लेखक के दिमाग को पढ़ने के लिए एक अच्छा निर्देशक जरुरी – जूही चतुर्वेदी

फिल्म विकी डोनर से सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली लेखिका जूही चतुर्वेदी से आज कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनायी है. उन्होंने हमेशा कोशिश की है कि कहानी आम लोगों से जुड़कर कही जाय, जिससे लोग अपने आपको उससे जोड़ सकें और वे इसमें कामयाब भी रही. उनके हिसाब से कहानी को सही तरीके से पर्दे पर लाना भी बहुत मुश्किल होता है, पर निर्देशक सुजीत सरकार बड़ी सफलता पूर्वक इसे अंजाम देते है. उनकी इस सफलता में उनके माता पिता और परिवार का भी काफी सहयोग रहा.  गृहशोभा जूही की मां हमेशा लखनऊ में पढ़ती है. जूही की कई यादें इस पत्रिका से जुड़ी है. जूही ने फिल्म गुलाबो सिताबो’ लिखी है, जो मजेदार फिल्म है. आइये जानते है क्या कहती है, जूही अपनी जर्नी के बारें में,

सवाल-‘गुलाबो सिताबो’ की कहानी का कांसेप्ट आपने कैसे सोचा?

जिंदगी हमें बहुत सारी किस्से कहानियां और लोगों से मिलवाती है, ऐसे में कुछ लोग आपकी जिंदगी में एक छाप छोड़ जाते है, जिसे आप भुला नहीं सकते. कोई अकेला व्यक्ति कोई कहानी नहीं कह सकता. ये समाज के मिले जुले लोगों के साथ ही निकलता है, जिसकी परछाई हमें मिलती है और उसे लेखक, लेखनी के द्वारा एक आकार देता है, जिसे निर्देशक दर्शकों तक पहुंचाता है. असल में ऐसे लोग जब आपके आसपास होते है तो कहानी अनायास ही जन्म ले लेती है.अपने अनुभव के साथ, खुद की कल्पना को जोड़कर कहानी लिखती हूं. गुलाबो सिताबो भी ऐसी ही कहानी है.

सवाल-ये फिल्म बड़े पर्दे पर आने वाली थी, पर अब डिजिटल पर आ रही है, इसका मलाल है क्या?

बड़े पर्दे पर रिलीज होती तो अच्छा होता, जिसमें आप पॉपकॉर्न के साथ किसी अंजान व्यक्ति के साथ बैठकर ठहाके लगाकर हँसते हुए फिल्म देख पाते, लेकिन घर पर बैठकर देखने में भी कोई समस्या नहीं. निर्माता, निर्देशक ने फिल्म को दर्शकों के लिए बनायीं और जब ये पूरी हो चुकी है तो दिखाने में कोई हर्ज़ नहीं. कैसे भी ये दर्शकों तक पहुँच जाए बस वही अच्छी बात है.

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सवाल-लेखन की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

बचपन में मेरे घर का माहौल ही ऐसा था, जहाँ घर में बुजुर्गों की बातचीत, बहस आदि को मैंने देखा है. मेरे घर में ऐसे किस्से, कहानियां, टिका टिप्पणी चलती रहती थी. बड़े-बड़े लेखकों की लिखाई पर आलोचनाएं चलती रहती थी. कहानियों को सोते-जागते सुनना, वैसी बातचीत करना, आदि सबकुछ ने मेरे अंदर एक प्रेरणा को जन्म दिया. इसके अलावा बड़े बुजुर्गों ने अच्छा लेखक बनने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन लखनऊ रहते-रहते ये काम नहीं हो पाया, क्योंकि मौका नहीं मिला. मुझे उस समय ड्राइंग का बहुत शौक था. उसमे सारी कलाकारी और भाव को निकाला करती थी. इसके बाद आर्ट कॉलेज गयी, वहां भी पेंटिंग की. तब तक ये समझ में आ गया था कि क्रिएटिविटी ही मेरी दुनिया है. इसे मैं लिखकर या पेंटिंग कर किसी भी रूप में कर सकती हूं. इसके बाद दिल्ली गयी पर वहां अधिक मौका नहीं मिला. जब मैं मुंबई आई और एडवरटाइजिंग कंपनी में काम करने लगी तो वहां लिखने का मौका मिला. बाँध खुलने के बाद ही पानी की गहराई का पता लगता है, वैसा मेरे साथ भी हुआ है. इससे पहले मुझे भी पता नहीं था कि मैं लिख सकती हूं. लिखने के बाद अब लगता है कि यही मेरी मंजिल है और रुकना आसान नहीं.

सवाल-परिवार का सहयोग कितना रहा?

ये सही है कि लेखक की भावनाओं को लोग कम समझ पाते है, लेकिन अब मेरे परिवार वालों ने समझ लिया है कि मैं कुछ अच्छा सोच सकती हूं, क्योंकि उन्हें मेरी इस कला को देख लिया है. इसमें कई बार नोंक-झोंक भी हो जाती है. लेखक आप बाहर के लिए है. घरवालों के लिए नहीं. जिम्मेदारियां वैसी ही चलती रहती है. उनकी उम्मीद मुझसे उतनी ही रहती है. वही दुनिया है. लिखना और पढना अलग है, जो मैं करती हूं. मैं घर या बाहर कही भी राइटर बनकर नहीं घूमती. मैं दो साल में एक फिल्म लिखती हूं.

सवाल-आपकी जोड़ी निर्देशक सुजीत सरकार के साथ अच्छी रही, क्या लेखक के दिमाग को पढने के लिए एक अच्छे निर्देशक का होना जरुरी है?

ये बिल्कुल सही बात है. कुछ भी लिखने के लिए एक अच्छे मार्ग दर्शक की जरुरत होती है. लेखक जब कुछ भी अपने भावनाओं के ताने-बाने से लिखता है और पब्लिशर के पास जाता है, तो वहां भी एक अच्छे पब्लिशर की जरुरत होती है जो आप पर और आपके लेखन पर विश्वास रखे. उसको उसी तरह से पब्लिश करवाकर उस लेखक को सपोर्ट करें. इसमें सिनेमा तो एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है, जहाँ केवल लेखन ही नहीं, उसे पर्दे पर कैसे ढालना है, उसकी परख होने की भी जरुरत होती है, क्योंकि इसमें एक बड़ा फाइनेंस जुड़ा होता है. निर्देशक कि सोच का लेखक के लेखन के साथ सही तालमेल का होना बहुत जरुरी है. उसका परिणाम पर्दे पर दिखता है. कहानी के उद्देश्य तक पहुँचने के लिए केवल निर्देशक ही नहीं एक्टर, कैमरामैन, म्यूजिशियन, कॉस्टयूम डिज़ाइनर आदि सभी का एक दूसरे से तालमेल होना जरुरी है. इसके लिए एक गहरा रिश्ता कहानी से सबको बनाने की जरुरत पड़ती है. नहीं तो कहानी कुछ है और आप कह कुछ और रहे है. फिल्म सफल नहीं हो पाती.

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सवाल-फिल्म की कहानी में लेखक को महत्व दिया जाना कितना अवशयक है, जो अधिकतर नहीं दिया जाता

किसी भी सोच को एक लेखक ही जन्म देता है. फिर चाहे वह उपन्यास हो या छोटी कहानी. उसे बहुत गहराई में जाकर उस बारें में सोचना पड़ता है, जो आसान नहीं होता. इसमें सोचना ये भी पड़ता है कि लेखक की इच्छा क्या है? क्या वह अपने आप को पाठक के सामने लाना चाहता है या अपनी बात या सोच को उनतक पहुँचाना चाहता है. अगर आपके अंदर एक आवाज है, जिसे आप निकलने के लिए आतुर है तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता. वह कैसे भी निकलकर पहुँच ही जाएगी.

सवाल-लॉक डाउन में आप क्या कर रही है?

लॉक डाउन में मैं आम घरेलू महिला की तरह घर की पूरी देखभाल कर रही हूं. मेरे पिता और मेरी बेटी मेरे साथ रहते है. घर की सारी जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही है. हर दिन क्या खाना बनेगा, इस पर विचार करती रहती हूं. समय मिलता है तो कुछ लिखने की कोशिश करती हूं.

सवाल-लॉक डाउन के बाद फिल्मों की कहानियों में किस तरह के बदलाव की उम्मीद कर रही है?

ये पेंड़ेमिक का समय भी गुजर जायेगा. इसका असर सबके अंदर गहरा हुआ होगा. हर परिवार और सदस्य में डर आया है. समझ लोगों में आई है. अभी लेखक को उसी समझ और सेंसेटिवनेस के साथ कहानियां लिखने की जरुरत है, इसमें जो दिशा निर्देश फिल्मों की शूटिंग के लिए है, उसे पालन सबको करने की जरुरत है. इस समय को जाया न करते हुए, आतंरिक सोच को निखार कर कर आगे लाने की जरुरत है.

सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहती है?

गृहशोभा के साथ मेरी बहुत पुरानी यादें है. महिलाये घर में हो या बाहर, समाज का अहम् हिस्सा है. कभी भी अपने आप को खुद की नज़रों में कम न समझे. अच्छाइयों को देखिये और जो कमियां है ,उन्हें पूरा कर लीजिये.

मेरे पति खाने-पीने के साथ शराब के शौकीन हो गए हैं?

सवाल-

मेरे पति हाल ही में अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. मेरे 2 बच्चे हैं जो शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं और दूसरे शहर में रहते हैं. पति नौकरी से रिटायर्ड हुए तो सोचा अब बाकी की जिंदगी चैन से बिताएंगे. मगर पति के बदले व्यवहार से हैरान हूं.

दरअसल, पति महीने में 2-4 दिन दूसरे शहर जाते हैं और वहां कौलगर्ल्स के साथ समय बिताते हैं. ये सब मुझे उन के मोबाइल से पता चला है. दूसरी बड़ी परेशानी घर पर आएदिन होने वाली पार्टियां हैं, जिन में खानेपीने के साथ शराब का दौर भी खूब चलता है और पार्टी में साथ देने ननदें भी आ जाती हैं, जो आसपास ही रहती हैं. कभीकभी लगता है कि ये सारी जानकारी अपने बच्चों को दे दूं, पर फिर यह सोच कर नहीं देती कि अपने पिता के इस घिनौने चेहरे को देखने के बाद पिता और बच्चों के आपसी रिश्ते खराब हो जाएंगे. मैं ने पति को कई बार समझाने की कोशिश की पर जवाब यही मिलता है कि सारी उम्र तुम सभी के लिए बिता दी अब बस अपने लिए जीऊंगा. मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा है कि किस तरह पति को सही रास्ते पर लाऊं. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

बढ़ती उम्र के साथ न तो चाहतें कम होती हैं और न ही शारीरिक जरूरतें. यह अच्छा है कि आप के बच्चे अपने पैरों पर खड़े हैं और अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं. तब तो आप के पास भी समय होगा कि आप भी खुल कर पुरानी यादों को ताजा करें और पति के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं. बेहतर होगा कि आप भी खुद को बुजुर्ग न समझ कर जमाने के साथ चलिए. सजिएसंवरिए, पति के साथ फिल्म देखने, मौल घूमने, शौपिंग आदि करने से आप को भी पति का सामीप्य पसंद आने लगेगा. पति में थोड़ा परिवर्तन आए तो उन्हें प्यार से समझाबुझा सकती हैं. आप अपनी ननदों से भी कह सकती हैं कि उन का घर पर तभी स्वागत किया जाएगा जब शराब आदि बुरी चीजों से वे दूर रहें. बेहतर होगा कि आप भी उन की पार्टी में शामिल रहें, मगर इस शर्त पर कि वहां शराब का दौर नहीं चलेगा. इस सब के बावजूद पति और ननदें सही रास्ते पर आती न दिखें तो आप सख्ती से पेश आ सकती हैं. बात बिगड़ती दिखे तो बच्चों से सारी बात शेयर कर सकती हैं. वैसे, इस उम्र में विवाहित पुरुष अथवा स्त्री दोनों को ही एकदूसरे की जरूरत अधिक होती है, क्योंकि यह उम्र आने तक बच्चे भी सैटल हो कर अपनेअपने परिवार व कैरियर बनाने में व्यस्त हो जाते हैं. पति के साथ अधिक से अधिक रहेंगी तो उन्हें भी आप का साथ भाएगा और संभव है कि वे सही रास्ते पर आ जाएं.

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 बच्चों में क्यों बढ़ रहा चिड़चिड़ापन

पेरैंटिंग को ले कर पहले ही मातापिता काफी परेशान रहते थे और अब तो कोरोना के डर से बच्चे और पेरैंट्स चाहें तो सही फायदा उठा सकते हैं और यह जानने की कोशिश कर सकते हैं कि बच्चा आखिर सोचता क्या है या फिर उस के व्यवहार में आने वाले बदलावों का कारण क्या है. कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि आजकल के बच्चों में गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है.

बच्चों के साथ कुछ तो गलत है. कहीं न कहीं बच्चों के जीवन में कुछ बहुत जरूरी चीजें मिसिंग हैं और उन में सब से महत्त्वपूर्ण है घर वालों से घटता जुड़ाव और सोशल मीडिया से बढ़ता लगाव.

पहले जब संयुक्त परिवार हुआ करते थे तो लोग मन लगाने, जानकारी पाने और प्यार जताने के लिए किसी गैजेट पर निर्भर नहीं रहते थे. आमनेसामने बातें होती थीं. तरहतरह के रिश्ते होते थे और उन में प्यार छलकता था. मगर आज अकेले कमरे में मोबाइल या लैपटौप ले कर बैठा बच्चा लौटलौट कर मोबाइल में हर घंटे यह देखता रहता है कि क्या किसी ने उस के पोस्ट्स लाइक किए? उस की तसवीरों को सराहा? उसे याद किया?

आज बच्चों को अपना अलग कमरा मिलता है जहां वे अपनी मरजी से बिना किसी दखल जीना चाहते हैं. वे मन में उठ रहे सवालों या भावों को पेरैंट्स के बजाय दोस्तों या सोशल मीडिया से शेयर करते हैं.

यदि पेरैंट्स इस बात की चिंता करते हैं कि बच्चे मोबाइल या लैपटौप का ओवरयूज तो नहीं कर रहे तो वे उन से नाराज हो जाते हैं.

केवल अकेलापन या सोशल मीडिया का दखल ही बच्चों की पेरैंट्स से नाराजगी या दूरी की वजह नहीं. ऐसे बहुत से कारण हैं जिन की वजह से ऐसा हो रहा है:

लाइफस्टाइल: फैशन, लाइफस्टाइल, कैरियर, ऐजुकेशन सभी क्षेत्रों में आज के युवाओं की रफ्तार बहुत तेज है. सच यह भी है कि उन्हें इस रफ्तार पर नियंत्रण रखना नहीं आता. सड़कों पर युवाओं की फर्राटा भरती बाइकें और हादसों की भयावह तसवीरें यही सच बयां करती हैं. ‘करना है तो बस करना है, भले ही कोई भी कीमत चुकानी पड़े’ की तर्ज पर जिंदगी जीने वाले युवाओं में विचारों के झंझावात इतने तेज होते हैं कि वे कभी किसी एक चीज पर फोकस नहीं कर पाते. उन के अंदर एक संघर्ष चल रहा होता है, दूसरों से आगे निकलने की होड़ रहती है. ऐसे में पेरैंट्स का किसी बात के लिए मना करना या समझाना उन्हें रास नहीं आता. पेरैंट्स की बातें उन्हें उपदेश लगती हैं.

1. उम्मीदों का बोझ:

अकसर मातापिता अपने सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डाल देते हैं. वे जिंदगी में खुद जो बनना चाहते थे न बन पाने पर अपने बच्चों को वह बनाने का प्रयास करने लगते हैं, जबकि हर इंसान की अपनी क्षमता और रुचि होती है. ऐसे में जब पेरैंट्स बच्चों पर किसी खास पढ़ाई या कैरियर के लिए दबाव डालते हैं तो बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं. वे भावनात्मक और मानसिक रूप से टूट जाते हैं और यही बिखराव उन्हें भ्रमित कर देता है. पेरैंट्स यह नहीं समझते कि उन के बच्चे की क्षमता कितनी है. यदि बच्चे में गायक बनने की क्षमता और इच्छा है तो वे उसे डाक्टर बनाने की कोशिश करते हैं. बच्चों को पेरैंट्स का यह रवैया बिलकुल नहीं भाता और फिर वे उन से कटने लगते हैं.

2. वक्त की कमी:

आजकल ज्यादातर घरों में मांबाप दोनों कामकाजी होते हैं. बच्चे भी 1 या 2 से ज्यादा नहीं होते. पूरा दिन अकेला बच्चा लैपटौप के सहारे गुजारता है. ऐसे में उस की ख्वाहिश होती है कि उस के पेरैंट्स उस के साथ समय बिताएं. मगर पेरैंट्स के पास उस के लिए समय नहीं होता.

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3. दोस्तों का साथ:

इस अवस्था में बच्चे सब से ज्यादा अपने दोस्तों के क्लोज होते हैं. उन के फैसले भी अपने दोस्तों से प्रभावित रहते हैं. दोस्तों के साथ ही उन का सब से ज्यादा समय बीतता है, उन से ही सारे सीक्रैट्स शेयर होते हैं और भावनात्मक जुड़ाव भी उन्हीं से रहता है. ऐसे में यदि पेरैंट्स अपने बच्चों को दोस्तों से दूरी बढ़ाने को कहते हैं तो बच्चे इस बात पर पेरैंट्स से नाराज रहते हैं. पेरैंट्स कितना भी रोकें वे दोस्तों का साथ नहीं छोड़ते उलटा पेरैंट्स का साथ छोड़ने को तैयार रहते हैं.

4. गर्ल/बौयफ्रैंड का मामला:

इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण चरम पर होता है. वैसे भी आजकल के किशोर और युवा बच्चों के लिए गर्ल या बौयफ्रैंड का होना स्टेटस इशू बन चुका है. जाहिर है कि युवा बच्चे अपने रिश्तों के प्रति काफी संजीदा होते हैं और जब मातापिता उन्हें अपनी गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड से मिलने या बात करने से रोकते हैं तो उस वक्त उन्हें पेरैंट्स दुश्मन नजर आने लगते हैं.

5. दिल टूटने पर पेरैंट्स का रवैया:

इस उम्र में दिल भी अकसर टूटते हैं और उस दौरान वे मानसिक रूप से काफी परेशान रहते हैं. ऐसे में पेरैंट्स की टोकाटाकी उन्हें बिलकुल सहन नहीं होती और वे डिप्रैशन में चले जाते हैं. पेरैंट्स से नाराज रहने लगते हैं. उधर पेरैंट्स को लगता है कि जब वे उन के भले के लिए कह रहे हैं तो बच्चे ऐसा क्यों कर रहे हैं? इस तरह पेरैंट्स और बच्चों के बीच दूरी बढ़ती जाती है.

6. थ्रिल:

युवा बच्चे जीवन में थ्रिल तलाशते हैं. दोस्तों का साथ उन्हें ऐसा करने के लिए और ज्यादा उकसाता है. ऐसे बच्चे सब से आगे रहना चाहते हैं. इस वजह से वे अकसर अलकोहल, रैश ड्राइविंग, कानून तोड़ने वाले काम, पेरैंट्स की अवमानना, अच्छे से अच्छे गैजेट्स पाने की कोशिश आदि में लग जाते हैं. युवा मन अपना अलग वजूद तलाश रहा होता है. उसे सब पर अपना कंट्रोल चाहिए होता है, पर पेरैंट्स ऐसा करने नहीं देते. तब युवा बच्चों को पेरैंट्स से ही हजारों शिकायतें रहने लगती हैं.

7. जो करूं मेरी मरजी:

युवाओं में एक बात जो सब से आम देखने में आती है वह है खुद की चलाने की आदत. आज लाइफस्टाइल काफी बदल गया है. जो पेरैंट्स करते हैं वह उन के लिहाज से सही होता है और जो बच्चे करते हैं वह उन की जैनरेशन पर सही बैठता है. ऐसे में दोनों के बीच विरोध स्वाभाविक है.

8. ग्लैमर और फैशन:

मौजूदा दौर में फैशन को ले कर मातापिता और युवाओं में तनाव होता है. वैसे भी पेरैंट्स लड़कियों को फैशन के मामले में छूट देने के पक्ष में नहीं होते. धीरेधीरे उन के बीच संवाद की कमी भी होने लगती है. बच्चों को लगता है कि पेरैंट्स उन्हें पिछले युग में ले जाना चाहते हैं.

9. प्रतियोगिता:

आज के समय में जीवन के हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है. बचपन से बच्चों को प्रतियोगिता की आग में झोंक दिया जाता है. पेरैंट्स द्वारा अपेक्षा की जाती है कि बच्चे हमेशा हर चीज में अव्वल आएं. उन का यही दबाव बच्चों के जीवन की सब से बड़ी ट्रैजिडी बन जाता है.

ऐसे बैठाएं बेहतर तालमेल

अगर आप जान लें कि आप के बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है तो इस स्थिति से निबटना आप के लिए आसान होगा. बच्चे के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए पेरैंट्स को इन बातों का खयाल रखना चाहिए:

1. सिखाएं अच्छी आदतें:

घर में एकदूसरे के साथ कैसे पेश आना है, जिंदगी में किन आदर्शों को अहमियत देनी है, अच्छाई से जुड़ कर कैसे रहना है और बुराई से कैसे दूरी बढ़ानी है जैसी बातों का ज्ञान ही संस्कार हैं. इस की बुनियाद एक परिवार ही रखता है. पेरैंट्स ही बच्चों में इस के बीज बोते हैं.

2. थोड़ी आजादी भी दें:

घर में आजादी का माहौल पैदा करें. बच्चे को जबरदस्ती किसी बात के लिए नहीं मनाया जा सकता. मगर जब आप सहीगलत का भेद समझा कर फैसला उस पर छोड़ देंगे तो वह सही रास्ता ही चुनेगा. उस पर किसी तरह का दबाव डालने से बचें. बच्चा जितना ज्यादा अपनेआप को दबाकुचला महसूस करेगा उस का बरताव उतना ही उग्र होगा.

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3. खुद मिसाल बनें:

बच्चे के लिए खुद मिसाल बनें. बच्चे से आप जो भी कुछ सीखने या न सीखने की उम्मीद करते हैं पहले उसे खुद अपनाएं. ध्यान रखें बच्चे मातापिता के नक्शेकदम पर चलते हैं. आप उन्हें सफलता के लिए मेहनत करते देखना चाहते हैं तो पहले खुद अपने काम के प्रति समर्पित रहें. बच्चों से सचाई की चाह रखते हैं तो कभी खुद झूठ न बोलें.

4. सजा भी दें और इनाम भी:

जहां बच्चों को बुरे कामों के लिए डांटना जरूरी है वहीं वे कुछ अच्छा करते हैं तो उन की तारीफ करना भी न भूलें. आप उन्हें सजा भी दें और इनाम भी. अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चे को निश्चित ही इस का फायदा मिलेगा. वह बुरा करने से घबराएगा और अच्छा कर इनाम पाने को उत्साहित रहेगा. यहां सजा देने का मतलब शारीरिक तकलीफ देना नहीं है, बल्कि यह उसे मिलने वाली छूट में कटौती कर के भी दी जा सकती है जैसे टीवी देखने के समय को घटा या घर के कामों में लगा कर.

5. अनुशासन को ले कर संतुलित नजरिया:

जब आप अनुशासन को ले कर संतुलित नजरिया कायम कर लेते हैं तो आप के बच्चे को पता चल जाता है कि कुछ नियम हैं, जिन का उसे पालन करना है पर जरूरत पड़ने पर कभीकभी इन्हें थोड़ाबहुत बदला भी जा सकता है. इस के विपरीत यदि आप हिटलर की तरह हर समय में उस के ऊपर कठोर अनुशासन की तलवार लटाकाए रहेंगे तो संभव है उस के अंदर विद्रोह की भावना जल उठे.

6. घरेलू कामकाज भी कराएं:

बच्चे में शुरू से ही अपने काम खुद करने की आदत डालें. मसलन, अपना कमरा, बिस्तर, कपड़े आदि सही करने से ले कर दूसरी छोटीमोटी जिम्मेदारियों का भार उस पर डालें. हो सकता है कि इस की शुरुआत करने में मुश्किल हो, मगर समय के साथ आप राहत महसूस करेंगे और बाद में उन्हें जीवन में अव्यवस्थित देख कर गुस्सा करने की संभावना खत्म हो जाएगी.

7. अच्छी संगत:

शुरू से ध्यान रखें और प्रयास करें कि आप के बच्चे की संगत अच्छी हो. अगर आप का बच्चा किसी खास दोस्त के साथ बंद कमरे में घंटों समय गुजारता है तो समझ जाएं कि यह खतरे की घंटी है. इस की अनदेखी न करें. इस बंद दरवाजे के खेल को तुरंत रोकें. इस से पहले कि बच्चा गलत रास्ते पर चल निकले आप थोड़ी सख्ती और दृढ़ता से काम लें.

8. कभी सब के सामने न डांटें:

दूसरों के सामने बच्चे को डांटना उचित नहीं. याद रखें जब आप अकेले में समझाते, वजह बताते हुए बच्चे को किसी काम से रोकेंगे तो इस का असर पौजिटिव होगा. इस के विपरीत सब के सामने डांटफटकार करने से बच्चा जिद्दी और विद्रोही बनने लगता है. किसी भी समस्या से निबटने की सही जगह है आप का घर.

9. उस की पसंद को भी मान दें:

आप का बच्चा जवान हो रहा है और चीजों को पसंद और नापसंद करने का उस का अपना नजरिया है, इस सचाई को समझने का प्रयास करें. अपनी इच्छाओं और पसंद को उस पर थोपने की कोशिश न करें. किसी बात को ले कर बच्चे पर तब तक दबाव न डालें जब तक कि आप के पास इस के लिए कोई वाजिब वजह न हो.

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यह सच है कि किशोर/युवा हो रहे बच्चे मातापिता से अपनी जिंदगी से जुड़ी हर बात साझा करने से बचते हैं. मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप प्रयास ही न करें. प्रयास करने का मतलब यह नहीं कि आप जबरदस्ती करें और उन से हर समय पूछताछ करते रहें. जरूरत है बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने, उन से दोस्ताना रिश्ता बनाने, उन के साथ फिल्म देखना, बाहर खाने के लिए जाना, खुले में उन के साथ कोई मजेदार खेल खेलना वगैरह. इस से बच्चा खुद को आप से कनैक्टेड महसूस करेगा और खुद ही आप से अपनी हर बात शेयर करने लगेगा.

बच्चों के लिए बनाएं क्विक ब्लैक फॉरेस्ट पेस्ट्री

लेखिका- रश्मि देवर्षि

अगर आप अपने बच्चों के लिए घर पर पेस्ट्री बनाना चाहते हैं और ज्यादा समय लगने के कारण घबरा रही हैं तो आज हम आपको क्विक ब्लैक फॉरेस्ट पेस्ट्री की आसान रेसिपी बताएंगे. क्विक ब्लैक फॉरेस्ट पेस्ट्री आपके बच्चों के लिए टेस्टी डिश है, जिसे आप हाइजीन और हेल्थ का ख्याल रखते हुए बना सकती हैं.

हमें चाहिए

ताज़ी ब्राउन ब्रेड के 4 स्लाइस जिसके किनारें कट कर लें

व्हिपड क्रीम 2 कप

कोको पाउडर 3 छोटी चम्मच

चुटकी भर कॉफी

वनीला एसेंस 2 बूंद

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किसी हुई डार्क चॉकलेट 1/4 कप

कोको कोला 1/4 कप

लाल जैली टॉफी 1 सजाने के लिये.

बनाने का तरीका

सबसे पहले बाउल में व्हिपड क्रीम, कोको पाउडर, कॉफी, वनिला एसेंस डाल कर अच्छे से मिला कर आइसिंग तैयार करें. प्लेट में ब्रेड की एक स्लाइस रखकर कोको कोला  की एक-एक चम्मच ब्रेड स्लाइस में फैला दें, तैयार की हुई आइसिंग क्रीम के मिश्रण को ब्रेड पर फैलायें, वापस ब्रेड की स्लाइस रखकर कोको कोला एक-एक चम्मच फिर फैला कर वापस आइसिंग लगाकर एक और ब्रेड स्लाइस लगा दें. तैयार पेस्ट्री को चारों तरफ से आइसिंग से कवर कर किसी हुई डार्क चॉकलेट लगा दें. व्हिपड क्रीम को पाइपिंग बैग में भर कर स्टार नोजल से सजा कर ऊपर से जैली टॉफी के टुकड़े सजा दें. बीच में से काट कर सर्व करें.

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स्किन हाइजीन से न करें समझौता

हाइजीन का नाम आते ही हमारे दिमाग में खुद को क्लीन रखने की बात आती है, क्योंकि अगर हम खुद को क्लीन रखेंगे तभी हम खुद को बीमारियों से बचा सकते हैं. लेकिन साफ सफाई का मतलब सिर्फ  ऊपरी साफ सफाई से ही नहीं है बल्कि हेयर रिमूव करने से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह स्किन का अहम हिस्सा जो है.

लेकिन अब लोग कोरोना के डर के चलते इस से समझौता करने को मजबूर हो गए हैं. घर में रह कर निश्चिंत हो गए हैं यह सोच कर कि अभी घर में ही तो रहना है, हमें देखने वाला कौन है और जब सैलून खुलेंगे तब खुद को एक बार में ही संवार लेंगे. लेकिन आप की यह सोच बिलकुल गलत है, क्योंकि अभी काफी समय तक सैलून का रुख करना खतरे से खालीनहीं होगा. इसलिए आप को अब घर पर हीहेयर रिमूव कर के स्किन हाइजीन का ध्यान रखने कीजरूरत है.

1. कैसे करें घर पर हेयर रिमूव

भले ही आप यह सोचें कि सैलून जैसी बात घर पर कहां मिल सकतीहै, क्योंकि सैलून में जा कर हमें खुद की बौडी को क्लीन करवाने के साथसाथ हमें रिलैक्स करने का भीमौका मिलता है जो कि घर में संभव नहीं. लेकिन आप कीयह सोच गलत है, क्योंकि घर पर भले हीआप को थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है लेकिन आप घर पर जब हेयर रिमूव करने का विकल्प चुनतीहैं तो आप अपनी स्किन पर बैस्ट क्वालिटीका प्रोडक्ट यूज कर सकतीहैं, जिस से आप समयसमय पर स्किन हाइजीन का भीध्यान रख पाएंगीसाथ हीस्किन पर किसीभी प्रकार कीकोई ऐलर्जी होने का डर भीनहीं रहेगा. जबकि पार्लर में ऐसा नहीं होता. आप से पैसे भीपूरे लिए जाते हैं और इस बात कीभीकोई गारंटीनहींहोतीकि प्रोडक्ट ब्रैंडेड है या नहीं.

तो फिर देर किस बात कीहम आप को बता रहे हैं कुछ आसान से विकल्प, जिन्हें चुन कर आप पा सकतीहैं अनचाहे बालों से छुटकारा.

2. हेयर रिमूवल क्रीम हैं बैस्ट

अगर आप यह सोच कर हेयर रिमूवल क्रीम्स अप्लाई करने से डरती हैं कि अगर क्रीम अप्लाई कीतो अंडररूट्स बाल नहीं निकलेंगे तो आप शायद गलत हैं, क्योंकि अब मार्केट में ऐसीहेयर रिमूवल क्रीम्स आ गई हैं जो जड़ से बालों को निकालने में सक्षम होती हैं. और लंबे समय तक बाल भीनहीं आते हैं. ये क्रीम्स विटामिन इ, एर्लोवेरा और शीबटर जैसे गुणों से युक्त होने के कारण स्किन को ढेरों फायदे पहुंचाती है.

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3. रेडी तो यूज वैक्स स्ट्रिप

आप ने पार्लर में वैक्स अप्लाई करने के बाद स्ट्रिप्स से हेयर निकालते हुए तो देखा होगा. लेकिन क्या आप ने सोचा है कि अब रेडीटू वैक्स स्ट्रिप्स से आप आसानीसे घर बैठे अनचाहे बालों को हटा सकती हैं. बस इस के लिए आप को वैक्स स्ट्रिप को अपने बालों की डायरेक्शन में अप्लाई करने की जरूरत होगी फिर उसे विपरीत दिशा में खींच कर आसानीसे अपने बालों को निकाल सकतीहैं. यकीन मानिए ये आप को बिलकुल पार्लर जैसीफिनिशिंग देने का काम करेंगी और महीने भर तक आप को हेयर रिमूव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

शावर हेयर रिमूवल क्रीम

अभी तक आप शायद यहीसोच कर अपनीहेयर वैक्सिंग को घर पर टाल रही होंगी कि कौन इतनी देर बैठ कर वैक्स करे. लेकिन आप की इस परेशानी का सोल्युशन है शावर हेयर रिमूवल क्रीम. जो मार्केट में आप को आसानी से मिल भी जाती है और आप की स्किन को सफ्ट, स्मूद व क्लीन बनाने का काम भी करती है. बस आप को करना क्या है, जब भीआप नहाने जाएं तो 2 मिनट पहले जिन एरिया के बाल आप निकालना चाहतीं हैं वहां पर क्रीम अप्लाई कर 2 मिनट बाद आप शावर लें. आप पाएंगीमिनटों में क्लीयर स्किन, वो भी जस्ट सिंपल अप्लाई से. इस से आप अपने प्राइवेट पार्ट्स कीखास केयर कर पाएंगी.

नो स्ट्रिप वैक्स

चाहे आप की हेयर ग्रोथ कितनीभीकम क्यों न हो फिर भी1-2 महीने में तो हेयर आ ही जाते हैं. खास कर फोरहैड, अपर लिप्स, बिकिनी एरिया, अंडर आर्म्स पर और आप इन्हें पार्लर में जा कर हीक्लीन करवाती होंगी. लेकिन अब नो स्ट्रिप वैक्स से आप जब मर्जी बालों को रिमूव कर के क्लीन लुक पा सकती हैं. आप इस से बहुत हीआराम से अपनी आई ब्रो के हेयर को निकाल कर उन्हें भी परफैक्ट शेप दे सकती हैं. इस की खास बात यह है कि इस में आप को किसी स्ट्रिप की जरूरत नहीं है बल्कि वैक्स को छोटे छोटे एरिया पर अप्लाई कर के हलके हाथों से निकालें. इस से जड़ से बाल निकल भीजाते हैं और स्किन के जलने का भी कोई डर नहीं रहता है.

बींस वैक्स

इस का रिजल्ट भी यह बैस्ट और कैरी करने में भी काफी आसान होती है. असल में बींस वैक्स छोटे छोटे दानों की फौर्म में होती हैं. जब भी अप्लाई करना हो तो हीटर में इस के दानों को डाल कर गरम कर लें और जहां अप्लाई करना चाहते हैं वहां स्पैटुला की मदद से लगा लें. और अगर आप के पास हीटर नहीं भी है तो आप इसे किसी कटोरी में भीगरम कर सकती हैं. ये लगाने में काफी आसान होती हैं और रिजल्ट भी इस का इतना अच्छा आता है कि आप का हमेशा इसे हीअप्लाई करने को दिल करेगा. और आप पार्लर में जाना ही भूल जाएंगी. तो जब हैं हेयर रिमूव करने के ढेरों विकल्प तो फिर स्किन हाइजीन से समझौता कैसा.

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क्यों जरूरी है स्किन हाइजीन

शरीर पर अनचाहे बाल किसे पसंद होते हैं ये न सिर्फ हमारीखूबसूरतीको कम करने का काम करते हैं, बल्कि हम इस के कारण अपनी पसंद के स्टाइलिश व सैक्सीकपड़े भीनहीं पहन पाते हैं. सिर्फ ये हमारे लुक को ही खराब नहीं करते बल्कि इस के कारण हमें कई हैल्थ इश्यूज भी फेस करने पड़ सकते हैं. यह भी देखा गया है कि पुरुषों कीतुलना में महिलाएं स्किन हाइजीन का खास ध्यान रखतीहैं जो जरुरीभीहै.

असल में जब हम हेयर ग्रोथ को बढ़ने देते हैं तो इससे इन्फेक्शन के चांसेज कहीं अधिक बढ़ जाते हैं. क्योंकि चाहे प्राइवेट पार्ट की बात हो या फिर अंडर आर्म्स की अकसर कवर रहने के कारण इन में पसीना जमा हो जाता है जो फंगल इन्फेक्शन का कारण बनता है. और अगर हम लंबे समय तक इन्हें क्लीन नहीं करते तो खुजली, दाद जैसीसमस्याएं हो सकतीहैं जो कई बार गंभीर रूप भी ले लेती हैं. इसलिए आप अपनीस्किन हाइजीन का खास ध्यान रखकर अपनीब्यूटीको ऐवरग्रीन बनाए रखें.

इन बातों को न करें नजरअंदाज

–  कोई भीप्रोडक्ट खरीदते समय उस कीऐक्सपायरीजरूर चेक करें.

–  लोकल प्रोडक्ट खरीदने से बचें.

–  जल्दीजल्दीकिसीभीप्रोडक्ट को अप्लाई करने से बचें. 15-20 दिन बाद हीस्किन पर दोबारा अप्लाई करें.

–  क्रीम या वैक्स कीटेस्टिंग के लिए पहले उसे छोटे एरिया पर अप्लाई कर के देखें. अगर किसीतरह का कोई रिएक्शन नहीं है तभीउसे सब जगह अप्लाई करें.

–  अगर दाने, खुजली, किसीभीतरह कीकोई ऐलर्जी हो तो हेयर रिमूवल प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.

–  वैक्सिंग के बाद स्किन पर मौइस्चराइजर अप्लाई जरूर करें.

–  वैक्सिग के बाद कम से कम 4-5 घंटे धूप में न निकलें. अगर निकलना भीपड़े तो खुद को कवर कर जाएं.

–  वैक्स को हमेशा बालों कीडायरेक्शन में लगा कर उन्हें उलटीडायरेक्शन में खींचना चाहिए.

–  अगर क्रीम या वैक्स से स्किन हलकीरैड हो गई है तो उस पर बर्फ अप्लाई करें.

इस तरह आप घर बैठे मिनटों में सौफ्ट व क्लीन स्किन पा सकतीहैं. वह भी बजट में आसान तरीकों व टिप्स के साथ.

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नुसरत जहां ने पति के साथ रोमांटिक तरीके से मनाई 1st वेडिंग एनिवर्सरी, देखें Photos

कोरोनावायरस के बढते मामलों के बीच तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बांग्ला सिनेमा की एक्ट्रेस नुसरत जहां (Nusrat Jahan) ने बीते दिन यानी 19 जून को अपनी पहली वेडिंग एनिवर्सरी मनाई. वहीं एक्ट्रेस नुसरत (Nusrat Jahan) ने अपने सोशल मीडिया पर पति निखिल जैन को वेडिंग एनिवर्सरी विश करते हुए एक प्यारा सा मैजेज भी किया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं नुसरत जहां (Nusrat Jahan) का खास मैसेज….

पति संग आईं नजर

पति के साथ खूबसूरत फोटो शेयर करते हुए नुसरत (Nusrat Jahan) ने एनिवर्सरी विश किया और लिखा- तुम मेरे आज हो, कल भी. मैं हमेशा तुमसे तहे दिल से प्यार करती रहूंगी क्योंकि रियल स्टोरीज की एंडिंग नहीं होती है. हैप्पी एनिवर्सरी लव. इसी के साथ शेयर की गई फोटो में दोनों रोमांटिक पोज देते नजर आ रहे हैं, जिसमें दोनों की कैमेस्ट्री जबरदस्त है.

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सुर्खियों में रहती हैं नुसरत

नुसरत जहां (Nusrat Jahan) फेमस एक्ट्रेस हैं वह आए दिन चर्चा में रहती हैं. वहीं कुछ समय पहले जब अम्फान तूफान ने पश्चिम बंगाल में तबाही मचाई थी तो नुसरत जहां (Nusrat Jahan) भी अपने चुनाव क्षेत्र में जायजा लेने पहुंची थीं. वही उनकी फोटोज भी सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं.

शादी के चलते सुर्खियां बटोर चुकी हैं नुसरत

 

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We love u all… this video got us emotional..!! Lots of love 💓

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नुसरत (Nusrat Jahan) और निखिल ने लंबे समय तक एक-दूसरे को डेट करने के बाद टर्की के बोडरम सिटी में नुसरत की शादी 19 जून 2019 को निखिल जैन संग की थी, जिसके कारण उन्होंने काफी सुर्खियों में रही थी.

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पति संग फोटोज करती हैं शेयर

रोमेंटिक फोटोज की बात करें तो कोई फंक्शन हो या वेकेशन नुसरत जहां (Nusrat Jahan) अक्सर फोटोज शेयर करती रहती है, जिसमें उनके फैंस कमेंट्स करते रहते हैं.

खुलासा: आखिरी दिनों में सुशांत को था अंकिता से ब्रेकअप करने का अफसोस

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस में मुंबई पुलिस लगातार छानबीन कर रही है, जिसके चलते वह अब तक उनकी फैमिली, दोस्त, गर्लफ्रेंड औऱ डौक्टर का बयान दर्ज करवा चुकी हैं. इसी बीच मुंबई पुलिस ने सुशांत की रूमर्ड गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती से भी करीबन 10 घंटे तक पूछताछ की है, जिसमें रिया ने सुशांत के साथ अपने रिश्ते की बात को कबूल किया है. वहीं पुलिस ने डिप्रेशन के एंगल को देखते हुए सुशांत के सुशांत सिंह राजपूत के मनोचिकित्सक केरसी चावड़ा से भी पूछताछ की, जिसमें पता चला कि सुशांत ब्रेकअप के बाद भी अंकिता लोखंडे को अपने दिल से नहीं निकाल पाए थे. आइए आपको बताते हैं क्या कहा सुशांत के डौक्टर ने….

अंकिता से अलग होने का था पछतावा

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मुंबई पुलिस को दिए गए बयान में केसरी चावड़ा ने बताया है कि सुशांत सिंह राजपूत को एक्स-गर्लफ्रेंड और ‘पवित्र रिश्ता’ को-स्टार अंकिता लोखंडे के साथ अलग होने का पछतावा था और वो इसी वजह से काफी परेशान रहने लगे थे. सुशांत ने उन्हें बताया था कि अंकिता से अलग होने के बाद कुछ दिन तक सब कुछ काफी ठीक था और उनकी जिंदगी में कृति सेनॉन आ चुकी थी, लेकिन उनके साथ उनका रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चल पाया था.

 

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@officialsandipssingh writes a note to @lokhandeankita in the memory of #sushantsinghrajput . . Dear Ankita, with each passing day, one thought keeps haunting me over and over again. Kaash… I wish… We could have tried even harder, we could’ve stopped him, we could’ve begged him! Even when you both seperated, you only prayed for his happiness and success… Your love was pure. It was special. You still haven’t removed his name from the nameplate of your house❤️ I miss those days, when the three of us stayed together in lokhandwala as a family, we shared so many moments which bring tears to my heart today…cooking together, eating together, ac ka paani girna, our special Mutton bhaat, our long drives to uttan, lonavala or Goa! Our crazy holi! Those laughs we shared, those sensitive low phases of life when we were there for each other, you more than anyone. The things you did to bring a smile on Sushant’s face. Even today, I believe that only you two were made for each other. You both are true love. These thoughts, these memories are hurting my heart…how do I get them back! I want them back! I want ‘us three’ back! Remember the Malpua!? And how he asked for my mother’s Mutton curry like a little kid! I know that only you could’ve saved him. I wish you both got married as we dreamt. You could’ve saved him if he just let you be there…You were his girlfriend, his wife, his mother, his best friend forever. I love you Ankita. I hope I never lose a friend like you. I won’t be able to take it. . . #sandipsingh #sushantsinghrajput #ankitalokhande #sushantankita #ankitasushant #ripsushantsinghrajput #sushant #ssr #friends #bollywood #bollywoodactor #chipkumedia

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स्टारकिड को डेट करने से भी टूट गए थे सुशांत

सुशांत सिंह राजपूत का नाम भी एक स्टारकिड के साथ जुड़ा था, लेकिन बाद में ऐसी खबरें आई कि मां के कहने पर उस स्टारकिड ने सुशांत से दूरी बना ली थी. इस वजह से भी सुशांत काफी टूट गए थे. सुशांत और स्टारकिड की मुलाकात अपनी फिल्म के सेट पर ही हुई थी.

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मैनेजर के निधन से परेशान थे सुशांत

सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर रह चुकीं दिशा सालियन ने भी कुछ वजहों के चलते उनसे दूरी बना ली थी. इसी दौरान सुशांत सिंह राजपूत के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था. सुशांत ने अपने डॉक्टर से कहा था कि उन्हें नींद नहीं आती है और अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देती हैं, जिसके चलते वह शांत अपने डॉक्टर से 3 बार मिले थे.

रिया के व्यवहार से भी परेशान थे सुशांत

डॉक्टर ने पुलिस से ये भी कहा है कि सुशांत रिया चक्रवर्ती के बारे में भी खुलकर बात किया करते थे. उनका कहना है कि रिया और वो एक कॉमन फ्रेंड के चलते मिले थे. पहले रिया वर्सोवा में अपनी एक दोस्त के साथ रहती थी लेकिन बाद में वो सुशांत के घर पर आकर रहने लगी थी. सुशांत रिया के बर्ताव से खुश नहीं थे, जिसके कारण दोनों एक साथ घूमने भी गए लेकिन रिया छोटी-छोटी बातों पर लड़ती रहती थी. रिया चक्रवर्ती नहीं चाहती थी सुशांत अपने रिलेशनशिप से जुड़ा कोई भी पोस्ट सोशल मीडिया पर करें और अगर वो ऐसा करते थे तो रिया उनसे तुरंत वो पोस्ट डिलीट करने के लिए भी कहती थी. इन बातों से सुशांत और भी परेशान रहने लगे थे.

अंकिता से अलग होने का हुआ पछतावा

ब्रेकअप के बाद असफल रिश्तों ने सुशांत सिंह राजपूत को एहसास दिलाया था कि अंकिता ही एक ऐसी लड़की थी जिन्होंने उनसे सच्चे दिल से प्यार किया था. साथ ही उन्हें यह पछतावा होने लगा था कि वो अंकिता से दूर गए थे. डॉक्टर ने पुलिस को बताया है कि वो बार-बार यही कहते थे कि अंकिता से ब्रेकअप करके उन्होंने बड़ी भूल कर दी है और अक्सर वो अंकिता को याद किया करते थे. वहीं डॉक्टर का ये भी कहना है कि उनका दिमाग बाइपोलर था और वो हर एक चीज को कई एंगल से सोचते थे.

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बता दें, रिया चक्रवर्ती ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि सुशांत का घर हांटेड है, जिसके कारण उन्हें आवाजें सुनाई देती है.

बच्चों के लिए बनाएं आलू रोस्टी विद शेज़वान मेयोनेज़

स्विट्जरलैंड के इस अनोखे व्यंजन को देसी स्वाद के साथ आज़माएं – दीजिये आपने खाने को एक मजेदार और रोमांचक ट्विस्ट. हालांकि विदेशी, इस व्यंजन के लिए सामग्री बहुत कम और आसानी से मिल जाती है.

आलू रोस्टी के लिए:

हमें चाहिए

  • 400 ग्राम कद्दूकस किया हुआ आलू
  • 100 ग्राम कद्दूकस किया हुआ गाजर
  • 100 ग्राम बारीक कटी हुई पत्तागोभी
  • 125 ग्राम बारीक कटा हुआ प्याज़
  • 2 चम्मच चिंग्स सीक्रेट शेज़वान चटनी
  • 4 चम्मच तेल
  • 4 चम्मच मक्खन (बिना नमक)
  • नमक और ताज़ी, पीसी हुई काली मिर्च

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 बनाने का तरीका

1) एक कपड़े में कद्दूकस किया हुआ आलू और प्याज़ मिलाएं. मिश्रण से जितना संभव हो उतना पानी निचोड़ें.

2) एक बड़े कटोरे में इस मिश्रण को तेल, शेज़वान चटनी, कद्दूकस किया हुआ गाजर और पत्तागोभी के साथ मिलाएं और चार भागों में विभाजित करें.

3) नॉन-स्टिक तवे को गरम करें और १/२ चम्मच मक्खन डालें.

4) मिश्रण का एक हिस्सा तवे में फैलाएं . ५ से ७ मिनिट तक पकाएं .

5) रोस्टी को पलटें और दूसरी तरफ अच्छे से पकाएं . दोनों तरफ के रंग भूरे होने तक पकाएं .

शेज़वान मेयोनेज़ के लिए:

  • 1 कप चिंग्स सीक्रेट शेज़वान चटनी
  • 1 कप मेयोनेज़
  • 1 चम्मच कटा हरा धनिया
  • नमक और काली मिर्च, स्वादानुसार
  • नींबू का रस

सभी सामग्री को एक कटोरे में मिलाएं और शेज़वान मेयोनेज़ तैयार.

अब आलू रोस्टी के साथ शेज़वान मेयोनेज़ को गरम परोसें.

रेसिपी सहयोग: सेलिब्रिटी शेफ विकी रत्नानी

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कोरोनावायरस से रिकवरी के बाद रखें स्वास्थ्य का खास ध्यान 

कोरोना वायरस से संक्रमण का दौर लगातार बढ़ रहा है, जिसमें महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु सबसे उपर है, लेकिन तसल्ली इस बात से है कि रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रही है, ऐसे में कोविड 19 या कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए लोगों को खुद की देखभाल अच्छी तरीके से की जानी चाहिए, ताकि बाद में मरीज को किसी और बीमारी का सामना न करना पड़े, क्योंकि कोरोना से ठीक हुए रोगी अधिकतर शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाते है, उन्हें कई जगह स्टिग्मा का सामना भी करना पड़ता है, जो गलत है.

इस समय उन्हें अपने परिवार के साथ रहने और परिवार को उन्हें मानसिक रूप से सहयोग देने की जरुरत होती है. समय पर इस बीमारी की जानकारी और इलाज मिलने पर ये जान लेवा साबित नहीं होती. कुछ डॉक्टर्स का कहना है कि ये बीमारी भी नार्मल फ्लू की तरह ही है, जिसमें ठीक होने के बाद व्यक्ति को कमजोरी अधिक आती है. इस बीमारी से रिकवरी के कुछ मानदंड निम्न है,

  • बिना दवा के 72 घंटे तक बुखार का न आना,
  • कफ और सांस लेने की तकलीफ में सुधार होना,
  • पहले दिन के लक्षण से 7 दिन बाद लक्षण में सुधार होना आदि है.

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कोविड 19 से रिकवरी के बाद शरीर पूरी तरह से स्वस्थ होने में समय लगता है, खासकर जिन लोगों को अस्पताल में रहना पड़ा हो या कोरोना ने उन्हें अधिक संक्रमित किया हो. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इस बीमारी से ठीक होने की अवधि 6 सप्ताह या इससे अधिक होने की बात कही है. जल्दी ठीक होने के लिए लंग्स की ब्रीदिंग प्रोसेस और हाथ पैर के मसल्स को मजबूत करने की आवश्यकता होती है. इसके लिए संतुलित भोजन के साथ सही व्यायाम करने की जरुरत होती है.

इस बारें में वोकहार्ड हॉस्पिटल के डॉ. बेहराम पार्डिवाला कहते है अभी इस बारें में अधिक राय देना थोडा मुश्किल है,क्योंकि ये बीमारी नयी है और इसका प्रभाव आगे चलकर क्या होगा अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन अभी जो भी मरीज डिस्चार्ज होकर जा रहे है. वे पूरी तरह से ठीक है. करीब 300 से 400 मरीज़ हमारे यहाँ से ठीक होकर जा चुके है. किसी को अधिक तकलीफ नहीं हुई है. इसमें इन्फेक्शन कितना हद तक था, उसे देखने की जरुरत पड़ती है, क्योंकि जो लोग सीरियस होकर वेंटिलेटर पर जाते है, उनको कुछ समस्याए आ सकती है, जो निम्न है,

  • कभी-कभी लंग्स पर समस्या आ सकती है. मसलन फ़ायब्रोसिस, क्रोनिक खांसी, क्रोनिक दमा की बीमारी, जिसमें सांस फूलने वाली बीमारी का हो जाना,
  • हार्ट पर थोडा असर हो सकता है, जिसे वायरल मायोकार्डीटिस यानि इन्फ्लेमेशन ऑफ़ हार्ट हो सकता है, जिसके वजह से रोगी हार्ट फैल्योर में जा सकता है,
  • अधिक खतरनाक समस्या न्यूरोलोजिकल प्रॉब्लम होती है,जिसमें कभी-कभी स्ट्रोक हो जाता है,
  • ब्लड क्लोटिंग मेकानिज्म जो अभी पता चला है कि कोविड 19 में ब्लड क्लोटिंग की समस्या भी आ सकती है,
  • चमड़ी में समस्या आ सकती है, जिसमें पैरों में अल्सर्स या जलन की शिकायत होती है, जिसकी वजह से पैरों में दर्द होता है आदि कई है.

ये 90 प्रतिशत रोगी में नहीं होता, जिनकी किस्मत ख़राब हो उन्हें ही हो जाती है. कोविड 19 की सीविओरिटी ओल्डर पेशेंट, डायबीटीस और ब्लड प्रेशर के मरीज में अधिक होती है. अधिक उम्र वाले रोगी को आगे चलकर जटिलताएं बढती है. इसके अलावा कमजोरी, सुस्ती ये सब 3 महीने बाद निकल जाती है.

दवाइयों के असर से ये समस्याएं नहीं आती, क्योंकि दवाइयां मरीज की सिवेरिटी के आधार पर ही दी जाती है. स्ट्रोंग मेडिसिन का असर अधिक हो सकता है और वह केवल मरीज़ के सीरियस होने पर उसे बचाने के लिए ही दिया जाता है.

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कोविड 19 के संक्रमण से निकलने के बाद कुछ बातों पर दे खास ध्यान

  • जब घर जाए तो स्वच्छ वातावरण में रहे,
  • फल अधिक लें, जिसमें नेचुरल विटामिन्स, शुगर और मिनरल अधिक होता है
  • हरी सब्जियां खाएं, इससे पोषक तत्व अधिक मिलते है,
  • प्रोटीन इन्टेक अधिक होने की जरुरत,
  • शाकाहारी के लिए पनीर, दाल और नट्स,
  • नॉन वेज के लिए अंडे और मीट,
  • हल्के व्यायाम करें, अच्छी नींद लें और खुश रहे.

ऐसे नियमित दिनचर्या से धीरे-धीरे बॉडी हील कर लेता है और व्यक्ति नार्मल हो जाता है.

इसके आगे डॉ. बेहराम कहते है कि हर दिन कोविड 19 के मरीजों को ठीक करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है. मुझे याद है कि मेरे पास दो भाई और एक दोस्त आये थे, साथ में तीनों बैठकर काफी पीते थे. तीनों को कोविड हो गया था, दोनों भाई इस बीमारी से गुजर गए, पर उसका दोस्त जो बहुत सिवीयर कोविड 19 से पीड़ित था. नॉन इन्वेसिव वेंटीलेशन उसे दिया गया. धीरे-धीरे उसका इम्प्रूवमेंट हुआ और अब वह घर चला गया है.

इसके आगे डॉक्टर का कहना है कि वैक्सीन और दवाई कोरोना संक्रमण की जल्दी आने की जरुरत है, काम भी हो रहा है ,जिसमें ऑक्सफ़ोर्ड के लोग काफी आगे है और अमेरिकन्स जो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पुणे, पूनावाला के साथ मिलकर काम कर रहे है. दोनों ही इसे जल्दी उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे है. इस साल के अंत तक ये आने की उम्मीद है. अच्छी बात ये है कि कोरोना वायरस भारत में कम स्ट्रिंग के साथ आया है और ये म्यूटेशन नहीं हो रहा है. अभी एक ही वायरस है इसलिए वैक्सीन अधिक उपयोगी होगा. वैसे भी हर साल वैक्सीन में परिवर्तन रिसर्च के अनुसार होता रहता है. वायरस के लिए दवा कोई नहीं होती.इसलिए वैक्सीन ही इसका इलाज है, क्योंकि ये एपिडेमिक हो चुका है.

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वोकहार्ड हॉस्पिटल , मुंबई सेंट्रल

खुफिया एजेंसी ने दी चेतावनी- इन 52 चाइनीज एप का नहीं करें इस्तेमाल, देखें लिस्ट

 कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारत-चीन का विवाद बढ़ता जा रहा है. वहीं लोगों में चीनी एप के खिलाफ गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है. लेकिन अब भारत की खुफिया एजेंसियों ने भी भारत सरकार को 52 चाइनीज एप्स को फोन से ब्लॉक और लोगों को इस्तेमाल ना करने के लिए कहा है. आइए आपको बताते हैं कौन से हैं वे एप….

ये एप्स कर रही हैं पर्सनल डेटा शेयर

रिपोर्टस की मानें तो भारतीय खूफियां एजेंसियों का कहना है कि सुरक्षा और प्राइवेसी की लिहाज से 52 चाइनीज एप ठीक नहीं हैं. इन एप्स के जरिए भारतीय मोबाइल यूजर्स की पर्सनल जानकारियां चीन में मौजूद सर्वर पर जा रही हैं. वहीं सरकार को एजेंसियों ने जिन एप्स की लिस्ट की भेजी हैं उसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप जूम, शॉर्ट-वीडियो एप टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, जेंडर, शेयरइट और क्लीन-मास्टर जैसे एप्स के नाम शामिल हैं.

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जूम की प्राइवेसी पर उठ चुके हैं सवाल

अप्रैल में गृह मंत्रालय ने जूम की प्राइवेसी को लेकर आगाह किया था. जूम वीडियो कॉलिंग एप पर रोक लगाने वाला केवल भारत ही नहीं है. भारत से पहले अमेरिका जैसे देशों में भी जूम पर प्रतिबंध लग चुका है. टेस्ला और फेसबुक ने अपने कर्मचारियों को जूम इस्तेमाल करने से मना किया था. ताइवान ने भी जूम के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी. अधिकारियों ने कहा था कि जूम में ऐसे इनपुट थे कि कई Android और IOS एप, या तो चीनी डेवलपर्स द्वारा तैयार किए गए थे या चीनी लिंक वाली कंपनियों द्वारा लॉन्च किए गए थे, जिनमें स्पाइवेयर या अन्य मैलवेयर के रूप में उपयोग करने की क्षमता थी.

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ये हैं 52 चीनी एप्स

TikTok

Vault-Hide

Vigo Video

Bigo Live

Weibo

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Xender

ClubFactory

Helo

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