सावधान: शरीर के लिए नुकसानदायक है ज्‍यादा कैल्‍शियम

अच्छी सेहत और मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम लेना बहुत ही जरूरी है. अकसर लोग अतिरिक्त कैल्शियम के लिए अलग से दवा भी लेते हैं. लेकिन भले ही वह चाहे कैल्‍शियम हो या फिर कोई अन्‍य न्‍यूट्रियंट, मिनरल,विटामिन या प्रोटीन.

सेहत और उम्र के हिसाब से इसका ज्‍यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है. हमें इन पुरानी धारणाओं को बदलना होगा कि ज्‍यादा कैल्‍शियम खाने से हड्डी मजबूत होगी और हम स्‍वस्‍थ्‍य रहेंगे. यहां कुछ कारण दिये जा रहे हैं जो आपको बताएंगे कि आपको ज्‍यादा कैल्‍शियम का सेवन क्‍यूं नहीं करना चाहिये.

पुरुष को हर दिन कैल्शियम की 1000-1200mg की जरूरत होती है, वहीं पर महिला को 1200-1500mgमहिलाओं की जरूरत होती है और बच्चों को हर दिन कैल्शियम की 1300mg की जरूरत होती है. अधिकतम कैल्शियम 2500gm ले सकते हैं. चलिये देखते हैं, क्या होता है जब आप अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने लगते हैं तो.

1. अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने से चक्‍कर और उल्टी आने का कारण बन सकता है. इस प्रकार जब कभी भी आपको चक्कर आए तो समझ जाएं कि यह कई कारणों में से एक कैल्‍शियम का प्रभाव भी हो सकता है.

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2. अतिरिक्त कैल्शियम की मात्रा के प्रभाव में से एक प्रोस्‍ट्रेट कैंसर होने की भी संभावना होती है. इस प्रकार जो लोग इस बीमारी से लड़ रहें हैं उनको अपनी डाइट में कैल्‍शियम की मात्रा कम कर देनी चाहिये. साथ ही अगर आपके खानदान में भी इस तरह के कैंसर की समस्‍या है तो भी आपको अतिरिक्‍त कैल्‍किशयम पर रोक लगा देनी चाहिये.

3. ऐसा माना जाता है कि कैल्‍शियम लेने से आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी को दूर किया जाता है. लेकिन ज्‍यादा कैल्‍शियम आपकी हड्डियों के लिये अच्‍छा नहीं है,इसका उल्‍टा असर हो सकता है. ज्‍यादा कैल्‍शियम हड्डी को बिगाड़ देती हैं और उन्‍हें जल्‍द बूढा़ बना देती हैं.

4. अधिक कैल्‍शियम लेने से पेट संबधी बीमारी भी हो सकती है जैसे,कब्‍ज, भूख ना लगना और पेट के निचले भाग में दर्द आदि. हो सकता है कि इससे आपको बार-बार पेशाब भी आने लगे. हो सकता है कि शरीर में नमक की कमी हो जाए और आपकी बॉडी डीहाइड्रेट हो जाए.

5. ज्‍यादा कैल्‍शियम लेने से किडनी केद्वारा पेशाब से अधिक कैल्‍शियम की मात्रा गुजरती है, जो कि धीरे-धीरे किड़नियों में जमने लगता है और बाद में वही जा कर स्‍टोन बन जाता है. यह अधिक कैल्‍शियम खाने का सबसे बुरा नतीजा होता है.

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प्रैगनैंसी के बाद बाल बहुत गिर रहे हैं?

सवाल-

प्रैगनैंसी के बाद बाल बहुत गिर रहे हैं. ऐसा क्यों?

जवाब-

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हारमोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिस की वजह से भी बाल तेजी से झड़ते हैं. गर्भावस्था के दौरान खानपान पर ध्यान देने से इसे कुछ हद तक कम किया जा सकता है.

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बालों से जुड़ी सब से बड़ी समस्या हेयर फौल की है. हेयर फौल के भी कई कारण हैं इसलिए हर केस में इलाज भी अलगअलग होना चाहिए, लेकिन इस पर भी कोई ध्यान नहीं देता जिस वजह से यह समस्या और ज्यादा बढ़ती जा रही है. यहां हम कुछ बातों पर चर्चा करेंगे ताकि इस बात को स्पष्ट रूप से समझा जा सके कि किस समस्या के लिए आप को किस दिशा में कदम बढ़ाना है:

केयर की कमी

जानेमाने हेयर स्टाइलिस्ट नील डेविल कहते हैं कि आज युवाओं में बालों की समस्या इसलिए ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि आज हर कोई अपने बालों को बहुत अच्छा व सुंदर लुक देना चाहता है. इसलिए हेयर स्टाइलिंग उत्पादों का यूज बढ़ गया है.

आज स्थिति यह है कि हम बालों को सुंदर तो दिखाना चाहते हैं लेकिन उन की केयर नहीं करना चाहते. यहां वे जोर दे कर कहते हैं कि आप बालों में अलगअलग कलर यूज करते हैं, जल्दीजल्दी बालों का कलर बदलना चाहते हैं तो साथ में इन की खूब केयर भी कीजिए.

बालों की अंदरूनी हैल्थ के लिए अपनी डाइट ठीक रखिए. बालों को हमेशा साफ रखें. धूलमिट्टी जैसी जगहों पर जा रहे हैं तो सिर को कवर कर के रखें. नियमित रूप से हैड मसाज करें. बाल उलझे हों तो जोरजोर से कंघी न लगाएं. रात को बालों को खोल कर सोएं. बालों की अंदरूनी और बाहरी दोनों तरह से केयर करें.

जब जाएं पार्लर

अकसर देखा जाता है कि जब हम पार्लर जाते हैं तो कई बार पार्लर में जो लोग बाल काटते हैं वे आप को बेवजह सलाह देने लगते हैं और बातोंबातों में आप पर यह दबाव बनाते हैं कि उन के पास जो शैंपू या अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स हैं उन्हें खरीद लें. ऐसे लोगों से आप बचें. प्रोडक्ट से जुड़े सवाल उन्हीं से करें कि यह क्यों फायदेमंद है. इस में क्याक्या मिला है. जब उन्हें लगेगा कि आप ब्यूटी प्रोडक्ट्स की अच्छी जानकारी रखते हैं तो कोई आप को बहलाफुसला कर कोई भी प्रोडक्ट पकड़ाने से बचेगा.

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किराएदार: भाग 3- कंजूस व्यवहार के शिवनाथजी का कैसे बदला नजरिया?

ऊपरनीचे दोनों की गृहस्थी अपने ढर्रे पर आगे बढ़ रही थी. उस दिन खापी कर वे सोए थे. अचानक शिवनाथजी के सीने में तेज दर्द उठा. वे जोरजोर से चीखे और मदन को आवाज दे कर बेहोश हो गए. मालिक की चीख सुन कर मदन दौड़ कर आया. रात के डेढ़ बजे थे. चारों ओर जाड़े की रात का सन्नाटा. अंदर की सीढि़यों का दरवाजा खोल कर मदन ने छत पर जा कर अमितआरती को जगाया. वे दोनों नीचे दौड़े आए. अमित घबरा गया.  ‘‘दादाजी, जल्दी जा कर डाक्टर को बुला लाओ. इन्हें दिल का दौरा पड़ा लगता है. हम इन के पास हैं.’’

मदन डाक्टर के पास गया. आधे घंटे में रोता हुआ लौटा, कोई नहीं आया.

‘‘इन को फौरन उपचार की जरूरत है,’’ आरती बोली, ‘‘दद्दू, पास में कौन सा अस्पताल है?’’

‘‘भारत अस्पताल. वह भी यहां से एक मील दूर होगा.’’

‘‘मैं जाता हूं और ऐंबुलैंस ले कर आऊंगा, तब तक तुम दोनों इन का ध्यान रखना,’’ अमित बोला.

‘‘पर बेटा, इतना कोहरा और ठंड है.’’

‘‘कोई बात नहीं दद्दू,’’ अमित बोला. और 20 मिनट में ही ऐंबुलैंस ले कर लौट आया.

‘‘आरती, ऊपर ताला लगा आओ. मुझे आज ही वेतन मिला है वह पैकेट और घर में जो पैसे रखे हैं सब ले आओ. बाबूजी को अभी ले जाना है.’’

आई.सी.यू. के बाहर अमित और आरती चुपचाप बैठे थे. 11 बजे मदन आया और पूछा, ‘‘मालिक कैसे हैं?’’

‘‘अभी होश नहीं आया है.’’

‘‘मैं ने उन के भतीजों को फोन किया था पर उन के पास समय नहीं है. समय मिला तो देखने आएंगे. बहूरानी, यह लो 2 हजार रुपए रखो. कब क्या जरूरत पड़ जाए. मैं जा कर घर देख कर आता हूं.’’  मौत और जीवन के खेल में शिवनाथजी के जीवन ने मौत को हरा दिया. इस के बाद भी डाक्टरों ने उन्हें 3 दिन तक और रोक कर रखा. वे घर आए तो 15 दिन तक आरती और अमित ने दौड़धूप, सेवा और देखभाल की. कोेई अपना सगा बेटा भी क्या सेवा करेगा, जो उन्होंने की. पता नहीं कितने पैसे खर्च किए उन्होंने. पर शिवनाथजी पर किसी बात का कोई असर नहीं था. स्वस्थ होते ही वे फिर अपने असली रूप में आ गए. अमित जब किराया देने आया तो उस के सारे किएधरे को भूल कर उन्होंने आराम से किराया ले कर रख लिया. मदन तक से एक बार भी नहीं पूछा कि तू ने कितना खर्च किया है.

उस दिन मदन टमाटर व प्याज खरीद  कर लाया तो वे बिगड़ पड़े, ‘‘आजकल टमाटर व प्याज सब से महंगे हैं. टैलीविजन पर रोज दिखा रहे हैं और तू यही ले आया. गलती से 100 का नोट क्या दे दिया कि तू ने तो शाही दावत का जुगाड़ कर लिया.’’

‘‘अब आप पैसा जोड़ते रहिए,’’ मदन बोला, ‘‘बड़ा घमंड है न आप को अपने पैसे पर. क्या कहते हैं आप पैसे को…बुढ़ापे की लाठी. तो कौन काम आई वह लाठी, जब मौत आप के सिरहाने आ कर खड़ी हुई थी. घना कोहरा, हाड़ गलाने वाली ठंड में एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक मैं गिड़गिड़ाता रहा, आप के डाक्टर साहब ने भी आने से मना कर दिया. ऊपर के किराएदार ही अपने सारे पैसे ले कर आप की जान बचाने को दौड़धूप करते रहे. रात 2 बजे अमित पैदल अस्पताल गया गाड़ी लाने, तब आप की लाठी ने कौन सा करतब दिखा दिया…’’

तभी आरती सूप ले कर आई. उस ने समझाबुझा कर मदन को शांत किया…

‘‘बाबूजी, मदन दादाजी की भी ढलती उम्र है. सुबह से दौड़धूप कर रहे हैं. आप इन को डांटिए नहीं. थोड़ा समझौता दोनों के ही लिए अच्छा है.’  शिवनाथजी चुप हो गए. सूप पीने लगे. मानो अमृत का स्वाद हो. लड़की जो भी बनाती है उसी में स्वाद आ जाता है. इस के बाद शिवनाथजी ने बंद मुट्ठी को थोड़ा खोला तो मदन के दिन वापस आ गए. अब शिवनाथजी थोड़ाथोड़ा बाहर भी जाने लगे. कभी रिकशे में तो कभी आटो में अकेले ही जाते. मदन को भी पता नहीं कि वे कहां जाते हैं. रविवार के दिन अमित को आरती सुबह उठाने का प्रयास कर रही थी कि मदन घबराया सा आया, ‘‘बिटिया, जरा भैया को नीचे भेज दो, मालिक उठ नहीं रहे.’’

अमित एकदम उठ बैठा, ‘‘क्या मतलब?’’

‘‘भैया, आज इतना दिन चढ़ आया,’’ मदन बोला, ‘‘मैं कई बार मालिक को जगा चुका हूं…’’

अमित समझ गया कि पिछली बार सब से दौड़धूप करवाई पर इस बार शांति से चुपचाप चले गए. उस ने चादर से शव को सिर तक ढक दिया.  ‘‘मैं डाक्टर को फोन करता हूं. इन का डैथ सर्टिफिकेट चाहिए.’’

मदन दहाड़ मार कर रो उठा.  काम निबटातेनिबटाते रात हो गई. उन का भतीजा व भानजा शिवनाथजी के मरने की खबर सुन कर दौड़े आए और क्रियाकर्म तक जम कर बैठे रहे.  वे मौका मिलते ही मदन से तरहतरह के सवाल पूछ लेते. मदन जानता ही क्या था जो उन्हें बताता. पहले ही दिन मदन ने एक चालाकी का काम किया था, शिवनाथजी के खानदानी वकील को उन की तिजोरी की चाबी यह कहते थमा दी थी, ‘‘वकील साहब, मालिक तिजोरी की चाबियां अपने तकिए के नीचे रखते थे. तिजोरी में क्या है मुझे भी नहीं पता. मालिक तो बस खर्चे के पैसे और मेरी पगार देते थे. उन के 3 अपने रिश्तेदार हैं जो यहां आए हैं, मुझे उन पर भरोसा नहीं. यह चाबी आप ले जाओ.’’  इस के बाद तीनों ने बारीबारी से मदन से तिजोरी की चाबी मांगी, लेकिन उस ने तीनों को एक ही उत्तर दिया कि चाबी तो वकील साहब के पास है. उन से  मांग लो.  श्राद्ध के दिन वकील ने कहा, ‘‘शिवनाथजी ने अभी 2 हफ्ते पहले अपनी पुरानी वसीयत बदल कर नई वसीयत की थी जो मेरे पास है. डाक्टर साहब, जज साहब और ब्रिगेडियर साहब उस के गवाह हैं. परसों 11 बजे आप तीनों जो उन के सगे हैं, मदन व किराएदार अमित अपनी पत्नी आरती के साथ मेरे घर पर आ जाएं. वसीयत के हिसाब से चलअचल संपत्ति का कब्जा भी दिया जाएगा.’’

भतीजे ने आपत्ति जताई, ‘‘हमारे घर की वसीयत में बाहर के किराएदार क्यों?’’

‘‘यह शिवनाथजी की इच्छा है. गवाह भी तो बाहर के लोग हैं. इन का आना जरूरी है.’’  जाने की इच्छा एकदम नहीं थी. फिर भी अमित मरने वाले की अंतिम इच्छा को महत्त्व देते हुए पत्नी आरती व मदन को ले कर वकील के घर ठीक समय पर गया. थोड़ी उत्सुकता मन में यह थी कि देखें इन सगों में किस की तकदीर जागी है. तीनों ही परेशान से दिखाई दे रहे थे.  उन में से एक ने अमित से पूछा, ‘‘क्यों भाई, क्या लगता है, वसीयत किस के नाम हो सकती है?’’

‘‘मुझे क्या पता? किराएदार हूं, वह भी मात्र 8 महीने पहले ही आया हूं. परिचय भी ठीक से नहीं था.’’

‘‘हम 3 ही हैं,’’ एक ने कहा, ‘‘हम तीनों को ही बराबर बांट गए होंगे. क्या कहते हैं आप?’’

‘‘पर मदन ने अपना पूरा जीवन उन की सेवा में बिताया. वह इस बुढ़ापे में कहां भटकेगा.’’

‘‘अरे, नौकर की जात, एक नौकरी गई तो दूसरी पकड़ लेगा. आप भी ले बैठे नौकर की चिंता.’’

वकील ने लिफाफे से वसीयत निकाली.  ‘‘यह शिवनाथजी की हाल ही में की गई नई वसीयत है. इस की 2 कापी और हैं. एक जज साहब के पास, दूसरी ब्रिगेडियर साहब के पास. उन का निर्देश है कि वसीयत के अनुसार घरसंपत्ति का कब्जा मैं असली हकदार को दिलवाऊं. मैं वसीयत पढ़ता हूं,’’ यह कह कर उस ने वसीयत पढ़ी : ‘चल व अचल मिला कर तकरीबन डेढ़ करोड़ की संपत्ति है. इस संपत्ति को छोड़ कर लाखों के आभूषण तिजोरी में मौजूद हैं. घर की कीमत भी आज की तारीख में 1 करोड़ रुपए है. यह सारी चलअचल संपत्ति किराएदार दंपती अमित और आरती के नाम है. मदन के नाम 3 लाख रुपए मासिक ब्याज के खाते में जमा हैं, जहां से उसे प्रतिमाह 3 हजार रुपए ब्याज मिलेगा और जब तक वह जीवित है तब तक इसी घर के निचले हिस्से में रहेगा. उस के बाद यह पूरा घर अमितआरती का होगा.’

‘‘ठीक, एकदम ठीक,’’ बुजुर्गों ने समर्थन किया, ‘‘अपना वह जो समय पर काम आए.’’

भतीजा चीखा, ‘‘मैं इस वसीयत  को नहीं मानता हूं. मैं उन का  सगा हूं.’’  ‘‘सगे होने का एहसास उन के मरने के बाद हुआ,’’ जज साहब बोले, ‘‘बीमारी में तो झांके तक नहीं.’’  ‘‘मैं यह वसीयत नहीं मानता.’’  ‘‘तो कोर्ट में जा कर चुनौती दो. अब उस घर से अपना सामान उठा  कर चलते बनो. मुझे इन को कब्जा दिलाना है.

‘‘अब आप लोग घर खाली कर दें नहीं तो कानून के गुनाहगार होंगे और मदन की सहायता कानून करेगा.

‘‘अब वह नौकर नहीं घर का मालिक है.’’  कोने में बैठा मदन रोए जा रहा था.

आरती उठ कर पास आई, बोली, ‘‘दद्दू, उठो, घर चलो. अब तो साथ ही रहेंगे हम.’’

उस ने सिर उठाया, ‘‘बहूरानी, मालिक…’’

‘‘हां, दद्दू, उन्होंने हम सब को हरा दिया और खुद जीत गए. पक्के खिलाड़ी जो ठहरे.’’

किराएदार: भाग 2- कंजूस व्यवहार के शिवनाथजी का कैसे बदला नजरिया?

पूर्व कथा

परले दरजे के कंजूस शिवनाथजी अपने बड़े से बंगले में नौकर मदन के साथ रहते थे. घरगृहस्थी के जंजाल में व्यर्थ पैसा खर्च होगा, यह सोच कर उन्होंने शादी तक नहीं की. हालांकि उन के पास बापदादा की छोड़ी हुई जायदाद और मां के लाखों के आभूषण थे, पर उन का मानना था कि पैसा बचा कर रखना बेहद जरूरी है. यह बुढ़ापे का सहारा है. नौकर मदन को भी वे मात्र 100 रुपए महीना तनख्वाह देते थे और साल में 2 जोड़ी कपड़े. बदले में वह सारे घर का काम करता था और बगीचे में अपने पैसों से ला कर खाद और बीज डालता था. एक दिन एक नवयुगल उन के घर आया और ऊपर का हिस्सा किराए पर रहने के लिए मांगा. पैसों के लालच में शिवनाथजी ने उन्हें किराएदार रख लिया. पति का नाम अमित व पत्नी का नाम आरती था. मदन ने उन के साथ जा कर ऊपर के हिस्से की साफसफाई करा दी.

अब आगे…

‘‘बाबूजी, आप का एडवांस.’’

शिवनाथजी ने रुपए गिने, पूरे 3 हजार, खुश हुए. फिर बोले, ‘‘देखो, किराया समय पर देते रहे तो कोई बात नहीं, मैं तुम को हटाऊंगा नहीं पर मेरी कुछ शर्तें हैं. एक तो बिजली का बिल तय समय पर दोगे. ज्यादा लोगों का आनाजाना मुझे पसंद नहीं. ऊपर जाने के लिए तुम बाहर वाली सीढ़ी ही इस्तेमाल करोगे और रात ठीक 10 बजे गेट पर ताला लग जाएगा, उस से पहले ही तुम को घर आना होगा. किसी उत्सव, पार्टी में जाना हो तो मदन से दूसरी चाबी मांग लेना. तुम नौकरी कहां करते हो?’’

‘‘मेरे दोस्त की एक फर्म है. कल से काम पर जाऊंगा. फर्म का नाम याद नहीं है.’’

‘‘तुम साथ में कोई सामान क्यों नहीं लाए?’’

‘‘घर मिलेगा या नहीं, यह पता नहीं था.’’

‘‘अब क्या करोगे?’’

‘‘रसोई का सामान खरीदने जा रहे हैं.’’

‘‘ठीक है.’’

अमित व आरती चले गए और 2 घंटे के बाद लौटे तो उन के हाथों में गृहस्थी का सामान था. रात को आरती नीचे आई तो तौलिए से ढका थाल ले कर आई और बोली, ‘‘बाबूजी, खाना…’’

शिवनाथजी उस समय समाचार देख रहे थे. मदन रात के खाने के लिए आलू काटने बैठा था. वे अवाक् रह गए.

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‘‘आज मेरी गृहस्थी में पहली बार खाना बना है. हमारे यहां बड़ों को भोग लगाने का नियम है.’’

‘वाह, लड़की तो संस्कारी लगती है,’ शिवनाथजी ने मन ही मन सोचा, ‘अवश्य अच्छे घर की होगी.’

मदन ने उठ कर थाल लिया. आलू- टमाटर की डोंगा भर कर सब्जी थी. साथ में हलवा और पूरी. पूरे कमरे में खाने की सुगंध छा गई.  आरती चली गई. आज बहुत दिन बाद शिवनाथजी को जल्दी भूख लगी.

‘‘मदन, खाना लगा दे.’’

घर का काम जैसेतैसे निबटा कर मदन बाग में आ जाता और काम करने लगता. आरती भी घर का पूरा काम कर के बाग में मदन का हाथ बंटाती. पौधों में पानी डालती, छंटाई कर देती, बेलों को लपेट कर सहारा देती, झुकी डाल में डंडी लगा कर उन्हें खड़ा कर देती. मदन खुश होता. फिर अपने बचपन की बात, बड़े मालिक और मालकिन की बात, आरती को बताता.

‘‘बहूरानी, ऐसा इंसान तुम ने कहीं देखा है जो पत्नी को खिलाने के डर से शादी ही न करे.’’

आरती हंसतेहंसते लोटपोट हो जाती.  ‘‘दादाजी, शादी तो आप ने भी नहीं की.’’

‘‘मेरी बात और है बिटिया,’’ मदन दुखी हो सिर हिलाता, ‘‘होश संभालते ही अपने को नौकर पाया. बड़े मालिक सड़क से उठा कर लाए थे. मैं जानता भी नहीं कि मेरे मांबाप कौन थे. बस, मां की हलकी सी याद है. दूसरे के अन्न पर, पराए घर में जो जीवन काटे उसे कौन अपनी बेटी देगा?’’

आरती ने बात पलटी.  ‘‘इतना बड़ा और इतनी सुगंध से भरा फूलों वाला घर पहले कभी नहीं देखा. क्या इन पौधों को कोलकाता से लाए हो?’’

‘‘न बहूरानी. 2 कोठी छोड़ कर तीसरी कोठी रायबाबू की है. उन को बढि़याबढि़या फूल बहुत पसंद हैं. पैसा भी खूब खर्च करते हैं. उन के बगीचे में गंधराज का यह फूल बहुत बड़ा हो गया था तो माली ने छंटाई कर के डाल बाहर फेंक दी. मैं उठा लाया. 2 लगा दिए और दोनों ही लग गए. दूसरा बाहर दरवाजे के पास है.’’

‘‘दादा, मैं  1-2 फूल ले सकती हूं?’’

‘‘अरे, क्यों नहीं बिटिया. तुम जितने चाहो ले लो, बहुत हैं.’’

किराएदार क्या आए, 2 बूढ़ों को ले कर उदास खड़ा घर कैसा खिल उठा. उस दिन आरती मटरपनीर और पालक के पकौड़े दे गई. गरम रोटी बना कर मदन ने खाना परोसा तो शिवनाथजी ज्वालामुखी की तरह फट पड़े.

‘‘क्या है यह सब? मेरा श्राद्ध है क्या आज?’’

अब मदन के धीरज का बांध टूटने लगा, पर बहुत शांत स्वर में बोला, ‘‘नहीं.’’

‘‘तो यह शाही खाना बनाने का मतलब? क्या कटोरा ले कर मुझ से भीख मंगवाने का इरादा है?’’

‘‘मालिक, कटोरा ले कर आप नहीं मैं भीख मांगूंगा.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘आप गिन कर सागसब्जी के पैसे देते हैं, उन में ये महंगे मटर और पनीर आ सकते हैं क्या? आप आराम से खाइए. ये सब बिना पैसों के किराएदार के घर से आया है. बस, रोटी घर के आटे की है.’’

चैन की सांस ले शिवनाथजी ने थाली खींच ली. सब्जी की सुगंध के साथ गरम रोटी ने भूख तेज कर दी थी. खापी कर बिस्तर पर लेट कर मन ही मन वे बोले, ‘यह मदन भी गधा है एकदम. वह क्या जाने पैसे में कितना दम है. अरे, पैसा भरोसा है, आदमी की ताकत है.’

किराएदार नवविवाहित जोड़ा है. ऐसे जोड़े घर में रहें तो उस घर के माहौल में अपनेआप एक मधुर रस घुल जाता है. 2 बूढ़ों के इस घर में भी वही हुआ. शांत पड़े घर में अचानक से खिलखिलाती हंसी की मधुर गूंज, कभी छेड़छाड़ का आभास, कभी सैंट, पाउडर और सुगंधित साबुन की सुगंध नीचे तक तैर आती. शिवनाथजी की अनुभूति तो पैसे के हिसाबकिताब में उलझ कर जाने कब की दम तोड़ चुकी थी. पर मदन पुलकित होता और मन ही मन दोनों की सलामती की कामना करता.

लड़की के संस्कार अच्छे हैं. आजकल की लड़कियों जैसे शरीर उघाड़ू कपड़े नहीं पहनती. खाना भी बहुत अच्छा बनाती है. अकसर कुछ न कुछ बना कर दे जाती है. शायद यही वजह है कि मदन को आरती से बड़ा  स्नेह हो गया था. दोनों को देख कर मदन को लगता मानो उस के ही बच्चे हैं. मदन इसलिए भी खुश था कि उस घर का सन्नाटा तो टूटा और शिवनाथजी प्रसन्न थे कि 3 हजार रुपए की ऊपर की आमदनी घरबैठे बिना मांगे ठीक समय पर मिल जाती है. लड़का सज्जन है, लड़की भी भले घर की है.

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बरसात समाप्त हो कर हल्की ठंड पड़ने लगी. सुबहशाम कोहरा भी  पड़ने लगा. उन्हें यहां आए 3 महीने हो गए थे.  अचानक एक दिन मदन को लगा कि घर में जो मधुर रस गूंज रहा था उस की ताल कहीं से टूटी है. गुनगुनाहट थम सी गई है. अब खिलखिलाहट भी नहीं गूंजती. आरती का मुख कमल सा खिला रहता था लेकिन अब उस पर एक मलिन छाया है. कहीं न कहीं इन दोनों के बीच कोई बात जरूर है पर इस तरह की बात एकदम से पूछी नहीं जा सकती. वह भी उन के बीच कुल 3 महीने का परिचय है. प्यार जो है वह तो है ही पर कृतज्ञता बहुत ज्यादा है.

उस दिन आरती नीचे आई ही नहीं. ऐसा कभी हुआ नहीं. क्या तबीयत ठीक नहीं? मदन ने कई प्रकार के फूलों का बड़ा सा गुलदस्ता बनाया और ऊपर गया. जीना बालकनी में खुलता है. वहां पहुंच कर देखा, आरती ध्यानमग्न  सी बैठी कुछ सोच रही है. मुख पर चिंता की काली छाया. बात कुछ गंभीर ही है.

‘‘बहूरानी…’’

चौंक कर आरती ने मुड़ कर देखा. थोड़ा हंसी.  ‘‘आओ, दादाजी.’’

‘‘ये फूल मैं अपनी बिटिया के लिए लाया हूं. आज क्या तबीयत ठीक नहीं है?’’

‘‘जी…दादाजी, यों ही थोड़ा सिर भारी सा है…कितने सुंदर फूल हैं…’’

फूलों को सजा कर आरती लौटी और बोली, ‘‘दादाजी, कई दिन से मैं आप से एक बात कहने की सोच रही थी.

‘‘दादाजी, मैं दिन भर घर में बैठेबैठे ऊब जाती हूं. मुझे दोचार ट्यूशन  दिला दोगे? यहां मुझे कोई जानता नहीं है…आप कहोगे तो मेरा काम जल्दी हो जाएगा.’’

‘‘तुम ट्यूशन करोगी, बहूरानी?’’ मदन ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘मैं ने एम.एससी. किया है. शादी से पहले भी मैं पढ़ाया करती थी. दादाजी, अब आप से क्या छिपाना. हम दोनों ही मामूली परिवार से हैं और हमारी जाति भी अलगअलग है. घर वालों ने शादी की अनुमति नहीं दी तो हम ने प्रतीक्षा की. जब अमित के एक दोस्त ने यहां उन की नौकरी लगवा दी तब हम ने मंदिर में जा कर शादी कर ली. हमारे कुछ जोड़े हुए पैसे थे, कुछ आभूषण जिन्हें बेच कर किराया दिया और गृहस्थी का सामान ले लिया. अमित को कुल 4 हजार रुपए मिलते हैं. 3 हजार किराया दे कर हाथ में जो बचता है उस से पूरा महीना खाएं क्या? उस पर हाथ का जो पैसा था, सब समाप्त हो गया. दोचार ट्यूशन दिला दो तो हम भूखे रहने से बच जाएं.’’

मदन का दिल भर आया. उन्होंने पूरे 4 हजार की ट्यूशन दिला दी. विज्ञान के अध्यापक कम ही मिलते हैं. ट्यूशन के बजाय एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी मिल गई. 12 से 4 बजे तक क्लास लेनी थी. समस्या का समाधान होते ही आरती फिर पहले की तरह खिल उठी.

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किराएदार: भाग 1- कंजूस व्यवहार के शिवनाथजी का कैसे बदला नजरिया?

इस इलाके में बहुत सुंदरसुंदर घर हैं और इन घरों के मालिक भी पैसों के लालच से खुद को बचाए हुए हैं. इसी इलाके के सब से सुंदर घरों में एक घर शिवनाथजी का है जहां पर एक सुंदर बगीचा भी है. शिवनाथजी अकेले हैं. उन्हें किसी प्रकार के नशे की लत नहीं है. उन के विरोधी कहते हैं कि वे किसी भी प्रकार का नशा इसलिए नहीं करते क्योंकि वे एक भी पैसा खर्च नहीं करना चाहते. हर पैसे में उन की सांस अटकी रहती है. पैसे खर्च होने के डर से उन्होंने शादी तक नहीं की. पड़ोसियों से ज्यादा मेलजोल इसलिए नहीं रखा कि उन के आने पर चाय, चीनी और दूध का खर्चा होगा.

घर में उन को छोड़ बस उन के पिता का लाया एक नौकर मदन है, जो अब 60 साल का बूढ़ा हो चला है. वह घरबाहर का सारा काम कर के आज भी मालिक से 100 रुपए पाता है. खाना और होली, दीवाली को एकएक जोड़ी कपड़े उसे मालिक की तरफ से मिलते हैं. चूंकि मोहन को बागबानी का शौक है अत: अपने इस शौक के लिए वह पौधों के खाद, बीज आदि में अपनी पगार का आधा पैसा लगा देता है. उस का अपना कोई नहीं है. यह बगीचा, पेड़पौधे, फूल ही उस का परिवार हैं.

शिवनाथजी की आयु 80 साल की है पर उन को देख कर लगता है कि अभी 60 साल के आसपास के हैं. लंबा, गठीला शरीर, साफ रंग. शायद वे इस शरीर को निरोग रखने का रहस्य जानते हैं. जीभ और मन पर उन का पूरा संयम है. पर मदन कुछ और कहता है, ‘‘संयम तो उन का ढकोसला है, असली कारण है कंजूसी. खर्चे के डर से जो इंसान शादी नहीं करता, पड़ोसियों से कोई संपर्क नहीं रखता था क्या वह पैसे खर्च कर के खाने, पहनने, घूमने का शौक रखेगा. अरे, मेरा दुनिया में कहीं कोई और ठिकाना होता तो यह 2 जोड़ी कपड़े, रोटी और 100 रुपए महीने पर मैं यहां पड़ा रहता? मालिक के पास कितना पैसा है इस का अंदाजा नहीं है.’’

भोर में फै्रश हो दरवाजे का ताला खोलने आए शिवनाथजी ने ताले को गेट की छड़ में ही लटका दिया. मुड़ते ही उन्होंने सोचा, मैं अकेला कितने आराम से हूं. बीवी पालना तो हाथी पालने से भी महंगा है. अच्छा हुआ कि शादी के चंगुल में नहीं फंसा, नहीं तो बीवी के नखरे उठाने में लाखों खर्च हो जाते. मदन को 100 रुपए देने पड़ते हैं और उस के लिए यही बहुत है. हमारे पुराने जूते, चप्पल, कुरतापजामा, तौलिया, बनियान आदि सब भी तो हथिया लेता है, पैसों का क्या अचार डालेगा?

जब से सामान महंगा हुआ, तेलमसाले की मात्रा कम कर दी. चावल भी मोटा खाने लगे. बस, हार गए आटे के मामले में कि उस का कोई विकल्प नहीं. कभीकभार मदन महंगी गोभी ले आता तो वे बिगड़ते, ‘इतनी महंगी गोभी क्यों ले आया तू.’

‘आज सस्ती थी,’ मदन कहता. ‘काहे की सस्ती. इस के लिए कितना तेल, मसाला चाहिए. यह लौकी, तोरई की तरह बूंद भर तेल टपका कर बन जाएगी क्या? तू मुझे भीख मंगवा कर छोड़ेगा.’

‘मालिक, यह अपना मन मार कर, तन को कष्ट दे कर जो पैसा बचा कर रखते हो, यह किस के लिए? न आगे नाथ न पीछे पगहा तो इसे खाएगा कौन?’

‘तू ठहरा अनपढ़. तू क्या जाने पैसे का दम. लोग बच्चों को बुढ़ापे की लाठी कहते हैं. अरे, आजकल के बच्चे लाठी नहीं दरांती होते हैं. पैसे के लिए बूढ़े मांबाप का गला काट देते हैं और माल हड़प लेते हैं. असली बुढ़ापे की लाठी है पैसा. पैसा पास रहे तो सब दौड़दौड़ आएंगे.’

‘रहने दो मालिक. बच्चे से बूढ़ा हो गया. आप से पैसे की महिमा सुनतेसुनते. आप का पैसा आप को मुबारक.’

बाहर से लौट कर शिवनाथ ने उस पूरे घर पर नजर दौड़ाई तो कुछ पुरानी यादें सजीव हो उठीं. यह घर पिता ने बनवाया था. अम्मा और बाबूजी दोनों शौकीनमिजाज थे और दोनों ने मिल कर इस घर को सुंदर बनवाया था. उस समय आज जैसी जगह की मारामारी नहीं थी. बड़ेबड़े लोगों के बड़ेबड़े घर. किसी के घर में कोई किराएदार नहीं था. शायद यहां सब के घर बच्चों से भरे हैं. ऊपर की मंजिल की ओर नजर गई तो बड़ेबड़े कमरे, बड़ी सी एक रसोई, 2 बड़ेबड़े बाथरूम, लंबीचौड़ी बालकनी की याद आ गई.

बालकनी में खड़े हो कर अपने बगीचे को देखना आज भी अच्छा लगता है. मां को शौक था कि पीछे फलों के बाग में उम्दा किस्म के पौधे लगे हों, इसलिए पिताजी इलाहाबाद और लखनऊ गए तो वहां से अमरूद और आम के पौधे लेते आए थे जो अब मौसम के फलों का मजा देते हैं. उन के अलावा जामुन, लीची आदि के व अन्य भी तरहतरह के पेड़पौधे हैं. शिवनाथ चाहते थे कि पूरा बाग ठेके पर उठा दें तो लाखों की कमाई हो जाए. पूरे साल का खानापीना, कपड़ा, दवाई का खर्चा पूरा कर के भी हजारों बचें पर यह मदन का बच्चा खाना छोड़ कर सत्याग्रह पर बैठ गया तो, हार कर उन्हें चुप होना पड़ा.

वे मदन को इसलिए कुछ नहीं कहते क्योंकि बागबगीचे की देखभाल वही करता है. पैसे तो लेता ही नहीं ऊपर से खाद, बीज और पौधे अपनी जेब से लाता है. उन को बिना कुछ खर्च किए मौसम के फल, ताजी सब्जी मिल रहे थे.

अंदर आ कर मदन को जगाया. ‘‘अरे, उठ, दूध ला, चाय बना.’’

मदन उठा. फोल्डिंग मोड़ कर मुंहहाथ धो पैसे ले कर दूध लाने चल दिया. पाव भर दूध देने के लिए कोई दूधिया घर नहीं आता. डेयरी की थैली आधे लिटर की होती है. इसलिए मदन ही सुबह के समय ग्वाले से पाव भर दूध ले कर आता है.

ऊपर का हिस्सा खाली पड़ा है. कभीकभी शिवनाथ के मन में किराए का लालच आता पर किराए पर उठाने का साहस नहीं होता. 2 बूढ़ों का घर. अम्मा का सारा जेवर घर की अलमारी में पड़ा है. नकद पैसा भी कम नहीं, हर महीने जुड़ ही जाता है. लौकर का खर्चा नहीं बढ़ाया, घर की पक्की तिजोरी में सब रहता है. किराएदार पता नहीं कैसा होगा. दोनों को किसी दिन मार कर सब साफ कर गया तो?

मदन ने चाय बनाई. पीते हुए शिवनाथ बोले, ‘‘दूध 36 रुपए लिटर हो गया है. चाय में इतना दूध मत डाला कर. पाव भर को 2 दिन चला.’’ यह सुन कर मदन की आत्मा जल गई.

‘‘अब, बस भी करो मालिक, यह जो आत्मा है, उस को मार के आप पैसे जोड़ रहे हैं, यह किस काम आएगा?’’

‘‘आजकल तू बहुत बोलने लग गया है. कहा न, यह पैसा ही बुढ़ापे की लाठी है.’’

‘‘रहने दो मालिक, बुरे समय में पैसा नहीं, इंसान काम आता है. पैसा धरा का धरा रह जाता है.’’

‘‘अपना काम देख,’’ यह कह कर शिवनाथ फिर सोचने लगे कि अगर मदन ने काम छोड़ दिया तो 100 रुपए में नौकर मिलने से रहा. नया कोई आया तो पैसा अधिक लेगा और इतनी किफायत से चलेगा भी नहीं.

‘‘तुलसी की पत्ती तोड़ कर लाता हूं,’’ यह कह मदन बाहर चला गया और शिवनाथजी न्यूज चैनल खोल कर देखने लगे. तभी मदन लौट आया.

‘‘मालिक, जरा सुनिए.’’

‘‘क्या हुआ?’’ झल्ला कर शिवनाथ बोले.

‘‘आप से कोई मिलने आया है.’’

वे अवाक् हो बोले, ‘‘मुझ से…’’ क्योंकि उन के स्वभाव को उस कालोनी और आसपास के सभी जानते हैं, इसलिए कोई भी नहीं आता. 2-4 लोग हैं पर वे भी घर नहीं आते, फोन पर कुशल पूछ लेते हैं, सुबह कोई मिलने आए, ऐसी तो आत्मीयता किसी के साथ नहीं है.

‘‘वे आसपास के लोग हैं क्या?’’

‘‘यहां के नहीं लगते,’’ मदन बोला, ‘‘उन के हाथ में सामान है. कोई सगासंबंधी होता तो उसे मैं जानता ही.’’ 2 भांजे और 1 दूर का भतीजा है पर उन की नजर दौलत पर है यह अच्छी तरह शिवनाथजी जानते हैं पर वे मदन के परिचित हैं और साथ में सामान. शिवनाथजी बाहर आए. देखा तो दरवाजे के बाहर 2 कम उम्र के लड़के- लड़की खड़े हैं. कपड़े व हावभाव से अच्छे घर के लगते हैं. दोनों ही सुंदर हैं और पतिपत्नी से लगते हैं क्योंकि लड़की के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर है. उन्होंने हाथ जोड़ कर शिवनाथजी को नमस्कार किया. लड़का बोला, ‘‘बाबूजी, मैं अमित हूं. यह मेरी पत्नी आरती है. हम आप से मदद मांगने आए हैं.’’

‘‘भई, मैं मामूली आदमी हूं. मैं आप की क्या मदद कर सकता हूं. घर पिताजी ने बनवाया है. मैं कम पढ़ालिखा हूं और नौकरी कभी नहीं की तो तंगहाली में जी रहा हूं.’’

‘‘नहीं बाबूजी, हम आप से रुपएपैसे की मदद नहीं मांग रहे. हम यहां नए हैं, रहने को जगह नहीं है. आरती साथ में है. जहांतहां असुरक्षित जगह पर रह भी नहीं सकता. आप हमें एक कमरा किराए पर दे देते तो…’’

‘‘मेरे पास किराए पर उठाने लायक कोई हिस्सा है कहां?’’

मदन बोल उठा, ‘‘मालिक, ऊपर का पूरा हिस्सा तो खाली पड़ा है. इस बरसात में ये बच्चे कहां जाएंगे. ऊपर से नई जगह और साथ में औरत. जमाना खराब है. किराया तो दे ही रहे हैं. ऊपर का हिस्सा दे दो.’’

‘‘पर मदन, इस इलाके में कोई भी मकान वाला किराएदार नहीं रखता और जो रखते हैं वे किराया ज्यादा लेते हैं…तुम दे पाओगे?’’

‘‘मेरा वेतन बहुत ज्यादा नहीं है. फिर भी अंकल कितना किराया है?’’ उस लड़के के मुंह से निकल पड़ा.

‘‘3 हजार रुपए और बिजली का अलग से. 1 महीने का अग्रिम किराया दे कर चाबी लेनी होगी.’’

‘‘जी, मैं अभी देता हूं,’’ यह बोलने के बाद उस लड़के ने बैग खोलने का प्रयास किया तो शिवनाथ ने उसे रोका.

‘‘ऊपर जा कर आराम से बैग खोलना और पैसे भेज देना. मदन चाबी ले कर जा और घर को धुलवाने व साफसफाई में इन की मदद कर देना. अभी सब के लिए चाय बना ला.’’

 

चाय पी कर पतिपत्नी दोनों ऊपर पहुंचे तो कमरे में एक डबलबैड गद्दे समेत पहले ही पड़ा था. मदन झाड़ू व बालटी ले आया और आरती के साथ मिल कर पूरा घर धोपोंछ कर चमका दिया. घर देख कर आरती बहुत खुश हुई. इतनी बड़ी छत, बालकनी. खुशी से उछल कर उस ने पूछा, ‘‘दादाजी, मैं यहां फूलों के गमले रख सकती हूं?’’

‘‘क्यों नहीं बेटी, एक तुलसी का पौधा जरूर लगाना. नीचे तो तुलसी का झाड़ है. अब खानेपीने का जुगाड़ कैसे करोगी, बरतन, गैस सब तो चाहिए…’’

‘‘आप चिंता न करो, दादाजी, घर मिल गया तो सब हो जाएगा. हम अभी बाजार जा कर नाश्ता करेंगे. फिर गृहस्थी का सामान ले कर आएंगे.’’

मदन नीचे आ कर अपने रोजाना के काम में लग गया. थोड़ी देर में अमित व आरती तैयार हो कर नीचे आए.

– क्रमश:

क्या 24 अक्टूबर को इंडो-अमेरिकन श्री सैनी के सिर सजेगा ‘मिस वर्ल्ड अमेरिका पेजेंट 2020’?

‘‘मिस वर्ल्ड अमेरिका पेजेंट 2020 ’’ के आयोजको द्वारा हाल ही में 2020 प्रतियोगियों की सूची जारी करने के साथ ही इस प्रतियोगिता में अपने सिर विजेता का ताज सजाने का सपना भारतीय मूल की अमरीका में बसी श्री सैनी ने देखना शुरू कर दिया है.वह वाशिंगटन राज्य की चुनी हुई प्रतिनिधि हैं.12 वर्ष की उम्र में पेसमेकर प्रत्यारोपण जरिए उनकी  हार्ट सर्जरी हो चुकी है.वह अग्नि से जलने के बाद सुरक्षित जीवित बची हैं.वह पूरे विष्व में प्ररणादायक वक्ता हैं.जिन्हें संयुक्त राज्य अमरीका के 8 से अधिक देशों और 30 राज्यों में अपने जीवन के अनुभव और लचीलापन और दया के संदेशों के बारे में दर्शकों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है.

वाशिंगटन विश्वविद्यालय से स्नातक,सैनी हार्वर्ड,स्टैनफोर्ड और येल विश्वविद्यालयों में एक विजिटिंग छात्र रहकर उन्होंने ‘‘बेस्ट पेजेंट टाइटलहोल्डर‘‘ पुरस्कार और राज्य के सचिव, सीनेट, गवर्नर और अमेरिकन हार्ट के सीईओ से मान्यता प्राप्त की है.‘मिस वल्र्ड’ ने दुनिया भर के चैरिटीज के लिए 1.3 बिलियन डॉलर एकट्ठा किए हैं. श्री सैनी सोशल मीडिया पर लोगों की सेवा करने का संदेष जारी करती रहती हैं. श्री ने सौ से अधिक एनजीओ के साथ निःस्वार्थ भाव से काम कर चुकी हैं.

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वह खुद कहती हैं-‘‘दूसरों की सेवा करना और दूसरों को प्रेरित करना मेरे लिए एक जिम्मेदारी है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्साह के साथ चमकें और दूसरों को प्रेम से परोसें.यह मेरे लिए एक उद्देश्य के साथ सौंदर्य है!‘‘

‘‘मिस वर्ल्ड’’की संस्थापक श्रीमती जूलिया मोर्ले के पति एरिक मोर्ले ने लगभग 75 साल पहले ‘‘मिस वर्ल्ड‘‘ की शुरुआत की थी.उसके शीर्षक की तैयारी में उसने 14 से अधिक प्रतियोगिता सामग्री, 6 वीडियो सबमिशन, निबंध प्रस्तुतियाँ, एक राज्य लाइव साक्षात्कार दिया, और अनगिनत कार्यशालाओं में भाग लिया.
श्री सैनी कहती हैं-‘‘मेरी तैयारी पिछले साल शुरू हुई थी. लेकिन सपना 5 साल की उम्र में शुरू हुआ था.मैं एक बड़ी विश्वासी हूं कि हमें बिना किसी हिचकिचाहट और सीमा के बिना प्यार करना चाहिए.हर दिन हम दूसरों से जीवन में बातें कर और हर किसी के साथ अंतहीन दया का करके उनकी सेवा कर सकते हैं.लोग हमसे मदद मांगने आए,इस बात का इंतजार करने की बजाय उन तक पहुंच कर सेवा करने पर जोर देना चाहिए.’’

एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, भारतीय अमरीकी श्री सैनी प्रतियोगिता की अंतिम रात से पहले मिस वर्ल्ड अमेरिका के 2019 से पहले ही गिर गयी थी.और उनकेे हार्ट की सर्जरी हुई.पर उनका मसकद खत्म नही हुआ.खुद श्री सैनी कहती हैं-‘‘पिछले साल मैं मिस वर्ल्ड अमेरिका के लिए अंतिम समय में प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नही बन पाी थी.मैंने गर्व के साथ खुद को ‘‘श्रीशैनी, वॉशिंगटन‘‘ के रूप में ख्ुाद को मंच पर पेश करने के बाद जब मैं अपने शाम के गाउन को बदलने के लिए मंच से उतरने लगी,तो मैं गिर गयी और अस्पताल पहुॅच गयी.मेरा दिल टूट गया था.यह एक दुर्लभ घटना थी. मेरा पूरा परिवार हिल गया था. हमारे जीवन में कई घटनाएं होती हैं, जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम अपनी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित कर सकते हैं. भगवान और उनके समय में ठोस विश्वास के साथ, मैं एक बार फिर से अपने जीवन की यात्रा को आगे बढ़ा रही हॅंू.’’

वह आगे कहती हैं-‘‘हम अपनी योजना बनाते हें,जबकि ईष्वर हमारे लिए ख्ुाद एक अलग योजना बनाते हैं.वह चाहता है कि हम अपने लोगों और अपने विश्व परिवार की सेवा करें.इसलिए मैं मिस वर्ल्ड अमेरिका की दुनिया और मिस वर्ल्ड संगठनों से प्यार करती हूं क्योंकि हम सभी सेवा के बारे में हैं.’’

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इस वर्ष का आयोजन कोरोना वायरस महामारी के कारण ऑनलाइन प्रस्तुतियाँ के संयोजन में आभासी वेब कलाकारों की एक श्रृंखला के रूप में होगा.पेजेंट वेबसाइट के अनुसार सभी प्रतियोगी वास्तविक समय प्रारंभिक प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे, एक लाइव दर्शकों और न्यायाधीशों के सामने कैमरा समय प्राप्त करेंगे.
प्रारंभिक प्रतियोगिताओं में ब्यूटी विद अ पर्पज, इन्फ्लुएंसर चैलेंज, टैलेंट शोकेस, हेड टू हेड चैलेंज, एंटरप्रेन्योर चैलेंज, टॉप मॉडल चैलेंज और पीपल्स चॉइस शामिल होंगे.24 अक्टूबर को मुकुट समारोह मिस वल्र्ड अमरीका 2020 के विजेता के साथ होगा,जिसे इस आयोजन के लिए लॉस एंजिल्स में आमंत्रित किया जाएगा.

सुशांत से ब्रेकअप पर बोलीं सारा अली खान, करते थे ये डिमांड

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के मौत से जुड़े मामले की जांच सीबीआई कर रही है. वहीं ईडी भी रिया चक्रवर्ती के जरिए हाथ लगी व्हाट्स ऐप चैट से ड्रग्स मामले से जुड़े नए-नए खुलासे  कर रही है. इसी के चलते केस में अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भी एंट्री हो गई है, जिसके चलते बीते दिनों बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों से पूछताछ की गई थी, जिनमें एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर और सारा अली खान जैसे सितारे नजर आए. वहीं अब खबरें हैं कि सारा अली खान ने सुशांत सिंह राजपूत को लेकर कई बड़ी बातें कही है. आइए आपको बताते हैं क्या कहा है सार अली खान ने…

सुशांत से रिलेशनशिप की बात कबूली

खबरों की मानें तो एक्ट्रेस सारा अली खान ने एनसीबी से हुई पूछताछ में कबूल किया था कि फिल्म केदारनाथ की शूटिंग के दौरान वह और सुशांत सिंह राजपूत एक दूसरे को डेट करने लगे थे, जिसके बाद शूटिंग के दौरान नजदीकियां बढ़ने से उनके बीच अफेयर शुरू हो गया. हालांकि एक साल बाद ही जनवरी 2019 में दोनों का ब्रेकअप हो गया.

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बताई ब्रेकअप की वजह

रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रेकअप की वजह बताते हुए सारा अली खान ने जांच अधिकारियों को बताया कि सुशांत उनके साथ रिश्ते में ईमानदार नहीं थे. साथ ही सारा ने यह भी माना कि वो सुशांत के ओवर पजेसिव रवैये से परेशान हो गई थीं. वहीं दूसरी तरफ सारा ने यह भी कहा कि सुशांत उन पर दबाव भी डालते थे कि वो निर्माता-निर्देशकों से उनकी अपकमिंग फिल्मों में उनके साथ साइन करने के लिए अप्रोच करें, जो कि सारा के मुताबिक कर पाना आसान नहीं था क्योंकि वो खुद अभी नई थी.

 

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This is your bd vm sweetheart 🤗❤️ Love u sara ka sara ❤️❤️ . . One thing for all the haters : Sara has always praised Sush 🙌❤️ It was us who gave more attention nd love to mukku rather than to Mansoor 😔 . . First 30 secs for u Nd the next 30 secs for the things u did for our Sush 🤗❤️ . . Loads of love ❤️ Music : @bollyvfxaudios ❤️ . . #sushantsinghrajput #sushant #loveyousush #missyousushantsinghrajput #justiceforsushantsinghrajput #saraalikhan95 #saraalikhan #hbdsaraalikhan #happybirthdaysara #happybirthdaysaraalikhan #saraturns25 #kedarnath #mukku #mansoor #love #sushantsara #birthday #coronastopkarona #bollywood #staysafe #stayhappy

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बता दें कि ड्रग्स को लेकर की गई पूछताछ में सारा अली खान ने माना है कि वह सुशांत सिंह राजपूत के साथ सिगरेट्स लिया करती थी. हालांकि ड्रग्स लेने की बात पर उन्होंने साफ इंकार किया था.

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Shocking! आर्थिक तंगी से सब्जी बेचने को मजबूर हुए ‘बालिका वधू’ के डायरेक्टर, पढ़ें खबर

कोरोनावायरस लौकडाउन के कहर ने आम से लेकर सेलेब्स की जिंदगी में भूचाल ला दिया है. जहां एक तरफ कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं. तो वहीं सैलरी की कटौती ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है. इसी बीच टीवी इंडस्ट्री के लोगों पर भी इसकी गाज गिरी है. दरअसल, जहां बीते दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिवांगी जोशी स्टारर ‘बेगुसराय’ के एक्टर राजेश करीर ने सोशलमीडिया के जरिए लोगों से मदद मांगी थी तो वहीं अब खबर है कि ‘बालिका वधू’ के डायरेक्टर की हालत भी कुछ ठीक नही है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सब्जी बेच रहे हैं डायरेक्टर

टीवी के सुपरहिट सीरियल्स में से एक ‘बालिका वधू’ के डायरेक्टर रामवृक्ष गौड़ का कोरोना महामारी के बीच रामवृक्ष सब्जी बेचने को मजबूर हो गए हैं. और इसी तरह अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. दरअसल, अब तक 25 बड़े सीरियल्स को डायरेक्ट कर चुके रामवृक्ष की झोली में ‘बालिका वधू’ के अलावा ‘सुजाता’, ‘कुछ तो लोग कहेंगे’ और ‘ज्योति’ जैसे सीरियल्स के नाम शामिल है.

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आजमगढ़ में हैं रामवृक्ष

रामवृक्ष गौड़ इस समय अपने होमटाउन आजमगढ़ में हैं. वह अपनी बेटियों को परीक्षा दिलवाने के लिए ही आजमगढ़ आए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण से वहीं पर फंसे रहे गए. धीरे-धीरे रामवृक्ष की सारी इनकम खत्म हो गई. जब पूरे परिवार का खर्चा उठाने के लिए जब उन्हें कोई भी रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने सब्जी बेचकर पैसा कमाने का कदम उठाया.

मदद के लिए आगे आए अनूप सोनी

‘बालिका वधू’ में आनंदी के ससुर भैरव धरमवीर सिंह का रोल प्ले करने वाले अनूप सोनी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने ट्वीट के जरिए जानकारी दी कि हमारी टीम रामवृक्ष की मदद करने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रही है. ट्वीट में अनूप सोनी ने लिखा, ‘यह बहुत ही दुख की बात है. हमारी ‘बालिका वधू’ की टीम को इस बारे में पता चला और वह मदद के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रही है.’

बता दें, साल 2002 में अपने सपनों को साकार करने के लिए रामवृक्ष गौड़ सपनों की नगरी मुंबई में पहुंचे थे. शुरूआती दिनों में कई बड़ी फिल्मों में बतौर असिस्टेंड डायरेक्ट काम करने के बाद वह सीरियल्स भी डायरेक्ट करने लगे थे. हालांकि लौकडाउन के कारण उनके आर्थिक हालत खराब हो गई.

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क्या आपने कभी सुना है किसी चूहे को गोल्ड मेडल मिलते हुए

आपने इंसानों को गोल्ड मेडल मिलते सुना होगा लेकिन क्या कभी किसी चूहे को गोल्ड मेडल मिला ऐसा सुना है क्या….है न हैरान कर देने वाली बात की एक चूहे को मिला गोल्ड मेडल लेकिन हां ऐसा वाकई में हुआ है दरअसल जिस चूहे की बात हो रही है वो कोई मामूली चूहा नहीं है बल्कि इस चूहे का कारनामा आपको हैरान कर देगा.जी हां चूहे को यूहीं ये गोल्ड मेडल नहीं मिला है बल्कि इसे इसकी बहादुरी के लिए मिला है.दरअसल इस चूहे का नाम मागावा है और ये अफ्रीकी नस्ल का कंबोडिया का चूहा है इसका कारनामा ये है कि इसने कंबोडिया में अपने सूंघने की शक्ति का इस्तेमाल करके 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया है.इसकी सूंघने की इस क्षमता के कारण इसने लाखों लोगों की जान बचाई है.उसकी समझदारी का कोई जवाब ही नही है.

कंबोडिया में अपने इस कारनामें से ये चूहा सबका चहेता बन बैठा.लोग इसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं और तो और तो और इसकी खबर और तस्वीर दुनिया भर में वायरल हो रही है.अब बात भी तो कुछ ऐसी ही थी.सोचने वाली बात है कि अगर 39 बारूदी सुरंगें फट जाती तो क्या होता…? लाखों लोगों की जान चली जाती लेकिन इस बहादुर चूहे ने ऐसा होने नहीं दिया. काम के दौरान इस चूहे ने 28 जिंदा विस्फोटकों का भी पता लगाया और हजारों लोगों की जान बचाई.ये वाकई काबिले तारीफ है.

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मागावा नाम के इस चूहे को इस बहादूरी के काम के लिए चैरिटी संस्था एपीओपीओ ने प्रशिक्षित किया था. इस चैरिटी संस्था ने बताया कि मागावा ने अपने काम से कंबोडिया में 20 फुटबॉल मैदानों के बराबर के क्षेत्र को बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों से बचाने का काम किया है. मागाव जैसे कई चूहों को एक चैरिटी संस्था एपीओपीओ ट्रेंड करती है. ये संस्था बेल्जियम में रजिस्टर्ड है और अफ्रीकी देश तंजानिया में काम करती है. ये संस्था 1990 से ही मागावा जैसे विशाल चूहों को ट्रेनिंग दे रही है. जिसकी मदद से कई बड़े कामों में चूहों की मदद ली जाती है.एक चूहे को ट्रेंड बनाने में इस संस्थान को एक साल का समय लगता है. इसके बाद उस चूहे को हीरो रैट की उपाधि दी जाती है. पूरी तरह ट्रेंड और प्रमाणित होने के बाद ये चूहे स्निफर डॉग की तरह काम करते हैं. तभी तो आज इस मागावा नाम के चूहे ने इतना बड़ा कारनामा कर दिखाया और इसलिए ही इसे ये गोल्ड मेडल मिला.

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कभी साड़ी तो कभी हौट ड्रैस में छाया ‘नागिन 5’ की ‘बानी’ का जादू, Photos Viral

कलर्स के सुपरनैचुरल सीरियल नागिन 5 में इन दिनों नए-नए धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ बीते एपिसोड्स में वीर और बानी अपने रिसेप्शन पार्टी को इंजॉय करते नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ बानी यानी सुरभि चंदना एक और पार्टी का लुत्फ उठाती नजर आईं. दरअसल, मयूरी की सगाई में पहुंची बानी यानी शर्मा बेहद खूबसूरत लुक में नजर आईं, जिसमें उनके लुक की तारीफें हो रही हैं.

बानी के आगे फीका पड़ जाएगा मयूरी का हुस्न

फोटोज में सुरभि चंदना यानी बानी शर्मा बला की खूबसूरत लग रही हैं. दरअसल, सगाई में सुरभि ने पर्पल कलर की रफ्फल लुक वाली साड़ी पहनी थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं सोशलमीडिया पर ये फोटोज शेयर होने के बाद फैंस उनके हुस्न की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.

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2. हौट लुक में खास था लुक

शो में अब तक सूट्स, साड़ी और नागिन आउटफिट में नजर आने वाली बानी शर्मा यानी सुरभि चंदना अब आने वाले एपिसोड में सीक्वेंस के लिए सिजलिंग लुक में नजर आने वाली हैं. लेकिन उससे पहले ही सोशलमीडिया पर उनका लुक सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, हाल ही में शेयर की गई फोटोज में सुरभि चंदना ब्लैक हाई स्लिट गाउन में नजर आ रही हैं. वहीं इस लुक के साथ वह एक के बाद एक फोटोशूट करवाती नजर आई हैं.

3. सिंपल लुक को भी बनाया खास

 

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When you fake smile to pose early in the morning 😬

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सुरभि चंदना हर लुक को खास बनाने में कोई कसर नही छोड़ रही हैं. इसी के चलते हाल ही में वह पिंक कलर के कुर्ते के संग प्लाजो का कौम्बिनेशन करती नजर आईं हैं.

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