कोरोना में बढ़ा महिलाओं का तनाव, ऐसे करें बचाव

कोरोना के समय महिलाएं ज्यादा तनाव ले रही हैं जिसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. लेकिन दुर्भाग्य से कई महिलाएं इस बात को न समझ पाने के कारण धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं. ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इसके विभिन्न कारण हैं जैसे कि परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता, ज़िम्मेदारियों का बढ़ना, बहुत अधिक सोचना, नींद पूरी न होना, योग व मेडिटेशन की कमी, घर से बाहर न निकल पाना, घर की अन्य समस्याओं की चिंता आदि. इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं.

वैसे सामान्य दिनों में भी महिलाएं कई कारणों से मेंटल हेल्थ समस्याओं की शिकार रहती हैं. आमतौर महिलाओं को घर और ऑफिस के बीच संतुलन बनाएं रखना होता है और जब वे यह करते-करते थक जाती हैं तो वे तनाव का शिकार होने लगती हैं. वहीं परिवार के हर सदस्य की खुशी का ख्याल रखते-रखते वे अपनी खुशियों के बारे में पूरी तरह भूल जाती हैं जो भविष्य में उनके तनाव का कारण बनता है. प्रेग्नेंसी, पीरियड्स, घर में किसी की तबियत खराब हो गई है, कोई परेशान है, घर की आर्थिक स्थिति आदि कई कारणों से महिलाएं तनावग्रस्त हो जाती हैं.

तनावग्रस्त या डिप्रेशन में होने के लक्षण

  • बात-बात पर गुस्सा आना
  • चिड़चिड़ापन
  • अचानक रोने का मन करना
  • हर चीज़ में गड़बड़ी महसूस होना
  • नींद न आना
  • भूख लगने के बाद भी खाने का दिल न करना
  • बहुत ज्यादा या बहुत कम भूख लगना
  • लोगों से दूर भागना
  • ज्यादातर अकेले रहना

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समस्या से बचने का उपाय

दुर्भाग्य से मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को गंभीर होते देर नहीं लगती है. इसलिए हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि यही एक विकल्प है जिससे इस स्थिति को जीता जा सकता है.

एक अच्छा रुटीन तैयार करें: एक अच्छा रुटीन बनाएं और हर दिन उसका पालन करें. घर के कामों के अलावा अपनी हॉबीज़ पर भी ध्यान दें. ऐसी गतिविधियों में शामिल हों जिनमें आपको दिलचस्पी भी हो और जो आपको खुश भी करते हों.

योग और मेडिटेशन करें: मेडिटेशन और योगा आपको न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखते हैं. इसलिए हर दिन सुबह जल्दी उठकर योग अवश्य करें. इससे मस्तिष्क में खून का प्रवाह बेहतर होता है, हेप्पी हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं और ऑक्सिडेटिव तनाव कम होता है. हल्की फुल्की एक्सरसाइज़ भी सेहत के लिए अच्छी रहेगी.

स्वस्थ आहार: आपको पौष्टिक व संतुलित आहार के साथ शारीरिक सक्रियता का पूरा ख्याल रखना है. ऐसी चीजें खाएं जिससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत रहे. हार्मोनल स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण कभी भूख ज्यादा लगती है तो कभी कुछ भी खाने का मन नहीं करता है. असल समस्या पर ध्यान दें, लाँग टर्म की दृष्टि के साथ सोचें और सही फैसला करें.

अच्छी नींद: किसी भी व्यक्ति को हर रोज़ 6-7 घंटों की अच्छी नींद पूरी करनी चाहिए. नींद पूरी होने से आप हमेशा तरोताज़ा महसूस करेंगी जिससे आपको तनाव से लड़ने में मदद मिलेगी.

आराम जरूरी: हमारे देश में घर का ज्यादातर काम महिलाएं ही करती हैं. यहां तक कि ऑफिस वाली महिलाओं को भी अपने घर के कामों पर भी ध्यान देना पड़ता है. परिवार की ज़रूरतों को पूरा करते करते महिलाएं अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देती हैं जो उनके तनाव का कारण भी बनता है. काम जरूरी हैं लेकिन पर्याप्त मात्रा में आराम करना भी जरूरी है.

बहुत ज्यादा सोचें नहीं: घर परिवार में छोटी-बड़ी बातें होती रहती हैं. हालांकि हालात खराब हैं लेकिन आपको हिम्मत से काम लेना है क्योंकि आप स्वस्थ रहेंगी तभी परिवार का ख्याल अच्छे से रख पाएंगी.

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जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क करने से बिल्कुल न हिचकिचाएं. इस प्रकार के तनाव या डिप्रेशन के इलाज के लिए काउंसलिंग, एंटी डिप्रेशन दवाइयां या हार्मोनल थेरेपी आदि शामिल की जाएंगी. यदि इन सब के बाद भी तनावग्रस्त महसूस करती हैं तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें.

डॉक्टर गौरव गुप्ता, साइकोलॉजिस्ट, डायरेक्टर, तुलसी हेल्थकेयर

Festive Special: साउथ इंडियन डिश लेमन राइस

चावल पसंद करने वाले अक्सर इसकी वैराइटी खाना पसंद करते हैं. ऐसे में लेमन राइस ट्राई किया जा सकता है. साउथ इंडिया की इस डिश के लिए पहले चावल उबाल कर इसमें तड़का लगाया जाता है.

सामग्री

300 ग्राम चावल

आधा कप मूंगफली के दाने

सूखी हुई दो साबुत लाल मिर्च

एक चम्मच सफेद उड़द दाल

एक चम्मच सरसों के दाने

एक चम्मच चना दाल

आधी छोटी चम्मच हल्दी पाउडर

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आधी छोटी चम्मच मेथी दाना

तीन चम्मच नींबू का रस

चुटकीभर हींग

10-12 करी पत्ते

एक चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार

सजावट के लिए

किसे हुए नारियल

विधि

चावल को अच्छी तरह धो लें और 20 मिनट के लिए भिगो दें. पानी और चावल में नमक डालकर उबाल लें. जब चावल पक जाएं तो बचा पानी फेंक दें.

कड़ाही में तेल गर्म करें और चुटकीभर हींग डाल दें. अब इसमें लाल मिर्च, उड़द दाल, चना दाल और मेथी दाना मिला दें. सारी सामग्री को तब तक मिलाएं, जब तक दाल लाइट ब्राउन न हो जाए.

अब इसमें मूंगफली और सरसों के दाने डाल दें. जब सरसों चटकने लगे तो करी पत्ते डाल दें. करीब आधा मिनट तक इनको फ्राई करें.

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अब इस सामग्री में पके चावल, नमक, नींबू का रस और हल्दी पाउडर मिलाकर अच्छी तरह मिक्स कर लें. नारियल को ऊपर डाल कर गर्मागर्म सर्व करें.

आज भी अंधविश्वास में फंसे हैं लोग

लेखक- धीरज कुमार

यात्री से भरी बस झारखंड से बिहार की तरफ आ रही थी. अचानक सुनसान सड़क के दूसरी तरफ से सियार पार कर गया. ड्राइवर ने तेज ब्रेक लगाया. झटका खाए यात्रियों ने पूछा,”भाई बस क्यों रोक दी गई?”
बस के खलासी ने जवाब दिया,”सड़क के दूसरी तरफ सियार पार कर गया है इसलिए बस कुछ देर के लिए रोक दी गई है.”
सभी यात्रीगण भुनभुनाने लगे. कुछ लोग ड्राइवर की होशियारी की चर्चा करने लगे. उस अंधेरी रात में दूसरी गाड़ी सड़क पर पार नहीं कर गई, तब तक वह बस खड़ी रही. लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि यह अंधविश्वास है. इससे कुछ होता जाता नहीं है .सड़क है तो दूसरी तरफ से कोई भी जीव जंतु इधर से उधर पार कर सकता है. यह सामान्य बात है. इसमें बस रोकने जैसी कोई बात नहीं है. जबकि कई लोग मन ही मन अनहोनी होने से डरने लगे थे. रास्ते के इस पार से उस पार कुत्ता, बिल्ली, सियार जैसे जानवर आ जा सकते हैं. इसे अंधविश्वास से जोड़ा जाना उचित नहीं है. इसके लिए मन में किसी अनहोनी होने का डर आदि पालना भी बिल्कुल गलत है.

बिहार के रोहतास जिला के डेहरी में बाल काटने वाले सैलून तो सातों दिन खुला रहते हैं. लेकिन सोनू हेयर कट सैलून के मालिक से पूछे जाने पर यह बताते हैं,” ग्राहकों की भीड़ पूरे सप्ताह में सिर्फ 4 दिन ही होते हैं. तीन दिन तो हम लोग खाली खाली बैठे रहते हैं. यहां के अधिकतर हिन्दू लोग मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल नहीं कटवाते हैं. इन तीन दिनों में इक्का-दुक्का लोग बाल कटवाने आते हैं. जिनका ताल्लुक दूसरे धर्म से रहता है.”

भले ही हम लोग 21वीं सदी के विज्ञान युग में जी रहे हैं. लेकिन आज भी हमारी सोच 18 वीं सदी वाली ही है. यहीं के रहने वाले विनोद कुमार पेशे से कोयला व्यापारी हैं. उनका एक बेटा है. इसलिए सोमवार को बाल दाढ़ी नहीं कटवाते हैं. पूछे जाने पर हंसते हुए कहते हैं,” ऐसी मान्यता है कि जिनके एक पुत्र होते हैं. उनके पिता सोमवार को दाढ़ी बाल नहीं कटवाते हैं.इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है. गांव घर में पहले के ढोंगी ब्राह्मणों ने यह फैला दिया है तो आज भी अंधविश्वास जारी है. दरअसल लोगों के मन में सदियों से इस प्रकार की फालतू बातें बैठा दी गई है इसीलिए आज भी चलन में है. पहले के लोग सीधे-सादे लोग होते थे.इस तरह के पाखंडी ब्राह्मणों ने जो चाहा, वह सुविधा अनुसार अपने फायदे के लिए समाज में फैला दिया.”

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आज भी गांव में भूत, प्रेत, ओझा, डायन के बारे में लोग खूब बातें करते है. आज भी लोगों को विश्वास है कि गांव में डायन जादू टोना करती है. औरंगाबाद के गांव के रहने वाले रणजीत का कहना है कि उनकी पत्नी 2 सालों से बीमार रह रही है.उनकीपत्नी की बीमारी की वजह कुछ और नहीं, बल्कि डायन के जादू टोने के कारण है. इसीलिए वे किसी डॉक्टर के दिखाने के बजाय कई सालों से ओझा के पास दिखा रहे हैं. कई सालों से वे मजार पर जाते हैं और चादर चढ़ाते रहें हैं.

रोहतास जिले के एक गांव में एक लड़की को जहरीले सांप ने काट लिया था. उसके परिजन बहुत देर तक झाड़ फूंक करवाते रहें. झाड़-फूंक के बाद मामला जब बिगड़ गया तो उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे बचाया नहीं जा सका. जबकि अखबार में भी इसके बारे में प्रचार प्रसार किया जाता रहा है कि किसी व्यक्ति को सांप काटने पर झाड़-फूंक नहीं बल्कि अस्पताल ले जाएं.अगर समय रहते उस लड़की को अस्पताल ले जाया गया होता तो बचाया जा सकता था. किंतु आज भी लोग अंधविश्वास के कारण झाड़-फूंक में ज्यादा विश्वास करते हैं अभी भी लोग इलाज कराने के बजाय सांप काटने पर झाड़ फूंक करवाना ही उचित समझते हैं.

आज भी लोग झाड़-फूंक, मंत्र, टोना, जादू पर विश्वास करने के कारण अपनी जान गवा रहे हैं वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि झाड़-फूंक करवाने से कुछ नहीं होता है. इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है. अगर समय रहते सांप काटने वाले व्यक्ति की इलाज कराया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती थी.

बिहार के कई शहरों में अधिकतर दुकानदार शनिवार को अपने दुकान के आगे नींबू मिर्च लटकाते हैं. प्रत्येक शनिवार की सुबह कुछ लोग नींबू मिर्च को एक साथ धागे में पिरोकर दुकान दुकान बेचते वाले भी मिल जाते हैं. लगभग सभी दुकानदार खरीदते हैं.पुरानी लटकी हुई नींबू और मिर्च को सड़क पर फेंक देते हैं. लोगों ‌के पांव उस पर न पड़ जाए, इसलिए लोग बचकर चलते हैं. कई बार तो दोपहिया वाहन वाले भी अपने गाड़ी के पहिए के नीचे आने से बचाते हैं. कभी-कभी दुर्घटना होने से बाल-बाल बचते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि पांव के नीचे या वाहन के नीचे अगर फेका हुआ नींबू और मिर्च आ जाए तो जीवन में परेशानी बढ़ सकती है. कुछ दुकानदारों का मानना है कि नींबू मिर्च लटकाने से बुरी नजर से बचाव होता है. दुकान में बिक्री खूब होती है. इस प्रकार देखा जाए तो फालतू में नींबू और मिर्च आज भी बर्बाद किए जा रहे हैं जबकि इस तरह के नींबू मिर्च लटकाने का कोई फायदा नहीं है. आज भी बहुत से गरीब लोग हैं जो पैसे के अभाव में नींबू मिर्च खरीदने के लिए सोचते हैं. अतः इस प्रकार से नींबू और मिर्च की बर्बादी है. ऐसा कहने वाला कोई भी धर्मगुरु, पंडित, पुजारी, मौलवी नहीं होता है. दरअसल यह देखा देखी अंधविश्वास आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. ऐसी बातें बहुत पहले से ही पाखंडी ब्राम्हणों, पंडे, पुजारियों ने आम लोगों ने फैला रखी है. इसीलिए ऐसा अंधविश्वास आज भी जारी है. विज्ञान के युग में भी ऐसी फालतू बातों को कोई रोकने टोकने वाला नहीं है.

औरंगाबाद के रहने वाली मंजू कुमारी एक शिक्षिका है. उनका कहना है,” वे एक बार पैदल परीक्षा देने जा रही थी. उन्होंने परीक्षा स्थल तक जाने के लिए शॉर्टकट रास्ता चुना था. अभी परीक्षा केंद्र काफी दूर था कि एक बिल्ली उनका रास्ता काट गई. काफी देर तक इंतजार की लेकिन उस रास्ते से कोई गुजरा नहीं.उन्हें ऐसा लगा कि उनकी परीक्षा छूट जाएगी. इसलिए जल्दी-जल्दी उस रास्ते से होकर परीक्षा केंद्र तक पहुंची. उनके मन में आशंका हो रही थी कि आज परीक्षा में कुछ न कुछ गड़बड़ होगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. बल्कि उनका परीक्षा उस दिन बहुत अच्छा हुआ. बाद में उस विषय में अच्छे नंबर भी मिले थे.उस दिन से वे इस तरह के अंधविश्वासों से बहुत दूर रहती हैं. वे स्वीकार करती हैं कि अगर मैं अंधविश्वास में रहती तो मेरा परीक्षा छूटना निश्चित था.‌”

दरअसल बचपन से ही घर के लोगों के द्वारा यह सीख दी जाती है कि ब्रह्मणों, पोंगा पंडितों, साधुओं, पाखंडियों, धर्मगुरुओं के द्वारा दी गई सीख जो सदियों से चली आ रही है तुम्हें भी इसी रूप में मानना है. बचपन से लड़के लड़कियों को यह सब धर्म से जोड़कर बताया जाता है. उन्हें विज्ञान से ज्यादा अंधविश्वास के प्रति विश्वास को मजबूत कर दिया जाता है. यही कारण है कि पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी अंधविश्वासों को लोग ढोते आ रहे हैं. विज्ञान यहां विकसित नहीं है. लेकिन अंधविश्वास खूब फल फूल रहा है. इसकी जड़े इतनी मजबूत है कि कोई काट ही नहीं सकता है. यहां के लोग पर्यावरण, पेड़ पौधे की रक्षा करने के बजाए अंधविश्वास की रक्षा करते हैं. लोग उसी को विकसित होने देते हैं तो स्वाभाविक है फल, फूल भी इसी के मिलेंगे.

जब देश में रफाल आता है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नारियल फोड़कर पूजा करते हुए मीडिया के माध्यम से दिखाया जाता है तो देश में एक संदेश जाता है कि आम लोग ही नहीं अंधविश्वास में पड़े हुए हैं बल्कि यहां के खास लोग भी अंधविश्वास को बढ़ावा देना चाहते हैं. जबकि वही करोना काल में देशभर के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सभी बंद थे. लोगों को भगवान के अस्तित्व के बारे में समझ आने लगा था. लोगों को विश्वास हो गया है ,देवी देवताओं के दया से यह बीमारी ठीक होने वाला नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों के द्वारा जब दवा बनाया जाएगा तभी यह बीमारी जाएगी.

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लोगों में ईश्वर,भगवान ,अल्लाह के प्रति आस्था कम हुई है तो दूसरी ओर भारत के प्रधानमंत्री राम मंदिर में सीधे लोट जाते हैं और यह संदेश देने की कोशिश करते हैं सब कुछ भगवान ही हैं. मीडिया का एक वर्ग उस समय यही सब कुछ दिखाने की कोशिश कर रहा था. प्रधानमंत्री कितने देर तक लोटपोट होते रहे. कितनी बार सांसे लिए, उस समय उनकी दाढ़ी की लंबाई कितनी थी. एक टीवी चैनल वाला तो प्रमुखता से दिखाया कि उस समय उन्होंने ‘राम’ का नाम कितनी बार लिया. इसीलिए देश के कुछ हिस्सों में कोरोना जैसे महामारी को बीमारी कम समझा गया. इसे दैविक प्रकोप समझने की भूल ही गई. और इतना ही नहीं देश के कुछ हिस्सों में पूजा पाठ से दूर करने का प्रयास किया गया.

देश में कोरोना कहर बरपा रहा था तो बिहार के कुछ भागों में कोरोना माता की पूजा की जा रही थी. रोहतास जिला के डेहरी ऑन सोन में सोन नदी किनारे कई दिन तक महिलाओं ने आकर पूजा-पाठ किया. नदियों किनारे महिलाएं झुंड में पहुंचकर 11 लड्डू 11 फूल चढ़ाकर पूजा कर रही थी. घर के पुरुषों द्वारा महिलाओं को मना करने के बजाय उन्हें प्रोत्साहन दिया जा रहा था. तभी तो वे अपनी गाड़ी में बैठा कर उन्हें नदियों किनारे पहुंचा रहे थे. ऐसी परिस्थिति में भी यहां के मंदिरों में पूजा करने वाले स्थानीय पाखंडिओं, धर्मगुरुओं, पुजारियों के द्वारा लोगों को मना नहीं किया गया.बल्कि उनके द्वारा मौन समर्थन किया गया ताकि उनका धंधा लॉकडाउन में फलफूल सके. इस तरह के अंधविश्वास मोबाइल के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैलता है.

अतः जरूरी है कि अभिभावकों के द्वारा अपने बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है. उन्हें शुरू से ही यह बताने की आवश्यकता है कि विज्ञान से बदलाव किया जा सकता है. विज्ञान हमारी जरूरतें पूरा कर रहा है. इस प्रकार के अंधविश्वास से हम सभी पिछड़ जाएंगे. देश को आगे बढ़ाना है तो विज्ञान के महत्व को स्वीकारना होगा. तभी अंधविश्वास भी दूर होंगे.

त्योहारों में घरों को दें कुछ नया लुक 

त्योहारों के आते ही चारो तरफ खुशियों की लहर दौड़ने लगती है. प्रकृति से लेकर मानव जन सब ख़ुशी से झूम उठते है और हो भी क्यों न? बारिश के बाद खिलती धूप और चारों तरफ की हरियाली इसे और भी खूबसूरत बनाती है, ऐसे में लोग उत्सव में अपने घरों की सजावट में थोड़ी फेर बदल कर एक नया लुक और नयी ताजगी भर सकते है. इस बारें में माय पूजा बॉक्स की को फाउंडर और इंटीरियर एक्सपर्ट कावेरी सचदेवा कहती है कि इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से कोई भी त्यौहार बाहर जाकर मनाया नहीं जा सकता है, ऐसे में घरों को नया लुक देकर नयी उमंग और ताजगी परिवार में लाई जा सकती है. कुछ खास टिप्स निम्न है, जिससे आप घरों को आकर्षक बना सकती है, 

1. पुराने सामानों को करें रिसायकल

त्योहारों के मौसम में घर की साफ-सफाई और रंग-रोगन करना आम बात है, इस बार तो कोरोना की वजह से वह भी संभव नहीं, इसलिए जो भी करें खुद को ही करना पड़ेगा. इसके लिए साफ-सफाई के दौरान जो भी वस्तु आपकी सजावट के लिए प्रयोग हो सकता है, उसे एक तरफ रखे. जब घर की सजावट कर रही है, तो उन सामानों को उचित स्थान पर रखते हुए सजाये, अगर किसी सामान को साफ करने या रंगने की जरुरत हो, तो उसे नया रंग देकर नया लुक दें. पुराने सिल्क या ब्रोकेट के कपड़ों को सजावट में प्रयोग कर सकती है, इसमें बनारसी सिल्क साड़ी, बांधनी दुपट्टा या सिल्क के स्टोल निकाले, जिससे आप कुशन कवर या पर्दों पर लपेट कर एक खुबसूरत सी गांठ बाँध सकती है. जो ट्रेडिशनल होने के साथ-साथ एथनिक लुक भी देगा. 

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2. घर की इंटीरियर में करे कुछ बदलाव  

हर साल त्योहारों में घरों में फूल सजते है, लाइट्स चमकती है, दोस्तों और मेहमानों का मिठाईयों और चॉकलेट्स के साथ तांता लगा रहता है, जो इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से अधिक नहीं हो सकेगा, लेकिन परिवार को ख़ुशी देने के लिए घर को रिडेकोरेट किया जा सकता है. हर साल त्योहारों पर सब की चाहत होती है कि अपने घर को कुछ अलग लुक दिया जाय, इसके लिए घर के फ़र्निचरों की व्यवस्था पहले से कुछ अलग करें, जिससे इंटीरियर में बदलाव दिखेगा. 

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3. घर के कोनों को सजाएं  

घर के कोनों में नई क्रिएटिविटी किया जा सकता है. घर को रिडेकोरेट करते वक्त हम अक्सर कोनों को अनदेखा कर देते है, लेकिन इस फेस्टिव सीजन आप अपने घर के कोनों में कुछ मनपसंद रंगों को भर सकते है. इसके अलावा डेकोरेटिव फूलदान में लंबे तने वाले विदेशी फूल रख सकते हैं. इस तरह ये घर में नए रंग और ताजगी लाती है. अलग साइज के दो से तीन फ्लावर वास रखकर ट्रेडिशनल टच भी दिया जा सकता है. हैंगिंग प्लान्ट्स और हैंगिंग लाइट्स के साथ फ्लोर की डिजाइन के साथ रूपरेखा में बदलाव किया जा सकता है.

4. पूजा घर का लुक बदलें 

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डेकोरेशन के दौरान सबसे ज्यादा फोकस पूजा घर के लिए होता है. पूजा घर में बैठने के लिए कलरफुल कार्पेट काफी कम्फर्ट दे सकता है. पूजा घर को और खूबसूरत बनाने के लिए देवी की प्रतीकात्मक मूर्तियां रखी जा सकतीं है. रॉयल लुक के लिए शुष्क अतर, विंटेज कैंडल स्टैंड भी इन दिनों खूब पसंद किया जा रहा है.

5. दीवारों को करें तैयार     

त्योहारी मौसम का असर दीवारों पर सबसे अधिक नजर आता है. इस मौके पर साधारण दिवारों पर जीवंतता और विचित्रता जोड़ी जा सकती है. दीवारों को ऐसे एक्जोटिक रंगों से पेंट करें, जो आपके व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती हो. जरुरी नहीं कि आप अपने पूरे घर को पेंट करें, बल्कि एक सिंगल वॉल को अलग फीचर वॉल बना सकते है. इसके अलावा डेकोरेटिव वॉल एक्सेंट, बड़ी दीवार घड़ी, पेंटिंग्स जैसे स्टाइल स्टेटमेंट्स को चुन सकते है. अगर आप खुद पेंटिंग करते है, तो अपने पैलैट के अलग-अलग रंगों से मिक्स एन मैच के द्वारा दीवारों को सजा सकते है, लेकिन ध्यान रखें कि अगर आप एक दीवार पेंट कर रहे है तो दूसरी दीवार पर उससे डॉर्क रंग का चयन करें, जो पूरे डेकोर को कॉन्ट्रास्ट कर दे. एंटिक वॉल एक्सेंट, फेयरी लाइट्स के अलावा मैट टैक्शचर और एंटिक पैटर्न्स भी डिजाइन के साथ स्टैण्ड ऑउट किया जा सकता है.

6. सजाये घर के मुख्य द्वार

लोग अपने घर के मुख्य द्वार को खूबसूरत बनाने के लिए काफी पैसे खर्च करते है, जबकि आप कम खर्च में भी इसे भव्य बना सकते है. फूलों या कैंडल के साथ विंटेज स्टाइल ब्रास-कॉपर के बर्तन अलग शोभा बढ़ाते है. त्योहार में हैंगिंग लैम्प के अलावा मॉडर्न झूमर से घर की एंट्रेंस को और रौशन कर सकते है. द्वार के आगे रंगोली बनायीं जा सकती है. इसके अलावा सजावट में ताजे फूलों का प्रयोग अधिक से अधिक करें.   

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7. लाइटिंग की हो समुचित व्यवस्था  

 त्योहार में लाइटिंग की बात होना आवश्यक है. घर का इंटिरियर हो या घर के बाहर का गार्डन हैंगिंग लाइट्स से घर चमकता-दमकता है। हिमालयन सॉल्ट लैम्प से जहां एक तरफ अपने घर की खूबसूरती बढ़ाई जा सकती है तो दूसरी तरफ इससे घर में काफी पॉजिटिव एनर्जी का भी एहसास होता है. 

Festive Special: इंडियन लुक के लिए परफेक्ट हैं बिग बौस 14 की जैस्मीन भसीन के ये लुक

साउथ की फिल्मों से करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन  ‘टशन-ए-इश्क’, ‘दिल से दिल तक’ और नागिन जैसे सीरियल्स से फैंस के बीच अपनी जगह बना चुकी हैं. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो बीते दिनों जैस्मिन और ये है मोहब्बतें फेम अली गोनी अपने रिश्ते को लेकर सुर्खियों में रही थीं. हालांकि दोनों ने अपनी दोस्ती को किसी भी रिश्ते का नाम देने से मना किया था. लेकिन आज हम एक्ट्रेस जैस्मीन भसीन के किसी रिश्ते या शो की नही बल्कि उनके इंडियन लुक की बात करेंगे. सीरियल्स में सिंपल बहू के लुक में नजर आने वाली जैस्मीन के लुक्स आप फेस्टिव सीजन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं जैस्मीन भसीन के फेस्टिव इंडियन लुक्स.

1. हैवी लौंग सूट है परफेक्ट 

अगर आप फेस्टिव सीजन के लिए आउटफिट की तलाश कर रही हैं तो जैस्मीन भसीन का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल लेकिन ट्रैंडी औप्शन में से एक है हैवी लौंग सूट आपके लिए.

 

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Purpled💜 👗 @salianbyanushree 💄 @looks_salon_channi 💍 @the_jewel_gallery

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2. गोल्डन और ब्लैक का कौम्बो है परफेक्ट औप्शन

 

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Fireflies in the air💫💫 All dressed up in @poonamskaurture

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अगर आप फेस्टिव या वेडिंग सीजन में कुछ सिंपल लेकिन ट्रैंडी ट्राय करना चाहती हैं तो शरारा आपके लिए स्टाइलिश औप्शन है. इन दिनों शरारा का लुक बेहद पौपुलर है. आप कभी भी इस लुक को ट्राय कर सकती हैं.

3. सिंपल सूट और हैवी दुपट्टा

 

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Happy Dussehra to you and your family. Share this happy moment with your family! – #dussehra #dussehra2019 #b612

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सिंपल सूट के साथ हैवी दुपट्टा आपको कंफर्ट के साथ-साथ स्टाइलिश दिखाता है. इसके साथ हैवी झुमके आपके लुक को कम्पलीट करते हैं.

4. पीच कलर है पार्टी परफेक्ट 

पार्टी हो या शादी पीच कलर हर किसी पर खिलता है. ये आपके लुक को शाइनी बनाता है, जिसे आपके लुक को खूबसरत बनाता है.

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5. लहंगा है परफेक्ट औप्शन

वेडिंग सीजन में परफेक्ट है लहंगा औऱ अगर लहंगा बनारसी हो तो फिर क्या कहना. अगर आप भी अपने लुक को इंडियन टच देना चाहती हैं तो बनारसी लहंगा आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन हैं.

मेकअप से एलर्जी, खराब न हो जाए स्किन

युवतियां सुंदर दिखने के लिए कई सारे कौस्मेटिक्स और मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं. ये प्रोडक्ट्स हालांकि सुंदरता बढ़ाते हैं लेकिन त्वचा के लिहाज से ज्यादातर उत्पाद सुरक्षित नहीं होते हैं. इन में कई प्रकार के हानिकारक रसायन होते हैं जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसी युवतियों, जो नियमित मेकअप का इस्तेमाल करती हैं, को मेकअप के कई हानिकारक प्रभावों का सामना करना पड़ता है. कौस्मेटिक्स के अत्यधिक प्रयोग से त्वचा में जलन, धब्बे, मुंहासों और बैक्टीरिया के फैलने की समस्या आम है.

इस्तेमाल मेकअप प्रोडक्ट्स का फेसक्रीम : सभी फेसक्रीम, जिनमें मौइश्चराइजर क्रीम, फाउंडेशन क्रीम आदि शामिल होती हैं, इसमे कई बेसिक इंग्रीडिएंट्स समान होते हैं, जैसे पेटोलैटम, प्रिजर्वेटिव्स, इमलसिफायर, पशु वसा, बीवैक्स, लैनोलिन, प्रोपलीन ग्लायकोल और खुशबू. रसायनयुक्त क्रीम से चेहरे, गरदन, पलकों और हाथों पर एलर्जी हो सकती है. अगर खुजली महसूस होती है, त्वचा पर चकते हो जाते हैं या वह लाल हो जाती है तो समझ जाइए कि आप को क्रीम से एलर्जी हो रही है. ऐसे में तुरंत डाक्टर को दिखाएं.

  • लिपस्टिक : लिपस्टिक का इस्तेमाल करने से कुछ महिलाओं के होंठों पर दरारें पड़ जाती हैं और पपड़ी आ जाती है. कुछ के होंठ काले भी हो जाते हैं. लिपस्टिक में लैनोलिन, खुशबू, कोलोफोनी, सनस्क्रीन और एंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं, जिन से एलर्जी हो सकती है. इसलिए हमेशा अच्छे ब्रैंड की लिपस्टिक खरीदें.

लाल लिपस्टिक में लेड बड़ी मात्रा में पाया जाता है जो खानेपीने के साथ अंदर चला जाता है. लिपस्टिक में पाया जाने वाला मिनरल औयल त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देता है. इस से त्वचा की कोशिकाओं का विकास और उन की उचित कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है.

  • बिंदी और कुमकुम : बिंदी से एलर्जी और रैशेज हो सकते हैं. कुमकुम में हलदी पाउडर, टोल्युडाइन, कोलतार डाई, इरिथ्रोसाइन, लिथौल रैड कैल्शियम सौल्ट होता है. इस के कारण ल्युकोडर्मा या सफेद चकते हो सकते हैं. तो अगर बिंदी और कुमकुम के कारण आप को एलर्जी हो जाती है तो तुरंत इन का इस्तेमाल बंद कर दें.

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  • नेल पौलिश : नेल पौलिश में महीन पिसे मैग्नीशियम पौलीसिलिकेट, स्टार्च और खुशबू होती है. इस के कारण जलन और रैशेज हो सकते हैं. इस से आप की त्वचा और नाखूनों को नुकसान पहुंच सकता है. अगर आप लाल या काले जैसे चटकीले रंगों का इस्तेमाल करते हैं और नियमित इन का उपयोग करते हैं तो आप के नाखूनों को काफी नुकसान हो सकता है.
  • नेल कलर से पलकों का संक्रमण हो सकता है क्योंकि महिलाएं अकसर चेहरे व आंखों के आसपास अपने हाथों का उपयोग करती हैं इस से पहले कि वह सूखे. इस के साथ ही, घटिया नेलकलर से नाखूनों का रंग बदरंग हो जाता है. इस के अलावा, गहरे रंग की नेल पौलिश में एसीटोन होता है जिस से नाखून कमजोर और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.
  • काजल : दूसरे देशों के मुकाबले भारत में आंखों को सजाने के लिए काजल और सुरमे का खूब इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, काजल से आंखों पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं. इन से कंजक्टिवाइटिस, ग्लुकोमा, ड्राइ आई की समस्या हो सकती है. सो, सब से बेहतर यह है कि बहुत अच्छे बैं्रड्स के काजल का उपयोग करें.
  • जब आंखों का संक्रमण हो, कोई चोट लगी हो, सर्जरी हुई हो तब आई मेकअप या काजल का इस्तेमाल न करें.
  • टैलकम पाउडर : टैलकम पाउडर में सिलिकैट होता है. यह न केवल एक शक्तिशाली कार्सिनोजन होता है, यह एलर्जी और फेफड़ों में संक्रमण का कारण भी बनता है.
  • मस्कारा : मस्कारा हानिकारक बैक्टीरिया सुडोमोनास एयरूजिनोसा के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड होते हैं जिस के कारण कौर्निया का संक्रमण और आंखों के लाल होने की समस्या हो जाती है.
  • कंसीलर और फाउंडेशन : चेहरे के दागधब्बों को छिपाने के लिए युवतियां कंसीलर और फाउंडेशन का इस्तेमाल करती हैं, यही त्वचा की समस्याओं का सब से प्रमुख कारण है.

मेकअप के साइड इफैक्ट्स

पिग्मैंटेशन : पिग्मैंटेशन सब से सामान्य साइड इफैक्ट है जो मेकअप उत्पादों के अधिक इस्तेमाल के कारण होता है. इस से त्वचा पर पिग्मैंटेशन के चकते पड़ जाते हैं.

अधिकतर मेकअप प्रोडक्ट्स में खुशबू होती है जो सन एक्सपोजर में पिग्मैंटेशन की समस्या का कारण बन जाती हैं. पिग्मैंटेशन की समस्या जब त्वचा की ऊपरी परत डर्मिस में होती है तब उस का उपचार संभव है. लेकिन जब यह त्वचा की निचली परत तक चली जाती है, इस का पूरी तरह से उपचार संभव नहीं है.

मुंहासे : फाउंडेशन और पाउडर के अधिक उपयोग से हेअर फौलिकल्स बंद हो जाते हैं जिस से मुंहासों की समस्या बढ़ जाती है. इसलिए विशेषरूप से औयल बेस्ड मेकअप से बचना चाहिए. कुछ मामलों में मुंहासे एलर्जन के लगातार संपर्क में आने से होते हैं, जिस के कारण त्वचा पर पपडि़यां जमना, लालपन और खुजली की समस्या हो जाती है.

ड्राइनैस : यह एलर्जी का ही एक भाग है. कुछ मामलों में मेकअप के अत्यधिक इस्तेमाल से, फाउंडेशन या पाउडर आप की त्वचा को सुखा देते हैं जिस से त्वचा पपड़ीदार या बेजान हो जाती है. इन मेकअप उत्पादों के इस्तेमाल से त्वचा पर दरारेें और महीन रेखाएं पड़ जाती हैं, जिस के कारण संक्रमण विकसित हो सकता है. रूखी होने से त्वचा पर खुजली होती है. इस से निबटने के लिए मौइश्चराइजर या किसी वाटर बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.

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हमारे मेकअप उत्पादों में सैकड़ों रसायन होते हैं. कुछ मेकअप इंग्रीडिएंट्स जैसे खुशबू और प्रिजर्वेटिव्स एलर्जिक रिऐक्शंस को ट्रिगर कर सकते हैं. मेकअप में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं. उन में पैराबेन्स भी शामिल है. यह त्वचा के लिए हानिकारक है. इस के अलावा फार्मेलडिहाइड भी होता है जो आंखों व त्वचा में जलन पैदा कर सकता है.

जो युवतियां या महिलाएं मेकअप अधिक करती हैं, उनकी त्वचा अति संवेदनशील हो जाती है.   

दांतों का पीलापन कैसे दूर करें?

सवाल-

दांतों का पीलापन कैसे दूर करें?

जवाब-

तुलसी मुंह और दांतों के रोग से हमें बचाए रखती है. इस के पत्तों को धूप में सुखा कर पाउडर बना लें फिर टूथपेस्ट में मिला कर रोजाना ब्रश करें. पीलापन दूर हो जाएगा.

नमक में सोडियम और क्लोराइड दोनों का मिश्रण होता है, जो दांतों का पीलापन कम करने में मदद करता है लेकिन इस के ज्यादा इस्तेमाल से दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंच सकता है. वैसे नमक और सरसों के तेल से दांत चमकाने का नुस्खा काफी पुराना है. बस चुटकीभर नमक में 2-3 बूंदें तेल की मिला कर दांत साफ करें.

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उम्र बढ़ने के साथ, कुछ ड्रिंक्स या खा- पदार्थों से दांतों पर पीले व ग्रे धब्बे लग जाते हैं जिस कारण दांत गंदे व पीले दिखने लगते हैं. इस समस्या को जल्द से जल्द दूर करना आवश्यक है.

दांत हमारे चेहरे या कहें पूरी पर्सनैलिटी का एक अभिन्न हिस्सा हैं और मुंह खोलते ही यदि किसी के दांत पीले दिखाई पढ़ते हैं तो उस की इमेज उसी समय हमारे सामने डाउन हो जाती है. बाजार में दांतों को सफेद बनाने के लिए कई तरह की किट्स व टीथ व्हाइटनिंग स्ट्रिप्स, पेस्ट व पाउडर अवेलेबल हैं, लेकिन यदि आप उन पर पैसे खर्चना नहीं चाहते तो कुछ होम रेमेडीज भी हैं जिन्हें अपना सकते हैं.

– एक टेबलस्पून बेकिंग सोडा में 2 टेबलस्पूनहाइड्रोजन पेरोक्साइड मिला कर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट से अपने दांतों को ब्रश कीजिए. यह दांतों पर प्लाक और कीटाणु पनपने से रोकता है जिस से पीले दांत की समस्या खत्म हो जाती है. इस का इस्तेमाल आप रोज कर सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- पीले दांतों से पाएं छुटकारा

शादी ही भली: लिव इन रिलेशनशिप के चक्कर में पड़ कर मान्या का क्या हुआ?

Serial Story: शादी ही भली (भाग-3)

अपनी सब से गहरी सहेलियों कीर्ति और अंशु की बातें सुन कर मान्या सन्न रह गई. उसी दिन से उस ने उन दोनों से अपनी दोस्ती खत्म कर ली. अपने मोबाइल से उन दोनों के नंबर भी हटा दिए. उस के बाद उन दोनों ने भी कभी मान्या से संपर्क नहीं किया.

अपने और परम के रिश्ते की वजह से इन दोनों की दोस्ती को खो देना मान्या के लिए एक बड़ा आघात था. तभी से मान्या अकेलेपन की धूप में तपती आ रही थी. ऐसे में सविताजी और रितु के प्यार और अपनेपन ने शीतल छाया का काम किया. उन के साथ बरसों बाद उसे पारिवारिक और सौहार्दपूर्ण वातावरण मिला था.

देरसवेर औफिस में भी अब बात फैलने लगी थी कि मान्या बिना शादी के परम के साथ रह रही है. लड़कियां उस से और खिंचीखिंची सी रहने लगीं. उसे अजीब नजरों से देखतीं. पुरुष सहकर्मी भी उसे लोलुप निगाहों से देखते.

फाइलें देतेलेते समय जानबूझ कर मान्या की उंगलियों को पकड़ लेते या हाथ फेर देते. उन के होंठों पर कुटिल मुसकराहट होती. उन के गंदे विचारों को समझ कर मान्या के तनबदन में आग लग जाती.

अकसर पुरुषकर्मी बेवजह बातें करने या काम के बहाने मान्या की टेबल पर आ कर बैठे रहते. मान्या औफिस के माहौल में अब घुटन सी महसूस करने लगी थी.

इधर कई दिनों से परम का भी व्यवहार बदलने लगा था. पहले वह और परम घर पर सारा काम मिल कर करते थे. लेकिन पिछले कुछ दिनों से परम हर काम के लिए मान्या से ही उम्मीद रख रहा था. छुट्टी के दिन वह चाहता कि मान्या उस का लंच पैक कर के दे. यहां तक कि महीने भर से उस के कपड़े भी मान्या ही धो रही थी. पहले परम लाड़ से रिक्वैस्ट करता था कि प्लीज मान्या मेरी शर्ट धो देना या कल मेरा लंच बना देना और अब तो परम मान्या से ये सारे काम करवाना अपना अधिकार समझने लगा था. उस के व्यवहार में हर समय पति के तौर पर हुकुम चलाने वाले भाव रहते. समर्पण की भावना की जगह उम्मीदें बढ़ने लगी थीं.

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अभी तो मान्या के लिए दूसरा धक्का इंतजार कर रहा था. कई दिनों से वह देख रही थी कि सविता आंटी और रितु उस से कटीकटी सी रहने लगी हैं. मिलने पर बात तो हंसमुसकरा कर ही करतीं, लेकिन व्यवहार में अब वह अपनापन नहीं रह गया था. घर पर आनाजाना भी कम हो गया. रितु भी अब दूरदूर रहने लगी थी. पहले की तरह सविता आंटी अब छुट्टी वाले दिन खाने पर नहीं बुलाती थीं.

एक बार फिर मान्या अकेली हो गई थी. एक छुट्टी वाले दिन परम बाहर गया था तो मान्या ने मौका अच्छा जान कर सोचा कि सविता आंटी से बात की जाए. अत: वह सविताजी के यहां चली गई.

‘‘क्या बात है आंटी आजकल रितु बाहर नहीं निकलती? उस से तो मुलाकात ही नहीं हो पाती,’’ मान्या ने कुछ देर की औपचारिक बातचीत के बाद पूछा.

‘‘रितु की परीक्षा पास आ रही है इसलिए बाहर कम ही निकलती है,’’ सविता ने जवाब दिया.

‘‘बहुत दिनों से महसूस कर रही हूं आंटी कि आप मुझ से कटीकटी सी रहने लगी हैं. क्या बात है?’’ मान्या ने फालतू समय बरबाद न कर के मन की बात पूछ ली.

‘‘देखो मान्या वैसे तो यह तुम्हारा निजी मामला है कि तुम अपनी जिंदगी कैसे जीती हो, लेकिन माफ करना एक पहचान वाले से हमें पता चला है कि तुम और परम शादीशुदा नहीं हो, बल्कि लिव इन रिलेशन में रह रहे हो. रितु कच्ची उम्र की है, मैं नहीं चाहती कि उस के मन पर इन बातों का बुरा असर पड़े,’’ सविताजी ने सामान्य स्वर में जवाब दिया.

लेकिन मान्या सन्न रह गई कि तो अब यहां भी यह सचाई पता चल चुकी है और अगर सविताजी को पता चली है तो निश्चितरूप से पूरी कालोनी भर को खबर हो जाएगी.

‘‘देखो मान्या, मैं किसी को भी बुराभला नहीं कहती. मुझे नहीं मालूम कि रितु भी बड़ी होने पर क्या करेगी. लेकिन मां होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि मैं जहां तक हो सके उसे ऐसे किसी हालात में पड़ने से बचाऊं. अभी तक तो उसे या किसी को भी मैं ने सच बात नहीं बताई है, लेकिन जैसे आज मुझे पता चला है वैसे ही कभी न कभी तो कालोनी के दूसरे लोगों को भी पता चल ही जाएगा,’’ सविताजी के स्वर में अब भी हलका सा अपनापन था.

मान्या चुपचाप सिर झुका कर सुनती रही

‘‘अब मुझे पता चला कि क्यों कभी तुम्हारे मायके या ससुराल से कोई तुम्हारे घर क्यों नहीं आता. लेकिन कब तक घरपरिवार मातापिता से कट कर रहोगी. अगर बीच रास्ते में ही परम तुम से अलग हो कर किसी और के साथ रहने लगा तो? पति तलाक दे या छोड़ दे तो पत्नी के पास फिर भी घर, समाज की सहानुभूति होती है, लेकिन तुम्हारे साथ तो कोई भी नहीं होगा. तुम बिलकुल अकेली रह जाओगी,’’ सविताजी ने समझाया.

‘‘हम आधुनिकता की चकाचौंध में अंधे हो कर समाज से टकराने की हिम्मत तो कर लेते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि पलट कर चोट हमें ही लगती है, समाज का कुछ नहीं बिगड़ता,’’ सविताजी ने प्यार और अपनेपन से मान्या का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘एक स्त्री होने के नाते मैं जानती हूं कि आज नहीं तो कल तुम मां बनना जरूर चाहोगी… और फिर सोचो कि ऐसी हालत में अपने बच्चे को जन्म दे कर तुम उसे क्या दे पाओगी? तुम उसे न पिता का नाम दे पाओगी और न घरपरिवार. तुम स्वयं भी आधीअधूरी रह जाओगी और अपने बच्चे का व्यक्तित्व भी उस की पहचान भी अधूरी कर दोगी.’’

सविताजी के पास से लौट कर मान्या धड़ाम से सोफे पर पसर गई. उस का सिर घूम रहा था. उसे कोफ्त हो रही थी कि पता नहीं किस मनहूस घड़ी में उस ने बिना शादी किए परम के साथ रहने का फैसला किया. वह अपने लिए एक कप कौफी बना लाई. कौफी पी कर दिमाग शांत हुआ तो वह बेहतर ढंग से अपनी स्थिति के बारे में सोच पाई.

आज सविताजी को पता चला है कल को कालोनी के दूसरे लोगों को भी पता चल जाएगा. फिर यह कालोनी भी छोड़ कर दूसरी कालोनी में फ्लैट तलाश करो. क्या वह सारी उम्र एक से दूसरी जगह भटकती रहेगी. कभी स्थिर नहीं हो पाएगी? यह तो किराए का घर है, इसलिए बदल भी सकते हैं, लेकिन अपना घर हो तो?

इस तरह तो वह कभी अपना घर बना ही नहीं पाएगी. जिंदगी भर भटकती रहेगी.

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आज वह समाज से कट गई है. कल को घर पर पता लगने पर परिवार से भी कट जाएगी. आज जो थोड़ाबहुत अपनापन बचा है, जीवन में कल को वह भी खो जाएगा.

और परम? क्या परम जीवन भर उस का साथ निभा पाएगा? पिछले कुछ दिनों से तो उस का व्यवहार देख कर ऐसा नहीं लग रहा. परम उसे पत्नी के अधिकार तो कभी देगा नहीं हां एक पति की तरह बन कर मान्या से सेवा और घर के सारे काम की उम्मीद अवश्य करेगा.

जब शादी न कर के पत्नी के पूरे कर्तव्य निभाने पड़ेंगे, कभी सिर दबा दो, कभी पैर दबा दो और अपनी आजादी खोनी ही पड़ेगी तो फिर शादी करने में क्या खराबी है? कम से कम वहां इज्जत तो रहेगी. घरपरिवार का साथ तो रहेगा. जिंदगी में स्थिरता तो रहेगी.

यहां तो न सिर पर छत है न पैरों के नीचे जमीन है. मैं ने खुद को अधर में लटका लिया है और अकेलेपन का दर्द अपने गले बांध लिया है. परम के साथ मेरा बस शरीर का है, यह आकर्षण खत्म हो गया तब?

मान्या कांप उठी कि नहींनहीं भाड़ में जाए यह आधुनिकता का चक्कर. उस के सिर से पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण का भूत उतर चुका था. सोचा मां का बताया हुआ दीदी की ससुराल का रिश्ता अभी भी है. लड़के वालों को वह बहुत पसंद है और वे अभी भी रुके हुए हैं.

मान्या की आंखें खुल चुकी थीं कि अधर में टंगे रिश्ते के बजाय शादी ही भली है. फिर क्या था मान्या ने तुरंत मां को फोन लगाया, ‘‘मां, मैं जल्दी घर आ रही हूं… आप उस लड़के को हां कह दीजिए.’’

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Serial Story: शादी ही भली (भाग-2)

इतनी बेइज्जती सहने के बाद वहां कौन रहता. तब परम और मान्या ने 8 दिनों में ही यहां फ्लैट किराए पर ले लिया. यहां भी 1-2 बार आतेजाते पासपड़ोस की औरतों से जब बातें होती हैं तो औरतें उसे कुछ टटोलती सी निगाहों से देखती हैं. मान्या जानती है वे उस के शरीर पर सुहागचिह्न ढूंढ़ती हैं, क्योंकि मान्या न मांग भरती न बिंदी लगाती और न ही मंगलसूत्र व चूडि़यां पहनती.

एक दिन पड़ोसिन आशा ने तो कह ही दिया, ‘‘माना कि तुम बहुत पढ़ीलिखी हो, तो भी थोड़ाबहुत तो परंपराओं का निर्वाह करना ही पड़ता है. मैं भी समझती हूं कि तुम काम पर जाती हो मंगलसूत्र नहीं पहन सकतीं. मगर मांग और माथे पर सिंदूर तो लगा ही सकती हो.’’

‘‘परम को पसंद नहीं है,’’ कह कर मान्या ने बहाना बनाया और वहां से खिसक ली थी पर वह जानती थी कि महिलाओं के समूह में देर तक उस की आलोचना चलती रही होगी.

कभी मान्या से लोग पूछते की शादी को कितने साल हो गए? कभी महिलाएं अपनापन जताने के लिए बच्चे के बारे में टोकने लगतीं, ‘‘अब जल्दी से लड्डू खिलाओ.’’

मान्या क्या जवाब दे? वह कैसे लड्डू खिला सकती है? कभी सोसाइटी की महिलाएं उस के मायके और ससुराल के लोगों के न आने पर सवाल करती हैं. बात ज्यादा बढ़ने से पहले ही मान्या और परम फ्लैट बदल लेते हैं.

10 बजे परम उठा तो मान्या 2 कप चाय बना लाई. 3-4 दिन बाद जब मान्या काम पर जाने लगी तो देखा कि सामने वाले खाली फ्लैट में कोई रहने आ गया है.

एक संडे को मान्या गैलरी में बैठी चाय पी रही थी कि कालबैल बजी. मान्या ने दरवाजा खोला तो सामने एक महिला खड़ी थीं.

‘‘मैं आप के सामने वाले फ्लैट में रहने आई हूं. आप तो कभी दिखाई ही नहीं देतीं. सोचा आज छुट्टी है मैं ही चल कर मिल आऊं,’’ महिला ने अपनेपन से मुसकराते हुए कहा.

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‘‘आइए अंदर आइए न. मैं जौब करती हूं. सुबह जल्दी औफिस चली जाती हूं और शाम लौटने तक देर हो जाती है, इसलिए मिलना नहीं हो पाता,’’ मान्या ने उन्हें अंदर बैठाया. पता नहीं क्योंकर मान्या को उन की मुसकराहट अच्छी लगी.

‘‘तुम्हारे पति?’’ महिला ने घर में एक उचटती सी निगाह डाल कर पूछा.

मान्या के मन में एक कचोट सी उठी. क्षण भर पहले उन्हें देख कर मन को जो अच्छापन लगा था वह कहीं खो गया. फिर सोचा यह सब तो होना ही है.

‘‘जी वे सो रहे हैं. पूरा हफ्ता बहुत भागदौड़ रहती है न तो संडे को देर से उठते हैं,’’ मान्या ने अपनेआप को सहज करते हुए जवाब दिया.

शुक्र है आगे उन्होंने मान्या की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में कोई सवाल नहीं किया. मान्या ने राहत की सांस ली. कि चलो यह तो टिपिकल इंडियन टाइप की मानसिकता वाली स्त्री नहीं लगती. मान्या के बारे में उन्होंने ज्यादा खोजबीन करने वाले सवाल नहीं पूछे. मान्या उन के लिए चाय बना लाई. उन का नाम सविता था. पहले वे किराए के फ्लैट में रहती थीं. अब सामने वाला फ्लैट खरीद लिया था. पति सरकारी नौकरी में हैं और 1 ही बेटी है, जो 12वीं कक्षा में पढ़ती है.

जातेजाते उन्होंने मान्या के हेयरकट की तारीफ की और पूछा कि क्या वे अपने पार्लर में उन की बेटी रितु के बाल सैट करवा लाएंगी. इसे मान्या ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

अगले शनिवार को मान्या की छुट्टी थी पर परम काम पर गया था. परम ने उठ कर अपना नाश्ता बना लिया था. लंच वह औफिस में ही करता था. मान्या ने उठ कर अपने लिए सैंडविच बना कर खाया और कौफी बना कर ड्राइंगरूम में आ कर टीवी देखने लगी. उस ने कौफी खत्म कर के कप रखा ही था कि कालबैल बज उठी. बाई होगी, सोच कर मान्या ने दरवाजा खोला तो देखा सामने एक 16-17 साल की प्यारी सी लड़की खड़ी थी.

‘‘दीदी, मैं रितु हूं. मम्मी ने आप को बताया होगा न,’’ रितु ने बड़े अपनेपन से मुसकराते हुए कहा.

मान्या ने भी मुसकराते हुए रितु का स्वागत किया और फिर उस के साथ बैठ कर बातें करने लगी. रितु बड़ी प्यारी और चुलबुली लड़की थी. जल्द ही वह और मान्या आपस में ऐसे घुलमिल गईं जैसे बरसों से एकदूसरे को पहचानती हों. मान्या को रितु की चुलबुली बातें बड़ी अच्छी लग रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वह बरसों बाद खुल कर किसी अपने से बातें कर रही हो. परम के साथ रहते हुए तो पिछले 3 सालों से वह जैसे समाज से कट ही गई थी. औफिस में भी बस n2-1 दोस्त और सहेलियां ही हैं, जो उस के और परम के बारे में सच जानते हैं. उन के साथ ही कभीकभी घूमनाफिरना या बातें हो जाती हैं वरना तो वह सब से कटती ही जा रही थी.

बातों ही बातों में रितु को पता चला कि परम औफिस चला गया है और मान्या ने अभी खाना नहीं बनाया है तो रितु ने जिद की कि मान्या उन के यहां ही खाना खाए. मान्या ने संकोच के कारण बहुत मना किया, लेकिन रितु ने एक नहीं सुनी. आखिर मान्या को लंच के लिए उस के यहां जाना ही पड़ा.

सविताजी ने बड़े प्यार से रितु और मान्या को खाना खिलाया. खाना खा कर मान्या को मां की याद आ गई. सच बाई के हाथों का बना खाना और होटलों का खाना खाने में वह स्वाद कहां. मान्या को लगा कि उस ने महीनों बाद भरपेट खाना खाया है.

सविताजी, रितु और रितु के पिताजी सतीश तीनों ही बड़े मिलनसार और अपनत्व से भरे हुए लोग थे. बातें करते कब 4 बज गए पता ही नहीं चला.

मान्या रितु को पार्लर ले गई. वहां उस के बाल सैट करवा दिए. रितु बहुत खुश थी. आते समय उन्होंने मार्केट में आइसक्रीम खाई. मान्या को लगा वह अपना पीछे छूट गया बचपन जी रही है. उस शाम घर आने के बाद मान्या बहुत खुश और हलका महसूस कर रही थी.

इस के बाद लगभग हर छुट्टी वाले दिन मान्या और रितु साथ कहीं न कहीं घूमने निकल जातीं. 1 बार रितु मान्या और परम के साथ बाहर घूमनेफिरने और पिक्चर देखने चली गई, तो घर आ कर परम मान्या पर बुरी तरह नाराज हुआ, ‘‘तुम ने यह क्या फालतू की बला अपने सिर मढ़ ली है. मैं ने ऐंजौय करने के लिए तुम्हारे साथ रिश्ता जोड़ा है, ये बेकार के रिश्ते झेलने के लिए नहीं. आइंदा इस लड़की को अपने साथ मत ले चलना… तुम उस के साथ ज्यादा मेलजोल न ही रखो तो अच्छा है,’’ कहते हुए परम ने मान्या का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर अपनी ओर खींच लिया.

अपनी इच्छापूर्ति कर के परम तो मान्या की ओर पीठ कर के गहरी नींद सो गया, लेकिन मान्या की आंखों में नींद नहीं थी.

‘तो क्या अब उसे परम की इच्छानुसार चलना होगा? जिस से वह कहे उस से रिश्ता रखे जिस से वह न कहे उस से तोड़ ले,’ मान्या सोच रही थी.

यों भी इस शहर में उस की पहचान है ही आखिर किस से? जितनी सहेलियां थीं उन में से कुछ तो अपने घर लौट गईं, कुछ नौकरी के सिलसिले में दूसरे शहरों में चली गईं. इस शहर में जो बची हैं उन में से भी अधिकांश शादी कर के अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो गईं. शादीशुदा सहेलियां अब मान्या से कतराने लगी थीं.

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‘‘सौरी मान्या, अब मैं तुम्हें अपने घर नहीं बुला सकती. क्या करूं जौइंट फैमिली में रहती हूं… सासससुर हैं घर में. अकेली आओगी तो अम्मांजी तुम्हारी शादी की बात को ले कर तुम्हारे पीछे पड़ जाएंगी और परम के साथ आओगी तो सौ सवाल उठ खड़े होंगे,’’ एक दिन कीर्ति ने कहा.

‘‘अपने पति को मैं ने तुम्हारी और परम की लिव इन रिलेशनशिप के बारे में कुछ नहीं बताया है. तुम्हारे बारे में यह बात सुन कर कहीं वे मेरे बारे में भी गलत न सोचने लगें कि इस की सहेली ऐसी है तो यह भी पता नहीं कैसी होगी. सौरी यार… नईनई शादी है मैं अपने रिश्ते के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती,’’ एक दिन अंशु बोली.’’

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