Serial Story: तुम ने मेरे लिए किया क्या (भाग-3)

उमाजी ने अपनी योजना के अनुसार सब को शीशे में उतारने के बाद मान्या पर ध्यान देना शुरू किया. प्रसून अब जल्दीजल्दी आने लगा था. इशारेइशारे में उमाजी ने सब को बता दिया था कि प्रसून मान्या के साथ शादी करने को तैयार है, साथ ही आयुष को भी अपना बेटा मान लेगा.

मदनजी और निशिजी के मन में मान्या की शादी के बारे में सोच कर लड्डू फूटने लगे थे. प्रसून जब भी आता उस का ज्यादा समय आयुष के साथ ही बीतता. उस के लिए तरहतरह के खिलौने ले कर आता. उसे पार्क में भी ले जाता. उस के लिए वीडियोगेम ले आता. दोनों साथसाथ वीडियोगेम खेलते.

एक दिन आयुष तोतली आवाज में मान्या से बोला, ‘‘मम्मा, प्रसून अंकल बहुत अच्छे हैं. मेरे साथ वीडियोगेम खेलते हैं.’’

बच्चे की बात मान्या के दिल को छू गई. परंतु मान्या अभी भी अपने को तैयार नहीं कर पा रही थी. यद्यपि प्रसून के आकर्षण से वह भी नहीं बच पाई थी. वह प्रसून को मन ही मन चाहने लगी थी परंतु उस ने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. उस के प्रभावशाली व्यक्तित्व और लच्छेदार बातों में वह खो जाती थी.

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उन दोनों के बीच पनपते हुए रिश्ते पर निशिजी पूरी निगाह रखती थीं. एक दिन मान्या को टटोलने के लिए बोलीं, ‘‘यह प्रसून कुछ ज्यादा ही आयुष के करीब आता जा रहा है. आयुष तो बच्चा है. अंकल अंकल कर के उस से लिपटा रहता है. मुझे तो अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘मां इस में परेशान होने की क्या बात है? प्रसून अकेला है, इसलिए बच्चे के साथ अपना मन बहला लेता है.’’

शुरू में आयुष को कभीकभी आइसक्रीम खिलाने ले जाता था. फिर उस ने मान्या को भी ले जाना शुरू कर दिया. 1-2 बार वह डिनर पर भी ले गया, यद्यपि उमाजी भी साथ होती थीं, परंतु करीबी तो बढ़ ही रही थी.

एक दिन उमाजी निशिजी से बोलीं, ‘‘बहन, यदि दोनों शादी के लिए तैयार हो जाएं तो कितना अच्छा हो. दोनों ही एक बार धोखा खा चुके हैं, इसलिए दोनों के हक में अच्छा होगा. मुझे तो आयुष की लगती है… प्रसून उस पर किस कदर जान छिड़कता है.’’

निशिजी हां में हां मिलाती हुई बोली थीं कि वे भी यही चाहती हैं कि दोनों आपस में बंध जाएं और आयुष को भी पापा की कमी पूरी हो जाए.

वे मन ही मन सोचने लगीं कि प्रसून के कामधाम की जानकारी करना जरूरी है. क्या पता पहले की तरह यह भी गड़बड़ निकले.

उन्होने एक दिन मदनजी से कहा, ‘‘आप एक बार पुणे जा कर इस की प्लेसमैंट एजेंसी के बारे में अच्छी तरह पता कर लीजिए. उस के बाद ही हम लोग मान्या के साथ इस का रिश्ता करने की बात करेंगे.’’

मदनजी भी बेटी के अकेलेपन को देख परेशान रहते थे. उन्हें भी प्रसून हर तरह से अच्छा दिखाई दे रहा था. अत: उन्होंने गुपचुप तरीके से पुणे जाने का निश्चय किया, परंतु तेज दिमाग उमाजी और प्रसून ने उन के जाने की तारीख और फ्लाइट का पता कर लिया था.

प्रसून ने उन्हें एअरपोर्ट पर ही रिसीव कर लिया और मात्र थोड़ी देर के लिए अपने औफिस ले गया. उन्हें अपना आलीशान फ्लैट भी दिखा दिया. उन्हें बड़ी गाड़ी में घुमाता रहा. पांचसितारा होटल में लंच करवाया.

मदनजी को किसी दूसरे के पास फटकने का प्रसून ने मौका ही नहीं दिया. सीधेसरल मदनजी प्रसून के वैभवपूर्ण जीवन को देख बेटी के भविष्य को ले कर आश्वस्त हो गए. अब उन्हें प्रसून और मान्या के मिलनेजुलने पर कोई आपत्ति नहीं थी वरन वे स्वयं ऐसे मौके बनाते थे कि दोनों एकदूसरे से मिलजुल कर आपस में अच्छी तरह रिश्ता मजबूत कर लें. प्रसून जब भी दिल्ली आता आयुष के लिए कुछ न कुछ उपहार जरूर लाता. अब वह मान्या के लिए भी कुछ लाने लगा था.

मदन और निशिजी दोनों ने मन ही मन उन के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था. इसी बीच मान्या का बर्थडे आया. वह बोली, ‘‘मां, आप प्रसून से या आंटी से मेरे बर्र्थडे का जिक्र मत करना, नहीं तो ये लोग फिर मेरे लिए कोई गिफ्ट ले आएंगे. बारबार गिफ्ट लेना मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

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लेकिन प्रसून तो मौका तलाशता रहता था. उस ने चुपचाप सरप्राइज पार्टी का इंतजाम कर लिया. पार्टी में उस ने उन के सभी परिचितों और रिश्तेदारों को इनवाइट किया.

शाम को उमाजी उसे एक प्यारी सी डिजाइनर साड़ी देते हुए बोलीं, ‘‘चल इसे पहन कर आ जा. आज हम लोग फैमिली डिनर पर चलते हैं. आज तेरा बर्थडे मनाएंगे.’’

प्रसून के प्र्रति पनपते प्यार के कारण आज साड़ी देख कर मान्या का मन मचल उठा. आज वह मन से तैयार हुई थी. उस ने मन पसंद ज्वैलरी भी निकाल कर पहनी थी. आज वह बहुत खुश थी. तैयार होने के बाद अपना चेहरा आईने में देख वह स्वयं चौंक पड़ी थी. उसे अपना चेहरा बहुत प्यारा लग रहा था.

जब वह तैयार हो कर नीचे आई तो मां उसे देखते ही बोलीं, ‘‘आज भी मेरी बेटी कितनी सुंदर लगती है. भला कोई कह सकता है कि यह 5 वर्ष के बेटे की मां है,’’ उन की आंखें गीली हो उठी थीं.

प्रसून और उमाजी पहले ही जा चुके थे. मान्या अपनी मम्मी और पापा के साथ होटल पहुंची. आयुष तो उस का हाथ छुड़ा कर तुरंत प्रसून के पास पहुंच गया.

वहां बहुत बड़ी ग्रैंड पार्टी का आयोजन देख मान्या चौंक उठी थी. उस के रिश्तेदारों और परिचितों की भीड़ उसी के आने का इंतजार कर रही थी.

उस ने केक काटा तो पूरा हौल तालियों और हैप्पी बर्थडे की आवाज से गूंज उठा. वह गद्गद हो उठी थी. ऐसा बर्थडे तो उस के जीवन में कभी नहीं मना था. वह प्रसून के एहसानों तले कुछ ज्यादा ही दब गई.

यद्यपि प्रसून सब तरह से सही लग रहा था, फिर भी पता नहीं क्यों अपने बुरे अनुभव के चलते मान्या को हर किसी पर शक होता था.

लेकिन यह क्या? सब से बड़ा सरप्राइज तो अभी उस का इंतजार कर रहा था. उस के मम्मी पापा ने उस की और प्रसून की सगाई की घोषणा कर दी. अंतत: उस की उंगली में डायमंड की कीमती अंगूठी सज गई. उस ने भी शरमाते हुए मां की दी अंगूठी प्रसून को पहना दी.

पूरा हौल तालियों से गूंज उठा. सभी उसे बधाई दे रहे थे. उसे सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था.

अब मान्या पार्टी का आनंद उठाने में लग गई थी. उस ने प्रसून की बांहों में बांहें डाल कर बरसों बाद आज डांसफ्लोर पर उन्मुक्त हो कर डांस किया था. इतनी मुश्किल से मिली खुशी के पलों को वह अपनी मुट्ठी में बंद कर लेना चाह रही थी. आज उसे प्रसून की हर अदा अच्छी लग रही थी. आयुष को खुश देख उस का रोम रोम प्रसून के प्रति कृतज्ञता महसूस कर रहा था.

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प्रसून के फोन का अब उसे हर पल इंतजार रहता. उस की प्यार भरी मीठीमीठी बातों, मम्मीपापा का शादी के इंतजामों का ऐक्साइटमैंट, सब अपने चरम पर था. आयुष भी प्रसून के जाते ही उदास हो उठता और हर समय अपने अंकल के आने का इंतजार करता.

एक दिन वह प्रसून से बोला, ‘‘मैं अब आप को पापा कहा करूंगा. सब बच्चों के पापा स्कूल आते हैं, लेकिन मेरे पापा नहीं आते. मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता. अब मैं अपने सब दोस्तों से कहूंगा कि देखो ये हैं मेरे पापा,’’ कह वह उस से लिपट गया.

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Serial Story: तुम ने मेरे लिए किया क्या (भाग-2)

अगली सुबह जब उमाजी चाय ले कर प्रसून के कमरे में गईं तो वह रात की कही हुई सारी बातें भूल चुका था.

प्रसून का प्यारा सा चेहरा देख कर वे पिघल उठीं. बोलीं, ‘‘बेटा प्रसून, तुम नैट पर अपना प्रोफाइल रजिस्टर करवा लो, शायद कहीं बात बन जाए.’’

‘‘हां मौसी, मैं ने रजिस्टर करवा दिया है. लेकिन मुझे फुरसत नहीं मिलती कि मैं टाइम दे पाऊं.’’

‘‘अच्छा चलो, आज से मैं तुम्हारी शादी के लिए कोशिश करूंगी.’’

‘‘मौसी, कोई तलाकशुदा लड़की ही ढूंढ़ो, मैं उस से भी कर लूंगा. आखिर मेरी उम्र भी तो 40 की होने वाली है.’’

उमाजी भी दिल से चाहती थीं कि किसी तरह प्रसून की शादी हो जाए तो वे दादी बन कर बुढ़ापे में बच्चों के साथ रहें. वे मन ही मन मुसकरा कर काम में लग गई थीं. उन्होंने प्रसून का प्रोफाइल बनाया. उस के कई सारे अच्छेअच्छे फोटो अपलोड कर दिए. उन्होंने प्रोफाइल को कई साइटों पर डाला.

इस से भी उन का मन नहीं भरा तो वे मैरिज ब्यूरो में जा कर भी उस का बायोडाटा और फोटो दे कर उस का नाम रजिस्टर करवा आईं.

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इधर प्रसून भी अपनी कोशिश में लगा था. वह फेसबुक पर फर्जी नाम से लड़कियों के साथ औनलाइन चैटिंग करता था. इसी शौक में एक दिन उस ने मान्या को फ्रैंड बनने के लिए रिक्वैस्ट भेजी. मान्या ने यों ही उस की रिक्वैस्ट मान ली और शुरू हो गई दोनों के बीच बातें. सीधीसादी मान्या ने अपने विषय में सब कुछ सचसच बता डाला कि वह अपने मांबाप की अकेली लड़की है. मेरा एक 5 साल का बेटा है और मैं ने निश्चय कर लिया है कि अब मैं फिर से शादी के चक्कर में नहीं पड़ूंगी.

प्रसून की मीठीमीठी बातों में वह डूब गई थी. उसे वह अपना दोस्त समझ कर कभी बेटे आयुष की बातें करती तो कभी मम्मीपापा की.

इस दौरान तेज दिमाग प्रसून ने मान्या से उस के घर का पता जान लिया. फिर तो जल्द ही उस ने पता कर लिया कि दिल्ली के कनाट प्लेस के पास उस के पिता का तीन मंजिला मकान है. उस में नीचे दुकानें भी हैं. भविष्य में मान्या ही इस की मालिक बनने वाली है.

वह मौसी से बोला, ‘‘मौसी, यह रिश्ता मेरे लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए आप कुछ भी करो, किसी भी तरह मेरी शादी इसी मान्या से करवाओ.’’ और फिर उस ने प्रोफाइल खोल कर मान्या के कई सारे फोटो मौसी को दिखा दिए.

‘‘इतनी दूर दिल्ली की लड़की भला कैसे बात बनेगी. खैर तुम फोन नंबर देना. मैं बात कर के देखूंगी.’’

तेज दिमाग प्रसून ने नैट पर फोन नंबर देख कर एजेंट से बात कर के उस के घर के पास एक फ्लैट किराए पर ले लिया और उमाजी को वहां जा कर रहने के लिए भेज दिया.

वहां पहुंचते ही उमाजी ने जाल बिछाना शुरू कर दिया. प्रसून के निर्देश के अनुसार उन्होंने सब से पहले मान्या की मां से दोस्ती कर ली.

हैलोहाय करते हुए उमाजी जल्द ही मान्या की मां निशिजी के ड्राइंगरूम तक पहुंच गईं.

अपनी मीठीमीठी बातों में उलझा कर उन्होंने निशिजी को मनगढ़ंत कहानी सुना कर उन्हें अपना खास दोस्त बना लिया था.

‘‘बहन, मेरा एक बेटा है. उस की बहुत बड़ी कंपनी है, लेकिन शादी करने को राजी नहीं है. कहता है लड़कियां बहुत धोखेबाज होती हैं, इसलिए शादी नहीं करूंगा. जब वह स्कूल में पढ़ता था, तभी कच्चेपक्के प्यार में किसी से धोखा खा बैठा था. बस तब से जिद कर बैठा है कि वह जिंदगी भर शादी नहीं करेगा. बस उस की इसी बात से नाराज हो कर मैं यहां दिल्ली रहने आ गई. यहां मेरी पुरानी जानपहचान है, उसी वजह से मैं यहां आ गई,’’ और फिर उन की सहानुभूति पाने के लिए फूटफूट कर रोने लगीं.

निशिजी ने उन्हें चुप कराया. उन के आंसू पोंछ कर भी उन्हें उन की बातें अविश्वसनीय लग रही थीं कि भला कहीं ऐसा संभव है कि कोई मां बेटे से नाराज हो कर दूसरे शहर में रहने के लिए चली जाए. उन्होंने अपने पति मदनजी से और बेटी मान्या से भी इस विषय में चर्चा की. मान्या की मां निशिजी सीधीसादी घरेलू महिला थीं. उन की दुखती रग उन की बेटी थी.

एक दिन उमाजी ने बड़ा अपनापन दिखाते हुए उन से पूछा, ‘‘बुरा मत मानिएगा

बहनजी, मान्या बहुत उदास सी रहती है. आयुष भी पापा की बातें कभी नहीं करता. आपस में दोनों के बीच कोई अनबन है क्या?’’

निशिजी सिसकते हुए बोलीं, ‘‘बहन, अब तुम से क्या छिपाना. हम लोगों ने खूब धूमधाम से मान्या की शादी की थी. रईस परिवार का अकेला चिराग देख कर हम लोगों ने शादी तय की थी. लेकिन मान्या वहां साल भर भी नहीं रह पाई थी. पति के दूसरी औरतों के साथ संबंध को भला कौन स्त्री बरदाश्त कर सकती है.

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‘‘उस ने पति को समझानेबुझाने और उसे सही रास्ते पर लाने की बहुत कोशिशें की, परंतु उस का प्रयास सफल नहीं हुआ. उस के पिता मदनजी ने भी भरसक कोशिश की कि दोनों के बीच रिश्ता बना रहे, परंतु मान्या के पति ने तो मानों न सुधरने का प्रण कर रखा था.

‘‘एक दिन तो सारी हदें पार करते हुए उस ने मान्या की पिटाई कर दी. बस उसी दिन वह अपनी ससुराल छोड़ कर हम लोगों के पास आ गई. जब वह लौट कर आई थी, तो वह 5 महीने के गर्भ से थी.

‘‘उस के सासससुर को अपने बेटे की बुरी आदतों के बारे में पता था, परंतु यह सोच कर कि शादी के बाद वह सुधर जाएगा, उन लोगों ने मान्या के साथ उस की शादी करवा दी थी.

‘‘उन लोगों ने माफी मांगते हुए मान्या का सारा सामान लौटा दिया और 1 करोड़ की एफडी बनवा कर दी. लेकिन मैं पैसे से उस की खुशियां तो नहीं खरीद सकती न.

‘‘मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई है. बेटी को देखते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं. यह आयुष ही है जिस की वजह से घर में थोड़ी रौनक हो जाती है.

‘‘सब कुछ इतनी जल्दी घट गया कि वह आज भी इस हादसे से उबर नहीं पाई है. उसे कितना समझाती हूं पर वह शादी करने के लिए राजी ही नहीं होती.

‘‘मदनजी ने बेटी को व्यस्त रखने के लिए उसी स्कूल में नौकरी लगवा दी, जहां आयुष पढ़ता है. अब सभी लोग नन्हे आयुष में ही अपनी खुशी ढूंढ़ते हैं.’’

उमाजी ने कमजोर कड़ी आयुष को समझ कर अब उस पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उसे कभी पार्क घुमाने ले जातीं, कभी होमवर्क करवाने बैठ जातीं तो कभी उसे कहानी सुनातीं.

सोसायटी में अपनी पैठ बनाने के लिए उन्होंने हमउम्र महिलाओं की किटी पार्टी जौइन कर ली. 3 महीनों के अंदर उन्हें सोसायटी में लोकप्रिय और जानीमानी महिला समझा जाने लगा.

उमाजी को सोसायटी की महिलाएं इज्जत की निगाह से देखती थीं. इस बीच प्रसून 2 बार दिल्ली आ चुका था. निशिजी और मदनजी को अपने घर चाय पर बुला कर उमाजी ने उन से प्रसून को मिलवा दिया था. प्रसून के आकर्षक व्यक्तित्व, उस की सादगी और सरल स्वभाव पर वे दोनों लट्टू हो गए थे. लेकिन उन की बेटी तलाकशुदा है, इसलिए उन लोगों में प्रसून के साथ मान्या के संबंध की बात करने की हिम्मत नहीं थी.

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Serial Story: तुम ने मेरे लिए किया क्या (भाग-1)

रात के 2 बज चुके थे. अभी तक प्रसून घर नहीं आया था. उमाजी की आंखों की नींद उड़ी हुई थी. वे काफी दिनों से देख रही थीं कि प्रसून ने देर से आने की आदत बना ली थी.

गेट के खुलने की आहट होते ही वे उठ खड़ी हुईं. ड्राइवर के कंधे पर लदे नशे में धुत्त प्रसून को देखते ही वे आपे से बाहर हो उठीं. क्रोध भरे स्वर में चिल्लाईं, ‘‘प्रसून, आईने में अपना चेहरा देखा है तुम ने? क्या हालत हो गई है तुम्हारी? लेकिन तुम ने जैसे न सुधरने का प्रण कर रखा हो… आखिर क्यों अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हो?’’

प्रसून भी उसी लहजे में नशे के कारण लड़खड़ाती आवाज में बोला, ‘‘पहले तो तुम मुझे उपदेश देना बंद करो. जरा बताओ तो तुम ने मेरे लिए किया क्या है? मैं कहकह कर थक गया हूं कि मेरी शादी करवा दो. लेकिन तुम्हें क्या मतलब? तुम्हारा अपना बेटा होता तो उस के लिए यहां वहां भागती फिरतीं.

‘‘तुम्हें क्या जरूरत पड़ी है… तुम तो मेरे पैसे पर ऐश कर ही रही हो. रोज नए गहने खरीदो, क्लब जाओ, बड़ी गाड़ी में यहांवहां घूमो, बस हो गई तुम्हारी जरूरतें पूरी.

‘‘लेकिन मुझे तो रोज अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए यहां वहां भटकना ही पड़ेगा. छोड़ो, तुम्हारी बकवास के कारण मेरा मूड और खराब हो गया,’’ और फिर लड़खड़ाते कदमों से अपने कमरे में चला गया.

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आज प्रसून की बातें सुन कर उमाजी के दिल को बहुत ठेस पहुंची थी. लेटेलेटे वे घंटों सिसकती रहीं. प्रसून उन की बहन की निशानी है. उन्होंने स्वयं इसी बच्चे के लिए अपनी सारी खुशियां कुरबान कर दी थीं. वे स्कूल में नौकरी कर के उसे सारी खुशियां देने का प्रयास करती रहीं.

पिताजी ने बहुत समझाया था. लेकिन उन्होंने उन की बात को अनसुनी कर दिया. यही कहती रहीं कि इस अबोध को कौन पालेगा.

मीरा जीजी ने तो इस के पैदा होते ही अपनी आंखें मूंद ली थीं. अनूप जीजाजी पहले तो अकसर इस की खबर लेने आते थे, लेकिन उन की लालची निगाहों को देख वह समझ गई थी कि उन की कामुक निगाहें बच्चे से ज्यादा उसे निहारने और छूने में रहती हैं.

कोई भी लड़की मर्द की वासना भरी निगाहों को एक पल में पहचान सकती है. एक दिन जब ढिठाई से उन्होंने उन्हें अपनी आगोश में समेटने का प्रयास किया तब बिना देर किए उन्होंने जोरदार तमाचा जड़ दिया था.

उस दिन के बाद से आज तक उन्होंने किसी मर्द को अपने जीवन में झांकने का अवसर नहीं दिया था.

प्रसून ही उन का वर्तमान था और वही उन का भविष्य था. हर क्षण वे प्रसून की खुशियों में ही अपनी खुशी ढूंढ़ा करती थीं.

उन के अधिक लाड़प्यार का नतीजा यह हुआ कि वह जिद्दी और बदतमीज होता चला गया. जो उस ने मुंह से निकाला, उसे हर हालत में चाहिए. वे भी हर सूरत में उस की इच्छा पूरी करने का प्रयास करतीं.

वह पढ़ने में तो ठीकठाक था लेकिन हर समय बड़ा आदमी बनने का ख्वाब देखा करता.

उमाजी ने प्रसून के बी.कौम. करने के बाद एक प्राइवेट कालेज में एमबीए में उस का ऐडमिशन कराने के लिए अपनी जमापूंजी लगा दी थी कि चलो कहीं प्लेसमैंट हो जाएगी तो उस की शादी धूमधाम से कर के उन का बुढ़ापा चैन से कटेगा.

प्रसून ने जवान हो कर बिलकुल अपने पापा का रंगरूप पाया था. गोरा, लंबा और आकर्षक 6 फुट का युवक अपनी लच्छेदार बातों से हर जगह अपना रंग जमा लेता था.

कालेज जाते ही लड़कियों के फोन कौल्स से उन का माथा ठनका था. लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया था. उन्होने सोचा था जवानी की उम्र में तो यह सब होता ही है.

जब प्रसून एमबीए के दूसरे वर्ष में था तभी उस की निगाह अपने साथ पढ़ने वाली जया पर पड़ी थी. दोनों के बीच की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई. लेकिन प्रसून की निगाह तो जया से ज्यादा उस के करोड़पति पापा के पैसों पर थी. उस के प्यार में पागल जया एक रात घर से ढेरों जेवर ले कर भाग गई.

अगली सुबह ही पुलिस ने उन के घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर के ले गई. उमाजी को कुछ पता ही न था, जो वे पुलिस को कुछ बता पातीं.

महीनों तक दोनों यहां वहां भागते रहे, लेकिन आखिर एक दिन वे पुलिस की गिरफ्त में आ ही गए. जया के पिता ने पैसे और पहुंच के जोर से बेटी को छुड़ा लिया परंतु प्रसून की जमानत भी न हो सकी और उसे 2 वर्ष का सश्रम कारावास हो गया.

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उमाजी के लिए यह बहुत बड़ा धक्का था. पैसे भी बरबाद हो चुके थे और समाज में उन की इज्जत भी मिट्टी में मिल गई थी. वे किसी को अपना मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई थीं. परंतु ममता से मजबूर जब प्रसून सजा काट कर जेल से बाहर निकला तो वे वहीं बाहर उस का इंतजार करती मिली थीं. प्रसून उन के कंधे पर सिर रख कर बच्चों की तरह फूटफूट कर रो पड़ा था.

रात के स्याह अंधेरे में दोनों थोड़ाबहुत सामान समेट कर पुणे चल दिए थे. पुणे पहुंच कर नौकरी के लिए यहांवहां हाथपांव मारता रहा. बहुत मुश्किल समय था. उमाजी ने भी 1-2 ट्यूशन पकड़ ली थीं.

तभी प्रसून को एक प्लेसमैंट एजेंसी में नौकरी मिल गई. तेज दिमाग प्रसून ने बहुत जल्दी वहां के कामकाज को अच्छी तरह देखसमझ लिया और साल भर के अंदर ही उस ने अपनी कंपनी खोल ली.

5-6 वर्षों में अब उस के पास सब कुछ था. पौश कालोनी में बंगला, बड़ी गाड़ी. परंतु वह अभी भी आज तक अकेला था. कई लड़कियों के साथ उस ने रिश्ते बनाने का प्रयास किया, पर शादी तक बात नहीं पहुंच सकी. टीना के साथ 6 महीने तक लिव इन में भी रहा, परंतु वह भी उसे छोड़ कर चली गई.

उस का अहंकारी और क्रोधी स्वभाव कोई भी रिश्ता चलने ही नहीं देता था. उस का सिद्धांत था पत्नी को गुलाम की तरह पति के इशारे पर नाचना चाहिए. लेकिन वह स्वयं सब कुछ करने को आजाद है.

प्लेसमैंट के लिए आने वाले लड़के तो उसे कमीशन दे कर चले जाते थे, परंतु श्रेया को अच्छी नौकरी का हसीन ख्वाब दिखा कर, उस ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए और साथ ही चोरीचोरी उस का एमएमएस भी बना लिया. उस के बाद तो उस की चांदी हो गई. वह डर के मारे मनचाही रकम अदा करती रही.

अब तो शातिर दिमाग प्रसून के लिए यह धंधा ज्यादा फायदे वाला बन गया था. कई लड़कियों के साथ उस ने यही किया. यद्यपि श्रेया की शिकायत पर उस के औफिस में छापा भी पड़ा था, परंतु वह किसी तरह छूट गया था.

अब उस के पास पैसा तो बहुत था, लेकिन बदनामी के कारण उस की शादी अभी तक नहीं हो पाई थी.

उमाजी भी चाहती थीं कि इस की शादी हो जाए, तो यह सुधर जाएगा और बीवीबच्चों के साथ शांतिपूर्वक अपनी जिंदगी बिताएगा. उस के औफिस के काले कारनामों का उन्हें बिलकुल भी पता नहीं था. उन्होंने मन ही मन निश्चय किया कि प्रसून जब सुबह के समय अपने होशहवास में होगा तो वे उस से लड़कियों से दूर रहने का वादा लेंगी. तब वे उस की शादी के प्रयास में गंभीरतापूर्वक जुट जाएंगी.

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Serial Story: तुम ने मेरे लिए किया क्या (भाग-4)

अब प्रसून पुणे बहुत कम समय के लिए जाता. मान्या कभी उस के संग लहंगा पसंद करने जाती तो कभी उस की शेरवानी. पता ही नहीं चला कि समय कब बीत गया. कार्ड भी छप कर आ गए.

मगर अभी तक उस ने अपने स्कूल में किसी को अपनी सगाई की बात नहीं बताई थी. उस की उंगली में अंगूठी देख उस की साथी टीचर्स ने उसे छेड़ा था तो उस ने साफ मना कर दिया.

लेकिन भला ऐसी बातें कहीं छिप पाती हैं. स्कूल की ओनर को उस की सगाई की खबर लग चुकी थी. उन्होंने उसे अपने कैबिन में बुला कर कहा, ‘‘मान्या, नए जीवन के लिए तुम्हें बहुतबहुत बधाई. शादी कर के कहां जाने वाली हो?’’

उस ने शरमाते हुए कहा, ‘‘पुणे.’’

‘‘मुझे सुन कर बहुत खुशी हुई, क्योंकि मैं भी अपने जीवन में एक बार धोखा खा चुकी हूं. लेकिन अक्षय के प्यार में जीवन के उस कड़वे दौर को बिलकुल भूल चुकी हूं.’’

‘‘मैडम, प्रसून भी बहुत अच्छे इनसान हैं. आयुष को तो बहुत ही प्यार करते हैं. उसी के भविष्य के बारे में सोच कर तो मैं शादी के लिए तैयार हुई हूं.’’

‘‘क्या नाम बताया तुम ने? जरा फिर से बताओ तो?’’

‘‘जी, प्रसून. उन की पुणे में प्लेसमैंट एजेंसी है. बहुत अच्छा काम है.’’

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‘‘चलो, शादी में तो मिलना होगा ही.’’

फिर कुछ देर सोच कर बोलीं, ‘‘अपनी सगाई का फोटो यदि मोबाइल में हो तो दिखाओ. हम भी तो तुम्हारे होने वाले हमसफर को देखें.’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं. इस फोन में मेरे पास नहीं है. कल मैं सीडी ले कर आऊंगी या आप की मेल आईडी पर पोस्ट कर दूंगी.’’

‘‘हां, यह ठीक होगा. तुम मुझे पोस्ट कर देना. मैं प्रसून को देखना चाहती हूं.’’

‘‘मैडम, प्रसून बहुत ही गुडलुकिंग और हैंडसम हैं.’’

‘‘तुम्हारी नई शुरुआत के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. अरे हां, फोटो जरूर मेल पर डाल देना.’’

‘‘जी, मैं घर पहुंचते ही डाल दूंगी.’’

जयाजी जो कि उस के स्कूल की ओनर थीं, सगाई का फोटो देखते ही चौंक उठीं. यह वही प्रसून था जिस ने उन के जीवन के साथ भी खिलवाड़ किया था. उन्होंने मान्या को आगाह करने के लिए फोन उठाया, परंतु फिर उन का हाथ रुक गया कि क्या पता प्रसून सुधर गया हो? ऐसे मामले में सब से पहले अच्छी तरह पता लगाना आवश्यक है. लेकिन यह मान्या के भविष्य का प्रश्न था, इसलिए उन्होंने अपनी ननद इशिता को फोन किया कि इस प्रसून नाम के लड़के और उस की प्लेसमैंट एजेंसी का पूरा ब्योरा जल्दी से जल्दी पता लगा कर मुझे बताओ. वह पुणे में ही रहती थी.

इशिता ने थोड़ी देर में ही फोन कर के उस के सारे काले कारनामों के बारे में बता दिया. वह प्लेसमैंट एजेंसी की आड़ में सैक्स का धंधा करता है. वह अच्छा आदमी नहीं है. कई बार उस के औफिस में छापे पड़ चुके हैं, लेकिन वह हर बार छूट जाता है. चूंकि उस का औफिस उन के घर के काफी पास है, इसलिए उन्हें सब बातें अच्छी तरह मालूम हैं.

जयाजी का शक विश्वास में बदल गया. उन्होंने मान्या को फोन कर अपने घर बुलाया, ‘‘मान्या, तुम्हारे लिए अच्छी खबर नहीं है, परंतु भविष्य को ध्यान में रखते हुए तुम्हें बताना आवश्यक है.

‘‘प्रसून ही वह लड़का है जिस ने मेरे जीवन के साथ भी खिलवाड़ किया था. मैं उस पर ध्यान न देती, परंतु वह अभी भी प्लेसमैंट एजेंसी की आड़ में सैक्स रैकेट चला रहा है. मेरी समझ में तुम से शादी का नाटक तुम्हारी प्रौपर्टी के लिए कर रहा होगा, क्योंकि यह शुरू से पैसे का लालची है. मुझ से भी सारे जेवर छीन कर भाग गया था.’’

सुनते ही मान्या फूटफूट कर रो पड़ी. फिर बोली, ‘‘मैडम, क्या मेरे जीवन में ठगा

जाना ही लिखा है. पहले भी एक बार ऐसे ही धोखे का शिकार हो चुकी हूं.’’

‘‘मान्या, हिम्मत से काम लो. अब सब से पहले ऐसा प्लान बनाओ कि वह कुछ कह ही न सके.’’

मान्या ने अपने आंसुओं को दृढ़ता से पोंछा और बोली, ‘‘मैडम, आप के पास कोई पुराने फोटोग्राफ्स हों तो मुझे दे दीजिए. मैडम, आप की मदद से इस कहानी का अंत कल ही कर दिया जाए तो बहुत अच्छा रहेगा. क्या कल शाम आप मेरे घर आ सकती हैं?’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं?’’

‘‘तो शाम 5 बजे आप आ जाइएगा.’’

फिर प्रसून को फोन कर के बोली, ‘‘प्रसून, शादी से पहले हमें कोर्टमैरिज कर लेनी चाहिए, क्योंकि बिना मैरिज सर्टिफिकेट के बाद में परेशानी हो जाएगी.

‘‘हां, तो शाम को 4 बजे तक आ जाओ. ज्वैलरी भी फाइनल करनी है. मम्मीपापा हम लोगों के नाम पर अपनी वसीयत भी लिखवा रहे हैं, इसलिए तुम्हारा रहना जरूरी है.

‘‘प्लीज, आ जाना. मैं भी तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं. मम्मी के साथ इन्हीं बातों को ले कर मेरी जोरदार बहस भी हो गई… मेरा मूड बहुत खराब है.’’

‘‘मूड खराब करने की क्या बात है? सही कर रहे हैं, वसीयत वगैरह कर ही देनी चाहिए, इस जिंदगी का क्या भरोसा,’’ प्रसून बोला और फिर शाम को 4 बजे मान्या के घर पहुंच गया. उन सब बातों से अनजान मम्मीपापा उस की आवभगत में लगे थे.

लालची प्रसून का दिमाग तो ज्वैलरी और वसीयत में था. अत: बोला, ‘‘मान्या यह तो तुम्हारा मामला है, जो ज्वैलरी या जायदाद पापा दे रहे हैं, उसे चुपचाप ले लो. चाहे आज लो चाहे कल… उन के बाद में सब कुछ तो हम दोनों का ही है.’’

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वसीयत शब्द पर निशिजी चौंक उठी थीं. उन्हें उस के कहने का अंदाज अच्छा नहीं लगा था, परंतु अपने को संभाल कर बोलीं, ‘‘हांहां, हम लोगों के बाद तो सब कुछ तुम्हीं लोगों का होगा,’’ पर उन का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा था.

तभी वाचमैन ने फोन किया कि कोई जयाजी आप लोगों से मिलने आई हैं.

मान्या तो पहले से ही उन का इंतजार कर रही थी. तभी उस ने मम्मीपापा की खुसुरफुसुर सुनी कि मम्मी कह रही थीं, ‘‘यह तो बड़ा लालची दिख रहा है. जायदाद और वसीयत की बात कर रहा है. पहले ही धंधे के लिए 20 लाख का चैक दे चुके हैं. यदि मान्या को ये सब पता लगेगा तो वह तो शादी से ही मना कर देगी.’’

पापा धीमे से बोले, ‘‘चुप रहो. देना तो इन्हीं लोगों को है चाहे आज दें चाहे कल.’’

‘‘मैं तो आज उमाजी से बात कर के रहूंगी. वे अपने बेटे को समझा लें कि इस तरह की बातें उन्हें पसंद नहीं हैं.’’

पापा बोले, ‘‘बात तो सही है. अभी जाने कितने साल जीना है… इन की निगाहें बदल गईं, तो हम दोनों तो कहीं के नहीं रहेंगे.

‘‘मुझे तो वह तुम्हारी सखी उमाजी भी मिली हुई लग रही हैं… कहीं कुछ गड़बड़ तो जरूर है… एक बात समझ लो यदि मेरी बेटी को जरा भी परेशानी हुई तो मैं तो अपनी जान दे दूंगा.’’

दोनों के बीच की बातें सुन कर मान्या के समक्ष उस के रिश्ते का सच जाहिर हो गया था. उस ने मन ही मन जयाजी को धन्यवाद दिया कि उन्हीं के कारण वह इस हैवान से बच पा रही है.

तभी घंटी की आवाज सुनते ही उस ने दौड़ कर दरवाजा खोला. जयाजी को प्रसून

इतने समय के अंतराल के कारण तुरंत पहचान नहीं पाया.

मगर मान्या ने जानबूझ कर उस को याद दिलाने के लिए कहा, ‘‘आइए, जयाजी, बड़े अच्छे मौके पर आप आईं हैं. मेरे होने वाले पति प्रसूनजी से मिलिए.’’

अब तक प्रसून को सब याद आ चुका था. वह तेजी से अंदर चला गया. जयाजी और मान्या पीछेपीछे अंदर चली गईं.

‘‘कब तक और कहां तक भागोगे प्रसून? तुम्हारे पाप का घड़ा भर चुका है. मैं ने पुणे से तेरी सारी कर्मकुंडली मंगा ली है. वहां प्लेसमैंट एजेंसी के नाम पर जो गंदा खेल खेल रहा है, उस की सारी जानकारी मेरे पास है.’’

प्रसून की सचाई जान कर पापा चक्कर खा कर गिर पड़े. मां भी फूटफूट कर रोने लगीं कि इस ने तो हम लोगों से अपने को कुंआरा बताया था.

जया मैडम चीख पड़ीं, ‘‘इस बदमाश को तो आजन्म कुंआरा ही रहना चाहिए…’’

आंटी, शुक्र करो कि आप की बेटी इस बदमाश के चंगुल से बच गई.

प्रसून चुपचाप धीरे से खिसकने की कोशिश कर रहा था. तभी मान्या जोर से उस का हाथ पकड़ कर बोली, ‘‘भाग कहां रहे हो? कुछ दिन ही सही धोखेबाजी और काले धंधे के आरोप में तुम्हें जेल तो जाना ही होगा,’’ फिर अपने पापा से बोली, ‘‘वाह पापा वाह, आप के लिए यह धोखेबाज ज्यादा सगा था… 20 लाख का चैक आप ने बिना सोचेसमझे दे दिया. दहेज देने वालों से ज्यादा दोषी तो आप जैसे लोग हैं, जो ब्लैंक चैक ले कर लड़के वालों के सामने सिर झुका कर खड़े रहते हैं… उन्हें लालची तो आप लोग बनाते हैं.’’

अभी तक एकदम चुपचाप खड़ी उमाजी गिड़गिड़ा कर बोलीं, ‘‘मैं हाथ जोड़ती हूं, मेरे बेटे को माफ कर दो. हम लोग यहां से चले जाएंगे.’’

प्रसून नया दांव चलते हुए चीख पड़ा, ‘‘चुप करो, तुम ने मेरे लिए किया क्या है? हर समय कहती रहती थीं, शादी कर लो, शादी कर लो. अब हो गई शादी…’’

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आज उमाजी को उस का झूठ बरदाश्त नहीं हुआ, ‘‘मैं ने अपनी सारी जिंदगी इस के लिए होम कर दी, फिर भी यह हमेशा यही कहता रहता है तुम ने मेरे लिए किया क्या? मैं इस के सभी काले कारनामों का चिट्ठा खोलूंगी. इस के खिलाफ कोर्ट में गवाही दूंगी.’’

इसी बीच पुलिस ने आ कर प्रसून को गिरफ्तार कर लिया.

ऐसे बनाएं बढ़िया रोटी, परांठा और पूरी

मेरी मौसी जब भी हमें डिनर पर बुलातीं हैं तो उनके हाथों से बने खाने के हम सब मुरीद हो जाते हैं. सम्पूर्ण भोजन के अतिरिक्त उनके हाथ के बने एकदम मक्खन समान नरम नरम पूरी, पराँठा, रोटी और भटूरे का स्वाद तो भुलाना ही मुश्किल हो जाता है. यूं तो रोटी, परांठा आदि को बनाना अधिक कलात्मक नहीं माना जाता परन्तु इन्हें बढ़िया और पौष्टिक बनाना हर एक के बस की बात नहीं होती क्योंकि आटा गूंथने से लेकर सेंकने अथवा तलने तक की प्रक्रिया में जरा सी असावधानी इनका स्वाद बिगाड़ देती है. यदि निम्न छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो इनका स्वाद दोगुना हो जाता है-

ऐसे गूंदें आटा

-रोटी बनाने के लिए आटा बहुत अधिक कड़ा या ढीला गूंदने के स्थान मध्यम गूंदे क्योंकि अधिक कड़े आटे की रोटी सख्त बनेगी और ढीले की बेलने में परेशानी होगी.
-भरवां परांठा या रोटी बनाने के लिए आटा रोटी की अपेक्षा थोड़ा ढीला रखें इससे भरावन आटे से बाहर नहीं आएगा और परांठा फूलेगा भी.
-मक्का,ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों का आटा गूंदने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें और इसे गूंदकर न रखें क्योंकि यह पानी छोड़ता है.
-भटूरे और कुल्चे के लिए मैदा गूंदते समय 500 ग्राम मैदा में 1/2टीस्पून नमक, 1/4टीस्पून मीठा सोडा, 1 टीस्पून तेल, और 1 टीस्पून खट्टा दही डालें. मैदा गूंदकर सूती कपड़े से ढककर आधे घण्टे तक रखकर प्रयोग करें, भटूरे और कुल्चे बहुत नरम, फूले फूले और स्वादिष्ट बनेगें. इनका आटा पूरी जैसा कड़ा ही गूंदें क्योंकि रखे जाने पर यह पानी छोड़ता है.
-पूरी का आटा रोटी परांठे की अपेक्षा कड़ा गूंदे और खूब मसलकर 10- 15 मिनट रखकर पूरी बनाएं.
-बाटी और बाफले के लिए रोटी के आटे की अपेक्षा थोड़ा मोटा आटा लें इन्हें बनाने के लिए 500 ग्राम आटे में 1/4टीस्पून मीठा सोडा, 1 टेबलस्पून दही, 1/2टीस्पून नमक और 2 टेबलस्पून मलाई डालकर कड़ा गूंदे. मोटा आटा न होने पर गेहूं के आटे में थोड़ी सूजी मिलाएं.
-खस्ता कचौरी बनाने के लिए 500 ग्राम मैदा में 2 टेबलस्पून तेल, और चुटकीभर खाने वाला सोडा और स्वादानुसार नमक डालकर कड़ा आटा गूंदे और आधा घण्टा सूती कपड़े से ढककर रखें फिर मनचाही स्टफिंग भरकर कचौरी बनाएं.
-मठरी, गुझिया और चंद्रकला आदि बनाने के लिए मैदा में मुठिया वाला मोयन मिलाकर सख्त आटा गूंदे और आधे घण्टे बाद प्रयोग करें.
-बालूशाही और मक्खन बड़ा बनाने के लिए 250 ग्राम मैदा में 2 टेबलस्पून घी, 1/4 टीस्पून मीठा सोडा डालकर ताजे खट्टे दही के साथ रोटी जैसा नरम आटा लगाकर 1 घण्टे के लिए ढककर रख दें फिर एकदम मंदी आंच पर सुनहरा होने तक तलकर चाशनी में डालें.
-थेपले बनाने के लिए 1 कटोरी गेहूं के आटे में 1/4 कटोरी बेसन, 1/4 कटोरी मैदा, 1/2 टीस्पून नमक हरी मिर्च अदरक का पेस्ट, 1 टेबलस्पून तेल और कटी पालक, मैथी या बथुआ डालकर रोटी जैसा आटा लगाएं.

कैसी हो आंच

-गेंहू की रोटी बनाने के लिए आंच तेज रखें मद्धिम या धीमी आंच पर रोटी सेकने से सख्त हो जाती है.
-थेपले तेज आंच पर हल्की सी चिकनाई लगाकर सेंके थेपले एकदम नरम और स्वादिष्ट बनेंगे ये सप्ताह भर तक खराब नहीं होते.
-मक्का, ज्वार और बाजरे की रोटी धीमी आंच पर ही सेंके ताकि यह पूरी तरह पककर करारी हो जाये. तेज आंच पर सेकने से ये बेस्वाद हो जाती है.
-कचौरी, मठरी, समोसा, चन्द्रकला आदि को एकदम मंदी आंच पर ही तलें ताकि ये कुरकुरी और खस्ता बनी रहें.
-बाटी को माइक्रोबेव में कंवेक्शन मोड के अधिकतम तापमान पर 40 मिनट तक बेक करें अथवा गैस तंदूर में एकदम मंदी आंच पर पकाकर घी में डालें.
-स्टफ्ड परांठे धीमी आंच पर घी या तेल लगाकर सेंके इससे वे करारे बनेंगे.

ऐसे बढ़ाएं आटे की पौष्टिकता

-सादा गेहूं के आटे के स्थान पर मल्टीग्रेन आटे का प्रयोग करें. विविध अनाजों के आटे को थोड़ी थोड़ी मात्रा में मिलाकर आप घर में ही मल्टीग्रेन आटा तैयार कर सकतीं हैं. 5किलो गेहूं के आटे में 500 ग्राम सोयाबीन का आटा, और 100 ग्राम अलसी पाउडर मिलाने से इसकी पौष्टिकता और अधिक बढ़ जाती है. जहां तक सम्भव हो चोकरयुक्त आटे का ही प्रयोग करना चाहिए.
-सभी अनाजों को एकसाथ मिलकरबारीक प्याज, कटा हरा धनिया, हरी मिर्च और सभी मसाले डालकर स्वादिष्ट परांठे बनाये जा सकते हैं.
-चीले बनाने के लिए अंकुरित मूंग, सूजी या मिक्स दाल को भिगोकर पीसकर प्रयोग करें. आप इनमें पनीर, टोफू, या हरी सब्जियों की स्टफिंग भी भर सकतीं हैं.
-प्लेन परांठे के स्थान पर पालक,बथुआ, मैथी, चौलाई, आदि को काटकर अथवा लौकी, मूली, कद्दू को किसकर आटे में मिलाकर परांठे बनाएं.
-हरी सब्जियों को मिक्सी में पीसकर आटे में मसालों के साथ मिलाकर रोटी या पराँठा बनाएं.
-सफर में ले जाने के लिए आटे को मलाई या दूध के साथ गूंदे पूरी परांठे अधिक समय तक नरम रहेंगे.

All-New Hyundai i20- Design

कॉम्पैक्ट एसयूवी हर जगह मार्केट में छाया हुआ है. यह प्रीमियम हैचबैक बाजार के लिए खतरा बनते जा रहा है. वह सफल हो जाता अगर हमारे पास नई Hyundai i20 की चौथी पीढ़ी नहीं होती.  नई हुंडई i20 की चौथी पीढ़ी कॉम्पैक्ट एसयूवी को टक्कर देता है. न केवल अपने सेगमेंट की कारों  सभी कॉम्पैक्ट एसयूवी को भी टक्कर देता है.

हुंडई के डिजाइन टीम ने इस कार के लुक को इतना शानदार बनाया है कि इसे देखने के बाद लोग सोचना शुरू कर दे रहे हैं. इसका लुक कॉम्पैक्ट एसयूवी के लुक को मात दे रहा है. इसे डिजाइन करने की प्रेरणा  Le Fil रूज  कंसेप्ट से लिया गया है. यह व्यक्ति काफी विचित्र है. इसकी डिजाइनिंग काफी अदभूत होती है.  नई हुंडई i20 के फ्रंट को शार्प लुक दिया है इसके साथ ही एलईडी हेडलैंप और डीआरएल दिया है.

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कार में लगे नई पैरामीट्रिक गहना ग्रिल इसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देता है. वहीं हुंडई i20 में दिए गए क्रीज लाइन इसे स्पोर्टी लुक देता है. बता दें कि यह लाइन आपके आखों को कार की हेडलाइट्स की तरफ से पीछे की ओर ले जाती हैं. जहां वे टेललाइट्स पर अचानक समाप्त हो जाती है अपने एक नए डिजाइन के साथ हुंडई i20 #BringsTheRevolution.

सुशांत सिंह राजपूत के फैंस को अंकिता लोखंडे ने मारा ताना, कही ये बात

टीवी सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ (Pavitra Rishta) से फैंस के बीच जगह बनाने वाली एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे आए दिन ट्रोलिंग का सामना करती रहती हैं. कभी एक्स बॉयफ्रेंड सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) को लेकर तो कभी अपने लुक को लेकर ट्रोलर्स के निशाने पर आ जाती हैं. लेकिन हाल ही में अंकिता ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है, जिसके बाद हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सुशांत को लेकर ट्रोल हो रही हैं अंकिता

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से अंकिता लोखंडे ने उनके परिवार को काफी सपोर्ट किया है. लेकिन कई बार उन्हें लोगों ने गलत समझा है. दरअसल, लोगों का कहना है कि अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) सुशांत के नाम पर लाइमलाइट बटोर रही हैं. वहीं सोशल मीडिया पर भी अक्सर लोग उन्हें भला बुरा कहते रहे हैं. लेकिन अब अंकिता लोखंडे ने ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए एक स्टोरी शेयर किया थी.

 

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ट्रोलर्स के लिए अंकिता ने लिखी ये बात

सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद कई लोगों का मानना था कि वो सही समय पर सुशांत के टैलेंट को नहीं समझ पाए थे. ऐसे में उन्हें मलाल है कि जीते जी वो उन्हें प्यार नहीं दे पाएं. इसी को लेकर अंकिता ने पोस्ट शेयर करते हुए बता दिया है कि मरने के बाद हर कोई उनके टैलेंट को पहचान रहा है.

 

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बता दें, बीते दिनों हुए ‘जी रिश्ते अवॉर्ड्स 2020’ में अंकिता लोखंडे ने सुशांत सिंह राजपूत को ट्रिब्यूट देते हुए एक परफौर्मेंस दिया था, जिसके बाद कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे थे तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करने में लग गए थे.

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ओटीटी पर सेंसर का आना सही होगा– वेरोनिका वानिज

 वेब सीरीज ‘स्मार्टफोन’ से अभिनय कैरियर में कदम रखने वाली मॉडल और अभिनेत्री वेरोनिका वानिज मुंबई की हैं. बचपन से ही अभिनय की इच्छा रखने वाली वेरोनिका को हमेशा अपने माता-पिता का सहयोग मिला है. उनका असली नाम निज्रा मिश्रा है, जिसे बाद में वेरोनिका ने ही खुद बदला है. अभिनय के अलावा वह फिटनेस फ्रीक भी है. उसे बिना वर्कआउट के एक दिन भी बिताना पसंद नहीं. अभी उनकी वेब सीरीज ‘जो हुक्म मेरे आका’ रिलीज पर है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश. 

सवाल-अभी आप क्या कर रही है?

मैंने अभी इस वेब सीरीज का काम खत्म किया है और आगे भी कई वेब सीरीज का काम चल रहा है. इसमें मैंने अभिनेता श्रेयस तलपडे और कृष्णा अभिषेक के साथ काम किया है. इसमें मेरी भूमिका एक मॉडर्न और स्टाइलिश लड़की की है, जो बिगड़ी हुई है और उसे ठीक करने की कोशिश उसका भाई कर रहा है. असल में ये एक कॉमेडी सीरीज है. 

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सवाल-आप इस किरदार से कितना जोड़ पाती है?

मुझे थोड़ी सी भी मुश्किल नहीं हुई, क्योंकि ये मेरा ही चरित्र है. मैं जैसी रियल लाइफ में हूं, वैसी ही मुझे अभिनय करना पड़ा.

सवाल-एक्टिंग में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

इत्तफाक तो नहीं था, क्योंकि मैं डिफेन्स बैकग्राउंड से हूं, जहाँ मेरे पिता एयरफोर्स पायलट थे. वहां कई बार कुछ अवसर पर फंक्शन हुआ करता था. मैं उसमें भाग लेती थी और मेरे अभिनय को सभी सराहते थे. इससे मैंने सोच लिया था कि मुझे एक्टिंग ही करनी है.

सवाल-परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार का बहुत सहयोग रहा. मेरे पिता अजय कुमार मिश्रा चाहते थे कि मैं पायलट बनूँ, पर माँ सीमा मिश्रा ने सपोर्ट किया. बाद में पिता ने भी मना नहीं किया. मेरा हमेशा से ‘फेम’ को पाना एक उद्देश रहा है. अपने व्यक्तित्व को सबके सामने लाना चाहती थी, इसलिए मैं एक्ट्रेस बनी.

सवाल-कितना संघर्ष रहा? आउटसाइडर होने की वजह से कोई समस्या आई?

एक अच्छा प्रोजेक्ट मिलने के लिए संघर्ष बहुत अधिक रहा. डेढ़ साल तो मुझे इंडस्ट्री को समझने में चले गए. कैसे काम मिलता है, कैसे ऑडिशन दिया जाता है आदि देखना पड़ा.  पहले मैंने एक चैनल के लिए एंकरिंग की, इससे मेरे अंदर कैमरा फेस करने की कॉन्फिडेंस आई. इसके बाद मुझे काम मिलने लगा. 

हर इंसान की जर्नी अलग होती है. किसी को जल्दी और किसी को देर से काम मिलता है. मुझे कोई समस्या नहीं हुई. यहाँ लोगों का सहयोग भी मिला है. अच्छा और बुरा हर इंडस्ट्री में होता है. मैं इसके पॉजिटिव साइड को देखना पसंद करती हूं. इसके अलावा मेरा परिवार मेरे साथ है और सहयोग भी मिल रहा है.  

सवाल-पहला ब्रेक कैसे मिला?

डेढ़ साल के बाद मुझे वेब सीरीज स्मार्टफोन में निर्देशक अंकुश भट्ट ने काम करने का मौका दिया. इसमें कई बड़े-बड़े कलाकार मेरे साथ थे और बहुत कुछ सीखने को मिला. इसके बाद म्यूजिक वीडियो किया और अब ये वेब सीरीज मिला है. आगे भी कई फिल्में और वेब सीरीज है.

सवाल-इंडस्ट्री में आने के बाद आपकी सोच पहले से कितनी बदली है?

मुझे पहले लगा था कि सबकुछ आसान होगा और जाते ही काम मिल जायेगा, लेकिन यहाँ आने पर संघर्ष का दौर शुरू हुआ. यहाँ एक मौका मिलना ही काफी मुश्किल होता है. मेहनत और लक ये दो चीजे यहाँ काम करती है. अभी मैं पहले से थोड़ी प्रैक्टिकल हो चुकी हूं. पहले हवा में उडती थी. अब सब साफ़ हो चुका है.

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सवाल-रिजेक्शन का सामना कैसे किया? 

शुरू में तो बहुत रिजेक्शन रहा, इससे मुझे स्ट्रेस भी हुआ. मैं ऑडिशन देने से डरती थी. कैमरे के आगे जाने पर घबरा जाती थी और कुछ बोल नहीं पाती थी. ऑडिशन देते-देते पता चला कि ये आपके जीवन का एक पाठ है, जिससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. टेली शोपिंग की एंकरिंग ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. मैं कैमरा फ्रेंडली हुई. 

सवाल-वेब सीरीज में इंटिमेट सीन्स बहुत होते है, उसे करने में कितनी सहज है?

अन्तरंग दृश्यों का अलग-अलग कैटिगोरी होती है. एक्ट्रेस होने के नाते मुझे कुछ जरुरी इंटिमेट सीन्स करने के लिए मैं राजी हूं. आजकल ओटीटी पर बहुत अधिक सेक्स और वायलेंस वाले सीन्स दिखाए जाते है, जिसके लिए सेंसर का आना सही होगा. 

सवाल-क्या कोई ड्रीम है?

मुझे हिंदी सिनेमा में वुमन ओरिएंटेड फिल्मों में काम करने की इच्छा है. मैं प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की तरह फिल्में करना चाहती हूं. 

सवाल-लॉक डाउन में क्या-क्या किया है?

मुझे खाना बनाना नहीं आता था, इसलिए माँ से खाना बनाना सीखा. 

सवाल-आप फिटनेस लवर है, इसके लिए क्या करती है?

मैं मार्शल आर्ट करती हूं. मैं सुबह उठकर 2 घंटे वर्कआउट करती हूं, जिसमें कर्दियों, रनिंग, मार्शल आर्ट, बॉक्सिंग, जिमिंग आदि होता है.  

सवाल-डाइट का ध्यान कैसे रखती है?

मैं हाई प्रोटीन और लो कार्ब फोलो करती हूं. इसके अलावा मैं वेजिटेरियन भी हूं. होममेड फ़ूड टोफू, पनीर, पल्सेस और स्प्राउट्स लेती हूं.

सवाल-समय मिलने पर क्या करती है?

समय मिलने पर मैं फिल्में देखना पसंद करती हूं.

सवाल-तनाव होने पर क्या करती है?

स्ट्रेस होने पर मैं अपने परिवार के साथ बात करती हूं, इससे स्ट्रेस निकल जाता है.

सवाल-आप कितनी फैशनेबल है?

मुझे फैशन बहुत पसंद है. मुझे जो अच्छी और आरामदायक होने की जरुरत है. 

सवाल-क्या यूथ के लिए कोई मेसेज देना चाहती है?

जब भी आप कही बाहर जाएँ, अपना होमवर्क जरुर कर लें, ताकि आपको नए शहर में किसी प्रकार की कठिनाई न हों और अपनी सोच प्रैक्टिकल रखें. 

सवाल-नए साल का रेजोल्यूशन क्या है?

मैं पूरे साल काम करूँ और कभी खाली न बैठू.

घरेलू हिंसा को लेकर देवोलीना के बाद दिव्या भटनागर का परिवार आया सामने, पढ़ें खबर

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस दिव्या भटनागर के निधन से जहां पूरी टीवी इंडस्ट्री सदमे में है तो वहीं उनकी निजी जिंदगी को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं. बीते दिन खास दोस्त और एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी ने दिव्या के पति पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था, जिसके बाद कई लोग उनके सपोर्ट में कई लोग आ खड़े हुए थे. वहीं अब इस मामले में दिव्या भटनागर के परिवार का भी बयान सामने आ गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

देवोलीना ने किया था ये खुलासा

दिव्या भटनागर के अचानक निधन से देवोलीना भट्टाचार्जी सदमे में है, जिसके चलते उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए खुलासा किया था कि दिव्या के पति गगन गबरू उनके साथ मारपीट करते थे, जिसके बाद सभी लोग हैरान हो गए थे. वहीं देवोलीना ने गगन को सजा देने की भी बात कही थी. इसी बीच दिव्या के परिवार को भी उनके इस वीडियो से हिम्मत मिल गई है और वह अब दिव्या के पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाने का फैसला किया हैं.

 

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दिव्या के भाई ने कही ये बात

दिव्या भटनागर के भाई देवाशीष ने एक इंटरव्यू में कहा है, ‘शादी के बाद से ही गगन ने मेरी बहन को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देना शुरू कर दिया था. हमें अलमारी से दिव्या का एक नोट मिला है जिसमें उन्होंने लिखा था कि गगन उन्हें गाली देता है और उनके साथ मारपीट करता है. ये नोट उन्होंने 7 नवंबर को लिखा था. कल हमें ये नोट मिला है. 16 नवंबर को ही दिव्या ने गगन के खिलाफ पुलिस में केस भी दर्ज करवाया था. जब वो अस्पताल में अपना इलाज कर रही थीं तो हम सभी उनकी हिम्मत बनें और उन्हें हिम्मत ना हारने के लिए भी कहा. हमारे लिए ये काफी मुश्किल है. हमारी पीड़ा असहनीय है.’

बता दें, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस कोरोना वायरस से संक्रमित थी, जिसके बाद 34 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली है. वहीं शादी की बात करें तो उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर गगन गबरू से शादी की थी, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं.

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क्या फेशियल हेयर से छुटकारा पाने का कोई परमानेंट सौल्यूशन है?

सवाल-

मेरे चेहरे पर काफी बाल हैं , जिसके कारण मेरा कॉन्फिडेंस काफी कम हो गया है. क्या इसका कोई परमानेंट सोलूशन है?

जवाब-

हर कोई सोफ्ट , स्मूद व क्लियर स्किन चाहता है.  लेकिन कई बार हमारे लाख प्रयासो के बाद भी हम अपनी स्किन को खूबसूरत नहीं बना पाते हैं.  क्योंकि कई बार हम अपनी स्किन की केयर नहीं करते और कई बार हार्मोन्स में उतारचढ़ाव आने की वजह से चेहरे पर न सिर्फ मुंहासे बल्कि बाल भी उग आते हैं. जिन्हें शुरुवात में हम इग्नोर कर देते हैं , लेकिन जब समस्या काफी बढ़ जाती है ,तो हमें न सिर्फ अपना चेहरे को छूने व देखने का मन करता है बल्कि हम दूसरों के सामने जाने से भी कतराने लगते हैं. ऐसे में जरूरत है समस्या के यही समय पर निदान की न कि समस्या से भागने से.  इस सम्बंद में जानते हैं कोस्मोटोलोजिस्ट पूजा नागदेव से.

करें ये उपचार 

वैसे तो हेयर्स को हटाने के लिए ढेरों विकल्प मौजूद हैं जैसे आप वैक्सिंग का सहारा ले सकते हैं ,  थ्रेड यूज़ करवा सकते हैं या फिर कई महिलाएं शेविंग भी करवाती हैं.  लेकिन ये विकल्प सस्ते जरूर हैं लेकिन ज्यादा पैनफुल होने के साथसाथ आपकी स्किन को ख़राब भी कर देते हैं. जैसे आपकी स्किन लाल पड़ सकती है, बालों की हार्ड ग्रोथ आ सकती है या फिर स्किन के बहुत सेंसिटिव होने के कारण वैक्सिंग से स्किन जल तक सकती है. इसलिए इन विकल्पों को न चुनें.

क्या है बेस्ट 

अगर आप अपने चेहरे के अनचाहे बालों से परेशान हैं तो आपके लिए लेज़र ट्रीटमेंट के विकल्प को चुनना ही बेस्ट रहेगा. भले ही ट्रीटमेंट आपकी हेयर ग्रोथ के हिसाब से लंबा हो सकता है और महंगा भी. लेकिन ये आपको रोजरोज शेविंग , वैक्सिंग, थ्रेडिंग जैसे झंझटो से छुटकारा दिलवाने का काम करेगा. लेकिन इस बात का भी आपको खास ध्यान रखना होगा कि आप एक्सपर्ट्स से ही लेजर ट्रीटमेंट करवाएं, ताकि आपको कम समय में लौंग लास्टिंग रिजल्ट मिल सके और स्किन पर किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट न हो. .

कैसे होता है ट्रीटमेंट 

लेज़र ट्रीटमेंट करने से पहले संभंधित व्रक्ति के चेहरे पर सबसे पहले बालों की ग्रोथ , एरिया , स्किन की सेंसिटिविटी और कलर को देखा जाता है, फिर उसके आधार पर बताया जाता है कि कितनी सिटिंग लेने की जरूरत होगी. इस तकनीक में अनचाहे बालों को लेज़र लाइट के जरिए जड़ से खत्म किया जाता है, लेकिन उससे पहले बालों को शेविंग के जरिए रिमूव किया जाता है. लेकिन ये काम एक्सपर्ट ही करता है.  क्योंकि वे स्किन के टाइप को जानकर उस पर कितनी देर हीट देनी है ये तय करता है. क्योंकि हीट ज्यादा देर तक देने से स्किन के जलने का डर बना रहता है. लेज़र ट्रीटमेंट देने से पहले व बाद में स्किन को बर्फ से ठंडक दी जाती  है. ताकि जलन न हो.  7 – 8  सिटिंग में आपको रिजल्ट दिख जाता है. ये ट्रीटमेंट आपको फिर से खूबसूरत बनाने का काम करता है.  इसलिए जब भी फेस पर हेयर्स की प्रोब्लम आए तो शेविंग , वैक्सिंग के विकल्प को भूलकर भी न चुनें, क्योंकि इससे आपका चेहरा खराब हो सकता है .

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