घरेलू हिंसा को लेकर देवोलीना के बाद दिव्या भटनागर का परिवार आया सामने, पढ़ें खबर

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस दिव्या भटनागर के निधन से जहां पूरी टीवी इंडस्ट्री सदमे में है तो वहीं उनकी निजी जिंदगी को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं. बीते दिन खास दोस्त और एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी ने दिव्या के पति पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था, जिसके बाद कई लोग उनके सपोर्ट में कई लोग आ खड़े हुए थे. वहीं अब इस मामले में दिव्या भटनागर के परिवार का भी बयान सामने आ गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

देवोलीना ने किया था ये खुलासा

दिव्या भटनागर के अचानक निधन से देवोलीना भट्टाचार्जी सदमे में है, जिसके चलते उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए खुलासा किया था कि दिव्या के पति गगन गबरू उनके साथ मारपीट करते थे, जिसके बाद सभी लोग हैरान हो गए थे. वहीं देवोलीना ने गगन को सजा देने की भी बात कही थी. इसी बीच दिव्या के परिवार को भी उनके इस वीडियो से हिम्मत मिल गई है और वह अब दिव्या के पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाने का फैसला किया हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Devoleena Bhattacharjee (@devoleena)

ये भी पढ़ें- परिवार के खिलाफ जाकर की थी दिव्या भटनागर ने शादी, मौत के बाद पति के खुले कई राज

दिव्या के भाई ने कही ये बात

दिव्या भटनागर के भाई देवाशीष ने एक इंटरव्यू में कहा है, ‘शादी के बाद से ही गगन ने मेरी बहन को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देना शुरू कर दिया था. हमें अलमारी से दिव्या का एक नोट मिला है जिसमें उन्होंने लिखा था कि गगन उन्हें गाली देता है और उनके साथ मारपीट करता है. ये नोट उन्होंने 7 नवंबर को लिखा था. कल हमें ये नोट मिला है. 16 नवंबर को ही दिव्या ने गगन के खिलाफ पुलिस में केस भी दर्ज करवाया था. जब वो अस्पताल में अपना इलाज कर रही थीं तो हम सभी उनकी हिम्मत बनें और उन्हें हिम्मत ना हारने के लिए भी कहा. हमारे लिए ये काफी मुश्किल है. हमारी पीड़ा असहनीय है.’

बता दें, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस कोरोना वायरस से संक्रमित थी, जिसके बाद 34 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली है. वहीं शादी की बात करें तो उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर गगन गबरू से शादी की थी, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं.

ये भी पढ़ें- वनराज ने दी काव्या को चेतावनी, पाखी के बर्थडे में आएगा नया ट्विस्ट

क्या फेशियल हेयर से छुटकारा पाने का कोई परमानेंट सौल्यूशन है?

सवाल-

मेरे चेहरे पर काफी बाल हैं , जिसके कारण मेरा कॉन्फिडेंस काफी कम हो गया है. क्या इसका कोई परमानेंट सोलूशन है?

जवाब-

हर कोई सोफ्ट , स्मूद व क्लियर स्किन चाहता है.  लेकिन कई बार हमारे लाख प्रयासो के बाद भी हम अपनी स्किन को खूबसूरत नहीं बना पाते हैं.  क्योंकि कई बार हम अपनी स्किन की केयर नहीं करते और कई बार हार्मोन्स में उतारचढ़ाव आने की वजह से चेहरे पर न सिर्फ मुंहासे बल्कि बाल भी उग आते हैं. जिन्हें शुरुवात में हम इग्नोर कर देते हैं , लेकिन जब समस्या काफी बढ़ जाती है ,तो हमें न सिर्फ अपना चेहरे को छूने व देखने का मन करता है बल्कि हम दूसरों के सामने जाने से भी कतराने लगते हैं. ऐसे में जरूरत है समस्या के यही समय पर निदान की न कि समस्या से भागने से.  इस सम्बंद में जानते हैं कोस्मोटोलोजिस्ट पूजा नागदेव से.

करें ये उपचार 

वैसे तो हेयर्स को हटाने के लिए ढेरों विकल्प मौजूद हैं जैसे आप वैक्सिंग का सहारा ले सकते हैं ,  थ्रेड यूज़ करवा सकते हैं या फिर कई महिलाएं शेविंग भी करवाती हैं.  लेकिन ये विकल्प सस्ते जरूर हैं लेकिन ज्यादा पैनफुल होने के साथसाथ आपकी स्किन को ख़राब भी कर देते हैं. जैसे आपकी स्किन लाल पड़ सकती है, बालों की हार्ड ग्रोथ आ सकती है या फिर स्किन के बहुत सेंसिटिव होने के कारण वैक्सिंग से स्किन जल तक सकती है. इसलिए इन विकल्पों को न चुनें.

क्या है बेस्ट 

अगर आप अपने चेहरे के अनचाहे बालों से परेशान हैं तो आपके लिए लेज़र ट्रीटमेंट के विकल्प को चुनना ही बेस्ट रहेगा. भले ही ट्रीटमेंट आपकी हेयर ग्रोथ के हिसाब से लंबा हो सकता है और महंगा भी. लेकिन ये आपको रोजरोज शेविंग , वैक्सिंग, थ्रेडिंग जैसे झंझटो से छुटकारा दिलवाने का काम करेगा. लेकिन इस बात का भी आपको खास ध्यान रखना होगा कि आप एक्सपर्ट्स से ही लेजर ट्रीटमेंट करवाएं, ताकि आपको कम समय में लौंग लास्टिंग रिजल्ट मिल सके और स्किन पर किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट न हो. .

कैसे होता है ट्रीटमेंट 

लेज़र ट्रीटमेंट करने से पहले संभंधित व्रक्ति के चेहरे पर सबसे पहले बालों की ग्रोथ , एरिया , स्किन की सेंसिटिविटी और कलर को देखा जाता है, फिर उसके आधार पर बताया जाता है कि कितनी सिटिंग लेने की जरूरत होगी. इस तकनीक में अनचाहे बालों को लेज़र लाइट के जरिए जड़ से खत्म किया जाता है, लेकिन उससे पहले बालों को शेविंग के जरिए रिमूव किया जाता है. लेकिन ये काम एक्सपर्ट ही करता है.  क्योंकि वे स्किन के टाइप को जानकर उस पर कितनी देर हीट देनी है ये तय करता है. क्योंकि हीट ज्यादा देर तक देने से स्किन के जलने का डर बना रहता है. लेज़र ट्रीटमेंट देने से पहले व बाद में स्किन को बर्फ से ठंडक दी जाती  है. ताकि जलन न हो.  7 – 8  सिटिंग में आपको रिजल्ट दिख जाता है. ये ट्रीटमेंट आपको फिर से खूबसूरत बनाने का काम करता है.  इसलिए जब भी फेस पर हेयर्स की प्रोब्लम आए तो शेविंग , वैक्सिंग के विकल्प को भूलकर भी न चुनें, क्योंकि इससे आपका चेहरा खराब हो सकता है .

ये भी पढ़ें- बौयफ्रेंड का प्यार अब बोझ लगने लगा है, मैं क्या करुं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

प्रकृति से खिलवाड़ महंगा पड़ेगा

कोरोना की वैक्सीन लगभग तैयार है और अगर अंत में कोई बड़ी खराबी न निकले तो यह दुनियाभर में बंटने लगेगी. पर इस का मतलब यह नहीं है कि हम फिर प्रीकोरोना युग में लौटने के लिए सूटकेस बांध लें. कोरोना वैक्सीन को 7 अरब लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा और फिर भी ऐसे पौकेट रहेंगे जहां इस का प्रकोप किसी तरह से आ ही जाएगा.

पोस्ट कोरोना युग का एक अलग मजा है. लोगों को एकांतवास तो सहना पड़ा है पर फुजूल की दिखावेबाजी जम कर कम हुई है. पार्टियां कम हुई हैं. भीड़ कम लगी है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर दबाव कम हुआ है. एअरपोर्ट, रेलवे स्टेशन सूने नजर आए हैं. लोगों ने फालतू में घूमनाफिरना बंद किया है. यह अच्छा ही है. हम सब ने छिप कर जरूरत से ज्यादा चलफिर कर प्रकृति के साधनों का जम कर दोहन किया है और दुनियाभर में पौल्यूशन महामारी बन गया है, जिस के शिकार लोगों की गिनती आसान नहीं रही.

ये भी पढ़ें- गरीबों की घुसपैठ मंजूर नहीं

आमतौर पर देश यह मानने को तैयार ही नहीं है कि उन के कारण प्रदूषण हो रहा है. अमेरिका तो इस बारे में सब से बड़ा खलनायक सिद्ध हुआ, जिस के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बजाय समस्या सुलझाने के चीन और भारत को ब्लेम करने में लगे थे.

हम अपने देश को ही ढंग से संभाल नहीं पा रहे थे. कोरोना की वजह से घरों में बंद रहे तो बाहर का कूड़ा कम हुआ. कम प्लास्टिक फेंका गया. कम उत्पादन हुआ तो आमदनी तो कम हुई पर नदियां साफ हुईं. लोगों ने घरों से निकलना कम किया तो शहरों की हवा कम विषैली हुई.

घरों में भी लोगों ने पार्टियां नहीं कीं तो खाना कम बरबाद हुआ. खुद पकाया खुद खाया तो सेहत ठीक रही. घीतेल का खाना खाया पर घर में ही बना. रेस्तरां चले पर केवल डिलिवरी के लिए इसलिए सीमित काम हुआ. त्योहारों को जम कर मनाया गया. कम बरबादी हुई. आय कम हुई तो खर्च कम हुआ. लोग कोविड-19 से मरे पर बोरियत या घर में दम घुटने से नहीं.

ये भी पढ़ें- कोरोना में मन का भी रखें खयाल

पोस्ट कोराना युग में यह चलता रहे तो अच्छा है. फालतू की सोशलाइजिंग जिंदगी में रंग भरती है तो बहुत से रंगों को बिखेरती भी है. तनाव दूर करती है तो उस ने यह कहा, उस ने वह पहना, मैं भी क्यों न खर्च के चक्करों से बच पाया.

यह महामारी कभी रुलाती है पर कभी खुद में झांकने का मौका देती है. इस ने लोगों को फोन, व्हाट्सऐप, जूम इस्तेमाल करने की खूब छूट दी. आज हम फिर प्रीकोराना युग की ओर लौटने की सोच रहे हैं पर उम्मीद करें कि कुछ सबक याद रखेंगे. प्रकृति से ज्यादा खिलवाड़ महंगा पड़ेगा, यह एक सबक है.

हार्ट प्रौब्लम्स के लिए बेस्ट एक्सरसाइज है गाने सुनना

क्या आप खाली समय में गाने सुनना पसंद करती हैं? अगर हां तो आपको बता दें कि म्यूजिक आपका मुड ठीक करने के साथ ही साथ दिल की सेहत को भी दुरुस्त रखने में मदद करता है. म्यूजिक का हमारी लाइफ पर भी काफी प्रभाव पड़ता है. इससे दिमाग तेज और शार्प होता है. आपने तमाम कहानियों में पढ़ा होगा कि पेड़-पौधों के हिलने, जंतुओं के बोलने, हवाओं के चलने आदि में भी मधुर म्यूजिक को महसूस किया जा सकता है. हर कोई चाहे वो बच्चा हो, युवा हो या फिर वृद्ध हो अपने पसंद के अनुसार म्यूजिक को सुनना पसंद करते हैं.

म्यूजिक हमारी सेहत को भी काफी प्रभावित करता है. जब हम अपना पसंदीदा गाना सुन रहे होते हैं तब हमारे दिमाग से एक रसायन का स्राव होता है. इसे डोपामाइन कहते हैं. यह हमारे मूड को सकारात्मक बनाने में मददगार होता है और हमारी भावनाओं को भी मजबूत बनाता है. इसके अलावा भी गाने सुनने के कई सारे फायदे होते हैं. तो चलिए जानते हैं कि वे फायदे क्या हैं?

1. म्यूजिक आपको खुश रखता है

जब भी हम कोई अच्छा गाना सुन रहे होते हैं तब हमारा दिमाग डोपामाइन रिलीज करता है. इसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है. हैप्पी हार्मोन खुशी और एक्साइटमेंट बढ़ाने में काफी असरदार है. इसलिए जब भी हम किसी अच्छे गाने को सुनते हैं तो हमारा मुड बदल जाता है और हम अंदर से खुशी का अनुभव करने लगते हैं.

ये भी पढ़ें- सेहत और स्वाद के रंग

2. दिल की सेहत रखे दुरुस्त

जिन लोगों को दिल संबंधी कोई बीमारी है उन्हें खूब गाने सुनने चाहिए. एक अध्ययन में पाया गया है कि जब हम अपना पसंदीदा गाना सुन रहे होते हैं तब हमारे दिमाग से एंडार्फिन नाम का हार्मोन निकलता है. यह हार्मोन दिल संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार होता है.

3. दिमाग रखे जवां

एक अध्ययन के मुताबिक म्यूजिक दिमाग को हमेशा सेहतमंद बनाए रखता है. शोध का कहना है कि गाना सुनना दिमाग के व्यायाम की तरह होता है.

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता रखे मजबूत

रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखने के लिए म्यूजिक सुनना काफी आवश्यक है. यह शरीर में स्ट्रेस हार्मोन के स्राव को कम करता है जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने के लिए जिम्मेदार है.

5. अवसाद रखे दूर

म्यूजिक चिंता दूर करने और मूड सही रखने में बेहद प्रभावी साबित हो सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक हमारे मूड और जीवन की गुणवत्ता पर म्यूजिक का काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

ये भी पढ़ें- सेहत से न करें समझौता

थोड़ा हम बदलें, थोड़ा आप

पल्ल्वी अपने बेटे चेतन के 12वीं कक्षा पास करने पर बहुत खुश थी, क्योंकि चेतन के अच्छे नंबर आए थे और उस का दाखिला भी मशहूर कालेज में हो गया था. लेकिन चेतन के कालेज शुरू होते ही मांबेटे के बीच दूरी बढ़ने लगी. चेतन कालेज और पढ़ाई में व्यस्त रहने लगा. जो खाली समय मिलता उस में दोस्तों से बातें करता या फिर टीवी देखता. घर में उस की मां भी हैं, वह इस बात को भूल सा गया. पहले पल्लवी पूरा दिन चेतन के काम में व्यस्त रहती थी, मगर अब खाली बैठी रहती हैं. चेतन के घर में रहते हुए भी उन्हें अकेलापन महसूस होता. वे जब भी चेतन से बात करने उस के कमरे में जातीं तो चेतन हमेशा एक ही जवाब देता कि कि मम्मी, मैं अभी थोड़ा बिजी हूं. थोड़ी देर बाद आप से बात करता हूं.

चेतन की बातें सुन कर पल्लवी पुरानी बातें याद करने लगती कि कैसे सुबह उठ कर उस के लिए टिफिन तैयार करती थी, उस की यूनीफौर्म, नाश्ता सब कुछ समय से पहले ही तैयार रखती ताकि उसे स्कूल के लिए देर न हो. उस के स्कूल से आने से पहले ही जल्दीजल्दी उस का पसंदीदा खाना तैयार करती ताकि बेटे को गरमगरम खाना खिला सके. शाम को कैसे दोनों बातें करते थे, कैसे साथ खाना खाते थे. मगर समय के साथ सब कुछ बदल गया.

1. पेरैंट्स में बढ़ता अकेलापन

आज पल्लवी की तरह बहुत से पेरैंट्स अकेलेपन की स्थिति से गुजर रहे हैं. आज इंटरनैट, मोबाइल व सोशल मीडिया ने युवाओं की जीवनशैली को इतना व्यस्त बना दिया है कि उन के पास अपने पेरैंट्स के लिए समय ही नहीं रहा. वे अपने कैरियर व दोस्तों में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने पेरैंट्स के अकेलेपन से कोई वास्ता नहीं रहा. ऐसे में पेरैंट्स के जीवन में खालीपन आने लगता है.

ये भी पढ़ें- पैट पालें स्वस्थ रहें

जमशेदपुर की लालिका चौधरी कहती हैं, ‘‘मेरे पति और मेरे बेटे के बीच दूरी इतनी बढ़ गई है कि वे दोनों कईकई दिनों तक एकदूसरे से बात तक नहीं करते. आशुतोष जब छोटा था तब तो ठीक था, लेकिन जैसे ही कालेज जाने लगा बहुत बिजी रहने लगा. हमारे लिए उस के पास टाइम ही नहीं रहता. कालेज से आता तो अपने लैपटौप व फोन में ही व्यस्त रहता. शाम को दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता. हम सोचते चलो कोई बात नहीं संडे को हमारे साथ समय बिताएगा, लेकिन संडे को वह काफी देर से सो कर उठता. हम कहीं बाहर चलने के लिए कहते तो मना कर देता. कभीकभी उस के इस व्यवहार पर मेरे पति को गुस्सा आ जाता और वे उसे डांट देते, जिस से घर का माहौल खराब हो जाता.’’

2. टैक्नोलौजी से बढ़ी दूरियां

आज हम फेस टू फेस बात करना पसंद नहीं करते, लेकिन हमारी फेसबुक पर टैग, पोस्ट व लाइक करने में पूरी रुचि होती है. भले ही टैक्नोलौजी हमें लोगों के पास ले आई हो, लेकिन उस ने हमें अपनों से दूर भी कर दिया है. हम अपने फोन में इतने व्यस्त रहते हैं कि पेरैंट्स से बात करने का समय ही नहीं मिलता. अब तो बच्चे मां से व्हाट्सऐप पर मैसेज कर के ही पूछते हैं कि मां खाना बन गया क्या? प्लीज बन जाए तो मेरे कमरे में ले आना या फिर व्हाट्सऐप पर मैसेज कर देना. मैं खुद ले आऊंगा. इस टैक्नोलौजी ने तो अब साथ बैठ कर खाना खाने की परंपरा को भी खत्म सा कर दिया है. अब बच्चे अपने कमरे में लैपटौप पर पिक्चर देखते हुए या फेसबुक पर गपशप करते हुए खाना खाना पसंद करते हैं. अगर उन्हें डांट कर अपने साथ खाना खिलाया जाए तो वे बेमन से खाते हैं. खाने की मेज पर एकदम शांत बैठे रहते हैं. उन्हें ऐसे बैठे देख कर पेरैंट्स सोचते हैं कि इस से तो अच्छा था कि अकेले ही खा लेते.

3. मां की बातें लगती हैं उबाऊ

जैसे ही बच्चे स्कूल से कालेज जाने लगते हैं उन्हें मां की बातें भी उबाऊ लगने लगती हैं. मां की चौइस अच्छी नहीं लगती है. मां अगर कह दें कि बेटा यह क्या पहन रखा है, वह शर्ट पहनो, जो हम ने तुम्हें बर्थडे पर दिलवाई थी तो तुरंत उलटा जवाब देते हैं कि मां, आप को फैशन की बिलकुल समझ नहीं है. वैसी शर्ट पहन कर भला कौन कालेज जाता है?

यह तो कुछ भी नहीं है, मां अगर घर से निकलते समय टिफिन पैक कर के दें तो तुरंत गुस्से में जवाब देते हैं कि अब मैं बड़ा हो गया हूं. हर वक्त मां को मौडर्न जमाने के बारे में बताते रहते हैं कि मां अब आप का जमाना नहीं रहा. यह मौडर्न जमाना है. आप के समय की चीजें पुरानी हो चुकी हैं. अब तो हाईटैक जमाना आ गया है. अब फोन व व्हाट्सऐप से ही पढ़ाई की जाती है. इसलिए आप अपने जमाने को अपने तक ही सीमित रखा करें.

4. जब अच्छे लगने लगते हैं हमउम्र

कई बार ऐसा भी देखा जाता है जब हमें कोई हमउम्र अच्छा लगने लगता है, तो हम हर समय उसी के साथ व्यस्त रहते हैं. अपने पेरैंट्स को भूल जाते हैं. घर आने पर भी फोन पर उसी से बातें करते हैं. उसी के बारे में सोचते रहते हैं.

ये भी पढ़ें- ब्लाइंड डेट पर लड़के रखें इन चीजों का ध्यान

5. दोस्तों के लिए टाइम है, पैरेंटस के लिए नहीं

दिन भर दोस्तों के साथ रहने के बावजूद घर आने पर भी पैरेंट्स से बात करने के बजाय दोस्तों के साथ ही फोन पर लगे रहते हैं. देर रात तक दोस्तों के साथ चैट करते हैं, सुबह लेट उठते हैं फिर फटाफट तैयार हो कर कालेज के लिए भाग जाते हैं. मां कुछ भी बोलें तो कहते हैं कि मां अभी टाइम नहीं है, शाम को बात करेंगे. पेरैंट्स के लिए उन की शाम कब आएगी यह वे ही जानें.

ऐसा बिलकुल नहीं है कि इस अकेलेपन के लिए केवल युवा ही जिम्मेदार हैं. कहीं न कहीं पेरैंट्स भी ऐसी छोटीछोटी गलतियां कर बैठते हैं, जिन की वजह से इन के बीच दूरी बढ़ती जाती है. हम आज बच्चों के करीब तभी रह सकते हैं जब हम थोड़ा उन की तरह व्यवहार करें, उन्हें समझें.

6. कभी तुलना न करें

अकसर मातापिता अपने बच्चों से कहते रहते हैं कि हम जब तुम्हारी उम्र के थे तो सारा काम अकेले ही करते थे. इस तरह की बातें न करें. आप को यह बात समझनी होगी कि आप का समय अलग था, आज का समय अलग है. इस तरह से तुलना करने की वजह से बच्चे आप से दूर होने लगते हैं. वे आप की बात नहीं सुनते. हर समय अपने में व्यस्त रहने लगते हैं. फिर उन के इस तरह के व्यवहार के कारण आप को अकेलापन महसूस होने लगता है.

7. प्रतिक्रिया से बिगड़ती है बात

बच्चों के कुछ गलत करने पर मातापिता तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं. उन्हें डांटने लगते हैं. आप जल्दबाजी में ऐसा बिलकुल न करें, प्यार से समझाएं. अगर आप उन के साथ सख्ती से पेश आएंगे, तो वे आप से दूर होने लगेंगे.

8. थोड़ी स्वतंत्रता दें

पेरैंट्स ऐसा सोचते हैं कि बच्चों को स्वतंत्रता दी तो वे बिगड़ जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं है. आप उन्हें जितना नियंत्रण में रखेंगे वे आप से उतना ही दूर होते जाएंगे.

9. खुद को भी बदलें

आज हर चीज तेजी से बदल रही है, इसलिए आप भी खुद को थोड़ा बदलने की कोशिश करें. आप के बच्चे आप को जिस चीज में सुधार लाने के लिए कहें, उस में थोड़ा बदलाव लाएं, बच्चों को अच्छा लगेगा. अकसर ऐसा होता है कि अगर घर में बच्चे के दोस्त आए हैं तो पेरैंट्स जिस ड्रैस में होते हैं, उसी में उन के सामने चले जाते हैं. ऐसा न करें. पेरैंट्स के इस तरह से आने से हो सकता है कि उन के बेटे के दोस्त बाद में उस का मजाक उड़ाएं और फिर इस वजह से आप का बेटा घर पर अपने दोस्तों को बुलाना ही बंद कर दें.

आप ने घर पर कैसी भी ड्रैस क्यों न पहनी हो. लेकिन बच्चे के दोस्त के सामने अच्छे कपड़ों में ही जाएं. कई बार बच्चे चाहते हैं कि आप भी उस के दोस्त की मां की तरह जींस पहनें. अगर आप मोटी हैं और आप के ऊपर वैस्टर्न कपड़े अच्छे नहीं लगते तो अपनी पर्सनैलिटी में सुधार लाएं. माना कि आप अपना मोटापा तुरंत कम नहीं कर सकतीं, लेकिन आप ऐसी ड्रैस तो पहन ही सकती हैं जिस में आप का बच्चा आप को अपने दोस्तों से मिलवाने में हिचकिचाए नहीं.

ये भी पढ़ें- 8 टिप्स: ब्लाइंड डेट के दौरान जरूर रखें इन बातों का ध्यान

10. क्या हो बच्चों की भूमिका

अगर आप पढ़ाई के सिलसिले में दूसरे शहर में हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप के और आप के घर वालों के बीच दूरी न बढ़े. आप उन से दूर हैं तो क्या हुआ? आप उन से फोन से जुड़े रहें. उन के फोन का जवाब दें. कई युवाओं के साथ यह भी देखा गया है कि वे कैरियर की टैंशन में इतने परेशान रहते हैं कि पेरैंट्स से उन का लगाव कम होने लगता है. वे हर समय अपने कैरियर की चिंता करते रहते हैं. आप को यह बात समझनी जरूरी है कि कैरियर अपनी जगह है और घर वाले अपनी जगह. कुछ बच्चे जब छुट्टियों में घर आते हैं तो उस वक्त भी दोस्तों के साथ ही व्यस्त रहते हैं, लेकिन आप ऐसा न करें. आप ज्यादा से ज्यादा समय पेरैंट्स के साथ बिताएं, उन से बातें करें, उन के साथ शौपिंग पर जाएं, उन के लिए सरप्राइज प्लान करें.

अगर घर में अपने पेरैंट्स के साथ रहते हैं तो अपनी पढ़ाई, दोस्त व कालेज से थोड़ा समय निकाल कर अपने घर वालों के साथ बिताएं. कालेज में हैं तो एक बार फोन कर पेरैंट्स का हालचाल पूछ लें. अपने लैपटौप पर अकसर फिल्म देखते रहते हैं. किसी दिन पेरैंट्स को साथ ले कर उन की पसंदीदा फिल्म देखें. इस तरह पेरैंट्स और बच्चों के बीच दूरी नहीं बनेगी और रिश्तों में मिठास बनी रहेगी.

Winter Special: डिनर में परोसें मेथी पनीर

पनीर की रेसिपी अगर आपको पसंद है तो आज हम आपको मेथी पनीर की रेसिपी बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को डिनर में खिला सकते हैं. मेथी पनीर एक हेल्दी रेसिपी है, जिसे आप आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

हमें चाहिए

बारीक कटी हुई मेथी 2 कप

एक कप पनीर चौकोर टुकड़ों में कटा हुआ

1/4 कप दूध

2 प्याज बारीक कटे हुए

बारीक कटे हुए 2 टमाटर

ये भी पढ़ें- घर पर बनाएं टेस्टी शक्करपारे

एक छोटा चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक

7 से 8 कलियां लहसुन की कटी हुईं

10 से 15 काजू कटे हुए

एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर

स्वादानुसार लाल मिर्च पाउडर

आधा छोटा चम्मच जीरा

स्वादानुसार नमक

पानी

तेल

सजावट के लिए

बारीक कटा हरा धनिया

बनाने का तरीका

– गैस पर कड़ाही में तेल गर्म करें. इसमें जीरे का तड़का लगाएं.

– इसके बाद कड़ाही में प्याज, लहसुन और अदरक डालकर मध्यम आंच पर फ्राई करें.

ये भी पढ़ें- स्नैक्स में परोसें पनीर ब्रेड पकौड़ा

– प्याज हल्का सुनहरा हो जाए, तो इसमें टमाटर, काजू और नमक डालें.

– जब टमाटर नर्म होकर पक जाएं, तब गैस बंद कर दें. अब इसे ठंडा करके मिक्सर में ग्राइंड कर लें. सब्जी के लिए ग्रेवी तैयार है.

– अब गैस पर कड़ाही मे तेल गर्म करें. इसमें पनीर के टुकड़े डालकर हल्के सुनहरे होने तक फ्राई करें. फिर पनीर को एक प्लेट में निकाल लें.

– इसके बाद कड़ाही में थोड़ा तेल गर्म करें. अब इसमें मेथी डालकर मध्यम आंच पर 3 मिनट तक पकाएं.

– फिर मेथी में लाल मिर्च, हल्दी और धनिया पाउडर डालकर पकाएं.

– अब इसमें सब्जी के लिए तैयार की गई ग्रेवी डालें.

– इसके बाद कड़ाही में पानी डालकर 2 मिनट तक पकाएं.

– फिर फ्राइड पनीर और दूध डालें. इसे 5 से 6 मिनट तक या ग्रेवी को हल्का गाढ़ा होने तक मध्यम आंच पर पकाएं. पकने के बाद फैमिलो गरमागरम रोटी या चावल के साथ परोसें.

ये भी पढ़ें- घर पर बनाएं टेस्टी मटर कोफ्ता

Zee Rishtey Awards 2020 में छाया अंकिता लोखंडे समेत इन 5 हसीनाओं का जलवा, देखें फोटोज

कोरोनाकाल के बढ़ते कहर के बीच अब जिंदगी पटरी पर आ रही है. जहां शूटिंग शुरु होने के साथ सीरियल और फिल्मी दुनिया की रौनक लौट आई है. तो वहीं अवौर्ड्स सेरेमनी का सिलसिला भी शुरु हो गया है. दरअसल, बीते दिनों जी रिश्ते अवौर्डस 2020 का आयोजन किया गया था, जिसमें कुमकुम भाग्य की प्रज्ञा से लेकर पवित्र रिश्ता की अर्चना ने शिरकत की थी. लेकिन इस आयोजन में टीवी की हसीनाओं ने अपने लुक से जलवे बिखेरे थे. इसीलिए आज हम आपको  जी रिश्ते अवौर्डस 2020 में टीवी हसीनाओं के लुक्स दिखाते हैं, जिसे आप भी किसी पार्टी या फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं.

1. अंकिता का लुक था धमाल

‘जी रिश्ते अवॉर्ड्स 2020’ का हिस्सा बनने के लिए  अंकिता लोखंडे शो के रेड कारपेट पर औफशोल्डर ब्लैक गाउन में नजर आईं, जिसके साथ उन्होंने रेड कलर के इयरिंग्स को कैरी किया था. वहीं सिंपल मेकअप के साथ उनका लुक सभी हसीनाओं को टक्कर दे रहा था. वहीं इस लुक के साथ स्ट्रेट हेयर उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ankita Lokhande (@lokhandeankita)

ये भी पढ़ें- पार्टी में ट्राय करें साड़ी ड्रैपिंग के ये स्टाइल

2. प्रज्ञा का लुक भी था कमाल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sriti Jha (@itisriti)

सीरियल कुमकुम भाग्य में प्रज्ञा के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस श्रीति झा जी रिश्ते अवौर्ड्स 2020 में अपने नेवी ब्लू रंग के शोल्डरलेस सीक्वेंस गाउन में कहर ढाती नजर आईं. वहीं एक्ट्रेस इसे एक चांदी के हार के साथ पेयर किया था, जिसमें उनका लुक एक खूबसूरत चांद की तरह लग रहा था.

3. प्रीता भी नहीं हैं किसी से कम

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Shraddha Arya (@sarya12)

कुंडली भाग्य की प्रीता यानी श्रद्धा आर्या काफी स्टाइलिश और बोल्ड हैं, जिसका अंदाजा उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से लगाया जा सकता है. लेकिन जी रिश्ते अवौर्ड्स में फैंस को श्रद्धा का बेहद खूबसूरत लुक देखने को मिला है. शो में श्रद्धा व्‍हाइट वन शोल्‍डर गाउन में बेहद बोल्‍ड अंदाज में नजर आईं. वहीं इस लुक को उन्होंने मैचिंग ईयररिंग्‍स और ओपन हेयर  के साथ कंप्‍लीट किया, जो उनके फैंस को काफी पसंद आ रहा है.

4. गुड्डन का छाया बोल्ड अंदाज

सीरियल गुड्डन तुम ना हो पाएगा में गुड्डन की भूमिका निभाती नजर आने वाली एक्ट्रेस कनिका मान शो में बोल्ड अंदाज में नजर आईं. पिंक कलर की गाउन में नजर आईं, जिसके साथ उनका हेयर स्टाइल और मेकअप लोगों का ध्यान खींच रहा था. वहीं फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

ये भी पढ़ें- BIGG BOSS 14: हर ओकेजन के लिए परफेक्ट है निक्की तम्बोली के ये लुक्स

5. ये एक्ट्रेस भी नही है कम

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anjum Fakih (@nzoomfakih)

कुंडली भाग्य फेम एक्ट्रेस अंजुम फकीह बीते दिनों जी रिश्ते अवौर्ड्स में अपने लुक से टीवी की हसीनाओं को टक्कर देती नजर आईं थीं. वाइट कलर के सिंपल लहंगे के साथ शिमरी ब्लाउज उनके लुक को सिंपल के साथ स्टाइलिश लुक दे रहा था.

फोन पर फ्रौड से कैसे बचें

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘हैलो… जी नमस्कार. मैं स्टेट बैंक औफ इंडिया से बैंक का मैनेजर प्रभाकर बोल रहा हूं. आप अपने एटीएम कार्ड का सत्यापन करा लीजिए नहीं तो यह ब्लौक कर दिया जाएगा.’’

निशा वैसे तो पढ़ीलिखी थी, पर अचानक आए इस फोन और फोनकर्ता के स्टेट बैंक का मैनेजर बताए जाने पर उस ने मान लिया कि फोन किसी असली मैनेजर का है और फिर फोनकर्ता को निशा ने 16 अंकों का एटीएम कार्ड का नंबर तो बताया ही, साथ ही कार्ड के पीछे लिखा सीवीवी नंबर भी बता दिया.

वह फर्जी फोनकर्ता इतनी चतुराईर् से बात कर रहा था कि निशा सम झ ही नहीं पाई कि माजरा क्या है और जब बीच में फोनकर्ता ने अंगरेजी भी बोली तब तो वह बिलकुल आश्वस्त हो गई कि यह प्रभाकर बैंक का ही मैनेजर है.

बातों के जाल में फंसा कर निशा के मोबाइल पर आया ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी पूछ लिया.

ये भी पढ़ें- बेकार पड़ी प्लास्टिक की चम्मच से सजाएं घर

शाम को जब निशा ने अपने बैंक का बैलेंस चैक किया तो उस में से क्व80 हजार की शौपिंग करी जा चुकी थी.

ब्रांच जा कर मैनेजर से शिकायत करी, पुलिस में भी रिपोर्ट करी पर हर तरफ से यही उत्तर आया कि शौपिंग आप के कार्ड से ही हुई, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते.

पढ़ेलिखे ठग

यह है बैंकिंग फ्रौड या ओटीपी फ्रौड चाहे कोई भी नाम दीजिए पर इस में ठगी का शिकार तो ग्राहक ही होता है. ये ठग पलक  झपकते हमारी गाढे़ पसीने की कमाई पर हाथ साफ  कर लेते हैं.

ये औनलाइन ठग पढ़ेलिखे, अंगरेजी बोलने वाले और तकनीक के भी जानकार होते हैं. इंटरनैट के कई स्रोतों से ये हमारा नाम तथा नंबर जान लेते हैं और फिर फोन कर के हम से जरूरी जानकारी जुटा कर हमारे पैसे उड़ा लेते हैं.

आज इंटरनैट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग के चलते यह फ्रौड करना आसान हो गया है. इस तरह के फोन अधिकतर लैंडलाइन नंबरों से आते हैं ताकि किसी को शक न हो सके. आज हर व्यक्ति कैशलैस होना चाहता है, इसलिए वह अपने मोबाइल में ही अपने अकाउंट से जुड़ी पूरी डिटेल रखता है और चाहता है कि उस का हर काम स्मार्टफोन से ही हो जाए. उसे बैंक जा कर लाइन में न लगना पड़े.

ऐसे में जब आप के पास कोई फोन आ जाए कि आप की लौटरी निकली है या खाता बंद हो सकता है तब आप सहजता से फोनकर्ता को सारी जानकारी दे देते हैं.

करोड़पति बनाने का झांसा

एक इसी तरह का नया फ्रौड भी प्रकाश में आया है. ये ठग आप को फोन कर के यह कहते हैं कि ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तरफ से आप को एक कार इनाम में दी जाती है. बस इस गाड़ी के कागज बनवाने का खर्चा आप को देना होगा. यदि आप खुश हो कर हां कह देते हैं तो ये ठग आप से कार्ड की डिटेल पूछ कर पैसे उड़ा लेते हैं.

इसी तरह नीरजजी और उन के बेटे ने पुरानी जीपकार बेचने वाली एक साइट पर एक कार का विज्ञापन देखा और उस के मालिक के फोन नंबर पर संपर्क किया तो तथाकथित कार मालिक ने उन्हें गाड़ी देखनेपरखने के लिए उसी शहर में एक जगह बुलाया.

जब नीरजजी अपने बेटे को ले कर कार देखने गए तो कार उन्हें पसंद आ गई और फिर दोनों पार्टियों में एक निश्चित तिथि पर सौदा करने का निर्णय किया.

मगर ठीक सौदा होने वाले दिन नीरजजी के पास कार विक्रेता का फोन आया और उन्हें बातों में फंसा कर उस ने कार्ड की डिटेल मांग ली. फिर कुछ ही मिनटों में नीरजजी का अकाउंट साफ हो चुका था.

जब वे कार के सौदे वाली जगह पहुंचे तब न वहां कार थी और न कार वाला और उस विक्रेता का फोन नंबर भी बंद आ रहा था.

ये भी पढ़ें- लंबे समय तक ऐसे रखें मसाले सुरक्षित

इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने भी कोई सहयोग नहीं किया, उलटा नीरजजी के पढ़ेलिखे होने के बावजूद ऐसी गलती कर देने का कुसूरवार उन्हें ही ठहराया गया.

इन सभी घटनाओं से हमें यही सीख मिलती है कि हमें किसी भी हालत में एटीएम कार्ड या क्रैडिट कार्ड का कोई भी नंबर, पासवर्ड या ओटीपी किसी को नहीं बताना है. अगर इस तरह की कौल्स बारबार आप के फोन पर आती हैं तो पुलिस में जा कर लिखित शिकायत करनी चाहिए. तकनीक हमारे रास्ते आसान तो बनाती है पर असावधानी होने पर हमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

फैशन: आधुनिक विचारों वाली मनु को क्यों नहीं थी किसी की परवाह

Serial Story: फैशन (भाग-3)

‘‘आजकल बच्चों की अपनी मरजी है… जहां मन हो करें. मेरी ही बेटी है पर मैं ही इस की गारंटी लेने को तैयार नहीं हूं. कल को ससुराल वालों को ही दहेज के नाम पर सूली पर लटका देगी. पति जरा सा नानुकर करेगा तो उसे भी पत्नी प्रताड़ना के कानून में फंसा देगी. जो अपने मांबाप की सगी नहीं वह पराए खून को दलदल में नहीं फंसाएगी, इस का क्या भरोसा? नफरत हो गई है मुझे मनु से. जरा भी प्यार नहीं रहा मेरे मन में इस लड़की के लिए. तुम भी इस की चालढाल पर परेशान हो न… कल को इस का पति भी होगा.

‘‘क्या यह लड़की घर बसाएगी जो बातबात पर अपने अधिकारों की बात करती है? गृहस्थी को सफल बनाने के लिए कई बार जबान होते हुए भी गूंगा बनना पड़ता है. सहना भी पड़ता है, कभी भी आती है कभीकभी, सदा एकजैसा तो नहीं रहता. ऊंचनीच सहनी पड़ती है और यह लड़की तो बातबात पर कानून का डंडा दिखाती है.’’

‘‘इतना कानून कहां से पढ़ लिया इस ने? कहीं वकीलों से दोस्ती ज्यादा तो नहीं बढ़ा ली? कानून तो हम भी जानते हैं बेटा, लेकिन यही कानून अगर बातबेबात गृहस्थी में घुस जाएगा तब क्या प्यार बना रहेगा पतिपत्नी में? पतिपत्नी के बीच किसी तीसरे का जो दखल होना ही नहीं चाहिए मांबाप तक को भी जरूरत पड़ने पर बोलना चाहिए कानून तो बहुत दूर की बात है. अधिकारों की बात करती है क्या अपने फर्जों के बारे में भी सोचा है इस ने? हमारे तो बेटे ने कभी इस जबान में हम से बात नहीं की जिस सुर में यह बोलती है. क्या चाहते हैं इस से? सिर्फ यही कि सलीके से रहे, मर्यादा में रहे, शालीनता से जीए… हमारे सिखाए सारे संस्कार इस ने पता नहीं किस गंदे पानी में बहा दिए.’’

ये भी पढ़ें- Short Story: एक हसीं भूल…

‘‘नहीं बूआ ऐसा नहीं हो सकता. कुछ भी हो जाए संस्कारों का प्रभाव कभी नहीं जाता है. फैशन की दौड़ में भी एक सीमा ऐसी जरूरत आती है जब संस्कार जीत जाते हैं. किसी गलत संगत में हो सकता दिमाग घूम गया हो.’’ ‘‘गलत संगत में और भी क्या होता होगा, हमें क्या पता बेटा… क्या करें हम? कहां जाएं? पता होता पढ़लिख कर जमीन की मिट्टी सिर पर उठा लेगी तो मैं अनपढ़ ही रखती इसे,’’ बूआ का आक्रोश उन की आंखों से साफ फूट रहा था.

बूआ ईमानदार हैं जो अपनी संतान पर परदा नहीं डाल रहीं वरना हमारे समाज में मांबाप अकसर अपने बच्चों के ऐबों को छिपा जाते हैं. जहां तक मनु के ऐबों का सवाल है एक लड़की का मुंहफट होना और अपने घर के तौरतरीकों के खिलाफ जाना ही सब से बड़ा ऐब है. कहने को तो हम सब कहते हैं लड़कालड़की एकसमान हैं, लेकिन एकसमान हो कैसे सकते हैं? जो बुनियादी फर्क प्रकृति ने बना दिया है उस से आंखें तो नहीं न फेरी जा सकतीं? बूआ का मन समझ रहा हूं मैं. सत्य तो यही है कि कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जा सकता.

12 बज गए थे. मनु अभी अपने कमरे से बाहर नहीं आई थी. तब बूआ ने ही मुझे भेजा, ‘‘जरा देख तो…कहीं कोई नशावशा कर के मर तो नहीं गई.’’ ममत्व किस सीमा तक आहत हो चुका है, यह इन्हीं शब्दों से अंदाजा लगाया जा सकता है. मैं ने ही दूध का गिलास भरा और मनु के कमरे में जा कर उसे डठाने की सोची. ‘‘उठो मनु, 12 बज गए हैं,’’ कहते हुए मैं ने दरवाजा धकेला.

कुरसी पर चुपचाप बैठी थी आंखें मूंदे. मैं ने पास जा कर सिर पर हाथ रखा. पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा कि उस में कुछ बदल गया है. कल जैसे भाव नहीं थे उस के चेहरे पर.

‘‘12 बज गए हैं… क्या नाश्ता नहीं करोगी? भूख नहीं लगी है क्या?’’

चुप रही वह. जब हाथ पकड़ कर उठाने का प्रयास किया तब मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया.

‘‘कुछ है क्या जो कहना चाहती हो? समझदार हो अपने अधिकार जानती हो… मेरे समझाने का कोई अर्थ नहीं है.’’

‘‘नाराज हो तुम भी?’’

‘‘तुम्हारे मातापिता से बढ़ कर मैं कैसे हो सकता हूं. उन की नाराजगी की जब तुम्हें परवाह नहीं तो मेरी तो बिसात ही क्या है? तुम्हारी भूख की चिंता थी मुझे, इसलिए दूध का गिलास ले आया.’’

जब मैं लौटने लगा तो उस ने मेरी बांह कस कर पकड़ ली. बोली, ‘‘मैं ने गलती की है, उस के लिए मां और पापा से माफी मांगना चाहती हूं… अजय मैं ही गलत थी, तुम सही थे. मुझे अपने साथ मां के पास ले चलो… पापा सही कहते थे मनुष्य शालीन न हो तो कोई भी गलत अनुमान लगा लेता है. चरित्र और व्यक्तित्व का पता पहनावे से भी लगता है. सही वेशभूषा न हो तो कोई कुछ भी समझने लगता है.’’

ये भी पढ़ें- सजा किसे मिली: पाबंदियों से घिरी नन्ही अल्पना की कहानी

समझ गया मैं. ज्यादा खोल कर समझाने को था ही क्या. जो घरवाले न सिखा पाए लगता है किसी बाहर वाले ने सिखा दिया है. क्षण भर को चौंकना तो था ही मुझे, क्योंकि मनु को इतनी जल्दी अक्ल आ जाएगी, मुझे भी कहां उम्मीद थी.

‘अच्छा, क्या हुआ? सब ठीक तो है न?’’ चिंता तो जागती ही बहन के लिए. बड़े गौर से उस का चेहरा पढ़ना चाहा. लगता है किसी का अनुचित व्यवहार इसे बहुत कुछ समझा गया है. मर्यादा बहुत बारीक सी रेखा है, जिस का निर्वाह बेहद जरूरी है. चेहरे का भाव बता रहा था मर्यादा सहीसलामत है.

‘‘मुझे माफी मांगनी है मां से.’’

स्वर रुंध गया था मनु का. इतनी ऊंची नाक कहीं खो सी गई लगी.

‘‘किस मुंह से जाऊं?’’

‘‘अपने ही मुंह से जाओ माफ कर देंगे. तरक्की का सही मतलब तुम्हारी समझ में आ जाए इस से ज्यादा उन्होंने भी क्या चाहा है. उन की तो काफी बीत चुकी है. बाकी की भी बीत जाएगी. तुम्हारी सारी उम्र पड़ी है. सही मानदंड नहीं अपनाओगी तो सारी उम्र रास्ता ही ढूंढ़ती रह जाओगी… एक कदम गलत उठा तो समझो जीवन समाप्त… भाई हूं तुम्हारा, इसलिए कुछ बातें खोल कर समझा नहीं सकता… आशा है स्वयं ही समझने का प्रयास करोगी.’’

‘‘कह तो रही हूं मैं समझ गई हूं. मेरे साथ मां के पास चलो,’’ स्वर भारी था मनु का.

ढीलीढाली सलवारकमीज पहने बहुत अपनी सी लगने लगी थी मनु. गरिमामय भी लग रही थी और सुंदर भी. कौन कहता है तरक्की पाने और आधुनिक बनने के लिए नंगा रहना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- Short Story: एक बार फिर से

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें