नए रिश्तों के साथ एडजस्टमेंट

शादी एक ऐसा बंधन  है जिसमें कई नए रिश्ते आपकी जिंदगी के साथ जुड़ जाते हैं. आप एक बेटी से बहू, पत्नी, भाभी, चाची, मामी और न जाने क्या-क्या रिश्तो में बंध जाती हैं.  हर रिश्ते की आपसे कुछ अपेक्षा होती है.

लेकिन हर रिश्ता इमानदारी और खूबसूरती के साथ निभाने के लिए बहुत जरूरी है कि  पति पत्नी एक दूसरे को समझे. शादी के बाद बनने वाले हर नए रिश्ते को लेकर धैर्य के साथ सोच-विचार करें न कि आरोप- प्रत्यारोप.

एक सच यह भी है कि लड़की अपना घर छोड़कर दूसरे घर में जाती है. ऐसे में उसे वहां के लोगों को और माहौल को समझने में कुछ समय तो लगेगा.

लेकिन यदि आपस में मतभेद बढ़ रहे हों और आप इस नये परिवार के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पा रही हों, तब ऐसे में दोनों पति-पत्नी को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए.

जब कोई लड़की अपने पति के परिवार के साथ रहना पसंद ही नहीं करती, वे शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहने की मांग करने लग जाती हैं. इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे अनुकूलता, मतों में टकराव आदि.

केस 1- सुगंधा  जो कि एक आइ टी प्रोफेशनल हैं कहती हैं कि जब वह शादी से पहले अपने पति के मां बाप से मिलीं तो उनका व्यवहार  बहुत नरम था और धीरे धीरे उसके ससुराल वालो के साथ उसका , एक बहुत अच्छा रिश्ता बन गया था. लेकिन जैसी ही उसकी शादी हुई न केवल उसकी सास बल्कि उसके ससुर भी पहले से बिल्कुल बदल गये. वह सुगंधा को केवल भारतीय कपड़े पहनने को बोलते और सलाह देते कि वह सब काम ससुराल के अनुसार ही करे. अपने मन से कुछ भी करने पर  वह  उसके साथ बहुत दुर्व्यवहार करते .

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केस 2-35 साल की सौम्या कहती हैं कि उसकी सास को उसके ऑफिस जाने की टाइमिंग से समस्या है. सौम्या की अरेंज मैरिज है और उसकी सास को उसकी जॉब का पहले से ही पता था. लेकिन जैसे ही उसकी शादी हुई उसकी सास का व्यवहार एक दम से बदल गया. वह कहती हैं कि,” मै कभी कभार ऑफिस से लेट हो जाती हूं. इससे मेरे पति को कोई समस्या नहीं है लेकिन मेरी सास को यह अच्छा नहीं लगता. एक दिन मेरे ससुराल वालों ने मुझे जॉब छोड़ने के लिए कहा क्योंकि वे मानते हैं कि महिलाओं के लिए देर से घर आना सुरक्षित नहीं है. इसके बाद वह कहने लगे कि घर के कामों में हेल्प कराने के लिए मुझे यह जॉब छोड़ देनी चाहिए”. इन सब बातों से तंग आकर सौम्या अब अपने पति के साथ अलग रहती है.

केस 3- तोषिता जोकि एक मीडिया प्रोफेशनल हैं कहती हैं कि मेरी सास मुझे मेरी पति को सिखाने के आरोप भी लगाती है. शादी से पहले मुझे बहुत स्पेशल तरीके से ट्रीट किया जाता था. परन्तु शादी के बाद मुझे मेरा ससुराल मेरी अपेक्षाओं से एकदम हट कर मिला. मेरे ससुराल वाले मुझे वह चीज करने को कहते हैं जो मेरे हिसाब से बहुत पुराने जमाने की हैं. जबकि मेरे पति अपने सारे निर्णय खुद से लेते हैं फिर भी मेरी सास को यह लगता है कि मै उन्हें मेरे निर्णय लेने पर मजबूर कर रही हूं.

रिलेशनशिप एक्सपर्ट और कंसल्टेंट साइकेट्रिक स्वाति मित्तल का मानना है कि सास और बहू में जनरेशन गैप होता है. जो कि इस रिश्ते को और भी बद्तर बना देता है. पहले सास अपने बच्चो को सफल देख कर खुश रहती थी. लेकिन अब उनमें एक भय आ गया है कि अब  घर की चाबियां अपनी बहु को सौंपनी पड़ेंगी. वह घर अलग ढ़ंग से चलाती थी और चूंकि उनकी बहु नए खयालात वाली है तो वह घर को अलग ढंग से चलाएगी.

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वे आगे कहती हैं कि यदि पति पत्नी अलग रहने का निर्णय कर भी लेते हैं तो उनको एक बार अपने माता पिता की सहमति अवश्य ले लेनी चाहिए. यदि उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं है तो वह अलग रह सकते हैं. अलग रहने के बाद अपने माता पिता को भूल ही नहीं जाना है बल्कि समय समय पर उनसे मिलते रहें. उनका हाल चाल पूछते रहें ताकि आपके घर वाले भी आपसे खुश रहें और आप का पार्टनर भी.

सीधी सी बात है एक अच्छे रिश्ते की नींव तभी पड़ेगी जब उनमें किसी भी प्रकार की मजबूरी ना हों. आपसी मतभेद न हों साथ ही खुलकर बात कर सकने की क्षमता हो. तभी आप सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हर रिशता बखूबी जी पायेंगी.

हिप्स रिप्लेसमैंट सर्जरी कराने से कोरोना में जटिलताएं होने की खतरा बढ़ सकता है?

सवाल-

मेरी उम्र 64 साल है. मैं जानना चाहती हूं कि कोविड-19 महामारी के दौरान अगर मैं हिप्स रिप्लेसमैंट सर्जरी कराने का विकल्प चुनती हूं तो क्या जटिलताएं होने की खतरा बढ़ सकता है?

जवाब-

किसी भी महामारी के दौर में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है, जिस से औपरेशन के कारण जटिलताओं का खतरा भी 20% तक बढ़ सकता है. आप औपरेशन के समय या रिकवरी के दौरान संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं. इन जटिलताओं के कारण आप को आईसीयू में शिफ्ट करने की आशंका बढ़ सकती है और मृत्यु होने का खतरा भी अधिक होता है. अगर आप पहले से ही किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, किडनी या लिवर से संबंधित बीमारियों, डायबिटीज या फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रही हैं तो जटिलताओं का खतरा और अधिक होगा.

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कोरोना वायरस का फैलाने में मूक वाहक यानि साइलैंट कैरियर्स का भी योगदान रहा है. कुछ लोगों में खांसी, बुखार या कोई अन्य कोरोना का सिम्पटम नहीं होता है पर वे इस वायरस के प्रसार में सक्षम हैं. वाशिंगटन डीसी की जौर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के अनुसार यह संभव है. ऐसे साइलैंट कैरियर्स बेरोकटोक समाज में अपने दोस्तों या प्रियजनों से मिलते हैं और अनजाने में कोरोना का प्रसार करते हैं. हालांकि कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद रोग के सिम्पटम नहीं होना अचंभित करता है फिर भी यह सच है.

कितने लोग मूक वाहक श्रेणी में आते हैं और उन में कितनों का कोरोना के फैलाव में योगदान है, इस बारे में कुछ निश्चित नहीं है और इस दिशा में और ज्यादा जानने का प्रयास हो रहा है. मूक वाहकों को 3 श्रेणियों में रख कर इस का विश्लेषण किया गया है.

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सीमा: सालों बाद मिले नवनीत से क्यों किनारा कर रही थी सीमा?

‘‘माया तुम पहले चढ़ो. नेहा आदिल को मुझे दो. अरे, संभाल कर…’’ ट्रेन के छूटने में केवल 5 मिनट शेष थे. सीमा ने अपनी सीट पर बैठ कर अभी पत्रिका खोली ही थी कि दरवाजे से आती आवाज ने सहसा उस की धड़कनें बढ़ा दीं. यह वही आवाज थी, जिसे सीमा कभी बेहद पसंद करती थी. इस आवाज में गंभीरता भी थी और दिल छूने की अदा भी. वक्त बदलता गया था पर सीमा इस आवाज के आकर्षण से कभी स्वयं को मुक्त नहीं कर सकी थी.

अकसर सोचती कि काश कहीं अचानक यह आवाज फिर से उसे पुकार कर वह सब कुछ कह दे, जिसे सुनने की चाह सदा से उस के दिल में रही.

आज वर्षों बाद वही आवाज सुनने को मिली थी. मगर सीमा को उस आवाज में पहले वाली कोमलता और सचाई नहीं वरन रूखापन महसूस हो रहा था. कभी कुली तो कभी अपने परिवार पर झल्लाती आवाज सुनते हुए सीमा बरबस सोचने लगी कि क्या जिंदगी की चोटों ने उस स्वर से कोमलता दूर कर दी या फिर हम दोनों के बीच आई दूरी का एहसास उसे भी हुआ था.

कई दफा 2 लोगों के बीच का रिश्ता अनकहा सा रह जाता है. फासले कभी सिमट नहीं पाते और दिल की कसक दिल में ही रह जाती है. कुछ ऐसा ही रिश्ता था उस आवाज के मालिक यानी नवनीत से सीमा का.

सीमा बहुत उत्सुक थी उसे एक नजर देखने को, 10 साल बीत चुके थे. वह सीट से उठी और दरवाजे की तरफ देखने लगी, जिधर से आवाज आ रही थी. सामने एक शख्स अपने बीवीबच्चों के साथ अपनी सीट की तरफ बढ़ता नजर आया.

सीमा गौर से उसे देखने लगी. केवल आंखें ही थीं जिन में 10 साल पहले वाले नवनीत की झलक नजर आ रही थी. अपनी उम्र से वह बहुत अधिक परिपक्व नजर आ रहा था. माथे पर दूर तक बाल गायब थे. आंखों में पहले वाली नादान शरारतों की जगह चालाकी और घमंड था. शरीर पर चरबी की मोटी परत, निकली हुई तोंद. लगा ही नहीं कि कालेज के दिनों का वही हैंडसम और स्मार्ट नवनीत सामने खड़ा है.

नवनीत ने भी शायद सीमा को पहचाना नहीं था. वह सीमा को देख तो रहा था, मगर पहचानी नजरों से नहीं, अपितु एक खूबसूरत लड़की को देख कर जैसे कुछ पुरुषों की नजरें कामुक हो उठती हैं वैसे और यह सीमा को कतई बरदाश्त नहीं था. वह चुपचाप आ कर सीट पर बैठ गई और पुरानी बातें सोचने लगी…

कालेज का वह समय जब दोनों एकसाथ पढ़ते थे. वैसे उन दिनों सीमा बहुत ही साधारण सी दिखती थी, पर नवनीत में ऐसी कई बातें थीं, जो उसे आकर्षित करतीं. कभी किसी लड़के से बात न करने वाली सीमा अकसर नवनीत से बातें करने के बहाने ढूंढ़ती.

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पर अब वक्त बदल गया था. अच्छी सरकारी नौकरी और सुकून की जिंदगी ने सीमा के चेहरे पर आत्मविश्वास भरी रौनक ला दी थी. फिजिकली भी उस ने खुद को पूरी तरह मैंटेन कर रखा था. जो भी पहनती उस पर वह खूब जंचता.

सीमा चुपचाप पत्रिका के पन्ने पलटने लगी. ऐसा नहीं है कि इस गुजरे वक्त में सीमा ने कभी नवनीत के बारे में सोचा नहीं था. 1-2 दफा फेसबुक पर उस की तलाश की थी और उस की गुजर रही जिंदगी को फेसबुक पर देखा भी था. उस का नया फोन नंबर भी नोट कर लिया था पर कभी फ्रैंड रिक्वैस्ट नहीं भेजी और न ही फोन किया.

आज सीमा फ्री बैठी थी तो सोचा क्यों न उस से चैटिंग ही कर ली जाए. कम से कम पता तो चले कि वह शख्स नवनीत ही है या कोई और. उसे कुछ याद है भी या नहीं. अत: उस ने व्हाट्सऐप पर नवनीत को ‘‘हाय,’’ लिख कर भेज दिया. तुरंत जवाब आया, ‘‘कैसी हो? कहां हो तुम?’’

वह चौंकी. एक पल भी नहीं लगा था उसे सीमा को पहचानने में. प्रोफाइल पिक सीमा ने ऐसी लगाई थी जिसे ऐडिट कर कलरफुल बनाया गया था और फेस क्लीयर नहीं था. शायद मैसेज के साथ जाने वाले नाम ने तुरंत नवनीत को उस की याद दिला दी थी.

सीमा ने मैसेज का जवाब दिया, ‘‘पहचान लिया मुझे? याद हूं मैं ?’’

‘‘100 प्रतिशत याद हो और सब कुछ…’’

‘‘सब कुछ क्या?’’ सीमा चौंकी.

‘‘वही जो तुम ने और मैं ने सोचा था.’’

सीमा सोच में पड़ गई.

नवनीत ने फिर सवाल किया, ‘‘आजकल कहां हो और क्या कर रही हो?’’

‘‘दिल्ली में हूं. जौब कर रही हूं,’’ सीमा ने जवाब दिया.

‘‘गुड,’’ उस ने स्माइली भेजी.

‘‘तुम बताओ, घर में सब कैसे हैं? 2 बेटे हैं न तुम्हारे?’’ सीमा ने पूछा.

‘‘हां, पर तुम्हें कैसे पता?’’ नवनीत ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘बस पता रखने की इच्छा होनी चाहिए,’’ सीमा ने नवनीत के जज्बातों को टटोलते हुए जवाब दिया.

वह तुरंत पूछ बैठा, ‘‘तुम ने शादी की?’’

‘‘नहीं, अभी तक नहीं की. काम में ही व्यस्त रहती हूं.’’

‘‘मैं तो सोच रहा था कि पता नहीं कभी तुम से कौंटैक्ट होगा भी या नहीं, पर तुम आज भी मेरे लिए फ्री हो.’’

नवनीत की फीलिंग्स बाहर आने लगी थीं. पर सीमा को उस के बोलने का तरीका अच्छा नहीं लगा.

‘‘गलत सोच रहे हो. मैं किसी के लिए फ्री नहीं होती. बस तुम्हारी बात अलग है, इसलिए बात कर ली,’’ सीमा ने मैसेज किया.

‘‘मैं भी वही कह रहा था.’’

‘‘वही क्या?’’

‘‘यही कि तुम्हारे दिल में मैं ही हूं. सालों पहले जो बात थी वही आज भी है, नवनीत ने मैसेज भेजा.

जब सीमा ने काफी देर तक कोई मैसेज नहीं किया तो नवनीत ने फिर से मैसेज किया, ‘‘आज तुम से बातें कर के बहुत अच्छा लगा. हमेशा चैटिंग करती रहना.’’

‘‘ओके श्योर.’’

अजीब सी हलचल हुई थी सीमा के दिलोदिमाग में. अच्छा भी लगा और थोड़ा आश्चर्य भी हुआ. वह समझ नहीं पा रही थी कि कैसे रिऐक्ट करे. उस ने मैसेज किया, ‘‘वैसे तुम हो कहां फिलहाल?’’

‘‘फिलहाल मैं ट्रेन में हूं और बनारस जा रहा हूं.’’

‘‘विद फैमिली?’’

‘‘हां.’’

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‘‘ओके ऐंजौय,’’ कह सीमा ने फोन बंद कर दिया. यह तो पक्का हो गया था कि वह नवनीत ही था. वह सोचने लगी कि जिंदगी भी कैसेकैसे रुख बदलती है. फिर बहुत देर तक वह पुरानी बातें याद करती रही.

घर आ कर सीमा काम में व्यस्त हो गई. सफर और नवनीत की बातें भूल सी गई. मगर अगले दिन सुबहसुबह नवनीत का गुड मौर्निंग मैसेज आ गया. सीमा जवाब दे कर औफिस चली गई.

शाम को औफिस से घर आ कर टीवी देख रही थी, तो फिर नवनीत का मैसेज आया, ‘‘क्या कर रही हो?’’

‘‘टीवी देख रही हूं और आप?’’ सीमा ने सवाल किया.

‘‘आप का इंतजार कर रहा हूं.’’

मैसेज पढ़ कर सीमा मुसकरा दी और सोचने लगी कि इसे क्या हो गया है. फिर मुसकराते हुए उस ने मैसेज किया, ‘‘मगर कहां?’’

‘‘वहीं जहां तुम हो.’’

‘‘यह तुम ही हो या कोई और? अपना फोटो भेजो ताकि मुझे यकीन हो.’’

‘‘मैं कल भेजूंगा. तब तक तुम अपना फोटो भेजो, प्लीज.’’

सीमा ने एक फोटो भेज दिया.

तुरंत कमैंट आया, ‘‘मस्त लग रही हो.’’

‘‘मस्त नहीं, स्मार्ट लग रही हूं,’’ सीमा ने नवनीत के शब्दों को सुधारा.

नवनीत चुप रहा. इस के बाद 2 दिनों तक उस का मैसेज नहीं आया. तीसरे

दिन फिर से गुड मौर्निंग मैसेज देख कर सीमा ने पूछा, ‘‘और बताओ कैसे हो?’’

‘‘वैसा ही जैसा तुम ने छोड़ा था.’’

‘‘मुझे नहीं लगता… तुम्हारी जिंदगी में तो काफी बदलाव आए हैं. तुम पति परमेश्वर बने और पापा भी, सीमा ने कहा.’’

इस पर नवनीत ने बड़े ही बेपरवाह लहजे में कहा, ‘‘अरे यार, वह सब छोड़ो. तुम बताओ क्या बनाओगी मुझे?’’

‘‘दोस्त बनाऊंगी और क्या?’’ सीमा ने टका सा जवाब दिया.

‘‘वह तो हम हैं ही,’’ कह कर उस ने ‘दिल’ का निशान भेजा.

‘‘अच्छा, अब कुछ काम है. चलती हूं. बाय,’’ कह कर सीमा व्हाट्सऐप बंद करने ही लगी कि फिर नवनीत का मैसेज आया, ‘‘अरे सुनो? मैं कुछ दिनों में दिल्ली आऊंगा.’’

‘‘ओके, आओ तो बताना.’’

‘‘क्या खिलाओगी? कहांकहां घुमाओगी?’’

‘‘जो तुम्हें पसंद हो.’’

‘‘पसंद तो तुम हो.’’

उस के बोलने की टोन से एक बार फिर सीमा चकित रह गई. फिर बोली, ‘‘क्या सचमुच? मगर पहले कभी तो तुम ने कहा नहीं.’’

‘‘क्योंकि तुम औलरैडी समझ गई थीं.’’

‘‘हां वह तो 100% सच है. मैं समझ गई थी.’’

‘‘मगर तुम ने क्यों नहीं कहा?’’ नवनीत ने उलटा सवाल दागा, तो सीमा ने उसी टोन में जवाब दिया, ‘‘क्योंकि तुम भी समझ गए थे.’’

‘‘अब तुम कैसे रहती हो?’’

‘‘कैसे मतलब?’’ सीमा ने पूछा.

‘‘मतलब ठंड में,’’ नवनीत का जवाब था.

‘‘क्यों वहां ठंड नहीं पड़ती क्या?’’ नवनीत का यह सवाल सीमा को अजीब लगा था.

नवनीत ने फिर लिखा, ‘‘मेरे पास तो ठंड दूर करने का उपाय है. पर तुम्हारी ठंड कैसे दूर होती होगी?’’

‘‘कैसी बातें करने लगे हो?’’ सीमा ने झिड़का.

मगर नवनीत का टोन नहीं बदला. उसी अंदाज में बोला, ‘‘ये बातें पहले कर लेते तो आज का दिन कुछ और होता.’’

‘‘वह तो ठीक है, पर अब यह मत भूलो कि तुम्हारी एक बीवी भी है.’’

‘‘वह अपनी जगह है, तुम अपनी जगह. तुम जब चाहो मैं तुम्हारे पास आ सकता हूं,’’ नवनीत ने सीधा जवाब दिया.

सीमा को नवनीत का शादीशुदा होने के बावजूद इस तरह खुला निमंत्रण देना

पसंद नहीं आया था. पहले नवनीत से इस तरह की बातें कभी नहीं हुई थीं, मगर उस के लिए मन में फीलिंग्स थीं जरूर. अब बात तो हो गई थी, मगर फीलिंग्स खत्म हो चुकी थीं. उस के मन में नवनीत के लिए एक अजीब सी उदासीनता आ गई थी.

2 घंटे भी नहीं बीते थे कि नवनीत ने फिर मैसेज किया, ‘‘कैसी हो?’’

‘‘अरे क्या हो गया है तुम्हें? ठीक हूं,’’ सीमा ने लिखा.

‘‘रातें कैसे बिताती हो? नवनीत ने अगला सवाल दागा.’’

सीमा के लिए यह अजीब सवाल था. सीमा ने उस से इस तरह की बातचीत की अपेक्षा नहीं की थी. अत: सीधा सा जवाब दिया, ‘‘सो कर.’’

‘‘नींद आती है?’’

यह सवाल सीमा को और भी बेचैन कर गया. पर लिखा, ‘‘हां पूरी नींद आती है.’’

‘‘और जब…’’

नवनीत ने कुछ ऐसा अश्लील सा सवाल किया था कि वह बिफर पड़ी, ‘‘आई डौंट लाइक दिस टाइप औफ गौसिप.’’

मैं सोच रहा था कि अपने दोस्त से बातें हो रही हैं. मगर सौरी, तुम तो दार्शनिक निकलीं.

नवनीत ने सीमा का मजाक उड़ाया तो सीमा ने कड़े शब्दों में जवाब दिया, ‘‘मैं ने चैटिंग करने से मना नहीं किया, मगर एक सीमा में रह कर ही बातें की जा सकती हैं.’’

‘‘दोस्ती में कोई सीमा नहीं होती.’’

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‘‘पर मैं कभी ऐसी दोस्ती के लिए रजामंदी नहीं दूंगी, जिस में कोई सीमा न हो,’’ सीमा ने फिर से दृढ़ स्वर में कहा.

‘‘यह मत भूलो कि तुम भी मुझे पसंद किया करती थीं सीमा.’’

‘‘पसंद करना अलग बात है, पर उसे अपनी जिंदगी की गलती बना लेना अलग. शायद मैं यह कतई नहीं चाहूंगी कि ऐसा कुछ भी हो. इस तरह की बातें करनी हैं तो प्लीज अब कभी मैसेज मत करना मुझे,’’ मैसेज भेज सीमा ने फोन बंद कर दिया.

अब सीमा का मन काफी हलका हो गया था. नवनीत से सदा के लिए दूरी बना कर उसे तनिक भी अफसोस नहीं हो रहा था. नवनीत, जिसे कभी उस ने मन ही मन चाहा था और पाने की ख्वाहिश भी की थी, अब वह बदल चुका या फिर उस की असली सूरत सीमा को रास नहीं आई.

सेहत के लिए अच्छे हैं अचार

हर घर की किचन में आपको तरह तरह के अचार दिख जाएंगे. क्योंकि अचार खाना आमतौर पर हर किसी को पसंद होता है , क्योंकि ये न सिर्फ खाने की प्लेट की शोभा को बढ़ाने का काम करते हैं बल्कि खाने के स्वाद को भी कई गुणा बढ़ा देता है. लेकिन अक्सर जब परिवार के लोग इसे रोज अपनी प्लेट में परोसते हैं तो यही सुनने को मिलता है कि रोज रोज अचार खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता. जबकि आपको बता दें कि आपकी ये धारणा बिलकुल सही नहीं है कि अचार सेहत के लिए अच्छे नहीं होते. जबकि अचार तो न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं जब वे खासकर के घर पर बने होते हैं. इस सम्बंद में जानते हैं न्यूट्रिशनिस्ट प्रीति त्यागी से कि अचार क्यों है सेहत के लिए फायदेमंद.

अचार है एन्टिओक्सीडेंट्स से भरपूर

एन्टिओक्सीडेंट्स सूक्षम पोषक तत्व होते हैं , जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करते है. क्योंकि अगर ये फ्री रेडिकल्स रक्त में मिल जाते हैं तो शरीर पर इसका काफी ख़राब प्रभाव पड़ता है. जबकि भारतीय अचार में अचार बनाने के लिए कच्ची सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, जो एन्टिओक्सीडैंट्स का स्रोत होते हैं . जो हमें हैल्थी रखने के साथ साथ यंग बनाने का भी काम करते हैं.

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इम्युनिटी बूस्टर

जब भी हम कोई अचार बनांते हैं तो उसमें आमतौर पर हलदी का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. हलदी में कुरकुमीन नामक रसायन होता है, जिसमें एन्टिओक्सीडैंट्स प्रोपर्टीज होने के कारण ये शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है . साथ ही ये मस्तिष के ग्रोथ हॉर्मोन के स्तर में भी बढ़ोतरी करने का काम करता है, जिसे ब्रेन ड्राइव ड न्यूरोट्रोफिक कारक के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जिससे ब्रेन संबंधित बीमारियों से बचाव होता है. आपके शरीर में कुरकुमीन की वृद्धि इम्युनिटी को बूस्ट करने के लिए बहुत जरूरी होती है.

विटामिन्स, मिनरल्स के अच्छे स्रोत

अचार में सब्जियों के अलावा धनिया, मेथी दाना, पुदीना व करी लीव्स का भी इस्तेमाल किया जाता है. जो विटामिन्स जैसे विटामिन ए , सी और के के स्रोत होते हैं साथ ही ये मिनरल्स जैसे आयरन, कैल्शियम और पोटैसियम के अच्छे स्रोत माने जाते हैं. इसलिए कह सकते हैं कि अचार के माध्यम से शरीर की विटामिन और मिनरल्स की जरूरत पूरी होती है.

पाचन तंत्र को सुधारने में सक्षम

भारत में अधिकांश व्यंजनों के साथ अचार को परोसे जाने का एक कारण यह भी है कि ये हमारे पाचन तंत्र को सुधारने का काम करता है. हमारे पेट में प्रोबिओटिक बैक्टीरिया होते हैं , जो हमारे खाने को पचाने का काम करते हैं. लेकिन दवाओं के ज्यादा सेवन से व हमारे ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से पेट के सुसम जीव प्रभावित होते हैं , जिसके कारण पेट संभंधित विकार हो सकते हैं. जबकि नेचुरल तरह से फरमेंट हुए अचार में इन बैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित करने की क्षमता होती है. जो हमारे पाचन तंत्र को सुधारने में सक्षम है.

भारत में प्रचलित विभिन अचार

आयल बेस्ड अचार

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आम का अचार, हरी मिर्च का अचार, सब्ज़ियां का अचार, नींबू का अचार , ये बहुत ही मशहूर अचार हैं. जितने मशहूर हैं उतने ही इसके फायदे भी हैं. इन अचार को बनाने के लिए आयल और नमक का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ इसमें ऐसे मसाले इस्तेमाल किये जाते हैं , जो एन्टिओक्सीडैंट्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स में रिच होने के कारण शरीर के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं.

शुगर बेस्ड अचार

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शुगर बेस्ड अचार में मीठा नींबू का अचार, आम का अचार, गाजर का अचार और चुकंदर का अचार आदि आते हैं. ये अचार स्वाद में काफी अच्छे होते हैं लेकिन इसे बनाने के लिए चीनी का प्रयोग किया जाता है. इन अचारों के सेवन से आपका पाचन तंत्र दुरस्त होता है लेकिन अगर आपको शुगर या फिर मोटापे की समस्या है तो आप रोजाना इसका सेवन न करें.

विनेगर – लेमन जूस बेस्ड अचार

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बहुत सारे अचार जैसे कच्ची हलदी, अदरक व हरी मिर्च को नींबू के रस या विनेगर में डिप करके तैयार किया जाता है. जो न सिर्फ पेट के लिए अच्छे होते हैं बल्कि वजन को कम करने में भी सहायक माने जाते हैं. ये विटामिन सी की अच्छे स्रोत होने के कारण इम्युनिटी को बूस्ट करने का काम करते हैं.

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हींग बेस्ड अचार

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भारत में हींग बेस्ड अचार बहुत ही प्रचिलित है. आम का अचार, नींबू का अचार बनाने में अकसर इसका इस्तेमाल किया जाता है. ये पेट के लिए तो फायदेमंद होता ही है साथ ही विटामिन सी और डाइटरी फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण इम्युनिटी को भी बूस्ट करने का काम करता है. इसलिए अचार सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं , लेकिन ये बात का भी ध्यान रखें कि अति हर चीज की बुरी होती है.

फेस्टिव या शादी, हर ओकेशन के लिए परफेक्ट है नुसरत जहां के ये साड़ी लुक

तृणमूल कांग्रेस की सांसद और एक्ट्रेस नुसरत जहां अक्सर सोशलमीडिया पर फैंस के बीच छाई रहती हैं. हाल ही में नुसरत जहां ने फेस्टिवल सेलिब्रेशन के दौरान अपने लुक की कुछ फोटोज शेयर की थी, जिसके कारण वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. दरअसल, बीते दिनों रक्षाबंधन के त्यौहार पर अपने लुक और पति के साथ कुछ रोमांटिक शेयर की थीं. लेकिन कुछ ट्रोलर्स ने उन्हें इस बात पर ट्रोल कर दिया कि रक्षाबंधन पर भाई की बजाय वह पति के साथ रोमांटिक फोटोज शेयर कर रही हैं. पर आज हम उनके ट्रोलिंग की नहीं बल्कि उनके साड़ी लुक की करेंगे. नुसरत साड़ियों की शौकीन हैं औऱ वह शादी के बाद अक्सर साड़ी पहनें नजर आती हैं. तो इसलिए आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां के कुछ साड़ी लुक्स…

1. फेस्टिव लुक के लिए परफेक्ट है नुसरत जहां की ये साड़ी

गोल्डन जरी के बॉर्डर वाली पिंक साड़ी और मिंट ग्रीन रंग के फ्लोरल फुल स्लीव ब्लाउज के साथ नुसरत के माथे पर बिंदी बेहद खूबसूरत लग रहा है. इसी के साथ में मोतियों का नेकपीस और मंगलसूत्र नुसरत के लुक पर चार चांद लगा रहा है. मेकअप की बात करें तो पिंक लिप्स, शाइनी पिंक चिक्स के साथ वेल डिफाइन आइब्रो और ओवरलोड मस्कारे के साथ नुसरत हमेशा की तरह खूबसूरत दिख रही थीं.

 

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Rakshabandhan look book..

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2. सिंंपल साड़ी है बेस्ट

 

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CONGRATULATIONS @nusratchirps mam🥰🥰🥰🥰

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अगर आप साड़ी या किसीं फंक्शन में खूबसूरत लुक बनाना चाहती हैं तो नुसरत जहां की तरह लाइट पर्पल कलर की साड़ी के साथ शाइनी गोल्डन टच वाली साड़ी आपके फेस्टिव लुक पर चार चांद लगा देगी. इसी के साथ हैवी इयरिंग्स आपके लुक को स्टाइलिश बना देंगे.

3. पर्पल साड़ी है परफेक्ट

 

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What comes easy won’t last long, and what lasts long won’t come easy. #nusratjahan #actress #tollywood #beauty #traditional #nusratjahanlovers

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अगर आप किसी फंक्शन में पर्पल लुक का कौम्बिनेशन रखना चाहती हैं तो नुसरत जहां की इस शाइनी पर्पल साड़ी के साथ सिल्वर ज्वैलरी आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

4. स्काई ब्लू कलर करें ट्राय

 

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I’ll let the picture do the talking 💫 #PremierNightLook #Asur #InCinemasNow @rangoliindia @sandip3432 @majhisarmistha @makeupartist.sourab

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अगर आपके पास भी स्काई ब्लू कलर की कोई सिंपल साड़ी है तो उसके साथ ट्रैंडी ब्लाउज और हैवी ज्वैलरी आपके लुक पर चार चांद लगा देगी. ज्वैलरी की बात करें तो मार्बल ज्वैलरी आपके लुक के हर तरह से परफेक्ट है.

क्या वह सच था: प्यार गंवाने के बाद भी बहन की नफरत का शिकार क्यों हो रही थी श्रेया?

Serial Story: क्या वह सच था (भाग-3)

‘‘उस दिन हौस्पिटल से निकलते वक्त मैं बेतहाशा रो रही थी. संयोग से उस दिन विपुल भी अपनी नियमित जांच के लिए अस्पताल आए हुए थे. मैं उस दिन पक्का जहर खा चुकी होती. मगर विपुल ने आप का वास्ता दे कर मुझ से सारी बात जान ली. मैं बहुत भयभीत थी कि मेरी वजह से पापा और आप की इज्जत धूल में मिल जाएगी. हार्टपेशैंट पापा को कुछ हो गया तो मैं स्वयं को कभी माफ नहीं कर सकूंगी.

‘‘मगर विपुल ने दिलासा दिया कि वे मुझ से शादी कर बच्चे को अपना नाम देंगे. इसीलिए उन्होंने दूसरे शहर में अपना स्थानांतरण करा लिया ताकि मेरे शादी से पहले गर्भवती होने की बात कोई न जान सके.

‘‘मैं ने सोचा था कि सब ठीक हो जाने पर आप के पास लौट आऊंगी और सब सचसच बता दूंगी. मगर विपुल ने यह कह कर मुझे रोक दिया कि फिर आप शादी नहीं करोगी और विपुल की खातिर अकेली रह जाओगी. आप की शादी का समाचार मिला था हमें और हम आना भी चाहते थे, मगर मेरी तबीयत खराब रहने लगी थी. फिर आप का सामना करने की भी हिम्मत नहीं थी.

‘‘प्लीज दीदी, अब अपनी बहन को माफ कर देना. मैं ने आप की जिंदगी से उसे

दूर कर दिया, जो आप की जिंदगी का सब कुछ था. पर यकीन मानिए विपुल ने आज तक मुझे छुआ भी नहीं. वे आज भी केवल  आप के हैं.’’

‘‘आप की बहन.’’

पत्र पढ़तेपढ़ते श्रेया की आंखों से आंसुओं की बरसात होने लगी. अब तक दग्ध पड़ा

उस का मन विपुल के प्रेम की छांव महसूस कर शीतल हो गया था. पर बहन का दर्द आंखों से आंसुओं के सैलाब के रूप में उमड़ पड़ा था.

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श्रेया बदहवास सी गेट की तरफ भागी कि शायद विपुल बाहर रुका हो. पर विपुल जा चुका था. श्रेया अचानक फूटफूट कर रोने लगी. उस का पता भी तो नहीं था. कहां गया होगा वह? आ कर बिस्तर पर औंधे मुंह लेट गई. पुरानी बातें सोचतीसोचती नींद के आगोश में चली गई. फिर जब होश आया तो देखा, ज्ञान औफिस से आ चुका था और स्वयं चाय बना रहा था. श्रेया को खुद में ग्लानि महसूस हुई कि उसे कैसे ज्ञान के आने का आभास भी नहीं हुआ. वह हड़बड़ा कर उठने लगी कि चक्कर आने लगा. फिर बिस्तर पर लेट गई.

तभी चाय ले कर ज्ञान आ गया. श्रेया के लिए भी चाय बनाई थी. चाय देते हुए बोला, ‘‘जल्दी तैयार हो जाओ श्रेया, हमें चलना है.’’

श्रेया ने उदास नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘नहीं, मैं कहीं नहीं जा सकती, प्लीज, आप

चले जाओ.’’

‘‘नहीं श्रेया, तुम्हें चलना होगा,’’ ज्ञान के स्वर में दबाव था.

श्रेया सोच रही थी कैसे मना करूं ज्ञान को और क्या कह कर? पता नहीं, वह क्या सोचेगा. फिर बिना मन के भी श्रेया को ज्ञान से साथ जाने को तैयार होना पड़ा. बड़े बेमन से कार में बैठ गई. कार सीधी एक अस्पताल के आगे जा कर रुकी. प्रश्नवाचक नजरों से श्रेया ने पति की ओर देखा.

‘‘जाओ श्रेया, अपनी बहन से मिल लो.’’

ज्ञान का गंभीर स्वर गूंजा, तो श्रेया चौंक उठी, ‘‘क्या सचमुच ज्ञान?’’ और फिर फूटफूट कर रो पड़ी.

ज्ञान ने सहारा देते हुए कहा, ‘‘कुछ सोचो या बोलो मत, बस जल्दी चलो. समय कम है, नेहा के पास.’’

श्रेया और ज्ञान लगभग दौड़ते हुए अंदर पहुंचे. नेहा बैड पर पड़ी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी. दरअसल, सालों जिस अपराधबोध का बोझ लिए वह जीती रही थी, वह दर्द आज कैंसर बन कर उस की जिंदगी पर हावी हो गया था.

श्रेया का स्वर गले में ही रह गया. पर उस के हाथों का स्पर्श पाते ही नेहा ने आंखें खोलीं. श्रेया को देखते ही, ‘‘दीदी’’, कह उस की आंखें बरस पड़ीं, ‘‘मुझे माफ कर दो दीदी… मैं आप की कुसूरवार हूं.’’

‘‘नहीं नेहा, तू कुछ न बोल. तेरा कोई दोष नहीं. जो होना था, वही हुआ. इस के लिए स्वयं को दोष क्यों दे रही है?

‘‘अब मैं अच्छी नहीं हो सकती दीदी, तुम्हारे लिए ही सांसें अटकी थीं. बस एकबार विपुल को माफ कर दो, ‘‘कहते उस ने विपुल का हाथ पकड़ उस के हाथों में दे दिया.

विपुल की आंखों से आंसू बहने लगे. श्रेया रुंधे गले से बोली, ‘‘नेहा, विपुल ने तो कोई गलती की ही नहीं. उस ने तो कुरबानी दी है. मैं माफी देने वाली कौन होती हूं?’’

श्रेया की बात सुन कर नेहा का चेहरा खिल उठा जैसे वह एक गहरे अपराधबोध से मुक्त हो गई हो. बहुत देर तक श्रेया नेहा का हाथ पकड़े सुबकती रही.

डाक्टरों ने जवाब दे दिया था. उस रात श्रेया नेहा के पास ही रुकना चाहती थी पर ज्ञान के कहने पर घर चलने को तैयार हो गई. रास्ते भर श्रेया सोचती रही. वर्षों बाद अपनी प्यारी बहन को गले लगा कर कितना सुकून मिला था उसे. फिर विपुल का निश्छल प्रेम महसूस कर उस का दिल फिर से विपुल की ओर झुकने लगा था. आज उसे किसी से कोई शिकवाशिकायत नहीं थी. सिर्फ प्यार था विपुल के लिए, नेहा के लिए.

तभी सहसा उस के मन से आवाज आई, ‘कहीं वह ज्ञान के साथ नाइनसाफी तो नहीं करने जा रही?’

‘‘ज्ञान तुम्हें कैसे पता चला कि नेहा यहां है?’’ श्रेया ने पूछा.

ज्ञान ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘तुम रोतीरोती सो गई थीं, तो मैं घर में दाखिल हुआ था. मैं ने पत्र पढ़ा और सारी हकीकत समझ गया. मैं सोच रहा था कि नेहा से तुम्हें कैसे मिलाऊं? तभी

मुझे विपुल की मां का खयाल आया. जब पार्टी में वे तुम से मिली थीं, तो मैं ने वहां उन से फोन नंबर ले लिया था. आज आंटी को फोन कर के ही मुझे जानकारी मिली कि नेहा यहां ऐडमिट है. तभी मैं ने…’’

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श्रेया विपुल के कंधे पर सिर रखती हुई बोली, ‘‘आप का शुक्रिया कैसे अदा करूं?’’

‘‘मेरा नहीं, विपुल का शुक्रिया अदा करो श्रेया. यदि नेहा को कुछ हो जाता है तो मुझे लगता है तुम्हें विपुल को अपने घर या हमारे बगल के घर में रहने के लिए मना लेना चाहिए. ताकि तुम विपुल को बिलकुल अकेला होने से बचा सको. फिर नेहा के बच्चे को भी तुम्हारा साथ मिल जाएगा.’’

अपने पति के सुलझे विचार जान कर श्रेया का मन और भी हलका हो गया. वह निश्चिंत हो कर ज्ञान के कंधे पर सिर रख कर सो गई, क्योंकि अब वह विपुल के प्रति अपने कर्तव्य बिना किसी हिचकिचाहट निभा सकेगी. उस का पति उस के रिश्तों को पूरी अहमियत जो दे रहा था. शायद वह विपुल के साथ अपने रिश्ते को जितने बेहतर ढंग से नहीं समझ सकी, उस से कहीं अधिक ज्ञान ने उन दोनों को समझा.

Serial Story: क्या वह सच था (भाग-2)

श्रेया को आज भी अच्छी तरह याद है वह शाम जब नेहा थकीहारी और परेशान सी कालेज से घर लौटी थी और फिर सहसा श्रेया के गले लग कर रोने लगी थी. पीछेपीछे विपुल भी आया था. उस ने नेहा को बैठने का इशारा किया और फिर श्रेया से मुखातिब होते हुए बोला, ‘‘श्रेया, मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं.’’

‘‘वह तो ठीक है विपुल, मगर पहले नेहा को तो देख लूं… यह रो क्यों रही है?’’

‘‘मैं ही हूं, इस की वजह,’’ विपुल श्रेया के सामने आ कर खड़ा हो गया.

‘‘मतलब?’’

श्रेया चौंक उठी.

‘‘मतलब यह कि नेहा मेरी वजह से रो रही है.’’

‘‘यह क्या कह रहे हो तुम?’’ श्रेया कुछ समझ नहीं पाई.

‘‘मैं जानता हूं श्रेया, तुम्हारे लिए समझना कठिन होगा. मगर मैं मजबूर हूं. मैं चुप नहीं रह सकता. मैं नेहा से प्रेम करने लगा हूं और इसी से शादी करूंगा.’’

‘‘क्या? तुम नेहा से प्रेम करते हो? और मैं? मैं क्या थी? तुम्हारे मन बहलाव का जरीया? टाइमपास? नहीं विपुल मैं तुम्हारी इस बात पर कभी यकीन नहीं करूंगी.’’

फिर श्रेया ने तुरंत नेहा के पास जा कर पूछा, ‘‘विपुल क्या कह रहे हैं नेहा? यह सब क्या है? यह सब झूठ है न नेहा? तू सच बता नेहा…’’

‘‘दीदी, मैं स्वयं नहीं जानती कि मेरी जिंदगी में क्या लिखा है. फिर मैं आप को क्या बताऊं?’’

‘‘सिर्फ इतना बता कि क्या तू और विपुल एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताना चाहते हैं? क्या विपुल ने जो कहा वह सच है?’’

झुकी नजरों से नेहा ने हां में सिर हिलाया तो श्रेया के पास कुछ कहने या सुनने को

नहीं रह गया. एक धक्का सा लगा उस के दिल को. वह बिलकुल अलग जा कर खड़ी हो गई, दिल की सारी हसरतें आंसुओं में बहने लगीं.

इस घटना के बाद विपुल में श्रेया से नजरें मिलाने का भी हौसला नहीं रहा. दबी जबान में जब उस ने श्रेया के पापा से नेहा के साथ शादी की इच्छा जताई तो पूरे घर में कुहराम मच गया. कहां तो श्रेया और विपुल की शादी की तैयारी थी और कहां मामला ही उलट गया. तूफान के बाद जैसे पूरे माहौल में शांति छा जाती वैसे ही घर में नीरवता पसर गई.

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उधर श्रेया का मन अभी भी इस हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रहा था. घर वालों के तैयार न होने पर विपुल नेहा को ले कर बहुत दूर निकल गया. उस ने जानबूझ कर ऐसी जगह अपनी पोस्टिंग करा ली जहां जानपहचान वाले आसपास न हों. उस ने अपना नया पता भी बहुत कम लोगों को दिया.

विपुल और नेहा से श्रेया और उस के घर वालों ने हर तरह के संबंध तोड़ लिए थे. विपुल ने भी लौट कर बात करने की कोशिश नहीं की और इस तरह श्रेया की यह प्रेम कहानी उस की बरबादी का सबब बन कर रह गई.

उसी दौरान श्रेया की जिंदगी में प्रेम का सागर बन कर ज्ञान आया. उस के साथ शादी घर वालों ने ही तय की. पर इस के लिए स्वयं को तैयार करना श्रेया के लिए बहुत कठिन था. खुद को काफी समझाना पड़ा उसे. ज्ञान को अपना तो लिया था उस ने, मगर प्यार के प्रति उस के मन में विपुल की वजह से एक तरह की उदासी व दर्द का साम्राज्य कायम था. वह लाख कोशिश करती, मगर दिल का सूनापन जाता नहीं. वर्षों बीत गए थे. अब तो नन्हा सौरभ ही श्रेया के जीवन का आधार बन गया था.

श्रेया सुबह उठी तो मन भारी था. पूरी रात पुरानी बातें याद करते जो गुजरी थी.

सोचा, ज्ञान औफिस और सौरभ स्कूल चला जाएगा, तो थोड़ी देर सो लेगी. काम करतेकरते 12 बज गए थे. वह थक कर लेटने गई ही थी कि दरवाजे की घंटी बज उठी. अनमने से दरवाजा खोला तो दंग रह गई.

सामने विपुल खड़ा था. परेशान, थका हुआ, बीमार सा. एकबारगी तो श्रेया उसे पहचान ही नहीं पाई. काले बालों पर अब सफेदी चढ़ चुकी थी. आंखों के नीचे गहरी कालिमा और चेहरे का रंग भी फक्क पड़ा चुका था.

श्रेया असहज होती हुई बोली, ‘‘तुम यहां? तुम वापस क्यों आए हो विपुल? मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी.’’

‘‘ठीक है श्रेया, मैं दोबारा लौट कर नहीं आऊंगा. बस यह पत्र देने आया था,’’ कहतेकहते विपुल की आंखें डबडबा आईं. पत्र थमा कर वह तेज कदमों से लौट गया.

श्रेया काफी देर तक विक्षिप्त सी खड़ी रही. जिस शख्स को वह एक पल को भी याद करना पसंद नहीं करती थी, आज वही शख्स उस के सामने खड़ा था. यों तो वह अनजाने ही चाहती रही थी कि उस के जीवन में आंसू भरने वाला शख्स कभी खुश न रहे, मगर आज अपनी नजरों के आगे उस की आंखों में आंसू देख कर एक बार फिर वह तड़प क्यों रही है? 1-2 घंटे वह यों ही परेशान सी रही. फिर न चाहते हुए भी हिम्मत कर के उस ने वह पत्र खोला. उस के हाथ कांप रहे थे. बहन की हैंडराइटिंग देख मन किया कि पत्र को चूम ले. मगर फिर पुरानी कड़वाहट जेहन में ताजा हो गई. अनमने से उस ने पत्र पढ़ना शुरू किया. लिखा था:

‘‘दीदी, मैं आप की क्षमा की हकदार तो नहीं हूं, फिर भी क्षमा मांग रही हूं. शायद जब तक यह पत्र आप के हाथों में पहुंचे तब तक मैं इस दुनिया से जा चुकी होऊं . इतने दिनों तक आप से बहुत राज छिपाए है हम ने, पर अब और नहीं. हकीकत बता कर चैन से अलविदा कह सकूंगी.’’

‘‘दीदी, मैं आप के विपुल से प्यार नहीं करती थी. वह तो सदा से आप के ही रहे. आप से बेहद प्यार करते हैं. तभी आप की प्रिय बहन की जिंदगी बचाने के लिए उन्होंने यह कुरबानी दी, यानी मुझ से शादी की.

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‘‘दीदी, किसी लड़के ने धोखे से मेरा इस्तेमाल किया. उस से धोखा खा कर मैं पूरी तरह टूट गई थी. फिर भी हौसला रखा और सोचा कि प्रयास करूंगी, वह शादी के लिए मान जाए. इस से पहले ही वह इस दुनिया से रुखसत हो गया. 2-3 माह बाद जब मुझे अपने अंदर हलचल महसूस हुईर् तो मैं सकते में आ गई. मेरे पेट में उस धोखेबाज का अंश था. डाक्टर ने जांच कर बताया कि अब गर्भपात कराना जिंदगी पर भारी पड़ सकता है.

आगे पढ़ें- पत्र पढ़तेपढ़ते श्रेया की आंखों से आंसुओं की…

Serial Story: क्या वह सच था (भाग-1)

सफाई करते सहसा ही श्रेया के हाथ विपुल की दी वही चमचमाती रिंग आ गई जिसे उस ने वर्षों पूर्व किसी डब्बे में बंद कर एक कोने में पटक दिया था. वह विपुल को बुरे सपने की तरह भुला देना चाहती थी. मगर ऐसा कहां हो पाया. मन के किसी कोने में आज भी उस की यादों का कारवां ठहरा सा था. आज भी एक कसक रहरह कर उसे तड़पाती कि जिसे सब से ज्यादा चाहा था वही उस के सब से बड़े दुख की वजह बन गया.

कैसे भूल सकती है श्रेया अपने 27वें जन्मदिन से एक दिन पहले की उस शाम को जब विपुल के साथसाथ उस ने अपनी बहन को भी सदा के लिए खो दिया था.

वह बहन, जिस के लिए श्रेया हर मोड़ पर खड़ी रही थी, उसी ने विपुल को छीन लिया उस से. मां के गुजरने के बाद अपनी बच्ची की तरह खयाल रखा था उस ने छोटी बहन नेहा का. विपुल से भी तो अकसर जिक्र करती थी वह कि नेहा उस की बहन से कहीं ज्यादा उस की संतान है. बहुत प्यार करती है उस से. तकलीफ में नहीं देख सकती उसे. पर कब सोचा था उस ने कि उसी बहन को जरीया बना कर विपुल उसे ऐसी तकलीफ देगा कि जिंदगी में संभलना तक मुश्किल हो जाएगा.

एक अजीब से कड़वाहट श्रेया के मन में भर गई. हमेशा ऐसा ही होता है. विपुल और नेहा को याद करते ही उस के जेहन में पुरानी यादें ताजा हो उठती हैं.

‘‘श्रेया… श्रेया… कहां हो तुम?’’

पीछे से आती ज्ञान की आवाज ने उस की तंद्रा तोड़ दी. वह वर्तमान में लौट आई. वर्तमान जहां उस का पति ज्ञान और बेटा सौरभ बेसब्री से उस का इंतजार कर रहे थे.

‘‘तुम भूल गईं श्रेया कि आज हमें नमन के यहां जाना है,’’ ज्ञान ने कहा.

‘‘अरे हां, मुझे याद नहीं रहा. ठीक है मैं अभी तैयार हो कर आती हूं,’’ कह श्रेया कमरे में तैयार होने चली आई. फिर तैयार होते हुए खुद को कोसने लगी कि आज फिर क्यों उस ने पुरानी यादों के साए को खुद पर हावी होने दिया? क्यों नहीं वह विपुल को पूरी तरह भूल पाती है? वह विपुल, जिस ने उस के जज्बातों की परवाह नहीं की. उस की बहन को शिकार बना कर चलता बना. फिर दोबारा देखा भी नहीं. वह तो ज्ञान था, जिस की वजह से वह स्वयं को संभाल सकी.

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श्रेया जब भी विपुल की बेवफाई याद करती बरबस ही उस के दिल में ज्ञान के लिए प्रेम उमड़ पड़ता. आज भी वही हुआ. उस ने ज्ञान की पसंद की हलकी नीली साड़ी पहनी. फिर उसी रंग की चूडि़यां, फुटवियर वगैरह पहन कर जल्दी से तैयार हो गई.

ज्ञान ने देखा तो उस के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान खेल गई. तीनों बहुत दिनों बाद एकसाथ बाहर जा रहे थे. रास्ते भर सौरभ की शैतानियां और ज्ञान की मजेदार बातों ने श्रेया के मन से पुरानी यादों की कड़वाहट दूर कर दी. नमनजी के बेटे की सगाई थी. उस जश्न के माहौल में श्रेया पूरी तरह रंग गई. उस ने ज्ञान के साथ जम कर डांस भी किया.

तभी पीछे से किसी महिला ने श्रेया के कंधे पर हाथ रखा. वह पलटी तो सामने खड़ी उम्रदराज महिला पर नजर पड़ते ही श्रेया के चेहरे का रंग बदल गया. वह हैरान नजरों से उस महिला की तरफ देखती रह गई.

वह महिला कोई और नहीं, विपुल की मां थीं. पहले की ही तरह उन की आंखों से वात्सल्य फूट रहा था. उन्हें सामने पा कर सहसा श्रेया से कुछ कहते न बना. फिर अचानक वर्षों पुराना दबा गुस्सा लावा बन कर आंखों से फूट पड़ा. श्रेया की बड़ीबड़ी आंखें आंसुओं से भर गईं. वह स्वयं को रोक नहीं सकी और विपुल की मां के सीने से लग कर फफकफफक कर रोने लगी.

पहली दफा किसी के आगे खुल कर रो रही थी. मां के स्नेह से भरे हाथ हौलेहौले उस के कंधों को सहलाने लगे थे मानो वे उस का सारा दर्द समझ रही हों. आखिर श्रेया ने ही तो उन से दूरी बनाई थी. सिर्फ उन से ही नहीं, विपुल से जुड़े हर शख्स, हर वस्तु और हर याद से. वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे विपुल की याद भी दिलाए. मगर आज जैसे वह उस याद में पूरी तरह डूबी जा रही थी.

सहसा जैसे श्रेया को होश आया. यह क्या कर रही है वह? नहीं. वह किसी के आगे कमजोर नहीं पड़ सकती… पुरानी यादों से दोबारा नहीं जुड़ सकती.

फिर एक झटके से वह अलग खड़ी हो गई. सामने ज्ञान खड़ा उसे ही देख रहा था. आंसू छिपाती श्रेया तेजी से बाथरूम की ओर बढ़ गई. ज्ञान विपुल की मां से बातें करने लगा.

वापस घर लौटते वक्त श्रेया रास्ते भर न चाहते हुए भी विपुल के बारे में ही सोचती रही. उस का दिल अंदर ही अंदर तड़प रहा था. जिस इनसान के लिए वह दुनिया छोड़ने को तैयार थी, उसी को जिंदगी से निकाल कर जी रही थी वह. जब दिल में जज्बा ही न रहे तो फिर क्या फर्क पड़ता है कि कोई इनसान जिंदगी में है या नहीं.

रात भर श्रेया चाह कर भी उन पुरानी यादों से स्वयं को आजाद नहीं कर पाई. पुराने लमहे उस की आंखों के आगे से गुजरते रहे. कैसे विपुल और वह एकदूसरे का हाथ थामे पूरी दुनिया की सैर करते, भविष्य के सुनहरे सपने. देखते, विपुल मितभाषी और संकोची प्रवृत्ति का इनसान था.

आजतक श्रेया समझ नहीं पाई कि उस ने नेहा के साथ कब इतनी नजदीकियां बढ़ा लीं कि वह उस की जिंदगी बन गई और श्रेया को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका.

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श्रेया को तो विपुल पर पूरापूरा भरोसा था. उस ने तो कभी सोचा ही नहीं था कि कभी वह उस के साथ कुछ गलत करेगा या फिर उस की दुलारी बहन नेहा ही ऐसा दिल तोड़ने वाला कदम उठाएगी. तब नेहा की ग्रैजुएशन की परीक्षा थी और श्रेया ने ही विपुल से कहा था कि नेहा को पढ़ा दिया करें. पर उसे कहां पता था कि वह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है.

आगे पढ़ें- पीछेपीछे विपुल भी आया था. उस ने नेहा को…

Corona के कहर के बीच आज शादी करेंगी ‘दिया और बाती हम’ की एक्ट्रेस प्राची तेहलान

कई टीवी सीरियल तथा ममूटी के साथ 5 भाषाओं में बनी फिल्म ‘मामंगम’में अभिनय कर जबरदस्त शोहरत बटोरने वाली अदाकारा प्राची तेहलान 7 अगस्त को उद्योगपति और वन्य जीवन संरक्षक रोहित सरोहा के साथ विवाह के बंधन में बंधने जा रही हैं. रोहित सरोहा के साथ उनका कोई लंबा प्रेम प्रसंग भी नहीं रहा.

मजेदार बात यह है कि 25 मार्च से कोरोनावायरस की वजह से लॉकडाउन के चलते सभी अपने अपने घरों में कैद रहे हैं . लगभग 3 माह तक फिल्म टीवी सीरियल की शूटिंग भी  नहीं हुई. मगर इसी बीच प्राची तेहलान की दिल्ली के व्यवसायी व वन्य जीवन संरक्षक रोहित सरोहा से मुलाकात हुई तथा डेढ़ माह के अंदर प्राची तेहलान ने विवाह के बंधन में बंधने का निर्णय ले लिया. सभी जानते हैं कि हर लड़की के जीवन में शादी बहुत अहमियत रखती है कोरोना महामारी  के चलते पूरी दुनिया थम सी गयी है. रिचा चड्डा व अली फजल जैसे कुछ कलाकारों के साथ-साथ आम लोगों ने अपने विवाह स्थगित कर दिए. पर ‘मांमगंम’ फ्रेम प्राची तेहलान अंधेरे में दिया जलाकर रोशनी पैदा करने में यकीन के साथ इसी दौरान विवाह करने का फैसलाकर काफी खुश हैं. उनका मानना है कि विवाह कर वह इस वक्त अपने प्यार व प्रेमी के साथ बेरोकटोक अच्छा समय बिता सकती हैं.

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कोरोना महामारी की वजह से विवाह कार्यक्रम में 50 से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते. फिर भी 7 अगस्त को विवाह करने के अपने निर्णय की चर्चा करते हुए प्राची तेहलान कहती हैं-” मैं हमेशा उन लोगों के बीच विवाह करना चाहती थी, जो मुझसे प्यार करते हैं, जिनके साथ मैं अपनेपन का अहसास कर सकूं तो मेरे विवाह समारोह में वैसा ही होने जा रहा है. सीमित लोगों में मुझे प्यार करने वालों व ‘अपनेपन’ का अहसास दिलाने वाले लोग ही मौजूद रहेंगे.

डेढ़ माह की मुलाकात में ही रोहित सिरोहा से विवाह के निर्णय के संदर्भ में प्राची तेहलान कहती हैं -“मेरी जिंदगी में सभी महत्वपूर्ण घटना क्रम इसी तरह घटित होते रहें हैं . एक दिन मेरे कोच ने मेरे कद की तारीफ करते हुए मुझे  बास्केटबॉल खेलने की सलाह दी और दूसरे दिन ही मैं बॉस्केटबॉल कोर्ट पहुंच गयी थी. मैंने भारत का प्रतिनिधित्व किया. फिर अचानक इसी तरह अभिनय की शुरुआत हुई .शशि सुमित से मुलाकात होने के तीसरे दिन मैं उनके सीरियल ‘इक्यावन’ में अभिनय कर रही थी. तो हमने शादी का निर्णय भी डेढ़ माह के अंदर ही ले लिया. सच कहूं तो मुझे ऐसी ही जिंदगी खुशी देती है. प्राची कहती हैं-” मैं अपने विवाह से हर इंसान को संदेश देना चाहती हूं कि हम बुरे वक्त में भी अपनी खुशियां पा सकते हैं.”

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बहरहाल ,7 अगस्त को शादी की प्राची तहलन की तैयारियां जोरों पर हैं. स्टाइलिस्ट रिशु ,प्राची की शादी के हर समारोह के लिए पोशाक तैयार कर रही हैं. प्राची तेहलान और रोहित सिरोहा पहले ही ‘फोटोशूट’ करा चुके हैं .

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