Best Hindi Story : पति-पत्नी और वो – साहिल ने कौनसा रास्ता निकाला

Best Hindi Story : ‘‘साहिल,सुमित, सौरभ और रूपम चारों एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे ओहदों पर कार्यरत थे और कंपनी में महत्त्वपूर्ण ब्रैंड्स को हैंडल कर रहे थे. चारों में अच्छी दोस्ती थी. कंपनी मार्केटिंग व सेल्स से संबंधित अपने कर्मियों को इन्सैंटिव ट्रिप के नाम पर वर्ल्ड टूर पर भेजती थी और इस तरह कंपनी में कार्यरत कर्मचारी विदेशों के कई देशों में भ्रमण कर चुके थे.

इस बार भी इन्सैंटिव ट्रिप पर जाने की खबर गरम थी. औफिस में खलबली मची हुई थी. बीवीबच्चों से अलग, परिवार की चिंता से दूर, दोस्तों सहकर्मियों के साथ विदेश भ्रमण का कुछ अलग ही मजा होता है, जिस का लुत्फ हरकोई उठाना चाहता था.

सभी को उत्सुकता थी कि इस बार कहां जाना फाइनल होता है. रूपम को तो जरूर ही जाना पड़ता था क्योंकि अकसर पूरे ट्रिप के प्रबंधन का कार्यभार उस के कंधों पर आ पड़ता था. एक दिन चारों दोस्त औफिस के बाद इसी ऊहापोह व उत्सुकता भरे वार्त्तालाप में मशगूल थे कि बहुत देर से चुप साहिल बोल पड़ा, ‘‘यार मैं तो शायद इस बार नहीं जा पाऊंगा…’’

‘‘क्यों?’’ तीनों दोस्त एकसाथ चौंके.

‘‘क्योंकि वर्तिका का कहना है कि बहुत समय से हम साथ में कहीं नहीं गए… उस की छुट्टियां बहुत मुश्किल से मंजूर हुईं हैं… दोनों बच्चों को छोड़ कर इस बार उस के साथ जाना पड़ेगा… इसलिए दोनों मम्मियों को बुलाया है.’’

‘‘लेकिन दोनों की मम्मियों को क्यों? एक से काम नहीं चल रहा था?’’ सुमित ठहाका मारते हुए बोला.

‘‘नहीं… उस ने अपनी मम्मी को फोन किया और मैं ने अपनी मम्मी को… और दोनों आने को तैयार हो गईं,’’ साहिल कुढ़ कर बोला.

‘‘मतलब कि दोनों की सास… एक की ही सास को  झेलना मुश्किल हो जाता है… जिस की सास आती है, वही औफिस से देर से घर जाता है,’’ सौरभ भी ठहाका मार कर हंसता जा रहा था.

‘‘हां यार सही कह रहा है और जिस की मम्मी आती है वह अच्छे बच्चे की तरह टाइम से घर चला जाता है,’’ रूपम भी वार्त्तालाप का आनंद लेता हुआ बोला.

‘‘तुम तीनों मस्ती करना, थोड़ाथोड़ा मु झे भी याद कर लेना. मेरी नजरों से भी नजारे देख लेना,’’ साहिल लंबी आह भरते हुए बोला.

साहिल के विवाह को 7 साल हो गए थे. शेष तीनों दोस्तों के विवाह को अभी 2 से 4 साल ही हुए थे. सब मस्ती के मूड में तो थे ही, पर पीछे छोड़ कर जा रहे परिवारों की चिंता भी थी. इसलिए वे भी घर से किसी न किसी को बुलाने की सोच रहे थे.

‘‘पहले ट्रिप फाइनल हो जाए फिर मैं भी मम्मी को बुला लूंगा…’’ रूपम बोला.

‘‘अरे मम्मी को नहीं… सास को बुला सास को ताकि बीवी बिना बड़बड़ाए और नानुकुर के तु झे ट्रिप पर जाने दे,’’ साहिल ने राह सु झाई.

‘‘हां, कह तो सही रहा है, अपनीअपनी सास को बुला लेते हैं, बीवियां भी खुश और हम भी इत्मीनान से ट्रिप पर जा सकेंगे,’’ सौरभ हां में हां मिलाता हुआ बोला.

‘‘हां यही ठीक रहेगा,’’ तीनों दोस्तों ने तय कर लिया कि आज ही यह खुशखबरी घर में सुना कर अपनीअपनी सास का फ्लाइट टिकट बुक करवा कर पत्नियों को इंप्रैस कर देंगे.

घर पहुंच कर तीनों ने पहली खुशखबरी अपनीअपनी सास को बुलाने की सुनाई, दूसरी इन्सैंटिव ट्रिप पर जाने की. ट्रिप पर पतियों के मस्ती मारने की बात सोच कर व्यथित तीनों की पत्नियां, मांओं के आने की बात सुन कर पुलकित हो गईं. तीनों ने पत्नियों की अतिरिक्त खुशी का फायदा उठाया. ट्रिप तो अभी फाइनल नहीं हुआ था पर अपनीअपनी सास का एयर टिकट बुक करवा कर तीनों ने बीवियों को खुश कर एहसान मढ़ दिया.

तीनों अपनी प्लानिंग पर फूले नहीं समा रहे थे कि सिर मुंडाते ओले पड़ गए. कंपनी ने मंदी के चलते, कंपनी के आर्थिक हालात से निबटने हेतु कंपनी के खर्चों में कटौती के मद्देनजर इन्सैंटिव ट्रिप कैंसिल करने का निर्णय ले लिया. तीनों को जैसे सांप सूंघ गया. सासूमांओं के टिकट तो नौनरिफंडेबल थे, ऊपर से बीवियों को क्या कह कर उन के टिकट कैंसिल करवाते.

तीनों दोस्त औफिस के बाद मिल कर साहिल को भलाबुरा कह रहे थे. उसे लानतें भेज रहे थे. दिल की भड़ास निकाल रहे थे.

‘‘तूने ही उकसाया हमें, यह प्लानिंग तेरी ही थी. मैं तो अपनी मम्मी को बुला रहा था,’’ रूपम बोला.

‘‘अरे मैं ने क्या किया, मैं ने थोड़े न कहा था इतनी जल्दी बीवियों को खुश करने के लिए सासों के टिकट बुक करवा दो… अब भुगतो,’’ साहिल दुष्टता से मुसकराया, ‘‘मैं कम से कम बीवी के साथ ही सही विदेश तो घूमूंगा, पर तुम तीनों अपनीअपनी सास के साथ ऐंजौय करो…’’

तीनों उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहे थे.

पहली पीढ़ी तक बहुएं अपनी सासों से जितनी घबराती थीं, नई पीढ़ी के

दामाद अपनी सासों से उस से ज्यादा घबराते नजर आते हैं. मतलब कि पतिपत्नी के बीच ‘वो’ यानी सास हमेशा तनाव का कारण बनी रही, फिर सास चाहे किसी की भी हो. साहिल हंसता हुआ यह कह कर बाहर निकल गया कि ट्रिप पर जाने की तैयारी करनी है. तुम अपनी समस्या का कुछ हल सोचो वरना ऐंजौय विद यौर सासूमां.

तीनों का मन कर रहा था जाते हुए साहिल को दबोच कर दिल की सारी कसक निकाल लें…

‘‘अब?’’ रूपम ठुड्डी पर हाथ रखता हुआ बोला, ‘‘ट्रिप तो मात्र 10 दिन का ही था, पर मेरी सासूमां का ट्रिप तो 20 दिन का है. विदेश घूमने की खुशी में मैं ने मंजूर कर लिया था. सोचा था, आने के बाद पैंडिंग काम निबटाने का बहाना कर देर से घर जा कर बाकी के 10 दिन काट लूंगा. मेरी सास तो टीचर रह चुकी है, मु झे भी विद्यार्थी सम झ कर कई पाठ पढ़ाती रहती हैं. जिंदगी के प्रति उन के नजरिए को सम झतेसम झते तो मैं अपना नजरिया भूल जाऊंगा.’’

‘‘और मेरी सास बैंक से रिटायर्ड, हर वक्त पैसे बचाने की बात करेंगी और सैलरी के बारे में तो ऐसे पूछती हैं जैसे 1-1 पैसे का हिसाब लगा कर रट्टा लगाना हो,’’ सौरभ भी बड़बड़ाया.

‘‘यह तो कुछ भी नहीं, जो मेरी सास करती हैं. जब तक रहेंगी, तब तक जताती रहेंगी कि मैं ने पत्नी के रूप में उन की लाड़ली, सुयोग्य, इकलौती, फूल जैसी बेटी को पाया, जो उन की संपत्ति की इकलौती वारिस है. उन का मु झ पर पूरा हक है और मेरा उन के प्रति फर्ज ही फर्ज, अपने मातापिता के प्रति हो न हो…’’ सुमित ने भी दिल की भड़ास निकाली.

तीनों दोस्त बढ़चढ़ कर अपनीअपनी सास की बुराई में मशगूल थे कि रात के 9 बज गए.

‘‘मैं चला…’’ रूपम हड़बड़ा कर उठता हुआ बोला, ‘‘वरना मेरी बीवी मेरी सास की ही तो बेटी है,’’ कह कर वह बाहर निकल गया.

‘‘हमारी भी तो…’’ कह कर सौरभ, सुमित भी पीछेपीछे निकल गए.

नियत दिन तीनों की सासूमांएं पहुंच गईं.

रूपम की सास अघ्यापिका के पद से रिटायर हुईं थीं. इसलिए उन की बातचीत हमेशा उपदेशात्मक रहती थी. वे अपनी बेटी व रूपम को हमेशा नादान बच्चा ही सम झती थीं. बेटी को तो आदत थी पर रूपम जबतब  झल्ला जाता.

‘‘जब मेरे मांबाप हमें कुछ नहीं बोलते तो तुम्हारी मम्मी क्यों हमेशा उपदेश देने के मूड में रहती हैं?’’

‘‘ठीक से बोलो रूपम, वे तुम्हारी भी मां हैं… हमारे भले के लिए ही बोलतीं हैं. इस में बुरा मानने वाली कौन सी बात है?’’ रिमी धीमी आवाज में सम झाती.

‘‘तो क्या इस बात पर भी सम झाएंगी कि मु झे अपनी पत्नी के साथ कैसे बात करनी चाहिए, उसे टाइम देना चाहिए, उस के साथ घूमना चाहिए, काम में हाथ बंटाना चाहिए, अब बच्चा पैदा कर लेना चाहिए? तुम्हें है कोई शिकायत मु झ से? अपनी शिकायतें हम खुद निबटा लेंगे.’’

‘‘तुम इतनी छोटीछोटी बातों को दिल से क्यों लगाते हो? मां ही तो हैं, बोल दिया तो क्या हुआ?’’

‘‘तो फिर बारबार क्यों बोलतीं हैं? उन के पास बैठना ही मुश्किल है. तुम्हें तो तब पता चले जब मेरी मां तुम्हें हर समय उपदेश देती रहें. जरा सा भी नहीं सुन पाती हो उन का बोला हुआ… और सही कहें या गलत… तुम सुनो,’’ उस की आवाज ऊंची होने लगती.

उधर सौरभ की सास बैंक से रिटायर्ड. सौरभ की पत्नी जिया उसे जब भी ठेलठाल कर मम्मीजी के सामने बैठने को कहती तो वे अपना वही टौपिक शुरू कर देतीं, ‘‘बेटा, प्राइवेट नौकरी है, जरा हाथ दबा कर खर्च किया करो तुम लोग. आज नहीं बचाओगे तो रिटायरमैंट के बाद क्या खाओगे? कई स्कीमों के बारे में बता सकती हूं मैं तुम्हें. उन में पैसा इन्वैस्ट करो. हमें तो कोई बताने वाला नहीं था, तुम्हें तो बताने वाली मैं हूं. फालतू का खर्च करते हो. शीना तो नौकरी और छोटे बच्चे के साथ व्यस्त रहती है, पर तुम तो मेड के साथ मिल कर किचन संभाल सकते हो. कपड़ेजूतों से अलमारी भरी है, फिर भी खरीदते रहते हो. जरूरतों को जितना बढ़ाओ, बढ़ती हैं और शौक जितने कम करो कम हो जाते हैं.’’

‘‘सही कहती हैं मम्मीजी, यह सादा जीवन उच्च विचार वाला फलसफा इस बार जिया को रटवा देना,’’ कह कर सौरभ पतली गली से अपना बचाव करता हुआ बिना कारण बताए घर से बाहर निकल जाता और बेमतलब इधरउधर टाइम पास कर घर आ जाता. उसे 1 महीना बिताना पहाड़ जैसा लग रहा था.

उधर सुमित भी अपनी सास से बचने के लिए औफिस से घर जाने में जानबू झ कर देर करता और फटाफट खाना खा कर सो जाता.

मगर खाना खातेखाते भी मम्मीजी अपनी बात कहने से बाज नहीं आतीं, ‘‘कितना दुबला और थका हुआ लग रहा है बेटा… इतनी जान मारने की क्या जरूरत है? तुम लोग तो वहीं आ जाओ, जो भी नौकरी मिले वहीं कर लो… आखिर शानिका हमारी इकलौती बेटी है. तुम्हें तो गर्व होना चाहिए जो उन्हें इतनी सुंदर, सुगड़ और योग्य पत्नी मिली है, जो इतनी धनसंपत्ति की अकेली वारिश भी है… फिर हमारे प्रति भी तो तुम्हारा कुछ फर्ज बनता है.’’

सुमित का दिल करता कि कहे मम्मीजी ये सब पता होता तो शानिका के सलोने मुखड़े, पर फिदा होने से पहले 10 बार सोचता. पर प्रत्यक्ष

में कहता, ‘‘मम्मीजी, आप की उम्र में इतनी देर भूखा रहना ठीक नहीं, आप जल्दी खा कर सो जाया कीजिए.’’

‘‘कैसे सो जाऊं बेटा, तुम से बात किए बिना दिल ही नहीं मानता. हमारे सबकुछ तुम्हीं तो हो, थोड़ा जल्दी आ जाया करो,’’

सुन कर सुमित कुढ जाता. कहना चाहता कि आप की बेटी तो मेरे मातापिता की कुछ भी नहीं बन पा रही, मैं कैसे बन जाऊं आप का सबकुछ. फिर कहता, ‘‘ठीक है मम्मीजी कल से जल्दी आने की कोशिश करूंगा.’’

उधर साहिल बीवी के साथ विदेश भ्रमण पर था और बेहद रोमांटिक अंदाज के

फोटो फेसबुक पर अपलोड कर देता. कभी कुछ फोटो व्हाट्सऐप पर भी भेज देता. तीनों दोस्त अपना गुस्सा अपना मोबाइल पटक कर निकालते.

साहिल तीनों को जलाजला कर खुश होता. सुबह बड़ी प्यारी गुड मौर्निंग भेजता और रात में हालचाल पूछना न भूलता. तीनों दोस्तों का दिल करता कि उस की सासूमां का भी टिकट कटा कर उसी के पास भेज दें.

ऐसे ही वे किसी तरह दिन निकाल रहे थे. एक दिन तीनों समुद्र किनारे बैठे सासूपुराण में फिर व्यस्त थे और काफी चर्चा के बाद अब थक कर गहन सोच में डूबे समुद्र की लहरें गिन रहे थे.

‘‘अभी तो आधे ही दिन बीते हैं, मु झे तो घर और बीवी दोनों ही पराए लगने लगे हैं,’’ रूपम खिन्न स्वर में बोला.

‘‘यार अब सम झ में आ रहा है कि बहुएं अपनी सासों से क्यों भागा करती हैं. बेसिरपैर की बातें और बिन मौके के उपदेश भला किसे अच्छे लगते हैं,’’ सौरभ ने विश्लेषण दिया.

‘‘असल में हर पुरानी पीढ़ी अपनी नई पीढ़ी को नादान सम झती है और अपनी सम झ के अनुसार उपदेश देती रहती है और हर नई पीढ़ी को लगता है पुरानी पीढ़ी को कोई सम झ नहीं. वह क्या जाने नए जमाने की बातें,’’ आवाज सुन कर तीनों दोस्तों ने चौंक कर पीछे देखा तो साहिल खड़ा मुसकरा रहा था.

‘‘अरे तू कब आया?’’

‘‘मेरा ट्रिप तो 2 हफ्ते का ही था, सुबह ही पहुंचा हूं. आज छुट्टी थी, मु झे पता थार दोस्त लोग यहां पर गुप्त मंत्रणा कर रहे होंगे.’’

‘‘अरे इस की सोच यार. एक तरफ अपनी सास और दूसरी तरफ अपनी बीवी और बीवी की सास, खूब पिसेगा अब बाकी दिन बेचारा. सारी छुट्टियों की मस्ती निकल जाएगी,’’ सुमित ठहाका लगाता हुआ बोला.

‘‘मैं तुम्हारी तरह समस्याओं से पलायन नहीं करता,’’ साहिल दार्शनिक अंदाज में बोला, ‘‘जैसे सम झदार व सहनशील बहू होती है, वैसे ही मैं सम झदार व सहनशील अच्छे वाला दामाद हूं. बस थोड़ा ‘हैंडल विद केयर’ की जरूरत पड़ती है, आखिर मां तो मां ही होती है फिर चाहे बीवी की हो या अपनी,’’ साहिल रहस्यात्मक तरीके से मुसकराया.

तीनों की कुछ सम झ में नहीं आया.

‘‘एक गुरुमंत्र है बेटा, अपनी सास को खुश कर लो, बीवी फ्री में खुश रहेगी और बोनस में अपनी सास को खुश रखेगी. हो गए न एक तीर से तीन निशाने.’’

‘‘वह कैसे? मतलब कि हम क्या करें,’’ तीनों को साहिल के कहे में काफी गहरा रहस्य दिखाई पड़ रहा था.

साहिल ने तीनों के साथ सिर जोड़ कर अपनी बात सम झाई तो तीनों को

सम झ में आ गई.

‘‘और तब भी बात न बनी तो?’’ तीनों ने शंका जाहिर की.

‘‘तो कौन सा भूचाल आ जाएगा, जो चल रहा है वह तो चल ही रहा है.’’

‘‘तेरी बात कुछकुछ सम झ में आ रही है यार. उन से और उन की बातों से पलायन करने के बजाय क्यों न सामना किया जाए,’’ तीनों ने अपनेअपने ढंग से यह बात कही.

‘‘मगर प्यार से,’’ साहिल ने बात में

संशोधन किया.

तीनों दोस्त एकदूसरे की गलबहियां करते घर की तरफ प्रस्थान कर गए.

रूपम घर पहुंचा तो रास्ते से सासूमां की पसंद की पेस्ट्री खरीद कर ले जाना नहीं भूला. जैसे ही अंदर पहुंचा सासूमां के दर्शन लाबी में ही हो गए. वे टीवी पर अपना मनपसंद सीरियल देख रही थीं. आज रूपम उन को अनदेखा कर बैडरूम में जाने के बजाय उन की बगल में सोफे पर बैठ गया. चेहरे पर मनभावन मुसकान खिंची थी. सासूमां तो सासूमां, रिमी भी हैरान…

‘‘जल्दी कैसे आ गए? तुम तो बोल

कर गए थे कि देर से आऊंगा?’’ रिमी आश्चर्य

से बोली.

‘‘हां जल्दी काम खत्म हो गया. सोचा वर्किंग डेज में तो मम्मीजी के साथ बैठने का टाइम ही नहीं मिल पाता, आज छुट्टी का दिन उन के साथ बिताया जाए. मम्मीजी लीजिए आप की पसंद की पेस्ट्री लाया हूं.’’

‘‘मेरी पसंद, पता है तुम्हें?’’ मम्मीजी की आवाज आश्चर्य से भरी थी.

‘‘हां क्यों नहीं, कई बार बताया रिमी ने,’’ वह प्लेट में पेस्ट्री रख मम्मीजी को देता हुआ बोला.

प्लेट लेते हुए मम्मीजी की आंखों में अनायास ही तरलता घुल गई थी. अब उन की जबान नहीं सिर्फ आंखें बोल रही थीं.

‘‘और रिमी जल्दी से तैयार हो जाओ,

बाहर चलते हैं… जब से मम्मीजी आई हैं, उन्हें ठीक से कहीं घुमाया भी नहीं है. आज डिनर भी बाहर ही करेंगे.’’

‘‘अरे नहीं बेटा, इस की कोई जरूरत नहीं. आज छुट्टी का दिन… तुम्हें भी तो आराम की जरूरत है.’’

पर रूपम ने मम्मीजी को जबरदस्ती कर तैयार होने भेज दिया. रिमी उसे घायल करने वाली मुसकान से देख रही थी.

सौरभ जब घर पहुंचा तो उस की सासूमां डाइनिंगटेबल पर बैठी मटर छील रही थीं. आज सौरभ कुरसी खींच कर उन के सामने बैठ गया. बैंक से रिटायर्ड सास के हर समय पैसे बचाने के तरीकों पर भाषण सुनने से बचते सौरभ को मस्त अंदाज में सामने बैठते देख सौरभ की सासूमां प्रफुल्लित हो गईं.

‘‘मम्मीजी सोचता हूं, आज आप से उन स्कीमों की जानकारी ले ही लूं इत्मीनान से. आप सही कहती हैं, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए. मु झे तो कुछ ठीक से याद रहता नहीं, आप जिया को इस बार ठीक से सम झा दीजिए, फिर विचार करते हैं, एक दिन बैठ कर,’’ सौरभ साथ में मटर छीलता हुआ बोला.

सासूमां चारों खाने चित्त. हर समय उन के उपदेशों से भागने वाला सौरभ खुद ही यह टौपिक उठा लाया था. बोलीं, ‘‘नहीं बेटा मैं क्या बताऊंगी भला, तुम तो खुद ही बहुत सम झदार हो.’’

‘‘मु झ में इतनी सम झ कहां मम्मीजी, इतना व्यस्त रहता हूं कि किसी बात का ध्यान ही नहीं रहता. आप इस बार जिया को ठीक से सम झा कर जाना सबकुछ और खाने में क्या बना रही हैं आप आज आप के बनाए मटरपनीर का तो जवाब नहीं. अपने जैसी कुकिंग जिया को भी सिखा दीजिए, आप के जैसी सुघड़ता नहीं है आप की बेटी में,’’ सौरभ मंदमंद मुसकराता हुआ बोला.

मम्मीजी फूल कर कुप्पा हो गईं और जिया,  झूठमूठ के गुस्से वाली मीठी मुसकराहट से उसे निहार रही थी.

सुमित घर पहुंचा तो मांबेटी सिर जोड़े अपनी ही गुफ्तगू में व्यस्त थीं ‘पता

नहीं क्या साजिश चल रही है मेरे खिलाफ,’ सुमित ने सोचा पर प्रत्यक्ष में मुसकराहट बिखेर दी.

‘‘अरे तुम कैसे जल्दी आ गए?’’ शानिका उसे देख आश्चर्य से बोली.

‘‘क्यों क्या मैं जल्दी नहीं आ सकता, क्यों मम्मीजी? आखिर मम्मीजी के लिए भी तो मेरा कोई फर्ज बनता है. सोचता हूं 2 दिन का प्रोग्राम आसपास का घूमने का बना लेते हैं, अच्छी आउटिंग हो जाएगी.’’

‘‘क्या?’’ शानिका आश्चर्यचकित रह गई. मम्मीजी अपरोक्ष व वह परोक्ष रूप से जानती थी कि मम्मीजी के नाम पर सुमित घर से दूर रहने की कोशिश करता है.

‘‘हां… हां… कितनी मुश्किल से आ पाती है मम्मीजी, मैं तब तक फ्रैश हो कर आता हूं, तुम मम्मीजी के साथ मिल कर डिसाइड करो कि कहां चलना है,’’ कह कर उन्हें आश्चर्यचकित छोड़ सुमित बैडरूम की तरफ चला गया.

तीनों दोस्तों ने अगले कुछ दिन समस्या से भागने के बजाय समस्या का सामना कर अपनीअपनी सासूमां को खुश कर रुखसत किया.

तीनों की बीवियां एकदम प्रसन्नचित्त थीं अपनेअपने पति के बदले अंदाज पर और उन की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार थी:

‘‘बहुत दिनों से मम्मीजी नहीं आई हैं, आप को तो कुछ ध्यान ही नहीं रहता उन का. अब मैं ही बात करती हूं उन से किसी दिन.’’

‘‘अरे पर मम्मीजी तो अभीअभी रह कर गई हैं. अभीअभी कैसे आएंगी?’’ तीनों दोस्त अनजान भोले बन कर कह रहे थे.

‘‘मैं आप की सास की नहीं अपनी सास की बात कर रही थी,’’ कहते हुए उन की बीवियों ने समस्त चाशनी अपने स्वरों में उंडेल दी थी.

सुन कर अगले दिन तीनों दोस्त फूलों का गुलदस्ता ले कर साहिल से मिलने चले गए.

‘‘मान गए… अब जब भी पतिपत्नी के बीच किसी की भी सास ‘वो’ के रूप में फंसेगी, तब तुम्हारे ही बताए नक्शेकदम पर चलेंगे,’’ तीनों एकसाथ बोल पड़े.

तीनों सिर  झुकाए साहिल के सामने खड़े थे और वह हाथ बढ़ा कर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था.

Social Story : दामनदामन की बात है

Social Story :  सुभाष अपनी पत्नी और दोनों बच्चों समेत अपने दोस्त साहिल के यहां ‘पाट लक’ डिनर पर जा रहा था, जहां उस के अन्य मित्र भी जुटने वाले थे.जब से अमेरिका आगमन हुआ था तभी से उस ने उन लोगों से संपर्क करना प्रारंभ कर दिया जिन्हें वह पहले से जानता था. इन में से कुछ सुभाष के स्कूल के साथी थे, कुछ कालेज के और कुछ कार्यस्थल के सहयोगी थे.

वक्त बीतने के साथ इन की आपसी घनिष्ठता बढ़ती गई बल्कि अब तो ये एकदूसरे की जिंदगी का हिस्सा थे. अपने देश से दूर रहने पर इन्हें एकदूसरे के करीब रहना अच्छा लगता था, आपस में भावनात्मक स्तर पर सहारा और किसी जरूरत या मुश्किल घड़ी में एकदूसरे का साथ मिलता था.

छुट्टी वाले दिन अकसर ये अपना समय साथ ही व्यतीत करते थे. मौसम अनुकूल हो तो इकट्ठे बाहर घूमने जाते थे या सारे मिल कर किसी एक के घर पर खानापीना करते यानी ‘पाट लक’ डिनर या लंच का आयोजन कर लिया करते थे. इस तरह आपस में मिल कर मौजमस्ती करते, बातें करते, गेम खेलते और हर बरतन में अपने किस्मत आजमाते थे, जो ‘पाट लक’ का शाब्दिक अर्थ है.

मगर यहां हरकोई जानता था कि कौन क्या लाने वाला है ताकि वे बिना किसी गड़बड़ी के स्वादिष्ठ भोजन का आनंद ले सकें और इन्हें खाने में किसी तरह का ‘लक’ आजमाना न पड़े. सभी को लजीज खाना खाने की चाहत होती. अकेले खाना बनाते, काम करते बोरियत हो जाती थी और इस तरह के ब्रेक का सभी को इंतजार रहता था, जब उन्हें एक ही व्यंजन पकाना होता पर अनेक प्रकार के व्यंजन खाने को मिलते.

मगर इस बार मामला जरा दूसरा था, वे सभी यहां एकत्रित हुए थे सुभाष के अचानक भारत लौटने की घोषणा पर. किसी को कुछ सम?ा नहीं आ रहा था कि यह अचानक सुभाष को हुआ क्या.

सुभाष के अंदर कदम रखते ही वहां उपस्थित सभी दोस्त एकदम चुप हो गए. सब ने सुभाष की तरफ मुड़ते हुए उस पर एक सवालिया दृष्टि डाली.

सब से पहले प्रवीण बोला, ‘‘यह क्या है सुभाष? कैसे और क्यों? तुम ने तो हम में से किसी से न कुछ पूछा और न किसी को कुछ बताया, सब कुछ चुपचाप, अचानक? कल संगीता भाभीजी से बातों के दौरान सारी बातों का पता चला, संगीता सुभाष की पत्नी थी.

‘‘मेरा मतलब है कि तुम ने अचानक भारत लौटने का निर्णय ऐसे कैसे ले लिया? मतलब कोई तो वजह होगी?’’

सुभाष के सारे दोस्त सचमुच इस बात पर हैरानी जता रहे थे. एकएक कर कोई कुछ बोल रहा था तो कोई कुछ.

‘‘बस ऐसे ही सोचा, अब लौट जाना चाहिए,’’ सुभाष एक अल्प उत्तर दे कर चुप हो गया.

‘‘ऐसे ही का क्या मतलब है?’’ रौनक ने पूछा. स्वर में उत्तेजना थी.

‘‘अच्छाखासा पैकेज है, डौलर में कमा रहे हो, आलिशान घर खरीदा है तुम ने, महंगी गाड़ी है, फिर दिक्कत क्या है?’’ इस बार अंकित ने पूछा. उस के स्वर में भी थोड़ी हैरानी और गुस्सा था. सभी सुभाष से उस के इस फैसले की वजह जानना चाहते थे.

‘‘भाभी और बच्चों के भविष्य के बारे में कुछ सोचा है तुम ने?’’ इस बार राजू बोला.

‘‘इतनी जद्दोजहद कर के तो यहां तक पहुंचे हो, अब जब सबकुछ पा लिया है तो यह वापस जाने का पागलपन कर रहा है. कोई मतलब नहीं है यार इन बातों का, प्लीज चलो, फिर से बैठ कर विचार करते हैं.’’

‘‘चलो, पहले खाते हैं,’’ सभी लोग अपनीअपनी प्लेट में खाना लाने के लिए उठ

खड़े हुए. महिलाएं भी संगीता के इर्दगिर्द हो लीं और उन की भारत वापस जाने की योजना के बारे में बात करने लगीं.

अधिकांश भारतीयों की अमेरिका या अन्य किसी देश जा कर एक बेहतर और आरामदायक जीवन जीने की आकांक्षा होती है और फिर वहां पहुंचने के बाद कम ही वापस अपने देश लौट पाते हैं या लौटना चाहते हैं.

कानूनी दस्तावेजों के साथ अमेरिका आने की यात्रा की रूपरेखा ज्यादातर सब की समान ही होती है जो सुभाष ने भी की थी. उस ने मास्टर्स के लिए प्रवेश परीक्षा दी, प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और थोड़ा कर्ज ले कर पढ़ाई पूरी की. उस के बाद एक कंपनी में अच्छे वेतन वाली नौकरी पकड़ी. शादी की, घर बसाया और अब उस के 2 बच्चे एक सार्वजनिक स्कूल में पढ़ रहे हैं जो अमेरिका में नि:शुल्क होते हैं. पिछले 10-12 वर्ष से वहीं बस गया था.

अच्छा यह बताओ सुभाष तुम ने सोचा भी है कि तुम भारत वापस जा कर करोगे क्या? कभी भी तुम्हारे यहां के वेतन की बराबरी नहीं कर सकती वहां की कंपनी और न ही ऐसा सकारात्मकता भरा नौकरी करने का माहौल मिलेगा तुम्हें. यहां हम सब डौलर में कमा रहे हैं, सारे खर्चे के बाद भी कुछ बचत भी हो जाती है और फिर इन डौलर्स को जब हम वहां अपने देश में खर्च करते हैं तो मजा आ जाता है. थोड़े से डौलर्स खर्चने पर बहुत कुछ आ जाता है,’’ सौरभ बोले जा रहा था, ‘‘वहां सारी जिंदगी भी काम करोगे तो भी यहां की कमाई और बचत की बराबरी नहीं कर पाओगे. यहां का जीवनस्तर भी कितना बढि़या है. साफसफाई है, प्रदूषण कम है, परेशानी मुक्त दैनिक जीवन है.’’

दोनों देशों के बीच की व्यवस्था की तुलना लगातार जारी थी. सुभाष के अपने देश वापस जाने के फैसले को बदलने के लिए मनाने का जैसे सभी प्रयास कर रहे थे. प्रश्न कर रहे थे.

अमेरिका पहुंचना आसान नहीं है, फिर भी हर दूसरे घर में लोग बेहतर जीवन की चाहत में विदेश जाते हैं. डौलर में कमाई बहुत संतुष्टि देती है. भारतीयों के रूप में जब हम थोड़े अंतराल पर भारत यात्रा पर आते हैं तब हमें डौलर को रुपए में खर्च करना बहुत लुभाता है.

सुभाष की जिंदगी अच्छी चल रही थी, अच्छी कमाई थी और साथ ही खूब बचत भी करता था. अमेरिका में कुछ साल रहने के बाद अब उसे लगने लगा था कि उसे भारत लौट जाना चाहिए.

अब तक सुभाष चुपचाप सब की सुन रहा था. जब सब चुप हो गए तब सुभाष ने अपनी सफाई देते हुए बोलना शुरू किया, ‘‘देखो दोस्तो, मु?ो लगता है कि इन 12 वर्षों में मैं एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया हूं जहां मैं फाइनैंसशियली स्टैबल हूं. मैं जब भी घर जाता हूं तो मैं महसूस करता हूं जैसे मैं वहां मेहमान हूं, और दिनबदिन दूरियां बढ़ती जा रही हैं. बच्चे वहां की संस्कृति से दूर हो रहे हैं, भाषा भूल रहे हैं, अपनी जड़ों से दूर जा रहे हैं हम. तुम सब साथ हो फिर भी हर त्योहार पर मुझे उन की याद आती है. जिस तरह से पूरा परिवार उत्साहपूर्वक इस में शामिल होता था, वह यहां मिस करता हूं. मुझे मेरे प्रियजन एवं वे गलियां बहुत याद आती हैं. जब भी वहां जाता हूं वृद्ध होते मातापिता के शरीर को क्षीण होते देखता हूं तो मुझे कुछ होता है.

‘‘यही बात संगीता भी फील करती है. हम उन की छाया में रहना चाहते हैं, उन की देखभाल करना चाहते हैं. बच्चे भी उन के स्नेह से वंचित हो रहे. वे हम से कुछ नहीं कहते पर जब मैं वहां से लौटने लगता हूं तब उन की आंखों में एक अनुनय देखता हूं. कभीकभी मु?ो डर लगता है कि अचानक कुछ खबर न आ जाए.

‘‘इतने साल यहां रहने के बाद हमारा शुरुआती संघर्ष खत्म हो गया है. मैं ने यहां के कई शहर देखे, घूमाफिरा, यहां की संस्कृति को सम?ा है, डौलर में कमाया और रुपए में खर्च किया,’’ संगीता की तरफ देखते हुए आगे कहा कि हम दोनों को विदेश में रहने का पूरापूरा अनुभव मिला.

इस बार संगीता ने बोला कि इस समय हमारे बच्चे छोटे हैं लेकिन जब वे बड़े हो जाएंगे तो उन की अपनी महत्त्वाकांक्षाएं, विचारधाराएं होंगी और एक दिन उन का अपना जीवन होगा. फिर उन्हें यह कहना या मजबूर करना कि वे हमारे साथ भारत लौट चलें, अनुचित होगा.

‘‘और जैसे हम सब यहां आए हैं, बच्चे जब बड़े होंगे तो वे भी यदि उच्च शिक्षा के लिए यहां आना चाहें तब इसी चैनल का अनुसरण कर सकते हैं.’’

सोचसमझ कर हम ने कर यह फैसला लिया है. सुभाष ने फिर कहा, ‘‘हमारे लिए यह बिलकुल आसान नहीं था, तुम लोगों से इसलिए नहीं कहा क्योंकि हम खुद ही पशोपेश में थे पर अब जब सब तय कर लिया है तो मु?ो मत रोको मेरे दोस्तो. हमें जाने दो, हम अपने इस फैसले पर खुश हैं, भविष्य का तो किसी को कुछ पता नहीं होता पर…

‘‘मगर इस समय मुझे लगता है कि यह हमारे लिए सब से अच्छा निर्णय है. और डौलर में ज्यादा कमाने का मतलब है थोड़ा और बैंक बैलेंस या एक और संपत्ति और मुझे पूरा यकीन है कि यहां की डिगरी और अनुभव के आधार पर मैं और संगीता वहां भी एक अच्छी नौकरी ढूंढ़ लेंगे.

‘‘मुझे ऐसा लगता है कि मैं जिस उद्देश्य से यहां आया था वह पूरा हो गया है. अभी नहीं गया तो फिर जा नहीं पाऊंगा और फिर दामनदामन की बात है मेरा दामन भर चुका है.’’

जब सुभाष ने बोलना बंद किया तो उसे लगा कि वह अपने भारत लौटने के उचित कारणों को अपने दोस्तों को समझ पाने में कामयाब हो पाया है क्योंकि उस के दोस्तों के पास पूछने के लिए अब और सवाल नहीं थे.

एक सन्नाटा सा पसर गया और सभी सुभाष की बातें सुन कुछ सोचने पर विवश थे.खाना खाने के बाद अभी मीठा खाना बाकी था. सभी खामोशी से उसी तरफ बढ़ गए. सब लोग अपनीअपनी पसंद के अनुसार अलगअलग मिठाइयां स्वीट डीश लाए जो पहले से तय नहीं था वैसे ही जैसे हमारी जीवनयात्रा.

राइटर-सीमा प्रताप

Family Story : भाभीजी तो बहुत सुंदर हैं

Family Story :  32 साल का विराज सुबह से रात के 12 बजने का इंतजार कर रहा है क्योंकि इस वक्त मैट्रिमोनी साइट द्वारा ढूंढ़ी गई अपनी परफैक्ट मेट, अत्यधिक सुंदर चंचल से बात

करने का समय होता है. विराज इस बीच चंचल को एक बार भी मैसेज नहीं करता ताकि उसे यह न महसूस हो कि वह उस के लिए कितना ज्यादा डिसपरेट है, मगर हां सचाई तो यही है कि वह तो यही चाहता है कि चंचल उसे दिनभर मैसेज करती रहे और वह 1-2 घंटों के बाद उस के मैसेज का रिप्लाई करे और वह भी हां, हूं में. अब यह दिखाना भी तो जरूरी है न कि वह कितना व्यस्त रहता है. उस के पास भी बाकी काम हैं. अब क्या कहेंगे इंसान की इज्जत तो उपलब्ध न हो कर ही तो बनती है. अब यही वह दिनरात

उसे मैसेज करता रहता है तो चंचल को तो यही लगता न कि वह कितना फ्री और चेप है और इसी वजह से उस का पत्ता कट हो जाए. जैसी विराज की सामान्य शक्ल है उस के हिसाब से चंचल जैसी खूबसूरत कैंडिडेट तो उसे सपने में

ही मिल सकती थी इसलिए वह एक भी गलती नहीं करना चाहता था जिस से कि चंचल विराज को छोड़ कर अपने दूसरे औप्शंस को गहराई से ले.

दिनभर अपनी आईटी जौब से थका, पूरी फुरती के साथ आधी रात कमरे से यहांवहां टहल रहा था. उस का मोबाइल बिस्तर पर पड़ा था और उस के बजने का इंतजार था तभी मोबाइल की घंटी बजी. उस ने झट से मोबाइल उठा कर मैसेज पढ़ा. वह तेजी से दौड़ कर मोबाइल  झपट लेता है और बिना खोले विराज मैसेज देखता है.

‘‘हाय फ्री हो क्या?’’ चंचल का मैसेज आया.

विराज ने मैसेज पढ़ कर तुरंत जवाब नहीं दिया. 10 मिनट बीतने का इंतजार करने लगा ताकि चंचल को यह महसूस हो कि विराज कितना व्यस्त इंसान है.

10 मिनट बाद विराज बोला, ‘‘सौरी तुम्हारा मैसेज अभीअभी देखा. औफिस की कल एक इंपौर्टैंट मीटिंग है उसी की तैयारी कर रहा था. आज दिन कैसा गया तुम्हारा?’’ और फिर चंचल से चैटिंग करने में व्यस्त हो जाता.

‘‘तुम बिजी थे तो मैं भी फ्री नहीं थी. सुबह 11 बजे उठी, फिर पार्लर गई. वहीं दोपहर हो गई. फिर दोस्तों के साथ मौल गई. शाहरुख की फिल्म देखी. वहां से घर आतेआते शाम हो गई. एकदम थक गई हूं. मन कर रहा है कि कोई हाथपैर दबा दे बस.’’

‘‘जब कभी मम्मी की कमर में दर्द बढ़ जाता है तो मैं ही तो अपने हाथों से उन का दर्द दूर करता हूं. वे ऐसे ही नहीं कहतीं कि मेरे हाथों में जादू है जादू.’’

‘‘कितनी खुश होगी तुम्हारी पत्नी जिसे तुम मिलोगे. और तुम अपनी सुनाओ तुम्हारा दिन कैसा गया?’’

‘‘सच बताऊं तो जैसेतैसे तुम्हारी यादों के सहारे दिन बीतने का इंतजार कर रहा था कि कब रात हो और तुम से बात हो.’’

‘‘क्या तुम्हें मैं सच में इतनी अच्छी लगती हूं?’’

‘‘जितना तुम सोच सकती हो उस से भी कहीं ज्यादा.’’

‘‘तुम कब तक चैट करते रहोगे? आगे कुछ इरादा है कि नहीं?’’

‘‘मेरा बस चले तो तुम्हें इसी वक्त अपनी दुलहन बना कर घर ले आऊं.’’

‘‘सच? मेरा जी भी यही करता है. तुम ने मेरे लिए अपनी मम्मी से बात की?’’

‘‘तुम्हारा फोटो दिखाया तो था.’’

‘‘फिर?’’

‘‘उन्हें तुम थोड़ी मौड लगी खासतौर से तुम्हारा पाउट किया हुआ फोटो उन्हें जरा भी

न भाया.

‘‘उन्हें क्या मैं सुंदर नहीं लगी?’’

‘‘सुंदर तो तुम बहुत हो. तुम्हारे सिवा अपनेआप को किसी और के साथ नहीं देख सकता चंचल.’’

‘‘ झूठ क्या बोलूं तुम से. मैं 2 लड़कों के साथ और चैट कर रही हूं, मगर मु झे सब से अच्छे तुम ही लगे.’’

‘‘तुम मु झे प्रौमिस करो मेरे अलावा तुम किसी से शादी की हां नहीं करोगी. तुम जो बोलोगी, जैसा करने को कहोगी सब बात मानूंगा तुम्हारी बस एक बार शादी कर लो मु झ से.’’

‘‘तुम भी प्रौमिस करो कि जल्दी अपनी मम्मी को मेरे लिए मनाओगे.’’

‘‘हां माई बेबी प्रौमिस.’’

‘‘गुड नाइट.’’

‘‘गुड नाइट.’’

विराज फिर से वह पूरी चैट पढ़ता है जो उस ने शुरू से उसे भेजी थी और इस सारी चैट्स को पढ़ने के बाद उसे महसूस होता है कि बातबात में उस के दिल में उस हाल ए बयां कर दिया है. चंचल न चाहते हुए भी उसे उस के पीछे पागल सम झ रही होगी.

अब जो सम झे. विराज की तो अगली परीक्षा अपनी मुंह फट मां को सम झाने की थी, जिन्हें चंचल पसंद नहीं आई थी. विराज बहुत पैंतरे आजमा चुका था उन्हें मनाने के. आखिरी औप्शन जो बचा था उस ने वह दांव भी चला और अनशन पर बैठ गया.

‘‘ये ले तेरे पसंदीदा आलू के परांठे,’’ शारदाजी यानी विराज की मां, अपना पसीना पोंछते हुए थकान और पीठ दर्द के मारे एक

हाथ अपनी कमर पर रख उस के पास प्लेट ले कर पहुंचीं.

‘‘मु झे नहीं खाना,’’ कह कर विराज ने अपना मुंह फेर लिया.

‘‘अब बताएगा कि… लड़की के लिए और कितने दिन भूखा रहेगा तू. जैसा उस का नाम है वैसे ही निकलेगी. फिर मत बोलना मम्मी आप ने बताया नहीं था.’’

‘‘मैं शादी करूंगा तो उसी से.’’

‘‘पता कराया था मैं ने उस के बारे में. उस लड़की के घर में पैर टिकते ही नहीं, पूरा दिन पार्लर में बैठी रहती है. हर रिलीज पिक्चर वह देखती है. भले ही वह कितनी भी घटिया क्यों न हो. जैसे तू आज भूखा बैठा है तेरे बच्चे भी कल को ऐसे ही बैठे रहेंगे याद रखना.’’

‘‘मां सुंदर कितनी है वह’’

‘‘सुंदरता का क्या अचार डालेगा? घरगृहस्थी के लिए थोड़ी सरल और सजग लड़की की जरूरत होती है. पूरी तनख्वाह तो उस के लिपस्टिकपाउडर में खर्च हो जानी है तेरी.’’

‘‘मम्मी…’’

‘‘अरे क्या हुआ अपनी मम्मी को क्यों

याद कर रहे हो,’’ कंचन की आवाज हैडफोन लगाए विराज के कान में पड़ी और वह भूतकाल को भूत में छोड़ कर वर्तमान में लौट आया

और उसे एहसास हुआ कि वह तो कल की बात थी. इस बीच उस के जीवन में बहुत कुछ घट चुका है.

‘‘यह तार वाला ब्रश मेरी उंगलियों में चुभ गया,’’ विराज बरतन धोते हुए बोला.

‘‘कितनी बार कहा है बरतन दस्ताने पहन कर साफ किया करो और हां जल्दी हाथ चलाओ पूरे कपड़े और  झाड़ूपोंछा भी बचा है,’’ चंचल की आवाज उस के कानों में पड़ी.

‘‘तुम भी तो कुछ काम में मेरी मदद कर दो,’’ इतने काम का बो झ पा कर विराज ने उसे कहा.

‘‘तुम देख नहीं रहे मेरे सिर में मेहंदी और हाथों में नेलपौलिश लगी हुई है.’’

बरतन धोने के पानी के छींटों को पोंछते हुए विराज ने पीछे मुड़ कर चंचल की तरफ देखा जो क्व3 हजार की नाइटी पहन कर किसी महारानी की तरह एक पैर पर दूसरा पैर ताने सोफे में टिक कर बैठ अपनी नेलपौलिश लगी उंगलियों में फूंक मार रही थी.

तभी चिंटू आ कर अपनी मम्मी से कहने लगा, ‘‘मम्मीमम्मी भूख लगी है, खाने को कुछ दो न.’’

‘‘अरे अभी कुछ देर पहले ही तो चिप्स दिए थे. इतनी जल्दी तुम्हें कैसे भूख लग जाती है? सुनोजी इसे बिस्कुट का पैकेट दे देना,’’ चंचल खानापीना बनाने में अपना कीमती समय बिलकुल जाया नहीं करती. जो काम विराज को 2 मिनट गले लगा कर अपना दुखड़ा सुना कर, 4 पपियां दे कर कराया जा सकता है उस में वह अपने हाथ मैले क्यों करे.

पेट में चूहे तो विराज के भी खूब कूद रहे थे, नाश्ते के नाम पर सुबह से एक कप चाय मिली थी और वह भी उस ने खुद बनाई थी. शायद यह अपनी मां के बने खाने का तिरस्कार करने का ही दुष्परिणाम है जिसे वह आज भोग रहा है.

अपनी चोटिल उंगली में दर्द को महसूस करते उसे हर पल अपनी मां की कही कड़वी मगर सच्ची बातें याद आने लगीं, ‘काश समय रहते सुन लेता तो आज ये दिन देखना नहीं पड़तो,’ विराज खुद से बड़बड़ता है.

‘‘विराज क्या बड़बड़ा रहे हो? तुम्हारा मतलब क्या है मैं सब सम झती हूं,’’ चंचल बोली.

‘‘मैं कह रहा था कि काश कामवाली

समय रहते आ जाती तो इतना काम करना नहीं पड़ता,’’ विराज को पता है अगर चंचल नाराज

हो गई तो उस के 3 दिन सूजे हुए मुंह को मनाने के लिए क्व5 हजार से कम की चपत नहीं लगने वाली.

‘‘वह तो अच्छा है कि तुम्हारा वर्क फ्रौम होम है नहीं तो ये सब काम मैं अकेली कैसे करती,’’ चंचल बरतन साफ करती हुई विराज की कमर को प्यार से पकड़ते हुए बोली.

विराज मन ही मन सोचने लगा कि बीवियों को लगता है कि हम बस हैडफोन लगा कर गाने सुनते रहते हैं.

‘‘सुनोजी खाने में क्या खाओगे बताओ?’’ चंचल ने पूछा.

आंसू बस बहने ही वाले थे विराज के कि अचानक उस के चेहरे पर खुशी दौड़ने लगी कि चलो शायद आज शादी के 4 साल बाद उसे अपने कर्तव्य की याद आ गई हो.

‘‘जो तुम बोलो.’’

‘‘फ्रिज में उबले राजमा रखे हैं, उन्हीं को तड़का लगा दो और कुकर में चावल धो कर चढ़ा दो. मैं तब तक नहा कर आती हूं. शाम को शादी में भी जाना है याद है न?’’

विराज शादी का नाम सुन कर आग बबूला हो गया. फिर खुद पर नियंत्रण कर बड़बड़ाने लगा कि कर लो बेटा शादी. शादी का लड्डू किसी को नहीं पचता. अब भी वक्त है संभल जाओ नहीं तो मेरी तरह बहुत पछताओगे.

‘‘किस वक्त की बात कर रहे हो?’’ चंचल ने पूछा.

‘‘मैं बोल रहा हूं तुम्हारे नहाने में अभी वक्त है. तब तक खाना तैयार हो जाएगा.’’

‘‘विराज एक बात कहूं? तुम्हें पा कर मैं धन्य हो गई, आई लव यू तुम्हारा जैसा हस्बैंड सब को मिले,’’ चंचल उस के गालों को चूम कर टौवेल उठा कर नहाने चल गई.

पिछले 4 सालों से यही खेल चल रहा है, जैसे ही उसे अपने दुख का एहसास हो, चंचल उसे कोई न कोई लौलीपौप दिखा कर वापस अपनी ओर खींच लेती. चंचल की तो नहीं पर विराज की जिंदगी ऐसी ही कभी खुशी कभी गम मोड़ पर बीते जा रही थी.

अपनी इतनी तारीफ सुन कर विराज की थकी रगों में तेजी आ गई. उस ने चंचल के आने से पहले  झटपट डाइनिंगटेबल तरहतरह के व्यंजनों से सजा दी. उसे पता था चंचल को नहाने में आज पूरा 1 घंटा लगने वाला है इसलिए उस ने चिंटू को खाना खिला कर सुला दिया, छिपतेछिपाते थोड़ाबहुत अपना पेट भी शांत कर लिया.

बाथरूम से निकलते समय चंचल की नजर घड़ी पर गई, ‘‘अरे

दोपहर के 2 बज गए. चिंटू को खाना खिला दो.’’

‘‘खाना खिला भी दिया और सुला भी दिया.’’

‘‘परफैक्ट फादर. तुम भी खा लो सुबह से भूखे होंगे.’’

‘‘तुम्हारे बिना आज तक खाया है कभी?’’

मुसकराते हुए चंचल ने कहा, ‘‘बस 2 मिनट में आई.’’

पूरे आधे घंटे बाद चंचल

और विराज खाना खाने अखिरकार बैठ गए, ‘‘आज शाम का क्या

प्लान है?’’

‘‘मैं खाना खाने के बाद पार्लर निकलूंगी, तुम चिंटू को ले कर शादी में आ जाना, हम सीधा वहीं मिलेंगे.’’

‘‘तुम ने इतना महंगा मेकअप का सामान औनलाइन खरीदवाया तो था, उसी से तैयार हो जाओ. तुम तो हो ही इतनी सुंदर, तुम्हें हर बार पार्लर जाने की क्या जरूरत है?’’

‘‘वह कोई खास काम का नहीं और मेरी सैंसिटिव स्किन को सूट भी नहीं कर रहा. अब तुम भी अपनी मम्मी जैसे बात मत करो. इतना कमाते किसलिए हो? खाना खत्म करने के बाद अपना एटीएम मेरे पर्स में रख देना और कार की चाबी भी.’’

‘‘कार की चाबी क्यों? औटो कर लो.

चिंटू मेरे साथ रहेगा तो टू व्हीलर में हम कैसे आएंगे?’’

‘‘मैं इतनी तैयार हो कर क्या औटो से शादी वाले घर जाऊंगी? लोग क्या कहेंगे?’’

‘‘अच्छा ठीक है संभाल के चलाना.’’

अपनी और चंचल की खाने की प्लेट

धुलने रख कर विराज सीधे अपना पर्स खोल

कर अपना क्रैडिट कार्ड मजबूती से पकड़ कर

ठगा हुआ सोच रहा था कि अपनी खूनपसीने

की कमाई केवल पार्लर में बहती जा रही है

और कहने को मेकअप भी न्यूड. जब कुछ दिखता ही नहीं है तो फिर पैसे किस बात के लेते हैं ये लोग?

शाम हुई और गड्ढों से बचतेबचाते टू व्हीलर के धक्के खाते कोट टाई पहले विराज और चिंटू शादी में पहुंच गए. अपनी मां को परेशान मुद्रा में आते देख उसे पता था वह आगे उस से क्या पूछने वाली है.

‘‘अरे कैसा कमजोर दिख रहा है तू? और यह उंगली में चोट कैसे लगी? क्या उस ने फिर से तु झ से बरतन साफ करवाए?’’

‘‘नहीं मम्मी ऐसा कुछ नहीं है वह तो बस ऐसे ही लग गई.’’

‘‘मां हूं तेरी. चेहरा देख कर बता सकती

हूं. तु झे पिछली बार दस्ताने दिए तो थे उन्हें

क्यों नहीं पहनता? जाने किस घड़ी तेरी मति

मारी गई थी. यह तो अच्छा हुआ जो तेरे बाबूजी इस दुनिया में नहीं रहे, नहीं तो अपने टौपर इंजीनियर बेटे को ये सब करते देख फिर से

मर जाते.’’

‘‘दादीदादी पापा ने आज खाना भी बनाया,  झाड़ूपोंछा और कपड़े भी…’’

विराज चिंटू का मुंह बंद करने लगा.

अपना सिर पीटते शारदाजी आगे कहने लगीं, ‘‘बेटा यह बात 100 आने सच है कि तेरी शादी का लड्डू बस देखने भर का सुंदर है.’’

शारदाजी अपने बेटे के बुझे हुए चेहरे

को देख कर सम झ गई थीं कि उस की घर में कैसी दशा हो गई है और यह वर्क फ्रौम होम

की वजह से बेचारा कोल्हू का बैल बनता जा रहा था.

‘‘मम्मी छोड़ो न पुरानी बातें, घर कब आओगी रहने?’’

‘‘बेटा मु झे माफ कर मैं नहीं आ पाऊंगी. उसे दिनभर आईने के सामने बैठे रहना देखना मु झ से बरदाश्त नहीं होगा.’’

वहीं दूसरी ओर कायाकल्प ब्यूटीपार्लर में, ‘‘यह देखिए हो गईं आप तैयार. मेकअप किया भी है और पता भी नहीं चल रहा है. भाभी आप ऐसे ही बहुत सुंदर हैं और आज तो आप बहुत कमाल की दिख रही हैं.’’

‘‘हां ऊष्मा सच में तुम्हारे हाथों में तो

कमाल है. थैंक्स चलो मैं अब निकलती हूं नहीं

तो शादी मैं लोग मु झे देखे बिना अपनेअपने घर चले जाएंगे.’’

‘‘हा… हा… हा…’’

‘‘कितने हुए?’’

‘‘आप को डिस्काउंट देने के बाद क्व2,500.’’

‘‘यह लो एटीएम कार्ड.’’

‘‘भाभीजी कमाल है जो आप को ऐसे पति मिले है.’’

‘‘ऐसे क्यों कह रही हो? तुम तो कभी उन से मिली भी नहीं,’’ चंचल अपनी भौंहें चढ़ा, पाउट मारते हाथों से चेहरा संवारते पार्लर में लगबड़े से आईने में खुद को निहारते हुए बोली.

‘‘भाभी आइडिया लग जाता है. देखो आप हर महीने आते हो, हर बार हजारों के बिल बनते हैं. फिर भी जीजाजी आप को जरा भी मना नहीं करते हैं.’’

‘‘हां वह बात तो है. चलो मैं निकलती हूं,’’ बहुत देर हो रही है.

‘‘औटो मंगवा दूं?’’

‘‘अरे नहींनहीं. आज तो मैं कार खुद चला कर आई हूं.’’

‘‘अरे वाह क्या बात है भाभी. शादी का लड्डू मिले तो आप के जैसा.’’

‘‘चल हट नजर मत लगा.’’

सिर से पैर तक चमकती चंचल कार स्टार्ट कर कार का दरवाजा खोल कर बैठ गई फिर कार स्टार्ट कर शादी के लिए चल दी. बीचबीच में बैक मिरर को अपनी ओर सैट कर बारबार अपनेआप को निहारती खुश होने लगती.

शादी में पहुंच उस के पैर लाल कालीन पर पड़े नहीं कि सब की निगाहें दुलहन को छोड़ उसे देख ठहरने लगीं. सच में आज चंचल बहुत आकर्षक लग रही थी.

चंचल ने फोन कर विराज को अपने आने की जानकारी दी. विराज उस के पास आ गया.

‘‘आज तो भई कमाल हो गया… बहुत सुंदर दिख रही हो चंचल,’’ विराज बोला.

‘‘थैंक यू, मेरा रास्ते में आतेआते गला सूख गया कुछ पीने के लिए जूस ले आइए न.’’

‘‘हां अभी लाया.’’

वहीं दूर से विराज और चंचल को देखता ज्वालामुखी से भी ज्यादा ज्वलंत पीडि़त हताश, एक जोड़ा उन्हें देख एकदूसरे पर टीकाटिप्पणी और दोषारोपण करता हुआ एक जोड़ा सहज रूप से लड़ रहा था.

‘‘देखो चंचल भाभी कितनी सुंदर दिख रही है बिलकुल टिपटौप. एक बच्चा होने के बाद भी अपनेआप को कितना मैंटेन कर रखा है और यहां पप्पू को हुए पूरे 9 साल होने को आ रहे हैं, वजन कम होना तो दूर की बात है देखना वह दिन दूर नहीं जब तुम फूल कर फट जाओगी और अपना मेकअप देखो जरा. ऐसा लगता है जैसे सीधा सो के उठ कर आ गई हो,’’ पति बोला.

‘‘आप को पता है विराज भाई साहब घर में कितना काम करते हैं? अगर आप उन के जैसे 1 दिन में बन जाएं और मैं चंचल भाभी से कम दिख जाऊं तो मेरा नाम अभिलाषा नहीं.’’

‘‘सब फालतू की बात.’’

‘‘फालतू की बात? सुबह से शाम तक

मेरी जिंदगी हलदीमिर्चीराईजीरे के बीच बस भुनती जा रही है. आप न कभी किचन में मेरी मदद करना न ही अपने बच्चे को देखना.

मु झे अपने लिए वक्त कहां से मिलेगा बताइए? एक बात और बता दूं, लोगों को दूसरों की

थाली में रखा लड्डू ज्यादा पसंद आता है

अपनी थाली का तो जहर लगता है जहर.’’

‘‘जहर है तो जहर ही तो लगेगा. तुम से तो कोई बात करना ही बेकार है.’’

‘‘हां तो मत करीए, मैं चली कुछ खाने.’’

‘‘जाओ और अपना और वजन बढ़ाओ. देखना दूसरों के लिए कुछ बचने न पाए,’’ शायद नहीं सुना. जाने दो. कहां गईं चंचल भाभी? वह यहांवहां उन्हें ढूंढ़ने लगा. तभी उस की नजर चंचल पर पड़ी तो उस की आंखें खुशी से चमकने लगीं.

सब एक पंडाल के नीचे बैठे थे सामने डीजे बज रहा था. तभी वहां से एक लड़की आती है और चंचल के पास आ कर उस से बोली, ‘‘नमस्ते चंचल भाभी, विराज भैया आइए न डीजे चालू होने वाला है.’’

‘‘हांहां बस आए,’’ चंचल तपाक से बोल विराज का हाथ खींचते हुए डांस फ्लोर में ले जाने लगी.

‘‘चंचल तुम्हें पता है मु झे डांस करना नहीं आता.’’

‘‘तो क्या मैं अकेले डांस करूंगी? आइए न मेरे लिए थोड़ा सा बस.’’

‘‘ठीक है तुम कहती हो तो,’’ विराज उस के साथ न न करते हुए भी एक बार में उठ खड़ा हुआ.

अब जिस की बीवी सुंदर हो और आज के दिन विशेष सुंदर दिख रही हो तो उसे कोई कैसे मना कर सकता है और शादी भी तो उस ने इसीलिए तो की थी ताकि वह लोगों को जता सके कि सामान्य से दिखने वाले विराज की पत्नी कितनी खूबसूरत है.

वे दोनों और बाकी लोग डांस फ्लोर में आ कर खड़े हो चुके थे. चंचल को डांस करते देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई.

डीजे वाले ने गाना लगाया, ‘‘जब से हुई है शादी आंसू बहा रहा हूं, आफत गले पड़ी है उस को निभा रहा हूं.’’

यह गाना जो हर नखरे वाली खूबसूरत बीवी का सीधासाधा सा पति अकसर अकेले में सच्चे दिल से गुनगुनाया करता था, उसे भरी महफिल में सुन विराज का बहुत जोर से डांस निकलने लगा और उस ने जो चंचल के साथ ऐक्सप्रैशन के साथ स्टैप दिए कि भई वाह. एकदम औरिजिनल..

उस के बाद विराज को देख कर बाकी भुक्तभोगी भी साथ आ गए, ‘‘शादी कर के फंस गया यार अच्छाखासा था कुंआरा जो खाए पछताए जो न खाए वह रह जाए, दूर से मीठा दिखता है यह कड़वा लड्डू प्यारा,’’ गाने पर डांस कर सब ने रंग जमा दिया.

दूर से उस मंडप में बैठीं अपनी बहू और बेटे का डांस देखते हुए शारदाजी मन ही मन सोच रही थीं कि उन के बेटे की घर में हालत कैसी भी हो, मगर वह खुश तो है. वे अपने खयालों में थीं कि उन की भाभी उन के कंधे पर हाथ रख कर बोलीं, ‘‘शारदा, विराज और कंचन कितना बढि़या डांस कर रहे हैं और तेरी बहू सच में बहुत सुंदर है.’’

‘‘हां भाभी यह तो उस की जिंदगी की हकीकत के गाने हैं. मेरी बहू अपनी खूबसूरती के बल पर घर में कुछ अलग तरीके से बेटे को नचाती है, यहां दूसरे तरीके से,’’ शारदा मीठे जूस को पीते हुए बोलीं, जो उसे सच में बड़ा कड़वा लग रहा था.

शादी के लड्डू की परफैक्ट विधि बहुत सिंपल है- एकदूसरे की खामियों के साथ एकदूसरे को खुशीखुशी स्वीकार करना बाकी सब तो मोहमाया है.

Hindi Story Collection : छलना- क्या थी माला की असलियत?

Hindi Story Collection : शलभ ने अपने नए मकान के बरामदे में आरामकुरसी डाली और उस पर लेट गया. शरद ऋतु की सुहानी बयार ने थपकी दी तो उस की आंख लग गई. तभी बगल वाले घर से स्त्रीपुरुष के लड़ने की तेज आवाज आने लगी. जब काफी देर तक पड़ोस का महाभारत बंद नहीं हुआ तो उस ने पत्नी को आवाज लगाई.

‘‘रमा, जरा देखो तो यह कैसा हंगामा है…’’

पत्नी के लौटने की प्रतीक्षा करते हुए शलभ सोचने लगा कि अपनी ससुराल के रिश्तेदारों से त्रस्त हो कर शांति और सुकून के लिए वह यहां आया था. बड़ी दौड़धूप करने के बाद दिल्ली से वह मेरठ में ट्रांसफर करवा सका था. उसे दिल्ली में पल भर भी एकांत नहीं मिलता था. रोज ही दफ्तर जाने के पहले व शाम को दफ्तर से लौटने पर कोई न कोई रिश्तेदार उस के घर आ टपकता था.

तनाव के कारण 33 वर्ष की आयु में ही उस के बाल खिचड़ी हो गए थे. अपनी उम्र से 10 वर्ष बड़ा लगता था वह. नौकरी की टैंशन, राजधानी के ट्रैफिक की टैंशन, रोजरोज की भागमभाग, ऊपर से पत्नी के नातेरिश्तेदारों का दखल.

10 मिनट बाद रमा आते ही चहक कर बोली, ‘‘सरप्राइज है, तुम्हारे लिए. सुनोगे तो झूम उठोगे. बगल वाले घर में मेरी मुंहबोली बहन माला है. उस का 2 वर्ष पहले ही विवाह हुआ है.’’

शलभ का चेहरा मुरझा गया. उस के मुंह से अस्पष्ट सी आवाज निकली, ‘‘यहां भी… ’’

रमा आगे बोली, ‘‘नहीं समझे  भई, मां की सहेली अनुभा मौसी की लड़की है यह. इस के विवाह में मैं नहीं जा पाई थी. अपना दीपू पैदा हुआ था न. मैं वहीं से अनुभा मौसी से फोन पर बात कर के आ रही हूं. कह दिया है मैं ने कि माला की जिम्मेदारी मेरी…’’

और सुनने की शक्ति नहीं थी शलभ में. पत्नी की बात काट कर उस ने विषैले स्वर में पूछा, ‘‘तो वही दोनों इतनी बेशर्मी से झगड़

रहे थे… ’’

आग्नेय नेत्रों से पति को घूरते हुए रमा बोली, ‘‘दोनों पैसे की तंगी से परेशान हैं. भलीचंगी नौकरी थी दोनों के पास. माला की कौलसैंटर में और महेश की एक प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में. माला देर से घर लौटती थी इसलिए महेश ने उस की नौकरी छुड़वा दी. माला के नौकरी छोड़ते ही महेश की कंपनी भी अचानक बंद हो गई. 2 माह से बेचारों को वेतन नहीं मिला है… मैं ने फिलहाल 10 हजार रुपए देने का वादा…’’

चीख पड़ा शलभ बीच में ही, ‘‘बिना मुझ से पूछे किसी भी ऐरेगैरे को…’’

‘‘ऐरीगैरी नहीं, मेरी मौसी की बेटी है वह…’’ रमा दहाड़ी.

‘‘तो तुम्हारी मौसी क्यों नहीं…’’ बोलतेबोलते रुक गया शलभ. सामने गेट के अंदर प्रवेश कर रहा था एक अत्यंत सुंदर, आकर्षक सजाधजा जवान जोड़ा.  दोनों एकदूसरे के लिए बने दिख रहे थे. शलभ ठगा सा उन्हें देखने लगा.

तभी रमा ऊंचे सुर में चिल्लाई, ‘‘आओ, माला, महेश…’’

अपने शांत जीवन में अनाधिकार प्रवेश कर के खलल उत्पन्न करने वाले इस खूबसूरत जोड़े को नापसंद नहीं कर सका शलभ. सौंदर्य निहारना उस की कमजोरी थी. चायपानी के बाद माला धीरे से बोली, ‘‘दीदी… आप ने पैसे…’’

‘‘हांहां,’’ कहते हुए रमा ने रखे 10 हजार रुपए ला कर माला को दे दिए.

रुपए मिलते ही दोनों हंसते हुए गेट से बाहर हो गए और स्कूटर पर फौरन फुर्र हो गए. शाम को दोनों देर से लौटे और आते ही सीधे रमा के पास आ गए.

घर में प्रवेश करते ही माला सोफे पर पसर गई और बोली, ‘‘खाना हम दोनों यहीं खाएंगे. बिलकुल हिम्मत नहीं है कुछ करने की. बहुत थक गई हूं मैं…’’

‘‘कहां थे तुम दोनों अभी तक ’’ उत्सुकता से पूछा रमा ने.

‘‘पूरा समय ब्यूटीपार्लर में निकल गया,’’ चहक उठी माला, ‘‘पैडीक्योर, मैनीक्योर, फेशियल, हेयर कटिंग, सैटिंग व बौडी मसाज…’’

‘‘तुम तो वैसे ही इतनी सुंदर हो. तुम्हें इन सब की क्या जरूरत है  बहुत पैसे खर्च हो गए होंगे…’’ मरी सी आवाज निकली रमा के मुख से.

‘‘कुछ ज्यादा नहीं, बस 15 सौ रुपए ही लगे हैं,’’ लापरवाही से अपने खूबसूरत केशों को झटका देते हुए बोली माला, ‘‘मैंटेन न करो तो अच्छाखासा रूप भी बिगड़ जाता है. अपनी ओर तो तनिक देखो दीदी, क्या हुलिया बना रखा है आप ने  आप के रूप की मिसाल तो मां आज तक देती हैं. ऐसा लगता है कि आप ने कभी पार्लर में झांका तक नहीं है. या तो पैसा बचाओ या रूप… पैसा तो हाथ का मैल है. आज है कल नहीं…’’

शलभ की सहनशक्ति जवाब दे गई. उस ने कटाक्ष किया, ‘‘क्या महेश भी दिन भर ‘मैंस पार्लर’ में था ’’

‘‘नहींनहीं,’’ बोली माला, ‘‘उसे कहां फुरसत थी. तमाम बिल जो जमा करने थे. घर का किराया, बिजली का बिल, टैलीफोन का बिल…’’

घबरा गई रमा, ‘‘तब तो पूरे 10 हजार…’’

‘‘हां, पूरे खत्म हो गए. अभी दूध वाले का बिल बाकी है. साथ में रोज का जेब खर्च,’’ बेहिचक माला बोली.

शलभ क्रोध से मन ही मन बुदबुदाया, ‘हाथ में फूटी कौड़ी नहीं, अंदाज रईसों के…’

पति का क्रोधित रूप देख कर रमा घबरा कर बोली, ‘‘माला, तुम थकी हो दिन भर की. जा कर आराम करो. मैं आती हूं…’’

माला के जाते ही शलभ के अंदर दबा आक्रोश ज्वालामुखी की तरह फट पड़ा, ‘‘कहीं नहीं जाओगी तुम. तुम्हारे रिश्तेदारों से बच कर मैं यहां आया था सुकून की जिंदगी की तलाश में. लेकिन आसमान से गिरा खजूर में अटका.’’

पति से नजरें बचा कर रमा चुपके से 1 हजार रुपए और दे आई माला को और साथ में शीघ्रातिशीघ्र नौकरी ढूंढ़ने की हिदायत भी. उसे पता चला कि माला और महेश ने आसपास के कई लोगों से उधार लिया हुआ था. पैसा हाथ में नहीं रहने पर आपस में झगड़ते थे और पैसा हाथ में आते ही दोनों में तुरंत मेल हो जाता और हंसतेखिलखिलाते वे मौजमस्ती करने निकल पड़ते. स्कूटर में ऐसे सट कर बैठते मानो इन के समान कोई प्रेमी जोड़ा नहीं है. ऐसा लगता था कि उस समय झगड़ने वाले ये दोनों नहीं, कोई दूसरे थे. इन दोनों के आपसी झगड़े के कारण पड़ोसी भी 2 खेमों में बंट गए थे. कुछ माला का दोष बताते थे तो कुछ महेश का. इन दोनों का प्रसंग छिड़ते ही दोनों खेमे बहस पर उतारू हो जाते.

धीरेधीरे 6 माह गुजर गए. इस खूबसूरत जोड़े की असलियत जगजाहिर हो चुकी थी, इसलिए सब से कर्ज मिलना बंद हो गया था. अब मकानमालिक भी इन्हें रोज आ कर धमकाने लगा था. 6 माह से उस का किराया जो बाकी था. एक दिन क्रोधित हो कर मकानमालिक ने माला के घर का सामान सड़क पर फेंक दिया और कोर्ट में घसीटने की धमकी देने लगा. पड़ोसियों के बीचबचाव से वह बड़ी मुश्किल से शांत हुआ.

रोज की अशांति और फसाद से शलभ त्रस्त हो गया. उस का मेरठ से और नौकरी से मन उचाट हो गया. न तो वह मेरठ में रहना चाहता था, न ही दिल्ली वापस जाना चाहता था. इन 2 शहरों को छोड़ कर उस की कंपनी की किस अन्य शहर में कोई शाखा नहीं थी. आखिर नौकरी बदलने की इच्छा से शलभ ने मुंबई की एक फर्म में आवेदनपत्र भेज दिया.

एक शाम शलभ दफ्तर से अपने घर लौटा तो अपने गेट के बाहर पुलिया पर अकेली माला को उदास बैठा पाया. रमा अपनी परिचित के यहां लेडीज संगीत में गई हुई थी. देर रात तक चलने वाले कार्यक्रम के कारण वह शीघ्र लौटने वाली नहीं थी. पूछने पर माला ने बताया कि 6 माह से किराया नहीं देने के कारण मकानमालिक ने उस की व महेश की अनुपस्थिति में मकान पर अपना ताला लगा दिया है. महेश उसे यहां बैठा कर मकानमालिक को मनाने गया था.

शुलभ कुछ देर तो दुविधा की स्थिति में खड़ा रहा फिर उस ने माला को अपने घर के अंदर बैठने के लिए कहा. घर के अंदर आते ही माला शलभ के गले लग कर बिलखने लगी. हालांकि शलभ बुरी तरह चिढ़ा हुआ था मालामहेश की हरकतों से पर खूबसूरत माला को रोती देख उस का हृदय पसीज उठा.

माला का गदराया यौवन और आंसू से भीगा अद्वितीय रूप शलभ को पिघलाने लगा. माला के बदन के मादक स्पर्श से शलभ के तनबदन में अद्भुत उत्तेजना की लहर दौड़ गई. माला के बदन की महक व उस के नर्म खूबसूरत केशों की खुशबू उसे रोमांचित करने लगी.

शलभ के कान लाल हो गए, आंखों में गुलाबी चाहत उतर आई और हृदय धौंकनी के समान धड़कने लगा. तीव्र उत्तेजना की झुरझुरी ने उस के बदन को कंपकंपा दिया. पल भर में वह माला के रूप लावण्य के वशीभूत हो चुका था.

अपने को संयमित कर के शलभ ने माला को अपने सीने से अलग किया और धीरे से सोफे पर अपने सामने बैठा कर सांत्वना दी, ‘‘शांत हो जाओ. सब ठीक हो जाएगा…’’

माला ने अश्रुपूरित आंखों से शलभ की आंखों में झांकते हुए पूछा, ‘‘पैसा नहीं है हमारे पास… कैसे ठीक होगा ’’

‘‘मैं कुछ करता हूं…’’ अस्फुट भर्राया सा स्वर निकला शलभ के गले से.

‘‘आता हूं मैं बस अभी, तब तक तुम यहीं बैठो…’’ कह कर शलभ ने एटीएम कार्ड उठाया और गाड़ी से निकल पड़ा.

लौट कर शलभ ने माला के हाथ में 6 माह के किराए के 9 हजार जैसे ही थमाए उस ने खुशी से किलकारी मारी. शलभ सोफे पर बैठ कर जूते उतारने लगा तो वह अपने स्थान से उठी, खूबसूरत अदा से अपना पल्लू नीचे ढलका दिया और शलभ के एकदम करीब जा कर उस के कान में मादक स्वर में फुसफुसाई, ‘‘थैंक्यू जीजू, थैंक्यू.’’

माला के उघड़े वक्षस्थल की संगमरमरी गोलाइयों पर नजर पड़ते ही शलभ का चेहरा तमतमा गया और उस के मुख से कोई आवाज नहीं निकली. वह मुग्ध हो उसे देखने लगा. घर में माला महेश के विरुद्ध शलभ के स्वर एकाएक बंद हो गए. पति के रुख में अचानक बदलाव पा कर रमा को आश्चर्य तो हुआ पर वास्तविकता से अनभिज्ञ उस ने राहत की सांस ली. रोजरोज की तकरार से उसे मुक्ति जो मिल गई थी. नहीं चाहते हुए भी शलभ ने पत्नी से माला को 9 हजार रुपए देने की बात गुप्त रखी.

माला को भी इस बात का एहसास हो गया था कि उसे देख कर सदैव भृकुटि तानने वाला शलभ उस के रूप के चुंबकीय आकर्षण में बंध कर मेमना बन गया था. वह उसे अपने मोहपाश में बांधे रखने के लिए उस पर और अधिक डोरे डालने लगी. जब भी रमा किसी काम से बाहर जाती, सहजसरल भाव से वह माला के  ऊपर घर की देखरेख का जिम्मा सौंप देती. इस का भरपूर फायदा उठाती माला.

उस के दोनों हाथों में लड्डू थे. रमा के सामने आंसू बहा कर माला पैसे मांग लेती और शलभ उस पर आसक्त हो कर अब स्वयं ही धन लुटा रहा था. अपने सहज, सरल स्वभाव वाले निष्कपट अनुरागी पति को अपने प्रति दिनप्रतिदिन उदासीन व ऊष्मारहित  होते देख कर रमा का माथा ठनका पर बहुत सोचनेविचारने के बाद भी वह सत्य का पता नहीं लगा पाई.

माला केवल पैसे ऐंठने के लिए शलभ पर डोरे डाल रही थी. उस की तनिक भी रुचि नहीं थी शलभ में. पर एक दिन शलभ अपना संयम खो बैठा और माला के सामने प्रणय निवेदन करने लगा. पहले तो माला घबरा गई फिर उसे विचित्र नजरों से घूरने लगी फिर बोली, ‘‘जीजू फौरन 10 हजार रुपयों का इंतजाम करो, नहीं तो मैं आप का कच्चाचिट्ठा रमा दीदी के सामने खोलती हूं…’’

मरता क्या न करता. रुपए पा का माला प्रसन्न हुई. फिर उस का लोभ बढ़ता गया. उस ने रमा पर भी अपना भावनात्मक दबाव बढ़ा दिया. शीघ्र ही रमा के घर में आर्थिक तंगी शुरू हो गई. त्रस्त हो कर रमा ने अनुभा मौसी को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए शीघ्र ही रुपए भेजने को कहा तो उन्होंने तमक कर उत्तर दिया, ‘‘छोटी बहन मानती हो न उसे. थोड़ी सी सहायता कर दी तो मुझ से पैसे मांगने लगीं तुम.’’

रमा ने फिर सारी बात मां को बताई तो मां ने भी उसे जम कर खरीखोटी सुना दी, ‘‘मुझ से पहले सलाह क्यों नहीं ली  पैसे लुटाने के बाद अब उस का रोना क्यों रो रही हो  अनुभा और उस के परिवार के काले कारनामों से त्रस्त हो कर हम ने सदा के लिए उन्हें त्याग दिया है.’’

रमा के दिलोदिमाग से मायके के रिश्तेदारों का नशा काफूर हो चुका था. उधर शलभ का मन माला की ओर से उचट हो गया था. लेकिन वे न तो पत्नी को सत्य बताने की हिम्मत जुटा पाए थे, न ही माला की रोज बढ़ती मांगों को पूरा कर पा रहे थे. उन की स्थिति चक्की के दो पाटों में फंसे अनाज जैसी थी. जिस की यंत्रणा वे भोग रहे थे. उन की नींद व चैन छिन गए थे. उन के द्वारा मुंबई की एक फर्म में भेजे गए आवेदनपत्र का अभी तक कोई जवाब भी नहीं आया था.

धीरेधीरे माला ने पुन: कौलसैंटर में कार्य करना शुरू कर दिया. महेश ने एक सिविल ठेकेदार के जूनियर सुपरवाइजर के रूप में काम पकड़ लिया. पर आय कम थी, उन के खर्चे अधिक. धीरेधीरे दोनों की जीवन की गाड़ी पटरी पर आने लगी.

तभी अचानक एक दिन माला कौलसैंटर से अचानक गायब हो गई. काम पर गई तो अपने घर नहीं लौटी. पुलिस ने चप्पाचप्पा छान मारा पर वह कहीं नहीं मिली. पता चला कि वह उस दिन कौलसैंटर पहुंची ही नहीं थी. बदहवास महेश इधरउधर मारामारा फिरता रहा. फिर कुछ दिनों बाद वह भी कहीं चला गया. लोगों ने अंदाजा लगाया कि वह अपने मातापिता के पास लौट गया होगा. पड़ोस के घर में सन्नाटा पसर गया. इस दंपती का क्या हश्र हुआ होगा, इस के बारे में लोग तरहतरह की अटकलें लगाने लगे. सब को अपना पैसा डूबने का दुख तो था ही, इस खूबसूरत युवा जोड़े का चले जाना भी कम दुखद नहीं था सब के लिए.

तभी अनुभा मौसी ने शलभ और रमा पर इलजाम मढ़ दिया कि इन्हीं दोनों की मिलीभगत ने मेरी बेटी और दामाद को गायब कर दिया है. बड़ी मुश्किल से जानपहचान वालों के हस्तक्षेप से ये दोनों पुलिस के चंगुल में आने से बचे.

अचानक एक दिन मुंबई की फर्म से इंटरव्यू के लिए शलभ को बुलावा आ गया. बच्चों की छुट्टियां थी. इंटरव्यू के साथ घूमना भी हो जाएगा, इस उद्देश्य से शलभ ने रमा और दोनों बच्चों को भी अपने साथ ले लिया.

पहले दिन इंटरव्यू संपन्न होने के बाद अगले दिन के लिए शलभ ने टूरिस्ट बस में चारों के लिए बुकिंग करवा ली. अगले दिन सुबह 10 बजे चारों मुंबई भ्रमण के लिए टूरिस्ट बस में सवार हो कर निकल पड़े. भ्रमण में फिल्म की शूटिंग दिखलाना भी तय था. पास ही के एक गांव में ग्रामीण परिवेश में एक लोकनृत्य का फिल्मांकन हो रहा था. करीब 75 बालाएं रंगबिरंगे आकर्षक ग्रामीण परिधानों में सजी संगीत पर थिरक रही थीं.

अचानक नन्हा दीपू चीख पड़ा, ‘‘मम्मा, वह देखो, सामने माला मौसी…’’

उसे पहचानने में रमा को देर नहीं लगी. वही चिरपरिचित खूबसूरत मासूम चेहरा. वह पति के कान में फुसफुसाई, ‘‘मैं इसे अनुभा मौसी को लौटा कर अपने नाम पर लगा हुआ दाग अवश्य मिटाऊंगी…’’

लताड़ लगाई शलभ ने, ‘‘खबरदार, अब इस पचड़े से दूर रहो. बाज आया मैं तुम्हारे रिश्तेदारों से…’’

लेकिन रमा नहीं मानी. पति की इच्छा के विरुद्ध उस ने टूरिस्ट बस का बकाया भ्रमण कैंसिल कर के टैक्सी किराए पर ले ली और शूटिंग के उपरांत उस का पीछा करते उस के घर जा पहुंची.

शलभ और रमा को एकाएक सामने पा कर माला अनजान बन गई. दोनों को पहचानने से इनकार कर दिया उस ने. सब्र का बांध टूट गया रमा का. क्रोध से चीखी वह, ‘‘तू यहां ऐश कर रही है और तेरी मां ने हम दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया कि तुझे गायब करने में हमारा हाथ है. चल अभी मेरे साथ इसी वक्त. तुझे मैं मौसी के पास ले चलती हूं.’’

माला ने मौन व्रत धारण कर लिया. क्रोध से आपा खो बैठी रमा. उस के केश पकड़ कर चिल्लाई, ‘‘जो अपने पति की नहीं हुई हमारी कैसे होती. तुझे मालूम है तेरे जाने के बाद तेरा महेश बदहवास हालत में लुटालुटा सा तुझे खोजा करता था. पता नहीं कहां है वह बेचारा.’’

माला ने अचानक चुप्पी तोड़ी और चीखने लगी, ‘‘बचाओ, बचाओ…’’

उस की चीखपुकार सुनते ही वहां भीड़ इकट्ठा होने लगी. घबरा कर रमा ने माला के केश छोड़ दिए. वहां रुकना उचित न समझ कर शलभ ने रमा की बांह पकड़ी और उसे टैक्सी की ओर खींच कर ले चला.

चलतेचलते वह बोला, ‘‘यहां तमाशा खड़ा न कर के हमें चुपचाप मेरठ में इस के तमाम कर्जदारों को इस का अतापता बता देना चाहिए, वही आगे की कार्यवाही करेंगे.’’

‘‘अतापता ’’ इधरउधर देखते हुए दोहराया रमा ने, ‘‘अरे, यह कौन सी जगह है हमें तो मालूम ही नहीं. रुको अभी आती हूं घर का नंबर, गलीमहल्ला सब पता कर के…’’

रमा जैसे ही पलट कर माला के घर के पास पहुंची तो जड़ हो गई. माला ताली पीटपीट कर हंसते हुए पूछ रही थी, ‘‘कहो मां, कैसी थी मेरी ऐक्टिंग  छुट्टी कर दी न मैं ने माला दीदी की  अब इधर आने की दोबारा जुर्रत नहीं करेंगी…’’

अनुभा मौसी ने शाबासी दी बेटी को, ‘‘मान गए भई, तू ने तो टौप हीरोइंस को भी मात कर दिया. क्या ऐक्टिंग थी तेरी. अब तो तू हीरोइन बनेगी…’’

सामने खड़े हीही कर रहे थे महेश व माला के पिता. रमा को काटो तो खून नहीं. उस में कुछ पूछने और सुनने की शक्ति नहीं थी. लौट कर आ बैठी कार में. पति को सारा वृत्तांत सुना कर वह फफकफफक कर रो पड़ी. सब की मिलीभगत थी. धोखा दे कर पैसा ऐंठने की अपनी सफलता पर जश्न मना रहे थे वे सब. बड़ी ही मासूमियत से सरल हृदयी लोगों की सहानुभूति प्राप्त कर के छला था माला महेश ने.

छावा के बाद एक और फिल्म Kesari Veer , जो मुसलमान द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार पर केंद्रित

Kesari Veer : हाल ही में निर्माता कानू चौहान, और निर्देशक प्रिंस धीमान निर्देशित फिल्म केसरी वीर सिनेमाघर में रिलीज हुई . फिल्म की कहानी ऐतिहासिक, पौराणिक, हिन्दू मुसलमान मार काट पर आधारित नजर आई.

गौरतलब है पिछले कुछ समय से बौलीवुड फिल्मों में जहां जबरन हिंदू धर्म पर आधारित रामायण महाभारत जैसे धार्मिक विषयों को धर्म के नाम पर प्रचार करने के उद्देश्य से कहानी में किसी न किसी तरह जबरदस्ती ठूसा जा रहा है. वहीं दूसरी और ऐसी फिल्में बन रही है जिसमें मुसलमान राजाओं द्वारा हिंदू योद्धाओं को क्रूरता और बेदर्दी के साथ बुरी तरह कत्ल किया जा रहा है.

विकी कौशल अभिनीत छावा और अब केसरी वीर इस बात का जीता जागता उदाहरण है. जो आज के समय में हिंदू मुसलमान के बीच मतभेद बढ़ाने के लिए काफी है. अगर केसरी वीर की बात करे तो केसरी वीर इतिहास के उस कालखंड से प्रेरित है जहां राजकुमार हमीर ने अपने 200 शूर वीरों के साथ राजा जफर की विशाल काय सेना का मुकाबला सोमनाथ मंदिर बचाने के लिए किया था. लेकिन उनको अपनी जान की आहुति देनी पड़ी क्योंकि सुबेदार जाफर के पास अनगिनत सैनिक बारूद ,तोपे बम आदि था , और राजा जाफर का मकसद मंदिर में घुस कर सारा सोना लूटना था.

माना जाता है इसी भव्य सोमनाथ मंदिर पर विभिन्न आक्रमणकरियों ने पहले भी 17 बार मंदिर से सोना लूटने के उद्देश्य से हमला किया था. अगर केसरी वीर में अभिनय करने वाले किरदारों की बात करें तो केसरी वीर में राजकुमार हमीर जी वीर के किरदार में सूरज पंचोली ने अपने किरदार के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है , विवेक ओबेरॉय क्रूर राजा जफर के रूप में दर्शकों का ध्यान खींचते नजर आते हैं. हीरोइन आकांक्षा शर्मा और सुनील शेट्टी की एक्टिंग में दम नजर नहीं आया. इसकी सबसे बड़ी वजह है कमजोर डायरेक्शन , फिल्म की लंबी अवधि, ओर कलाकारों का बेअसर अभिनय . फिल्म का प्रसारण पूरी तरह नाटकीय लगता है.

ओवर एंड औल केसरी फिल्म सच्ची घटना पर आधारित कहानी होने के बावजूद फिल्म की कमजोरी मेकिंग और लंबी अवधि इस फिल्म को आकर्षक बनाने में कमजोर साबित रही है . फिल्म में मुसलमान द्वारा हिंदू वीरों का नरसंहार, सिर धड़ से अलग करना, लोगों को जिंदा जला देना. औरतों की इज्जत लूटना जैसे कई हिंसक दृश्यो का समावेश है. जिसमे जीत की खुशी कम लेकिन हार का दुख ज्यादा दिखाई देता है . फिर भी अगर जो दर्शक सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म को देखने की इच्छा रखते हैं, वह सिनेमाघर में जाकर यह फिल्म देख सकते है.

Newly Married Couple ऐसे दें घर को नया लुक

Newly Married  Couple : हर न्यूली मैरिड कपल अपने घर को अपनी पसंद से सजाना चाहता है यानी कौन सा सामान रखना है कौन सा हटाना है, किस सामान को कहां रखना है, कौन सी पेंटिंग टांगनी है और कहां टांगनी है आदि. मगर कई बार जब न्यूली मैरिड कपल पेरैंट्स के साथ उन के घर में जाते है तब आप को शायद कुछ भी करने से पहले उन से पूछना पड़े. ऐसे में आप ऐसा महसूस कर सकते हैं कि ये घर हमारा नहीं लेकिन तब आप उस घर के एक कमरे को एकदूसरे की पसंद से सजा सकते हैं ताकि आपस में प्यार बढ़े और उस कमरे से जुड़ाव महसूस कर सकें और उसे अपना कह सकें यानी हमारा कमरा.

एक नए शादीशुदा जोड़े के लिए अपने घर में जाना काफी ऐक्साइटिंग होता है. हर युवा कपल अपने घर या बैडरूम को अपनी पसंद से बिलकुल अलग तरीके से सजाना चाहता है ताकि एकदूसरे के बीच बौंडिंग और प्यार बढ़ सके.

जब आप जाएं अपने घर में

यदि न्यूली मैरिड कपल अपनी नई पारी की शुरुआत अपने नए घर से कर रहा होता है तो उस में एक नई ऐक्साइटमैंट होती है. वह चीजों को नया रंग रूप देने की कोशिश करता है. इस के लिए न्यूली मैरीड कपल को घर सैट करते समय शांति और सम झौते से काम लेना बहुत जरूरी है. जहां आप दोनों अकेले ही उस घर में रहने वाले हैं तो फिर आप को इस के लिए एकदूसरे से ही पूछने की जरूरत होती है. इस के लिए एकदूसरे की पसंद का खयाल रखें, दोनों मिल कर एकदूसरे की पसंद से घर को सजाएं.

इस से आप के बीच प्यार बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत बना रहेगा क्योंकि नई शुरुआत है आप एकदूसरे की पसंदनापसंद को जानते नहीं हैं इसलिए यहां आप की सम झदारी केवल घर को सजाने नहीं बल्कि आप के रिश्ते को मजबूत बनाने का भी काम करेगी एवं आपस में प्यार को भी बढ़ाएगी.

शादी होने के बाद क्या आप भी अपने घर या कमरे को दोनों की पसंद से सजाना चाहते हैं? क्या आप भी अपने घर और रूम को अट्रैक्टिव बनाना चाहते हैं? तो जानें कुछ होम डैकोर टिप्स, जिन्हें हर न्यूली मैरिड कपल अपना कर या ट्राई कर अपने घर या रूम को अट्रैक्टिव बना सकता हैं:

करें प्लानिंग

नए घर या कमरे को सैट करते समय रूम की स्पेस और साइज पर ध्यान दें. उस के अनुसार सामान का चयन करें. कमरे को सुंदर बनाने के लिए उस में ऐक्सैसरीज जोड़ें. यह तय करें कि कहां से शुरू करना है. इंटीरियर ऐक्सपर्ट्स के अनुसार उन जगहों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए जहां आप ज्यादा वक्त बिताने वाले हैं या बिताते हैं. इस के लिए निर्धारित करें कि घर या कमरे में किस सामान की आवश्यकता है? आप का बजट क्या है? फिर सामान खरीदें. कमरे में पर्याप्त रोशनी आए इस की व्यवस्था करें.

घर की उन जगहों को चुनना होगा जहां आप डैकोरेट करना चाहते हैं. कहां फर्नीचर रखना है, दीवारों को रंगना है या नहीं, घर या कमरे की किन दीवारों पर पैंटिग्स लगानी हैं आदि. यदि आप सारा काम प्लानिंग से करेंगे तो बिना किसी परेशानी के आप के सारे काम अच्छे से होंगे.

घर का एक कोना हो आप की पसंद का

अपने घर में सब का एक अलग कोना जरूर होता है जहां बैठ कर हम सुकून पाते हैं और फुरसत के कुछ क्षण अपनी पसंद का काम कर गुजारते हैं ताकि मूड को फ्रैश कर सकें. अकसर हम सभी जब घर के बाहर जाते हैं तो अपने घर के इस कोने को जरूर मिस करते हैं और शायद इसलिए ही हम किसी के घर या कमरे को अपना घर या कमरा कह या महसूस नहीं कर पाते. अत: आप अपने घर में जाएं या पेरैंट्स के साथ रहें एक कोना अपने लिए जरूर बनाएं जहां आप दोनों फुर्सत के कुछ पल आपस में बातचीत कर या अपनी पसंद का कोई काम कर के बिता सकें.

दीवारों का रंग कौन सा हो

हर न्यूली मैरिड कपल की इच्छा होती है कि उस के कमरे की दीवारों का रंग उस की पसंद का हो इस के लिए आप दोनों थोड़ा सा डिस्कस कर लें, एकदूसरे की पसंद का खयाल रखें. इस से आपस में प्यार बढ़ेगा. दीवारों का रंग कौन सा हो सफेद, हरा या नीला या पीला इस का चुनाव दोनों की पसंद से करें और अपने घर या रूम को अपने पसंदीदा रंग से सजाएं.

अपने हिसाब से करें सामान का चयन

आप के अपने घर या कमरे में कौन सा सामान रखना है कौन सा नहीं और यदि रखना है तो कहां और यदि पुराना समान है तो उस का उपयोग करना है या है नहीं, किस को देना है कबाड़ में या जरूरतमंद को ये सब आप केवल अपने ही घर कर सकते हैं, साथ ही कैसा सामान लिया जाए जो कमरे या घर की शोभा में चार चांद लगा दे दोनों एकदूसरे की पसंद को ध्यान में रख कर करें तो उन के बीच प्यार बढ़ेगा और रिश्ते को मजबूती मिलेगी.

संजोएं यादें

अकसर हम जहां बहुत लंबे समय तक रहते हैं वहां से हमारी कुछ यादें जुड़ जाती हैं, जिन को हम घर के उस कोने में फुरसत के समय में याद करते हैं इसलिए हर न्यूली मैरिड कपल जब अपने घर में जाए या अपने पेरैंट्स के साथ रहे, शुरुआत से ही अपनी यादें बनाए एवं उन्हें संजोएं. इस के लिए जब आप आप के घर या कमरे को सजा रहे हों या मिल कर कोई काम कर रहे हों या कोई त्योहार मना रहे हों अथवा पार्टी कर रहे हों तब कुछ पिक्स जरूर लें, साथ ही कुछ ऐसे हसीन पल जो आप ने एकदूसरे के साथ इस घर या कमरे में बिताए जिन्हें आप यादगार बनाना चाहते हैं उन्हें अपने कैमरे में कैद करना न भूलें ताकि जब याद आए उन हसीन पलों की तो उन्हें अपने पार्टनर संग याद कर खुशी महसूस कर सकें.

साथ ही यह भी कर सकते हैं

यदि आप के पास जगह कम है तो आप रूम में  मल्टीपर्पज फर्नीचर ले सकते हैं.

यदि आप के रूम में बालकनी है तो अपनी बालकनी को फूलपौधों से सजा कर रखें. यदि नहीं है तो इनडोर प्लांट्स कौर्नर में रखें. फूलपौधों की हरियाली में एक पौजिविटी होती है जो रिश्तों में मिठास भरने का काम करती है.

रूम में लाइट्स प्रौपर आए इस का ध्यान रखें. परदों का सही चयन करें. न्यूली मैरीड कपल के लिए घर सजाना एक नया अनुभव है इसलिए एकदूसरे को अपने विचार रखने का पूरा मौका दें, एकदूसरे की पसंद और आइडियाज का सम्मान करें.

How To Clean Saree Stains : साड़ी पर लगे हुए दागधब्बों को ऐसे करें साफ

How To Clean Saree Stains :  सिल्क साड़ियों के रखरखाव में विशेष देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इन की बनावट बेहद खास होती है और ये साङियां बहुत सौफ्ट होती हैं. हमारे देश में बनारसी, कांचीपुरम, चंदेरी, पटोला, बालूचरी, कटान, टसर और कश्मीरी सिल्क जैसी अनेक सिल्क साड़ियां देखने को मिलती हैं.

इन में कांचीपुरम साड़ी अपनी बारीक सिल्क, बुनाई और विशिष्ट बौर्डर डिजाइन के लिए जानी जाती हैं. ये साड़िया दक्षिण भारत में खास तौर पर पहनी जाती हैं. ऐसे ही अलगअलग सिल्क देश के अलगअलग हिस्सों में बनाए जाते हैं। लेकिन सभी में एक समानता होती है कि वे बेहद खूबसूरत होती हैं। ऐसे में यदि कभी इन पर दागधब्बे लग जाएं, तो इसे छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है.

सही तरीका पता न होने पर साड़ी को नुकसान भी पहुंच सकता है. आज हम आप को कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिन से आप सिल्क साड़ी पर लगे दाग को आसानी से हटा सकेंगे.

सिल्क साड़ी पर लगे हुए दागों को हटाना मुश्किल क्यों है

सिल्क साड़ी पर दाग जल्दी नहीं हटते क्योंकि सिल्क एक नाजुक और संवेदनशील फैब्रिक है. दाग को हटाने के लिए गलत तरीके से साफ करने पर सिल्क के धागे कमजोर हो सकते हैं और रंग भी फीका पड़ सकता है. दरअसल, सिल्क एक नाजुक फैब्रिक है। सिल्क के धागे बहुत पतले और नाजुक होते हैं, इसलिए इन्हें रगड़ने या कठोर रसायन के संपर्क में आने से नुकसान हो सकता है.

कुछ दाग, जैसे तेल या पसीने के दाग, सिल्क में आसानी से समा जाते हैं और उन्हें हटाना मुश्किल हो जाता है. जैसेजैसे दाग पुराना होता है, वैसेवैसे इसे हटाना और मुश्किल हो जाता है.

दाग को व्हाइट टिशू पेपर से हलके से दबाएं

कई बार दाग लगने पर हम उस दाग को रगड़ना शुरू कर देते हैं। इस का नतीजा होता है कि दाग चारों तरफ फैल जाता है. इसलिए दाग को रगड़ना नहीं है बल्कि किसी व्हाइट टिशू या सफेद कपडे से हलका सा दबा कर सोख लें. इस से दाग फैलेगा नहीं.

दाग साफ करने के लिए ठंढे पानी का यूज करें

किसी भी दाग को साफ करने के लिए गरम पानी का यूज न करें. इस से दाग और हार्ड हो जाएगा।

क्लीन विद पैट्रोल

साड़ी को साफ करने के लिए जहां दाग है वहां कौटन की मदद से पैट्रोल की 2-3 बूंदे लगाएं. इस से दाग निकल जाएगा.

साड़ी में हलदी और तेल के दाग कैसे हटाएं

इस के लिए बेकिंग सोडा और नीबू का रस एक बाउल में मिक्स करें और साफ कपडे या कौटन में इसे लगा कर इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर हलके हाथ से नौर्मल पानी से धो लें.

साड़ी ब्लाउज पर जब पसीने के दाग लग जाएं

साड़ी के किनारों और अंडरआर्म्स पर पसीने के निशान बहुत जल्दी लग जाते हैं और दिखने में बहुत बुरे लगते हैं. इन्हें साफ करने के लिए विनेगर और पानी को बराबर मात्रा में मिला कर साड़ी और ब्लाउज पर लगाएं और 5 मिनट बाद किसी हलके डिटर्जेंट से उस जगह को धो लें.

साड़ी में चाय या कौफी के दाग

सब से पहले दाग को ठंडे पानी से साफ करें. उस के बाद कोई लिक्विड डिटर्जेंट लें और उस में विनेगर मिक्स कर के दाग पर लगाएं और हलके हाथों से उसे धो दें. दाग निकल जाएगा.

साड़ी में खून के दाग लग गए हों तो सब से पहले से दाग को ठंडे पानी में डूबो कर खून को निकाल लें। उस के बाद हाइड्रोजन पैरोक्साइड को लगा कर हटाने का प्रयास करें.

साड़ी में इंक के दाग लग गए हों तो

इंक के दाग हटाने के लिए अलकोहल या हैंड सैनेटाइजर का यूज किया जाता है. उसे दाग पर लगा कर 5 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर साफ पानी से धो लें.

कांजीवरम साड़ी पर हलके रंगों के दाग

दूध एक प्राकृतिक क्लीनर की तरह काम करता है, जो कांजीवरम साड़ी से हलके रंगों के दाग हटाने में मदद करता है. इस के लिए ठंडा दूध लें और उस में दाग वाले हिस्से को कुछ घंटों तक भिगो कर रखें. यह तरीका खासतौर पर हलके दागों के लिए प्रभावी होता है. भिगोने के बाद साड़ी को सामान्य पानी से धो लें ताकि दूध का असर पूरी तरह से निकल जाएं और साड़ी की चमक बनी रहे.

कांजीवरम साड़ी पर लगा पुराना दाग कैसे हटाएं

मुलतानी मिट्टी को थोड़े पानी में घोल कर पेस्ट बना लें और इसे दाग पर लगाएं. सूख जाने के बाद इसे धीरेधीरे रगड़ कर हटा दें, फिर साफ पानी से धो लें।कांजीवरम साड़ी पर चाय कौफी के दाग नीबू के रस में नमक मिला कर एक पेस्ट बना लें और उसे दाग पर लगा कर कुछ देर छोड़ दें. उस के बाद उसे नौर्मल पानी से धो लें. दाग हट जाएगा और अगर दाग न हटें तो फिर साड़ी को ड्राई क्लीनर को दें.

तेल के दाग वाली साड़ी को घर पर ड्राईक्लीन कैसे करें

सब से पहले तो तेल का दाग हटाने के लिए दाग वाली जगह पर टैलकम पाउडर डालें. आप देखेंगे कि पाउडर ने तेल सोख लिया है. जब आप उसे कुछ देर बाद हटाएंगे तो पाउडर पर तेल आ चुका होगा. इस के बाद आप एक बालटी में कोई भी माइल्ड शैंपू घोलें. दाग लगी स‍िल्‍क की साड़ी को इस घोल में डाल कर 10-15 म‍िनट के ल‍िए छोड़ दें. अब हल्के हाथों से दाग वाली जगह को रगड़ें. अब साफ पानी से कपड़ों को न‍िकाल लें. इन कपड़ों को ज्‍यादा रगड़ कर न‍िचोड़ें नहीं। इस से कपड़ों पर र‍िंकल पड़ जाते हैं. हैंगर लें और कपड़ों को सूखने डाल दें. अब इन कपड़ों के सूखने के बाद इन्‍हें सही से प्रेस करके ही अपनी अलमारी में रखना चाहिए.

Social Media: स्क्रौलिंग से बदल रहे हैं पोर्न सर्च के ट्रैंड्स

Social Media: भारत समेत दुनियाभर में पोर्न देखने वालों की संख्या और टाइम में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एडल्ट कंटैंट आसानी से उपलब्ध हो रहा है. अब हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है और इंटरनैट. पोर्न इंडस्ट्री तेजी से ग्रो कर रही है और लोगों में पोर्न को ले कर तरहतरह की इच्छाएं बढ़ने लगी है हैं. सर्च करने के तौरतरीके भी बदले हैं. इस में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ रहा है. इस में ऐसीऐसी इच्छाएं देखने को मिली हैं जो सरप्राइज करती हैं.

 

इस चलते पोर्नहब ने यूजर्स के सब से ज्यादा सर्च किए गए टर्म्स का डेटा शेयर किया है, कुछ आप को सरप्राइज दे सकते हैं.

 

पोर्नहब इनसाइट्स ने दुनियाभर के लाखों यूजर्स का डेटा जमा किया जिस में साइट के टौप ट्रैंड्स, मोस्ट पौपुलर कंटैंट और यहां तक कि फिल्मों व गेम्स के कैरेक्टर्स भी शामिल हैं. इस साल के ट्रैंड्स से पता चलता है कि पौप कल्चर और बेडरूम के ट्रैंड्स में कनैक्शन है. मगर कंटैंट जानने से पहले जान लेते हैं ऐसे टौप देशों के बारे में जहां पोर्न देखने का ट्रैफिक सब से ज्यादा है.

 

टौप ट्रैफिक वाले देश

 

2024 में भी अमेरिका नंबर वन पर रहा. वहां से सब से ज्यादा ट्रैफिक आया. 30 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले देश के लिए यह कोई हैरानी की बात नहीं है.

 

दूसरे नंबर पर फ्रांस रहा, जिस का कारण पेरिस ओलिंपिक्स हो सकता है क्योंकि उस इवैंट के चलते वहां बड़ी संख्या में विजिटर्स और ऐथलीट्स पहुंचे थे. फिलीपींस तीसरे, मेक्सिको चौथे और यूके 5वें नंबर पर रहे. टौप 20 देशों से 79.2 फीसदी डेली ट्रैफिक आता है.

 

यूजर्स कितना टाइम स्पैंड करते हैं?

 

पोर्नहब पर अब यूजर्स औसतन 29 सैकंड कम टाइम स्पैंड कर रहे हैं. अब एक विजिट का औसत टाइम 9 मिनट 40 सैकंड है.

 

18 से 24 साल के यूजर्स ने 79 सैकंड कम टाइम दिया, जबकि 65+ उम्र के यूजर्स ने औसत से 83 सैकंड ज्यादा टाइम स्पैंड किया.

 

मेक्सिको के यूजर्स ने सब से ज्यादा (11 मिनट 1 सैकंड) टाइम स्पैंड किया. नीदरलैंड्स दूसरे नंबर पर (10 मिनट 51 सैकंड) और अमेरिका तीसरे (10 मिनट 37 सैकंड) पर रहे.

 

फीमेल यूजर्स बढ़े

 

पिछले साल फीमेल यूजर्स ने मेल यूजर्स के मुकाबले 17 सैकंड ज्यादा टाइम स्पैंड किया. दुनियाभर में 38 फीसदी यूजर्स अब महिलाएं हैं, जो 2024 में 7 फीसदी बढ़ीं. ये बदलाव समाज में महिलाओं की सैक्सुअल नीड्स को औब्जर्व करने की वजह से हो सकता है.

 

डेटा के मुताबिक, महिलाएं ज्यादातर ‘लेस्बियन’ कंटैंट देखती हैं और ‘सिजरिंग’ व ‘पु*** लिकिंग’ जैसे टर्म्स सर्च करती हैं. सिजरिंग एक लेस्बियन सैक्सुअल एक्ट है जिस में 2 महिलाएं एकदूसरे के जननांगों को आपस में रगड़ कर सैक्सुअल प्लेजर पाने की कोशिश करती हैं. हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर इस पोजीशन को ले कर काफी रील्स और मीम बनने लगे हैं.

 

टौप परफौर्मर्स

 

एंजेला व्हाइट

अबेला डेंजर

वायलेट मायर्स

लाना रोड्स

एवा एल्फी

 

इन में से लाना रोड्स पोर्न इंडस्ट्री छोड़ चुकी है. वह एक मशहूर अमेरिकन मौडल और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी है. उस ने 2016-2017 के आसपास इस इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया, जब वह 18 साल की थी और जल्दी ही टौप परफौर्मर्स में शुमार हो गई.

 

उसे ‘क्वीन औफ वीआर पोर्न’ भी कहा जाता था, क्योंकि उस ने वर्चुअल रिऐलिटी पोर्न में खूब काम किया. लाना के इंस्टाग्राम, टिकटौक और यूट्यूब पर 1 करोड़ से अधिक फौलोअर्स हैं. वह लाइफस्टाइल, ब्यूटी टिप्स और मैंटल हैल्थ पर कंटैंट शेयर करती है. लाना ने पोर्न इंडस्ट्री के डार्क साइड (एब्यूज, मैंटल हेल्थ इश्यूज) के बारे में खुल कर बात की है. एक इंटरव्यू में उस ने कहा कि उसे अपने पोर्न कैरियर पर पछतावा है.

 

मोस्ट पौपुलर कैटेगरीज

 

इस साल ‘मिल्फ’ नंबर 1 कैटेगरी बनी. उस ने ‘लेस्बियन’ को दो साल बाद टौप स्पौट से हटा दिया. इस के अलावा पोर्न देखने वालों में जैपनीज, लेस्बियन पोर्न देखने का क्रेज बढ़ा है.

 

अमेरिका में ‘एबोनी’ सब से पौपुलर रही. यह ब्लैक कम्युनिटी खासकर ब्लैक महिला एक्ट्रैस को ले कर है. अमेरिका में कई सारी बहसें इस पोर्न कैटगरी पर हो रही हैं और इसे नस्लभेदी बताया जाता है. वहीं कनाडा और औस्ट्रेलिया में ‘लेस्बियन’ कंटैंट ज्यादा देखा गया.

 

 

सोशल मीडिया ट्रैंड्स का असर

 

वर्ष 2024 में टिकटौक पर वायरल हुआ फ्रेज ‘वेरी डेम्युर, वेरी माइंडफुल’ का असर पोर्नहब पर भी देखने को मिला. डेम्युर का मतलब शर्मीला होता है. पोर्न साइट पर शरमीलेपन को सैक्सी तरीके से दिखाया गया. यानी, ऐसी पोर्न जहां एक्ट करने वाली लड़कियां कम बोलती हैं, संकोच करती हैं या शरमाती हैं उन्हें ज्यादा देखा गया. ‘डेम्युर’ सर्चेज 133 फीसदी बढीं. ‘माइंडफुल प्लेजर’ सर्चेज 112 फीसदी बढीं. यह वो कैटगरी है जहां टेंटेशन बिल्डअप किया जाता है और चीजें स्लो होती हैं.

 

एक टीवी शो ‘द सीक्रेट लाइफ औफ मौर्मन वाइव्स’ की वजह से ‘वाइव्स’ और ‘मोडेस्ट वाइव्स’ जैसे टर्म्स भी ट्रैंड करने लगे. इस टीवी शो में धार्मिक महिलाओं के स्कैंडल दिखाए गए थे. यानी, वे महिलाएं जो गृहीणी हैं, सीधीसादी हैं मगर अंदर से वाइल्ड हैं. जो अपनी सैक्सुअल इच्छाओं को जाहिर नहीं करतीं, जो संयमित कपड़े पहनती हैं, भोलीभाली होती हैं मगर सैक्स के दौरान वाइल्ड हो जाती हैं. ऐसे ही इस शोज की रील्स सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे दिमाग पर बैठती हैं.

 

जब कोई ट्रैंड जैसे ‘बज इट चैलेंज’ या ‘बेला पोर्च हिप्नोटिक’ वायरल होता है तो पोर्नहब पर उस से जुड़ी सर्चेज बढ़ जाती हैं.

 

सोशल मीडिया एल्गोरिदम पर काम करता है, आप की पसंदनापसंद तक सीमित नहीं. यह इंटरनैट को अच्छे से पता है. वह जानता है कि आप किस तरह के कंटैंट को पसंद करते हैं- आप को खाने में क्या अच्छा लगता है, आप को कैसे कपड़े पहनने पसंद है और आप की सोच क्या है.

 

अगर आप इंस्टा या टिकटौक पर फिटनैस मौडल फौलो करते हैं, तो पोर्न हब का अल्गोरिदम ‘फिट बौडी पोर्न’ सजेस्ट करेगा. ऐसे ही सोशल मीडिया पर जो मीम, जैसे जोक्स, देखते हैं उन के सजेशन सामने दिखाई देते हैं.

 

ऐसे ही इंस्टा की ‘थर्स्ट ट्रैप’ (सैक्सी डांस वीडियो) की पोर्न साइट्स पर कैटेगरी बनी होती हैं. कुल मिला कर सोशल मीडिया हमारी फैंटेसीज को डायरैक्ट इंफ्लुएंस करता है, चाहे वह ट्रैंड्स के जरिए हो, इन्फ्लुएंसर्स के जरिए हो या अल्गोरिदम के.

पोटैटो चिप्स से लेकर दही सैंडविच तक, ये साइड डिशेज बढ़ा देगी खाने का जायका

Side Dishes Recipe In Hindi : दही सैंडविच

सामग्री

1 कप हंग कर्ड द्य 1/2 कप कच्चा नारियल कसा

1-2 हरीमिर्चें द्य 1 टुकड़ा अदरक, 4 ब्रैड स्लाइस

2 बड़े चम्मच मक्खन, नमक स्वादानुसार.

विधि

नारियल को मिर्च, अदरक, नमक व दही के साथ महीन पीस लें. इस चटनी को ब्रैड स्लाइस के बीच लगाएं व दूसरा ब्रैड स्लाइस ऊपर रख कर बंद करें. गरम तवे पर मक्खन लगा कर दोनों तरफ से सेंक लें. तिकोना काट कर गरमगरम सर्व करें.

‘जुकीनी को ट्विस्ट दे कर बनाएंगी तो बच्चे इसे मन से खाएंगे.’

जुकीनी नाचोज

सामग्री

1 जुकीनी, 2 बड़े चम्मच मैदा

1 बड़ा चम्मच कौर्न पाउडर, 1/2 कप ब्रैडक्रंब्स

3 बड़े चम्मच चीज कसा ,  तलने के लिए तेल

1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च, 1/2 छोटा चम्मच मिक्स हर्ब्स

3 बड़े चम्मच टोमैटो चिली सौस, नमक स्वादानुसार.

विधि

जुकीनी के स्लाइस काट लें. मैदा व कौर्न पाउडर का पेस्ट बना लें. इस में नमक व मिर्च डाल दें. जुकीनी के स्लाइस को इस घोल में लपेट कर ब्रैडक्रंब्स में रोल कर गरम तेल में डीप फ्राई करें. ऊपर से चीज व मिक्स हर्ब्स डालें. टोमैटो चिली सौस के साथ परोसें.

‘कुछ नया ट्राई करना है तो ऐप्पल की यह डिश बना कर देखें.’

 स्पाइसी ऐप्पल पकौड़ा

सामग्री

1 कप ओट्स आटा, 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर, 1 सेब कटा द्य 1-2 हरीमिर्चें कटी, 1/4 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर

1/4 छोटा चम्मच गरम मसाला, तलने के लिए तेल.

विधि

ओट्स आटे में कौर्नफ्लोर, नमक, दालचीनी पाउडर, गरममसाला व हरीमिर्च मिलाएं. पानी के साथ गाढ़ा घोल बनाएं. इस में सेब डालें व अच्छी तरह मिलाएं. कड़ाही में तेल गरम कर चम्मच से घोल तेल में डाल कर पकौड़े तल लें.

‘पोटैटो के साथ चीज का कौंबिनेशन सभी को अच्छा लगता है.’

पोटैटो चिप्स चीज बाउल

सामग्री

1 पैकेट चिप्स द्य 2 बड़े चम्मच चीज कसा हुआ

2 प्याज कटे द्य 1 बड़ा चम्मच शिमला मिर्च कटी

1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस द्य 1 छोटा चम्मच पिज्जा सीजनिंग.

विधि

एक बाउल में चिप्स डाल कर ऊपर से चीज, प्याज व शिमला मिर्च डालें. फिर टोमैटो सौस व सीजनिंग डाल कर पहले से गरम ओवन में चीज के पिघलने तक रखें फिर सर्व करें. ‘क्रीम और चीज से बनी यह डिश बच्चे लंच बौक्स में भी ले जा सकते हैं.’

क्रीम चीज वोंटोन्स

सामग्री

4-5 स्प्रिंग रोल शीट्स, 150 ग्राम पनीर

1 प्याज कटा द्य 1 हरीमिर्च कटी, 2 बड़े चम्मच थिक क्रीम, 2 बड़े चम्मच मक्खन, नमक स्वादानुसार.

विधि

पनीर, क्रीम, नमक, प्याज व हरीमिर्च को अच्छी तरह मिला लें. स्प्रिंग रोल शीट्स में पनीर की फिलिंग भर कर रोल कर लें. ऊपर से बटर की लेयर लगाएं व 1800 पर गरम ओवन में 7-8 मिनट तक बेक करें. पलट कर बटर लगा कर फिर 3-4 मिनट बेक करें.

Reader’s Problem : देवर को क्राइम शो देखने की लत लग गई है, कहीं वह गलत दिशा में तो नहीं जाएगा?

Reader’s Problem :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 32 वर्षीया विवाहिता हूं. सासससुर नहीं रहे इसलिए 17 साल का देवर साथ ही रहता है. मैं उसे अपने बच्चे जैसा प्यार करती हूं. पर इधर कुछ दिनों से देख रही हूं कि वह टीवी पर अकसर क्राइम शो देखता है और उसी पर बातें भी करता है. कुछ दिनों पहले उस का 2-4 लड़कों से झगड़ा भी हो गया था. मैं ने डांटा तो पलट कर जवाब तो नहीं दिया पर उस ने उस दिन से मुझ से बात कम करता है. क्राइम शो देखने की लत कई बार मना करने पर भी उस ने नहीं छोड़ी है. उस की यह लत उसे गलत दिशा में तो नहीं ले जाएगी? कृपया उचित सलाह दें?

जवाब-

टीवी पर दिखने वाले अधिकतर क्राइम शो काल्पनिक होते हैं, जो समाज में जागरूकता तो नहीं फैलाते अलबत्ता लोगों को गुमराह जरूर करते हैं.

अकसर रिश्ते में धोखाधड़ी, एक दोस्त द्वारा दूसरे दोस्त का कत्ल, पैसे के लिए हत्या, शादी में धोखा, अवैध संबंध, पतिपत्नी में रिश्तों में विश्वास का अभाव दिखाना कहीं न कहीं लोगों के मन में अपनों के प्रति अविश्वास का भाव ही पैदा करता है. यकीनन, टीवी पर दिखाए जाने वाले अधिकतर क्राइम शो न सिर्फ रिश्तों को प्रभावित करते हैं, अपराधियों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं.

हाल ही में एक खबर सुर्खियों में आई थी जिस में एक आदमी ने अपनी ही पत्नी की निर्मम हत्या कर दी थी. जब वह पकड़ा गया तो उस ने पुलिस को बताया कि यह हत्या उस ने टीवी पर प्रसारित एक क्राइम शो देखने के बाद की थी. यह कोई एक मामला नहीं. आएदिन ऐसी घटनाएं घट रही हैं.

अधिकतर क्राइम शो में दिखाया जाता है कि अपराधी किस तरह अपराध करते वक्त एहतियात बरतता है, ताकि वह कानून के चंगुल में फंस न सके. इस से कहीं न कहीं आपराधिक मानसिकता के लोगों का गलत मार्गदर्शन ही होता है.

बच्चों को तो इन धारावाहिकों से दूर ही रखने में भलाई है. और फिर आप के देवर की उम्र तो अभी काफी कम है. उस का मन अभी पढ़ाई की ओर लगना चाहिए. आप उसे प्यार से समझाने की कोशिश करें. उसे अच्छी पत्रिकाएं या अच्छा साहित्य पढ़ने को दें या प्रेरित करें. आप चाहें तो अपने पति से भी बात करें ताकि समय रहते उसे सही दिशा की ओर मोड़ा जा सके.

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