Hyundai Verna: डिजाइन ऐसी की नजरें न हटें

जब हम कार खरीदते हैं तो अपनी जरूरत के साथ बाहरी डिजाइन और लुक पर भी काफी ध्यान देते हैं. हम चाहते हैं कि हमारी गाड़ी ऐसी हो जो कंफर्ट लेवल के साथ स्टाइलिश और अट्रैक्टिव भी हो. बात करें अगर SUVs की तो सेडान हमेशा से ही लोगों लुभाती रही है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर हुंडई वरना की ऐसी क्या खासियत है जो कार ग्राहकों को इतनी पसंद आती है.

हुंडई वरना में पहली चीज जो आप नोटिस करते हैं वो क्रोम ग्रिल और सामने की ओर लगाए गए हेडलाइट्स हैं जो किसी कार में एकदम नया फीचर है. इस डार्क क्रोम के बड़े स्वैट्स की वजह से वरना को एक फ्रेश एलिगेंट लुक मिलता है.

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वहीं अगर आप हुंडई वर्ना के टर्बो वेरिएंट को चुनते हैं तो आपको एक ब्लैक-आउट ग्रिल मिलता है जो इसके फ्रंट को थोड़ा और स्ट्रांग लुक का एहसास देता है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि, जब डिजाइन की बात आती है तो Hyundai Verna #BetterThanTheRest है.

भारतीय वायुसेना ने ‘गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल’ के कुछ सीन्स पर जताई आपत्ति, जानें क्या है मामला

ओटीटी प्लेटफॉर्म दर्शकों को मनोरंजन परोसने की होड़ में अपनी कुछ सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारियों को अनदेखा करते जा रहे हैं. इसी वजह से आए दिन ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रसारित होने वाली फिल्मों और वेब सीरीज पर विवाद होते रहे हैं. और धीरे-धीरे ओटीटी प्लेटफॉर्म को भी “केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड” यानी कि “सेंसर बोर्ड” के तहत लाने की मांग भी बढ़ती जा रही है. अभी 2 माह पहले अनुष्का शर्मा की वेब सीरीज “पाताल लोक ” को लेकर मुहिम चली थी कि “बैन पाताल लोक”. उसके बाद एकता कपूर की वेब सीरीज “एक्स एक्स एक्स सीजन 2” में आर्मी का अपमान करने के आरोप लगे थे और जब मामला अदालत पहुंचा, तो एकता कपूर ने उन दृश्यों को वेब सीरीज से हटाने के साथ ही सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी.

अब 12 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हुई “धर्मा प्रोडक्शन” की फिल्म “गुंजन सक्सैना :द कारगिल गर्ल”के कुछ दृश्यों पर आपत्ति जताते हुए भारतीय वायु सेना ने “केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ” यानी कि “सेंसर बोर्ड ” और नेटफ्लिक्स के साथ-साथ धर्मा प्रोडक्शन को भी पत्र लिखा है.

‘ओटीटी प्लेटफॉर्म’ नेटफ्लिक्स पर करण जोहर के ‘धर्मा प्रोडक्शन’ द्वारा निर्मित फिल्म “गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल” रिलीज हुई है, इस फिल्म से भारतीय वायु सेना के अंदर गुस्सा है और फिल्म के रिलीज के कुछ घंटों के अंदर ही ‘भारतीय वायुसेना’ ने फिल्म ‘गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल’ में भारतीय वायु सेना की छवि को गलत ढंग से पेश करने का आरोप लगाते हुए ‘नेटफ्लिक्स’ व ‘धर्मा प्रोडक्शन’ के साथ ‘केंद्रीय फिल्म प्रसारण बोर्ड’ को एक पत्र लिखा. भारतीय वायुसेना ने अपने पत्र में लिखा है -“हमने फिल्म ‘गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल’ के ट्रेलर में कई आपत्तिजनक दृश्य पाए हैं.करण जौहर ने हमसे वादा किया था कि वह फिल्म में भारतीय वायु सेना को ऑथेंटिसिटी के साथ पेश करते हुए प्रयास करेंगे कि यह फिल्म भावी वायु सैनिकों के लिए प्रेरणा दे सके. मगर फिल्म का ट्रेलर तो कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है.फिल्म के ट्रेलर और फिल्म के कुछ संवाद ‘भारतीय वायु सेना’ की नकारात्मक छवि को पेश करते हैं. गुंजन सक्सेना के किरदार को ग्लोरिफाई करने के लिए ‘धर्मा प्रोडक्शन’ कुछ ऐसे दृश्य गढ़े हैं, जोे भ्रमित करने वाले तथा तथ्य से परे हैं. इन दृश्यों द्वारा बताया गया है कि भारतीय वायु सेना में औरतों से भेदभाव किया जाता है. जबकि ऐसा नहीं है .भारतीय वायु सेना में लिंग भेद से परे पुरुष व महिला को समान अधिकार प्राप्त है.”

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भारतीय वायुसेना ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि “हमने अपनी आपत्ति पहले ही दर्ज करा दी थी और कहा था कि उन दृश्यों को हटा दिया जाए.।वादा करने के बावजूद प्रोडक्शन हाउस ने ऐसा नहीं किया.”

भारत की पहली महिला वायुसेना पायलट ‘गुंजन सक्सेना’ की बायोपिक फिल्म ‘भारतीय वायुसेना’ के ‘बेवजह नकारात्मक’ रूप से दिखाए जाने से भारतीय वायु सेना के अंदर रोष है. यदि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले कंटेंट के लिए ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड’ यानी सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं, तो ऐसे में ‘ओटीटी प्लेटफार्म’ के साथ-साथ निर्माता की दोहरी जिम्मेदारी बन जाती है कि वह ऐसा कंटेंट परोसने से बाज आए. जनवरी 2019 में सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म ने घोषित किया था कि वह सेल्फ सेंसरशिप का पालन करते हुए आपत्तिजनक कंटेंट को अपने प्लेटफार्म पर जगह नहीं देंगे. मगर वहां इस पर अमल नहीं कर रहे हैं.

उधर रक्षा मंत्रालय भी पहले कई बार वेब सीरीज में सेनाओं को दिखाने को लेकर आपत्ति जाहिर कर चुका है. रक्षा मंत्रालय ने ‘सेंसर बोर्ड’ और ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ को सलाह दी थी कि जिन फिल्मों व वेब सीरीज में आर्मी का जिक्र हो, उन सभी को आर्मी के पास ‘नो ऑब्जेक्शन’ प्रमाण पत्र के लिए भेजा जाना चाहिए. मगर ओ टी टी प्लेटफार्म तो सेंसरशिप के दायरे में आते ही नहीं है, ऐसे में “केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड” यानी कि सेंसर बोर्ड के अपने हाथ बने हुए हैं.

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नागिन-5: शो शुरू होते ही हुईं हिना खान की विदाई! जानें क्या है मामला

बीते दिनों कलर्स के शो नागिन 5(Naagin 5) के प्रोमो ने सोशलमीडिया पर धूम मचा दी थी. वहीं अब नागिन 5 की टीवी पर शो की शुरूआत हो चुकी है. हालांकि नागिन-4 (Naagin 4 Finale) के फिनाले के साथ ही नागिन-5 की शुरुआत हुई थी, जिसमें हिना खान (Hina Khan) का रोल फैंस को काफी पसंद आ रहा था. लेकिन अब खबर है कि हिना खान ने शो को अलविदा कह दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

गेस्ट रोल में थीं हिना खान

दरअसल, नागिन 4 के आखिरी एपिसोड में हिना खान 10 हजार साल पुरानी प्रेम कहानी निया शर्मा को सुना रही हैं, जिसमें हिना के अलावा इस शो में कुंडली भाग्य एक्टर धीरज धूपर और अभिनेता मोहित मल्होत्रा भी हैं. वहीं इन तीनों का लव ट्रायंगल कलयुग में आएगा. हालांकि हिना खान शो में गेस्ट अपिरियंस के लिए हिस्सा बनी थीं. वहीं कहा जा रहा है कि हिना खान अपने हिस्से की शूटिंग पूरा कर चुकी हैं और वह जल्द ही इस शो को अलविदा कहेंगी.

 

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#NaagEshwari & #Hridhay ❤️🥰 . . . @realhinakhan @mohitmalhotra9 #Naagin5 🐍

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Sathyug Track Last Day Shoot ! . . . @realhinakhan #HinaKhan #NaaginSeason5 #Naagin5 🐍

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सुरभि चंदना आएंगी लीड रोल में नजर

हिना खान के बाहर जाने के बाद सुरभि चंदना (Surbhi Chandana) की नागिन-5 में एंट्री होगी. कहा जा रहा है कि हिना खान का पुनर्जन्म अवतार सुरभि निभाएंगी. जबकि सुरभि को शरद मल्होत्रा और मोहित सहगल आगे जाकर ज्वॉइन करेंगे.हालांकि खबरों की मानें तो सुरभि ने शूटिंग शुरू कर दी है तो वहीं हिना खान ने अपने हिस्से की शूटिंग खत्म कर दी है. हिना के अलावा मोहित और धीरज लगभग अपने हिस्से की शूटिंग पूरी कर चुके हैं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

प्रोमो में नजर आ चुकी हैं हिना खान

 

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These scene 😍 love in the air❤ @realhinakhan @mohitmalhotra9 #naagin5

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बीते दिनों सोशलमीडिया पर नागिन 5 के प्रोमो में हिना खान के नजर आने के बाद फैंस बेहद खुश नजर आ रहे थे, जिसके बाद फैंस उनके लुक की कई फोटोज के कोलाज बनाकर सोशलमीडिया पर वायरल कर रहे थे. लेकिन लगता है अब इस खबर के बाद फैंस को काफी दुख होने वाला है.

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करीना कपूर के दूसरी प्रैग्नेंसी पर जानें कैसा है तैमूर का रिएक्शन, मीम्स Viral    

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान और एक्टर सैफ अली खान दोबारा पेरेंट्स बनने जा रहे हैं. दोनों नें तैमूर के बाद अपने दूसरे बच्चे की न्यूज को कंफर्म करते हुए कहा है कि ‘परिवार में एक सदस्य जुड़ने वाला है, हम दूसरा बेबी एक्सपेक्ट कर रहे हैं. आप सभी चाहने वालों का शुक्रिया, प्यार और सपोर्ट.’. वहीं इस खबर के बाद सोशलमीडिया पर जहां स्टार्स और फैंस उन्हें बधाई दे रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इस किस्से से जुड़े तैमूर अली खान के कुछ मीम्स वायरल कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल मीम्स…

करीना के पिता ने दिया ये रिएक्शन

दोबारा पेरेंट्स बनने की खबर के बारे में जब करीना के पिता रणधीर कपूर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘करीना और सैफ ने अभी तक उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी है. मुझे तो ये बात पहली बार पता चल रही है. उम्मीद करता हूं ये सच हो, मैं तो बहुत खुश हो जाऊंगा. दो बच्चे तो होने चाहिए, जिससे एक-दूसरे को कंपनी मिल सके’.

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तैमूर के लिए कह चुकी हैं ये बात

एक रियलिटी शो के दौरान करीना ने कहा था, ‘मैं काफी प्राउड होकर कह सकती हूं कि तैमूर सबसे खूबसूरत बच्चा है. मैं यह इसलिए नहीं कह रही क्योंकि वह मेरे बेटा है बल्कि इसलिए कह रही हूं क्योंकि वह काफी गुड लुकिंग है. मैं मानती हूं कि उसके पठान जींस हैं, लेकिन मैंने भी प्रेग्नेंसी के दौरान काफी घी खाया था’.

तैमूर के मजाकिया मीम्स  हो रहे हैं वायरल

करीना और सैफ के पेरेंट्स की खबर के बाद सोशलमीडिया पर मीम्स का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसमें फैंस लगातार कमेंट कर रहे हैं और अपना रिएक्शन दे रहे हैं.

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बता दें, सोशलमीडिया पर तैमूर अली खान की फोटोज अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं तैमूर भी लाइमलाइट में रहना काफी पसंद करते हैं. हालांकि सैफ, तैमूर के लाइमलाइट में रहने से काफी परेशान रहते है. लेकिन करीना ये सब काफी पसंद करती हैं.

जैसे लोग वैसा शासक

चीन और कोरोना दोनों अगले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर देंगे. हर घर को इस की पूरी तैयारी करनी होगी. कोरोना की वजह से बारबार लौकडाउन तो लगेगा ही, लोग खुद ही डर के मारे काम पर नहीं जाएंगे और जाएंगे तो उन्हें कोविड-19 का भय रहेगा.

चीन की वजह से देश का सारा पैसा अब हिमालय के पत्थरों पर लगेगा जहां सड़कें बनेंगी, हवाईअड्डे बनेंगे, बैरक बनेंगे, खाने का सामान मुहैया कराया जाएगा.

दोनों ही उद्योगों और व्यापारों को बुरी तरह चोट मारेंगे और उस की सजा घरों को मिलेगी. अब पहले से अच्छा घर, पहले से अच्छी नौकरी, पहले से अच्छा ड्राइंगरूम, पहले से अच्छा वाहन, पहले से अच्छी सैर के सपने भूल जाएं. जैसे पैट्रोल और डीजल के दाम बढ़े हैं, हर चीज के बढ़ेंगे.

मांग भी कम होगी तो सप्लाई भी कम होगी. सब से बड़ी बात है कि हर घर को काफी पैसा बीमारी या बेकारी के लिए रखना होगा और इस का मतलब है कि सभी खर्चों में बेहद कमी. वैसे भी गनीमत है कि अब दिखावे की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब न तो शादियों में जाना है, न पार्टी में, न रेस्तरां या सिनेमाहौल में. अब तो घर से निकलना ही कम हो जाएगा.

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पर इस का मतलब है कि हजारों धंधे बंद हो जाएंगे. फिल्म उद्योग पुरानी तरह का नहीं होगा. रेस्तरां, सिनेमा, मौल अब सालों तक पुराने रंग में नहीं आएंगे और जब तक सब ठीक होगा तब तक उन के रंग पुरानी हवेलियों की तरह उड़ चुके होंगे. घरों के मनोरंजन या कहिए काम की ऊब निकालने के तरीके पहले कोरोना ने बंद किए, अब चीनी ड्रैगन बंद कर रहा है.

दोनों जिस तरह से फैले हैं, उस से पहले जैसे अर्थव्यवस्था को चौपट किया गया है, उस से साफ है कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाला युग चल रहा है. दिक्कत यह है कि दूसरे बहुत से देशों में यही हो रहा है.

अमेरिका सब से बड़ा उदाहरण है. यहां के खप्ती राजा डोनाल्ड ट्रंप भी अपने अलग कानून लिख रहे हैं. टर्की के सुलतान रिसेप तैइप इदोगान भी इसी तर्ज पर हैं, जिन्होंने इस्तांबूल की छठी शताब्दी की इमारत सोफिया को संग्रहालय से मसजिद बना कर मसजिद को तोड़ कर मंदिर बनाने जैसा काम किया है.

इस सब का दोषी जनता भी है, आप भी हैं. यथा राजा तथा राज्य. ए पीपल डिजर्व द किंग व्हाट दे आर. लोग जैसे होते हैं वैसा ही शासक मिलता है. जो लोग व्हाट्सऐपों, फेसबुकों, फौरवर्ड किए ज्ञान पर जिंदा रहते हैं उन से और क्या उम्मीद की जा सकती है. चीन, कोरोना, जीएसटी, नोटबंदी हमारी अपनी देन है. इसे ऐंजौय करें. तालियांथालियां बजाएं. सब दुख ऐसे ही दूर हो जाएंगे जैसे मंदिरमसजिद में जाने से दूर हो जाते हैं.

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 औनलाइन शिक्षा चुनौती नहीं अवसर भी

लेखक- राजेश वर्मा

कोरोना जैसी महामारी ने देश में ही नहीं, अपितु दुनियाभर में मानवीय जीवन की अर्थव्यवस्थाओं को भी पटरी से उतार दिया है. कोविड-19 नामक इस महामारी ने अर्थव्यवस्थाओं को कई साल पीछे धकेल दिया है.

आज ज्यादातर देशों में लौकडाउन व कर्फ्यू जैसे हालात हैं, सिवा जरूरी चीजों व सेवाओं के, अन्य सभी प्रकार के संस्थान बंद हैं. यहां तक कि अस्पतालों में सामान्य ओपीडी तक बंद हैं. इस बंद में एक चीज जिस को ले कर सभी चिंतित हैं, वह है शिक्षा.

वैसे देखा जाए तो शिक्षा भी एक जरूरी चीज है तभी ज्यादातर राज्यों में शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने के बावजूद इसे तकनीक के माध्यम से हर घर व हर बच्चे तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

आज सभी यही सोच रहे हैं कि ऐसे मुश्किल हालात में शिक्षा का बहुत नुकसान हो रहा है या होगा, लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है.

इस कोरोनाकाल में बहुत से सकारात्मक पहलुओं को भी खोल दिया है. हम अर्थव्यवस्था के डूबने की बात कर रहे हैं, लेकिन इसी अर्थव्यवस्था में औनलाइन शिक्षा एक ऐसी चीज है, जो न केवल अर्थव्यवस्था के लिए भी संजीवनी साबित होगी, बल्कि देश में पढ़ने वाले करोड़ों स्टूडैंट्स के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है.

भारत में औनलाइन शिक्षा ने हाल के दिनों में तेजी से प्रगति देखी है. जिस से शिक्षा क्षेत्र सब से अधिक चर्चा का विषय बन गया है. इस ने कक्षा आधारित शिक्षा में स्थान, पहुंच, परिवहन और लागत आदि जैसी कुछ प्रमुख सीमाओं को हटा दिया है.

भारत में हर साल औनलाइन शिक्षामित्र बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसरों के लिए दूसरे देशों में जाते हैं. यदि ऐसे ही मौके और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा छात्रों को अपने घरों में बैठे हुए ही प्राप्त हो जाए तो वे विदेशों में यात्रा करने व अध्ययन के लिए हजारों डौलर खर्च क्यों करेंगे?

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औनलाइन शिक्षा ने शिक्षा को पहुंचाने के तरीके में क्रांति ला दी है. संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन यानी यूएनसीटीएडी ने कहा है कि दुनिया में सब से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संभवतया भारत और चीन को छोड़ कर मंदी के लिए नेतृत्व कर सकती हैं.

मतलब साफ है, कोविड-19 से जू झ रही दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. कोई देश इस से अछूता नहीं है, लेकिन इस में भारत के लिए बहुतकुछ सकारात्मक है जो इसे महामारी के दौर में भी विश्व का नेतृत्व करने की बागडोर सौंप सकता है और यह नेतृत्व शिक्षा के क्षेत्र में भी हो सकता है.

कोरोना संकट ऐसे समय आया है  जब देश के शैक्षिक कैलेंडर का महत्त्वपूर्ण समय था. ज्यादातर राज्यों में बोर्डों की कुछेक परीक्षाओं को छोड़ दिया जाए तो स्कूली परीक्षाएं लगभग हो चुकी हैं. बोर्ड परीक्षाओं को छोड़ अन्य सभी कक्षाओं के बच्चों को अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया है. आगामी शैक्षणिक सत्र को ईशिक्षा या औनलाइन शिक्षा के माध्यम से शुरू कर दिया गया है.

आज ज्यादातर राज्यों में लौकडाउन के चलते बच्चों को घरों में ही शिक्षा को पहुंचाने का काम किया जा रहा है और इस माहौल में भारत में शिक्षा के भविष्य के बारे में भी चर्चा शुरू हो गई है.

भारत में औनलाइन शिक्षा कोरोना वायरस के संकट से पहले ही उफान की ओर थी,  कोविड-19 के दौर में इसे स्थापित होने का अवसर मिला है.

गूगल और केपीएमजी की साल 2016 की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में औनलाइन शिक्षा बाजार 52 फीसदी सालाना की दर से तेजी से विस्तार

कर रहा है. साल 2016 में देश में औनलाइन शिक्षा बाजार की वैल्यू तकरीबन17.5 अरब रुपए थी.

इस रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई थी कि भारत में साल 2021 तक औनलाइन शिक्षा का बाजार 1खरब 37 करोड़ 20 लाख रुपए का होगा. रिपोर्ट के अनुसार, बीते 2 साल में शिक्षा के लिए औनलाइन सर्च में दोगुना वृद्धि हुई है, जबकि मोबाइल फोनों से सर्च में तीनगुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

उल्लेखनीय है कि इस तरह की लगभग आधी सर्च देश के 6 प्रमुख महानगरों से बाहर से की गई है. मतलब साफ है, औनलाइन शिक्षा शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवों में भी अपने पांव पसार रही है. यूट्यूब पर शिक्षा सामग्री की खपत कोविड-19 के बाद से  लगातार बढ़ रही है.

आज वर्क फ्रौम होम की बात की जा रही है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र में तो एजुकेशन फ्रौम होम तो व्यावहारिक रूप से लागू होता नजर आ रहा है.

यह सच है कि देश में औनलाइन शिक्षा के मामले में बहुत सी चुनौतियां हैं, लेकिन इन चुनौतियों में अवसर भी तो हैं. और ये अवसर वर्तमान के लिए ही नहीं, बल्कि कोरोना से संक्रमित अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में संजीवनी साबित होंगे.

भारत में एक नहीं, कई स्तरीय शिक्षा व्यवस्थाएं हैं उच्च शिक्षा सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 15 लाख स्कूल और 39 हजार कालेज हैं. इन में लगभग 26 करोड़ बच्चे स्कूलों में और 2.75 करोड़ छात्र अंडर ग्रैजुएशन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

देश में पढ़ने वाले पोस्टग्रैजुएट छात्रों की बात करें तो यह आंकड़ा 40 लाख है. इतनी बड़ी शिक्षा व्यवस्था के बीच देश में तेजी से औनलाइन शिक्षा की ओर कदम बढ़ रहे हैं.

आज ग्रामीण क्षेत्रों में औनलाइन शिक्षा को ले कर जरूर कुछेक कमियां हैं, जैसे सभी बच्चों व अभिभावकों के पास एंड्रौयड फोन, लैपटौप या इस तरह के गैजेट्स का न होना वगैरह. दूसरा, ग्रामीण क्षेत्रों में नैटवर्क की समस्या आदि अस्थायी बाधाएं हैं, लेकिन इन्हें दूर करना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है. औनलाइन पढ़ाई पर होने वाला खर्च बेहद कम है.

सरकारी कालेज में जहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए एक छात्र को औसतन 5 से 6 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं, वहीं प्राइवेट कालेजों में यही खर्च 8 से 10 लाख रुपए के बीच बैठता है.

केपीएमजी की रिसर्च और एनालिसिस की रिपोर्ट कहती है कि अंडरग्रैजुएट औनलाइन पढ़ाई के लिए होने वाला यूजर्स का औसत खर्च 15 से 20 हजार रुपए है.

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भारत अमेरिका के बाद  ईलर्निंग के लिए दूसरा सब से बड़ा बाजार बन गया है. वर्तमान में यह क्षेत्र 2 अरब अमेरिकी डौलर आंका गया है और इस साल के अंत तक 3खरब 99 अरब रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है.

भारत में औनलाइन शिक्षा के उपयोगकर्ताओं के साल 2016 में 16 लाख से बढ़ कर साल 2021 तक 96 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है. भारत में लंबे समय से  आपूर्ति की तुलना में गुणात्मक शिक्षा की मांग अधिक बनी हुई है.

देश की परंपरागत शिक्षा प्रणाली चाहे स्कूल स्तर पर हो या कालेज और विश्वविद्यालीय स्तरीय हो, इन में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं. नर्सरी स्कूलों से ले कर टौप कालेजों में दाखिला लेना एक बुरे सपने जैसा है. मांबाप अपने बच्चे को 3 या 4 साल की उम्र में एक अच्छे स्कूल में लाने के लिए कई महीनों तक जदेजेहद करते रहते हैं. औनलाइन शिक्षा प्रणाली इन सभी समस्याओं का समाधान करती नजर आती है.

भले ही आज दुनिया कोविड-19 की महामारी से जू झ रही है, लेकिन इस ने हमारा उन अवसरों की ओर भी ध्यान खींचा है जो शिक्षा क्षेत्र के साथसाथ अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम भूमिका निभा सकते हैं.

मेहंदी से लेकर ऑफ्टर शादी तक, हर फंक्शन के बेस्ट हैं ‘दीया और बाती हम’ एक्ट्रेस के ये लुक

कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच इन दिनों सेलेब्स की शादी का सिलसिला जारी है. हाल ही में बाहुबली फेम साउथ के एक्टर राणा दग्गूबाती ने शादी की थी. वहीं अब पौपुलर टीवी सीरियल ‘दीया और बाती हम’ में आरजू राठी के रोल में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस प्राची तेहलान भी शादी के बंधन में बंध चुकी हैं.

बीते शुक्रवार यानी 7 अगस्त को प्राची तेहलान ने दिल्ली के बिजनेसमैन रोहित सरोहा से शादी की थी. वहीं अब दोनों की शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है. लेकिन आज हम प्राची तेहलान की लव लाइफ की बजाय मेहंदी से लेकर शादी तक के आउटफिट की बात करेंगे, जिसे आप भी आसानी से ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं प्राची तेहलान के वेडिंग आउटफिट्स की फोटोज….

1. शादी फंक्शन के शुरूआत के लिए परफेक्ट है ये लुक 

शादी के फंक्शन के शुरूआत के लिए अगर आप लाइट लेकिन कुछ ट्रैंडी पहनना चाहती हैं तो प्राची की तरह अनारकली सूट के साथ प्लाजो और कढ़ाईदार दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. ये ट्रेंडी के साथ-साथ स्टाइलिश भी है. इसके साथ ज्वैलरी की बात करें तो आप हैवी ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं ये आपके लुक को कम्पलीट करेगा.

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2. मेहंदी के लिए ट्राय करें ये लुक

अगर आप मेहंदी के फंक्शन में सिंपल ग्रीन लुक ट्राय करना चाहती हैं तो प्राची की तरह प्लेन डार्क ग्रीन शरारा लुक को श्रग पैटर्न वाले कुर्ते के साथ ट्राय करें. ये लुक आपके मेहंदी लुक को सिंपल लेकिन ट्रैंडी बनाएगा.

3. हल्दी के लिए परफेक्ट है ये लुक

अगर आप हल्दी में ट्रैंडी लुक ट्राय करना चाहती हैं तो प्राची तेहलान का रफ्फल लुक परफेक्ट है. प्लेन यैलो कलर के रफ्फल पैटर्न वाले लहंगे के साथ हैवी एम्ब्रौयडरी वाले ब्लाइज से अपने लुक को कम्पलीट करें. इस लुक के साथ आप मल्टी कलर ज्वैलरी ट्राय कर सकते हैं.

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4. शादी का लुक है जरूरी

इन दिनों शादी के लहंगे का पैटर्न और ट्रैंड दोनों बदल गया है. जहां दुल्हनें पहले हैवी लहंगा चुनती थी तो वहीं अब सिंपल लहंगे के साथ हैवी ज्वैलरी चुनती हैं. प्राची तेहलान ने भी कुछ ऐसा है किया. लाइट एम्ब्रायडरी वाले लहंगे के साथ हैवी ब्लाउज और सिंपल लाल दुपट्टा पहना. ज्वैलरी के बात करें तो हैवी मांग टीके से लेकर मल्टी लेयर हार पहनें प्राची बेहद खूबसूरत लग रही थीं. आप भी प्राची तेहलान के इन  लुक को अपनी शादी में ट्राय कर सकते हैं.

5. शादी के बाद का लुक भी हो खास

अगर आप सोच रही हैं कि शादी के बाद का लुक कैसा हो तो प्राची तेहलान की तरह हैवी प्रिंट वाले लौंग अनारकली सूट को आप ट्राय कर सकती हैं. इसकी ज्वैलरी हल्की हो तो वह आपके लुक को एलिंगेंट बना सकते हैं.

मास्क पहनें, मगर प्यार से 

मास्क अभी हर किसी के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है. क्योंकि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का एकमात्र साधन मास्क ही है. हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स अब किसी भी मरीज़ की जांच के लिए मास्क पहनने लगे है. ये पूरा विश्व कर रहा है. आम जनता को भी कही भी जाने पर आज मास्क पहनने के अलावा कोई चारा नहीं है. क्योंकि भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत कठिन है.

यह अब लाइफस्टाइल में शामिल होकर स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है. यही वजह है कि डिज़ाइनर्स आजकल पोशाक के साथ-साथ तरह-तरह के मास्क भी बना रहे है. इतना ही नहीं ज्वेलर्स भी रत्न और सेमी प्रिसीयस स्टोन्स के साथ अलग-अलग डिजाईन के मास्क बनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है.

इस बारें में स्ट्रेटेजिक मेडिकल एफेयर एड्रोइट बायोमेड लिमिटेड के डायरेक्टर डॉ.अनिश देसाई का कहना है कि इस समय मास्क पहनना जरुरी है. लेकिन सही मास्क का भी पहनना बहुत आवश्यक है. क्योंकि जब आप बाहर जा रहे है. तो घंटो मास्क पहनकर रहना पड़ता है. जिससे निम्न समस्या आ सकती है.

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  • टाइट मास्क से चेहरे की स्किन का डैमेज होना.
  • मास्क एरिया पर एक्ने का बढ़ना.
  • खासकर हेल्थ केयर से जुड़े लोगों को टाइट मास्क पहनना पड़ता है. ऐसे में मास्क वाले जगह पर लाल धारियों का उभरना. इरीटेशन होना. पिम्पल्स का बढ़ना. स्किन का डार्क हो जाना आदि होता है. क्योंकि इन स्थानों की चमड़ी नरम होती है और बार-बार मास्क के किनारों के रगड़ से उस स्थान पर इन्फ्लेमेशन होने लगता है. जिससे वहां की चमड़ी सेंसेटिव हो जाती है. सेंसरी नर्व्स एक्टिव हो जाते है. इसका अधिक प्रभाव सेंसेटिव स्किन पर पड़ता है. लोशन और क्रीम भी इसे कम करने में असमर्थ होता है.

डॉक्टर अनिश आगे कहते है कि असल में मास्क पहनने से त्वचा पर डायरेक्ट फ्रिक्शन होता है. जिससे इरीटेशन और इन्फ्लेमेशन का होना साधारण है. इसके अलावा मास्क अपने अंदर नमी. सेलाईवा. म्यूकस. आयल. गन्दगी और पसीने को बाहर आने से रोकती है. इससे माइल्ड से मॉडरेट एक्ने. स्क्ज़ेमा. आदि कई त्वचा सम्बंधित बिमारियां हो सकती है. सेंसेटिव त्वचा वाले व्यक्ति को फेसियल रेडनेस. रोजेसिया और स्केलिंग का सामना करना पड़ सकता है. ये अधिकतर उन व्यक्तियों को होता है. जिनकी स्किन अधिक सेंसेटिव हो या उनके आसपास नमी युक्त या अधिक शुष्क वातावरण हो. कुछ सुझाव निम्न है.

  • मास्क त्वचा को चोट पहुंचाए बिना. नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढकी हुई होनी चाहिए. लेकिन टाइट न हो.
  • चेहरे को मुलायम साबुन से दिन में दो बार धोने की कोशिश करें.
  • अगर आप हेल्थ केयर से जुड़े नहीं है. तो मास्क लम्बी अवधि के लिए पहनने से परहेज करें.
  • मास्क के गीले हो जाने पर इसे उतार कर दूसरा पहने.
  • अगर आपको अधिक समय तक मास्क पहननी है तो एक्स्ट्रा मास्क साथ में लें और यूस्ड मास्क को एक अलग प्लास्टिक बैग में जमाकर घर आने पर अच्छी तरह से धोकर सुखा लें.
  • कॉटन के फेस मास्क त्वचा के लिए अच्छा होता है. इसे निकालने के बाद गरम पानी और साबुन से धो लें.
  • मास्क उतारने के बाद हाइपोएलर्जेनिक मोयसस्चराइजर चेहरे पर लगाए. ऑइंटमेंट बेस्ड मोयास्चराइजर न लगायें. क्योंकि ये पसीने और आयल को अपने में समेटती है.
  • मास्क से स्किन इरीटेशन को कम करने के लिए नाक और सेंट्रल चीक के पास जहाँ नोजपीस होता है. वहां ठंडक पहुँचाने वाले क्रीम का प्रयोग करें.
  • त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए क्लींजिंग के बाद मोयास्चराइज करें. आयल फ्री मोयसस्चराइजर दिन में कई बार त्वचा की इन्फ्लेमेशन को कम करने के लिए प्रयोग करें.

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  • स्क्रब और एक्सफोलिएटर्स का प्रयोग इस समय चेहरे पर न करें.
  • पेट्रोलियम जेली या मुलायम क्रीम से त्वचा की ड्राईनेस को कम किया जा सकता है.
  • अगर ये सब करने के बाद भी कुछ समस्या आती है तो चर्मरोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क कर दवा लें.
  • मास्क पहनने से पहले भूलकर भी हैवी मेकअप या फाउंडेशन न लगायें. क्योंकि इससे दाग धब्बे के अलावा एक्ने होने की संभावना बढ़ जाती है.

फैमिली के लिए बनाएं वेज नगेट्स

चाहे बच्चे हो या फिर बड़े , एक ही जैसा खाना खाते खाते सब ऊब जाते हैं. ऐसे में कभी मम्मी से मैग्गी की डिमांड होती हैं तो कभी पास्ता की तो कभी कुछ ऐसा खाने की इच्छा जाहिर की जाती है , जो काफी टेस्टी हो. ऐसे में वेजी नगेट्स काफी अच्छा ओप्शन हैं ,क्योंकि ये न सिर्फ खाने में टेस्टी होते हैं बल्कि इस बहाने बच्चों से लेकर बड़ों को सब्ज़ियां भी मिल जाती हैं , जिन्हें खाने में अकसर वे आनाकानी करते रहते हैं. ऐसे में अगर आप इन्हीं वेजी नगेट्स को मार्केट से खरीदने जाएं तो ये न सिर्फ महंगे होते हैं बल्कि इन्हें लंबे समय तक स्टोर रखने के काऱण इनमें प्रेसेर्वटिवेस का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए बिलकुल अच्छे नहीं होते हैं. ऐसे में आप आसानी से घर में नगेट्स बनाकर न सिर्फ उन्हें स्टोर करके रख सकते हैं बल्कि घर के इंग्रेडिएंट्स के साथ आपके पास इनमें ज्यादा से ज्यादा व अपनी पसंद की सब्ज़ियां डालने का भी ओप्शन होता है, जिससे सबको अपनी पसंद की चीज भी मिल जाएगी साथ ही आप सबकी हैल्थ का भी ध्यान रख पाएंगी.

कैसे बनाएं वेज नगेट्स

सामग्री

– 5 – 6 उबले व कद्दूकस किये हुए आलू
– 2 बारीक़ कटी हरी मिर्च
– 2 गाजर बारीक कटे हूए
– थोड़ी सी पत्ता गोबी व बीन्स
– थोड़ा सा कद्दूकस किया अदरक
– 3 ब्रेड के क्रुम्ब
– थोड़ा सा मैदा का पतला घोल
– स्वादानुसार नमक
– थोड़ी सी लाल मिर्च व काली मिर्च

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बनाने की विधि

– सबसे पहले एक बाउल में उबले हुए आलू को कद्दूकस करके रख लें. फिर इसमें धीरे धीरे सभी सब्ज़ियों को बारीक काटकर डालते हुए अच्छे से मिलाएं. फिर इसमें मसाला डालें. अब एक प्लेट में आयल से ग्रीसिंग करें. फिर तैयार किए मसाले से नगेट्स बनाते हुए उन्हें मैदा के घोल में अच्छे से डिप करते हुए उसे ब्रेड क्रुप्स में लपेटें. और फिर फ्रिज में सेट होने के लिए 1 घंटे के लिए रख दें. जब ये नगेट्स अच्छे से सेट हो जाएं तब एक कढ़ाई में आयल को धीमी आंच पर गरम करें. जब आयल गरम हो जाए तब धीरे धीरे नगेट्स को फ्राई करें. ध्यान रखें कि एक बार में सारे नगेट्स नहीं डालें , क्योंकि इससे वे सही से पक नहीं पाएंगे और ज्यादा आयल भी लगेगा. बनने के बाद उन्हें प्लेट पर टिश्यू पेपर रखकर उस पर निकालें. ताकि एक्स्ट्रा आयल अलग हो जाए. तैयार हैं आपके वेज नगेट्स. आप इन्हें अपनी पसंद की चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं.

अगर आप ज्यादा हैल्थ कोनसीकउस हैं तो आप नगेट्स को शैलो फ्राई भी कर सकते हैं. इससे टेस्ट भी मिल जाएगा और हैल्थ भी मैंटेन रहेगी. लेकिन बता दें कि कभीकभार व सही क्वांटिटी में कोई भी चीज खाने से सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. ये वेज नगेट्स सब्जियों के व घर में बने होने के कारण आपको न्यूट्रिएंट्स भी प्रदान करने का काम करेंगे. क्योंकि जहां आलू में विटामिन बी – 6 , मैग्नीशियम , फोस्फोरस होता है वहीं गाजर में प्रोटीन, फाइबर, कार्ब्स होते हैं. बीन्स में सभी जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं वहीं पत्ता गोभी विटामिन के , सी , फाइबर, प्रोटीन , फोलेट से भरपूर होती हैं. जिसकी इन नगेट्स के माध्यम से थोड़ी बहुत ही सही लेकिन पूर्ति तो होती है. और जब आप इन्हें घर में बनाते हैं तो इनकी न्यूट्रिशन वैल्यू बढ़ जाती है. आप इन्हें हफ्ते भर के लिए फ्रिज में स्टोर करके भी रख सकते हैं.

किन बातों का रखें ध्यान

– कभी भी नगेट्स को बहुत गरम आयल में न तले , क्योंकि इससे नगेट्स के जलने के साथ साथ वे कुरकुरे नहीं बन पाते हैं.
– ढेरों नगेट्स को एक साथ न तले. क्योंकि इससे खराब होने का डर रहता है.
– हमेशा फ्रेश सब्जियों का ही इस्तेमाल करें , वरना स्टोर करने पर खराब होने का डर रहेगा.
– दोनों तरफ से उलट पुलट तक तले वरना एक तरफ से कच्चे रह सकते हैं.
– ठंडे आयल में कभी भी नगेट्स को न न तले.
– बनने के बाद इन्हें टिश्यू पेपर पर जरूर निकालें. जिससे एक्स्ट्रा आयल अलग हो सके.
– आप इन्हें स्टोर करने के लिए फ्रीज़र में ही रखें. इससे ये नगेट्स सेट भी रहते हैं और लंबे समय तक ख़राब भी नहीं होते हैं.

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आईना: क्यों नही होता छात्रों की नजर में टीचर का सम्मान?

आईने के सामने खड़े हो कर गाना गुनगुनाते हुए डा. रत्नाकर ने अपने बालों को संवारा, फिर अपनेआप को पूर्ण संतुष्टि के साथ निहारते हुए बड़े मोहक अंदाज में अपनी पत्नी को आवाज लगाई, ‘‘सोनू, अरे सोना, मैं तो रेडी हो गया, अब तुम जरा गाड़ी में दोनों पैकेट रखवा दो…प्रिंसिपल साहब का स्पैशल वाला और स्टाफरूम के लिए बड़ा वाला मिठाई का डब्बा. मेरे सारे दोस्त मिठाई के इंतजार में होंगे, सभी के बधाई के फोन आ रहे हैं. आखिर मेरी ड्रीम कार आ ही गई.’’

‘‘पैकेट कार में पहले ही रखवा दिए, प्रिंसिपल साहब की मैडम के लिए कांजीवरम सिल्क की साड़ी भी रख दी है. चाहे कुछ कहो, प्रिंसिपल साहब साथ न दें तो हमारे सपने कैसे पूरे हों. अगर मैडम को भी खुश कर दो तो सबकुछ आसान हो जाता है. ठीक है न,’’ सोनू ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘यू आर ग्रेट,’’ परफ्यूम स्प्रे करतेकरते डा. रत्नाकर ने अपनी पत्नी की दूरदर्शिता की दाद देते हुए कहा, ‘‘जानती हो, स्टाफ में एक शख्स ऐसा भी है जिस ने न तो अभी तक मुझे बधाई नहीं दी. उस का नाम शैलेंद्र है. जलता है वह मेरी तरक्की से और कुछ कहो तो आदर्श शिक्षक की विशेषताएं बता कर सारा मजा किरकिरा कर देता है…सोच रहा हूं, आज उसे इग्नोर ही कर दूं वरना मूड खराब हो जाएगा.’’

सोनू ने भी इस बात पर पूर्ण सहमति जताते हुए सिर हिलाया. डा. रत्नाकर और सोनू गेट की ओर बढ़े. ड्राइवर ने दौड़ कर गाड़ी का दरवाजा खोला.

‘‘बाय,’’ हाथ हिलाते हुए डा. रत्नाकर ने सोनू से विदा ली और कार कालेज की ओर चली. आज उन्हें अपनेआप पर बहुत गर्व हो रहा था. हो भी क्यों न? मात्र 3-4 साल में पहले निजी फ्लैट और अब गाड़ी खरीद ली थी. कहां खटारा स्कूटर…किराए का मकान…मकानमालिक की किचकिच… सब से मुक्ति. जब से अपना कोचिंग सैंटर खोला है तब से रुपयों की बरसात ही तो हो रही है. सोनू भी पढ़ीलिखी है. वह कोचिंग का पूरा मैनेजमैंट देख लेती है और डा. रत्नाकर शिफ्ट में व्यावसायिक कोर्स की कोचिंग करते हैं. प्रिंसिपल साहब को भी किसी न किसी बहाने कीमती गिफ्ट पहुंच जाते हैं तो कालेज का समय भी कोचिंग में लगाने की सुविधा हो जाती है. एक बेटा है जो दिल्ली के एक महंगे स्कूल से 12वीं कर रहा है.

‘ट्रिन…ट्रिन,’ मोबाइल की घंटी से डा. रत्नाकर अपने सुखद विचारों से बाहर निकले. शौर्य का फोन था.

‘‘क्या बात है?’’ रत्नाकर ने पूछा.

‘‘पापा, आप अपनी किताबें व रजिस्टर घर पर ही भूल गए,’’ शौर्य ने कहा, ‘‘सोचा, आप को बता दूं. आप परेशान हो रहे होंगे.’’

‘‘अरे,’’ रत्नाकर सोच ही नहीं पाए कि क्या जवाब दें. फिर कुछ सोच कर बोले, ‘‘बेटा, असल में आज एक मीटिंग है, इसलिए कालेज में पढ़ाई नहीं होगी,’’ इतना कहते ही उन्होंने फोन रख दिया.

गाड़ी से उतर कर रत्नाकर तेज चाल से सीधे प्रिंसिपल के कमरे की ओर बढ़े. प्रिंसिपल साहब गाड़ी की आवाज सुन कर पहले ही खिड़की से डा. रत्नाकर की ड्रीम कार की झलक देख चुके थे, जिसे देख कर उन का मूड औफ हो गया था. अत: डा. रत्नाकर के कमरे में घुसने पर वे चाह कर भी मुसकरा न सके.

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‘‘सर, आप के आशीर्वाद से नई गाड़ी ले ली है…और इस खुशी में यह छोटी सी भेंट आप के लिए लाया था. सोनू ने भाभीजी के लिए कांजीवरम की साड़ी भी भेजी है,’’ कह कर डा. रत्नाकर ने बोझिल वातावरण को महसूस करते हुए उसे हलका करने के उद्देश्य से प्रिंसिपल साहब के पैर छूने का उपक्रम किया.

‘‘रहने दो. इस सब की जरूरत नहीं. वैसे भी मैं तुम को फोन करने वाला था क्योंकि आजकल कई अभिभावक तुम्हारे विरुद्ध शिकायतें ले कर आ रहे हैं कि लंबे समय से क्लास नहीं हुई. मेरे लिए भी संभालना मुश्किल हो रहा है,’’ प्रिंसिपल साहब ने थोड़ी बेरुखी दिखाते हुए कहा.

‘‘सर, मुझे पूरा विश्वास है कि आप तो संभाल ही लेंगे. वैसे भी भाभीजी की कुछ और खास पसंद हो तो बताइएगा,’’

डा. रत्नाकर ने ढिठाई से मुसकराते हुए कहा.

प्रिंसिपल साहब भी मुसकरा दिए.

अब दोनों खुश थे क्योंकि दोनों का दांव सही जगह लगा था.

 

प्रिंसिपल साहब से आज्ञा ले कर रत्नाकर खुशी से उतावले हो कर स्टाफरूम की ओर बढ़े. ‘अब असली मजा आएगा…गाड़ी खरीदने का. सब के चेहरे देखने में एक अजब ही सुख मिलेगा, जिस की प्रतीक्षा मुझे न जाने कब से थी,’ रत्नाकर मन में सोच कर प्रसन्न हो रहे थे.

‘‘बधाई हो,’’ कई स्वर एकसाथ उभरे. रत्नाकर भी खुशी से फूल गए. चारों ओर दृष्टि दौड़ा कर देखा तो कोने की टेबल पर डा. शैलेंद्र एक किताब पढ़ने में लीन थे. चाह कर भी रत्नाकर अपनेआप को रोक न सके. अत: शैलेंद्र की प्रतिक्रिया जानने के लिए मिठाई खिलाने के बहाने उन के पास पहुंचे.

‘‘शैलेंद्र, लो, मिठाई खाओ भई. कभीकभी दूसरों की खुशी में भी अपनी खुशी महसूस कर के देखो, अच्छा लगेगा,’’ थोड़े तीखे व ऊंचे स्वर में रत्नाकर ने कहा.

‘‘जरूरी नहीं कि मिठाई बांट कर या शोर मचा कर ही खुशी प्रकट की जाए. मुझे किताब पढ़ने में खुशी मिलती है तो मैं वही कर रहा हूं और खुश हो रहा हूं,’’ शांत भाव से शैलेंद्र ने जवाब दिया.

‘‘वही तो, कई लोगों को हमेशा पुराने ढोल की आवाज ही अच्छी लगती है तो वे बेचारे क्या तरक्की करेंगे. मैं ने अपनी सोच बदली, नए जमाने की दौड़ के साथ दौड़ा तो आज तुम जैसे लोगों को पीछे छोड़ दिया. असल में मुझे बहुत जल्दी ही इस सच का एहसास हो गया कि पहले जैसे विद्यार्थी रहे ही नहीं तो उन के साथ माथापच्ची क्यों करूं? इसलिए जो वास्तव में पढ़ना चाहते हैं उन्हें अलग से पढ़ाऊं…अलग पढ़ाने की फीस लूं…वे भी खुश हम भी खुश,’’ रत्नाकर ने तीखे स्वर में तर्क देते हुए कहा. क्योंकि वे अपनी उपलब्धि सभी पर प्रकट कर अपनेआप को सब से ऊंचा साबित करना चाह रहे थे.

‘‘गलत, एकदम गलत. अगर इसी बात को सही शब्दों में कहें तो हम शिक्षक अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शिक्षा को व्यवसाय बना रहे हैं तथा ऐसा करने में जो अपराधबोध है उसे विद्यार्थियों के सिर मढ़ रहे हैं,’’ दोटूक उत्तर दे कर शैलेंद्र खड़े हुए और बिना मिठाई खाए स्टाफरूम से बाहर जाते हुए बोले, ‘‘आज भी अच्छे अध्यापक के सभी विद्यार्थी बहुत अच्छे होते हैं और वे ऐसे अध्यापक को वैसे ही सम्मान देते हैं जैसे अपने मातापिता को.’’

स्टाफरूम में सन्नाटा छा गया.

डा. रत्नाकर भी निरुत्तर हो कर बैठ गए.

‘‘दिन कैसा रहा?’’ दरवाजा खोलते हुए खुश हो कर सोनू ने उत्सुकता प्रकट करते हुए रत्नाकर से पूछा.

‘‘बहुत अच्छा, बस शैलेंद्र ने ही थोड़ा बोर कर दिया पर सोनू, सच कहूं तो उस की बात का बिलकुल बुरा नहीं लगा क्योंकि मुझे अपनी उपलब्धि पर भरपूर सुख का एहसास हो रहा था,’’ डा. रत्नाकर बोले.

‘‘अरे पापा, आप कब आए?’’ कहते हुए शौर्य उन के पास आ कर बैठ गया.

‘‘अभीअभी, बड़ी जरूरी मीटिंग थी, इसीलिए थोड़ा थक गया पर कल तुम को वापस जाना है इसलिए आज हम सब लोग डिनर करने बाहर चलेंगे. शौर्य, तुम अपने टीचर्स के लिए मिठाई और गिफ्ट्स ले जाना, वे खुश हो जाएंगे,’’ रत्नाकर ने शौर्य से कहा.

‘‘पापा, कोई टीचर इस लायक है ही नहीं कि उन को कुछ देने का मन करे, सब पैसे के पीछे भागते हैं, ‘डाउट्स क्लीयर’ करने के बहाने घर बुला कर अच्छीखासी फीस लेते हैं…कुछ तो न जाने कब से कालेज ही नहीं आए… केवल एक राजन सर ऐसे हैं जिन के मैं हमेशा पैर छूता हूं और उन के लिए सच्चे मन से कुछ ले जाना चाहता हूं पर वे लेंगे ही नहीं. उन का कहना है कि हमारा अच्छा रिजल्ट ही उन की उपलब्धि है,’’ कहतेकहते शौर्य भावुक हो उठा.

डा. रत्नाकर की निगाहें झुक गईं. उन का बेटा उन्हीं को ऐसा आईना दिखा रहा था जिस में वे अपना अक्स देखने की स्थिति में ही नहीं थे.

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