कोरोना में मन का भी रखें खयाल

अब कोरोना के साथ जीते हुए लगभग एक वर्ष पूरा होने को आया है और ये महामारी अब हल्के लक्षणों के साथ एक नए रूप में सबके सामने है.  जो भी संक्रमित है लगभग 21 दिन का समय उन्हें एक कमरे में ही बिताना होता है इतना समय एक ही कमरे में अकेले रहना और मन में बीमारी की भयावहता की शंका के विचारों को ढोते हुए कई लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं जो एक बड़ी समस्या है.

भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान  पीड़ितों में 30 प्रतिशत लोग अवसाद (डिप्रेशन )का शिकार हुए हैं. इस महमारी ने मेंटल हेल्थ केयर व्यवस्था को गंभीर परेशानी में डाल के स्वास्थ्य के क्षेत्र में दबाव बना दिया है. इस महामारी ने पूरी दुनिया में लोगों की मानसिक स्थिति को प्रभावित किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन सब बातों के मद्देनजर कुछ गाइडलाइंस तय की हैं. इन गाइडलाइंस में

इस बीमारी में मानसिक रोगों से ग्रसित होने वाले लोगों को तीन समूहों में बांटा है.

जों कोरोना से संक्रमित हुए हैं और उन्हें अवसाद हो गया है ऐसे लोग लगभग 30 प्रतिशत हैं और कुछ को कोरोना के बाद पोस्ट स्ट्रेस देखा गया ऐसे लोग 90 प्रतिशत के करीब हैं ये लोग समूह एक मे रखे गये हैं.

दूसरे समूह में ऐसे लोग हैं जिन्हें पहले से ही कोई मानसिक बीमारी थी उनकी वो स्थिति बिगड़ सकती है या यदि वो ठीक हो गए हैं तो पहले की तरह मानसिक स्थिति में पहुँच सकते हैं.

तीसरे समूह में सामान्य लोग हैं जिन्हें इस बीमारी के चलते बुरे खयाल आना, नीँद नहीँ आना, ऐसी मानसिक अवस्था मे रहना जिसमे वो दिखाई दे जो हक़ीक़त में है ही नही इस तरह के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है.

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कोरोना में अनिश्चितता

दिल्ली में एम्स के मनोचिकित्सक श्रीनिवास राजकुमार कहते हैं कि ये स्थिति काफ़ी चिंताजनक है. वो कहते है कि एम्स कोविड ट्रामा सेंटर में काफ़ी प्रबंध किए गए हैं जहां मनोचिकित्सक मरीजों से बातें कर रहे हैं और उन्हें तनावमुक्त रखने का प्रयास कर रहे हैं. उनके अनुसार कोविड के मरीज स्वयं को बहुत असुरक्षित अनुभव करते हैं.  नींद नहीं आना भी आम है . लोगों का मानसिक स्वास्थ्य एक चिंता का विषय बन चुका है नींद में कमी, एकाग्रता का न बन पाना, एंग्जायटी, बार बार मूड बदलना जैसे लक्षण दिख रहे हैं

कोविड एक ऐसी बीमारी है जिसमे सब अनिश्चित है ,रोज़ नए आंकडे आते हैं, नए मामले आ रहे है हर पीड़ित की अपनी अलग परेशानी है और अभी तक इसका कोई पुख़्ता इलाज न होने से, लोग दहशत में हैं.

ठीक होने पर भी लौट कर आ रहे

कुछ मरीज तो ठीक होने के बाद घर जाकर मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं उन्हें नींद नहीं आ रही और रात में सोने पर उन्हें लगने लगता है कि हॉस्पिटल में हैं वहाँ बीप सुनाई दे रही है वो icu में है जहाँ सबने उन्हें घेर रखा है और ऐसे में वो लौटकर आ रहे हैं इन समस्याओं का हर सम्भव इलाज किया जा रहा है मरीजों की काउंसिलिंग की जा रही है.

कोरोना ने बदल के रख दी है दुनिया

वर्तमान में जीवन दो भागों में बंट गया है कोरोना के पहले का जीवन और उसके बाद का जीवन आज माहौल बहुत ही अस्थिर हो गया है कई लोगों का रोजगार बन्द हो गया है हर तरफ अस्थिरता है, लोग घर से काम कर रहे हैं जिससे जिम्मेदारियाँ बढ़ गईं हैं बच्चों, बुज़ुर्गों की देखभाल के साथ-साथ घर संभालना भी एक चुनोती है. सामाजिक गतिविधियाँ बन्द हो गईं हैं,लोग मिल जुल नहीं पा रहे जबकि अब फिर से सब खोला गया है पर लोग अभी भी भय से उबर नहीं पाए हैं ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के बिगड़ने की स्थितियाँ बन गई हैं.

सरकार ने उठाये हैं कदम

सरकार ने इन स्थितियों से निपटने के लिए कई गाइडलाइंस जारी की हैं जिनमे कोरोना का इलाज कर रहे अस्पतालों में मरीजों की काउन्सलिंग के लिए एक मनोचिकित्सक को रखे जाने के स्पष्ट निर्देश हैं. एनजीओ जो चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं उनसे मदद लेने को भी कहा गया है.  कोविड का कोई मरीज़ यदि मानसिक रोगी है तो उसे भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर मनोचित्सिक देखेगा ये भी कहा गया है.

करने होंगे भरपूर प्रयास

सारे दिशानिर्देशों के बावजूद इनका क्रियान्वन आसान नहीं है सारी दुनिया मे अब मनोचिकित्सकों पर निर्भरता छोड़कर दूसरे डॉक्टर्स को भी मनोचिकित्सा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है ये पहल भारत मे भी करनी होगी. भारत मे मनोरोग से जुड़े कानून तो हैं पर इस क्षेत्र में निवेश भी जरुरी है क्योंकि इस स्थिति से निपटने के लिए मनोचिकित्सकों की संख्या पर्याप्त नहीं है.

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ रीना राजपूत के अनुसार पहले की अपेक्षा मानसिक रोगियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है . बहुत हद तक इसके लिए बीमारी का भ्रामक प्रचार भी जिम्मेदार है. आम लोगों से ज़्यादा तो स्वास्थ्यकर्मी मानसिक रूप से बीमार हुए हैं. लगातार लंबे समय तक काम करते रहने से वो थक गए हैं उन्हें कुछ समय का आराम चाहिए .  घर में संक्रमण फैलने के खतरे के कारण वो दिन रात तनाव में रहते हैं इसी के कारण मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं.  कई लोग घर से बाहर निकलने में भी डर रहे हैं एक तरह के फोबिया के शिकार हो गए हैं .  डॉ रीना चिंता व्यक्त करते हुए कहती हैं कि यदि जल्द ही इसकी रोकथाम नहीं हुई तो मानसिक रोगी बढ़ेंगे और मनोचित्कित्सकों की आवश्यकता भी बढ़ेगी.

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समाज को भी करना होगा योगदान

जिस प्रकार से कोविड के चलते मनोरोगियों की संख्या बढ़ी है और डिप्रेशन और एंग्जायटी के मामले आ रहे हैं भविष्य में ये भयावह हो सकता है. लोग इसे गंभीरता से नही ले रहे हैं और इस समस्या के लिए सहायता भी नहीं ले रहे ऐसे में ठोस कदम उठाने होंगे जिस से ऐसे मामलों पर काबू पाया जाए.  सरकार के साथ साथ इसमें समाज की भी अपनी भूमिका होनी चाहिए लोग एक दूसरे की समस्या को समझें,एक दूसरे से अपनी परेशानी साझा करें और परस्पर समाधान ढूँढें, चर्चा करें तो अवश्य ही ये एक अच्छा विकल्प हो सकता है. किसी को कोरोना हो तो उस से चाहे मिल न सकें पर फिर भी उसके लिए एक सपोर्ट सिस्टम खड़ा करें उसे मोटीवेट करें ये भी एक कारगर उपाय है.

BIGG BOSS 14: हर ओकेजन के लिए परफेक्ट है निक्की तम्बोली के ये लुक्स

बिग बौस 14 के फिनाले की रेस से एली गोनी और कविता कौशिक के बाद अब  निक्की तम्बोली का भी ‘बिग बॉस 14’ से पत्ता साफ हो चुका है, जिसके बाद इस  इविक्शन से फैंस काफी हैरान हो गए हैं. वहीं फैंस के मुताबिक निक्की तम्बोली ‘बिग बॉस 14’ के टॉप 4 में रहने के काबिल थीं, जबकि कुछ लोग जैस्मिन जैसे कंटेस्टेंट को शो से बाहर आने की बात कह रहे हैं. लेकिन आज हम निक्की तम्बोली के इविक्शन या फिर उनकी जर्नी की नहीं बल्कि बिग बौस 14 में पहनें उन आउटफिट्स की बात करेंगे, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया है. वहीं पार्टी हो या शादी में जाने के लिए आउटफिट, हर लुक के लिए परफेक्ट रहेगें निक्की तम्बोली के ये खास लुक्स, जिसे आप ट्राय कर सकती हैं.

1. परफेक्ट है निक्की तम्बोली का गाउन

अगर आप बिग बौस 14 को करीब से देख रहे हैं तो निक्की तम्बोली का ये आउटफिट वेडिंग सीजन के लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल पिंक कलर के आउटफिट में निक्की तम्बोली बेहद खूबसूरत लग रही हैं, जिसे फैंस ने भी काफी पसंद किया था.

 

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2. पार्टी के लिए परफेक्ट है निक्की की ये ड्रैस

 

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अगर आप किसी पार्टी का हिस्सा बनने वाली हैं तो निक्की तम्बोली की ये शिमरी मिनी ड्रैस परफेक्ट औप्शन है. खूबसूरत ड्रैस में जितनी निक्की खूबसूरत लग रही हैं. औप भी इस ड्रैस के साथ अपने लुक पर चार चांद लगा सकती हैं.

3. रफ्फल साड़ी से सजाएं लुक

 

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बिग बौस 14 को अपने लुक्स से सजाने वाली निक्की तम्बोली की ये रफ्फल साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. हैवी ब्लाउज के संग लाइट कलर की रफ्फल साड़ी आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

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4. शरारा है परफेक्ट औप्शन

 

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अगर आप वेडिंग सीजन में शरारा ट्राय करना चाहती हैं या किसी फैमिली फंक्शन में शरारा पहनकर अपने लुक पर चार चांद लगाना चाहती हैं तो निक्की तम्बोली का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा.

5. शरारा कट लहंगा है परफेक्ट

 

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वेडिंग सीजन में नए लुक्स की काफी भरमार होती है और अगर आप निक्की तम्बोली के लुक्स को कौपी करना चाहती हैं तो शरारा के साथ हैवी ब्लाउज और हैवी दुपट्टा आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा.

6. मिरर लहंगा है परफेक्ट

 

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अगर आप मिरर वर्क ट्राय करना चाहती हैं तो निक्की तम्बोली का ये हैवी मिरर वर्क वाले ब्लाउज और दुपट्टे के साथ सिंपल लहंगा ट्राय करें ये आपके लुक को खूबसूरत बनाएगा.

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पार्टनर सही या गलत: कैसे परखें अपने सही पार्टनर को

आप की सगाई पक्की हो चुकी है. शादी में अभी समय है. सपने हैं, इच्छाएं हैं, उमंगें हैं, ललक है… आजकल आप को कोई अच्छा लगने लगा है. वह भी आप को कनखियों से देखता है. मिल्स ऐंड बून का रोमांस किताबों में ही नहीं, असल जीवन में भी होता है, ऐसा आप को लगने लगा है. उस रात पार्टी में जब आप बेहद खूबसूरत लग रही थीं, उस ने प्रपोज कर दिया वह भी आकर्षक अंदाज में. आप हवा में उड़ रही हैं. जिंदगी में इतने अच्छे पल पहले कभी नहीं आए थे. चाहा जाना किसे अच्छा नहीं लगता. फिर चाहने वाला विपरीतलिंगी हो, तो कहना ही क्या.

प्यार करना अच्छा एहसास है पर आज के माहौल को देखते हुए जहां लवजिहाद, फेक मैरिज, एसिड अटैक जैसे केसेज हो रहे हों, वहां थोड़ा सावधान रहना अच्छा है.

आप कैसे जान सकती हैं कि आप का बौयफ्रैंड, मंगेतर या लवर आप को चीट तो नहीं कर रहा? मनोचिकित्सकों, परिवार के परामर्शदाताओं, समाजसेवकों और पुलिस अधिकारियों से बातचीत के आधार पर कुछ बिंदु उभरे हैं, जिन्हें यदि आप देखपरख लें तो धोखा खाने से बच सकती हैं :

दिखावा ज्यादा करता हो

आप का पार्टनर चाहे रईस न हो, पर महंगे शौक रखता हो. उन का हर जगह प्रदर्शन करता हो. खुद को हाइप्रोफाइल कहलाना उसे पसंद हो. उधार ले कर स्टैंडर्ड लाइफ जीने में उसे आनंद आता हो तो सावधान हो जाएं. ऐसा शख्स भविष्य में किसी को भी संकट में डाल सकता है.

पैसों की खातिर गलत काम करने में वह हिचकिचाएगा नहीं. हो सकता है आप को भी उस ने सब्जबाग दिखा रखे हों, जितना आप उसे जानती हो, वह वैसा भी न हो.

ऐसे व्यक्ति को ध्यानपूर्वक नोटिस कीजिए. उस के बाद अपनी धारणा बनाइए.

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फिजिकल क्लोजनैस चाहता हो

अकसर उस की तारीफ में आप के हुस्न की तारीफ छिपी रहती हो. साथ घूमने जाने या मिलने के लिए वह एकांत स्थल या ऐक्सक्लूसिव प्लेस चुनता हो. मौका पाते ही आप को हाथ लगाने, चूमने या स्पर्शसुख प्राप्त करने से न चूकता हो. रिवीलिंग ड्रैसेज आप को गिफ्ट करता हो और उन्हें पहनने की फरमाइश करता हो. फोन पर सैक्सी मैसेज भेजता हो तो सावधान हो जाइए. जो मजनूं सीमाएं लांघते हैं वे विश्वसनीय नहीं होते. कौन जाने आप से फिजिकल प्लेजर हासिल करने के बाद वह आप को छोड़ दे. बेहतर है लिमिट में रहिए और उस की ऐसी हरकतों पर पैनी नजर रखिए.

अकसर पैसे उधार लेता हो

जमाना कामकाजी महिलापुरुष का बेशक है, पर जो पुरुष अपनी गर्लफ्रैंड, प्रेमिका, मंगेतर से पैसे उधार मांगता रहता हो उस से सावधान रहिए. मैरिज के बाद  वह आप पर पूर्णतया आर्थिक रूप से आश्रित नहीं हो जाएगा, इस की क्या गारंटी है. स्वावलंबी व आत्मनिर्भर पुरुष, पति या बौयफ्रैंड हर महिला चाहती है. पत्नियों पर आश्रित पुरुषों के साथ रिश्ते स्थायी तौर पर नहीं टिक पाते.

बातें छिपाता हो

लंबे रिश्ते के बाद भी यदि वह आप से बातें छिपाए, टालमटोल करे, दोस्तों से न मिलवाए, मोबाइल को न छूने दे तो सावधान रहिए. दाल में कुछ काला है. यदि मंगेतर या बौयफ्रैंड विदेश में काम करता हो तो उस के स्थानीय मित्रों, घर वालों, रिश्तेदारों से उस की कारगुजारियों पर नजर रखिए.

विदेश में जहां वह काम करता है उस संस्थान और दोस्तों के बारे में खंगालिए. जानकारी जुटाइए. उस के पैतृक गांव या कसबे से भी आप जानकारी जुटा सकती हैं. फेसबुक अकाउंट, व्हाट्सऐप या ईमेल से भी आप पता लगा सकती हैं. बात उसे बुरा लगने की नहीं, बल्कि खुद का भविष्य सुरक्षित रखने की है.

अजीबोगरीब व्यवहार करता हो

अचानक यों ही किसी दिन उस ने अपनी सगाई की अंगूठी उतार दी. आप को टाइम दे कर वह निर्धारित स्थल पर पहुंचना भूल गया, सार्वजनिक स्थल पर आप को बेइज्जत कर दिया या आप से ज्यादा अपनी भावनाओं को तवज्जुह देता हो तो चिंता की बात है.

दोहरा चरित्र या व्यवहार खतरे की घंटी है. व्यक्ति का असम्मानजनक व्यवहार या तो आप को डीवैल्यू करने के लिए या स्वयं स्थिर न हो पाने का नतीजा हो सकता है.

सामने कुछ, पीठ पीछे कुछ

दोहरापन, चुगलखोरी, छल किसी भी रिश्ते में दरार डाल सकते हैं. आप के सामने अच्छा और पीठ पीछे बुरा कहने वाला आप का अपना कैसे बन सकता है. आप का पार्टनर भी यदि ऐसा करता है तो वह यकीनन इस रिश्ते को ले कर सीरियस नहीं है.

उस के मित्रों के टच में रहिए ताकि फीडबैक मिल सके. यदि वह सामने पौजिटिव और पीठ पीछे नैगेटिव हो तो उसे खतरे की घंटी समझिए.

अकाउंट्स के बारे में न बताता हो

पार्टनर यदि वित्तीय मामलों में आप को शामिल नहीं करना चाहता हो, आप से छिपाए या बहाने बनाए, तो पड़ताल कर लीजिए. कोई भी रिलेशन विश्वास के आधार पर ही टिकता है.

बातें शेयर न करता हो

यदि पार्टनर अपनी बातें छिपाए और पूछने पर भी न बताए, उलटे, आप ही को टौंट करे और ओवरक्यूरियस कहे तो जाग जाइए. स्पष्टवादिता और सचाई रिश्ते की आधारशिला होती हैं.

महिला मित्र बनाम पुरुष सहकर्मी

पार्टनर खुद तो मित्रों के साथ काफी फ्री हो, वैस्टर्न व मौडर्न तरीकों से पेश आता हो पर आप के मेल कलीग्स को शक की दृष्टि से देखता हो तो सावधान हो जाइए. ऐसे पुरुष शादी के बाद भी फ्लर्ट करने की आदत नहीं छोड़ते.

बातबात पर झूठ बोलता हो

वजहबेवजह जब आप का पार्टनर छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलता हो तो यह इस बात का संकेत है कि कुछ तो संदिग्ध है. उस के साथ रहने वाले, उस के मैसेज, उस के फोन कौल्स, उस के संपर्क…यदि इन बातों पर वह झूठ बोलता हो तो निसंदेह कहीं कुछ गड़बड़ है.

अचानक व्यवहार में बदलाव

पार्टनर अचानक सफाईपसंद हो जाए, गाड़ी अपेक्षाकृत साफ रखने लग जाए, अपने पुराने परफ्यूम को छोड़ कर दूसरा लगाने लग जाए, बेहद रूमानी हो जाए या बिलकुल रूखा हो जाए तो किसी महिला मित्र की उपस्थिति अवश्यंभावी है. सावधान हो जाइए. आप से ध्यान हटना, आप को इग्नोर करना, आप में रुचि न लेना किसी अन्य महिला की उपस्थिति का प्रभाव है.

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जनूनी हो

यदि पार्टनर आप को दिलोजान से चाहता हो. किसी और की आप कभी नहीं हो पाएंगी, यह जताता रहता हो. आप की जुदाई को जीवनमरण का प्रश्न बना लेता हो तो सावधान हो जाइए. किसी कारणवश यदि यह रिश्ता टूट गया तो वह किसी भी सीमा तक जा सकता है. ऐसे प्रेमी से सावधान रहें. ऐसे जनूनी पुरुष असफल होने पर कुछ भी कर सकते हैं.

पार्टनर की कई बातें आप को अजीब लग सकती हैं. दिल से काम मत लीजिए, दिमाग से काम करें. जहां थोड़ा भी संशय हो, तसल्ली कर लीजिए. पार्टनर को बुरा लगेगा यह मत सोचिए. अपना विवेक रखिए. आखिर, थोड़ी सी सावधानी आप को भावी जीवन के दुखों से बचा सकती है.

Winter Special: सर्दियों में बनाएं आवंले की नई डिश

विटामिन-सी और ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स गुणों से भरपूर आंवला स्वाद और सेहत दोनों के लिए सही होती है, इन दिनों आंवले का सीज़न है, तो लगभग सभी महिलाएं किसी न किसी व्यंजन में आवंला ज़रूर शामिल करती हैं. आंवले से तैयार डिश सर्दियों के मौसम में खासा पसंद किये जाते है. सर्दी के मौसम में इसे सेहत के लिए सही माना जाता है. इसमें मौजूद विटामिन्स सर्दियों के मौसम में कई रूप से हेल्थ को मजबूती प्रदान करती है.

आंवले में मौजूद विटामिन सी इम्यूनिटी और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने का काम करता है. आंवला का सेवन किसी भी रूप में करना फायदेमंद ही साबित होगा. अगर आपको सर्दी के इस मौसम में आंवला खाना पसंद है, तो आज हम आपको आंवले से तैयार कुछ टेस्टी रेसिपीज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आसानी से घर पर बनाया जा सकता है.

आवंले की चटनी

सामग्री
8-10 आंवला,

8 से 10 लहसुन की कलियां,

3 से 4 हरी मिर्च,

धनिया पत्ती,

पुदीने की पत्तियां,

भुना हुआ जीरा

एक टेबलस्पून नींबू का रस,

एक टेबलस्पून सरसों का तेल

काला या सफेद नमक स्वादानुसार

विधि

आंवलों को काटकर उसकी बीज को निकाल दें साथ ही हरी धनिया, पुदीने की पत्तियां और हरी मिर्च को ठीक से साफ़ कर लें.
अब एक जार में कटे हुए आंवले, धनिया व पुदीना पत्ती, हरी मिर्च, नमक, लहसुन की कलियां और जीरे को डालकर पीस लें.

अब मिश्रण को एक बाउल में निकालकर उसमें नींबू और सरसों का तेल मिलाएं, और इसे पराठे, रोटी और समोसे व कचौरी के साथ सर्व करें.

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आवंले का अचार

आंवला-250 ग्राम,

सौंफ-1/2 चम्मच,

जीरा-1/2 चम्मच,

सरसों-2 चम्मच,

तेल-1 कप,

मेथी दाने-1/2 चम्मच,

हल्दी पाउडर-1/2 चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर-1/2 चम्मच,

नमक-स्वादानुसार,

हींग-1/2 चम्मच,

हरी मिर्च-7-8 बारीक़ कटी हुई,

कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर-1/2 चम्मच

बनाने का तरीका

सबसे पहले आप एक बर्तन में पानी गरम करके उसमें नमक और हल्का हल्दी डालकर आंवला को उबाल कर ठंडा कर लीजिये, और आंवला के अंदर से बीज को बाहर निकाल लीजिये.

अब आप मेथी दाना, सौंफ, जीरा और सरसों को मिक्सर में डालकर दरदरा पीस लीजिये.

अब एक पैन में तेल गरम करके हींग, हल्दी, कश्मीरी मिर्च, हरी मिर्च, नमक और पिसा हुआ मसाला डालकर कुछ देर भून लीजिये.

अब इसमें उबले हुए आंवले को डाले और एक बार चलाकर प्लेट से ढककर कुछ देर पकने के बाद गैस को बंद कर दीजिये.

आंवले का लड्डू

आंवला-300 ग्राम,

इलाइची पाउडर-1/2 चम्मच,

चीनी-150 ग्राम,

घी-2 चम्मच,

मीठा सोडा-1/2 चम्मच,

काजू पाउडर -2 चम्मच,

बादाम पाउडर -1/2 चम्मच,

चीनी-1/2 कप

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बनाने का तरीका

सबसे पहले आप आंवला को पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद उमसें से बीज को बहार निकालकर कद्दूकस कर लीजिये.

अब एक पैन गरम करके कद्दूकस आंवला और चीनी को डालकर कुछ देर चलाते हुए पका लीजिये.

दो से तीन मिनट पकने के बाद इसमें घी को डाले और अच्छे से मिक्स करके कुछ देर पका लीजिये.

4-5 मिनट बाद इसमें अन्य सामग्री को भी मिलाकर एक बार चला दीजिये और गैस को बंद कर दीजिये.

कुछ देर ठंडा होने के बाद हाथ में थोडा घी लगाकर मिश्रण में से लीजिये और लड्डू के आकार में बना लीजिये.

सही समय पर हो इलाज तो दूर होगी इन्फर्टिलिटी

शादी के बाद कपल्स सारी कोशिश करके भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो इसकी वजह इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन को माना जाता है. इसमें बच्चा पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है या फिर पूरी तरह खत्म हो जाती है.

आमतौर पर शादी के एक से डेढ़ साल बाद अगर बिना किसी प्रोटेक्शन के कपल्स रिलेशनशिप बनाने के बाद भी मां-बाप नहीं बन पाते हैं तो मेडिकली इन्हें इन्फर्टिलिटी का शिकार माना जाता है. इसमें समस्या महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है.

गाइनोकोलॉजिस्ट का कहना है कि इन्फर्टिलिटी की कई वजहें हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह देरी से शादी है. डॉक्टर का कहना है कि 20 से 35 साल तक महिलाओं की उम्र रीप्रोडक्टिव मानी जाती है. डॉक्टर का कहना है कि उम्र की वजह से महिलाओं में प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी अंडे की भी कमी हो जाती है. 35 साल के बाद अंडे कम होना आम बात है.

लाइफस्टाइल भी है एक कारण

एक्सपर्ट्स का कहना है कि लाइफस्टाइल भी एक वजह बन रही है. देर रात तक जागना, स्मोकिंग, अल्कोहल लेना, डायबिटीज, स्ट्रेस की वजह से बांझपन की समस्या हो सकती है. इसमें से एक पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज भी है, जिसकी वजह से महिलाओं मे बहुत-सी बीमारियां आम हो गई हैं.

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60 से 70 प्रतिशत महिलाओं में ओवुलेशन की क्रिया ही नहीं होती. वजन बढ़ना और एक्सरसाइज न करने से भी सही मात्रा में हार्मोन नहीं बन पाते. इसके अलावा, इंडोक्राइन डिसऑर्डर जिसकी वजह से थायराइड जैसी समस्या हो जाती है. इसे कंट्रोल किए बिना बच्चा पैदा नहीं किया जा सकता है. डॉक्टर का कहना है कि बांझपन के अधिकांश कारण का इलाज है. सही समय पर डॉक्टर के पास जाएं.

ट्यूब ब्लॉक होना

कई बार इन्फेक्शन की वजह ट्यूब ब्लॉक हो जाना भी इसकी बड़ी वजह है. पेलिवक इन्फेक्शन और टीबी की वजह से यह ट्यूब ब्लॉक हो जाता है.

फाइब्रायड बनना भी वजह

आजकल महिलाओं में फाइब्रायड बनने की भी वजह से बांझपन देखा जा रहा है. पिछले कुछ सालों में फाइब्रायड बनने के मामले में काफी तेजी देखा जा रहा है. इसके अलावा इंडोमेट्रोसियोसिस की समस्या भी है.

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Winter Special: घर पर बनाएं हेल्दी और टेस्टी पालक पूरी

अक्सर घर में पालक बने तो फैमिली का मुंह बनने लगता है, लेकिन सभी को पता है कि पालक हेल्थ के लिए कितना हेल्दी है. पालक आयरन से भरपूर होता है. इसीलिए पालक खाना जरूरी है, लेकिन अगर आप को नया टेस्ट देकर खिलाएं तो ये आपकी फैमिली को भी पसंद आएगा. इसीलिए आज हम आपको पालक से बनी पूरी की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली को लंच या डिनर में खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

पालक-01 पाव,

आटा – 04 कप,

रवा – 03 बड़े चम्मच,

हरी मिर्च – 04,

जीरा पाउडर – 01 छोटा चम्मच,

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धनिया पाउडर – 01 छोटा चम्मच,

हल्दी पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच,

तेल– 03 छोटे चम्मच और तलने के लिए आवश्यकतानुसार,

नमक – स्वादानुसार

बनाने का तरीका

– सबसे पहले पालक को अच्छी तरह से धो लें. इसके बाद पालक को बारीक-बारीक काट लें.

– अब कटी हुई पालक में आटा डाल कर आवश्यकतानुसार पानी का प्रयोग करते हुए थोड़ा सख्त आटा गूंथ लें.

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– आटा गूंथने के बाद तलने के लिए रखे गये तेल को छोड़कर सारी सामग्री आटे में मिला लें और उसे एक बार फिर से गूंथ को एकसार कर लें.

– गुंथा हुआ आटा आधा घंटे के लिए रख दें. उसके बाद मनचाहे आकार की पूरियां बेलें और उन्हें तल लें और गरमागरम अपनी फैमिली को किसी भी सब्जी के साथ या अचार के साथ परोसें.

क्या परिवार नियोजन औपरेशन करा लेना ठीक होगा?

सवाल

मेरे पति की उम्र 32 और मेरी 30 साल है. बेटा 3 साल का और बेटी 6 साल की है. अब हम आगे और संतान के इच्छुक नहीं है. क्या हम में से किसी एक का परिवार नियोजन औपरेशन करा लेना ठीक होगा? क्या उन का औपरेशन कराना अधिक सही रहेगा?

जवाब-

यदि पतिपत्नी यह मन बना लें कि उन का परिवार पूरा है और उन्हें आगे संतान की इच्छा नहीं है तो दोनों में से किसी एक का परिवार नियोजन औपरेशन करा लेना समझदारी वाला फैसला है.

यह औपरेशन स्त्रीपुरुष दोनों में ही आसानी से किया जा सकता है. अगर पतिपत्नी यह मन बना लें कि औपरेशन पत्नी को करवाना है तो इस का सब से अच्छा समय बच्चे को जन्म देने के 48 घंटों के भीतर है. उस समय औपरेशन कराना आसान होता है और स्त्री को आराम भी आसानी से मिल जाता है. यदि किसी स्त्री को सीजेरियन की जरूरत पड़ती है, तो उसी सीटिंग में यह औपरेशन भी किया जा सकता है.

मगर आप चूंकि मां बनने के दौर से गुजर चुकी हैं, इसलिए यदि आप के पति इस औपरेशन के लिए राजी हैं, तो यह निर्णय बेहतर होगा. स्त्री की तुलना में पुरुष में यह औपरेशन अधिक सुगमता से किया जा सकता है.

परिवार नियोजन औपरेशन करने के कई तरीके हैं. हर विधि के पीछे मूल लक्ष्य यही रहता है कि औपरेशन के बाद स्त्रीपुरुष के संतान बीज आपस में न मिल सकें. इसी दृष्टि से स्त्री में डिंबवाही नलियों को और पुरुष में शुक्राणुवाही नलियों पर या तो छल्ला कस कर या शल्यकर्म से काट कर अवरोधित कर दिया जाता है ताकि डिंब और शुक्राणु के मेलमिलाप की स्थिति न बन सके. स्त्री में यह औपरेशन ट्यूबेक्टोमी और पुरुष में यह वैसेक्टोमी के नाम से जाना जाता है.

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ट्यूबेक्टोमी के औपरेशन में पेट के निचले भाग में दोनों ओर आधेआधे इंच का चीरा लगाया जाता है. इस लैप्रोस्कोपिक स्टरलाइजेशन में दूरबीन जैसे विशेष यंत्र से डाक्टर श्रोणिगुहा के भीतर डिंबवाही नलियों को ढूंढ़ कर उन पर छल्ला कस देते हैं. इस ट्यूबेक्टोमी के 2-3 दिनों बाद ही स्त्री सामान्य दिनचर्या में लौट आती है.

वैसेक्टोमी के औपरेशन में जांघ के थोड़ा ऊपर, बिलकुल छोटा सा गेहूं के दाने जितना चीरा लगा कर शुक्राणुवाही नली को बंद कर दिया जाता है. औपरेशन लोकल ऐनेस्थीसिया में ही किया जा सकता है. अगले 15 दिनों तक पुरुष को मात्र यह सावधानी बरतनी होती है कि न वजन उठाए और न साइकिल चलाए.

परिवार नियोजन औपरेशन कराने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि यह युक्ति एक अनपलट उपाय है. कभी बाद में मन बदले और पतिपत्नी फिर से बच्चा करने का मन बनाएं तो यह काम आसान नहीं है. हालांकि तकनीकी स्तर पर अवरोधित शुक्राणुवाही नलियों या डिंबवाही नलियों को फिर से खोलने के लिए रिकेनलाइजेशन औपरेशन किया जा सकता है, पर दुनिया के अच्छे से अच्छे केंद्रों में इस औपरेशन में 20-30% मामलों में ही सफलता मिल पाती है. अत: परिवार नियोजन औपरेशन कराने का निर्णय तभी लेना उचित होता है जब या तो बच्चे थोड़े बड़े हो जाएं या मन बिलकुल स्पष्ट हो कि आगे जैसी भी स्थितियां बनें फिर बच्चा नहीं करेंगे.

कुछ लोग यह सोचते हैं कि परिवार नियोजन औपरेशन कराने के बाद पुरुष की ताकत और स्त्री का नारीत्व ढल जाता है. यह सोच बिलकुल गलत और निराधार है. सचाई यह है कि इस औपरेशन के बाद शरीर का हर अंग लगभग पहले जैसे ही काम करता रहता है. न तो जनन अंगों के आकार में, न ही उन की क्षमता में कोई कमी आती है.

यदि पुरुष यह औपरेशन करवाता है तो औपरेशन के बाद उस की अंडग्रंथियां पहले की ही तरह काम करती रहती हैं. उन में सैक्स हारमोन शुक्राणु का निर्माण पहले जैसा ही होता रहता है. यौन सामर्थ्य भी पहले जैसी रहती है और स्खलन के समय वीर्य का भी उत्सर्जन होता है. फर्क सिर्फ इतना होता है कि अब वीर्य में शुक्राणु नहीं होते.

इसी प्रकार यदि स्त्री यह औपरेशन करवाती है तो उस की डिंबग्रंथियां भी पहले की ही तरह हर मासिकचक्र में सैक्स हारमोन का निर्माण करती हैं. उन में पहले की ही तरह डिंब के पकने और छूटने की भी पूरी तैयारी होती है और मासिकचक्र पूरा होने पर गर्भाशय से रज का भी त्याग होता है. अंतर सिर्फ इतना होता है कि अब डिंब अवरोधित डिंबवाली नली के इस ओर ही रह जाता है, आगे नहीं बढ़ पाता जो उस का शुक्राणु से मिलन हो सके.

औपरेशन करवाने के बाद न तो स्त्री की कामेच्छा, न पुरुष की यौन सामर्थ्य पर कोई बुरा असर पड़ता है. हां, जीवन आगे के लिए परिवार नियोजन विधियों से अवश्य मुक्त हो जाता है. यदि स्त्री यह औपरेशन करवाती है तो औपरेशन के तुरंत बाद प्रजनन के दायित्व से मुक्त हो जाती है और यदि पुरुष औपरेशन करवाए तो यह बात उस पर लागू नहीं होती. औपरेशन के अगले 3 महीनों तक उसे या उस की यौनसंगिनी को कोई न कोई मनपसंद गर्भनिरोधक विधि अपनानी जरूरी है. जब

3 महीने बाद वीर्य जांच से यह सिद्ध हो जाए कि वीर्य में शुक्राणु आने बंद हो गए हैं तभी वह अपनेआप को परिवार नियोजन विधियों से मुक्त मान सकता है.

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तो सर्दियों में भी बाल रहेंगे मुलायम

सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है, जिस का बालों पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है. मगर आप घबराएं नहीं, क्योंकि इन सर्दियों में बालों की सेहत बनाए रखने के लिए हम कुछ आसान तरीके जो बता रहे हैं:

मां के नुस्खें

– बाल रूखे होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. आप जितना ज्यादा पानी पीएंगी आप का शरीर उतना ही हाइड्रेट बना रहेगा.

– एक बरतन में 2 नीबुओं के रस में थोड़ा पानी मिला कर घोल बना लें. अब इस घोल को स्कैल्प में लगाएं और उंगलियों से हलकीहलकी मसाज करें. कुछ देर लगाए रखने के बाद बालों को ठंडे पानी से धो लें. इस से बालों की नमी बनी रहेगी.

– अंडा बालों के लिए एक नैचुरल कंडीशनर होता है, इसलिए एक बरतन में 2 अंडे फोड़ कर उन में नीबू का रस और थोड़ा सा औलिव औयल डाल कर घोल बना कर उसे स्कैल्प में लगाएं. सूख जाने पर माइल्ड शैंपू की मदद से धो लें.

– ऐलोवेरा जूस और दही को बराबर मात्रा में मिला कर स्कैल्प में लगाएं और 30-40 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें. सप्ताह में 2 बार इस उपाय से बालों का रूखापन हमेशा के लिए चला जाएगा.

– जोजोबा औयल, औलिव औयल या नारियल का तेल रूखे बालों के लिए अच्छा होता है, इसलिए सप्ताह में 2 बार इन में से किसी भी औयल से रात को बालों की मालिश कर सिर ढक कर सो जाएं. सुबह बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें.

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ऐक्सपर्ट की राय: मुंबई के फेमस डर्मैटोलौजिस्ट डाक्टर मुर्थे का कहना है कि सप्ताह में 2 से 3 बार कोकोनट औयल, ऐवोकाडो औयल, कैस्टर औयल और बादाम औयल बराबर मात्रा में मिला कर स्कैल्प में लगा कर उंगलियों से हलकी मसाज करें. इसे रातभर लगाए रखने के बाद सुबह बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें. ऐसा करने से बालों को हर तरह का पोषण एकसाथ मिल जाता है.

डाइट में बदलाव जरूरी

सिर्फ उपचार से ही नहीं, बल्कि खानपान में बदलाव से भी बालों की चमक और नमी वापस लौट सकती है. बस जरूरत है अपने खाने में इन जरूरी तत्त्वों को जोड़ने की:

– आयरन की कमी से शरीर में रैड सैल्स अच्छी तरह काम नहीं कर पाते, जो हमारे शरीर के सैल्स तक औक्सीजन पहुंचाते हैं. स्कैल्प में औक्सीजन न पहुंच पाने की वजह से बालों की ग्रोथ रुक जाती है, इसलिए भोजन में आयरनयुक्त पदार्थ जैसे पालक, रैड मीट, बींस, ब्रोकली, सीफूड, टमाटर, मसूर दाल आदि जरूर शामिल करें.

– जिंक बौडी में ही नहीं, बल्कि स्कैल्प में भी हारमोंस लैवल बैलेंस कर बालों का झड़ना कम करता है. इस की कमी से बालों का प्रोटीन स्ट्रक्चर टूटने लगता है और यही वजह है कि बाल कमजोर हो जाते हैं. जिंक बालों के टिशूज के बढ़ने में भी मदद करता है, इसलिए अगर आप लंबे और घने बाल चाहती हैं तो खाने में बींस, नट्स, अंडा, शकरकंद और ऐवोकाडो जरूर शामिल करें.

– मैग्नीशियम बालों के सैल्स को ठीक कर बालों के बढ़ने में मदद करते हैं. इन की कमी से कैल्सियम स्कैल्प में जमा होने लगता है, जिस से सिर की त्वचा सांस नहीं ले पाती और बाल झड़ने लगते हैं. अगर आप के बाल भी ज्यादा झड़ रहे हैं तो अपने भोजन में मछली, ड्राई फूट्स, केला, हरी सब्जियां, डार्क चौकलेट, दही, बींस, नट्स, दाल, अनाज जैसी चीजें शामिल करें.

– प्रोटीन फाइबर की मदद से बाल घने होते हैं. इस की कमी की वजह से बाल झड़ने लगते हैं. इसलिए जिन के बाल ज्यादा झड़ते हों उन्हें मछली, दाल, अंडा, दूध, पनीर, डेट्स, स्प्राउट, बींस, चिकन जैसी चीजें खानी चाहिए.

विटामिन बालों के लिए बेहद जरूरी है, खासतौर पर विटामिन ए और ई जो डैमेज हेयर टिशूज को रिपेयर कर सैल ग्रोथ में मदद करते हैं. ये हमारे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रखते हैं. विटामिन ए की पूर्ति के लिए शकरकंद, अंडे का पीला हिस्सा, दूध, पालक, आम, बटर, गाजर और ब्रोकली खाएं. विटामिन ई की कमी पूरी करने के लिए बादाम, मछली, पालक, पपीता, ऐवोकाडो, ब्रोकली, कीवी, पिस्ता, शिमलामिर्च, टमाटर का सेवन करें.

ऐक्सपर्ट की राय: डाक्टर मुर्थे के अनुसार इन खा-पदार्थों के अलावा आप बायोटिन युक्त टैबलेट्स ले सकती हैं, जो बालों की अंदरूनी देखभाल के लिए जरूरी होते हैं. इस के अलावा आप सप्लिमैंट्स के तौर पर मल्टीविटामिन टैबलेट्स का भी सेवन कर सकती हैं. बालों की ग्रोथ के लिए शरीर में हीमोग्लोबिन की सही मात्रा का होना बेहद जरूरी है, इसलिए आयरन टैबलेट्स का भी सेवन करें. ये शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाते हैं.

डा. रिंकी कहती हैं कि ओमेगा और फैटी ऐसिड युक्त भोजन करें. जो नौनवैज खा सकते हैं उन्हें ओशियन फिश, रैड मीट और अंडे खाने चाहिए और जो वैजिटेरियन हों उन्हें ऐवोकाडो, फ्लैक्स सीड्स, ओट्स, मिल्क प्रोडक्ट्स इत्यादि खाने चाहिए. इन के साथसाथ ऐसे फल और सब्जियां खानी चाहिए, जो चटक रंगों में आती हैं जैसे गाजर, बीटरूट, लाल भाजी, सेब, इत्यादि.

आजमाएं प्रोफैशनल ट्रीटमैंट

प्रोफैशनल हेयर स्टाइलिस्ट शाहजाद खान का कहना है कि कई बार महिलाओं के बाल इतने रूखे हो जाते हैं कि उन्हें प्रोफैशनल ट्रीटमैंट की जरूरत पड़ती है. यह ट्रीटमैंट आप डर्मैटोलौजिस्ट या प्रोफैशनल सैलून में करवा सकती हैं.

कैरोटिन ट्रीटमैंट: यह एक तरह का प्रोटीन ट्रीटमैंट है, जिस में बालों की अंदरूनी सतह कोटैक्स रिपेयर की जाती है. इस ट्रीटमैंट से ड्राई और बेजान, टूटतेगिरते बालों को ठीक किया जाता है. इस से बालों में चमक तो आती ही है, साथ ही वे मजबूत और घने भी हो जाते हैं.

सिस्टीन ट्रीटमैंट: यह भी कैरोटिन की ही तरह प्रोटीन ट्रीटमैंट होता है, जो खासतौर पर उलझे बालों को ठीक करने का काम करता है. यह ट्रीटमैंट उन के लिए है, जिन के बाल घुंघराले होने के साथसाथ रूखे भी होते हैं.

ऐक्सपर्ट की राय: डा. मुर्थे बताते हैं कि रूखे बेजान बालों के लिए 2 तरह के ट्रीटमैंट उपलब्ध हैं. एक है लेजर ट्रीटमैंट. इस में लेजर कोंब की मदद से बालों की अंदरूनी सतह रिपेयर की जाती है और दूसरा है मिजो थेरैपी. इस के इस्तेमाल में एक तरह के कैडिकेटेड घोल को स्कैल्प में डाल कर बालों की जड़ों को प्रोटीन दिया जाता है. ये दोनों ही ट्रीटमैंट बेहद कारगर होते हैं.

डा. रिंकी बताती हैं कि बेजान और रूखे बालों के लिए क्यूआर 678 थेरैपी की 8 से 10 सिटिंग्स लेनी जरूरी हैं, तो पीआरपी थेरैपी, जिसे वैंपायर थेरैपी भी कहा जाता है, भी बेहद कारगर मानी जाती है. इस में शरीर से खून ले कर उसे स्कैल्प में इंजैक्ट किया जाता है.

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करें इस्तेमाल ये प्रोडक्ट्स

बालों की हेयर स्टाइलिस्ट रश्मि धुले बताती हैं कि कई बार कुछ महिलाएं गलत प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर स्कैल्प डैमेज कर लेती हैं. इसलिए उन प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जो बालों को नुकसान से बचाते हों.

बोअर ब्रिस्टल ब्रश: यह बालों से निकलने वाले नैचुरल औयल को स्कैल्प में अच्छी तरह फैलाने में मदद करता है. इस से बालों की फ्रिजिनैस कम होती है और स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है.

हीट प्रोटैक्टिंग स्प्रे: अगर आप ज्यादातर स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करती हैं, तो आप को इस प्रोडक्ट की बहुत जरूरत है. चाहे वह हेयर स्टे्रटनर हो या ड्रायर, इन के इस्तेमाल से पहले आप को हीट प्रोटैक्टिंग स्प्रे लगाना चाहिए, जो बालों के ऊपर एक कोट बना देता है, जिस से बाल डैमेज नहीं होते.

लिव इन कंडीशनर: इस के इस्तेमाल से बाल लंबे समय तक नर्ममुलायम रहेंगे और उन्हें मैनेज करना भी आप के लिए आसान हो जाएगा. बालों को धोने के बाद इसे मिड लैंथ से बालों के सिरे तक लगाएं और इसे बालों में लगा रहने दें, क्योंकि इसे धोने की जरूरत नहीं पड़ती.

ऐक्सपर्ट की राय: डाक्टर मुर्थे के अनुसार बालों के लिए हमेशा कम इनग्रीडिएंट वाले शैंपू का इस्तेमाल करें. ऐसे शैंपू का इस्तेमाल, जो बेहद माइल्ड और सोप फ्री हो, बालों के लिए अच्छा रहेगा. अगर बालों में रूसी हो तो सोप वाले शैंपू का इस्तेमाल करना चाहिए.

डा. रिंकी बताती हैं कि ऐसी महिलाओं को जिन्हें बाहर जा कर काम करना पड़ता है, उन के लिए रोजाना शैंपू करना जरूरी हो जाता है. ऐसे में बालों को नुकसान पहुंचे बगैर शैंपू करना हो तो सल्फेट फ्री मैडिकेटेड शैंपू का इस्तेमाल करना चाहिए.

निशान: शादी से इनकार क्यों करती थी मासूमी

Serial Story: निशान (भाग-2)

पूर्व कथा

हर मातापिता की तरह सुरेश और सरला भी अपनी बेटी मासूमी को धूमधाम से विदा कर ससुराल भेजना चाहते हैं. 2 भाइयों की इकलौती बहन मासूमी खूबसूरत होने के साथ घर के कामों में दक्ष है. उस के रिश्ते भी खूब आते लेकिन जब शादी की बात पक्की होने को आती, उसे दौरे पड़ जाते. वह चीख उठती और रिश्ता जुड़ने से पहले टूट जाता. एक दिन मौसी ने मासूमी से उस के दिल की बात जाननी चाही तो वह बोली, ‘मौसी, आप ने ऐसा सोचा भी कैसे…’ वहीं, मासूमी को कई बार विवाह की महत्ता का एहसास होता रहा. वह सोचने लगी कि उसे भी शादी कर घर बसा लेना चाहिए. 28 साल की हो चुकी मासूमी का नया रिश्ता आया तो सभी ने सोचा कि यह रिश्ता चूंकि काफी समय बाद आया है, लड़का अच्छा पढ़ालिखा व उच्च पद पर है और मासूमी ज्यादा समझदार भी हो गई है, अत: वह इस रिश्ते को हरी झंडी दे देगी लेकिन मासूमी को लगा कि वह विवाह का रिश्ता संभालने में असफल रहेगी. उधर वह अपने पापा से बेहद डरीसहमी रहती थी. स्कूल से घर आते ही उस का पहला प्रश्न होता, ‘मां, पापा तो नहीं आ गए, राकेश भैया स्कूल गए थे या नहीं, दोनों भाइयों में झगड़ा तो नहीं हुआ?’ सरला उसे परेशानी में देख कहती, ‘तू क्यों इन चिंताओं में डूबी रहती है? अरे, घर है तो लड़ाईझगड़े भी होंगे.’ इसी असमंजस में फंसी मासूमी स्कूल से कालेज में आ गई थी और आज फिर वह दिन आ गया था जो किसी आने वाले तूफान का संकेत दे रहा था…

अब आगे…

भाई राकेश का मुकदमा मां की अदालत में था. मांपिताजी दोनों की चुप्पी आने वाले तूफान का संकेत दे रही थी. किसी भी क्षण झगड़ा होने वाला था. इसलिए मासूमी फिर पिता की ओर बढ़ कर बोली, ‘‘पापा, आप हाथमुंह धोएं, मैं चाय बनाती हूं.’’

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रसोई में जा कर भी मासूमी का मस्तिष्क उलझा रहा. पापा काम से थकेहारे आते हैं. ये बातें तो बाद में भी हो सकती हैं. भाई राकेशप्रकाश भी अब बड़े हैं, उन्हें अपनी जिम्मेदारियां समझनी चाहिए. समय से घर आना व पढ़ना चाहिए पर दोनों कुछ खयाल ही नहीं रखते. मासूमी अकसर पिता का पक्ष लेती. इस के पीछे छिपा कारण यह था कि वह मां को गुस्से से बचाना चाहती थी लेकिन सरला को शिकायत होती कि वह सबकुछ जानते हुए भी पिता का पक्ष लेती है.

पिता चाय की प्याली ले कमरे में चले गए और मासूमी से पूछा, ‘‘तुम्हारी मां को क्या हुआ?’’

‘‘कुछ नहीं, क्यों? आप से कुछ कहा?’’ मासूमी ने अनजान बन कर पूछा.

‘‘नहीं, कहा तो नहीं पर लग रहा है कुछ गड़बड़ है. जाओ, बुला कर लाओ मां को,’’ उन्होंने आदेश देने के अंदाज में मासूमी से कहा तो उस का दिल अनजानी आशंका से धड़क उठा.

दरवाजे पर खड़ी मां तमतमाए चेहरे से उसे देख कर बोलीं, ‘‘रसोई में जाओ और खाने की तैयारी करो.’’

‘‘जी,’’ कह मासूमी बाहर निकल गई पर उस के पैर कांपने लगे थे. हमेशा यही होता था. जब घर में कलह होती तो उसे रसोई में जाने का आदेश मिल जाता था. और फिर वह पल आ गया जिस से उस का मन हमेशा कांपता था. अंदर मां पापा से कह रही थीं :

‘‘देखिए, आज मैं आप से ऐसी बात कहने वाली हूं जिस में आप की, बच्चों की व इस घर की भलाई है. यह समझ लीजिए कि घर के इस माहौल ने मासूमी की जिंदगी पर गहरा असर डाला है. हमेशा एक तानाशाह बन कर घर पर राज किया है. मुझे बराबरी का दर्जा देना तो दूर, आप ने हमेशा अपने पैर की जूती समझा है. मैं ने फिर भी कुछ नहीं कहा. मासूमी भी मुझे ही चुप कराती है, क्योंकि वह लड़ाईझगड़े से डरती है लेकिन अब मामला दोनों लड़कों का है. अब राकेश ने भी कह दिया है कि पापा हमें दूसरों के सामने बेइज्जत न करें. संभालिए खुद को वरना कल प्रकाश घर से भागा था अब कहीं राकेश भी…’’

‘‘कर चुकीं बकवास. खबरदार, अब एक शब्द भी आगे बोला तो,’’ अंगारों सी लाल आंखें लिए मुट्ठियां भींचे सुरेश की कड़क आवाज दूर तक जा रही थी, ‘‘कान खोल कर सुन लो, बच्चों को बिगाड़ने में सिर्फ तुम्हारा हाथ है. तुम्हारे कारण ही वे इतनी हिम्मत करते हैं. कहां है वह उल्लू का पट्ठा, मेरे सामने कहता तो खाल खींच देता उस सूअर की औलाद की.’’

‘‘गाली देने से झूठ, सच नहीं हो जाता. तुम्हें बदलते वक्त का अंदाजा नहीं. बच्चों के साथ कदम नहीं मिला सकते तो उन का रास्ता मत रोको,’’ सरला भी तैश में आ गई थीं.

जिस बात से दूर रखने के लिए सरला ने मासूमी को रसोई में भेजा था वे सारी बातें दीवारों की हदें पार कर उस के कानों में गूंज रही थीं.

सुरेश मर्दों वाले अंदाज में सरला की कमजोरियों को गिनवा रहे थे और दोनों बेटे मां की बेइज्जती पर दुख से पहलू बदल रहे थे तो मासूमी दोनों भाइयों को फटकार रही थी :

‘‘लो, पड़ गया चैन. एक दिन भी घर में शांति नहीं रहने देते. रोज कोई न कोई हंगामा होता है. रोज के झगड़ों से मेरी जान निकल जाती है. इस से अच्छा है, मैं मर ही जाऊं. ऊपर से मौसी, बूआ रोज आ कर अपने पतियों की वीरगाथाएं सुनाती हैं कि वे उन से लड़ते हैं. क्या सारे पुरुष एक से होते हैं? उन्हें यही करना होता है तो वे शादियां ही क्यों करते हैं?’’

प्रकाश गुस्से से गुर्राया, ‘‘तुम चुप ही रहो. सारा दोष मांपिताजी का है. हर समय ये झगड़ते रहते हैं. पापा तो सारी उम्र हमें बच्चा ही समझते रहेंगे. जब मन में आया डांट दिया, जब मन आया गाली दे दी.’’

उधर मां की तेज आवाज आने पर मासूमी मां की ओर बढ़ी, ‘‘मां, रहने दो. आप ही चुप हो जाइए. आप को पता है कि पापा अपनी बात के आगे किसी की नहीं सुनते तो आप मत बोलिए.’’

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‘‘तू हट जा. आज फैसला हो कर रहेगा. मुझे गुलाम समझ रखा है. बाप रौब जमाता है तो बेटे अलग मनमानी करते हैं. तेरा क्या है, शादी के बाद अपने घर चली जाएगी, पर मेरे सामने तो बुढ़ापा है. अगर तेरे पिता का यही हाल रहा तो क्या दामाद और बहुओं के सामने भी ऐसे ही गालियां खाती रहूंगी? नहीं, आज होने दे फैसला,’’ मां बुरी तरह हांफ रही थीं और मासूमी रो रही थी.

राकेश बोला, ‘‘क्यों रोती है? हम बच्चे तो नहीं कि हर बात को सही मान लें.’’

आगे पढ़ें- मासूमी चिल्लाई…

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