मानसून में घर को रखें सुरक्षित कुछ ऐसे

रिमझिम बारिश सबके लिए खुशियाँ लाती है, क्योंकि भीषण गर्मी से राहत मानसून ही दिलाती है, पर इस मौसम में नमी की अधिकता की वजह से घरों और आसपास के सामानों में जंग और फफूंद की समस्या बढ़ जाती है, जिसका उपाय कर लेने से इस मौसम का आनंद अच्छी तरह से लिया जा सकता है. मुंबई जैसे शहर में जहाँ मानसूनी बरसात लगातार कुछ दिनों तक बरसता रहता है. चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ता है. नदी तालाब सब उफान पर होते है, ऐसे में घर को मानसून की नमी से बचाने के लिए कुछ उपाय पहले से करना जरुरी होता है.

मसलन दीवारों से पानी की रिसाव को रोकना,  फर्नीचर के सामानों में फफूंद लगने से बचाना, घर की सतहों को गीलेपन से बचाना, कपड़ों को सही तरह से अलमारी में रखना, कमरों में फ्रेश सुगंध को फैलाना आदि कई है. इस बारें में गोदरेज लॉक्‍स एंड आर्किटेक्‍चरल फिटिंग्‍स एंड सिस्‍टम्‍स के बिजनेस हेड, श्री श्‍याम मोटवानी का कहना है कि बारिश में घरों को स्वच्छ और प्रदुषण रहित रखना हर किसी के लिए चुनौती होती है. लगातार की बारिश से नमी का प्रवेश घरों में होता रहता है,जिससे घर को बचाना आवश्यक है. खासकर इनदिनों जबकि पूरा देश कोरोना संक्रमण की वजह से घरों में कैद है. कुछ सुझाव निम्न है, 

1. बिजली के ढीले तारों को ठीक करना इस समय बहुत आवश्यक है, क्योंकि बारिश के दौरान ढीले तार  सुरक्षित हो सकते हैं, तेज हवा और भारी बारिश के कारण कई बार बिजली बंद भी करनी पड़ती है, क्योंकि गीले तार के चलते शॉर्ट सर्किट हो सकता है, घर या इमारत में आग लग सकती है, जान माल की क्षति हो सकती है, जो बेहद खतरनाक हो सकता है.

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2. दीवारों और छतों में लीक होने से बारिश का पानी दीवारों और छतों की दरारों से रिस कर अंदर आने लगती है, ऐसे में दीवारों में सड़न से बदबू, फफूंदी, दीवारों का कमजोर होना आदि की समस्या आती है, इसे हटाने के लिए फफूंदी को साफ़ कर ब्लीच और पानी के मिश्रण का घोल तैयार कर उन जगहों पर लगा दें, यह सफाई के अलावा कीटनाशक भी है और फिर से फफूंदी लगने से दीवारों को बचाता भी है, इससे बचने के लिए जलरोधी कोटिंग के साथ दीवार को पेंट करके इस तरह के लीकेज से बचा जा सकता है, ताजी हवा और प्राकृतिक प्रकाश को अंदर जाने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बीच-बीच में खोलें, कमरों का रंग ब्राइट रखे ताकि आपका मन हमेशा प्रसन्न रहे, इसके अलावा बारिश के बाद छतों और दीवारों के लीक को जल्दी से ठीक करवाना न भूलें. 

3. बारिश में लोहे के सामानों पर जंग जल्दी लग जाता है, जिसमें तालों के रखरखाव पर अधिक ध्यान देनी पड़ती है. ताला ख़राब न हो इससे पहले उसकी देखभाल कर लेनी चाहिए, हर तीन महीने पर अपने घर के तालों को चेक कर लें कि वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, यदि ताला ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो बाज़ार में मिलने वाले WD40 स्प्रे का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे ताले के अंदरूनी हिस्से में जमा धूल को हटाने में मदद मिलती है, इसके अलावा ताले की सतह को साफ करने के लिए एक नरम कपड़े का उपयोग करनी चाहिए. 

4. ज्यादातर घरों में लकड़ी के फर्नीचर या चमड़े के समान होते है, नमी युक्त हवा होने की वजह से बारिश में इस पर फंगस आ जाती है, इसलिए इन सामानों को खिडकियों और दरवाजों से दूर रखे. सामानों को नमी से बचाने के लिए अलमारी में कपूर के गोलेनीम के पत्ते या लौंग डालें. नमी को दूर करने के लिए लकड़ी के फर्नीचर और चमड़े के सामनों पर पॉलिश या मोम का उपयोग भी कर सकती है, क्योंकि नमी के चलते कीड़े या दीमक भी लग सकते हैं। 

5. दरवाजों और खिड़कियों को सुरक्षित रखन भी इस मौसम में एक चुनौती है, क्योंकि हवा में नमी की मात्रा अधिक होने की वजह से लकड़ी के दरवाजे फूल सकते हैं, इन्‍हें फूलने से बचाने के लिए दरवाजे के किनारों पर तेल लगाएं, इसके अलावा दरवाजे का जो हिस्‍सा फूला हुआ है और बंद करते समय फंस रहा है, उस हिस्से पर सैंडपेपर का उपयोग करें, घरों की खिड़कियों को बारिश से अधिक खतरा होता है और यदि इसे ठीक नहीं रखा जाये, तो इससे पानी का रिसाव हो सकता है. यूपीवीसी (अनप्‍लास्टिसाइज्‍ड पॉलीविनाइल क्‍लोराइड भी कहा जाता है) से बने खिड़की के फ्रेम नमी प्रतिरोधी होता है, जिससे बारिश का पानी और नमी को अंदर आने से रोका जा सकता है. इसके अलावा खिड़की और दरवाजे के कब्जे ठीक से लगे है या नही इसकी भी जाँच करते रहना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सकें.

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6. मानसून के दौरान बाथरूम और किचन की नालियों को साफ़ रखना और ढके रहने की अत्यंत जरुरी है. सप्ताह में एक बार उन्हें साफ़ करने की कोशिश करें, भरे हुए नाली से दुर्गन्ध आती है और कीड़े-मकोड़े जन्म लेते है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इसके लिए बाज़ार में मिलने वाले कई उत्पाद का प्रयोग करें, साथ ही फ्रेशनेस के लिए फिनायल की गोली नालियों के पास रखें. 

कभी भूल कर भी अपने बच्चो के सामने न करें ऐसी बातें, वरना हो सकते है खतरनाक परिणाम

कोई माता- पिता नहीं चाहता है कि उसकी संतान कुछ भी गलत सीखे. पर जाने अनजाने कभी न कभी हम माता- पिता से ऐसी कई चीज़े हो जाती है जो हमारे बच्चो के मष्तिस्क पर गलत छाप छोड़ जाती हैं.क्योंकि ऐसा माना जाता है की बच्चो का मष्तिस्क एक कोरे कागज की तरह होता है और इस कोरे कागज़ पर कुछ भी लिखा जाता है तो वो हमेशा के लिए अमिट हो जाता है. क्योंकि बचपन की बाते और आदतें आसानी से हमारे दिमाग से नहीं जाती है.

और अगर समय रहते इन चीज़ों पर ध्यान न दिया गया तो हमारी ये गलतियां आगे चलकर हमारे बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी रुकावट बन सकती है.

तो चलिए जानते है की ऐसी कौन सी बाते है जिन पर एक माता-पिता का ध्यान देना बहुत आवश्यक है-

1-बच्चो के सामने अपमानजनक और अश्लील शब्दों का प्रयोग न करे-

जब पहली बार एक बच्चा अपने पहले शब्द के रूप में माँ या पापा या कुछ भी कहता है तो उसका ये पहला शब्द एक माता- पिता के कानों में संगीत घोल देता है और वो कभी अपने बच्चे के पहले शब्द को नहीं भूल पाते. हालाँकि बच्चा बोलने के साथ साथ जीवन का एक और मत्वपूर्ण सबक लेता है और वो है -आपके नक्शेकदम पर चलना ,पर ज़रा सोचिये की क्या होगा यदि आपके बच्चे द्वारा बोला गया पहला शब्द एक आक्रामक शब्द है – आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे?

आज कल की जीवन शैली ने हमे कुछ ऐसे नए शब्द दिए है जिनको use करने से पहले हम सोचते तक नहीं है.क्योंकि हमारी ये सोच है की ये शब्द हमे हमारे आधुनिक होने का एहसास कराते है.हमारे मुंह से अक्सर जाने अनजाने में बच्चो के सामने f * ck, sh * t, और भी कई रंगीन शब्द यूँ ही निकल जाते है ,पर ज़रा सोचिये अगर यही शब्द आपका बच्चा किसी और से बात करने के दौरान use करे तो आपको कितनी शर्मिंदगी होगी.

एक चीज़ हमेशा ध्यान रखें ,अपमानजनक शब्दों ने कभी किसी का भला नहीं किया है, तो फिर हम इन शब्दों का इस्तेमाल क्यों करें?

एक माता- पिता होने के नाते हमे हमेशा एक चीज़ का ध्यान रखना चाहिए की हम कभी भी जाने अनजाने अपने बच्चो के सामने गलत शब्दों का प्रयोग न करें.क्योंकि बच्चे बहुत जल्दी बोलना सीखते हैं और यदि वे आपको इसका उपयोग करते हुए देखते हैं, तो वे सोचते हैं कि इसका उपयोग करना अच्छा है. और फिर बच्चे भी उसी तरह भाषा शैली अपनाने लगते हैं जिस कारण आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है.

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2-बच्चो के सामने कभी भी एक दूसरे का अपमान न करे-

आज कल के दौर में लड़ाई या अपमान किसी भी तरह की परिस्तिथि का हल निकालने का एक आसान विकल्प बन गया है.अक्सर माता- पिता अपने बच्चो के सामने ही किसी भी छोटी बड़ी बात पर लड़ना या एक दूसरे का अपमान करना चालू कर देते है .

पर आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की आपकी लड़ाई बच्चो को कितना प्रभावित कर सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि जो बच्चे मध्यम पारिवारिक समस्याओं वाले घर में बड़े होते हैं, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में छोटे सेरिबैलम होते थे. सेरिबैलम मस्तिष्क का एक हिस्सा है जो मनोरोग से जुड़ा हुआ है.इसका मतलब उन बच्चो में मनोरोग से सम्बंधित बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.

इसलिए हर माता- पिता को ये कोशिश करनी चाहिए की वे अपने आपसी मतभेदों को बंद दरवाज़े के पीछे ही सुलझा ले और एक दुसरे का सम्मान करे और खुद को अपने बच्चो की निगांहों में एक आदर्श कपल साबित करें . क्योंकि आपका बच्चा आपकी परछाई होता है और अगर आप ही एक दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो बच्चे के निगांहों में आपकी छवि काफी धूमिल हो जाएगी ,फिर आपका अपने बच्चे से सम्मान पाना काफी मुश्किल होगा. और उसकी ये प्रवृत्ति उसे गलत मार्ग पर भी ले जा सकती है.

3- कसम खाना

आजकल एक और चीज़ बहुत ट्रेंड में है और वो है “मै कसम खाती हूँ या i swear” .और क्या आपको पता हैं की इन शब्दों का प्रयोग बात बात पर अमूमन सभी घरों में बहुत ही बेबाकी से होता है.चाहे अपने आपको सही साबित करना हो या सामने वाले से सच उगलवाना हो ,अक्सर हम कहते है “की खाओ कसम या मै कसम खाता हूँ या खाती हूँ या i swear “.पर क्या आप जानते है की इस छोटे से शब्द का एक बच्चे के दिमाग पर कितना गहरा असर पड़ता है.जैसे जैसे वो बड़ा होता है ये शब्द उसे एक ढाल की तरह लगने लगता है.वो ये सोचता है की मै अपनी कोई भी गलती छुपा सकता हूँ इस शब्द को use करके और यही सोच उसे बात बात पर झूठ बोलना सिखा देती है.
इसलिए कभी भी अपने बच्चों के सामने कसम जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए.

4- रिश्वत देने की आदत

“पापा , अगर मैं दुकान में अच्छा व्यवहार करता हूं तो मुझे क्या मिलेगा? या पापा अगर मै अपना होम वर्क कर लूँगा तो मुझे क्या मिलेगा ?” मैंने ये जनरल स्टोर की दुकान से गुजर रहे किसी बच्चे को अपने पापा से पूछते हुए सुना. मै ये सुनकर आगे बढ़ गयी ,क्योंकि मुझे लगा की जवाब तो मुझे पता है.पर अचानक कुछ शब्दों ने मेरे पैरों को रोक लिया .क्योंकि उसके पापा का जवाब था ” बेटा ,आपको एक खुशहाल परिवार मिलेगा”,

उनके इस जवाब से मुझे एक बहुत बड़ी सीख सीखने को मिली.की रिश्वत देना और लेना तो हम ही अपने बच्चो को सिखाते है और कहीं न कहीं उनके अन्धकार भरे भविष्य में हमारा भी एक बहुत बड़ा योगदान है.
दोस्तों रिश्वत, बच्चों को सम्मान और जिम्मेदारी सिखाने में बिलकुल विफल होती है.ये सिर्फ उनके अन्दर एक लालच का भाव पैदा करती है जो आगे चलकर उन्हें किसी कठिन परिस्तिथि में डाल सकता है.. इसलिए प्रभावी पेरेंटिंग कौशल का अभ्यास करें जो बच्चे को बिना किसी शर्त अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जागरूक बनाये.

5- बच्चो के सामने कभी भी अपने पद-प्रतिष्ठा का बखान नहीं करना चाहिए

ये अक्सर कई घरों में देखा जाता है की लोग अपने ओहदे और अपने पैसों का बखान अपने बच्चो के सामने ही करने लगते है.कुछ घरों में तो मैंने यहाँ तक माता-पिता को कहते सुना है की “ये तो हमारा एकलौता लड़का है .हमारा सबकुछ तो इसी का है, अगर पढाई में मन नहीं लगेगा तो हम इसे बिज़नेस करा देंगे.

पर क्या आप जानते है की आपके इस लाड – प्यार का आपके बच्चे पर क्या असर पड़ेगा. वो अपनी जिम्मेदारियों को कभी समझ ही नहीं पायेगा और ऐसा करने से बच्चों के दिमाग में बहुत ही गलत धारणाएं बनती चली जाएँगी हैं.और आगे चलकर आपको और आपके बच्चे को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.

इसलिए चाहे आपके पास कितनी भी दौलत या शोहरत क्यों न हो आपका पहला फ़र्ज़ है अपने बच्चे को एक ज़िम्मेदार इंसान बनाना .और एक चीज़ पैसों से संस्कार नहीं खरीदे जा सकते.इसलिए कभी भी अपने बच्चे के सामने अपनी पद प्रतिस्ठा का बखान बिलकुल न करे.

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6-बच्चो के सामने न करे किसी की बुराई

कभी भी बच्चे के सामने अपने रिश्तेदार या अपने पडोसी की बुराई नहीं करनी चाहिए और न ही अपने बच्चे को दूसरों के लिए कुछ भी गलत सिखाना चाहिए . ऐसा करने से बच्चो के अन्दर एक गलत भावना का संचार होता है और उन्हें किसी की अच्छाई भी दिखना बंद हो जाती है.जिससे उनके अन्दर एक नकारात्मकता का भाव आ जाता है .और कहीं न कहीं कुछ समय बाद आपकी वही सीख वो आप पर use करने लगते हैं.

इस लेख के माध्यम से मै बस आपसे ये कहना चाहती हूँ की बच्चे दिल के बहुत साफ़ और मासूम होते है .हम उनकी पहली पाठशाला है .वो हमे बचपन से ही अपना आइडियल मानते है.इसलिए कुछ भी करने या कहने से पहले एक बार ये सोच ले की अगर कल को वही चीज़ आपका बच्चा आपके या किसी और के सामने करेगा या कहेगा तो आपको कैसा लगेगा.
एक चीज़ और अपने बच्चो से कुछ भी करने को कहने से पहले आपको वो चीज़ स्वयं करने की आवश्यकता है .एक आप ही है जो अपने कार्यों के माध्यम से अच्छी आदतों के महत्व को अपने बच्चो तक पहुंचा सकते है.

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाने की जरुरत

कोरोनावायरस महामारी की वजह  से माताएं अपने नवजात बच्चों को दूध पिलाने से हिचक रही हैं. वे ब्रेस्टफीडिंग से  आशंकित हैं. हालांकि ब्रेस्टफीडिंग आखिरकार एक पर्सनल निर्णय होता है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) और एकेडमी ऑफ ब्रेस्टफीडिंग मेडिसिन (ABM) सभी ने माँ द्वारा बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करने को सपोर्ट किया है भले ही वे कोविड 19 से इन्फेक्टेड ही क्यों न हो.

मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा कंसल्टेंट लैक्टेशन एक्सपर्ट & फिजियोथेरेपिस्ट डॉ शिल्पी श्रीवास्तव ने  सुझाव दिया है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से माँ और उसके बच्चे दोनों को बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं. हालाँकि, भारत में, यह पाया गया है कि जन्म के एक घंटे के भीतर 50% से कम बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराया जाता है, फिर भी पहले छह महीनों में  ब्रेस्टफीडिंग कराने का रेट 55% ही है.

ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआती पहल और एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग हर साल डायरिया और निमोनिया के कारण बच्चों की होने वाली लगभग 99,499 मौतों को रोक सकती हैं. लेकिन आज की भागदौड़  भरी दुनिया में ढंग से ब्रेस्टफीडिंग कराने के शेड्यूल को सपोर्ट करने के लिए रिसोर्सेस और समय निकालना मुश्किल हो सकता है. इससे भी ज्यादा दिक्कत कई नयी बनी माताओं को तब आती जब वह अपने आसपास के लोगो के द्वारा आलोचना किये जाने के डर से पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने में सहज नहीं महसूस कर पाती है. महिलाओं को पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने का अधिकार होना चाहिए, फिर भी ज्यादातर महिलाएं पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कभी नहीं कराती है.

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने में कैसे मदद करें?

ब्रेस्टफीडिंग उन रिसोर्सेज और नीतियों को हाईलाइट करके सामान्य किया जा सकता है जो महिलाओं को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए सशक्त बनाता है . ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने से उन सभी माताओं को मदद मिलती है, जो ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहती हैं लेकिन उन्हें नहीं पता होता है कि कैसे कराएं. इससे उन सभी माताओं को भी मदद मिलेगी जो पब्लिक प्लेस में अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से शर्माती हैं. कुछ ऐसे तरीके है जिससे ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाया जा सकता है-

चैलेन्ज के बारें में बात करें

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने का एक पार्ट पहचानना होता है कि कुछ महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराने में कैसी मुश्किलें झेलती हैं. यह तो सच है कि जो पहली बार माँ बनती हैं उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराने का कोई अनुभव नहीं होता है. इसलिए उन्हें अपने नवजात बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए डिलीवरी से पहले वाली विजिट में प्रॉपर कॉउंसलिंग की जरूरत होती है. हमारी कन्सल्टेशन्स इसे चैलेंजिंग समझने वाली माताओं के लिए आसान बना सकती है.

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ब्रेस्टफीडिंग के अधिकार को स्वीकार करें

ब्रेस्टफीडिंग के बारे में अक्सर “चॉइस” के रूप में बात की जाती है यह माताओं के लिए मिसलीडिंग हो सकता है. महिलाओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग को एक अधिकार के रूप में सपोर्ट करें और सामाजिक बाधाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाएं. घर पर, वर्किंग प्लेस और पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने में अड़चने आती हैं. नर्सिंग माताओं को दूसरों द्वारा शर्मिंदा होने और एक्सपोज्ड होने के बजाय अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराने में सहज महसूस करना चाहिए. पॉलिसी के बदलाव को बढ़ावा दें-

कई कंपनियां और संस्था पॉलिसी के बदलाव के जरिये ब्रेस्टफीडिंग के लिए अपना समर्थन देते रहते हैं. पॉलिसी में होने वाले बदलाव से महिलाओं को नर्सिंग में आसानी होती है. ये कदम ब्रेस्टफीडिंग को जिस तरह से हम  देखते हैं उनको बेहतरी के लिए एक नयी तस्वीर पेश करती हैं.

नर्सिंग माओं के रिसोर्सेज को सपोर्ट करें-

माताओं को ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने में मदद करने के लिए सर्टिफाइड लैक्टेशन कंसल्टेंट्स उपलब्ध होता हैं और यह जरूरी है महिलाएं एक्सपर्ट्स से लगातार सलाह लेती रहें. कई सामुदायिक संसाधन है जो हॉस्पिटल से निकलने के बाद माताओं की मदद कर सकते हैं. इन सामुदायिक संसाधन में दूसरी ब्रेस्टफीडिंग माताओं का ग्रुप, ब्रेस्टफीडिंग क्लासेस, डोनर ब्रेस्ट मिल्क प्रोग्राम के साथ और भी बहुत कुछ होता है.

ब्रेस्टफीडिंग के लिए वर्चुअल सपोर्ट

कई  वर्चुअल सपोर्ट ग्रुप का गठन लैक्टेशन एक्सपर्ट्स द्वारा नई बनी माताओं के लिए किया गया है ताकि कोविड-19 के समय में ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित किया जा सके. मां का दूध नवजात शिशुओं को किसी भी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए सबसे अच्छी ढाल होती है. लैक्टेशन एक्सपर्ट्स ब्रेस्टफीडिंग से सम्बंधित चिंताओं और प्रश्नों को भी एड्रेस करते हैं. ऐसे ग्रुप का मुख्य उद्देश्य नयी माँ बनी माताओं को ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने में जितना सपोर्ट हो सके उन्हें सपोर्ट करना होता है.

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इससे भी आगे

इस मुद्दे के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाना महिलाओं को एक-दूसरे की वकालत करने में मदद करता है और ब्रेस्टफीडिंग कम्युनिटी को ज्यादा इन्क्लूसिव बनाता है. यह उन सदियों पुरानी मानसिकता को भी बदलेगा जो हमें यह बताती हैं कि ब्रेस्ट नेचुरली सेक्सुअल होता हैं, आइटम बेचने और विज्ञापन में ब्रेस्ट ठीक हैं, यह देख सकते हैं, लेकिन बच्चे को दूध पिलाते हुए इसे नहीं देखना चाहिए, आदि. हमें यह दिखाने की जरूरत है कि अपने  ब्रेस्ट से अपने बच्चों को दूध पिलाना सामान्य है. यदि आप नहीं चाहते कि इसे देखें तो फिर न देखें. यह बहुत ही आसान है.

प्रियंका चोपड़ा से लेकर करिश्मा तन्ना तक, इन एक्ट्रेस ने साड़ी में शेयर किए खुबसूरत लुक

कोरोनावायरस के बीच लोकल को वोकल बनाने के लिए हर कोई मेहनत कर रहा है. वहीं सेलेब्स भी लोकल प्रौडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए सोशलमीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. बीते दिनों नेशनल हैंडलूम डे के खास मौके पर बौलीवुड से लेकर टीवी एक्ट्रेस तक ने अपने कुछ साड़ियों में फोटोज शेयर करके लोकल और वोकल को बढ़ावा दिया, जिसमें सभी का सिंपल लुक फैंस को खूबसूरत लगा. आइए आपको दिखाते हैं नेशनल हैंडलूम डे के मौके पर एक्ट्रेसस का साड़ी कलेक्शन…

1. प्रियंका का छाया जादू

प्रियंका चोपड़ा ने हरे रंग की जामदानी साड़ी पहने हुए खुद की एक फोटो शेयर की, जिसे उन्होंने 2016 में पद्मश्री मिलने पर पहना था. अगर आप भी इस साड़ी लुक को ट्राय करना चाहते हैं तो हैवी ज्वैलरी ट्राय करना ना भूलें.

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2. विद्या बालन का लुक है परफेक्ट 

सोशलमीडिया पर शेयर की गई फोटो में विद्या बालन ने नारंगी और गुलाबी रंग के कौम्बिनेशन वाली साड़ी के साथ लोगों से अपनी प्रौडक्ट्स को पहनकर बुनकरों का समर्थन करने का आग्रह किया. आप भी इस लुक को किसी पार्टी या शादी में ट्राय कर सकती हैं.

3. दिया मिर्जा का लुक भी है खूबसूरत

दीया मिर्जा ने एक साड़ी में फोटो पोस्ट शेयर करते हुए और कहा कि उन्हें हमारे भारतीय कपड़ों और कपड़ों की समृद्ध विरासत पर गर्व है. ‘ दीया मिर्जा ने अपनी इस फोटो में  सिंपल पीच कलर की साड़ी के साथ ट्रैंडी पिंक ब्लाउज पहना था. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो हैवी इयरिंग्स के साथ उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा है.

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4. करिश्मा तन्ना का लुक है खूबसूरत

 

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मुस्कुराहट भरा मन।। #hope #love #potd #mood Pic by @tejasnerurkarr

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करिश्मा तन्ना की शेयर की गई फोटोज में वह सिंपल प्रिंटेड साड़ी के साथ फ्लफी पैटर्न वाला काला ब्लाउज उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था. वहीं इस लुक के साथ औक्साइड ज्वैलरी बेहद खूबसूरत लग रही थी.

शापित: बेटे के साथ क्यों रहना नही चाहती थी रश्मि?

‘‘रश्मिकहां हो तुम?

‘‘भई यह करेलों का मसाला तो कच्चा ही रह गया है.’’

फिर थोड़ी देर रुक कर भूपिंदर हंसते हुए बोला, ‘‘सतीशजी जिस दिन कुक नहीं आती हैं, ऐसा ही कच्चापक्का खाना बनता है.’’

ये सब बातें करतेकरते भूपिंदर यह भी भूल गया था कि आज रश्मि कोई नईनवेली दुलहन नहीं है, बल्कि सास बनने वाली है और आज जो खाने की मेज पर मेहमान बैठे हैं वे उस की होने वाली बहू के मातापिता हैं.

मम्मी के हाथों में करेले पकड़ाते हुए आदित्य बोला, ‘‘क्या जरूरत थी सोनाक्षी के मम्मीपापा को घर पर बुलाने की? ‘‘आप को पता है न वे कैसे हैं?’’

जैसे ही आदित्य बाहर आया तो भूपिंदर बोला, ‘‘भई, यह आदित्य तो अब तक मम्मा बौय है, सोनाक्षी को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.’’

आदित्य भी बिना लिहाज करे बोला, ‘‘मैं ही नहीं पापा, सोनाक्षी भी मम्मा गर्ल ही बनेगी.’’

तभी रश्मि खिसियाते हुए डाइनिंगटेबल पर फिर से करेलों की प्लेट ले कर आ गई. नारंगी और हरी तात कौटन की साड़ी में रश्मि बहुत ही सौम्य और सलीकेदार लग रही थी. खाना अच्छा ही बना हुआ था और डाइनिंगटेबल पर बहुत सलीके से लगा भी हुआ था, परंतु भूपिंदर फिर भी कभी नैपकिन के लिए तो कभी नमकदानी के लिए रश्मि को टोकता ही रहा.

माहौल में इतना अधिक तनाव था कि अच्छेखासे खाने का जायका खराब हो गया था. खाने के बाद भूपिंदर सतीश को ले कर ड्राइंगरूम में चला गया तो पूनम मीठे स्वर में रश्मि से बोली, ‘‘खाना बहुत अच्छा बना था और लगा भी बहुत सलीके से था.’’

‘‘परंतु लगता है भाईसाहब कुछ ज्यादा ही परफैक्शनिस्ट हैं.’’

रश्मि की बड़ीबड़ी शरबती आंखों में आंसू दरवाजे पर ही अटके हुए थे, उन्हें पीते हुए धीरे से बोली, ‘‘पूनमजी पर मेरा आदित्य अपने पापा से एकदम अलग हैं… हम आप की सोनाक्षी को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे.’’

पूनम अच्छी तरह सम?ा सकती थी कि रश्मि के मन पर क्या बीत रही होगी.

आदित्य और सोनाक्षी दोनों रोहिणी के जयपुर गोल्डन हौस्पिटल में डाक्टर हैं. दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं और जैसेकि आजकल होता है परिवार ने उन की पसंद पर सहमति की मुहर लगा दी थी. आज विवाह की आगे की बातचीत के लिए पूनम और सतीश आदित्य के घर खाने पर आए थे. भूपिंदर का यह रूप उन्हें अंदर तक हिला गया था. आदित्य का गुस्सा भी उन से छिपा नही था.

रास्ते में पूनम से रहा न गया, तो सतीश से बोली, ‘‘सबकुछ ठीक है, पर क्या तुम्हें लगता है कि आदित्य ठीक रहेगा अपनी सोनाक्षी के लिए?’’

‘‘उस के पापा उस की मम्मी को कितना बेइज्जत करते हैं. लड़का वही देख कर बड़ा हुआ है. मु?ो तो डर है कि कहीं आदित्य भी सोनाक्षी के साथ ऐसा ही व्यवहार न करे.’’

सतीश बोला, ‘‘देखो हम सोनाक्षी को सब बता देंगे, उस की जिंदगी है, फैसला भी उसी का होगा.’’

उधर रश्मि को लग रहा था कि कहीं भूपिंदर के व्यवहार के कारण सोनाक्षी और आदित्य के विवाह में रुकावट न आ जाए.

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आदित्य सोनाक्षी के मम्मीपापा के जाते ही भूपिंदर पर उबल पड़ा, ‘‘क्या जरूरत थी आप को सोनाक्षी के मम्मीपापा के सामने ऐसा व्यवहार करने की?’’

भूपिंदर बोला, ‘‘घर मेरा है, मैं जो चाहूं करूं. इतनी ही दिक्कत है तो अलग रह सकते हो.’’

तभी आदित्य ने दरवाजे पर खटखट की, तो रश्मि मुसकराते हुए बोली, ‘‘अंदर आ

जा, खटखट क्यों कर रहा है.’’

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी, पापा का यह व्यवहार और तुम्हारा चुपचाप सब सहन करना मु?ो अंदर तक आहत कर जाता है. आज मैं सोनाक्षी के मम्मीपापा के सामने आंख भी नहीं उठा पाया हूं. गुलाम बना कर रखा हुआ है इन्होंने हमें.’’

रश्मि आदित्य के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘आदित्य शिखा तेरी छोटी बहन तो गोवा में मैडिकल की पढ़ाई कर रही है और तू बेटा शादी के बाद अलग घर ले लेना.’’

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी और आप? मैं क्या इतना स्वार्थी हूं कि आप को अकेला छोड़ कर चला जाऊंगा?’’

रश्मि उदासी से बोली, ‘‘मैं तो शापित हूं, इस साथ के लिए बेटा. पर मैं बिलकुल नहीं चाहती कि तुम या सोनाक्षी ऐसे डर के साथ जिंदगी व्यतीत करो.’’

आदित्य का हौस्पिटल जाने का समय हो गया था. आज उस की नाइट शिफ्ट थी. फिर रश्मि आंखें बंद कर के सोने का प्रयास करने लगी पर नींद थी कि आंखों से कोसों दूर. आदित्य की शादी की उस के मन में कितनी उमंगें थीं. मगर वो अच्छी तरह जानती थी. हर बार गहनेकपड़ों के लिए उसे भूपिंदर

के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा. भूपिंदर कितनी लानत भेजेगा और साथ ही साथ वह यह भी जोड़ेगा कि उस ने आदित्य की मैडिकल की पढ़ाई में क्व25 लाख खर्च किए हैं.

रश्मि का कितना मन करता था कि वह अपनी पसंद के कपड़े ले, परंतु भूपिंदर ही उस के लिए कपड़े खरीदता था, क्योंकि उस के हिसाब से रश्मि को तमीज ही नहीं है अच्छे कपड़े खरीदने की.

रश्मि के वेतन की पाईपाई का हिसाब भूपिंदर ही रखता था. जब कोई भी रश्मि के कपड़ों की तारीफ करता तो भूपिंदर छूटते ही बोलता, ‘‘मैं जो खरीदता हूं अन्यथा यह तो दलिद्र ही खरीदती और पहनती है.’’

रिश्तेदारों और पड़ोसियों को लगता था कि भूपिंदर जैसा शाहखर्च

कौन हो सकता है, जो अपनी बीवी का वेतन उस के गहनेकपड़ों पर ही खर्च करता है. आजकल के जमाने में ऐसे पतियों की कमी नहीं है जो अपनी पत्नी के वेतन से घर खर्च चलाते हैं. रश्मि कैसे सम?ाए किसी को, गहने, कपड़ों से अधिक महत्त्व सम्मान का होता है. यह जरूर था कि भूपिंदर अपने काम का पक्का था, इसलिए दिनदूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहा था. इस तरक्की के साथसाथ उस का अहम भी सांप के फन की तरह फुफकारने लगा था. शादी के कुछ वर्षों के बाद ही रश्मि के कानों में भूपिंदर के अफेयर की बातें पड़ने लगी थीं. पर जब भी अलग होने की सोचती तो आदित्य और शिखा का भविष्य दिखने लगता. कैसे पढ़ा पाएगी वह दोनों बच्चों को दिल्ली जैसे शहर की इस विकराल महंगाई में. नालायक ही सही पर सिर पर बाप का साया तो रहेगा.

रश्मि के हथियार डालते ही भूपिंदर उस पर और हावी हो गया था. रातदिन वह रश्मि को कोंचता रहता था पर अब उस हिमशिला पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.

घर 3 कोणों में बंट गया था, एक पाले में रश्मि, आदित्य और दूसरे पाले में था भूपिंदर. शिखा आज के दौर की स्मार्ट लड़की थी इसलिए वह किसी भी पाले में नहीं थी, वह अपने हिसाब से पाला बदलती रहती थी. आदित्य बेहद ही संवेदनशील युवक था. रातदिन के तनाव का प्र्रभाव आदित्य पर पड़ रहा है. 30 वर्ष की कम उम्र में ही उसे पाइपर टैंशन रहने लगी थी.

आदित्य जैसे ही अस्पताल पहुंचा, सोनाक्षी वहीं खड़ी थी. वह धीमे स्वर में बोली, ‘‘आदित्य, कल ड्यूटी के बाद मु?ो तुम से जरूरी बात करनी है.

आदित्य को पता था कि सोनाक्षी क्या कहना चाहती है.

सुबह आदित्य और सोनाक्षी जब कैंटीन में आमनेसामने थे तो सोनाक्षी बोली, ‘‘आदित्य देखो मु?ो गलत मत सम?ाना पर मैं  ऐसे माहौल में ऐडजस्ट नहीं कर सकती हूं. क्या हम विवाह के बाद अलग फ्लैट ले कर रह सकते हैं?’’

आदित्य बोला, ‘‘सोना, मु?ो मालूम है तुम अपनी जगह सही हो, पर मैं अपनी मम्मी को अकेले उस घर में नहीं छोड़ सकता हूं.’’

सोनाक्षी बोली, ‘‘अगर तुम्हारी मम्मी हमारे साथ रहना चाहें, तो मु?ो कोई प्रौब्लम नहीं है.’’

जब आदित्य ने यह बात घर पर बताई तो भूपिंदर गुस्से से आगबबूला हो उठा. गुस्से में बोला, ‘‘तुम्हारा तो यही होना था गोबर गणेश. जो लड़का मां का पल्लू पकड़ कर चलता है वह बीवी के इशारों पर ही नाचेगा.’’

आदित्य बोला, ‘‘पापा आप चिंता न करो. आप को मु?ा से और मम्मी से बहुत प्रौब्लम है न तो मैं मम्मी को भी अपने साथ ले जाऊंगा. ऐसा लगता है, घर घर नहीं है एक जेल है और हम सब कैदी.’’

भूपिंदर दहाड़ उठा, ‘‘हां यह जेल है न तो

रिहाई की भी कीमत है. अपनी मम्मी को क्या ऐसे ही ले कर चला जाएगा वह मेरी पत्नी है और सुन लड़के, तेरी पढ़ाई पर क्व25 लाख खर्च हुए हैं, पहले वे वापस दे देना और फिर अपनी मम्मी को रिहा कर ले जाना.’’

आदित्य के विवाह की तिथि निश्चित हो गई थी और भूपिंदर न चाहते हुए भी जोरशोर से तैयारी में जुटा था.

जब नवयुगल हनीमून से वापस आ जाएंगे तो वह अलग फ्लैट में शिफ्ट हो जाएंगे. आदित्य किसी भी कीमत पर अपनी मम्मी को अकेले उस यातनागृह में नहीं छोड़ना चाहता था. इसलिए आदित्य ने किसी तरह से क्व20 लाख का बंदोबस्त कर लिया था.

विवाह बहुत धूमधाम से संपन्न हो गया. 14 दिन बाद आदित्य और सोनाक्षी सिंगापुर से घूम कर लौट आए थे. आदित्य ने मां को सूचित कर दिया था कि वह अपना सारा सामान ले कर उन के पास आ जाए.

मगर रश्मि का फोन आया कि आदित्य रविवार को एक बार घर आ जाए. उस के बाद ही वह आदित्य के पास रहने आ जाएगी. आदित्य को लग रहा था कि शायद मम्मी को निर्णय लेने में मुश्किल हो रही है या फिर पापा उन्हें ताने मार रहे होंगे.

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जब आदित्य और सोनाक्षी घर पहुंचे तो देखा घर पर मरघट सी शांति छाई हुई थी. आदित्य ने देखा मां बहुत थकीथकी लग रही थीं.

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी कमाल करती हो, तुम आज भी पापा के कारण निर्णय नहीं ले पा रही हो. आप चिंता मत करो, मैं ने क्व20 लाख का बंदोबस्त कर लिया है.’’

रश्मि बोली, ‘‘बेटे तेरे पापा को 5 दिन पहले लकवा मार गया था.

‘‘रातदिन वह बिस्तर पर ही रहते हैं, अब बता उन्हें ऐसी स्थिति में छोड़ कर कैसे आ सकती हूं और तुम लोगों से बात करे बिना मैं भूपिंदर को ले कर तुम्हारे घर कैसे आ सकती थी?’’

इस से पहले आदित्य कुछ कहता सोनाक्षी बोल उठी, ‘‘मम्मी, आप यहीं रहिए, हमारा फ्लैट तो बहुत छोटा है.’’

‘‘पापा की अच्छी तरह देखभाल नहीं हो पाएगी, हम एक के बजाय 2 नर्स ड्यूटी पर लगा देंगे. फिर मम्मी मैं घर पर भी हौस्पिटल जैसा माहौल नहीं चाहती हूं.’’

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी, नर्स का इंतजाम मैं कर दूंगा. आप चलो यहां से, बहुत कर लिया आप ने पापा के लिए.’’

रश्मि बोली, ‘‘आदित्य बेटा तू मेरी चिंता मत कर… पर मैं भूपिंदर को इस हाल

में छोड़ कर नहीं जा सकती हूं.’’

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी कब तक तुम पापा के कारण जिंदगी से दूर रहोगी.’’

रश्मि बोली, ‘‘बेटा, तू खुश रह, मैं तो इस साथ के लिए शापित हूं, पहले मानसिक यातना भोगती थी अब अकेलापन भोगने के लिए शापित हूं.’’

आदित्य बोला, ‘‘मम्मी यह शापित जीवन आप ने खुद ही चुना है, अपने लिए. सामने खुला आकाश है पर आप को इस पिंजरे में रहना ही पसंद है,’’ कह कर आदित्य क्व20 लाख मेज पर रख कर तीर की तरह निकल गया.

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इधर-उधर: अंबर को छोड़ आकाश से शादी के लिए क्यों तैयार हो गई तनु?

‘‘देखोतनु शादीब्याह की एक उम्र होती है, कब तक यों टालमटोल करती रहोगी, यह घूमनाफिरना, मस्ती करना एक हद तक ठीक रहता है, उस के आगे जिंदगी की सचाइयां रास्ता देख रही होती हैं और सभी को उस रास्ते पर जाना ही होता है,’’ जयनाथजी अपनी बेटी तनु को रोज की तरह समझने का प्रयास कर रहे थे.

‘‘ठीक है पापा, बस यह आखिरी बार कालेज का ग्रुप है, अगले महीने से तो कक्षाएं खत्म हो जाएंगी. फिर इम्तिहान और फिर आगे की पढ़ाई.’’

जयनाथजी ने बेटी की बात सुन कर अनसुना कर दी. वे रोज अपना काफी वक्त तनु के लिए रिश्ता ढूंढ़ने में बिताते. जिस गति से रिश्ते ढूंढ़ढूंढ़ कर लाते उस से दोगुनी रस्तार से तनु रिश्ते ठुकरा देती.

‘‘ये 2 लिफाफे हैं, इन में 2 लड़कों के फोटो और बायोडाटा है, देख लेना और हां दोनों ही तुम से मिलने इस इतवार को आ रहे हैं, मैं ने बिना पूछे ही दोनों को घर बुला लिया है, पहला लड़का अंबर दिन में 11 बजे और दूसरा आकाश शाम को 4 बजे आएगा,’’

जयनाथजी ने 2 लिफाफे टेबल पर रख आगे कहा, ‘‘इन दोनों में से तुम्हें एक को चुनना है.’’

तनु ने अनमने ढंग से लिफाफे खोले और एक नजर डाल कर लिफाफे वहीं पटक दिए, फिर सामने भाभी को खड़ा देख बोली, ‘‘लगता है भाभी इन दोनों में से एक के चक्कर में पड़ना ही पड़ेगा… आप लोगों ने बड़ा जाल बिछाया है… अब और टालना मुश्किल लग रहा है.’’

‘‘बिलकुल सही सोच रही हो तनु… हमें बहुत जल्दी है तुम्हें यहां से भागने की… ये दोनों रिश्ते बहुत ही अच्छे  हैं, अब तुम्हें फैसला करना है कि अंबर या आकाश… पापामम्मी ने पूरी तहकीकात कर के ही तुम तक ये रिश्ते पहुंचाए हैं. आखिरी फैसला तुम्हारा ही होगा.’’

‘‘अगर दोनों ही पसंद आ गए तो? ‘‘तनु ने हंसते हुए कहा.

भाभी भी मुसकराए बगैर नहीं रह पाई और बोली, ‘‘तो कर लेना दोनों से शादी.’’

तनु सैरसपाटे और मौजमस्ती करने में विश्वास रखती थी. मगर साथ ही वह पढ़ाईलिखाई और अन्य गतिविधियों में भी अव्वल थी. कई संजीदे मसलों पर उस ने डिबेट के जरीए अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाई थी. घर में भी कई देशविदेश के चर्चित विषयों पर अपने भैया और पापा से बहस करती और अपनी बात मनवा कर ही दम लेती.

यह भी एक कारण था कि उस ने कई रिश्ते नामंजूर कर दिए थे. उसे लगता था कि उस के सपनों का राजकुमार किसी फिल्म के नायक से कम नहीं होना चाहिए. हैंडसम, डैशिंग, व्यक्तित्व ऐसा कि चलती हवा भी उस के दीदार के लिए रुक जाए. ऐसी ही छवि मन में लिए वह हर रात सोती, उसे यकीन था कि उस के सपनों का राजकुमार एक दिन जरूर उस के सामने होगा.

रविवार को भाभी ने जबरदस्ती उठा कर उसे 11 बजे तक तैयार कर दिया, लाख कहने के बावजूद वे उस ने न कोई मेकअप किया न कोई खास कपड़े पहने. तय समय पर ड्राइंगरूम में बैठ कर सभी मेहमानों का इंतजार करने लगे. करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद एक गाड़ी आ कर रुकी और उस में से एक बुजुर्ग दंपती उतरे.

तनु ने फौरन सवाल दाग दिया, ‘‘आप लोग अकेले ही आए हैं अंबर कहां है?’’

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तनु के इस सवाल ने जयनाथजी एवं अन्य को सकते में डाल दिया. इस के पहले कि कोई कुछ जवाब देता एक आवाज उभरी, ‘‘मैं यहां हूं, मोटरसाइकिल यहीं लगा दूं?’’

तनु ने देखा तो उसे देखती ही रह गई, इतना खूबसूरत बांका नौजवान बिलकुल उस के तसव्वुर से मिलताजुलता, उसे लगा कहीं वह ख्वाब तो नहीं देख रही. इतना बड़ा सुखद आश्चर्य और वह भी इतनी जल्दी… तनु की तंद्रा तब भंग हुई जब युवक मोटरसाइकिल पार्क करने की इजाजत मांग रहा था.

‘‘हां बेटा जहां इच्छा हो लगा दो,’’ जयनाथजी ने कहा.

अंबर ने मोटरसाइकिल पार्क की और फिर सभी घर के अंदर प्रविष्ट हो गए.

इधरउधर के औपचारिक वार्त्तालाप के बाद तनु बोल पड़ी, ‘‘अगर आप लोग इजाजत दें तो मैं और अंबर थोड़ा बाहर घूम आएं…?’’

‘‘गाड़ी में चलना चाहेंगी या…’’ अम्बर ने पूछना चाहा.

‘‘मोटरसाइकिल पर… मेरी फैवरिट सवारी है…’’

थोड़ी ही देर में अंबर की मोटरसाइकिल हवा से बातें कर रही थी. समंदर के किनारे फर्राटे से दौड़ती मोटरसाइकिल पर बैठ कर तनु स्वयं को किसी अन्य दुनिया में महसूस कर रही थी.

‘‘नारियल पानी पीना है?’’ तनु ने जोर से कहा.

‘‘पूछ रही हैं या कह रही हैं?’’

‘‘कह रही हूं… तुम्हें पीना हो तो पी सकते हो…’’

अंबर ने फौरन मोटरसाइकिल घुमा दी. विपरीत दिशा से आती गाडि़यों के बीच मोटरसाइकिल को कुशलता से निकालते हुए दोनों नारियल पानी वाले के पास पहुंय गए.

अंबर ने एक ही सांस में नारियल पानी खत्म कर दिया और नारियल को एक ओर उछाल कर जेब से पर्स निकाल कर पैसे दे कर बोला, ‘‘मैं ने अपने नारियल के पैसे दे दिए, आप अपने नारियल के पैसे दे दीजिए.’’

तनु अवाक हो कर अंबर को ताकने लगी.

‘‘बुरा मत मानिएगा तनुजी, आप का और मेरा अभी कोई रिश्ता नहीं है, मैं क्यों आप पर खर्च करूं?’’

तनु हार मानने वालों में से नहीं थी. बोली, ‘‘और जो आप के मातापिता हमारे घर पर काजू, किशमिश और चायकाफी उड़ा रहे हैं उस का क्या?

‘‘बात तो सही है, हम दिल्ली वाले हैं. मुफ्त का माल पर हाथ साफ करना हमें खूब आता है…’’

अंबर ने हंसते हुए कहा, ‘‘चिंता न करें मैं दोनों के पैसे दे चुका हूं, नारियल वाला छुट्टा करवाने गया है.’’

यह सुन कर तनु भी हंसे बगैर नहीं रह पाई.

अंबर के जूते मिट्टी से सन गए थे. उस ने पौलिश वाले बच्चे से जूते पौलिश

करवाए, तब तक नारियल वाला भी आ चुका था.

‘‘आप ने देशविदेश में कहां की सैर की है,’’ तनु ने पूछा.

अंबर के पास जवाबहाजिर था, ‘‘यह पूछिए कहां नहीं गया, नौकरी ही ऐसी है पूरा एशिया और यूरोप का कुछ हिस्सा मेरे पास है… आनाजाना लगा ही रहता है…’’

‘‘क्या फर्क लगता है आप को अपने देश और परदेश में?’’

‘‘इस का क्या जवाब दूं, सभी जानते हैं, हम हिंदुस्तानी कानून तोड़ने में विश्वास करते हैं, नियम न मानना हमारे लिए फख्र की बात है… वहां के तो जानवर भी कायदेकानून की हद से बाहर नहीं जाते.’’

‘‘फिर क्या होगा अपने देश का?’’

‘‘फिलहाल तो यह सोचिए हमारा क्या होगा, आसमान पर बादल छा रहे हैं और मेरे 10 गिनने तक बरसात हमें अपने आगोश में ले लेगी.’’

‘घर तो जाना जरूरी है. मेरी दूसरी शिफ्ट भी है,’ तनु मन ही मन बुदबुदाई और फिर ऊंची आवाज में बोली, ‘‘चलते हैं और अगर भीग भी गए तो मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे बरसात में भीगना पसंद है.’’

‘‘मुझे भी,’’ अंबर ने मोटरसाइकिल स्टार्ट करते हुए कहा, ‘‘मगर यों भीगने से पहले थोड़ा इंतजार करना अच्छा नहीं रहेगा? चलिए रेस्तरां में 1-1 कप कौफी हो जाए, यह मेरा रोज का सिलसिला है…’’

तनु ने मुसकरा कर हामी भर दी. अगले चंद ही मिनटों में दोनों रेस्तरां में थे. अंबर ने ऊंची आवाज में वेटर को आवाज दी और जल्दी से

2 कप कौफी लाने का और्डर दिया. कौफी खत्म कर के अंबर ने एक बड़ा नोट बतौर टिप वेटर को दिया और दोनों बाहर आ गए. बारिश रुकने के बजाय और तेज हो चुकी थी.

पूरे रास्ते तेज बरसात में भीगते हुए तनु को बहुत आनंद आ रहा था. घर पहुंचतेपहुंचते

दोनों पूरी तरह भीग चुके थे. अंबर के मातापिता मानो उन का इंतजार ही कर रहे थे, उन के आते ही औपचारिक बातचीत कर के सभी वहां से

चल पड़े.

‘‘कैसा लगा लड़का?’’ भाभी ने उतावलेपन से पूछा तो तनु ने भी स्पष्ट कर दिया, ‘‘भाभी दूसरे लड़के को मना ही कर दो, कह दो मेरी तबीयत ठीक नहीं है. मुझे अंबर पसंद है…’’

‘‘तनु, अब अगर वे आ ही रहे हैं तो आने दो. कुछ समय गुजार कर उन्हें रुखसत कर देना… कम से कम हमारी बात रह जाएगी.’’

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‘‘लेकिन भाभी जब मुझे अंबर पसंद है, तो इस स्वयंवर की क्या जरूरत है?’’

ठीक 4 बजे एक लंबीचौड़ी गाड़ी आ कर रुकी. गाड़ी में से एक संभ्रांत उम्रदराज जोड़ा और एक नवयुवक उतरा. पूरे परिवार ने बड़े ही सम्मान से उन का स्वागत किया.

तनु ने एक नजर लड़के पर डाली और उस के मुंह से अनायास ही निकल गया, ‘‘आप सूटबूट में तो ऐसे आए हैं मानो किसी इंटरव्यू में आए हो.’’

जयनाथजी ने इशारे से तनु को हद में रहने को कहा.

जवाब में युवक ने एक ठहाका लगाया और फिर बिना ?िझके कहा, ‘‘आप सही कह रही हैं. एक तरह से मैं एक इंटरव्यू से दूसरे इंटरव्यू में आया हूं… दरअसल, हम यहां के कामा होटल को खरीदने का मन बना रहे हैं. अभी उन के निदेशकों से मीटिंग थी, जो किसी इंटरव्यू से कम नहीं थी और यह भी किसी इंटरव्यू से कम नहीं है…’’

तनु इधरउधर की औपचारिक बातें करने के बाद मुद्दे पर आ गई. बोली, ‘‘अगर आप लोग इजाजत दें तो मैं और आकाश थोड़ा समय घर से बाहर…’’

‘‘हां जरूर,’’ लगभग सब ने एकसाथ ही कहा.

आकाश ने ड्राइवर से चाबी ली और तनु के लिए गाड़ी का दरवाजा खोल कर बैठने का आग्रह किया. तनु की फरमाइश पर गाड़ी ने एक बार फिर गेटवे औफ इंडिया का रुख किया.

‘‘यहां से एक शौर्टकट है. आप चाहें तो मुड़ सकते हैं 15-20 मिनट बच जाएंगे.’’

‘‘तनुजी आप भूल रही हैं कि इधर नो ऐंट्री है,’’ आकाश ने कहा. फिर मानो उसे कुछ याद आया, ‘‘अगर आप बुरा न मानें तो मैं रास्ते में सिर्फ 10 मिनट के लिए होटल कामा में रुक जाऊं… वहां के निर्देशकों का मैसेज आया है. वे मुझ से मिलना चाहते हैं.’’

तनु ने अनमने मन से हां कर दी. आकाश ने तनु को कौफी शौप में बैठ कर वेटर को आवाज दे कर कौफी और चिप्स का और्डर दिया और स्वयं पुन: माफी मांग कर बोर्डरूम की तरफ चला गया.

10 मिनट के बाद जब आकाश आया तो उस के चेहरे पर खुशी और विजय के भाव थे, ‘‘मेरा पहला इंटरव्यू कामयाब हुआ. यहां की डील फाइनल हो गई है… तनुजी आप हमारे लिए शुभ साबित हुईं…’’

आकाश ने वेटर को बिल लाने को कहा तो मैनेजर ने बिल लाने से इनकार कर दिया, ‘‘यह हमारी तरफ से.’’

‘‘नहीं मैनेजर साहब, अभी हम इस होटल के मालिक नहीं बने हैं और बन भी जाएं तो भी मैं नहीं चाहूंगा कि हमें या किसी और को कुछ भी मुफ्त में दिया जाए. मेरा मानना है कि मुफ्त में सिर्फ खैरात बांटी जाती है और खैरात इंसान की अगली नस्ल तक को बरबाद करने के लिए काफी होती है.’’

होटल के बाहर निकल कर आकाश ने तनु की ओर नजर डाली और कहा,

‘‘बहुत दिनों से लोकल में सफर करने की इच्छा थी, आज छुट्टी का दिन है भीड़भाड़ भी कम होगी. क्यों न हम यहां से लोकल ट्रेन में चलें फिर वहां से टैक्सी.’’

तनु ने अविश्वास से आकाश की ओर देखा और फिर दोनों स्टेशन की तरफ चल पड़े.

‘‘आप तो अकसर विदेश जाते रहते होंगे. क्या फर्क लगता है हमारे देश में और विदेशों में?’’

‘‘सच कहूं तो लंदन स्कूल औफ इकौनोमिक्स से डिगरी लेने के बाद मैं विदेश बहुत कम गया हूं. आजकल के जमाने में इंटरनैट पर सबकुछ मिल जाता है और जहां तक घूमने की बात है यूरोप की छोटीमोटी भुतहा इमारतें जिन्हें वे कैशल कहते हैं और किले मुझे ज्यादा भव्य लगते हैं… स्विटजरलैंड से कहीं अच्छा हमारा कश्मीर है, सिक्किम है, अरुणाचल है, बस जरूरत है सफाई की, सुविधाओं की और ईमानदारी की…’’

‘‘जो हमारे यहां नहीं है… है न?’’ तनु ने प्रश्न किया.

‘‘आप इनकार नहीं कर सकतीं कि बदलाव आया है और अच्छी रफ्तार से आया है. जागरूकता बढ़ी है, देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है, हमारे पासपोर्ट की इज्जत होनी शुरू हो गई है. आज का भारत कल के भारत से कहीं अच्छा है और कल का भारत आज के भारत से लाख गुना अच्छा होगा.’’

‘‘आप तो नेताओं जैसी बातें करने लगे आकाशजी,’’ तनु को उस की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

गेटवे के किनारे तनु ने फिर नारियल पानी पीने की इच्छा जाहिर कर दी. दोनों ने नारियल पानी पीया.

सही कहा गया है कि इंसान के हालात का और मुंबई की बरसात का कोई भरोसा नहीं. एक बार फिर बादलों ने पूरे माहौल को अपने आगोश में ले कर लिया और चारों ओर रात जैसा अंधेरा छा गया. अगले ही पल मोटीमोटी बूंदों ने दोनों को भिगोना शुरू कर दिया. दोनों भाग कर पास की एक छप्परनुमा दुकान में घुस कर गरमगरम भुट्टे खाने लगे.

आकाश ने जेब से पैसे निकाले और भुट्टे वाली बुजुर्ग महिला के हाथ में थमा दिए. उस की नजर उमड़ते बादलों पर ही थी. प्रश्नवाचक दृष्टि से उस ने तनु की ओर देखा और दोनों बाहर निकल गए. टैक्सी लेने की तमाम कोशिशें नाकामयाब होने के बाद दोनों स्टेशन की ओर पैदल ही निकल पड़े. रास्ते में आकाश ने ड्राइवर को फोन कर के कामा होटल से गाड़ी ले कर स्टेशन आने को कह दिया.

घर पहुंचतेपहुंचते रात हो चुकी थी. आकाश और उस के परिवार वालों ने इजाजत

मांगी. उन के जाते ही जयनाथजी कुछ कहने के लिए मानो तैयार ही थे, ‘‘कितने पैसे वाले लोग हैं, मगर कोई मिजाज नहीं, कोई घमंड नहीं, हम जैसे मध्यवर्ग वालों की लड़की लेना चाहते हैं. कोई दहेज की मांग नहीं, यहां तक कि…’’

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‘‘तो मुझे क्या करना चाहिए अंबर कि बजाय आकाश को पसंद कर लेना चाहिए, क्योंकि आकाश करोड़पति है, उस के मातापिता घमंडी नहीं हैं. वे धरातल से जुड़े हैं और सब से बड़ी बात कि उन्हें हम, हमारा परिवार, हमारी सादगी पसंद है. अपनी पसंद मैं भाभी को सुबह ही बता चुकी हूं, आकाश से मिलने के बाद उस में कोई तबदीली नहीं आई है…’’

‘‘ठीक है इस बारे में हम बाकी बातें कल करेंगे…’’ जयनाथजी ने लगभग पीछा छुड़ाते हुए कहा.

रात के करीब 2 बजे तनु ने भाभी को फोन मिलाया, ‘‘भाभी मुझे आप से मिलना है. भैया तो बाहर गए हैं. जाहिर है आप भी जग रही होंगी, मुझे अंबर के बारे में कुछ बातें करनी हैं, मैं आ जाऊं?’’

‘‘तनु मैं गहरी नींद में हूं… हम सुबह मिलें?’’

‘‘मैं तो आप के दरवाजे पर ही हूं… गेट खोलेंगी या खिड़की से आना पड़ेगा?’’

अगले ही पल तनु अंदर थी. बातों का सिलसिला शुरू करते हुए भाभी ने तनु से पूछा, ‘‘तुम मुझे अपना फैसला सुना चुकी हो. अब इतनी रात मेरी नींद क्यों खराब कर रही हो?’’

‘‘भाभी, अंबर को फोन कर के कहना है कि मैं उस से शादी नहीं कर सकती.’’

‘‘क्या?’’ भाभी को लगा कि वह अभी भी नींद में ही है.

पलक झपकते ही तनु ने अंबर को फोन लगा दिया, ‘‘हैलो अंबर मैं तनु बोल रही हूं… मैं इधरउधर की बात करने के बजाय सीधा मुद्दे पर आना चाहती हूं…’’

‘‘ठीक है… जल्दी बता दो मैं इधर हूं या उधर…’’

‘‘इधरउधर की छोड़ो और सुनो सौरी यार मैं तुम से शादी नहीं कर सकती…’’

‘‘ठीक है मगर इतनी रात को क्यों बता रही हो… सुबह तक…’’

‘‘सुबह तक मेरा दिमाग बदल गया तो? तुम चीज ही ऐसी हो कि तुम्हें मना करना बहुत मुश्किल है…’’

‘‘अच्छा औल द बैस्ट, अब सो जाओ और मुझे भी सोने दो, किसी उधर वाले से शादी तय हो जाए तो जगह, तारीख वगैरह बता देना मैं आ जाऊंगा, मुफ्त का खा कर चला जाऊंगा…’’

‘‘मुफ्ती साहब, गिफ्ट लाना पड़ेगा. शादी में खाली लिफाफे देने का रिवाज दिल्ली में होगा, मुंबई में नहीं…’’

‘‘ठीक है 2-4 फूल ले आऊंगा. अब मुझे सोने दो… सुबह मेरी फ्लाइट है…’’

भाभी बिलकुल सकते में थी, ‘‘ये सब क्या है तनु? तुम तो अंबर पर फिदा हो गई थी… क्या आकाश का पैसा तुम्हें आकर्षित कर गया? क्या उस की बड़ी गाड़ी अंबर की मोटरसाइकिल से आगे निकल गई?’’

‘‘भाभी अंबर पर फिदा होना स्वाभाविक है. ऐसे लड़के के साथ घूमनाफिरना,

मजे करना, अच्छा लगेगा मगर शादी एक ऐसा बंधन है, जिस में एक गंभीर, संजीदा इंसान चाहिए न कि कालेज से निकला हुआ एक हीरोनुमा लड़का.

‘‘हम घर से बाहर निकले तो आकाश ने पूरे शिद्दत से ट्रैफिक के सारे नियमों का पालन किया, मेरे लाख कहने के बावजूद उस ने गाड़ी नो ऐंट्री में नहीं घुमाई, अपने देश के बारे में उस के विचार सकारात्मक थे. उसे देश से कोई शिकायत न थी, रेस्तरां में वेटर से इज्जत से बात की न कि उसे वेटर कह कर आवाज दी, मुफ्त का खाने के बजाय उस ने पैसे देने में अपनी खुद्दारी समझ.

‘‘बड़ी गाड़ी छोड़ कर लोकल ट्रेन में जाने में उसे कोई परहेज नहीं, नारियल पानी पी कर उस ने नारियल एक ओर उछाला नहीं, बल्कि डस्टबिन की तलाश की, भुट्टे वाली माई को उस ने जब मुट्ठीभर पैसे दिए तो उस का सारा ध्यान इस पर था कि मैं कहीं देख न लूं.

‘‘इतने पैसे उस भुट्टे वाली ने एकसाथ कभी नहीं देखे होंगे… इतने संवेदनशील व्यक्तित्व के मालिक के सामने मैं एक प्यारे से हीरो को चुन कर जीवनसाथी बनाऊं? इतनी बेवकूफ मैं लगती जरूर हूं, मगर हूं नहीं.’’

भाभी सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.

‘‘क्या सर दर्द हो रहा है.’’

‘‘नहीं बस चक्कर से आ रहे हैं…’’

‘‘रुको, अभी सिरदर्द दूर हो जाएगा…’’ तनु ने कहा.

भाभी बोल पड़ी, ‘‘अब क्या बाकी है?’’

तनु ने फोन उठाया और एक नंबर मिलाया, ‘‘हैलो आकाश, मैं ने फैसला कर लिया है… मुझे आप पसंद हैं. मैं आप से शादी करने को तैयार हूं. मुझे पूरा यकीन है कि मैं भी आप को पसंद हूं.’’

‘‘तुम ने फैसला ले कर मुझे बताने का जो समय चुना वह वाकई काबिलेतारीफ है,’’ दूसरी ओर से आवाज आई.

‘‘हूं… मगर भाभी इस बात को मानती ही नहीं… देखो मुझे धक्के मार कर अपने कमरे से बाहर निकालने पर उतारू है…’’

‘‘आकाश ने जेब से पैसे निकाले और भुट्टे वाली बुजुर्ग महिला के हाथ में थमा दिए.

उस की नजर उमड़ते बादलों पर ही थी. प्रश्नवाचक दृष्टि से उस ने

तनु की ओर देखा और दोनों बाहर निकल गए…’’

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एक्सपर्ट से जानें आंवला पाउडर से हेयर फॉल को रोकने के आसान से उपाय

गलत खानपान और कैमिकल युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स का प्रयोग करने से  बाल झड़ना एक आम समस्या बन गई है, इस समस्या से बच्चे, महिलाएं पुरूष सभी  प्रभावित  हो रहें हैं. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग कई तरह के कैमिकल वाले उपाय अपनाते हैं, जिनका दुष्प्रभाव बालों को बहुत नुकसान पहुंचाता है. बालों को नुकसान से बचाने के लिए आंवला का प्रयोग कैसे करें इस बारे में बता रहें हैं,डॉ. अजय राणा प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन , संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

आंवला का प्रयोग 5 तरह से  कुछ इस तरह करें

1. आंवला न केवल डेंड्रफ को रोकने में मदद करता है बल्कि यह बालों को टूटने से भी बचाता है. इसके लिए आंवला पाऊडर, शिकाकाई, निम्बू का रस और दही डाल कर एक पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को अच्छे से मिक्स कर लें. फिर इस पेस्ट को स्कैल्प के उपर लगा कर आधे घण्टे के लिए छोड़ दें. फिर बालों को ठंडे पानी से धो लें.

2. आंवला में एंटी- इंफ्लमैटरी और एंटी – बक्टीरियल प्रोपर्टीज होती है, जो बालों से सारी गंदगी को निकालने में मदद करती है, साथ ही साथ डेंड्रफ को भी दूर करती है. इसके लिए आंवला पाऊडर को  8-10 तुलसी की पत्तियों के साथ मिक्स करके अच्छा सा पेस्ट बना लें. फिर इस पेस्ट को हाथों की सहायता से स्कैल्प पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर बालों को ठंडे पानी और एक सॉफ्ट से क्लींजर से साफ करें.

3. आंवलामें वो सारे जरुरी पोषक तत्व होते है, जो बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकते है और बालों की चमक को भी बनाये रखते है.

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इसके लिए आंवला पाऊडर को मेहंदी पाऊडर के साथ मिक्स करें. और इस मिक्स्चर को बालों में लगाए. यह नैचुरल तरीका से जिससे आप बालों को कलर कर सकते है और इससे बालों को कोई साइड इफेक्ट्स भी नही होते है.

  1. आंवला में जरूरी फैटी एसिड होते है जो बालों की जड़ों तक जाकर बालों को मुलायम, चमकदार और घने बनाते है. आमला में आयरन की भरपूर मात्रा होती है जो बालों की ग्रोथ के लिए अच्छा होता है. इसके लिए आंवला पाऊडर में शिकाकाई और रीठा डाल कर पानी से मिक्स करके एक अच्छा सा पेस्ट बना लें. फिर इस पेस्ट को बालों में लगाए.

5.आंवला पाऊडर बालों से रूसी और स्प्लिटेंट्स को दूर करने के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है. इसके लिए आंवला पाऊडर में अंडा डाल कर मिक्स कर लें. अंडे में प्रोटीन होता है जो बालों के लिए सबसे सही माना जाता है. फिर पेस्ट को हेयर मास्क की तरह बालों में लगा लें. इसको एक घण्टे तक बालों में लगा कर छोड़ दें. फिर बालों को ठंडे पानी से धो लें.

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कोरोनावायरस में अगर सर्जरी करवाएं तो पहले की तुलना में खर्च ज्यादा आएगा?

सवाल-

मैं ने सुना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान अगर मैं सर्जरी कराती हूं तो पहले की तुलना में खर्च अधिक आएगा?

जवाब-

हां, यह बिलकुल सही है कि कोरोना संक्रमण के दौरान किसी भी प्रकार की सर्जरी पर खर्च अधिक आ रहा है. ऐसा इसलिए है कि संक्रमण से बचाव के लिए मैडिकल टीम और मरीज, सभी को कई विशेष सुरक्षात्मक चीजों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिस का खर्च मरीज को उठाना पड़ता है, जिस से सर्जरी थोड़ी महंगी हो जाती है.

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वैज्ञानिक नित्य नए रिसर्च के द्वारा इस बीमारी की जानकारी देते जा रहे है, पर अभी तक न तो इस दिशा में कोई ठोस जानकारी मिली है और न ही कोई इलाज. सबकी नजर वैक्सीन पर टिकी हुई है, ताकि जन मानस को इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके,ऐसे में विकल्प सिर्फ मास्क पहनना, सेनीटाईजर का प्रयोग करना, साबुन से हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही है. कोरोना के लक्षण में लगातार परिवर्तन विश्व स्तर पर देखे जा रहे है. भारत में भी इस पर वैज्ञानिकों की अलग-अलग मत सामने आ रहे है. कोरोना आंखों के द्वारा कितना फ़ैल सकती है, इस बारें में विजन ऑय सेंटर के नेत्र रोग,सर्जन विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु मेहता कहते है कि आंखों में कॉनजन्क्तिवाईटिस या सब कॉनजंकटाइवल हेमरेज कभी-कभी कोरोना वायरस का पहला लक्षण हो सकता है. इन दिनों अधिकतर मरीजों को फ़ोन पर ही दवाइयां दी जा रही है, उन्हे बुलाया नहीं जाता, क्योंकि वे स्टाफ और दूसरे मरीजो को संक्रमित कर सकते है. लॉक डाउन से पहले कॉनजन्क्तिवाईटिस के रोगी आते थे, लेकिन तब किसी को कोरोना के बारें में पता नही था. जब ये बीमारी फैली तब जाकर रिसर्चर्स ने पाया कि ये दोनों बीमारी कोरोना संक्रमण के प्राम्भिक लक्षण हो सकते है. साधारणत: आंख आ जाना और इसमें काफी अंतर है. बारिश के मौसम में काफी लोगों को वायरल इन्फेक्शन होता है. सालों साल ये होता आ रहा है. पहले एडिनो वायरस था, अब कोरोना वायरस है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- आंखों से नहीं फैलता कोरोना – डॉ. हिमांशु मेहता

कैसे रहे राशन सुरक्षित, जानें यहां

घर में राशन ले कर आने के बाद उसे रखने में सावधानी बरतें. अगर राशन सही ढंग से न रखा जाए तो उस में से दुर्गंध आने लगती है, उस में कीट व कीटाणु पनपने लगते हैं और वह खाने के योग्य नहीं रह जाता. इसलिए उस की साफसफाई की तरफ विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. राशन की देखभाल कैसे की जाए, बता रहे हैं सरदार बल्लभभाई पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कीट वैज्ञानिक घनानंद तिवारी.

अनाज के शत्रु कीट

खपरा बीटल

यह स्टोर में रखे अनाज का सब से बड़ा दुश्मन है. इस के बच्चे दाने के अंदर के हिस्से को खा कर नुकसान पहुंचाते हैं. प्रभावित अनाज से पाउडर निकलना शुरू हो जाता है.

सूंड़ी

यह दाने में सूक्ष्म छेद कर के इसे खोखला बना देती है.

कैसे पहुंचते कीट स्टोररूम तक

कुछ कीट अनाज, दालों व उन की फलियों पर दिए अंडों के जरिए घरों तक पहुंच जाते हैं.

अनाज ढोने के वाहन में छिपे कीट भी आप के स्टोररूम में पहुंच सकते हैं.

कई बार पुराने बोरोें के प्रयोग से भी कीट अनाज तक पहुंच जाते हैं.

स्टोररूम की दीवारों की दरारों और छेदों में घुस कर भी ये अनाज तक पहुंच जाते हैं.

अगर आप स्टोररूम में गंदगी रखते हैं, तो कीट बहुत जल्दी वहां पैदा हो जाते हैं.

राशन स्टोर कैसे करें

राशन को स्टोर करने से पहले अनाज के दानों को धूप में अच्छी तरह से सुखा कर साफ कर लेना चाहिए.

जिस जगह आप राशन स्टोर कर रहे हैं, वह नमीमुक्त होना चाहिए.

भंडारण से पहले ध्यान रखें कि दाने साफ हों व टूटेफूटे न हों.

पुराने अनाज में नया अनाज नहीं मिलाना चाहिए.

जहां अनाज स्टोर कर रहे हैं, उस जगह की दीवारों में अगर दरारें या छेद हैं, तो सामान रखने से पहले उन्हें सीमेंट से भर दें और पुताई करा दें.

स्टील के कंटेनर में सामान भरने से पहले उस में पहले पेंट कर दें, तो सामान पर नमी नहीं आएगी.

प्लास्टिक का कंटेनर अनाज रखने के लिए उपयुक्त रहता है. जिस स्थान पर आप कंटेनर रख रहे हैं, वहां पहले चारकोल बिछा लें. इस से अनाज कीड़ों से सुरक्षित रहता है.

अनाज को स्टोर करने से पहले स्टोररूम में सेल्फास, डीलोसिया या फिर फौसरौक्सीन का धुआं कर लें.

यदि स्टोररूम में पुराने बोरों का प्रयोग करना है, तो इन्हें 1% मैराथियान के घोल में 10 मिनट तक डुबो दें और सुखा कर प्रयोग करें.

स्टोररूम में रखे अनाज को हर 15 दिन के अंतराल में चैक करते रहें कि वह ठीक है या नहीं.

स्टोररूम को बारबार खोलना नहीं चाहिए, लेकिन कुछ दिनों के अंतराल में 1 बार चैक जरूर कर लें.

अनाज के बोरों को दीवारों से दूर रखें.

अनाज को भरने से पहले चैक कर लें कि उस में 10% से ज्यादा नमी न हो.

स्टोररूम के आसपास गंदगी न रहने दें.

स्टोररूम के खिड़कीदरवाजे अच्छी तरह से बंद होने चाहिए, ताकि चूहे आदि के जानेआने का रास्ता न बन पाए.

रक्षा के घरेलू उपाय

चावल को स्टोर करने के लिए पहले नीम की पत्तियों को छाया में सुखा लें और फिर कंटेनर में नीचे रख दें और फिर चावल भर कर उस के ऊपर और पत्तियां रख दें. इस से कीड़े होने की संभावना कम होती है और अगर कीड़े होते भी हैं तो इन पत्तियों के सेवन से मर जाते हैं.

चने, छोलों और गेहूं को धूप में सुखाया जा सकता है, लेकिन चावल को धूप में न सुखाएं वरना वह खराब हो जाएगा.

दाल को 2 या 3 महीने के लिए स्टोर करने के लिए उस पर सरसों के तेल की मालिश करें यानी हलके हाथों से हलका सा सरसों का तेल दाल पर लगा दें और फिर धूप में सुखा कर दाल भरें. इस से वह साफ रहेगी.

चना व दालों को ढोरों से सुरक्षित रखने के लिए अनाज के ऊपर 3 इंच मोटी रेत की परत बनाएं. लेकिन बाद में खाने के लिए इस का प्रयोग करते समय इसे अच्छी तरह साफ कर लें ताकि सारी रेत निकल जाए.

इसी तरह राजमा, छोले पर भी सरसों का तेल लगा कर धूप में सुखाने के बाद भरने से वे सुरसुरियों जैसे कीड़ों से बचे रहते हैं. इस के अलावा 100 किलोग्राम चने में 1 किलोग्राम नीम की निंबोली मिलाने से भी वे सुरक्षित रहेंगे.

गेहूं को सुरक्षित रखने के लिए उस में प्याज भी मिलाया जा सकता है. 1 क्ंिवटल गेहूं में आधा किलो प्याज मिलाएं. सब से पहले प्याज को नीचे रखें और फिर बीच में. इस के बाद सब से ऊपर रखें. इस से कीड़े नहीं आएंगे.

आटे और चावल को कीड़ों से बचाने के लिए साबूत लालमिर्च और साबूत नमक डब्बे में डाल दें. खाने वाले नमक के टुकड़ों को भी कौटन के कपड़े में बांध कर गेहूं में ऊपरनीचे लेयर बना कर रख दें.

वैसे 100 किलोग्राम गेहूं में 1 किलो भूसा मिला कर रखने से भी वह कीट व कीटाणुओं से बचा रहता है, लेकिन बाद में गेहूं साफ करने में मेहनत करनी पड़ेगी. इसलिए सोचसमझ कर ही भूसा मिला कर रखें.

घरेलू प्रयोग के लोहे की टंकी आदि में गेहूं को सुरक्षित रखने के लिए टंकी में 1 क्विंटल गेहूं रखते समय तीलियों से भरी एक माचिस तली में, दूसरी मध्य में तथा तीसरी सब से ऊपर रखनी चाहिए.

1 किलोग्राम नीम की पत्तियों को छाया में

सुखा कर भंडारण करने से पहले टंकी की तली में बिछाने से भी गेहूं खराब नहीं होगा.

सुरक्षा के अन्य उपाय

बैद्यनाथ की पारद टैबलेट:

आमतौर पर घरों में राशन में डालने के लिए यही टैबलेट इस्तेमाल की जाती है. 1 क्विंटल में इस की 4-5 गोलियां डालें. ईडीबी एंपल कैमिकल: इसे अनाज में रखा जा सकता है. यह कीटाणुओं से अनाज की सुरक्षा करता है और आप को कीटनाशक रखने वाली किसी भी दुकान पर मिल जाएगा. 1 क्विंटल अनाज के लिए यह 3 मि.ली. काफी होता है.

इस के अलावा खाने के लिए रखे अनाज के कीड़ों को मारने के लिए एल्युमिनियम फास्फाइड अर्थात सल्फास का प्रयोग करना चाहिए तथा इस की 1 गोली 10 क्विंटल अनाज के हिसाब से 2 या 3 फुट गहराई पर रखनी चाहिए.

कीड़ों से बचाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशक हैं- एल्युमिनियम फास्फाइड, क्लोरोमोनो प्रोटोफास व साइफेट.

सावधानी:

जब आप अनाज या राशन इस्तेमाल में लाएं, तो उसे धो कर अच्छी तरह साफ कर लें. गोलियां रखने के लिए कौटन का एक कपड़ा लें और उस में गोलियां रख कर छोटीछोटी पोटलियां बना लें. फिर उन्हें अनाज के बीचोबीच या लेयर में रख दें. पूरे साल का राशन स्टोर करने के लिए राशन स्टोर करने की जगह को कीटरहित करने के लिए 0.5% मैलाथियान के घोल यानी एक भाग दवा और उस का 100 गुना पानी से फर्श, दीवारों व छत पर छिड़काव करना चाहिए. इस के बाद उस कमरे को 7 दिन के लिए हवाबंद कर दें.

अगर आप का बड़ा परिवार है और आप ने अनाज की कई बोरियां खरीद ली हैं, तो अनाज व बोरियों को सीधे दीवार से सटा कर नहीं रखना चाहिए, बल्कि उन्हें लकड़ी के तख्तों व बांस की चटाई पर रखना चाहिए. जहां तक संभव हो तो अनाज को धातु की बनी टंकियों में रखें. खाने के लिए रखे अनाज के कीड़ों को मारने के लिए एल्युमिनियम फास्फाइड अर्थात सल्फास का प्रयोग करना चाहिए तथा इस की 1 गोली 10 क्विंटल अनाज के हिसाब से 2 या 3 फुट गहराई पर रखें, क्योंकि इस से निकलने वाली गैस हवा से भारी होती है, जो ऊपर से नीचे की ओर जाती है और कीड़ों को मार देती है.

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