गरमियों में ये 5 हैट टिप्स आपके लुक को बनाएंगे कूल

चाहे आप रोजाना हैट पहनते हैं या नहीं यह आपकी चौइस है, लेकिन गरमी का मौसम हैट पहनने के लिए सबसे अच्छा समय है. लंबे टाइम तक घर से बाहर धूप में घूमना हो तो हैट का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही हैट आपके आउटफिट्स के स्टाइल को एक अलग लुक भी देगा. वो अलग बात है कि गरमियों में आउटफिट्स के ऊपर हैट पहनना कुछ हद तक मुश्किल है, खासकर अगर वे आपके रोजाना फैशन का हिस्सा नहीं हैं. पर अब इसको लेकर टेंशन लेने की जरूरत नहीं हैं. आज हम आपको आपके आउटफिट्स से मैच होने वाले हैटस् के बारे में बताएंगे…

  1. स्टाइलिश बकैट हैट

गरमियों में प्रिंटेड वाइड-लेग पैंट्स और बेसिक टैंक टौप के साथ स्टाइलिश बकैट हैट आपको अच्छा लुक देगा.

 

View this post on Instagram

 

New week 🧡🌳

A post shared by ♥ JOTTI VERBRUGGEN (@jottiverbruggen) on

घर पर ऐसे बनाएं बाजार में मिलने वाले महंगे फेस मास्क शीट

2.    क्लासिक वाइड-ब्रिम हैट

किसी भी आउटफिट के साथ क्लासिक वाइड-ब्रिम हैट अच्छी लगेगी. खासकर क्लासिक टीशर्ट के साथ एक ब्राइट कलर की ड्रेस, यह आपके लुक को और भी ब्राइट बना देगी.

3.    क्लासिक स्ट्रौ हैट

गरमियों में एक सिंपल डैनिम ड्रैस या जिन्स के साथ एक क्लासिक स्ट्रौ हैट के साथ आप एक अलग लुक के लिए बेस्ट औप्शन होगा. साथ ही एक चुलबुली पर्सनैलिटी के लिए आप सबसे रोमांटिक टौप्स के साथ रिबन वाली स्कर्ट के साथ भी आप क्लासिक स्ट्रौ हैट का इस्तेमाल कर सकते हैं.

चेहरे की चमक को रखना है बरकरार तो फौलो करें ये 5 टिप्स

4.    फिशरमैन हैट

 

View this post on Instagram

 

Sooooo needed ✨

A post shared by J e n n a (@rarajem) on

गरमियों में कूल गर्ल दिखने के लिए आप अपने पसंदीदा ग्राफिक टी और ट्रैक पैंट के साथ या क्रौप टौप और डेनिम की जीन्स के साथ फिशरमैन हैट एक बेस्ट औप्शन होगा.

5.    फैल्ट हैट

 

View this post on Instagram

 

Say hello to the “White Stallion” 🤍 My dad loved horses, and this beautiful white Straw Fedora represents his love for his horse “Sweet Nancy”! I almost named this hat Nancy, What y’all think? 🤔 Sweet Nancy or White Stallion? @mr.gus.usmc I already know what you think lol!😂 @rodneyperrylive Thank you for your support and your purchase, you look amazing in your fedora from @shaeskloset! 🎩 All hats are Buy one get one 50% off. Use code “papabear“ I know my father is proud of me! Also all clothing is 25% off use code “Juneteenth.” . . #thursday #throwbackthursday #shaenycole #shaeskloset #supportblackbusinesses #shopblack #supportsmallbusiness #fathersday #fathersdaygifts #juneteenth #fedora #summerhats #strawhats #blacklivesmatter #staysafe #shoponline #onlineboutique

A post shared by Shae Nycole (@shaenycole) on

एक क्लासिक वाइट टी के साथ अपनी फेवरेट गरमियों की ड्रैस के साथ फैल्ट हैट आपके लुक को क्लासी के साथ कूल लुक देगी.

गलवान घाटी पर लार

चीन व भारत के सैनिकों के बीच ताजा खूनी झड़प का स्थल गलवान घाटी. झड़प की वजह और घाटी की अहमियत को समझने से पहले संक्षिप्त तौर पर इस के इतिहास व भूगोल को जानना होगा.

लद्दाख में पैंगोंग झील है. इस झील के लगभग तीनचौथाई पर चीन का नियंत्रण है. उस के लगभग एकचौथाई इलाक़े पर भारत का कब्जा है. ये दोनों ही इलाक़े इन दोनों ही देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं.

एट फिंगर्स :

पैंगोंग झील इलाके की भौगोलिक संरचना 8 उंगलियों जैसी है. इस पूरे क्षेत्र को ‘एट फिंगर्स’ यानी ‘आठ उंगलियां’ कहते हैं. भारत का मानना है कि फिंगर सिक्स से वास्तविक नियंत्रणरेखा गुजरती है, यानी फिंगर वन से ले कर फिंगर सिक्स तक उस का इलाक़ा है. पर चीन का मानना है कि वास्तविक नियंत्रणरेखा फिंगर फोर के पास है, यानी, भारत का इलाक़ा फिंगर फोर तक है. भारत की ओर से अंतिम चौकी इंडो-तिब्बतन बौर्डर पुलिस की है जो फिंगर फोर के पास है.

इस पूरे एट फिंगर्स पर भारत और चीन दोनों की सेनाएं गश्त करती रहती हैं. फिंगर वन से फिंगर फोर तक सड़क है. वहां से फिंगर सिक्स तक पगडंडी है जिस पर पैदल चला जा सकता है या अधिक से अधिक खच्चर का इस्तेमाल किया जा सकता है. वहां से फिंगर एट तक चीन ने सड़क बना रखी है.

फिंगर फोर से ले कर फिंगर सिक्स तक का इलाक़ा ऐसा है जहां कई बार चीनी और भारतीय सेनाएं आमनेसामने होती हैं, पर मोटेतौर पर कोई अप्रिय घटना नहीं घटती. इस बार चीनी सैनिकों ने फिंगर सिक्स के पास कैंप लगा लिए हैं. वे वहां से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. लेकिन ताज़ा मारपीट वहां नहीं हुई . मारपीट हुई है गलवान घाटी में.

ये भी पढ़ें- नोवल कोरोना वायरस: अपनेआप बना या मैन-मेड है ?

भारत व चीन के बीच 4 दशकों से ज़्यादा समय तक ताक़त के प्रदर्शन और छोटीमोटी धक्कामुक्की के बाद  सीमा विवाद ने इस बार घातक रूप ले लिया. 15 जून को भारतीय और चीनी फ़ौजियों के बीच ख़ूनी झड़प में कम से कम 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए.

अक्साई चिन और गलवान घाटी :

गलवान घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चिन में है. गलवान घाटी, दरअसल, लद्दाख़ और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा से गुजरती है. यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चिन को भारत से अलग करती है. अक्साई चिन पर भारत और चीन दोनों अपना दावा करते हैं. फिलहाल, अक्साई चिन पर चीन का कब्जा है जिस पर भारत अपनी सम्प्रभुता मानता है. गलवान नदी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली है.

इस बीच, भारत ने 18 जून को गलवान घाटी पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है. भारत सरकार ने कहा है कि गलवान घाटी पर ‘चीनी संप्रुभता’ का दावा बढ़चढ़ा कर किया जा रहा है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. भारत ने यह तब कहा जब चीनी सेना ने 16 जून को कहा कि गलवान घाटी का इलाका हमेशा ही चीन का हिस्सा रहा है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा, ‘बढ़ाचढ़ा कर और अस्वीकार्य दावा करना आम सहमति के उलट है.’

उधर, ब्रिटिश इतिहासकार नेविल मैक्सवेल ने इस इलाक़े के बारे में अपनी किताब में इसे ऐसा इलाक़ा कहा है जो किसी का न हो क्योंकि वहां न तो कुछ उगता है और न ही कोई रहता है.

यह इलाक़ा दोनों के लिए अहम क्यों :

अक्साई चिन, दरअसल, ग्रेटर कश्मीर का हिस्सा है, लेकिन 1947 में भारत-पाकिस्तान के बीच भीषण लड़ाई के नतीजे में इस क्षेत्र का बंटवारा तो हुआ लेकिन भारत-चीन के बीच बौर्डर की परिभाषा अस्पष्ट रही.

भारत कथित ‘मैकमोहन लाइन’ को मानता है जो उसे ब्रिटेन के उपनिवेशिक दौर की विरासत में मिली थी. चीन ने आधिकारिक रूप में इसे कभी नहीं माना, बल्कि उस ने ‘बौर्डर औफ़ हैबिट’ को माना जो दोनों ओर के लोगों के बीच दशकों से मौजूद था. इस बात ने बेचैन करने वाले स्टेटस-को को जन्म दिया जो आज भी मौजूद है कि दोनों ही पक्ष सीमा के विषय पर सहमत नहीं हैं. दोनों ही एकदूसरे पर एकदूसरे की भूमि में क़दम रखने या अपना क्षेत्र बढ़ाने का इलजाम लगाते हैं जिस के नतीजे में आसानी से टकराव का बहाना वजूद में आ जाता है.

किंग्स कालेज लंदन में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रोफ़ैसर हर्ष वी पंत के मुताबिक़, “मौजूदा संकट की जड़ पिछले साल भारत द्वारा जम्मूकश्मीर के विशेष स्टेटस का ख़त्म किया जाना है. उस के बाद से चीन को इस बात की चिंता है कि भारत उस को आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावट खड़ी करेगा.”  वे कहते हैं, “यह क्षेत्र चीन को पाकिस्तान से जोड़ता है जहां उन का आर्थिक कोरिडोर है.”

इलाके का रणनीतिक महत्त्व :

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ैसर और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार एस डी मुनि का कहना है कि यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग और लद्दाख़ की सीमा के साथ लगा हुआ है. 1962 की जंग के दौरान भी गलवान घाटी का यह क्षेत्र जंग का प्रमुख केंद्र रहा था.

ये भी पढ़ें- चीन को सबक सिखाना है…तो पकड़नी होगी उसकी गर्दन

चीनी सत्तारूढ़ पार्टी का माउथ माने जाने वाले न्यूज़पेपर ग्लोबल टाइम्स ने एक रिसर्च फेलो के हवाले से लिखा है कि गलवान घाटी में डोकलाम जैसी स्थिति नहीं है. अक्साई चिन में चीनी सेना मज़बूत है और तनाव बढ़ाने पर भारतीय सेना को इस की भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

इस संबंध में जानकारों का मानना है कि चीन की स्थिति वहां पर मज़बूत तो है जिस का भारत को नुक़सान हो सकता है. लेकिन, कोरोना वायरस के चलते चीन अभी कूटनीतिक तौर पर कमज़ोर हो गया है. यूरोपीय संघ और अमेरिका उस पर खुल कर आरोप लगा रहे हैं जबकि भारत ने अभी तक चीन के लिए प्रत्यक्षतौर पर कुछ ख़ास नहीं कहा है. ऐसे में भारत इस मोरचे पर चीन से मोलतोल करने की स्थिति में है.

टकराव की गुंजाइश नहीं :

भारत व चीन दोनों पक्षों के लिए फ़ौजियों की संभावित रूप से आवाजाही ही चिंता का विषय है, इस क्षेत्र में टकराव बहुत ही मुश्किल होगा.

एमआईटी में प्रोफ़ैसर मिलिफ़ का कहना है, “4 हजार मीटर से ज़्यादा ऊंची जगह पर लड़ने से जंग का हर पहलू बदल जाएगा जिसे भारतीय और चीनी सेना दोनों ही अच्छी तरह समझती हैं.”

प्रोफ़ैसर मिलिफ़ के शब्दों मे, “2,400 मीटर से ज़्यादा ऊंचाई वाले इलाक़े में फ़ौजियों को मौसम के आदी होने में कई दिन लगते हैं. इतनी ऊंचाई पर हर चीज़ प्रभावित होती है. डीज़ल इंजन को चलने में मुश्किल होती है,  हैलिकौप्टरों को भार कम उठाना होता है. जबकि, इतनी ऊंचाई पर फ़ौजियों को सेहतमंद रखने के लिए रसद की मांग बहुत ज़्यादा होती है.

अब जबकि दोनों ओर की फ़ौजें अपनेअपने घाव की पट्टी कर रही और तनाव कम करने की औपचारिकताएं शुरू कर रही हैं, सारा ध्यान दिल्ली और बीजिंग के नेताओं की ओर है कि वे क़ाबू से बाहर हो रहे मौजूदा झगड़े को नज़रअंदाज़ करेंगे या उसे बहुत ही मुश्किल व महंगे टकराव का रूप देंगे. फिलहाल जो दृश्य सामने है, उस से तो लगता है कि चीन पीछे हटने को तैयार नहीं, जबकि, भारत ने भी, शायद, न झुकने की रणनीति बना ली है.

नए शहर में आने से बाल बहुत झड़ रहे हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरे बाल पहले बहुत घने और लंबे थे. हाल ही में मैं ने अपनी जौब चेंज की है. नए शहर जाने पर बाल बहुत झड़ रहे हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

जरूरत से ज्यादा कैमिकल का इस्तेमाल और प्रदूषण की वजह से बालों को काफी नुकसान होता है. आप बालों के लिए करीपत्तों का इस्तेमाल करें. इस में विटामिन बी1, बी3, बी9 और सी होता है. इस के अलावा इस में आयरन, कैल्सियम और फास्फोरस होता है, साथ ही काफी मात्रा में प्रोटीन और बीटा कैरोटिन भी होता है, जो बालों को क्षतिग्रस्त होने से रोकने के साथसाथ बालों को पतला होने से भी रोकने में मदद करता है. इस के रोजाना सेवन से आप के बाल काले, लंबे और घने होने लगेंगे. यही नहीं यह बालों को डैंड्रफ से भी बचाता है.

इस के यूज के लिए करीपत्तों का एक गुच्छा ले कर उसे साफ पानी से धो धूप में तब तक सुखाएं जब तक पत्ते सूख न जाएं. फिर पाउडर बना लें. अब 200 एमजी नारियल या फिर जैतून के तेल में लगभग 4-5 चम्मच करीपत्ता पाउडर मिक्स कर के उबाल लें. ठंडा होने पर तेल को छान कर किसी एअरटाइट शीशी में भर कर रख लें. सोने से पहले रोज रात को यह तेल लगाएं और फिर सिर की अच्छी तरह मसाज करें. यदि इस तेल को हलकी आंच पर गरम कर के लगाया जाए तो जल्दी असर दिखेगा. सुबह सिर को नैचुरल शैंपू से धो लें.

ये भी पढ़ें- 

आज के समय में हेयर फौल की समस्या अधिकांश लोगों को है, क्योंकि उनका प्रदूषण से ज्यादा सामना होता है. ऐसे में वे अपने झड़ते बालों को देख कर  परेशान हो उठते हैं और बाजार से अच्छे प्रोडक्ट्स खरीदने से पीछे नहीं हटते. लेकिन इसके बावजूद भी रिजल्ट कुछ खास नहीं निकलता. ऐसे में हम आप को बता रहे हैं कि आप घर बैठे ही अपनी हेयर फौल की समस्या का निदान कर सकते हैं. जानिए कैसे:

  1. ऐलोवीरा हेयर मास्क…

ऐलोवीरा हेयरफौल को रोकने के लिए बहुत ही कारगर उपाय है. यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाने के साथ स्कैल्प की हैल्थ को सुधारने का काम करता है. इस के लिए आप बस पौधे के पल्प को सीधे अपने स्कैल्प और बालों में अप्लाई करे फिर 45 मिनट बाद उसे ठंडे पानी से धोएं. अगर आपको कोई ऐलोवीरा प्लांट न मिले या फिर पल्प निकालना मुश्किल लग रहा हो तो नायका आपको सलाह देता है कि आप इसकी जगह वेदिक लाइन हेयर पैक को ऐलोवीरा और जोजोबा औयल के साथ भी यूज कर सकती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- इन 6 घरेलू नुस्खों से दूर करें हेयर फौल…

Hyundai #AllRoundAura: क्लाइमेट कंट्रोल के बेहतरीन फीचर के साथ

हुंडई Aura आपको कार में बैठते ही ड्राइविंग पर निकल जाने का आनंद देती है. आपको इसके फैन सेटिंग और टेम्परेचर सेट करने वाले क्नॉब्स को छेड़ने की बिलकुल ज़रुरत नहीं है और ये सब संभव हो पाता है इसके अनोखे क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम की वजह से. आप एक बार अपनी पसंद के अनुसार केबिन का टेम्परेचर सेट करके उसके बारे में बिलकुल भूल सकते हैं. उसके बाद ये खुद की केबिन का टेम्परेचर जांच कर उसके अनुसार पंखों की स्पीड और हवा के टेम्परेचर को आपकी पसंद के अनुसार बदल देता है. इससे आपको हमेशा मिलता है एक आरामदायक केबिन

ये भी पढ़ें- Hyundai #AllRoundAura: हर पल आपके साथ

इसके एयर कंडीशनिंग सिस्टम पर लगा इकोकोटिंग लंबे समय तक इसे नए जैसा बनाए रखता है, जिससे आपको एक ज्यादा फ्रेश केबिन मिलता  है. इसका रियर-सीट एयर कंडीशनिंग सिस्टम आपको बहुत ही सुखद अनुभव देने के साथ Aura को एक कम्पलीट पैकेज बनता है. #AllRoundAura.

परवीन बॉबी से सुशांत सिंह राजपूत की तुलना पर भड़की कंगना रनौत, किए कई खुलासे

बीते दिनों बॉलीवुड कलाकार सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को लेकर जहां लोग अपना दुख जाहिर कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो डिप्रेशन के नई-नई कहानी बना रहे हैं. हाल ही में मुकेश भट्ट ने सुशांत के निधन के बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि, उन्हें पता चलने लगा था कि सुशांत सिंह राजपूत, परवीन बाबी की तरह हरकतें करने लगे थे, जिससे उनके डिप्रेशन का पता चल रहा था. वहीं अब बौलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत सुशांत के सपोर्ट में आ गई हैं और मुकेश भट्ट को आड़े हाथ ले लिया है. आइए आपको बताते हैं बौलीवुड को लेकर क्या खुलासे करती हैं कंगना….

मुकेश भट्ट के बयान पर नाराजगी जताते हुए किए कई खुलासे

सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद कंगना रनौत ने एक वीडियो शेयर कर बॉलीवुड को खरी-खोटी सुनाई थी और अब एक बार फिर से उन्होंने मुकेश भट्ट के सुशांत को परवीन बाबी के जैसा बताने पर नाराजगी जताते हुए कहा है, ‘उन लोगों ने परवीन बाबी के साथ क्या किया यह पूरा जमाना जानता है.’

ये भी पढ़ें- खुलासा: सुशांत को सुनाई देती थी अजीब सी आवाजें, डर गई थी गर्लफ्रेंड

ऋतिक से ब्रेकअप को लेकर भी बोलीं कंगना

 

View this post on Instagram

 

Wait for It 😁😅 Follow :- @funnyheistin ▪ ▪ ▪ ▪ ▪ ▪ Tags :- #kanganaranaut #nepotism #boycottbollywood #boycott #memester #memestgram #indianmemesdaily #indianwebseries #desimeme #humourmemes #desimemes #hasleymemes #bakchodmemes #jaymaharashtra #marathitadka #maharashtramaza #memarathi #beingmarathi #jeejaji #tmkoc #adultgram #jethalal #babitaji #sunnobc #baburao #herapheri #error69 #logkyakahenge @gstedits @ghantatube @sahil_jariwala_edits @_meme.adda_ @shubseditz @shubhankar_editzz @theroastingfox @mirchi_himanshu @bakchoodi_wala @bakchod__memes18 @shivam_editz_ @prashant.edits @pankaj.edits36 @arshrajedits @chiracutz @besavager @the.messy.editz @whovishstiffler @sachin_shirsat_editz @animantaz @undergroundmemer1

A post shared by Funny | Memes | Comedy | SEO (@funnyheistin) on

कंगना ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘ऋतिक और मेरा रिश्ता खत्म होने के बाद महेश भट्ट ने कहा था कि मैं खत्म हो जाऊंगी. उन्होंने यह दावा किया था कि ऋतिक ने जो प्रूव उन्हें दिखाए हैं, उनसे साफ है कि मैं अपने अंत की तरफ बढ़ रही हूं. मैं जानती हूं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था ? उस बात को चार साल हो चुके हैं और मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ है. उन्हें ऐसा क्यों लगा था कि कुछ गलत होने वाला है? उन्हें क्यों लगता था कि मेरा अंत करीब है? और अब उनका भाई इस मुद्दे पर बात कर रहा है और कह रहा है कि सुशांत, परवीन बाबी बन चुके थे. वो कौन होते हैं यह कहने वाले ?’

 

View this post on Instagram

 

Sushant Singh Rajput’s family performs Asthi Visarjan (Ashes Immersion) in Ganga River. #OmShanti. . . Follow @instanews.adm . . Credit :-@instantbollywood . Dm us for video removal. . The video has been shot with family’s permission. . #sushantsinghrajput #sushantsinghrajput #sushant #pinkvilla #sushantsinghrajput #rip #restinpeace #sushant #alldatmatterz #sushantsinghrajput #saraalikhan #kedarnath #SaraAliKhan ripsushant #news #sushantnews #ripsushant #ripsushanthsinghraput #bollywood #sushantsinghrajput #ripsushant #restinpeace #sushantsingh #sushantsinghrajput #shockingnews #bollywoodnews #bollywoodactor #kanganaranaut #bombaytimes #sushantsinghrajputfans #sushantsinghrajputfc #sushantobsessed #sushant #sushanthsinghrajput

A post shared by Alldatmatterz (@instanews.adm) on

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस: पटना में पिता ने बेटे को दी अंतिम विदाई

बता दें, हाल ही में मुकेश भट्ट की एडवाइजर ने भी बयान दिया था कि सुशांत सिंह राजपूत को आवाजें सुनाई देने लगी थीं और वह कहते थे कि उन्हें कोई मार देगा, जिसके कारण उन्होंने रूमर्ड गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को सुशांत से दूर जाने की सलाह दी थी.

सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस: पटना में पिता ने बेटे को दी अंतिम विदाई

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के सुसाइड मामले के बाद नए –नए खुलासे हो रहे हैं. जहां बौलीवुड के नामी लोगों पर केस दर्ज हुए हैं तो वहीं सुशांत के करीबी लोगों से पूछताछ का सिलसिला भी जारी है. इसी बीच मुंबई में अंतिम संस्कार होने के बाद सुशांत (Sushant singh rajput) की फैमिली ने पटना में उनकी अस्थियों को विसर्जित किया, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

सुशांत के पिता ने की अस्थि विसर्जित

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के पिता ने बीते दिन यानी 18 जून को एमआईटी गंगा घाट पर अपने बेटे की अस्थियां विसर्जित की. इस दौरान एक्टर की बहनें भी पिता के साथ नजर आईं. इस दौरान ली गई एक फोटोज के जरिए फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर आखिरी विदाई दे रहे है. साथ ही इन फोटोज एक्टर के पिता हाथ में कलश लिए नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद केस दर्ज होने पर ऐसे फूटा एकता कपूर का गुस्सा

पिता की तबियत चल रही है खराब

 

View this post on Instagram

 

😞😞😞 . . . . . . . . . #sushantsinghrajput

A post shared by @ tharkii.bachaa on

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के सुसाइड की खबर से जहां उनका पूरा परिवार सदमे में है तो वहीं उनके पिता को भी गहरा धक्का लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुशांत के पिता की तबियत इन दिनों ठीक नहीं चल रही है और उनका इलाज चल रहा है. सुशांत के अंतिम संस्कार के बाद से उनके पिता की तबियत काफी खराब बताई जा रही है और सुनने में आ रहा है कि वो मुंबई में बेहोश भी हो गए थे.

बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस में पुलिस लगातार मामले की जांच कर रही है और लोगों से पूछताछ कर रही है. इसी बीच आधिकारिक बयान दर्ज कराने के लिए बांद्रा स्थित पुलिस स्टेशन पहुंची रिया चक्रवर्ती  से पुलिस ने 9 घंटे तक पूछताछ की. वहीं उनके कई खास दोस्तों के भी बयान दर्ज किए गए है. अब देखना ये है कि सुशांत के सुसाइड मामले में बौलीवुड का कौनसा सच सामने आता है.

ये भी पढ़ें- खुलासा: सुशांत को सुनाई देती थी अजीब सी आवाजें, डर गई थी गर्लफ्रेंड

फोटो क्रेडिट- News24

फैशन के मामले में बौलीवुड हिरोइन्स को मात देती हैं ‘उतरन’ फेम टीना दत्ता, देखें फोटोज

टीवी के पौपुलर शो ‘उतरन’ में इच्छा का रोल से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस टीना दत्ता (Tina Datta) इन दिनों गोवा में हैं. कोरोना वायरस लॉकडाउन लगने से पहले टीना यहां योगा की प्रैक्टिस करने के लिए गई थीं, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने तक वहीं फंसी रह गई. वहीं अब वह अपने फैशन और बोल्ड फोटोज को फैंस के साथ शेयर कर रही है.

टीना दत्ता (Tina Datta)भले ही कम टीवी शोज में नजर आ रही हैं, लेकिन वह इस बीच अपने फैशन और फिटनेस को संवारने में लगी हुई हैं. आइए आपको दिखाते हैं टीवी की इस हसीना का फैशन, जिसे कम हाइट वाली लड़कियां आसानी से कैरी कर सकती हैं.

1. क्रॉप टौप फैशन है परफेक्ट

समर हो या मॉनसून फैशन हर सीजन में चाहिए होता है और लड़कियों की बात की जाए तो उन्हें हर सीजन के लिए नए आउटफिट की जरूरत होती है. हाल ही में टीना पिंक कलर के क्रॉपटौप के साथ डैनिम शौट्स पहने नजर आईं थीं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

ये भी पढ़ें- फेस शेप के हिसाब से कौन सा ईयरिंग्स होता है best

2. बूट हील्स के कौम्बिनेशन को करें ट्राय

अगर आपकी हाइट छोटी है और आप अपने लुक को खूबसूरत दिखाना चाहती हैं तो डैनिम जींस के साथ वाइट क्रौप टौप ट्राय करें. इसके साथ आप टीना की तरह हाइ हील्स वाले बूटस ट्राय कर सकती हैं.

3. औफिस के लिए ट्राय करें ये लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by 💫Tinzi💫 (@dattaatinaa) on

अगर आप भी अपने औफिस लुक को घर बैठे अपग्रेड करना चाहती हैं तो टीना की तरह रैट्रो पैंट के साथ ब्लेजर आपके लुक को स्टाइलिश और कम्फरटेबल बनाएगा. साथ ही हील्स के साथ आपका ये लुक हौट और परफेक्ट दिखेगा.

4. शादी फंक्शन के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

View this post on Instagram

 

Styled by @hemlataa9 With @triptii_singhh Outfit @ishamittalofficial Jewellery @shayagrams

A post shared by 💫Tinzi💫 (@dattaatinaa) on

अगर आप किसी प्राइवेट वेडिंग में सिंपल लेकिन स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो टीना का ये लाइट कलर वाला हैवी एम्ब्रौयडरी वाला लहंगा परफेक्ट औप्शन है.

ये भी पढ़ें- मेकअप से लेकर फैशन तक हर मामले में मां श्वेता तिवारी को टक्कर देती हैं बेटी Palak, देखें फोटोज

5. पोल्का डौट ड्रैस करें ट्राय

अगर आप समर में ड्रैस के कलेक्शन ढूंढ रही हैं तो टीना दत्ता की पोलका डौट वाली वाइट ड्रैस परफेक्ट औप्शन है. ये सिंपल के साथ-साथ खूबसूरत भी है, जो आपके लुक में चार चांद लगा देगी.

नोवल कोरोना वायरस: अपनेआप बना या मैन-मेड है ?

वायरसी महामारी से दुनिया में तबाही मचाने वाले नोवल कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर रिसर्च की जा रही है, बहसें हो रही हैं, आरोपप्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. वहीं, इस के पीछे की साइंस का पता लगाने के लिए साइंटिस्ट्स जुटे पड़े हैं.

राजनेताओं या देशों की बात नहीं, कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस मानव निर्मित नहीं है जबकि कुछ वैज्ञानिकों का यह मत है कि वायरोलोजी साइंटिस्ट्स ने इसे बनाया है. अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीन के विशेषज्ञों में इसे क्रिएट किया है जबकि चीन इसे नकारता रहा है. वहीँ, कुछ देशों के वैज्ञानिकों ने इसे अमेरिका के एक वैज्ञानिक संस्थान में चीनी मूल के साइंटिस्ट द्वारा क्रिएट किए जाने की बात कही है. बहरहाल, इस वायरस पर तरहतरह के शोध हो रहे हैं और शोधों की रिपोर्टें रोजबरोज जारी की जाती है. वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी एक ताज़ा रिपोर्ट भी जारी की गई है.

…और क्रिएट हो गया वायरस :

रिसर्च में जुटे 2 सीनियर साइंटिस्ट्स को पता चला है कि नोवल कोरोना वायरस पहले से ही मानव शरीर से परिचित था और इस वायरस की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो प्रकृति में कभी रही ही नहीं हैं.

रूसी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने नौर्वे की एनआरके न्यूज़ के हवाले से लिखा है कि कोविड-19 बीमारी पर शोध से पता चलता है कि यह नोवल कोरोना वायरस बनाया हुआ है और इसे चीन व अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है.

नौर्वे के वैज्ञानिक ब्रिक सोरेन्सन और ब्रिटेन के वैज्ञानिक प्रोफेसर डगलस के अनुसार, नोवल कोरोना वायरस पर शोध से पता चलता है कि यह अपनेआप नहीं बना यानी प्राकृतिक नहीं है. इसलिए आशंका यह है कि इस वायरस को चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है. सोरेन्सन और ब्रिटेन के प्रोफेसर डगलस का मानना है कि कोरोना वायरस का जो मुकुट है उस में कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिन के अध्ययन से पता चलता है कि वे उस में कुदरती तौर पर नहीं थे बल्कि बाकायदा वहां रखे गए हैं.

ये भी पढ़ें- तनाव के कोरोना से जूझती कामकाजी महिलाएं

इन दोनों वैज्ञानिकों का इसी प्रकार से यह भी  कहना है कि लोगों के बीच फैलाव के बाद इस वायरस में बदलाव नहीं हुआ, जिस का अर्थ यह है कि यह वायरस पहले ही मानव शरीर से परिचित था और इस वायरस की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो कभी प्रकृति में नहीं रही हैं.

सोरेन्सन का कहना है कि जब तक वायरस की तकनीकी रूप में विशेषता मालूम करते हैं तो हमें पता चलता है कि यह प्राकृतिक कारणों से पैदा नहीं हुआ है बल्कि यह वायरस अमेरिकी और चीनी वैज्ञानिकों के एक शोध के दौरान पैदा हो गया है. वे कहते हैं ये सब काम पूरी दुनिया में होते हैं, लेकिन कोई इन सब चीज़ों के बारे में बात नहीं करता. मगर, दुनिया की आधुनिक प्रयोगशालाओं में इस प्रकार के काम होते रहते हैं.

मालूम हो कि चीन और अमेरिका कई वर्षों से कोरोना वायरस के बारे में एकदूसरे के सहयोग से अध्ययन कर रहे हैं. प्रयोगों के दौरान, वैज्ञानिक वायरस के संक्रमण को बढ़ाते हैं ताकि वैज्ञानिक प्रयोगों में आसानी हो. बदले हुए इन वायरसेस को ‘काइमेरा’ कहा जाता है.

गौरतलब है कि इन दोनों वैज्ञानिकों के शोध रिपोर्ट जारी होने के बाद ब्रिटिश मीडिया में विवाद पैदा हो गया है. वर्ष 1999 से वर्ष 2004 के बीच ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-6 (MI-6) के प्रमुख रहे रिचर्ड डियरलव ने एक इंग्लिश डेली से बातचीत में कहा कि इन दोनों वैज्ञानिकों के अध्ययन से यह लगता है कि पूरी दुनिया को पंगु बनाने वाली कोविड-19 की छुआछूत की बीमारी हो सकता है किसी प्रयोगशाला से निकली हो, वह चाहे किसी देश में स्थित हो.

रिचर्ड डियरलव का कहना है, “मेरे खयाल में सबकुछ जानबूझ कर नहीं बल्कि एक दुर्घटना से शुरू हुआ होगा.” ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के एक प्रतिनिध ने डियरलव के इस बयान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि अभी तक ऐसा कोई सुबूत सामने नहीं आया जिस से यह पता चलता हो कि यह वायरस बनाया गया है.

प्राकृतिक या मानवनिर्मित ! :

शोधकर्ताओं ने अब छुआछूत की महामारी फैलने के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है, जो यह बता सकता है कि महामारी प्राकृतिक है या मानवनिर्मित. शोधकर्ताओं का कहना है कि नए उपकरण के जरिए कोविड-19 जैसी महामारियों की उत्पत्ति की जांच करना आसान हो जाएगा.

आस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, आमतौर पर माना जाता है हर प्रकोप मूलरूप से प्राकृतिक होता है. इस के जोखिमों की उत्पत्ति का आकलन करते समय आमतौर पर अप्राकृतिक कारणों को शामिल नहीं किया जाता. इस का सब से बड़ा नुकसान यह हो सकता है कि हमें भविष्य में किसी दूसरी महामारी का सामना करना पड़े. इसीलिए समय बदलने के साथसाथ हमें किसी भी महामारी के फैलने पर इस के अप्राकृतिक कारणों पर भी गौर करना चाहिए ताकि भावी पीढ़ियों को उन की जान के जोखिम से बचाया जा सके.

रिस्क एनालिसिस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि महामारी के कारकों का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने जीएफटी नामक एक मूल्यांकन उपकरण को मौडिफाइड कर ‘एमजीएफटी’ बनाया है. बता दें कि जीएफटी का प्रयोग पिछले प्रकोपों का मूल्यांकन करने के लिए भी किया गया था.

ये भी पढ़ें- सावधान- कोविड-19 के नियमों का करेंगे उल्लंघन तो देना पड़ेगा जुर्माना

11 मानदंडों पर आधारित उपकरण :

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस उपकरण में यह निर्धारित करने के लिए 11 मानदंड हैं कि महामारी का प्रकोप अप्राकृतिक है या प्राकृतिक. यह इस बात का भी पता लगा सकता है कि महामारी राजनीतिक या आंतकवादियों द्वारा किए गए बायोलौजिकल (जैविक) हमले का परिणाम तो नहीं है. उन का कहना है कि नए उपकरण में ऐसी क्षमता भी है कि यह इस बात की परख भी कर सकता है कि रोगजनक जीव (पैथोजंस) असामान्य, दुर्लभ या इन्हें सिंथेटिक जैव प्रौद्योगिकी द्वारा जीन एडिट कर के तैयार किया गया है. फिलहाल यह उपकरण परीक्षण के दौर से गुजर रहा है.

बहरहाल, एक थ्योरी यह भी है कि यह वायरस किसी जीव में प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ. मानव द्वारा उस जीव को खाने से वह मानव में पहुंच गया. मानव तो मांसाहारी है ही, किसी भी जीव को खा लेता है. यह थ्योरी भी वैज्ञानिकों की ही है. अगर ऐसा है तो वायरस की उत्पत्ति व कोविद-19 महामारी फैलने/फ़ैलाने में प्रकृति के साथ मानव भी शामिल हुआ. तो फिर तो, नोवल कोरोना वायरस प्रकृति व मानव का साझा क्रिएशन हुआ यानी प्रकृतिनिर्मित भी और मानवनिर्मित भी.

ये बातें बौस को नहीं पसंद

लेखिका- आरती श्रीवास्तव

जब तक आप खुद अपने बौस न हों, आप कहीं भी काम करें आप का कोई न कोई बौस जरूर होगा. बौस आप से खुश रहे, यह आप के लिए अच्छा है और एक प्रकार से जरूरी भी है. ‘द बौस इज औलवेज राइट’ यह कथन हम सब ने सुना होगा. हालांकि, इस का मतलब यह नहीं लगा लेना चाहिए कि बौस के साथ आप का कोई मतभेद नहीं होना चाहिए या बौस कभी गलत हो ही नहीं सकता. बौस भी हमारी तरह हाड़मांस का जीव होता है और हम जिन भूमिकाओं में हैं ऐसी ही भूमिकाओं से गुजरते हुए वह बौस की कुरसी तक पहुंचा होता है.

जैसे कर्मचारी अलगअलग प्रकार के होते हैं वैसे ही बौस लोगों की भी किस्में हुआ करती हैं. यदि बौस परिपक्व तथा संतुलित दृष्टिकोण वाला है तो अपने मातहतों से उस की अपेक्षाएं भी वाजिब होंगी. इस तरह के बौस को चापलूसी व जीहुजूरी नहीं पसंद होती. उत्तम कोटि के बौस अपनी टीम के सदस्यों के कार्य, उत्पादकता व आचरण पर नजर रखते हैं और इन्हीं के आधार पर कर्मचारियों का मूल्यांकन करते हैं. यदि आप निष्ठापूर्वक तथा ईमानदारी से संगठन में अपना काम करते हैं तो बौस की नजर में आप को अच्छा कर्मचारी माना ही जाना चाहिए. ज्यादा जरूरी यह जानना है कि योग्य बौस अपने कर्मचारियों में किन बातों को पसंद नहीं करते. ये सारी बातें काम से ही जुड़ी हुई हैं.

आप बौस के पास बिजनैस से जुड़ी किसी चर्चा के लिए जाते हैं और यह जाहिर होता है कि आप पूरी तैयारी के साथ नहीं गए हैं तो बौस को अच्छा नहीं लगता. आप के लिए सिर्फ विचार प्रकट करना पर्याप्त नहीं, विचार के पीछे तर्क भी बताने को तैयार रहना चाहिए. कुछ बौस निर्णय लेने में आंकड़ों पर बहुत निर्भर करते हैं. वहां अपनी बात को वजनदार बनाने के लिए आप को आंकड़ों पर आधारित अनुमानों के साथ जाना होगा.

ये  भी पढ़ें- हेल्थ, ब्यूटी और हौबी के लिए मिला समय

किसी को कुछ नया, कुछ अलग करने को कहा जाए और वह सीधे कह दे कि उस से यह नहीं होगा तो यह अच्छी छवि नहीं पेश करता. उत्तर होना चाहिए ‘हां, मैं कोशिश करता हूं और मदद की जरूरत होगी तो अमुक से पूछ लूंगा.’

संगठनों में काम का बोझ कभी कम, कभी सामान्य तो कभी ज्यादा हुआ करता है. कर्मचारियों की भूमिकाएं भले विभाजित हों, पर एक अच्छी टीम में जरूरत के अनुसार सदस्य एकदूसरे के साथ कार्य शेयर करते हैं.

प्रत्येक कर्मचारी को अच्छा टीम प्लेयर होना चाहिए. आप इस पर ध्यान देंगे तो दिनोंदिन बेहतर होते जाएंगे. जब कोई कंपनी कर्मचारियों का चयन कर रही होती है तो उम्मीदवार में टीमभावना की परख विशेष रूप से करती है. लोगों से ही टीम बनती है तथा संगठन टीमों को मिला कर बना होता है. हां, कार्य को ले कर आप से कोई बिलकुल अनुचित अपेक्षा की जाए तो आप विनम्रतापूर्वक अपना प्रतिरोध व्यक्त कर सकते हैं, करना भी चाहिए.

कंपनियां लोगों को उन की योग्यताओं, कुशलताओं तथा दृष्टिकोण अर्थात एटीट्यूड के आधार पर चुनती हैं. पर इस का मतलब यह नहीं होता कि आप हमेशा उसी स्तर पर बने रहेंगे. समय के साथ इन का विकास होना चाहिए, तभी तो आप का भी विकास होगा.

नया ज्ञान हासिल करने, नई कुशलताएं अर्जित करने तथा अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के प्रति उदासीनता आप में निहित संभावनाओं को साकार होने से तो रोकेगी ही, आप बौस की दृष्टि में भी कभी सामान्य से विशिष्ट नहीं हो पाएंगे.

मौका देख कर बौस के सामने औरों की कमियां गिनाने वाले शायद यह बताना चाहते हैं कि वे खुद कितने अच्छे हैं. समझदार बौस ऐसी आलोचनाएं सुन भले ही लें, कर्मचारियों के विषय में राय बनाने के लिए औरों की टिप्पणियों को महत्त्व नहीं देते.

बौस खुद भी तो देखता रहता है कि कौन कर्मचारी क्या और कैसे कार्य कर रहा है. निर्णय लेने में ढीला या अकुशल होना भी आप की छवि बिगाड़ता है. कई संगठनों में जो प्रणाली है, उस के अनुसार बौस को नीचे वालों की संस्तुतियों पर निर्णय लेना होता है. अगर यह संस्तुति करना आप का कार्य है तो आप की टिप्पणी स्पष्ट होनी चाहिए कि किसी प्रस्ताव विशेष को स्वीकार किया जाना है या नहीं, साथ ही, इस के साथ औचित्य भी बताना चाहिए.

ये भी पढ़ें- क्या आपने 9 करोड़ की चाय पी है? जानिए दुनिया की कुछ महंगी चाय के बारे में

हमारा अपनी मुश्किलों को ले कर परेशान होना स्वाभाविक है. परंतु मुश्किलें और चुनौतियां आप की कंपनी के साथ भी होती हैं. संगठन के सभी कर्मचारियों को खुद रुचि ले कर जानना चाहिए कि कंपनी का कारोबार कैसा चल रहा है, इस के समक्ष किस प्रकार की चुनौतियां हैं तथा आप कंपनी की मदद किस प्रकार से कर सकते हैं.

सिर्फ अपनी सीट पर बैठे हुए कार्य करते रहना, कोई नवीन पहल न करना तथा प्रत्येक छोटेबड़े परिवर्तन का प्रकट या अप्रकट रूप से विरोध करना आप की छवि को खराब करता है. क्या आप ऐसा चाहेंगे?

पढ़ाई और मनोरंजन के लिए मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों को नुकसान हो रहा है?

सवाल-

मेरी उम्र 22 साल है. कोविड-19 के कारण लगे लौकडाउन के दौरान मेरा कालेज हमें औनलाइन क्लासेज दे रहा है जिस के लिए मैं लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. इस के बाद मैं मनोरंजन के लिए भी मोबाइल और लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. अब मेरी आंखों में मुझे समस्या होने लगी है जैसे कि दर्द और जलन. मुझे बताएं ऐसा क्यों हो रहा है और इन से छुटकारा कैसे पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताई गई समस्या से पता चलता है कि आप को ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या है. लैपटौप की स्क्रीन का ज्यादा देर तक देखने से ड्राई आई यानी कि आंखों में सूखेपन की समस्या होती है.

इस सूखेपन के कारण ही आंखें में खुजली, दर्द और जलन का एहसास होता है. ऐसे में व्यक्ति खुजली दूर करने के लिए आंखों को तेजी से मलने लगता है, जिस से समस्या और अधिक बढ़ती है.

यदि आप को वाकई इस समस्या से छुटकारा पाना है तो सब से पहले तो मोबाइल या लैपटौप का इस्तेमाल कम कर दें. केवल जरूरत पड़ने पर ही इन का इस्तेमाल करें. लैपटौप को चलाते वक्त पलकों की जल्दीजल्दी झपकाएं. बीचबीच में ब्रैक लें और 20 फीट की दूरी पर रखें.

लैपटौप की ब्राइटनैस कम रखें और काम खत्म हो जाने के बाद आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें. इस के बाद कुछ देर आंखों को बंद करें. इस से आंखों को आराम मिलेगा. अपने खानपान पर ध्यान दें और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.

ये भी पढ़ें

वर्क फ्रौम होम यानी घर बैठे नौकरी करें. जी हां, कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें घर बैठे किया जा सकता है. आप दुनिया में कहीं भी हों, इंटरनैट और वाईफाई की सहायता से इन कामों को बखूबी कर सकती हैं. इस से काम देने वाले और काम करने वाले दोनों को लाभ है. खासकर ऐसी मांएं या पिता अथवा दोनों के लिए जो अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं. पहले यह सुविधा पश्चिमी विकसित देशों तक ही सीमित थी. मगर अब हमारे देश में इंटरनैट और वाईफाई के विस्तार के कारण वर्क फ्रौम होम यहां भी संभव है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वर्क फ्रौम होम के फायदे और नुकसान

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें