लोग आपसी मतभेद भूलाकर एक दूसरे से मिलकर रहे – बिलाल अब्बास खान

पाकिस्तानी अभिनेता बिलाल अब्बास खान की वेब फिल्म ‘एक झूठी लव स्टोरी’ ज़ी5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर पहली बार रिलीज हो चुकी है. अभिनय के क्षेत्र में आने की इच्छा रखने वाले बिलाल इस बात से बहुत खुश है, क्योंकि इसे हिंदी और उर्दू में दिखाया जा रहा है. इससे भारत के सभी दर्शक देख सकते है. कराची में जन्में बिलाल को इस फिल्म में काम करना बहुत अच्छा लगा, क्योंकि ये एक कॉमेडी और ड्रामा फिल्म है, जो लोगों का मनोरंजन करती है. बिलाल कहते है कि इस फिल्म के डायरेक्टर के साथ मैं हमेशा से काम करना चाहता था. कहानीकार भी बहुत ही नामचीन है, ऐसे में इसकी स्क्रिप्ट, कहानी और भूमिका सब कुछ मुझे अच्छा लगा. साधारण कहानी में एक अच्छीमेसेज दी गई है. साथ ही मुझे एक नया चरित्र करने को मिला, जिसे लोग पसंद कर रहे है, मेरे लिए यही ख़ुशी है.

रिलेट करना हुआ आसान

बिलाल को हर तरह की फिल्मों में काम करना पसंद है. इस फिल्म में बिलाल ने एक आम लड़के की भूमिका निभाई है, जिससे दर्शक खुद को रिलेट कर सकते है और यही इस कहानी की खूबी है. उनका कहना है कि ये एक सिचुएशनल कॉमेडी वाली फिल्म है, जो दो घरों की बातों को मजेदार रोमांटिक और इमोशनल तरीके से बताती है.इससे मैं खुद भी काफी हद तक रिलेट कर पाता हूं. इसके लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी. ये चरित्र डिमांडिंग नहीं है. चरित्र के लुक को थोडा समय देना पड़ा. परफोर्मेंस की अगर बात करें, तो इसे करने में मुश्किल नहीं आई. मेरे कम्फर्ट जोन से अलग नहीं था. मैंने हमेशा कम्फर्ट जोन से हटकर काम करने की कोशिश की है, ताकि मेरी काम करने की सीमा को थोडा और आगे बढ़ाने के लिए मेहनत करूँ.

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परिवार का मिला सहयोग

बिलाल ने अपनी पढाई पूरी करते हुए थिएटर से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. परिवार में माँ की इच्छा के लिए उन्होंने अपनी पढाई मनेजमेंट में पूरी की, ताकि फिल्मों में सफलता अगर न भी मिले तो वे कुछ दूसरा काम कर सकें. पहली बार जब पेरेंट्स को उन्होंने अभिनय की बात कही, तो परिवार वालों ने मना नहीं किया, क्योंकि वे जानते थे कि बिलाल थिएटर में काम करते है और ये उनका शौक है. बिलाल कहते है कि परिवार का सहयोग हमेशा रहता है और किसी भी फिल्म, टीवी या वेब शो को वे देखते है और अपनी प्रतिक्रिया देते है. उनकी वजह से मैं यहाँ तक पहुंचा हूं.

डिजिटल प्लेटफॉर्म क्रिएट करना है ड्रीम 

वेब सीरीज और फिल्मों में बिलाल काफी अंतर समझते है. वे कहते है कि साउंड, तकनीक, कैमरा वर्क आदि सारी चीजों में छोटी-छोटी फर्क होता है. परफोर्मेंस एक ही रहता है. भूमिका के हिसाब से वे एक्टिंग करते है. आगे वे पाकिस्तान के लिए डिजिटल प्लेटफार्म क्रियेट करना चाहते है, ताकि  अभिनय करने वालों को अधिक से अधिक अभिनय का मौका मिले.

रखनी है सकारात्मक सोच

बिलाल कभी भारत नहीं आये है, पर वे दिल्ली, मुंबई राजस्थान आदि जगहों से प्रेरित है और उन्हें आना है. दिल्ली और मुंबई के बारें में कई अच्छी बातें उन्होंने सुन रखी है. वहाँ जाकर वे कई चीजे एक्सप्लोर करना चाहते है. उनका मानना है कि लोगों को हमेशा पॉजिटिव रहना चाहिए और इसे सबमें बाटने की जरुरत है, ताकि आपसी मतभेद भूलाकर लोग एक दूसरे से मिलकर रहे.

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पति वनराज और काव्या की शादी के लिए तैयार हुई अनुपमा! पढ़ें खबर

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसके कारण यह सीरियल टीआरपी चार्ट्स में बना हुआ है. सीरियल के ट्रैक की बात करें तो इन दिनों अनुपमा अपने सम्मान और अस्तित्व को कायम करने के लिए पति वनराज से लड़ रही है. वहीं काव्या, वनराज को हासिल करने के लिए नई चाले चल रही है. इसी बीच आने वाले दिनों में सीरियल में कई नए ट्विस्ट और टर्न्स देखने को मिलने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज को छिनने की कोशिश करेगी काव्या

अनुपमा के बदले व्यवहार से काव्या डर चुकी है, जिसके चलते वह पूरी कोशिश कर रही है कि वनराज को अनुपमा से दूर कर दिया जाए. इसी लिए वह अनुपमा को घर से निकलवाने की भी कोशिश कर रही है, जिसमें वह अभी तक नाकामयाब है.

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काव्या-वनराज की शादी के लिए मानेगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा से काव्या और उसकी शादी की बात कहेगा, जिसका जवाब देते हुए अनुपमा कहेगी कि वह कब शादी करना चाहता है, बेटे की शादी से पहले, बेटे की शादी के बाद या बेटे की शादी के दिन, जिसे सुनकर वनराज हैरान रह जाएगा. हालांकि वनराज और काव्या की शादी तय करने के पीछे अनुपमा का एक मुख्य मकसद रहेगा कि वनराज रियलिटी में अपने जिंदगी को जीकर व उन परिस्थितियों का सामना करे और अपनी गलतियों को महसूस करें.

बेटा देगा मां का साथ

बीते दिनों जहां समर ने वनराज को कहता है कि ‘कितना फर्क है ने मेरे दोनों पेरेंट्स में. मां सेल्फलेस और पिता शेमलेस.’ समर की इस बात को सुन कर वनराज गुस्से में आ जाता है और अपने बेटे का कॉलर पकड़ लेता है. समर कहता है- ‘मैं कमाता नहीं हूं ना, लेकिन जो आपने मेरी मम्मी को दर्द दिया है वो मैं आपको इंट्रस्ट के साथ लौटाऊंगा. आपने मेरी मम्मी का हक छीना आज मैं आपसे आपका हक छीन रहा हूं. मुझे बेटा कहने का हक.’ वहीं आने वाले एपिसोड्स में मां अनुपमा को घर में उसका हक दिलाने के लिए समर साथ देता नजर आएगा, जिसके बाद देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा की जिंदगी कैसे बदलेगी.

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Winter Tips: सर्दियों में बड़े काम की है छोटी सी लौंग

सर्दी को या गर्मी हर मौसम में लौंग का सेवन फायदेमंद होता है. कड़ाके की सर्दियों में अदरख , दालचीन और लौंग की चाय सभी को पसंद आती है. एक लौंग कई दर्द को भगाने का काम करता है. एक अच्छे एंटी ऑक्सीडेंट का काम करती है लौंग. यह एक बेहद स्वादिष्ट एवं सुगंधित मसाले के रूप में देखा जाता है परन्तु वास्तव में यह एक रामबाण दवा भी साबित होती है. इसमें कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है. एंटीसेप्टिक गुणों के कारण लौंग चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में काफी उपयोगी होती है. इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर किया भी जाता है. इसे किसी पत्थर आदि पर पानी के साथ घिस कर लगाया जाता है. नाजुक त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए.

 भारत के दक्षिण भाग में बहुतायत मात्रा में उगाई जाने वाली लौंग का वृक्ष यूं तो बहुत ही हरे रंग का होता है लेकिन इसके बावजूद एक खासियत जो दिखलाई देती है वह यह है कि जहां पतझड़ के मौसम में सभी वृक्ष अपने समस्त पत्तों का परित्याग कर देते हैं वहीं लौंग का वृक्ष इस मौसम में भी पूरी हरियाली धारण किये रहता है. इतना ही नहीं, इसमें से बहुत ही अच्छी मनमोहक सुगंध भी आती रहती है जो अधिकांश आते-जाते लोगों का अनायास ही मनमोह लेती है. और तो और, जब लौंग के वृक्ष की कलियां लाल हो उठती हैं, तब इन्हें तोड़कर सूर्य की किरणों में कुछ दिनों तक रख दिया जाता है और जब कलियां सूखने के उपरांत काली पड़ जाती हैं तो इसे लौंग के नाम से पुकारने लगते हैं जिसका हम प्राय: घरों में इस्तेमाल कभी मसाले के रूप में तो कभी औषधि के रूप में करते हैं. आयुर्वेद में लौंग को एक महत्वपूर्ण औषधी के रूप में बताया गया है.  तो आईये जानते है लौंग को एक महत्वपूर्ण औषधीय गुणों के बारे में –

1. मसूड़ों को मजबूत बनाता है लौंग. यदि आप भी मसूड़ों को लेकर परेशान हैं तो लौंग द्वारा निर्मित दंत मंजन का उपयोग करके समाधान ढूंढ़ सकते हैं क्योंकि ऐसा करने पर जहां व्यक्ति के दांत बहुत ज्यादा चमकने लगते हैं वहीं दूसरी ओर यह मसूड़ों को विशेष शक्ति प्रदान करने में भी अपनी एक खास भूमिका दर्ज कराता है. इस प्रकार, लौंग का मंजन एक पंथ दो काज की कहावत को चरितार्थ करता हुआ लोगों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद साबित हो रहा है.

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2. अस्थमा में लौंग का सेवन काफी लाभदय होता है. इस समय 4 -5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें. इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुध्द शहद मिलाएं और गरम-गरम पी लें. रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से लाभ होगा.

3. प्राय: लौंग से बने लवंगादि चूर्ण को नियमित खाने से व्यक्ति का सिर दर्द पल भर में ही छूमंतर हो जाता है और पुरानी खांसी से भी निजात मिल जाती है.

4.  वैसे तो छोटी सी लौंग रोचक द्रव्यों से उत्पन्न होने वाले शूल में भी काफी मदद करती है किन्तु, इसके अलावा आप आंखों की ज्योति बढ़ाने, दमा, हिचकी, तपेदिक, दांत दर्द तथा कमर दर्द इत्यादि रोगों के समाधान हेतु भी लौंग का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह आप देखेंगे कि एक छोटी सी लौंग के वाकई कई फायदे हैं जो भगवान रूपी देन अनमोल शरीर के कई रोगों का नाश कर हमें स्वस्थ बना देती है. डाक्टरों की भी यही नेक सलाह है कि हमारे द्वारा रोजाना एक लौंग का उपयोग अवश्य किया जाना चाहिए. निस्संदेह इससे भविष्य में काफी लाभ मिलेगा.

5.  चिकित्सकों की राय में हमारे घरों में मौजूद लौंग से शरीर में तेजी से दौड़ने वाले रक्त को भी शुध्द किया जा सकता है जबकि यह मस्तिष्क को मजबूत करने में भी काफी सक्षम होता है.

6.  यदि किसी व्यक्ति को दिनभर में अधिक प्यास लगती है या फिर हर वक्त उल्टी आने की शिकायत रहती है तो ऐसी स्थिति में लौंग का उबला हुआ पानी पिलाएं. यकीनन, लाभप्रद होगा.

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7.  यूं तो व्यक्ति के चेहरे पर फोड़े-फुंसी सदैव दस्तक देते ही रहते हैं लेकिन यदि आप लौंग को सिल पर घिसकर अपनी त्वचा पर लगाएंगे तो निस्संदेह फोड़े-फुंसी से निजात पाएंगे और चेहरा बिना दाग-धब्बों के सुंदर दिखलाई देने लगेगा.

औरतों का हक मत मारो

हम चाहे कितना ही हांक लें कि भारत दुनिया की 4-5 बड़ी आर्थिक शक्तियों में से है पर असल में भारत की अमीरी अगर कहीं है तो हमारे शासकों के पास है, मंदिरों में और कुछ धन्ना सेठों के पास. हमारे यहां का आम आदमी अभी भी बेहद गरीब है. आर्थिक थपेड़े खाने वाले अमेरिका से हम लगभग 90 साल पीछे हैं. हमारे यहां 91% जनता की कुल संपत्ति 10 हजार डौलर यानी 7 लाख से कम है जिस में खेत, मकान, गाड़ी और घरेलू सामान आदि शामिल हैं.

इस गरीबी में और बड़ी बात है कि हमारे यहां औरतों की संपत्ति दुनिया में सब से कम है. अफ्रीका के ज्यादातर देशों से भी कम. उत्तरी अमेरिका यानी अमेरिका और कनाडा में 40-50% संपत्ति औरतों के पास है. यूरोप में भी यही हाल है. दक्षिणपूर्व एशिया में 28 से 38% संपत्ति औरतों के पास है. विश्व का औसत 35% से 45% है. भारत में 20-25% संपत्ति औरतों की है.

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हां, यह जरूर है कि हमारे यहां अरबपति औरतों की गिनती काफी है पर वह इसलिए कि इस गरीब देश में अरबपति पुरुष भी गिनती में काफी हैं. हमारे यहां थोड़े से अमीर हैं और बहुत सारे गरीब. भारत में 3,040 घर ऐसे हैं जिन की संपत्ति 300 करोड़ के लगभग है. प्रति व्यक्ति आय में 125-145 स्थान पर उठतेगिरते स्थान वाले देश में 300 करोड़ की संपत्ति वाले घरों की संख्या छठे नंबर पर है, अमेरिका, चीन, इंगलैंड, जरमनी और जापान के बाद. इन्हीं घरों में बहुत से घरों की मालिक विरासत के कारण औरतें हैं.

स्विट्जरलैंड के कै्रडिट स्विस बैंक के सर्वे के अनुसार उन सामाजिक कारणों का पता नहीं चल पाया है जिन की वजह से भारत की औरतें इतनी गरीब हैं. इन में मुख्य कारण हमारे रीतिरिवाज हैं, जिन में औरतों को जीवनभर सेवा करने वाली हस्ती बनाया जाता है. तरहतरह की रुकावटें औरतों के रास्ते आती हैं. अब तो धरपकड़ का डर, बलात्कार के लिए और ज्यादा फैलने लगा है.

औरतों की संपत्ति बढ़े इस बारे में वर्तमान सरकार तो बिलकुल चिंतित नहीं. 3 तलाक का मुद्दा तो हिंदू वोटों के लिए लिया गया था और इस मामले को उठाने वाली सायरा बानो को तो अब भाजपा में शामिल कर लिया गया है. हिंदू औरतों के बारे में सरकार का संदेश यही है कि वे पति, सास, ससुर, पंडों, महंतों की सेवा करें तन से, मन से और धन से.

शहर में एक धार्मिक आयोजन हुआ नहीं कि सैकड़ोंहजारों औरतों को हांक कर ले जाया जाता है. आजकल भी कोरोना के दिनों में औरतों को घरों से निकल कर पूजापाठ के लिए बाध्य किया जा रहा है. जब वे अपना परलोक सुधारने में इतनी व्यस्त रहेंगी तो इहलोक में संपत्ति का हक कैसे मांगेंगी?

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आपकी मेकअप किट में जरूर होनी चाहिएं ये 7 चीजें

कोई शादी हो या पार्टी मेकअप हर किसी के लिए जरूरी होता है और मेकअप के लिए कईं ऐसी चीजें जरूरी होती हैं, जो मेकअप किट में होना जरूरी होता है. वहीं अगर आपकी शादी की डेट नजदीक आ रही है और आपको मेकअप किट खरीदनी है, तो इसमें क्या होना चाहिए और क्या नहीं यह आपको पता होना जरूरी है. तो आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी चीजें, जिनका मेकअप किट में होना जरूरी है…

1. प्राइमर

मेकअप को लंबे समय टिका कर रखने के लिए प्राइमर अपनी किट में रखना न भूलें. यह स्किन टोन को हल्का परफेक्ट लुक देता है. जिससे आपकी स्किन खिली खिली रहेगी.

2. बीबी/सीसी क्रीम

अगर आपको फाउंडेशन नहीं लगाना तो उसकी जगह आप बीबी/सीसी क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह फाउंडेशन की तरह ही काम करता है और इससे चेहरा भारी-भारी भी नहीं लगता.

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3. काजल

आंखों के परफेक्ट लुक देने के लिए काजल जरूरी है. आपकी किट में ब्लैक और चारकोल ग्रे काजल होना चाहिए. ये हर ब्राइडल ड्रेस के साथ मैच करता है.

4. बेसिक आईशैडो

आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए ब्यूटी किट में बेसिक आईशैडो भी जरूर रखें. मेकअप के लिए बहुत ज्यादा शेड्स कैरी न करें,कुछ बेसिक रंग के ही आईशैडो खरीदें. ये आईशैडो हर मौके पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

5. लिप्स के लिए

ब्यूटी किट में होंठों को खूबसूरत बनाने के लिए लिपस्टिक, लिप लाइनर और लिप बाम भी रख लें. न्यू ब्राइडल के लिए लाल,मैरून, मॉवे, ब्राउन लिप कलर रखें. लिपस्टिक लगाने से पहले लिप लाइनर लगाएं. इससे लिपस्टिक फैलेगी नहीं.

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6. जेल आईलाइनर पेंसिल

नई दुल्हन रस्मों और रिवाजों में काफी बिजी होती है. ऐसे में अपने पास जेल आईलाइनर पेंसिल रखें. इससे आप कुछ सेकेंड में आसानी से आंखों पर लाइनर लगा सकती हैं, वो भी बिना फैलाएं.

7. नेलपेंट

दुल्हन के हाथों और पैरों में लाल रंग की नेलपौलिश ही अच्छी लगती है. ऐसे में रेड कलर की नेलपेंट आप अपने मेकअप बौक्स में हमेशा रखें. ये आपके लुक के लिए बहुत जरूरी होती है.

त्यौहार के इस सीजन में पाएं खास ऑफर्स के साथ ‘बाटा’ के ‘Ready Again’ कलेक्शन का मजा

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों को लौकडाउन के कारण आराम मिला है, लेकिन कई लोगों की जिंदगी की रफ्तार में कोई कमी नही आई हैं. जहां कुछ लोग आज भी वर्कफ्रौम होम के साथ अपना  काम और घर दोनों संभाल रहे हैं, तो कुछ लोगों ने अब घरों से बाहर निकलकर अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाना शुरू कर दिया है. इसीलिए हमारी जिंदगी की एक नई शुरूआत करने के लिए नए फुटवियर कलेक्शन के साथ बाटा लेकर आया है ‘Ready Again’ कलेक्शन. ढेर सारे एट्रैक्टिव ऑफर्स जो स्टाइल के साथ आपके बजट का भी रखते हैं पूरा ख्याल. तो चलिए बताते हैं बाटा के ‘Ready Again’ कलेक्शन ऑफर्स के बारे में –

1. पाएं मौका सोना जीतने का

बाटा ‘Ready Again’ कलेक्शन में इस फेस्टिव सीजन में आपके लिए पहला ऑफर ये है कि आप 1500 से ऊपर की शॉपिंग पर हर रोज 2 ग्राम सोने का सिक्का जीतने का मौका पा सकते हैं. *

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2. मिलेगा गिफ्ट वाउचर और डिस्काउंट का फायदा

बाटा आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी डील जिसे सुन कर आप खुद को शॉपिंग करने के नहीं रोक पाएंगे. जी हां, किसी भी 2 प्रोडक्ट्स की खरीद पर आप पा सकते हैं दूसरे प्रोडक्ट पर 20% तक का डिस्टाउंट. साथ ही आपको मिलेगा 10% तक की छूट का गिफ्ट वाउचर. इतना ही नहीं, कुछ प्रौडक्ट्स पर आप पा सकते हैं 50% से लेकर 70% तक की छूट.*

*नियम व शर्तें लागू. अधिक जानकारी के लिए आज ही अपने नजदीकी बाटा स्टोर आएं.*

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3. HDFC BANK कार्ड का मिलेगा फायदा

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बाटा आपके लिए एक और ऑफर लेकर आए हैं, खास तौर पर HDFC बैंक के उपभोक्ताओं के लिए. HDFC बैंक कार्ड से की गई बाटा के फुटवियर्स की खरीदी पर आप पा सकते हैं 5% तक कैशबैक.*

बाटा ‘Ready Again’ कलेक्शन के सभी ऑफर्स कस्टमर्स के कम्फर्ट और बजट को देख कर बनाए गए हैं. इस फेस्टिव सीजन बाटा के इन खास ऑफर्स का लाभ आप बड़े ही आसानी से उठा सकते हैं.

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ननद-भाभी: रिश्ता है प्यार का

मुंबई के ठाणे की हाइलैंड सोसाइटी में रजत और रीना ने एक बिल्डिंग में यह सोच कर फ्लैट लिए कि दोनों भाईबहनों का साथ बना रहेगा. दोनों के 2-2 बच्चे थे, सब बहुत खुश थे कि यह साथ बना रहेगा, पर जैसेजैसे समय बीत रहा था, रजत की पत्नी सीमा की रीना से कुछ खटपट होने लगी जो दिनबदिन बढ़ती गई. कुछ समय बीतने पर रीना के पति की डैथ हो गई दुख के उन पलों में सब भूल रजत और सीमा रीना के साथ खड़े थे.

कुछ दिन सामान्य ही बीते थे कि ननदभाभी का पुराना रवैया शुरू हो गया. रजत बीच में पिसता, सो अलग, बच्चे भी एकदूसरे से दूर होते रहे. दूरियां खूब बढ़ीं, इतनी कि रीना और सीमा की बातचीत ही बंद हो गई. रजत कभीकभी आता, रीना के हालचाल पूछता और चला जाता, पहले जैसी बात ही नहीं रही, फिर जब कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ, ठाणे में केसेज का बुरा हाल था. ऐसे में एक रात सीमा के पेट में अचानक दर्द शुरू हुआ जो किसी भी दवा से ठीक नहीं हुआ. हौस्पिटल जाना खतरे से खाली नहीं था, वायरस का डर था, बच्चे छोटे, रजत बहुत परेशान हुआ, सीमा का दर्द रुक ही नहीं रहा था, रात के 1 बजे किसे फोन करें, क्या करें, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

बहुत प्यार है रिश्ता

सीमा ने अपनी खास फ्रैंड को फोन कर ही दिया, अपने हाल बताए. वे रहती तो उसी बिल्डिंग में थी पर महामारी का जो डर था, उस कारण सीमा की हैल्प करने में सब ने अपनी असमर्थता जताई. फिर रजत ने रीना को फोन किया, वह तुरंत उन के घर आई, रीना के बच्चे कुछ बड़े थे, रजत के बच्चों को अपने बच्चों के पास छोड़ वह तुरंत उन दोनों को ले कर हौस्पिटल गई. सीमा को फौरन एडमिट किया गया, किडनी में स्टोन का तुरंत औपरेशन जरूरी था. रीना ने घर, हौस्पिटल सब संभाल लिया.

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सीमा 3 दिन एडमिट रही, कोरोना का समय था, जरूरी निर्देश दे कर उसे जल्दी घर जाने दिया गया. सीमा को संभलने में कुछ दिन लगे, इन दिनों कोई मेड भी नहीं थी. सारा काम रीना और बच्चों ने मिल कर संभाल लिया. सीमा के ठीक होतेहोते ननदभाभी का रिश्ता इतना मजबूत हो चुका था कि कोई गिलाशिकवा रहा ही नहीं. दोनों बहनों की तरह घुलमिल गईं, बच्चे भी खुश हो गए. सीमा का पहले बहुत बड़ा फ्रैंड सर्किल था पर अब जिस तरह रीना ने साथ दिया था, वह भूल पाने वाली बात नहीं थी. रीना को भी याद था कि पति के न रहने पर दोनों उस के साथ खड़े थे, फिर ये दूरियां कैसे आ गईं, इस बात को  झटक दोनों अब वर्तमान में खुश थीं, एकदूसरे के साथ थीं. बच्चे भी जो इस समय घर से निकल नहीं पा रहे थे. अब एक जगह बैठ कर कभी कुछ खेलते तो कभी कुछ. कोरोना का टाइम सब को बहुत कुछ सिखा गया था.

ननदभाभी का रिश्ता बहुत प्यारा और

नाजुक है, दोनों को एकदूसरे के रूप में एक प्यारी सहेली मिल सकती है, लेकिन कभीकभी कुछ बातों से इस रिश्ते में खटास आ ही जाती है. यह सही है कि जहां 2 बरतन होते हैं, कभी न कभी टकराते हैं, लेकिन सम झदारी इस में है कि बरतन टकराने की आवाज घर से बाहर न जाए. मीठी नोक झोंक कब तकरार में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता.

रिश्तों में भरें रंग

कभी आप ने सोचा कि ऐसा क्यों हो जाता है? जवाब है, ‘मैं का भाव,’ यह भाव जब तक आप में रहेगा तब तक आप किसी भी रिश्ते को ज्यादा लंबा नहीं चला पाएंगे. यह सच है कि हमें कभी न कभी अधिकारों का हस्तांतरण करना ही पड़ता है. हमारी थोड़ी सी विनम्रता व अधिकारों का विभाजन हमारे रिश्तों को मधुर बना सकता है.

कहते हैं ताली दोनों हाथों से बजती है, हमेशा एक की ही गलती नहीं होती. कभीकभी भाभी का अपने मायके वालों के प्रति अभिमान व अपने सासससुर की उपेक्षा ननद के भाभी पर क्रोध का कारण बनती है. जीवनभर आप के मातापिता साथ नहीं रह सकते, इस बात को ध्यान में रख कर यदि परिवार के सभी सदस्यों से अच्छा व्यवहार किया जाए तो यह रिश्ता नोक झोंक के बजाय हंसीठिठोली का रिश्ता बन सकता है.

कोविड-19 के समय का अपना एक अनुभव बताते हुए पायल कहती हैं, ‘‘मेरा अपनी ननद अंजू के साथ एक आम सा रिश्ता था, कभीकभी ही मिलना होता था. मैं मुंबई में, वह दिल्ली में, पर इस समय हम दोनों ने जितना फोन पर बातें कीं, गप्पें मारीं इतनी कभी नहीं मारी थीं, वह मु झ से काफी छोटी है, अब तो वह मु झ से कितनी ही रेसिपी, पूछपूछ कर बनाती रहती है. कभी जूम पर, कभी व्हाट्सऐप पर खूब मस्ती करती है. मैं ने नोट किया है कि अपने दोस्तों  से ज्यादा मु झे उस से बात करने में आजकल मजा आ रहा है, क्योंकि मेरी फ्रैंड्स के पास तो वही बातें हैं, कोरोना, लौकडाउन, मेड, घर के काम, वहीं अंजू के पास तो न जाने कितने टौपिक्स रहते हैं, मैं भी फ्रैश हो जाती हूं उस से बातें कर के. सब ठीक होते ही उसे अपने पास बुलाऊंगी.’’

कभीकभी ननदभाभी के बीच में आर्थिक स्तर का अंतर होता है. ऐसे में रिश्ते को संभाल कर रखने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. सहारनपुर निवासी सुनीता शर्मा अपनी ननद आरती के बारे में बताते हुए कहती है, ‘‘आरती का विवाह बहुत समृद्ध परिवार में हुआ है. ससुराल में लंबाचौड़ा बिजनैस है, आर्थिक रूप से हम उन के आगे कुछ भी नहीं. आरती जब भी आती है, मैं उसे कुछ दिलवाने मार्केट ले जाती हूं, वह सोचसम झ कर कोई आम सी चीज अपने लिए लेती है, वह भी इतनी खुशीखुशी कि दिल भर आता है. यही बोलती रहती है कि सब तो है, मैं तो बस प्यार के लिए आती हूं. मु झे कुछ भी नहीं चाहिए. बहुत कहने पर थोड़ाबहुत ले लेती है कि हमें बुरा भी न लगे और खुद पता नहीं क्याक्या खरीद कर रख जाती है. कभी महसूस नहीं होने देती कि वह अब एक अति धनी परिवार से जुड़ी है, न खाने में कोई नखरा, न पहनने में, जो देते हैं खुशी से ले लेती है.’’

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पैसा नहीं रिश्ता जरूरी

वहीं शामली निवासी नीरा ने अपने धन के मद में चूर हो कर ऐसा किया कि 5 साल पहले की इस घटना पर अब तक लोग उसे बुराभला कहते हैं. कभीकभी ननद इतनी लालची हो जाती है कि सब रिश्तों को भूल सिर्फ अपने फायदे पर ध्यान देती है. नीरा ने अपने बेटे का विवाह किया तो मायके से अपने भाई को बुलाया ही नहीं क्योंकि भाई की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. वह बड़े बेटे के विवाह में जो दे कर गया, वह नीरा को इतना कम लगा कि उस ने छोटे बेटे के विवाह में किसी को बुलाया ही नहीं. पड़ोस के एक आदमी को अपना भाई बना रखा था जो अमीर था, वह मुंहबोला भाई खूब लेतादेता था. राखी पर भी नीरा को उस के सगे भाई से ज्यादा ही देता था तो नीरा अपने इकलौते भाईभाभी को भूलती ही चली गई. पड़ोस के अमीर भाई से ही सारी रस्में करवाईं. 2 सगे भाईबहन का रिश्ता हमेशा के लिए टूट गया.

इस से बुरा कुछ नहीं होता जब ननद या भाभी पैसे को इतनी अहमियत दे कि आपस का रिश्ता ही खत्म हो जाए. पैसा आनीजानी चीज है. खून के रिश्ते प्यारभरे रिश्ते, इस आर्थिक स्तर के अंतर के कारण खत्म हो जाएं, दुखद है.

दुखसुख की साथी

कभीकभी यह भी देखने में आता है कि ननद और भाभी के बीच उम्र का फासला ज्यादा होता है तो उन दोनों के बीच अलग तरह की बौंडिंग हो जाती है. पुणे की अंजलि अपनी भाभी से 12 साल छोटी है. वह इस विषय पर अपना अनुभव बताते हुए कहती है, ‘‘मेरे मायके में बहुत पुरातनपंथी माहौल था. ऐसे में मैं ने जब कालेज में विजातीय सुनील को पसंद किया तो बस अपनी भाभी से सब शेयर किया. मेरी भाभी ने सबकुछ संभाला, सब को इस विवाह के लिए इतनी मुश्किल से मनाया कि आज तक मैं उन्हें थैंक्स कहती हूं. कोई भी मुश्किल हो, उन्हें कौल करती हूं और फौरन समाधान निकल आता है. मेरे बच्चों की डिलिवरी के समय सबकुछ उन्होंने ही संभाला.’’

मुंबई निवासी नेहा अपनी भाभी के अंधविश्वासी स्वभाव से बहुत परेशान रहती. कुछ हुआ नहीं कि उस की भाभी श्वेता  झट से एक मौलवी से ताबीज लेने भागती. वह जब भी उन के घर जाती, हर समय किसी न किसी अंधविश्वास से घिरी भाभी को देख कर दुख होता. नेहा की तार्किक बातों को श्वेता सिरे से नकार देती. जब नेहा किसी परेशानी में होती, श्वेता उस का श्रेय नेहा की नास्तिकता को दे कर कहती कि तुम कोई पूजापाठ नहीं करती, इसलिए तुम बीमार हुई. नेहा अपने भाई से श्वेता के अंधविश्वासी होने पर बात करती तो श्वेता को अच्छा नहीं लगता. धीरेधीरे नेहा उन से एक दूरी रखने लगी. औपचारिक रिश्तों में फिर वैसा प्यार नहीं रहा जैसा हो सकता था.

ननदभाभी के इस रिश्ते में कई तरह की ननदें होती हैं, कई तरह की भाभियां, एकदूसरे परिवार से आई होती हैं. उन का अलग स्वभाव होता है. परवरिश, सोच, विचार सब अलग होते हैं. ऐसे में 2 अलग तरह के नारी मन जब साथ रहने लगते हैं.

बहुत कुछ ऐसा होता है कि सम झ कर चलना पड़ता है. बहुत खुल कर खर्च करने की आदत थी अंजना को. इकलौती लड़की थी, पेरैंट्स ने भी कभी नहीं टोका था. ससुराल आई तो यहां सब एकदम व्यवस्थित, सोचसम झ कर खर्च करने वाले, ननद रोमा ने बड़ी सम झदारी से काम लिया. अंजना को धीरेधीरे ही यह आदत डाली कि बिना जरूरत के अलमारी में कपड़े भरभर कर रखने में कोई सम झदारी नहीं, जितनी जब जरूरत हो, खरीद लो.

शुरूशुरू में अंजना सब को कंजूस कह कर उन का मजाक उड़ाती रही, पर धीरेधीरे उस में रोमा की बातों से अच्छा बदलाव आने लगा. रोमा ने हंसीहंसी में ही उसे कितना कुछ सिखा दिया. घर के बाकी मैंबर्स को भी यही सम झाती रही कि अंजना अभी नई आई है. उस की फुजूलखर्ची की आदत पर कोई उसे ताना न मारे. कुछ बुरा न कहे, उस की यह आदत एकदम नहीं जा सकती. किसी ने उसे कुछ नहीं कहा. फुजूलखर्ची की अंजना की आदत कब छूटती गई, उसे खुद पता नहीं चला.

ताकि संबंधों में बनी रहे मिठास

ऐसे मौकों पर घर में शांति रखने में मदद का बड़ा रोल होता है. ननद चाहे तो भाभी की कितनी ही बातों को सहेज कर घर में उस का स्थान आदरपूर्ण और प्रेमपूर्ण बना सकती है.

यदि घर में ननदभाभी का रिश्ता प्यारा है तो इस का पूरे घर पर असर होता है, क्योंकि भारतीय परिवार में एकदूसरे से बंधे होते हैं, एक पार्टी का मूड भी खराब होता है तो हर रिश्ते पर असर पड़ता है.

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कोविड-19 के जाने के बाद भी एक लंबे अरसे तक एकदूसरे से, दोस्तों से, पड़ोसियों से पहले की तरह मिलनेजुलने में वक्त लगेगा. सब इतनी जल्दी नौर्मल नहीं होगा. अगर आप ने भी इतने प्यारे रिश्ते से अब तक कुछ दूरी बना कर रख रही हैं तो फौरन एकदूसरे को प्यार से अपना बनाएं, फोन करें, वीडियो पर हंसीमजाक करें, परिवार को जोड़ें. अब आने वाले समय में सहेलियां बाद में ननदभाभी एकदूसरे के काम ज्यादा और पहले आएंगी. यह रिश्ता बना कर तोड़ने की चीज नहीं है. यह तो हमेशा निभाने के लिए है. इस की मिठास का आनंद लें, एकदूसरे को प्यार व सम्मान दें.

इस प्यारे रिश्ते को निभाने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे:

– अगर आप दोनों का रिश्ता दोस्ताना है तो गलती से भी कभी एकदूसरी की बातों को किसी से शेयर न करें. अपने पति से भी नहीं वरना आप दोनों का रिश्ता बिगड़ सकता है.

– इस बात का भी ध्यान रखें कि घर के सारे काम की जिम्मेदारी भाभी की नहीं, घर के कामों में उस की जरूर मदद करें. यही नहीं भाभी ननद की पढ़ाई से ले कर उस के दूसरे कामों में भी मदद करें.

– अपनी ननद के सामने घर की किसी बात की बुराई करने से बचें. कोई भी लड़की अपने मातापिता या अपने भाईबहन की बुराई सुनना पसंद नहीं करती. अगर भाभी उस से कोई शिकायत करती भी हैं तो ननद भी कारण सम झे, भाभी की परेशानी को सौल्व करने की कोशिश करे.

– किसी भी नए रिश्ते में गलतफहमी हो जाना सामान्य बात है. ऐसे में छोटीछोटी गलतफहमियों का असर अपने रिश्ते पर न पड़ने दें. अगर आप को अपनी भाभी या ननद की कोई बात बुरी लगी है तो सब से पहले उस चीज को ले कर बात करें न कि गुस्सा हो कर मुंह फुला कर बैठ जाएं और एकदूसरे से बात करना बंद कर दें.

– स्वस्थ रिश्ते फायदेमंद होते हैं, लेकिन जिन रिश्तों में एकदूसरे से बहुत ज्यादा अपेक्षा होती है उन रिश्तों की डोर टूट ही जाती है. ऐसे में एकदूसरे से ज्यादा अपेक्षा न रखें.

– अगर आप से कोई गलती हो भी गई है तो उसे प्यार से उस की पसंद का गिफ्ट दे कर मना लें. बात जल्दी से जल्दी खत्म करें.

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मुझ से शादी करोगी: सुजाता और सोमनाथजी की प्रेमकहानी

Serial Story: मुझ से शादी करोगी (भाग-3)

अब तक आप ने पढ़ा:

मीरा और सुजाता रोज पार्क में सैर करने जाती थीं. एक दिन मीरा की तबीयत खराब होने की वजह से वह सैर पर न आ सकी और सुजाता की मुलाकात सोमनाथजी से हो गई. धीरेधीरे सुजाता और सोमनाथजी एकदूसरे से खुल गए. पति कुणाल के बाद सुजाता की जिंदगी में आया खालीपन भी धीरेधीरे भरने लगा था. मगर इस रिश्ते को कोई नाम मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे थे.

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गोवा जाने के लिए छोटी लग्जरी बस का इंतजाम किया गया था, जिस में कुल मिला कर जाने वालों की संख्या 12 थी. तय हुआ कि बस सुजाता के घर पर आ जाएगी और सोमनाथजी भी वहीं से बैठ जाएंगे.

सुबह के 7 बजे के करीब सोमनाथजी ने एक छोटे से ट्रौली बैग के साथ सुजाता के घर में प्रवेश किया.

‘‘अरे वाह, आज तो आप कमाल के लग रहे हैं… गजब की डैशिंग पर्सनैलिटी है आप की,’’ कह सुजाता उन्हें देखती ही रह गई.

औफव्हाइट टीशर्ट और ब्लू जींस में सोमनाथजी वाकई बहुत हैंडसम लग रहे थे. अपने आधे काले आधे सफेद बालों पर उन्होंने स्टाइलिश गौगल लगा रखा था.

‘‘सब आप की संगत का असर है,’’ सोमनाथजी ने मुसकराते हुए कहा.

बस में सुजाता ने सोमनाथजी का सभी से परिचय करवाया. कुछ देर में सोमनाथजी सभी से ऐसे घुलमिल गए जैसे वर्षों की पहचान हो. गोवा के इस सुहाने सफर ने दोनों के बीच की रहीसही हिचक को भी मिटा दिया. पूरे सफर के दौरान सोमनाथजी और सुजाता ने एकदूसरे का पूरा खयाल रखा. सुजाता यहां एक नए सोमनाथजी को देख रही थी.

हमेशा कहीं खोए और बुझेबुझे से रहने वाले सोमनाथजी इस ट्रिप के दौरान नदारद थे. उन की हाजिरजवाबी, सरल व्यवहार के सभी कायल हो चुके थे. सुजाता वाकई उन के लिए बहुत खुश थी. दोनों ने जैसे एकदूसरे की जिंदगी की कमी को पूरा कर दिया था.

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इधर मीरा भी अपनी दोस्त सुजाता के लिए बहुत खुश थी. सुजाता और सोमनाथजी की मस्ती भरी जुगलबंदी ने पूरे ट्रिप के दौरान सभी को हंसाहंसा कर लोटपोट कर दिया. 1 हफ्ते की इस आउटिंग से सुजाता बहुत ही फ्रैश फील रही थी. इस दौरान करीब रोज ही पलक से फोन पर उस की बात होती रही थी.

घर आने के बाद सुजाता ने अपनी मेड सर्वेंट संगीता के साथ मिल कर सब से पहले बंद पड़े घर की साफसफाई की. फिर उस ने पूरा दिन आराम किया.

समय के पंखों की उड़ान जारी थी. सुजाता और सोमनाथजी काफी सारा वक्त एकदूसरे के साथ बिताने लगे. एक अदृश्य भावनात्मक डोर से वे एकदूसरे के साथ बंधे जा रहे थे. इस रिश्ते में कहीं भी उथलापन नहीं था. बीचबीच में अखिलेश आ कर उन दोनों से मिलता रहता था. पापा को एक बार फिर से जिंदगी जीते देख वह बहुत खुश था.

सुजाता तो सोमनाथजी का साथ पा कर जैसे खिल उठी थी. जिंदगी से उसे कोई शिकायत पहले भी न थी, किंतु सोमनाथजी से मिल कर उस ने जाना कि कुणाल के जाने से उस के दिल का एक कोना तो जरूर सूना हो चुका था, जिसे सोमनाथजी के प्यार ने एक बार फिर से गुलजार कर दिया था.

एक सुबह सोमनाथजी को सैर पर न पा कर वह कुछ चिंतित हो उठी.

‘‘अरे, कोई काम आ गया होगा,’’ मीरा ने उसे समझाना चाहा.

‘‘अगर कोई काम होता तो वे मुझे फोन कर सकते थे,’’ वह बहुत ही तेजी से घर जा कर सारे काम जल्दीजल्दी निबटा कर सोमनाथजी के घर चल पड़ी.

वहां पहुंचते ही बाहर गेट पर ही उन की कामवाली सुजाता से उस की मुलाकात हो गई तो पूछा, ‘‘सोमनाथजी ठीक तो हैं’’

‘‘साहब तो बिलकुल ठीक हैं, पर उन की फ्रूटी नहीं रही.’’

‘‘क्या? क्या कह रही हो तुम?’’ सुजाता अविश्वास से चीख पड़ी, ‘‘अभी कल ही तो मैं उस से मिल कर उसे खिला कर गई थी.’’

‘‘हां, कल दोपहर को उसे किसी जहरीले सांप ने काट लिया. साहब अस्पताल भी ले कर गए, पर वह नहीं बच पाई,’’ बाई ने बताया.

‘‘उफ…’’ सुजाता के मुंह से निकला और फिर वह तेजी से अंदर चली गई.

हौल में सोमनाथजी सोफे पर बैठे उस कोने को निहार रहे थे, जहां फ्रूटी बैठा करती थी. सामने से आती सुजाता को देख कर उन की आंखें छलक उठीं और वे बच्चों की तरह बिलख पड़े, ‘‘फ्रूटी नहीं रही सुजाता. 12-13 साल का साथ छूट गया. अब कैसे जिऊंगा मैं.’’

सोमनाथजी की यह हालत देख कर सुजाता ने उन्हें सीने से लगा लिया. सांत्वना के सभी शब्द आज छोटे लग रहे थे. फ्रूटी के प्रति उन के अगाध प्रेम से विह अनजान नहीं थी.

‘‘आंटी, अब आप ही इन्हें समझाइए. कल रात से बच्चों की तरह रोए जा रहे हैं. न कुछ खाया न पिया. ऐसे तो अपनी तबीयत खराब कर लेंगे ये.’’ किचन से चाय की ट्रे लाते हुए अखिलेश ने कहा.

बहुत देर तक सुजाता सोमनाथजी को सांत्वना देती रही. फिर अखिलेश और उस ने जबरदस्ती उन्हें कुछ खिलाया और फिर सुला दिया.

‘‘आंटी मैं चला जाऊंगा तो पापा बिलकुल अकेले पड़ जाएंगे. पहले तो फ्रूटी से उन का मन लगा रहता था, मगर अब मुझे उन की बहुत चिंता हो रही है,’’ अखिलेश ने उदास स्वर में कहा.

‘‘तुम बिलकुल चिंता न करो, मैं हूं न इन के साथ,’’ सुजाता ने उसे तसल्ली देते हुए कहा.

लेकिन अखिलेश की चिंता निर्मूल नहीं थी. फ्रूटी की मौत के सदमे ने उन्हें अवसाद में ला दिया था. अकेलेपन के शिकार सोमनाथजी के लिए फ्रूटी एक साथ ही नहीं, बल्कि उन के जीने का सबब भी थी. जब तक सुजाता वहां होती, उन्हें कुछ तसल्ली रहती, पर उस के जाने के बाद वे फिर तनावग्रस्त हो जाते.

ऐसे में सुजाता उन्हें बिलकुल अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी. अत: उस ने सोमनाथजी को अपने घर शिफ्ट करने की ठान ली.

‘‘तू ने अच्छी तरह सोच लिया है… लोगों की नजरें और उन में तैरते प्रश्न. इतना आसान नहीं है. जितना तू समझ रही है,’’ मीरा ने उसे चेताते हुए कहा.

‘‘मैं ने निर्णय ले लिया है. जो होगा देखा जाएगा,’’ कहते हुए सुजाता ने अखिलेश को भी फोन कर अपने इस निर्णय के बारे में बता दिया.

सुन कर अखिलेश ने खुशी जाहिर की. सोमनाथजी के बहुत मना करने के बाद भी आखिर सुजाता जिद कर उन्हें अपने घर ले आई. उस की भावनात्मक सपोर्ट और उचित देखभाल से उन में जल्द की सकारात्मक बदलाव देखने को मिला.

तभी एक शाम पलक के आए फोन ने उसे तनिक चिंता में डाल दिया. समर को अपने औफिस के किसी काम से एक हफ्ते के लिए इंदौर आना था, तो पलक भी अगले हफ्ते भर समर के साथ इंदौर आने वाली थी.

अब न ही सुजाता सोमनाथजी से कुछ कह सकती थी और न ही पलक को घर आने से मना कर सकती थी. अजीब उलझन में फंस गई थी. उस ने सोमनाथजी से इस बाबत कोई बात नहीं की. वरना वे वापस अपने घर जाने की जिद पकड़ लेते. हलके तनाव में घिरी सुजाता ने यह फैसला हालफिलहाल वक्त पर ही छोड़ दिया.

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मगर सुजाता की निगाहों की बेचैनी व चिंता सोमनाथजी की आंखों से न छिप सकी.

उन्होंने सुजाता को सच बताने पर मजबूर कर दिया. तब उसे मजबूरन उन्हें बच्चों के आने की जानकारी देनी पड़ी. सुन कर सोमनाथजी ने बहुत ही प्यार से उसे समझाया कि देखो तुम ने मुझे तब सहारा दिया जब मुझे जरूरत थी. अब जबकि मैं पूरी तरह ठीक हो चुका हूं, तो मैं वादा करता हूं कि अपना पूरा ध्यान रखूंगा. अभी तुम खुश हो कर सिर्फ अपने बच्चों का स्वागत करो.’’

सुजाता ने जब यह कहा कि एक न एक दिन तो हमें अपने रिश्ते का सच बताना ही है तो अभी क्यों नहीं, तो इस पर सोमनाथजी ने कहा कि हर काम को करने का एक सही वक्त होता है और वह तभी किया जाए तो ही अच्छा रहता है.

बुधवार सुबह नौ बजे पलक की फ्लाइट लैंड करने वाली थी. सुजाता को बेसब्री से अपने बच्चों का इंतजार था. बच्चों की गाड़ी को गेट पर आया देख वह खुशी से झूम उठी. दोनों मांबेटी करीब 6 महीनों के बाद मिल रही थीं. सुजाता ने कस कर बेटी को गले से लगा लिया.

‘‘मम्मा कैसी हैं आप? बहुत अच्छा किया जो आप घूमने गईं…कैसा रहा आप का ट्रिप? मुझे वहां खींचे गए फोटो भी दिखाओ…मुझे मालूम है आप सभी ने मिल कर बहुत मस्ती की होगी,’’ पलक बहुत ऐक्साइटेड थी.

‘‘हांहां दिखाती हूं, पहले अंदर तो आओ,’’ सुजाता ने हंसते हुए कहा.

‘‘मम्मीजी कैसी हैं आप?’’ सुजाता के पैरों को छूते हुए समर ने पूछा.

‘‘बिलकुल ठीक हूं बेटा,’’ चायनाश्ता करने के बाद पलक बोली, ‘‘मम्मा गोवा के फोटो दिखाओ न.’’

‘‘ओके बाबा, यह ले अभी तो मोबाइल पर ही देख ले,’’ कहते हुए उस ने अपना मोबाइल पलक को पकड़ा दिया. पलक और समर फोटो देखने में व्यस्त हो गए और सुजाता उन के खानेपीने की तैयारी के लिए संगीता को निर्देश देने लगी.

‘‘मौम, ये अंकल कौन हैं? इन्हें पहले कभी नहीं देखा?’’ ज्यादातर फोटोज में सुजाता के पास खड़े सोमनाथजी को देखते हुए पलक ने पूछा.

‘‘बेटा ये सोमनाथजी हैं, पास ही अन्नपूर्णा कालोनी में रहते हैं. ये भी हमारे साथ ट्रिप पर गए थे.’’

पलक और भी कुछ पूछना चाहती थी, लेकिन तभी समर ने किसी काम के लिए उसे आवाज दी.

‘‘जी, आई,’’ कह कर वह उस वक्त तो चली गई. लेकिन उस की निगाहों में तैरते प्रश्न सुजाता की अनुभवी नजरों ने तुरंत ताड़ लिए.

रात को बिस्तर पर अपने साथ सोई बेटी के बालों में प्यार से उंगलियां फिराते हुए सुजाता सोचती रही कि वक्त आ गया है पलकको अपने व सोमनाथजी के रिश्ते की सचाई बताने का… मेरी बेटी है वह और उसे यह जानने का पूरा हक है. वैसे भी अगर यह सचाई उसे किसी और से पता चलती है, तो उसे बहुत बुरा लगेगा. लेकिन पलक को किस तरह बताए यह सुजाता की समझ में नहीं आ रहा था.

सुबह मौम को सैर के लिए गया देख कर पलक ने अपने लिए चाय बनाई. चाय पी कर सुजाता का इंतजार करने लगी. समर अपने औफिस के काम के लिए निकल चुका था. कुछ देर बाद मौम को उन्हीं अंकल के साथ आता देख वह कुछ आश्चर्य से भर उठी.

‘‘मेरा राजा बेटा जग गया… इन से मिलो ये वही सोमनाथ अंकल हैं, जिन के बारे में मैं ने तुम्हें कल बताया था.’’

‘‘जी, नमस्ते अंकल,’’ पलक ने कुछ उदास स्वर में कहा. शायद उन अंकल से मां का इतना खुला व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगा.

सोमनाथ कुछ देर वहां बैठ कर लौट गए. उन्होंने अपनी ओर से बहुत सहज व्यवहार करने की कोशिश की, पलक की बेरुखी ने जैसे सारे माहौल को बोझिल बना दिया था.

‘‘पलक तुझ से कुछ जरूरी बात करनी है,’’ दोपहर के खाने के बाद सुजाता ने उसे अपने पास बैठाते हुए कहा.

‘‘हां मौम, बोलो न,’’ पलक ने कुछ ठंडे स्वर में कहा.

‘‘बेटा, तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद भी मैं ने खुद को कभी अकेला नहीं महसूस किया. लेकिन तेरे सुसराल चले जाने के बाद मेरे जीवन में खालीपन सा आ गया है,’’ सुजाता ने गंभीर होते हुए कहा.

‘‘मैं जानती हूं मां. इसीलिए तो कहती हूं कि आप बाहर निकलो, घूमाफिरो, नएनए दोस्त बनाओ. कुछ सोशल ऐक्टिविटीज जौइन करो,’’ पलक ने मां की तकलीफ को समझते हुए ढेर सारे सुझाव दे डाले.

‘‘पिछले कुछ दिनों से सोमनाथ अंकल मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन चुके हैं. गोवा के ट्रिप के दौरान हम ने एकदूसरे को और अच्छी तरह जानासमझा है. मुझे लगता है कि मैं उन के साथ बहुत खुश रहूंगी… तुम्हारा इस बारे में क्या खयाल है?’’ स्पष्ट रूप से अपनी बात रखने के बाद सुजाता ने इस मुद्दे पर बेटी की राय जाननी चाही.

‘‘यह आप क्या कह रही हैं मौम? यह सच है कि हम आज बहुत ही ऐडवांस स्टेज में जी रहे हैं और आप की किसी के साथ हुई दोस्ती पर भी मुझे कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन सोमनाथजी अंकल से आप का कोई मैच नहीं है. पहली बात तो यह कि वे बंगाली हैं, मीटमछली खाने वाले और हम ब्राह्मण, दूसरे वे उम्र में भी आप से काफी बड़े हैं. सोचो मां…मेरे ससुराल वालों को, समर को इस बारे में पता चलेगा तो वे सब क्या सोचेंगे,’’ पलक ने कुछ तेज स्वर में तैश के साथ कहा.

‘‘बेटा मेरी इस समय की स्थिति में उम्र का यह अंतर बहुत माने नहीं रखता. माने रखती है तो सिर्फ यह बात कि हमारी आपस में अंडरस्टैंडिंग कैसी है. उन के साथ रहते हुए मुझे उम्र का यह फासला कभी महसूस ही नहीं होता… मेरा यकीन करो, जितना मैं उन्हें जानती हूं, वे एक अच्छे और सच्चे इंसान हैं. मैं उन के साथ बेहद खुश रहूंगी,’’ सुजाता ने साफ शब्दों में पलक से अपने मन की बात कह डाली.

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‘‘मां मुझे आप की इस दोस्ती का कोई सुखद भविष्य नजर नहीं आ रहा है,’’ पलक जैसे अपनी मौम की मां ही बन बैठी. यह कह कर उस ने साफ इशारा दे दिया कि सुजाता और सोमनाथजी के रिश्ते पर उसे कड़ा ऐतराज है.

मां से नाराज पलक शाम होते ही कुछ देर के लिए मीरा आंटी के घर चली गई. वह जानना चाहती थी कि क्या मीरा आंटी को मौम की इस रिलेशनशिप के बारे में पता है और यदि पता है तो उन का इस पर क्या कहना है. बचपन से ही मीरा आंटी उन दोनों मांबेटी के बीच में छिटपुट विवादों को सुलझाती आईर् थीं.

पलक को घर आया देख मीरा बहुत खुश हुई. मारे खुशी के उस ने पलक को गले से लगा लिया, पर पलक की आंखों में आंसू देख उस का मन बहुत दुखी हुआ. पलक से पूरी बात सुनने के बाद तुरंत ही उस ने सब से पहले सुजाता को चुपचाप फोन कर के यह बता दिया कि पलक उस के पास है. और वह समर को भी फोन कर औफिस से सीधे अपने घर बुला लेगी. वह परेशान न हो.

समर औफिस से सीधे मीरा के घर आ गया. पलक का उतरा चेहरा देख उसे बड़ी हैरानी हुई. पूछा, ‘‘क्या हुआ तुम इतनी दुखी क्यों लग रही हो?’’

‘‘बैठो बेटा. मैं आप को पूरी बात समझाती हूं,’’ समर को आया देख मीरा ने प्यार से कहा.

उसे चायनाश्ता करवा कर मीरा ने पलक की परेशानी समर से साझा की और यह भी बताया कि इस बारे में वह पहले से जानती है तथा उस ने सोमनाथजी को पूरी तरह परखा है. सुजाता का यह बिलकुल सही चुनाव है.

पूरी बात समझने के बाद समर ने पलक की ओर देखा मानो जानना चाहता हो कि इस सब में उसे परेशानी कहां आ रही है.

पलक ने कहा, ‘‘मुझे मौम की दूसरी शादी से कोई ऐतराज नहीं है. मैं जानती हूं कि मेरे जाने के बाद वे बिलकुल अकेली हो चुकी हैं, पर हमें उन दोनों की उम्र का अंतर भी देखना चाहिए. मुझे लगता है उन अंकल ने मेरी मौम को बहकाया है.’’

पलक की परेशानी समझ समर जोर से हंस पड़ा, ‘‘अरे वे तुम्हारी मौम हैं कोई छोटी बच्ची नहीं, जो किसी की बातों में आ जाएंगी. उन्होंने हम से ज्यादा दुनिया देखी हैं. वे इंसान को पहचानने का हुनर हम से ज्यादा रखती हैं. तुम क्यों चिंता करती हो… और फिर देखा जाए तो यह अच्छा ही है… हमतुम उन के साथ हर पल तो नहीं रह सकते… वैसे भी इतनी बड़ी जिंदगी अकेले काटना कोई समझदारी नहीं है. फिर तुम्हें भी तो हर वक्त मौम की चिंता लगी रहती है. फिर परेशानी क्या है. इस मुकाम पर उम्र का अंतर बहुत ज्यादा माने नहीं रखता है. चलो तुम्हारी शंका के निवारण के लिए मैं भी उन अंकलजी से मिल लूंगा,’’ समर ने उसे समझाते हुए कहा.

पलक उस समय तो ऊपरी तौर पर चुप रही पर अभी भी अंदर ही अंदर वह इस रिश्ते से नाखुश थी.

थोड़ी देर बाद डोरबैल बजी. ‘‘शायद मां होंगी. मैं उन्हें बिना बताए आ गई थी,’’ पलक ने उठते हुए कहा.

‘‘नहीं, तुम बैठो. मैं देखती हूं,’’ कहते हुए मीरा ने उठ कर दरवाजा खोला, ‘‘आओआओ, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी,’’ अखिलेश को देखते ही मीरा के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव आ गए. मीरा ने अखिलेश से समर और पलक का परिचय करवाया तभी मीरा के पति भी आ गए.

‘‘दोस्तो, मीरा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा,’’ सुजाता मेरी सब से प्यारी सहेली है. पलक के पापा के जाने के बाद उस ने किसी को अपना दुख महसूस नहीं होने दिया. यहां तक की पलक को भी नहीं. लेकिन मैं उस दुख और तकलीफ की स्वयं साक्षी हूं, जो सुजाता ने उठाए हैं. कुणाल के जाने के बाद पहली बार किसी ने सुजाता के दिल पर मरहम रखा, उस के दिल को छुआ. बिना स्वार्थ व लालच के उस से दोस्ती की, उसे निभाया और उस का खयाल रखा. दूसरी ओर सुजाता ने भी सोमनाथजी के जीवन का अकेलापन दूर कर उन्हें जिंदगी से एक बार फिर मिलवाया. जिंदगी के हर पल को जीना सिखाया,’’ कहतेकहते मीरा थोड़ी भावुक हो उठी.

‘‘मेरा मानना है कि किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए प्रेम, समर्पण और विश्वास का होना जरूरी है, जोकि सुजाता और सोमनाथजी में एकदूसरे के लिए बहुत है. मैं ने अखिलेश को भी यहां इसीलिए बुलाया है कि दोनों के बच्चे आज अपने मातापिता के लिए फैसला लें और उन्हें इस विवाह के लिए राजी करें, क्योंकि वे शायद आप से इस बाबत कभी कह न पाएं. वे एकदूसरे को चाहते रहेंगे, एकदूसरे के साथ रहेंगे, पर शायद विवाह के लिए उम्र में इतनी आसानी से न मानें. इसीलिए मैं उन की भावनाओं को आप सभी के समक्ष रख रही हूं,’’ कह मीरा चुप हो गई.

‘‘मैं आंटीजी की बात से पूरी तरह सहमत हूं…’’ मैं मम्मीजी को इस शादी के लिए राजी करूंगा,’’ समर ने उठ कर तालियां बजाते हुए कहा.

‘‘मैं भी अपने पापा और होने वाली मां के लिए बहुत खुश हूं. मुझे विश्वास है कि मैं भी अपने पापा को मना लूंगा,’’ अखिलेश ने समर से हाथ मिलाते हुए कहा.

पलक ने भी उठ कर आखिर अपनी मौन स्वीकृति दे दी. फिर तय किया गया कि दोनों की कौर्ट मैरिज करवाई जाएगी और फिर कुछ दोस्तों को बुला कर छोटी सी पार्टी दे दी जाएगी.

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उधर सुजाता मन ही मन बहुत दुखी थी कि यह उस ने क्या किया, कितने दिनों बाद पलक घर आई और उस ने उसे दुखी कर दिया. आखिर उस ने पलक के सामने यह बात छेड़ी ही क्यों? वह पलक को दुखी कर के कोई निर्णय नहीं लेना चाहती थी, आखिर पलक उस की इकलौती बेटी थी. पर दूसरी तरफ वह सोमनाथजी को भी दुखी नहीं करना चाहती थी. वह बड़ी दुविधा में थी. 11 बजने को थे. बच्चे अभी तक घर नहीं आए थे. वह सोचने लगी कि मीरा के घर आखिर क्या चल रहा है. पलक के जिद व गुस्से को भी वह अच्छी तरह जानती थी.

तभी बैल बजी. घबराई सुजाता ने जल्दी से दरवाजा खोला तो अखिलेश, समर, पलक खड़े नजर आए. उसे कुछ समझ नहीं आया. तभी उन के पीछे से निकलते हुए सोमनाथजी को मुसकराता देख सुजाता स्तब्ध रह गई.

तभी समर ने उसे बांहों से थाम कर सोफे पर बैठाते हुए कहा, ‘‘मां, अब जब हमें पता चल ही गया है कि आप और सोमनाथजी अंकल एकदूसरे को चाहते हैं, तो कृपया समय की बरबादी न करते हुए दोनों की भलाई इसी में है कि शादी के लिए हां कह दें.’’

वातावरण को सहज बनाने के लिए एक मनोरंजक अंदाज में समर द्वारा सुजाता को मनाने का यह तरीका देख सब हंस पड़े.

‘‘हां आंटी, देखिए न मैं ने भी अपने पापा को मना लिया है. अब आप दोनों मिल कर अपने जीवन की नई शुरुआत कीजिए,’’ कहते हुए अखिलेश ने अपने दोनों हाथ जोड़ दिए.

यह सुन कर सुजाता ने पलक की ओर देखा. ‘‘वैसे तो मैं आप का प्यार किसी के साथ बांटना नहीं चाहती, लेकिन सिर्फ आप की खुशी के लिए मुझे आप दोनों की शादी मंजूर है मां. आप दोनों का प्यार और साथ हमेशा बना रहे, मैं यह कामना करती हूं,’’ कह कर पलक ने दोनों का हाथ पकड़ कर एकदूसरे के सामने खड़ा कर दिया.

तभी सुजाता के सामने खड़े सोमनाथजी ने उस की आंखों में देख कर बड़ी अदा से झुकते हुए पूछा, ‘‘क्या तुम मुझ से शादी करोगी?’’

सभी का सम्मिलित स्वर ठहाके के रूप में कमरे में गूंज उठा और सुजाता लजा कर सोमनाथजी के सीने से लग गई.

Serial Story: मुझ से शादी करोगी (भाग-1)

सुजाता की हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. मीरा ने उसे सचेत किया. सुबह की सैर कर रहे सभी लोगों की निगाहें उसी पर आ कर टिक गईं. कितना विचित्र था, पर 50 वसंत पार कर चुकी सुजाता आज भी लाइफ को मस्त, बेपरवाह, जिंदादिली से जीती थी. लेकिन कभीकभी उस का यही बिंदासपन किसी सार्वजनिक जगह पर लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र भी बन जाता था. ऐसा ही उस दिन सुबह हुआ था.

रोज की तरह सुबह सैर पर निकली दोनों सखियां अपनी ही किसी बात पर खिलखिला कर हंस पड़ी थीं. मीरा ने तो जल्द ही अपनी हंसी को काबू कर लिया पर आदत से मजबूर सुजाता अपनी हंसी को रोक नहीं पा रही थी.

मिनी मुंबई बन चुके इंदौर के सुदामानगर स्थित गोपुर चौराहे से राजेंद्र नगर की ओर जाने वाले रिंग रोड पर सुबह की सैर के लिए लोगों का मेला सा लग जाता है. पास में आईडीए की कालोनी अभी पूरी तरह खाली है, पर उस की पहले से बन चुकी शानदार सड़कें फिलहाल लोगों के सुबहशाम टहलने या बच्चों के क्रिकेट खेलने के काम ही आती हैं.

वहीं पास ही वैशाली कालोनी में सुजाता का खूबसूरत घर है. पति आर्मी से रिटायर थे. 2 साल पहले ही एक सड़क हादसे में गुजर चुके थे.

कुणाल एक निडर, निर्भीक व साहसी इंसान थे, जिन के साथ सुजाता ने खुशहाल जिंदगी जी थी. उन के साथ बेखौफ जीवन जीने वाली सुजाता उन के जाने के बाद नियति को बड़ी ही सहजता से स्वीकार कर आगे बढ़ चली थी. उस के लिए शायद यही कुणाल को दी जाने वाली सच्ची श्रद्धांजलि थी.

करीब 6 महीने पहले सुजाता ने अपनी इकलौती बेटी पलक की शादी बहुत ही धूमधाम से पुणे में सौफ्टवेयर इंजीनियर समर से की थी. समर बहुत ही प्रतिभाशाली और खुशमिजाज युवक था. शुरू से अनुशासित जिंदगी की पक्षधर सुजाता अपने बेहतर खानपान और नियमित व्यायाम करने के कारण वास्तविक उम्र से बहुत कम उम्र की दिखाई देती थी.

उस दिन मीरा की तबीयत ठीक न होने पर सुजाता अकेले ही सैर पर आई. उस की चाल में रोज की अपेक्षा कुछ तेजी थी. अपनी सैर पूरी कर वह घर जाने के लिए मोड़ पर आई ही थी कि अचानक एक कुत्ता दौड़ता आता दिखा. जब तक वह उस के रास्ते से हटती वह उस के ऊपर से छलांग लगा कर आगे निकल चुका था.

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सुजाता ने संभलने की बहुत कोशिश की, पर गिर गई. आसपास से जा रहे लोग उस के पास जमा हो गए. एक भद्र महिला ने उस की उठने में मदद की. तभी उसी कुत्ते को पकड़े एक 60-65 वर्षीय सज्जन उस के पास आ कर उस से माफी मांगते हुए बोले, ‘‘मैं फ्रूटी की इस हरकत पर बहुत शर्मिंदा हूं. आमतौर पर यह बहुत ही शांत स्वभाव की है, पर पता नहीं आज इसे क्या हो गया… आप को ज्यादा तो नहीं लगी?’’

‘‘नहीं, कोई बात नहीं. मैं बिलकुल ठीक हूं,’’ अपनी कुहनी पर लगी खरोंच को साफ करते हुए सुजाता ने कहा.

‘‘लीजिए इस से साफ कर लीजिए,’’ सफेद कुरतापाजामा पहने उन सज्जन ने एक रूमाल आगे करते हुए कहा.

उन दोनों को आपस में रजामंद देख लोग अपने रास्ते चल दिए. रूमाल ले कर सुजाता अपने कपड़ों को साफ करने लगी. फिर वे सज्जन उस से बात करते हुए उस के साथ ही चलने लगे.

‘‘मेरा नाम सोमनाथ है. आप?’’ सोमनाथजी ने प्रश्नवाचक निगाहों से सुजाता की तरफ देखा.

‘‘जी, मैं सुजाता, थैंक्स…’’ कह कर सुजाता ने उन का रूमाल उन्हें पकड़ा दिया. फिर कुछ देर बाद ही उस का घर आ गया.

‘‘ओके, फिर मिलते हैं,’’ कह कर सुजाता अपने घर की तरफ मुड़ी ही थी कि ऐक्सक्यूज

मी की आवाज ने उसे मुड़ कर देखने को मजबूर कर दिया.

‘‘जी?’’ कह सोमनाथ पर उस ने एक प्रश्नवाचक नजर डाली.

‘‘क्या 1 गिलास पानी मिलेगा?’’ सोमनाथजी के पूछने के अंदाज पर सुजाता को हंसी आ गई.

‘‘हांहां, क्यों नहीं. आइए न,’’ ताला खोलते हुए सुजाता बोली.

फू्रटी को वहीं गेट पर बांध कर सोमनाथ घर के भीतर आ गए. जब तक सुजाता पानी ले कर आई तब तक उन्होंने पूरे कमरे का मुआयना कर लिया. खूबसूरत कमरे में बहुत ही करीने से लगी हर चीज घर के मालिक के शौक व सुगढ़ता को बयां कर रही थी.

‘‘लीजिए… बैठिए न, सुजाता सोमनाथ के सामने पानी की ट्रे लिए खड़ी थी.’’

‘‘थैंक्स, वाकई बहुत प्यास लगी थी,’’ एक ही सांस में सोमनाथजी ने गिलास खाली कर दिया.

‘‘आप के पति व बच्चे नजर नहीं आ रहे?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘मेरे पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. 1 बेटी है, जिस की शादी हो चुकी है.’’

‘‘उफ, माफ कीजिएगा मुझे मालूम नहीं था,’’ सोमनाथजी ने बेहद कोमल स्वर में कहा.

‘‘इस में माफी मांगने की क्या बात है? जो होना होता है वह हो कर ही रहता है. कृपया आप शर्मिंदा न हों,’’ सुजाता ने संजीदगी से कहा.

सुजाता के पूछने पर सोमनाथजी ने अपने बारे में बताया कि वे तलाकशुदा हैं. पत्नी से तलाक के बाद वे अपना घर छोड़ कर अन्नपूर्णा कालोनी में ही किराए पर रह रहे हैं. 1 बेटा है, जो शादीशुदा है और अपनी पत्नी व बच्चों के साथ उन की पत्नी यानी अपनी मां के साथ मालवीय नगर में बने उन के अपने घर में रह रहा है.

सोमनाथजी के चले जाने पर सुजाता कुछ देर तक उन के बारे में सोचती रही. कितना शांत व सौम्य व्यक्तित्व है, लेकिन उन आंखों में कितना खालीपन और नीरसता समाई है. कहने को तो मुझ से बातें करते रहे, लेकिन आंखों की खामोशी बरकरार रही. हुंह, मुझे क्या करना… सब की अपनीअपनी कहानी है सोच कर वह अपने रोजमर्रा के काम में लग गई. वैसे भी उदास  हो कर बैठ जाना उस की फितरत में नहीं था.

दूसरे दिन सैर के लिए निकली सुजाता की निगाहें किसी को ढूंढ़ रही थीं. तभी सामने से सोमनाथजी को आता देख उस की आंखों में चमक आ गई. बोली, ‘‘गुडमौर्निंग सोमनाथजी.’’

‘‘वैरी गुडमौर्निंग सुजाताजी.’’

‘‘आज आप की फ्रूटी नहीं आई?’’

‘‘आज उसे पहले घुमा दिया है. कल उस ने आप को बहुत परेशान किया था न,’’ सोमनाथजी ने शांत भाव से कहा.

‘‘अरे, ऐसा करने की क्या जरूरत थी. मेरा मतलब है मुझे उस से कोई दिक्कत नहीं है. सुजाता ने हंसते हुए कहा.’’

‘‘आप की सहेली आज भी नहीं आईं?’’

‘‘हां, शायद कल से आ जाए. वैसे आप को कैसे पता मेरे साथ मेरी सहेली भी आती है?’’ सुजाता ने घोर आश्चर्य से पूछा.

‘‘आप दोनों को रोज एकसाथ घूमते देखता हूं, इसलिए पूछा.’’

‘‘पर मैं ने तो आप को कल पहली बार देखा,’’ सुजाता मुसकराई.

‘‘आप अपनी बातों में ही इतनी मस्त रहती हैं कि आप को पता ही नहीं चलता कि आप के आसपास और कौन है?’’

‘‘माफ कीजिएगा… मैं बस ऐसी ही हूं. मस्त और बेपरवाह… शायद मुझ में यह बहुत बड़ी कमी है, पर क्या करूं, मैं ज्यादा देर तक सीरियस नहीं रह सकती,’’ सुजाता ने कुछ गंभीर स्वर में कहा.

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‘‘अरे, आप तो बुरा मान गईं. मेरी बात का यह मतलब हरगिज नहीं था. प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए,’’ सोमनाथजी ने बेचारगी से कहा.

‘‘लगता है हम दोनों एकदूसरे से सिर्फ माफी ही मांगते रहेंगे,’’ कह कर सुजाता फिर जोर से हंस पड़ी.

इधर कुछ पारिवारिक उलझनों की वजह से मीरा हफ्ता भर सुबह की सैर पर नहीं आ सकी. तब तक सुजाता और सोमनाथ अच्छे दोस्त बन चुके थे. हालांकि दोनों के व्यक्तित्व एकदूसरे से बिलकुल मेल नहीं खाते थे. जहां एक ओर सुजाता मिलनसार, बातूनी और खुशमिजाज स्वभाव की थी, वहीं दूसरी ओर सोमनाथ कुछ अंतर्मुखी और गंभीर व्यक्तित्व के इंसान थे. फिर भी दोनों को एकदूसरे का साथ पसंद था.

लगभग 1 हफ्ते बाद सुजाता ने साथ आई मीरा से सोमनाथजी का परिचय

करवाया. पर मीरा के साथ सैर करते हुए दोनों ही कुछ असहज फील कर रहे थे.

उस दिन मीरा सैर पर से सीधे सुजाता के साथ उस के घर आ गई. सुजाता चाय बनाने लगी और मीरा उस के साथ किचन में आ कर वहीं किचन स्टैंड पर बैठ गई. फिर बोली, ‘‘ये सब क्या चल रहा है सुजाता?’’

‘‘मतलब? मैं समझी नहीं?’’

‘‘तू अच्छी तरह जानती है मैं क्या और किस के बारे में पूछ रही हूं,’’ मीरा ने कुछ जोर दे कर कहा.

‘‘अच्छा… तू मेरे और सोमनाथजी के बारे में जानना चाहती है तो सुन,’’ फिर कुछ रुक कर सुजाता बोली, ‘‘सोमनाथजी मेरे अच्छे दोस्त हैं. उन से मिलना, बात करना मुझे अच्छा लगता है. अब तो हो गया न तेरी शंका का समाधान?’’ सुजाता ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पूछा.

‘‘नहीं, बल्कि मेरा प्रश्न यहां से शुरू हो रहा  है. आगे क्या?’’ मीरा ने चिंता जताते हुए कहा.

‘‘पता नहीं मीरा, पर उस इंसान में कुछ बात तो है, जो उसे दूसरों से अलग करती है. आगे की आगे देखी जाएगी. तू चिंता मत कर, जिंदगी का प्रवाह जिस ओर ले जाए गिला नहीं,’’ सुजाता ने मीरा को तसल्ली देनी चाही.

‘‘सब कुछ ठीक है, पर तू जो भी करे, पलक को ध्यान में रखते हुए करना,’’ मीरा ने उसे आगाह किया.

‘‘बिलकुल,’’ सुजाता ने मीरा को आश्वस्त किया.

आगे पढ़ें- मीरा के जाते ही सुजाता…

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