10,000 घंटों में बना था राणा दग्गुबाती की दुल्हन मिहिका बजाज का लहंगा, जानें खास बातें

बीते दिनों बाहुबली फेम भल्लाल देव यानी साउथ स्टार राणा दग्गुबाती (Rana Daggubati) और मिहिका बजाज (Miheeka Bajaj) की शादी सुर्खियों में रही. कोरोनावायरस के चलते भले ही दोनों की शादी में कम लोगों ने शिरकत की. लेकिन साउथ फिल्मों के कुछ स्टार्स शादी में जरूर नजर आए. लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां दुल्हन मिहिका बजाज के लुक और लहंगे ने बटोरीं.

मिहिका बजाज (Miheeka Bajaj) ने दुल्हन बनने से पहले अपने सभी लुक्स और ड्रेसेस पर काफी मेहनत की थी. इस बात का पता उनके प्री-वेडिंग से लेकर ब्राइडल आउटफिट से साफ पता लग रहा है. आइए आपको दिखाते हैं मिहिका बजाज के शादी की रस्मों के लुक….

मिहिका बजाज के ब्राइडल लहंगे ने बटोरी सुर्खियां

शादी के जोड़े में मिहिका बजाज बेहद खूबसूरत लग रही थी. उनके ब्राइडल अटायर पर सभी का ध्यान था. आमतौर पर दुल्हनें शादी के खास दिन के लिए लाल, महरून या पिंक कलर का शादी का जोड़ा चुनना पसंद करती हैं. लेकिन  मिहिका बजाज ने क्रीम कलर का लहंगा चुना.

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इतने घंटो में बना मिहिका बजाज का लहंगा

गोल्ड मेटल वर्क और चिकन कारी की कढ़ाई वाले जरदोजी कारीगरी से तैयार हुए गोल्डन क्रीम लहंगे के साथ मिहिका बजाज ने लाल रंग की ओढ़नी ने उनके ब्राइडर लुक को पूरा किया. वहीं खबरों की मानें तो इस पूरे लहंगे की कढ़ाई और लुक को तैयार में करीबन 10000 यानी सवा साल तक का वक्त लगा था.

हैवी ज्वैलरी से लुक पर लगे चार चांद

 

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The power of colours and textures, the sparkle of real diamonds 💫 & the confidence of a woman who believes in her beauty – every little detail was meticulously brought together for this inspirational timeless look for @ranadaggubati wife @miheeka for their wedding.💕 The plethora of the things to be harmoniously synced together inspired this timeless royal look❤ – Firmly rooted from our vibrant culture and ready to change the ever evolving world of beauty concepts!💫 Jewellery: @krsalajewellery Outfit : @anamikakhanna.in Decor:@blingmushrooms 📸 : @rohan.foto #bajaoed . . . . . . . #weddingseason #regalbride #miheekabajaj #ranadaggubati #2020weddings #tamannabride #bollywoodwedding #tollywoodwedding #teluguweddings #bridalinspiration #telugubride #indianbridalmakeup #tamannamakeupstudio #tamannamakeupstudioandacademy #tamannabridestory #weddinginspo #miheekabajajdaggubati #celebritywedding #bridalgoals #bridetobe #miheekarana

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मिहिका बजाज की हैवी ज्वैलरी ने उनके दुल्हन लुक को पूरा किया. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो मिहिका बजाज ने कुंदन की ज्वैलरी का खासा ध्यान रखा.

हल्दी का लुक था सिंपल

हल्दी में मिहिका के लहंगे की बात करें तो सिंपल पीले कलर के लहंगे के साथ हैवी इयरिंग्स और कौड़ियों से बना मांगटीका बेहद खूबसूरत था, जिसे हर कोई पसंद कर रहा था.

मेहंदी पर था खास लुक


मेहंदी पर हरा रंग पहनने की बजाय मिहिका बजाज ने पिंक कलर चुना था. लहंगे की बजाय मिहिका ने एक हैवी ड्रेस पहनी थी, जिसके साथ लाइट ज्वैलरी कैरी की थी.

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सगाई पर भी खास था लुक

शादी की तरह सगाई पर भी मिहिका बजाज ने लाइट कलर के साथ हैवी कारीगरी वाला लहंगा चुना था. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो मोतियों से बनी ज्वैलरी पर कुंदन का कौम्बिनेशन बेहद खूबसूरत था.

4 टिप्स: ऑयली स्किन से परेशान हैं तो अपनाए ये घरेलू नुस्खे

वैसे तो normally oil हमारी स्किन के लिए अच्छा होता है. ये हमारी स्किन को ड्राई होने से बचाता है, उसे healthy रखता है,और तो और ऑयली स्किन वालों को झुर्रियां भी जल्दी नहीं पड़ती.
लेकिन हद से ज्यादा oil भी हमारी स्किन के लिए ठीक नहीं होता .हमारी स्किन में मौजूद एक्स्ट्रा oil के कारण डस्ट और धुआं हमारी स्किन में बहुत ही आसानी से चिपक जाता है और हमारे pores को block कर देता है. जिससे हमारी स्किन में फंगस और कील मुहांसे पनपने लगते हैं.इसलिए जिन लोगों की स्किन बहुत ऑयली होती है उन्हें अक्सर फेस पर फंगल इन्फेक्शन और pimples हो जाते है.

पर क्या आप जानते है की ऑयली स्किन होने के और भी बहुत से कारण हो सकते हैं.आइये जानते है की वो क्या है-

1- तनाव

जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारे शरीर से कोर्टिसोल नामक हार्मोन का रिसाव शुरू हो जाता है और हमारा हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है. जिससे हमारी त्वचा ऑयली हो जाती है .

2- ब्यूटी प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल-

ये तो हम सभी जानते है की हमारे चेहरे की स्किन बहुत ही सेंसिटिव होती है पर जब हम अपने चेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए और कील मुहांसों से छुटकारा पाने के लिए मार्किट में उपलब्ध विभिन्न स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते है या जरूरत से ज्यादा अपने चेहरे की स्क्रबिंग करते है तो हमारे चेहरे की रंगत उड़ने लगती और हमारी स्किन बहुत ज्यादा ऑयली हो जाती है.

3- अधिक दवाओं का सेवन-

हमारी स्किन का बहुत ज्यादा ऑयली होने का एक कारण अधिक दवाओं का सेवन भी है. अत्याधिक हार्मोनल गर्भनिरोधक दवा या फिर हार्मोन रिप्लेसमेंट दवा का लगातार सेवन करने से भी हमारी स्किन ऑयली हो जाती है और हमें कील मुहांसों का सामना करना पड़ता है.

4-चेहरे पर मेकअप का use अधिक करना-

ऑयली स्किन का एक मुख्य कारण अधिक मेकअप करना भी है. मेकअप ब्रश और कॉस्मेटिक क्रीम का ज़्यादा इस्तेमाल करने से चेहरे के पोर्स बंद हो जाते हैं, जिससे स्किन ऑयली हो जाती है.

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5- गलत खानपान-

हमारे खान पान का हमारी स्किन पर बहुत असर पड़ता है.ज्यादा चिकना या तला हुआ , मिर्च-मसाले व अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करने से भी त्वचा ऑयली हो सकती है.

अभी तक हमने जाना कि ऑयली स्किन के पीछे कौन-कौन से कारण है. अब हम बात करेंगे कुछ घरेलू उपचारों की, जिनकी मदद से इस समस्या से निपटा जा सकता है. इन्हें बनाना ना सिर्फ बेहद आसान है, बल्कि इनका कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं है.

1- मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल और कच्चा दूध का फेस पैक-

मुल्तानी मिटटी का उपयोग हर तरह की स्किन वाले लोग कर सकते है.ये न सिर्फ स्किन को चिकना या चमकदार बनाने में बल्कि ये आपकी स्किन से एक्स्ट्रा oil ,धूल मिटटी और म्रतकोशिकाओं को हटाने में भी मदद करती है.

आइये जानते है की इसका फेस पैक कैसे बनाये-

हमें चाहिए-

मुल्तानी मिट्टी-1 टेबल-स्पून
गुलाब जल-1 टेबल-स्पून
कच्छा दूध -1 टेबल-स्पून

बनाने का तरीका-

1-मुल्तानी मिटटी,गुलाब जल और कच्चा दूध ,इन सभी सामग्रियों को एक कटोरी में डालकर मिक्स करके अच्छे से पेस्ट बना ले.

2-अब चेहरे को पानी से अच्छे से धो लें और तौलिये से साफ कर लें. इसके बाद पेस्ट को अपने पूरे चेहरे पर लगाएं.

3-जब फेस पैक पूरी तरह से सूख जाए, तो ठंडे पानी से चेहरा धो लें.अगर ठंडक का मौसम है तो हलके गुनगुने पानी से चेहरे को धोये.

4-चेहरा धोने के बाद कोई भी अच्छी माश्चराइज़र क्रीम जरूर लगाएं. इस फेस पैक को आप हफ्ते में तीन बार लगा सकते हैं.

2- मसूर की दाल का फेस पैक

मसूर की दाल का उपयोग खाने के लिए तो किया ही जाता है साथ ही इसका उपयोग स्किन के लिए भी किया जाता है.इसमें मौजूद मिनरल,विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट स्किन के लिए काफी अच्छे होते है. आइये जानते है की इसका फेस पैक कैसे बनाये-

हमें चाहिए-

मसूर की दाल का पाउडर -2 टेबल स्पून
कच्चा दूध -1 ½ टेबल-स्पून

बनाने का तरीका-

1-मसूर की दाल के पाउडर में कच्चा दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना ले.
2-इस फेस पैक को अपने चेहरे पर लगाकर करीब 20 मिनट तक सूखने दें.
3-अब चेहरे को ठंडे पानी से अच्छी तरह धो लें. आप चाहे तो इस फेस पैक से आप चेहरे की स्क्रबिंग भी कर सकते हैं.
4-आप इस हफ्ते में 3 से 4 बार लगा सकते हैं.

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3- नीम,हल्दी और दही का फेस पैक

नीम को हमारे स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है .इसकी पत्तियों से लेकर इसकी लकड़ियों तक का अपना एक अलग महत्व है .नीम के पत्तों व उसके रस से बनीं आयुर्वेदिक औषधियां स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं. साथ ही शरीर की सुंदरता को बढ़ाने में भी नीम का प्रयोग किया जाता है.
नीम ,हल्दी और दही से बने इस मास्क में चेहरे पर ज़्यादा तेल न बनने देने की क्षमता है, इसमें लैक्टिक एसिड होता है जिससे कारण चेहरे पर पड़े दाग धब्बे मिट जाएंगे और चेहरा मुलायम रहेगा.

हमें चाहिए-

नीम पाउडर-1 टेबल-स्पून
दही -2 टेबल-स्पून
हल्दी-1/4 टी-स्पून

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले नीम पाउडर, दही और हल्दी को अच्छे से मिलकर इसका पेस्ट बना लें.
2-अब इसे अपने चेहरे पर लगा लें. इसे सूखने दें और 20 मिनट बाद ठन्डे पानी से धो ले.
3-आप इस फेस पैक को रोजाना लगा सकते हैं.

4-बेसन और टमाटर का फेस पैक

जहाँ एक ओर बेसन से बनी चीज़े खाने में स्वादिष्ट और healthy होती है वहीँ दूसरी तरफ इसका उपयोग प्राचीनकाल से चेहरे में निखार लाने के लिए भी किया जा रहा है.बेसन में बहुत सारे विटामिन ,मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट होते है जो ऑयली स्किन से छुटकारा दिलाने में काफी मददगार होते है.

वही टमाटर बड़े पोर्स को कम करने के साथ-साथ चेहरे के एक्सेस ऑयल को भी कम करता है. इससे चेहरे पर ऑयल प्रोडेक्शन धीरे-धीरे कम हो जाता है, इससे पिंपल्स और एक्ने की परेशानी कम होती है. ये चेहरे पर चमक बनाए रखने में भी मदद करता है और टैन को हटाता है.
आइये जाने बेसन और टमाटर का फेस पैक कैसे बनाये-

हमें चाहिए-

बेसन -1 टेबल स्पून
टमाटर का रस -1/2 टेबल स्पून

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले बेसन और टमाटर के रस को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर ले .
2-अब उसे चेहरे पर अच्छे से लगा ले और 20 मिनट के लिए सूखने दे.
3 -सूख जाने के बाद चेहरे को ठन्डे पानी से धो ले.

4-आप इसे सप्ताह में 3 से 4 बार लगा सकते हैं.

ध्यान रहे –

1-अगर आपकी स्किन ऑयली हो रही है तो अपने फेस को बार बार हार्ड सोप या facewash से न धुले.
2- फेस को धोने के बाद उसे किसी तौलिये या कपडे से रगड़ कर न पोछे क्योंकि ऑयली स्किन पहले से ही मुलायम होती है और रगड़ने से छिल जाती है.जिससे उसमे जलन होने लगती है और फिर उसमे आसानी से फंगल इन्फेक्शन या pimples हो सकते है.

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दूरबीन: नंदिनी ने सामने वाले घर में क्या देख लिया था?

सुबह 9 बजे नंदिनी ने खाने की मेज पर अपने पति विपिन और युवा बच्चों सोनी और राहुल को आवाज दी, ‘‘जल्दी आ जाओ सब, नाश्ता लग गया है.’’

नंदिनी तीनों के टिफिन भी पैक करती जा रही थी. तीनों लंच ले जाते थे. सुबह निकल कर शाम को ही लौटते थे. विपिन ने नाश्ता शुरू किया. साथ ही न्यूजपेपर पर भी नजर डालते जा रहे थे. सोनी और राहुल अपनेअपने मोबाइल पर नजरें गड़ाए नाश्ता करने लगे. नंदिनी तीनों के जाने के बाद ही आराम से बैठ कर नाश्ता करना पसंद करती थी.

सोनी और राहुल को फोन में व्यस्त देख कर नंदिनी झुंझला गई, ‘‘क्या आराम से नाश्ता नहीं कर सकते? पूरा दिन बाहर ही रहना है न, आराम से फोन का शौक पूरा करते रहना.’’

विपिन शायद डिस्टर्ब हुए. माथे पर त्योरियां डाल कर बोले, ‘‘क्यों सुबहसुबह गुस्सा करने लगती हो? कर रहे होंगे फोन पर कुछ.’’

नंदिनी चिढ़ गई, ‘‘तीनों अब शाम को ही आएंगे… क्या शांति से नाश्ता नहीं कर सकते?’’

विपिन ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘हम तो शांति से ही नाश्ता कर रहे हें. शोर तो तुम मचा रही हो.’’

बच्चों को पिता की यह बात बहुत पसंद आई. दोनों एकसाथ बोले, ‘‘वाह पापा, क्या बात कही है.’’

नंदिनी ने तीनों के टिफिन टेबल पर रखे और चुपचाप उदास मन से वहां से हट गई. सोचने लगी कि पूरा दिन अब अकेले ही रहना है… इन तीनों को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कुछ देर हंसबोल लें. शाम को सब थके आएंगे और फिर बस टीवी और फोन. किसी के पास क्यों आजकल कोई बात नहीं रहती करने के लिए?

बच्चों के हर समय फोन पर रहने ने तो घर में ऐसी नीरसता भर दी है कि खत्म होने को नाम ही नहीं लेती है. अगर मैं तीनों से अपना मोबाइल, टीवी, लैपटौप बंद कर के थोड़ा सा समय अपने लिए चाहती हूं, तो तीनों को लगता है पता नहीं मुझे क्या हो गया है.

जबरदस्ती दोस्त बनाने में, सोशल नैटवर्किंग के पागलपन में समय बिताने में, पड़ोसिनों से निरर्थक गप्पें मारने में अगर मेरा मन नहीं लगता तो क्या यह मेरी गलती है? ये तीनों अपने फेसबुक मित्रों की तो छोटी से छोटी जानकारी भी रखते हैं पर इन के पास मेरे लिए कोई समय नहीं.

तीनों चले गए. घर में फिर अजीब सी खामोशी फैल गई, मन फिर उदास सा था. नाश्ता करते हुए नंदिनी को जीवन बहुत नीरस और बोझिल सा लगा. थोड़ी देर में काम करने वाली मेड श्यामा आ गई. नंदिनी फिर रूटीन में व्यस्त हो गई.

उस के जाने के बाद नंदिनी इधरउधर घूमती हुई घर ठीक करती रही. सोचती रही कि वह कितनी खुशमिजाज हुआ करती थी, कहेकहे लगाती रोमानी सपनों में रहती थी और अब रोज शाम को टीवी, फोन और लैपटौप के बीच घुटघुट कर जीने की कोशिश करती रह जाती है.

पता नहीं क्याक्या सोचती वह अपने फ्लैट की अपनी प्रिय जगह बालकनी में आ खड़ी हुई. उसे लखनऊ से यहां मुंबई आए 1 ही साल हुआ था. यहां दादर में ही विपिन का औफिस और बच्चों का कालेज है, इसलिए यह फ्लैट उन्होंने दादर में ही लिया था.

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रजनीगंधा की बेलों से ढकी हुई बालकनी में वह कल्पनाओं में विचरती रहती. यहां इन तीनों में से कोई नहीं आता. यह उस का अपना कोना था. फिर वह यों ही अपने छोटे से स्टोररूम में जा कर सामान ठीक करने लगी. काफी दिन हो गए थे यहां का सामान संभाले. वह सब कुछ ठीक से रखने लगी. अचानक उस ने बच्चों के खिलौनों का एक बड़ा डब्बा यों ही खोल लिया. ऐसे ही हाथ डाल कर खिलौने इधरउधर कर देखने लगी. 3 साल पहले चारों नैनीताल घूमने गए थे, वहीं बच्चों ने यह दूरबीन खरीदी थी.

वह दूरबीन ले कर डब्बा वापस रख कर अपनी बालकनी में आ कर खड़ी हो गई. सोचा ऐसे खड़े हो कर देखना अच्छा नहीं लगेगा. कोई देखेगा तो गड़बड़ हो जाएगी. अत: फूलों की बेलों के पीछे स्टूल रख कर अपनी दूरबीन संभाले आराम से बैठ गई.

आंखों पर दूरबीन रख कर देखा. थोड़ी दूर स्थित बिल्डिंग बने ज्यादा समय नहीं हुआ था, यह वह जानती ही थी. अभी काफी फ्लैट्स में काम हो रहा था. एक फ्लैट की बालकनी और ड्राइंगरूम उसे साफ दिखाई दे रहा था. उस की उम्र की एक महिला ड्राइंगरूम में दिखाई दी.

उस घर में शायद म्यूजिक चल रहा था. वह महिला काम करतेकरते सिर को जोरजोर से हिला रही थी.

अचानक उस की बेटी भी आ गई. दोनों मिल कर किसी गाने पर थिरकीं और फिर खिलखिलाईं. नंदिनी भी मुसकरा उठी. मांबेटी के स्टैप से नंदिनी को लगा शायद ‘बेबी डौल’ गाना चल रहा है. नंदिनी अकेली ही खिलखिला दी. अचानक उस ने मन में ताजगी सी महसूस हुई. आसपास फूलों की खुशबू और सामने मांबेटी के क्रियाकलाप देख कर नंदिनी बिलकुल मस्ती के मूड में आ गई और गुनगुनाने लगी. फिर मांबेटी शायद घर के दूसरे हिस्से में चली गईं.

नंदिनी ने अंदर जा कर घड़ी देखी. 12 बज रहे थे. आज टाइम का पता ही नहीं चला. वह वापस स्टूल पर आ बैठी. दूरबीन से इधरउधर देखती रही. कहीं कुछ खास नहीं दिखा. ज्यादातर फ्लैट्स बंद थे या फिर परदे खिंचे थे.

फिर अचानक उस की नजर एक फ्लैट की बालकनी पर अटक गई. झटका सा लगा. दूरबीन उस के हाथों से गिरतेगिरते बची.

एक लंबाचौड़ा, जिम में तराशी सुगठित देह वाला हैंडसम लड़का तौलिए से अपने बाल पोंछ रहा था. शायद नहा कर निकला था. बस शौर्ट्स पहले तौलिया तार पर टांग ही रहा था कि उस की खूबसूरत नवविवाहिता पत्नी उस लड़के की कमर में पीछे से हाथ डाल दिया. लड़के ने पलट कर उसे वहीं किस कर लिया और फिर उस की कमर में हाथ डाल कर अंदर जा कर ड्राइंगरूम में सोफे पर लेट सा गया.

एकदूसरे का भरपूर चुंबन लेते दोनों साफ दिख रहे थे. नंदिनी की कनपटियां तक लाल हो गईं. उस का दिल तेज धड़कने लगा. ठंडे पसीने से पूरा शरीर भीग गया. बहुत दिनों बाद तनमन की यह हालत हुई थी. नंदिनी ने देखा फिर वह जोड़ा सोफे से उठ कर घर के किसी और हिस्से में चला गया. शायद बैडरूम में. नंदिनी यह सोच कर हंस पड़ी.

अब 1 बज रहा था. नंदिनी ने लंच किया. आज लंच करतेकरते वह अकेली मुसकराती रही. आज अचानक उसे पता नहीं क्याक्या याद आने लगा. सालों पुरानी अपनी लाल चूडि़यां याद आने लगीं. मन हुआ शुरुआती दिनों की तरह खूब सजधज कर विपिन के साथ कुछ समय बिताए. लंच कर के उस ने फिर दूरबीन उठा ली. फिर कुछ नहीं दिखा. वह भी जा कर सो गई. फिर उठ कर घर के कुछ काम निबटाए.

4 बजे चाय का कप ले कर फिर दूरबीन उठा कर स्टूल पर बैठ गई. मांबेटी वाले घर में तो कोई हलचल नहीं दिखी, पर नवविवाहित जोड़ा घर की सैटिंग में व्यस्त था. दोनों मिल कर सामान ठीक कर रहे थे. शायद नएनए आए थे फ्लैट में. बीचबीच में दोनों का रोमांस भी चल रहा था. लड़के ने पत्नी को गोद में उठा कर घुमा दिया. आकर्षक जोड़ा था.

नंदिनी ने हंस कर अपनी दूरबीन को चूम लिया. आज उसे एक नया रोमांच महसूस हो रहा था. पूरा दिन कब बीत गया, पता ही नहीं चला. सब से बड़ी बात उसे पति और बच्चों की कोई बात याद कर के गुस्सा नहीं आया. आज कोई झुंझलाहट नहीं थी मन में. एकदम खिलाखिला था मन.

5 बज रहे थे. नंदिता अपनी शाम की सैर पर जाने के लिए तैयार होने लगी. वह शाम को रोज 1 घंटा सोसायटी के पार्क में सैर करती थी. आज उस के कदमों में गजब की तेजी थी. मन में स्फूर्ति थी. सैर करते हुए सोच रही  थी कि इस दूरबीन का किस्सा घर में किसी को नहीं बताऊंगी.

वह जानती है यह हरकत अच्छी नहीं है पर उसे तो आज पूरा दिन मजा आया, सहीगलत के चक्कर में नहीं पड़ेगी वह. 6 बजे आ कर वह किचन में व्यस्त हो गई. शाम को सब के आने के समय नंदिनी ने दूरबीन अपनी साडि़यों की तह में छिपा दी.

विपिन राहुल और सोनी के आने के बाद नंदिनी नाश्ते के बाद डिनर की तैयारी में व्यस्त हो गई. वह बच्चों से बीचबीच में दिन भर की बातें पूछती रही. कालेज के कुछ और सवाल पूछने पर फोन में व्यस्त राहुल झुंझला गया, ‘‘मां, कितने सवाल करती हो?’’

आज नंदिनी खुद ही अपने ऊपर हैरान रह गई. उसे राहुल की इस बात पर जरा भी गुस्सा नहीं आया. वह गुनगुनाती हुई अपने काम करती रही. डिनर के बाद विपिन न्यूज देखने लगे. बच्चे अपने रूम में चले गए. नंदिनी का मन हुआ अपनी दूरबीन उठा ले पर नहीं, यह तो असंभव था. वह घर में किसी को भनक नहीं लगने देगी. उस ने फिर बड़े ही रोमांटिक अंदाज में विपिन के गले में बांहें डाल दीं, ‘‘चलो, बाहर टहल कर आते हैं.’’

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विपिन को हैरत का एक तेज झटका लगा. नंदिनी को ध्यान से देख कर पूछा, ‘‘तुम्हें क्या हुआ है?’’

नंदिनी हंस पड़ी, ‘‘बस यही पूछते रहते हो तुम्हें क्या हुआ है, कभी कुछ और भी तो कहो.’’

विपिन ने मुसकराते हुए टीवी बंद कर दिया.

दोनों टहल आए. नंदिनी का मूड बहुत अच्छा था1 उस नवविवाहित जोड़े की प्रणयलीला याद कर एक भूलीभटकी सी रोमानियत उस के मन में भी उतरती जा रही थी. उस रात उस ने अपने और विपिन के प्रणयपलों को बड़ी उमंग से जीया.

सुबह नंदिनी तीनों के जाते ही जल्दी से दूरबीन उठा कर स्टूल पर बैठ गई. मांबेटी वाले फ्लैट में मां शायद कामकाजी थी, वह साड़ी पहने तैयार थी. बेटी शायद कालेज में होगी. दोनों साथ ही निकलती थीं. घर में कोई और नहीं था. कल शायद लेट गई थीं. तभी तो नाचगा रही थीं. दोनों बहुत फ्रैश और खुश लग रही थीं.

फिर नंदिनी ने दूरबीन दूसरे फ्लैट की ओर घुमाई कि क्या कर रहे होंगे ये हीरोहीरोइन. वह खुद ही जोर से हंस दी. देखा, शायद हीरो औफिस के लिए तैयार था. हीरोइन अपने हाथ से उसे नाश्ता करा रही थी. वाह, रोमांस चल रहा है. हां, यही तो दिन हैं भई… चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात. वह खुद ही सब सोच कर मुसकराती रही. तभी श्यामा आ गई तो नंदिनी ने दूरबीन छिपा दी.

आज एक अरसे बाद नंदिनी ने विपिन को व्हाट्सऐप पर मैसेज किया, ‘आई लव यू.’

विपिन की हैरानी वाली बात स्माइली आई और ‘सेम टू ये, डियर’ का जवाब. नंदिनी विचित्र सी अनुभूतियों में घिरी घर के काम निबटाती रही. फिर वह दोपहर में ब्यूटीपार्लर गई. बढि़या फेशियल, मैनीक्योर, पैडीक्योर, एक मौडर्न हेयरकट करवाया, खुद को आईने में देख कर खुश हुई. फिर अपने लिए नई कुरती खरीदी.

घर आते ही दूरबीन उठाई पर कुछ नहीं दिखा. मांबेटी शायद शाम को ही वापस आती थीं. हीरोइन एकाधबार बालकनी में दिखाई दी. फिर शाम के समय एकदम सजीसंवरी हीरो का इंतजार करती. नंदिनी भी शाम के समय आज कुछ अलग ढंग से तैयार हुई.

शाम को सोनीराहुल आए तो नंदिनी को देखते ही सोनी बोली, ‘‘वाह, मां, कितनी अच्छी लग रही हो. वाह, नया हेयरकट, बहुत अच्छा है.’’

राहुल ने भी कहा, ‘‘ऐसे ही रहा करो मां, लुकिंग गुड.’’

विपिन तो कल से ही नंदिनी में आए परिवर्तन पर हैरान थे. नंदिनी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोले, ‘‘वाह, क्या बात है. भई, क्या इरादा है?’’

नंदिनी हंसतेह हुए बोली, ‘‘अच्छा ही है.’’

‘‘तो चलो, आज इस मेकओवर पर आइसक्रीम तो बनती है, डिनर के बाद सब ‘कूल कैंप’ चलेंगे.’’

‘‘वाह पापा, वैरी गुड.’’

चारों हंसीखुशी आइसक्रीम खा कर घर लौटे. नंदिनी हैरान थी. अपने मन के बदलाव

पर, पहले वह तीनों की हर बात पर चिढ़ती, झुंझलाती रहती थी. पर अब कल से उसे सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था. यह क्या हो गया? उस के खुश रहते ही घर में भी एक अलग माहौल था. तो क्या सिर्फ उस के कुढ़ते रहने से, शिकायत करते रहने से माहौल में उदासीनता आती जा रही थी? अपने मन की उदासी, जीवन में आई नीरसता के लिए वह स्वयं दोषी थी?

अपने जीवन में फैली बोझिलता के लिए उस का मन उसे ही जिम्मेदार ठहरा रहा था. वह क्यों इन तीनों से शिकायतों में ही अपनी ऊर्जा नष्ट करती रहती? वह खुश रहने के लिए किसी पर निर्भर क्यों है? पता नहीं क्याक्या सोचते हुए घर आ गया.

अब नंदिनी का यही रूटीन रहने लगा. मौका मिलते ही वह दूरबीन उठा लेती. फूलों की मोहक खुशबू की आड़ में दूरबीन की आंखों से देखती. उस हीरोहीरोइन के नएनए मादक रोमांस की साक्षी थी वह. उन का नयानया प्यार उसे भी पुराने दिनों में ले गया था, जब उस ने विपिन के साथ नया जीवन शुरू किया था. वह उन के वर्तमान को देख कर अपना अतीत फिर जीने लगी थी.

वह अचानक अपने दिल में वही उत्साह, वही रोमांच, वही रोमांस महसूस करने लगी थी. विपिन के टूर पर जाने पर अब वह कलपती नहीं थी, विपिन के टूर पर जाने पर कभी सोनी के साथ मूवी देख आती, कभी दोनों बच्चों के साथ लंच पर चली जाती थी.

मांबेटी वाले फ्लैट में मांबेटी को खुश देख उसे बहुत अच्छा लगता. अंदाजा लगाती पता नहीं दोनों का कोई भी या नहीं. क्यों अकेली हैं दोनों? इन के साथ क्या हुआ होगा? उन के बारे में बहुत कुछ सोचती नंदिनी. अब उस का दिन कब बीत जाता था उसे पता ही नहीं चलता था.

अब सामने वाली बिल्डिंग में और लोग भी आ रहे थे. खाली फ्लैट्स धीरेधीरे भर रहे थे. दूरबीन आंखों पर लगाए अब टाइमपास करते नंदिनी को 4 महीने हो रहे थे. हीरोहीरोइन के रोमांस में तो उसे जीवन का सारा थ्रिल लगता, उन्हें देखदेख कर ही तो वह बदलती चली गई.

मगर एक दिन सुबह 11 बजे ही उसे बहुत बड़ा झटका लगा. वह जैसे अपने सपनों की दुनिया से यथार्थ के कठोर धरातल पर आ गिरी. दूरबीन पकड़े हाथ कांप से गए. हीरोहीरोइन फ्लैट खाली कर रहे थे. नीचे रोड पर खड़ा ट्रक भी उसे दिखाई दे गया. सामान पैक करने वालों की ड्राइंगरूम में बहुत हलचल थी, जो साफ दिख रही थी.

यह क्या? नंदिनी को अपनी आंखों की नमी दिल में उतरती महसूस हुई. वह कितना जुड़ गई थी उन से. वे दोनों तो कभी जान भी नहीं जाएंगे कि कोई उन्हें खुश देख कर खुश रहने लगा था. उफ अब ये जा रहे हैं. फिर वही उदासी, वही बोरिंग रूटीन. नंदिनी को पूरा दिन चैन नहीं आया. वह दूरबीन लिए अंदरबाहर बेचैन सी चक्कर काटती रही.

शाम होतेहोते ट्रक सामान भर कर चला गया. उस के हीरोहीरोइन भी कार से चले गए. नंदिनी दूरबीन अपनी गोद में रख कर सिर दीवार से टिका कर गुमसुम बैठी रह गई.

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शाम को नंदिनी का उतरा चेहरा घर में सब ने नोट किया. वह खराब तबीयत का बहाना बन कर बिस्तर में जल्दी लेट गई. उस के 3-4 दिन बेहद उदास बीते. सामने वाली मांबेटी सुबह की गईं शाम को ही आती थीं. प्रणयलीला में डूबे हीरोहीरोइन याद आते. अब उस के जीवन में फिर वही नीरसता थी, फिर वही बोझिलता. 15 दिन उस ने दूरबीन को हाथ भी नहीं लगाया.

फिर एक दिन नंदिनी स्टूल पर बैठी सामने वाले फ्लैट्स पर अपनी दूरबीन दौड़ा रही थी. अधिकतर घरों के परदे खिंचे थे. अचानक उस का मन झूम उठा. हीरोहीरोइन वाला फ्लैट शायद 2-3 लड़कों ने शेयर कर के ले लिया था.

3 हैंडसम लड़के घर ठीक करने में व्यस्त थे. एक परदे टांग रहा था. एक के हाथ में शायद कोई कपड़ा था. वह शायद डस्टिंग कर रहा था. तीसरा सफेद टीशर्ट और ब्लैक शौर्ट्स पहने बालकनी में कपड़े सुखा रहा था और उस के बराबर वाले फ्लैट की बालकनी में एक युवा लड़की पौधों में पानी डाल रही थी. वह बारबार उस कपड़े सुखाते लड़के को देख रही थी.

नंदिनी मुसकरा उठी. उस ने लड़के को ध्यान से देखा. वह भी उस लड़की को देख कर मुसकरा उठा था. वाह, यहां तो एक लवस्टोरी भी शुरू हो गई. अब तो मजा आएगा, वाह, दोनों एकदूसरे को देख रहे हैं. मतलब शिफ्ट करते ही रोमांस शुरू.

तभी अचानक एक वृद्ध महिला ने बालकनी में आ कर लड़की से कुछ कहा. यह शायद उस की नानी, या दादी होंगी. लड़की ने फौरन लड़के की तरफ पीठ कर ली. लड़का भी फौरन अंदर चला गया. महिला कुछ देर पौधों को देखती रही, फिर वे भी अंदर चली गईं. काफी दिनों बाद दूरबीन अपनी अलमारी में रखते हुए नंदिनी फिर गुनगुना रही थी.

अग्निपरीक्षा: क्या तूफान आया श्रेष्ठा की जिंदगी में?

जीवन प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत, मनोरम पहाड़ी रास्ता नहीं है क्या, जहां मानव सुख से अपनों के साथ प्रकृति के दिए उपहारों का आनंद उठाते हुए आगे बढ़ता रहता है.

फिर अचानक किसी घुमावदार मोड़ पर अतीत को जाती कोई संकरी पगडंडी उस की खुशियों को हरने के लिए प्रकट हो जाती है. चिंतित कर, दुविधा में डाल उस की हृदय गति बढ़ाती. उसे बीते हुए कुछ कड़वे अनुभवों को याद करने के लिए मजबूर करती.

श्रेष्ठा भी आज अचानक ऐसी ही एक पगडंडी पर आ खड़ी हुई थी, जहां कोई जबरदस्ती उसे बीते लमहों के अंधेरे में खींचने का प्रयास कर रहा था. जानबूझ कर उस के वर्तमान को उजाड़ने के उद्देश्य से.

श्रेष्ठा एक खूबसूरत नवविवाहिता, जिस ने संयम से विवाह के समय अपने अतीत के दुखदायी पन्ने स्वयं अपने हाथों से जला दिए थे. 6 माह पहले दोनों परिणय सूत्र में बंधे थे और पूरी निष्ठा से एकदूसरे को समझते हुए, एकदूसरे को सम्मान देते हुए गृहस्थी की गाड़ी उस खूबसूरत पहाड़ी रास्ते पर दौड़ा रहे थे. श्रेष्ठा पूरी ईमानदारी से अपने अतीत से बाहर निकल संयम व उस के मातापिता को अपनाने लगी थी.

जीवन की राह सुखद थी, जिस पर वे दोनों हंसतेमुसकराते आगे बढ़ रहे थे कि अचानक रविवार की एक शाम आदेश को अपनी ससुराल आया देख उस के हृदय को संदेह के बिच्छु डसने लगे.

श्रेष्ठा के बचपन के मित्र के रूप में अपना परिचय देने के कारण आदेश को घर में प्रवेश व सम्मान तुरंत ही मिल गया, सासससुर ने उसे बड़े ही आदर से बैठक में बैठाया व श्रेष्ठा को चायनाश्ता लाने को कहा.

श्रेष्ठा तुरंत रसोई की ओर चल पड़ी पर उस की आंखों में एक अजीब सा भय तैरने लगा. यों तो श्रेष्ठा और आदेश की दोस्ती काफी पुरानी थी पर अब श्रेष्ठा उस से नफरत करती थी. उस के वश में होता तो वह उसे अपनी ससुराल में प्रवेश ही न करने देती. परंतु वह अपने पति व ससुराल वालों के सामने कोई तमाशा नहीं चाहती थी, इसीलिए चुपचाप चाय बनाने भीतर चली गई. चाय बनाते हुए अतीत के स्मृति चिह्न चलचित्र की भांति मस्तिष्क में पुन: जीवित होने लगे…

वषों पुरानी जानपहचान थी उन की जो न जाने कब आदेश की ओर से एकतरफा प्रेम में बदल गई. दोनों साथ पढ़ते थे, सहपाठी की तरह बातें भी होती थीं और मजाक भी. पर समय के साथ श्रेष्ठा के लिए आदेश के मन में प्यार के अंकुर फूट पड़े, जिस की भनक उस ने श्रेष्ठा को कभी नहीं होने दी.

यों तो लड़कियों को लड़कों मित्रों के व्यवहार व भावनाओं में आए परिवर्तन का आभास तुरंत हो जाता है, परंतु श्रेष्ठा कभी आदेश के मन की थाह न पा सकी या शायद उस ने कभी कोशिश ही नहीं की, क्योंकि वह तो किसी और का ही हाथ थामने के सपने देख, उसे अपना जीवनसाथी बनाने का वचन दे चुकी थी.

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हरजीत और वह 4 सालों से एकदूजे संग प्रेम की डोर से बंधे थे. दोनों एकदूसरे के प्रति पूर्णतया समर्पित थे और विवाह करने के निश्चय पर अडिग. अलगअलग धर्मों के होने के कारण उन के परिवार इस विवाह के विरुद्घ थे, पर उन्हें राजी करने के लिए दोनों के प्रयास महीनों से जारी थे. बच्चों की जिद और सुखद भविष्य के नाम पर बड़े झुकने तो लगे थे, पर मन की कड़वाहट मिटने का नाम नहीं ले रही थी.

किसी तरह दोनों घरों में उठा तूफान शांत होने ही लगा था कि कुदरत ने श्रेष्ठा के मुंह पर करारा तमाचा मार उस के सपनों को छिन्नभिन्न कर डाला.

हरजीत की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई. श्रेष्ठा के उजियारे जीवन को दुख के बादलों ने पूरी तरह ढक लिया. लगा कि श्रेष्ठा की जीवननैया भी डूब गई काल के भंवर में. सब तहसनहस हो गया था. उन के भविष्य का घर बसने से पहले ही कुदरत ने उस की नींव उखाड़ दी थी.

इस हादसे से श्रेष्ठा बूरी तरह टूट गई  पर सच कहा गया है समय से बड़ा चिकित्सक कोई नहीं. हर बीतते दिन और मातापिता के सहयोग, समझ व प्रेमपूर्ण अथक प्रयासों से श्रेष्ठा अपनी दिनचर्या में लौटने लगी.

यह कहना तो उचित न होगा कि उस के जख्म भर गए पर हां, उस ने कुदरत के इस दुखदाई निर्णय पर यह प्रश्न पूछना अवश्य छोड़ दिया था कि उस ने ऐसा अन्याय क्यों किया?

सालभर बाद श्रेष्ठा के लिए संयम का रिश्ता आया तो उस ने मातापिता की इच्छापूर्ति के लिए तथा उन्हें चिंतामुक्त करने के उद्देश्य से बिना किसी उत्साह या भाव के, विवाह के लिए हां कह दी. वैसे भी समय की धारा को रोकना जब वश में न हो तो उस के साथ बहने में ही समझदारी होती है. अत: श्रेष्ठा ने भी बहना ही उचित समझा, उस प्रवाह को रोकने और मोड़ने के प्रयास किए बिना.

विवाह को केवल 5 दिन बचे थे कि अचानक एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई. आदेश जो श्रेष्ठा के लिए कोई माने नहीं रखता था, जिस का श्रेष्ठा के लिए कोई वजूद नहीं था एक शाम घर आया और उस से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की. श्रेष्ठा व उस के पिता ने जब उसे इनकार कर स्थिति समझाने का प्रयत्न किया तो उस का हिंसक रूप देख दंग रह गए.

एकतरफा प्यार में वह सोचने समझने की शक्ति तथा आदरभाव गंवा चुका था. उस ने काफी हंगामा किया. उस की श्रेष्ठा के भावी पति व ससुराल वालों को भड़का कर उस का जीवन बरबाद करने की धमकी सुन श्रेष्ठा के पिता ने पुलिस व रिश्तेदारों की सहायता से किसी तरह मामला संभाला.

काफी देर बाद वातावरण में बढ़ी गरमी शांत हुई थी. विवाह संपन्न होने तक सब के मन में संदेह के नाग अनहोनी की आशंका में डसते रहे थे. परंतु सभी कार्य शांतिपूर्वक पूर्ण हो गए.

बैठक से तेज आवाजें आने के कारण श्रेष्ठा की अतीत यात्रा भंग हुई और वह बाहर की तरफ दौड़ी. बैठक का माहौल गरम था. सासससुर व संयम तीनों के चेहरों पर विस्मय व क्रोध साफ झलक रहा था. श्रेष्ठा चुपचाप दरवाजे पर खड़ी उन की बातें सुनने लगी.

‘‘आंटीजी, मेरा यकीन कीजिए मैं ने जो भी कहा उस में रत्तीभर भी झूठ नहीं है,’’ आदेश तेज व गंभीर आवाज में बोल रहा था. बाकी सब गुस्से से उसे सुन रहे थे.

‘‘मेरे और श्रेष्ठा के संबंध कई वर्ष पुराने हैं. एक समय था जब हम ने साथसाथ जीनेमरने के वादे किए थे. पर जैसे ही मुझे इस के गिरे चरित्र का ज्ञान हुआ मैं ने खुद को इस से दूर कर लिया.’’

आदेश बेखौफ श्रेष्ठा के चरित्र पर कीचड़ फेंक रहा था. उस के शब्द श्रेष्ठा के कानों में पिघलता शीशी उड़ेल रहे थे.

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आदेश ने हरजीत के साथ रहे श्रेष्ठा के पवित्र रिश्ते को भी एक नया ही

रूप दे दिया जब उस ने उन के घर से भागने व अनैतिक संबंध रखने की झूठी बात की. साथ ही साथ अन्य पुरुषों से भी संबंध रखने का अपमानजनक लांछन लगाया. वह खुद को सच्चा साबित करने के लिए न जाने उन्हें क्याक्या बता रहा था.

आदेश एक ज्वालामुखी की भांति झूठ का लावा उगल रहा था, जो श्रेष्ठा के वर्तमान को क्षणभर में भस्म करने के लिए पर्याप्त था, क्योंकि हमारे समाज में स्त्री का चरित्र तो एक कोमल पुष्प के समान है, जिसे यदि कोई अकारण ही चाहेअनचाहे मसल दे तो उस की सुंदरता, उस की पवित्रता जीवन भर के लिए समाप्त हो जाती है. फिर कोई भी उसे मस्तक से लगा केशों में सुशोभित नहीं करता है.

श्रेष्ठा की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा. क्रोध, भय व चिंता के मिश्रित भावों में ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हृदय की धड़कन तेज दौड़तेदौड़ते अचानक रुक जाएगी.

‘‘उफ, मैं क्या करूं?’’

उस पल श्रेष्ठा के क्रोध के भाव 7वें आसमान को कुछ यों छू रहे थे कि यदि कोई उस समय उसे तलवार ला कर दे देता तो वह अवश्य ही आदेश का सिर धड़ से अलग कर देती. परंतु उस की हत्या से अब क्या होगा? वह जिस उद्देश्य से यहां आया था वह तो शायद पूरा हो चुका था.

श्रेष्ठा के चरित्र को ले कर संदेह के बीज तो बोए जा चुके थे. अगले ही पल श्रेष्ठा को लगा कि काश, यह धरती फट जाए और वह इस में समा जाए. इतना बड़ा कलंक, अपमान वह कैसे सह पाएगी?

आदेश ने जो कुछ भी कहा वह कोरा झूठ था. पर वह यह सिद्घ कैसे करेगी? उस की और उस के मातापिता की समाज में प्रतिष्ठा का क्या होगा? संयम ने यदि उस से अग्निपरीक्षा मांगी तो?

 

कहीं इस पापी की बातों में आ कर उन का विश्वास डोल गया और उन्होंने उसे अपने जीवन से बाहर कर दिया तो वह किसकिस को अपनी पवित्रता की दुहाई देगी और वह भी कैसे? वैसे भी अभी शादी को समय ही कितना हुआ था.

अभी तो वह ससुराल में अपना कोई विशेष स्थान भी नहीं बना पाई थी. विश्वास की डोर इतनी मजबूत नहीं हुई थी अभी, जो इस तूफान के थपेड़े सह जाती. सफेद वस्त्र पर दाग लगाना आसान है, परंतु उस के निशान मिटाना कठिन. कोईर् स्त्री कैसे यह सिद्घ कर सकती है कि वह पवित्र है. उस के दामन में लगे दाग झूठे हैं.

जब श्रेष्ठा ने सब को अपनी ओर देखते हुए पाया तो उस की रूह कांप उठी. उसे लगा सब की क्रोधित आंखें अनेक प्रश्न पूछती हुई उसे जला रही हैं. अश्रुपूर्ण नयनों से उस ने संयम की ओर देखा. उस का चेहरा भी क्रोध से दहक रहा था. उसे आशंका हुई कि शायद आज की शाम उस की इस घर में आखिरी शाम होगी.

अब आदेश के साथ उसे भी धक्के दे घर से बाहर कर दिया जाएगा. वह चीखचीख कर कहना चाहती थी कि ये सब झूठ है. वह पवित्र है. उस के चरित्र में कोई खोट नहीं कि तभी उस के ससुरजी अपनी जगह से उठ खड़े हुए.

स्थिति अधिक गंभीर थी. सबकुछ समझ और कल्पना से परे. श्रेष्ठा घबरा गई कि अब क्या होगा? क्या आज एक बार फिर उस के सुखों का अंत हो जाएगा? परंतु उस के बाद जो हुआ वह तो वास्तव में ही कल्पना से परे था. श्रेष्ठा ने ऐसा दृश्य न कभी देखा था और न ही सुना.

श्रेष्ठा के ससुरजी गुस्से से तिलमिलाते हुए खड़े हुए और बेकाबू हो उन्होंने आदेश को कस कर गले से पकड़ लिया, बोले, ‘‘खबरदार जो तुमने मेरी बेटी के चरित्र पर लांछन लगाने की कोशिश भी की तो… तुम जैसे मानसिक रोगी से हमें अपनी बेटी का चरित्र प्रमाणपत्र नहीं चाहिए. निकल जाओ यहां से… अगर दोबारा हमारे घर या महल्ले की तरफ मुंह भी किया तो आगे की जिंदगी हवालात में काटोगे.’’

फिर संयम और ससुर ने आदेश को धक्के दे कर घर से बाहर निकाल दिया. ससुरजी ने श्रेष्ठा के सिर पर हाथ रख कहा, ‘‘घबराओ नहीं बेटी. तुम सुरक्षित हो. हमें तुम पर विश्वास है. अगर यह पागल आदमी तुम्हें मिलने या फोन कर परेशान करने की कोशिश करे तो बिना संकोच तुरंत हमें बता देना.’’

सासूमां प्यार से श्रेष्ठा को गले लगा चुप करवाने लगीं. सब गुस्से में थे पर किसी ने एक बार भी श्रेष्ठा से कोई सफाई नहीं मांगी.

घबराई और अचंभित श्रेष्ठा ने संयम की ओर देखा तो उस की आंखें जैसे कह रही थीं कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है. मेरा विश्वास और प्रेम इतना कमजोर नहीं जो ऐसे किसी झटके से टूट जाए. तुम्हें केवल नाम के लिए ही अर्धांगिनी थोड़े माना है जिसे किसी अनजान के कहने से वनवास दे दूं.

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तुम्हें कोई अग्निपरीक्षा देने की आवश्यकता नहीं. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं और रहूंगा. औरत को अग्निपरीक्षा देने की जरूरत नहीं. यह संबंध प्यार का है, इतिहास का नहीं.

श्रेष्ठा घंटों रोती रही और आज इन आंसुओं में अतीत की बचीखुची खुरचन भी बह गई. हरजीत की मृत्यु के समय खड़े हुए प्रश्न कि यह अन्याय क्यों हुआ, का उत्तर मिल गया था उसे.

पति सदासदा के लिए अपना होता है. उस पर भरोसा करा जा सकता है. पहले क्या हुआ पति उस की चिंता नहीं करते उस का जीवन सफल हो गया था.

पुराणों के देवताओं से कहीं ज्यादा श्रेष्ठकर संयम की संगिनी बन कर सासससुर के रूप में उच्च विचारों वाले मातापिता पा कर स्त्री का सम्मान करने वाले कुल की बहू बन कर नहीं, बेटी बन कर उस रात श्रेष्ठा तन से ही नहीं मन से भी संयम की बांहों में सोई. उसे लगा कि उस की असल सुहागरात तो आज है.

क्या इश्क़ की ख़ातिर, जान से भी बड़ी कीमत चुका पाएगी रिद्धिमा?

ये कहानी है मुंबई में रहने वाली एक अनाथ लड़की रिद्धिमा की, जिसका सपना इतना ही है कि वो कबीर से शादी कर उसके साथ घर बसाए. वो कबीर से पागलों की तरह प्यार करती है और उसके लिए कुछ भी कर सकती है. वहीं कबीर एक पुलिस ऑफिसर है और बिज़नेस की आड़ में ड्रग्स और अवैध हथियारों का गैरकानूनी धंधा करने वाले खतरनाक माफ़िया, वंश रायसिंघानिया को गिरफ्तार करना उसका मिशन है.

अब तक की कहानी में आपने देखा कि बचपन से प्यार की तलाश में रही रिद्धिमा, कबीर से बेपनाह इश़्क करती है. कबीर, एक खतरनाक मुजरिम वंश को पकड़ने की कोशिश कर रहा है पर उसके हाथ सिर्फ नाकामी लगती है. वंश को पकड़ने के लिए कबीर इतना पागल है कि वो रिद्धिमा से कहता है कि अगर वो उससे सच्चा प्यार करती है तो उसे साबित करना होगा. वो रिद्धिमा से वंश के साथ रहकर उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए कहता है. रिद्धिमा से कबीर की परेशानी देखी नहीं जाती और वो इस बात के लिए तैयार हो जाती है. वो वंश के घर उसकी माँ की फ़िज़ियोथेरेपिस्ट बनकर जाती है.

रिद्धिमा की हरकतें देख, वंश को उसपर शक होता है और वो उसपर नजर रखने लगता है. इसी डर से, रिद्धिमा, कबीर से मदद मांगती है और वहां से बच निकलने की कोशिश करती है, लेकिन पकड़ी जाती है. वंश का शक, यकीन में बदलने लगता है और वो रिद्धिमा और उसकी मदद करने वाले को पकड़ने के लिए जाल बिछाता है पर पकड़ नहीं पाता. रिद्धिमा वंश की नौकरी छोड़कर जाने लगती है, लेकिन उसी समय वंश उसके साथ अपनी शादी अनाउंस करता है, जो किसी हुक्म से कम नहीं होता.

रिद्धिमा सोच में पड़ जाती है लेकिन इस बीच उसे एक पेनड्राइव के बारे में पता चल जाता है, जिसमें वंश के गैरकानूनी कामों की सारी जानकारी है. इसी पेनड्राइव को ढूंढने के मकसद से वो शादी करने के लिए राज़ी हो जाती है. वो शादी की तैयारियों के बीच पेनड्राइव ढूंढ भी लेती है पर गलते से पेनड्राइव किसी और के हाथ लग जाती है.

वंश की असलियत सामने लाने की कोशिश करते-करते शादी की घड़ी पास आ जाती है, लेकिन रिद्धिमा को सबूत नहीं मिलता. रिद्धिमा एक जद्दोजहद में पड़ जाती है, और कबीर की मदद चाहती है. लेकिन, ऐसे में कबीर उससे मांगता है अपने प्यार की क़ीमत, एक ऐसी क़ीमत जिसकी वो कल्पना भी नहीं कर सकती. जिस प्यार के लिए उसने अपनी जिंदगी दाँव पर लगा दी है, वहीं सबूत के लिए उसे वंश से शादी करने के लिए कहता है.

अपने इश़्क की बाज़ी लगाकर, रिद्धिमा ने की है वंश से शादी, क्या होगा इसका अंजाम? ये फैसला, किस मोड़ पर ले जाएगा कबीर और रिद्धिमा के प्यार को? देखिए, इश़्क में मरजावाँ, सोमवार से शनिवार, शाम 7 बजे सिर्फ कलर्स पर.

ऑनस्क्रीन बेटे कायरव को कुछ खास अंदाज में शिवांगी-मोहसिन ने दी जन्मदिन की बधाई, पढ़ें खबर

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में नए-नए ट्विवस्ट देखने को मिल रहे हैं. हालांकि शो में नायरा और कार्तिक का बेटा कायरव नदारद है. वहीं फैंस के साथ-साथ उनके को-स्टार्स भी कायरव को काफी मिस कर रहे हैं. इसी बीच बीते दिन ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की लीड एक्ट्रेस शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) ने अपने ऑनस्क्रीन बेटे तन्मय ऋषि को खास अंदाज में बर्थडे की बधाई दी नजर आईं. आइए आपको दिखाते कैसे विश किया नायरा कार्तिक ने अपने बेटे कायरव को….

तन्मय ने बर्थडे किया सेलिब्रेट

बीते रविवार को कायरव यानी चाइल्ड आर्टिस्ट तन्मय ऋषि ने अपना जनमदिन मनाया है और इस दौरान फैंस ने सोशल मीडिया के जरिए बर्थडे विश किया. वहीं औनस्क्रीन मां नायरा यानी शिवांगी जोशी ने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सेट पर बनाए गए बूमरैंग वीडियोज को शेयर करके तन्मय ऋषि पर खूब प्यार लुटाया. शिवांगी जोशी ने इन वीडियोज को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि, ‘जन्मदिन मुबारक हो बेबी..’

 

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Happy birthday baby…🤗😘 👦🏻🤩👏🏻✌🏻🙌🏻

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औनस्क्रीन पापा ने किया विश

औनस्क्रीन मां नायरा के साथ पापा कार्तिक यानी मोहसिन खान ने भी सोशलमीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए तन्मय को बर्थडे विश किया, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

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फैमिली के साथ सेलिब्रेट किया बर्थडे

 

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Birthday Celebrations…Thank u all for ur lovely wishes

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कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच तन्मय ने अपनी फैमिली के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया. इसी के साथ फैंस और स्टार्स को विश करने के लिए शुक्रिया कहा. साथ ही अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की वीडियो भी शेयर किया, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

 

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Cake Celebrations…

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बता दें, कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच सीरियल्स और फिल्मों की शूटिंग शुरू हो चुकी है. हालांकि बच्चों और बुजुर्गों को शूटिंग का हिंस्सा बनने के लिए मना किया गया है ताकि उन्हें कोई खतरा ना हो. लेकिन फैंस कायरव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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बहन को लेकर सुशांत की चैट का स्क्रीनशॉट शेयर करने पर रिया पर भड़कीं काम्या पंजाबी, पूछा ये सवाल

बीते दिनों सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड मामले में सीबीआई जांच शुरू कर दी गई है, जिसके बाद सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की मुसीबतें बढ़ गई है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक और एक्स-मैनेजर श्रुति मोदी से एक्टर के सिलसिले में कईं घंटे पूछताछ कर रही है.  इस बीच रिया ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष सामने रखते हुए सुशांत सिंह राजपूत के कुछ सामान और पुरानी चैट्स की फोटोज शेयर की हैं, जिसके लेकर जहां फैंस गुस्से में हैं तो सितारे भी अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रिया चक्रवर्ती ने शेयर की फोटोज

बीते दिनों रिया ने सुशांत की डायरी से एक पेज और सुशांत के सिपर की फोटोज के साथ कुछ व्हाट्सएप चैट को भी शेयर किया है, जिसमें दिवंगत एक्टर अपनी बहन प्रियंका के बारे में चिंता व्यक्त की थी. वहीं इन सब चीजों पर रिएक्शन देते हुए टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस अदाकारा काम्या पंजाबी (Kamya Panjabi) ने रिया चक्रवर्ती से पूछा है कि इस सब से वो क्या साबित करना चाहती है?

 

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Rhea-Sushant WhatsApp chats . . . . #sushantsinghrajput #rheachakraborty #ssrfan #sushantsinghrajputdeath

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काम्या ने किया ये सवाल


काम्या पंजाबी ने रिया चक्रवर्ती के इस खबर पर ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘वह इस बात से क्या साबित करने की कोशिश कर रही है? भाई बहन मे झगड़े होते हैं कोई बड़ी बात नहीं है. सबसे अहम बात यह है कि वो तुम्हारे साथ रह रहा था ना की अपनी बहन के साथ. सभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तुम करती थीं, उसकी बहन नहीं !!!’ वहीं इससे पहले काम्या ने एक और ट्वीट शेयर करते हुए रिया पर एक चुटकी लेते हुए कहा था, ‘जसका सिपर था उसे ही संभाल कर रख लेती.’

बता दें, बीते दिनों लगभग 18 घंटे तक ईडी की टीम ने रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक से पूछताछ की और रविवार को सुबह लगभग 6.40 बजे ईडी कार्यालय से छोड़ दिया गया. वहीं रिया से भी कई घंटे पूछताछ की गई, जिसमें बताया जा रहा है कि वह पूछताछ में सहयोग नही कर रही हैं.

जबकि जांच एजेंसी सुशांत सिंह राजपूत, रिया और शौविक की प्रॉपर्टीज के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल के लिए बैंक खाते के लेनदेन पर भी गौर कर रही है, जिसके तहत ईडी ने 10 अगस्त को एक बार फिर रिया चक्रवर्ती को पूछताछ के लिए बुलाया है.

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बंद मुट्ठी: जब दो भाईयों के बीच लड़ाई बनी परिवार के मनमुटाव का कारण

रविवार का दिन था. पूरा परिवार साथ बैठा नाश्ता कर रहा था. एक खुशनुमा माहौल बना हुआ था. छुट्टी होने के कारण नाश्ता भी खास बना था. पूरे परिवार को इस तरह हंसतेबोलते देख रंजन मन ही मन सोच रहे थे कि उन्हें इतनी अच्छी पत्नी मिली और बच्चे भी खूब लायक निकले. उन का बेटा स्कूल में था और बेटी कालेज में पढ़ रही थी. खुद का उन का कपड़ों का व्यापार था जो बढि़या चल रहा था.

पहले उन का व्यापार छोटे भाई के साथ साझे में था, पर जब दोनों की जिम्मेदारियां बढ़ीं तो बिना किसी मनमुटाव के दोनों भाई अलग हो गए. उन का छोटा भाई राजीव पास ही की कालोनी में रहता था और दोनों परिवारों में खासा मेलजोल था. उन की पत्नी नीता और राजीव की पत्नी रिचा में बहनापा था.

रंजन नाश्ता कर के बैठे ही थे कि रमाशंकर पंडित आ पहुंचे.

‘‘यहां से गुजर रहा था तो सोचा यजमान से मिलता चलूं,’’ अपने थैले को कंधे से उतारते हुए पंडितजी आराम से सोफे पर बैठ गए. रमाशंकर वर्षों से घर में आ रहे थे. अंधविश्वासी परिवार उन की खूब सेवा करता था.

‘‘हमारे अहोभाग्य पंडितजी, जो आप पधारे.’’

कुछ ही पल में पंडितजी के आगे नीता ने कई चीजें परोस दीं. चाय का कप हाथ में लेते हुए वे बोले, ‘‘बहू, तुम्हारा भी जवाब नहीं, खातिरदारी और आदर- सत्कार करना तो कोई तुम से सीखे. हां, तो मैं कह रहा था यजमान, इन दिनों ग्रह जरा उलटी दिशा में हैं. राहुकेतु ने भी अपनी दिशा बदली है, ऐसे में अगर ग्रह शांति के लिए हवन कराया जाए तो बहुत फलदायी होता है,’’ बर्फी के टुकड़े को मुंह में रखते हुए पंडितजी बोले.

‘‘आप बस आदेश दें पंडितजी. आप तो हमारे शुभचिंतक हैं. आप की बात क्या हम ने कभी टाली है  अगले रविवार करवा लेते हैं. जो सामान व खर्चा आएगा, वह आप बता दें.’’

रंजन की बात सुन पंडितजी की आंखों में चमक आ गई. लंबीचौड़ी लिस्ट दे कर और कुल 10 हजार का खर्चा बता वे निकल गए.

इस के 2 दिन बाद दोपहर में पंडितजी राजीव के घर बैठे कोल्ड डिं्रक पी रहे थे, ‘‘आप को आप के भाई ने तो बताया होगा कि वे अगले रविवार को हवन करवा रहे हैं ’’

पंडितजी की बात सुन कर राजीव हैरान रह गया, ‘‘नहीं तो पंडितजी, मुझे नहीं पता. क्यों रिचा, क्या भाभी ने तुम्हें कुछ बताया है इस बारे में ’’ अपनी पत्नी की ओर उन्होंने सवालिया नजरों से देखा.

‘‘नहीं तो, कल ही तो भाभी से मेरी फोन पर बात हुई थी, पर उन्होंने इस बारे में तो कोई जिक्र नहीं किया. कुछ खास हवन है क्या पंडितजी ’’ रिचा ने उत्सुकता से पूछा.

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‘‘दरअसल वे इसलिए हवन कराने के लिए कह रहे थे ताकि कामकाज में और तरक्की हो. छोटी बहू, तुम तो जानती हो, हर कोई अपना व्यापार बढ़ाना चाहता है. आप लोगों का व्यापार क्या कम फैला हुआ है उन से, पर आप लोग जरा ठहरे हुए लोग हैं. इसलिए जितना है उस में खुश रहते हैं. बड़ी बहू का बस चले तो हर दूसरे दिन पूजापाठ करवा लें. उन्हें तो बस यही डर लगा रहता है कि किसी की बुरी नजर न पड़ जाए उन के परिवार पर.’’

अपनी बात को चाशनी में भिगोभिगो कर पंडितजी ने उन के सामने परोस दिया. उन के कहने का अंदाज इस तरह का था कि राजीव और रिचा को लगे कि शायद यह बात उन्हीं के संदर्भ में कही गई है.

‘‘हुंह, हमें क्या पड़ी है नजर लगाने की. हम क्या किसी से कम हैं,’’ रिचा को गुस्से के साथ हैरानी भी हो रही थी कि जिस जेठानी को वह बड़ी बहन का दर्जा देती है और जिस से दिन में 1-2 बार बात न कर ले, उसे चैन नहीं पड़ता, वह उन के बारे में ऐसा सोचती है.

‘‘पंडितजी, आप की कृपा से हमें तो किसी चीज की कमी नहीं है, पर आप कहते हैं तो हम भी पूजा करवा लेते हैं,’’ एक मिठाई का डब्बा और 501 रुपए उन्हें देते हुए राजीव ने कहा. उन्हें 15 हजार रुपए का खर्चा बता और उन के गुणगान करते पंडितजी तो वहां से चले गए पर राजीव और रिचा के मन में भाईभाभी के प्रति एक कड़वाहट भर गए. मन ही मन पंडितजी सोच रहे थे कि इन दोनों भाइयों को मूर्ख बनाना आसान है, बस कुनैन की गोली खिलाते रहना होगा.

अगले रविवार जब रंजन के घर वे हवन करा रहे थे तो नीता से बोले, ‘‘बड़ी बहू, मुझे जल्दी ही यहां से जाना होगा. देखो न, क्या जमाना आ गया है. तुम लोगों ने हवन कराने की बात की तो राजीव भैया मेरे पीछे पड़ गए कि हम भी आज ही पूजा करवाएंगे. बताया तो होगा, तुम्हें छोटी बहू ने इस बारे में ’’

‘‘नहीं, पंडितजी, रिचा ने तो कुछ नहीं बताया.’’

नीता उस के बाद काम में लग गई पर उसे बहुत बुरा लग रहा था कि रिचा उस से यह बात छिपा गई. जब उस ने उन्हें हवन पर आने का न्योता दिया था तो उस ने यह कह कर मना कर दिया था कि रविवार को तो उस के मायके में एक समारोह है और वहां जाना टाला नहीं जा सकता.

हालांकि तब नीता को इस बात पर भी हैरानी हुई थी कि आज तक रिचा बिना उसे साथ लिए मायके के किसी समारोह तक में नहीं गई थी तो इस बार अकेली कैसे जा रही है, पर यह सोच कर कुछ नहीं बोली थी कि हर बार हो सकता है साथ ले जाना मुमकिन न हो.

रिचा के झूठ से नीता के मन में एक फांस सी चुभ गई थी.

2 दिन बाद नीता मंदिर गई तो आशीष देते हुए पंडितजी बोले, ‘‘आओ बड़ी बहू. भक्तन हो तो तुम्हारे जैसी. कैसे सेवाभाव से उस दिन भोजन खिलाया था और दक्षिणा देने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी थी. छोटी बहू ने तो 2 चीजें बना कर ही निबटारा कर दिया और दक्षिणा में भी सिर्फ 251 रुपए दिए. मैं तो कहता हूं कि पैसा होने से क्या होता है, दिल होना चाहिए. तुम्हारा दिल तो सोने जैसा है, बड़ी बहू. तुम तो साक्षात अन्नपूर्णा हो.’’

उस के बाद नीता ने तुरंत 501 रुपए निकाल कर पंडितजी की पूजा की थाली में रख दिए.

कुछ दिनों बाद जब रिचा मंदिर आई तो वे उस की प्रशंसा करने लगे, ‘‘छोटी बहू, तुम आती हो तो लगता है कि जैसे साक्षात लक्ष्मी के दर्शन हो गए हैं. कितने प्रेमभाव से तुम सब काम करती हो. तुम्हारे घर पूजा करवाई तो मन प्रसन्न हो गया. कहीं कोई कमी नहीं थी और बड़ी बहू के हाथ से तो पैसा निकलने का नाम ही नहीं लेता. हर सामग्री तोलतोल कर रखती हैं. तुम दोनों बहुओं के बीच क्या कोई कहासुनी हुई है  बड़ी बहू तुम से काफी नाराज लग रही थीं. काफी कुछ उलटासीधा भी बोल रही थीं तुम लोगों के बारे में.’’

रिचा ने तब तो कोई जवाब नहीं दिया, पर उस दिन के बाद से दोनों परिवारों में बातचीत कम हो गई. कहां दोनों परिवारों में इतना अपनापन और प्रेम था कि दोनों भाई और देवरानीजेठानी जब तक एकदो दिन में एकदूसरे से मिल न लें, उन्हें चैन नहीं पड़ता था. यहां तक कि बच्चे भी एकदूसरे से कटने लगे थे.

पंडितजी इस मनमुटाव का फायदा उठा जबतब किसी न किसी भाई के घर पहुंच जाते और कोई न कोई पूजा करवाने के बहाने पैसे ऐंठ लेते. साथ में कभी खाना तो कभी मिठाई, वस्त्र अपने साथ बांध कर ले जाते.

नीता ने एक दिन उन्हें हलवा परोसा तो वे बोले, ‘‘वाह, क्या हलवा बनाती हो बहू. छोटी बहू ने भी कुछ दिन पहले हलवा खिलाया था, पर उस में शक्कर कम थी और मेवा का तो नाम तक नहीं था. जब भी उस से तुम्हारी बात या प्रशंसा करता हूं तो मुंह बना लेती है. क्या कुछ झगड़ा चल रहा है आपस में  यह तो बहू सब संस्कारों की बात है जो गुरु और ब्राह्मणों की सेवा से ही आते हैं. अच्छा, चलता हूं. आज रंजन भैया ने दुकान पर बुलाया है. कह रहे थे कि कहीं पैसा फंस गया है, उस का उपाय करना है.’’

धीरेधीरे पंडितजी दोनों भाइयों के बीच कड़वाहट पैदा करने में तो कामयाब हो ही गए साथ ही उन्हें भ्रमित कर मनचाहे पैसे भी ऐंठ लेते. एकदूसरे की सलाह पर काम करने वाले भाई जब अपनीअपनी दिशा चलने लगे तो व्यापार पर भी इस का असर पड़ा और कमाई का एक बड़ा हिस्सा पंडित द्वारा बताए उपाय और पूजापाठ पर खर्च होने लगा.

नीता और रिचा, जो अपने सुखदुख बांट गृहस्थी और दुनियादारी कुशलता से निभा लेती थीं, अब अपनेअपने ढंग से जीने का रास्ता ढूंढ़ने लगीं जिस के कारण उन की गृहस्थी में भी छेद होने लगे.

पहले कभी पतिपत्नी के बीच शिकवेशिकायत होते थे तो दोनों आपसी सलाह से उसे सुलझा लेती थीं. अकसर नीता राजीव को समझा देती थी कि वह रिचा से गलत व्यवहार न किया करे या फिर रिचा को ही सही सलाह दे दिया करती थी.

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बंद मुट्ठी के खुलते ही रिश्तों के साथसाथ धन का रिसाव भी बहुत शीघ्रता से होने लगता है. बेशक दोनों परिवार अलग रहते थे, पर मन से वे कभी दूर नहीं थे. अब उन के बीच इतनी दूरियां आ गई थीं कि एक की बरबादी की खबर दूसरे को आनंदित कर देती. वे सोचते, उन के साथ ऐसा ही होना चाहिए था.

धीरेधीरे उन दोनों का ही व्यापार ठप होने लगा और आपसी प्यार व विश्वास की दीवारें गिरने लगीं. उन के बीच दरारें पैदा कर और पैसे ऐंठ कर पंडितजी ने एक फ्लैट खरीद लिया और घर में हर तरह की सुविधाएं जुटा लीं. उन के बच्चे अंगरेजी स्कूल में जाने लगे.

जब पंडितजी ने देखा कि अब दोनों परिवार खोखले हो गए हैं और उन्हें देने के लिए उन के पास धन नहीं है तो उन का आनाजाना कम होने लगा. अब राजीव और रंजन उन्हें सलाह लेने के लिए बुलाते तो वे काम का बहाना बना टाल जाते. आखिर, उन्हें तो अपनी कमाई का और कोई जरिया ढूंढ़ना था, इसलिए बहुत जल्दी ही उन्होंने दवाइयों के व्यापारी मनक अग्रवाल के घर आनाजाना आरंभ कर दिया.

‘‘क्या बताऊं यजमान, कैसा जमाना आ गया है. आप कपड़ा व्यापारी भाई रंजन और राजीव भैया को तो जानते ही होंगे, कितना अच्छा व्यापार था दोनों का. पैसों में खेलते थे, पर विडंबना तो देखो, दोनों भाइयों की आपस में बिलकुल नहीं बनती. आपसी लड़ाईझगड़ों के चलते व्यापार तो लगभग ठप ही समझो.

‘‘आप भी तो हैं, कितना स्नेह है तीनों भाइयों में. अगलबगल 3 कोठियों में आप लोग रहते हो, पर मजाल है कि आप के दोनों छोटे भाई आप की कोई बात टाल जाएं. यहां आ कर तो मन प्रसन्न हो जाता है. मैं तो कहता हूं कि मां लक्ष्मी की कृपा आप पर इसी तरह बनी रहे,’’ काजू की बर्फी के 2-3 पीस एकसाथ मुंह में रखते हुए पंडितजी ने कहा.

‘‘बस, आप का आशीर्वाद चाहिए पंडितजी,’’ सेठ मनक अग्रवाल ने दोनों हाथ जोड़ कर कहा.

‘‘वह तो हमेशा आप के साथ है. मेरी मानो तो इस रविवार लक्ष्मीपूजन करवा लो.’’

‘‘जैसी आप की इच्छा,’’ कह मनक अग्रवाल ने उन के सामने हाथ जोड़ लिए. वहां से कुछ देर बाद जब पंडितजी निकले तो उन के हाथ में काजू की बर्फी का डब्बा और 2100 रुपए का एक लिफाफा था.

आने वाले रविवार को तो तगड़ी दक्षिणा मिलेगी, इसी का हिसाबकिताब लगाते पंडितजी अपने घर की ओर बढ़ गए.

उन के चेहरे पर एक कुटिल मुसकान खेल रही थी और आंखों से धूर्तता टपक रही थी. बस, उन्हें तो अब तीनों भाइयों की बंद मुट्ठी को खोलना था. उन का हाथ जेब में रखे लिफाफे पर गया. लिफाफे की गरमाहट उन्हें एक सुकून दे रही थी.

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बनाए रेस्टोरेंट जैसा आचारी पनीर

अचारी पनीर बनाने की विधि बहुत आसान है. इसका स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है. इसमें मैदा, दही और कुछ मसालें मिलाकर बेहद स्वादिष्ट रेसिपी बनती है.ये खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है. तो देर किस बात की झट से इसकी रेसिपी बताते हैं.

सामग्री

1 कप पनीर के टुकडे

2 टी-स्पून तेल

1 टी-स्पून सौंफ़

¼ टी-स्पून सरसों

1/4 टी-स्पून मेथी के दानें

1 टी-स्पून कलैंजी

1/2 टी-स्पून ज़ीरा

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1/2 टी-स्पून हींग

1/2 कप स्लाइस किए हुए प्याज़

1/2 टी-स्पून हल्दी पाउडर

1/2 टी-स्पून लाल मिर्च का पाउडर

1/2 टी-स्पून काला नमक

3/4 कप फेंटा हुआ दही

1 टी-स्पून मैदा

2 टेबल-स्पून कटा हुआ धनिया

नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधि

अचारी पनीर बनाने के लिए, एक गहरे नौन-स्टिक पैन में तेल गरम कीजिए और उसमें सौफ, सरसों, मेथी के दानें, कलौंजी, जीरा और हींग डालकर उसे मध्यम आंच पर 1 मिनट के लिए भून लीजिए.

उसमें प्याज डालकर 2 मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लीजिए.

उसमें पनीर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च का पाउडर और काला नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए और उसे मध्यम आंच पर 1 मिनट के लिए बीच-बीच में हिलाते हुए पका लीजिए.

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उसमें दही और मैदा डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए और उसे मध्यम आंच पर 1 से 2 मिनट के लिए बीच-बीच में हिलाते हुए पका लीजिए.

आंच को बंद कर दीजिए और उसमें धनिया और नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए.

चपाती या चावल के साथ गरमा-गरम परोसें.

चीन को पछाड़ देगा भारत लेकिन…

विश्व में सब से ज्यादा आबादी वाले देश चीन और विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र भारत के मध्य बौर्डर पर हुई हालिया हिंसक झड़प व मौजूदा गंभीर तनाव के बीच भारत एक माने में प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने वाला है. बढ़ती आबादी से चिंतित दुनिया के देशों के लिए अच्छी खबर यह है कि इस का बढ़ना तो रुकेगा ही, घटना भी शुरू हो जाएगा.

थमेगा बढ़ने का सिलसिला :

दुनिया की आबादी के बढ़ने का सिलसिला अब से 44 वर्षों बाद थम जाएगा. तब यानी वर्ष 2064 में 9.7 अरब के साथ दुनिया की आबादी चरम पर होगी. उस के बाद उस के घटने का सिलसिला शुरू हो जाएगा और इस सदी (21वीं) के आखिर तक यह घट कर 8.8 अरब रह जाएगी.

पीछे रह जाएगा चीन :

वर्ष 2100 तक 1.09 अरब की जनसंख्या के साथ भारत सब से ज्यादा आबादी वाला देश होगा. फिलहाल विश्व की कुल आबादी 7.8 अरब है. इस में भारत की आबादी 1.38 अरब है जबकि चीन की 1.40 अरब है. वर्ष 2030 तक भारत की आबादी 1.65 अरब हो जाएगी, तब ही भारत प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ कर आबादी में नंबर वन हो जाएगा. तब तक दुनिया की आबादी 8.14 अरब हो चुकी होगी. मौजूदा समय में चीन की आबादी के बढ़ने की रफ़्तार भारत की आबादी के बढ़ने की रफ़्तार से धीमी है.

बढ़ते रहेंगे नाइजीरियाई : 

द लैंसेट जरनल में प्रकाशित यूनिवर्सिटी औफ वाशिंगटन के इंस्टिट्यूट फौर हैल्थ मैट्रिक्स ऐंड इवोल्यूशन (आईएचएमई) के शोध के अनुसार, वर्ष 2100 में आबादी के मामले में भारत के बाद दूसरा स्थान नाइजीरिया (79.1 करोड़), तीसरा चीन (73.2 करोड़), चौथा अमेरिका (33.6 करोड़) और 5वां पाकिस्तान (24.8 करोड़) का होगा. विश्लेषणात्मक शोध में यह अनुमान भी लगाया गया है कि भारत और चीन जैसे देशों में कामकाज करने योग्य आबादी में कमी आएगी.

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आधी रह जाएगी आबादी :

दिलचस्प यह है कि वर्ष 2100 तक इटली, जापान, पोलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया, स्पेन और थाईलैंड समेत दुनिया के 20 से ज़्यादा देशों की जनसंख्या आधी से भी कम रह जाएगी. इस समय दुनिया में सब से ज़्यादा आबादी वाले देश चीन की आबादी 1.40 अरब है, जो अगले 80 वर्षों में घट कर 73 करोड़ रह जाएगी.

द लैंसेट में प्रकाशित शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम के अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2100 में ज़मीन पर 8.8 अरब लोग होंगे, यानी, संयुक्त राष्ट्र संघ के ताज़ा अनुमानों से 2 अरब कम. हालांकि, अफ़्रीक़ी देशों की आबादी तीनगुना बढ़ जाएगी. अफ़्रीकी देश नाइजीरिया की आबादी बढ़ कर 80 करोड़ हो जाएगी. वह भारत (1 अरब 10 करोड़) के बाद दूसरा सब से ज्यादा आबादी वाला देश होगा.

संतुलनअसंतुलन :

विश्व की आबादी का घटना पर्यावरण के लिए अच्छी ख़बर है. वहीं, इस के नतीजे में ज़मीन पर खाने के लिए उगाई जाने वाली सामग्री का बोझ कम हो जाएगा. दूसरी तरफ, ग़ैरअफ़्रीक़ी देशों में आबादी घटने के कारण श्रमबल में कमी आएगी, जिस का उन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा.

शोध के मुताबिक, 5 से कम उम्र के बच्चों की संख्या 40 फीसदी से ज्यादा घटने का अनुमान है. इन बच्चों की आज की आबादी 681 मिलियन से वर्ष 2100 में 401 मिलियन रह जाएगी. दूसरी ओर, वैश्विक आबादी का एकचौथाई से ज्यादा, यानी 2.37 अरब लोग, 65 वर्ष से अधिक उम्र के होंगे. 80 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या, जो आज लगभग 14 करोड़ है, बढ़ कर 86.6 करोड़ तक हो जाएगी. वहीँ, काम करने वालों की संख्या में भारी गिरावट से कई देशों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

कोविड-19 से 50 फीसदी तक घटेगी जन्मदर :

कोरोना के शुरुआती दौर मार्चअप्रैल में लौकडाउन के साथ यूनिसेफ समेत तमाम एजेंसियों ने अनुमान लगाया था कि दुनिया में जन्मदर तेजी से बढ़ेगी और अगले साल आबादी पर इस का असर दिखेगा. हालांकि, मई, जून और जुलाई में कोरोना के बढ़ते कहर के साथ अब अमेरिका, यूरोप और तमाम एशियाई देशों में जन्मदर में 30 से 50 फीसदी तक की कमी का अनुमान जताया गया है.

लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के सर्वे के अनुसार, कोरोनाकाल विश्व की आबादी में उछाल के बजाय गिरावट का कारण बनेगा. यूरोपीय देश इटली, जरमनी, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की बात करें तो 18-34 साल की उम्र के 50 से 60 फीसदी युवाओं ने परिवार आगे बढ़ाने की योजना को एक साल तक के लिए टाल दिया है.

सर्वे के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग औऱ अन्य पाबंदियों के बीच बेबी बूम (भारी तादाद में बच्चे पैदा होने) की कोई संभावना नहीं है. सर्वे में फ्रांस और जरमनी में 50 फीसदी युवा दंपतियों ने कहा कि वे महामारी के कारण बच्चे की योजना को टाल रहे हैं. ब्रिटेन में 58 फीसदी ने कहा कि वे परिवार आगे बढ़ाने के बारे में फिलहाल सोचेंगे भी नहीं.

सिर्फ 23 फीसदी दंपतियों ने इस से कोई फर्क न पड़ने की बात कही. इटली में 38 फीसदी और स्पेन में 50 फीसदी से ज्यादा युवाओं ने कहा कि उन की आर्थिक और मानसिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है कि वे बच्चे का खयाल रख भी पाएंगे. दंपतियों ने बेरोजगारी को देखते हुए भी परिवार का बोझ न बढ़ाने का समर्थन किया. यह भी आशंका जताई कि अगर अभी वे बच्चा करते हैं तो शायद उन्हें बेहतर इलाज की सुविधाएं भी नहीं मिल पाएंगी. डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नौर्वे और आइसलैंड में भी यही ट्रैंड दिख रहा है.

भारत में भी दिखेगा असर :

यूनिसेफ ने भारत में मार्चदिसंबर के बीच सर्वाधिक 2 करोड़ और चीन में 1.3 करोड़ बच्चे जन्म लेने का अनुमान लगाया था, हालांकि बदले हालात में इस में कमी का अनुमान है. भारत के 13 राज्यों में प्रजनन दर पहले ही काफी नीचे आ चुकी है.

सेव द चिल्ड्रेन के प्रोग्राम एवं पौलिसी इंपैक्ट के निदेशक अनिंदित रौय चौधुरी का कहना है कि भारत के शहरी और ग्रामीण परिवेश में कोविड-19 का प्रभाव जन्मदर पर अलगअलग दिख सकता है. कुपोषण, टीकाकरण, शिक्षा व स्वास्थ्य को लें, तो कोविड का सब से ज्यादा प्रभाव बच्चों पर ही पड़ा है. ऐसे में युवा परिवार बढ़ाने या न बढ़ाने को ले कर क्या कदम उठाते हैं, यह आने वाले समय में पता चलेगा.

आबादी से जुड़े दिलचस्प संकेत :

*  संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूएनओ का अनुमान है कि पूरी दुनिया की आबादी 2023 तक 8 अरब और 2056 तक 10 अरब को पार कर देगी. बता दें कि यूएनओ के अनुमान और द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में फर्क है.

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*  वर्ष 2025-30 तक भारत की जनसंख्‍या 1 अरब 65 करोड़ हो जाएगी. तब भारत पड़ोसी चीन को पछाड़ कर आबादी में नंबर वन हो जाएगा. तब तक दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ हो चुकी होगी.

*  विश्व की आधी आबादी 9 देशों में रहती है. 2017 से 2050 तक भारत, नाइजीरिया, कांगो का लोकतांत्रिक गणराज्य, पाकिस्तान, इथियोपिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, तंजानिया, युगांडा और इंडोनेशिया जनसंख्या वृद्धि में सब से ज्यादा योगदान देंगे. इस का मतलब है कि अफ्रीका की आबादी अब और 2050 के बीच लगभग दोगुना हो जाएगी.

*  आबादी के मामले में नाइजीरिया  2050 से पहले अमेरिका को पीछे छोड़ कर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा. आज के दौर में सब से तेजी से आबादी में वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया ही है.

* इस समय विश्‍व की कुल आबादी 7.7 बिलियन यानी कि 7.77 अरब है. विश्व में सब से ज्यादा आबादी वाला देश चीन है, इस की कुल आबादी 1.41 अरब है. आबादी के मामले में चीन पहले स्थान पर है और दूसरे नंबर पर भारत जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है.

*  संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाग के डायरैक्टर जौन विल्मोथ ने हाल ही में कहा कि ताजा अध्ययन में पाया गया कि  अगले 30 वर्षों में भारत की आबादी में 27.3  अरब की वृद्धि हो सकती है. इस हिसाब से 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 अरब होने का अनुमान है.

बहरहाल, यह सब अनुमानित शोध के मुताबिक है लेकिन गौर करने लायक जो बात है वह यह है कि यदि भारत अपनी स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली को सुधार कर विश्वस्तर पर ले आए तो इस का विशाल जनसमूह न केवल देश, बल्कि संसारभर में प्रभावशाली स्थान और रूप में रह सकेगा.

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