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अलविदा 2020: इस साल इन सेलेब्स के घर गूंजी किलकारियां, नए साल में माता-पिता बनेंगे ये स्टार्स

इस बात से तो शायद आप सभी आप सहमत होंगे की साल 2020 पिछले कई सालों से कई मायनों में अलग रहा है, जहाँ एक तरफ ये साल कई लोगों की ज़िन्दगी में बुरा वक़्त लेकर आया है वहीँ दूसरी तरफ ये महामारी भी कई जोड़ों को मात्रत्व और पितृत्व की खुशियों से दूर नहीं कर सकी है. इस साल, दुनिया के कुछ सबसे चहेते जोड़ों ने सोशल मीडिया पर खुशखबरी का ऐलान किया है. तो चलिए जानते है ऐसे ही कुछ celebs के बारे में जिनके घर इस साल नन्हा मेहमान आया या जिनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है-

1-करीना कपूर ख़ान और सैफ अली खान :

बॉलीवुड के पावर कपल करीना कपूर खान और सैफ अली खान बहुत जल्द अपने दूसरे बच्चे का स्वागत करने के लिए काफी उत्साहित हैं. करीना ने एक आधिकारिक बयान जारी कर ये खुशखबरी अपने फैंस को सुनाई. जहाँ बहुत ज़ल्द तैमूर को अपना भाई या बहन मिल जायेगा वहीँ दूसरी मीडिया को भी अपना एक नया स्टार मिल जायेगा.

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2-अनुष्का शर्मा और विराट कोहली:

भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली की पत्नी और मशहूर एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा जल्द ही माँ बनने वाली है.ये खबर शेयर करते हुए विराट कोहली ने अपने instagram पर अनुष्का की बेबी बंप flaunt करते हुए एक तस्वीर भी शेयर की और लिखा की ,”हम जल्द ही तीन होने वाले हैं.” साल 2021 में उनके घर एक नन्हा मेहमान आने वाला है.

 

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हम आपको बता दे की विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने दिसम्बर 2017 में इटली में शादी की थी .हाल ही में विराट ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात को कुबूल किया था की उन्होंने कभी भी अनुष्का को फॉर्मल तरीके से प्रपोज नहीं किया ,फिर भी आज इनका रिश्ता बहुत ही खूबसूरत मोड़ पर आ गया है.

3- अनीता हसनंदानी और रोहित रेड्डी-

नागिन, ये है मोहब्बतें, काव्यांजली फेम अभिनेत्री अनीता हसनंदानी जल्द ही मां बनने वाली हैं. उन्‍होंने बिना किसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नैचुरली कंसीव किया है. अनीता की डिलीवरी अगले साल फरवरी में होगी.

 

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अनीता और उनके पति रोहित रेड्डी ने इस खुशी को फैंस के साथ कुछ दिन पहले ही साझा किया है. अनीता और रोहित ने एक क्यूट वीडियो साझा किया. जिसमें अनीता अपना बेबी बंप फ्लॉन्ट करती हुई नजर आई थीं.

प्रेगनेंसी की खबर देने के बाद अनीता ने बताया कि उन्‍हें 30 के बाद मां बनने में काफी हिचक हो रही थी, उन्‍हें नहीं लगा था कि वो 39 की उम्र में नैचुरली कंसीव कर पाएंगी. अब जब उन्‍होंने कंसीव कर लिया है तो उन्‍हें लगता है कि उम्र बस एक नंबर होता है.

अनीता ने कहा कि उन्‍होंने पिछले साल ही तय कर लिया था कि अब वो पैरेंट बनने के लिए तैयार हैं और लॉकडाउन का समय दोनों को बिल्‍कुल सही लगा. इस उम्र में मां बनने पर अनीता का कहना है कि अगर आप मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हैं तो आप किसी भी उम्र में नैचुरली कंसीव कर सकती हैं.

4- करणवीर बोहरा और टीजे सिद्धू –

 

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टीवी के जाने-माने एक्टर करणवीर बोहरा के घर नन्हा मेहमान आया है. पत्नी टीजे सिद्धू ने बेबी गर्ल को जन्म दिया है. रविवार को करणवीर बोहरा ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वह हाथ में प्रैम लेकर हॉस्पिटल में एंट्री करते नजर आ रहे थे. उन्होंने बताया था कि टीजे को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है और नन्हा मेहमान किसी भी समय आने वाला है.

करणवीर बोहरा ने आगे कहा, “मेरे घर एक बेटी ने जन्म लिया है. हम दोनों ही वैंकूवर में हैं.शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता मेरी नसों में जो खुशी की लहर दौड़ रही है. मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि तीन-तीन बेटियों का पिता बन गया हूं. जिंदगी इससे ज्यादा खूबसूरत नहीं हो सकती थी. सोचो मैं इन तीनों रानियों के साथ राज जिंदगी में राज करूंगा. भगवान इन खूबसूरत परियों के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. मैं इनकी बहुत देखभाल करूंगा क्योंकि ये मेरी तीन देवियां हैं. मेरी लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती. आप मुझे चार्ली कह सकते हैं क्योंकि यहां तीन परियां हैं.

5–शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा :

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी इस साल तब काफी चर्चा में रही जब उन्होंने अपनी बेटी के जन्म के बारे में बताकर सभी को हैरान कर दिया.शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सरोगेसी के ज़रिये दूसरी बार पेरेंट्स बने है.
बेटी के ज़न्म के बारे में खुद शिल्पा ने बताया की वह पिछले 5 साल से दूसरे बच्चे के लिए कोशिश कर रही थी और सरोगेसी के ज़रिये अब जाकर उनका यह सपना पूरा हुआ है.

6- अमृता राव और RJ अनमोल:

शादी के 4 साल बाद अमृता राव के घर में किलकारियां गूंजी है.अभिनेत्री ने एक बेटे को जन्म दिया है.अमृता राव ने अपनी प्रेगनेंसी की बात को लम्बे समय तक छिपाए रखा था.नौवे महीने में उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिये इस बात की जानकारी दी थी.अमृता ने इस बात को छिपाने के लिए अपने फेंस से माफ़ी भी मांगी.

उन्होंने लिखा था,”मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है की मै इस अच्छी खबर को अपने दोस्तों और अपने प्रशंसको के साथ साझा कर रही हूँ साथ ही मै आप लोगों से माफ़ी मांगना चाहती हूँ की यह खबर मेरी वजह से आप लोगों के पास अब तक नहीं पहुँच सकी”.

हम आपको बता दे की 15 मई 2016 को अमृता और अनमोल ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी जिसमे उनके घरवाले और कुछ दोस्त ही शामिल थे .शादी से पहले अमृता और अनमोल ने एक दुसरे को 7 साल डेट किया था .

7- पूजा बनर्जी और कुणाल वर्मा –

‘देवों के देव महादेव’ की पार्वती यानि टीवी एक्ट्रेस पूजा बनर्जी और उनके पति कुणाल वर्मा पेरेंट्स बन गए हैं. पूजा 9 अक्टूबर को बेटे को जन्म दिया है. कुणाल ने एक न्यूज़ पोर्टल से बात करते हुए इसकी जानकारी दी है. कुणाल ने कहा, “पूजा और मैं बहुत खुश हैं. हमें यह बताते हुए खुशी है कि आज हम एक बेटे के पैरेंट्स बन गए. जब पूजा ने बेटे को जन्म दिया तब मैं उनके साथ ऑपरेशन थिएटर में था. दोनों स्वस्थ हैं और हम भगवान के आशीर्वाद के लिए बहुत आभारी हैं.”
हम आपको बता दें कि पूजा बनर्जी और कुणाल वर्मा ने मार्च के महीने में ही कोर्ट मैरिज कर ली थी. इसकी जानकारी पूजा ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए फैन्स को दी थी. इसके बाद 15 अप्रैल को दोनों पारंपरिक रीति-रिवाज से शादी करने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण ऐसा नहीं हो पाया.
पूजा ने शादी की अनाउंसमेंट करने के साथ ये भी बताया था कि दोनों शादी पर जो खर्चा करने वाले थे, उन पैसों को वो कोरोना की वजह से पीड़ित लोगों की मदद करेंगे.

8- हार्दिक पंड्या और नतासा स्टैनकोविस :

 

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टीम India के ऑल राउंडर खिलाडी हार्दिक पंड्या की पत्नी नतासा स्टैनकोविस ने साल 30 जुलाई 2020 में एक बेटे को जन्म दिया. हम आपको बता दे की हार्दिक ने अपने Instagram पर अपनी मंगेतर नतासा स्टैनकोविस के साथ अपनी 4 तस्वीरे पोस्ट करके नताशा की प्रेगनेंसी की बात सबके सामने ला दी थी.नताशा की प्रेगनेंसी के कुछ ही महीनो पहले हार्दिक पंड्या ने उनसे सगाई की थी लेकिन कोरोना वायरस में लॉक-डाउन की वज़ह से उन्होंने अपनी शादी की तारीख आगे बढ़ा दी.बाद में खबरे आई की उन्होंने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली.

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9- एक्ट्रेस सागरिका घाटगे और क्रिकेटर ज़हीर खान:

‘चक दे’ एक्ट्रेस सागरिका घाटगे और क्रिकेटर ज़हीर खान जल्द ही पैरेंट्स बनने वाले हैं. उनके घर एक नन्हा मेहमान आने वाला है .इस बात की पुष्टि उनके बहुत ही करीबी मित्र ने की.  हम आपको बता दे ज़हीर और सागरिका हमेशा से ही मीडिया की नज़रों से अपने निजी जीवन को दूर रखने की कोशिश करते रहे हैं और इसमें ये कामयाब भी रहे है.ज़हीर खान और सागरिका ने अपने रिश्ते पर मुहर तब लगाई जब ये दोनों एक साथ युवराज सिंह और हेज़ल केच की शादी में पहुँचे .सागरिका ने सगाई का अनाउंसमेंट भी बहुत ही प्यारे अंदाज़ में किया था.

मेहंदी से लेकर शादी के रिसेप्शन तक छाया गौहर खान का जलवा, देखें फोटोज

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 7 की विनर रह चुकीं एक्ट्रेस गौहर खान ने बीते दिनों 11 साल छोटे मंगेतर औऱ कोरियोग्राफर जैद दरबार संग शादी कर ली हैं, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर तहलका मचा रही हैं. वहीं शादी से जुड़े हर फंक्शन में गौहर का लुक लड़कियों को बेहद पसंद आ रहा है. इसीलिए आज हम आपके लिए गौहर खान के शादी के फंक्शन के हर लुक आपके लिए लेकर आए हैं, जिसे आप अपनी शादी के लिए ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं गौहर खान के लुक्स…

1. रस्मों की शुरुआत में कुछ यूं था गौहर का लुक

निकाह से पहले गौहर और जैद की चिक्सा का रस्म हुई, जिसकी फोटोज और वीडियो दोनों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की थी. वहीं लुक की बात करें तो गौहर यैलो कलर के प्रिंटेड कारीगरी वाले लहंगे में नजर आईं, जिसके साथ उन्होंने मैचिंग ज्वैलरी पहनी थीं. गौहर का ये लुक किसी भी वैडिंग फंक्शन के लिए परफेक्ट लुक में से एक है.

 

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2. मेहंदी लुक था सबसे अलग

 

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अक्सर हर कोई मेहंदी सेरेमनी के लिए हरा रंग तलाश करता है, लेकिन गौहर ने अपनी मेहंदी सेरेमनी के लिए पीले रंग का चुनाव किया. मिरर वर्क वाले ब्लाउज के साथ गौहर का सिंपल लहंगा बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं इसके साथ फ्लावर ज्वैलरी काफी खूबसूरत लग रही थी.

3. संगीत सेरेमनी के लिए शरारा था खास

 

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संगीत सेरेमनी की बात करें तो गौहर का लुक इसमें भी खास था. फुलकारी वाली कारगरी वाला शरारा का औप्शन गौहर ने चुना था, जिसके साथ मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक पर चार चांद लगा रही थी. वहीं फैंस को भी उनका ये लुक खास पसंद आया था.

4.  शादी के लुक में छाया गौहर का जादू

 

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अपने निकाह के लुक के लिए गौहर ने गोल्डन और क्रीम कलर का चुनाव किया था, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. इसके साथ हैवी ज्वैलरी उनके निकाह लुक को कम्पलीट कर रही थीं. शरारा कौम्बिनेशन वाला गौहर का ये लुक किसी भी दुल्हन के लिए परफेक्ट औप्शन है.

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5. रिसेप्शन में महारानी बनकर पहुंची थीं गौहर

 

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शादी के बाद रिसेप्शन सेलिब्रेशन की बात करें तो गौहर खान ने डार्क रेड और गोल्डन कलर के लहंगे में धासूं एंट्री मारी थी. वहीं इस लुक के साथ उनकी मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक को महारानी जैसा फील करा रही थी.

वहम है अकेलापन

समय पर विवाह न हो पाने, जीवनरूपी सफर में हमसफर द्वारा बीच में ही साथ छोड़ देने या पतिपत्नी में आपसी तालमेल न हो पाने पर जब तलाक हो जाता है तो ऐसी स्थिति में एक महिला अकेले जीवन व्यतीत करती है. लगभग 1 दशक पूर्व तक इस प्रकार अकेले जीवन बिताने वाली महिला को समाज अच्छी नजर से नहीं देखता था और आमतौर पर वह पिता, भाई या ससुराल वालों पर निर्भर होती थी. मगर आज स्थितियां इस के उलट हैं. आज अकेली रहने वाली महिला आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और जीवन में आने वाली हर स्थिति का अपने दम पर सामना करने में सक्षम है.

‘‘यह सही है कि हर रिश्ते की भांति पतिपत्नी के रिश्ते का भी जीवन में अपना महत्त्व है, परंतु यदि यह रिश्ता नहीं है आप के साथ तो उस के लिए पूरी जिंदगी परेशान और तनावग्रस्त रहना कहां तक उचित है? यह अकेलापन सिर्फ मन का वहम है और कुछ नहीं. इंसान और महिला होने का गौरव जो सिर्फ एक बार ही मिला है उसे मैं अपने तरीके से जीने के लिए आजाद हूं,’’ यह कहती हैं एक कंपनी में मैनेजर 41 वर्षीय अविवाहिता नेहा गोयल. वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं आत्मनिर्भर हूं. अपनी मरजी का खाती हूं, पहनती हूं यानी जीती हूं.

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घर की स्थितियां कुछ ऐसी थीं कि मेरा विवाह नहीं हो पाया, परंतु मुझे कभी जीवनसाथी की कमी नहीं खली, बल्कि मुझे लगता है कि यदि मेरा विवाह होता तो शायद मैं इतनी आजाद और बिंदास नहीं होती. तब मेरी उन्नति में मेरी जिम्मेदारियां आड़े आ सकती थीं. मैं अभी तक 8 प्रमोशन ले चुकी हूं, जिन्हें यकीनन परिवार के चलते नहीं ले सकती थी.’’ केंद्रीय विद्यालय से प्रिसिंपल पद से रिटायर हुईं नीता श्रीवास्तव का अपने पति से उस समय तलाक हुआ जब वे 45 वर्ष की थीं और उन का बेटा 15 साल का. वे कहती हैं, ‘‘कैसा अकेलापन? मैं आत्मनिर्भर थी.

अच्छा कमा रही थी. बेटे को अच्छी परवरिश दे कर डाक्टर बनाया. अच्छा खाया, पहना और खूब घूमी. पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर बिताई. कभी मन में खयाल ही नहीं आया कि मैं अकेली हूं. जो नहीं है या छोड़ गया है, उस के लिए जो मेरे पास है उस की कद्र न करना कहां की बुद्धिमानी है?’’

रीमा तोमर के पति उन्हें उस समय छोड़ गए जब उन का बेटा 10 साल का और बेटी 8 साल की थी. उन की उम्र 48 वर्ष थी. पति डीएसपी थे. अचानक एक दिन उन्हें अटैक आया और वे चल बसे. अपने उन दिनों को याद करते हुए वे कहती है, ‘‘यकीनन मेरे लिए वे दिन कठिन थे. संभलने में थोड़ा वक्त तो लगा पर फिर मैं ने जीवन अपने तरीके से जीया.

आज मेरा बेटा एक स्कूल का मालिक है और बेटी अमेरिका में है. पति के साथ बिताए पल याद तो आते थे, परंतु कभी किसी पुरुष की कमी महसूस नहीं हुई. मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश थी और आज भी हूं.’’ मनोवैज्ञानिक काउंसलर निधि तिवारी कहतीं हैं, ‘‘अकेलापन मन के वहम के अलावा कुछ नहीं है. कितनी महिलाएं जीवनसाथी और भरेपूरे परिवार के होते हुए भी सदैव अकेली ही होती हैं. वंश को बढ़ाने और शारीरिक जरूरतों के लिए एक पति की आवश्यकता तो होती है, परंतु यदि मन, विचार नहीं मिलते तो वह अकेली ही है न? इसलिए अकेलेपन जैसी भावना मन में कभी नहीं आने देनी चाहिए.’’

अकेली औरतें ज्यादा सफल कुछ समय पूर्व एक दैनिक पेपर में एक सर्वे प्रकाशित हुआ था जो अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं पर कराया गया था. उस के अनुसार:

अकेली रहने वाली 93% महिलाएं मानती हैं कि उन का अकेलापन गृहस्थ महिलाओं की तुलना में जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल रहने में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है. इस से उन्हें आजादी से जीवन जीने का अधिकार मिला है.

65% महिलाएं जीवन में पति की आवश्यकता को व्यर्थ मानती हैं और वे विवाह के लिए बिलकुल भी इच्छुक नहीं हैं. द्य आवश्यकता पड़ने पर विवाह करने के बजाय इन्होंने किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना अधिक अच्छा समझा.

इन्हें कभी खालीपन नहीं अखरता. ये अपनी रुचि के अनुसार सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती है और आधुनिक मनोरंजन के साधनों का लाभ उठाती हैं. चिंतामुक्त हो कर जी भर कर सोती हैं.

इस सर्वेक्षण के अनुसार एकाकी जीवन जीने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या के अनुपात में बहुत कम है.

बढ़ रहा सिंगल वूमन ट्रैंड

पिछले दशक से यदि तुलना की जाए तो एकाकी जीवन जीने वाली महिलाओं की संख्या में 39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. विदेशों में अकेले जीवन जीने वाली महिलाओं की उपस्थिति समाज में बहुत पहले से ही है, साथ ही वहां वे उपेक्षा और उत्पीड़न की शिकार भी नहीं होतीं. भारतीय समाज में 1 दशक में महिलाओं की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है. हाल ही में आई पुस्तक ‘आल द सिंगल लेडीज अनमैरिड वूमन ऐंड द राइज औफ एन इंडिपैंडैंट नेशन’ की लेखिका रेबेका टेस्टर के अनुसार 2009 के अनुपात में इस दशक में सिंगल महिलाओं की बढ़ती संख्या समाज में उन के महत्त्व का दर्ज कराती है.

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यह सही है कि हर रिश्ते की अपनी गरिमा और महत्त्व होता है. अकेलापन सिर्फ मन का वहम तो है, परंतु इस के लिए सब से आवश्यक शर्त है महिला की आत्मनिर्भरता और आत्मशक्ति का मजबूत होना, क्योंकि यदि वह आत्मनिर्भर नहीं है तो उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पराधीन होना होगा. पराधीनता तो सदैव कष्टकारी ही होती है. आत्मनिर्भरता की स्थिति में उस पर किसी का दबाव नहीं होता और अपने ऊपर उंगली उठाने वालों को भी मुंहतोड़ जवाब दे पाने में सक्षम होती है. ‘‘अकेले रहने वाली महिलाओं को अपनी आत्मशक्ति को मजबूत रखना चाहिए. जो जिंदगी आप ने चुनी है उस में खुश रहना चाहिए. कभी किसी को अपने पति के साथ देख कर मन को कमजोर करने वाले विचार नहीं आने चाहिए,’’ यह कहती हैं नीता श्रीवास्तव.

जब भी कभी ऐसा अवसर जीवन में आता है तो इसे सिर्फ अपने मन का वहम मानें और सचाई को स्वीकार कर के जीवन को आगे बढ़ाएं. जिंदगी जिंदादिली का नाम है न कि किसी के सहारे का मुहताज होने का. स्वयं को अंदर से मजबूत कर के अपनी शक्ति को सामाजिक और रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए. साथ ही कुछ ऐसे संसाधनों को भी खोजना चाहिए जिन में आप व्यस्त रहें.

कदम बढ़ाइये… जिंदगी छूटने न पाये…

“सैर! वो भी सुबह की… अरे! कहाँ? समय ही नहीं मिलता…” किसी भी महिला से पूछ कर देखिये… यही जवाब मिलेगा. अगर आप का भी यही जवाब है तो ये लेख आपके लिए ही है.

“जीवन चलने का नाम… चलते रहो सुबहोशाम…” 70 के दशक की हिंदी फिल्म “शोर” के इस लोकप्रिय गीत में जैसे जीने का सार छिपा है. जी हाँ! चलना ही जीवन की निशानी है. जब तक कदम चलगें… तब तक जिंदगी…

आज की इस अतिव्यस्त जीवनशैली में हम जैसे चलना भूल ही गए हैं. हमें खुद से ज्यादा मशीनों पर भरोसा होने लगा है. मशीनें हमारी मजबूती नहीं बल्कि मजबूरी बन गई हैं. इन पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक हो गई है कि हमने अपनी निजी मशीन यानि शरीर की सारसंभाल लगभग बंद ही कर दी है. नतीजा…. इस कुदरती मशीन को जंग लगने लगा है…. इसके पार्ट्स खराब होने लगे हैं…

आज के इस दौर में लगभग हर वह व्यक्ति जो 40 पार जाने लगा है, किसी न किसी शारीरिक परेशानी से जूझ रहा है. कई बीमारियाँ जैसे मानसिक तनाव, दिल की बीमारियाँ आदि तो 40 की उम्र का भी इंतज़ार नहीं करती… बस! जरा सी लापरवाही… और व्यक्ति को तुरंत अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं.

डायबिटीज, रक्तचाप, थायराइड, मानसिक तनाव हो या गर्भावस्था… डॉक्टर सबसे पहले मरीज को सुबह-शाम घूमने की सलाह देते हैं. यह सबसे सस्ता और आसान व्यायाम है जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है. कहते हैं कि सुबह की सैर व्यक्ति को दिन भर उर्जावान रखती है मगर यदि किसी कारणवश सुबह सैर का वक्त न मिले तो शाम को भी की जा सकती है. बस! इतना ध्यान रखें कि दोपहर के भोजन और सैर के बीच कम से कम 3-4 घंटे का अंतराल अवश्य रखें.

नियमित सैर के शारीरिक फायदे

1. सैर करने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं. जोड़ों और मांसपेशियों को नई उर्जा मिलती है.

2. रक्त प्रवाह सही रहता है जो कि ह्रदय को स्वस्थ रखता है.

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3. पाचनतंत्र मजबूत होता है.

4. रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य रखने में भी सैर बहुत लाभदायक है.

5. मोटापा कम होता है. शरीर स्वस्थ और आकर्षक रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है.

6. दिमाग तरोताजा और क्रियाशील रहता है.

7. आस-पास दिखने वाली हरियाली आँखों को सुकून और ठंडक देती है.

नियमित सैर के सामाजिक फायदे

सैर करने के कई सामाजिक फायदे भी हैं मगर इसका अर्थ ये कदापि नहीं है कि आप अपनी सैर भूल कर गप्पबाजी करने लगें. इसके लिए सैर करने के पश्चात कुछ समय पार्क में शांति से बैठें, प्रकृति को नजदीक से महसूस करें और अपने आस-पास के माहौल में घुलने-मिलने का प्रयास करें.

1. यदि आप नियमित सैर पर जाती हैं तो बहुत से नए लोगों से आपकी जान पहचान बनती है और आपका सामाजिक दायरा विस्तृत होता है.

2. आस-पास की वे ताजा ख़बरें मिल जाती हैं जो सामान्य अखबार में नहीं होती.

3. विचारों का आदान-प्रदान होने से नए विचार जगह बनाते हैं और आपकी क्रियाशीलता बढ़ती है.

4. जाने-अनजाने कई सामाजिक समस्याओं के समाधान मिल जाते हैं.

5. कई बार आपसी जान-पहचान रिश्तेदारी में भी बदल जाती है.

6. यदि आप क्रियाशील व्यक्तित्त्व की स्वामिनी हैं तो नियमित सैर करना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं. सैर करते समय दिमाग बहुत क्रियाशील रहता है और आपको बहुत से नए और अनोखे आइडियाज आ सकते हैं जो आपकी क्रियाशीलता को निसंदेह बढ़ाएंगे.

हालाँकि सैर करना सबसे आसान व्यायाम कहलाता है मगर फिर भी कुछ सावधानियां रखना अतिआवश्यक है.

सैर के दौरान क्या करें-

1. सैर करने का समय निश्चित रखें और इसका पालन करें.

2. सैर चाहे सुबह हो या शाम, हमेशा आरामदायक जूते पहन कर ही करें.

3. इस दौरान पहने जाने वाले कपड़े भी आरामदायक होने चाहियें.

4. सैर के लिए किसी हरियाली वाली जगह को ही चुने. हरे-भरे पार्क आपको अपनी सैर नियमित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

5. सैर करते समय थोड़ी गहरी साँसे लें.

6. यदि लम्बी सैर करनी हो तो अपने साथ पानी की बोतल अवश्य रखें.

7. सैर के समय पेट खाली रखें.

8. सर्दियाँ हों तो आवश्यक गर्म कपड़े पहन कर सैर पर जायें.

9. अतिआवश्यक कार्य निपटा कर सैर पर निकलें ताकि दिमाग व्यर्थ में उलझे नहीं.

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सैर के दौरान क्या न करें-

1. पहले ही दिन ज्यादा सैर करने की ना सोचें अन्यथा अधिक थकान होने से आगे के लिए उत्साह मंद पड़ सकता है.

2. सैर न करने के बहाने न खोजें.

3. सैर करते समय बातें न करें.

4. सैर करते समय पहने जाने वाले कपड़े न तो अधिक ढीले हों और न ही ज्यादा कसे हुए.

5. सैर करने के लिए ऐसी जगह न चुनें जिसमें घुमाव या मोड़ अधिक हों. जगह समतल और एकसार होनी चाहिए ताकि गति में लय बनी रहे.

6. सैर करते समय मुँह से सांस ना लें.

7. ईयर फोन लगा कर गाने सुनें मगर आवाज तेज न रखें.

8. शारीरिक चोट के दौरान सैर करने से बचें.

तो अब सोचना छोडिये… सैर को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइये और थाम लीजिये भागती जिन्दगी की डोर अपने हाथ में…

किडनी स्टोन से बचाए लो ऑक्सीलेट डाइट

यदि आप की किडनी में पथरी है तो आप को पता होगा कि लो ऑक्सीलेट डाइट क्या होती है. जिन लोगों को किडनी मे स्टोन कि समस्या होती है उन्हे डॉक्टर इसी प्रकार की डाइट सुझाते हैं. परन्तु क्या यह सच मे प्रभावकारी है? क्या इससे आप के किडनी स्टोन को कम होने में किसी प्रकार की मदद मिलती है या नहीं. आइए जानते हैं लो ऑक्सीलेट डाइट के बारे में. इसमें आप क्या क्या चीजें खा सकते हैं और कौन कौन सी चीजें खाने से आप को बचना है? आज हम इन सभी प्रश्नों के बारे में जानेंगे.

ऑक्सालिक एसिड एक तत्त्व है जोकि आप का शरीर बनाता है. यदि यह आप के शरीर द्वारा कम उपजता है तो आप इसे कुछ खाद्य पदार्थों द्वारा भी प्राकृतिक रूप से अपने शरीर में ले जा सकते हैं. इस तत्त्व का व कैल्शियम का आप के यूरिनरी ट्रैक्ट में कम मात्रा में होना आम तौर पर आप को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं देता है..

परन्तु कुछ केस में यह दोनो तत्त्व इकठ्ठे हो जाते हैं और कैल्शियम ऑक्सीलेट नामक किडनी स्टोन बना लेते हैं. यह उन लोगों में आम होता है जिनका शरीर यूरिन की कम मात्रा बना पाता है. अतः यदि आप को इस प्रकार का किडनी स्टोन हो जाता है तो आप को अपनी डाइट से ऑक्सीलेट की मात्रा बहुत कम कर देनी चाहिए.

कैसे पालन करें एक लो ऑक्सीलेट डाइट का?

इस डाइट का मतलब है कि उन चीजों को कम करना जिनमे ऑक्सीलेट की मात्रा कम होती है. कुछ भोजन जोकि ऑक्सीलेट में हाई होते हैं वह कुछ फल व सब्जियां, नट्स, अनाज आदि होते हैं. बहुत से विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आप को एक दिन में 40-50 मिली ग्राम से कम ऑक्सीलेट खाना चाहिए.

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क्या खाएं और किन चीज़ों को खाने से बचें?

निम्न चीजें आप को खानी चाहिए:

फल – फलों में केला, जामुन, चैरी, स्ट्रॉबेरी, सेब, अप्रीकोट, नींबू व आलूबुखारा खा सकते हैं.

सब्जी – मस्टर्ड ग्रीन, ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मशरुम, प्याज, मटर आदि.

अनाज – सफेद चावल, मक्की का आटा व ओट्स.

प्रोटीन – अंडे, मीट, मछली, पोल्ट्री.

डेयरी पदार्थ – दही, दूध, चीज, बटर.

मसाले – दालचीनी, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि.

निम्न चीजें खाने से बचें:

फल – कीवी, खजूर, रास्पबेरी, संतरे आदि.

सब्जियां – पालक, आलू, ओकरा, गाजर, बीट्स आदि.

दाल – राजमा दाल, नेवी बीन्स, रिफ्रेड बीन्स आदि.

नट्स – अखरोट, काजू, बदाम, पिस्ता आदि..

चॉकलेट व कोकोआ.

अनाज- ब्राउन राइस, मिलेट, बल्गुर, कॉर्नमील आदि.

क्या यह डाइट किडनी स्टोन से बचने में सहायक है?

कुछ रिसर्च का कहना है कि किडनी स्टोन हाई ऑक्सीलेट के कारण होता है. यदि आप ऑक्सीलेट को अपनी डाइट से कम नहीं कर सकते हैं तो आप को अपना कैल्शियम इन टेक बढ़ा देना चाहिए. यह भी आप को किडनी स्टोन से बचा सकता है. आप किडनी स्टोन से बचने के लिए निम्न टिप्स को भी अपना सकते हैं.

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नमक का सेवन कम करें : यदि आप ज्यादा नमक खाते हैं तो भी आप को किडनी स्टोन होने का रिस्क होता है. अतः अपना नमक का सेवन कम करें.

विटामिन सी के सप्लीमेंट लेना बंद करें : आप का शरीर विटामिन सी को ऑक्सीलेट में बदलता है. इसलिए आप को विटामिन सी भी अधिक मात्रा मे नहीं लेना चाहिए.

स्वयं को हाइड्रेटेड रखें : यदि आप अधिक पानी पिएंगे तो आप का शरीर यूरिन भी अधिक बनाएगा. अतः स्वयं को हाइड्रेटेड रखें.

घर सजाते समय कभी न करें ये 12 गलतियां

घर को सजाने की चाह में कई बार रचनात्मकता अपना कमाल दिखाती है मगर कभी-कभी गलतियां भी हो जाती हैं. फ्लैट छोटा हो और फर्नीचर बड़ा, पेंडेंट लाइट्स ज्यादा ऊपर हों, रग्स का सही चुनाव न किया जाए तो घर बेमेल सा नजर आने लगता है. थोड़ी समझदारी बरतें तो इन गलतियों से बचा जा सकता है या इन्हें सुधारा जा सकता है.

1. पर्दे

डेकोरेशन का नियम कहता है कि पर्दे फ्लोर लेंथ से लगभग एक इंच कम हों. कई बार पर्दे या तो फर्श को छूने लगते हैं या फिर कुछ ज्यादा ही छोटे हो जाते हैं. डेकोर की यह आम समस्या है.

2. टिप

बेहतर होगा कि पहले दरवाजे या खिड़कियों की नाप सही ढंग से लें. अगर फैब्रिक सिल्क का नहीं है तो हाइट थोड़ी ज्‍यादा रखें क्योंकि कई बार कॉटन फैब्रिक धोने के बाद सिकुड़ जाता है. वैसे इस समस्या से बचने के लिए इन्हें ड्राईक्लीन कराएं या फिर घर में धोने के बाद अच्छी तरह इस्तरी करें.

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3. फोटो फ्रेम्स

कई बार फैमिली फोटो फ्रेम्स या पेंटिंग्स की हाइट इतनी ऊंची हो जाती है कि उनकी डिटेलिंग समझ नहीं आती. ग्रुप में लगे फ्रेम्स अच्छे जरूर लगते हैं लेकिन इतने भी नहीं कि पूरी दीवार पर यही नजर आने लगें.

4. टिप

अगर घर में आर्ट गैलरी खोलना नहीं चाहती हों तो फ्रेम्स को ज्‍यादा हाइट पर न लगाएं. इन्हें फर्नीचर से 10-12 इंच या फ्लोर से लगभग 5 फिट ऊपर लगाएं ताकि ये आसानी से नजर आ सकें. व्यावहारिक सुझाव यह है कि फ्रेम्स इतने ऊपर हों कि सामान्य हाइट वाला व्यक्ति भी इन्हें देख सके और लोगों को अपनी गर्दन को स्ट्रेच करके इन्हें न देखना पड़े.

5. कार्बन कॉपी

सभी लोग किसी न किसी इंटीरियर थीम से प्रेरित होते हैं. दोस्तों, कलीग्स के घरों के अलावा फिल्मों-टीवी सीरियल्स और पत्रिकाओं में प्रकाशित घर भी उन्हें प्रेरित करते हैं. कई बार वे वैसी ही सजावट अपने घर में चाहते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि अपने घर को दूसरे के घरों की कार्बन कॉपी बना दें. घर में अपनी निजी पसंद, शौक, व्यक्तित्व, प्रोफेशन और स्टाइल की झलक भी मिलनी चाहिए.

6. टिप

किसी से प्रेरित होने से पहले सोचें कि क्या वह खास पैटर्न, फर्नीचर, फैब्रिक या वॉल कलर आपके घर के साइज, जरूरतों और उसमें रहने वालों की पसंद के अनुरूप है? घर में अपने व्यक्तित्व और रचनात्मकता की छाप होनी चाहिए. यह बात जरूर ध्यान में रखें कि घर रहने के लिए होता है. उसे इतना न सजाएं कि वह फाइव स्टार होटल में तब्दील हो जाए.

7. लाइटिंग

अमूमन घरों में सीलिंग या ओवरहेड लाइटिंग की व्यवस्था होती है. यूं भी फ्लैट सिस्टम में बिल्डर जितना देता है, उतने में ही संतुष्ट होना पड़ता है मगर कई बार लाइटिंग की अपर्याप्त व्यवस्था घर को नीरस या उदासीन बना देती है. इसलिए सीलिंग लाइट्स के अलावा भी घर में लाइटिंग की उचित व्यवस्था करें.

8. टिप

थोड़ा सा मेकओवर घर को जीवंत और ऊर्जा से भरा हुआ बना सकता है. घर की लाइटिंग में फेरबदल करें. फॉल्स सीलिंग के अलावा फ्लोर लैंप्स, पेंडेंट लाइट्स, टास्क लाइटिंग और ओवरहेड लाइटिंग लगवाएं. जिन आर्ट पीसेज या पेंटिंग्स को हाइलाइट करना चाहते हैं, उनमें हाइलाइटर लगवाएं.

9. दीवार से सटे फर्नीचर

स्पेस मैनेजमेंट कहें या सजावट का पारंपरिक तरीका, अमूमन घरों में फर्नीचर को दीवार से सटाने का नियम चला आ रहा है. कई घरों में तो सेंटर टेबल भी सेंटर के बजाय दीवार से सटा कर रखी जाती है. इस फ्लोर प्लैन में थोड़ा सा बदलाव जरूरी है.

10. टिप

भले ही घर छोटा हो, अपने सारे फर्नीचर्स दीवार से सटा कर न रखें. दीवार से 2-3 इंच दूरी पर सामान रखेंगे तो न सिर्फ जगह ज्‍यादा खुली दिखेगी बल्कि फर्नीचर और दीवार की खूबसूरती भी निखर कर आएगी.

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11. ड्रॉइंग रूम

अमूमन घरों में लिविंग स्पेस या ड्रॉइंग रूम के डेकोर पर ज्‍यादा ध्यान दिया जाता है. कारण यह है कि मेहमानों का स्वागत यहीं होता है. इस कारण कई बार ड्रॉइंग रूम में सारी सुंदर कलाकृतियां, देश-विदेश से खरीदी गई पेंटिंग्स या आर्ट पीसेज, कार्पेट्स, रग्स, लैंप्स, अवॉर्ड्स गिफ्ट्स सजा दिए जाते हैं. छोटे से स्पेस में इतने फोकल पॉइंट्स न तैयार करें कि नजर कहीं भी ठहर न पाए.

12. टिप

जरूरी नहीं कि सारे फोटो फ्रेम्स ड्रॉइंग रूम में लगा दें, सीढियों के नीचे या पैसेज में भी इन्हें लगा सकते हैं. अवॉर्ड्स को शोकेस करना चाहते हैं तो बार को डाइनिंग एरिया या कमरे के किसी दूसरे कॉर्नर पर शिफ्ट करें.

मास्क के साथ मेकअप में किन बातों का रखें ध्यान

कोविड-19 के इस समय में मास्क हमारी जिंदगी का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है. जिंदगी भले ही ढर्रे पर लौटने लगी है लेकिन मास्क ने हमारे आधे चेहरे को ढक रखा है. ऐसे में ऑफिस जाना हो, दोस्तों के साथ बाहर निकलना हो या किसी शादी की पार्टी वगैरह में जाना हो, मेकअप करते समय मास्क आड़े आने लगता है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि मास्क के साथ हमारा मेकअप कैसा होना चाहिए ताकि हम ऑलटाइम खूबसूरत भी दिखें और सावधानी के लिए मास्क का साथ भी न छूटे. आइए जानते हैं मास्क के साथ मेकअप करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए;

जरूरी है लॉन्ग लास्टिंग मेकअप

मास्क के साथ मेकअप करते समय हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए मेकअप को लंबे समय तक टिकाए रखना ताकि मास्क के कारण आए पसीने से मेकअप जल्दी खराब न हो या फिर मेकअप का कुछ हिस्सा मास्क में लगा न रह जाए.

मेकअप करने से पहले हमेशा अपनी स्किन टाइप का ख्याल रखें. नियमित रूप से स्किन की क्लीनिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइज़िंग करें. हर रोज चेहरे की क्लीनिंग जरूरी है ताकि चेहरा साफ रहे और गंदगी से पैदा होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स या स्पॉट्स न हो. इसी तरह स्किन को मॉइस्चराइज करना भी बहुत जरूरी है. प्रदूषण की वजह से चेहरे पर काफी डेड स्किन आ जाते हैं. ऐसे में अगर हम अच्छा मॉइश्चराइजर यूज करते हैं तो स्किन हैल्दी बनी रहती है और आप का मेकअप सही ढंग से टिक पाता है.

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इस के बाद प्राइमर लगाना न भूलें. प्राइमर आप की स्किन पर लगाए गए मेकअप को लंबे समय तक लॉक रखने में मदद करता है. यदि आप की स्किन ऑयली है और आप मास्क लगाती हैं तो मेकअप मास्क में आ जाता है. ऐसे में प्राइमर लगा कर आप इस समस्या से बच सकती हैं क्योंकि प्राइमर आप के ओपन पोर्स को बंद कर देता है और मेकअप को लोंगलास्टिंग बनाता है यानी फिर मेकअप ज्यादा देर तक टिकता है.

मेकअप टिप्स

अब हम बात करेंगे मेकअप की. सब से पहले मेकअप प्रोडक्ट्स लेने से पहले इस बात का ख्याल रखें कि आप की स्किन टाइप क्या है. उस के अनुरूप ही हमें प्रोडक्ट्स यूज करने चाहिए. यदि आप की स्किन ड्राई है तो क्रीमबेस्ड प्रोडक्ट यूज करें और यदि स्किन ऑयली है तो वाटरबेस्ड प्रोडक्ट परफेक्ट रहेंगे.

प्रदूषण के कारण स्किन डार्क हो जाती है या फेस पर पिंपल्स होते रहते हैं. ऐसे में कलर करेक्टिंग का प्रयोग करें. यदि स्किन कहीं से डार्क है तो ऑरेंज कलर करैक्टर लगाएं और यदि स्किन कहीं से रेड है यानी पिंपल के रेड स्पॉट हैं तो ग्रीन कलर करैक्टर का प्रयोग करें. इस से स्किन के स्पॉट हट जाते हैं. अब इस के ऊपर फाउंडेशन के लेयर लगाएंगे तो दाग बिल्कुल ही नजर नहीं आएंगे.

अंत में कंसीलर का उपयोग करें. कंसीलर हमेशा अपनी स्किन टोन से मैच करता हुआ लगाएं. लाइट कलर के कंसीलर से स्किन ग्रे या वाइट नजर आने लगती है. फ़ाउंडेशन भी सेम कलर का यूज करना चाहिए. इस से स्किन आकर्षक और नेचुरल नजर आती है.

इस के बाद आप लूज़ पाउडर से अपना मेकअप लॉक करें. जो लड़कियां ऑफिस, कॉलेज या दोस्तों के साथ आउटिंग पर जा रही हैं वे कंपैक्ट पाउडर यूज कर सकती हैं. कंपैक्ट पाउडर चेहरे से आयल हटाता है मगर टचअप बारबार देना पड़ता है. इसलिए जब आप लंबे समय के लिए किसी पार्टी वगैरह में जा रही हों और आप को लोंगलास्टिंग मेकअप चाहिए तो लूज पाउडर का प्रयोग करें. इस से मास्क के बावजूद आप का मेकअप खराब नहीं होगा.

जिन की ऑयली या कॉन्बिनेशन स्किन है वे पाउडर प्रोडक्ट यूज करें लेकिन जिन की स्किन ड्राई है वे लिक्विड प्रोडक्ट यूज करें क्योंकि ड्राई स्किन पर मॉइश्चराइजर लगाने की जरूरत पड़ती है.

मास्क के साथ मेकअप करते समय इसे जितना ब्लॉक कर के रखा जा सके उतना अच्छा है.

फेस पर मेकअप के बहुत सारे लेयर न लगाएं. आप जो भी मेकअप लगा रही हैं उसे फिंगर, ब्रश या स्पंज से अच्छे से ब्लेंड कर लें. इस से वह आप के चेहरे पर पूरी तरह अब्ज़ॉर्ब हो जाएगा और लेयरिंग नहीं दिखेगी. यदि ऐसा नहीं किया तो मेकअप का कुछ हिस्सा मास्क में लग जाएगा जो भद्दा दिखेगा. उदाहरण के लिए यदि ऑयली स्किन पर मेकअप के बहुत से लेयर लगाएं गए हैं तो मास्क लगा कर हटाने से चेहरे पर मेकअप फटा हुआ सा नजर आएगा और कुछ मेकअप हट कर मास्क पर आ भी जाएगा. इसलिए मेकअप हमेशा ब्लेंड करना जरूरी है.

पूरा मेकअप करने के बाद मेकअप फिक्सर स्प्रे का इस्तेमाल करें. यह मेकअप को लॉक कर देता है जिस से मेकअप लंबे समय तक टिका रहता है जैसे आप किसी शादी की पार्टी में जा रहे हैं तो लंबे समय तक मास्क पहनने की वजह चेहरे पर पसीना आएगा. ऐसे में मेकअप फिक्सर के प्रयोग से मास्क के बावजूद मेकअप खराब नहीं होगा और यह मास्क पर आएगा भी नहीं.

कोरोना में फेस मास्क के साथ स्किन का ख्याल रखें. मास्क लगाने से पसीना आ जाता है ऐसे में यदि मेकअप नहीं लगाया है तो हमेशा अपने साथ रोज वाटर या फेशियल वाइप्स रखें और फेस को वाइप करती रहें.

आंखों के साथ क्रिएटिविटी

कोविड के समय में लड़कियां मैचिंग या सेम कलर के फेस मास्क लगाती हैं. ऐसे में फेस मेकअप और लिप शेड्स लाइट रखें. आईज को हाइलाइट करें. मास्क के साथ अपनी आंखों का मेकअप मैच करें. आइब्रोज अच्छे से ग्रूम करें. ड्रेस से मैचिंग सेम कलर का आईशैडो लगा सकती हैं. कोहल काजल का इस्तेमाल कर सकती हैं इस से आंखें कजरारी नजर आती हैं.

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विंग आईलाइनर लगाएं इस से आंखों पर फोकस जाता है. आँखें बड़ीबड़ी नजर आती हैं. आँखों के ऊपर, आइब्रो के नीचे हाइलाइटर लगा सकती हैं इस से आंखों की खूबसूरती बढ़ जाती है.

फौल्स आईलैशेस का इस्तेमाल करें. इस से आंखें आकर्षक नजर आएंगी. यदि आप की आंखें छोटी है और मास्क भी लगाया हुआ है तो आप फौल्स आईलैशेस का प्रयोग करें. यह आप की आंखों को उभारता है और आकर्षक बनाता है.

अपने साथ हमेशा एक मस्कारा रखें ताकि जब जरुरत हो आई मेकअप को टच अप दे सकें.

चीक्स पर हाइलाइटर या ब्लशर लगाएं.

( मेकअप आर्टिस्ट खुशबू ज़ेहरा से की गई बातचीत पर आधारित )

स्त्री को गुलाम बनाती धार्मिक कहानियां

लेखक- सरस्वती रमेश

बचपन में अकसर एक कथा मां सुनाया करती थीं. एक सती स्त्री के पति को कोढ़ हो गया था. सती अपने पति को टोकरी में बैठा कर नदी के किनारे नहलाने जाया करती थी. एक दिन वहीं नदी किनारे एक वेश्या नहा रही थी. कोढ़ी को वेश्या से प्रेम हो गया. उस के बाद से कोढ़ी उदास रहने लगा. जब पत्नी ने उस की उदासी का कारण पूछा तो कोढ़ी ने उसे सबकुछ बता दिया. पत्नी ने पति को धैर्य बंधाया और उस की मदद करने का आश्वासन दिया.

उस के बाद प्रतिदिन भोर में उठ कर सती स्त्री वेश्या के घर में चुपके से प्रवेश कर उस के सारे कामकाज कर लौट आती थी. वेश्या हैरान कि कौन उस के घर के सारे काम करता है. एक दिन वेश्या ने सती स्त्री को पकड़ लिया और कारण पूछा.

जब स्त्री ने उसे अपने पति के प्रेम के बारे में बताया तो वेश्या ने उसे लाने को कहा. स्त्री खुशीखुशी घर गई. अपने पति को समाचार सुनाया. पति के लिए नए वस्त्र निकाले और उसे नहलाधुला कर वेश्या के घर ले जाने के लिए नदी की ओर चल पड़ी. रास्ते में कुछ क्षण के लिए टोकरी वहीं पेड़ के नीचे उतार वह सुस्ताने लगी. उस के पति की कोढ़ी देह से दुर्गंध उठ रही थी. वहीं से कुछ साधुसंत गुजर रहे थे. साधुओं से दुर्गंध बरदाश्त नहीं हुई तो उन्होंने शाप दिया कि जिस भी जीव से यह दुर्गंध उठ रही है वह सूर्यास्त के साथ ही मृत्यु को प्राप्त हो. सती ने उन की वाणी सुन ली और फिर सूर्य की ओर आंखें कर कहा, ‘‘देखती हूं मेरी इच्छा के विरुद्ध सूर्य कैसे अस्त होता है.’’

कथा के अनुसार उस स्त्री का सतीत्व परम बलशाली था, जिस के आगे सूर्य देव को भी  झुकना पड़ा और सूर्य वहीं का वहीं ठहर गया.

यह कथा बहुत महिलाओं ने अपनी उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर जरूर सुनी होगी. दरअसल, यह महज एक कहानी नहीं, बल्कि हमारी धार्मिक कथाकहानियों के माध्यम से पिलाई जाने वाली घुट्टी का एक नमूना है. अधिकांश धार्मिक कथाकहानियों में नैतिक शिक्षाओं और प्राचीनकाल से चली आ रही व्यवस्थाओं की घुट्टी स्त्री को ही पिलाई जाती रही है.

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स्त्रियों के लिए वर्ष के अधिकांश दिन निर्जला व्रत, उपवास का विधिविधान है, लेकिन पुरुष हमेशा आराध्य के आसन पर आसीन रहे. कहानी के माध्यम से स्त्री को उस का सतीत्व सिखाया गया है, पति को कोढ़ हो जाए तो उस की सेवा कर के और पति को प्रेम हो जाए, तो उसे उस की प्रेयसी से मिला कर स्त्री को सती और पतिव्रता जैसे नामों से अलंकृत कर उस से कोई भी कठिन परीक्षा ली जा सकती है.

धार्मिक कथाओं का पाठ

ये कथाकहानियां स्त्री की स्वतंत्र सत्ता, अस्तित्व को स्वीकार ही नहीं करतीं.

मनु ने तो यहां तक कहा है:

पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने।

पुत्रो रक्षति वार्धक्ये न स्त्री स्वातंत्र्यमर्हति॥

मतलब स्त्री को स्वतंत्र नहीं छोड़ा जाना चाहिए. बाल्यावस्था में पिता, युवास्था में पति और उस के बाद पुत्र के अधीन रखना चाहिए.

सिर्फ हिंदू धर्म की कहानियों में ही नहीं यहूदी, इसलाम की धार्मिक कहानियों में भी

स्त्री होने के कारण प्रताड़ना की वह अधिकारिणी बनी है.

इसलाम से जुड़ी कहानियों में औरतों को अपने शौहर की खिदमत और परदे में रहने की सलाह अकसर मिलती है. इसी तरह 2 महिलाओं की गवाही एक पुरुष के बराबर मानी गई है.

अधिकांश धार्मिक कथाकहानियों में स्त्रियों को यही पाठ पढ़ाया जाता है कि पति की सेवा से ले कर उस की कामवासना की पूर्ति करना हर स्त्री का परम कर्तव्य है. स्त्रियों को पतिव्रता, पति अनुगामिनी और हर स्थिति में मर्यादा का पालन करने की सीख दी जाती है. पगपग पर स्त्री की सहनशीलता की परीक्षा का उल्लेख मिलता है.

जैंडर असमानता से भरी इन कथाकहानियों या प्रवचनों को सुनसुन कर महिलाएं खुद को कमतर सम झने लगती हैं. ताउम्र उन के मन पर इन कथाकहानियों का गहरा प्रभाव बना रहता है.

रामायण एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जिस की पैठ घरघर में है. रामायण की कथा के प्रभाव के बारे में सोचने पर रामायण सीरियल के समय घरों में पसरे सन्नाटे की याद अनायास आ जाती है. इसी रामायण की कहानी में मर्यादा के नाम पर सीता को उस वक्त जंगल में छोड़ दिया गया जिस वक्त वे गर्भवती थीं. फिर भी राम को निर्दोष बताया गया है. सीता के दर्द के प्रति मौन है रामायण. अनपढ़ स्त्रियों तक यही कहानी रामलीला के जरीए पहुंचती है.

इसी तरह महाभारत में कौरवों की सभा में जुए में अपनी पत्नी को दांव पर लगाने की कहानी है. जुए में द्रौपदी को हारने और निर्वस्त्र होने का फरमान सुनने के बाद भी पतियों के मौन रहने का उल्लेख है. यह कैसी सभ्यता थी जहां राजा की सभाओं में बैठा हुआ हर शीर्ष व्यक्ति एक स्त्री के शोषण पर मौन साधे रहता है? द्रौपदी के चीखचीख कर सहायता याचना के बाद भी किसी भी शक्तिशाली सदस्य का मौन नहीं टूटता सिवा दुर्योधन के अनुज विकर्ण के.

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बात रामायण या महाभारत की कहानी तक ही सीमित नहीं है. महिलाएं सालभर जितने भी तीजत्योहार करती हैं उन की कहानियों में जैंडर भेद साफ  झलकता है. करवाचौथ, हरतालिका तीज व्रत, वट सावित्री पूजा जैसी तमाम व्रतों की कहानियों में महिलाओं के स्तर को कमतर कर प्रस्तुत किया गया है. ऋषि पंचमी व्रत की कथा के अनुसार विदर्भ नामक ब्राह्मण की कन्या के शरीर में इसलिए कीड़े पड़ गए, क्योंकि उस ने रजस्वला होने के बावजूद घर के बरतन छू लिए थे.

माहमारी का शाप

इस तरह की कथाएं औरत होने को किसी शाप की तरह प्रस्तुत करती हैं और उन के मासिकच्रक को किसी पाप कर्म सा मंडित करती हैं. ऐसी कथाओं के कारण ही मासिकचक्र को औरतें अपने शरीर में किसी विकार सा स्वीकार करती हैं और एक दोष की भांति अपने जीवन में ले कर जीती हैं. धार्मिक कहानियों में रजस्वला से जुड़े हजारों नियमकानून हैं, जिन में से कुछ का पालन आज भी स्त्रियां करती हैं. इन नियमों का कोई तार्किक आधार या ठोस कारण दिखाई नहीं देता, लेकिन इन नियमों का पालन करते हुए स्त्री स्वयं को एक कमतर रचना के रूप में अवश्य स्वीकार करने लगती है.

स्त्री देह की पवित्रता

धार्मिक कथा संसार स्त्री देह की पवित्रता पर इतना अधिक केंद्रित है कि यदि उस का शील चाहे या अनचाहे भंग हुआ तो उसे मृत्यु के समकक्ष माना गया है. ऐसे कुछ ही अपवाद होंगे, जिन में स्त्री के शील भंग होने के बावजूद उसे संपूर्ण अधिकार से नवाजा गया. उस के मन को सैकेंडरी मान लिया जाता है. इस का नतीजा यह हुआ कि जिन लड़कियों का इच्छा या अनिच्छा से शील भंग हुआ वे आत्मग्लानि से भर उठीं. कभी उन्होंने शापित हो पत्थर बनना स्वीकार किया तो कभी अग्नि में प्रवेश करना.

कुंआरी कन्या और कुंआरी देह की अवधारणा इन कथाओं से निकल कर हमारे समाज में इस तरह व्याप्त हो गई कि कन्या के लिए कुंआरापन और पवित्रता ही उस की समस्त योग्यताओं का आधार बन जाती है. कुंआरेपन की यही अवधारणा कई समुदाय एवं धर्मों में बालविवाह के कुप्रचलन का कारण बनी. शिक्षा के प्रचारप्रसार के बावजूद आज भी कई जगहों पर यह कुप्रथा जारी है, जिस का अधिकतर खमियाजा बाली उम्र में गर्भवती हो लड़कियों के हिस्से आता है.

संबंधों के अलग-अलग माने

हमारी धार्मिक कथाओं में किसी राजा के 2 या 4 रानियां और किसी अन्य सुंदरी से संबंध आम बातें हैं. इस के लिए न तो वह किसी ग्लानि से भरता है और न ही समाज के लिए उत्तरदायी है. लेकिन यदि किसी स्त्री ने विवाह उपरांत परपुरुष से संबंध स्थापित किया तो वह न सिर्फ प्रताड़ना, बल्कि सामाजिक बहिष्कार की भी शिकार हो जाती है. पुरुष कामभावना के अधीन हो संसर्ग करता है, लेकिन यही काम यदि स्त्री कर ले तो उसे समाज में कुलटा, चरित्रहीन आदि नाम दे दिए जाते हैं.

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पत्नी का सहज त्याग

धार्मिक कहानियों में पत्नी का परित्याग आम बात है. पत्नी कदमकदम पर ठुकराई, त्यागी जा सकती है, लेकिन पुरुष का त्याग करने वाली नारी हमारी धार्मिक कथाओं में आमतौर पर उत्पन्न नहीं होती और न पुरुष को अपनी पत्नी के लिए ऐसा त्याग करने की कोई परंपरा मिलती है. स्त्री को दोयम सम झने का सब से जाग्रत स्वरूप सती प्रथा थी, जिस में सती की बाकायदा पूजा तक होती थी. आज भी कुछ जगह सती चौरा हैं, जहां बाकायदा मेला भी लगता है.

धार्मिक कहानियों में निहित ये तमाम बातें महिलाओं की धर्मपरायणता और अतिशय सहनशीलता का गुणगान कर के उन्हें बराबरी के हक से वंचित करती हैं, स्त्री पर आधिपत्य जमाने के माध्यम के तौर पर काम करती हैं. जिन कहानियों में नरनारी समानता जैसे बुनियादी मानवीय मूल्यों का समावेश न हो उन्हें सही अर्थों में धार्मिक नहीं माना जा सकता.

जैंडर समानता का हक पाने के लिए महिलाओं को इन धार्मिक कहानियों द्वारा रचित आदर्श महिला के मानकों को नकार कर इन के घेरे से बाहर आना ही होगा.

जब नीना गुप्ता को लगा की उनकी बेटी मर तो नहीं गईं, मसाबा ने शेयर किया अनसुना किस्सा

शुभ मंगल ज्यादा सावधान जैसी फिल्मों से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस नीना गुप्ता अक्सर अपने फैशन के लिए सुर्खियां बटोरती हैं. लेकिन इस बार वह अपनी बेटी मसाबा गुप्ता के एक पोस्ट को लेकर फैंस के बीच छाई हुई हैं. दरअसल, हाल ही में फैशन डिजाइनर और नीना गुप्ता की बेटी ने एक पोस्ट शेयर करते हुए अपनी मौत का जिक्र करते हुए मां के बारे में एक बात कही है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

क्रिसमस के दिन शेयर की ये बात

मसाबा गुप्ता ने अपनी खुशियों और दुख को जाहिर करते हुए अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक किस्से का जिक्र करते हुए बताया है, कि कैसे उनकी मां नीना को लगा था कि उनकी बेटी कहीं मर तो नहीं गई. दरअसल, मसाबा ने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, ‘नीना जी की ओर से गुड मॉर्निंग, जिन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझे देखने आ रही थीं क्योंकि उन्हें लगा कि मैं मर गई हूं. दरअसल मैं सुबह 9:30 बजे उठी, जैसा कि इससे पहले कभी नहीं हुआ था और इसी वजह से उन्हें लगा कि मैं मर गई हूं. यह क्रिसमस है?’

 

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अकेले परवरिश का फैसला ले चुकी हैं नीना गुप्ता

 

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नीना गुप्ता की प्रौफेशनल लाइफ के बारे में हर कोई जानता है लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि मसाबा, वेस्ट इंडीज के पूर्व क्रिकेटर विवियन रिचर्ड और नीना गुप्ता की बेटी हैं. दरअसल, 80 के दशक में दोनों रिलेशनशिप में रहे थे. हालांकि दोनों ने शादी तो नहीं की, लेकिन नीना गुप्ता ने मसाबा को अकेले पालने का फैसला किया.

 

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बता दें, नीना गुप्ता, सलमान खान से लेकर नए स्टार्स आयुष्मान खुराना जैसे स्टार्स के साथ काम करके सुर्खियां बटोर चुकी हैं. वहीं उनके फैशन की बात करें तो बेटी मसाबा के फैशन को देखते हुए नीना अपने लुक को भी काफी मेंटेन करके रखती हैं.

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नये साल में मेरा रेजोल्यूशन एक लीड कलाकार बनने की है – साहिल वैद

फिल्म ‘बिट्टू बॉस’,‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां, बैंक चोर, बद्रीनाथ की दुल्हनियां आदि कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता साहिल वैद को बचपन से अभिनय का शौक था, जिसमें साथ दिया उनके माता-पिता ने. साहिल तमिलनाडु में पले-बड़े हुए है. साहिल ने फिल्म कुली नं 1 में एक दोस्त की भूमिका निभाई है, जो अमेजन प्राइम विडियो पर रिलीज हो चुकी है,जिसे सभी पसंद कर रहे है. उनकी जर्नी के बारें में बात हुई, पेश है कुछ अंश.

सवाल-ये फिल्म पुरानी फिल्म से कितनी अलग है और इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

ये नए जमाने की कुली नं 1 है, जिसमें आज के परिवेश को ध्यान में रखते हुए काम किया गया है. पुरानी फिल्म काफी सफल रही थी, जिसमें गोविंदा और करिश्मा कपूर ने काम किया था. उसे सभी आज भी पसंद करते है. निर्देशक डेविड धवन का ही है, कहानी वही है,केवल कलाकारों में थोडा परिवर्तन मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए किया गया है,लेकिन कुछ नयी ट्विस्ट इसमें है, जो इसे पुरानी फिल्म से अलग और नयी बनाती है.

इस फिल्म को ना कहने का तो सवाल ही नहीं था. जब मुझे निर्देशक डेविड धवन का फ़ोन आया और उन्होंने मुझे इस फिल्म में काम करने के लिए कहा तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई, क्योंकि इस फिल्म को मैंने पहले कई बार देखा था. तब पता नहीं था कि एक दिन इस फिल्म में काम करने का मौका भी मिलेगा.

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सवाल-इस फिल्म को करते वक़्त कितनी तैयारिया करनी पड़ी? कितना कठिन था?

इस फिल्म में सभी बड़े-बड़े कलाकार काम कर रहे है, ऐसे में मुझे भी अच्छा काम करना था. मेरी वजह से कोई सीन ख़राब हो जाए, ये मैं नहीं चाहता था, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि अभिनय करना आसान हुआ. डर जो था, वह पहले ही दिन निकल गया था. कठिन कुछ भी नहीं था, नार्मल तैयारी की थी. इसकी शूटिंग बैंकाक, गोवा और मुंबई में हुई है.

सवाल-फिल्म थिएटर में रिलीज न होकर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

थिएटर में फिल्म को देखना अच्छी बात होती है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से फिल्में ओटीटी पर रिलीज हो रही है और निर्माता निर्देशकों को एक नया प्लेटफॉर्म मिल गया है. ओटीटी पर रिलीज होने पर अधिक लोग फिल्म को देख पाते है. थिएटर में जाने से पहले लोग कई बातों पर विचार करने लगते है. ऐसे में निर्माता, निर्देशकों और कलाकारों को ओटीटी  का फायदा अधिक हुआ है.

सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मैं जीवन में अलग-अलग लोगों से इंस्पायर्ड रहा. मैं जब 3 साल का था, तो एक फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन जीता था, उसमें बहुत सारी तालियाँ बजी थी. मुझे बहुत अच्छा लगा था. इसके बाद तमिलनाडू में मेरे क्लास मेट मुझे गोरा कहकर बुलाते थे और जब दिल्ली आया, तो मुझे लोग मद्रासी  कहने लगे, क्योंकि मेरी बोली में तमिल एक्सेंट बहुत था. इसके अलावा स्कूल में एक नाटककार अजय मनचंदा आते थे, वर्कशॉप लेते थे और वहां कोई मुझे कुछ भी नहीं कहता था, इससे मुझे वह स्थान अच्छा लगने लगा. नाटकों में काम करना मुझे पसंद था. थिएटर को मैं अपनी कामयाबी में प्रमुख स्थान देता हूं, क्योंकि उसकी वजह से ही मैं काम सीख पाया. पिता ने जब मेरी इच्छा को देखा तो उन्होंने व्हीस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल में मेरा एडमिशन करवा दिया. वह मेरी मुलाकात अभिनेता नसीरुद्दीन शाह से हुई. वे वहां पर मुझे एक अच्छा कलाकार बनने के लिए सारी बारीकियां सिखाते थे, क्योंकि वे एक्टिंग डिपार्टमेंट के हेड थे. दो साल पढाई करने के बाद मैं नसीरुद्दीन शाह के थिएटर ग्रुप से जुड़ गया.

सवाल-पहली बार जब पेरेंट्स से अभिनय की बात कही तो उनके रिएक्शन क्या रही?

मेरे पेरेंट्स हमेशा खुले विचारों के रहे है. मेरे पिता अब नहीं रहे, लेकिन उनका कहना था कि मैं जो  भी बनूँ, उसमें सफलता प्राप्त करूँ. इसलिए मुझे अधिक कुछ कहना नहीं पड़ा. मैंने पहले एक बार पत्रकार बनने की भी कोशिश की थी, पर थिएटर नहीं छूटा और मैं अभिनय में आ गया. फिर उन्होंने मुझे मुंबई आने की सलाह दी. मैं एक्टर बन गया, पर मेरे परिवार वाले सभी दूसरे क्षेत्र से जुड़े है. इसलिए अभी भी मेरे काम को कोई समझ नहीं सका है. कई लोगों ने पेरेंट्स को मुझे अभिनय के क्षेत्र में न भेजने की सलाह दी थी, पर मेरे पेरेंट्स अडिग थे और उन्होंने मेरी इच्छा का ध्यान डटकर दिया.

सवाल-पहला ब्रेक मिलने में कितना समय लगा?

जब मैं व्हीस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल में पढ़ रहा था, तब एक साल के अंदर मुझे पहली फिल्म ‘हैपी’मिल गयी थी. मैंने उसमें पढाई के साथ-साथ काम किया. इतनी जल्दी इस फिल्म के मिलने से मुझे लगा कि ये क्षेत्र बहुत आसान है. उसके बाद मैंने एक धारावाहिक फौजी में काम किया जो टीवी पर नहीं आई. तब मुझे लगा कि अभिनय का क्षेत्र आसान नहीं है. इसके दो साल बाद बिट्टू बॉस मिली, फिर धीरे-धीरे काम मिलता गया.

सवाल-रिजेक्शन से आपके मानसिक स्तर पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है ?

असल में एक एक्टर का रिजेक्ट होने में उसके रंगरूप, शक्ल, हाइट आदि के लिए होता है, जो बड़ा पर्सनल होता है. इसका असर मानसिक स्तर पर बहुत पड़ता है, क्योंकि वह इंसान आपको कुरूप कह रहा है. मैं काफी दिनों तक रिजेक्शन को सहा है, इसलिए दिल पर नहीं लेता, क्योंकि मेरी बॉडी टाइप शायद उस भूमिका के लिए ठीक नहीं है. निर्देशक कबीर खान ने मुझे फिल्म 1983 में सैयद किरमानी की भूमिका के लिए वजन कम करने को कहा था. 3 से 4 महीने का समय भी दिया. मैंने बहुत मेहनत की वजन कम किया और जब उनसे मिलने गया, तो उनके पास एक सैयद किरमानी के शक्ल का कलाकार खड़ा था. तब मुझे समझ में आया कि निर्देशक के दिमाग में चरित्र का खाका पहले से तैयार रहता है. कबीर खान मुझे देखकर थोड़े मायूस भी हुए, क्योंकि उन्हें लगा नहीं था कि मैं वाकई वजन कम कर लूंगा.

सवाल-आपके हिसाब से इंडस्ट्री में एक अच्छे काम का मिलना और उसका सफल होना कितना मुश्किल होता है?

काम अच्छा होने से कोई रोक नहीं सकता. अचानक सोचकर अगर आप अभिनय के लिए निकल पड़ते है, तो कभी सफल नहीं हो पायेंगे. सही ट्रेनिंग के साथ अच्छा अभिनय ही किसी निर्माता, निर्देशक को आकर्षित कर सकता है. चेहरा अच्छा होने से अभिनय इंडस्ट्री में काम नहीं मिलता. हार मानने वालों को भी इंडस्ट्री में नहीं आना चाहिए.

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सवाल-नए साल में आपकी रेजोल्यूशन क्या है?

एक लीड एक्टर बनने की कोशिश करूंगा, जो प्यार आयुष्मान खुराना, पंकज त्रिपाठी आदि को मिल रहा है. मुझे भी वही मुकाम मिले. इसके अलावा मेरी इच्छा है कि हर निर्माता, निर्देशक के लिए सेलेबल एक्टर बन सकूं.

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