अनुपमा देगी तलाक तो काव्या लेगी वनराज से जुड़ा ये फैसला, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहा है. जहां वनराज को खुद की गलतियों का एहसास हो रहा है तो वहीं काव्या का हर कदम पर दिल टूट रहा है. लेकिन इन सब के बीच अनुपमा अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरु करने की कोशिश में जुटी हुई है, जिसके लिए वह वनराज को अपनी जिंदगी से दूर करने के लिए भी तैयार हो गई है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

काव्या होती है परेशान

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा की मांग में सिंदूर भरने जाएगा, लेकिन वो उसे मना कर देगी. वहीं दूसरी तरफ, काव्या, वनराज से मिलकर कहेगी कि उसे बहुत जरूरी बात करनी है. काव्या कहती है अनुपमा बहुत अच्छी है वो तुम्हें माफ कर देगी. लेकिन अब मैंने भी अपनी जिंदगी के लिए नया फैसला लिया है. दरअसल, काव्या, वनराज को छोड़ अनिरुद्ध के पास दोबारा जाना चाहती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by STAR PLUS (@_starplus___)

ये भी पढ़ें- Bhabiji Ghar Par Hain के सेट पर पहुंची नई अनीता भाभी, PHOTOS VIRAL

काव्या को मनाएगा वनराज   

 

View this post on Instagram

 

A post shared by STAR PLUS (@_starplus___)


अनुपमा को अपनी जिंदगी में लाने की बात कहने वाला वनराज अपनी हरकतों से बाज ना आकर काव्या को अपनी लाइफ में रखने की बात कहता हुआ अपकमिंग एपिसोड में नजर आने वाला है, जिसके लिए वह काव्या से झूठ कहेगा कि अनुपमा उसे तलाक दे देगी. लेकिन अनिरुद्ध, काव्या को तलाक देने के लिए पैसों की रकम मांगता नजर आएगी. पर वनराज को सबसे बड़ा झटका जब लगेगा जब वनराज को तलाक के कागज देती नजर आएगी.

अनुपमा भेजेगी तलाक के कागज

दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी जिंदगी में आगे बढने के लिए किंजल की सलाह मानेगी और तलाक के कागज बनवाएगी और वनराज को उसके औफिस भेजेगी, जिसे देखकर वनराज हैरान हो जाएगा. अब देखना ये होगा कि क्या सच में वनराज को अपनी गलतियों का एहसास होगा और वह काव्या को छोड़कर अनुपमा के वापस जाएगा और क्या अनुपमा अपना तलाक का फैसला वापस लेगी.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 14: ट्रोलर्स से परेशान हुईं Jasmin Bhasin, दिया करारा दवाब

Bhabiji Ghar Par Hain के सेट पर पहुंची नई अनीता भाभी, PHOTOS VIRAL

&tv के कौमेडी सीरियल ‘भाभी जी घर पर है’ (Bhabiji Ghar Par Hain) फैंस को काफी एंटरटेन कर रहा है. लेकिन इन दिनों गोरी मेम यानी अनीता भाभी शो में नजर नही आ रही हैं, जिसके चलते दर्शक नाखुश नजर आ रहे हैं. लेकिन अब दर्शकों को जल्द नई गोरी मेम शो में नजर आने वाली हैं. दरअसल, पिछले दिनों हमने आपको बताया था कि एक्ट्रेस नेहा पेंडसे अब अनीता भाभी के किरदार में नजर आएंगी. हालांकि इस बात पर नेहा पेंडसे कंफर्म नही लगाई थी. पर अब शो के सेट पर नेहा पेंडसे (Nehha Pendse) के धमाकेदार वेलकम की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

नेहा पेंडसे सेट पर आईं नजर

कोरोना के बीच गोरी मेम यानी सौम्या टंडन ने शो को बीच में ही छोड़ दिया था, जिसके बाद अब नेहा पेंडसे ने ‘भाभी जी घर पर है’ शो में एंट्री मार ली है. वहीं हाल ही में नेहा पेंडसे ने सीरियल ‘भाभी जी घर पर है’ की शूटिंग शुरू कर दी है, जिसकी खबर नेहा पेंडसे ने खुद सोशलमीडिया पर अपने फैंस को दी है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by tellyyapa (@tellyyapa9)

Credit- Tellyyapa9

ये भी पढ़ें- कपिल शर्मा से गुस्सा होने पर बोले सुनील ग्रोवर, पढ़ें खबर

नेहा पेंडसे का हुआ वेलकम

‘भाभी जी घर पर है’ की शूटिंग करने पहुंची नेहा पेंडसे का सेट पर ग्रैंड वेलकम किया गया, जिसकी खुशी तिवारी जी और उनके औनस्क्रीन हस्बैंड विभूती पांडे को हुई. वहीं दोनों की खुशी तो सातवें आसमान पर जा पहुंची, जिसका अंदाजा इन फोटोज से लगाया जा सकता है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Nehha Pendse (@nehhapendse)

अंगूरी भाभी संग पोज देती दिखीं नई अनीता भाभी

सेट पर नेहा पेंडसे अनीता भाभी के अंदाज में नजर आईं. केक कटिंग सेरेमनी में नेहा पेंडसे ने रेड कलर की साड़ी कैरी की थी. इस दौरान नेहा पेंडसे ने सीरियल ‘भाभी जी घर पर है’ की अंगूरी भाभी यानी शुभांगी अत्रे के संग भी जमकर फोटोज क्लिक करवाई, जिसे देखकर फैंस दोनों की तारीफें कर रहे हैं.  भी मुलाकात की. यहां पर नेहा पेंडसे और शुभांगी आत्रे जमकर पोज देती नजर आईं.

ये भी पढ़ें- ‘अनुपमा’ के लिए वनराज कहेगा ऐसी बात, टूट जाएगा काव्या का दिल

बता दें, इससे पहले शो की एक और कलाकर यानी अंगूरी भाभी के रोल में नजर आ चुकीं शिल्पा शिंदे ने भी शो को बीच में ही छोड़ दिया था, जिसके बाद शुभांगी अत्रे ने शो में एंट्री की थी. हालांकि उन्हें फैंस ने जल्द ही कबूल कर लिया था. अब देखना ये था कि क्या नई अनीता भाभी को दर्शक पसंद करेंगे.

बदल गया जीवन जीने का तरीका

कोरोना आया और एक बार तो बहुत हद तक जिंदगी की रफ्तार थम गई. भय, चिंता, भविष्य से ज्यादा वर्तमान की फिक्र इंसान पर हावी हो गई. नौकरी, पढ़ाई, काम, घूमना, मौजमस्ती, जब भी मन करे घर से निकल जाना, किसी मौल में शौपिंग करना या होटल में खाना खाना अथवा कहीं यों ही बिना योजना बनाए कार उठा कर निकल जाने.

पार्टी, धमाल, दोस्तों के साथ गप्पबाजी या नाइट आउट, रिश्तेदारों व परिचितों के घर जमावड़े और सड़कों पर बेवजह की चहलकदमी आदि पर अचानक विराम लग गया.

भले अब लौकडाउन खुल गया पर अभी भी घर से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचना पड़ता है. जरूरी हो तभी कदम दरवाजा पार करते हैं. घबराहट, डर और घर में बैठे रह कर केवल आभासी दुनिया से जुडे़ रहने से सब से ज्यादा असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है. ऐसे में सावधानीपूर्वक सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के प्रयास करें, कुछ यों:

मिलें लोगों से

कोरोना वायरस के इस दौर में लोग मानसिक रूप से ज्यादा परेशान हुए हैं. जितना जरूरी शारीरिक स्वास्थ्य का खयाल रखना है, उतना ही जरूरी है मानसिक सेहत को दुरुस्त रखना. इस से इंसान के सोचने, महसूस करने और काम करने की ताकत प्रभावित होती है. जब तनाव और अवसाद घेर ले तो उस का सीधा असर रिश्ते और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है. जो पहले से ही मानसिक रूप से बीमार थे, कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के इस दौर में उन लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जो मानसिक रूप से स्वस्थ थे, वे भी अपनी सेहत खोने लगे हैं. इस की सब से बड़ी वजह है घर की चारदीवारी में कैद हो जाना और बाहर के सारे संपर्क टूट जाना.

ये भी पढ़ें- कोमल है कमजोर नहीं

बेशक वीडियो कौल पर आप जिस से चाहे बात कर सकते हैं, पर जो मजा साथ बैठ कर बात कर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में आता है, वह मोबाइल या लैपटौप पर उंगली चला कर कैसे मिल सकता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि परेशान होने की बजाय खुद को शांत रखने की कोशिश करें.

सावधान रहें सुरक्षित रहें

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए लोगों से मिलनाजुलना जरूरी होता है. लेकिन कोरोना ने जैसे इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. सारी मस्ती और रौनक छीन ली है.

आयोजनों व समारोहों में, जहां जा कर कितने सारे लोगों से मिलने का मौका मिल जाता था और एक पारिवारिक या दोस्ताना माहौल निर्मित हो जाने के कारण ढेर सारी खुशियों के पल समेटे जब लोग घर लौटा करते थे तो कितने दिनों तक उन बातों की पोटलियां खोल कर बैठ जाया करते थे जो वहां उन्होंने साझ की थीं. अब तो गिनती कर लोगों को बुलाने की बाध्यता है, फिर मास्क और सैनिटाइज करते रहने के बीच सारा बिंदासपन एक कोने में दुबक कर बैठ जाता है.

दूरदूर बैठ कर और हाथ हिला कर ही कुछ कहा, कुछ सुना जाता है. अपनी सुरक्षा के कारण दूसरे लोगों से खुल कर न मिल पाने की पीड़ा हर किसी को त्रस्त कर रही है. दूर से ही सही मगर यदि किसी अपने से मिलने का मौका मिले तो सभी सावधानियों का पालन करते हुए मिल सकती हैं.

हर अंधेरे के बाद उजाला है

ब्रिटिश जर्नल लैंसेट साकेट्री में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कोरोना वायरस न सिर्फ मनुष्य को शारीरिक रूप से कमजोर कर रहा है बल्कि मानसिक तौर पर भी इस महामारी के कई सारे नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. एक अन्य शोध में यह पाया गया है कि कुछ लोगों की तंत्रिकाओं पर प्रभाव पड़ा है.

मानसिक सेहत में जब लंबे समय तक सुधार नहीं हो पाता है तो वह मस्तिष्क को प्रभावित करती है. न केवल बुजुर्ग, बल्कि अकेले रहने वाले लोग, वयस्क, युगल, पुरुष, महिलाएं, बच्चे यानी हर उम्र के लोगों को मानसिक सेहत से जूझना पड़ रहा है.

दैनिक रूटीन से कट जाने और घर में बंद रहने की वजह से दिमाग को मिलने वाले संकेत बंद हो जाते हैं. ये संकेत घर के बाहर के वातावरण और बाहरी कारकों से मिलते हैं. लेकिन लगातार घर में रहने से ये बंद हो जाते हैं. इन सब कारणों से अवसाद और चिंता के बढ़े मामले देखने को मिल रहे हैं. इसे सामूहिक तनाव भी कह सकते हैं.

लोग अपने बच्चे के भविष्य को ले कर असमंजस में हैं, किसी को नौकरी छूट जाने का तनाव है तो किसी को वित्तीय स्थिति ठीक करने का तनाव, घर पर बहुत समय रहने पर उकताहट होने वालों को बाहर निकल कर आजादी से न घूम पाने का तनाव है.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि इसे ‘जीनोफोबिया’ यानी फीयर औफ ह्यूमन का शिकार होना कहा जा सकता है. इस में लोग किसी व्यक्ति के सामने आने पर घबराने लगते हैं, बात करने से डरते हैं, आंख में आंख डाल कर बात नहीं कर पाते. ऐसा कैमरे में देखने की आदत के कारण हो रहा है.

ये भी पढ़ें- क्या नौकर के बिना घर नहीं चल सकता

दिमाग चीजों को स्वीकार नहीं कर पा रहा और उसे लगने लगा है कि वीडियो पर बात कर के वह सहज महसूस कर पाएगा, पर हो इस के विपरीत रहा है. परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेने में कोई बुराई नहीं. बेशक जीवन पहले जैसा नहीं रहा, मगर इस का यह मतलब भी नहीं कि जीवन में खुशियां ही नहीं रहीं. ऐसे में हर परिस्थिति में खुद को शांत व खुश रखने की कोशिश करें.

मानसिक सेहत का रखें ख्याल

सुरक्षा के सारे नियमों का ध्यान रखते हुए अपने मानसिक स्वास्थ्य को सही खुराक देने के लिए बेशक कम मिलें, पर लोगों से मिलें अवश्य. बेशक दूरी बना कर मिलना पड़े, बेशक मास्क पहनना पड़े, पर मिलें अवश्य. घर बैठेबैठे होने वाली ऊब कहीं मुसीबत न बन जाए.

सोशल मीडिया या इंटरनैट आप को बोर नहीं करता, बल्कि यह अकसर बोरियत या वास्तविक जिंदगी से पलायन का भाव होता है

जो इंटरनैट की ओर धकेल देता है. इस समय बोरियत की शिकायत आम हो गई है. यदि आप भी खुशी की तलाश या जीवन के बेअर्थ हो जाने के एहसास के कारण डिजिटल साधनों पर अंधाधुंध समय बिता रहे हैं, तो यह मुसीबत बन सकता है.

जब महज मनोरंजन या बोरियत भगाने के लिए इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं तो एक और परेशानी है. इस समय जरूरत है उन लोगों से मिलें जिन्हें आप की परवाह है, जो आप से प्यार करते हैं या जिन के साथ समय बिताने से आप को खुशी और राहत महसूस होती है.

जरूरत है कि फिर से लोगों से जुड़ें, सामाजिक दायरा छोटा ही रखें, पर आभासी दुनिया से अलग स्वयं उन से जा कर मिलें जरूर. आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे मानो बरसों का कोई बोझ उतर गया हो. खिलखिलाहटें और हंसी आप में एक नई ऊर्जा भर जाएगी और तनाव जाता महसूस होगा.

नशे से दूर रहें

मानसिक तनाव से निकलने के लिए शराब और नशीली दवाओं का उपयोग या नींद की दवा लेने से कहीं बेहतर है कि उन से मिलें जिन के साथ वक्त गुजारना आप में जीने की ललक पैदा करता है.

मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह से भावनात्मक आयाम पर टिका होता है. यदि हमारा सामाजिक जीवन दुरुस्त है तो हम मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे ही और अपने संबंधों को आनंद से जी पाएंगे. तब जटिल स्थितियों का मुकाबला करने की शक्ति भी स्वत: आ जाती है.

कोरोना है, रहेगा भी अभी लंबे समय तक, उसे ले कर अवसाद में जीने के बजाय खुद को फिर से तैयार करें ताकि सामाजिक जीवन जी सकें. अपने प्रियजनों, दोस्तों, रिश्तेदारों व परिचितों से मिलें और अपने मानसिक स्वास्थ्य को दवाइयों का मुहताज बनाने के बजाय मन की बातें शेयर कर, खुल कर हंस कर, अपने दुखसुख बांटते हुए कोरोना को चुनौती देने के लिए तत्पर हो जाएं.

ये भी पढ़ें- क्या है सोशल मीडिया एडिक्शन

घूमने के लिए परफेक्ट हैं बौलीवुड एक्ट्रेसेस के ये ड्रेस विद स्नीकर

फैशन के बदलते ही लुक भी बदल जाता है. हर कोई कूल और क्लासी दिखना चाहता है, इसलिए गर्ल्स ड्रैस ट्राई करती हैं, लेकिन ड्रैस के साथ हील्स कैरी करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. पर अब गरमियों का कूल और कंफरटेबल फैशन आ गया है. गर्ल्स अब ड्रैस के नीचे हील्स पहनने की बजाय जूते पहनना पसंद करती हैं. जूते उनकी ड्रैस को एक नया लुक और कंफर्ट देते है, जबकि हील्स में ज्यादा देर खड़ा रहना उनके लिए कंफरटेबल नही होता. बौलीवुड एक्ट्रेसस ने भी इस फैशन को एक नया आयाम दिया है. आइए आपको बताते हैं बौलीवुड एक्ट्रेसस के अलग-अलग मौकों पर ड्रैस के साथ स्नीकर फैशन. जिसे आप भी डेली फैशन के रूप में अपना सकती हैं.

1. शादी के रिसेप्शन में हील्स छोड़ दीपिका का स्नीकर फैशन

deepika

बौलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने अपनी शादी के मुंबई रिसेप्शन में कम्फर्ट ड्रेसिंग का मतलब बताते हुए अपनी ड्रैस के साथ मैचिंग स्टिलेटोस (हील्स) को छोड़ कर कम्फरटेबल स्नीकर्स में नजर आईं थीं.

ये भी पढ़ें- ‘प्रेरणा’ की ये साड़ियां है हर ओकेशन के लिए परफेक्ट

2. फंक्शन में अदिति राव हैदरी का ड्रैस के साथ स्नीकर फैशन

 

View this post on Instagram

 

Just got sunshine in my pocket…. ? PS – And my hands, and my phone… ?

A post shared by Aditi Rao Hydari (@aditiraohydari) on

अक्सर बौलीवुड सेलेब किसी पार्टी या फंक्शन में हील्स पहनना पसंद करते हैं, लेकिन बौलीवुड ने इसे चेंज कर दिया है. हाल ही में एक इवेंट में अदिति राव हैदरी ड्रैस के साथ कम्फरटेबल वाइट स्नीकर्स में नजर आईं.

3. मूवी प्रीमियर में दीपिका का ड्रैस के साथ स्नीकर्स फैशन

deepika-padukone

हाल ही में दीपिका ड्रैस के साथ स्नीकर पहने एक फिल्म के प्रिमियर में नजर आईं. जिसमें वह ड्रैस के साथ स्नीकर्स को मैच करते हुए कंफर्टेबल नजर आईं.

4. स्कर्ट के साथ जैक्लीन का स्नीकर्स फैशन

jacqlene

जैक्लीन भी हाल ही में ब्लैक टीशर्ट और जैकेट के साथ डैनिम स्कर्ट में नजर आईं. जिसके साथ उन्होंने मैच करते हुए स्नीकर्स फैशन पहनें. जिसने जैक्लीन के लुक को और कूल बना दिया.

ये भी पढ़ें- स्टाइलिश हो गए सनग्लासेज

फ्रोजन शोल्डर से निबटें ऐसे

लेखक- पूजा

लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करना, गलत पोस्चर में बैठना, कंधों को अधिक चलाना या फिर बिलकुल भी न चलाना जैसी आदतें आप को फ्रोजन शोल्डर का शिकार बना सकती हैं. लेकिन जीवनशैली में बदलाव ला कर और कुछ एहतियात बरत कर इस समस्या से बचा जा सकता है.अगर घर या औफिस में काम करतेकरते आप को अचानक कंधे में असहनीय दर्द होता है और यह भी महसूस होता है कि आप का कंधा मूव नहीं कर रहा है तो फौरन सम झ जाएं कि आप को फ्रोजन शोल्डर की समस्या ने अपनी चपेट में ले लिया है.दरअसल, हमारे शरीर में मौजूद हर जौइंट के बाहर एक कैप्सूल होता है. फ्रोजन शोल्डर की समस्या में यही कैप्सूल स्टिफ या सख्त हो जाता है, जिस वजह से कंधे की हड्डी को हिलाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है. इस में दर्द धीरेधीरे या फिर अचानक शुरू हो जाता है और पूरा कंधा जाम हो जाता है. यह समस्या 40 से अधिक आयु वाले लोगों में देखने को मिलती है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस के होने की संभावना अधिक होती है.

1. कारण हैं अनेक

एक सर्वे के मुताबिक फ्रोजन शोल्डर की समस्या लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने, कंधे को एक ही स्थिति में रखने, कंधे पर अधिक भार उठाने, कंधे से ज्यादा काम लेने, हड्डियों के कमजोर होने, बढ़ती उम्र के कारण हो सकती है. कई बार यह समस्या कंधे पर चोट लगने पर भी होने लगती है. रोजाना ऐक्सरसाइज न करने की वजह से भी आजकल लोगों को यह समस्या हो रही है, क्योंकि ऐक्सरसाइज न करने से जौइंट्स जाम होने लगते हैं.

ये भी पढ़ें- घर की कैलोरी न बनें डस्टबिन

2. जब दिखें ये आसार

फ्रोजन शोल्डर की समस्या कई महीनों या फिर सालों तक भी रह सकती है. यह बीमारी 3 अवस्थाओं से गुजरती है, जिन में फ्रीजिंग, फ्रोजन और थाइंग स्टेज मौजूद हैं. अगर आप को भी ये लक्षण दिखें तो फौरन डाक्टर के पास जाएं:- कंधे में सूजन होना.- कंधे को किसी भी दिशा में मोड़ने में बहुत दिक्कत होना.- दर्द का गरदन और उस के ऊपर के भाग में फैलना.- रात के समय अधिक दर्द होना, छोटेछोटे काम जैसे कंघी करने, बटन बंद करने आदि में भी मुश्किल होना.- हाथ को पीछे की ओर करते वक्त कंधे में तेज दर्द होना.

3. बढ़ जाती हैं ये परेशानियां

फ्रोजन शोल्डर के कारण अवसाद, गरदन और पीठ दर्द, थकान, काम करने में असमर्थता इत्यादि समस्याएं भी हो सकती हैं. फ्रोजन शोल्डर से रोगी को मधुमेह, दौरा पड़ना, फेफड़ों का रोग, हृदय रोग आदि होने का भी डर रहता है. यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक पाई जाती है.आजमाएं ये उपाय

4. करें ये ऐक्सरसाइज

फ्रोजन शोल्डर के दर्द और अकड़न से राहत पाने के लिए रोजाना व्यायाम करें. पैंडुलम स्ट्रैच, टौवेल स्ट्रैच, फिंगर वाक, आर्मपिट स्ट्रैच, क्रौस बौडी रीच, कंधे को बाहर व अंदर की तरफ घुमाना जैसी कुछ ऐक्सरसाइज दर्द को कम करती हैं, लेकिन इन्हें करने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले लें.

स्वस्थ आहार लें: मसालेदार और तीखे भोजन का सेवन करने से बचें, क्योंकि इस से भी फ्रोजन शोल्डर की समस्या बढ़ सकती है, इसलिए ताजा और कम मसाले वाला खाना खाएं.

5. हीट और कोल्ड थेरैपी

दर्द से राहत पाने के लिए हीट या कोल्ड थेरैपी लें. फ्रोजन शोल्डर के दर्द को कम करने के लिए कंधे को 15 मिनट के लिए आइस पैक और 15 मिनट के लिए हीटिंग पैक से सेंकें. ऐसा दिन में 2-3 बार करें.

ये भी पढ़ें- गरम पानी पीने के इन 6 फायदों के बारे में जानती हैं आप

6. औयल मसाज करें

फ्रोजन शोल्डर में कंधे के दर्द को कम करने और कंधे में मूवमैंट के लिए औयल मसाज बेहतर उपाय है.

7. ऐक्यूपंक्चर और फिजियोथेरैपी

इस दर्द से जल्दी आराम पाने के लिए ऐक्यूपंक्चर चिकित्सा का सहारा ले सकते हैं या फिर इस का सब से अच्छा उपाय फिजियोथेरैपी है. इस से फ्रोजन शोल्डर के दर्द से जल्दी छुटकारा मिलता है.

Ex से भी हो सकती दोस्ती

जिस किसी का भी कभी ब्रेकअप हुआ है, वह यह बात जानता है कि ब्रेकअप करना आसान नहीं होता. मगर कभीकभी जब दोनों समझदार होते हैं, तो ऐक्स होने के बाद भी आपस में दोस्ती रखी जा सकती है. यदि रिश्ते में सब ठीक से न चल रहा हो तो कपल्स को अकसर ब्रेकअप करने का फैसला लेना पड़ता है. यह दुख की बात होती है जो व्यक्ति आप को अभी तक सब से प्रिय था, अब आप उस से अपने सुखदुख शेयर नहीं कर पाएंगे. पर यह बहुत अच्छी बात है कि आज की पीढ़ी काफी व्यावहारिक है और इस बात पर अलग तरह से सोचती है. कोई भी रिश्ता किसी भी कारण खत्म हो सकता है.

बदल रही सोच

कोई आप की लाइफ में एक रोल में फिट नहीं हुआ तो इस का मतलब यह भी नहीं कि वह दूसरे रोल में भी फिट नहीं होगा.

26 वर्षीय रूही अपने ऐक्स से इतनी कंफर्टेबल है कि अपनी कई बातें आज भी उस से शेयर करती है. उसे अपनी किसी भी प्रौब्लम में वही याद आता है. यहां तक कि उस के ऐक्स की नई गर्लफ्रैंड इसे खुशी से ऐक्सैप्ट करती है.

रूही कहती है, ‘‘हमारा ब्रेकअप हो गया. कुछ चीजें नहीं चलीं, पर मुझे पता है कि वह मुझे हमेशा सही सलाह देगा, मुझे उस के सामने किसी भी बात में असहजता नहीं होती. वह मेरा अच्छा व सच्चा दोस्त है. मेरी फैमिली को उस पर आज भी भरोसा है.’’

ये भी पढ़ें- सहेलियां जब बन जाएं बेड़ियां

यों बनाएं ऐक्स को दोस्त

फिल्म इंडस्ट्री में तो ऐक्स के साथ दोस्ती के कितने ही उदाहरण दिखाई दे जाते हैं. भले ही आप का ब्रेकअप हो गया हो, आप फिर भी उस के दोस्त बन कर रह सकते हैं, जिसे आप ने लंबे समय तक प्यार किया हो, उस की केयर की हो. यह मुश्किल हो सकता है पर कुछ तरीके हैं, जिन पर चल कर आप अपने ऐक्स के दोस्त बन कर रह सकते हैं और यह आप को अजीब भी नहीं लगेगा. जैसे:

– ब्रेकअप का कारण हमेशा यह नहीं होता कि आप ने गलतियां कीं. कभीकभी कुछ ऐसा होता है कि रिश्ता नहीं चल पाता. जो रिश्ता चल न पा रहा हो उसे जाने देना सीखें. एकदूसरे की गलतियां न बताएं. जो हो गया उसे भूल जाएं, एकदूसरे को माफ करें. यदि आप ब्रेकअप की डिस्कशन के समय बहस करेंगे तो स्थिति और खराब होगी. आप दोनों के बीच कड़वाहट और बढ़ेगी.

– रिश्तों को बनाए रखने में मेहनत लगती ही है. ब्रेकअप के बाद यही न सोचते रहें कि आप ने इस रिश्ते को बचाने के लिए कितना टाइम वेस्ट किया, कितनी ऐनर्जी वेस्ट की. इस से आप को बुरा ही लगेगा. एकदूसरे को अब दोस्त तो जरूर समझें. आप एकदूसरे को जानते तो हैं ही. एकदूसरे की मुश्किलों में एकदूसरे को सपोर्ट करना न छोड़ें.

– ब्रेकअप होते ही तुरंत दोस्ती की गाड़ी में सवार न हो जाएं. खुद को कुछ समय दें. अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख कर महत्त्वपूर्ण चीजों पर फोकस करना शुरू करें और उसी कंधे पर सिर रख कर फिर न रोएं, क्योंकि शेक्सपियर ने भी कहा है कि आशा सारे दुखों की जड़ है.

– रिश्ता खत्म हुआ है, आप दुखी हैं, दुखी हो लें, जितना शोक मनाना है मना लें. जब तक रोना आए, रो लें. उस के बाद अपने दोस्तों के साथ बाहर जाएं और ब्रेकअप पर कोई भी बात न करें. अपने ऐक्स को न कोई टैक्स्ट करें, न फोन करें.

– फौरन जल्दबाजी में कोई बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड न ढूंढ़ लें. सैंसिबल और मैच्योर सोच रखें.

– अपनेआप को उन ऐक्टिविटीज में व्यस्त करें, जिन्हें आप करना चाहते थे पर इस रिश्ते के कारण नहीं कर पाते थे.

– क्या आप ऐक्स के साथ दोस्ती करने की दुविधा में हैं? यह बड़ा कदम उठाने से पहले आप अच्छी तरह सोच लें कि आप अपने ऐक्स के साथ दोस्ती क्यों करना चाहते हैं. एक ही फ्रैंड सर्किल के लिए या कालेज में एक ही क्लास के लिए?

ये भी पढ़ें- #coronavirus: Quarantine टाइम को बनाएं क्वालिटी टाइम

– यदि आप की कैमिस्ट्री अपने ऐक्स के साथ वैसी नहीं है जैसी यह रिश्ता शुरू करने के पहले थी तो इस दोस्ती जैसी भावना को पनपने देने के लिए ज्यादा न सोचें. रहने ही दें. यह कोशिश आप को कुछ और चीजों में हर्ट कर सकती है वह भी तब जब आप टूटे हुए रिश्ते से बाहर आ ही रहे हैं.

– यदि वह और लोगों के साथ बाहर जा रही है तो इस बात की रिस्पैक्ट करते हुए जीवन में खुद भी आगे बढ़ने की कोशिश करें. सिर्फ उस के डेटिंग पैटर्न पर नजर रखने के लिए उस का दोस्त बनना आप को दुख देगा. इसलिए पौजिटिव रहें और खुद भी लाइफ ऐंजौय करने की कोशिश करें.

Serial Story: वह चालाक लड़की (भाग-1)

रोज की तुलना में अंजुल आज जल्दी उठ गई. आज उस का औफिस में पहला दिन है. मास मीडिया स्नातकोत्तर करने के बाद आज अपनी पहली नौकरी पर जाते हुए उस ने थोड़ा अधिक परिश्रम किया. अनुपम देहयष्टि में वह किसी से उन्नीस नहीं.

सभी उस की खूबसूरती के दीवाने थे. अपनी प्रखर बुद्धि पर भी पूर्ण विश्वास है. अपने काम में तीव्र तथा चतुर. स्वभाव भी मनमोहक, सब से जल्दी घुलमिल जाना, अपनी बात को कुशलतापूर्वक कहना और श्रोताओं से अपनी बात मनवा लेना उस की खूबियों में शामिल है. फिर भी उस ने यह सुन रखा है कि फर्स्ट इंप्रैशन इज द लास्ट इंप्रैशन. तो फिर रिस्क क्यों लिया जाए भले?

मचल ऐडवर्टाइजिंग ऐजेंसी का माहौल उसे मनमुताबिक लगा. आबोहवा में तनाव था भी और नहीं भी. टीम्स आपस में काम को ले कर खींचातानी में लगी थीं किंतु साथ ही हंसीठिठोली भी चल रही थी. वातावरण में संगीत की धुन तैर रही थी और औफिस की दीवारों पर लोगों ने बेखौफ ग्राफिटी की हुई थी.

अंजुल एकबारगी प्रसन्नचित्त हो उठी. उन्मुक्त वातावरण उस के बिंदास व्यक्तित्व को भा गया. उस की भी यही इच्छा थी कि जो चाहे कर सकने की स्वतंत्रता मिले. आज तक  अपने जीवन को अपने हिसाब से जीती आई थी और आगे भी ऐसा ही करने की चाह मन में लिए जीवन के अगले सोपान की ओर बढ़ने लगी.

ये भी पढे़ं- अजनबी: आखिर कौन था उस दरवाजे के बाहर

बौस रणदीप के कैबिन में कदम रखते हुए अंजुल बोली, ‘‘हैलो रणदीप, आई एम अंजुल, योर न्यू इंप्लोई.’’ उस की फिगर हगिंग यलो ड्रैस ने रणदीप को क्लीन बोल्ड कर दिया. फिर ‘‘वैलकम,’’ कहते हुए रणदीप का मुंह खुला का खुला रह गया.

अंजुल को ऐसी प्रतिक्रियाओं की आदत थी. अच्छा लगता था उसे सामने वाले की ऐसी मनोस्थिति देख कर. एक जीत का एहसास होता था और फिर रणदीप तो इस कंपनी का बौस है. यदि यह प्रभावित हो जाए तो ‘पांचों उंगलियां घी में और सिर कड़ाही में’ वाली कहावत को चिरतार्थ होते देर नहीं लगेगी. वैसे रणदीप करीब 40 पार का पुरुष था, जिस की हलकी सी तोंद, अधपके बाल और आंखों के नीचे काले घेरे उसे आकर्षक की परिभाषा से कुछ दूर ही रख रहे थे.

अंजुल अपना इतना होमवर्क कर के आई थी कि उस का बौस शादीशुदा है. 1 बच्चे का बाप है, पर जिंदगी में तरक्की करनी है तो कुछ बातों को नजरअंदाज करना ही होता है, ऐसी अंजुल की सोच थी.

अपने चेहरे पर एक हलकी स्मित रेखा लिए अंजुल रणदीप के समक्ष बैठ गई. उस का मुखड़ा जितना भोला था उस के नयन उतने ही चपल दिल मोहने की तरकीबें खूब आती थीं.

रणदीप लोलुप दृष्टि से उसे ताकते हुए कहने लगा, ‘‘तुम्हारे आने से इस ऐजेंसी में और भी बेहतर काम होगा, इस बात का मुझे विश्वास है. मुझे लगता है तुम्हारे लिए मीडिया प्लानिंग डिपार्टमैंट सही रहेगा. अपने ए वन ग्रेड्स और पर्सनैलिटी से तुम जल्दी तरक्की कर जाओगी.’’

‘‘मैं भी यही चाहती हूं. अपनी सफलता के लिए आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा करती जाऊंगी,’’ द्विअर्थी संवाद करने में अंजुल माहिर थी. उस की आंखों के इशारे को समझाते हुए रणदीप ने उसे एक सरल लड़के के साथ नियुक्त करने का मन बनाया. फिर अपने कैबिन में अर्पित को बुला कर बोला, ‘‘सीमेंट कंपनी के नए प्रोजैक्ट में अंजुल तुम्हें असिस्ट करेंगी. आज से ये तुम्हारी टीम में होंगी.’’

‘‘इस ऐजेंसी में तुम्हें कितना समय हो गया?’’ अंजुल ने पहला प्रश्न दागा.

अर्पित एक सीधा सा लड़का था. बोला, ‘‘1 साल. अच्छी जगह है काम सीखने के लिए. काफी अच्छे प्रोजैक्ट्स आते रहते हैं. तुम इस से पहले कहां काम करती थीं?’’

अर्पित की बात का उत्तर न देते हुए अंजुल ने सीधा काम की ओर रुख किया, ‘‘मुझे क्या करना होगा? वैसे मैं क्लाइंट सर्विसिंग में माहिर हूं. मैं चाहती हूं कि मुझे इस सीमेंट कंपनी और अपनी क्रिएटिव टीम के बीच कोऔर्डिनेशन का काम संभालने दिया जाए.’’

अगले दिन अंजुल ने फिर सब से पहले रणदीप के कैबिन से शुरुआत की, ‘‘हाय रणदीप, गुड मौर्निंग,’’ कर उस ने पहले दिन सीखे सारे काम का ब्योरा देते हुए रणदीप से कुछ टिप्स लेने का अभिनय किया और बदले में रणदीप को अपने जलवों का भरपूर रसास्वादन करने दिया. रणदीप की मधुसिक्त नजरें अंजुल के सुडौल बदन पर इधरउधर फिसलती रहीं और वह बेफिक्री से मुसकराती हुई रणदीप की आसक्ति को हवा देती रही.

जल्द ही अंजुल ने रणदीप के निकट अपनी जगह स्थापित कर ली. अब यह रोज का क्रम था कि वह अपने दिन की शुरुआत रणदीप के कैबिन से करती. रणदीप भी उस के यौवन की खुमारी में डुबकी लगाता रहता.

ये भी पढ़ें- कैसा मोड़ है यह: माला और वल्लभ को कैसा एहसास हुआ

उस सुबह कौफी देने के बहाने रणदीप ने अंजुल के हाथ को हौले से छुआ. अंजुल ने इस की प्रतिक्रिया में अपने नयनों को झाका कर ही रखा. वह नहीं चाहती थी कि रणदीप की हिम्मत कुछ ढीली पड़े. फिर काम दिखाने के बहाने वह उठी और रणदीप के निकट जा कर ऐसे खड़ी हो गई कि उस के बाल रणदीप के कंधे पर झालने लगे. इशारों की भाषा दोनों तरफ से बोली जा रही थी.

तभी अर्पित बौस के कैबिन में प्रविष्ट हुआ तो दोनों संभल गए. उफनते दूध में पानी के छींटे लग गए. किंतु अर्पित के शांत प्रतीत होने वाले नयनों ने अपनी चतुराई दर्शाते हुए वातावरण को भांप लिया.

इस प्रकरण के बाद अर्पित का अंजुल के प्रति रवैया बदल गया. अब तक अंजुल को नई

सीखने वाली मान कर अर्पित उस की हर मुमकिन मदद कर रहा था, परंतु आज के दृश्य के बाद वह समझा गया कि इस मासूम दिखने वाली सूरत के पीछे एक मौकापरस्त लड़की छिपी है. कौरपोरेट वर्ल्ड एक माट्स्करेड पार्टी की तरह हो सकता है जहां हरकोई अपने चेहरे पर एक मास्क लगाए अपनी असली सचाई को ढकते हुए दूसरों के सामने अपनी एक छवि बनाने को आतुर है.

आज लंच में अर्पित ने अंजुल को टालते हुए कहा, ‘‘आज मुझे कुछ काम है. तुम लंच कर लो,’’ वह अब अंजुल से बहुत निकटता नहीं चाह रहा था. उस की देखादेखी टीम के अन्य लोगों ने भी अंजुल को टालना आरंभ कर दिया. इस से अंजुल को काम समझाने और करने में दिक्कत आने लगी.

‘‘जो नई पिच आई है, उस में मैं तुम्हारे साथ चलूं? मुझे पिच प्रेजैंटेशन करना आ जाएगा,’’ अंजुल ने अपनी पूरी कमनीयता का पुट लगा कर अर्पित से कहा. अपने कार्य में दक्ष होते हुए भी उस ने अर्पित की ईगो मसाज की.

‘‘उस का सारा काम हो चुका है. तुम्हें अगली पिच पर ले चलूंगा. आज तुम औफिस में दूसरी प्रेजैंटेशन पर काम कर लो,’’ अर्पित ने हर प्रयास करना शुरू कर दिया कि अंजुल केवल औफिस में ही व्यस्त रहे.

अपने हाथ से 2 पिच के अवसर निकलते ही अंजुल भी अर्पित की चाल समझाने लगी, ‘उफ, बेवकूफ है अर्पित जो मुझे इतना सरलमति समझा रहा है. क्या सोचता है कि यदि यह मुझे अवसर नहीं प्रदान करेगा तो मैं अनुभवहीन रह जाऊंगी,’ सोचते हुए अंजुल ने सीधा रणदीप के कैबिन में धावा बोल दिया.

‘‘रणदीप, क्या मैं आप के साथ आज लंच कर सकती हूं? आप के साथ मेरे इंडक्शन की फीडबैक बाकी है,’’ अंजुल ने अपने प्रस्ताव को इस तरह रखा कि वह आवश्यक कार्य प्रतीत हुआ. अत: रणदीप ने सहर्ष स्वीकारोक्ति दे दी.

ये भी पढ़ें- खौफ: क्या था स्कूल टीचर अवनि और प्रिंसिपल मि. दास के रिश्ते का सच

लंच के दौरान अंजुल ने अपने काम का ब्योरा दिया और साथ ही दबेढके शब्दों में एक स्वतंत्र क्लाइंट लेने की पेशकश कर डाली, ‘‘टीम में सभी इतने व्यस्त रहते हैं कि किसी से काम सीखना मुझे उन के काम में रुकावट बनना लगता है और फिर अपनी शिक्षा, प्रशिक्षण व अनुभव के बल पर मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक क्लाइंट मैं हैंडल कर सकती हूं, यदि आप अनुमति दें तो?’’

आगे पढ़ें- बातचीत के दौरान अंजुल के नयनों…

Serial Story: वह चालाक लड़की (भाग-2)

बातचीत के दौरान अंजुल के नयनों का मटकना, उस के भावों का अर्थपूर्ण चलन उस के अधरों पर आतीजाती स्मितरेखा, कभी पलकें उठाना तो कभी झाकाना, सबकुछ इतना मनमोहक था कि रणदीप के पुरुषमन ने उसे एक अवसर देने का निश्चय कर डाला, ‘‘ठीक है, सोचता हूं कि तुम्हें किस अकाउंट में डाल सकता हूं.’’

उस शाम अंजुल ने आर्ट गैलरी में कुछ समय व्यतीत करने का सोची. जब से जौब लगी तब से उस ने कोई तफरी नहीं की. दिल्ली आर्ट गैलरी शहर की नामचीन जगहों में से एक है सो वहीं का रुख कर लिया. मंथर गति से चलते हुए अंजुल वहां सजी मनोरम चित्रकारियां देख रही थी कि अगली पेंटिंग पर प्रचलित लौंजरी ब्रैंड ‘औसम’ के मालिक महीप दत्त को खड़ा देखा. ऐजेंसी में उस ने सुना था कि पहले महीप दत्त का अकाउंट उन्हीं के पास था, किंतु पिछले साल से उन्होंने कौंट्रैक्ट रद्द कर दिया, जिस के कारण ऐजेंसी को काफी नुकसान हुआ. स्वयं को सिद्ध करने का यह स्वर्णिम अवसर वह जाने कैसे देती. उस ने तुरंत महीप दत्त की ओर रुख किया.

‘‘आप महीप दत्त हैं न ‘औसम’ ब्रैंड के मालिक?’’ अपने मुख पर उत्साह के सैकड़ों दीपक जला कर उस ने बात की शुरुआत की.

‘‘यस. आप हमारी क्लाइंट हैं क्या?’’ महीप अपने ब्रैंड को प्रमोट करने का कोई मौका नहीं चूकते थे.

‘‘मैं आप की क्लाइंट हूं और आप मेरे.’’

‘‘मैं कुछ समझा नहीं?’’

ये भी पढे़ं- कर्तव्य: क्या दीपक और अवनि इस इम्तिहान में खरे उतरे

‘‘दरअसल, मैं आप के ब्रैंड की लौंजरी इस्तेमाल करती हूं और एक हैप्पी क्लाइंट हूं. मेरा नाम अंजुल है और मैं मचल ऐडवर्टाइजिंग ऐजेंसी में कार्यरत हूं, जिस के आप एक हैप्पी क्लाइंट नहीं हैं. सही कहा न मैं ने?’’ वह अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली.

‘‘तो आप यहां मचल की तरफ से आई हैं?’’ महीप ने हैंड शेक करते हुए कहा, परंतु उन के चेहरे पर तनाव की रेखाएं सर्वविदित थीं, ‘‘मैं काम की बात केवल अपने औफिस में करता हूं,’’ कहते हुए वे आगे बढ़ गए.

‘‘काम की बात तो यह है महीप दत्तजी कि मैं आप को वह फीडबैक दे सकती हूं, जो आप के लिए सुननी जरूरी है और वह भी फ्री में. मैं यहां आप से मचल की कार्यकर्ता बन कर नहीं, बल्कि आप की क्लाइंट के रूप में मिल रही हूं. विश्वास मानिए, मुझे आइडिया भी नहीं था कि मैं यहां आप से मिल जाऊंगी,’’ अंजुल के चेहरे पर मासूमियत के साथ ईमानदारी के भाव खेलने लगे. वह अपने चेहरे की अभिव्यक्ति को स्थिति के अनुकूल मोड़ना भली प्रकार जानती थी.

बोली, ‘‘मैं जानती हूं कि अब आप अपने विज्ञापन किसी एजेंसी के द्वारा नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर इन्फ्लुऐंसर के जरीए करते हैं. किंतु एक इन्फ्लुऐंसर की पहुंच केवल उस के फौलोअर्स तक सीमित होती है. मेरा एक सुझाव है आप को- आप का प्रोडक्ट प्रयोग करने वाली महिलाएं आम गृहिणियां या कामकाजी महिलाएं अधिक होती हैं, उन की फिगर मौडल की दृष्टि से बिलकुल अलग होती है.

‘‘मौडल का शरीर एक आदर्श फिगर होता है, जबकि आम महिला की जरूरत भिन्न होती है. तो क्यों न आप अपने विज्ञापन में मौडल की जगह आम महिलाओं से अपनी बात कहलवाएं. यदि वे कहेंगी तो यकीनन अधिक प्रभाव पड़ेगा,’’ अपनी बात कह कर अंजुल महीप दत्त की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगी.

कुछ क्षण मौन रह कर महीप ने अंजुल के सुझाव को पचाया. फिर अपनी कलाई पर

बंधी घड़ी देख कहने लगे, ‘‘तुम से मिल कर अच्छा लगा, अंजुल. आल द बैस्ट,’’ और महीप चले गए.

उन के चेहरे पर कोई भाव न पढ़ने के कारण अंजुल असमंजस में वहीं खड़ी रह गई.

अगले दिन अंजुल औफिस में अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी कि रणदीप का फोन आया, ‘‘क्या मेरे कैबिन में आ सकती हो?’’

अंजुल तुरंत रणदीप के कैबिन में पहुंची. वहां उन के साथ महीप दत्त को बैठा देख कर उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. सिर हिला कर हैलो किया. रणदीप ने उसे बैठने का इशारा किया.

‘‘महीप हमारे साथ दोबारा जुड़ना चाहते हैं और साथ ही यह भी कि उन का अकाउंट तुम हैंडल करो,’’ कहते हुए रणदीप के मुख पर कौंटै्रक्ट वापस मिलने की प्रसन्नता थी तो अंजुल के चेहरे पर अपनी जीत की दमक. अब उस के रास्ते में कोई रोड़ा न था. उस ने साधिकार अपना स्वतंत्र अकाउंट प्राप्त किया था.

‘‘इस कौंट्रैक्ट की खुशी में क्या मैं आप को एक डिनर के लिए इन्वाइट कर सकती हूं?’’ अचानक अंजुल ने पूछा.

यह सुन कर रणदीप चौंक गया. फिर बोला, ‘‘कल चलते हैं. आज मुझे अपनी पत्नी के साथ बाहर जाना है,’’ रणदीप ने जानबूझा कर अपनी पत्नी का जिक्र छेड़ा ताकि अंजुल भविष्य की कोई कल्पना न करने लगे और फिर फ्लर्ट किसे बुरा लगता है खासकर तब जब सबकुछ सेफजोन में हो.

ये भी पढ़ें- Short Story: नाम की केंचुली

‘औसम’ के औफिस में जब अंजुल मीडिया प्लानिंग डिपार्टमैंट की तरफ से क्रिएटिव दिखाने पहुंची तो वहां उसे करण मिला. करण ‘औसम’ की ओर से अंजुल को काम समझाने के लिए नियुक्त किया गया था. आज एक लौंजरी ब्रैंड के साथ मीटिंग के लिए अंजुल बेहद सैक्सी ड्रैस पहन कर गई. उसे देखते ही करण, जोकि लगभग उसी की उम्र का अविवाहित लड़का था, अंजुल पर आकृष्ट हो उठा. जब उसे ज्ञात हुआ कि अंजुल के यहां आने का उपलक्ष्य क्या है, तो उस के हर्ष ने सीमा में बंधने से इन्कार कर दिया.

‘‘हाय अंजुल,’’ करण की विस्फारित आंखें उस के मन का हाल जगजाहिर कर रही थीं, ‘‘मैं तुम्हारा मार्केटिंग क्लाइंट हूं.’’

होंठों को अदा से भींचती हुई अंजुल ने जानबूझा कर अपना हाथ बढ़ा कर मिलाते हुए कहा, ‘‘और मैं तुम्हें सर्विस दूंगी, पर कोई ऐसीवैसी सर्विस न मांग लेना वरना…’’ कहते हुए अंजुल ने उस के कंधे पर आहिस्ता से अपना हाथ रखा और हंस पड़ी.

उस के शरारती नयन करण के अंदर एक सुरसुरी पैदा करने लगे. मन ही मन वह बल्लियों उछलने लगा. आज से पहले उस ने कभी इतनी हौट लड़की के साथ काम नहीं किया था. बहुत जल्दी दोनों में दोस्ती हो गई. करण ने अंजुल को अगले हफ्ते अपने औफिस की पार्टी का न्योता दे डाला.

‘‘इतनी जल्दी पार्टी इन्वाइट? हम आज ही मिले हैं,’’ अंजुल ने करण की गति को थामने का नाटक करते हुए कहा.

‘‘मैं टाइम वेस्ट करने में विश्वास नहीं करता,’’ वह अपने पूरे वेग से दौड़ना चाह रहा था.

‘‘दिन में सपने देख रहे हो…’’

‘‘दिन में सपने देखने को प्लानिंग कहते हैं, मैडम,’’ अंजुल की खुमारी पहले ही दिन से करण के सिर चढ़ कर बोलने लगी.

पार्टी में अंजुल काली चमकदार ड्रैस में कहर ढा रही थी. करण तो उस के पास से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था. कभी दौड़ कर स्नैक्स लाता तो कभी ड्रिंक.

‘‘क्या कर रहे हो करण. मैं खुद ले लूंगी जो मुझे चाहिए होगा,’’ उस की इन हरकतों से मन की तहों में पुलकित होती अंजुल ने ऊपरी आवरण ओढ़ते हुए कहा.

‘‘ये सब मैं तुम्हारे लिए नहीं, अपने लिए कर रहा हूं. मुझे पता है किस को खुश करने से मैं खुश रहूंगा,’’ करण फ्लर्ट करने का कोई अवसर नहीं गंवाना चाहता था.

ये भी पढ़ें- ई. एम. आई.: क्या लोन चुका पाए सोम और समिधा?

पार्टी में सब ने बहुत आनंद उठाया. खायापीया, थिरकेनाचे. पार्टी खत्म होने

को थी कि अंजुल के पास अचानक महीप आ पहुंचे. इसी बात की राह वह न जाने कब से देख रही थी.

औसम की पार्टी में आने का एक कारण यह भी था.

‘‘तुम्हें यहां देख कर अच्छा लगा,’’ संक्षिप्त सा वाक्य महीप के मुख से निकला.

आगे पढें- कुछ माह बीतने के बाद इतने…

Serial Story: वह चालाक लड़की (भाग-4)

‘‘हमारे तो शहर की रौनक ही चली गई,’’ करण ने अपने स्वर में उदासी घोलने का अभिनय किया. अच्छा, मैं ने कुछ भेजा है तुम्हें… अपने फोन में चैक करो मेरी किस मिला क्या?’’ करण ने अंजुल को एक चुंबन की इमोजी भेजी.

‘‘तुम भी न,’’ अंजुल को लगने लगा कि दूर होने से शायद करण को उस की कमी खल रही है और वह रिश्ते को आगे बढ़ाने की फिराक में है. खैर, इस समय करण उस का काम आपने औफिस में करवाता रहे, अंजुल को यही चाहिए था.

आज ऋषि ने बताया कि शाम को औफिस में एक एचआर इवेंट है, जिस में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे जाने वाले हैं. आमंत्रण पर अंजुल शाम तक वहीं रुक गई. कई लोगों ने रंगारंग

कार्यक्रम में अपने हुनर दर्शाए. ऋषि की दरख्वास्त पर अंजुल ने एक गाना गया, ‘ख्वाबों में बसे हो तुम, तुम्हें दिल में छुपा लूंगी,

जब चाहे तुम्हें देखूं, आईना बना लूंगी…’

‘‘मैं तुम्हारे गाने पर फिदा हो गया,’’ महफिल की समाप्ति पर ऋषि ने कहा.

‘‘बस गाने पर?’’अंजुल ने तिरछी मुसकान लिए पूछा.

‘‘अरे, मैं तो तुम्हारी हर अदा पर मिटने लगा हूं.’’

‘‘अच्छा फ्लर्ट कर लेते हो,’’ अंजुल थोड़ा लजाते हुए बोली.

ये भी पढ़ें- फैसला: सुरेश और प्रभाकर में से बिट्टी ने किसे चुना

‘‘कौन कमबख्त फ्लर्ट कर रहा है, मैं तो सचाई बयान कर रहा हूं,’’ ऋषि ने भरपूर अदायगी से उत्तर दिया.

आज गाना गाते हुए अंजुल ने कई बार ऋषि को आंखों ही आंखों में इशारे किए थे, जिन से उस की हिम्मत काफी बढ़ गई. यह बात ऋषि के साथ औफिस के और कई लोगों ने भी भांप ली.

अब कई सहकर्मी अंजुल व ऋषि को एकदूसरे के साथ छेड़ने लगे. अंजुल इस छेड़खानी से पुलकित हो उठती. ऋषि भी मुसकरा कर अपनी सहमति दिखाता.

‘‘आज मुंबई के मौसम की खनक सुनने का मन कर रहा है. शाम को जुहू बीच ले चलो न…’’ अंजुल इठला कर कहने लगी.

औफिस के बाद ऋषि और अंजुल जुहू बीच के लिए निकल गए. रात को चांद की मखमली ठंडी लुनाई में दोनों ने एक एकांत कोना खोज निकाला. वहां की ठंडी सीली रेत पर बैठ कर वे आतीजाती लहरों में अपने पांव भिगोने  लगे.

कुछ ही देर में अंजुल ने गुनगुनाना आरंभ किया, ‘ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा, कहा दो दिलों ने कि मिल कर कभी हम न होंगे जुदा…’

अंजुल की आंखों में कुछ ऐसा आकर्षण था कि ऋषि ने आगे बढ़ कर उस के अधरों पर अपने अधर रख दिए. अंजुल ने भी उसे नहीं रोका. कुछ पानी की शीतलता, कुछ चांदनी की खुमारी, कुछ उम्र का उफान… इन स्नेहिल क्षणों में दोनों ने अपने रिश्ते को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया.

दिल्ली लौट कर अंजुल ने सब से पहले रणदीप से मुलाकात की.

‘‘आप आए बहार आई. भई, यहां हमारा औफिस अधिक वीरान हो गया था या हमारा दिल, कहना जरा मुश्किल है,’’ हर बार की तरह हलकाफुलका फ्लर्ट करते हुए रणदीप ने उसे देखते ही कहा, ‘‘तुम्हारे लौटने की खुशी में कल एक पार्टी रखी है. पार्टी में अच्छे से तैयार हो कर आना. तुम्हारा दमकता रूप देखने का मन हो रहा है.’’

अंजुल मन ही मन चिढ़ गई कि अपनी तो बीवी है, बच्चा है, गृहस्थी है. ऐसे में फ्लर्ट करने को भी मिल जाए तो क्या बुरा है. मुझे तो अपने बारे में खुद ही सोचना पड़ेगा न. फिर ऊपर से हंसते हुए अपनी लटों को अदा से कानों के पीछे धकेलते हुए कहने लगी, ‘‘आप बुरा न मानें तो अपने क्लाइंट को भी बुला लूं?’’

रणदीप ने सहर्ष स्वीकृति दे दी.

करण को जैसे ही ज्ञात हुआ कि अंजुल शहर में लौट आई है, उस ने तुरंत उसे फोन किया, ‘‘हाय जानेमन, तभी आज मौसम इतना कातिलाना हुआ जा रहा है.’’

‘‘हाहा… कोरी बातें बनाना तो कोई तुम से सीखे. पर अभी नहीं, कल मेरे औफिस की पार्टी में मुलाकात होगी. अभी मैं काफी व्यस्त हूं,’’ जल्दबाजी में अंजुल ने फोन काट दिया.

उस की बेरुखी करण को अटपटी अवश्य लगी, मगर पार्टी में जो धमाका उस की प्रतीक्षारत था, वह उस की कल्पना से भी परे था.

ये भी पढ़ें- पार्टनर: पाने के लिए कुछ खोना भी तो पड़ता है

पार्टी में अंजुल खिलखिलाती हुई ऋषि की बांहों में बांहें डाले प्रविष्ट हुई. प्यार में मदहोश दोनों एक प्रेमसिक्त युगल जोड़ा प्रतीत हो रहा. सर्वप्रथम वह रणदीप की ओर बढ़ी, ‘‘इन से मिलिए रणदीप, ये हैं ऋषि मुंबई के हमारे क्लाइंट,’’ अंजुल और ऋषि के मुखड़ों पर फैली रोशनी उन का रिश्ता समझाने के लिए पर्याप्त थी.

‘‘आई एम हैप्पी फौर यू, अंजुल,’’ रणदीप ने कहा तो अंजुल आगे कहने लगी, ‘‘केवल हैप्पी होने से काम नहीं चलेगा, मुझे आप से कुछ चाहिए. मैं मुंबई औफिस में स्थानांतरण चाहती हूं.’’

अंजुल के मुख से अचानक यह सुन कर रणदीप को एक झाटका लगा, ‘‘नहीं अंजुल, यह संभव नहीं. तुम्हारी हमारे दिल्ली औफिस में बेहद आवश्यकता है. मैं तुम्हें मुंबई नहीं भेज सकता.’’ उस ने दो टूक जवाब दे कर अंजुल का हौसला गिराना चाहा.

तभी करण ने पार्टी में प्रवेश किया. आज अंजुल ने उस की ओर से नजर फेर ली.

करण अंजुल के बदले रुख पर हैरान हो ही रहा था कि किसी ने शायरी की फरमाइश कर दी. सभी कुछनकुछ सुनाने लगे. जब माइक अंजुल की तरफ बढ़ाया गया तो उस ने सुनाया:

‘‘सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां.

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां.’’

उस के इस शेर पर खूब तालियां बजीं. चुप थे तो बस रणदीप और करण. आज के इस समा के लिए दोनों ही तैयार न थे.

अगला नंबर करण का आया. उस ने अपनी आवाज में पूरा दर्द उड़ेल कर कहा:

‘‘मैं ने सहेज रखी हैं तुम से जुड़ी सभी यादों को. अकसर हंस देता हूं मैं याद कर उन वादों को.’’

मगर अंजुल ने उस की बात के मर्म पर किंचित ध्यान नहीं दिया, उलटा उन्मुक्त हास लिए उस से ऋषि को मिलवाया.

अगले दिन औफिस में अंजुल ने रणदीप की मेज पर अपना  त्यागपत्र रखा, ‘‘रणदीप, यदि आप मेरा 15 दिन का नोटिस पीरियड छोड़ देंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी, लगेगा कि मेरे काम की, मेरी मेहनत की कदर की आप ने.’’

‘‘अंजुल, किसी के वादों के लिए अपनी जौब छोड़ना अक्लमंदी नहीं होती. मैं कहता हूं एक बार फिर सोच लो,’’ रणदीप के लिए अंजुल का यह कदम अप्रत्याशित था.

‘‘रणदीप, वादों व सपनों में तो मैं अब तक घिरी थी. लेकिन अब मैं यथार्थ की धरा पर खड़ी हूं. मैं ने ऋषि से शादी कर ली है.’’

ये भी पढ़ें- आखिर कब तक: मनु ने शुभेंदु की ऐसी कौन सी करतूत जान ली

अंजुल की इस बात से जैसे रणदीप को करंट लगा, ‘‘और जो यहां रह गया है?’’

‘‘नौट माई सर्कस, नौट माई मनी, मुझे क्या करना है,’’ आज अंजुल केवल अपने आने वाले वक्त के बारे में सोच रही थी. आखिर उसे वह मिल गया था, जिस की तलाश में वह अब तक इधरउधर भटकती रही थी.

Serial Story: वह चालाक लड़की (भाग-3)

‘‘तुम महीप दत्त को कैसे जानती हो?’’ उन की मुलाकात से करण अवश्य अचरज में पड़ गया, ‘‘बहुत ऊंची चीज लगती हो.’’

‘‘हैलो, चीज किसे बोल रहे हो?’’ अंजुल ने अपनी कोमल उंगलियों से एक हलकी सी चपत करण के गाल पर लगाते हुए कहा, ‘‘आफ्टर औल, महीप दत्त हमारे क्लाइंट हैं,’’ उस ने इस से अधिक कुछ बताने की आवश्यकता नहीं समझा.

अंजुल हर दूसरे दिन औसम के औफिस पहुंच जाती. करण से फ्लर्ट करने से उस के कई काम बन जाते, यहां तक कि जब उस की ऐड कैंपेन डिजाइन में कुछ कमी रह जाती तब भी उसे काम करवाने के लिए फालतू समय मिल जाता. ‘औसम’ के फाइनैंस सैक्सशन से भी अंजुल एकदम समय पर पेमैंट निकलवाने में कारगर सिद्ध होती.

‘‘हमारे यहां एक फाइनैंस डिपार्टमैंट पेमैंट को ले कर बहुत बदनाम है, पर देखता हूं कि तुम्हारी हर पेमैंट टाइम से हो जाती है. वहां भी अपना जादू चलाती हो क्या?’’ एक दिन करण के पूछने पर अंजुल खीसें निपोरने लगी. अब उसे क्या बताती कि अपनी सैक्सी बौडी पर मर्दों की लोलुप्त नजरों को झेलना उस की कोई मजबूरी नहीं, अपितु कई नफे हैं. जरा अदा से हंस दिए, एकाध बार हाथ से हाथ छुआ दिया, आंखों की गुस्ताखियों वाला खेल खेल लिया और बन गया अपना मन चाहा काम.

ये भी पढ़ें- Short Story: अंत भला तो सब भला

कुछ माह बीतने के बाद इतने दिनों की जानपहचान, हर मुलाकात में फ्लर्ट, दोनों का लगभग एक ही उम्र का होना, ऐसे कारणों की वजह से अंजुल को आशा थी कि संभवतया करण उस के साथ लिवइन में रहने की पेशकश कर सकता है. तभी तो वह हर बार अपने मकानमालिक के खड़ूस होने, अधिक किराया होने, कमरा अच्छा न होने जैसी बातें किया करती, ‘‘काश, मैं किसी के साथ अपना किराया आधा बांट सकती.’’

‘‘तुम अपना रूम शेयर करने को तैयार हो? मैं तो कभी भी शेयर न करूं. मुझे अपनी प्राइवेसी बहुत प्यारी है,’’ करण की ऐसी फुजूल की बातों से अंजुल का मनोबल गिर जाता.

‘‘जरा मेरे कैबिन में आना, अंजुल,’’ रणदीप ने इंटरकौम पर कहा.

अंजुल ने उस के कैबिन में प्रवेश किया तो हर ओर से ‘हैप्पी बर्थडे टु यू’ के सुर गुंजायमान होने लगे.

रणदीप आज उस का जन्मदिन खास अपने कैबिन में औफिस के सभी लोगों को बुला कर मना रहा था, ‘‘अंजुल, हमारे औफिस में जब से आईं हैं तब से इन की मेहनत और लगन ने हमारी ऐजेंसी को कहां से कहां पहुंचा दिया…’’, रणदीप सब को संबोधित करते हुए कहने लगा.

‘‘ऐसा लग रहा है जैसे हम तो यहां काम करने नहीं तफरी करने आते हैं,’’ लोगों में सुगबुगाहट होने लगी.

‘‘हमारा तो कभी जन्मदिन नहीं मनाया गया,’’ अर्पित फुंका बैठा था. आखिर उस के नीचे आई अंजुल आज औफिस में उस से अधिक धूम मचा रही थी.

‘‘आप अंजुल हैं क्या जो रणदीप आप की तरफ यों मेहरबान हों?’’ दबेढके ठहाकों के स्वर अंजुल के कानों में चुभने लगे.

औफिस में शानदार पार्टी फिर कभी रणदीप तो कभी करण तो कभी फाइनैंस डिपार्टमैंट के अनिल साहब… अंजुल ने कहां नहीं अपने तिलिस्म का जादू बिखेरने का प्रयास किया. किंतु हाथ क्या लगा. केवल दफ्तर के लोगों की खुसपुसाहट. पुरुष सहकर्मियों की लार टपकाती निगाहें या फिर महिला सहकर्मियों की घृणास्पद हेय दृष्टि.

आज अंजुल पूरे 32 वर्ष की हो गई थी, परंतु इतनी खूबसूरती और इतनी हौट फिगर होते हुए भी कोई उस का हाथ थामने को तैयार नहीं था. सब को केवल उस की कमर में अपनी बांह की चाहत थी. व्यग्र मन और निद्राहीन नयन लिए अंजुल कई घंटे बिस्तर पर लेटी अपने कमरे की छत ताकती रही.

जब पिछले महीने वह अपना रूटीन चैकअप करवाने डाक्टर के पास गई थी तब उस लेडी डाक्टर ने भलमनसाहत में सलाह दी थी कि देखिए अंजुल, स्त्रियों का शरीर एक जैविक घड़ी के हिसाब से चलता है. मां और बच्चे की अच्छी सेहत के लिए 30 वर्ष की आयु से पहले बच्चा हो जाए तो सर्वोत्तम रहता है किंतु 35 वर्ष से देर करना श्रेयस्कर नहीं रहता. आप की बायोलौजिकल क्लौक चल रही है. आप को सैटल होने के बारे में सोचना चाहिए. इन विचारों में घिरी अंजुल के कानों में घड़ी की टिकटिक का शोर बजने लगा. व्याकुलता से उस ने तकिए से अपने कान ढक लिए.

ये भी पढ़ें- सबक: जब फ्लर्टी पति को सबक सिखाने के जाल में खुद फंसी अंजलि

अगले दिन अंजुल ने औफिस में एक नए प्रोजैक्ट की पिच के बारे में सुना तो रणदीप से उसे मांगने पहुंच गई.

‘‘परंतु यह प्रोजैक्ट मुंबई में है और तुम दिल्ली का ‘औसम’ अकाउंट हैंडल कर रही हो,’’ रणदीप के सुरों में हिचकिचाहट थी.

‘‘सो वाट, रणदीप, मैं दोनों को हैंडल कर सकती हूं. मुंबई में भी तो हमारा एक औफिस है. मैं वहां विजिट करती रहूंगी और ‘औसम’ तो जाती ही रहती हूं,’’ अंजुल ने रणदीप को अपनी बात मानने हेतु राजी कर लिया.

मुंबई पहुंच कर अंजुल औफिस के गैस्ट हाउस में ठहरी. कमरा एकदम साधारण

था, किंतु उस के यहां आने का लक्ष्य कुछ और था. अंजुल डरने लगी थी कि कहीं ऐसा न हो जाए कि उस के हाथों से उस की उम्र तेजी से रेत की मानिंद फिसल जाए और वह खाली हथेलियों को मलती रह जाए. अपनी सैक्सी बौडी की बदौलत उस ने कई अवसर पाए थे, जिन्हें उस ने अपनी बुद्धि व चपलता के बलबूते बखूबी भुनाया था.

उस का अनुमान रहा था कि इसी आकर्षण के कारण उसे अपना जीवनसाथी मिल जाएगा, परंतु अब बढ़ती उम्र ने उसे डरा दिया था. हो सकता है करण बात आगे बढ़ाए, मगर अभी तक उस ने ऐसा कोई इशारा नहीं दिया, केवल फ्लर्ट करता रहता है.

इसलिए समय रहते उसे अपने लिए एक जीवनसाथी तो खोजना ही पड़ेगा. मुंबई में 2 दफ्तरों में जा कर हो सकता है उसे अपने औफिस या फिर क्लाइंट औफिस में कोई मिल जाए…

जब अंजुल मुंबई में क्लाइंट के औफिस पहुंची तो उसे एक लड़के से मिलवाया गया. लड़का बेहद खूबसूरत लगा. उसे देख कर अंजुल के मन में सुनहरे ख्वाब सजने लगे.

‘‘माई नेम इस ऋषि. मैं इस औफिस की तरफ से आप का कौंटैक्ट पौइंट रहूंगा,’’ ऋषि ने अपना परिचय दिया.

‘‘आप का नाम, आप का व्यक्तित्व, सबकुछ शानदार है. आप से मिल कर बेहद प्रसन्नता हुई,’’ अंजुल ने अपने दिल में उठ रही हिलोरों को बाहर बहने से बिलकुल नहीं रोका.

उस की बात सुन कर ऋषि हौले से हंस पड़ा. काम पर अपनी पकड़ से अंजुल ने उसे पहली ही मीटिंग में प्रभावित कर दिया. फिर लंच के समय ऋषि ने अंजुल से पूछा कि औफिस की तरफ से उस के लिए क्या मंगवाया जाए?

‘‘कुछ भी चलेगा बस साथ में आप की कंपनी जरूर चाहिए,’’ अंजुल अब समय बरबाद नहीं करना चाहती थी.

पहले ही दिन से दोनों में अच्छी मित्रता हो गई. अपने बचपन, शिक्षा, कैरियर, परिवार संबंधी काफी बातें साझा करने के बाद दोनों ने शाम को एकदूसरे से विदा ली. गैस्ट हाउस लौट कर अंजुल ने कपड़े बदले और निकल गई गेटवे औफ इंडिया की सैर करने. ‘कल ऋषि से कहूंगी कि मुंबई की सैर करवाए,’ वह सोचने लगी. आज इसलिए नहीं कहा कि कहीं वह डैसपरेट न लगे. सुबह जो कमरा उसे बहुत साधारण लगा था, अब वहीं उसे उजले सपनों ने घेर लिया.

ये भी पढ़ें- Short Story: बैंगन नहीं टैंगन

अगले दिन क्लाइंट औफिस जाते हुए रास्ते में करण का फोन आया, ‘‘हाय जानेमन, कैसा लग रहा है मुंबई?’’

‘‘फर्स्ट क्लास, शहर भी और यहां के लोग भी,’’ अंजुल ने चहक कर उत्तर दिया.

आगे पढें- आज ऋषि ने बताया कि शाम को…

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें