मैं सशक्त महिला प्रधान किरदार निभाना चाहूंगी -निधि सिंह

बचपन से ही अभिनेत्री बनने का सपना देखती आ रही निधि सिंह को अपने परिवार के सदस्यों को यह बात समझाने में काफी लंबा समय लग गया. परिणामतः उन्होने 25 वर्ष की उम्र में अभिनेत्री बनने के लिए औडीशन देने शुरू किए. 2014 में वेब सीरीज‘परमानेंट रूममेट’में तान्या नागपाल का किरदार निभाकर वह चर्चा में आ गयीं. उसके बाद निधि सिंह ने तकरीबन 14 वेब सीरीज के अलावा ‘दिल जंगली’, ‘ब्रजमोहन अमर रहे’और ‘बहुत हुआ सम्मान’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया. इन दिनों ‘आल्ट बालाजी’ और ‘जी 5’पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज ‘डार्क 7 व्हाइट’ में मुख्यमंत्री की बेटी देविना चैधरी उर्फ डेजी के किरदार में नजर आ रही हैं, जो एक कुशल राजनेता की भांति शतरंज की चाल चलते हुए मुख्यमंत्री बनती है. .

प्रस्तुत है निधि सिंह से हुर्ई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय काफी देर में लेने के पीछे कोई वजह रही?

-सच कहूं तो मैं हमेशा अभिनेत्री ही बनना चाहती थी. मुझे शुरू से ही पता था कि मुझे अभिनय ही करना है. लेकिन मेरी परवरिश गैर फिल्मी माहौल, प्रयागराज , इलहाबाद के एक अकादमिक परिवार में हुई है. तो समझ में नही आ रहा था कि मैं कैसे मुंबई पहुॅचकर अभिनेत्री बनूंगी. जब आप छोटे होते हैं, तो आप अपने माता पिता को समझा भी नहीं पाते कि आप अभिनय को लेकर कितना गंभीर हैं. मैंने विज्ञान से 12 वीं पास की, फिर सब चाहते थे कि मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करुं, पर मैने मास मीडिया की पढ़ाई करने की जिद पकड़ी , जिससे मुंबई आने का अवसर मिल जाए. मैं मास मीडिया में स्नातक की डिग्री की पढ़ाई करने के लिए मुंबई आयी. मुंबई पहुंचने के बाद मैने पाया कि यहां हर दूसरा इंसान फिल्मों में अभिनय करना चाहता है. स्नातक तक की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं एक विज्ञापन एजंसी में नौकरी करने लगी. पर मेरा मन मुझे लगातार अभिनय के लिए उकसा रहा था. अंततः मैंने एक दिन दिल की सुुनकर सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने लगी. इसके अलावा थिएटर से जुड़ गयी. मेरा मकसद फिल्म माध्यम व अभिनय की बारीकियों को समझना था. क्योंकि मैने अभिनय की कोई ट्रेनिंग हासिल नहीं की थी. जबकि मैं देख रही थी कि लोग अभिनय में प्रशिक्षण हासिल करके आ रहे हैं. मुझे अच्छे लोग मिले, जिन्होने मुझे काम करने के अवसर प्रदान किए. लोगों ने मुझे कुछ नाटकों में अभिनय करने का अवसर प्रदान किया. हम बाहर से मुंबई आए थे. तो दो वक्त की रोटी के अलावा मकान का किराया सहित कई चीजों के लिए पैसे का दबाव था. जब मैंने वास्तव में औडीशन देने शुरू किए,  उस वक्त मेरी उम्र 25 वर्ष थी. जब मेरी उम्र 27 वर्ष थी, तब मेरे हाथ वेब सीरीज ‘‘परमानेंट रूम’’लगी. उससे पहले भी मैने कुछ एड, वेब सीरीज, म्यूजिक वीडियो किए थे, पर उनसे  कोई पहचान नही बनी. मगर ‘परमानेंट रूममेंट्स’ को मिली सफलता से लोगों ने मुझे भी बतौर कलाकार पहचाना.

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आपने किनके साथ बतौर सहायक निर्देशक काम किया?

-मैने विज्ञापन कंपनी में नौकरी के दौरान ही कुछ एड मेकरों के साथ बतौर सहायक निर्देशक काम किया. फिर मैं थिएटर में व्यस्त रही. मैने जेमिनी पाठक और चंदन रॉय सान्याल की थिएटर कंपनी के साथ नाटकों में  अभिनय किया. जेमिनी पाठक के साथ मैने बच्चों के शो ‘वंस अपॉन ए टाइगर’ किया. फिर डिजनी के लिए मैंने कई सीरियल किए. मॉल में वह क्रिसमस व न्यूईअर के मौके पर छोटे नाटकों का मंचन करते थे, तो वह किया. अभी पूर्वा नरेश और आकाश खुराना के साथ काम करने का अवसर मिला. आकश खुराना के साथ मैंने ‘कान’ नाटक किया.

छह वर्ष के कैरियर को किस तरह से देखती हैं और टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?

-सच यही है कि मैं अभी सीख रही हूं. और मुझे नही लगता कि मैं कभी सब कुछ सीख पाउंगी. यह मेरा एटीट्यूड है कि मुझे कभी नहीं लगता कि मुझे सब कुछ आता है. पर मेरे अंदर सीखने की लगन बहुत ज्यादा है. मैं सीखूंगी और काम करती रहूंगी. इन सात वर्षों मंे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. बहुत प्यार मिला. मेरे काम को सराहा गया. मैं इन सब को जोड़कर अपने अंदर एक सकारात्मक सोच को बनाना चाहती हूं और बहुत अमैंजिंग काम करना चाहती हूं. मैं खुद को लक्की और मोटीवेटिब मानती हॅूं. मेरे परिवार वालों को मेरे नाम व शोहरत से कोई लेना देना नही है. वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनकी बेटी खुश रहे. यह मेरी खुशनसीबी ही है कि मुझे इस जिंदगी को अनुभव करने का अवसर मिला. मुझे जिस तरह का प्यार मिल रहा है, उसके भरोसे मै रूकने वाली नही हॅूं. निरंतर प्रगति की राह पर आगे बढ़ती रहॅंूगी. हरं इंसान की जिंदगी की तरह मेरी जिंदगी में भी काफी उतार चढ़ाव रहे हैं. छोटे शहर से बड़े शहर आकर काम को लेकर आने वाली चुनौतियों का सामना तो, हर किसी को करना पड़ता है. हमें भी करना पड़ा. किरदार को यथार्थ  परक बनाने की चुनौती होती है. यह आज की चुनौती नही है, बल्कि यह चुनौती रोजमर्रा की है. रोजमर्रा नई चुनौती सामने आकर खड़ी हो जाती है. मगर मैं बहुत सकारात्मक सोच वाली इंसान हॅूं. इसलिए मुझे लगता है कि चाहे जितना बुरा हो, बुरा होने के बाद अच्छा ही होता है. मेेरे कैरियर में काफी उतार चढ़ाव रहे, मगर मुझे हमेशा अंदर से उम्मीद रहती है कि कुछ अच्छा ही होगा. मैं भले ही अंदर से टूट रही होती हूं,  अंदर से रोना आ रहा होता है, पर मैं खुद को संभाले रहती हॅूं. मैं हमेशा यही सोचती हॅूं कि जो बुरा होना था, वह हो गया. अब कुछ अच्छा ही होगा. मुझे उम्मीद है कि 2020 भी रहा है, अब अच्छा ही होगा.

आपकी दो वेब सीरीज ‘परमानेंट रूममेट’और ‘पिच्चर’यह दोनों यूट्यूब पर आए थे, जबकि ‘वकालत फ्राम होम’ और ‘डार्क 7 व्हाइट’ओटीटी के बड़े प्लेटफार्म पर हैं. कलाकार के तौर पर किस तरह का फर्क महसूस हुआ?

-देखिए, ‘परमानेंट रूममेट’का रिस्पांस अभी भी मिल रहा है. मगर बड़े प्लेटफार्म पर वेब सीरीज के आने के बाद फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का ध्यान हमारी तरफ गया. लोगों को लगा कि काम में कुछ दम है. जब आपको बड़े लोग पहचानने लगते हैं, तो आपको खुशी होती है. यह खुशनसीबी की बात है. इसके अलावा खुद का हौसलाआफजाई भी होता है. इसका मतलब यही हुआ कि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं. देखिए, दर्शक आपको तब भी प्यार देते हैं, जब आप यूट्यूब पर कुछ लेकर आते हैं, मगर इंडस्ट्री के अंदर बड़े प्लेटफार्म का अलग प्रभाव पड़ता है. मैं खुद मार्केटिंग का हिस्सा रह चुकी हंू, इसलिए मार्केटिंग प्वाइंट आफ व्यू से देखा जाए, तो जैसे ही कोई प्रोडक्ट अच्छी जगह दिखने लगता है, लोग मान लेते हैं कि यह प्रोडक्ट अच्छा है. यह ‘गिव एंड टेक’ और बिजनेस का मामला है. पर हमें तो लगातार काम करते रहना ही पड़ेगा.

वेब सीरीज ‘डार्क 7 व्हाइट’के संदर्भ में क्या कहना चाहेंगी?

-यह राजस्थान की पृष्ठभूमि में पोलीअिकल थ्रिलर है. जिसमें एक तरफ एक प्रिंस मुख्यमंत्री बनना चाहता है, जिसके लिए वह मुख्यमंत्री की बेटी देविना चैधरी उर्फ डेजी को अपने प्रेम जाल में फांसकर मुख्यमंत्री की हत्या  कर उसे हृदयाघाट का अमली जामा पहना देता है. डेजी सब कुछ जानकर चुप रहते हुए शतरंजी चाल चलती है. अंततः देविना चैधरी उर्फ डेजी ही मुख्यमंत्री बनती है.

वेब सीरीज ‘डार्क 7 हाइट’के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-मैं इसमें देविना चैधरी उर्फ डेजी के किरदार में नजर आ रही हॅूं. जो कि चार्मिंग है. साधारण है. जटिल किरदार नही है. उसके अंदर ठहराव है. उसको ज्यादा गुस्सा भी नहीं आता. पर उसके साथ कुछ ऐसा हो जाता है, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकती. लेकिन इससे उसका पूरा व्यक्तित्व व उसके आस पास की हर चीज बदल जाती है.

कलाकार को आगे बढ़ाने में सोशल मीडिया कितना मददगार साबित होता है?

-मैं सोशल मीडिया को दो तरीकांे से देखती हॅूं. मुझे दोनो तरीके सही लगते हैं. एक तरीका यह है कि आपको मजा आता है, इंस्टाग्राम पर अपनी कहानियां बताने में , अपने दर्शकों को इंगेज करने में. आपको यह सारी चीजें नेचुरल तरीके सआती हैं और आपको भी इसमें मजा आता है. तो जो नेचुरल वाले लोग हैं, मुझे भी उन्हें फॉलो करने में बड़ा मजा आता है. जिनके अंदर यह सारी खूबी नेचुरल तरीके से होती है. दूसरा दबाव वाला कि ऐसा करो, दर्शकों को इंगेज करो, वह मुझे सही नहीं लगता है. वह अॉर्गेनिक प्रोसेस नहीं लगता. इसमें साफ दिखता है कि आप से नहीं हो रहा है. तो मैं सोशल मीडिया को ऐसे देखती हूं कि सोशल मीडिया अपनी बात कहने का एक बहुत ही ताकतवर जरिया है. अगर आप चाहते हैं, तो इसे अपने पक्ष में बहुत ही ज्यादा आसानी से उपयोग कर सकते हैं. मगर मुझे इसमें एक चीज यह लगती है कि अगर आप अपनी फिल्म, वेब सीरीज प्रमोट कर रहे हैं, कुछ भी कर रहे हो, पर औथैंटिक रहना बहुत ज्यादा जरूरी है. सोशल होने का मतलब क्या है?सोच सोशल होने का मतलब है दूसरे लोगों से जुड़ना. आप दूसरे लोगों से जुड़ने की कोशिश करेंगे, मगर गलत तरीके से कोशिश करेंगे, तो आप पकड़े जाएंगे. ऐसे में कभी न कभी आप खुद भी फंस जाएंगे. तो मेरे हिसाब से आप सोशल मीडिया को बहुत सारे तरीके से उपयोग कर सकते हैं और करना भी चाहिए. क्यों ना किया जाए. सोशल मीडिया के चलते कई लोगों के बिजनेस कहां से कहां पहुंच गए हैं.

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किस तरह के किरदार निभाना चाहेंगी?

-मैं सशक्त महिला प्रधान किरदार निभाना चाहूंगी. मेरे पास कुछ अच्छे चुनौतीपूर्ण किरदारों को निभाने के आफर भी हैं, मगर ‘कोविड 19’के चलते बात आगे नहीं बढ़ रही है.

आप प्रयाग इलाहाबाद जैसे छोटे शहर से आई हैं. तो आप छोटे शहरों से जो लड़कियां आ रही हैं, उन्हें क्या सलाह देना चाहेंगी?

-यही कहना चाहूंगी कि दिमागी रूप से यात्रा करना बहुत जरूरी है कि आप जो करना चाह रही है, वह क्यों करना चाह रही हैं?बहुत सी लड़कियां सिर्फ यह सोच कर आ जाती हैं कि फिल्मों में जाना है या पैसा मिल रहा है. तो यह बहुत ही गलत सोच है. अपनी जिंदगी में किसी भी चीज का चुनाव करने के लिए मैं हर लड़के और लड़की से यही कहना चाहूंगी कि आप अपने दिमाग में हर चीजों को क्लियर रखें कि आप क्या करना चाहती हैं और आपका सेंस अॉफ प्रोसेस बहुत तेज होना चाहिए.

आपका फिटनेस मंत्रा क्या है?

-लगातार कंसिस्टेंसी चाहिए. फिर खाने के मामले में हो या एक्सरसाइज के मामले में हो. अगर आप रोज एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं, तो जिस दिन आप एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं, उस दिन खाने पर ध्यान दें. जिस दिन खाने पर ध्यान नहीं दे पाए, उस दिन ज्यादा एक्सरसाइज करें. लेकिन हमेशा कंसिस्टेंसी होनी चाहिए.

अनुपमा से बदला लेने के लिए काव्या चलेगी नई चाल, बेटी पाखी को बनाएगी मोहरा

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ वनराज और काव्या पूरी कोशिश कर रहे हैं कि अनुपमा को उसके परिवार से अलग कर सके. तो वहीं अनुपमा हर तरह से कोशिश कर रही है कि अपने पैरों पर खड़े होकर परिवार को संभाल सके. इसी बीच शो में अनुपमा के मेकओवर से लेकर कहानी में नया ट्विस्ट फैंस को एंटरटेन करने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

पाखी को अपने करीब लाई काव्या

घर और परिवार दोनों को मैनेज करने की कोशिश कर रही अनुपमा परेशानियों का सामना करती नजर आ रही है. वहीं काव्या, वनराज के साथ मिलकर उसे उसके परिवार और बच्चों से दूर करने की चालें चल रही है, जिसके चलते बीते दिन काव्या वनराज की बेटी पाखी का विश्वास जीतती नजर आई. वहीं अब आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि पाखी का काव्या पर भरोसा इतना बढ़ जाएगा कि वह काव्या और वनराज के साथ रहने का फैसला करती नजर आएगी, जिससे अनुपमा का दिल टूट जाएगा. लेकिन वह पाखी को रोक नहीं पाएगी.

 

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काव्या की चाल होगी कामयाब

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या का पाखी के लिए बर्थडे सरप्राइज का प्लान कामयाब हो जाएगा, जिसके चलते पाखी, अनुपमा और अपने परिवार के साथ बर्थडे सेलिब्रेट नही कर पाएगी. वहीं घरवाले इस बात के लिए वनराज को जिम्मेदार मानते नजर आएंगे, जिसके कारण घर में नया ड्रामा देखने को मिलेगा.

अनुपमा का टूटेगा दिल

 

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पाखी, पिता वनराज के साथ बर्थडे सेलिब्रेट करने के बाद जब घर लौटेगी तो वह वनराज के दिए महंगे गिफ्ट के बारे में अनुपमा को बताती नजर आएगी, जिसके कारण अनुपमा दुखी नजर आएगी. वहीं काव्या अपनी जीत का जश्न मनाने और अनुपमा को परेशान करने के लिए फोन करके कहेगी वह एक-एक करके उसके पूरे परिवार को अपनी तरफ कर लेगी. हालांकि अनुपमा, काव्या को नीचा दिखाकर उसे करारा जवाब देती नजर आएगी.

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ननद की संगीत सेरेमनी में छाया Allu Arjun और Ram Charan की वाइफ का जलवा, देखें फोटोज

साउथ फिल्मों में धमाल मचाने वाले एक्टर राम चरण (Ram Charan) और अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) इन दिनों अपनी कजिन की शादी को लेकर सुर्खियों में हैं. दरअसल, सुपरस्टार चिरंजीवी की भतीजी निहारिका कोनिडेला (Niharika Konidal) की शादी के चलते उनकी पूरी फैमिली इकट्ठी हुई है. वहीं इस दौरान निहारिका के साथ-साथ उनकी भाभियां यानी अल्लू अर्जुन की वाइफ स्नेहा रेड्डी और राम चरण की वाइफ उपासना कामिनेनी भी  एक दूसरे को फैशन के मामले में टक्कर देती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं निहारिका कोनिडेला के प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन्स की खास फोटोज…

1. राम चरण और उनकी वाइफ का छाया जलवा

बहन के प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन्स में राम चरण और उनकी वाइफ उपासना कलर कौम्बिनेशन करके पहुंचे. जहां राम चरण, ब्लैक कलर के मौर्डर्न आउटफिट में पहुंचे तो वहीं वाइफ उपासना ब्लैक और गोल्डन पैटर्न वाले लहंगे के साथ दुप्ट्टे की बजाय श्रग पहने नजर आईं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

 

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2. अल्लू अर्जुन भी वाइफ के साथ आए नजर

 

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बहन निहारिका की मेहंदी में अल्लू अर्जुन और उनकी वाइफ स्नेहा का लुक भी देखने लायक था. पिंक और वाइट कलर के कुर्ते में अल्लू अर्जुन हैंडसम लग रहे थे तो वहीं वाइफ स्नेहा का प्रिंटेड ब्लैक लहंगे के साथ सिंपल लेकिन ट्रैंडी ब्लाउज उनके लुक को खूबसूरत बना रहा था. दोनों अपने फैंस को कपल गोल्स देते नजर आ रहे थे.

3. बहन निहारिका का लुक भी था खास

 

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भाभियों की तरह निहारिका भी बेहद खूबसरत गाउन में जलवे बिखेरती नजर आईं. ग्रीन कलर के गाउन में निहारिका की चोकर ज्वैलरी उनके लुक को कम्पलीट कर रहा था. सिंपल लुक में भी निहारिका एक्ट्रेसेस पर भारी पड़ रही थीं.

4. संगीत सेरेमनी में छाया स्नेहा का लुक

संगीत सेरेमनी के लिए शाइनी पर्पल कलर के लहंगे के साथ स्नेहा का लुक बेहद खास लग रहा था. वहीं लाइट ज्वैलरी उनके लुक को कम्पलीट कर रहा था. नाइट पार्टी में उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

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5. वाइट कलर में दिखी रामचरण और उपासना की जोड़ी

 

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शादी के लिए रामचरण और उनकी वाइफ उपासना वाइट कलर के कौम्बिनेशन में नजर आए. जहां उपासना और बेबी पिंक कलर की कढ़ाई वाले गाउन में नजर आई तो वहीं रामचरण प्लेन वाइट कलर के सूट में कमाल लग रहे थे.

ब्राइडल मेकअप फौर डे एंड नाइट वैडिंग…

मेकअप में स्किनटोन और ड्रैस के साथ-साथ यह भी मायने रखता है कि वह दिन के हिसाब से किया गया है या फिर रात के और जब बात ब्राइडल मेकअप की हो तो इस बात का खयाल रखना और भी जरूरी हो जाता है. पेश हैं, भारती तनेजा डाइरैक्टर औफ ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक ऐंड ऐकैडमी द्वारा दिए गए कुछ खास टिप्स:

1. डे ब्राइडल मेकअप

दिन के ब्राइडल मेकअप के लिए सब से जरूरी है मेकअप का बेस बनाना. मेकअप का बेस जितना बेहतर होगा, मेकअप उतना ही खूबसूरत और नैचुरल दिखेगा. कई ब्राइडल बेस बनाने में भी गलती करती हैं जो मेकअप का सब से अहम भाग है. बेस के लिए हमेशा स्किन से मैच करता हुआ शेड ही चुनें यानी न अधिक लाइट, न ज्यादा डार्क. इसे चुनने के लिए इसे हाथ पर लगा कर देखने के बजाय चेहरे पर या जौ लाइन पर लगा कर देखें.

4 टिप्स: इस गरमी बेझिझक पहनें स्लीवसेस ड्रेस

– मेकअप की शुरुआत प्राइमर से करें. पूरे चेहरे पर अच्छी तरह से प्राइमर अप्लाई करें. इस से चेहरे का मेकअप करना आसान होगा और स्किन एकसार दिखेगी. फिर चेहरे के दागधब्बों पर कंसीलर लगा कर उन्हें छिपाएं. आंखों के नीचे, आईब्रोज के बीच भी कंसीलर अप्लाई करें. ऐसा करने से चेहरा बेदाग नजर आएगा.

– अब बारी है फाउंडेशन की. स्किन पर ब्रश की सहायता से फाउंडेशन ऐसे अप्लाई करें जैसे आप पेंट कर रही हों. इस के बाद अंडाकार स्पंज की सहायता से इसे ब्लैंड करें. ब्रश की सहायता से अतिरिक्त फाउंडेशन हटा कर लूज पाउडर की सहायता से बेस को सैट करें. इस से चेहरे पर नैचुरल चमक आएगी.

– अब कंटूरिंग के लिए चीकबोंस पर हलके शेड की लेयर, बीच में उस से डार्क और अंत में डार्क लेयर बना कर ब्लैंड करें. अच्छी तरह ब्लैंड होने पर आप के चेहरे के फीचर्स उभर आएंगे. इस के बाद आई मेकअप, लिप मेकअप और हेयरस्टाइल कर सकती हैं.

2. नाइट ब्राइडल मेकअप

रात में ब्राइडल मेकअप दिन की तुलना में डार्क किया जाता है. इस के लिए मेकअप का कलर बोल्ड होना चाहिए. 3-4 कलर को मिक्स कर के भी मेकअप किया जा सकता है. शादी के दिन अच्छा दिखने में आंखों का बहुत बड़ा महत्त्व होता है ऐसे अगर इन की सही देखभाल न की जाए तो ये आप के किएकराए में पानी भी फेर सकती हैं.

5 टिप्स: खूबसूरती का खजाना है बेसन, फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान

आंखों के लिए स्मोकिंग कलर का प्रयोग किया जा सकता है. अपनी आंखों की ओर ध्यान खींचने के लिए आप ब्राउन, ग्रे और ग्रीन कलर के आईलाइनर का उपयोग आंखों के ऊपरी और निचले हिस्सों में कर सकती हैं. अगर आप की आंखें भूरी हैं तो आप पर्पल और ग्रे कलर का आईलाइनर लगा सकती हैं और अगर आंखें हरी और नीली हैं तो आप के लिए ब्रौंज शेड और डार्क ब्राउन बेहतर विकल्प हैं.

अगर औयली है स्किन

यदि स्किन औयली है और पसीना बहुत आता है, तो टू वे केक का इस्तेमाल आप के लिए बेहतर है, क्योंकि यह एक वाटरप्रूफ बेस है. इस के अलावा आप अपनी स्किन के लिए पैन स्टिक और मूज का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. मूज चेहरे पर लगाते ही पाउडर फौर्म में तबदील हो जाता है, जिस कारण पसीना नहीं आता. यह अतिरिक्त औयल रिमूव कर के फेस को मैट फिनिश और लाइट लुक देता है. इसे हथेली में ले कर स्पंज या ब्रश की मदद से चेहरे पर एकसार फैला लें.

5 टिप्स: शादी से पहले पाएं हैल्दी बाल

अगर स्किन बहुत ज्यादा औयली है या गरमी के मौसम में मेकअप कर रही हैं तो पहले फाउंडेशन से चेहरे पर बर्फ की मसाज लें. औयली स्किन पर दाग नजर आते हैं. इस से बचने के लिए कंसीलर लगाएं. कंसीलर और फाउंडेशन लगाने के बाद मेकअप को ट्रांसलूसैंट पाउडर से सैट करें. इस से मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहेगा और फैलेगा भी नहीं.

अगर स्किन है ड्राई

अगर आप की स्किन ड्राई है तो आप मेकअप के दौरान पाउडर का यूज न करें. ऐसा करने से आप की स्किन और भी ड्राई हो सकती है. स्किन ड्राई होने पर आप रिंटिड मौइश्चराइजर, क्रीम बेस्ड फाउंडेशन का इस्तेमाल कर सकती हैं और अगर नौर्मल स्किन है तो आप के लिए फाउंडेशन और कौंपैक्ट अच्छे औप्शंस हैं.

ऐसे चुनें सही पैकेज…

प्रोफैशनल मेकअप आर्टिस्ट ढूंढ़ रही हैं तो बजट 15 हजार से लाख 2 लाख तक भी जा सकता है. कुछ ब्राइडल पैकेजस में दुलहन के साथ उस के करीबियों का मेकअप भी शामिल होता है. वैडिंग सीजन शुरू होते ही आप को औनलाइन व औफलाइन कई स्पैशल औफर्स दिखेंगे.

वैक्स करवाते समय रखें इन 5 बातों का खास ख्याल

कई पैकेजस शादी की अलग-अलग रस्मों के दौरान भी सर्विस देते हैं जैसे मेहंदी, संगीत, शादी और फिर रिसैप्शन. शादी के कुछ दिन पहले मेकअप ट्रायल जरूर लें. इस से आप को और मेकअप आर्टिस्ट को आइडिया मिल जाता है कि आप की स्किनटोन पर कौन सा मेकअप अच्छा लगेगा और कौन से लुक में आप ज्यादा आरामदायक महसूस करेंगी.

edited by-rosy

Winter Special: फैमिली को परोसें टेस्टी चना दाल कबाब

कबाब हर किसी को पसंद आते हैं चाहे वह वेजीटेरियन हो या नौन वेजीटेरियन, लेकिन अगर आप सोचते हैं कि वेजीटेरियन लोगों के लिए कबाब की वैरायटी नही है तो आज हम आपकी ये सोच बदलेंगे. आज हम आपको चना दाल के कबाब की रेसिपी के बारे में बताएंगे. जो टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी है.

हमें चाहिए

–  1 किलोग्राम चना दाल

–  2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

– 1 छोटा चम्मच हलदी

– 1 छोटा चम्मच अदरक का पेस्ट

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– 1 छोटा चम्मच लहसुन का पेस्ट

– 2 चुटकी जावित्री पाउडर

– 1-2 बूंदें इत्र – जरूरतानुसार इलायची पाउडर

– थोड़ा सा केसर

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 2 चुटकी चंदन पाउडर

– 4-5 तेजपत्ते – 100 ग्राम भुने चने

– नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

सब से पहले कड़ाही में रिफाइंड औयल डाल कर चना दाल को भून लें. फिर जब वह ठंडी हो जाए तब उसे एक कटोरे में पानी के साथ डाल कर उस में तेजपत्ते, लहसुन व अदरक पेस्ट, हलदी, केसर, लालमिर्च पाउडर व नमक डाल कर 30 मिनट उबाल लें. फिर पानी निकाल कर सुखा लें और हाथ से अच्छी तरह मसल लें. अब इस में इलायची पाउडर, चंदन पाउडर और जावित्री पाउडर डाल कर इत्र डालें और अच्छी तरह मिलाएं. इस के बाद इस मिश्रण की पैटी बना लें और तवे पर घी डाल कर इसे सेंकें. तैयार हो जाने पर परोसें.

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जब दोस्ती में बढ़ जाए Jealousy

दोस्ती में प्यार है तो तकरार भी है. रूठना है तो मनाना भी है. यह सिलसिला तो दोस्तों के बीच चलता ही रहता है. लेकिन कई बार बेहद प्यार और परवा के बावजूद दोस्ती में जलन की भावना पैदा हो जाती है. क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? वैसे तो इस के कई कारण हैं, जैसे दोस्तों के बीच किसी तीसरे का आ जाना, पढ़ाई में किसी एक का तेज होना वगैरह. लेकिन इन सब के अलावा एक ऐसा कारण भी है जो दोस्ती में तकरार, ईर्ष्या और जलन जैसी भावनाओं को उत्पन्न कर देता है.

दरअसल, जब 2 दोस्तों के बीच पहनावे या खानेपीने जैसी चीजों में अंतर हो तो यह जलन जैसी भावनाओं को पैदा कर देता है. ऐसा ही कुछ हुआ सुहानी और अनन्या के साथ.

अनन्या और सुहानी 11वीं कक्षा से ही दोस्त हैं. वे एकदूसरे के काफी क्लोज हैं. वैसे तो सुहानी कानपुर से है लेकिन 16 वर्ष की उम्र में वह अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली आ गई थी. सुहानी ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई कानपुर से की थी और आगे की पढ़ाई उस ने दिल्ली आ कर पूरी की.

सुहानी और अनन्या की दोस्ती दिल्ली में हुई. दरअसल, जिस कंपनी में अनन्या के पापा काम करते थे उसी कंपनी में सुहानी के पापा की भी नौकरी लग गई थी. एक दिन सुहानी के पापा ने सुहानी के दाखिले के लिए अनन्या के पापा से किसी अच्छे स्कूल के बारे में पूछा, तो उन का कहना था, ‘‘अरे, मेरी बेटी जिस स्कूल में पढ़ती है वह स्कूल तो बहुत अच्छा है. तुम चाहो तो वहां दाखिला करवा सकते हो.’’

सुहानी के पापा और सुहानी जब स्कूल में दाखिले के लिए गए तो उन्हें स्कूल काफी पसंद आया. कुछ दिनों बाद सुहानी स्कूल जाने लगी. इधर सुहानी और अनन्या बहुत अच्छी दोस्त बन गई थीं और उधर दोनों

के पापा में भी अच्छी बौंडिंग हो गई थी. दोनों के परिवार में आनाजाना भी होने लगा था.

सोच में बदलाव रिश्तों में टकराव

सुहानी और अनन्या दोनों के ही परिवार बहुत अच्छे थे, बस अंतर था तो दोनों के परिवारों के रहनसहन में. अनन्या के परिवार वाले बहुत खुले विचारों के थे. वे कभी अनन्या पर किसी प्रकार की रोकटोक नहीं करते थे. अनन्या को अपनी तरह से जिंदगी जीने की आजादी थी. वहीं, दूसरी तरफ सुहानी का परिवार खुले विचारों वाला नहीं था. वे कुछ भी सुहानी के लिए करते तो पूरे परिवार का मशवरा ले कर. जहां एक तरफ अनन्या हर तरह के कपड़े पहना करती थी, वहीं सुहानी सिर्फ जींस, टौप और कुरती ही पहनती. उसे ज्यादा स्टाइलिश और छोटे कपड़े पहनने की आजादी नहीं थी.

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स्कूल में अनन्या और सुहानी साथ ही रहा करती थीं. दोनों की दोस्ती गहरी होती जा रही थी. परीक्षा में दोनों साथ में ही पढ़ाई करतीं. अनन्या पढ़ने में एवरेज थी, पर सुहानी क्लास में अव्वल आती थी. हम अकसर देखते हैं कि मांबाप पढ़ाई को ले कर अपने बच्चों की दूसरे बच्चे से तुलना करने लगते हैं लेकिन यहां कभी न अनन्या के मातापिता ने तुलना की न खुद अनन्या ने. बल्कि अनन्या को खुशी मिलती थी सुहानी के अव्वल आने पर. परंतु सुहानी के साथ ऐसा नहीं था. सुहानी के व्यवहार में धीरेधीरे बदलाव दिखने लगा था.

जब इच्छाएं दबा दी जाती हैं

दोनों की स्कूली पढ़ाई खत्म होने को थी. 12वीं की परीक्षा से पहले स्कूल में फेयरवैल पार्टी का आयोजन किया गया था, जिस के लिए सभी उत्सुक थे. अनन्या और सुहानी ने उस दिन साड़ी पहनी थी. वैसे तो दोनों ही अच्छी लग रही थीं लेकिन सब की नजर अनन्या पर ज्यादा थी. सुहानी के सामने सब अनन्या की ज्यादा तारीफ कर रहे थे.

अनन्या की साड़ी बेहद खूबसूरत थी और उस के ब्लाउज का डिजाइन सब से अलग और स्टाइलिश था. सुहानी की साड़ी बहुत सिंपल थी और उस के ब्लाउज का डिजाइन उस से भी ज्यादा सिंपल. वैसे सुहानी का बहुत मन था बैकलैस ब्लाउज पहनने का लेकिन घरवालों के कारण उस ने अपनी यह इच्छा भी दबा दी थी.

सुहानी उस दिन बहुत शांत हो गई थी. जब भी अन्नया उस के पास आती वह उसे नजरअंदाज करने लग जाती और उस से दूर जा कर खड़ी हो जाती. अनन्या भी समझ नहीं पा रही थी कि आखिर सुहानी को हुआ क्या है. फेयरवैल के बाद सभी घूमने जा रहे थे लेकिन सुहानी पहले ही घर निकल गई थी. सुहानी को न देख कर अनन्या भी घर चली गई.

अनन्या को सुहानी की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था, इसलिए उस ने सुहानी से पहले बात करने की कोशिश भी नहीं की. 2 दिन बाद सुहानी खुद अनन्या के पास आई. अनन्या ने जब गुस्से में पूछा, ‘‘तू उस दिन कहां चली गई थी?’’ तब सुहानी ने कहा, ‘‘उस दिन मेरी तबीयत खराब हो गई थी, इसलिए मैं तुझे बिना बताए चली गई. मैं नहीं चाहती थी कि तेरा फेयरवैल मेरी वजह से खराब हो.’’ यह सुन कर अनन्या ने उसे गले लगा लिया. लेकिन असलियत तो कुछ और ही थी. उस दिन सुहानी को अनन्या को देख कर जलन हो रही थी.

यह बात सुहानी ने उस वक्त अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दी. दोनों ने 12वीं की परीक्षा दी. जब रिजल्ट आया तो अनन्या अच्छे नंबरों से पास हो गई लेकिन सुहानी ने पूरे स्कूल में टौप किया था. यह सुन कर सभी खुश हुए. अनन्या भी बहुत खुश हुई.

जब तारीफें चुभने लगें

स्कूल के बाद दोनों ने एक ही कालेज में दाखिला ले लिया. दाखिला लेने के कुछ महीने बाद ही दोनों की दोस्ती में दरार आने लगी. कालेज में अनन्या सारी एक्टिविटीज में हिस्सा लेती थी. इस कारण कालेज में उसे सब जानने लगे थे. उस के कपड़े सब से अलग और स्टाइलिश होते थे. क्लास में सभी उस को बहुत पसंद करते थे. वह कालेज की फैशन सोसाइटी का हिस्सा भी बन गई थी.

सुहानी को सिर्फ पढ़ाई में ध्यान देने को कहा गया था. हालांकि उस का भी बहुत मन होता था पढ़ाई के अलावा भी बाकी एक्टिविटीज में भाग लेने का, लेकिन घर वालों के कारण वह हमेशा अपने कदम पीछे कर लिया करती थी. यही वजह थी जो सुहानी धीरेधीरे अनन्या से दूर होने लगी थी. उस के मन में अनन्या के प्रति ईर्ष्या की भावना आने लगी थी.

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स्कूल के फेयरवेल के समय सुहानी को इतना फर्क नहीं पड़ा था. लेकिन, अब उसे अनन्या की यह आजादी चुभने लगी थी. सुहानी अपनी पसंद से न कपड़े पहन सकती थी न कहीं अपनी मरजी से जा सकती थी. वहीं अनन्या के घर वाले उसे पूरा सपोर्ट करते थे. अपने मनपसंद के कपड़े पहनना, घूमनाफिरना, वह सब करती थी. ऐसा नहीं था कि अनन्या की फैमिली सभी चीजों के लिए हां कर देती थी, हां, उसे उस के फैसले, वह क्या पहनना चाहती है, क्या करना चाहती है, यह डिसाइड करने का पूरा हक था.

जलन जब नफरत बन जाए

सुहानी और अनन्या की दोस्ती में काफी बदलाव नजर आने लगा था. अनन्या हमेशा उस के साथ रहती, लेकिन सुहानी उस से दूरियां बनाने में लगी हुई थी. यह बात अन्नया समझ रही थी लेकिन उसे लगा शायद सुहानी पढ़ाई को ले कर परेशान है. मगर आगे कुछ ऐसा हुआ कि दोनों सहेलियां हमेशा के लिए अलग हो गईं. दरअसल, अनन्या को फोटोग्राफी का कोर्स करना था जिस की स्टडी के लिए वह विदेश जाना चाहती थी. जब यह बात उस ने सुहानी को बताई तो सुहानी का कहना था, ‘‘अरे, इतनी दूर क्यों जाना है? यहीं से कर ले. और वैसे भी इस कोर्स का क्या होगा जो तू अभी कर रही है?’’ इस बात पर अनन्या का कहना था, ‘‘यह कोर्स तो मैं ने ऐसे ही जौइन कर लिया था. अच्छा, एक काम कर दे, अपने लैपटौप से इस कालेज का फौर्म भर दे. कल इस की लास्ट डेट है.’’

दोनों फौर्म भरने बैठ गईं. सभी डिटेल्स तो दोनों ने भर दीं लेकिन नैटवर्क प्रौब्लम की वजह से आगे का प्रौसेस नहीं हो पाया. यह देख कर अनन्या ने कहा, ‘‘कोई नहीं, तू आज शाम को दोबारा ट्राई कर लेना, बाकी सब तो हो ही गया है.’’

सुहानी ने भी हां कह दिया. दोनों घर चली गईं. शाम को अन्नया ने फोन पर फौर्म के लिए पूछा तो सुहानी का कहना था, ‘‘मैं ने कोशिश की लेकिन बारबार प्रौसेस फेल हो रहा है. तू चिंता मत कर, मैं कर दूंगी.’’

अगला दिन फौर्म का आखिरी दिन था. जब दोनों अगले दिन कालेज में मिले तो सुहानी ने अनन्या को देखते ही कहा, ‘‘फौर्म का प्रौसेस पूरा हो गया है.’’ यह सुनते ही अनन्या बहुत खुश हुई.

जब अनन्या ने सुहानी से ऐंट्रैंस परीक्षा की डेट पूछी तो वह थोड़ी घबरा गई. उस ने कहा, ‘‘मैं देख कर बताती हूं, ‘‘ ‘‘तभी अनन्या को याद आया उस के मेल आईडी पर सारी डिटेल्स आ गई होंगी. जब उस ने मेल चैक किया तो कुछ नहीं था. उस ने दोबारा सुहानी से पूछा, ‘‘तूने फौर्म फिल कर दिया था?’’ यह सवाल सुनते ही सुहानी शांत हो गई. दरअसल, सुहानी ने घर जाने के बाद लैपटौप चैक भी नहीं किया था. जब अनन्या ने लैपटौप में चैक किया तो कोई फौर्म फिल करने का प्रौसेस ही नहीं हुआ था.

यह देख कर अनन्या को बहुत अजीब लगा. अनन्या ने जब सुहानी के झूठ बोलने पर सवाल किया तो वह गुस्से में बोलने लगी, ‘‘मेरे पास इतना टाइम नहीं था. तेरी तरह मेरी लाइफ नहीं है. मुझे घर जा कर भी बहुत काम होता है. और वैसे भी तू विदेश जा कर क्या करेगी? तू सारी मौजमस्ती यहां कर ही लेती है. मेरा देख, सिर्फ किताबों में या घर के काम में ही पूरा दिन बीतता है.’’

अनन्या समझ गई कि जिस दोस्त पर वह इतना भरोसा करती थी वह सिर्फ उस से जलती थी. उस ने जानबूझ कर उस का फौर्म फिल नहीं किया.

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वैसे आज के समय में जलन की भावना बहुत आम हो गई है. लोग एकदूसरे का काम बिगाड़ने में लगे रहते हैं, चाहे उस से उन को फायदा हो या न हो. लड़कियों में सब से ज्यादा जलन की भावना कपड़ों या फिर खुली छूट की वजह से होती है.

जो हमें नहीं मिलता वह हम किसी दूसरे के पास भी देखना पसंद नहीं करते, जोकि सरासर गलत है. अगर आप को आप की इच्छा के अनुसार जिंदगी में कुछ करना है तो उस के लिए परिवार से बात करें. दूसरों से लड़ने के बजाय परिवार से लड़ना जरूरी है. दूसरों से ईर्ष्या कर उन को तकलीफ पहुंचा कर आप उन सभी से दूर होते चले जाएंगे. यह सब एक दिन आप को सब से अकेला कर देगा और तब पछताने के अलावा आप के पास कुछ नहीं रहेगा.

5 टिप्स: घर से ऐसे भगाएं खटमल

अक्सर औफिस से घर जाकर थकान में हम सीधा बैड पर जाकर आराम करना चाहते हैं, लेकिन आपके बैड पर खटमल हो तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही इससे कईं बीमारियां भी होने लगती है. खटमलों से पीछा छुड़ाना मुश्किल है क्योंकि ये लम्बे समय तक बिना खाए भी रह सकते हैं. इसलिए आज हम कुछ होममेड टिप्स बताएंगे, जिसे आप अपनाकर अपने घर से दूर रख सकते हैं.

1. खटमल भगाने के लिए इफेक्टिव है पुदीना

खटमल पुदीना की गंध को सहन नहीं कर पाते हैं. तो कुछ पुदीने की पत्तियां लें और अपने बिस्तर के पास रख दें. अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो कुछ पुदीना के पत्ते उनके पलने में रख दें. पुदीने के पत्ते खटमलों को दूर रखते हैं. आप चाहें तो पुदीने के पत्तों को पीस कर अपने शरीर पर भी मल सकते हैं.

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2. कायेन पेपर(लाल मिर्च) से भगाएं खटमल

कायेन पेपर गिनी राज्य की लाल मिर्च है. इसे बर्ड पेपर, काऊ हौर्न पेपर और अलेवा भी कहते हैं. इससे खटमल बहुत जल्दी भागते हैं. आप इन मिर्चों का पाउडर बना कर खटमलों पर स्प्रे कर सकते हैं.

3. लैवेंडर की महक भगाएं खटमल

खटमल लैवेंडर की महक सहन नहीं कर पाते हैं. इसीलिए आप लैवेंडर के पत्तों को खटमल वाले कपड़ों पर रगड़ सकते हैं या लैवेंडर का परफ्यूम छिड़क सकते हैं.

4. एंटी माइक्रोबियल गुण  से भरपूर है नीम का तेल

नीम का तेल नीम के पेड़ से निकाला जाता है. इसमें कई एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल कीड़ों को दूर रखने के लिए किया जाता है. नीम का तेल आपको किसी भी दवा की दुकान पर मिल सकता है. नीम के तेल को आप डाइल्यूट न करें. इसका इस्तेमाल इसके शुद्ध रूप में खटमलों पर किया जाना चाहिए. घर की सभी चीज़ों पर इसका छिड़काव करें और डिटर्जेंट के साथ इस तेल को मिलाकर ही कपडे धोएं. एक हफ्ते लगातार इसका छिड़काव करें.

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5. थाइम (अजवाइन के फूल) का करें खटमल भगाने में इस्तेमाल

थाइम इटली की एक फेमस बूटी है, जिसका इस्तेमाल खाने में टेस्ट बढ़ाने के लिए किया जाता है. थाइम खटमलों पर सीधा असर नहीं करता पर इसकी महक खटमल सहन नहीं कर पाते और वह भाग जाते हैं. थाइम की पत्तियों को जालीदार बैग में डालकर खटमलों से संक्रमित जगह पर छोड़ दें. हर तीसरे दिन बैग की पत्तियों को ताजा पत्तियों से बदलना जरूरी है.

बौडी पेन अब नहीं

बहन की शादी सिर पर और स्नेहा की कमर में अचानक दर्द उठ गया जिस से वह परेशान हो गई, क्योंकि एक तो वह दर्द से परेशान थी और दूसरा वह शादी जिस का उसे काफी समय से इंतजार था उसे भी ऐंजौय नहीं कर पा रही थी.

ऐसा सिर्फ स्नेहा के साथ ही नहीं बल्कि आज अधिकांश लोग बौडी पेन से परेशान हैं, क्योंकि वे आज की भागदौड़ भरी लाइफ में खुद की हैल्थ पर ध्यान जो नहीं दे रहे हैं और हलकाफुलका दर्द होने पर उसे इग्नोर कर देते हैं जिस से स्थिति और भयावह हो जाती है. ऐसी स्थिति में तुरंत रिलीफ के लिए जरूरी है हीट थेरैपी का इस्तेमाल करने की और उस के लिए डीप हीट रब पेन रिलीफ बैस्ट है.

1. जानें पेन के कारण:

आज के प्रतिस्पर्धा वाले समय में एकदूसरे से आगे निकलने की दौड़ में हम स्ट्रैस में अधिक रहने लगे हैं जिस से कम सोने के कारण हर समय थकेथके से रहते हैं जो मसल पेन का कारण बनता है.

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लेकिन कहते हैं न कि जब प्रौब्लम आती है तो उस का हल भी होता है और ऐसे में डीप हीट रब मिनटों में आप को हर तरह के बौडी पेन से रिलीफ पहुंचाने का काम करता है.

आप को बता दें कि डीप हीट  60 सालों से अधिक समय से खुद को साबित कर रहा है. यहां तक कि यह यूके का नं. 1 पेन रिलीफ ब्रैंड बन चुका है, जिस से आप इस की गुणवत्ता का अंदाजा लगा सकते हैं.

2. कैसे करता है कार्य

‘डीप हीट रब’ हीट थैरेपी में मौजूद मिथाइल सैलिसिलेट (जो प्रोस्टाग्लैनडाइंस के उत्पादन को कम करता है जो जलन और दर्द का कारण बनता है) और मैंथोल जैसे तत्व दर्द से राहत पहुंचाने के साथसाथ सूजन को भी कम करते हैं. यह प्रभावित जगहों के ब्लड सर्कुलेशन को ठीक कर हीलिंग प्रक्रिया में वृद्घि करने का काम करते हैं.

3. लगाना भी आसान

इसे लगाने में भी ज्यादा झंझट नहीं होता. बस प्रभावित जगह पर लगा कर छोड़ दें. लगाने के थोड़ी देर बाद आप खुद आराम महसूस करेंगी. आप इसे दिन में कई बार लगा सकते हैं.

4. सिर्फ यही क्यों

भले ही आज मार्केट में ढेरों पेन रिलीफ हों लेकिन जो बात डीप हीट पेन रिलीफ में है उस का जवाब नहीं. यह जोड़ों का दर्द, मोच और तनाव, मांसपेशी में दर्द, कमर के निचले भाग में दर्द की जड़ पर तुरंत असर कर आप को आराम पहुंचाने का काम करता है. क्योंकि इस में 5 आयुर्वेदिक औयल जो मिले हुए हैं. साथ ही यह चिपचिपा नहीं है जिस से कपड़ों पर दाग लगने की टैंशन भी नहीं है. साथ ही यह मसल्स में अंदर तक जा कर तुरंत आराम पहुंचाने का काम करता है. तो फिर अब दर्द को सहना नहीं, बल्कि डीप हीट से उसे आउट करना है.

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एक सुखद संदेश

अमेरिकी चुनाव सारी दुनिया के लिए चाहे कैसा भी तमाशा रहे, एक बात तो उन्होंने साबित कर दी कि अमेरिका में जितना भी भेदभाव हो, रेसिज्म हो, ऊंचनीच हो, एक औरत को बिना पूर्व राजनीतिक पहुंच के उप राष्ट्रपति पद पर पहुंचना संभव है.

भारत में भी इंदिरा गांधी ने राज किया है. लंबा राज किया है, पर ज्यादा बड़ी बात थी कि वे जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं, जो 50 साल तक भारतीय राजनीति पर छाए रहे थे. दक्षिण भारतीय मां श्यामला गोपालन की बेटी कमला हैरिस के पास न कोई ऐसा परिवार था और न ही उन का पति या ससुर राजनीति में हैं, जिन्होंने उन्हें उंगली पकड़ कर सिखाया हो.

अमेरिका और भारत दोनों के लोकतंत्र अब लड़खड़ा रहे हैं. विचारों की स्वतंत्रता, नैतिकता, बराबरी, उदारता, औरतों के अधिकार सब संकट में हैं. दोनों जगह अब धर्म का जम कर प्रभाव बढ़ रहा है. ऐसे में एक औरत जो भारतीय और नीग्रोयाई खून की पैदाइश हो नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कंधे से कंधा मिला कर चुनाव लड़ कर जीत पाई एक आश्चर्य है.

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पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को पुराने जमाने में धकेलने की पूरी कोशिश की थी. वे औरतों को दिखावे की और मनोरंजन की चीज समझते हैं. अगर कोई उन्हें खुश करे तो ही उस की कीमत है.

ट्रंप ने अमेरिका के गोरे नागरिकों का जम कर इस्तेमाल किया. उन को काले, लैटिनों, एशियाइयों से भिड़ने के लिए तैयार किया. अमेरिका और मैक्सिको के बीच सीमा पर एक दीवार बनवानी शुरू की ताकि यह जताया जा सके कि मैक्सिकन और दूसरे दक्षिण अमेरिकी जो गोरों, कालों और इस इलाके के मूल निवासियों के मिश्रित खून की कमला हैरिस की जीत और उन के राष्ट्रपति तक बन जाने के आसार हो जाना एक सुखद आश्चर्य है.

सब से बड़ी बात यह है कि श्यामला गोपालन और कमला ने अपने को हीन नहीं समझा और लगातार 1-1 कर के सीढि़यां चढ़ीं.

कमला ने मां के तलाक को सहा, खुद बहुत देर से तलाकशुदा से विवाह किया और उस के बच्चों को अपनाया और इन में कोई गोरा न था फिर भी वे उस दूसरे सर्वोच्च स्थान पर पहुंच गईं.

इस देश की औरतों के लिए कमला हैरिस हमेशा एक आदर्श और चुनौती रहेंगी. औरतों को जाति, रंग, धर्म, पारिवारिक पृष्ठभूमि से नहीं, अपनी क्षमता और मेहनत पर भरोसा करना चाहिए. दुनियाभर में औरतें ग्लास सीलिंग के नीचे रहने को मजबूर हैं पर अगर कोई लगी रहे, जैसे भारत में ममता बनर्जी ने खुद की जगह बिना पारिवारिक पृष्ठभूमि के बनाई वैसे हर औरत के लिए रास्ता खुला है. ममता तो ऊंची जाति से आती हैं पर कमला ने रंग, मूल स्थान के पार्टीशन भी तोड़े.

अमेरिका आज बहुत अच्छा उदाहरण नहीं रहा है पर फिर भी उस का यह चुनाव भारतीय महिलाओं के लिए सुखद संदेश है.

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