्सरसाइज करने से महिलाओं के स्तनों का आकार बढ़ जाता है, जबकि सच तो यह है कि वेट ट्रेनिंग करने से औरतों के कंधे व पीठ आदि मजबूत बनते हैं और शेप में आते हैं न कि छाती या स्तन पर कोई बुरा असर पड़ता है.

“याद रखें कि अगर किसी अच्छे प्रशिक्षक के निर्देशन में वेट ट्रेनिंग हो तो यह महिलाओं के लिए बेहद लाभदायक होती है. बस अपने शरीर की आवश्यकताओं को देखते हुए सही तरीके के वर्कआउट का चयन करना चाहिए.”

अपने शरीर को फिट रखने के लिए वेट ट्रेनिंग एक कारगर उपाय है. इस से वजन कंट्रोल में रहता है. महिलाएं अपने शरीर की वसा को भी नियंत्रित रख सकती हैं, ताकि उन की बौडी शेप ठीक रहे.

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इतना ही नहीं, वेट ट्रेनिंग से अच्छी तरह कैलोरी जलती हैं और मांसपेशी ऊतकों का निर्माण भी होता है. इस से महिलाओं का शरीर छरहरा दिखता है और कपड़े भी जंचते हैं. ऐसा होना से महिलाओं में मानसिक तनाव कम रहता है और वे कोई भी काम बेहतर तरीके से कर सकती हैं.

एक उम्र के बाद महिलाओं में हड्डी के कमजोर होने की समस्या रहने लगती है. अच्छे ट्रेनर की निगरानी में वेट ट्रेनिंग करने से हड्डियों में आने वाली दरार के खतरे कम हो जाते हैं. साथ ही, वेट ट्रेनिंग शरीर के असंतुलन से नजात मिलती है. शरीर स्वस्थ रहता है और शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है.

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