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5 TIPS: बालों को बचाना है तो उन्हें बांधे

लंबे और घने बाल जब लड़कियां खोल कर रखती हैं तो वे और भी खूबसूरत दिखने लगती हैं यानी कि खुले बाल उनकी सुंदरता में चार-चांद लगा देता है. पर बालों को हर समय खुला छोड़ना बिल्‍कुल संभव नहीं हो पाता इसलिए अच्‍छा होगा कि उन्‍हें बांध कर रखा जाए. रबर बैंड से बाल बांध कर रखने से आपके बाल बेवजह टूटने से रुक जाते हैं और कलरफुल बैंड बालों की शोभा भी बढ़ाते हैं. बालों को झड़ने से बचाने के‍ लिए उन्‍हें बांधना बहुत ही जरुरी है.

जानिए बालों को क्यों बांधे ?

1. स्‍कार्फ बांधे

रात को सोने से पहले बालों को स्‍कार्फ से बांधने से बाल स्‍वस्‍थ्‍य रहते हैं. जिन लोगों के बाल लंबे हैं, उन्‍हें बाल जरुर स्‍कार्फ से बांधने चाहिये. रात को सोते समय पता नहीं चलता कि आप बेड़ पर कहां से कहां तक जाएंगी और आपके बाल कितने टूटेगें, इसलिए अच्‍छा है कि उन्‍हें बांध लिया जाए.

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2. रात में बालों का टूटना

रात में सोते वक्‍त बाल उलझ जाते हैं और सुबह कंघी करते वक्‍त टूट जाते हैं. जब भी रात में सोने जाएं तो अपने बालों को बांध कर ही सोएं वरना वह बहुत झड़ेंगे.

3. रबर बैंड बांधे

गर्मियों में बालों को बांधना जरुरी है. जब भी बाला बांधे तो ज्‍यादा टाइट रबर बैंड न बांधे. इससे बाल बैंड में बुरी तरह से टूट कर उलझ जाते हैं. इसलिए हमेशा सिल्‍क या साटन का बैंड चुने, जो खोलते समय आराम से बालों से फिसल जाए.

4. हेयरस्‍टाइल

ऐसी हेयरस्‍टाइल रखें जिसको बनाने से आपके बाल न टूटे. इसलिए अच्‍छा रहेगा कि आप एक सिंपल सी पोनी टेल रखें, जो बालों को टूटने से बचायेगी. हाई पोनी टेल गर्मियों में सही रहती है क्‍योंकि वह आपके शरीर से लग कर बालों को तोड़ेगी नहीं.

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5. बालों का सूखापन

रात का समय आपके बालों को सूखा और कमजोर बना देता है. वह इसलिए क्‍योंकि सिर के नीचे लगाने वाली तकिया, बालों से नमी और तेल को सोख लेती है. इसलिए जब आप कंघी करेंगी तब बाल कमजोर हो कर टूट जाएंगे. सोते समय बालों को बांधे और स्‍कार्फ लगाएं.

जिम में महिलाएं वेट ट्रेनिंग है जरूरी

मेघना को सब ‘मोटीमोटी’ कह कर चिढ़ाते थे. जब उस की शादी हुई थी तब वह 52 किलो की थी, पर आज शादी के 5 साल बाद 2 बच्चों की मां बनने पर उस का वजन 70 किलो हो गया है. इसी तनाव में किसी ने मेघना को सलाह दी कि वह जिम जौइन कर ले, ताकि अपना वजन कम कर सके.

मेघना ने घर के पास के ही एक जिम में जानकारी ली और फीस जमा कर के शुरू कर दिया अपना वजन घटाना. पर जिम के पहले दिन जब ट्रेनर ने मेघना को वेट ट्रेनिंग की सलाह दी तो उसे लगा कि वजन कम करने में वेट ट्रेनिंग का क्या रोल है?

ट्रेनर ने समझाया तो मेघना ने मन मार कर अपने उस की बात मानी और कार्डियो, जुंबा और लाइट ऐक्सरसाइज के साथसाथ वेट ट्रेनिंग भी की. इस का नतीजा चौंकाने वाला था.

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ऐसा क्यों होता है कि जिम में वेट ट्रेनिंग को सिर्फ पुरुषों की ही ऐक्सरसाइस माना जाता है? महिलाओं को वेट ट्रेनिंग करने से क्या फायदा होता है?

इसी सिलसिले में मुंबई के वर्ली इलाके में ‘आइडियल बौडी फिटनैस’ नामक जिम में फिटनैस इंस्ट्रक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट अंजू गुप्ता ने बताया, “जिम में कार्डियो और वेट ट्रेनिंग में बहुत फर्क होता है. आज से कई साल पहले जिम में वेट रूम में जाने से पहले खुद मैं भी कार्डियो पर ज्यादा ध्यान देती थी. लेकिन वेट ट्रेनिंग ने मेरी बौडी शेप को एकदम से बदल दिया.

“बहुत सी महिलाएं कार्डियो ट्रेनिंग पर इसलिए ज्यादा जोर देती हैं, क्योंकि वे वेट ट्रेनिंग को पुरुषों का काम मानती हैं और सोचती हैं कि डंबल उठाने से उन की बौडी मर्दाना हो जाएगी. पर ऐसा नहीं है. इस से न केवल वेट लौस होता है, बल्कि महिलाएं पहले से ज्यादा ऐक्टिव बन जाती हैं.”

‘मिस इंडिया फिटनैस, 2018 अवार्ड’ विजेता फिगर एथलीट मधु प्रिया ने महिलाओं की वेट ट्रेनिंग पर बताया, “जब महिलाएं वेट ट्रेनिंग करती हैं तो उन के एब्स टोन होते हैं और बट आकर्षक दिखते हैं. इस के अलावा यह सोच भी गलत है कि हैवी ऐक्सरसाइज करने से महिलाओं के स्तनों का आकार बढ़ जाता है, जबकि सच तो यह है कि वेट ट्रेनिंग करने से औरतों के कंधे व पीठ आदि मजबूत बनते हैं और शेप में आते हैं न कि छाती या स्तन पर कोई बुरा असर पड़ता है.

“याद रखें कि अगर किसी अच्छे प्रशिक्षक के निर्देशन में वेट ट्रेनिंग हो तो यह महिलाओं के लिए बेहद लाभदायक होती है. बस अपने शरीर की आवश्यकताओं को देखते हुए सही तरीके के वर्कआउट का चयन करना चाहिए.”

अपने शरीर को फिट रखने के लिए वेट ट्रेनिंग एक कारगर उपाय है. इस से वजन कंट्रोल में रहता है. महिलाएं अपने शरीर की वसा को भी नियंत्रित रख सकती हैं, ताकि उन की बौडी शेप ठीक रहे.

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इतना ही नहीं, वेट ट्रेनिंग से अच्छी तरह कैलोरी जलती हैं और मांसपेशी ऊतकों का निर्माण भी होता है. इस से महिलाओं का शरीर छरहरा दिखता है और कपड़े भी जंचते हैं. ऐसा होना से महिलाओं में मानसिक तनाव कम रहता है और वे कोई भी काम बेहतर तरीके से कर सकती हैं.

एक उम्र के बाद महिलाओं में हड्डी के कमजोर होने की समस्या रहने लगती है. अच्छे ट्रेनर की निगरानी में वेट ट्रेनिंग करने से हड्डियों में आने वाली दरार के खतरे कम हो जाते हैं. साथ ही, वेट ट्रेनिंग शरीर के असंतुलन से नजात मिलती है. शरीर स्वस्थ रहता है और शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है.

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Winter Special: घर पर बनाएं चोको ब्रैड पेड़ा

फेस्टिवल में अगर आप चौकलेट की कोई मिठाई बनाना चाहते हैं तो चोको ब्रैड पेड़ा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. चोको ब्रैड पेड़ा एक आसान रेसिपी है, जिसे आप आसानी से फेस्टिवल में बना सकते हैं. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी है, जिसे आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को भी फेस्टिवल में खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

– 4 ब्रैडस्लाइस

– 5 छोटे चम्मच कंडैंस्ड मिल्क

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– 2 बड़े चम्मच पिघली चौकलेट

– 2 बड़े चम्मच कद्दूकस किया नारियल.

बनाने का तरीका

ब्रैड को मिक्सी में डाल कर चूरा कर लें. एक कड़ाही में घी डाल कर ब्रैड का चूरा भून लें. अब इस में कंडैंस्ड मिल्क और पिघली चौकलेट डाल कर पेड़े बना उन्हें नारियल में लपेट कर ठंडा कर सर्व करें.

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4 टिप्स: वौलपेपर के इस्तेमाल से सजाएं घर

घर को सजाना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन कैसे संजाएं ये बहुत मुश्किल काम लगता है. वही जब बात इंटीरियर की आती है, तो आप अपने घर को मौडर्न लुक में देखना पसंद करती हैं. पर अगर आप मौडर्न लुक देना चाहती हैं तो घर में कलर करवाने के बजाय आप वालपेपर लगवाएं तो यह घर की दीवारें को मौर्डर्न दिखाने के साथ खूबसूरत भी बनाएगा. आजकल वालपेपर काफी चलन में है और इसकी काफी डिमांड है. मार्केट में वालपेपर की ढेरों वैराइटी और रेंज मौजूद हैं. आइए, आपको बताते हैं वौलपेपर के इस्तेमाल के मौर्डर्न तरीकों के बारे में…

थीम के अकौर्डिंग चूज करें वौलपेपर

आजकल वालपेपर थीम के अकौर्डिंग इस्तेमाल हो रहा है. लोग हर कमरे को उसकी उपयोगिता और उसमें रहने वाले की पसंद के हिसाब से डिजाइन कर रहे हैं. ऐसे में दीवार कैसी हो, इस बात का पूरा खयाल रखना पड़ता है. अगर आप घर के कुछ हिस्सों को हाईलाइट करना चाहती हैं, तो सिर्फ उतनी ही जगह में वालपेपर लगवा सकती हैं. इससे वह कौर्नर या रूम डिफरैंट लगेगा. नए तरीके के वालपेपर को हाईलाइटर्स की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है.

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फोटोज की जगह वौलपेपर का है ट्रैंड

कुछ समय पहले तक दीवारें फोटोज से ही सजाई जाती थीं, लेकिन अब उन की जगह वालपेपर ने ले ली है. बच्चों के रूम के लिए टौम ऐंड जैरी, हैरी पौटर, बाइक्स और एनिमल प्रिंट का इस्तेमाल किया जाता है. इससे रूम खूबसूरत तो लगता ही है, बच्चों की क्रिएटिविटी भी बढ़ती है. युवाओं के कमरों के लिए फ्लोरल, टैक्सचर, स्टिकर्स, स्कैच, ट्राइएंगल और ऐब्सट्रैक्ट के साथ ही पिक्चर डिजाइन का वालपेपर सिलैक्ट कर सकती हैं. लड़कियां शिमर, फ्लोरल, रोज और ऐब्सट्रैक्ट वालपेपर ही पसंद करती हैं. कपल्स के लिए थीम बेस्ड, थ्री साइज वालपेपर के साथ डार्क शेड मिक्स ऐंड मैच किया जा सकता है. वालपेपर में आप मिक्स ऐंड मैच का फंडा अपना सकती हैं.

पार्टी या फंक्शन के हिसाब से रखें वौलपेपर

अगर आपके घर में कोई शादी या पार्टी  है तो आप गोल्डन या सिल्वर कलर का वालपेपर लगवा सकती हैं. इससे आपके घर का पूरा लुक पार्टीनुमा हो जाएगा. इसी तरह ब्राइड के रूम में भी रैड या पिंक कलर के वालपेपर में ग्लिटर व स्पार्कल का इस्तेमाल बैस्ट औप्शन रहेगा.

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वौटर प्रूफ वौलपेपर होगा आपके लिए बेस्ट

वालपेपर लगवाते समय अगर आपको लगता है कि आप उसे मेंटेन नहीं कर पाएंगी तो वाटरप्रूफ वालपेपर लगवाएं. इस की मैंटेनैंस पर खर्च भी बहुत कम आता है, क्योंकि यह वौशेबल होते हैं. अच्छी क्वालिटी का वालपेपर ही लगवाएं, क्योंकि यह 10 साल तक भी खराब नहीं होता.  घर में सीलन होने पर आप सोचेंगी कि वालपेपर लगाना मुश्किल होगा, लेकिन अब यह भी आसान हो गया है. इस में सब से पहले वाल को वाटरप्रूफ किया जाता है, फिर वालपेपर लगाया जाता हैं. अगर दीवार में बहुत नमी है, तो इंटीरियर डिजाइनर वहां पर वाटरपू्रफ प्लाईर् लगाने का सुझाव देते हैं. फिर उस प्लाई पर वालपेपर लगाया जाता है. बाजार में वालपेपर की रेडीमेड थीम्स भी मौजूद हैं. डैकोरेटिव पैटर्न, फैब्रिक बैक्ड विनाइल और नौन वुवन वालपेपर, जो नैचुरल फैब्रिक से तैयार होता है, मिल जाएगा.

पारिवारिक कलह का असर मासूमों पर

पटना के फतुहा हाई स्कूल की टीचर मनीषा गोस्वामी की मौत के बाद पुलिस ने उस के पति रवि गोस्वामी को तो गिरफ्तार कर लिया, पर ससुराल के बाकी आरोपी फरार हो गए और वे मनीषा की बेटियों 2 साल की अंतरा और 10 महीने की विशाखा को भी साथ ले गए. मनीषा के भाई मनीष ने बताया कि मनीषा नौकरी करना चाहती थी, पर रवि मना करता था. यहां तक कि मनीषा को मायके भी नहीं जाने देता था. इस बात को ले कर रवि और मनीषा के बीच आएदिन झगड़ा होता था. गत 13 सितंबर को जब मनीषा मायके जाने की जिद पर अड़ गई, तो रवि ने उसे तीसरे माले से धक्का दे दिया, जिस से उस की मौत हो गई. जबकि रवि ने पुलिस को बताया कि मनीषा मायके जाने की जिद कर रही थी. जब उस ने मना किया तो मनीषा ने खुद ही छत से छलांग लगा दी.

मनीषा की मौत हो गई. उस के पति रवि को पुलिस ने जेल भेज दिया. पुलिस और अदालत अपनीअपनी रफ्तार से काम करती रहेंगी. साल दर साल पुलिस जांच चलती रहेगी और अदालत में तारीख दर तारीख पड़ती रहेगी. इन सब के बीच उन दोनों बच्चों का क्या होगा? इस सवाल पर कानून हमेशा की तरह खामोश है. उन बच्चों की जिंदगी कैसे चलेगी, जिन्हें पता तक नहीं है कि उन के साथ कितना बड़ा हादसा हुआ है? उन के नानानानी, मामामामी आदि कब तक उन का खयाल रखें? उन का पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई का क्या होगा? ऐसे कई सवाल हैं, जिन के जवाब न समाज के पास हैं और न ही कानून की मोटीमोटी किताबों में.

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मनोविज्ञानी अजय मिश्रा कहते हैं कि परिवार और मातापिता के झगड़ों के बीच बच्चे पिसते ही नहीं, बल्कि घुटते भी रहते हैं. हजारों ऐसे मामले अदालतों में चल रहे हैं और बच्चे सहमे और घुटते रहते हैं. एक वाकेआ के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि रांची के एक पतिपत्नी की लड़ाई का मामला उन के पास आया था. घर वाले दोनों के झगड़े से तंग आ कर दोनों को काउंसलिंग के लिए मेरे पास लाए थे. उन के 2 बच्चे भी उन के साथ आए थे. सभी से बात करने के बाद जब बच्चों से पूछा गया कि घर में कौन ज्यादा झगड़ा करता है, तो इस सवाल को सुन कर दोनों बच्चे सहम गए और अपने मातापिता को देखने लगे. बच्चों को दूसरे कमरे में ले जा कर पूछा तो 8 साल के बच्चे ने बताया कि मम्मी और पापा हमेशा लड़ाई करते हैं. लड़ाई करने के बाद हम से पूछते हैं कि बताओ तो कौन पहले झगड़ा करता है? मम्मी पूछती हैं कि पापा ज्यादा झगड़ा करते हैं न? पापा पूछते हैं कि मम्मी पहले लड़ाई की शुरुआत करती हैं न? हम क्या बोलेंगे? हमेशा दोनों लड़ाई करते हैं. लड़ाई करने के बाद दोनों सो जाते हैं और उस के बाद मुझे और मेरी बहन को ब्रैड या बिस्कुट खा कर सोना पड़ता है. कई बार तो ऐसा होता है कि मम्मीपापा के बीच 6-7 दिनों तक बोलचाल बंद रहती है और हमें स्कूल नहीं भेजा जाता है. मम्मी खाना भी ठीक से नहीं बनाती हैं.

पुलिस औफिसर आर.के. दुबे कहते हैं कि मातापिता अपने बच्चों की नजरों में हीरो होते हैं. उन की नजरों में वे दुनिया के सब से बेहतरीन इनसान होते हैं. ऐसे में उन के आपस में लड़ने से बच्चों के मन में बनी अपने मातापिता की इमेज गिरती है, जिस से बच्चों को बहुत तकलीफ होती है. उस तकलीफ को बच्चे बयां नहीं कर पाते और मन ही मन घुटते रहते हैं. इस से उन का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है. जिस घर में लड़ाई ज्यादा होती है, उस घर के ज्यादातर बच्चे मानसिक बीमारी और डिप्रैशन के शिकार होते हैं. कई बच्चे तो गुस्सैल स्वभाव और अपराधी बन जाते हैं.

मातापिता की लड़ाई से भौचक बच्चे

मातापिता के झगड़े का सीधा असर बच्चों पर होता है. सब से ज्यादा नुकसान वही उठाते हैं. पटना हाई कोर्ट के वकील अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि पतिपत्नी झगड़ा करने के बाद बच्चों की नजरों में खुद को सही साबित करने के लिए एकदूसरे के खिलाफ उन में जहर भरते हैं. लड़ाई के बाद मां अपने बच्चों से कहती है कि उन के पापा ही गंदे हैं. हमेशा लड़ाई करते हैं. पापा से बात नहीं करना वरना तुम्हें भी पीटेंगे. वहीं पिता अपने बच्चों को समझाता है कि उन की मम्मी ही लड़ाई की शुरुआत करती है. उन की मम्मी गंदी है. इस तरह की बातें सुन कर बच्चे दुविधा में पड़ जाते हैं. वे समझ नहीं पाते हैं कि दुनिया के सब से अच्छे उन के मातापिता हैं और वही दोनों एकदूसरे को बुरा ठहरा रहे हैं.

तलाक के बाद सिसकते बच्चे

पटना सिविल कोर्ट के सीनियर वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि मातापिता के तलाक के बाद सब से ज्यादा चुनौती का सामना उन के बच्चों को ही करना पड़ता है. कई केसेज में देखा गया है कि तलाक के मुकदमे में पतिपत्नी दोनों बच्चों को अपने पास रखने की जिद करते हैं. दोनों पक्ष अदालत से बारबार गुहार लगाते हैं कि बच्चों को उन के पास रहने दिया जाए. मां कहती है कि बच्चे पिता के पास नहीं रह सकेंगे, जबकि पिता यह दावा करता है कि वही बच्चों की बेहतर परवरिश कर सकता है. कई बार अदालत दोनों के पास कुछकुछ समय तक बच्चों को रहने का फैसला सुनाती है. ऐसे में बच्चे मातापिता से मिलते तो रहते हैं, लेकिन उन्हें उन का सच्चा प्यार नहीं मिल पाता है. मां खुद को बेहतर साबित करने के चक्कर में बच्चों को नएनए खिलौने और कपड़े देती है, तो पिता उस से बेहतर और कीमती चीज दे कर बच्चों की नजरों में अच्छा पिता बनने की कोशिश करता है. अपनेअपने अहं में डूबे मातापिता यह नहीं समझ पाते हैं कि बच्चों को असली खुशी दोनों के साथ रहने से मिलती है. अलगअलग रह कर दोनों से मिलने और महंगे से महंगे गिफ्ट्स देने से भी उन के मासूम मन को खुशी नहीं मिल सकती.

परिवार के झगड़ों के बीच लाचार बच्चे

संयुक्त परिवार के झगड़ों में सब से ज्यादा बच्चे ही पीडि़त होते हैं. वे अपने मातापिता को अपनों से ही लड़तेझगड़ते और पुलिसकचहरी करते देखते हैं. उन्हें यह समझ नहीं आता है कि उन के पिता और चाचा जो कभी साथसाथ रहते थे, आज आपस में लड़ाई क्यों कर रहे हैं? किस बात को ले कर घर के लोग एकदूसरे के दुश्मन बन गए हैं? परिवार मामलों की वकील सुनीता वर्मा एक केस का जिक्र करते हुए बताती हैं कि पटना के एक परिवार के भाइयों के बीच शुरू हुआ घरेलू झगड़ा मारपीट और पुलिस तक जा पहुंचा. एक भाई ने एफआईआर में भाई और भाभी के साथसाथ उन के 10 साल के बेटे को भी मारपीट करने का आरोपी बना दिया. मामला 6 सालों से कोर्ट में चल रहा है और 10 साल का बच्चा 16 साल का युवा बन गया है. उस के मन में आज भी अपने चाचा के प्रति इतना गुस्सा है कि अकसर कहता है कि कभी न कभी चाचा की पिटाई जरूर करेगा.

इस मामले से साफ हो जाता है कि बड़े झगड़ों और केस कर के अपनेअपने काम में मसरूफ हो जाते हैं, लेकिन मासूमों के मन पर वे सदमे की छाप छोड़ देते हैं और उन्हें गुस्सैल बना देते हैं.

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पिता के जेल जाने पर घुटते

किसी भी अदालत के कैंपस में जाने पर पुलिस वालों, कैदियों, अपराधियों, वकीलों और जजों की भीड़ के बीच कई औरतें और उन के साथ कई बच्चे दिख जाएंगे. बच्चे कभी अपने पिता के हाथों में लगी हथकड़ी देखते हैं, कभी पुलिस वाले को तो कभी अपनी मां के चेहरे को देखते हैं. पटना सिविल कोर्ट के वकील सुबोध गोस्वामी बताते हैं कि पिता को हथकड़ी में जकड़े देख कर मासूम बच्चे के दिमाग पर क्या गुजरती होगी, इस का अंदाजा लगाना मुश्किल है. 10-12 साल तक के बच्चे को तो पता ही नहीं चल पाता है कि उस के पिता ने क्या गुनाह किया है और उन्हें हथकड़ी से बांध कर क्यों रखा गया है? वह बुत बना सभी चेहरों को निहारता रहता है. मां के रोने पर उस के साथ रोने लगता है. सब से ज्यादा तकलीफदेह हालत तो उस मां की होती है जब उस का मासूम बच्चा उस से पूछता है कि उस के पिता उन के साथ घर में क्यों नहीं रहते हैं? पिता को पुलिस वालों ने हथकड़ी से क्यों बांध रखा है? वे घर कब आएंगे? उन्हें जेल में क्यों रखा गया है?

वर्किंग वुमन और हाउसवाइफ कैसे रहें फिट?

आज के मौर्डन टाइम में फिट रहना काफी जरुरी हैं. पर बिजी होने के कारण आपके पास या तो समय नहीं होता या फिर काम के कारण थकान आपको ऐक्सरसाइज करने से रोकती हैं. बदलती लाइफ स्टाइल जहां लोगों को प्रगति पथ पर ला रही है, वहीं कई समस्याएं उन्हें कम उम्र में ही होने लगी हैं. उन में शुगर, ब्लडप्रैशर, नींद न आना वगैरह खास हैं. अधिकतर ये समस्याएं बिना सोचेसमझे उद्देश्य के पीछे भागने, तनावपूर्ण जीवन बिताने, कम सोने, समय पर भोजन न करने आदि कारणों से होती हैं. अगर आप फिट रहना चाहती हैं, तो स्वास्थ्यवर्धक भोजन समय पर करना, व्यायाम करना, पूरी नींद लेना आदि बहुत जरूरी है. आप चाहे वर्किंग वूमन हों चाहे हाउसवाइफ अगर आप इन बातों पर विशेष ध्यान दे कर इन्हें अपनाती हैं तो आप स्फूर्तिवान, ताजगीपूर्ण और फ्रैश दिख सकती हैं. इस बारे में मुंबई के फिटनैस ऐक्सपर्ट मिकी मेहता कहते हैं कि फिटनैस के प्रति महिलाएं सब से अधिक उदास रहती हैं. वे इस बात पर ध्यान नहीं देतीं कि केवल घर पर रह कर या बाहर के काम से आप का वर्कआउट पूरा नहीं होता. कुछ व्यायाम आप को समयसमय पर करने जरूरी हैं.

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वर्किंग विमंस के लिए जरूरी व्यायाम

  1. काम करते-करते जब भी समय मिले, कुरसी पर बैठ कर अपने सिर को बाएं हाथ से दाईं ओर ले जाएं. 15 से 20 सैकंड वैसे रखने के बाद सिर को दाएं हाथ से बाईं ओर ले जाएं. इसे ट्रंक ट्विस्ट कहा जाता है. यह गरदन के लिए बहुत आरामदायक वर्कआउट है.
  2. अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जा कर कुहनी से दाएं घुटने को छूने की कोशिश करें. इस के लिए 15 से 20 सैकंड काफी होते हैं. फिर बाएं घुटने के साथ ऐसा करें.
  3. कुरसी पर बैठ कर पैरों को सीधा कर 30 सैकंड तक रखें. ऐसा थोड़ीथोड़ी देर में करने से दोनों पैरों में सूजन या थकान नहीं आती.
  4. कुरसी पर ही बैठ कर पैरों को सीधा कर, अंगूठे को जमीन पर टिका कर एक बार क्लौकवाइज और एक बार ऐंटीक्लौकवाइज घुमाएं. इस से पैरों में होने वाला दर्द कम होता है व ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है.

हाउसवाइफ के लिए टिप्स 

हाउसवाइफ को किसी ऐक्सपर्ट से व्यायाम को सीख लेना चाहिए ताकि उन की सेहत पर इस का बुरा प्रभाव न पडे़. कई बार सही जानकारी के अभाव में किया गया व्यायाम कई परेशानियों को भी दावत देता है. एक अनुभव को शेयर करते हुए मिकी मेहता बताते हैं कि एक महिला ने घर पर पतले होने के लिए साइकिलिंग करना शुरू किया. लेकिन जरूरत से अधिक साइकिलिंग करने की वजह से उन के स्पाइनल कौर्ड में दर्द शुरू हो गया. वे कई महीनों तक ठीक से उठनेबैठने में असमर्थ थीं. काफी इलाज के बाद वे नौर्मल हुईं. हलके-फुलके व्यायाम, जैसे जौगिंग करना, तैरना, साइकिल चलाना, टहलना आदि व्यक्ति कभी भी कर सकता है. पर कुछ खास व्यायाम जो आप को फिट रखें निम्न हैं:

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  1. स्क्वाट्स शरीर को फिट रखने का उत्तम व्यायाम है. इस में कंधे को सीधा कर खड़े हो कर, पैरों को थोड़ा अलग करें. फिर दोनों हाथों को ऊपर ले जा कर झुकें और अंगूठे को छुएं. करीब 10 सैकंड के बाद वापस खड़ी हो जाएं और 5 बार दोहराएं.
  2. जमीन पर उलटी लेट कर दोनों हाथों के सहारे शरीर को सहारा दे धीरेधीरे शरीर को ऊपर उठाएं. इसे 5 बार दोहराएं.
  3. महिलाओं के लिए पेट का व्यायाम एबडौमिनल कं्रचेस बहुत लाभदायक होता है. इस में फर्श पर लेट कर घुटनों को मोड़ लें और गरदन के पीछे दोनों हाथों को ले जा कर अपनी बौडी को घुटनों के साथ जोड़ने की कोशिश करें. बौडी को उठाते वक्त सांस खींच लें. फिर धीरेधीरे छोड़ें. इसे 12 से 15 बार दोहराएं.

ऐसे करें मोटापे को दूर

  1. कभी भी भूखी न रहें. आहार तालिका में फल, हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें.
  2. भोजन से पहले सलाद या सूप अवश्य लें.
  3. हर्बल या ग्रीन टी भी भोजन से पहले ले सकती हैं. इस से मैटाबोलिज्म अच्छा रहता है.

FASHION TIPS: हर लुक के लिए परफेक्ट है मौनी रौय का ये साड़ी फैशन

टीवी सीरियल ‘देवों के देव महादेव’ में ‘सति’ के रोल और ‘नागिन’ में ‘शिवांगी’ के रोल से फैंस के दिलों में राज करने वाली एक्ट्रेस मौनी रौय जल्द ही फिल्मी दुनिया में कदम रख चुकी हैं. वहीं अगर मौनी के सीरियल्स में लुक की बात करें तो वह साड़ियों काफी खूबसूरत नजर आती रही हैं. आज हम मौनी के साड़ी लुक की बात करेंगे, जिसे आप शादी से लेकर पार्टी में ट्राय कर सकते हैं. ये लुक आपके लुक पर चार-चांद लगा देंगे.

1. वेडिंग के लिए ये लुक है परफेक्ट

अगर आप वेडिंग सीजन में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं. तो लाइट कलर की मौनी की ये लाइट कलर की साड़ी परफेक्ट है. सिंपल लाइट यैलो कलर की साड़ी के साथ गोल्डन एम्ब्रौयडरी वाली इस साड़ी के साथ आप गोल्डन झुमके ट्राय कर सकती हैं. साथ ही आप इस साड़ी के साथ ग्रीन को कौम्बिनेशन दे सकती हैं मौनी की तरह.

 

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Diwali luncheon ✨ @akshijogani Styled by my @anusoru Hair @chettiarqueensly Make up @chettiaralbert

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2. नई दुल्हन के लिए मौनी का लुक है परफेक्ट

 

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शुभ दीपावाली✨

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अगर आप नई नवेली दुल्हन हैं. और शादी के कुछ दिन बाद रिश्तेदारों से मिलने के लिए लाइट लेकिन परफेक्ट लुक चाहती हैं तो मौनी की ये रेड कौटन साड़ी परफेक्ट औप्शन है. आप इस साड़ी के साथ गोल्डन झुमके पहनकर मौनी की तरह बालों में जूड़ा बनाकर गजरा लगा सकती हैं.

3. वेडिंग में ट्राय करें मौनी की ये साड़ी

अगर आप वेडिंग के लिए साड़ी के औप्शन तलाश रही हैं तो मौनी की ये गोल्डन कौम्बिनेशन वाली ये साड़ी आप ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ ट्रेंडी के साथ-साथ ट्रेडिशनल है. इसके साथ आप हैवी गोल्डन ज्वैलरी ट्राय कर सकते हैं.

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4. चेक पैटर्न वाला कौम्बिनेशन है औफिस के लिए परफेक्ट


अगर आप औफिस के लिए कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो चेक पैटर्न वाली मौनी की ये साड़ी ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप सिंपल ब्लैक इयरिंग्स ट्राय कर सकते हैं.

काव्या को छोड़ेगा वनराज तो ‘अनुपमा’ की मां लेगी बड़ा फैसला, जानें क्या होगा

सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ किंजल और परितोष की शादी तोड़ने के लिए राखी जी जान लगाती नजर आ रही है तो वहीं काव्या, वनराज और अनुपमा को अलग रखने की कोशिश करती नजर आ रही है. लेकिन इन सभी के बीच कहानी में एक नया मोड़ आने वाला है, जिससे अनुपमा की लाइफ बदल जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या को पड़ता है थप्पड़

अब तक आपने देखा कि किंजल और परितोष की शादी की रस्मों में खलल डालने के लिए काव्या वनराज औऱ अनुपमा के द्वारा निभाई जाने वाली रस्में निभाने की कोशिश करती नजर आती है. साथ ही कहती है कि यह उसका हक है. हालांकि अनुपमा पहले उसे समझाने की कोशिश करती है. लेकिन राखी के भड़काने के कारण काव्या नही मानती, जिसके कारण अनुपमा उसे थप्पड़ मार देती है.

 

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वनराज को सुनाएगी है काव्या

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बेइज्जती होने के बाद जब काव्या घर जाएगी तो वह वनराज को खरी खोटी सुनाती नजर आएगी और कहेगी है कि जाओ अनुपमा के पास जाकर उसके पैरों में गिर जाओ, जिसके बाद वनराज, काव्या का घर छोड़ने का फैसला लेता दिखेगा और कहेगा है कि न उसे काव्या की जरुरत है और न अनुपमा की.

 

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अनुपमा की मां लेगी ये फैसला

वनराज और काव्या के रिश्ते के बारे में सभी जान चुके हैं, लेकिन अब अनुपमा की मां भी इस सच को जान जाएगी, जिसके बाद वह बा और बापूजी से कहेगी कि उन्होंने अनुपमा की शादी वनराज से कराकर सबसे बड़ी गलती की है. साथ ही अनुपमा को शाह निवास छोड़ने की भी बात कहकर साथ ले जाती नजर आएगी.

बता दें, शो के इन्हीं ट्विस्ट के चलते इन दिनों शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है.

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मेरी त्वचा से मेरी उम्र का पता ही नहीं चलता

एक पुरानी कहावत है कि ठंड में गोरे का तो रंग ही जाए पर काले की तो शान ही चली जाए.यहाँ हम कोई रंगभेद की बात नहीं कर रहे हैं बस ये बताने का प्रयास है कि सर्दियों के मौसम के शुरू होते ही त्वचा की आभा कम होने लगती है. ठंड में त्वचा रूखी, बेजान और सूखी हुई लगने लगती हैं. सिर्फ त्वचा ही नहीं बल्कि इस मौसम में होंठ भी सूखने लगते हैं. ऐसे में त्वचा की तरफ ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि त्वचा एक बार खराब हो जाए तो उसे सही करना बहुत कठिन काम है. आज मैं आपको कुछ ऐसे आज़माये हुए नुस्खे बताने जा रही हूँ जिन्हें आज़माने से आपको त्वचा से संबंधित परेशानियों से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी.

1. साबुन को कहें ना

ठंड के मौसम में चेहरे पर कभी भी साबुन का प्रयोग न करें क्योंकि इससे त्वचा में रूखापन बढ़ जाता है. इसकी स्थान पर आप हल्का फेशवॉश का प्रयोग कर सकते हैं . या फिर आप घर मे थोड़ी सी मसूर की दाल पीस कर रखें और नहाने के कुछ समय पूर्व लगभग *आधा चम्मच मसूर की दाल के पाउडर में जऱा सा दूध और दो बूंद नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगा लें और सूखने पर इसे धो लें इसमें दो बूँद सरसों का तेल भी मिला लें. इसके अलावा चेहरा धोने के बाद क्रीम या माइश्चराइजर लगाना याद रखें.

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2. गुनगुने पानी को कहें हाँ

मौसम जो कोई भी हो, परंतु नहाने के लिए सदैव गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए. इससे त्वचा की रंगत खराब नही होती है और सर्दी-जुकाम के प्रकोप से भी बचाव रहता है .पीने के लिए भी गुनगुने पानी का प्रयोग करें.

3. एंटी-रिंकल क्रीम का प्रयोग

सर्दियों में रात को सोने से पहले एंटी-रिंकल क्रीम अवश्य ही लगाएं . एलोवेरा जेल को भी सोने के पहले चेहरे पर लगाया जा सकता है. इससे आपकी त्वचा को झुर्रियों या झाइयों की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.

4. नारियल और सरसों का तेल है रामबाण

सर्दियों में नहाने से पहले पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाएं उसके कुछ समय बाद गुनगुने पानी से ही नहाएँ और नहाने के बाद हल्का सा नारियल का तेल लगाएं

5. विटामिन ई भी है ज़रूरी

त्वचा को हाइड्रेटेड रखने और उसकी नमी बरक़रार रखने के लिए विटामिन ई क्रीम का प्रयोग करें. अगर क्रीम न हो तो विटामिन ई का कैपसूल भी चेहरे पर लगाया जा सकता है.इसके साथ ही खान पान में भी विटामिन ई को शामिल करना कारगर हो सकता है .बादाम विटामिन ई का अच्छा स्त्रोत है और सूरजमुखी के बीज भी .पपीता , जैतून, ब्रोकली और अजमोद ये सब अपने आहार में शामिल करें.

6. सुबह की धूप निखारेगी रूप

सर्दियों की धूप सबसे ज्यादा लाभकारी होती है. ऐसे में आप 15-20 मिनट सुबह की धूप में जरूर बैठें. इससे आपके शरीर मे विटामिन डी की पूर्ति होगी और त्वचा खुशहाल रहेगी. परंतु धूप में बैठने से पूर्व सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करें क्योंकि सूर्य की तेज किरणें त्वचा को हानि भी पहुंचा सकती हैं.

7. होंठों का भी रखें खयाल

जैसे ही मौसम बदलता है होंठ फटने की शिकायत आम हो जाती है. ऐसे में आपको होंठों का खयाल रखना भी जरूरी हो जाता है. होंठों पर पेट्रोलियम जेली और ग्लिसरीन का प्रयोग करें. लिप बाम लगाना भी कारगर होता है. इसके अलावा सोने से पहले होंठों पर मलाई या जैतून का तेल लगाएं यह भी होंठों के लिए लाभकारी होता है.स्नान के तुरंत बाद यदि सरसों के तेल की कुछ बूँदें नाभि में डाल ली जाएँ तो उस से भी होठ मुलायम बने रहते हैं.

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8. हाथों-पैरों की भी करें देखभाल

सर्दियों के मौसम में हाथ और एड़ियां ज्यादा रूखी सूखी हो जाती हैं. अगर इनका सही से रख रखाव और साफ सफाई न की जाए तो हाथों-पैरों की सुंदरता नष्ट हो जाती है, ऐसे में इनकी सफाई डिटॉल मिले गुनगुने पानी से करें. फिर हाथों-पैरों पर मॉइस्चराइजर लगाएं , ताकि त्वचा रूखी ना हो. अगर चाहें तो मेनीक्योर और पेडीक्योर भी अच्छा विकल्प है. स्नान के तुरंत बाद यदि तलवे और एड़ियों पर सरसों का तेल लगाया जाए तो उनकी नमी बरक़रार रहती है और उनके फटने से निज़ात मिल सकती है.

9. नियमित करें तेल की मालिश

त्वचा और बालों की नियम से मालिश करना कभी ना भूलें. इससे रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे त्वचा नर्म और मुलायम होती है. मालिश करने के लिए आप नारियल, जैतून, ऑलिव या बादाम तेल का प्रयोग कर सकते हैं.यदि मालिश स्नान के आधा एक घंटे पहले की जाएगी तो ये और ज़्यादा फायदेमंद रहेगी.

10. खान पान पर दें ध्यान

सर्दी के मौसम में तली हुई और मीठी चीजें खाना अच्छा लगता है मगर यदि आप फिट रहना चाहते हैं तो रोस्टेड चीजों का सेवन अधिक करें. मछली, डॉट सूप और सूखे मेंवे लें. मौसमी सब्जियां, टमाटर, पालक, लहसुन, फलों में संतरा और पपीता सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी गुणकारी होता है. इसके अतिरिक्त सर्दियों में ग्रीन टी, गुनगुना नींबू पानी और शहद अच्छा विकल्प है.

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बौलीवुड में अपनी अभिनय क्षमता के बल पर निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रिचा चड्ढा अब तक ‘गैंग आफ वासेपुर‘,  ‘फुकरे’, ‘गोलियों की रास लीला रामलीला’, ‘लव सोनिया’, ‘मसान’, ‘इश्कारिया’,  ‘सेक्शन 375’ व ‘पंगा’जैसी फिल्में कर चुकी हैं. इन दिनों वह फिल्म ‘शकीला’ को लेकर चर्चा में हैं, जो कि दक्षिण भारत की एडल्ट स्टार के रूप में प्रसिद्ध रही हैं. हिंदी के अलावा तमिल,  तेलगू,  कन्नड़ व मलयालम भाषा में बनी फिल्म ‘शकीला’ 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है.

प्रस्तुत है रिचा चड्ढा से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

लॉक डाउन के चलते आपने अपने अंदर कितना बदला पाया?

-बदला हुआ इस तरह पाया कि हर काम खुद ही करना पड़ रहा था. ऐसा नहीं है कि हमें अपना खुद का काम करने में कोई शर्म है. मगर अभिनय में व्यस्तता के चलते घर के कुछ काम करने के लिए बाई रखी हुई थी, पर लॉक डाउन में उसका आना बंद हो गया, तो वह सारा काम खुद करना ही था. आपके पास कई दूसरे काम भी होेते हैं, उसके बाद जब घर के काम करने पड़ते हैं, जब आप खुद राशन लेने जाते हैं, तो आपको अहसास होता है कि जिंदगी जीने के लिए कितनी चीजों की आवश्यकता पड़ती है. एक अंदाजा लग जाता है, मैंने सबसे बड़ी सीख पायी कि हमें कम में भी खुश रहना चाहिए. सभी कहते थे कि फोन पर दूसरों से बात करते रहें. मगर लॅाक डाउन में मै अपने फोन से काफी समय तब तक दूर भी रही. मैने यह ध्यान नहीं दिया कि दुनिया में क्या चल रहा है. मैंने खुद के साथ समय बिताया. अपनी किताब और लघु फिल्म की पटकथा पर भी काम किया. अपनी बिल्लियों के साथ समय बिताया. कुछ नए पौधे उगाए. गाजर, हरी मिर्च, नींबू, अमरूद,  अनार, तुलसी,  एलोवीरा, पुदीना व धनिया उगा लिया है. यह रोजमर्रा के उपयोग की चीजें हैं. इसके अलावा जब हम पर्यावरण की बात करते हैंं, पर्यावरण में आ रहे बदलाव की बात करते हैं, तो ऐसे वक्त में हमें खुद कुछ कदम उठाने होंगे, जो कि पर्यावरण के बदलाव से निपटने में सहायक हो. पेड़ पौधे उगाना बहुत जरुरी है. मैंने घर में खाना पकाते हुए वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया था. देखिए, हम तो घर का काम खुद करते आए हैं,  इसलिए लॉक डाउन के दिनों में घर काम करना कोई नई बात नही है. कुछ लोग जरुर ऐसे है, जिनके लिए यह नई बात है. लॉक डाउन में छूट मिलते ही मैने वेब फिल्म‘लाहोर कंफीडेशियल’की शूटिंग पूरी की. अब 18 दिसंबर को अमेजान पर ‘अनपाज्ड’की एक लघु फिल्म ‘अपार्टमेंट’ में मैं नजर आयी थी. इसकी शूटिंग भी सिंतबर माह में की. अब 25 दिसंबर को फिल्म ‘शकीला’ओटीटी प्लेटफार्म की बजाय ‘सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. तो उसके प्रचार में जुट गयी हूं.

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आपने दक्षिण फिल्मों की स्टार रही शकीला की बायोपिक फिल्म ही क्यों चुनी?

-कई वजहें हैं. शकीला की कहानी में सबसे बड़ी बात यह है कि वह एक मोटी औरत है. कट्टर मुसलमान है. पूरी जिंदगी बुरखा पहनकर घूमतीरही. फिल्मों में अभिनय करने के लिए उसने बॉडी डबल रखा हुआ था. हर फिल्म में उसने बॉडी डबल से सारे दृश्य करवाए और खुद आराम से सड़क पर घूमती थी. सब्जी खरीदती थी. उसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उसने पुरूष प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बनायी. उसने दक्षिण के कई सुपर स्टार का कद घटाया.

कुछ समय पहे दक्षिण की ही अभिनेत्री सिल्क स्मिता की जिंदगी पर फिल्म‘‘डर्टी पिक्चर्स’’ आयी थी, जिसमें विद्या बालन ने अभिनय किया था. उस फिल्म से शकीलाकितनी अलग है?

-दोनो फिल्मों में जमीन आसमान का अंतर है. सिल्क स्मिता की मौत के बाद शकीला का कैरियर शुरू हुआ था. सिल्क स्मिता और शकीला ने एक फिल्म साथ में की थी. शायद सिल्क स्मिता की वह अंतिम फिल्म थी. आपने ‘डर्टी पिक्चर्स’देखी होगी, तो उसमें एक दृश्य है. फिल्म में दृश्य यह है कि सिल्क स्मिता एक नई अभिनेत्री से खुद को असुरक्षित हमसूस करते हुए उसे एक थप्पड़ जड़ देती है. तो जिसे थप्पड़ मारा गया था, वह शकीला थी. इस घटना के बाद शकीला बहुत परेशान हो गयी थीं. उन्होने सोचा कि अपना कैरियर, अपनी जिंदगी सब कुछ खत्म कर दॅूं, मुझे कुछ नही चाहिए. सिल्क स्मिता व शकीला में सबसे बड़ा फर्क यह था कि सिल्क स्मिता स्टारडम चाहती थी. वह स्टार का दर्ज चाहती थीं. जबकि शकीला ऐसा कुछ नहीं चाहती थी. उनकी सोच यह थी कि मैं इतना कमा लूं कि घर वालों को ठीक से खाना मिल जाए. कपड़े वगैरह मिल जाएं.

शकीला की जिंदगी के दो पहलू हैं. एक वह जो फिल्म इंडस्ट्री ने उनके साथ किया और दूसरा वह जो उनके परिवार के लोगों ने उनके साथ किया?क्या इनकी वजह फिल्म में दिखायी गयी है?

-देखिए, फिल्म इंडस्ट्री ने उनके साथ जो कुछ किया, उसे हमने बड़ी इमानदारी के साथ इस फिल्म में दिखाया है. अभी वह एक तरह से फिल्म इंडस्ट्री में बैन ही हैं. इसकी मूल वजह यह है कि शकीला ने एक सुपर स्टार से साफ साफ कह दिया था कि वह समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. उनके परिवार ने उनके साथ जो कुछ किया, वह सब गरीबी व मजबूरी के चलते किया. उनकी मॉं है और उनकी छोटी बहन हैं. आप जानते होंगे कि शकीला की मां एक ज्यूनियर आर्टिस्ट थीं. जब शकीला स्कूल में पढ़ रही थी, तो 14-15 साल की उम्र में उनकी मां ने उनकी स्कूल की पढ़ाई छुड़ाकर फिल्म इंडस्ट्ी में काम करने के लिए मजबूर कर दिया था. शकीला को पता नही था मां उससे क्या करवाना चाहती हैं. उससे काम करवाने के लिए उसकी मां ने उसे दारू पिलवा दी थी. फिर दारू की लत डलवा दी. जबकि उस वक्त नग्नता वाला कोई दृश्य नहीं था. दक्षिण भारत में पोर्नोग्राफी तो यही है कि पेटीकोट व ब्लाउज पहनकर खड़ी रहे, पर कम छोटी उम्र की बच्ची के दिमाग पर इसका क्या असर पड़ा होगा, आप सोच सकते हैं. उसकी हालत बहुत खराब हो गयी थी. उसे सिगरेट की आदत पड़ गयी थी. वह डिप्रेशन में चली गयी थी. जब अपनी मां ऐसा काम करा सकती है,  तो फिर किस पर विश्वास किया जाए. यही सब हमने फिल्म में दिखाया है. शकीला की मां की निजी भूख का जिक्र है.

अपने करियर की शुरूआत में शकीला ने चाहे जितने बोल्ड सीन किए हों,  लेकिन बाद में उन्होंने हर बोल्ड सीन के लिए अपनी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया. इस पर आपकी शकीला से कुछ बात हुई है?

-जीहां!मेरी बात हुई है. मैंने उनसे पूछा था कि आपको क्या सूझा कि बाद में आपने बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं किया. तो उन्होंने कहा कि,  ‘शुरुआत में मेरी मजबूरी थी. तो एक-दो फिल्मों में जो कहा गया, वह मैंने किया. वह भी मेरी मम्मी ने मुझसे करवाया था. उसके बाद जैसे ही मुझे मौका मिला, मैं अपनी सहूलियत के लिए किसी को ले आयी, जिसे काम की जरूरत थी. ’जो औरत शकीला की बॉडी डबल का काम करती थी,  वह असल में प्रोस्टीट्यूट काल गर्ल जैसे धंधे में थी. तो उन्हें यह भी लगा कि मैं बच जाऊंगी. मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी व ज्यादा रोचक लगी. दुनिया बहुत ज्यादा मतलबी है. जीवन में कई तरह के तनाव हैं. मैंने  उनसे कहा कि आपने बॉडी डबल क्यों लिया?आप अभिनय करना बंद कर देती. इस पर उन्होने कहा,  ‘‘शुरुआत में मुझे अपने परिवार को खाना खिलाना था, इसलिए मैंने जो कहा गया, वह किया. उसके बाद जब मुझे लगा कि मेरे पास मौका है, तो मैं यह सब क्यों करूं?मैने वह सब अपने बॅाडी डबल’से करवाया. ’’

इस पर मैंने शकीला से पूछा कि बॉडी डबल भी औरत ही थी?इस पर उन्होंने कहा, ‘वह धंधा करने वाली औरत है. वह पहले भी यही काम करती थी. ’जब मैंने उनसे कहा कि आपको डर नहीं लगा कि यह लोग आपका कैरियर बर्बाद कर देंगे, जिन बड़े लोगों के साथ पंगा ले लिया था?तब शकीला ने मुझसे कहा, ‘कामइंसान नहीं देता है. काम तो भगवान देता है. ’मैंने उनसे कहा कि आपको तकलीफ नहीं होती है कि आपके परिवार वालों ने आपके साथ ऐसा किया?तो शकीला ने कहा-‘‘हर इंसान की अपनी मजबूरियां रहती हैं.  ऐसे में सब को माफ कर देना चाहिए. ’’

आप यकीन नही करेंगे. वह एक वक्त में सुपर स्टार थी. बड़े बडे पुरूष सुपर स्टार को घास नही डालती थी. पर वह आज एक बेडरूम के फ्लैट में रहती हैं. जब मैंने उनसे इस पर बात की, तो उन्होंने कहा , ‘‘ किसने कहा कि मैं एक बेडरूम के फ्लैट में रहती हॅूं. मैं अपने दिमाग मे रहती हॅूं. मुझे बहुत ज्यादा सुकून है. मैं लोगों की मदद करती हूं. उन्होने एक गरीब निग्रो को गोद ले रखा है. मैने पूछा कि यह कौन है, तो उन्होने कहा कि, ‘यह एक दिन बहुत बुरी हालत मे मेरे पास आकर खाना खाने के लिए कुछ पैसे मांगे. मैने कुछ दिन का इंतजाम कर दिया था. फिर मैने उसे गोद लेकर अपने घर पर ही रख लिया. तो उनकी यह बात मुझे बहुत ज्यादा रोचक लगी. क्योंकि हमें क्या सलाह दी जाती है कि पहले तुम सलमान खान बन जाओ,  फिर ‘बिइंग ह्यूमन’ शुरू करना. लेकिन मैने पाया कि शकीला एक ऐसी इंसान हैं, जिनके पास सच में कभी कुछ नहीं था खाने के लिए या किसी भी चीज के लिए. मुझसे मिलने के लिए रिक्शे से आने के भी पैसे उनके पास नही थे. आप सोचिए कि उनकी हालत खराब है, फिर भी वह दूसरे को पाल रही हैं.

जब आपने शकीला से बातें की, तो उनकी किस बात ने आपको प्रेरित किया?

-उनका जो जिंदगी के प्रति नजरिया है, उसने मुझे सच में बहुत ज्यादा प्रेरित किया. वह बहुत तकलीफ में हैं,  इसके बावजूद उन्होंने कभी भी किसी के लिए अपने दिल में कोई मलाल नहीं रखा. उनकी यह बात मुझे काफी अच्छी लगी.

क्या हर फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के साथ वैसा ही हो रहा है, जैसा कि शकीला के साथ हुआ?

-अभी तो ऐसा नही हो रहा है. मगर ‘शकीला’की कहानी 1990 के दशक की मलयालम और तमिल इंडस्ट्री की कहानी है. जहां तक मेरा अनुभव है, तब से अब तक काफी चीजें बदल गई हैं. खैर, मेरे साथ वैसा कुछ करने की कोई हिम्मत नहीं करेगा. फिर वह दौर बदल गया है. अभी इंडस्ट्री में औरतें इतनी ज्यादा आगे आ गई हैं कि हर निर्माता-निर्देशक हर चीज बदल गई है. ‘मी टू’के बाद तो ऐसा लगता है कि कोई भी इंसान कुछ भी करने से पहले 10 बार सोचेगा.

यह फिल्म पांच भाषाओं में है. आपने कितनी भाषाओं में इसकी डबिंग खुद की है?

-मैने तो सिर्फ हिंदी में ही डबिंग की है. अन्य भाषाओं में डबिंग दूसरों ने की है. इसकी दो वजह रही. पहली बात तो सभी पांच भाषाओं मे डब करते हुए आवाज को मैच करना थोड़ा मुश्किल था, दूसरी वजह यह रही कि निर्माता और निर्देशक चाहते थे कि दक्षिण के दर्शक शकीला की जिस तरह की आवाज के साथ खुद को जोड़ते हैं, उस तरह की आवाज में डबिंग करना चाहते थे. यह निर्णय सही रहा. शकीला आज भी जीवत हैं और जूनियर आर्टिस्ट के रूप में अभिनय कर रही हैं. ऐसे में हम सिनेमायी स्वतंत्रता ज्यादा ले नही सकते. उन्होने अपने जीवन की कहानी लिखी, हमने उसे उनके विजन के अनुसार ही परदे पर उतारा. उन्होने हमारे साथ जो बातें की, उन्हे हमने सुना और उन्हें भी फिल्म में दिखाया है. एक जीवित इंसान की बायोपिक बनाते समय हमारी जिम्मेदारी और काम बढ़ जाता है.

आपको लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में औरतों के साथ अच्छा व्यवहार  हो रहा है. क्या ओमन इम्पॉरवमेंट की बातें लागू हो रही हैं?

-यह चर्चाएं तो काफी समय से चल रही हैं. यह भी सच है कि फिल्म इंडस्ट्री में स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई हैं. अभी भी हमें लंबी यात्रा तय करनी है. अभी हमें इस दिशा में बहुत काम करने की जरुरत है. अभी बदलाव जमीनी स्तर पर आना जरुरी है. वास्तव में फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ कलाकार ही नहीं, बल्कि प्रोडक्शन,  निर्देशन, लेखन सहित हर विभाग में औरतों की संख्या बढ़ी है, इसका भी असर है कि फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव नजर आ रहा है.

कुछ लोग कहते हैं कि नारी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाली महिलाएं ही सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं?

-मुझे पता नहीं कि आप किनकी बात कर रहे हैं. मेरी राय में नारीवाद का मतलब है कि नारी भी पुरूषों की तरह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. पर यदि पुरूष बेवकूफ है, तो नारी भी बेवकूफ होने का हक रखती है. अब वह बेवकूफ में सिगरेट या शराब पीती है, तो यह उनका हक है. पुरूष भी सिगरेट या शराब पीते हैं. तो यह उनका हक है. यदि औरतें भी बेवकूफी में बराबरी चाहती है, तो गलत क्या है. यहां लोग नारीयों से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कहते हकि नारीयां शराब पीती हैं.

अमजॉन पर अनपॉज्ड में एक लघु कहानी अपार्टमेटमें अभिनय किया है. क्या कहना चाहेंगी?

-हमारी यह फिल्म यह संदेश देती है कि खुद के मुश्किल बढ़ने वाली हो, तो भी इंसान को सच का साथ देना चाहिए. फिल्म छोटी जरुर है,  मगर इस फिल्म के निर्माता निर्देशक निखिल अडवाणी के संग मैं काम करना चाहती थी. इसलिए मैने इसे लघु फिल्म के नजरिए से नही देखा. मुझे लगा कि यह बड़े निर्देशक की तरफ से एक प्रयोग हो.

आप एक वेब फिल्मलाहौर कंफीडेशियलकर रही है?

-ज हॉ!यह एक स्पाई फिल्म है,  जिसकी शूटिंग हमने पूरी कर ली है. यह रॉ एजेंट अनन्या की क्रास बॉर्डर प्रेम कहानी है. कुणाल कोहली  के साथ काम करना चाहती थी. ‘फना’के बाद वह एक बेहतरीन फिल्म लेकर आ रहे हैं. लॉक डाउन में छूट मिलने के बाद मैने इस पहली फिल्म की शूटिंग की है. एक एक्साइटेंट था कि सेट पर जल्दी जाएं. क्योकि सभी के लिए रोजी रोटी भी चाहिए. जब मैं इसकी शूटिंग के लिए सेट पर पहुंची, तो क्रू मेंबर, कैमरा असिस्टेंट सहित सभी ने मेरा धन्यवाद अदा किया था कि मैंने शूटिंग करने के लिए हामी भर दी,  इसलिए शूटिंग शुरू हो गयी.

पार्टी तो अभी शुरू हुई है?

-अनुभव सिन्हा कब रिलीज करेंगे, पता  नहीं.

थिएटर में फिल्म के रिलीज होते ही रिस्पॉंस मिलता है. क्या ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज या फिल्म के आने पर उसी तरह का रिस्पांस मिलता है?

-जी हॉ!मिलता है. जब सभी ओटीटी के खिलाफ थे, तब भी मैने पहली भारतीय वेब सीरीज‘इनसाइड एज’की थी. वेब सीरीज लाइव होती है. इन दिनों सिनेमा घर की तरफ लोग डर की वजह से जा नहीं पा रहे हैं.

तो क्या ओटीटी प्लेटफार्म,  सिनेमाघरों का पर्याय बन जाएगा?

-ऐसा नहीं होगा. सिनेमाघर रहेंगे, पर ओटीटी प्लेटफार्म की वजह से दर्शक को एक नया माध्यम मिल गया है,  जिसका लुत्फ वह घर पर बैठे बैठे उठा सकते हैं. ऐसे हालात में अब सिनेमाघरों को भी नई रणनीति बनानी होगी. टिकट के दाम घटाने होंगे.

मगर लोग आरोप लगा रहे हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म पर गंदगी ज्यादा बढ़ गयी है?

-यह आरोप सही है. हिंसा, नग्नता,  सेक्स ज्यादा परोसा जा रहा है. इसीलिए सरकार इसे सेंसर के दायरे में लाने की दिशा में काम कर रही है. देखिए, जब भी कोई नया माध्यम मिलता है, तो पहले लोग पूरी तरह से उसे एक्स्प्लाइट करते हैं. कुछ दिन बाद लोग कहने लगते हैं कि कुछ ज्यादा ही नग्नता परोसी जा रही है. सर जी, आप यह भी मान लीजिए कि कुछ लोग तो सिर्फ यही कर रहे हैं.

बीच में बात चल रही थी कि ‘आल्ट बालाजी’ हमारी फिल्म ‘शकीला’को‘डर्टी पिक्चर्स दो ’की तरह रिलीज करना चाहता है. तब मैने कहा कि इसमें ‘डर्टी पिक्चर्स’जैसे दृश्य नही है. उसके बाद उन्होने हमारे पास अपनी एक वेब सीरीज ‘गंदी बात’का टीजर भेजा. इतना जलील,  हिंसक व नंगा शो लगा कि हमारा मूड़ खराब हो गया. इस तरह के कार्यक्रम छोटे बच्चे ही देख रहे होंगें. अब आप बताइए, आप छोटे बच्चों को कौन सी संस्कृति परोस रहे हैं. जब गांवों में इस तरह के कार्यक्रम छोटी उम्र के बच्चे अपने मोबाइल पर देखते हैं, तो बलात्कार जैसी घृणित कृत्य की तादात बढ़नी तय है. तो जरुरत है कि जल्द से जल्द ऐसे कायक्रमों पर रोक लगायी जाए. इसके लिए सेंसरशिप बहुत जरुरी हो गयी है.

कोरोना के चलते आपकी शादी टल गयी. अब क्या योजना है?

-हम तो जल्द से जल्द शादी करना चाहते हैं. मगर जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक तो सोच नही सकते. हमारे लिए जिम्मेदारी ज्यादा होती है कि हमारे यहां आने वाला कोई भी इंसान कोरोना संक्रमित न होने पाए. हमोर परिवार वाले मेहमानों की सूची कम नही कर सकते. जिसे नहीं बुलाएंगे, उसके लिए मुझे नही बल्कि मेरे माता पिता को गाली पड़ेगी.

कंगना रनौत के साथ आप फिल्म पंगा कर चुकी हैं. तो उन्हे नजदीक से समझा होगा?

-मैने उनके साथ काम किया, हम दोनों ही बहुत प्रोफेशनल हैं. हमने राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की थी. वह बेहतरीन अदाकारा हैं.

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आपको सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है?

-यह ट्रोलिंग थोड़े ही है. कुछ लोग ट्रोलिंग करने के लिए ही नौकरी कर रहे हैं. इसलिए मैं ट्रोलिंग को गंभीरता से नहीं लेती. मुझे लगता है कि बेरोजगारी के वक्त में किसी का घर चल रहा है, तो अच्छी बात है. कुछ समय बाद जब उन्हें कहीं दूसरी जगह अच्छी नौकरी मिल जाती है, तो वह ट्रोलिंग वाली नौकरी छोड़़ देते हैं.

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