#नियमों का पालन कर #अच्छे नागरिक बने

बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी कार के रीयर वियू मिर्रस को सही तरीक़े से एड्जस्ट करने की जेहमत नही उठाते. सिर्फ़ कुछ ही मिनट लगते हैं सड़क पर गाड़ी दौड़ाने से पहले शीशों को सही तरह एड्जस्ट करने में. हाँ लेकिन आपकी गाड़ी को आपके अलावा कोई और नही चलाता हो तो बात और है अगर ऐसा नही है तो आपको इस साधारण सी लगने वाली लेकिन बेहद अहम बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है.

जब भी आपकी गाड़ी के रीयर व्यू मिर्रस(ORVMs) को सेट करें तो ज़रूर ध्यान रखें की ब्लाइंड स्पोट न रहे. आप ये काम आसानी से कर सकते हो अगर आप इन सिंपल लेकिन ज़रूरी स्टेप्स का ध्यान रखें.

अगर आप ड्राइवर की सीट पर बैठे हैं तो अपने सिर को ड्राइवर की साथ वाली यानी राइट साइड की खिड़की की ओर झुकाएँ और फिर शीशे को तब तक एड्जस्ट करें जब तक आपको अपनी गाड़ी का कोना कम से कम दिखे, फिर सीधे बैठ जाएँ और यही प्रक्रिया पेसेंजर सीट पर बैठ कर अपनायें. इसके लिए पेसेंजर साइड पर बैठ जाएँ और जितना आप पहले सीधे हाथ की तरफ़ झुके थे उतना ही अब अपने बाएँ हाथ की खिड़की की तरफ़ झुकें और फिर शीशे को तब तक एड्जस्ट करें जब तक आपको अपनी गाड़ी का कोना कम से कम न दिखने लगे. बस फिर बैठें और बेफ़िक्र हो जाएँ क्यूँकि इस तरीक़े से सेट किए शीशों में आपको OVRMs में अपनी गाड़ी देखने के लिए किसी भी और झुकना नही पड़ेगा और इस आसान से तरीक़े से आप ब्लाइंड स्पोट से भी बच जाएँगे.

इस तरीक़े से अपनी गाड़ी के OVRMs को सेट करने की आदत डालने में आपको कुछ वक्त ज़रूर लगेगा लेकिन ये आदत आपको लम्बे वक्त तक काम आएगी और आपको दुर्घटना से भी बचाएगी जिससे आपके इलाज या गाड़ी के मेंटेनेंस के पैसे भी बच जाएँगे.

तो #ज़िम्मेदारनागरिकबने और हर बार अपनी गाड़ी को मोड़ते वक्त पहले सिग्नल दें और क़रीब 3 सेकेंड रुकने के बाद अपनी गाड़ी के रीयर व्यू मिर्रस (ORVMs ) को देखें और सिर्फ़ तब ही लेन बदलें. आप सभी की यात्रा सुरक्षित रहे.

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai: बॉक्सर के अवतार में लौटी ‘नायरा’, क्रेजी हुए फैंस

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kelhata Hai) इन दिनों सुर्खियों में है. जहां नायरा की मौत के ट्रैक से फैंस नाराज हैं तो वहीं शो की टीआरपी एक बार फिर बढ़ गई है. इसी बीच मेकर्स ने शो में नए ट्विस्ट लाते हुए एक नया प्रोमो जारी किया है, जिसमें नायरा नए लुक में नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है प्रोमो में नया…

नए अवतार में छाई ‘नायरा’

प्रोमो की बात करें तो शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) यानी नायरा (Naira) इस बार एकदम अलग अवतार में नजर आ रही हैं. दरअसल, प्रोमो में जहां एक तरफ कार्तिक भागता हुआ नजर आ रहा है तो वहीं नायरा यानी शिवांगी जोशी बौक्सिंग रिंग में नजर आ रही हैं. वहीं शिवांगी जोशी का नया अवतार देख फैंस बेहद खुश हो गए हैं, जिसके कारण प्रोमो रिलीज होते ही सोशलमीडिया पर  #NairaIsBack हैशटैग वायरल हो रहा है.

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फैंस कह रहे हैं ये बात

मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो को देखने के बाद एक फैन ने ट्वीट में लिखा, ‘नायरा का नया लुक कमाल का है. मैं तो अभी से एक्साइटेड हूं. मैं ये रिश्ता देखने के लिए उत्साहित हूं. नायरा बॉक्सर के अवतार में कितनी अलग लग रही है.’ वहीं दूसरे फैन ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है का नया प्रोमो कितना शानदार है. शिवांगी जोशी और मोहसिन खान आने वाले दिनों में धमाल मचा देंगे. मैं दोबारा कायरा की केमिस्ट्री देखने के लिए उत्साहित हूं.’


बता दें, बीते दिनों खबरें थीं कि सीरियल के प्रोड्यूसर राजन शाही और शिवांगी जोशी के बीच अनबन चल रही है, जिसके कारण नायरा के ट्रैक खत्म करने की बात कही जा रही थी. हालांकि नायरा यानी शिवांगी जोशी ने इस बात को केवल अफवाह बताया था.

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वनराज करेगा प्यार का इजहार, तो अनुपमा लेगी तलाक फैसला!

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) इन दिनों दर्शकों के बीच काफी पौपुलर हो रहा है. इसी के कारण एक बार फिर यह सीरियल टीआरपी चार्ट्स में पहले नंबर पर बना हुआ है. वहीं अब मेकर्स ने इस कहानी में नया ट्विस्ट लाने को तैयार हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या का बढ़ रहा डर

 

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जारी ट्रैक की मानें तो काव्‍या, वनराज को डॉक्‍टर के पास लेकर जाती है. जहां वह वनराज से अपने डर के बारे में बताती है कि वह अनुपमा से प्यार लगने लगा है. वहीं बा, अनुपमा को गुस्से में कहती है कि उसने वनराज को काव्‍या के साथ जाने क्‍यों दिया, जिसके बाद अनुपमा के सब्र का बांध टूट जाता है और वह बा से कहती है कि 25 सालों से उसने पत्‍नी होने के सारे फर्ज निभाए. बावजूद इसके वह अपने बेटे को नहीं समझाती और वह खुद को अब वनराज की पत्‍नी नहीं मानती. हालांकि किंजल खुश होती है कि उनकी सासू मां अनुपमा ने अपना स्‍टैंड लिया.

 

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तलाक को लेकर क्या होगा अनुपमा का फैसला

आने वाले एपिसोड में नया ट्विस्ट आने वाला है. दरअसल, अनुपमा को अपने आत्म सम्मान के लिए स्टैंड लेता देख किंजल खुश होगी और शो में आगे अनुपमा को तलाक की बात कहती नजर आएगी. इसी को लेकर अनुपमा सोचेगी और वनराज को काव्या के करीब देखने के बाद किंजल के तलाक वाले फैसले पर गौर करेगी.

 

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अनुपमा के लिए फील करेगा वनराज

 

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जहां अनुपमा तलाक के फैसले पर गौर करेगी तो वहीं अब वनराज, काव्या को छोड़ अनुपमा के करीब आने की कोशिश करेगा. हालांकि काव्या पूरी कोशिश करेगी कि वनराज, अनुपमा साथ ना हो पाए. इसीलिए वह मकरसक्रांति के मौके पर वनराज का ध्यान अपनी तरफ करने पर हाथ कटने का नाटक करेगी. लेकिन वनराज, काव्या की तरफ ध्यान ना देकर अनुपमा से अपने दिल की बात कहने की कोशिश करेगा.

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WhatsApp की नई पौलिसी से Signal और टेलीग्राम को फायदा

आजकल WhatsApp हर कोई इस्तेमाल करता है. साथ इसके कई नए अपडेट को भी सभी लोग अपना चुके होंगे. लेकिन हाल ही में WhatsApp के नए अपडेट के कारण सभी हैरान हो गए हैं. दरअसल, WhatsApp ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी जारी की है, जिसके कारण कहा जा रहा है कि इससे प्राइवेसी को खतरा होगा. इसी के चलते भारत में इस एप कई नुकसान हुए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

नई पौलिसी के चलते हुआ नुकसान

बीते दिनों WhatsApp ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी जारी की थी, जो अब उसके लिए परेशानी का सबब बन गया है. वहीं इसी पौलिसी के चलते हफ्तेभर में ही भारत में उसका डाउनलोड्स 35 फीसदी तक कम हो गया है. इसी बीच इसका फायदा दूसरे एप यानी सिग्नल (Signal) और टेलीग्राम (Telegram) जैसे एप्स को मिल गया है. दरअसल, WhatsApp  की नई पौलिसी जारी होने के बाद से 40 लाख से ज्यादा यूजर्स ने यानी सिग्नल (Signal) को  24 लाख और टेलीग्राम (Telegram) को 16 लाख लोगों ने डाउनलोड किया है.

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WhatsApp दे रहा सफाई

नई पौलिसी पर यूजर्स की प्राईवेसी पर प्रतिक्रिया देखने के बाद से WhatsApp  अपनी सफाई देने में लगा है. इसके लिए वह अखबारों में विज्ञापन का सहारा ले रहा है. हालांकि यूजर्स का भरोसा अभी भी कायम नही हो पाया है.

इन कंपनियों ने किया बहिष्कार

महिंद्रा कंपनी समूह और टाटाग्रुप के चेयरमैन सहित पेटीएम और फोनपे जैसी कंपनियों ने WhatsApp  की नई पौलिसी को अपनाने से इनकार कर दिया है.

बता दें, नई पौलिसी के अनुसार WhatsApp आपका फोन नंबर, बैंकिंग ट्रांजैक्शन डेटा, सर्विस-रिलेटेड इन्‍फॉर्मेशन, दूसरों से किस तरह इंटरेक्ट करते हैं ऐसी जानकारी, मोबाइल डिवाइस इन्‍फॉर्मेशन और आईपी एड्रेस. WhatsApp सर्विस और डेटा की प्रोसेसिंग, जैसी जानकारियां फेसबुक की कंपनियां और सर्विस को स्टोर कर सकते हैं. हालांकि प्राइवेसी के सवाल पर WhatsApp  ने साफ कर दिया है कि इससे यूजर्स को कोई नुकसान नही होगा.

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जोड़ों में अकसर दर्द बना रहता है, क्या इससे छुटकारा पाने का कोई और तरीका है?

सवाल-

मेरी उम्र 70 साल है. मेरे जोड़ों में अकसर दर्द बना रहता है. इलाज चल रहा है, लेकिन कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. परिवार वालों का कहना है कि इस उम्र में तो दर्द होना आम बात है, लेकिन मेरे लिए यह दर्द बरदाश्त करना मुश्किल हो रहा है. क्या इस से छुटकारा पाने का कोई और तरीका है?

जवाब-

इस उम्र में शरीर कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है. इस उम्र में दर्द की शिकायत सभी को होने लगती है लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इस से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है. आप ने बताया कि आप का इलाज चल रहा है. हर इलाज की एक प्रक्रिया होती है, जिस का असर होने में समय लगता है. हालांकि आज दर्द से नजात पाने के कई नौन इनवेसिव विकल्प मौजूद हैं, जैसेकि रेडियोफ्रीक्वैंसी ट्रीटमैंट, जौइंट रिप्लेसमैंट, रीजैनरेटिव मैडिसिन आदि. अपने डाक्टर से सलाह कर जरूरत के अनुसार उचित विकल्प का चुनाव कर सकती हैं. इस के साथ ही अपनी जीवनशैली और आहार में सुधार करें. अच्छा खाना खाएं, व्यायाम करें, हफ्ते में 2 बार जोड़ों की मालिश कराएं, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, नियमित रूप से जोड़ों की जांच कराएं.

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डॉक्टर अमोद मनोचा, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत

उत्तर भारत में ठंड की दस्तक हो चुकी है. ठंड का मौसम वैसे तो अधिकतर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है लेकिन दूसरी ओर कइयों की परेशानी का कारण भी बनता है. क्या ठंड का नाम सुन कर आप को भी जकड़े हुए जोड़ याद आते हैं? क्या ठंड आप को बीमारियों की याद दिलाता है?

ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल एक निर्धारित उम्र के लोगों को ही परेशान करती है. वास्तव में गतिहीन जीवनशैली के कारण ये समस्या अब हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, गर्दन दर्द, तंत्रिका दर्द, फाइब्रोमायल्जिया आदि समस्याएं इस मौसम में बहुत ज्यादा परेशान करती हैं.

सर्दी के मौसम में दर्द से बचाव के लिए खास टिप्स

दर्द से बचाव के लिए जीवनशैली का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए. निम्नलिखित टिप्स की मदद से दर्द की समस्या से बचा जा सकता है:

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सर्दियों में ड्राय स्किन को मोइश्चराइज करने के आसान 7 टिप्स

सर्दियों के दिनों में स्किन का ड्राई होना एक आम समस्या है. इस समस्या से निजात पाने के लिए आपको अपनी स्किन को मोइस्चराइज करना सबसे ज़रूरी है.

स्किन को मोइश्चराइज किस तरह से करें इस बारे में आसान उपाय बता रहीं हैं, डर्मेटोलॉजी क्लिनिक की, डर्मेटोलॉजिस्ट और संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ निवेदिता दादू.

1.समय समय पर अपने स्किन पर लोशन का इस्तेमाल करते रहें. खासकर अपने चेहरे और हाथों पर. हाथों पर आप चाहे तो, हैंड क्रीम का भी इस्तेमाल कर सकती है.

2. सर्दियों में धूप का और सूरज की किरणों से संपर्क बढ़ जाता है. जिसके कारण स्किन पर ड्राईनेस की भो समस्या बढ़ जाती है. इसलिए चाहे गर्मियों का दिन हो या सर्दी का, हमेशा एक अच्छे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. जो स्किन को सूरज की हानिकारक युवी रेज़ से बचाता है. कहीँ भी बाहर निकलते समय, एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम SPF 15 से अधिक वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

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3. सर्दियों के दिनों में स्किन ड्राई नेस को कम करने के लिए हेल्दी डाइट लें. इसके लिए अपने डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जिसमें ओमेगा – 3, ओमेगा -6 फैटी एसिड की मात्रा हो जैसे फिश ऑयल और फ्लैक्स सीड ऑयल

4. सर्दियों के दिनों मे हेल्दी स्किन के लिए जरूरी है कि हम एक हेल्दी स्किन केयर रूटीन का पालन करें. जिससे न केवल स्किन ड्राईनेस से राहत मिलेगी बल्कि स्किन सॉफ्ट और चमकदार भी बनेगी. इसके लिए सर्दियों में क्रीम बेस्ड क्लिनज़र का उपयोग करें. उसके बाद अपने स्किन के हिसाब से टोनर और एस्ट्रिंजेंट्स का भी इस्तेमाल करें. बहुत सारे एस्ट्रिंजेंट्स में एल्कोहल की मात्रा होती है, जो आपकी स्किन को और ड्राई बना सकती है. इसीलिए ऐसे एस्ट्रिंजेंट्स के इस्तेमाल से बचे.

5. सर्दियों के दिनों में गलत साबुन के इस्तेमाल से आपकी स्किन ड्राई हो सकती है. इसलिए सर्दियों में हमेशा अपनी स्किन को बिना खुशबू वाले, एक सॉफ्ट और कोमल मोइस्चराईजिंग क्लिनज़र या जेल से साफ करें.

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6. सर्दियों के दिनों में सबसे बड़ी गलती लोग यह करते है कि वो बहुत ज्यादा गर्म पानी से नहा लेते है, जिससे उनकी स्किन और भी ज्यादा ड्राई हो जाती है. इसलिए सर्दियों के मौसम में ज्यादा गर्म पानी से न नहाये. गर्म पानी स्किन की नैचुरल हाईड्रेशन की एवपोरेशन की मात्रा को बढ़ा देता है जिससे स्किन ड्राई हो जाती है.

7. सर्दियों के दौरान अपनी स्किन और बॉडी को हाईड्रैट रखना भी बहुत आवश्यक होता है. क्योंकि हाईड्रेशन का सीधा संबंध स्किन की सेल रिजेनेरेशन से है. इसीलिए सर्दियों के दौरान भी हमें अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए.

शादी सीजन के लिए परफेक्ट हैं एक्ट्रेसेस के ये लोहड़ी लुक्स, देखें PHOTOS

बीते दिनों सेलेब्स जमकर फेस्टिवल सेलिब्रेट करते नजर आए. वहीं सेलेब्स ने अपने फैंस को भी लोहड़ी की बधाईयां दी, जिनमें बौलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ से लेकर ये है मोहब्बतें की इशिता का नाम भी शामिल है. लेकिन इन सेलेब्स के लुक्स ने फैंस के बीच खलबली मचा दी है. आइए आपको दिखाते हैं सेलेब्स के लोहड़ी स्पेशल लुक्स की झलक, जिन्हें आप वेडिंग सीजन हो या फैमिली गैदरिंग में ट्राय कर सकते हैं.

नेहा कक्कड़ का लुक था खास

न्यू वेडिंग कपल नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह ने अपने दोस्तों के साथ जहां लोहड़ी सेलिब्रेट की तो वहीं अपने फैंस को लोहड़ी की शुभकामनाएं भी दीं. हालांकि लोहड़ी सेलिब्रेशन में नेहा का लुक बेहद खास था. नेहा ने सूट की जगह रफ्फल पैटर्न वाला टौप पहना तो वहीं पिंक कलर की प्लेन लौंग स्कर्ट के साथ लुक को खास बनाया. इस लुक को आप किसी भी वेडिंग सेलिब्रेशन में ट्राय कर सकती हैं.

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 इशिता का लुक था खास

सीरियल ये है मोहब्बतें की इशिता यानी पौपुलर एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी भी अपने फैंस को लोहड़ी की बधाइयां देती नजर आईं. वहीं इस ओकेजन पर दिव्यांका ने लुक फैंस के साथ शेयर किए. पिंक कलर के चैक पैटर्न वाले सूट के साथ सिंपल दुपट्टे में दिव्यांका बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

‘कुमकुम भाग्य’ एक्ट्रेस का लुक था खास

सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ की पूजा बनर्जी ने फैंस को लोहड़ी की बधाइयां देते हुए एक फोटो शेयर की, जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थीं. लाइट ग्रीन कलर के हैवी कढ़ाई वाले शरारा में पूजा का लुक वेडिंग सीजन के लिए परफेक्ट औप्शन लग रहा था.

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विन्नी अरोड़ा धूपर

सीरियल कुमकुम भाग्य के एक्टर धीरज धूपर की वाइफ और एक्ट्रेस विन्नी अरोड़ा धूपर ने भी फैंस को लोहड़ी की शुभकामनाएं दीं, जिसमें वह  विन्नी ने लिखा, ‘लोहड़ी दियां लाख लाख वदाइयां’. इसी के साथ लुक की बात करें तो विन्नी फ्लावर प्रिंटेड शरारा में फैंस का दिल जीतती नजर आईं.

संगीत की भाषा हमेशा एक होती है – पारसनाथ

वाराणसी के संगीत परिवार में जन्मे बांसुरीवादक पारसनाथ का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ. कला के माहौल में पैदा हुए पारसनाथ को अपने दादा स्वर्गीय पंडित शिवनाथसे प्रारंभिक बांसुरीवादन का प्रशिक्षण मिला. इसके बाद उन्होंने दादी राम देवी से सुबह का राग भैरव सीखा.पिता पंडित अमरनाथसे भी बांसुरी की बारीकियां और माँ मीनानाथ से बनारसी धुन सीखा और स्टेज पर परफॉर्म करने लगे.उन्होंने पारंपरिक इंडियन क्लासिकल म्यूजिक को बांसुरीवादन के द्वारा नए ज़माने के अनुसार कर्णप्रिय बनाया है, ताकि आज के युवा भी इस संगीत को सुनने की रूचि रखे. उन्होंने केवल देश में ही नहीं, विदेशों में भी बांसुरीवादन को लोगों तक पहुँचाने में समर्थ रहे. उन्होंने लन्दन, अफ्रीका और तुर्की आदि कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया. लॉक डाउन के बाद उन्होंने तनाव भरे माहौल को शांत करने के लिए एक ट्रैक ‘वहदानियत’ लांच किया है, जिसके प्रशंसक करोड़ों में है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-क्लासिकल संगीत की परम्परा अब कम हो चुकी है, क्योंकि नयी जेनरेशन की चॉइस अलग हो चुकी है, आप बांसुरी बजाते समय इस बात का कितना ध्यान रखते है?

संगीत की दुनिया में हमेशा श्रोताओं की पसंद का ख्याल रखा जाता है. संगीत के क्षेत्र में संगीत या तो अच्छा होता है या ख़राब होता है, उसके बीच में कुछ नहीं होता. बांसुरी बजाते समय मैं अपने सभी गुरुओं को याद करता हूं और कोशिश करता हूं कि संगीत मेलोडी बेस्ड हो. इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने वहदानियत एक ट्रैक लांच किया है, जिसे सभी पसंद कर रहे है. वहदानियत का अर्थ है एकता. असल में संगीत पूरी दुनिया को एक कर देती है. इसमें भाषा या धर्म की कोई बाउंड्री नहीं रहती. मैने कई अलग भाषाओँ में बांसुरी बजाई है, लेकिन हमेशा मुझे हर भाषा अपनी ही लगी है. भारत में हर 1000 किलोमीटर पर भाषा बदलती रहती है, इसके बावजूद शास्त्रीय संगीत के धरोहर अपने आपमें बहुत रिच है. मेरा अनुभव है कि संगीत एक समुद्र है, उसमें कितनी भी डुबकी लगा लूँ, गहराई में उतर जाऊं, ये ख़त्म नहीं हो सकता. इसके अलावा संगीत के नाम पर वह संगीत ही रहे, किसी प्रकार की शोर या तमाशबीन न बनें, इसका ध्यान रखा जाता है.

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सवाल-आप ‘न्यू एज मेस्ट्रो’के रूप में ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर जाने जाते है, इस बात से आप कितना ताल्लुक रखते है?

मैंने हमेशा खुद को नए ज़माने के संगीतज्ञ के रूप में परिचित करवाया है, क्योंकि आज के यूथ काफी अच्छा संगीत सीखकर आते है. ये कहना गलत होगा कि आज के यूथ संगीत को सीरियसली फोलो नहीं करते, जबकि वे परंपरागत म्यूजिक से भी अधिक शिद्दत सेपारंपरिक संगीत सीखते है. अगर परंपरागत संगीत को अच्छी तरह से प्रमोट किया जाय, तोउसके प्रति रूचि अवश्य बढ़ेगी. बेसिक यमन राग को हर विद्यार्थी पहले सीखते है, उसे सीखे बिना वे आगे नहीं बढ़ सकते. इसलिए ये राग अभी भी कायम है और सदियों तक रहेगा. देश की जनता बहुत प्यारी और सहयोग देने वाली है, ऐसे में उन्हें क्या दिया जा रहा है, उस पर विचार करने की जरुरत है.

सवाल-आप बहुत कम उम्र से परर्फोरमेंस कर रहे है, आपकी जर्नी कैसे शुरू हुई?

मेरा पहला परफोर्मेंस 6 साल की उम्र में था. वहां से शुरू होते-होते मैंने 5वीं में पढ़ते हुए ही पहला स्टेज परफोर्मेंस, नृत्यांगना सोनल मानसिंह के साथ किया था. मैंने काम करते-करते हर चीज सीखा है. जहाँ भी मैं जाता था, हर कोई मुझसे बड़ा ही होता था. उम्र में मुझसे सभी बड़ों के साथ के साथ मैंने बांसुरी बजायी है और सबसे मैं कुछ न कुछ सीखता आया हूं. दादा और पिता के अलावा मैंने दादी से भी सुबह का राग भैरव सीखा है. कई संगीत निर्देशकों के साथ भी मैंने बांसुरी बजाया है. घर में सीखना और बाहर जाकर सीखने में बहुत अंतर रहता है. मेरा एक भाई पंकज नाथ भी बांसुरी बजाता है, इसलिए हम दोनों भाई मिलकर नाथ बंधू के नाम से कॉन्सर्ट करते है.

सवाल-संगीत के श्रोता भारत में अच्छे है या विदेश में? श्रोता सही न हो तो बांसुरी बजाना कितना मुश्किल होता है?

संगीत के श्रोता देश और विदेश में दोनों जगहों पर है, लेकिन विदेश में भारत से अधिक लोग संगीत को पसंद करते है. खासकर यूरोप में शास्त्रीय संगीत को बहुत ही मेडिटिव तरीके से लिया जाता है. मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि वे बिना भाषा जाने भी संगीत को कितना एन्जॉय कर रहे है. मैंने देखा है कि हमारे संस्कृति के बारें में विदेशी अधिक जानना चाहते  है और सबकुछ छोड़कर बनारस, लखनऊ, वृन्दावन आदि जगहों पर रहते है, लेकिन  हम सब  परिवार छोड़कर कही नहीं जाते और न वहां की संस्कृति को जानने की इच्छा रखते है.

सवाल-गुरु शिष्य परंपरा आज ख़त्म हो चुकी है, हर चीज पैसे से खरीदी जाती है, ऐसे में कला को बचाना कितना मुश्किल हो चुका है?

पहले ईमानदारी अधिक थी, जो अब नहीं है. मेरे दादाजी और पिता के समय सैकड़ो शागिर्द हमारे घर आकर रहते और संगीत सीखते थे. उनका ध्यान मेरी दादी और माँ बच्चे की तरह रखते थे. किसी भी शागिर्द से कभी पैसे नहीं लिया गया. इसके अलावा उन्हें तैयार कर मंच दिया जाता रहा है. मैं भी ऐसा ही करता हूं. यही अंतर गुरु शिष्य और टीचर, स्टूडेंट में है,क्योंकि अब पैसे से शिक्षा खरीदी जा रही है. पहले गुरु की जिम्मेदारी होती थी, जिसमे शिष्य उसको फोलो करता था. आज के शिष्य में धैर्य नहीं होता. वे जल्दी-जल्दी सब करना शुरू कर देते है. इसके अलावा सोशल मीडिया भी इसमें जिम्मेदार होती है, जिसमे कुछ भी करने से लोगों का रेस्पोंस मिलने लगता है, इससे मन भटकता है और संगीत से छात्र दूर होने लगते है. पहले माध्यम कम था, लेकिन मूल्यवान था.

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सवाल-आपका आगे की योजनायें क्या है?

मैं चाहता हूं कि मैं देश-विदेश के हर कोने में बांसुरी बजाऊ और सबको इसके सुर से सरोबार कर दूँ. इसके अलावा एक सपना यह भी है कि किसी दिन पूरी दुनिया एक समय में एक ही नाद को बजाये, ताकि सबको आनंद की अनुभूति हो.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहते है?

मेरा सभी से कहना है कि पिछला साल काफी चुनौतियों भरा था. इस महामारी में लोगों ने कई प्रियजनों को खोया है. मैं चाहता हूं कि ऐसी परिस्थिति फिर कभी जीवन में न आये. इसके अलावा कोविड 19 ने यह सिखा दिया है कि सबसे जरुरी अब स्वास्थ्य है. स्वास्थ्य सही रहने पर सब काम हो सकता है. कोई भी बीमार न हो और हमेशा अच्छी संगीत सुनें , जिससे चेतना अच्छी रहती है. सकारात्मक सोच रखें.

Winter Special: घर पर बनाएं कोकोनट करी

अगर आप कुछ नया और टेस्टी ट्राय करने का सोच रही हैं तो आज हम आपको कोकोनट करी की खास रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को वीकेंड या लंच में परोस सकती है. ये टेस्टी और आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप अपनी फैमिली के खिल सकती हैं.

हमें चाहिए

3 कप नारियल दूध

1 चम्मच नीबू का रस

6-7 लहसुन की कलियों का पेस्ट

4 टमाटर बारीक कटे

2 बड़े चम्मच तेल

1 चम्मच गुड़ या चीनी

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10 ग्राम इमली का गूदा

1 आलू बारीक कटा

2 छोटे चम्मच चावल

1/2 छोटा चम्मच मेथीदाना

1/2 छोटा चम्मच जीरा

1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

10-12 करीपत्ते

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

मूंगफली को बारीक पीस लें. चावलों को आधा घंटा पानी में भिगो दें. कड़ाही में तेल गरम करें. इस में मेथीदाना व जीरा डाल कर तड़कने दें. लहसुन पेस्ट डाल कर भूनें. टमाटर डालें.

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2 मिनट भूनें. लालमिर्च, गुड़ व गरममसाला डाल कर दूध डालें और चलाती रहें. अब बाकी बची सामग्री डाल कर तेज आंच पर चलाती रहें. फिर आंच धीमी कर दें और 5 मिनट तक पकाने के बाद आंच बंद कर गरमगरम परोसें.

नकारात्मक विचारों को कहें बाय

अमेरिकी लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर जिम रौन ने कहा है कि आप वास्तव में जो चाहते हैं, आप का मस्तिष्क खुद ही आप को उस ओर खींच लेता है. इसलिए नकारात्मकता के अंधेरे से आप सकारात्मकता के उजाले में आसानी से आ सकते हैं. बस, आप को अपने मस्तिष्क में बने दृष्टिकोण और उस की शब्दावली में थोड़ा हेरफेर करना होगा. आइए जानें कैसे करें :

नैगेटिव थिंकिंग वाले लोगों से रहें दूर

कुछ लोग इतने नैगेटिव होते हैं कि उन के साथ रह कर पौजिटिव सोच वाला व्यक्ति भी बदलने लगता है. ऐसे लोग हर समय नकारात्मक माहौल बनाए रखते हैं, ऐसे लोगों से बचें, क्योंकि उन के साथ रह कर जीवन में कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि अन्य लोग भी आप से दूरी बनाने लगेंगे.

बहाने बनाने से बचें

जो भी काम आप ने अपने हाथ में लिया है, उसे समय पर पूरा करें. आलस में आ कर उसे न करने के बहाने मारने से नुकसान आप का ही होगा, अगर एक बार आप ने बहाना छोड़ कर यह काम कर लिया तो आप को कभी जिंदगी में इस तरह के नकारात्मक विचार तंग नहीं करेंगे.

तुलना न करें

अगर आप के किसी दोस्त को किसी कंपीटिशन ऐग्जाम में सफलता मिली है तो उस की तुलना खुद से कर रोना न रोएं कि आप को इतने प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं मिली. ऐसा करना बेवकूफी है बल्कि ऐसे में आप को चाहिए कि दोस्त की खुशी में शामिल हों और उस से सलाह लें कि सफलता के लिए उस ने क्या किया और अपनी कमियों को ढूंढ़ कर दूर करने का प्रयास करें.

सफलताअसफलता एक सिक्के के 2 पहलू हैं

इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप सफल नहीं होते और डिप्रैशन में जा कर सब से बोलचाल बंद कर खुद को अलगथलग कर लेते हैं, तो यह कोई हल नहीं है. अगर असफलता मिली है तो उस से सीख कर आगे बढ़ते हुए ही कामयाबी के शिखर पर पहुंचेंगे.

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म्यूजिक सुनें

जब भी आप तनाव या नकारात्मकता से घिरे हुए हों तो इस सिचुएशन से खुद को बाहर निकालने के लिए संगीत का सहारा लें. इस से आप का तनमन दोनों प्रसन्न होंगे और आप परेशानी को भूल कर आगे बढ़ पाएंगे.

खुद को प्रोत्साहित करें

जब भी आप को लगे कि आप विफल होने लगे हैं तो खुद को समझाने का प्रयास करें और कहें कि हमें नहीं हारना. जब आप खुद से इस तरह की बातें करेंगे तो निराशा कम होगी और हिम्मत मिलेगी जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी.

आज में जीएं

वर्तमान में रहने की कोशिश करें. जो बीत गया है उस के बारे में विचार कर दुखी न हों और जो होने वाला है उस की सोच में डूबने के बजाय जो आज है उसे ऐंजौय करें.

खुश रहें

आज क्या अच्छा हुआ है उस पर विचार करें. यह कुछ भी हो सकता है सुबह नाश्ते का स्वादिष्ठ परांठा, किसी दोस्त की फोन कौल या फिर रास्ते में देखा कोई सुंदर बच्चा. इस से तनाव कम होगा और आप अच्छे काम के लिए प्रेरित होंगे. आप दूसरों को खुशी तभी दे पाएंगे जब आप खुद खुश रहें. इसलिए अपने मन को प्रसन्नचित्त रखें. जिन कामों को करने में आप को खुशी महसूस होती है. उन के लिए वक्त निकालें.

शराब न पीएं

शराब नकारात्मक विचारों को जन्म देती है और इस के इस्तेमाल से मनुष्य जानवरों की तरह बरताव करने लगता है. उस का अपनी इंद्रियों पर कंट्रोल नहीं रहता. इसलिए शराब का सेवन न करें.

हंसने की आदत डालें

यह एक तरह की थेरैपी है. बिना किसी कारण के रोजाना 5-10 मिनट जोर से ठहाके लगा कर हंसें. इस से ब्लडप्रैशर कंट्रोल रहता है और विचारों में सकारात्मकता आती है. हंसने के लिए मौके न तलाशें. हर रोज ऐक्सरसाइज की तरह कुछ देर हंसने की आदत डालें.

बच्चों के साथ समय बिताएं

बच्चों के साथ खेलें, उन के साथ बातें करें, चीजों को उन के नजरिए से देखें, सुनें. तब आप को एहसास होगा कि दुनिया में कितना भोलापन है और आप का चीजों को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा. बच्चों के साथ आप का जिस तरह से मन चाहे उस तरह से खेलें. लोग क्या कहेंगे इस बात की परवा न करें.

सहज रहना सीखें

दुखद परिस्थिति में भी सहज रहना सीखें. जटिल समय में उन लोगों के बारे में सोचें, जिन्होंने खुद को मुश्किल स्थितियों से बाहर निकाला. वर्तमान में आप क्या अच्छा कर सकते हैं. इस बारे में सोचें.

खुद के साथ समय बिताएं

सुबह पार्क में टहलें, छुट्टियों में घूमने जाएं, प्रकृति के बीच समय बिताएं, अपने फोटो खींचें, अपने लिए शौपिंग करें, अपना मनपसंद खाना खाने रैस्टोरैंट जाएं, फिल्म देखें. इस तरह खुद से प्यार करना भी जीवन में अच्छाई की ओर ले जाता है.

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नैगेटिविटी क्या है

–       दूसरों के कार्यों में हमेशा कमी निकालना.

–       अपने काम से संतुष्ट न होना. हमेशा काम में मन न लगने का रोना रोते रहना, लेकिन उसे अच्छा बनाने के लिए कोई खास प्रयास न करना.

–       छोटी सी बात पर हायतोबा मचाना और अपने साथ दूसरों को भी परेशान करना.

–       दूसरों को आगे बढ़ता और खुश देख कर जलन महसूस करना.

–      अपने से अमीर या संपन्न लोगों को देख कर खुद को हीन समझना.

–       खुद पर विश्वास न होना.

–       किसी भी काम को ट्राई करने से पहले ही उस का नतीजा सुना देना, ‘वह काम मुझ से नहीं होगा, मुझे नहीं आता,’ वगैरावगैरा.

नैगेटिव थिंकिंग को पौजिटिव थिंकिंग में कैसे बदलें

–       यदि किसी खास परिस्थिति को ले कर आप के मन में नकारात्मक विचार हैं और आप गुस्से में हैं तो कुछ देर शांत रहें और उस परिस्थिति को किसी दूसरे नजरिए से देखें. खुद ब खुद आप के मन में सकारात्मक विचार आ जाएंगे.

–       आज नियमित काम से कुछ अलग हट कर करें. वह आप की कोई हौबी या फिर ऐसा गुण भी हो सकता है जिसे आप भूल गए थे. ऐसा करने पर आप को खुद से प्यार होगा और लगेगा कि आप भी लीक से हट कर कुछ नया और अच्छा करने की काबिलीयत रखते हैं, इस से अपने प्रति आप का नजरिया पौजिटिव हो जाएगा.

–       यदि शारीरिक रूप से सौंदर्य के मामले में आप में कोई कमी है तो उसे सहज स्वीकार करें. अगर उस कमी के बारे आप हीनभावना के शिकार होते हैं तो ऐसे में उन्हें न देखें, जिन में कोई कमी नहीं है बल्कि ऐसे लोगों को देखें जिन में आप से भी ज्यादा कमी है और वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं. ऐसे लोगों से प्रेरणा लें.

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–       किसी फैमिली फंक्शन में जाएं तो वहां कमियां न निकालें. ऐसा करने से खुद को रोकें और अच्छा देखने का प्रयास करें. वहां आप कमियां निकालने नहीं बल्कि ऐंजौय करने आए हैं.

–       नकारात्मकता से व्यक्ति गुस्सैल हो जाता है इसलिए किसी भी बात पर तुरंत रिऐक्ट करने से पहले एक बार अवश्य सोचें कि जो आप कहने जा रहे हैं वह सही है या आप के बेवजह के गुस्से का परिणाम है. जवाब आप को मिल जाएगा और उस के साथ आप का गुस्सा भी शांत हो जाएगा व पौजिटिव सोच भी आ जाएगी.

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