अब लहंगा नहीं पड़ेगा महंगा

वैडिंग की बात आए और लहंगे का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन इस सचाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि एक दिन के लिए खरीदा लहंगा सिर्फ एक दिन का ही हो कर रह जाता है, क्योंकि शादी के बाद इतने भारीभरकम लहंगे को सहजने के लिए जगह नहीं मिलती है.

ऐसे में मन में बस यही अफसोस होता है कि काश इतना भारी और महंगा लहंगा न लिया होता. लेकिन अगर आप चाहें तो आप एक ही लहंगे को कई तरह से यूज कर सकती हैं और भी किसी को पता चले बगैर, क्योंकि हम आप को बता रहे हैं 9 तरीके अपने लहंगे को रीयूज करने के:

1. लहंगे को पहनें स्लीवलैस चोली के साथ

स्लीवलैस चोली का फैशन न सिर्फ आप को स्टाइलिश बनाने, बल्कि आप के लहंगे को रीयूज करने का एक और मौका देता है. ऐसे में आप वैडिंग लहंगे की चोली से स्लीव्स को निकाल कर अपने लुक को खूबसूरत हाथों को दिखा कर और बढ़ा सकती हैं. आप डिफरैंट कलर की स्लीवलैस चोली भी बनवा सकती हैं. यकीन मानिए जब इस लुक वाले लहंगे को आप किसी फ्रैंड की शादी में यह फिर किसी फैमिली फंक्शन में वियर करेंगी तो कोई पहचान भी नहीं पाएगा कि यह आप की लहंगा है, क्योंकि आप ने उस के चोली के लुक को ही बदल जो दिया है. बाद में आप इस चोली को किसी साड़ी के साथ भी वियर कर सकती हैं. इस से आप हर बार पाएंगी नया लुक.

 

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2. चोली को पहनें प्लेन लहंगे के साथ

 

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भारीभरकम लहंगे को एक बार पहनने के बाद दोबारा पहनने की हिम्मत नहीं होती है. लेकिन अगर आप उसी लहंगे के साथ ऐक्सपैरिमैंट करेंगी तो आप का लहंगा भी नया बन जाएगा और आप को नया लुक भी मिल जाएगा. बात करें अगर चोली की तो ब्राइडल लहंगे की चोली काफी हैवी व शिमरी होती है, जिस के साथ लहंगा भी काफी भारी होता है. ऐसे में आप अपनी चोली को रीयूज करें जैसे अगर आप की ग्रीन कलर की हैवी चोली है तो आप उस के साथ प्लेन रैड कलर का लहंगा बनवा कर उस के साथ नैट का दुपट्टा पहन सकती हैं. इस से आप का लहंगा काफी खूबसूरत लगने के साथसाथ वजन में भी हलका होने के साथ आप को उसे वियर करना काफी आसान हो जाएगा. आप चाहें तो चोली के रंग का ही प्लेन लहंगा बनवा कर मैचिंग दुपट्टा ले सकती हैं. यकीन मानिए आप का लहंगा आप की खूबसूरती को बढ़ाने के साथसाथ लोगों की नजरें आप पर से हटने ही नहीं देगा.

3. ड्रैपिंग के तरीके को बदलें

लहंगे की हो या फिर मेकअप की, हर लड़की या महिला खुद को हर पार्टी में अलग तरीके से सवारना पसंद करती है ताकि उस का लुक रिपीट न हो और हर बार वह अलग ही दिखे. ऐसे में अगर आप क्रिएटिव सोचती हैं तो फिर अपनी शादी के लहंगे को भी अलगअलग तरह से ड्रैप कर के पाएं अपनी पसंद का लुक. अगर आप गुजराती लुक चाहती हैं तो गुजराती स्टाइल में दुपट्टे को ड्रैप करें, अगर सिंपल और स्वीट लुक चाहती हैं तो सिर्फ पिन से वन साइड दुपट्टे को टक कर दें. बंगाली लुक के लिए दुपट्टे को उस स्टाइल में पहन सकती हैं. यहां तक कि आप लहंगे को साड़ी लुक देने के लिए वन साइड पिन से टक कर के दूसरी तरफ से उसे अंदर होल्ड कर लें या फिर अगर नैट का दुपट्टा है तो आप उसे अपने दोनों कंधों पर ले कर उसे श्रग जैसा लुक दे कर लहंगे को मोर अट्रैक्टिव बना सकती हैं. बस आप को अपने ड्रैपिंग के तरीके को बदलना है आप का लहंगा नए जैसा लगने लगेगा.

4. प्ले विद दुपट्टा

कहते हैं कि लहंगे के साथ पहना दुपट्टा सिर्फ लहंगे के साथ ही यूज हो सकता है. मगर थोड़ा क्रिएटिव सोचो तो ढेरों औपशंस मिल जाएंगे, जिन से आप का लहंगा दोबारा यूज भी हो जाएगा और आप पार्टी के लिए उसी लहंगे से दूसरी ड्रैस भी तैयार कर पाएंगी, क्योंकि वैडिंग लहंगे में दुपट्टे पर खास हैवी लुक दिया जाता है ताकि लहंगा उभर कर आए. ऐसे में आप अपने हैवी दुपट्टे से डिजाइनर कुरती या फिर वन पीस ड्रैस बनवा सकती हैं अथवा इस दुपट्टे को प्लेन सिल्क के सूट के साथ भी वियर कर के ट्रैंडी लुक पा सकती हैं. चाहें तो दुपट्टे को श्रग, ट्रांसपेरैंट जैकेट की तरह भी बनवा कर उसे शौर्ट व लौंग कुरती के साथ वियर कर सकती हैं.

5. कैरी विद लौंग कुरती

अगर आप का लहंगा भी काफी समय से वार्डरोब में टंगा हुआ है और आप हर बार उसे देख कर यही सोचती हैं कि इसे अगर दोबारा पहना तो रिपीट हो जाएगा और साथ ही काफी हैवी लुक भी देगा. तो ऐसे में अब अपनी सोच को थोड़ा क्रिएटिव बनाएं. आप अगर चोली को देख कर ऊब गई हैं तो आप अपने लहंगे के ऊपर लौंग कुरती के स्टाइल को कैरी करें. आप अपने लहंगे से मैच करती फ्रंट स्लिट वाली शिफौन या फिर शिमरी कपड़े की कुरती बनवा सकती हैं. यह काफी अलग स्टाइल होने के साथसाथ फैशन इंडस्ट्री में भी इन दिनों काफी धूम मचाए हुए हैं.

6. लहंगे के साथ लौंग जैकेट

अगर आप अपने लहंगे को चार्मिंग लुक देना चाहती हैं, तो अपने वैडिंग लहंगे को लौंग नेट की जैकेट के साथ पहन कर उस के पूरे लुक को ही बदल सकती हैं, जो बिलकुल लौंग कुरती जैसा ही लुक देता है. इस पर आप को अपने वैडिंग दुपट्टे को भी वियर करने की जरूरत नहीं होगी. इस बात का ध्यान रखें कि आप लहंगे को वाइब्रैंट इफैक्ट देने के लिए जैकेट का कलर लहंगे से मिलताजुलता ही चूज करें. यकीन मानिए इसे पहन कर आप को बिलकुल ड्रैस जैसा फील आने के कारण आप खुद को काफी कंफर्टेबल फील कर पाएंगी. फिर चाहे इसे आप फैस्टिवल पर पहनें या फिर पार्टी फंक्शन में, हर जगह के लिए परफैक्ट रहेगा.

7. मिक्स ऐंड मैच विद ब्लाउज

आजकल प्लाजो काफी ट्रैंड में हैं, जिन्हें आप अलगअलग मौकों पर पहन कर अलगअलग लुक पा सकती हैं जैसे अगर आप प्लाजो को कुरते के साथ वियर करेंगी तो आप ट्रैडिशनल लुक पा सकती हैं, वहीं अगर आप इसे क्रौप टौप के साथ पहनेंगी तो आप को पार्टी लुक मिल जाएगा. अगर आप के घर में कोई फंक्शन है तो आप अपने वैडिंग लहंगे के टौप को ट्राउजर से मैच कर के खुद को मौडर्न दिखाने के साथसाथ खुद के लिए एक अलग ट्रैंडी आउटफिट तैयार कर सकती हैं. मार्केट में आप को ढेरों डिफरैंट डिजाइनों के प्लाजो मिल जाएंगे, जिन्हें आप अपनी पसंद के हिसाब से चूज कर सकती हैं.

8. बौर्डर्स को रीयूज करें

हो सकता है कि आप का अपने लहंगे के भारी बौर्डर्स को देख कर उसे पहनने को मन न करता हो. ऐसे में आप अपने लहंगे के बौर्डर्स को टेलर से निकलवा कर अपनी किसी दूसरी ड्रैस में लगवा सकती हैं. इस से आप का लहंगा सिंपल हो जाएगा, जिस से आप उसे किसी पार्टी में पहन पाएंगी और बौर्डर्स को दूसरी ड्रैस में यूज करने से आप के पैसे भी बरबाद नहीं जाएंगे.

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9. लहंगे से लेयर्स हटवाएं

ब्राइडल लहंगे का लुक निखारने के लिए उस में नैट, फ्रिल लगाई जाती है ताकि लहंगे में फुलावट रहे और वह अच्छा लुक दे पाए. हर ब्राइड भी अपने लहंगे के सलैक्शन के वक्त इस बात का खास ध्यान रखती है कि उस में ज्यादा से ज्यादा फ्लेयर हों. लेकिन यही फ्लेयर वाला लहंगा शादी के बाद पहनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे में अगर आप अपने लहंगे को डिफरैंट व हलका बनाना चाहती हैं तो उस की सभी लेयर्स व कलियों को हटवा दें और फिर डिफरैंट तरीके से वियर कर के दिखें गौर्जियस.

10. लहंगे को रैंट पर दें

अगर आप की शादी का लहंगा सालों से यों ही पड़ा है और आप का कोई इरादा भी नहीं है कि आप उसे आगे कभी इस्तेमाल करने वाली हैं तो उसे औनलाइन साइट्स पर रैंट पर भी दे सकती हैं. इस से आप का लहंगा भी बेकार नहीं जाएगा और पैसे भी मिल जाएंगे या चाहें तो इसे बेच भी सकती हैं.

 

आर्थराइटिस के कारण मैं बेहद परेशान हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 38 साल है. मैं टीबी का मरीज हूं. दरअसल, 6 महीनों से मेरी पीठ के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है. एक्सरे कराने पर आर्थराइटिस का पता चला, लेकिन दवा के बाद भी बिलकुल राहत नहीं है. बैड पर लेटे हुए दर्द और तेज हो जाता है. बुखार भी जल्दीजल्दी आता है. बहुत परेशान हूं. कृपया कोई समाधान बताएं?

जवाब-

आप ने जिस प्रकार अपनी समस्या का जिक्र किया है उस के वास्तविक कारण की पुष्टि केवल सीटी स्कैन या एमआरआई से ही संभव है. हालांकि आप के द्वारा बताए गए लक्षणों से यह साफ पता चलता है कि यह सिर्फ आर्थराइटिस तो नहीं है, क्योंकि इस समस्या में सोते वक्त मरीज को दर्द में राहत मिलती है, जबकि आप के साथ उलटा है. इस के अनुसार आप को रीढ़ की टीबी हो सकती है, जो शरीर के अन्य हिस्सों में फैल कर उन्हें प्रभावित करती है. संभवतया आप के साथ भी यही हुआ है. जल्द से जल्द एमआरआई करा के उचित इलाज लेना आवश्यक है. हड्डी की टीबी के मामले में आराम, स्वस्थ आहार, दवा और फिजियोथेरैपी आदि मरीज को ठीक करने में सहायक हो सकते हैं. इलाज में देरी आप को लकवा का शिकार बना सकती है.

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दिल्ली-एनसीआर में आर्थराइटिस की एक बड़ी वजह अंडरग्राउंड वौटर या बोरवेल के पानी का इस्तेमाल भी है. डाक्टरों का कहना है कि अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से लोगों की हड्डियों के जौइंट खराब हो रहे हैं. उन्हें आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी बीमारी हो रही है. देश के जिन इलाकों में अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, उनमें दिल्ली भी शामिल है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वर्ल्ड आर्थराइटिस डे : जोड़ों के दर्द पर नमक छिड़कने जैसा है बोरवेल का पानी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मतभेद न बनें मन भेद

फिल्मों और टीवी के बेहद शौकीन अनमोल की शादी के बाद से पूरी जिंदगी ही बदल गई. शादी से पहले सिनेमाहौल में हर फिल्म देखना उस का प्रिय शौक था पर पिछले 1 साल से सिनेमाहौल की तरफ रुख भी नहीं किया है. कारण, उस की पत्नी कीर्ति को फिल्में और टीवी देखना समय की बरबादी लगता है. अनमोल कहता है, ‘‘मेरी फील्डिंग जौब है, शाम को फील्ड से लौट कर अपने बैड पर रिलैक्स हो कर टीवी देखना मेरा शुरू से शौक रहा है, परंतु शादी होने के बाद से यह शौक गृहकलह का कारण बनने लगा.’’

अस्मिता और सुयश का अपने विवाह के बाद खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, क्योंकि अंतर्जातीय होने के कारण दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपने मातापिता को इस विवाह के लिए मनाया था. मगर विवाह के कुछ साल बाद ही अस्मिता को सुयश की आदतें परेशान करने लगीं, क्योंकि अस्मिता जितनी व्यवस्थित और अनुशासनप्रिय थी सुयश उतना ही अव्यवस्थित और लापरवाह. फलस्वरूप कुछ ही समय बाद दोनों में रोज छोटीछोटी बातों को ले कर तकरार होनी शुरू हो गई. हमारे एक मित्र शर्माजी बड़े ही सज्जन व्यक्ति हैं. सभी की मदद करने को सदैव तैयार रहते हैं, पर उन की पत्नी को अपने पति का यह स्वभाव जरा भी पसंद नहीं है. वे कहती हैं कि लोगों को मुफ्त का नौकर मिला है सो अपना काम करवाते रहते हैं. इस के उलट शर्माजी कहते हैं कि अपने लिए तो सभी जीते हैं. असली मजा तो दूसरों के लिए जीने में है.

दोनों की विपरीत विचारधारा आए दिन गृहकलह का कारण बन जाती है. डालें एकदूसरे को समझने की आदत ऐसे परिवारों में जहां अपने अहंकार के चलते पतिपत्नी में से कोई भी खुद में जरामात्र भी बदलाव नहीं करना चाहता वहां कई बार यही छोटीछोटी बातें बड़े मुद्दे बन कर तलाक का कारण बन जाती हैं और एक हंसताखेलता परिवार टूट जाता है. वास्तव में हर व्यक्ति का अपना स्वभाव होता है और उसे बदलना काफी मुश्किल होता है. मगर विवाह 2 लोगों का मिलन होता है और अलगअलग परिवेश से आए इन्हीं 2 लोगों को संसार में एकसाथ रह कर अपना वैवाहिक जीवन निभाना होता है. विवाह का दूसरा नाम ही समझौता है.

ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर के द्वारा नवविवाहितों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार शादी के बाद पति कम से कम अपनी पत्नी में 4 आदतों में बदलाव चाहते हैं. उन में प्रमुख हैं-वह उन्हें भरपूर प्यार करे, वह दूसरे की पत्नी से अधिक स्मार्ट, खुश, सुंदर और ग्लैमरस दिखे. वहीं पत्नियां चाहती हैं उन का पति विवाह से पहले की सभी बुरी आदतें छोड़ दे और जम कर उन की तारीफ करे.

सर्वे पर टिप्पणी करते हुए रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘सर्वे से पता चलता है कि महिला और पुरुष दोनों की सोच में थोड़ा सा फर्क होता है, पर अपने जीवन को भलीभांति चलाने के लिए उन्हें एकदूसरे को सुनने, समझने और सम्मान देने की आदत डालनी चाहिए.’’ राय को सम्मान दें

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अस्मि विवाह से पहले बड़ी जल्दी उत्तेजित हो जाती थी. यदि उसे किसी की बात पसंद नहीं आती तो तुरंत जवाब दे देती, जिस से कई बार लोगों को बुरा भी लग जाता था और फिर संबंध खराब हो जाते थे. इस के उलट पति रमन बेहद शांत और सौम्य स्वभाव का था. अस्मि कहती है, ‘‘विवाह के बाद रमन ने मुझे समझाया कि तुम किसी की सोच को नहीं बदल सकती. विपरीत विचारधारा वाले लोगों के समक्ष भी शांत रहना सीखो. मैं ने रमन की बातों पर अमल करना शुरू किया और फिर इस के मुझे सुखद परिणाम भी मिले. आखिर वे मेरे पति हैं. मेरी भलाई ही चाहेंगे. सच अगर पतिपत्नी एकदूसरे की बातों और सुझावों पर उत्तेजित होने और शक करने के बजाय उन पर अमल करने की आदत डालें तो समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.’’

कुछ तुम बदलो कुछ हम 2 अलग परिवारों से आए व्यक्तियों के स्वभाव में विविधता होना तो एक स्वाभाविक सी बात है, परंतु कभीकभी दोनों का स्वभाव एकदम ही विपरीत होता है, ऐसे में एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप कर के घर का वातावरण खराब करने से अच्छा है कि एकदूसरे का स्वभाव और आदतों को समझ कर उस के अनुसार आचरण करें ताकि वैवाहिक जीवन में सदैव खुशियों के फूल खिलते रहे.

रीता इस की मिसाल है. रीता के मायके में अंडा तो दूर की बात प्याजलहसुन तक को घर में नहीं आने दिया जाता था, परंतु ससुराल में तो सब चलता था. यहां तक कि बिना लहसुनप्याज की तो सब्जी वहां किसी को बनानी ही नहीं आती थी. किसी तरह ससुराल में 2-4 दिन काटने थे सो काट लिए. फिर पति के पोस्टिंग स्थल आ गई.

पति ने एक दिन कहा, ‘‘रीता तुम बिना प्याजलहसुन का ही भोजन बनाया करो ताकि तुम भर पेट भोजन कर सको. मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ता.’’

कुछ ही दिनों के बाद रीता को लगा कि पति उस के लिए इतना त्याग कर रहे हैं तो उसे भी अपनी आदत में कुछ बदलाव करना चाहिए. सो उस ने धीरेधीरे प्याजलहसुन खाना शुरू कर दिया. रीता के इस छोटे से प्रयास ने उस के पति का दिल जीत लिया. मीनू को एकदम खौलती चाय और मिर्चमसालेदार खाना बेहद पसंद है जबकि उस के पति को एकदम ठंडी चाय और सादा भोजन पसंद है. मीनू बताती है, ‘‘शादी के बाद मैं ने चाय थोड़ी ठंडी कर के पीनी शुरू की तो पति अमन ने थोड़ा सा तीखा खाना शुरू किया. शुरू में तो थोड़ी समस्या आई पर धीरेधीरे आदत हो गई. पतिपत्नी दोनों ही अलगअलग परिवारों और कई बार तो अलगअलग संस्कृतियों तक से आते हैं. ऐसे में एकदूसरे की आदतों को समझ कर स्वयं में थोड़ा सा बदलाव ला कर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है.

तर्क को समझने का प्रयास करें रूढि़यां और धार्मिक अंधविश्वास भारतीय पतिपत्नी में कलह का सब से बड़े कारण हैं. आमतौर पुरुष इस क्षेत्र में उन्नत विचारधारा

वाले होते हैं जबकि महिलाएं घोर अंधविश्वासी और धर्मभीरू. कई परिवारों में पति अपनी पत्नी को समझाने का प्रयास भी करते हैं, परंतु महिलाएं इस विषय पर किसी की बात सुनना पसंद नहीं करतीं.

रीमा सुबह नहाधो कर पूजा करने बैठ जाती जिस से रोज उस के पति को औफिस जाने में देर हो जाती. पति ने उसे कई बार समझाने का प्रयास किया कि पूजा का समय कुछ कम कर दे ताकि वह समय पर औफिस पहुंच सके. परंतु सीमा अपनी आदत बदलने को तैयार नहीं. धार्मिक अंधविश्वास के सख्त विरोधी मनीष ने जब पहली बार अपनी पत्नी मनीषा को पूरा दिन भूखा रह कर व्रत करते देखा तो मनीषा को तार्किक ढंग से समझाया जिसे मान कर मनीषा ने व्रत न करने का निर्णय लिया.

शांत रहें मनु कहता है, ‘‘मैं जब गुस्से में होता हूं तो मेरी पत्नी एकदम मौन व्रत धारण कर लेती है. बाद में वह मुझ से अपनी बात कहती है और आश्चर्य है कि उस समय मुझे उस की बात समझ आ जाती है.’’

उधर उस की पत्नी अनुभा कहती है, ‘‘मुझे शादी के शुरू में ही समझ आ गया था कि मैं बहुत शांत हूं पर इन का स्वभाव बहुत गरम है. तभी मैं ने इस चुप्पी के बारे में सोच लिया ताकि घर की शांति बनी रहे. क्रोध में सदैव बात बिगड़ती ही है. बहस कर के बात को बढ़ाने से अच्छा है उस समय शांत हो जाओ ताकि सामने वाला भी जल्दी शांत हो जाए.’’ संतुलन बनाए रखें

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विचारों, स्वभाव और रुचियों में मतभेद होना स्वाभाविक सी बात है, परंतु हमेशा ध्यान रखें कि ये मतभेद कभी मनभेद न बनने पाएं. दूसरे को पूरी तरह बदलने के स्थान पर स्वयं को बदलने का प्रयास करना बेहतर है. एक ही छत के नीचे रह कर प्रतिदिन की कलह अच्छी बात नहीं है. बेहतर है कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. दोनों समझें जिम्मेदारी

विवाह के बाद समझौता करना और खुद में बदलाव लाना, जीवनसाथी के स्वभाव को समझ कर उस के अनुसार आचरण करना, पसंदनापसंद को समझना किसी एक की नहीं, बल्कि पतिपत्नी दोनों की ही और बराबर की जिम्मेदारी है ताकि गृहस्थी की गाड़ी सरपट दौड़ सके. कई बार हम अपने जीवनसाथी में तो अनेक बदलाव लाना चाहते हैं, परंतु स्वयं को संपूर्ण समझते हैं और स्वयं में जरा भी बदलाव नहीं लाना चाहते. इस प्रकार की सोच अच्छेखासे परिवारों में कलह का कारण बनती है. एकदूसरे की भावनाओं को समझ कर

उन का सम्मान अवश्य करें. पति को यदि फिल्म देखना पसंद है तो आप उन का साथ देने का प्रयास करें. आपस में एकदूसरे के मातापिता या भाईबइन को कदापि बीच में न लाए. एकदूसरे से जो भी कहना हो अकेले में कहें ताकि दूसरों की नजर में आप के जीवनसाथी का सम्मान न कम हो.

Serial Story: बैस्ट बहू औफ द हाउस

 

 

Serial Story: बैस्ट बहू औफ द हाउस (भाग-1)

अमन ने सब से पहले श्रद्धा को एक बस स्टौप पर देखा था. सिंपल मगर आकर्षक गुलाबी रंग के टौप और डैनिम में दोस्तों के साथ खड़ी थी. दूसरों से बहुत अलग दिख रही थी. उस के चेहरे पर शालीनता थी. खूबसूरत इतनी कि नजरें न हटें. अमन एकटक उसे देखता रहा जब तक कि वह बस में चढ़ नहीं गई. अगले दिन जानबू  झ कर अमन उसी समय बस स्टौप के पास कार खड़ी कर रुक गया. उस की नजरें श्रद्धा को ही तलाश रही थीं. उसे दूर से आती श्रद्धा नजर आ गई. आज उस ने स्काई ब्लू ड्रैस पहनी थी, जिस में वह बहुत जंच रही थी.

ऐसा 2-3 दिन तक लगातार होता रहा. अमन उसी समय पर उसी बस स्टौप पर पहुंचता जहां वह होती थी. एक दिन बस आई और जब श्रद्धा उस में चढ़ने लगी तो अचानक अमन ने भी अपनी कार पार्क की और तेजी से बस में चढ़ गया. श्रद्धा बाराखंबा मैट्रो स्टेशन के बगल वाले बस स्टैंड पर उतरी और वहां से वाक करते हुए सूर्यकिरण बिल्डिंग में घुस गई. पीछेपीछे अमन भी उसी बिल्डिंग में घुसा. श्रद्धा सीढि़यां चढ़ती हुई तीसरे फ्लोर पर जा कर रुकी. यह एक ऐडवरटाईजिंग कंपनी का औफिस था. वह उस में दाखिल हो गई.

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अमन कुछ देर बाहर टहलता रहा फिर उस ने बाहर खड़े गार्ड से पूछा, ‘‘भैया,

अभी जो मैडम अंदर गई हैं वे यहां की मैनेजर हैं क्या?’’

‘‘जी वे यहां डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर और कौपी ऐडिटर हैं. आप बताइए क्या काम है? क्या आप श्रद्धा मैडम से मिलना चाहते हैं?’’

‘‘जी हां मैं मिलना चाहता हूं,’’ अमन ने कहा.

‘‘ठीक है. मैं उन्हें खबर दे कर आता हूं.’’ कह कर गार्ड अंदर चला गया और कुछ ही देर में लौट आया.

उस ने अमन को अंदर जाने का इशारा किया. अमन अंदर पहुंचा तो चपरासी उसे श्रद्धा के कैबिन तक ले गया. कैबिन बहुत आकर्षक था. सारी चीजें करीने से रखी हुई थीं. एक कोने में छोटेछोटे गमलों में कुछ पौधे भी थे. अमन को बैठने का इशारा करते हुए श्रद्धा उस की तरफ मुखातिब हुई तो अमन उसे देखता रह गया. दिल का प्यार आंखों में उभर आया.

श्रद्धा अमन से पहली बार मिल रही थी. उस ने सवालिया नजरों से देखते हुए पूछा, ‘‘जी हां बताइए मैं आप की क्या मदद कर सकती हूं?’’

‘‘ऐक्चुअली मेरी एक कंपनी है. हम स्नैक्स आइटम्स बनाते हैं. मैं आप से अपने प्रोडक्ट्स की ब्रैंडिंग और ऐड कैंपेन के सिलसिले में बात करना चाहता था. आप कौपी ऐडिटर भी हैं. सो आप से कुछ ऐड्स भी लिखवाने थे.’’

‘‘मगर मैं ही क्यों?’’ श्रद्धा ने पूछा तो अमन को कोई जवाब नहीं सू  झा.

फिर कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मेरे एक दोस्त ने आप का नाम रैफर किया था. इस कंपनी के बारे में भी बताया था. काफी तारीफ की थी.’’

‘‘चलिए ठीक है. हम इस सिलसिले में विस्तार से बात करेंगे. अपने कुछ सहयोगियों के साथ मैं आप की मैनेजर की एक मीटिंग फिक्स कर देती हूं. आप या आप के मैनेजर मीटिंग अटैंड कर सकते हैं.’’

‘‘जी मीटिंग में मैनेजर नहीं बल्कि मैं खुद ही आना चाहता हूं. मैं इस तरह के कामों को खुद ही हैंडल करता हूं. मैं तो चाहूंगा कि आप भी उस मीटिंग में जरूर रहें. प्लीज.’’

‘‘ग्रेट. तो ठीक है. अगले मंडे हम मीटिंग कर लेते हैं.’’

अमन ने खुश हो कर हामी में सिर हिलाया और लौट आया मगर अपना दिल श्रद्धा के पास ही छोड़ आया. उस की आंखों के आगे श्रद्धा का ही शालीन और खूबसूरत चेहरा घूमता रहा. वह बेसब्री से अगले मंडे का इंतजार करने लगा.

अगले मंडे समय से पहले ही अमन मीटिंग के लिए पहुंच गया. श्रद्धा को देख कर उस के चेहरे पर स्वत: ही मुसकान खिल गई. श्रद्धा के साथ 2 और लोग थे. ऐड कैंपेन के बारे में डिटेल में बातें हुईं. मीटिंग के बाद श्रद्धा के दोनों सहयोगी चले गए, मगर अमन श्रद्धा के पास ही बैठा रहा. कोई न कोई बात निकालता रहा.

2 दिन बाद वह फिर काम की प्रोग्रैस के बारे में जानने के बहाने श्रद्धा के पास पहुंच गया. अब तक अमन के व्यवहार और बातचीत के लहजे से श्रद्धा को महसूस होने लगा था कि अमन के मन में क्या चल रहा है. अमन के लिए भी अपनी फीलिंग अब और अधिक छिपाना कठिन हो रहा था.

अगली दफा वह श्रद्धा के पास एक कार्ड ले कर पहुंचा. कार्ड देते हुए अमन ने हौले से कहा, ‘‘इस कार्ड में लिखी एकएक बात मेरे दिल की आवाज है. प्लीज एक बार पूरा पढ़ लो फिर जवाब देना.’’

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श्रद्धा ने कार्ड खोला और पढ़ने लगी. उस में लिखा था, ‘मैं लव एट फर्स्ट साइट पर विश्वास नहीं करता था. मगर तुम्हें बस स्टैंड पर पहली नजर देखते ही तुम्हें दिल दे बैठा हूं. तुम्हारे लिए जो महसूस कर रहा हूं वह आज तक जिंदगी में किसी के लिए भी महसूस नहीं किया. रियली आई लव यू. क्या तुम्हें हमेशा के लिए मेरा बनना स्वीकार होगा?’

श्रद्धा ने पलकें उठा और अमन की तरफ मुसकरा कर देखती हुई बोली, ‘‘बस स्टैंड से मेरे औफिस तक का आप का सफर कमाल का रहा. मु  झे भी इतने प्यार से कभी किसी ने अपना बनने की इल्तिजा नहीं की. मैं आप का प्रोपोजल स्वीकार करती हूं,’’ कहते हुए श्रद्धा की आंखें शर्र्म से   झुक गईं. उधर अमन का चेहरा खुशी से खिल उठा.

अमन ने अपने घर में श्रद्धा के बारे में बताया तो सब दंग रह गए कि अमन जैसा शरमीला लड़का लव मैरिज की बात कर रहा है. यानी लड़की में कुछ तो खास बात जरूर होगी. अमन के घर में मांबाप के अलावा 2 बड़े भाई, भाभियां और 1 बहन तुषिता थे. भाइयों के 2 छोटेछोटे बच्चे भी थे. उन के परिवार की गिनती शहर के जानेमाने रईसों में होती थी, जबकि श्रद्धा एक गरीब परिवार की लड़की थी. उस ने अपनी काबिलियत और लगन के बल पर ऊंची पढ़ाई की और एक बड़ी कंपनी में ऊंचे ओहदे तक पहुंची. उस के अंदर स्वाभिमान कूटकूट कर भरा था. वह मेहनती होने के साथ ही जिंदगी भी बहुत व्यवस्थित ढंग से जीना पसंद करती थी.

आगे पढ़ें- उस की बात सुन कर सास को कुछ…

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Serial Story: बैस्ट बहू औफ द हाउस (भाग-2)

जल्द ही दोनों के परिवार वालों की रजामंदी मिल गई और अमन ने श्रद्धा से शादी कर ली.

शादी के बाद पहले दिन जब वह किचन की तरफ बढ़ी तो सास ने उस से कहा,

‘‘बेटा रिवाज है कि नई बहू रसोई में पहले कुछ मीठा बनाती है. जा तू हलवा बना ले. उस के बाद तु  झे किचन में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बहुत सारे कुक हैं हमारे पास.’’

इस पर श्रद्धा ने बड़े आदर के साथ सास की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘मम्मीजी, मैं कुक के बनाए तरहतरह के व्यंजनों के बजाय अपना बनाया हुआ साधारण पर हैल्दी खाना पसंद करती हूं. प्लीज, मु  झ से किचन में काम करने का मेरा अधिकार मत छीनिएगा.’’

उस की बात सुन कर सास को कुछ अटपटा सा लगा. भाभियों ने भी भवें चढ़ा लीं. छोटी भाभी ने व्यंग्य से कहा, ‘‘श्रद्धा यह तुम्हारा छोटा सा घर नहीं है जहां खुद ही खाना बनाना पड़े. हमारे यहां बहुत सारे नौकरचाकर और रसोइए दिनरात काम में लगे रहते हैं.’’

बाद में भी घर में भले ही कुक तरहतरह के व्यंजन तैयार करते रहते, मगर वह अपने हाथों का बना साधारण खाना ही खाती और अमन भी उस के हाथ का खाना ही पसंद करने लगा था. अमन को श्रद्धा के खाने की तारीफें करता देख दोनों भाभियों ने भी अपने हाथों से कुछ आइटम्स बना कर अपनेअपने पति को रि  झाने का प्रयास किया. फिर तो अकसर ही दोनों भाभियां किचन में दिखने लगी थीं.

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श्रद्धा भले ही अपना छोटा सा घर छोड़ कर बड़े बंगले में आ गई थी, मगर उस के रहने के तरीकों में कोई परिवर्तन नहीं आया था. उस ने अपने कमरे के बाहर वाले बरामदे में एक टेबलकुरसी डाल कर उसे स्टडी रूम बना लिया था. कंप्यूटर, प्रिंटर, टेबल लैंप आदि अपनी टेबल पर सजा लिए. अमन के कहने पर एक छोटा सा फ्रिज भी उस ने साइड में रखवा लिया. बरामदा बड़ा था और शीशे की खिड़कियां लगी थीं. वह बाहर का नजारा देखते हुए बहुत आराम से अपना काम करती. जब दिल करता खिड़कियां खोल कर हवा का आनंद लेती. बरामदे के कोने में 3-4 छोटे गमलों में पौधे भी लगवा दिए.

भले ही उस की अलमारियां लेटैस्ट स्टाइल के कपड़ों और गहनों से भरी हुई थीं, मगर वह अपनी पसंद के साधारण मगर कंफर्टेबल कपड़ों में ही रहना पसंद करती थी.

शानदार बाथ टब होने के बावजूद वह शावर के नीचे खड़ी हो कर नहाती. तरहतरह के शैंपू होने के बावजूद मुलतानी मिट््टी से बाल धोती. कभी हेयर ड्रायर या अन्य ऐसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करती.

घर में कई सारी कीमती गाडि़यों के होते हुए भी वह पहले की तरह बस से औफिस आतीजाती रही. बस स्टैंड पर उतर कर 10 मिनट वाक कर के औफिस पहुंचने की आदत बरकरार रखी.

पहले दिन जब वह बस से औफिस जा रही थी तो तुषिता ने टोका, ‘‘भाभी, हमारे घर में इतनी गाडि़यां हैं. कोई क्या कहेगा कि इतने बड़े खानदान की नईनवेली बहू बस से औफिस जा रही है.’’

‘‘तुषि में बस से औफिस मजबूरी में नहीं जा रही हूं, बल्कि इसलिए जा रही हूं ताकि मेरी दौड़नेभागने और वाक करने की आदत बनी रहे. बचपन से ही मु  झे शरीर को जरूरत से ज्यादा आराम देने की आदत नहीं रही है. वैसे भी बस में आप 10 लोगों से इंटरैक्ट करते हो. आप का प्रैक्टिकल नौलेज बढ़ता है. इस में गलत क्या है?’’

‘‘जी गलत तो कुछ नहीं,’’ मुंह बना कर तुषिता ने कहा और अंदर चली गई.

श्रद्धा ने अपने कमरे में से तमाम ऐसी चीजें निकाल कर बाहर कर दीं जो केवल

शो औफ के लिए थीं या लग्जरियस लाइफ के लिए जरूरी थीं. जब श्रद्धा अपने कमरे से कुछ सामान बाहर करवा रही थी तो सास ने सवाल किया, ‘‘यह क्या कर रही हो बहू?’’

‘‘मम्मीजी मु  झे कमरा खुलाखुला सा अच्छा लगता है. जिन चीजों की जरूरत नहीं उन्हें हटा रही हूं. आप ही बताइए नकली फूलों से सजे इस कीमती फ्लौवर पौट के बजाय क्या मिट्टी का यह गमला और इस में मनी प्लांट का पौधा अच्छा नहीं लग रहा? बाजार से खरीदे गए इन शोपीसेज के बजाय मैं ने अपने हाथ की कुछ कलात्मक चीजें दीवार पर लगा दी हैं. आप कहें तो हटा दूं वैसे मु  झे तो अच्छे लग रहे हैं.’’

‘‘नहींनहीं रहने दो. दूसरों को भी तो पता चले कि हमारी छोटी बहू में कितने हुनर हैं,’’ कह कर सास ने चुप्पी लगा ली.

श्रद्धा ने खुद को अपनी मिट्टी से भी जोड़े रखा था. सुबह उठ कर ऐक्सरसाइज करना, घास पर नंगे पांव चलना, गार्डनिंग करना, कुकिंग करना, वाक करना आदि उस की पसंदीदा गतिविधियां थीं. अमन के कहने पर उस ने स्विमिंग करना और कार चलाना जरूर सीख लिया था, मगर दैनिक जीवन में इन से दूर ही रहती. शाम को समय मिलने पर डांस करती तो सुबहसुबह साइकिल ले कर निकल पड़ती. पैसे भले ही कितने भी आ जाएं, मगर फालतू पैसे खर्च नहीं करती.

उस की ये हरकतें देख कर अमन की दोनों भाईभाभियां, बहन और मांबाप कसमसा कर रह जाते पर कुछ कह नहीं पाते, क्योंकि श्रद्धा शिकायत के लायक कुछ भी गलत नहीं करती थी.

इधर एक दिन जब दोनों भाभियां सास के साथ किट्टी पार्टी में जाने के लिए

सजधज रही थीं तो सास ने श्रद्धा से भी चलने को कहा.

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इस पर श्रद्धा ने जवाब दिया, ‘‘मम्मीजी, आज तो मैं एक लैक्चर अटैंड करने जा रही हूं. संदीप महेश्वरी की मोटिवेशनल स्पीच का प्रोग्राम है. सौरी मैं आप के साथ नहीं जा पाऊंगी.’’

श्रद्धा को प्यार और आश्चर्य से देखते हुए सास ने कहा, ‘‘दूसरों से बहुत अलग है तू. पर सही है. मु  झे तेरी बातें कभीकभी अच्छी लगती हैं. एक दिन मैं भी चलूंगी तेरे साथ लैक्चर सुनने. पर आज किट्टी पार्टी का ही प्लान है. मेरी सहेली ने अरेंज किया है न.’’

‘‘जी मम्मीजी जरूर,’’ कह कर श्रद्धा मुसकरा पड़ी.

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Serial Story: बैस्ट बहू औफ द हाउस (भाग-3)

श्रद्धा की आदतों और हरकतों से चिढ़ने वाली सास, ननद और भाभियां धीरेधीरे उसी के रंग में रंगती चली गईं. अब वे भी अकसर कार अवौइड कर देतीं. घर की पार्किंग में महंगी कारों के साथ अब छोटी कारें भी खड़ी हो गईं. सास और भाभियां कई बार उस के साथ लैक्चर अटैंड करने पहुंचने लगीं. उन्हें भी सम  झ आ रहा था कि किट्टी पार्टीज में गहनेकपड़ों का शो औफ करने या बिचिंग करने में समय बरबाद करने के बजाय बहुत अच्छा है नई बातें जानना और जीवन को दिशा देने वाले लैक्चर व सेमिनार अटैंड करना, ज्ञान बढ़ाना, किताबें पढ़ना और कलादीर्घा जैसी जगहों में जाना.

श्रद्धा ने कुछ किताबें और पत्रिकाएं खरीद उन्हें अपने कमरे की एक छोटी सी अलमारी में करीने से लगा दिया था. पर धीरेधीरे जब किताबों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ने लगी तो अमन के कहने पर उस ने घर के एक कमरे को एक छोटी सी लाइब्रेरी का रूप दे दिया और सारी किताबें व पत्रिकाएं वहां सजा दीं. अब तो परिवार के दूसरे सदस्य भी आ कर वहां बैठते और शांति व सुकून के साथ पत्रिकाएं और किताबें पढ़ते.

श्रद्धा से प्रभावित हो कर घर धीरेधीरे घर का माहौल बदलने लगा था. दोनों भाभियों ने कुक को हटा कर खुद ही किचन का काम संभाल लिया तो सास ने भी घर के माली का हिसाब कर दिया. अब सासबहू मिल कर गार्डनिंग करते. श्रद्धा की देखादेखी भाभियां खुद कपड़े धोने, प्रैस करने और घर को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारियां निभाने लगी थीं. तुषिता भी अपने छोटेमोटे सारे काम खुद निबटा लेती.

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इस तरह के परिवर्तनों का एक सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा कि परिवार के सदस्य अपना ज्यादा से ज्यादा समय एकदूसरे के साथ बिताने लगे. खाना बनाते समय जहां दोनों भाभियों, सास और श्रद्धा को आपस में अच्छा समय बिताने का मौका मिलता तो वहीं घर के सभी सदस्य प्यार से एक ही डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे. खाने की तारीफें होने लगीं. घर की बहुओं को और अच्छा करने का प्रोत्साहन मिलने लगा. इसी तरह गार्डनिंग के शौक ने सास के साथ श्रद्धा का बौंड बेहतर कर दिया. अब तुषिता भी गार्डनिंग में रुचि लेने लगी थी. ननद और सास के साथ श्रद्धा इन पलों का खूब आनंद लेती.

इसी तरह शौपिंग के लिए नौकरों को भेजने के बजाय श्रद्धा खुद अमन को ले कर पैदल बाजार तक जाती. मौल के बजाय वह लोकल मार्केट से सामान लेना पसंद करती. फलसब्जियां भी खुद ही ले कर आती. श्रद्धा को देख कर बाकी दोनों भाभियां भी संडे शाम को अकसर अपनी पति को ले कर शौपिंग के लिए निकलने लगीं. उन्हें अपने पति के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिल जाता था.

समय के साथ परिवार के सभी सदस्यों को नौकरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद अपना काम करने की आदत पड़ चुकी थी. घर में प्यार और शांति का माहौल था. व्यापार पर भी इस का सकारात्मक प्रभाव पड़न. उन का व्यापार चमचमाने लगा. बड़ेबड़े और्डर मिलने लगे. दूरदूर तक उन के आउटलेट्स खुलने लगे. हर तरह के पारिवारिक, व्यावसायिक और सामाजिक विवाद समाप्त हो चले थे.

श्रद्धा के अच्छे व्यवहार का नतीजा था कि रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ उन के संबंध और भी ज्यादा सुधरने लगे थे. किसी रिश्तेदार या पड़ोसी के साथ घर के किसी सदस्य का विवाद होता तो श्रद्धा उसे सम  झाती. उस की गलतियों की तरफ ध्यान दिलाती. सम  झाती कि पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अच्छे रिश्ते के लिए थोड़ा गम खा लेना और एकदूसरे को माफ कर देना भी जरूरी होता है. इस से रिश्ते गहरे हो जाते हैं. श्रद्धा की सोच और उस के व्यवहार का तरीका घर के सभी सदस्यों पर असर डाल रहा था. उन की जिंदगी बदल रही थी.

इसी दौरान एक दिन शाम के समय सास का फोन आया. वह काफी घबराई हुई

आवाज में बोली, ‘‘श्रद्धा, बेटा तू जल्दी से सिटी हौस्पिटल आ जा. तेरी अलका भाभी का ऐक्सीडैंट हो गया है. वह तुषिता के साथ स्कूटी पर जा रही थी तभी किसी ने टक्कर मार दी. अलका को बहुत गहरी चोट लगी है. मैं और तुषिता हौस्पिटल में हैं. तेरे दोनों जेठ आज बिजनैस के सिलसिले में नोएडा गए हुए हैं. उन को आने में देर हो जाएगी. अमन भी लगता है मीटिंग में है. फोन नहीं उठा रहा.’’

‘‘कोई नहीं मां आप घबराओ नहीं. मैं अभी आती हूं.’’

श्रद्धा तुरंत कैब कर सिटी हौस्पिटल पहुंच गई. अलका के सिर में गहरी चोट लगी थी. काफी खून बह गया था. उसे तुरंत औपरेट करना था. खून भी चढ़ाना था. श्रद्धा ने तुरंत डाक्टर से अपना खून देने की बात की, क्योंकि उस का ब्लड गु्रप ‘ओ पौजिटिव’ था.

फटाफट सारे काम हो गए. श्रद्धा अपनी चैकबुक साथ लाई थी. डाक्टर ने क्व2 लाख जमा करने को कहा तो उस ने तुरंत जमा कर दिए.

शाम तक घर के बाकी लोग भी हौस्पिटल पहुंच गए थे. अलका अभी आईसीयू में ही थी. उसे होश नहीं आया था. अगले दिन डाक्टर्स ने कहा कि अलका अब खतरे से बाहर है मगर अभी उस के एक पैर की सर्जरी भी होनी है, क्योंकि इस दुर्घटना में उस के एक पैर के घुटने से नीचे वाली हड्डी डैमेज हो गई थी सो उसे भी औपरेट करना. आननफानन में यह काम भी हो गया. 1 सप्ताह हौस्पिटल में रह कर अलका घर आ गई. मगर अभी भी उसे करीब 2 महीने बैडरैस्ट पर रहना था.

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ऐसे समय में श्रद्धा ने अलका की सारी जिम्मेदारी उठा ली. उस ने औफिस से 15 दिनों की छुट्टी ले ली. अलका के सारे काम वह अपने हाथों से करती. यहां तक कि उस के बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजना, स्कूल से लाना, पढ़ाना, खिलानापिलाना सब श्रद्धा करने लगी. औफिस जौइन करने के बाद भी वह सारी जिम्मेदारियां बखूबी उठाती रही. हालांकि अब तुषिता भी यथासंभव उस की मदद करती.

धीरेधीरे यह कठिन समय भी गुजर गया. अलका अब ठीक हो गई थी. सारा परिवार श्रद्धा के व्यवहार की तारीफ करते नहीं थक रहा था. उस ने अपने प्यार भरे व्यवहार से सब को अपना मुरीद बना लिया था.

कई महीनों बाद जब अलका ठीक हो गई तो सासससुर ने घर में ग्रैंड पार्टी रखी और उस में अपनी बहू श्रद्धा को ‘बैस्ट बहू औफ द हाउस’ का अवार्ड दे कर सम्मानित किया. घर का हर सदस्य आज मिल कर श्रद्धा के लिए तालियां बजा रहा था.

सड़क पर कार चलाते समय न करें फोन का इस्तेमाल

जब हम सड़क सुरक्षा की बात करते हैं तो आमतौर पर हमारे ध्यान में आता है सिटबेल्ट पहनकर ड्राइविंग करना और बिना नशे के ड्राइविंग करना लेकिन हम कुछ छोटी- छोटी चीजों को ध्यान में रखना भूल जाते हैं. कुछ छोटी-छोटी चीजें हैं जो आपके सुरक्षा के साथ- साथ आपके आस-पास के लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखती है.

क्या आपको पता है ज्यादातर सड़कों पर दुर्धटना के कारण क्या होते हैं जब आप नशे में ड्राइविंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करते हैं. उस वक्त दुर्घटना होने के ज्यादातर संभावनाएं होती हैं. फोन पर बात करने के दौरान आपका ध्यान हटता है या फिर आप नशे में तेजी से सड़क को बदलते हैं उस समय भी एक्सीडेंट होने के चॉस बढ़ जाते हैं.

अगर आपका फोन कॉल लेना जरुरी है तो आप सुनिश्चित करें किसी हैड्स फ्री डिवाईस के माध्यम से जिससे आप अपने मैसेज को दूसरे तक बिना किसी परेशानी के भेज सकें. ड्राइविंग के दौरान फोन कॉल लेने से पूरी तरह से बचें. अगर आपका फोन कॉल ज्यादा जरूरी है तो आपने कार को सड़क के किनारे किसी सही स्थान पर रोक कर बात करें. आप जरा सोचों आपका एक मैसेज किसी को हर्ट नहीं कर सकता जितना की आपकी एक गलती आपके जीवन और मृत्यु के बीच का फासला तय कर सकता है. आपके साथ- साथ दूसरों को भी नुकसान पहुंच सकता है.#BeTheBetterGuy

नई हुंडई i20 का इंटीरियर है शानदार

नई हुंडई i20 के इंटीरियर को आधुनिक तरह से डिजाइन किया गया है. इसके इंटीरियर डिजाइन को देखने के बाद आप सच में कह सकते हैं कि इसे ऑरिजनल कॉन्सेप्ट पर तैयार किया गया है.
कार में बैठते ही सबसे पहले आपकी नजर स्टेरिंग पर जाएगी. इसके स्टेरिंग को बेहद खूबसूरती के साथ लेदर से कवर किया गया है. जिसे छूकर आपको अच्छा महसूस होगा.

कार में लगी डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और बड़ी इंफोटेनमेंट स्क्रीन आपको सारी जानकारी देती है. जिससे आपको कार के फंक्शन के बारे में पता चलता है. स्क्रीन में आपके जरुरत के अनुसार फंक्शन मौजूद है. जैसे ही आपकी नजर बाएं तरफ में मूडेंगी आपको एक पतली सी लकीर डैस की तरफ दिखेगी जो एयरकंडिशनिंग वेन्ट के ऊपर खत्म होती है.

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नया i20 आपको एक शानदार प्रीमियम डिजाइन के साथ- साथ शानदार मैटेरियल देता है जो कि बहुत आकर्षक है इसलिए हुंडई i20 #BringsTheRevolution है.

गरीबों की मदद के कारण दोबारा सुर्खियों में आए सोनू सूद, प्रॉपर्टी गिरवी रखकर कर रहे लोगों की मदद

लौकडाउन के दौरान मजदूरों की मदद के लिए आगे आने वाले एक्टर सोन सूद अब गरीबों के मसीहा कहलाए जाने लगे हैं. जहां हर कोई उनकी इस नेकी की तारीफ कर रहा है तो वहीं सोनू भी हर कोशिश कर रहे हैं कि इन नेक कामों को किसी भी हालत में जारी रखा जाए, जिसके लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं. इसी के चलते सोनू ने अपनी प्रौपर्टी को भी गिरवी रख दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

10 करोड़ का लिया लोन

खबरों की मानें तो एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) ने 10 करोड़ रुपये का लोन लिया है, जिसके लिए उन्होंने अपनी 8 प्रॉपर्टी गिरवी रखी हैं. वहीं इन प्रौपर्टी में जुहू में स्थित 2 दुकानें और 6 फ्लैट्स शामिल हैं. साथ ही इस लोन को लेने के लिए सोनू ने 5 लाख की प्रोसेसिंग फीस भी चुकाई है.

 

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पत्नी के नाम पर है प्रौपर्टी

एक रिपोर्ट की मानें तो जुहू स्थित शिव सागर CGHS बिल्डिंग में सोनू की दोनों दुकानें और 6 फ्लैट हैं, जो कि मुंबई में इस्कॉन टेंपल के करीब एबी नैयर रोड पर स्थित हैं. वहीं ये सारी प्रॉपर्टी सोनू और उनकी पत्नी सोनाली के नाम पर है. सोनू की गिरवी रखी गईं प्रॉपर्टीज़ का एग्रीमेंट 15 सितंबर को साइन किया गया और इसका रजिस्ट्रेशन 24 नवंबर को किया गया. हालांकि सोनू सूद या उनकी टीम की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है.

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बता दें, कोरोना और लौकडाउन के बीच मुंबई में फंसे मजदूरों को घर वापस लाना हो या दूर देशो में फंसे देश के नागरिकों को अपने देश वापस पहुंचाना हो सोनू सूद ने हर किसी की मदद की है. वहीं मजदूर भी उनका साथ देने से हिचकिचाते नही हैं और उन्हें गरीबों का मसीहा कहते हैं.

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