Serial Story: शादी ही भली (भाग-1)

मोबाइल की रिंगटोन सुन कर मान्या की नींद खुली. उस ने उनींदी सी आंखों से देखा, मां का फोन था.

‘‘हैलो मां,’’ मान्या फोन उठा कर नींद भरे स्वर में बोली.

‘‘क्या बात है मान्या बेटा, तुम्हारी आवाज भारीभारी क्यों लग रही है? क्या तबीयत ठीक नहीं है?’’ मां का चिंतित स्वर सुनाई दिया.

‘‘नहीं मां. मैं सो रही थी. आप ने इतनी सुबह क्यों फोन किया?’’ मान्या खीज कर बोली.

‘‘सुबहसुबह?’’ मां के स्वर में आश्चर्य था, ‘‘अरे, 9 बज रहे हैं.’’

‘‘ओह मां तो क्या हुआ आज छुट्टी है. एक ही दिन तो मिलता है सोने के लिए बाकी के 6 दिन तो सुबह से ले कर रात तक भागतेदौड़ते बीतते हैं. अच्छा आप बताओ फोन क्यों किया?’’

‘‘तुम्हारे लिए तुम्हारी दीदी की जेठानी के भाई का रिश्ता आया है. उन लोगों को तुम्हारा फोटो पसंद आया है. लड़का भी बहुत अच्छा है मान्या और देखाभाला परिवार है. न इस बार कोई मीनमेख निकालना और न ही फुजूल के बहाने बनाना. बस जल्दी औफिस में छुट्टी की अर्जी दे और जल्द से जल्द घर आ जा. तुम दोनों एकदूसरे को आमनेसामने देख लो और अपनी रजामंदी दे दो. हम बड़ों की ओर से तो बात पक्की ही है. लड़का जयपुर में रहता है. वहां तुम्हें भी आराम से नौकरी मिल जाएगी,’’ मां खुशी में एक ही सांस में पूरी बात कह गईं.

‘‘आप ने फिर मेरी शादी का पुराण शुरू कर दिया. मां, मैं ने कितनी बार कहा है कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है,’’ मान्या खीज कर बोली.

‘‘2 महीने बाद 27 साल की हो जाओगी… और कब तक शादी नहीं करोगी? पहले पढ़ाई, फिर कैरियर अब और क्या बहाना बचा है? 1-2 साल और शादी नहीं की तो कुंआरे लड़कों के रिश्ते आने बंद हो जाएंगे. फिर तो तलाकशुदा या विधुर अधेड़ों के ही रिश्ते आएंगे,’’ मां गुस्से से भुनभुनाईं.

‘‘ठीक है मां 2-4 दिन में सोच कर बताती हूं,’’ मान्या ने हथियार डालते हुए कहा.

‘‘जल्द ही बताना मान्या. वे तुम्हारी दीदी के आचरण से इतने प्रभावित हैं कि तुम्हें ही अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं और साल, 6 महीने तक रुकने में भी उन्हें ऐतराज नहीं है इसलिए मैं चाहूंगी कि तुम बेवजह की अपनी जिद छोड़ दो,’’ मां के स्वर में आदेश था.

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‘‘ठीक है मां जैसा आप कहो,’’ मान्या ने टालने वाले स्वर में कहा और फोन काट दिया.

10 बज रहे थ. अब दोबारा क्या नींद आएगी… मान्या ने बगल में सो रहे परम की ओर देखा. परम रात में परम संतुष्ट हो कर अब तक गहरी नींद में बेसुध पड़ा था. मान्या ने उस के घुंघराले बालों में हाथ फेरा और फिर फ्रैश होने के लिए बाथरूम में चली गई.

हाथमुंह धो कर मान्या ने अपने लिए चाय बनाई और फिर चाय का कप ले कर गैलरी में आ कर बैठ गई. नीचे बिल्डिंग के बच्चे खेल रहे थे. लोग अपनेअपने काम से बिल्डिंग के अंदरबाहर आ जा रहे थे. 6 महीने हो गए मान्या और परम को इस बिल्डिंग में आए. अब तक उन की किसी से खास जानपहचान नहीं हुई थी. सामने वाले फ्लैट में रहने वाले 1-2 लोगों से बस हायहैलो थी. इस से अधिक पहचान बढ़ाने में न तो परम को दिलचस्पी थी और न ही मान्या को. बगल वाला एक फ्लैट अभी खाली था.

4 साल हो गए थे, परम और मान्या की मुलाकात हुए. मान्या की एक फ्रैंड के घर में गैटटुगैदर के लिए सारे दोस्त आए हुए थे. वहीं पर मान्या और परम की आपस में पहचान हुई थी. तब परम 6 महीने पहले से जौब कर रहा था और मान्या का इंजीनियरिंग का आखिरी सैम बचा था. पहली ही मुलाकात में परम और मान्या आपस में काफी घुलमिल गए. इस के बाद दोस्तों की पार्टियों में मुलाकातें होती रहीं. फिर फोन पर बातें शुरू हो गईं. बातें करते हुए दोनों कब एकदूसरे को पसंद करने लगे, पता ही नहीं चला. दोनों अकसर मिलने लगे. जब पढ़ाई पूरी करने के बाद मान्या को जौब मिली तब तक दोनों का प्यार पूरी तरह परवान चढ़ चुका था.

मान्या को भी मुंबई में ही जौब मिल गई. मान्या के मातापिता उस की पढ़ाई पूरी होते ही उस की शादी कर देने के पक्ष में थे. उन का कहना था कि जहां भी उस की शादी होगी वह अपने लिए नौकरी भी वहीं ढूंढ़ ले. जैसाकि उस की दीदी ने किया था. मान्या की बड़ी बहन ने एमबीए पूरा किया ही था कि उस के लिए अच्छा रिश्ता आ गया. मातापिता ने फटाफट उस की शादी कर दी. कुछ दिन ससुराल में ऐडजस्ट होने के बाद दीदी ने उसी शहर में नौकरी जौइन कर ली. आज दीदी जौब भी करती है और अपना घरपरिवार भी संभालती है. ससुराल में सभी उस से बेहद खुश हैं. मान्या के मातापिता चाहते थे कि मान्या भी अपनी बड़ी बहन का अनुसरण करे.

मगर मान्या थोड़े अलग विचारों वाली लड़की थी. उसे अपनी आजादी बेहद पसंद थी. वह ससुराल और रिश्तों के बंधन में बंधना पसंद नहीं करती थी. उसे सुबह से रात तक घर, परिवार, पति, बच्चों के बंधन में जकड़े रहना पसंद नहीं था.

तभी तो साल भर परम के साथ घूमतेफिरते और एकदूसरे के विचारों को जानने के बाद दोनों ने लिव इन रिलेशनशिप में साथसाथ रहने का फैसला किया. पहले मान्या ने मातापिता को जैसेतैसे राजी कर लिया कि उस की शादी की इतनी जल्दी न करें. अभी उसे जौब करने दें. बड़ी मुश्किल से मान्या के मातापिता राजी हुए. तभी मान्या और परम ने मिल कर यह फ्लैट लिया और एकसाथ रहने लगे. इस बीच 2 बार मान्या के मातापिता उस के साथ रहने के लिए मुंबई आए. तब मान्या अपना सामान ले कर अपनी सहेली के रूम में रहने चली गई. उस के मातापिता को यही पता था कि मान्या अपनी सहेली के साथ रहती है.

परम के घर से भी जब कोई आता तो वह भी अपने दोस्त के पास चला जाता. अपने फ्लैट का पता उन दोनों ने ही अपने घर वालों को नहीं दिया था, क्योंकि अगर दोनों में से किसी के भी घर से कोई इस फ्लैट पर आ जाता तो वे दोनों छिपाने की चाहे जितनी कोशिश करते घर वालों की अनुभवी नजरें ताड़ ही लेतीं कि इस फ्लैट में लड़कालड़की साथ रहते हैं. तब घर वालों को कुछ भी समझा पाना मुश्किल होता. खासतौर पर मान्या के लिए. मान्या के मातापिता उस की जौब छुड़वा कर वापस ले जाते.

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मान्या ने चाय का कप मेज पर रखा. परम अभी उठा नहीं था. जब से मान्या और परम साथ रह रहे थे यह उन का तीसरा घर था. कुछ ही महीनों बाद पता नहीं कैसे आसपास रहने वाले लोगों को पता चल जाता कि दोनों बिना शादी किए साथ रह रहे हैं और बस सोसाइटी में कानाफूसी शुरू हो जाती. पिछली वाली सोसाइटी के अध्यक्ष ने तो साफसाफ मुंह पर बोल दिया था कि हम बालबच्चेदार और इज्जतदार लोग हैं, यहां ये पश्चिम के रंगढंग नहीं चलेंगे.

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हुंडई क्रेटा में है कुछ खास फंक्शन, घर बैठे ले सकते हैं लोकेशन का मजा

न्यू हुंडई क्रेटा में  कुछ ऐसा दिया गया है जो आपकी यात्रा को और भी ज्यादा आसान बनाता है. हुंडई क्रेटा में इकोसिस्टम – BlueLink  फंक्शन दिया गया है. जिसे आप अपने स्मार्टफोन या फिर स्मार्टवॉच के साथ कनेक्ट कर सकते हैं. आप चाहे तो इसमें आवाज भी सेट कर सकते हैं. जिससे आपको कार के बारे में पता चलता रहेगा. यह BlueLink क्रेटा के ड्राइविंग को आसान बनाता है.

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इसकी मदद से आज अपने कार को बंद या स्टार्ट कर सकते हैं. साथ ही आप अपने कार के अंदर मौजूद एयर प्यूरीफायर को भी ऑन ऑफ कर सकते हैं. यहां तक की आप कार के अंदर मौजूद सनरूफ को भी घर बैठे मैनेज कर सकते हैं. आप जब चाहे अपनी कार की लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं कि किस लोकेशन पर आपकी कार मौजूद है. इसके अलावा और भी कई सुविधाएं इस ब्लू लिंक में दी गई है जिसका आप लाभ उठा सकते हैं. इसलिए इसे कहा गया है #RechargeWithCreta.

गैंग रेप के शिकार पुरूष के दर्द को बयां करती फिल्म ‘‘376 डी’

ओटीटी प्लेटफार्म ‘शेमारू मी बाक्स आफिस’ निरंतर अलग हटकर मनोरंजक फिल्में अपने दर्शकों के लिए परोसता आ रहा है. अब वह नौ अक्टूबर को एक मार्मिक कहानी वाली फिल्म‘‘376 डी’’लेकर आ रहा है. जो भारतीय न्यायपालिका में कुछ चमकती खामियों को उजागर करती है.

धारा ‘‘376 डी’’धारा गैंग रेप की भयावहता से संबंधित है. फिल्म ‘‘376 डी’’ भी ऐसे यौन उत्पीड़न पर चर्चा करती है, जो इससे पहले न सुनी और न ही परदे पर देखा गया है. यह फिल्म दिल्ली के उन दो सगे भाईयों की व्यथा का वर्णन करती हैं, जिनका एक दिन गैंग रेप हो जाता है. और वह न्याय के लिए न्यायपालिका संग कठिन लड़ाई का सामना करते हैं. क्योकि अदालत में पहुंचने के बाद उन्हे पता चलता है कि वह जिस अपराध के श्किार हुए हैं, उसको लेकर कोई कानून नही है. उन्हें जो न्याय मिलना चाहिए, वह नर्वस ड्रैकिंग कोर्टरूम ड्रामा के रूप में मिलता है. इस फिल्म को ‘‘खजुराहो फिल्मोत्सव’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जबरदस्त सराहना मिल चुकी है.

यूं तो रेप को लेकर नब्बे के दशक में फिल्म‘‘दामिनी’’से लेकर अब तक ‘पिंक’सहित कई फिल्में आ चुकी हैं, जिन्हे दर्शकों ने काफी पसंद भी किया. इन फिल्मों में यौन अपराध के कानूनी पहलुओं का चित्रण है. लेकिन फिल्म ‘‘ 376 डी’’की विषय वस्तु दर्शकों के दृष्टिकोण को चुनौती देनेवाला है. इस फिल्म में दर्शक को लिंग के बारे में कुछ असुविधाजनक सत्य का सामना करना पड़ता है. जी हां!यह फिल्म थोड़ी लीक से हटकर है. इसमें रेप की शिकार कोई महिला नहीं, बल्कि एक पुरुष है.

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फिल्म ‘‘376 डी’’में संजू का किरदार निभा रहे अभिनेता विवेक कुमार कहते हैं-‘‘जो कलाकार थिएटर से आते हैं, उनके लिए एक फिल्म का हिस्सा बनना सबसे बड़ा उपहार है. यह उपहार मुझे इस फिल्म ने दिया. इसमें एक अभिनेता के रूप में मेरे लिए काफी गुंजाइश है. एक कलाकार हमेशा ऐसी अनोखी भूमिकाओं के लिए तरसता है जिसमें परिपक्वता और गहराई होती है. मैनें अभिनय का कोई पेशेवर प्रशिक्षण नही लिया है. ऐसे में इस फिल्म ने मेरी अभिनय प्रतिभा को निखारने में काफी मदद की. फिल्म‘376 डी’ एक ईमानदार, कठोर आघात करने के साथ महत्वपूर्ण संदेश देती है. ’’

गुजराती सिनेमा की चर्चित अदाकारा दीक्षा जोशी ने इस फिल्म में अहम किरदार निभाया है. वह कहती हैं-‘‘जब आप विभिन्न पात्रों को चित्रित करते हैं, तो एक कलाकार के रूप में यह हमेशा संतोषजनक अनुभव होता है. इसमें मेरी भूमिका एक साधारण लेकिन आधुनिक महिला की है, जो एक समान साथी है. जेंडर और साहित्य की छात्रा होने के कारण मैंने इस फिल्म की विषयवस्तु की बारीकियों को समझा. संवेदनशील और मानवीय कहानी के साथ सहानुभूति वाली कहानी है. यह एक बड़े मुद्दे पर खुलकर बात करती है. धारा 376 डी एक बहुत ही संवेदनशील फिल्म है. यह एक अदालत का ड्रामा है, जो एक ऐसे मामले को सामने लाता है, जो एक ऐसे कानून से संबंधित है, जो अस्तित्व में नहीं है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोहरत बटोरने के बाद अब फिल्म‘‘376 डी’’ भारत की पसंदीदा स्ट्रीमिंग सेवा ‘शेमारूमी बॉक्स’पर आ रही है. मुझे यकीन है कि दर्शक हमारी फिल्म को उतना ही पसंद करेंगे, जितना हमने मेहनत की है. ’’

फिल्म को यथार्थ परक बनाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय के डिफेंस वकील सुमित सिंह सिकरवार ने ही इस फिल्म में सरकारी वकील केशव आनंद का किरदार निभाया है. वह कहते हैं-‘‘वास्तविक जीवन में वकील से लेकर परदे पर वकील बनने तक की एक अद्भुत यात्रा रही है. एकमात्र विडंबना यह है कि मैं पेशे से एक डिफेंस वकील हूं, लेकिन फिल्म में मैं विपरीत पक्ष का वकील बना हूं. ’’

वकील की भूमिका निभाने वाली प्रियंका शर्मा कहती हैं-‘‘मैं इसकी स्क्रिप्ट से बहुत प्रभावित हुई. दूसरी बात जब हम कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर किरदार निभाते हैं, तो एक अलग अनुभव होता है. बड़ी चुनौती होती है और काफी कुछ सीखने को मिलता है. सच कहूं तो मैं अपराधी को बचाने वाली वकील हूं, जिससे में निजी जीवन में सहमत नही हूं. मेरी राय में हर अपराधी को सजा मिलनी चाहिए. ”

फिल्म ‘‘ 376 डी’’की महिला निर्देशक गुनवीन कौर कहती हैं- ‘‘शुरुआत में हम महिला के साथ बलात्कार के मुद्दे पर ही फिल्म बनाने की सोच रहे थे. लेकिन जब हमने इस विषय पर शोधकार्य किया, तो हम चकित रह गए. हमने पाया कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुषों के साथ भी बलात्कार के कई मामले हो चुके हैं, जिनको लेकर हम जागरूक नहीं हैं. तब हमने तय किया कि पीड़ित पुरुष को लेकर फिल्म बननी चाहिए. हम अपी इस फिल्म के माध्यम से कहना चाहते है कि बलात्कार सदैव बुरा है, फिर चाहे वह औरत के साथ हो या पुरूष के साथ. इस जघन्य अपराध व दुष्कर्म का प्रभाव हर इंसान पर एक ही तरह का होता है. यह फिल्म पीड़ित इंसान की भावुक यात्रा के साथ कोर्ट रूम ड्रामा है, जो दर्शकों को बांधकर रखेगा. ‘‘’

वहीं इस फिल्म की निर्देशकीय जोड़ी के पुरूष निर्देशक रोबिन सिकरवार कहते हैं-अमरीका व इंग्लैंड में पुरूषों के संग बलात्कार की घटनाएं काफी होती हैं. जब किसी पुरूष के साथ ऐसा होता है, तो वह आंतरिक से रूप से बहुत संघर्ष करता है. हमारी फिल्म ‘376 डी’संदेशपरक व्यावसायिक फिल्म है. विषयवस्तु के साथ न्याय करने के लिए हमने नामचीन कलाकारों की बजाय नवोदित कलाकारों को फिल्म से जोड़ा. ‘‘

गुनवीन कौर और रॉबिन सिकरवार निर्देशित फिल्म‘‘ 376 डी’’ 9 अक्टूबर को ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘शेमारू मी बाक्स आफिस’ पर आएगी. इसे अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं-विवेक कुमार, दीक्षा जोशी, सुमित सिंह सिकरवार और प्रियंका शर्मा.

Good News: इस पंजाबी मुंडे संग दिल्ली में शादी करेंगी नेहा कक्कड़, जानें कौन है वो

गाने से लेकर पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली नेहा कक्कड़ जल्द ही शादी करने वाली हैं. लेकिन खास बात यह है कि उनके दूल्हे आदित्या नारायण नही बल्कि कोई और हैं. दरअसल, ब्रेकअप के बाद नेहा कक्कड़ पंजाबी मुड़े को दिल दे बैठी हैं, जिनके साथ वह शादी करने का मन बना चुकी हैं. आइए आपको बताते हैं कौन है वो शख्स…

शहनाज के शो में आ चुके हैं नजर

नेहा संग शादी रचाने जा रहे रोहनप्रीत सिंह एक पंजाबी सिंगर हैं, जो कई रियलिटी शो में नजर आ चुके हैं, जिनमें ‘राइजिंग स्टार 2’ ‘मुझसे शादी करोगे’ और 2007 में रोहनप्रीत ने सारेगामापा लिटिल चैंप्स में भाग ले चुके हैं.

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इस दिन रचाएंगी शादी

 

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Shukar Hai Mere Rabba! ♥️👼🏻🙏🏼😇

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बौलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ 24 अक्टूबर को रोहनप्रीत सिंह संग दिल्ली में शादी करने वाली हैं, जिसमें बेहद प्राइवेट सेरेमनी के चलते दोनों की फैमिली, चुनिंदा रिश्तेदार और क्लोज फ्रेंड्स ही शामिल होंगे. हालांकि अभी तक दोनों की तरफ से इस खबर को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि सामने नहीं आई है. लेकिन सोशलमीडिया पर इस खबर से नेहा और रोहनप्रीत के फैंस काफी खुश हैं और दोनों को बधाईयां दे रहे हैं.

आदित्य नारायण संग भी जुड़ चुका है नाम

 

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#TaaronKeShehar 😍😅 @jaani777 🙌🏼 @jubin_nautiyal 👏🏼 #ReelItFeelIt

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खबरों की मानें तो रोहन और नेहा की पहली मुलाकात डायमंड दा छल्ला के सेट पर हुई थी, जिसके बाद दोनों की दोस्ती हुई और बाद में यह प्यार में बदल गई. हालांकि इससे पहले नेहा कक्कड़ का नाम सिंगर आदित्य नारायण के साथ जोड़ा जा रहा था, जिसके चलते दोनों की शादी की अफवाहें भी उड़ी थी, हालांकि ये एक शो के रियलिटी स्टंट साबित हुआ था.

बता दें, नेहा कई बौलीवुड सौंग्स में अपनी आवाज दे चुकी हैं और वह सोशलमीडिया पर काफी पौपुलर भी हैं.

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एंकर की नकल करने पर नाराज हुए लोग, सोशलमीडिया पर ट्रेंड हुआ #BoycottKapilSharmaShow

कौमेडियन कपिल शर्मा पर्सनल हो या प्रौफेशनल आए दिन सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इस बार उनका शो सोशलमीडिया पर छा गया है. बीत दिनों जहां महाभारत के भीष्म पितामह उर्फ मुकेश खन्ना ने कपिल शर्मा के शो वाहियात बताया था. तो वहीं अब ट्विटर पर #BoycottKapilSharmaShow काफी सुर्खियां बटोर रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है वजह…

एंकर की नकल करना पड़ा भारी

दरअसल, पिछले कुछ दिनों ‘द कपिल शर्मा शो’ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें कीकू शारदा देश के मशहूर एंकर अरनब गोस्वामी की नकल करते नजर आ रहे हैं. वहीं इस वीडियो में कीकू शारदा अरनब की नकल करते हुए कह कह रहे हैं कि मुझे जग दो, मुझे जग दो.

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लोगों ने लगाई क्लास

वायरल हुआ वीडियो जिस एपिसोड का है इसमें मनोज बाजपेयी और अनुभव सिंहा गेस्ट के तौर पर आए थे. वहीं ड्रग्स मामले को लेकर बनाए गए इस सीन के कारण लोगों ने इस शो को बायकॉट करने का मन बना लिया है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर #BoycottKapilSharmaShow का ट्रैंड चल रहा है.

सलमान खान का नाम भी हुआ शामिल

बौयकौट की मांग करने वाले लोगों का कहना है कि कपिल शर्मा शो को अपने इस सीन के लिए मांफी मांगना चाहिए. वहीं कुछ लोग इस मामले में सलमान खान का नाम भी उछाल रहे हैं. दरअसल, लोगों का कहना है कि इस शो के प्रौड्यूसर सलमान खान हैं, जिसके चलते जानबूझकर एंकर अरनब गोस्वामी के न्यूज चैनल को टारगेट कर रहे हैं.

बता दें, इससे पहले मुकेश खन्ना ने शो में हिस्सा ना लेने की वजह बताते हुए शो को वाहियात और बेकार कहा था, जिसके बाद से लोग इस शो को बंद करना की मांग कर रहे थे.

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कैमरे के लैंस के पीछे से झांकतीं पुरुषवादी नजरें

पुरुषवादी समाज ने कभी महिला को देह से हट कर सोचा ही नहीं. पुरुषवादी सोच या तो महिलादेह की शुद्धता पर केंद्रित रही या उसे भूखे भेड़िए की तरह नोचने के लिए हवस भरती रही. जब ऊंचाई पर महिला पहुंचती, उसे स्वीकार करने से पुरुषसत्ता हमेशा बचती रही. यह पुरुषसत्ता स्त्री को स्वतंत्रता का भ्रम दे कर, उस की देह को केंद्र में रख कर, उस की हमेशा दोयम हैसियत को ही सुनिश्चित करती रही.

मैं यूट्यूब पर सफरिंग कर रहा था. कंगना-रिया मामले को ले कर वीडियो चलाई ही थी कि कुछ दूसरी वीडियोज स्क्रीन पर दिखने लगीं.  इन विडियोज को ‘ऊप्स मोमैंट’ के नाम से यूट्यूब में जाना जाता है. ऊप्स मोमैंट यानी शर्मसार पल, अथवा पब्लिक (औनएयर) के सामने ऐसी घटना हो जाना जिस का अंदेशा व्यक्ति को न हो और जिस के कारण व्यक्ति को शर्मसार होना पड़े.

वह कहते हैं न, ‘आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास’, मेरे साथ भी कुछ यों ही हुआ. मेरा सारा ध्यान कंगना-रिया से हट कर इन वीडियो पर जा अटका. सोचा, जरा देखें तो, अब चर्चित अभिनेत्रियों ने ऐसी क्या गलती कर दी कि उस के लिए उन्हें शर्मिंदा होना पड़ रहा है.

वीडियो खोलते ही, तथाकथित ऊप्स मोमैंट की शिकार कई अभिनेत्रियां दिख गईं. अभिनेत्री परिणीती चोपड़ा के बारे में दिखाया गया कि एक इवैंट के मौके पर उन्होंने अपने वस्त्रों के भीतर ब्रा नहीं पहनी थी, उन्हें इसी बात पर ट्रोल किया गया. अब यह भी कोई बात हुई, ब्रा पहनना किसी महिला के लिए कितना आवश्यक है यह तो वही महिला बेहतर समझ सकती है जिसे पहनना है. लेकिन कैमरे का एंगल शौट जरूर लैंस के पीछे की सोच बता रहा था.

उधर, एक फिल्म के प्रचार के दौरान इवैंट में आईं आलिया भट्ट को जब वरुण धवन अपने हाथों से ऊपर उठाते हैं तो उन की कुरती ऊपर की तरफ खिंच जाती है, जिस कारण उन की सलवार के भीतर से उन के अंडरवियर की आकृति दिखाई देने लगती है. इस क्लिप को कोई भी व्यक्ति एक नजर देख आराम से इस घटना को इग्नोर कर सकता है. लेकिन नहीं, ऐसा होने थोड़े देना है. कैमरे के पीछे से झांकती मर्दवादी आंखें जानबूझ कर इस 2 सैकंड के पल को पौज कर अभिनेत्री के गुप्तांग को फ़ोकस में लाते हुए ढोलनगाड़े बजाने लगती हैं.

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वहीं, एक अभिनेत्री अपनी फिल्म के प्रचार को ले कर जब इवैंट में पहुंचती है  तो हवा के कारण उस की स्कर्ट हलकी सी ऊपर उठने लगती है. जैसे ही स्कर्ट ऊपर उठती है, अभिनेत्री की अंडरगारमेंट दिखने लगती है. कैमरे का लैंस तो मानो इसी के इंतजार में ही तैनात था कि कब हवा चले और महिला की दोनों टांगों के बीच का रहस्य जनता तक पहुंचाया जाए.

ये कोई दोचार वीडियो क्लिप्स की बात नहीं, बल्कि इस तरह की वीडियो क्लिप्स की यूट्यूब पर भरमार है जहां महिला के गुप्तांगों को कैमरे के लैंस से खासतौर पर कैप्चर किया जाता है. इस तरह की वीडियो क्लिप्स को करोड़ों लाइक मिलते हैं. कुछ महीने पहले प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस एक इवैंट में गए थे जहां प्रियंका चोपड़ा ने ऐसी ड्रैस पहनी थी जिस पर विदेश में तो वाहवाही हुई लेकिन भारत में प्रियंका का काफी मजाक बनाया गया. और इसे ऊप्स मोमैंट में भी दर्ज कर दिया गया.

इसी प्रकार, किसी इवैंट में करीना कपूर के ब्लाउज के हुक पर सेफ्टीपिन लगी होने को शर्मिंदगी बताया गया. लगभग न्यूज चैनलों में एक घंटे का स्पैशल शो इसी को ले कर पेश किया गया. समस्या इस पर शो करने को ले कर नहीं, बल्कि एक पिन को भी ऊप्स मोमेंट बताने को ले कर है. आमतौर पर सामान्य घरों की महिलाएं अपने ब्लाउज में इस तरह की पिन लगा कर रखती हैं ताकि कपड़े के कटनेफटने की स्थिति में इस से काम चलाया जा सके. गांवदेहातों में तो महिलाएं नंगेपैर या टूटीफूटी चप्पलों में जंगलों में घास काटने या लकड़ी बिनने जाती हैं, तो पांव में यदाकदा कांटा चुभने का डर लगा रहता है. उस दौरान यही पिन उस कांटे को निकालने के काम आया करती है. इस तौर पर समझा जा सकता है कि यह पिन अपने साथ रखना महिलाओं के लिए  कितना स्वाभाविक है.

यूट्यूब पर लगभग सभी अभिनेत्रियों को ले कर इस तरह की वीडियो पर देखी जा सकती है कि जब उन के झुकनेभर से उन के क्लीवेज, कपड़ों की फिटिंग, शारीरिक बनावट, ठोकर खाने, या दारु सिगरेट पीने की आम घटनाओं को ऊप्स मोमैंट बता विशेषतौर पर कैप्चर किया जाता है.

एक बार लगा, चूंकि ये  महिलाएं ग्लैमर जगत की चर्चित हस्तियां हैं, सो हो सकता है इन के कपड़ों और शरीर को ले कर कैमरा-लैंस खास तरह से व्यवहार करता होगा, लेकिन मेरा यह सोचना गलत था. कुछ और वीडियोज देखने पर पता चला कि उन सब सफल महिलाओं, जो अपने कैरियर की सीढ़ियां चढ़ रही हैं या चढ़ चुकी हैं, को किसी खास एंगल से शूट करने की जद्दोजहद में पुरुषवादी कैमरा लगा रहता है. यह न सिर्फ सिनेमा जगत, बल्कि स्पोर्ट्स, मीडिया, पोलिटिक्स, फैशन आदि व अन्य क्षेत्रों में जहां भी महिलाएं सफल दिखती हैं वहां उन को पुरुषसोच के अनुकूल रहने का पाठ पढ़ाया जाता है. अगर कोई महिला उस सोच के इर्दगिर्द जरा सी भी भटकती है, तो उसे ऊप्स मोमैंट या शर्मिंदगी वाला क्षण बता दिया जाता है.

‘पुरुष ऊप्स मोमैंट’ में भी महिलादेह केंद्र में

ऊप्स मोमैंट के मसले पर फिर सोचा कि जरा यह देखा जाए कि कैमरा लैंस में सिर्फ महिला देह की चुराई प्राइवेट फुटेज ही ऊप्स मोमैंट का हिस्सा बनती हैं या पुरुष की भी? इसे जांचने के लिए यूट्यूब के सर्चबार पर विशेषकर ‘मेल ऊप्स मोमैंट’ टाइप किया, तो इन में अधिकतर 2 तरह की क्लिप्स देखने को मिलीं. पहली, ऐसी क्लिप्स जिन में पुरुष ‘स्लिप औफ़ टंग’, फिसलतेगिरते या ठोकर खाते दिखाई दिए. दूसरी, ऐसी क्लिप्स जिन में पुरुष महिला के गुप्तांगों को जानेअनजाने छूते व निहारते पाए गए.

हैरानी वाली बात यह है कि पुरुष ऊप्स मोमैंट में दूसरी तरह की क्लिप्स की अधिक भरमार थी. जैसे, विश्व में सब से चर्चित खेल फुटबौल में एक खिलाड़ी गलती से महिला रेफरी के ब्रैस्ट पर हाथ मार देता है, या खेलने के दौरान महिला पर गिर पड़ता है, इतनी सामान्य घटना को शर्मिंदगी का हिस्सा बना दिया जाता है. हैरानी वाली बात यह भी है कि पुरुषों के इस ऊप्स मोमैंट में एक तो मर्दवादी एहसास दिखाया जाता है, दूसरे, इन क्लिप्स में भी महिला की देह ही केंद्र में रहती है.

मीडिया कैमरे के लैंस से झांकतीं पुरुषवादी नजरें

ऐसा नहीं है कि ऐसी क्लिप्स की भरमार सिर्फ यूट्यूब में है, बल्कि तमाम मीडिया संस्थानों की वैबसाइटों में ये खासतौर पर दिखाई जाने वाली चीज हैं. सभी मीडिया संस्थान बाजार के दर्शन से संचालित होते हुए अपने पाठकों या दर्शकों को सिर्फ पुरुष मानते हुए ऐसे प्रसंगों का आयोजन करते रहते हैं  जिन में स्त्री को मात्र देह के तौर पर पेश करते हुए पुरुष यौनिकता को संतुष्ट किया जाता है.

महिलाओं के खिलाफ यह सांस्कृतिक हमला चहुं दिशाओं से होता है. इस पर मीडिया संस्थानों द्वारा यह होड़ भी लगी होती है कि महिला की देह को कितना ग्लैमर कर दिखाया जा सकता है, कैसे किसी सैलिब्रिटी का प्राइवेट क्लोजअप लिया जाए जो उन के दर्शकों में  उत्सुकता पैदा कर सके और अखबार की खरीदारी या चैनल की व्यूअरशिप/टीआरपी बढ़ा सके.

एक घटना कुछ सालों पहले घटी थी, जिस में दीपिका पादुकोण की क्लीवेज को ले कर टाइम्स औफ़ इंडिया के साथ काफी हंगामा बरप गया था. यह ऐसी बहस थी जो कई दिनों तक सुर्ख़ियों में रही थी. बौलीवुड के नामी अभिनेता-अभिनेत्रियों ने इस पर अपना स्टैंड रखा. वहीँ, टाइम्स औफ़ इंडिया ने इस पर पलटवार किया था. जिस में अखबार का कहना था कि वे (दीपिका) इस तरह की फोटोज पहले भी खिंचवाती रही हैं, जिस पर बहस बनाना उन का पाखंड दिखाता है. वहीँ, दीपिका का मानना था कि यह पूरी तरह उन पर ही निर्भर करता है कि कैसी फोटो वे खिंचवाना चाहती है, केसी नहीं. ऐसे में यह भी देखने को मिला है कि कुछ गिनीचुनी हस्तियां जानबूझ कर मशहूर होने के लिए ‘सस्ते ऊप्स मोमैंट’ का तरीका भी अपनाती हैं.

हांलाकि, यह मसला सहमति और असहमति के बिंदु पर टिक जाता है. यहां मामला ऐसे मोमैंट का है, जिस में बिना सहमति के ऐसी फोटो कट करना, जानबूझ कर उन के देह को प्रदर्शित करने को ले कर है. किसी साधारण इवैंट में भी उन के ब्लूपर्स या गलतियां ढूंढने को ले कर है, जिसे खासतौर पर ‘शोविंग एसेट्स’ के अभियान का हिस्सा बनाया जा सके.

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‘मेल गेज’ से समझें

1975 में पहली बार ब्रिटिश फिल्म सिद्धांतकार, लौरा मुल्वे, ने ‘मेल गेज’ के बारे में अपने ‘विजुअल प्लेजर एंड नरेटिव सिनेमा’ लेख में इस के बारे में लिखा था. ‘मेल गेज’ का हिंदी अनुवाद होता है, ‘पुरुष टकटकी.’ उन्होंने अपने आर्टिकल के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि सिनेमा के कैमरों के पीछे  पुरुष आंखें होती हैं, जो महिलाओं को औब्जेक्टिफाई करती हैं. वहीँ, वे महिलाओं को देखने का पुरुषों के भीतर कामुक नजरिया पेश करती हैं. ‘मेल गेज’ में महिलाएं वस्तु के तौर पर दिखाई देती हैं. इस दौरान महिला की इच्छा, भावना, विचार और उस की खुद की सैक्सुअल डिजायर भी पुरुष की इच्छा के अनुरूप नियंत्रित होती है.

मुल्वे लिखती हैं, “महिलाओं को सिनेमा में ‘टू बी लुक एट नैस’ के तौर पर रखा जाता है. यानी, महिला वह ‘तमाशा’ होती है, जिसे पुरुष देखता है.” यानी, जब महिला को सिनेमा के पुरुष कलाकार द्वारा सिर से ले कर पांव तक निहारा जाता है, तब वह मात्र पुरुष कलाकार नहीं निहार रहा होता, बल्कि वे तमाम दर्शक भी निहार रहे होते हैं जो उस सिनेमा को देख रहे होते हैं. यह उन की किसी महिला को ले कर चल रही फैंटेसी का चित्रण दिखाता है.

खुद महिलाएं, जो सिनेमा में काम कर रही होती हैं, भी अपने भीतर ‘मेल गेज’ को आत्मसात कर लेती हैं. उन्हें भी एक तरह से अपने फिजिकल और फेशियल एक्सप्रैशन से खुद को  मेल गेज के अनुरूप एक्ट करना ढलवाया जाता है. उन्हें यह आभास होने लगता है कि अगर कोई पुरुष आंख से उन्हें निहार रहा है तो इस के सहीगलत पहलुओं में उन्हें किस अनुरूप खुद को व्यवस्थित करना है.

मुल्वे ने अपने आर्टिकल में लिखा है, “मेल गेज के 3 दृष्टिकोण होते हैं. पहला,  कैमरे के पीछे का पुरुष होता है. दूसरा, स्क्रीन में दिख रहा पुरुष होता है. और तीसरा, वे पुरुष जो दर्शक होते हैं.” इसे साधारण तौर से समझा जाए तो इस का अर्थ है कि जो भी कंटैंट हम कंज्यूम करते हैं, उसे पुरुष द्वारा पुरुष के लिए बनाया जाता है. भारतीय हिंदी सिनेमा में इसी प्रकार का अधिकाधिक ‘मेल गेज’ दिखता रहा है. 1980-2010 के बीच यह बहुत ही बढ़ता गया, जिस में महिला के प्राइवेट पार्ट पर विशेष पुरुषवादी कैमरा अधिकाधिक जोर देने लगा. इसी क्रम में इस तरह का सिनेमा टौलीवुड के बाद भोजपुरी में अधिकाधिक दिखने में मिल जाता है.

महिला किस प्रकार चलेगी, किस प्रकार बैठेगी, उस का खड़े होने का क्या पोस्चर होगा, उस के हाथों के क्या इशारे होंगे, वह खुद को निहारे जाने को किस प्रकार लेगी आदि सब चीजें उसे ‘मेल गेज’ के नजरिए से प्राप्त होंगी. जैसे, मैट्रो में सफर करने के दौरान महिला और पुरुष के बैठने के पोस्चर में भारी अंतर होता है. पुरुष टांग फैला कर या टांगें खोल कर बैठ सकता है मगर महिला इस तरह नहीं बैठ सकती. उसे पुरुष की उत्तेजक नजरों का एहसास है. उसे बैठते हुए अपनी दोनों टांगों को चिपका कर बैठना पड़ता है. उसे खुद के शरीर को अधिक से अधिक सिकोड़ना पड़ता है. वहीँ, पुरुषवादी सिनेमा ने महिलाओं के विशेष अंग को अधिकाधिक सैक्सुअलाइज करने की भरपूर कोशिश की. किस अंग पर कितना फ़ोकस किया जाना है, किसे रहने देना है, यह दुनिया के तमाम सिनेमा जगत में देखने को मिल जाता है.

समाज पर नकारात्मक प्रभाव

कैमरे के पीछे का पुरुषवादी नजरिया न सिर्फ रील लाइफ में होता है बल्कि रियल लाइफ में भी होता है. ऊप्स मोमैंट वाली फुटेज इस का एक बड़ा उदाहरण है जहां सिनेमा सैलिब्रिटी, स्पोर्टसपर्सन, नेता, मौडल, महिला बिजनैसवीमेन सब इन कैमरों के रडार पर होते हैं. कैमरे उस मोमैंट का इंतज़ार कर रहे होते हैं जब किसी महिला से औनएयर अनचाही घटना घट जाए और यह घटना ‘ऊप्स मोमैंट’ बता दर्शकों की मर्दवादी ठसक को भुनाने के काम आ सके.

सवाल यह है कि ऊप्स मोमैंट का सांस्कृतिक आक्रमण क्या सिर्फ सम्बंधित महिला पर ही होता है? जवाब है नहीं, बल्कि यह सभी दर्शक महिलाओं को भी अपनी आगोश में ले लेता है. यह उन सभी महिलाओं को सजग करता है कि उन्हें उन की देह को ले कर विशेषतौर पर सजग रहना है. उन के लिए उन की देह ही सर्वोपरि है जिस की उन्हें रक्षा करनी है. उस की प्यूरिटी को बनाए रखना है. दुनिया की नजरें महिला की की देह पर हैं. अगर यह लुट गई तो महिला कहीं की नहीं रहेगी. जब करीना को मात्र उन के ब्लाउज पर लगे पिन के कारण शर्मिंदा होना पड़ा है, तो आप की क्या मजाल?

ये चीजें उस हर महिला के व्यवहार को सिकोड़ती हैं जो दर्शकमहिला है. फिर वह एक महिला होने के नाते बैठने, चलने, उठने, बात करने, यहां तक कि सोते हुए एक विशेष पोस्चर में सोने के नौर्म सैट करने लगती है. वह टीशर्ट के भीतर ब्रा पहनने को अतिआवश्यक मानने लगती है, ब्लाउज के ऊपर से हलकी उधड़ी सिलाई को भी दैहिक शर्मिंदगी का हिस्सा मानने लग जाती है. टौप के भीतर से ब्रा की दिखती स्ट्रिप्स पर पड़ती समाज की नजरों को अपनी देह पर आक्रमण समझने लगती है. पैरोंहाथों में उभरे बालों को शर्म या सामाजिक तिरस्कार मानने लगती है आदिआदि. इस कारण, वह खुद को पुरुषवादी सोच की आदर्श महिला के तौर पर संतुलित करने लगती है.

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आकर्षित करते हैं पुरुषों के लम्बे बाल

खासतौर पर लड़कियों का. लड़कों की पर्सनैलिटी उनके हेयरस्टाइल पर डिपैंड करती है क्योंकि लोगों की नजर सबसे पहले उनके बालों पर ही जाकर टिकती है. वो जमाना अब गया जब लड़के सिर्फ एक कॉमन सा साइड पार्टिशन वाला हेयरस्टाइल ही अपनाते थे. अब तो लड़कों के लिए भी इतने हेयरस्टाइल आ गए हैं कि वह अपनी पर्सनेलिटी और पसंद के हिसाब से कोई भी फैशनेबल हेयरस्टाइल चूज कर सकते हैं.

विद्युत् जामवाल के खुले-खुले, उलझे-उलझे, जंगली लम्बे बालों पर हज़ारों लडकियां फ़िदा हैं. ऋतिक रोशन और शाहरुख खान की वो छोटी सी चुटिया लड़कियों को खूब लुभाती है. महेंद्र सिंह धोनी के कन्धों पर गिरते बालों पर तो हसीनाएं सब कुछ वारने को तैयार रहती थीं. पाश्चात्य फिल्मों के ज़्यादातर हीरो लम्बे बालों और दाढ़ी में ज़्यादा सेक्सी और मैस्कुलिन नज़र आते हैं. अधिकतर दार्शनिक, वैज्ञानिक, प्रोफेसर आपको लम्बे बालों वाले मिलेंगे. बाल जैसे उनके व्यक्तित्व को एक गंभीरता प्रदान करते से लगते हैं. लम्बे बालों वाले पुरुष निश्चित ही दूसरों से कुछ हट कर दिखते हैं. उनके चेहरे पर निगाहें टंग जाती हैं. पुरुषों के चेहरे पर लम्बे बालों का अपना ही एक आकर्षण होता है जो अनायास ही लोगों की दृष्टी उनकी ओर खींचता है. लम्बे बालों वाले पुरुषों को देख कर दिल सोचता है कि कुछ तो इस आदमी में ज़रूर है जो इसे दूसरों से अलग करता है. वो ‘कुछ’ है उसकी सोच, आत्मविश्वास और क्रिएटिविटी, जो उसको लीक से हट कर चलने, पुराने ढर्रे तोड़ने, कुछ अलग करने और उसके आत्मविश्वास को दर्शाती है. हर मर्द में ऐसी हिम्मत नहीं होती कि उसके घर-समाज में ज़माने से चले आ रहे रीति-रिवाज़ों, परम्पराओं, बड़ों की सीख, दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर के अपने लुक को अपनी सोच के अनुरूप बना सके. बचपन से ही पिता द्वारा नाई की दुकान पर ले जा कर बेटे के बाल कान से ऊपर तक मुंडवा देना, गर्दन तक बाल पहुंचे नहीं कि स्कूल में टीचर्स से डांट खाना, किशोरावस्था में लम्बे बालों पर पड़ोसी आंटियों का माँ पर चलता व्यंगबाण – कि बहनजी, आपका लड़का तो आवारा हो गया है, बाल देखो कैसे बढ़ा रखे हैं, इसके लक्षण अच्छे नहीं दीखते, लगाम लगाओ इस पर, यही कुछ सुनते हुए लड़के बड़े होते हैं. हर कदम पर यही समझाया जाता है कि शरीफ वही है जिसके बाल कायदे से कान के ऊपर तक कटे हुए होते हैं. ऐसे समाज में जब कुछ लोग लम्बे बालों में नज़र आते हैं तो सबसे पहले उनकी हिम्मत को दाद मिलती है. उनको लोग मुड़-मुड़ कर देखते हैं. वे सबके आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. खासतौर पर लड़कियों के.

जी हाँ, लम्बे बालों वाले पुरुषों की ओर महिलायें ज़्यादा आकर्षित होती हैं, भले ‘लोग क्या कहेंगे’ वाला ख्याल उन्हें अपनी भावनाये प्रकट करने से रोके और वो उन्हें अपना बॉयफ्रेंड या जीवनसाथी जल्दी से ना बना पाएं, लेकिन दिल तो उन लम्बे बालों में ही उलझ कर रह जाता है. भारतीय समाज में लड़कों में छोटे बाल ही रखने का चलन है. समाज के बने बनाये इस ढर्रे को तोड़ने वालों की खुल कर तारीफ़ करने में अक्सर लड़कियां भी खुद को कमजोर महसूस करती हैं, इसलिए जब शादी की बात आती है तो वो सलीके से कटे हुए छोटे बालो वाले मर्द को स्वीकृति देती हैं, लेकिन सच पूछिए तो लम्बे बालों वाले पुरुष ज़्यादा आकर्षक, रोमांटिक, नशीले और सेक्सी लगते हैं.

आमतौर पर लड़कियों की तरह लड़कों को भी अपने लंबे और घने बाल पसंद होते हैं. कम बालों वाले या टकले सिर वाले पुरुषों से पूछिए बाल खोने का ग़म क्या होता है. इस मुद्दे पर तो बाकायदा एक फिल्म भी बन चुकी है – बाला, जिसमे अभिनेता आयुष्मान खुराना अपने टकले सिर को लेकर हीन भावना से ग्रस्त रहता है और घने वालों वाला विग लगाता है. पिछले काफी समय से लंबी दाढ़ी मूंछ के साथ ही लंबे बाल भी ट्रेंड में है. लम्बे बालों के लिए हेयर स्टाइल की भी कमी नहीं है. अपने प्रोफेशन, व्यक्तित्व और चाहत के अनुसार ऐसे तमाम हेयर स्टाइल्स हैं जो लड़कों को आकर्षक, नीरव, सुरुचिपूर्ण, बदमाश, रचनात्मक और क्या-क्या दिखा सकती हैं. इन स्टाइलस को बस थोड़े से रखरखाव की जरूरत होती है. लंबे बालों को संवारने के लिए थोड़ा धैर्य की जरूरत भी होती है. इसके अलावा शैंपू और कंडीशनर का भी इस्तेमाल करना होता है. लम्बे और हेल्दी बालों के लिए समय-समय पर ऑयलिंग, ट्रिमिंग, शैंपू और कंडीशनिंग जरूरी होता है. यानी लम्बे बालों वाले पुरुष खुद पर दूसरे कम बालों वाले पुरुष से ज़्यादा वक़्त देते हैं. लम्बे घने वालों वाले लड़के न सिर्फ अपने बालों की नियमित शैम्पू-कंडीशनिंग करते हैं बल्कि वे बालों को कलर भी कराते हैं. कुछ तो मैन बन यानी जूडा रखने के भी शौकीन होते हैं. इससे उनका लुक काफी अलग नजर आता है. आइये देखें कि लम्बे बालों के लिए कौन कौन से स्टाइल चलन में हैं, जो आपके लुक को किलर बना सकते हैं.

लहराता साइड पार्टिंग

यह हेयर स्टाइल उन पुरुषों के लिए है जो सरलता पसंद करते हैं. अपने लहराते बालों को एक किनारे पर रखें और उन्हें छोटे बालों की तरह ही कंघी करें.

पतले, लंबे साइड पार्टिंग

हैरी पॉटर में कुछ पात्रों की याद ताजा करता हुआ, यह स्टाइल ऐलिगैंट और आसान है. बस एक अच्छे एंटी फ्रिज़ उत्पाद का उपयोग करें.

स्मूद साइड पार्टेड हेयर

जिन लड़कों के बाल रेशमी होते हैं, उनके लिए यह एक आसान हेयर स्टाइल है. एक तरफ का हिस्सा ऐसा है कि एक तरफ के बाल दूसरे की तुलना में घने लगते हैं. आप चाहें तो इसके साथ दाढ़ी भी रख सकते हैं.

छोटी चोटी

कंघी करें और अपने बालों को बाँध लें. यह एक साफ-सुथरा लुक है जिसे हेयर जेल के उपयोग की आवश्यकता होती है.

मैन बन

एक और लोकप्रिय हेयर स्टाइल, अपने बालों को ढीला रखें और उन्हें एक जूडे का लुक देते हुए बाँध लें. हल्की दाढ़ी के साथ, यह स्टाइल पुरुषों पर बहुत अच्छा लगता है.

ढीली चोटी

एक रफ-टफ सज्जन का लुक देता है बालों को चोटी में गूंथ कर रखना. यह लम्बे मस्कुलर लोगों को खूब सूट करता है.

लंबे पीछे कंघी किए हुए बाल

यह एक ऐलिगैंट स्टाइल है जो पुरुष को एक मैच्योर रूप देता है. बालों को बनाए रखने के लिए बस कुछ हेयर जेल का उपयोग करना होता है.

लॉन्ग साइड फ्रिंज

यदि आप अपने चेहरे के दाईं ओर बाल सहन कर सकते हैं – तो यह लुक आपके लिए है.

पोम्पाडोर

एक सज्जन के रूप में, आप एक पोम्पाडोर और कुछ लंबाई के साथ यह सरल हेयर स्टाइल रख सकते हैं. यह स्टाइल हालांकि कुछ रख-रखाव चाहती है.

ढीले लंबे लहराते बाल

कम रखरखाव लुक के लिए, अपने बालों को ढीला और खुला छोड़ दें. बालों को घुंघराला या बहुत ज्यादा उड़ने से बचाने के लिए आप थोड़े से हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं.

लंबी गीली लहरें

आपके बाल इस तरह लंबे हैं या नहीं, अच्छी स्टाइलिंग और निश्चित रूप से कुछ गीले ऑयली और चेहरे पर गिरते हुए बाल आपको सैक्सी लुक देंगे.

बैक स्लिक्स

जेसन मामो उर्फ खल ड्रोगो की सिग्नेचर स्टाइल आपको एक लेजेंड जैसा बना देती है. यह हेयर स्टाइल उन पुरुषों के लिए है, जो इसे सरल रखना पसंद करते हैं, जिसमें मोटी लहरें होती हैं जो उंगलियों से पीछे की जा सकती हैं.

ड्रैडलौक्स

जो पूरी तरह से अलग कुछ करना चाहते हैं, उनके लिए ड्रेडलॉक एक बॉब मार्ले से प्रेरित लुक है जो अभी तक फैशन से बाहर नहीं हुआ है.

टाइट कर्ली फ्रिंज

एक युवा लुक के लिए, बस एक झालरदार स्टाइल की तरह लेकिन थोड़ा करीबी फ्रिंज कट.

हाई फेडेड साइड्स और स्लिक लॉन्ग टॉप

पीछे खींचने के लिए बीच में कुछ लंबाई छोड़ दें और पक्षों के चारों ओर एक उच्च फीका कट दें. बालों को टिकाए रखने के लिए हेयर जेल का उपयोग करें.

ध्यान रखने योग्य बातें

लड़कियों की तरह लड़कों के बाल बहुत तेजी से नहीं बढ़ते हैं. इसलिए लड़कों को लगभग एक साल का इंतजार करना पड़ता है. बाल लम्बे होने पर थोड़ी उलझन भी महसूस होने लगती है. बालों को सवारने में थोड़ा वक़्त भी ज़्यादा लगता है लेकिन एक बार जब आपके बालों को कोई स्टाइल मिल जाता है फिर सब आसान और नया नया सा लगने लगता है. अगर आप भी लीक से हट कर अपने बालों को बढ़ाने की सोच रहे हैं तो पहले से ही लेंथ और हेयरस्टाइल जैसी चीजें डिसाइड कर लें. इसके साथ ही कुछ और बातों का भी ध्यान रखें.

ग्रूमिंग है जरूरी

लंबे बाल रखने वाले पुरुषों को कई तरह की दिक्कतें होती हैं. खासतौर से तब जब बाल जरूरत से बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं. अपने बालों की ग्रूमिंग के लिए समय-समय पर ऑयल मसाज और ट्रिमिंग कराते रहना चाहिए. इसके अलावा शैंपू और कंडीशनर का भी इस्तेमाल करना चाहिए. इससे बाल हेल्दी होते हैं और बेवजह की समस्याएं नहीं होती हैं.

बालों की लेंथ डिसाइड कर लें

बालों को बढ़ाने से पहले अपने हेयर की लेंथ डिसाइड कर लें. अगर आप किसी की कॉपी कर रहे हैं या किसी कारण से लंबे बाल रख रहे हैं, तो आपको इसके मेंटेनेंस का भी ध्यान रखना चाहिए. बालों की उचित देखभाल के लिए बालों को आवश्यकता से अधिक न बढ़ने दें.

आपके फेस पर लम्बे बाल सूट करते हैं या नहीं

लम्बे बाल हर किसी के चेहरे पर अच्छे नहीं लगते. यदि लम्बे बालों वाली कोई खास हेयर स्टाइल आपके चेहरे पर सूट करती है, तो अच्छी बात है. अन्यथा बिना वजह लम्बे बाल न रखें. इनकी देखभाल करने में थोड़ी परेशानी तो होती है.

मेंटेनेंस है जरूरी

अगर आपको लम्बे बाल रखना का शौक है, तो यह ध्यान रखें कि बालों के रखरखाव के लिए आपको पर्याप्त समय देना होगा. हेल्दी बालों के लिए समय पर ऑयलिंग, ट्रिमिंग, शैंपू और कंडीशनिंग जरूरी होती है. आपको इन्हें अपने हेयर केयर रूटीन में शामिल करना पड़ सकता है.

करेले के इन फायदों के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे आप

सब्जियों की दुनिया में करेला स्वास्थ्यप्रद सब्जियों में से एक है.पर हममे से कई ऐसे लोग है जो करेले का नाम सुनते ही नाक मुंह सिकोड़ने लगते है और इसके कडवापन के कारन इसे खाना पसंद नहीं करते.पर क्या आप जानते है की किसी की भी फ़ूड लिस्ट में सबसे नीचे रहने वाला करेला हमारे स्वास्थय के लिए कितना फायदेमंद है.  जी हां, करेले के कई ऐसे फायदे होते हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे. तो चलिए जानते है करेले के फायदों के बारे में-

करेला विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर होता है. करेला में पोटेशियम, फोलेट, जिंक और आयरन जैसे खनिज भी मौजूद होते हैं. करेला से एंटीऑक्सीडेंट जैसे कैटेचिन, गैलिक एसिड, एपेप्टिन और क्लोरोजेनिक एसिड प्राप्त होते हैं, जो हमें कई बीमारियों से मुक्त रखने में मदद करते हैं.

1-डायबिटीज को करे कंट्रोल-

करेले में एंटी डायबिटिक्स प्रॉपर्टीज पायी जाती है जिसके कारन करेला मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है और इसका ये स्वास्थ्य लाभ पूरे देश में प्रचलित भी है. करेले में चरन्तीं ,विसीने , पॉलीपेप्टाइड-पी नामक तीन सक्रिय यौगिक होते हैं जो प्राकृतिक तरीके से डायबिटीज को कंट्रोल करते हैं.

2- कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कारगर-

करेले में फायटो-नुट्रिएंट्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते है जो आपके शरीर में उपस्थित हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते है. इससे हार्ट अटैक का रिस्क और स्ट्रोक की संभावना कम हो जाती है.

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3-त्वचा और बालों के लिए भी है फायदेमंद-

करेला एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन ए और सी से भरपूर होता है, जो त्वचा के लिए अच्छा होता है. यह हमारी त्वचा की चमक को बढ़ता है और मुंहासे की समस्या को भी दूर करता है. यह दाद, सोरायसिस और खुजली जैसे विभिन्न त्वचा संक्रमणों के इलाज में भी काफी कारगर है. करेला का रस बालों में चमक लाता है और रूसी, बालों का झड़ना आदि समस्याओं से निजात दिलाता है.

4- वजन कम करने में सहायक-

करेले में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. इससे यह ब्लड में शुगर की मात्रा नियंत्रित करके कैलोरी को कम करता है.इसमें पानी भी बहुत प्रचुर मात्रा में होता है ,जिसके कारन आपको भूख कम लगती है और आप ओवरईटिंग से बच जाते है.इसलिए अगर आप करेले को अपनी डाइट में शामिल करते है तो आपको वजन कम करने में सहायता मिलेगी.

5-लीवर क्लींजर

करेले में हिपेटिक गुण पाए जाते हैं जो लिवर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. यह लिवर के फंक्शन में सुधार लाता है और ब्लड को purify करने में मदद करता है. यह लिवर में से detox प्रदार्थों को बहार निकालने में भी सक्षम है.  और ये तो हम सभी जानते है की लिवर के सुचारू रूप से काम करने पर मोटापा, हृदय रोग, थकान, सिर दर्द, पाचन समस्याओं, पीलिया एवं अन्य रोगों के होने का खतरा कम हो जाता है.

6-हीलिंग एजेंट के रूप में भी कारगर-

करेला में हीलिंग गुण होते हैं. यह रक्त के प्रवाह और रक्त के थक्के को नियंत्रित करता है जो घावों को जल्दी भरने और संक्रमण में कमी लाने में मदद करता है.

ध्यान रहे-

जो कुछ भी स्वस्थ कहा जाता है, उससे जुड़ी नकारात्मक बातें भी होती हैं. करेले का सेवन आपके लिए अच्छा है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है-

1-करेले के जूस में मोमोकैरिन नामक तत्व होता है जो पीरियड्स के फ्लो को बढ़ा देता है.

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2- कई बार इसके अधिक सेवन से प्रेगनेंसी के दौरान पीरियड्स की स्थिति भी पैदा हो सकती है, साथ ही करेले में एंटी लैक्टोलन तत्व भी होते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान दूध बनने की प्रक्रिया में रुकावट लाता है.

3-करेले के ज्यादा मात्रा में सेवन से हीमोलाइटिक एनीमिया होने की आशंका बढ़ जाती है.

4- अक्सर ये देखा गया है की डायबिटीज के पेशेंट बहुत अधिक मात्रा में करेले या करेले के जूस का सेवन करते है.लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा की करेले के अधिक सेवन से भी ब्लड शुगर का स्तर कम हो सकता है.

वैस्टर्न मेकअप के साथ परफैक्ट हेयरस्टाइल

वैस्टर्न थीम पार्टी में जाने के लिए आप ने ड्रैस तो सीजन व पार्टी के हिसाब से परफैक्ट खरीदी, लेकिन क्या आप ने मेकअप व हेयरस्टाइल पर ध्यान दिया, क्योंकि भले ही आप की ड्रैस कितनी भी खूबसूरत हो, लेकिन पहली नजर चेहरे पर और उस के बाद हेयरस्टाइल पर ही जाती है. ऐसे में अगर आप पार्टी में हिट दिखना चाहती हैं, तो दिल्ली प्रैस में आयोजित फेब वर्कशौप में आईं मेकअप ऐंड हेयर स्किन स्पैशलिस्ट व एजुकेटर पूनम चुग के इन उपयोगी टिप्स पर गौर फरमाना न भूलें:

वैस्टर्न मेकअप

भले ही स्किन कितनी भी पिंपल्स वाली या फिर अनईवन टोन वाली हो, उस पर भी अगर परफैक्टली मेकअप किया जाए तो काफी अच्छा लुक उभर कर आता है. इस के लिए सब से पहले फेस पर प्राइमर अप्लाई करना जरूरी है. यह मेकअप बेस होता है, जिसे लगाने के 4-5 मिनट बाद वैट टिशू से स्किन को साफ करें. फिर कंसीलिंग करें, क्योंकि इस की मदद से जो दागधब्बे व अनईवन टोन होती है उसे एक टोन करने में मदद मिलती है.

कंसीलर के तुरंत बाद यलो पिगमैंट यूज करें और फिर पिंपल्स पर ग्रीन कलर का कंसीलर अप्लाई करें. अगर स्किन प्रौब्लमैटिक है, तो डर्मा बेस यूज करें. इस के बाद फिक्सर लगाएं ताकि मेकअप अच्छी तरह फिक्स हो जाए. फिर जौ लाइन, नाक, चीक्स पर कंट्रोलिंग करने के लिए मिग्रो कलर यूज करें. इस के बाद पीच कलर का ब्लशर इस्तेमाल करें. ध्यान रखें कि जब भी कंट्रोलिंग करते हैं तो डार्क कलर का ब्लशर मैरून कलर में बदल जाता है, इसलिए कंट्रोलिंग के साथ पीच या पिंक कलर ही यूज करें.

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आईब्रोज मेकअप

आईब्रोज को नैचुरल तरीके से डिफाइन करें और फिर उन के नीचे हाईलाइटिंग करें. ब्राउन कलर से क्रीज लाइन बनाएं. ध्यान रखें कि आईबौल एरिया या ड्रैस से मिलताजुलता कलर ही यूज करें. फिर 1-2 मिनट रुक कर जैल लाइनर अप्लाई करने के साथसाथ आर्टिफिशियल आईलैशेज यूज करें.

आईलैशेज लगाने से पहले ग्लू लगा कर उसे 40 सैकंड्स लगा रहने दें. ऐसा करने से लैशेज बहुत जल्दी फिक्स हो जाती हैं. फिर लैशेज लगाने के बाद नैचुरल व आर्टिफिशियल लैशेज मसकारा ब्रश से फिक्स करें. इस बात का ध्यान रखें कि अगर नैचुरल लैशेज पहले से ही घनी हैं, तो उन्हें मसकारा से ही ग्रूम करें.

करें चेहरा हाईलाइट

चेहरे के जिन हिस्सों को उठाना होता है उन  के लिए हाईलाइटर यूज करना होता है और इंडियन स्किन के हिसाब से व्हाइट ग्लो कलर अच्छा रहता है. इसे आमतौर पर चीकबोंस, नोज टिट, फोरहैड व थोड़ा सा चिन एरिया पर यूज करते हैं.

अगर वैस्टर्न मेकअप के हिसाब से आंखें ज्यादा उभारी गई हैं, तो लिप्स न्यूड ही रखें यानी लाइट ग्लौस अप्लाई करें. आखिर में फेस पर मेकअप फिक्सर लगाएं. यह मेकअप को 15-20 घंटे तक फिक्स रखता है.

अच्छे मेकअप के लिए अच्छी स्किन होनी चाहिए और अच्छी स्किन के लिए अच्छी डाइट, अच्छा लाइफस्टाइल, पौजिटिव सोच, खूब सारा पानी पीना और नैचुरल चीजें लेते रहना जरूरी होता है.

हेयरस्टाइल

 

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अब बारी आती है हेयरस्टाइल की और जब हम वैस्टर्न मेकअप करते हैं, तो बालों को क्रिंप किया जाता है, क्योंकि क्रिंप करने से बाल मैनेजेबल हो जाते हैं और ऐसे बालों पर कोई भी हेयरस्टाइलिंग की जा सकती है. अच्छी हेयरस्टाइलिंग के लिए बालों का साफ होना बहुत जरूरी है. अगर बालों में शैंपू के साथ कंडीशनिंग की है, तो बालों में गांठें नहीं पड़ती हैं.

हेयरस्टाइल बनाते हुए हमेशा फीचर्स को ध्यान में रखना जरूरी है. लंबे चेहरे पर पफ नहीं बनाना चाहिए, छोटी गरदन पर लो बन नहीं और हैवी फेस पर कर्ली बाल नहीं. इसी तरह पतले चेहरे पर स्ट्रेट बाल नहीं रखते. हमेशा हेयरस्टाइल करते हुए उम्र और अवसर का ध्यान रखना चाहिए.

जिस हेयरस्टाइल की हम बात कर रहे हैं वह वैस्टर्न हेयरस्टाइल है, जिस के लिए पहले इयर टू इयर पार्टिंग करें और फिर सैंटर के बालों में पोनी. पोनी के ऊपर डोनट फिक्स करें और बचे सारे बालों में कर्ल्स बनाएं. इस के बाद बालों के छोटेछोटे सैक्शन ले कर रूट के पास बैक कौंबिंग कर के रोल बनाएं. बालों को एस और सी शेप में डिजाइन करें यानी चेहरे के हिसाब से सैट करें.

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यह हेयरस्टाइल ईवनिंग गाउन और वैस्टर्न ड्रैसेज पर बहुत खूबसूरत लगता है.

Festive Special: घर पर बनाएं ब्रेड कुल्चा

यीस्ट मिलाकर फुलाये हुये आटे से बने ब्रेड कुलचे आप घर पर भी बना सकती हैं और छोले मसाला के साथ परोस सकती हैं. सभी को बेहद पसंद आयेगा.

हमें चाहिए

मैदा – 2 कप

तेल – 2 टेबल स्पून

कसूरी मेथी – 2 छोटी चम्मच

इन्सटेन्ट ड्राई एक्टीव यीस्ट – 1 छोटी चम्मच

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नमक – स्वादानुसार

चीनी – 1 छोटी चम्मच

बनाने का तरीका

ब्रैड कुलचा बनाने के लिए, मैदा को प्याले में डालिये, इन्सटेन्ट ड्राई एक्टिव यीस्ट, नमक, चीनी और एक टेबल स्पून तेल डाल कर मिला लीजिए और गुनगुने पानी की सहायता से नरम आटा गूंथ लीजिए. हाथ पर तेल लगाइये और आटे को अच्छी तरह से मसल-मसल कर, बार-बार उठा उठा कर, पलट कर 5 मिनिट तक गूंथिये, आटे को एकदम चिकना और सॉफ्ट कर लीजिये.

गुंथे आटे में हाथ से चारों और तेल लगाइये और प्याले को मोटी टावल से ढककर गरम स्थान पर 2 -3 घंटे के लिये रख दीजिये, कुलचे का आटा लगभग दुगना फूल कर तैयार हो जाता है.

प्याले से टावल हटाइये और मैदा को फिर से हाथ से बिलकुल थोड़ी देर मसल कर पंच कर लीजिये. गूंथे हुये आटे को बराबर के 4-5 भागों में बांट कर गोले बना दीजिये, आटे का एक गोला उठाइये, बिलकुल कम सूखा मैदा लगाकर लम्बाई में थोड़ा सा बेलिए अब कुलचे के ऊपर आधा छोटी चम्मच कसूरी मेथी डाल कर हाथ से दबा कर लगा दीजिये, बेलन की सहायता से इसे लम्बाई में बेल लीजिए.

तेल से चिकना कर लीजिए, कुलचा को उठाकर बेकिंग ट्रे में रख दीजिए और ट्रे को आधे घंटे के लिए ढककर रख दीजिए. ओवन को 180 डिग्री से. में प्रिहीट कर लीजिए और ट्रे को ओवन में रखकर ओवन को 180 डिग्री.से. पर 10 मिनट के लिए बेक किजिये.

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10 मिनट बाद ट्रे को निकाल लीजिए कुलचे दोंनो ओर से हल्के गोल्डन ब्राउन हो चुके होंगे कुलचे बनकर तैयार हैं. इन्हें फ्रिज में रखकर 3-4 दिनों तक खाया जा सकता है. कुलचों को छोले के साथ परोसिये और खाइये.

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