Serial Story: शिवानी (भाग-3)

अजय ने परेशान होते हुए कहा, ‘‘चलो, डाक्टर को दिखा लेते हैं.’’ ‘‘नहीं, बस ऐसे ही तबीयत बहुत सुस्त रहती है आजकल…यों ही मन घबरा जाता है.’’

‘‘हां, मां भी कह रही थीं, ये सब प्रैगनैंसी की वजह से ही होगा, ठीक हो जाएगा. तुम आराम करो.’’ शिवानी आखें बंद कर चुपचाप लेटी रही. अजय उस का सिर सहलाता रहा. अजय ने मन ही मन शिवानी को खुश करने के लिए उसे एक सरप्राइज देने की सोची. वह शिवानी के सब दोस्तों को जानता था. अपने विवाह में सब से अच्छी तरह मिल चुका था. बाद में भी अकसर मिलते रहे थे. उस के पास रमन का फोन नंबर भी था. उस ने उसे ही फोन पर कहा, ‘‘भई, तुम्हारी फ्रैंड खुशखबरी सुनाने वाली है… एक पार्टी हो जाए?’’

‘‘वाह, बधाई हो, बिलकुल हो जाए पार्टी.’’ ‘‘चलो, तुम बाकी सब से बात कर लो. शिवानी के लिए सरप्राइज है सब का आना. सब हमारे घर पर संडे को डिनर के लिए आ जाओ, शिवानी अभी कुछ सुस्त चल रही है. बाहर जाने पर शायद उसे परेशानी हो.’’

‘‘हांहां, मैं सब से बात कर लूंगा.’’ ‘‘अपनी पत्नी और रीता के पति को भी इन्वाइट करना मेरी तरफ से.’’

‘‘हां, ठीक है. सब आएंगे.’’ रमन की पत्नी मंजू भी इस पार्टी का कारण सुन कर खुश हुई. रमन ने अपने पूरे गु्रप को इस पार्टी की सूचना दे दी. सब तैयार थे. अजय ने घर में सब को बता दिया था पर शिवानी को कुछ पता न था. गौतम के कुछ मेहमान आएंगे, उसे यही पता था. वह लता और उमा के साथ हलकेफुलके काम करती रही.

शाम को लता ने कहा, ‘‘जाओ बेटा, तैयार हो जाओ. अब सब आते ही होंगे.’’ शिवानी तैयार होने चली गई. 7 बजे रमन

और मंजू, रीता अपने पति सुजय के साथ आए तो शिवानी उन्हें देख हैरान भी हुई और खुश भी, ‘‘वाह, इतने दिन बाद तुम लोगों को देख कर अच्छा लगा.’’ उन चारों ने भी अभी और आने वाले दोस्तों के बारे में कुछ नहीं बताया. वे घर के बाकी सदस्यों का अभिवादन कर आराम से ड्राइंगरूम में बैठ गए. शिवानी को चारों ने गुड न्यूज सुनाने की बधाई दी. शिवानी का मन फिर उदास हो गया. पल भर के लिए चारों को देख कर उस अनहोनी को भूल गई थी. अजय भी आ गया था.

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इतने में रेखा, अनिता, सुमन, मंजू, सोनिया, रीता, संजय, अनिल और कुणाल भी

आ गए. तब शिवानी को समझ आया अजय ने उस का मन ठीक करने के लिए उस के दोस्तों को इन्वाइट किया है. सब को सामने देख कर शिवानी को उस रात की याद आ गई जब इन्हीं में से किसी ने उस के साथ विश्वासघात किया था. उस की उड़ी रंगत को सब ने प्रैगनैंसी का कारण समझा. सब मस्ती के मूड में थे. हंसीमजाक शुरू हो गया था. लता और उमा मेड माया के साथ मिल कर सब को वैलकम ड्रिंक्स और स्नैक्स सर्व कर रही थीं. गौतम और विनय भी आ गए. सब ने उन का अभिवादन किया. फिर सब को थोड़ी आजादी देते हुए गौतम, विनय, लता और उमा सब अंदर चले गए. अजय सब से हिलमिल चुका था.

शिवानी के दिल में एक बवंडर सा उठ रहा था. वह रमन, कुणाल, संजय और अनिल का चेहरा बारबार देखती, अंदाजा लगाती कहीं संजय तो नहीं, नहींनहीं संजय तो उस का बालसखा है, उस ने कभी कोई हरकत नहीं की थी. अनिल या फिर कुणाल या रमन नहीं, रमन तो मैरिड है, अनिल, कुणाल तो बहुत ही मर्यादा में रहने वाले दोस्त हैं. बचपन से घर आतेजाते रहे हैं, फिर इन में से कौन था उस रात. सोचतेसोचते शिवानी को सिर की नसें फटती महसूस हो रही थीं.

उसे चैन नहीं आ रहा था. उस का मन कर रहा था चीखचीख कर पूछे इन लड़कों से कौन था उस रात… इन में से किस का अंश पल रहा है उस की कोख में, उसे तो कुछ पता ही नहीं है.

सब खाना खा कर वाहवाह कर ही रहे थे कि शिवानी अपनी मनोदशा को नियंत्रण में रखने की कोशिश करते हुए भी निढाल होती चली गई, उठने की कोशिश की पर बेहोश होती चली गई. पास बैठी रेखा ने ही उसे फौरन संभाला. अजय को आवाज दी, सब बहुत परेशान हो गए. पल भर में ही माहौल बदल गया. लता ने कहा, ‘‘फौरन डाक्टर मनाली को बुलाओ अजय.’’ अजय फोन करने के बाद शिवानी को उठा कर बैडरूम तक ले गया. सब परेशान चुपचाप खड़े थे. संजय भी चुपचाप खड़ा था. उस रात के बाद वह शिवानी से आज ही मिला था. उसे यह नहीं पता था कि शिवानी के गर्भ में उस की संतान है. वह अपनी हरकत के लिए जरा भी शर्मिंदा नहीं था.

डाक्टर मनाली ने आ कर शिवानी का चैकअप किया, फिर कहा, ‘‘उमा, शिवानी का ब्लडप्रैशर हाई है. क्या यह किसी टैंशन में है?’’ अजय ने कहा, ‘‘नहीं तो. सब हंसबोल रहे थे पर अचानक पता नहीं क्या हुआ. कैसे आजकल बहुत सुस्त रहती है.’’

दवाइयां और कुछ निर्देश दे कर डाक्टर चली गईं. सब दोस्तों ने भी फिर मिलते हैं, कहते हुए विदा ली. घर के सदस्य शिवानी की हालत पर

दुखी थे. उमा कह रही थीं, ‘‘क्या हो गया इसे. किस चिंता में रहती है… पता नहीं क्या सोचती रहती है.’’ लता ने कहा, ‘‘आप परेशान न हों, आराम करेगी तो ठीक हो जाएगी.’’

शिवानी ने आंखें खोलीं, पर बोली कुछ नहीं. एक उदास सी नजर सब के चेहरे पर डाली. मन ही मन और दुखी हुई. सब से सच छिपाने का अपराधबोध और हावी हो गया. आंखों की कोरों से आंसू बह चले तो उमा जैसे तड़प उठीं, ‘‘न बेटा, दुखी मत हो. ऐसी हालत में तबीयत कभी ठीक, कभी खराब चलती रहती है. कोई चिंता न करो. बस, खुश रहो.’’ शिवानी खुद को संभाल कर मुसकराई तो सब के चेहरे पर भी मुसकान उभरी.

रात को सोने के समय अजय शिवानी के सिर को सहलाते हुए उस का मन बहलाने के लिए उस के दोस्तों की बातें करने लगा तो वह कहने लगी, ‘‘अजय, मुझ से बस अपनी बात करो, बस अपनी. किसी और की नहीं.’’ ‘‘अच्छा ठीक है, पर शिवानी मुझे सचसच बताओ कि तुम्हें कुछ टैंशन है क्या?’’

‘‘नहीं अजय, बस बहुत सुस्त रहती है तबीयत आजकल, पर तुम चिंता न करो. मैं अपना ध्यान रखूंगी,’’ कहते हुए शिवानी ने अपना सिर अजय के कंधे से सटा लिया. अजय शिवानी की उदासी का कारण खराब तबीयत समझ कर शांत हो गया.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, घर में तैयारियों की बात होती रहती थी. रमेश और सुधा भी अकसर उस से मिलने आते रहते थे. शिवानी अकेले में सोचती, ‘यह कैसी गर्भावस्था है, कैसे इस बच्चे को पालूंगी, मुझे तो जरा भी ममता का एहसास नहीं हो रहा.’ उस की कितनी ही रातें रोते बीत रही थीं, कोई कितना रो सकता है, इस का अनुभव उसे स्वयं न था.

देखतेहीदेखते उस के हौस्पिटल जाने का दिन आ गया. गौतम ने रमेश और सुधा को भी सूचना दे दी. गर्भावस्था का पूरा समय शिवानी ने जिस तनाव में बिताया था और पूरे परिवार का जो स्नेह उसे मिलता आया था, वह सब शिवानी को याद आ रहा था. शारीरिक और मानसिक, तीव्र पीड़ा के पलों को झेलते हुए उस ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. लता तो खुशी के मारे रो ही पड़ी. सब ने एकदूसरे को गले लगा कर बधाई दी. सुधा ने फौरन कुछ पैसे अजय को देते हुए कहा, ‘‘हमारी तरफ से मिठाई लानी है, बेटा.’’ अजय, ‘‘अच्छा, लाता हूं,’’ कह कर मुसकराते हुए चला गया. नवजात शिशु सब के आकर्षण का केंद्र बन गया था.’’

उमा ने बच्चे को देखते हुए कहा, ‘‘अरे, यह तो बिलकुल अजय पर गया है.’’ लता ने कहा, ‘‘नहीं, शिवानी की झलक दिखाई देती है.’’

गौतम हंसे, ‘‘मुझे तो यह दादी पर लग रहा है.’’ सब हंस रहे थे. शिवानी के मन में अब तक बच्चे को देखने का जरा भी उत्साह नहीं था. वह चुपचाप निढाल पड़ी थी. अजय मिठाई ले आया था. सब एकदूसरे का मुंह मीठा करवा रहे थे. उमा ने डाक्टर, नर्स और आसपास के लोगों को भी मिठाई खिलाई. शिवानी के दिल पर पत्थर सी चोट लग रही थी.

शिवानी के चेहरे पर नजर डालते हुए अजय ने कहा, ‘‘ठीक हो न?’’ ‘‘हां.’’

‘‘अब सारी तबीयत ठीक हो जानी चाहिए. अब कोई उदासी नहीं चलेगी, समझीं,’’ हंसते हुए अजय ने कहा तो लता भी बोलीं, ‘‘हां, अब सारी तबीयत ठीक हो जानी चाहिए, पहले की तरह खुश रहना, बेटा.’’ शिवानी फीकी सी हंसी हंस दी. वह यही सोच रही थी कि ये सब इस बच्चे की इतनी खुशियां मना रहे हैं जिस के पिता का भी मुझे नहीं पता, कौन है. यह बच्चा तो मुझे हमेशा उस धोखे की याद दिलाता रहेगा जो मैं ने अपने परिवार को दिया है. कैसे पालूंगी इसे…

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तभी बाहर अजीब सा शोर सुनाई दिया, तो सभी बाहर चल दिए. शिवानी को अभी बहुत कमजोरी थी. वह चुपचाप आंखें बंद कर लेटी थी. बराबर ही पालने में बच्चा लेटा था. थोड़ी देर बाद एक नर्स अंदर आई तो शिवानी ने पूछा, ‘‘क्या हुआ है?’’

‘‘कल से एक लड़की दाखिल थी. रात ही उस ने बेटे को जन्म दिया था. अब वह लड़की बच्चे को छोड़ कर गायब है. उस के दिए पते पर, फोन पर सब देख लिया, सब फर्जी जानकारी थी. पता नहीं कौन थी. बच्चा पैदा कर छोड़ कर गायब हो गई. अभी एक बेऔलाद पतिपत्नी यहां किसी को देखने आए थे. सारी बात सुन कर उस बच्चे को गोद लेने के लिए तैयार हैं.’’

‘‘एक सगी मां बच्चे को पैदा करते ही छोड़ कर चली गई, अब 2 पराए लोग उस बच्चे के लिए इतने उतावले हैं कि पूछो मत. दोनों इतने खुश हैं, मैडम कि शादी के 10 साल बाद उन के जीवन में एक नन्हीं खुशी आ ही गई. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वह किस का होगा, दोनों बस उस बच्चे को गोद लेने के लिए छटपटा रहे हैं. पता नहीं कौन थी क्या मजबूरी थी.’’

शिवानी सांस रोके नर्स की बात सुन रही थी. नर्स चली गई तो जैसे शिवानी की आंखें खुलीं. वह जैसे होश में आई. एक दंपती किसी गैर के बच्चे के लिए तरस रहे हैं और वह अपने बच्चे से पीठ फेरे लेटी है. इस का पिता जो भी हो, मां तो वही है न. उस का भी तो अंश है बच्चा. मां के हिस्से की ममता पर तो इस का हक है ही न. और मां का ही क्यों, हर रिश्ते के स्नेह का पात्र बनने वाला है यह. दादादादी, नानानानी, अजय, सब की खुशियों का कारण बना है यह. फिर वह मां की ममता से ही क्यों दूर रहे और इस बच्चे का कुसूर भी तो नहीं है कोई… उस अजनबी दंपती के बारे में, अपने बच्चे के बारे में सोचतेसोचते पिछले कई महीनों का उस का मानसिक संताप दूर होता चला गया.

वह धीरे से उठी. बच्चे का चेहरा देखते हुए झुक कर उसे गोद में उठाया. नर्ममुलायम सा स्पर्श कई महीनों से जलतेतपते तनमन को सहलाता चला गया.

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Serial Story: शिवानी (भाग-2)

थोड़ी देर बैठ कर सब बातें करती रहीं. उन के जाने के बाद शिवानी का मन हुआ मां को सब सचसच बता दे पर उस की हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि सुधा उस के जाने के पक्ष में ही नहीं थीं. किस मुंह से कहे, उन का डर सच साबित हुआ है. वह फिर रोने लगी तो सुधा ने कहा, ‘‘चल बेटा, डाक्टर को दिखा लेते हैं.’’

‘‘नहीं मम्मी, अब तो ठीक हूं.’’

फिर वह स्वयं को सामान्य दिखाते हुए थोड़ी बहुत बातें करती रही. 1-2 दिन और बीत गए. सब उस से फोन पर संपर्क में थे ही.

शिवानी बेचैन थी. उस का मन हर समय घबराया, उलझा सा रहता था. वह सुधा से कहने लगी, ‘‘मम्मी, अब ससुराल चली जाती हूं. अजय नहीं हैं तो मैं भी यहां आ गई. अच्छा नहीं लगता.’’ ‘‘हां, ठीक है बेटा. जैसी तेरी मरजी.’’

रमेश ही उसे छोड़ने गए. उसे देखते ही सब के चेहरे खिल उठे. उमा चहक उठीं, ‘‘अच्छा हुआ, आ गई बेटा. घर में बिलकुल रौनक नहीं थी.’’

रमेश भी हंसे, ‘‘संभालो अपनी बहू को आप लोग, अब इस का मायके में मन नहीं लगता.’’ शिवानी भी सब के साथ मुसकरा दी. रमेश चले गए.

डिनर करते हुए सब शिवानी के आने पर खुश थे. यह सब ने साफसाफ महसूस किया, पर उमा ने उसे टोक भी दिया, ‘‘बेटा, जब से आई ओ तब से मुंह उतरा हुआ है. अभी तक तबीयत ठीक नहीं लग रही है क्या?’’ ‘‘नहीं मां, ठीक है.’’

विनय ने गौतम से कहा, ‘‘भैया, अजय का टूअर अब कम ही रखना, नहीं तो बहू ऐसे ही उदास रहेगी या इसे भी आगे से साथ ही भेजना.’’ ‘‘हां, यह ठीक रहेगा.’’

अगला पूरा हफ्ता शिवानी अपने साथ घटी घटना को भूलने की नाकाम कोशिश करती रही. अपने को काम में उलझाए रखती पर उस रात को भूलना बहुत मुश्किल था और सब से बड़ी बात थी, इस अपराधबोध के साथ जीना कि उस ने यह बात सब से छिपा ली. वह किसी से यह बात शेयर करना चाह रही थी पर किस से करे, यह समझ नहीं आ रहा था. अपनी मम्मी को बताना चाहती थी पर उस ने उन की बात नहीं सुनी थी, इसलिए हिम्मत नहीं हो रही थी. अजय आ गया तो सब के चेहरे खिल उठे. लता ने कहा, ‘‘देखो, मेरी बहू कितनी उदास रही. अब जल्दी कहीं मत जाना.’’

अजय ने शिवानी को देखा. उस की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे, उस ने तो इन आंसुओं को इतने दिन की दूरी ही समझा. रात को एकांत में अजय के सीने पर सिर रख कर शिवानी बुरी तरह फफक पड़ी. अजय परेशान हो गया, ‘‘मेरे पीछे तुम्हें कोई परेशानी हुई है क्या?’’

‘‘नहींनहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है, एक बारगी तो शिवानी का मन हुआ इतने प्यार करने वाले पति से कुछ न छिपाए पर अंजाम सोच कर सिहर गई. अजय ने उस के रोने को फिर अपना जाना ही समझा.’’ कुछ दिन और बीते. शिवानी मन ही मन घुटती रही. वह चाह कर भी किसी से हंसबोल नहीं पा रही थी. एक अपराधबोध हर समय उस के मन पर हावी रहता था. उस ने सब से सच छिपा लिया था पर वह मन ही मन बहुत बेचैन रहने लगी थी.

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इस बार जब तय समय पर उसे पीरियड्स नहीं हुए, तो उस का माथा ठनका. उस ने कुछ दिन और इंतजार किया. फिर एक दिन अजय के औफिस जाने के बाद उसे उमा से कहा, ‘‘मां, आज थोड़ी देर मम्मी से मिलने चली जाऊं?’’ ‘‘हां, जरूर जाओ.’’

शिवानी ने रास्ते में ही प्रैगनैंसी चैक करने वाली किट खरीदी और मम्मी के यहां पहुंच गई. रमेश कालेज में ही थे. शिवानी से फोन पर बात होने के बाद सुधा अपने कालेज से जल्दी आ गईं. शिवानी का उतरा चेहरा देख परेशान हुईं, क्या बात है बेटा, तबीयत फिर खराब है क्या? ‘‘नहीं मम्मी, ठीक हूं.’’

दोनों थोड़ी देर बातें करती रहीं, फिर सुधा शिवानी के लिए कुछ चायनाश्ता बनाने

किचन में चली गईं तो शिवानी ने बाथरूम में खुद ही टैस्ट किया. वह गर्भवती थी. उस के होश उड़ गए. माथे पर पसीने की बूंदे चमक उठीं. उस ने बारबार अपने पिछले पीरियड, अपने साथ हुए रेप और अजय के साथ बने संबंधों का हिसाब लगाया और वह इस परिणाम पर पहुंची कि यह बच्चा अजय का नहीं उसी का है, जिस ने उसे नशे में बेसुध कर उस के साथ जबरदस्ती संबंध बनाया था. वह रो पड़ी. सुधा मन ही मन चिंतित थीं कि उन की बेटी को हुआ क्या है, उस का हंसनामुसकराना, चहकना सब कहां चला गया है.

हाथमुंह धो कर शिवानी बाहर आई तो सुधा को उस की सूजी आंखें देख कर झटका लगा, ‘‘क्या हुआ शिवानी, तुम कुछ बताती क्यों नहीं?’’ ‘‘मैं चाय लाती हूं, तुम थोड़ा लेट लो.’’

शिवानी चुपचाप लेट कर मन ही मन इस फैसले पर पहुंची कि वह अबौर्शन करवा लेगी. वह इस अनहोनी का अंश अपने अंदर नहीं पनपने देगी. सुधा चाय लाई तो वह चुपचाप चाय पीने लगी. सुधा ने कहा, ‘‘शिवानी, तुम्हें बहुत अच्छी ससुराल मिली है न?’’

‘‘हां, मां.’’ ‘‘पर तुम कुछ परेशान सी दिखती हो आजकल?’’

‘‘कुछ नहीं है मां, यह सिरदर्द ही आज परेशान कर रहा है,’’ मां कुछ और न सोचे, यह सोच कर वह झूठ ही हंसनेबोलने लगी. वापस जाते हुए रास्ते में शिवानी की मनोदशा बहुत अजीब थी. किसी को भी बिना बताए वह अबौर्शन का पक्का इरादा कर चुकी थी. घर पहुंच कर सब से सामान्य बातें करने में भी उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. मन ही मन घुटती जा रही थी.

अगले दिन सुबह से ही उमा को तेज बुखार हो गया. उन की तबीयत काफी बिगड़ने लगी तो उन्हें हौस्पिटल में दाखिल करवाना पड़ा. सब उन की सेवा में जुट गए. शिवानी सब कुछ भूल कर उन की सेवा में लग गई. 3 दिन बाद उन की हालत कुछ संभली. अगले दिन ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाना था. शिवानी उन के पास ही बैठी सोच रही थी कि बस अब 2-3 दिन में वह अबौर्शन करवा लेगी. अचानक उसे चक्कर सा आया. उलटी आने को हुई. वह बाथरूम में भागी. लता भी वहीं थीं, उमा ने उठने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘लता, देखना, बहू को क्या हुआ है?’’

लता ने बाथरूम में झांका, शिवानी उलटी के बाद पस्त थी. वह शिवानी को सहारा देते हुए बाहर लाईं. उसे चेयर पर बिठा कर पानी पिलाया. शिवानी के पीले पड़े चेहरे को देखते हुए उमा ने कहा, ‘‘क्या हो गया? ठीक तो हो न?’’

‘‘हां मां, यों ही चक्कर आ गया था.’’ लता मुसकराई, ‘‘यों ही या कोई खास

बात है?’’ ‘‘नहीं चाची, बस जी मिचला रहा था बहुत देर से.’’

‘‘यों ही थोड़े जी मिचलाता है बहूरानी. चलो यहां हमारी पुरानी डाक्टर हैं मनाली, उन्हें दिखा लेते हैं. मुझे तो खुशखबरी की उम्मीद लग रही है, दीदी.’’ उमा ने कहा, ‘‘जाओ लता, अभी दिखा आओ. मैं तो अब ठीक ही हूं.’’

शिवानी ने बहुत आनाकानी की पर उस की एक न चली. डाक्टर मनाली ने शिवानी के गर्भवती होने की पुष्टि कर दी. शिवानी के चेहरे का रंग उड़ गया. लता चहक उठी. शिवानी को बाहों में भर गले से लगा लिया, ‘‘बधाई हो बहू… वाह इतने सालों बाद घर में कोई नन्हा मेहमान आएगा,’’ खुशी के मारे लता की आवाज कांप रही थी.

उमा ने सुना तो वह बैड से उठ खड़ी हुईं. ‘‘इस खुशखबरी ने तो सारी कमजोरी ही खत्म कर दी,’’ उन्होंने शिवानी को बधाई देते हुए गले से लगा लिया. गौतम, विनय और अजय आए तो सब यह सुन कर चहक उठे. उमा की बीमारी भूल सब एकदूसरे को बधाई देने में व्यस्त थे. शिवानी की उड़ी रंगत की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. वह बहुत परेशान थी. वह अब कैसे अबौर्शन करवा पाएगी, वह अपनी सोच में इतनी गुम थी कि सब के खुशी से भरे स्वर उस के कानों तक पहुंच भी नहीं रहे थे.

अचानक लता ने उसे झकझोरा, ‘‘क्या हो गया? घबरा रही हो? अरे, बड़ी खुशी का दिन है आज, तुम किसी बात की चिंता न करना. हम सब तुम्हारा बहुत ध्यान रखेंगे.’’ शाम को उमा के डिस्चार्ज होने के बाद सब घर लौट आए. उमा को कमजोरी तो थी पर इस खबर ने उन के अंदर एक उत्साह भर दिया था. उन्होंने रमेश और सुधा को भी फोन पर बधाई दी. वे दोनों भी बहुत खुश हुए.

सुधा ने रमेश से कहा, ‘‘तो यह बात थी. इसलिए शिवानी इतनी ढीलीढीली लग रही थी. मैं तो पता नहीं क्याक्या सोचने लगी थी. चलो, सब ठीक है.’’ शिवानी की अजीब हालत थी. वह तो अबौर्शन की सोच रही थी. अब कहां जश्न मनाया जा रहा था, हर समय सब आने वाले नन्हे मेहमान की बातें करते रहते थे. इतना स्नेह, इतना प्यार देने वाले परिवार से झूठ बोलने के अपराधबोध से वह मुक्त नहीं हो पा रही थी.

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अजय ने एक दिन कहा भी, ‘‘शिवानी, अब तुम पहले जैसी नहीं रहती हो. तुम्हारी वह हंसी जैसे कहीं खो सी गई है, पता नहीं क्या सोचती रहती हो. मुझ से भी पहले की तरह बातें नहीं करती हो. क्या हुआ है शिवानी?’’ शिवानी का मन हुआ अपने मन पर पड़ा बोझ अजय से बांट ले, बता दे उसे जिस नन्हे मेहमान की खुशी सब मना रहे हैं, उसे खुद ही नहीं पता कि वह किस की संतान है. यह सोचते ही शिवानी के आंसू बहते ही चले गए. अजय घबरा गया. फौरन उसे सीने से लगा लिया.

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Serial Story: शिवानी (भाग-1)

विवाह के बाद का 1 महीना कब बीत गया, शिवानी को पता ही नहीं चला. बनारस के जानेमाने समृद्घ, स्नेहिल, सभ्य परिवार की इकलौती बहू बन कर शिवानी खुद पर नाज करती थी. बीएचयू में ही मंच पर एक कार्यक्रम पेश करते हुए वह कब गौतम दंपती के मन में उन के इकलौते बेटे अजय की दुलहन के रूप में जगह बना गई, किसी को पता ही न चला. यह रिश्ता बिना किसी अवरोध के तय हो गया. शिवानी भी अपने अध्यापक मातापिता रमेश और सुधा की इकलौती संतान थी. गौतम का अपना बिजनैस था. परिवार में पत्नी उमा, बेटा अजय, उन के छोटे भाई विनय और उन की पत्नी लता सब एकसाथ ही रहते थे. उमा और लता में बहनों जैसा प्यार था. विनय और लता बेऔलाद थे. अपना सारा स्नेह अजय पर ही लुटा कर उन्हें चैन आता था.

गौतम परिवार में शिवानी का स्वागत धूमधाम से हुआ था. अजय पिता और चाचा के साथ ही बिजनैस संभालता था. लंबाचौड़ा बिजनैस था, जिस में टूअर पर जाने का काम अजय ने संभाल रखा था. विवाह के बाद की चहलपहल में समय जैसे पलक झपकते ही बीत गया. एक दिन औफिस से आ कर अजय ने शिवानी से कहा, ‘‘अगले हफ्ते मुझे इंडिया से बाहर कई जगह टूअर पर जाना है.’’

यह सुन कर शिवानी एकदम उदास हो गई, पूछा, ‘‘मुझे भी ले जाओगे?’’ ‘‘अभी तो तुम्हारा पासपोर्ट भी नहीं बना है. पहले तुम्हारा पासपोर्ट बनवा लेते हैं, फिर अगली बार साथ चलना.’’

घर में शिवानी की उदासी सब ने महसूस की. उमा ने कहा, ‘‘विवाह की भागदौड़ में ध्यान ही नहीं रहा कि पासपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. कोई बात नहीं बेटा, अगली बार साथ चली जाना. इस के तो टूअर लगते ही रहते हैं… ये दिन हम सासबहू मिल कर ऐंजौय करेंगे.’’ उमा के स्नेहिल स्वर पर अपनी उदासी एकतरफ रख शिवानी को मुसकराना ही पड़ा.

लता ने भी कहा, ‘‘अब इस के लिए अच्छेअच्छे गिफ्ट्स लाना… भरपाई तो करनी पड़ेगी न.’’ सभी शिवानी का मूड ठीक करने के लिए हंसीमजाक करते रहे. शिवानी भी फिर धीरेधीरे हंसतीमुसकराती रही.

रात को एकांत मिलते ही अजय ने कहा, ‘‘मेरा भी मन तो नहीं लगेगा तुम्हारे बिना पर मजबूरी है… अब बाहर के काम मैं ही संभालता हूं. जल्दी निबटाने की कोशिश करूंगा. तुम बिलकुल उदास मत होना. आराम से घूमनाफिरना और फिर हम टच में तो रहेंगे ही. विवाह के बाद अपने दोस्तों से भी नहीं मिली हो न… सब से मिलती रहना. मैं जल्दी आ जाऊंगा.’’ शिवानी का मन उदास तो बहुत था पर अजय के स्पर्श से मन को ठंडक भी पहुंच रही थी. अजय की बाहों के सुरक्षित घेरे में वह बहुत देर तक चुपचाप ऐसे ही बंधी पड़ी रही. 2 दिन बाद अजय चला गया. शिवानी को लगा जैसे वह अकेली हो गई है. वह सोचने लगी कि कैसा होता है पतिपत्नी का रिश्ता. जो कुछ दिन पहले तक अजनबी था, आज उसी के बिना एक पल भी रहना मुश्किल लगता है, सब कुछ उसी के इर्दगिर्द घूमता रहता है.

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उमा और लता ने उसे कुछ उदास सा देखा, तो उमा ने कहा, ‘‘जाओ बहू, अपने मम्मीपापा के पास कुछ दिन रह आओ, लोकल मायके में अकसर रहने को नहीं मिलता है… जब भी गई हो थोड़ी देर में लौट आई हो. अब कुछ दिन रह लो. टाइमपास हो जाएगा.’’ शिवानी को मायके आ कर अच्छा लगा. रमेश और सुधा बेटी की ससुराल से पूरी तरह संतुष्ट थे.

सुधा ने कहा भी, ‘‘बेटा, वे बहुत अच्छे लोग हैं. उन के साथ तुम हमेशा प्यार से रहना. बहुत ही कम लड़कियों को ऐसा घरवर मिलता है.’’ अजय फोन पर तो शिवानी के संपर्क में रहता ही था. 2 दिन हुए थे. शिवानी के दोस्तों जिन में लड़केलड़कियां दोनों शामिल थे, सब ने शिवानी के लिए एक पार्टी रखी.

उस की सहेली रेखा ने कहा, ‘‘तुम्हारे लिए ही रखी है पार्टी. आजकल बोर हो रही हो न? कुछ टाइमपास करेंगे. खूब धमाल करेंगे.’’ शिवानी ने अजय को फोन पर पार्टी के बारे में बताया, तो वह खुश हुआ. बोला, जरूर जाना…ऐंजौय करो.

पिता रमेश ने तो सुन कर ‘‘हां, जाओ,’’ कहा पर मां सुधा ने मना करते हुए कहा ‘‘दिन भर जहां मन हो, घूमफिर लो, पर रात में रुकना मुझे अच्छा नहीं लगता.’’ ‘‘अरे मम्मी, संजय के फार्महाउस पर पार्टी है और अब तो मैं मैरिड हूं. आप चिंता न करें. सब पुराना गु्रप ही तो है.’’

‘‘नहीं शिवानी, मुझे इस तरह रात में रुकना पसंद नहीं है.’’ सुधा शिवानी के रात भर बाहर रुकने के पक्ष में बिलकुल नहीं थीं पर शिवानी ने जाने की तैयारी कर ही ली. तय समय पर वह तैयार हो कर रेखा के घर गई. वहां अनिता, सुमन, मंजू, सोनिया, रीता, संजय, अनिल, कुणाल, रमन सब पहले से मौजूद थे. सब पुराने सहपाठी थे. सब की खूब जमती थी. संजय का फार्महाउस बनारस से बाहर 1 घंटे की दूरी पर था. 2 कारों में सब 1 घंटे में फार्महाउस पहुंच गए.

इन सब में रीता, रमन और शिवानी विवाहित थे. सब मिल कर चहक उठे थे. 6 बज रहे थे. सब से पहले कोल्ड ड्रिंक्स का दौर शुरू हुआ. सब एकदूसरे का गिलास भरते रहे. खूब हंसीमजाक के बीच भी शिवानी को अपना सिर भारी होता महसूस हुआ. वह थोड़ा शांत हो कर एक तरफ बैठ गई. उस के बाद म्यूजिक लगा कर सब थिरकने लगे. सब लोग कालेज स्टूडैंट्स की तरह मस्ती के मूड में थे. वहीं एक सोफे पर शिवानी निढाल सी बैठी थी. रेखा ने कहा, ‘‘तू किसी रूम में जा कर थोड़ा लेट ले.’’

‘‘हां ठीक है.’’ संजय के फार्महाउस की देखभाल माधव काका और उन की पत्नी करते थे. बहुत पुराने लोग थे. संजय ने उन्हें आवाज दी, ‘‘काकी, शिवानी को एक रूम में ले जाओ और आराम करने देना इसे. इस की तबीयत ठीक नहीं है.’’

रेखा भी साथ जा कर शिवानी को लिटा आई. फिर सब के साथ डांस में व्यस्त हो गई. सब ने जम कर धमाल किया. खूब डांस कर के थक गए तो माधव और जानकी ने सब का खाना लगा दिया. सब डिनर के लिए शिवानी को उठाने गए पर वह गहरी नींद में बेसुध थी. रेखा ने कहा, ‘‘इसे सोने दो. उठेगी तो खा लेगी. यह तो शादी के बाद कुछ ज्यादा ही नाजुक हो गई है?’’

सब इस मजाक पर हंसने लगे. सब ने डिनर किया. उस के बाद जिस का जहां मन किया, सोने के लिए लेट गया. रेखा, रीता, सुमन दूसरे कमरे में जा कर सो गई थीं. इस फार्महाउस में 3 रूम थे. तीसरा रूम इस समय खाली था. शिवानी को कोई होश नहीं था. वह बिलकुल बेसुध थी. रात को 3 बजे संजय ने सब पर एक नजर डाली. सब गहरी नींद में सोए थे. संजय चुपचाप उठ कर सीधा शिवानी के रूम में गया. उस ने शिवानी पर कामुक नजरें डाली. शिवानी को वह पहले से ही पसंद करता था.

आज उस ने शिवानी के ड्रिंक्स में नशीला पदार्थ मिला दिया था. यह सब प्रोग्राम उस ने सोचसमझ कर बनाया था. दरवाजा अंदर से बंद कर के वह शिवानी की तरफ बढ़ गया. शिवानी ने बेहोशी में ही हाथपांव मारे, अपने को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन नशे के असर से उस की आंख ही नहीं खुल रही थी. हाथपांव भी निर्जीव ही लग रहे थे.

संजय अपने इरादे में सफल हो चुका था. शिवानी के साथ जबरदस्ती संबंध बना कर वह अपनी योजना के सफल होने पर मुसकराता हुआ कपड़े पहन कर रूम से निकल कर बाकी दोस्तों के बीच जा कर सो गया.

सुबह सब से पहले नशे का असर खत्म होते ही शिवानी की ही आंखें खुलीं. जरा होश आया तो महसूस हुआ कि उस के साथ बीती रात क्याक्या हुआ है. वह कांप उठी. गुस्से के कारण उस का मन हुआ अभी जा कर बलात्कारी को जान से मार दे. आवेश में वह बिस्तर से उठी और कांपते कदमों से सिर पकड़ कर ड्राइंगरूम में जाते ही चौंक गई.

सब सोए पड़े थे. दूसरे रूम में भी झांका. सब सो रही थीं. शिवानी के पैर डगमगा गए कि यह क्या हो गया. उसे तो यह भी नहीं पता कि किस ने रेप किया है… किस से क्या कहेगी, वह अब क्या करेगी… तनमन से निढाल वह वापस बैड पर आ गिरी. आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. वह बहुत देर तक रोती रही. मन हुआ कि चीखचीख कर सब को बता दे कि उस के साथ क्या अनर्थ हुआ है. फिर धीरेधीरे सब 1-1 कर उठते गए. सब उस के पास उस की तबीयत पूछने आ रहे थे. उस ने सब लड़कों के चेहरे पढ़ने की कोशिश की पर किसी के चेहरे से उसे कुछ पता नहीं चल सका.

बहुत कुछ सोच कर वह चुप रही. सब फ्रैश हो गए तो संजय ने माधव को नाश्ता बनाने के लिए कहा. संजय बिलकुल सामान्य ढंग से कह रहा था, ‘‘चलो, नाश्ता कर के निकलते हैं… शिवानी की तबीयत ठीक नहीं लग रही है… यह घर जा कर डाक्टर को दिखा लेगी.’’ शिवानी ने संजय के चेहरे को भी ध्यान से देखा पर वह हमेशा की तरह हंसतामुसकराता ही लगा. शिवानी को सुस्त देख कर सब को उस की चिंता हो रही थी. मन ही मन कलपती शिवानी वापस घर आ गई. शिवानी को छोड़ने सब से पहले सब उसी के घर आए.

सुधा से लिपट कर वह रो दी तो रमेश घबरा गए. पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’ तबीयत तो ठीक है? रमन ने कहा, ‘‘अंकल, कल रात ही इस की तबीयत खराब हो गई थी.’’

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‘‘अरे, क्या हुआ? फोन क्यों नहीं किया?’’ ‘‘पापा, मैं जल्दी सो गई थी, सिर भारी था.’’

सुधा परेशान हो गईं, ‘‘चल, डाक्टर को दिखा लेते हैं.’’ ‘‘नहीं मम्मी, अब थोड़ा ठीक हूं. बस आराम कर लूंगी.’’

सब चले गए. अजय भी शिवानी का हाल सुन कर परेशान हो गया. लता और उमा भी उस से मिलने आ गईं. शिवानी का दिल भर आया. उस की मनोदशा का तो किसी को अंदाजा ही नहीं था. उमा कह रही थीं, ‘‘आराम ही करना, जब मन हो, आ जाना. वैसे तुम्हारे बिना हमारा मन नहीं लग रहा है. घर खालीखाली लगता है.’’

आगे पढ़ें- उन के जाने के बाद शिवानी का मन…

हुंडई क्रेटा के इंजन में है यह खास बात जिससे आपका सफर हो जाएगा आसान

न्यू हुंडई क्रेटा के इंजन में बीएस 6 पावर दिया गया है. इसमें 2 पेट्रोल इंजन और एक डीजल इंजन दिया गया है. पहले 1.5 लीटर का पेट्रोल इंजन दिया गया है. जो 115 hp की पॉवर और 14.7 kg-m पीक टार्क बनाता है. इसके साथ ही इसमें 6-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन भी दिया गया है. जो कार को और भी ज्यादा स्ट्रांग बनाता है.

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हुंडई क्रेटा को लेते समय कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन से ट्रांसमिशन के साथ ले रहे हैं. आप क्रेटा लेते समय इस बात से निश्चित रहिए कि क्रेटा की पेट्रोल इंजन की पावर शानदार है. आप किसी भी यात्रा पर क्रेटा के साथ 50 लीटर पेट्रोल फुल करके आराम से जा सकते हैं. इसलिए तो कहते हैं #RechargeWithCreta.

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कैसे किया जाए कर्ज के बाद वित्तिय प्रबंधन

आज के दौर में ज़रूरतें इतनी हैं कि कई बार क़र्ज़ लेना -चाहे वो मकान बनाने के लिए लिया जाए या बच्चों की एजुकेशन ,और शादी के लिए लिया जाए ,मजबूरी बन जाता है. दूसरी ओर बैंक और वित्तीय संस्थाए भी क़र्ज़ आसानी से देने लगीं हैं तो लोग ज़रूरत पड़ने पर इनसे लोन लेना ,दूसरे विकल्पों के तुलना में आसान मानते हैं और ईज़ी ई एम आई, डिसकाउंट और सेल्ज़ के चक्कर में फँसते चले जाते हैं. जबकि ज़रूरी ख़र्च उनके फ़ाईनेंस पर दबाव डालते हैं.

ऐसे में क़र्ज़ का फंदा धीरे धीरे कसता है और क़र्ज़ में डूब जाने का अहसास तब तक नहीं होता जब तक पानी नाक तक नहीं पहुँच जाता. ज़रूरी है आप ,लोन लेने से पहले इन ऑप्शंस का ध्यान रखें. जिनसे,संकट के समय भी आप,क़र्ज़ चुकाने में सफल हो सक़ें.

  • इनकम और ख़र्च के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी ज़रूरतों को प्राथमिकता दें.
  • बजट बनाएं और रीसोर्स को मैनेज करें और क़र्ज़ मुक्ति के तरीक़े खोजें.
  • मौजूदा हालत का विश्लेषण करें और समझने का प्रयास करें कि, इनकम का स्त्रोत क्या है और पैसा ख़र्च कहाँ होता है,और ख़र्चों में कटौती कहाँ करनी है.
  • यदि फिर भी लोन लेने के बाद आप इसे चुकाने में असमर्थ हैं तो निराश न हों ,प्रस्तुत हैं ये तरीक़े जो आपको इस हालात से निबटने में सहायक सिद्ध होंगे—

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योजना बनाएँ और उसे फ़ॉलो करे

  • आम तौर पर ड्यू डेट से प्रीमियम का भुगतान शुरू करने के लिए पर्याप्त रक़म रखनी चाहिए. इस दिशा में कोई लापरवाही आपके क्रेडिट स्कोर को ख़राब कर सकती है.
  • यदि आप छात्र हैं और आपने शिक्षा के लिए क़र्ज़ लिया है और बेरोज़गारी के कारण आप पेमेंट करने में सक्षम नहीं है तो, संबंधित बैंक से,तुरंत सम्पर्क करे .
  • यदि क़र्ज़दाता,ईमानदारी से अपने हालात के बारे में बताते है तो लेंडर, न सिर्फ़ नौकरी खोजने में आपकी मदद करते हैं बल्कि क़र्ज़ वापस करने के लिए कुछ अतिरिक्त समय भी दे सकता है.

डेट पेमेंट के लिए कार्यकाल बढ़ाएँ

बैंक कर्मचारियों के साथ चर्चा करके उन्हें मौजूदा आर्थिक हालात के बारे में बताएँ.इस तरह कोई भी EMI का दबाव कम कर सकता है,साथ ही अधिक समय मिलने से आप ,कमाईं के लिए और विकल्प ढूँढ सकते हैं

रीफायनेन्स के लिए जा सकते हैं

अधिक आसान नियमों और शर्तों पर क़र्ज़ या अधिक अनुकूल शर्तों के साथ एक बदली गई योजना के अनुसार,जैसे ,कई मामलों में,कमज़ोर क़र्ज़ दाता सह-आवेदक को एक मज़बूत सह आवेदक के साथ रिप्लेस करने का मौक़ा देता है.

मौजूदा सम्पत्ति मदद करती है

एक उधार कर्ता बंधक का लाभ उठाने के लिए अपनी सम्पत्ति का इस्तेमाल कर सकता है और यदि आपके पास शेयर हैं तो इक्विटी की मदद से क़र्ज़ के संकट से छुटकारा पा सकते हैं. कम ब्याज दरों और कम प्रीमीयम पर बेनिफ़िट उठा सकते हैं,बशर्ते आपके पास बेहतर क्रेडिट हिस्ट्री हो.

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डेट सेटल्मेंट की कोशिश करें

अपने नेगोशिएशन स्क़िल्ल्स का लाभ उठाते हुए क़र्ज़ के बोझ को कम करने के लिए ,क़र्ज़दाता से कुल राशि में छूट पाने के लिए आप ,एक छोटी अवधि में एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं,लेकिन इसके लिए आपके पास एक डीसेंट रक़म होनी चाहिए.ऋण चुकाने से पहले लिखित डॉक्युमेंट के बारे में अतिरिक्त एलर्ट रहें.

इन 7 तरीकों से आप भी पा सकती हैं कर्ली हेयर्स

क्‍या आज आपकी प्रॉम नाइट है? आप काफी एक्‍ससाइटेड हैं और अब समझ नहीं आ रहा है कि अपने बालों को कैसा लुक दें कि आप गुड लुकिंग दिखें. व्‍यस्‍तता के कारण आपने अपने बालों पर ही ध्‍यान नहीं दिया और अब मुश्किल सामने आ गई.

बालों को सही स्‍टाइल में बांधना और पूरी पार्टी के दौरान उस स्‍टाइल का बने रहना सबसे जरूरी होता है. कई बार आप कुछ हेयर स्‍टाइल बना लेती हैं लेकिन पार्टी तक पहुँचते-पहुँचते वो घोंसला बन जाता है. ऐसे में आपको काफी समझ और दूरदर्शिता अपनानी चाहिए. आज हम आपको बालों के स्‍टाइल बनाने और उन्‍हें कैरी करने के लिए कुछ खास तरीके बताएंगे, उम्‍मीद है कि ये टिप्‍स और आईडिया आपको पसंद आएंगे.

1. गीले बालों को पिन और कर्ल करना

अपने बालों पर अच्‍छी तरह से शैम्‍पू करें और कंडीशनर का इस्‍तेमाल करें. कंडीशनर लगाने से बाल स्‍मूथ और बाउंसी हो जाते हैं और आप जैसा चाहें वैसा लुक देने के लिए तैयार हो सकती हैं. अब बालों से पानी निचोंड़ने के बाद पिन और कर्ल से बालों को टाई कर लें. इन्‍हें सूख जाने तक बंधा रहने दें. बाद में खोल दें. आपके बाल कर्ली निकलेंगे.

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2. हॉट रोलर्स

अगर आपको जल्‍दी ही कर्ली बाल चाहिए और समय की कमी है तो हॉट रोलर्स का सहारा लें. इन रोलर्स की मदद से अपने बालों को कर्ल करें. बाद में उंगलियों की मदद से उन्‍हें सुलझा लें.

3. कर्लिंग आयरन

कर्लिंग आयरन, बालों को कर्ल करने का सबसे अच्‍छा और कम समय लेने वाला तरीका होता है. अपने बालों को कर्ल करने के लिए इसे गर्म करें और बालों को कर्ल करें. इसे आप अकेले भी बिना किसी की मदद के कर सकती हैं. लेकिन याद रहें, एक हद से ज्‍यादा इसका इस्‍तेमाल आपके बालों को रूखा बना सकता है.

4. पिन कर्ल

हेयर स्‍टाइललिस्‍ट की सलाह मानें तो पिन कर्ल बालों को स्‍टाइल देने के लिए सबसे अच्‍छा विकल्‍प होते हैं. अपने बालों को चार हिस्‍सों में बांट लें और उन्‍हें ट्वीस्‍ट करें क्‍वाइल के साथ रोल कर लें. इसके बाद, ड्रायर का इस्‍तेमाल करें. अब इन क्‍वाइल को खोल दें और लच्‍छेदार बालों को लहराएं.

5. डिफ्यूजर का इस्‍तेमाल करें

अगर आप अपने बालों को कर्ल करने के लिए हीट वेब का इस्‍तेमाल करती हैं तो वहां डिफ्यूजर का प्रयोग करें. इससे हीट वेब का इम्‍पेक्‍ट कम हो जाएगा और आपके बाल रूखे-सूखे और बेजान भी नहीं लगेंगे.

6. चोटी  

कई लोगों को यह तरीका रास नहीं आता है कि उन्‍हें सिर पर गर्म हीट लगे या उनके बालों को रोलर्स से कर्ली किया जाएं. अगर आपके साथ भी ऐसा है तो रात में अपने बालों पर बिना ऑयल लगाएं कसकर कई चोटियां बना लें. सुबह इन चोटियों को खोल दें और देखें, आपके बाल कितने प्‍यारे लगेंगे. यह ट्रिक लम्‍बे बालों के लिए सबसे ज्‍यादा कारगर होती है.

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7. हेयरस्‍प्रे

अगर आपको अचानक से किसी पार्टी में जाना पड़ता है तो हेयरस्‍प्रे का इस्‍तेमाल करें. इससे बालों में नमी बनी रहेगी और आपके बालों को मनचाहा लुक भी मिल जाएगा.

घर पर बनाएं हेल्दी और टेस्टी धनिया पनीर

इंडिया में हर घर में पनीर बनता है और सभी को पसंद आता है, लेकिन जब बात धनिया की आती है तो सभी का मुंह सिकुड़ जाता है. पर क्या आपने कभी धनिया और पनीर का कौम्बिनेशन ट्राय किया है. आज हम आपको धनिया पनीर की रेसिपी बताएंगे, जो खाने में हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी है.

हमें चाहिए

250 ग्राम पनीर

1 प्याज

1 चम्मच अदरक

1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1 चम्मच धनिया पाउडर

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2 चम्मच रिफाइन्ड ऑइल

धनिया पत्ता

2 हरी मिर्ट

2 लहसुन की कलियां

1 चम्मच गरम मसाला पाउडर

1 चम्मच हल्दी पाउडर

2 चम्मच नींबू का रस

बनाने का तरीका

– सबसे पहले पनीर को क्यूब की शेप में काट लें और एक बड़े से बोल में रख लें. अब इसमें लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला पाउडर, नमक और नींबू का जूस डालें.

– हल्के हाथ से मिलाएं ताकि पनीर के सभी टुकड़ों पर मसाले और नींबू का जूस लग जाए.

– अब धनिया पत्ता को अच्छी तरह से धो लें और बारीक काटकर मिक्सी में पीस लें. साथ में हरी मिर्च भी पीस लें.

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– एक पैन में तेल गरम करें और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें. थोड़ी देर चलाएं और फिर कटा प्याज डालकर भूनें. जब प्याज हल्की ब्राउन हो जाए तो धनिया और मिर्च का पेस्ट डाल दें.

– अब बचे मसाले ऊपर से छिड़क दें. थोड़ा सा नमक (अपने स्वादानुसार) भी ऊपर से डालें. अब मैरिनेट किए हुए पनीर के टुकड़े डालें और फिर एक बोल में अपनी फैमिली और फ्रैंड्स को गरमागरमा परोसें. इसे आप चाहें तो डिनर में या लंच में बना सकते हैं.

इन फैशन टिप्स से पर्सनैलिटी को दें नया लुक

आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में हमारे लिए फैशन का ख्याल रखना मुश्किल हो जाता है कईं लोग अपने फैशन को नए ट्रैंड के साथ मिलाने में पास नही हो पाते. पर आज हम आपको प्रौफेशन्लस के कुछ ट्रैंडी टिप्स बताएंगे, जिसे अपनाकर आप फैशन में लोगों को पीछे छोड़ सकती हैं. बिरला सैलूलोज के हैड औफ डिजाइन, नेल्सन जाफरी के मुताबिक अपनी पर्सनैलिटी में निखार लाने के लिए ये टिप्स इस्तेमाल में ला सकती हैं:

कंफरटेबल है प्लाजो पैंट

आकर्षक और आरामदायक महसूस करने के लिए प्लाजो पैंट आप के वार्डरोब में जरूर होनी चाहिए. यह आराम देती है और ट्रैंडी होने के कारण पसंद भी की जाती है. कैजुअल हो या पारंपरिक, प्लाजो पैंट लगभग हर अवसर पर सूट करती है. पारंपरिक लुक पाने के लिए आकर्षक प्लाजो के साथ सुंदर कुरता मैच करें और आधुनिक रूप से सादे सफेद या कलरफुल टौप के साथ प्लाजो पैंट की जोड़ी बनाएं.

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ट्रैंडी मैक्सी ड्रैसेस करें ट्राय

 

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The most stunning setting I have ever been to ….♥️♥️ @niyamamaldives #niyamamaldives #myhappyplace❤ #iloveyoumaldives#EDGE

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अल्ट्रा कंफर्टेबल सैक्सी मैक्सी ड्रैस हर मौसम में स्टाइलिश लुक देती है. अपने शरीर की बनावट के अनुसार सही मैक्सी ड्रैस चुनें. एक लंबी मैक्सी ड्रैस बीच पर घूमने के लिए सही पोशाक है. अपनी मैक्सी ड्रैस को सही स्लिंग बैग, सनीज और फ्लैट्स के साथ स्टाइल करें या ड्रैस को व्हाइट स्नीकर्स के साथ जोड़ कर बाहर जाने के लिए तैयार हो जाएं.

गरमी में है शौर्ट्स का कूल फैशन

 

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Basking in neon ….#mycolouroftheseason#nyc#

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अगर आप शौर्ट्स नहीं पहन रही हैं तो समझिए आप का फैशन अधूरा है. इसे एक कूल और फंकी टीशर्ट या स्नेजी ऐसिमैट्रिकल क्रौप टौप के साथ जोड़ें ताकि आप को नया लुक मिल सके. ऐक्सैसरीज और चंकी स्नीकर्स की जोड़ी के साथ कूल फैशनिस्टा में बदल जाएं.

नए जंपसू्ट्स और प्लेसूट्स कलेक्शन करें ट्राय

आप को अपने कलैक्शन में ये फैशनेबल ड्रैसेज जरूर जोड़नी चाहिए. जंपसूट्स और प्लेसूट्स आप को औफशोल्डर लुक, हौल्टर नैक पैटर्न यहां तक कि कोल्डशोल्डर डिजाइन जैसे रौक हौट फैशन ट्रैंड्स की आजादी देते हैं.

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इंडियन कुर्ती से पाएं नया लुक

 

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Thank u my darling friend @simardugal for this beautiful outfit ♥️♥️♥️♥️♥️ and thank u @vipulshahbags for the stunning bag ??

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भारतीय महिलाओं और लड़कियों के बीच कुरती काफी पौपुलर ड्रैस है. यह हर किसी पर आकर्षक और कंफर्टेबल लगती है खासकर स्लीवलैस कुरतियां स्टाइलिश लुक देती हैं. इन्हें प्लाजो पैंट या बेसिक लैगिंग के अलावा जींस के साथ भी पहन सकती हैं.

इस संदर्भ में फैशन डिजाइनर आशिमा शर्मा कुछ टिप्स बताती हैं:

 

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Au revoir @niyamamaldives #iloveumaldives♥️

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–  अपने डेलीवियर में कोल्ड शोल्डर और क्रौप टौप्स जोड़ें. ऐसी ड्रैसेज युवा महिलाओं को बहुत पसंद आती हैं. इन्हें शौर्ट्स और जींस के साथ पेयर कर क्लासी और ट्रैंडी लुक पाया जा सकता है.

– स्कर्ट भी युवा महिलाओं की पसंदीदा और फैशनेबल ड्रैस है. स्केटर स्कर्ट, पैंसिल स्कर्ट, प्लीटेड स्कर्ट आदि पार्टियों के लिए फैशनेबल लुक हासिल करने और दोस्तों के साथ नाइटआउट के लिए पहनी जा सकती हैं.

– आजकल स्नीकर फुटवियर बहुत ज्यादा चलन में है और यह हर तरह की ड्रैस के साथ पहना जा सकता है. पहले केवल हील्स को ही क्लासी माना जाता था. अब स्नीकर्स और फ्लैट जूतों को भी स्टाइलिश माना जाता है. स्नीकर्स को फुटवियर के रूप में जोड़ कर आप हर लुक को पूरा कर सकती हैं.

–  अपडू हेयर या सिंगल बन आप के ड्रैसिंग स्टाइल को रीइन्वैंट करने के लिए ट्रैंडी हेयरस्टाइल्स हैं. ये हेयरस्टाइल्स आप के ड्रैसिंग स्टाइल को रिफ्रैश करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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बिना सच जाने किसी को दोषी मानना ठीक नहीं – शमीन मन्नान

टीवी शो ‘संस्कार’ में एन आर आई गर्ल भूमि की भूमिका निभाकर चर्चा में आने वाली अभिनेत्री शमीन मन्नान आसाम के डिब्रूगढ़ की है. उसे बचपन से ही कुछ अलग करने की इच्छा थी. शमीन ने हमेशा चुनौतीपूर्ण अभिनय करना पसंद किया है. खुद से अलग किसी भी चरित्र को करने में उसे अच्छा लगता है. अभी उनकी नया शो ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ है, जो जी टीवी पर शुरू होने वाला है. जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका कोयल की निभाई है. उनसे बात करना रोचक था. आइये जाने क्या कहती है, वह अपने बारें में.

सवाल-अभी आप क्या कर रही हैं?

अभी शूटिंग की तैयारियां चल रही है और ये नयी शो है, जिसमें मेरी मुख्य भूमिका है. साथ ही अभिनय के कई शेड्स इसमें दिखाई पड़ेगे, जो मेरे लिए चुनौती है. बहुत ही रीयलिस्टिक चरित्र है. कॉमेडी शो है. 

सवाल-ये बाकी भूमिका से कितना अलग है और आप इससे कितना रिलेट कर पाती हैं?

ये बहुत ही अलग भूमिका है. पहले मेरे चरित्र अलग है. मैंने पहले एक कॉमेडी की थी. ये अलग कॉमेडी है. ये ग्लैमरस कॉमेडी है. अतरंगी कपडे पहनती है और चार्मिंग है, लेकिन उसे अपने जीवन के उद्देश्य के बारें में पता है. ऐसा मैंने कभी किया नहीं है. सास बहू वाले से अलग है, इसलिए मुझे काफी सारी तैयारियां करनी पड़ रही है. 

इस चरित्र से मैं अधिक रिलेट नहीं कर पा रही हूं , पर ये एक स्ट्रोंग किरदार है. इसमें कोयल को आत्मविश्वास बहुत है और वह जानती है कि उसे क्या चाहिए. यहाँ मैं खुद से रिलेट कर सकती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि मुझे कब क्या चाहिए और ये मुझे पता होता है. 

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सवाल-अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

बचपन से ही इच्छा थी, क्योंकि जब मैं टीवी एक्टर्स या फिल्म एक्टर्स के इंटरव्यूज देखती थी, तो मुझे उस लाइफ को जीने की इच्छा होती थी, पर मेरे परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं था. मुझे भी डॉक्टर या इंजीनियर बनने की शिक्षा दी गयी थी. मैंने उनके सपने को अपना सपना बना लिया था, लेकिन स्कूल में डांस हो या फैशन शो, नाटक में अभिनय करना आदि में भाग लेती  रहती थी. जब मैं इंजीनियरिंग कर रही थी, तो एक दो नाटकों में काम करने का मौका मिला. उस समय मैं बंगलुरु में पढ़ रही थी. वहां बालाजी की एक ऑडिशन हो रहा था. मैं भी वहां देखने गयी और बहुत सारी लड़कियों में एक भूमिका के लिए शार्ट लिस्ट हो गयी थी. पर फाइनल तक नहीं पहुँच पायी थी. तब मुझे लगा कि मुझे इस क्षेत्र में ट्राय करना है, क्योंकि इन्जिनीरिंग में मेरा मन बिलकुल नहीं लग रहा था. मैं मुंबई आ गयी और ऑडिशन देना शुरू किया. 3 महीने के अंदर मुझे धारावाहिक ‘संतान’ मिल गया था. ये मेरा पहला ब्रेक था.


सवाल-आउटसाइडर होने की वजह से आपका संघर्ष क्या अधिक रहा?

ये सही है कि स्टार किड्स को एक अच्छा लांच मिल जाता है, इसमें से जो प्रतिभावान होते है, वह आगे निकलते है. हमें पहला अवसर मिलने के लिए ही बहुत संघर्ष करना पड़ता है, जो उन्हें नहीं करना पड़ता. शुरू में जब मैं आई थी, तो मेरा कोई जुड़ाव इंडस्ट्री से नहीं था, लेकिन जो भी लोग मिले, अच्छे ही मिले. पहले के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा इस तरह से संघर्ष एक अच्छे काम मिलने का हमेशा चलता ही रहता है.

सवाल-पहली बार जब परिवार से अभिनय की बात कही तो उनका रिएक्शन कैसा था?

वे बहुत शोक्ड थे, क्योंकि परिवार वालों को शुरू में पता भी नहीं था. मैंने जब उनसे कहा कि आप टीवी पर मुझे देखिये तो भी उनका कुछ अच्छा रिएक्शन नहीं था, लेकिन जब सब आसपास के लोग मेरे काम की तारीफ करने लगे तो धीरे-धीरे उन्होंने मेरे काम को स्वीकार किया.

सवाल-बंगलुरु से मुंबई पढाई छोड़कर कैसे आना हुआ?

उस समय मेरा सिलेक्शन बालाजी में नहीं हुआ था, लेकिन शार्ट लिस्ट होने पर मुझमें एक कॉन्फिडेंस आ गया था. फिर मेरी एक दोस्त ने मुझे ट्राय करने की सलाह दी. बंगलुरु में भी मैंने कई विज्ञापनों में काम किया. पोर्टफोलियो बनवाई और मुंबई आ गयी. मुंबई आने के 3 महीने के अंदर ही संतान धारावाहिक मिल गया था. 

सवाल-आप अपने पति अतुल कुमार से कैसे मिली?

मैं इन्जीनियरिंग की पढाई के दौरान उनसे मिली थी, वे मेरे अच्छे दोस्त है. तभी से हम एक दूसरे को जानते थे और बाद में शादी की. 

सवाल-किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

मेरे हिसाब से अभी तक मैं वैसी शो नहीं कर पायी हूं, लेकिन शो ‘संस्कार’ ने मेरी जिंदगी काफी हद तक बदली है. लोगो ने उस शो की किरदार भूमि के रूप में मुझे जाना और पहचाना. 

सवाल-फिल्मों में आने की इच्छा रखती है?

फिल्मों में अगर मौका मिलेगा तो अवश्य करुँगी. आजकल टीवी, वेब और फिल्म में कोई अंतर रह नहीं गया है. ट्राय करुँगी.

सवाल-अभिनय के अलावा क्या करने की इच्छा रखती है?

अभी तो एक्टिंग को लेकर खुश हूं आगे अगर मौका मिला तो प्रोडक्शन के बारें में सोच सकती हूं. खाली समय में पेंटिंग करती हूं. अभी घर पर रहकर मैंने कई पेंटिंग्स घर को सजाने और लोगों को गिफ्ट करने के लिए बनाये है. इसके अलावा किताबे पढ़ाना, फिल्में देखना, एक्टिंग की ऑनलाइन प्रैक्टिस करती रहती हूं. 

सवाल-इंटिमेट सीन्स के लिए आप कितनी सहज है?

वेब सीरीज में तो इंटिमेट सिंस होते ही है. उसके लिए मैं एक लिमिट तक रेडी हूं. कुछ भी नहीं कर सकती. जिस कहानी की मांग सेक्सुअलिटी नहीं, उसका हिस्सा है, उसके लिए मैं तैयार हूं.

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सवाल-सफल वैवाहिक जीवन का राज क्या मानती है?

प्यार हो या शादी दोनों में आपस में बात करने की जरुरत होती है. मैं वही करती हूं. मन की बात पति से अवश्य शेयर करती हूं. 

सवाल-आप फूडी है?

मैं बहुत फूडी हूं. अभी घर पर रहकर मैंने केक, कूकीज, बिरयानी आदि बहुत सारी चीजे बनायी है. 

सवाल-कोई सामाजिक काम जिसे आप करना चाहे?

मैं ओल्ड होम को बुजुर्गों के लिए अच्छा बनाने के लिए और ओर्फनेज होम के लिए कुछ अवश्य करना चाहती हूं. 

सवाल-आजकल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को लेकर कुछ न कुछ बातें चल रही है, इसका प्रभाव कितना इंडस्ट्री पर पड़ रहा है?

सोशल मीडिया की वजह से आजकल अनापशनाप मेसेजेस चलते रहते है, जिसे बिना जांच किये लोग फॉरवर्ड करते रहते है. बिना सच जाने कभी किसी को दोषी बनाना ठीक नहीं. दूसरों के बारें में सोचे बिना अपने काम पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

अभी कोरोना संक्रमण के समय स्वस्थ रहिये. इसके लिए मास्क पहनिए और जरुरत के बिना बाहर मत घूमिये. 

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कामवालियों के नखरे और उससे बचने के उपाय

हमारे देश के महानगर हों या नगर, अधिकांश स्त्री को घर में काम करने वाली बाइयों से वास्ता पड़ता ही है. ज्यादातर स्त्रियां औफिस, बिजनैस, किसी कला या फिर पारिवारिक व्यस्तताओं में इतनी डूबी होती हैं कि उन के पास रोजमर्रा की घरेलू साफसफाई करने के लिए न तो ऊर्जा बचती है, न ही समय. ऐसे में घर के कामों में मदद के लिए कामवाली बाइयां उपयुक्त हैं. मगर ये बाइयां अपनी मालकिनों को परेशान करने की कला में भी कम निपुण नहीं होतीं.

यहां हम कामवालियों के नएपुराने फरमानों और उन के नखरों से उत्पन्न होने वाली दैनिक जीवन की परेशानियों की बात कर रहे हैं, जिन्हें झेलने के लिए घर की महिलाएं ही रह जाती हैं. यों कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कामवाली औरतों को संभालना आज एक कठिन मोरचे पर खुद के आत्मसमर्पण करने जैसा है.

नमिता सुबह 5 बजे उठती है. दोनों बच्चों को स्कूल भेजना, पति का औफिस और फिर खुद जौब के लिए निकलना. सुबह 9 बजे तक अफरातफरी के बीच सिंक में रात के बरतनों का ढेर, सफाई के बाट जोहते बासी कपड़े, झाड़ूपोंछा को तरसते फर्श, और तो और, इन सब के बीच एकएक बरतन धो कर नाश्ते के इंतजाम में लगी नमिता को परेशान करती घड़ी की बेरहम रफ्तार और घरवालों की एकएक काम के लिए नमिता के नाम की चीखपुकार. तब भी नमिता को अपना आपा सही रखना है क्योंकि घर में सासससुर हैं जो नमिता के बाहर जाने के बाद बहू द्वारा पकाए गए खाने पर निर्भर रहेंगे.

इस बीच, बाई का आना और उस के कामों की मीनमेख निकालती सास की बाई से खिटपिट हो जाना, बाई का नमिता को काम छोड़ने की धमकी देना आदि नमिता की जिंदगी के रोजमर्रे का कैलेंडर है. कई बार दैनिक जीवन की उलझनों में बाई द्वारा पैदा की गई असुविधाएं इतनी बढ़ जाती हैं कि औरों की तरह नमिता भी अपनी क्षमता से बाहर जा कर भी घरेलू काम स्वयं ही कर लेना पसंद करती है. रोजरोज बाई से किसी न किसी मुद्दे पर बहस कौन करे?

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सच, अगर बाइयों की दी हुई उलझनें कम हो जाएं तो एक महिला की जिंदगी से घर की आधी उलझनें यों ही दूर हो जाएं. क्या ऐसा संभव है? बिलकुल.

यहां कुछ मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर गौर करते हुए कामवाली को संभालने के ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं जिन से इस व्यावसायिक रिश्ते में आत्मीयता की खुशबू छिड़क कर काफी हद तक उलझनों से मुक्ति पाई जा सकेगी.

पहले खुद को समझ लें : 

स्त्रियों के लिए रिश्तों को संभालना बड़ी बात नहीं. शादी के बाद अनुभवहीन अवस्था में जब वह ससुराल आती है तब तो उसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण और गहरे रिश्तों को पूरी ईमानदारी से निभाना होता है जो कई मानों में जटिल और लेनदेन पर आधारित होते हैं.

अपनी कामवाली के साथ भी एक रिश्ता समय के साथ गढ़ा ही जाता है चाहे उसे क्यों न व्यावसायिक रिश्ते का ही नाम दें. अगर थोड़ी समझदारी दिखा लें तो कामवाली बाई को भी सटीक सांचे में आसानी से बिठा सकते हैं, इतनी कूवत तो आप में है ही.

दिल को बोलने दें :

कोई भी रिश्ता चाहे वह जानवर के साथ ही क्यों न हो, जरा सी मानवीयता दिखाना दोनों को करीब ला देता है. घर में काम करने आई दीदी चाहे अनपढ़, गरीब, नासमझ ही हो, पर दुख में सहानुभूति, विपत्ति में साथ पाने की इच्छा हमआप की तरह ही उस के दिल में भी होती है. आप की ओर से उस के प्रति पहल ऐसी हो कि उसे सहज ही विश्वास रहे कि जरूरत के वक्त आप उस के दुखदर्द को समझेंगी.

समझा दें कि समझ रही हैं : 

जब शादी के बाद नई बहू घर में आती है तो जिस घर में वहां के बड़े आगे बढ़ कर बहू को अपनाते हैं, उसे सहारा देते हैं, उस घर में नई बहू अपनेआप ही ससुराल वालों का खयाल रखने लगती है. यही बात आप की नई आगंतुक कामवाली के साथ भी लागू होती है. यह सामान्य मानवीय मनोविज्ञान है.

बाई के काम पर लगते ही बात कुछ यों न करें, ‘‘हमारे घर में ऐसे ही काम करना पड़ेगा, हमें यही समय जमता है, हमें ये पसंद नहीं और बातबात पर पैसे और छुट्टी नहीं मांगना आदि. ऐसे फरमानों से स्वाभाविक है कि उस के मन में आप के घर में काम करने को ले कर असुरक्षा की भावना पैदा होगी. बहुत जरूरत हो तो भले ही वह काम पर लग जाए लेकिन आप के प्रति उस का नजरिया नकारात्मक ही रहेगा. आप पहले उस के मन की बात जान लें, फिर यों कहें- हमें यह समय सही रहता है. इस वक्त आओगी तो तुम्हें यह सुविधा होगी और मुझे यह. तब तक आप उस की सुविधाअसुविधा पहले जान चुकी होंगी तो आप को बीच का रास्ता निकालने में आसानी होगी.

रूखे अंदाज को मोड़ लें नरमी में: 

बाइयों की गोष्ठी में अकसर यह तय रहता है कि वे काम करने जाएं तो व्यावसायिकता से पेश आएं और मालकिनों को ज्यादा छूट न दें. इस से दूसरी बाइयों को परेशानी हो सकती है. अगर इन्हें अपने सांचे में ढालना है तो हमें इन से नरमी से पेश आना होगा. मान लें, आप की नई बाई काम शुरू करने से पहले आप से इस तरह की बातों से शुरुआत करती है-मैं फलांफलां काम नहीं करती, मुझे येये सुविधाएं चाहिए, फलाना मिसेज के यहां येये सुविधाएं दी जाती हैं, बोलने की जरूरत नहीं पड़ती. आप को उस की इन बातों से चिढ़ होनी लाजिमी है. मगर आप चिढ़ें न, समझ लें यह उस के साथ आप का व्यावसायिक रिश्ता है. वह काम तो करना चाहती है लेकिन अपने अधिकारों को ले कर सतर्क है. आप का सामान्य सा नरम आश्वासन उसे सुरक्षित भावना से भर देगा और वह निश्ंिचत हो कर आप के घर में काम करेगी. उस से इन शब्दों में कहें कि तुम्हें खुद ही समझ आ जाएगा कि मेरे पास काम करने में तुम्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी.

बाई का बारबार पैसे मांगना :

आप ने काम से पहले रकम और लेनदेन की बात तय कर ली. मगर कई ऐसी भी बाइयां होती हैं जो आप की उदारता व कोमलता के फायदे उठाने की कोशिश में रहती हैं. उन से निबटना उलझनभरा काम है. बातबात पर बाई को काम से निकालना उचित नहीं, क्योंकि हर बाई में कोई न कोई ऐब आप को मिल ही जाएगा. तो क्यों न हम खुद ही सुधरें, मसलन उस के अनचाहे पैसे मांगते वक्त आप उसे कोई और्डर मत सुनाइए. उस की मानसिकता को सहते हुए और अपने अनुशासन को उसे हजम कराते हुए आगे बढि़ए. उसे इस तरह मना न करें-तुम्हें तो बस बहाने चाहिए पैसे मांगने के. एक तो नागा, ऊपर से आएदिन पैसे मांगना. निसंदेह जानिए आप के ये बोल उस के अहं को ललकार देंगे और बदले में आप को हो सकता है उस से काम छोड़ने की धमकी ही मिले. उसे यों समझाएं कि बात उसे चुभे बिना ही वह आप की बातों से सहमत हो जाए. यह ऐसे संभव है, कहें-पैसों की जरूरत तो हमेशा ही रहती है, लेकिन बारबार मांगने से हमारा भी बजट गड़बड़ हो जाता है. हम तुम्हें न दे पाएं तो हमें भी बुरा लगता है. जब बहुत दिक्कतहो, तभी बताना.

ऐसी बातों से उस की आप के साथ समझ विकसित होगी, और वह भी आप की असुविधाओं को स्वीकार करना सीखेगी. हां, ध्यान रखें आप की खुशी और त्योहार में उसे अवश्य ही खास गिफ्ट दें, पैसे दें, उस के या उस के घरवालों की बीमारी के इलाज में जितना संभव हो, मदद की भावना रखें, इस तरह उस का पैसे मांगना खुदबखुद ही कम हो जाएगा.

घर में जब कोई सामान न मिले:

अकसर ऐसा होता है कि घर में सामानों को रख हम भूल जाते हैं, या उन्हें हम कहीं छोड़ आते हैं और हमें याद नहीं रहता. सामान ढूंढ़ने के क्रम में हमारा सौ प्रतिशत शक, बल्कि पूरा यकीन ही बाई के सामान पर हाथ साफ करने को ले कर होता है. महिलाएं घुमाफिरा कर बाई से इस चोरी के बारे में पूछती हैं. वे अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को सामान के गुम हो जाने की बात को सुना कर अनजाने व्यक्ति को कोसती रहती हैं, जैसे जिस ने लिया होगा उसे कभी चैन नहीं पड़ेगा, मुझे सब पता है कौन ले सकता है.

एक तो बिना किसी के दोषी साबित हुए उस के सम्मान के साथ खिलवाड़ अनैतिक भी है और कानूनीतौर पर जुर्माने के काबिल भी. दूसरे, बाई को इतना भी मूर्ख न समझें कि आप के कहे का मतलब वह नहीं समझ रही होगी. ऐसे में अगर वह आप को बिना बताए काम छोड़ दे तो आप का शक यकीन में बदल जाना सही नहीं है कि हो न हो, सामान उसी ने चुराए होंगे. आत्मसम्मान बोध गरीबी में नष्ट नहीं होता और समृद्धि में नहीं पनपता. यह तो जन्मजात है.

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फिर भी कहीं ऐसा हुआ हो कि सामान या पैसे उसी ने लिए हों तो भी अपनी सभ्यता न छोड़ें. एक सभ्य इंसान ही दूसरे असभ्य को सभ्य बना सकता है. आप को कौशलपूर्ण बातचीत अपनानी होगी. उसे संबोधित कर यों कहें-तुम ने मेरा यह सामान देखा है? यह पिता या पति या बेटी (किसी का भी नाम ले कर कहें) का दिया तोहफा था. याद जुड़ी है, देखा होगा तो दे देना या ढूंढ़ देना. पैसे का शक हो तो कहें-कहीं पैसे जमा करवाने थे, बहुत दिक्कत आ जाएगी, पैसे जरा ढूंढ़ देना. इस तरह उस में कुछ अच्छी बातें जगा कर आप सामान पा सकती हैं. हां, अगर आप को ऐसी बाई से छुटकारा चाहिए तो कुछ बहाने बना कर उसे काम से हटा दीजिए. उस पर चोरी का इलजाम लगा कर मत निकालिए. इस से बाहर जा कर बदले की भावना से वह आप को बदनाम कर सकती है और आप को दूसरी बाई ढूंढ़ने में मुश्किलें हो सकती हैं.

सर्वोपरि है आप का नजरिया, आप अपनी कीमती चीजों से लगाव जरूर रखिए मगर दांत से दबा कर नहीं. इंसानियत को ज्यादा महत्त्व दें, आप की सोहबत का असर आप की बाई पर भी होगा, निसंदेह.

महत्त्वपूर्ण यह भी है कि घर में काम करने वाली बाई जरूरतों के महासागर में जीती हैं. उन के सामने सामानों और पैसों की नुमाइश से बचें. जितना हो सके, उसे सामान कपड़े, खानेपीने की अच्छी चीजें देती रहें. इस से उस में कृतज्ञता बनी रहेगी.

जल्दीबाजी में काम निबटाने वाली:

कुछ बाइयों को साफसफाई में आलस रहता है और किसी तरह काम निबटा कर निकल जाने की जल्दी रहती है. इन के कामों की शिकायतें आप को कोई फल नहीं देगा. उलटे, बाई आप पर खीझ जरूर जाएगी. तो क्या करें?

एक आसान उपाय यह हो सकता है कि उस के साथ काम में आप भी कभीकभी हाथ बंटाएं और अपनी मनचाही जगहों की सफाई करवा लीजिए. अगर आप उस के काम के वक्त फ्री नहीं हैं तो आप छुट्टी के दिन बाई के साथ मिल कर साफसफाई कर लें. और हां, आलसी बाई को पहले दिन से काम के बारे में बता कर न रखें, वह निश्चित गायब रहेगी. जिस दिन आप अपनी बाई से अतिरिक्त काम करवाने वाली हैं उस दिन रोज के काम थोड़े कम रखिए और यथासंभव दैनिक काम पहले से इस तरह समेट लीजिए कि आप के घर का अतिरिक्त काम भी उस का अतिरिक्त समय खपाए बिना ही हो जाए. साथ ही, ईनाम के तौर पर उस दिन छोटामोटा ही सही, कुछ न कुछ तोहफे में उसे जरूर दें. प्रोत्साहन से अगली बार आप को सुविधा होगी.

अधिक छुट्टी करने वाली: 

यह आम परेशानी, खास बन जाती है, इसलिए काम पर रखने से पहले छुट्टी की बात अवश्य कर लें. महीने में अधिकतम छुट्टी की सीमा तय करने के बाद बिन बताए उस के छुट्टी पर पैसे काटने का जिक्र जरूर करें. हां, उस के और उस के घर वालों की बीमारी व जरूरतों को आप को समझना भी होगा, तभी आप के साथ वह भी ईमानदार रह पाएगी.

इधरउधर की बातें करने वाली: 

एक सभ्य स्त्री होने के नाते आप को बाई की इधरउधर बातें फैलाने की आदत निश्चित ही बुरी लगेगी. आप चिढ़ कर उसे धमकाती हैं, वह आप की बातें नमकमिर्च लगा कर बाहर कहती है. आखिकार, आप उसे काम से निकाल देती हैं. यह एक भंवर जैसा हो जाता है आप के लिए.

आप यह करें-

उस से उम्मीद न करें कि उसे सभ्य नागरिक होने के तरीके पता होंगे. इतनी समझ की आशा उचित नहीं. और जब आप किसी से उम्मीद ही नहीं करतीं तो गुस्सा भी कम आता है. अब आप जब स्वयं उस की समझ की सीमा को स्वीकार कर चुकीं तो उसे इस तरह समझा सकती हैं-हमारी एक पहचान की बाई थी. उस की बुरी आदत थी. एक घर की बात दूसरे घर में कहने की. बाद में जब दोनों घर वालों में लड़ाई हो गई तो बेकार में वह बाई भी घसीटी गई और आखिर दोनों घरों से वह काम से हाथ धो बैठी. बदनामी हुई, सो अलग. क्या जरूरत है इस तरह की बातें फैलाने की- है कि नहीं? हमारे घर की बात कोई बाहर करे तो हम तो नहीं सहेंगे. इतना काफी होगा उस के समझने के लिए कि आप उसे ऐसा न करने की चेतावनी दे रही हैं.

साथ ही, आप भी उस के सामने फोन आदि पर किसी की शिकायतों का पिटारा खोल कर न बैठें. आप का अनुशासित रहना, उस का आप के सामने या आप के बारे में फूहड़ बनने से रोकेगा.

तो, व्यावहारिक रिश्ते में भर लें यों आत्मीयता की गरमाहट और बाइयों के नखरे को संभालने में आप हो जाएं पारंगत.

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कामवाली के साथ रिश्ता :

अजीब लग सकता है पर यह आप के रोजमर्रा के सुकूनभरे कामों के लिए जरूरी है कि आप खुद के साथ अपनी बाई की उम्र के हिसाब से अपना एक रिश्ता जोड़ लें. घर के बच्चों को भी इन्हें किसी संबोधन के लिए अवश्य प्रेरित करें. इस से बच्चे तो मानवीय व्यवहार सीखेंगे ही, आप की बाई भी आप के घर में सम्मानित और अपनापन महसूस करेगी. निसंदेह इस वजह से वह आसानी से आप की बातों को महत्त्व देगी और उन के अनुसार चलेगी भी.

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