मेरे लिप्स भी पीले और रुखे हैं?

सवाल-

मेरे होंठों के आसपास अकसर व्हाइट स्किन दिखने लगती है. मेरे लिप्स भी पीले व रुखे हैं. लिपस्टिक लगाती हूं तो आसपास की स्किन अधिक सफेद लगती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

लिप्स के चारों ओर आए रूखेपन को हटाने के लिए रात में सोने से पहले लिप्स पर मक्खन या घी लगाएं. उन का पीलापन दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडि़यों का इस्तेमाल करें. ये लिप्स की कुदरती नमी बरकरार रखेंगी और उन्हें गुलाबी बनाएंगी. एक बाउल में गुलाब की पंखुडि़यां डालें. अब उन में कच्चा दूध डाल कर कुछ घंटों के लिए रखें. इस के बाद अच्छी तरह मसल कर पेस्ट बना उसे होंठों पर लगाएं. 15-20 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें.

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पिंक लिप्स किसी भी महिला की खूबसूरती में चार चांद लगाते है, लेकिन अगर किसी कारण आपके लिप्स का कलर काला पड़ जाए, तो लिपस्टिक लगाना जरुरी होता है. अगर आप लिपस्टिक के शौक़ीन नहीं है, तो ये आपकी प्रौब्लम बन जाती है. नैचुरल लुक में आप कैसे रहे?

इस बारें में हिमालया ड्रग की रिसर्च साइंटिस्ट निवृति श्वेता कहती है कि असल में स्किन पर धूप, डिहाइड्रेशन और गरमी का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है. सूरज की यूवी किरणों के प्रभाव से सनस्क्रीन बहुत हद तक स्किन की रक्षा कर पाती है, लेकिन लिप्स की सौफ्ट स्किन के लिए कुछ ख़ास नहीं मिलता और धूप से लिप्स को बचाने की जानकारी भी बहुत कम महिलाओं को होती है. दरअसल स्किन में मेलानिन होता है. इसका रंग इसी पिगमेंट के कारण होता है.

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Serial Story: छोटे शहर की लड़की (भाग-3)

पूर्व कथा :

शर्मीले विनोद और निर्भीक व तेजतर्रार पूजा की दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदलती चली गई. वे दोनों रोज खेतों में घूमतेफिरते, साथ समय बिताते. लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित होते ही विनोद को उस के पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली जाने का आदेश दे दिया. यह सुन कर पूजा बहुत उदास हो गई और विनोद को दिल्ली न जाने के लिए मनाती रही.

अब आगे…

विनोद दिल्ली चला गया. समय का पहिया दूसरी तरफ घूम गया. पूजा को विनोद से बिछुड़ने पर बहुत दुख हुआ, परंतु वह  कर भी क्या सकती थी. उस ने विनोद से वचन लिया था कि वह नियमित रूप से उसे फोन करता रहेगा. कुछ दिन तक उस ने यह वादा निभाया भी, परंतु धीरेधीरे उस के फोन करने में अंतराल आता गया. इस का कारण उस ने बताया था दिन में कालेज अटैंड करना, शाम को कोचिंग क्लास और फिर रात में पढ़ाई… ऐसे में उसे वक्त ही नहीं मिलता. यूपीएससी की परीक्षा पास करना कोई आसान काम नहीं था. रातदिन की मेहनत से ही इस में सफलता प्राप्त हो सकती थी. प्यार के चक्कर में वह अपने लक्ष्य से भटक सकता था.

पूजा ने कहा था, ‘‘प्यार मनुष्य को अपना लक्ष्य प्राप्त करने की ताकत देता है, उसे भटकाता नहीं है.’’

‘‘मैं मानता हूं, परंतु केवल प्यार के बारे में सोच कर किसी परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती. इस के लिए आंखें फोड़नी पड़ती हैं.’’

‘‘तुम मुझ से दूर जाने के लिए बहाना तो नहीं बना रहे?’’ उस के मन में शंका के बादल उमड़ आए.

‘‘नहीं, परंतु तुम मेरी तैयारी में बाधा न उत्पन्न करो, यह तुम्हारा मुझ पर एहसान होगा,’’ उस ने सख्त स्वर में कहा था. पूजा का दिल विनोद की बात से बैठने लगा था. पूजा समझती थी कि उस से दूर जाने के बाद विनोद उस के दिल से भी दूर हो गया था. दिल्ली जा कर किसी और लड़की के चक्कर में पड़ गया होगा, इसीलिए उस की उपेक्षा कर रहा था और उस से संबंध तोड़ने के लिए इस तरह के बहाने बना रहा था. ऐसी स्थिति में हर लड़की अपने प्रेमी के बारे में इसी तरह की सोच रखती है. इस में पूजा का कोई दोष नहीं था.

वह रोज दीप्ति के पास आती, उस के साथ विनोद की बातें करती और अपने मन को सांत्वना देने का प्रयास करती कि एक दिन जब विनोद लौट कर आएगा तो इतने दिनों की दूरियों का सारा हिसाब चुकता कर लेगी. उसे इतना प्यार करेगी कि वह दोबारा दिल्ली जाने का नाम नहीं लेगा.

‘‘क्या वह रोज घर में फोन करता है?’’ उस ने दीप्ति से पूछा था.

‘‘नहीं, रोज नहीं करता. हम ही फोन कर के उस का हालचाल पूछ लेते हैं,’’ दीप्ति ने सहज भाव से बताया.

‘‘मुझे भी फोन नहीं करता. कहीं वह किसी और को प्यार तो नहीं करने लगा?’’

‘‘क्या पता?’’ दीप्ति ने मुंह बिचका कर कहा. पूजा दीप्ति का मुंह ताकती ही रह गई. दीप्ति को अभी किसी से प्यार नहीं हुआ था न, इसलिए वह पूजा के दिल का दर्द नहीं समझ पा रही थी.

दीप्ति पूजा के मन को समझती थी, परंतु उस के हाथ में था भी क्या? वह नहीं जानती थी कि किस तरह से पूजा के मन को तसल्ली दे. इस बारे में उस की भैया से कोई बात नहीं होती थी. उस से जब भी बात होती थी, मम्मीपापा पास में होते थे. फिर भी एक दिन चोरी से उस ने पूजा की विनोद से बात कराई थी. उस ने बात तो की, परंतु बाद में कह दिया कि फोन कर के उसे डिस्टर्ब मत किया करे, पढ़ाई का हर्ज होता है और पूजा मन मसोस कर रह गई.

विनोद दीवाली में घर आया था, परंतु पूजा से एकांत में मुलाकात नहीं हो सकी. दीप्ति ने भैया से कहा, ‘‘भैया, एक बार पूजा से मिल तो लो.’’

उस ने दीप्ति को अर्थपूर्ण निगाहों से देखते हुए कहा, ‘‘मिल लूंगा, परंतु तुम उस के लिए परेशान न हो,’’ और बात आईगई हो गई.

फिर वह होली पर घर आया और उसी प्रकार पूजा से बिना मिले ही चला गया. पूजा उस के घर आती थी, परंतु दोनों एकांत में नहीं मिल पाते थे. विनोद कोई न कोई बहाना बना कर उस से दूर रहता था. पूजा ने उसे घेरने की कोशिश की तो उस ने निरपेक्ष भाव से कहा, ‘‘पूजा, मैं जब गरमी की छुट्टियों में आऊंगा तो तुम से रोज मिला करूंगा. अभी मुझे अकेला छोड़ दो.’’ उस ने मान लिया. गरमी की छुट्टियों में मिलते ही पूजा ने पहला सवाल किया, ‘‘तुम बदल गए हो?’’

‘‘नहीं तो…’’ उस ने बात को टालने वाले अंदाज में कहा.

‘‘नहीं, क्या… मैं देख नहीं रही? तुम अब पहले जैसे भोले नहीं रहे. इधर मैं तुम्हारे प्यार में संजीदा हो गईर् हूं. अपनी सारी चंचलता मैं ने खो दी, परंतु तुम दिल्ली जा कर मुखर ही नहीं चंचल भी हो गए हो. यह तुम्हारे हावभाव से ही दिख रहा है.’’

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‘‘आदमी समय के अनुसार बदल जाता है. इस में आश्चर्य की कोई बात नहीं है.’’

‘‘मुझे आश्चर्य नहीं है, परंतु आश्चर्य तब होगा, जब तुम मेरे प्यार को भुला दोगे. यह भी भुला दोगे कि मैं ने तुम्हें प्यार करना सिखाया था वरना कोई लड़की तुम्हें घास न डालती और अगर तुम कोशिश भी करते तो भी कोई लड़की तुम्हारे फंदे में नहीं फंसती,’’ उस ने कुछ चिढ़ कर कहा.

‘‘तुम छोटे शहर की लड़कियों की यही गंदी सोच है. इस के आगे तुम कुछ सोच ही नहीं सकती. सभी लड़कों को तुम बुद्धू और भोंदू समझती हो. तुम सोचती हो कि लड़कों से प्यार कर के तुम उन के ऊपर एहसान कर रही हो, क्योंकि लड़के इस लायक ही नहीं होते कि वे किसी लड़की को प्यार कर सकें या कोई लड़की उन के ऊपर अपना प्यार लुटा सके. तुम्हें अपने रूप पर घमंड जो होता है.’’

पूजा विनोद की बातों से आहत हो गई, ‘‘मैं ऐसा नहीं सोचती, परंतु तुम से सच कहती हूं. एक दिन इसी बात को ले कर मेरी सहेलियों से शर्त लगी थी.’’

‘‘क्या शर्त लगी थी?’’ उस ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘महल्ले की सारी लड़कियां तुम्हें भोंदू और बुद्धू कहती थीं. वे तुम्हें ले कर मजाक करती रहती थीं कि यह मिट्टी का माधो कभी किसी लड़की को प्यार नहीं कर सकेगा. पहली बात तो यह कि कोई लड़की ही तुम्हें प्यार नहीं करेगी और किसी का मन तुम पर आ भी गया तो भी तुम लड़की को अपने प्यार में बांध नहीं पाओगे.’’

‘‘तो फिर.’’

‘‘मैं ने इस चुनौती को स्वीकार किया था, क्योंकि मैं मन ही मन तुम्हें प्यार करने लगी थी. मुझे तुम्हारी सादगी और भोलापन पसंद था. अन्य लड़कों की तरह तुम में कोई छिछोरापन नहीं था और तुम उन की तरह लड़कियों के पीछे नहीं भागतेफिरते थे, इसलिए मैं ने तय किया कि मैं तुम्हारा प्यार पा कर रहूंगी. मैं ने उन से कहा था कि विनोद एक दिन मेरे प्यार में पागल हो जाएगा, परंतु अब मुझे ऐसा नहीं लगता. जब तक तुम दिल्ली नहीं गए थे, मुझे लगता था कि तुम भी मुझ से प्यार करने लगे हो और सहेलियों से मैं ने बड़े फख्र से कहा था कि मैं ने तुम्हारा प्यार हासिल कर लिया है. परंतु लगता है, मैं अपनी शर्त हार गई हूं,’’ उस की आवाज भीग गई थी.

विनोद हतप्रभ रह गया. उस की समझ में नहीं आया कि वह पूजा से क्या कहे, उसे किस प्रकार सांत्वना दे और  कैसे बताए कि वह उसे प्यार करता है, क्योंकि इस बारे में उसे स्वयं पर संदेह था. जबलपुर में रहते हुए विनोद पूजा को डरतेडरते प्यार करता था, जैसे कोई पूजा से जबरदस्ती प्यार करने के लिए कह रहा था. दिल्ली में एक साल रहने के बाद वह आजाद पंछी की तरह हो गया था और पूजा की गिरफ्त से उसे छुटकारा मिल गया था.

वह एक किताबी कीड़ा था और किताबों में  ही उस का मन लगता था. लड़कियां उसे लुभाती थीं और वहउन्हें पसंद भी करता था. चोर निगाहों से उन की सुंदरता की प्रशंसा भी करता था, परंतु खुल कर किसी लड़की को पटाने का साहस उस के पास नहीं था. यही कारण था कि जबलपुर में भी पूजा ने ही पहल की थी और चूंकि उस के जीवन में आने वाली वह पहली लड़की थी, वह भी डरतेडरते उसे प्यार करने लगा था, परंतु एक बार दूर जाते ही उस के मन से पूजा का प्यार फूटे गुब्बारे की तरह हवा हो गया था.

फिर भी उन दोनों का मिलना जारी रहा. गरमी की लंबी छुट्टियां थीं. उस की एक साल की कोचिंग समाप्त हो गई थी, परंतु एमए का फाइनल ईयर था. उस ने यूपीएससी की सिविल सर्विसेज का फार्म भी भर रखा था, जिस की प्रारंभिक परीक्षा जुलाई में ही होनी थी. एमए की क्लासेज भी जुलाई में प्रारंभ होनी थीं, अत: उन दोनों के पास मिलने के लिए गरमी के ढेर सारे लंबेलंबे दिन थे और सोचने के लिए ढेरों छोटीछोटी रातें. कहना बड़ा मुश्किल था कि विनोद के मन में क्या था, परंतु पूजा को डर लगने लगा था.

बरसात आने में अभी देर थी, परंतु उन के घरों के पीछे खेतों में किसानों ने मकई बो दी थी. उन के पौधे अब काफी बड़े हो गए थे. उन में भुट्टे भी आने लगे थे, परंतु उन के पकने में अभी देर थी. खेतों के बीच की कच्ची सड़क पर घूमना पूजा को अच्छा लगता था. वह जिद कर के विनोद को उधर ले जाती थी. खेतों के बीच का वह पेड़ जिस के नीचे बैठ कर वे दोनों चोरी से भुट्टे तोड़ कर खाते थे, उन के मिलन के प्रारंभिक दिनों का गवाह था. वह अपनी जगह पर निश्चल खड़ा था. वे लड़कियां भी जो उन्हें प्यार से भुट्टे भून कर खाने के लिए देती थीं, अपनेअपने खेतों की रखवाली के लिए आने लगी थीं और उन दोनों को देख कर मंदमंद मुसकराती थीं.

अभी भुट्टे पके नहीं थे और पूजा को लगने लगा था कि अभी उन के प्यार में भी परिपक्वता नहीं आई. सुस्ताने के लिए वे पेड़ की छाया तले बैठे तो पूजा ने कहा, ‘‘तुम्हारे सपने बड़े हो गए हैं.’’

‘‘फिलहाल तो मेरा एक ही सपना है, आईएएस बनना और जब तक यह सपना पूरा नहीं हो जाता, मेरे लिए बाकी सभी सपने बहुत छोटे हैं.’’

‘‘आसमान से भी ऊंचे सपने व्यक्ति देख सकता है, परंतु न तो वह आसमान में उड़ सकता है, न आसमान में घर बना कर रहना उस के लिए संभव है. तो क्या तुम इस छोटे शहर से अलग हो गए?’’

‘‘नहीं, परंतु यहां मेरे सपनों के लिए कोई जगह नहीं है,’’ उस ने साफ किया.

‘‘क्या प्यार के लिए भी नहीं…’’

‘‘प्यार तो समय और परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है.’’

‘‘तुम बहुत कठोर हो.’’

‘‘हो सकता है.’’

‘‘पहले तो ऐसे नहीं थे.’’

‘‘पहले मैं छोटे शहर में रहता था और यहां की लड़कियां मुझे डराती थीं.’’

‘‘तो तुम ने डर कर मुझ से प्यार किया था? लेकिन अब तुम बड़े शहर में रहते हो. वहां की लड़कियां तो छोटे शहर की लड़कियों से भी अधिक तेज होती हैं. क्या वहां की लड़कियों से तुम्हें डर नहीं लगता?’’

‘‘लड़कियों से मुझे डर नहीं लगता, बस उन के प्यार से डर लगता है.’’

‘‘तो तुम मुझे प्यार नहीं करते?’’

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‘‘शायद… मुझे संदेह है,’’ उस ने पूजा की भावनाओं की परवा न करते हुए स्पष्ट रूप से कहा.

‘‘तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे?’’ वह लगभग रोंआसी हो गई थी.

‘‘मुझे मेरा सपना पूरा करने दो. उस के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा. अभी मेरे और मेरे सपनों के बीच में और कुछ नहीं है.’’

‘‘पूजा का दिल टूट गया. उसे लगा कि सबकुछ समाप्त हो गया है.’’

छुट्टियां भी एक दिन समाप्त होनी थीं. पूजा हताश और निराश हो गई थी. उस ने विनोद के घर आना बंद कर दिया था. उस से फोन पर भी बात नहीं करती थी और न उस से बाहर मिलने के लिए जिद करती थी.

दिल्ली जाने से एक दिन पहले विनोद ने पूजा को फोन किया, ‘‘क्या कर रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं… मेरे पास करने के लिए है भी क्या?’’

‘‘तो फिर वहीं आ जाओ. जहां हम मिलते हैं.’’

‘‘क्या जरूरी है, मेरा मन नहीं कर रहा है,’’ उस ने उपेक्षा जाहिर की.

‘‘बहुत जरूरी है, नहीं आओगी तो जीवनभर पछताओगी.’’

‘पता नहीं क्या बात है‘, सोच कर पूजा मिलने के लिए आ गई. वह उदास थी, अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए वह उसे देखने लगी. विनोद मुसकरा रहा था. पूजा को उस की मुसकराहट का भेद समझ में नहीं आया. विनोद ने बेझिझक उस के कंधों पर हाथ रख दिया और उसे लगभग अपनी तरफ खींचता हुआ बोला, ‘‘तुम बहुत दुखी हो.’’

वह कुछ नहीं बोली. उस ने अपना एक हाथ उस के सिर के पीछे रख उस का सिर अपने सीने पर दबा लिया और उस के बालों को सहलाते हुए बोला, ‘‘स्वाभाविक है, मेरी तरफ से तुम्हारा मन उचट गया हो, परंतु मैं भी क्या करता? एक डरपोक लड़के को तुम ने प्यार किया. मैं तुम्हारे लायक नहीं था. मैं एक किताबी कीड़ा था और समझता था इन्हीं में मेरा जीवन है. जीवन में सपने देखने के सिवा मैं ने और कुछ नहीं किया. जब तुम ने मुझे प्यार किया तो मैं इतना डर गया था कि समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं. तुम्हारे प्यार में पड़ कर कहीं मेरे सपने चकनाचूर न हो जाएं. इसी असमंजस में दिन गुजर रहे थे. दिल्ली गया तो लगा कि मेरा सपना मेरी पकड़ से बहुत दूर नहीं है, परंतु तुम्हारी यादें बीच में बाधा उत्पन्न कर रही थीं,’’ वह चुप हो कर अपनी सांसों को संयत करने लगा. पूजा ने अपना सिर उठा कर उस के चेहरे की तरफ देखा.

‘‘परंतु इन छुट्टियों में मेरे प्रति तुम्हारी दीवानगी और प्यार ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया. मैं नहीं समझता कि जीवन में बिना प्यार के कोई भी सपना पूरा हो सकता है. मैं अपने चाहे जितने सपने पूरे कर लूं, वे सभी अधूरे रहेंगे, अगर मेरे जीवन में किसी का प्यार नहीं है. तुम्हारा अपने प्रति अटूट प्यार देख कर मेरा आत्मबल और विश्वास दोगुना हो गया है. मुझे लगता है कि तुम्हारा प्यार पा कर मैं अपना सपना जल्दी ही पूरा कर लूंगा. इस में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे.’’

अब पूजा उस से अलग हो कर उस की तरफ तीखी नजरों से देखने लगी थी. विनोद की आंखों में प्रेम का गहरा समुद्र हिलोरें मार रहा था. पूजा का हृदय अनायास धड़क उठा, बिलकुल उसी तरह जिस प्रकार पहली बार विनोद के लिए धड़का था.

‘‘मैं ने तुम्हें बहुत सताया है,’’ उस ने भावुक हो कर कहा.

उस का सिर नीचे झुक गया. वह सुबकने लगी.

‘‘आशा है, तुम मेरी बात का मतलब समझ गई होगी. मैं अधिक कुछ नहीं कह सकता. बस, एक बात पूछना चाहता हूं, क्या मेरा सपना पूरा होने तक तुम मेरा इंतजार कर सकती हो?’’

पूजा ने अपना मुंह उस के सीने में छिपा लिया और उस की पीठ पर अपनी बांहें कसती हुई बोली, ‘‘आज तुम ने मुझे पूरी तरह से जीत लिया. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी. मैं छोटे शहर की लड़की हूं और सच्चे मन से तुम्हें प्यार करती हूं, तुम अपना सपना पूरा कर के आओ, फिर हम दोनों घर वालों की सहमति से विवाह कर के अपना घर बसा लेंगे.’’

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विनोद ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया, ‘‘ऐसा मत कहो कि तुम छोटे शहर की लड़की हो. तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है.’’

‘‘तुम ने एक दिन कहा था कि छोटे शहर की लड़कियों की सोच ऐसी ही होती है. यह तुम्हारी बात का जवाब था.’’

‘‘लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल छोटे शहर की लड़कियां ही सच्चा प्यार करती हैं. बड़े शहर की लड़कियां भी अपने प्रेमियों का इंतजार करती हैं. प्रेम सच्चा हो, तो सब कुछ संभव है. हां, जीवन का बड़ा सपना केवल बड़े शहरों में ही पूरा होता है, परंतु प्यार का सपना तो कहीं भी, किसी भी जगह पूरा हो सकता है.’’

‘‘सचमुच… आज मैं इस बात को समझ गई हूं. तुम ने मेरे सारे भ्रम दूर कर दिए.’’

‘‘और मेरे मन से भी सारी दुविधाएं दूर हो गई हैं. मुझे पूरी आशा है कि मेरे दोनों सपने… आईएएस बनने का और तुम से शादी करने का… जल्दी ही पूरे हो जाएंगे. फिर तुम्हें ज्यादा दिन तक विरह के आंसू नहीं बहाने होंगे.’’

…और उन के मन में हजारों दीपक जल कर मुसकराने लगे, जिन का प्रकाश चारों तरफ फैल गया.

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Festive Special: हर फंक्शन के लिए परफेक्ट है कियारा आडवाणी का ये लहंगा

वैडिंग और फैस्टिव सीजन की शुरूआत हो चुकी है. हर कोई अपने लुक और मेकअप को लेकर बात करने में लगा हुआ है. वहीं अपने लुक को सजाने के लिए शौपिंग भी शुरू हो गई है, जिसके लिए लड़कियां औनलाइन हो या औफलाइन औप्शन्स की तलाश कर रही है. इसीलिए आज हम आपके लिए कियारा आडवाणी के लहंगे का क्लेक्शन लेकर आए हैं, जो इन दिनों सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इस लुक को आप वेडिंग सीजन के किसी भी फंक्शन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

लहंगे ने जीता फैंस का दिल

फैंस के दिलों में जगह बना चुकी एक्ट्रेस कियारा आडवाणी स्क्रीन पर वापसी की है, जिसके चलते वह एक गाने में भी नजर आई हैं. हालांकि इस दौरान उनका लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. गाने में कियारा ने  खूबसूरत नीले लहंगा पहना था, जो वेडिंग सीजन के किसी भी फंक्शन के लिए सबसे हॉट आउटफिट में से एक हो सकता है.

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सिकुइन का कौम्बिनेशन है परफेक्ट

 

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कियारा ने ट्रैंडी नीले लहंगे के साथ स्लीवलेस सिकुइन ब्लाउज पहना था, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं ब्लाउज के बैक पर लगा टेसल भी लुक को और भी ट्रैंडी बना रहा था. जबकि बेहद हल्के फैब्रिक और ड्रॉपलेट्स डिजाइन से बना लहंगे का दुपट्टा कियारा के लुक को चार चांद लगा रहा है.

ज्वैलरी भी है परफेक्ट

कियारा ने अपने इस नीले लहंगे के साथ गोल्डन झुमका और चूड़ियां मैच की है, जिसके साथ खुले लाइट वेवी हेयर और ड्यूई मेकअप उनके लुक को अट्रेक्टिव बना रहा है. आप इस लुक को शादी के फंक्शन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

 

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बता दें, फिल्मी दुनिया में धमाल मचाने वाली कियारा का ट्रे़डिशनल और फेस्टिव लुक फैंस को काफी पसंद आता है. वहीं वह अक्सर अपने लहंगे लुक से फैंस को अट्रैक्ट करती रहती हैं.

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बेवजह शक के 6 साइड इफैक्ट्स

पार्टी खत्म होते ही कावेरी हमेशा की तरह मुंह फुलाए पति संदीप के आगेआगे चलने लगी. कार में बैठते ही उस ने संदीप के सामने सवालों की झड़ी लगा दी, ‘‘मिसेज टंडन जब भी मिलती हैं, तब आप को देख कर इतना क्यों मुसकराती हैं? टंडन साहब के सामने तो वे मुंह बनाए रखती हैं… नेहा ने आप को मिस्टर हैंडसम क्यों कहा और अगर कह भी दिया था तो आप को क्या जरूरत थी सीने पर हाथ रख मुसकराते हुए सिर झुकाने की? और ये जो आप की असिस्टैंट सोनाली है न उस की तो किसी दिन उस के ही घर जा कर अच्छी तरह खबर लूंगी. अपने हसबैंड को घर छोड़ कर पार्टी में आ जाती है और बहाना यह कि उन की तबीयत ठीक नहीं रहती. दूसरों के पति ही मिलते हैं इसे चुहलबाजी करने के लिए?’’ कावेरी का बड़बड़ाना लगातार जारी था.

2 साल पहले कावेरी की शादी हुई थी तो संदीप जैसे स्मार्ट और हैंडसम पति को पा कर उस के पांव जमीन पर नहीं टिकते थे. मगर कुछ दिनों बाद ही उस की सारी खुशी हवा हो गई. अब संदीप के इर्दगिर्द किसी महिला को देख तिलमिला उठती है. असुरक्षा की भावना से घिर कर संदीप से ही झगड़ा करने लगती है.

कावेरी की ही तरह नताशा भी अपने पति रितेश की स्मार्टनैस को अपनी सौतन समझने लगी है, क्योंकि रितेश की स्मार्टनैस ने उस का चैन छीन लिया है. उसे लगता है कि रितेश अपने स्मार्ट होने का फायदा उठा रहा है. कोई चाहे कुंआरी हो या शादीशुदा सब से मेलजोल बढ़ाता है.

नताशा तो रितेश को किसी महिला से बात करता देख सब के सामने ही झगड़ना शुरू कर देती है. अपनी इज्जत बचाने की खातिर रितेश अपने मित्रों  की पत्नियों द्वारा की गई ‘हैलो,’ ‘नमस्ते’ का जवाब देने से भी कतराता है. जब वह नताशा के साथ होता है तो उसे बेहद सतर्क रहना पड़ता है. नताशा के बेबुनियाद शक ने रितेश की सोशल लाइफ लगभग समाप्त कर दी है.

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नताशा और कावेरी की तरह ही न जाने ऐसी कितनी पत्नियों के उदाहरण मिल जाएंगे जो अपने पति पर किसी महिला की नजर केवल इसलिए सहन नहीं कर पातीं कि उन का पति उन के मुकाबले अधिक आकर्षक दिखाई देता है. ऐसे में किसी भी महिला के करीब आने का दोषी वे पति को भी मानते हुए उस पर शक करने लगती हैं.

संदेह के दुष्प्रभाव

1. दांपत्य जीवन तनावग्रस्त:

कोई भी पति अपनी पत्नी द्वारा बिना वजह लगाए गए लांछन सहन नहीं करेगा. इस का परिणाम यह होगा कि दोनों के बीच लड़ाईझगड़े होते रहेंगे. ऐसे में दांपत्य जीवन में प्रेम व शांति के स्थान पर तनाव हावी हो जाएगा.

2. आत्मविश्वास में कमी:

यदि पतिपत्नी आत्मविश्वास से लबरेज होंगे तो दोनों का मन खुश रहेगा और वे एकदूसरे के साथ सुखद समय व्यतीत कर पाएंगे. किंतु पत्नी द्वारा बेबुनियाद शक पति के आत्मविश्वास में कमी ले कर आएगा. वह समझ ही नहीं पाएगा कि उस ने क्या गलत किया जो क्लेश का कारण बन गया. पत्नी भी स्वयं को अन्य महिलाओं की तुलना में हीन आंक कर कुंठाग्रस्त हो जाएगी.

3. बच्चों की मानसिकता पर प्रभाव:

बच्चों की उचित देखभाल के लिए मातापिता में समयसमय पर सलाहमशवरा बेहद जरूरी है, किंतु निरंतर शक के कारण पतिपत्नी के बीच बढ़ी दूरी बच्चों के विषय में चर्चा करने के अवसर न दे कर आपस के निराधार मसले सुलझाने को बाध्य करती रहेगी, जिस से बच्चों की मानसिकता प्रभावित होगी.

4. सामाजिक मेलजोल में कमी:

बेकार का शक पति को किसी भी सामाजिक समारोह में जाने से रोक देगा. वह इस बात से डरता रहेगा कि किसी भी महिला का उस की और मुसकरा कर देखना घर में तूफान ला सकता है. इसी तरह पत्नी भी सोशल गैदरिंग से बचने लगेगी. पति का हैंडसम होना उस की नजरों में अपने लिए एक नई परेशानी खड़नी करने जैसा हो जाएगा.

5. पति लेने लगता है झूठ का सहारा:

शक के कारण कुछ पत्नियां औफिस तक पति का पीछा करती हैं. वहां वह किस महिला सहकर्मी को कितनी अहमियत देता है, किसकिस के साथ हंस कर बातें करता है तथा अपनी सैके्रटरी के साथ कितना समय बिताता है, इन सब बातों की जानकारी बातोंबातों में पति से लेती रहती हैं. आपस में किसी भी बात पर जब जरा सी भी बहस होती है तो वे उन सब के नाम पति के साथ जोड़ कर उसे नीचा दिखने लगती हैं. परेशान हो कर धीरेधीरे पति सबकुछ सच न बता कर झूठ बोलने लगते हैं.

6. आत्महत्या की नौबत:

लखनऊ में एक भूतपूर्व सैनिक ओमप्रकाश की पत्नी को शक रहता था कि उस के पति का किसी अन्य महिला के साथ अनैतिक संबंध है. पति ने इस बेबुनियाद शक को दूर करने का पूरापूरा प्रयास किया. मगर पत्नी का शक दूर न कर पाया तो खुद को गोली मार कर उस ने अपना जीवन समाप्त कर लिया.

स्वयं को समाप्त कर देने का विचार पतिपत्नी के मन में आए या न आए, किंतु यह तो सत्य है कि संदेह से जन्मा क्लेश दांपत्य जीवन को नर्क अवश्य बना देता है. जब मन में संदेह के बीज पनप रहे हों तो पत्नी को ये बातें ध्यान में रखनी चाहिए.

एक स्मार्ट पति पा कर पत्नी को खुश होना चाहिए. यदि ऐसे व्यक्ति ने उसे पसंद किया है तो यकीनन उस में कुछ खासीयत तो होगी ही. इस बात को वह मन में बैठा ले तो स्वयं को किसी से कम नहीं आंकेगी और तब पति का किसी महिला से बात करना उसे नहीं खलेगा.

पति के हैंडसम होने पर हीनभावना से ग्रस्त होने के बजाय पत्नी को चाहिए कि वह अपने सौंदर्य को निखारने का प्रयास करे. इस के लिए विभिन्न पत्रपत्रिकाओं व यूट्यूब के माध्यम से मेकअप के नएनए टिप्स जान कर उन्हें अपनाया जा सकता है. भिन्नभिन्न प्रकार के नएनए ब्यूटी प्रोडक्ट्स बाजार में व औनलाइन उपलब्ध हैं, जिन की मदद से खुद को आकर्षक बनाया जा सकता है.

अपने पति के आसपास मंडराती हुई महिलाओं की ओर मुंह फुला कर देखते हुए पति को मन ही मन कोसने से अच्छा है कि उन महिलाओं से खुल कर हंसते हुए बातचीत करने का प्रयास किया जाए. इस प्रकार घुलनेमिलने से वे महिलाएं एक पारिवारिक मित्र की तरह लगने लगेंगी.

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अपने गुणों को पहचान कर उन्हें निखारना शुरू करें. मसलन, यदि पत्नी खाना अच्छा बनाती है तो मेहमानों, अपने व पति के मित्रों के आने पर नईनई डिशेज बना कर खिला सकती है. जब उस के स्वादिष्ठ खाने की चर्चा सब के बीच होगी तो वह स्वयं को उच्चतर महसूस करेगी. इसी प्रकार आवाज अच्छी होने पर किसी भी गैटटूगैदर में गाना गाने में हिचक महसूस न करें.

यदि संदेह से घिरी पत्नी टच में रहना ही चाहती है, तो पति की महिलामित्रों की जानकारी देने वाले लोगों के स्थान पर अच्छीअच्छी पत्रिकाओं, ज्ञानवर्धक व मनोरंजक वैबसाइट्स तथा व्हाट्सऐप पर अपने पुराने दोस्तों के टच में रहे. इस से नईनई जानकारी मिलने से उस की पर्सनैलिटी में निखार आएगा तथा मन खुश रहने से तनाव भी नहीं होगा.

इसी तरह अपनी पत्नी के शक्कीमिजाज का सामना करने के लिए पति भी रखे इन बातों का ध्यान:

पत्नी द्वारा बिना वजह शक व्यक्त किए जाने पर स्वयं को नियंत्रित रखें. गुस्से में या चिल्ला कर जवाब देने से पत्नी को लगेगा कि पति उसे कोई महत्त्व ही नहीं देना चाहता. यदि पत्नी सब के सामने झगड़ा करने लगे तो वहां चुप रह कर उसे बाद में समझाए और एहसास करवाए कि  वह सब के सामने उसे बेइज्जत नहीं करना चाहता. शक से घिरी पत्नी को पति से मिला सम्मान अपना नजरिया बदलने में मदद करेगा.

पत्नी की प्रशंसा करने में कंजूसी न करें. जब वह कुछ नया पहने या बाहर जाने के लिए तैयार हो तो तारीफ के 2 बोल जरूर बोलें.

पत्नी को समयसमय पर याद दिलाते रहना चाहिए कि शारीरिक सौंदर्य ही सबकुछ नहीं है. पत्नी के कुछ खास गुणों की तारीफ करते हुए कहें कि उस में सच में ऐसे गुण हैं, जो उस ने आज तक किसी भी सुंदरी में नहीं देखे.

समयसमय पर पत्नी के साथ घूमने का कार्यक्रम बनाएं. कभी रैस्टोरैंट में डिनर आदि का तो कभी वीकैंड पर आसपास की जगह जा कर 1-2 दिन बिताने का. वहां मस्ती के मूड में डूब कुछ तस्वीरें खींच कर फेसबुक पर पोस्ट की जा सकती हैं या व्हाट्सऐप स्टेटस के रूप में भी डाली जा सकती हैं. यदि कैप्शन ‘माई लवली वाइफ ऐंड आई’ जैसी हो तो सोने में सुहागा हो जाएगा.

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Serial Story: छोटे शहर की लड़की (भाग-1)

‘एक दिन अचानक पूजा उस के घर आई तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ. वह पूजा को पहचानता था, वह उस के पड़ोस में ही रहती थी. परंतु उस के साथ कभी कोई बात नहीं होती थी. कारण, वह बहुत संकोची था और पूजा अपनेआप में मस्त रहने वाली लड़की. वह शर्मीली लड़की की तरह पूजा के घर के सामने से सिर झुका कर गुजर जाता. अकसर उस ने पूजा को अपने घर से बाहर अपनी सहेलियों से बातें करते हुए देखा था. कई बार उस ने महसूस भी किया कि वे सभी उस की तरफ कुछ इशारा कर के हंसती थीं. यह उस का भ्रम भी हो सकता था, परंतु संकोचवश वह तुरंत उन के सामने से हट जाता और घर आ कर अपनी तेज सांसों पर काबू पाने का प्रयास करता. वह पूजा की हंसी और मुसकराहट का अर्थ आज तक समझ नहीं पाया था.

आज जब पूजा उस के घर आई और उसे देख कर बड़ी अदा से मुसकराई तो उस के दिल पर मानो बिजली गिर गई हो. लड़कियों को देख कर वैसे ही उस के हाथपैर कांपने लगते और मुंह लाल हो जाता था. पूजा को अपने घर पर देख कर उस के दिल की धड़कन और भी बढ़ गई थी.

घर पर उस की मां थीं, छोटी बहन थी और रविवार होने के कारण उस के पिता भी घर पर ही थे. वे लोग उस के बारे में क्या सोचेंगे? उस ने मुड़ कर अपने कमरे की तरफ भागने का प्रयास किया ही था कि पूजा की मधुर आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘‘भाग रहे हो? अपने ही घर में भाग कर कहां छिपोगे?’’ पूजा पहली बार उस से ऐसे बोली थी.

वह ठिठक कर खड़ा हो गया, सचमुच वह अपने घर से भाग कर कहां जाएगा? उस ने पूजा के प्रफुल्लित चेहरे को बच्चे की तरह देखा और मन ही मन कहा, ‘तुम यहां क्या मेरी दुर्गति करने के लिए आई हो?’

पूजा ने पूछा, ‘‘आंटीजी हैं क्या, और तुम्हारी बहन कहां है?’’ वह इस तरह बात कर रही थी, जैसे विनोद उस से छोटा हो और उस का इस घर में बहुत ज्यादा आनाजाना हो. पूजा का आत्मविश्वास और साहस देख कर उसे अपनेआप पर शर्म आने लगी. काश, वह भी उस की तरह दबंग होता.

वह जानता था कि उस की मां से पूजा गली में कभीकभार बात कर लेती थी, लेकिन यह बिलकुल पता नहीं था कि उस की छोटी बहन दीप्ति से पूजा की कोई बोलचाल थी या वे दोनों आपस में मिलतीजुलती थीं. दोनों की उम्र में लगभग 4-5 साल का अंतर था.

उस ने पूजा की बात का जवाब देने के बजाय ऊंचे स्वर में लगभग चीखते हुए मां को आवाज लगाई, ‘‘मम्मी, दीप्ति, देखो तो तुम से कोई मिलने आया है?’’ और वह फिर से जाने के लिए उद्यत हुआ.

पूजा खिलखिला कर हंस पड़ी, ‘‘अरे, तुम बौखला क्यों रहे हो? क्या कोई कुत्ता तुम्हारे पीछे पड़ा है?’’

उस ने मन ही मन कहा, ‘नहीं, एक बिल्ली है, जो मेरा मुंह नोचने के लिए आई है. क्या कोई मुझे इस बिल्ली से बचाएगा?’ वह और जोर से चिल्लाया, ‘‘दीप्ति, आती क्यों नहीं?’’

उस की मां किचन में थीं, दीप्ति झटपट बाहर निकली और सामने का नजारा देख कर कुछ चौंकी. पूजा को  पहली बार अपने घर में देख कर वह बोली, ‘‘दीदी, आप… यहां?’’

‘‘हां, वैसे ही एक काम आ गया था,’’ वह दो कदम आगे बढ़ कर बोली, ‘‘परंतु तुम्हारा भाई तो बहुत झेंपू है, क्या वह लड़कियों के साथ ज्यादा उठताबैठता है, क्योंकि उन्हीं के जैसे गुण और लक्षण इस में आ गए हैं,’’ अपने कमरे में घुसतेघुसते उस ने पूजा को दीप्ति से कहते सुना.

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उस का दिल बैठ गया, ‘क्या वह इतना दब्बू है कि लड़कियां उस के बारे में ऐसे खयाल रखती हैं?‘ उस ने अपने दिल को संयत किया और मन ही मन बोला, ‘एक दिन दिखा दूंगा तुम्हें पूजा की बच्ची कि मैं कायर और डरपोक नहीं हूं. तुम मुझे झेंपू समझने की भूल मत करना.’

कमरे में आए उसे थोड़ी ही देर हुई थी कि धमधमाते हुए दोनों उस के कमरे में ही आ गईं. पूजा आगे थी और दीप्ति उस के पीछे. दोनों पता नहीं आपस में क्या बातें कर के आई थीं और अब उन का मकसद क्या था. वह अपने बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया.

‘‘क्या कर रहे हो… पढ़ाई? अभीअभी तो नए सत्र की कक्षाएं शुरू हुई हैं. अच्छा, विनोद यह बताओ, तुम कौन सी कक्षा में गए हो?’’ पूजा ने निस्संकोच उस के पास आ कर पूछा.

विनोद धम् से कुरसी पर बैठ गया. जैसे चेहरे पर किसी ने गोबर मल दिया हो. उस की बोलती बंद थी और दिल काबू में नहीं था. वे दोनों उसे देखदेख कर मुसकराती रहीं.

‘‘बताओ न मुझे पढ़ाई में तुम से मदद लेनी है,’’ पूजा उस के पास आ कर खड़ी हो गई और मटकती हुई बोली. जवान लड़की के बदन की एक अनोखी गंध उस के नथुनों में समा गई. विनोद ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और बोला, ‘‘बीए में.’’

‘‘कौन सा साल है?’’ यह पूछते हुए वह लगभग उस से सट गई थी.

विनोद ने अपने को पीछे की तरफ धकेला. कुरसी थोड़ा पीछे की तरफ सरक गई. उस के गले में सांस फंस कर रह गई. शब्द गले में अटक गए और वह बता नहीं पाया कि बीए अंतिम वर्ष में था. पूजा यह बात जानती थी. वह स्वयं बीए द्वितीय वर्ष में थी. वह तो जानबूझ कर विनोद को बनाने की कोशिश कर रही थी.

पूजा उस की हालत पर मुसकराई, ‘‘तुम कांप क्यों रहे हो? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘हां, मैं ठीक हूं,’’ उस के गले से फंसी हुई सी सांस निकली. वह कुरसी से उठ कर खड़ा हो गया और बिना आदत के तन कर बोला, ‘‘तुम आराम से बैठ कर बात करो. मेरे ऊपर क्यों चढ़ी आ रही हो.’’

‘‘ओह, माफ करना, वीनू, मेरी आदत कुछ खराब है. मैं जब तक किसी से सट कर बात नहीं करती, मुझे बातचीत में अपनापन नहीं लगता. खैर, तुम चिंता मत करो. एक दिन तुम्हें भी मुझ से सट कर बात करने की आदत हो जाएगी,’’ और वह मुसकराते हुए दीप्ति की तरफ देखने लगी. पूजा के चेहरे पर शर्मोहया का कोई नामोनिशान नहीं था. विनोद को वह बड़ी निर्लज्ज लड़की लगी.

‘‘अच्छा, क्या तुम मुझे पढ़ा दिया करोगे. दीप्ति ने मुझे बताया कि तुम पढ़ने में बहुत अच्छे हो,’’ उस ने बात बदली.

‘‘मेरे पास समय नहीं है,’’ उस ने किसी तरह कहा.

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‘‘तुम्हें मेरे घर आने की जरूरत नहीं है. मैं स्वयं तुम्हारे पास आ कर पढ़ लिया करूंगी. प्लीज, तुम मेरी थोड़ी सी मदद कर दोगे तो…’’ फिर उस ने बात को अधूरा छोड़ दिया.

आगे पढ़ें- वह पूजा की बातों का अर्थ नहीं समझ पाया….

छोटे शहर की लड़की: आखिर क्यों टूट गई पूजा और विनोद की दोस्ती?

Serial Story: छोटे शहर की लड़की (भाग-2)

वह पूजा की बातों का अर्थ नहीं समझ पाया. ‘क्या वह पढ़ने में कमजोर थी. अगर हां, तो अभी तक उसे यह खयाल क्यों नहीं आया. कोई दूसरी बात होगी,‘ उस ने सोचा. उस ने कहीं पढ़ा था कि अगर किसी लड़की का किसी लड़के पर दिल आ जाता है तो वह बहाने बना कर उस लड़के से मिलती है. क्या पूजा भी… उस के दिमाग में एक धमाका सा हुआ. उस का दिल और दिमाग दोनों बौखला गए थे. वह पूजा की किसी बात का ठीक से जवाब नहीं दे पाया, न उस की किसी बात का अर्थ समझ में आया और फिर दोनों लड़कियां उसे विचारों के सागर में डूबता हुआ छोड़ कर चली गईं.

उस दिन भले ही वह पूजा की बातों का अर्थ नहीं समझ पाया था, लेकिन उस की बातों का अर्थ समझने में उसे ज्यादा समय नहीं लगा. अब पूजा नियमित रूप से उस के घर आती. वह समझ गया था कि पूजा के मन में क्या है और वह उस से क्या चाहती है.

आमनेसामने पड़ने और रोजरोज बातें करने से विनोद के मन का संकोच भी बहुत जल्दी खत्म हो गया. वह पूजा से खुल कर बातें करने लगा, लेकिन अभी भी उस की बातें कम ही होती थीं और ऐसा लगता था जैसे पूजा उस के मुंह से बातें उगलवा रही हो.

फिर उन के मन भी मिल गए. पूजा और विनोद के रास्ते अब मिल कर एक हो गए थे. वे लगभग एक ही समय पर घर से कालेज के लिए निकलते और थोड़ा आगे चल कर उन का रास्ता एक हो जाता. कालेज से वापस आते समय वे शहर के बाहर जाने वाली सड़क से हो कर खेतों के बीच से होते हुए अपने घर लौटते.

वे शहर के बाहर नई बस्ती में रहते थे, जिस के पीछे दूरदूर तक खेत ही खेत थे. उन दिनों बरसात का मौसम था और खेतों में मकई की फसल लहलहा रही थी. दूरदूर जहां तक दृष्टि जाती, हरियाली का साम्राज्य दिखता. खेतों में मकई के पौधे काफी ऊंचे और बड़े हो गए थे, आदमी के कद को छूते हुए, उन में हरेपीले भुट्टे लग गए थे और उन भुट्टों में दाने भी आ गए थे. पहले भुट्टों में छोटे शिशु की भांति दूध के दांत जैसे दाने आए थे. हाथ से दबाने पर पच्च से उन का दूध बाहर आ जाता था. धीरेधीरे दाने थोड़ा बड़े हो कर कड़े होते गए और उन में पीलापन आता गया. जब भुट्टे पूरी तरह पक गए तो किसी नवयुवती के मोती जैसे चमकते दांतों की तरह चमकीले और सुडौल हो गए.

दिन धुलेधुले से थे और प्रकृति की छटा देख कर ऐसा लगता था जैसे अभीअभी किसी युवती ने अपना घूंघट उठाया हो और उस ने देखने वाले को अपनी सुंदरता से भावविभोर कर दिया हो.

इसी तरह सावन के महीने में नवयुवतियां भी किसी के प्रेम रस में विभोर हो कर बारिश की बूंदों में भीगते हुए भुट्टों की तरह हंसतीमुसकराती हैं, खिलखिलाती हैं और अल्हड़ हवाओं के साथ अठखेलियां करती हुई, झूलों में पींगें बढ़ाती हुई अपने प्रेमी का इंतजार करती हैं.

पूजा पर भी सावन की छटा ने अपना रंग बिखेरा था, वह भी बारिश की बूंदों से भीग कर अपने में सिमटी थी. कजरी के गीतों ने उस के मन में भी मधुर संगीत की धुनों के विभिन्न राग छेड़े थे. अपनी सहेलियों के साथ झूला झूलते हुए, दबे होंठों से गीत गाते हुए उस ने भी अपने प्रिय साजन को बुलाने की टेर लगाई थी.

उस की टेर पर उस का साजन तो उस से मिलने नहीं आया था, परंतु वह लोकलाज का भय त्याग कर स्वयं उस से मिलने के लिए उस के घर आ गई थी और आज दोनों साथसाथ घूम रहे थे.

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मौसम ने उन दोनों के जीवन में प्यार के बहुत सारे रंग बिखेर दिए थे. दोनों के बीच प्यार की कली पनप गई थी. पूजा पहले से ही विनोद से प्यार करती थी. अब विनोद को भी पूजा के प्यार में रंगने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. पूजा की चंचलता ने विनोद को चंद दिनों में ही उस का दीवाना बना दिया. हालांकि दोनों के स्वभाव में बड़ा अंतर था. पूजा मुखर, वाचाल और चंचल थी तो विनोद मृदुभाषी, संकोची और लड़कियों से डर कर रहने वाला लड़का. पूजा के साथ रहते हुए वह सदा चौकन्ना रहता था कि कोई उन्हें

देख तो नहीं रहा. पूजा लड़कों की तरह निर्भीक थी तो विनोद लड़कियों की तरह लज्जाशील. वह एक कैदी की तरह पूजा के पीछेपीछे चलता रहता.

खेतों के बीच से होते हुए वह कच्ची सड़क के किनारे किसी पेड़ की छाया के नीचे थोड़ी देर बैठ कर सुस्ताते, प्यार भरी बातें करते और मकई के खेतों के किनारे से होते हुए एक रखवाले की नजर बचा कर कभी 2 भुट्टे चुपके से तोड़ लेते तो कभी उन से विनययाचना कर के मांग लेते थे. खेतों की रखवाली करने वाली ज्यादातर लड़कियां होती थीं, ऐसी लड़कियां जो दिल की बहुत अच्छी होती थीं और जवानी के सपने देखने की उन की उम्र हो चुकी थी. उन के मन में प्यार के फूल खिलने लगे थे और वे पूजा और विनोद को देख कर मंदमंद मुसकराती हुईं अपने दुपट्टे का छोर दांतों तले दबा लेती थीं. वे न केवल अपने हाथों से पके भुट्टे तोड़ कर उन्हें देतीं, बल्कि कभीकभी मचान के नीचे जलने वाली आग में उन्हें पका भी देती थीं, तब दोनों मचान के ऊपर बैठ कर मकई के खेतों के ऊपर उड़ने वाले परिंदों को देखा करते थे और बैठे परिंदों को उड़ाने का बचकाना प्रयास करते, जिसे देख कर खेत की रखवाली करने वाली लड़कियां भी खुल कर हंसतीं और उन्हें परिंदों को उड़ाने का तरीका बतातीं.

प्यार भरे मौसम का एक साल बीत गया. उन के इम्तहान खत्म हो गए. अब वह दोनों घरों में कैद हो कर रह गए थे, परंतु पूजा अपने घर में रुकने वाली कहां थी. उस ने दीप्ति से दोस्ती गांठ ली थी और उस से मिलने के बहाने लगभग रोज ही विनोद के घर पर डेरा जमा कर बैठने लगी. विनोद के मातापिता को इस में कोई एतराज नहीं था क्योंकि वह दीप्ति के पास आती थी और उसी के साथ विनोद के कमरे में जाती थी. दीप्ति भी उन के प्यार को समझ गई थी और उसे दोनों के बीच पनपते प्यार से कोई एतराज नहीं था. उसे पूजा बहुत अच्छी लगती थी क्योंकि वह बहुत प्यारीप्यारी बातें करती थी और पूजा दीप्ति को अपनी छोटी बहन की तरह प्यार देती थी.

परीक्षा परिणाम घोषित होते ही विनोद के घर में एक धमाका हो गया. उस के पिताजी ने उसे दिल्ली जाने का फरमान जारी कर दिया. उस के भविष्य का निर्णय करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘विनोद, बीए में तुम्हारे अंक काफी अच्छे हैं और मैं चाहता हूं कि दिल्ली जा कर तुम किसी कालेज में एमए में दाखिला ले लो और वहीं रह कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करो. तुम्हें आईएएस या आईपीएस बन कर दिखाना है,’’ उस के पिता ने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया था.

मां ने भी उस के पिता के निर्णय का समर्थन किया, लेकिन पूजा को यह पसंद नहीं आया. ‘‘तुम यहां रह कर भी तो सिविल सर्विसेज की तैयारी कर सकते हो. यहां भी तो अच्छे कालेज हैं, विश्वविद्यालय है,’’ उस ने तुनकते हुए विनोद से कहा.

‘‘देखो पूजा, पहली बात तो यह है कि मैं पिताजी की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकता और फिर दिल्ली में अच्छे कोचिंग संस्थान हैं. वहां ऐसे कालेज हैं जहां विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ही तैयारी करने के लिए पढ़ते हैं. मेरी भी तमन्ना है कि मैं अपने पिताजी की आकांक्षाओं को पूरा करूं.’’

‘‘मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी?’’ पूजा ने एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए कहा.

‘‘रह लोगी, समय सबकुछ सिखा देता है और मैं कोई सदा के लिए थोड़े ही जा रहा हूं. छुट्टियों में तो आता ही रहूंगा.’’

‘‘मुझे इस बात का डर नहीं है कि तुम सदा के लिए जा रहे हो. मुझे डर इस बात का है कि दिल्ली जबलपुर के मुकाबले एक बड़ा शहर है. वहां ज्यादा खुलापन है. वहां की लड़कियां अधिक आधुनिक हैं और

वह लड़कों के साथ बहुत खुल कर मिलतीजुलती हैं. साथसाथ पढ़ते हुए पता नहीं कौन सी परी तुम्हें अपना बना ले,’’ उस के स्वर में उदासी झलक रही थी.

‘‘हर लड़की तुम्हारी तरह तो नहीं होती,’’ उस ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘हां, सच, पर तुम अब इतने भोंदू और संकोची भी नहीं रहे. क्या पता, तुम्हें ही कोई लड़की पसंद आ जाए और तुम उसे अपने जाल में फंसा लो,’’ उस ने आंखों को चौड़ा करते हुए कहा.

‘‘हां, यह बात तो है, भविष्य को किस ने देखा है,’’ उस ने चुटकी ली.

‘‘2 या 3 साल, पता नहीं कितना समय लगे तुम्हें नौकरी मिलने में? तब तक तुम पूरी तरह से बदल तो नहीं जाओगे?’’ उस के स्वर में निराशा का भाव आ गया था.

‘‘तुम अपनेआप पर भरोसा रखो. शायद कुछ भी न बदले,’’ विनोद ने उसे तसल्ली देने का प्रयास किया.

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‘‘क्या पता सिविल सेवा की परीक्षा पास करते ही तुम्हारा मन बदल जाए और क्या तुम्हारे मम्मीपापा उस स्थिति में मेरे साथ तुम्हारी शादी के लिए तैयार होंगे?’’

‘‘यह तो वही बता सकते हैं?’’ उस ने स्पष्ट किया. पूजा का मन डूब गया.

क्रमश:

 

हुंडई क्रेटा अब तक की सबसे बेहतर कार

हुंडई क्रेटा का 1.4 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन का पावरट्रेन अब तक का सबसे बेहतर माना जा रहा है. इसके साथ ही इसे 7 स्पीड डीसीटी के साथ जोड़ा गया है जो कि ब्लिस्टरिंग परफॉर्मेंस देता है.

140 बीएचपी और 24.7 किलोमीटर का टार्क हाइवे पर ड्राइव को आसान बनाता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ट्रैफिक के दौरान भी कार को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. इसलिए इसे कहते हैं #RechargeWithCreta.

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BIGG BOSS 14: दूसरे ही दिन आपस में भिड़े सिद्धार्थ शुक्ला और गौहर खान, जानें क्या है वजह

कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस 14 का आगाज हो चुका है. जहां कई कोरोनावायरस के बदलाव के बीच कंटेस्टेंट्स के बीच धीरे-धीरे लड़ाइयों से लेकर रोना-धोना शुरू हो गया है. लेकिन अब फैंस को सीनियर्स के बीच भी लड़ाइयां देखने को मिलने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सिद्धार्थ और गौहर भिड़ते आएंगे नजर

बीते दिन घर के सीनियर्स ने फ्रेशर्स को अपनी उंगलियों पर नचाना शुरु कर दिया है तो वहीं अब खुद सीनियर्स एक दूसरे से टक्कर लेते नजर आने वाले हैं. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड की झलक दिखाई है, जिसमें एक नए टास्क के दौरान लड़ते नजर आएंगे.

 

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टास्क में होगा ये हाल

सिद्धार्थ शुक्ला और गौहर खान के बीच टास्क के दौरान दिखे तीखे तेवर से साफ पता चल रहा है कि दोनों सीनियर्स पूरी तरह से इस खेल के रंग में रंग चुके हैं. वहीं हिना खान इस दौरान खामोश नजर आ रही हैं. हालांकि आने वाले हफ्ते में हिना भी धीरे-धीरे अपना रंग दिखाती नजर आएंगी.

सारा गुरपाल के जीजा बनें सिद्धार्थ

शादी की बात पर सुर्खियों में छाईं सारा गुरपाल भी बिग बौस के घर में काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. इसी बीच वह सिद्धार्थ शुक्ला को जीजा कहती नजर आ रही हैं. दरअसल, हाल ही में जारी किए गए एक प्रोमो में सारा गुरपाल सिद्धार्थ शुक्ला को सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब का जीजा कह रही हैं. वीडियो में सारा गुरपाल कह रही हैं कि भई आप तो हमारे जीजा ही हो, जिस पर सिद्धार्थ शुक्ला कह रहे हैं कि वो भला उनके जीजा कैसे हुए. तो इस पर सारा गुरपाल कह रही हैं कि भई पंजाब में तो ऐसा ही होता है जो बंदा होता है वो जीजा ही होता है. बताओ किसने नहीं देखा बिग बॉस 13. हालांकि वह बिग बॉस 13 की कंटेस्टेंट शहनाज गिल की बात करते हुए सिद्धार्थ शुक्ला को छेड़ती हुई नजर आ रही हैं.

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बता दें कि सिद्धार्थ शुक्ला, गौहर खान और हिना खान को मेकर्स ने 14 दिन के लिए घर में आए हैं, जिस दौरान ये तीनों घरवालों का सुख चौन लूटते नजर आ रहे हैं.

कपिल शर्मा शो के शो में एंकर बने कीकू शारदा, जानें क्या है वजह

सोनी टीवी के पौपुलर कौमेडी शो ‘द कपिल शर्मा शो’ के होस्ट कपिल शर्मा की पौपुलरिटी भारत के घर-घर में हैं. वहीं लौकडाउन के बाद से कपिल शर्मा के एपिसोड्स फैंस को काफी एंटरटेन कर रहे हैं. हाल ही में एक वीडियो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसे देखकर फैंस अपनी हंसी नही रोक पा रहे हैं. हालांकि इस वीडियो में कपिल शर्मा नहीं बल्कि कीकू शारदा एंकर बने नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

एंकर बने कीकू शारदा

दरअसल, शो के एक एपिसोड में मेहमान बनकर एक्टर मनोज बाजपेयी और डायरेक्टर अभिनव सिंहा आए थे. वहीं खास बात ये है कि इस एपिसोड में कीकू शारदा ने देश के नामी एंकर का रोल निभाते नजर आए थे, जिसमें साथी एंकर कृष्णा अभिषेक के साथ दोनों काफी धमाल मचाते नजर आए.

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सोशलमीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

सोनी टीवी के ऑफिशल ट्विटर अकाउंट पर शेयर किए गए वीडियो पर 2.5 हजार के करीब रीट्वीट मिल चुके हैं. वहीं इस वीडियो में खास बात यह है कि जब कीकू कहते हैं, ‘मुझे जग दो, मुझे जग दो’. तो वह किसी एंकर की नकल करते नजर आ रहे हैं.  दरअसल, वीडियो में कीकू शारदा, देश के नामी एंकर की नकल कर रहे हैं जिनकी एक क्लिप ‘मुझे ड्रग दो, मुझे ड्रग दो’ काफी वायरल हुई थी.

मुकेश खन्ना खन्ना ने कही थी ये बात

टीवी के एपिक धारावाहिक ‘ महाभारत’ के 5 लीड एक्टर्स इस शो में पहुंचे थे.  हालांकि शो में महाभारत में ‘ भीष्म पितामह’ का किरदार निभाने वाले मुकेश खन्ना नहीं पहुंचे, जिसके बाद फैंस उनसे इस बात को लेकर सवाल पूछ रहे थे. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए मुकेश खन्ना ने कहा कि ‘ कारण ये है कि कपिल शर्मा शो पूरे देश में पॉपुलर है. परन्तु मुझे इससे ज्यादा वाहियात शो कोई नहीं लगा. फूहड़ता से भरा हुआ, डबल मीनिंग जुमलों से भरपूर, अश्लीलता की ओर हर पल मुड़ता हुआ ये शो है, जिसमें मर्द औरतों के कपड़े पहनता है. घटिया हरकतें करता है और लोग पेट पकड़कर हंसते हैं.’

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बता दें, बीते दिनों मुकेश खन्ना ने शो को वाहियात बताया था, जिसके बाद फैंस को उनका ये बिहेवियर पसंद नही आया और वह मुकेश खन्ना को ट्रोल कर रहे हैं.

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