अगर आप भी है मुहांसों के जिद्दी दागों से परेशान तो अपनाये ये घरेलू टिप्स

बेदाग़ चेहरा कौन नहीं चाहता .चाहे पुरुष हो या महिला कोई भी ये नहीं चाहता की उसके चेहरे पर दाग -धब्बो के निशान हो.चेहरे पर दाग धब्बे होना बहुत ही गंभीर समस्या है .दरअसल लोग हमे हमारे चेहरे से जानते हैं.और अगर हमारे चेहरे पर दाग धब्बों के निशान होंगे तो कही न कही हमारा सेल्फ कॉन्फिडेंस कम हो जायेगा.

आजकल के बढ़ते pollution , गलत खानपान, हॉर्मोन में बदलाव और ऑयली स्किन होने के कारण हमारे चेहरे पर मुंहासे उभरकर आते है. मुंहासे यानी पिम्पल्स होना एक ऐसी समस्या है जो सामान्तया 95% लोगो में पाई जाती है और इससे चेहरा पूरी तरह बेरंग हो जाता है. पिंपल न केवल दर्दनाक होते हैं, बल्कि पिंपल्स के दाग पर अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया जाए, तो ये उम्र भर चेहरे पर बने रहते हैं.

हममे से बहुत से लोग इन दाग धब्बो से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट अपनाते है, पर उन ब्यूटी प्रोडक्ट से भी हमे फायदे के बजाये नुक्सान ही होता है. क्योंकि उनमे तरह तरह के केमिकल मिले होते है जिनके कारन हमारी त्वचा का नेचुरल ग्लो बिलकुल ख़त्म हो जाता है.

इसलिए आज हम आपको पिम्पल्स के दाग हटाने के घरेलू उपाय के बारे में बताएँगे .ये उपाय बहुत ही आसान और नेचुरल है और इनसे आपको कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होगा.

1-हल्दी,शहद और टमाटर –

हल्दी को वर्षों से त्वचा पर निखार लाने के लिए उपयोग किया जा रहा है. हल्दी में एंटीबैक्टीरियल तत्व होते है. जिसमे औषधीय गुण पाया जाता है यह दाग-धब्बों को हल्का कर त्वचा की रंगत को निखारता है.
टमाटर भी चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसमें भरपूर मात्रा में लाइकोपिन होता है. जो त्वचा की रंगत बढ़ाने के साथ-साथ पिम्पल के दाग से भी राहत प्रदान करता है और चेहरे में गोरापन लाता है.

हमें चाहिए-

हल्दी-1/2 छोटी चम्मच
टमाटर का रस -2 चम्मच
शहद-1/2 छोटी चम्मच

लगाने का तरीका-

हल्दी,शहद और टमाटर के रस को मिलाकर अपने चेहरे पर लगाये.10 मिनट तक इसे चेहरे पर लगा रहने दे.10 मिनट के बाद चेहरे को ठन्डे पानी से धो लें.
आप इसे हफ्ते में 3 से 4 बार लगा सकती हैं.

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2- आलू का रस –

आलू खाने के तो बहुत से फायदे सुने होंगे आपने पर क्या आप जानते है की आलू को त्वचा में निखार लाने और दाग-धब्बों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है.

हमें चाहिए-

कच्चे आलू का रस
रूई

लगाने का तरीका-

कच्चे आलू को कुचलकर उसका रस निकाल लें.फिर इस रस में रूई डुबाकर अपने पूरे चेहरे या सिर्फ पिंपल्स के दाग पर लगाएं. इसे 20 से 30 मिनट के लिए चेहरे पर लगा रहने दें और फिर चेहरे को पानी से धो लें.
आप इसे हर रोज एक बार लगा सकते हैं.

3- दलिया,शहद और नींबू का मास्क-

जिन्हें बार-बार कील-मुंहासों की परेशानी होती है, उनके लिए दलिया का फेस पैक बहुत फायदेमंद है. यह त्वचा से अधिक तेल को सोख लेता है और इसका एक्सफोलिएटिंग गुण त्वचा के क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को ठीक करता है साथ ही साथ ये त्वचा को हाइड्रेटेड भी रखता है.

हमें चाहिए-

दलिया- 2 चम्मच
शहद- 1 चम्मच
नींबू का रस-1 चम्मच

लगाने का तरीका-

दो चम्मच दलिया को एक चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं.इस मिश्रण को अपने चेहरे के मुंहासों के दाग पर लगाएं. इसे 30 मिनट तक लगा रहने दें फिर पानी से धो लें.
आप हफ्ते में दो से तीन बार इस पैक को लगा सकते हैं.

4. चिरौंजी का मास्क-

त्वचा की रंगत में निखार लाने के लिए चिरौंजी से बेहतर कुछ नहीं है.चिरौंजी में बहुत सारे ऐसे कंपाउंड होते है जो दाग धब्बो को मिटाने के काम आते हैं.

हमें चाहिए-

चिरौंजी के दाने-20 से 25
दूध -1 छोटा चम्मच
हल्दी- ½ छोटी चम्मच

बनाने का तरीका-

सबसे पहले चिरौंजी को लगाने से 1 रात पहले पानी में 6 से 7 घंटे के लिए भिगो दे.फिर इसका पेस्ट बना ले और उसमे दूध और हल्दी मिलाकर अपने चेहरे पर लगा लें.10 से 15 मिनट के बाद चेहरे को धो लें.
आप इसे रोज़ दिन में 1 बार लगा सकती हैं.
अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो आप चिरौजी के पेस्ट में दूध और हल्दी की जगह ½ छोटी चम्मच कॉर्नफ्लोर और ½ चम्मच नीम्बू का रस मिलाकर लगायें.

5. ग्रीन-टी

ग्रीन-टी का सेवन स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही त्वचा के लिए भी बहुत अच्छा है. ग्रीन-टी में कैटेकिन होता है, जो न सिर्फ मुंहासे के सूजन को कम करता है, बल्कि मुंहासे के दाग को भी कम करता है .यह उपाय तब और फायदेमंद होगा, जब ग्रीन-टी का रोज सेवन करेंगे और दिन में एक बार मुंहासे के दाग पर इसे नियमित रूप से लगाएंगे.

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हमें चाहिए-

उपयोग किया हुआ ग्रीन-टी बैग

लगाने का तरीका-

ग्रीन-टी पीने के बाद, जो ग्रीन-टी बैग बच जाता है उसे अपने दाग पर लगाएं.आप ग्रीन-टी के पत्तों को निकालकर उसका फेस पैक बना सकते हैं.
आप इसे हर रोज एक बार लगा सकते हैं.

इन बातों पर भी दे ध्यान-
इन घरेलू उपायों के साथ अगर आप कुछ और छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो बेहतर होगा.
• हर रोज कम से कम दो बार अपना चेहरा धोएं.
• सोने से पहले अपना मेकअप हटाएं.
• अगर पिंपल निकले, तो उसे दबाएं या हाथ न लगाएं.
• सूरज की हानिकारक किरणों से बचे और जब भी बाहर जाएं, तो न सिर्फ सनस्क्रीन लगाएं, बल्कि चेहरे को स्कार्फ से ढकें.
• स्वस्थ आहार लें, फल, हरी सब्जियों व ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें.
• सुबह टहलना, योग और एक्ससरसाइज़ करना भी त्वचा के लिए लाभदायक है.
• मोइसोइरिजर क्रीम का इस्तेमाल करे.
• ज्यादा मात्रा में कैफीन युक्त और ऑयली चीजों का सेवन न करे.
• मुहासे की समस्या से बचने के लिए 8-10 गिलास पानी रोज पिए.

करीब 2 वर्ष से मैं बीमार रहती हूं जिस के कारण मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं?

सवाल-

मैं 24 वर्षीया छात्रा हूं. करीब 2 वर्ष से मैं बीमार रहती हूं जिस के कारण मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं व रंग भी काला लगने लगा है. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिस से मैं इन दोनों परेशानियों से नजात पा सकूं?

जवाब-

ये दोनों ही समस्याएं आप को बीमारी व उस के दौरान ली जा रही दवाइयों के साइड इफैक्ट के कारण हो रही हैं. आप अपने आहार में ज्यादा पौष्टिक चीजों का सेवन कीजिए जैसे हरीसब्जियां, दूध, दही, आंवला, संतरा, टमाटर, गाजर आदि. रंग निखारने के लिए घरेलू उबटन का प्रयोग भी कर सकती हैं. आप एक बीट रूट ले लीजिए, उसे कद्दूकस कर उस का रस निकाल कर उस में आधा चम्मच कैलेमाइन पाउडर, क्योलाइन पाउडर और चंदन पाउडर मिलाएं. इस मिश्रण में कुछ बूंदें औलिव औयल को मिला कर फेस पैक बना लें और उसे पूरे फेस के साथ स्पैशली आंखों के नीचे लगाएं. इस पैक से आप की आंखों के चारों ओर पड़ने वाले घेरों को भी कम करेगा तथा आप का रंग भी साफ करेगा.

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पूरे फेस के मुकाबले हमारी आंखों के आसपास की स्किन काफी पतली और नाजुक होने के साथ वहां तेल ग्रंथियां भी काफी कम होती है. और जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है स्किन के 2 मुख्य माने जाने वाले प्रोटीन कोलेजन और प्रोटीन , स्किन से खत्म होने लगते हैं. जिसके कारण ही आंखों के आसपास की स्किन सबसे ज्यादा रूखी और वहां सबसे पहले झुर्रियां नजर आने लगती है.

अब आप सोच रही होंगी कि किस उम्र से आंखों की खास केयर करने की जरूरत होती है या फिर आंखों के नीचे की स्किन को uva और uvb किरणों से बचाने की जरूरत होती है, जिससे डार्क सर्कल्स की समस्या न आए . तो आपको बता दें कि ये सोचने से बेहतर है कि आप हमेशा ही खास कर सुबह नहाने के बाद चेहरे पर सनस्क्रीन जरूर अप्लाई करें. इससे आप खुद को स्किन एजिंग से बचा पाएंगी. जान लें कि आपकी आंखों के नीचे हमेशा मोइस्चर रहना चाहिए , इसके लिए आप हमेशा लाइट वेट वाली अच्छी क्रीम यूज़ करें. क्योंकि मोइस्चर खत्म होने से स्किन रूखी हो जाती है, जो स्किन एजिंग का कारण बन सकती है.

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कमला हैरिस को उम्मीदवारी के बाद अमेरीका में भी बहने लगी है ‘आईडेंटी पौलिटिक्स’ की हवा

आगामी नवम्बर माह में होने जा रहे अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना है. 11 अगस्त 2020 को बिडेन ने ट्वीट किया, ‘मेरे लिए यह घोषणा करना बहुत सम्मान की बात है कि मैने कमला हैरिस को चुना है. वह एक निडर फाइटर, देश की बेहतरीन जनसेवक हैं.’ अगर चुनावों में 78 साल के बिडेन की जीत होती है तो वे सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति होंगे, जबकि हैरिस की उम्र अभी महज 55 साल है. हैरिस वर्तमान में सीनेट की सदस्य हैं. वे कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी हैं. अमेरिका के इतिहास में अभी तक केवल दो बार कोई महिला उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी हैं. 1984 में डेमोक्रेट गेराल्डिन फेरारो और 2008 में रिपब्लिकन सारा पाॅलिन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से दोनो में से कोई भी उपराष्ट्रपति नहीं बन पायीं.
पहली अश्वेत उम्मीदवार

तेजतर्रार अटार्नी जनरल के रूप में पहचान बनाने वाली कमला हैरिस अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद की पहली अश्वेत उम्मीदवार हैं. उनकी मां का रिश्ता भारत के तमिलनाडु प्रांत से है, करीब 50 साल पहले वह अमरीका में पढ़ाई करने गई थीं, वहीं उन्होंने जमैका के रिचर्ड हैरिस से शादी की. उन दोनो की पहली संतान कमला देवी हैरिस का जन्म 1964 आॅकलैंड कैलिफोर्निया में हुआ. कमला को राजनीति और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संघर्ष की घुटी मां की गोद में मिली है. श्यामला अल्पसंख्यकों के अधिकार की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति भूमिका निभा चुकी हैं. आगामी सात अक्टूबर 2020 को जब उनकी रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माइक पेंस से डिबेट होगी, तब लोगों को विश्वास है कि कमला हैरिस अपने सर्वश्रेष्ठ इंटलेक्चुअल ग्रुप मंे होंगी. क्योंकि मां की तरह वह भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की मुखर प्रवक्ता हैं. गौरतलब है कि यह बहुप्रतीक्षित भिड़ंत ऊटा के साल्ट लेक सिटी में होनी है.

कमला हैरिस की पृष्ठभूमि

जैसा कि हमने ऊपर बताया है, कमला हैरिस की अमेरिका में पहचान एक भारतीय-अमेरिकन के रूप में है. उनकी मां श्यामला गोपालन कैंसर रिसर्चर थीं. कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. आजादी के बाद में वे एक सिविल सर्वेंट बने थे. जबकि कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के हैं. कमला हैरिस ने कहा कि जो बिडेन अमेरिकी लोगों को एकजुट कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी हमारे लिए लड़ने में बिताई है. राष्ट्रपति के तौरपर वह ऐसा अमेरिका बनाएंगे जो हमारे आदर्शों के अनुरूप होगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश की थी. लेकिन प्राइमरी चुनावों में उन्हें जो बिडेन और बर्नी सैंडर्स के आगे करारी हार मिली थी. तब उन्होंने जो बिडेन पर नस्लवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाया था. फिर वो बहुत पीछे रह गईं.

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क्या भारतीय वोट खींच पायेंगी कमला?

वास्तव में जो बिडेन और कमला के बीच कोई बहुत अच्छे रिश्ते नहीं है, फिर भी अगर कमला को जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना रनिंग मेट बनाया है, तो उसके पीछे सिर्फ यह उम्मीद है कि कमला हैरिस अमरीका में महत्वपूर्ण बन चुके भारतीय मूल के वोटरों का वोट खींच पाएंगी. दरसअल इस उम्मीद का आधार यह है कि कमला हैरिस की मां भारतीय और पिता जमैका के होने के चलते उनकी दोनों कम्युनिटी में अच्छी पकड़ है. साथ ही दोनो ही कम्युनिटी के लोगों की उनके साथ सहानुभूमि है. चूंकि इन दिनों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमरीका में श्वेत बनाम अश्वेत का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है, इसलिए माना जा रहा है कि कमला हैरिस की अपील दोनो ही समुदायों में असरकारी होगी. मालूम हो कि कुछ दिनों पहले कमला ने अमरीकी मीडिया में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने खुद के अश्वेत होने पर गर्व जताया था. कमला ने इसके साथ ही अपने लेख में भारतीय संस्कृति की भी तारीफ की थी. उन्होंने सोशल मीडिया में मसाला डोसा बनाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था.

ट्रम्प की बिन मांगी राय

अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने गैर जरूरी हस्तक्षेपों के लिए जाने जाते हैं. अब उन्होंने डेमोक्रेट पार्टी द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस के चुने जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है कि इससे वो हैरान हैं. ट्रंप का कहना है कि हैरिस से ज्यादा मेरे भारतीय समर्थक वोट हैं. लेकिन ट्रंप कुछ भी कहें कमला हैरिस की पहचान भारतीय अमेरिकी और अफ्रीकी अमेरिकी दोनों के तौरपर है. वह अच्छी वक्ता और स्कूलिंग के साथ ही रिसर्चर के तौरपर भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. इसलिए ही बहुत सोच समझकर पांच दूसरे उम्मीदवारों के बीच में जो बिडेन ने उन्हें अपना रनिंग मेट चुना है. हालांकि इसके पीछे कोई बड़ी सैद्धांतिक बात नहीं है. वास्तव में इसके पीछे वही मंशा है, जो मंशा भारत में किसी जाति विशेष के उम्मीदवार को लोकसभा या विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए टिकट दी जाती है.

बस फर्क ये है कि भारत में जहां जाति का हिसाब किताब लगाया जाता है, वहीं अमरीका में समुदाय का हिसाब लगाया गया है. माना जा रहा है और इसे जो बिडेन ने सार्वजनिक तौरपर कहा भी है कि कमला जितनी भारतीय मूल की हैं, उतनी ही अफ्रीकी मूल की भी हैं. इसलिए उन्हें दोनो ही समुदाय के लोग प्यार करते हैं और उन पर भरोसा करते हैं. सवाल है जो बिडेन के इस घोषणा का आशय क्या है? वही कि अमरीका में ताकतवर भारतीय समुदाय उन्हें वोट दे. हाल के सालों में भारतीय मूल के लोगों को अमरीका की दोनो राजनीतिक पार्टियां महत्व दे रही हैं. क्योंकि भारतीय समुदाय आंशिक तौरपर किंगमेकर बन चुका है, सिर्फ अपने वोटों की बदौलत ही नहीं दिये जाने वाले चंदे की बदौलत भी उसने वजन हासिल किया है. एक अनुमान के मुताबिक इन चुनाव में भारतीय समुदाय 30 मिलियन डालर तक का चंदा दे सकता है. यही वजह है कि आज भारतीयों के अमरीका के राजनीति अच्छी खासी महत्ता बन चुकी है.

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अगर आप भी है बारिश के मौसम में अनाज में कीड़े लगने से परेशान तो अपनाये ये टिप्स

मानसून किसे पसंद नहीं होता, चिलचिलाती धूप  के बीच में अगर बारिश की बूंदे पड़  जाए तो मौसम काफी सुहावना हो जाता है और बहुत ही सुकून मिलता है.पर बारिश का मौसम अपने साथ नमी और उमस भी लेकर आता  है. मानसून में संक्रमण का खतरा तो बढ़ता ही है, पर साथ ही साथ इस मौसम में नम वातावरण की वजह से कई बार खाने पीने की कई चीजें जैसे चावल, गेंहू, आटा, मैदा, सूजी,  दलिया, दालें आदि भी खराब हो जाती हैं और उनमें कीड़े (घुन) भी लग जाते हैं.

हालांकि कुछ लोग इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और इनको निकाल कर या चीज़ों  को धोकर इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन ये सही नहीं है.ऐसा करना कई गंभीर बीमारियों को न्योता देने के बराबर है.

तो अगर आप ने भी अपने घर में कोरोना महामारी के कारण इन खाद्य पदार्थों का स्टॉक लगा रखा है तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू उपाय जिन्हें अगर आप समय से अपना लें तो आप अपने खाद्य पदार्थों और अनाजों को घुन लगने से बचा सकते है.

आटा –आटे को सुरक्षित रखने के लिए आप नीम की छोटी और पतली लकड़ियों का इस्तेमाल कर सकते है,  इन्हें आटे के बीच में दबा के रख दे इससे चीटियाँ और घुन आटे  में नहीं लगेंगे.

और अगर आपको नीम की लकड़ियाँ नहीं मिली तो आप उसकी जगह तेज़ पत्ता (bay leaf ) या बड़ी इलाइची का भी इस्तेमाल कर सकते है.इनकी महक बहुत तेज़ होती है, जिसके कारण आटे में कीड़े नहीं लगते है.ये लगभग हर घरों में आसानी से मिल जाती  है.

NOTE: एक चीज़ याद रखें आटे को निकालते समय हमेशा किसी बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.गीले हाथों से आटा नहीं निकालना चाहिए.

दलिया और सूजी –.दलिया और सूजी को कीड़ों  से बचाने का सबसे आसान तरीका यह है की आप इन्हें किसी कढाई या पैन में डालकर सूखा भून (dry roast ) ले, और भूनने के बाद ठंडा हो जाने पर किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दे.इससे इनकी लाइफ और बढ़ जाएगी.

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अगर आप चाहे तो इसमें भूनने के बाद छोटी इलाइची या 8 से 10 लौंग  भी डाल सकती है.इससे इनमे कीड़े नहीं लगेंगे.

NOTE: दलिया और सूजी, इनको अधिक मात्रा में कभी न खरीदें.

मैदा और बेसन मैदा और बेसन सबसे ज्यादा सेंसिटिव होते है और इनमे बहुत जल्दी कीड़े या घुन लग जाते हैं.इन्हें कीड़े लगने से बचाने के लिए ये जरूरी है की ये जिस चीज़ में पैक  होकर आये है, use करने के बाद  उसी में रखकर इसमें बड़ी इलाइची डाल कर किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दे . इन्हें कभी भी बारिश के मौसम में पैकेट से निकालकर किसी डिब्बे में स्टोर न करे वरना इसमें बहुत जल्दी कीड़े या घुन लग जायेंगे.

चावल चावल को नमी और घुन से बचाने के लिए लगभग 10 किलो चावल में 50 ग्राम  पुदीने की पत्तियां डाल दे, इससे चावल में कीड़े नहीं पड़ेंगे.

शहद – शहद को खराब होने से बचाने के लिए इसमें आप 9 से लेकर 10 कालीमिर्च डाल दें.  ऐसा करने से इसमें चीटियाँ नहीं लगेंगी और शहद खराब भी नहीं होगा

चने और दाल- अकसर देखा गया है कि बरसात में चने या दाल में कीड़े  पड़ जाते हैं. इससे बचने के लिए दालों और चने  में सूखी हल्दी और  नीम के पत्‍ते डालकर रख सकते हैं. इससे इनमे कीड़े भी नाही लगते  और किसी तरह का कोई साइड इफैक्‍ट भी नहीं है.

चीनी और नमक

चीनी और नमक बारिश के मौसम में न सिर्फ चिपचिपे हो जाते हैं बल्कि पिघलने भी लगते हैं. इस समस्या से बचने के लिए उन्हें प्लास्टिक या एल्युमीनियम डिब्बे की जगह कांच के डिब्बे में रखें. यह ध्यान रहे  कि डिब्बे एयरटाइट हों. अगर आप चाहे तो इस मौसम में चीनी और नमक के डिब्बे में थोड़ा-सा चावल भी रख दे  ताकि अतिरिक्त नमी को चावल के दाने अच्छी तरह सोंख लें.

मसालों को बचाएं नमी से

बारिश के मौसम में अक्सर मसालों   फंगस और छोटे छोटे घुन पनपने लगते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में मसालों को use  करने के पहले थोड़ी देर भून लें और एयर टाइट कंटेनर में रखें .

NOTE: मसाले निकालने के लिए कभी भी गीली चम्मच का प्रयोग न करें और इन्हें समय समय पर धूप दिखाते रहे.

ध्यान रहे- अगर अनाजों  को कीड़ों से बचाने के लिए आप बाजार में मिलने वाली कीटनाशक दवाओं का इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो इस बात का ध्‍यान रखें कि इस्‍तेमाल से पहले इनको  गुनगुने पानी में अच्‍छी तरह धोया जाए. वरना इसका सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.

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हर ओकेशन के लिए परफेक्ट है एरिका फर्नांडिस के ये साड़ी लुक

सीरियल कसौटी जिंदगी के 2 सीरियल इन दिनों अपने शो की कहानी के बजाय इन दिनों कास्ट को लेकर सुर्खियों में हैं. जहां हाल ही में कोरोना से जंग जीतने के बाद अनुराग यानी शो के लीड एक्टर पार्थ समथान ने शो छोड़ने का फैसला ले लिया था तो वहीं अब प्रेरणा यानी एरिका फर्नांडिस भी शो को अलविदा कहने का मन बना रही हैं. लेकिन आज हम एरिका के शो या पर्सनल लाइफ की नहीं बल्कि उनके फैशन की बात करेंगे. एरिका शो में बेहद खूबसूरत साड़ियां पहने नजर आ चुकी हैं. आज हम आपको उन साड़ियों की झलक दिखाने वाले हैं, जिसे आप फेस्टिवल हो या शादी कहीं भी ट्राय कर सकते हैं.

1. एरिका का ये साड़ी लुक है परफेक्ट

अगर आप किसी आउटिंग में जानें की सोच रही हैं तो एरिका की ये ग्रीन साड़ी के साथ ब्लैक औफस्लीव ब्लाउज एकदम परफेक्ट है. साड़ी का ये सिंपल लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है. अगर आप इस साड़ी को थोड़ा और ट्रेंडी बनाना चाहते हैं तो इसके साथ पर्ल की ज्वैलरी जरूर ट्राय करें. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

 

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2. एरिका का यैलो वाइट की कौम्बिनेशन करें ट्राय

अगर आप कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो एरिका का ये यैलो और वाइट के कौम्बिनेशन वाली ये साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. फ्रिल ब्लाउज के साथ हैवी मौर्डर्न ज्वैलरी आपके लुक के लिए एकदम परफेक्ट रहेगा. साथ ही आपके लुक को फैशनेबल बनाने में मदद करेगा.

3. रफ्फल साड़ी वाला लुक है परफेक्ट

 

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अगर आप साड़ी का कुछ नया लुक ट्राय करना चाहते हैं तो रफ्फल लुक आपके लिए बेस्ट औप्शन है. सिंपल फ्लावर प्रिंटेड साड़ी के साथ रफ्फल फैशन आपके लुक परफेक्ट बनाने का काम करेगा. अगर आप भी फैशनेबल दिखना चाहते हैं तो एरिका की ये साड़ी जरूर ट्राय करें.

4. रफ्फल फैशन के साथ फ्लावर प्रिंटे़ड साड़ी करें ट्राय 

अगर आप भी फ्लावर प्रिंटेड के शौकीन हैं तो एरिका की ये रफ्फल फैशन के साथ फ्लावर प्रिंटे़ड साड़ी जरूर ट्राय करें. ये कम्फरटेबल के साथ ट्रेंडी है, जो आपके लुक के लिए एकदम परफेक्ट रहेगी. साथ ही अगर आपका कलर थोड़ा डस्की है तो ये कलर आपके लिए एकदम परफेक्ट है.

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कैसे निभाएं जब पत्नी ज्यादा कमाए

पत्नी कमाऊ और पति बेरोजगार ऐसे उदाहरण पहले बहुत कम मिलते थे, मगर पिछले 10-12 सालों में ऐसे उदाहरणों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में आपसी तालमेल बैठाना मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि अब कमाऊ बहू को मानसम्मान और अधिकार देने के साथसाथ उस के साथ तालमेल बैठाने की भी शुरुआत की जाए. पति को भी पत्नी से तालमेल बैठा कर चलना चाहिए तभी गृहस्थी की गाड़ी चल सकेगी. मेरठ की रहने वाली नेहा की शादी उस के ही सहपाठी प्रदीप से हुई. शादी के समय से ही दोनों एकसाथ जौब के लिए कई कंपीटिशनों में एकसाथ बैठ रहे थे. मगर प्रदीप किसी भी कंपीटिशन में कामयाब नहीं हुआ, पर नेहा ने एक कंपीटिशन पास कर लिया. वह सरकारी विभाग में औफिसर नियुक्त हो गई. प्रदीप ने इस के बाद भी कई प्रयास किए पर जौब नहीं मिल सकी. इस के बाद उस ने अपना बिजनैस शुरू किया.

शादी के कुछ साल तक दोनों के बीच तालमेल बना रहा पर फिर धीरधीरे आपस में तनाव रहने लगा. नेहा की जो शानशौकत और रुतबा समाज में था वह प्रदीप को खटकने लगा. वह हीनभावना से ग्रस्त रहने लगा. यही हीनभावना उन के बीच दरार डालने लगी. धीरधीरे उन के बीच संबंध बिगड़ने लगे. नतीजा यह हुआ कि 4 साल में ही शादी टूट गई. सर्विस में गैरबराबरी होने से पतिपत्नी के बीच अलगाव के मामले अधिक बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 10 सालों का बदलाव देखें तो पता चलता है कि लड़कों से अधिक लड़कियों ने शिक्षा से ले कर रोजगार तक में अपनी धाक जमाई है. किसी भी परीक्षा के नतीजे देख लें सब से अधिक लड़कियां ही अच्छे नंबरों से पास हो रही हैं.

पहले शादी के बाद लड़कियों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा जाता था. सरकारी नौकरियों में बड़ी सुविधाओं के चलते अब शादी के बाद कोई लड़की अपनी सरकारी नौकरी नहीं छोड़ती. अब उन मामलों में तनाव बढ़ रहा है जहां पत्नी अच्छी सरकारी नौकरी कर रही है पर पति किसी प्राइवेट जौब में है.

बड़ी वजह है सामाजिक बदलाव

पहले बहुत कम मामलों में लड़कियां शादी के बाद जौब करती थीं. अब बहुत कम मामलों में लड़कियां शादी के बाद जौब छोड़ती हैं. इस का सब से बड़ा कारण लोगों की सामाजिक सोच का बदलना है. अब शादी के बाद महिला काम करे इसे ले कर किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. शहरों में रहना, बच्चों को पढ़ाना और सामाजिक रहनसहन के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में पति ही नहीं उस का पूरा परिवार चाहता है कि पत्नी भी जौब करे. केवल सर्विस के मामले में ही नहीं, बिजनैस के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है.

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राहुल प्राइवेट बैंक में काम करता है. उस की सैलरी अच्छी है. बावजूद इस के उस ने अपनी पत्नी को अपनी पसंद का ब्यूटी बिजनैस करने की अनुमति दे दी. राहुल की पत्नी संध्या ने एक ब्यूटीपार्लर की फ्रैंचाइजी ले ली. इस में पैसा तो था ही, साथ ही सामाजिक दायरा भी बढ़ा. अब राहुल से अधिक संध्या को लोग जानने लगे थे. बिजनैस में सफल होने के बाद संध्या की पर्सनैलिटी में भी बहुत बदलाव आ गया. नातेरिश्तेदारी में पहले जो लोग उस के काम का मजाक उड़ाते थे वही अब उस की तारीफ करते नहीं थकते हैं. पति की सैलरी से ज्यादा संध्या अपने यहां काम करने वालों को वेतन देने लगी है. वह कहती है, ‘‘10 साल पहले मैं ने जब इस बिजनैस को शुरू किया था तब घरपरिवार और नातेरिश्तेदार यह सोचते थे कि मैं ने टाइमपास के लिए काम शुरू किया है. कई लोग सोचते थे कि पति के वेतन से मदद ले कर मैं काम कर रही हूं. मगर जब कुछ ही सालों के अंदर मेरे काम की तारीफ होने लगी तो सब को यकीन हो गया.

‘‘अब वही लोग मेरा परिचय देते हुए गर्व से कहते हैं कि मैं उन की बहू हूं. पति भी मजाकमजाक में कह देते हैं कि मेरे से ज्यादा लोग तुम्हें जानते हैं.’’ महिलाएं पहले भी काम करती थीं, पर तब उन के सामने काम करने के अवसर कम थे. उन में खुद पर भरोसा नहीं होता था. समाज का भी पूरा सहयोग नहीं मिलता था. ऐसे में उन में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता था. ज्यादातर संयुक्त परिवार होते थे, जिस से महिला की कमाई पर उस का अधिकार कम ही होता था. मगर अब ऐसा नहीं है. यह बचत किया पैसा महिला में आत्मविश्वास पैदा करता है. इस आत्मविश्वास से ही सही माने में महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है. वे अपने फैसले खुद लेने लगी हैं. इस से उन की अलग पहचान बन रही है.

35 साल की रीना बताती है, ‘‘मुझे केकपेस्ट्री बनाने का शौक बचपन से था. जो भी खाता खूब तारीफ करता था. मैं शादी से पहले प्राइवेट जौब करती थी. शादी के बाद वह छूट गई. कुछ सालों के बाद मैं ने दोबारा अपना काम शुरू करने की योजना बनाई. मेरे पति ने कहा कि जौब कर लो पर मैं ने कहा कि नहीं अब केकपेस्ट्री बनाने का काम करूंगी. पति को यह काम अच्छा नहीं लगा. ‘‘मैं ने मेहनत से काम किया और फिर 3 सालों में ही मेरे बनाए केक शहर के लोगों की पहली पसंद बन गए. मेरे पास अब काफी स्टाफ है. मैं शहर में बिजनैस वूमन बन गई हूं. लोग मेरी खूब तारीफ करते हैं. पति को भी अब लगता है कि मेरा फैसला सही था.’’ इन बदलावों को देखते हुए लड़कियों को पढ़ाने के लिए परिवार पूरी मेहनत करने लगे हैं. 12वीं कक्षा के बाद की पढ़ाई के लिए कालेज, नर्सिंग स्कूल, इंजीनियरिंग कालेज सभी कुछ खुलने लगे हैं. जहां पर स्कूल नहीं हैं वहां की लड़कियां पढ़ाई करने दूर के स्कूलों में जाने लगी हैं. कई मांबाप ऐसे भी हैं जो पढ़ाई के लिए मकान तक बेचने या किराए पर देने लगे हैं. बड़े शहरों में चलने वाली कोचिंग संस्थाओं को देखें तो बात समझी जा सकती है. पढ़ाई और नौकरी के जरीए सही माने में महिलाओं का सशक्तीकरण होने लगा है. यह सच है कि बदलाव की बयार धीरेधीरे बढ़ रही है.

पति को करना होगा समझौता एक समय था जब शादी के बाद केवल लड़कियों को समझौता करना होता था. पत्नी घर में चौकाचूल्हा करती थी और पति नौकरी करता था. अब हालात बदल गए हैं. इस तरह के समझौते अब पतियों को करने पड़ रहे हैं. जब पत्नी से दिनभर नौकरी करने के बाद घर में पहले की तरह काम करने की अपेक्षा की जाती है तो वहां विवाद खड़े होने लगते हैं. इन विवादों से बचने के लिए पति को समझौता करना होगा. उसे पत्नी का हाथ बंटाना चाहिए.

जिन परिवारों में ऐसे बदलाव हो रहे हैं वहां हालात अच्छे हैं. जहां पतिपत्नी आपसी विवाद में उलझ रहे हैं वहां मामले झगड़ों में बदल रहे हैं. पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ रहा है. बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में हाल के कुछ सालों में शिक्षक के रूप में पुरुषों से अधिक महिलाओं को नौकरी मिली है. ऐसे में पति अपनी पत्नी को स्कूल में नौकरी करने जाने के लिए खुद मोटरसाइकिल से छोड़ने जाता है. शहरों में रहने वाली लड़कियां अब सरकारी नौकरी के चक्कर में गावों के स्कूलों में पढ़ाने जा रही हैं. स्कूल का काम खत्म कर के वे शहर वापस आ रही हैं.

पत्नी दोहरी जिम्मेदारी उठाने लगी है. ऐसे में उस का तनाव बढ़ने लगा है. अब अगर पति, परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो विवाद बढ़ जाता है. पहले शादी के समय दहेज ही नहीं, शक्लसूरत को ले कर भी सासससुर कई बार नाकभौंहें सिकोड़ते थे. मगर अब ऐसा नहीं है. लड़की सरकारी नौकरी कर रही है, तो उस में लोग समझौता करने लगे हैं. यही नहीं अब लड़की भी ऐसे ही किसी लड़के के साथ शादी नहीं करती. वह भी देखती है कि लड़का उस के लायक है या नहीं.

कई बार तो शादी तय होने के बाद भी लड़की ने अपनी तरफ से शादी तोड़ने का फैसला किया है. समय के इस बदलाव ने समाज और परिवार में लड़की को अपर हैंड के रूप में स्वीकारना शुरू कर दिया है. यहीं से पतिपत्नी के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो जाती हैं. कानपुर में एक पति ने पत्नी की हत्या कर दी. मामला यह था कि पत्नी विधि विभाग में अधिकारी थी और पति साधारण वकील. पति को लगता था कि पत्नी उस के साथ सही तरह से व्यवहार नहीं कर रही. वह खुद को बड़ा अधिकारी समझती है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दोनों ने अलगअलग रहना शुरू कर दिया. फिर परिवार के दबाव में साथ रहने लगे. मगर यह साथ बहुत दिनों तक नहीं चला. ऐसे में दोनों के बीच तनाव बढ़ा और मसला हत्या तक पहुंच गया. पति फिलहाल जेल में है.

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शिक्षा और स्वास्थ्य में बढ़े अवसर

पहले लड़कियों के लिए केवल नर्स और बैंकिंग के क्षेत्र में ही अवसर थे. पिछले 10-12 सालों में लड़कियों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकारी नौकरियों के बहुत विकल्प आए हैं. इन में कम पढ़ीलिखी महिलाओं से ले कर अधिक शिक्षित महिलाएं तक शामिल हैं. गांवों में जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली ‘आशा बहू’ के रूप में नौकरी मिली, वहीं शहरों में नर्स के रूप में काम करने के बहुत अवसर आए. शिक्षा विभाग में शिक्षा मित्र से ले कर सहायक अध्यापक तक के क्षेत्र में महिलाओं को सब से अधिक जौब्स मिलीं.

शादी से पहले प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का काम लड़कियां पहले भी करती थीं. कई दूसरी तरह की निजी नौकरियां भी करती थीं. शादी के बाद किसी न किसी वजह को ले कर उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता था. सरकारी विभाग में नौकरी पाने वाली महिलाओं को शादी के बाद भी नौकरी छोड़ने के लिए कोई मजबूर नहीं करता है. सरकारी नौकरी में तबादला एक मुश्किल काम होता है. उत्तर प्रदेश में बहुत सारी लड़कियां इस का शिकार हैं. उन की ससुराल और नौकरी वाली जगह में बहुत दूरी है. ऐसे में वे दोनों जगहों को नहीं संभाल पा रही हैं. बड़े पैमाने पर सरकार पर दबाव पड़ रहा है कि लड़कियों को उन की मनचाही जगह तबादला दिया जाए. कई टीचर्स को तो 50 किलोमीटर से ले कर 150 किलोमीटर तक रोज का सफर तय करना पड़ता है.

सरकारी नौकरी में मिलने वाली सुविधाओं के चलते सरकारी नौकरी वाली बहू का मान बढ़ गया है. जरूरत इस बात की है कि पतिपत्नी के बीच तालमेल बना रहे. पतिपत्नी वैवाहिक जीवन के 2 पहिए हैं. ये साथ चलेंगे तो जीवन की गाड़ी तेजी से दौड़ेगी. अगर इन के बीच कोई फर्क होगा तो जीवन सही नहीं चलेगा.

न जानें क्यों: पति को छोड़ मायके आने पर क्या हुआ मानसी के साथ?

Serial Story: न जानें क्यों (भाग- 2)

पहला भाग पढ़ने के लिए- लंबी कहानी: न जानें क्यों भाग- 1

‘‘मैं जानती हूं कि मैं क्या कह रही हूं. भैया को देखो, हर साल अपने बच्चों के जन्मदिन पर कितनी शानदार पार्टी देते हैं. और जब मैं ने राघव से मुसकान की बर्थडे पार्टी देने की बात कही तो उस ने मना कर दिया और गिफ्ट के नाम पर एक अदनी सी साइकिल ला कर मुसकान को पकड़ा दी. मेरे सिर पर राघव के प्यार का ऐसा भूत सवार था कि मैं ने मम्मीपापा, भैयाभाभी किसी की बात नहीं सुनी. एक बार भी नहीं सोचा कि राघव के साथ मेरा क्या भविष्य होगा. मैं अपने बच्चों को कैसा भविष्य दूंगी. अगर उसी वक्त मैं ने इमोशनल हो कर सोचने के बजाय प्रैक्टिकल हो कर सोचा होता तो आज यह नौबत नहीं आती. रुखसाना मुझे लगता है मैं ने राघव से शादी करने में जल्दबाजी कर दी,’’ मानसी ने शून्य में ताकते हुए कहा.

‘‘मानसी, तू अपनी नहीं अपने भाईभाभी की जबान बोल रही है. अगर तुझे यकीन होता कि राघव से शादी करना तेरी गलती थी तो तू मुझ से इस तरह नजरें चुरा कर नहीं, नजरें मिला कर बात करती. क्या तू भूल गई है कि राघव ने तेरे लिए कभी किसी की परवाह नहीं की. हमेशा सिर्फ तेरी खुशियों के बारे में सोचा. अगर राघव को पता चल गया कि तू उस के बारे में…’’ रुखसाना अचानक बीच ही में चुप हो गई.

‘‘बोल न रुखसाना, तू चुप क्यों हो गई?’’ अपनी सहेली के अचानक खामोश हो जाने पर मानसी ने उस की ओर देखते हुए पूछा तो पाया कि रुखसाना एकटक दरवाजे की ओर देख रही थी.

दरवाजे पर राघव खड़ा था. उस की आंखों और चेहरे के भावों को देख कर लग रहा था कि उस ने उन दोनों की सारी बातें सुन ली हैं.

रुखसाना ने आगे बढ़ कर स्थिति संभालने की कोशिश की, ‘‘राघव मेरी बात सुनो…’’

राघव ने हाथ दिखा कर उसे चुप करा दिया, ‘‘रुखसाना यह मेरे और मानसी के बीच की बात है. तुम प्लीज कुछ मत कहो.’’

रुखसाना वहां रुकना तो चाहती थी, मगर उस ने पतिपत्नी के बीच दखल देना ठीक नहीं समझा और चुपचाप अपना पर्स उठा कर वहां से चली गई.

रुखसाना के जाते ही मानसी और राघव के बीच जोरदार झगड़ा हुआ.

मानसी अब खुल कर अपनी बात पर अड़ गई थी कि राघव से शादी करना उस की जिंदगी की सब से बड़ी गलती थी. राघव इस तरह अपना घर टूटतेबिखरते नहीं देखना चाहता था. वह मानसी और मुसकान को अपनी जिंदगी से दूर जाते नहीं देख सकता था.

उस ने शांत हो कर मानसी को समझाने और उस से बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन मानसी उस की बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं थी. मुसकान के स्कूल से आते ही उस ने अपने भैया का नंबर डायल कर के उन्हें खुद को वहां से ले जाने के लिए कह दिया. थोड़ी देर बाद मानसी का भाई उसे लेने आ गया. तब तक वह अपने और मुसकान के कपड़े बैग में रख चुकी थी.

‘‘एक बार फिर सोच लो मानसी, आज अगर तुम यह घर छोड़ कर गई तो मैं कभी तुम्हें मनाने नहीं आऊंगा. फिर रहना जिंदगीभर अपने उसी भाई के घर, जिस के पैसे का घमंड तुम्हारे सिर चढ़ कर बोल रहा है,’’ राघव ने आखिरी बार मानसी को रोकने की कोशिश की.

‘‘फिक्र मत करो राघव, मैं वापस आने के लिए जा भी नहीं रही हूं. तुम्हारे साथ रह कर घुटघुट कर जीने से अच्छा है कि मैं अपने भैया के घर जा कर रहूं,’’ कह कर मानसी ने एक हाथ से अपना बैग उठाया और दूसरे हाथ से रोतीबिलखती मुसकान का हाथ पकड़ कर घर से बाहर निकल गई. कुछ ही पलों के बाद राघव खिड़की के पास खड़ा आंखों से ओझल होती गाड़ी को देख रहा था.

मानसी और मुसकान के घर पहुंचते ही उस के मायके वालों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया. मुसकान घबराई हुई थी, इसलिए मां का आंचल नहीं छोड़ रही थी. मानसी की भाभी शालिनी ने नौकर से कह कर चाय बनवा ली और उस के पास आ कर बैठ गई. मानसी की मां भी वहीं बैठी थीं. उन्होंने उस से एक शब्द भी नहीं कहा था.

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‘‘तुम ने बिल्कुल ठीक किया जो उस राघव का घर छोड़ कर यहां आ गईं. वह तो कभी तुम्हारे लायक था ही नहीं. अगर तुम ने पहले ही हमारी बात सुन ली होती तो आज यह नौबत नहीं आती. मैं अच्छीभली तुम्हारे रिश्ते की बात अपने ममेरे भाई के साथ चला रही थी, मगर तुम्हें पसंद भी आया तो कौन वह राघव जिस की जेब में एक फूटी कौड़ी भी नहीं है,’’ शालिनी ने मुंह बना कर कहा तो मानसी उस से नजरें चुरा कर इधरउधर देखने लगी.

‘‘रहने दो न शालिनी. जो हो गया सो हो गया. अब तो मानसी अपनों के बीच वापस आ गई है न. अब सब ठीक हो जाएगा,’’ नीरज ने पत्नी शालिनी को चुप करा कर बात खत्म कर दी और फिर मानसी की ओर देख कर कहा, ‘‘डौंट वरी मानसी. अब तुम ज्यादा मत सोचो. मुसकान को ले कर अंदर कमरे में जाओ और आराम करो.’’

नौकर पहले ही उन का सामान कमरे में रख आया था. मानसी मुसकान का

हाथ पकड़ कमरे में चली गई. मानसी अपने मायके आ कर खुश थी. भैयाभाभी उन की खातिरदारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. नौकर हर समय उन की सेवा में हाजिर रहते थे. खाने की मेज पर उस की और मुसकान की पसंद के व्यंजन परोसे जा रहे थे. रौकी और रौनी भी बूआबूआ करते उस के आगेपीछे घूम रहे थे. हां, बस मां ही थीं जो उस से अधिक बात नहीं कर रही थीं. वे उस से राघव से शादी करने के बाद से ही कटने लगी थीं, इसलिए मानसी ने उन पर अधिक ध्यान नहीं दिया.

3 दिन के बाद एक रात रुखसाना का फोन आया. वह मानसी और राघव के लिए बेहद चिंतित थी. मानसी ने उसे सारा वृत्तांत कह सुनाया व उसे यह भी बता दिया कि उस ने राघव का घर छोड़ दिया है. वह मुसकान को ले कर अपने मायके आ गई है.

‘‘यह तूने ठीक नहीं किया मानसी. पैसे को ले कर किस मियांबीवी में झगड़े नहीं होते हैं? मगर इस का मतलब यह तो नहीं है कि अपना घर छोड़ कर मायके जा कर बैठ जाओ. तुझे राघव से बात कर के सारा मसला सुलझा लेना चाहिए था. वह तुम दोनों के बिना कितना परेशान हो रहा होगा.’’

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Serial Story: न जानें क्यों (भाग- 3)

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‘‘तू मेरी बैस्ट फ्रैंड है या राघव की? रुखसाना मेरे पास घर छोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. शायद अब राघव की अक्ल ठिकाने आ जाएगी और वह मेरी कद्र करने लगेगा. भैयाभाभी का भी यही कहना है कि मैं ने बिलकुल ठीक किया.’’

‘‘रास्ता ढूंढ़ने से मिलता है मानसी. तूने तो बगैर सोचेसमझे वही किया जो भैयाभाभी ने तुझे करने के लिए कहा. तूने सोचा है कि तू कब तक अपने भैयाभाभी के घर में रहेगी? अभी तो वे तेरे फैसले को सही कह रहे हैं, लेकिन अगर राघव और तेरे बीच जल्दी सुलह न हुई, तो क्या तब भी वे तेरा साथ देंगे?’’

‘‘साथ क्यों नहीं देंगे? वे अब भी तो मेरा साथ दे ही रहे हैं. रुखसाना तुझे यहां आ कर देखना चाहिए भैयाभाभी और उन के दोनों बेटे किस तरह मुझ पर और मुसकान पर जान छिड़कते हैं. इस से ज्यादा मैं उन से और क्या उम्मीद करूं?’’ मानसी ने अपने मायके की तारीफ करते हुए कहा.

‘‘देखेंगे कि यह खातिरदारी और दिखावा कितने दिनों तक चलता है. एक बात याद रखना मानसी, मेहमानों की तरह मायके आई बेटी सब को अच्छी लगती, लेकिन अपना घर छोड़ कर मायके आ कर बैठी बेटी किसी को अच्छी नहीं लगती है. मेरी बात कड़वी बेशक है, मगर सच है. फिर जहां तक तेरा सवाल है, तूने तो शादी भी अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ जा कर की थी. मैं कामना करूंगी कि तुझे सही और गलत के बीच का फर्क जल्दी समझ आए,’’ कह रुखसाना ने मानसी की बात सुने बिना फोन काट दिया.

मानसी को रुखसाना पर गुस्सा आ रहा था. उस ने सोच लिया था कि अगर उसे अकड़ दिखानी है तो दिखाती रहे. अब वह उसे भी फोन नहीं करेगी.

मानसी को अपने मायके आए कई दिन हो गए थे. इतने दिनों में राघव ने एक बार भी उस से मिलने या बात करने की कोशिश नहीं की. उस के मन में कई बार यह खयाल आया कि रुखसाना उसे बेकार में ही डरा रही थी. भैयाभाभी का व्यवहार उस के साथ बहुत अच्छा है.

लेकिन मानसी का यह भ्रम उस दिन टूट गया जब भैयाभाभी के बेटों रौकी

और रौनी ने खेलते समय लड़ाई हो जाने पर मुसकान को धक्का दे दिया और वह 2-3 सीढि़यों से नीचे जा गिरी. मुसकान के चीखने की आवाज सुन कर मानसी वहां पहुंची तो देखा कि मुसकान जमीन पर पड़ी रो रही है और उस के घुटने से काफी खून बह रहा है.

मानसी ने उसे फौरन डाक्टर के यहां ले जा कर उस की मरहमपट्टी करवाई और फिर घर आ कर रौकी और रौनी को डांट दिया. भाभी उस दौरान शौपिंग करने गई हुई थीं. जब भाभी घर आईं तो रौकी और रौनी ने बात को मिर्चमसाला लगा कर कहा कि बूआ ने उन्हें बहुत मारा.

‘‘मानसी… मानसी…’’ भाभी को इस तरह अपना नाम ले कर चिल्लाते सुन कर मानसी फौरन अपने कमरे से बाहर आई. तब तक भैया भी औफिस से घर आ गए थे.

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‘‘क्या हुआ भाभी?’’ मानसी ने पूछा.

‘‘तुम्हारी मेरे बच्चों पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई?’’ भाभी ने गुस्से से पूछा.

मानसी भाभी का लगाया इलजाम सुन कर चौंक गई. बोली, ‘‘भाभी, मैं ने बच्चों पर हाथ नहीं उठाया, उलटे इन्होंने ही मुसकान को धक्का दे कर नीचे गिरा दिया था. उसे बहुत चोट आई है. डाक्टर के यहां ले जा कर पट्टी करानी पड़ी. बस इसीलिए मैं ने बच्चों को डांट दिया था.’’

‘‘तुम कहना क्या चाहती हो कि मेरे बच्चे झूठ बोल रहे हैं? क्या मैं इन्हें झूठ बोलना सिखाती हूं?’’ शालिनी का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था.

‘‘भाभी, मेरा यह मतलब नहीं था. अगर मैं ने बच्चों को गलती करने पर डांट दिया तो क्या गलत किया? क्या मेरा इन पर इतना भी हक नहीं है?’’ मानसी ने नरमाई से अपनी बात रखी.

‘‘नहीं, तुम्हें मेरे बच्चों को डांटने का कोई हक नहीं है. यह इन का घर है, इन के मन में जो आएगा ये वही करेंगे. इन्हें सही और गलत का पाठ पढ़ाने वाली तुम कौन होती हो? एक बात कान खोल कर सुन लो मानसी, अगर तुम्हें और तुम्हारी बेटी को मेरे घर में रहना है तो अपनी हद में रहो. अगर आज के बाद मेरे बच्चों से कुछ भी कहा तो मुझ से बुरा कोई न होगा,’’ भाभी ने मानसी को चेतावनी दी और फिर पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली गई. भैया भी शौपिंग के बैग उठा कर भाभी के पीछेपीछे चल दिए.

मानसी अपने कमरे में आ कर धम्म से बिस्तर पर बैठ गई. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शालिनी भाभी ने उस से किस तरह बात की. भैया वहीं खड़े सारी बातें सुन रहे थे, फिर भी उन्होंने एक बार भी भाभी को उस से इस तरह बात करने से नहीं रोका. रोकना तो दूर किसी ने एक बार यह तक नहीं पूछा कि मुसकान कैसी है.

अगले दिन से घर का माहौल बिलकुल बदल गया था. भाभी और बच्चे मानसी और मुसकान को देख कर भी अनदेखा कर रहे थे. मां तो पहले ही उस से कटीकटी सी रहती थीं. भैया भी बिना कुछ कहे औफिस चले गए. मानसी को चुप रहना ही ठीक लगा. उस ने सोचा कि शायद 1-2 दिन में सब पहले की तरह सामान्य हो जाएगा. लेकिन मानसी की यह गलतफहमी भी जल्दी दूर होने वाली थी.

कुछ ही दिनों के बाद नीरज ने नाश्ते की मेज पर उस से पूछ लिया, ‘‘मानसी, तुम ने क्या सोचा है? अब तुम्हें आगे क्या करना है?’’

‘‘भैया मैं कुछ समझी नहीं?’’

‘‘देखो मानसी, अब तुम राघव और उस के घर को तो छोड़ ही चुकी हो. फिर

बिना वजह अपने नाम के साथ उस का सरनेम जोड़े रखने का क्या फायदा. मैं ने वकील से बात कर ली है. तुम राघव से तलाक ले लो,’’ नीरज ने बड़ी सहजता से कहा.

मानसी को तो जैसे अपने भाई की बात सुन कर करंट लग गया. वह फौरन कुरसी से उठ खड़ी हुई, ‘‘तलाक, भैया यह आप क्या कह रहे हैं?’’

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‘‘इस में इतना हैरान होने वाली क्या बात है मानसी? तुम्हारे भैया ठीक ही तो कह रहे हैं,’’ शालिनी ने अपने पति की बात का समर्थन किया.

‘‘पर भाभी तलाक एक बहुत बड़ा कदम है. मैं ने इस बारे में कभी नहीं सोचा,’’ मानसी ने अपनी बात रखी.

‘‘तो अब सोच लो. वैसे भी इस रिश्ते का कोई मतलब नहीं है. तुम कितने दिनों से राघव का घर छोड़ कर हमारे घर में रह रही हो. ऐसा कब तक चलेगा? राघव से तलाक ले कर ऐलीमनी यानी निर्वाह खर्च लो और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो,’’ शालिनी ने मानसी पर दबाव बनाते हुए कहा. नीरज चुपचाप दोनों की बातें सुनता रहा.

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Serial Story: न जानें क्यों (भाग- 4)

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‘‘मैं इतनी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकती हूं. मुझे सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए,’’ मानसी ने नजरें चुराते हुए कहा और फिर अपने कमरे की ओर जाने लगी. वह तलाक की बात को वहीं खत्म कर देना चाहती थी.

‘‘ठीक है, कुछ दिन सोच लो. फिर हमें अपना फैसला बता देना,’’ नीरज ने कहा.

मानसी अपने कमरे में आ कर खूब रोई. वह राघव को सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन उस ने कभी तलाक के बारे में नहीं सोचा था. भैयाभाभी ने कितनी आसानी से तलाक लेने के लिए कह दिया, उसे राघव पर गुस्सा आने लगा, जिस ने उसे लेने आना तो दूर, एक फोन भी नहीं किया. अगर राघव को अपनी गलती का एहसास हो जाता और वह मानसी से माफी मांग कर उसे घर ले जाता, तो बात इस हद तक बढ़ती ही नहीं. अच्छा हुआ जो उस ने उन से सोचने के लिए समय मांग लिया. अब वह अपने तरीके से उन से तलाक के लिए इनकार कर देगी. फिलहाल तो बात कुछ दिनों के लिए टल ही गई है.

उस दिन के बाद भैयाभाभी ने मानसी से तलाक का जिक्र नहीं किया. भैया अपने औफिस के कामों में व्यस्त रहे और भाभी को अपनी शौपिंग, किट्टी पार्टी व ब्यूटीपार्लर से फुरसत नहीं थी. मानसी को लगा शायद वे दोनों समझ गए होंगे कि मानसी राघव से तलाक नहीं लेना चाहती है. इसलिए उस ने भी इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा.

एक सुबह तीनों बच्चों के स्कूल जाने के बाद मानसी अपने कमरे में बैठी मैगजीन के पन्ने पलट रही थी. तभी शालिनी ने उसे आवाज दे कर बाहर आने के लिए कहा.

मानसी बाहर आई तो देखा लिविंगरूम में शालिनी भाभी अपने ममेरे भाई कौशिक के साथ बैठी थीं. यह वही कौशिक था, जिस के साथ भाभी कभी उस की शादी करवाना चाहती थीं. मानसी उस के गर्ममिजाज और बुरी आदतों से अच्छी तरह वाकिफ थी. वह उसे बिलकुल पसंद नहीं करती थी. लेकिन अब जब उन का सामना हो ही गया है तो वह कर भी क्या सकती है. जब शालिनी ने उसे वहां बैठने के लिए कहा तो उस ने कौशिक से औपचारिकतावश नमस्ते की और उन के पास बैठ गई.

शालिनी ने उन दोनों को बातें करने के लिए कहा और खुद काम का बहाना बना कर वहां से उठ कर चली गई. कौशिक मानसी को ऊपर से नीचे तक निहारने लगा. मानसी उस के सामने बहुत ही असहज महसूस कर रही थी. उस ने अपना पूरा ध्यान मेज पर रखे फूलदान पर केंद्रित कर दिया.

‘‘दीदी बता रही थीं कि तुम आजकल अपने पति का घर छोड़ कर यहीं

रह रही हो. अब आगे क्या करने का इरादा है?’’ कौशिक ने मानसी को इस प्रकार देखते हुए पूछा मानो उस का आंकलन कर रहा हो.

मानसी कुछ कह पाती उस से पहले ही शालिनी वहां आ गई और मानसी की ओर से कौशिक को उत्तर देने लगीं, ‘‘करना क्या है, सब से पहले तो उस राघव को इस की जिंदगी से बाहर निकालना है. इस के भैया ने तो वकील से बात कर के उसे तलाक के पेपर्स तैयार करने के लिए भी कह दिया है.’’

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मानसी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया. उसे लगा कि भैयाभाभी समझ गए होंगे कि वह राघव से तलाक नहीं लेना चाहती है. लेकिन वे तो वकील से तलाक के कागजात तैयार करवा रहे हैं.

उस ने अपने जज्बातों पर काबू करते हुए कहा, ‘‘लेकिन भाभी मैं ने तो इस बारे में अभी कुछ सोचा ही नहीं है. मैं ने भैया से कहा भी था कि मुझे फैसला लेने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.’’

‘‘और कितना वक्त चाहिए? तुम पहले भी राघव से शादी करने का गलत फैसला ले कर अपनी जिंदगी बरबाद कर चुकी हो. तुम्हारी वजह से हमें भी लोगों की कितनी बातें सुननी पड़ीं. अब तुम्हें उस से तलाक ले कर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करने का मौका मिल रहा है, तो उस मौके को अपने हाथ से क्यों गंवाना चाहती हो?

वैसे भी तुम अपनी मरजी से ही राघव का घर छोड़ कर हमारे यहां रह रही हो. न वह तुम्हें लेने आया और न ही तुम्हारा वापस जाने का कोई इरादा है. जब तुम और राघव साथ रहना ही नहीं चाहते हो तो बेकार में इस रिश्ते का बोझ क्यों ढोना? तलाक लो और बात को खत्म करो,’’ शालिनी ने मानसी से दोटूक शब्दों में कहा.

‘‘भाभी, यहां बात सिर्फ मेरी और राघव की नहीं है. हमें कोई भी फैसला लेने से पहले मुसकान के बारे में भी सोचना होगा,’’ मानसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा.

‘‘मुसकान के बारे में तुम क्यों सोचोगी? वह राघव की जिम्मेदारी है. उस के बारे में जो भी सोचना होगा राघव सोचेगा. वैसे भी तलाक के बाद मुसकान उसी के साथ तो रहने वाली है,’’ शालिनी ने सहजतापूर्वक कहा.

‘‘क्या? भाभी यह आप क्या कह रही हो? मुसकान मेरी बेटी है. मैं उसे खुद से अलग करने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं. मैं मुसकान के बिना मर जाऊंगी,’’ मानसी शालिनी की बात सुन कर बौखला गई.

‘‘वाह, यह वैसे ही न जैसे तुम राघव के बिना जी नहीं सकती थीं. मानसी यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. तुम्हें राघव से तलाक ले कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है. मुसकान तुम्हारे साथ रहेगी तो तुम्हें मूव औन करने में दिक्कत आएगी. कौन पति अपनी पत्नी की पहली शादी से पैदा हुई बेटी को पालना चाहेगा,’’ शालिनी ने नाटकीय ढंग से आंखें घुमाते हुए कहा.

‘‘दूसरी शादी? आप और भैया मेरी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं?’’

‘‘हां, इसीलिए तो कौशिक यहां आया है.’’

‘‘मुझे यकीन नहीं आ रहा है कि आप और भैया मेरी पीठ पीछे इतना कुछ कर रहे हैं.’’

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‘‘इस में इतनी हैरानी वाली क्या बात है? राघव से तलाक के बाद तुम्हें किसी न किसी से दूसरी शादी तो करनी ही है, तो कौशिक क्यों नहीं? मैं ने कौशिक से बात भी कर ली है. इसे तुम से शादी करने में कोई प्रौब्लम नहीं है.’’

‘‘प्रौब्लम माई फुट. न तो मैं राघव से तलाक लूंगी और न ही आप के भाई से शादी करूंगी,’’ मानसी ने 1-1 शब्द पर जोर देते हुए शालिनी को अपना फैसला सुना दिया और अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया.

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