Hyundai #AllRoundAura: क्लाइमेट कंट्रोल के बेहतरीन फीचर के साथ

हुंडई Aura आपको कार में बैठते ही ड्राइविंग पर निकल जाने का आनंद देती है. आपको इसके फैन सेटिंग और टेम्परेचर सेट करने वाले क्नॉब्स को छेड़ने की बिलकुल ज़रुरत नहीं है और ये सब संभव हो पाता है इसके अनोखे क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम की वजह से. आप एक बार अपनी पसंद के अनुसार केबिन का टेम्परेचर सेट करके उसके बारे में बिलकुल भूल सकते हैं. उसके बाद ये खुद की केबिन का टेम्परेचर जांच कर उसके अनुसार पंखों की स्पीड और हवा के टेम्परेचर को आपकी पसंद के अनुसार बदल देता है. इससे आपको हमेशा मिलता है एक आरामदायक केबिन

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इसके एयर कंडीशनिंग सिस्टम पर लगा इकोकोटिंग लंबे समय तक इसे नए जैसा बनाए रखता है, जिससे आपको एक ज्यादा फ्रेश केबिन मिलता  है. इसका रियर-सीट एयर कंडीशनिंग सिस्टम आपको बहुत ही सुखद अनुभव देने के साथ Aura को एक कम्पलीट पैकेज बनता है. #AllRoundAura.

परवीन बॉबी से सुशांत सिंह राजपूत की तुलना पर भड़की कंगना रनौत, किए कई खुलासे

बीते दिनों बॉलीवुड कलाकार सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को लेकर जहां लोग अपना दुख जाहिर कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो डिप्रेशन के नई-नई कहानी बना रहे हैं. हाल ही में मुकेश भट्ट ने सुशांत के निधन के बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि, उन्हें पता चलने लगा था कि सुशांत सिंह राजपूत, परवीन बाबी की तरह हरकतें करने लगे थे, जिससे उनके डिप्रेशन का पता चल रहा था. वहीं अब बौलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत सुशांत के सपोर्ट में आ गई हैं और मुकेश भट्ट को आड़े हाथ ले लिया है. आइए आपको बताते हैं बौलीवुड को लेकर क्या खुलासे करती हैं कंगना….

मुकेश भट्ट के बयान पर नाराजगी जताते हुए किए कई खुलासे

सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद कंगना रनौत ने एक वीडियो शेयर कर बॉलीवुड को खरी-खोटी सुनाई थी और अब एक बार फिर से उन्होंने मुकेश भट्ट के सुशांत को परवीन बाबी के जैसा बताने पर नाराजगी जताते हुए कहा है, ‘उन लोगों ने परवीन बाबी के साथ क्या किया यह पूरा जमाना जानता है.’

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ऋतिक से ब्रेकअप को लेकर भी बोलीं कंगना

 

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कंगना ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘ऋतिक और मेरा रिश्ता खत्म होने के बाद महेश भट्ट ने कहा था कि मैं खत्म हो जाऊंगी. उन्होंने यह दावा किया था कि ऋतिक ने जो प्रूव उन्हें दिखाए हैं, उनसे साफ है कि मैं अपने अंत की तरफ बढ़ रही हूं. मैं जानती हूं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था ? उस बात को चार साल हो चुके हैं और मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ है. उन्हें ऐसा क्यों लगा था कि कुछ गलत होने वाला है? उन्हें क्यों लगता था कि मेरा अंत करीब है? और अब उनका भाई इस मुद्दे पर बात कर रहा है और कह रहा है कि सुशांत, परवीन बाबी बन चुके थे. वो कौन होते हैं यह कहने वाले ?’

 

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Sushant Singh Rajput’s family performs Asthi Visarjan (Ashes Immersion) in Ganga River. #OmShanti. . . Follow @instanews.adm . . Credit :-@instantbollywood . Dm us for video removal. . The video has been shot with family’s permission. . #sushantsinghrajput #sushantsinghrajput #sushant #pinkvilla #sushantsinghrajput #rip #restinpeace #sushant #alldatmatterz #sushantsinghrajput #saraalikhan #kedarnath #SaraAliKhan ripsushant #news #sushantnews #ripsushant #ripsushanthsinghraput #bollywood #sushantsinghrajput #ripsushant #restinpeace #sushantsingh #sushantsinghrajput #shockingnews #bollywoodnews #bollywoodactor #kanganaranaut #bombaytimes #sushantsinghrajputfans #sushantsinghrajputfc #sushantobsessed #sushant #sushanthsinghrajput

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बता दें, हाल ही में मुकेश भट्ट की एडवाइजर ने भी बयान दिया था कि सुशांत सिंह राजपूत को आवाजें सुनाई देने लगी थीं और वह कहते थे कि उन्हें कोई मार देगा, जिसके कारण उन्होंने रूमर्ड गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को सुशांत से दूर जाने की सलाह दी थी.

सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस: पटना में पिता ने बेटे को दी अंतिम विदाई

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के सुसाइड मामले के बाद नए –नए खुलासे हो रहे हैं. जहां बौलीवुड के नामी लोगों पर केस दर्ज हुए हैं तो वहीं सुशांत के करीबी लोगों से पूछताछ का सिलसिला भी जारी है. इसी बीच मुंबई में अंतिम संस्कार होने के बाद सुशांत (Sushant singh rajput) की फैमिली ने पटना में उनकी अस्थियों को विसर्जित किया, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

सुशांत के पिता ने की अस्थि विसर्जित

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के पिता ने बीते दिन यानी 18 जून को एमआईटी गंगा घाट पर अपने बेटे की अस्थियां विसर्जित की. इस दौरान एक्टर की बहनें भी पिता के साथ नजर आईं. इस दौरान ली गई एक फोटोज के जरिए फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर आखिरी विदाई दे रहे है. साथ ही इन फोटोज एक्टर के पिता हाथ में कलश लिए नजर आ रहे हैं.

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पिता की तबियत चल रही है खराब

 

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant singh rajput) के सुसाइड की खबर से जहां उनका पूरा परिवार सदमे में है तो वहीं उनके पिता को भी गहरा धक्का लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुशांत के पिता की तबियत इन दिनों ठीक नहीं चल रही है और उनका इलाज चल रहा है. सुशांत के अंतिम संस्कार के बाद से उनके पिता की तबियत काफी खराब बताई जा रही है और सुनने में आ रहा है कि वो मुंबई में बेहोश भी हो गए थे.

बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस में पुलिस लगातार मामले की जांच कर रही है और लोगों से पूछताछ कर रही है. इसी बीच आधिकारिक बयान दर्ज कराने के लिए बांद्रा स्थित पुलिस स्टेशन पहुंची रिया चक्रवर्ती  से पुलिस ने 9 घंटे तक पूछताछ की. वहीं उनके कई खास दोस्तों के भी बयान दर्ज किए गए है. अब देखना ये है कि सुशांत के सुसाइड मामले में बौलीवुड का कौनसा सच सामने आता है.

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फोटो क्रेडिट- News24

फैशन के मामले में बौलीवुड हिरोइन्स को मात देती हैं ‘उतरन’ फेम टीना दत्ता, देखें फोटोज

टीवी के पौपुलर शो ‘उतरन’ में इच्छा का रोल से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस टीना दत्ता (Tina Datta) इन दिनों गोवा में हैं. कोरोना वायरस लॉकडाउन लगने से पहले टीना यहां योगा की प्रैक्टिस करने के लिए गई थीं, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने तक वहीं फंसी रह गई. वहीं अब वह अपने फैशन और बोल्ड फोटोज को फैंस के साथ शेयर कर रही है.

टीना दत्ता (Tina Datta)भले ही कम टीवी शोज में नजर आ रही हैं, लेकिन वह इस बीच अपने फैशन और फिटनेस को संवारने में लगी हुई हैं. आइए आपको दिखाते हैं टीवी की इस हसीना का फैशन, जिसे कम हाइट वाली लड़कियां आसानी से कैरी कर सकती हैं.

1. क्रॉप टौप फैशन है परफेक्ट

समर हो या मॉनसून फैशन हर सीजन में चाहिए होता है और लड़कियों की बात की जाए तो उन्हें हर सीजन के लिए नए आउटफिट की जरूरत होती है. हाल ही में टीना पिंक कलर के क्रॉपटौप के साथ डैनिम शौट्स पहने नजर आईं थीं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

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2. बूट हील्स के कौम्बिनेशन को करें ट्राय

अगर आपकी हाइट छोटी है और आप अपने लुक को खूबसूरत दिखाना चाहती हैं तो डैनिम जींस के साथ वाइट क्रौप टौप ट्राय करें. इसके साथ आप टीना की तरह हाइ हील्स वाले बूटस ट्राय कर सकती हैं.

3. औफिस के लिए ट्राय करें ये लुक

 

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अगर आप भी अपने औफिस लुक को घर बैठे अपग्रेड करना चाहती हैं तो टीना की तरह रैट्रो पैंट के साथ ब्लेजर आपके लुक को स्टाइलिश और कम्फरटेबल बनाएगा. साथ ही हील्स के साथ आपका ये लुक हौट और परफेक्ट दिखेगा.

4. शादी फंक्शन के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

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Styled by @hemlataa9 With @triptii_singhh Outfit @ishamittalofficial Jewellery @shayagrams

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अगर आप किसी प्राइवेट वेडिंग में सिंपल लेकिन स्टाइलिश दिखना चाहती हैं तो टीना का ये लाइट कलर वाला हैवी एम्ब्रौयडरी वाला लहंगा परफेक्ट औप्शन है.

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5. पोल्का डौट ड्रैस करें ट्राय

अगर आप समर में ड्रैस के कलेक्शन ढूंढ रही हैं तो टीना दत्ता की पोलका डौट वाली वाइट ड्रैस परफेक्ट औप्शन है. ये सिंपल के साथ-साथ खूबसूरत भी है, जो आपके लुक में चार चांद लगा देगी.

नोवल कोरोना वायरस: अपनेआप बना या मैन-मेड है ?

वायरसी महामारी से दुनिया में तबाही मचाने वाले नोवल कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर रिसर्च की जा रही है, बहसें हो रही हैं, आरोपप्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. वहीं, इस के पीछे की साइंस का पता लगाने के लिए साइंटिस्ट्स जुटे पड़े हैं.

राजनेताओं या देशों की बात नहीं, कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस मानव निर्मित नहीं है जबकि कुछ वैज्ञानिकों का यह मत है कि वायरोलोजी साइंटिस्ट्स ने इसे बनाया है. अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीन के विशेषज्ञों में इसे क्रिएट किया है जबकि चीन इसे नकारता रहा है. वहीँ, कुछ देशों के वैज्ञानिकों ने इसे अमेरिका के एक वैज्ञानिक संस्थान में चीनी मूल के साइंटिस्ट द्वारा क्रिएट किए जाने की बात कही है. बहरहाल, इस वायरस पर तरहतरह के शोध हो रहे हैं और शोधों की रिपोर्टें रोजबरोज जारी की जाती है. वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी एक ताज़ा रिपोर्ट भी जारी की गई है.

…और क्रिएट हो गया वायरस :

रिसर्च में जुटे 2 सीनियर साइंटिस्ट्स को पता चला है कि नोवल कोरोना वायरस पहले से ही मानव शरीर से परिचित था और इस वायरस की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो प्रकृति में कभी रही ही नहीं हैं.

रूसी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने नौर्वे की एनआरके न्यूज़ के हवाले से लिखा है कि कोविड-19 बीमारी पर शोध से पता चलता है कि यह नोवल कोरोना वायरस बनाया हुआ है और इसे चीन व अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है.

नौर्वे के वैज्ञानिक ब्रिक सोरेन्सन और ब्रिटेन के वैज्ञानिक प्रोफेसर डगलस के अनुसार, नोवल कोरोना वायरस पर शोध से पता चलता है कि यह अपनेआप नहीं बना यानी प्राकृतिक नहीं है. इसलिए आशंका यह है कि इस वायरस को चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बनाया है. सोरेन्सन और ब्रिटेन के प्रोफेसर डगलस का मानना है कि कोरोना वायरस का जो मुकुट है उस में कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिन के अध्ययन से पता चलता है कि वे उस में कुदरती तौर पर नहीं थे बल्कि बाकायदा वहां रखे गए हैं.

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इन दोनों वैज्ञानिकों का इसी प्रकार से यह भी  कहना है कि लोगों के बीच फैलाव के बाद इस वायरस में बदलाव नहीं हुआ, जिस का अर्थ यह है कि यह वायरस पहले ही मानव शरीर से परिचित था और इस वायरस की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो कभी प्रकृति में नहीं रही हैं.

सोरेन्सन का कहना है कि जब तक वायरस की तकनीकी रूप में विशेषता मालूम करते हैं तो हमें पता चलता है कि यह प्राकृतिक कारणों से पैदा नहीं हुआ है बल्कि यह वायरस अमेरिकी और चीनी वैज्ञानिकों के एक शोध के दौरान पैदा हो गया है. वे कहते हैं ये सब काम पूरी दुनिया में होते हैं, लेकिन कोई इन सब चीज़ों के बारे में बात नहीं करता. मगर, दुनिया की आधुनिक प्रयोगशालाओं में इस प्रकार के काम होते रहते हैं.

मालूम हो कि चीन और अमेरिका कई वर्षों से कोरोना वायरस के बारे में एकदूसरे के सहयोग से अध्ययन कर रहे हैं. प्रयोगों के दौरान, वैज्ञानिक वायरस के संक्रमण को बढ़ाते हैं ताकि वैज्ञानिक प्रयोगों में आसानी हो. बदले हुए इन वायरसेस को ‘काइमेरा’ कहा जाता है.

गौरतलब है कि इन दोनों वैज्ञानिकों के शोध रिपोर्ट जारी होने के बाद ब्रिटिश मीडिया में विवाद पैदा हो गया है. वर्ष 1999 से वर्ष 2004 के बीच ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई-6 (MI-6) के प्रमुख रहे रिचर्ड डियरलव ने एक इंग्लिश डेली से बातचीत में कहा कि इन दोनों वैज्ञानिकों के अध्ययन से यह लगता है कि पूरी दुनिया को पंगु बनाने वाली कोविड-19 की छुआछूत की बीमारी हो सकता है किसी प्रयोगशाला से निकली हो, वह चाहे किसी देश में स्थित हो.

रिचर्ड डियरलव का कहना है, “मेरे खयाल में सबकुछ जानबूझ कर नहीं बल्कि एक दुर्घटना से शुरू हुआ होगा.” ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के एक प्रतिनिध ने डियरलव के इस बयान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि अभी तक ऐसा कोई सुबूत सामने नहीं आया जिस से यह पता चलता हो कि यह वायरस बनाया गया है.

प्राकृतिक या मानवनिर्मित ! :

शोधकर्ताओं ने अब छुआछूत की महामारी फैलने के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने के लिए एक नया उपकरण विकसित किया है, जो यह बता सकता है कि महामारी प्राकृतिक है या मानवनिर्मित. शोधकर्ताओं का कहना है कि नए उपकरण के जरिए कोविड-19 जैसी महामारियों की उत्पत्ति की जांच करना आसान हो जाएगा.

आस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, आमतौर पर माना जाता है हर प्रकोप मूलरूप से प्राकृतिक होता है. इस के जोखिमों की उत्पत्ति का आकलन करते समय आमतौर पर अप्राकृतिक कारणों को शामिल नहीं किया जाता. इस का सब से बड़ा नुकसान यह हो सकता है कि हमें भविष्य में किसी दूसरी महामारी का सामना करना पड़े. इसीलिए समय बदलने के साथसाथ हमें किसी भी महामारी के फैलने पर इस के अप्राकृतिक कारणों पर भी गौर करना चाहिए ताकि भावी पीढ़ियों को उन की जान के जोखिम से बचाया जा सके.

रिस्क एनालिसिस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि महामारी के कारकों का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने जीएफटी नामक एक मूल्यांकन उपकरण को मौडिफाइड कर ‘एमजीएफटी’ बनाया है. बता दें कि जीएफटी का प्रयोग पिछले प्रकोपों का मूल्यांकन करने के लिए भी किया गया था.

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11 मानदंडों पर आधारित उपकरण :

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस उपकरण में यह निर्धारित करने के लिए 11 मानदंड हैं कि महामारी का प्रकोप अप्राकृतिक है या प्राकृतिक. यह इस बात का भी पता लगा सकता है कि महामारी राजनीतिक या आंतकवादियों द्वारा किए गए बायोलौजिकल (जैविक) हमले का परिणाम तो नहीं है. उन का कहना है कि नए उपकरण में ऐसी क्षमता भी है कि यह इस बात की परख भी कर सकता है कि रोगजनक जीव (पैथोजंस) असामान्य, दुर्लभ या इन्हें सिंथेटिक जैव प्रौद्योगिकी द्वारा जीन एडिट कर के तैयार किया गया है. फिलहाल यह उपकरण परीक्षण के दौर से गुजर रहा है.

बहरहाल, एक थ्योरी यह भी है कि यह वायरस किसी जीव में प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ. मानव द्वारा उस जीव को खाने से वह मानव में पहुंच गया. मानव तो मांसाहारी है ही, किसी भी जीव को खा लेता है. यह थ्योरी भी वैज्ञानिकों की ही है. अगर ऐसा है तो वायरस की उत्पत्ति व कोविद-19 महामारी फैलने/फ़ैलाने में प्रकृति के साथ मानव भी शामिल हुआ. तो फिर तो, नोवल कोरोना वायरस प्रकृति व मानव का साझा क्रिएशन हुआ यानी प्रकृतिनिर्मित भी और मानवनिर्मित भी.

ये बातें बौस को नहीं पसंद

लेखिका- आरती श्रीवास्तव

जब तक आप खुद अपने बौस न हों, आप कहीं भी काम करें आप का कोई न कोई बौस जरूर होगा. बौस आप से खुश रहे, यह आप के लिए अच्छा है और एक प्रकार से जरूरी भी है. ‘द बौस इज औलवेज राइट’ यह कथन हम सब ने सुना होगा. हालांकि, इस का मतलब यह नहीं लगा लेना चाहिए कि बौस के साथ आप का कोई मतभेद नहीं होना चाहिए या बौस कभी गलत हो ही नहीं सकता. बौस भी हमारी तरह हाड़मांस का जीव होता है और हम जिन भूमिकाओं में हैं ऐसी ही भूमिकाओं से गुजरते हुए वह बौस की कुरसी तक पहुंचा होता है.

जैसे कर्मचारी अलगअलग प्रकार के होते हैं वैसे ही बौस लोगों की भी किस्में हुआ करती हैं. यदि बौस परिपक्व तथा संतुलित दृष्टिकोण वाला है तो अपने मातहतों से उस की अपेक्षाएं भी वाजिब होंगी. इस तरह के बौस को चापलूसी व जीहुजूरी नहीं पसंद होती. उत्तम कोटि के बौस अपनी टीम के सदस्यों के कार्य, उत्पादकता व आचरण पर नजर रखते हैं और इन्हीं के आधार पर कर्मचारियों का मूल्यांकन करते हैं. यदि आप निष्ठापूर्वक तथा ईमानदारी से संगठन में अपना काम करते हैं तो बौस की नजर में आप को अच्छा कर्मचारी माना ही जाना चाहिए. ज्यादा जरूरी यह जानना है कि योग्य बौस अपने कर्मचारियों में किन बातों को पसंद नहीं करते. ये सारी बातें काम से ही जुड़ी हुई हैं.

आप बौस के पास बिजनैस से जुड़ी किसी चर्चा के लिए जाते हैं और यह जाहिर होता है कि आप पूरी तैयारी के साथ नहीं गए हैं तो बौस को अच्छा नहीं लगता. आप के लिए सिर्फ विचार प्रकट करना पर्याप्त नहीं, विचार के पीछे तर्क भी बताने को तैयार रहना चाहिए. कुछ बौस निर्णय लेने में आंकड़ों पर बहुत निर्भर करते हैं. वहां अपनी बात को वजनदार बनाने के लिए आप को आंकड़ों पर आधारित अनुमानों के साथ जाना होगा.

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किसी को कुछ नया, कुछ अलग करने को कहा जाए और वह सीधे कह दे कि उस से यह नहीं होगा तो यह अच्छी छवि नहीं पेश करता. उत्तर होना चाहिए ‘हां, मैं कोशिश करता हूं और मदद की जरूरत होगी तो अमुक से पूछ लूंगा.’

संगठनों में काम का बोझ कभी कम, कभी सामान्य तो कभी ज्यादा हुआ करता है. कर्मचारियों की भूमिकाएं भले विभाजित हों, पर एक अच्छी टीम में जरूरत के अनुसार सदस्य एकदूसरे के साथ कार्य शेयर करते हैं.

प्रत्येक कर्मचारी को अच्छा टीम प्लेयर होना चाहिए. आप इस पर ध्यान देंगे तो दिनोंदिन बेहतर होते जाएंगे. जब कोई कंपनी कर्मचारियों का चयन कर रही होती है तो उम्मीदवार में टीमभावना की परख विशेष रूप से करती है. लोगों से ही टीम बनती है तथा संगठन टीमों को मिला कर बना होता है. हां, कार्य को ले कर आप से कोई बिलकुल अनुचित अपेक्षा की जाए तो आप विनम्रतापूर्वक अपना प्रतिरोध व्यक्त कर सकते हैं, करना भी चाहिए.

कंपनियां लोगों को उन की योग्यताओं, कुशलताओं तथा दृष्टिकोण अर्थात एटीट्यूड के आधार पर चुनती हैं. पर इस का मतलब यह नहीं होता कि आप हमेशा उसी स्तर पर बने रहेंगे. समय के साथ इन का विकास होना चाहिए, तभी तो आप का भी विकास होगा.

नया ज्ञान हासिल करने, नई कुशलताएं अर्जित करने तथा अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के प्रति उदासीनता आप में निहित संभावनाओं को साकार होने से तो रोकेगी ही, आप बौस की दृष्टि में भी कभी सामान्य से विशिष्ट नहीं हो पाएंगे.

मौका देख कर बौस के सामने औरों की कमियां गिनाने वाले शायद यह बताना चाहते हैं कि वे खुद कितने अच्छे हैं. समझदार बौस ऐसी आलोचनाएं सुन भले ही लें, कर्मचारियों के विषय में राय बनाने के लिए औरों की टिप्पणियों को महत्त्व नहीं देते.

बौस खुद भी तो देखता रहता है कि कौन कर्मचारी क्या और कैसे कार्य कर रहा है. निर्णय लेने में ढीला या अकुशल होना भी आप की छवि बिगाड़ता है. कई संगठनों में जो प्रणाली है, उस के अनुसार बौस को नीचे वालों की संस्तुतियों पर निर्णय लेना होता है. अगर यह संस्तुति करना आप का कार्य है तो आप की टिप्पणी स्पष्ट होनी चाहिए कि किसी प्रस्ताव विशेष को स्वीकार किया जाना है या नहीं, साथ ही, इस के साथ औचित्य भी बताना चाहिए.

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हमारा अपनी मुश्किलों को ले कर परेशान होना स्वाभाविक है. परंतु मुश्किलें और चुनौतियां आप की कंपनी के साथ भी होती हैं. संगठन के सभी कर्मचारियों को खुद रुचि ले कर जानना चाहिए कि कंपनी का कारोबार कैसा चल रहा है, इस के समक्ष किस प्रकार की चुनौतियां हैं तथा आप कंपनी की मदद किस प्रकार से कर सकते हैं.

सिर्फ अपनी सीट पर बैठे हुए कार्य करते रहना, कोई नवीन पहल न करना तथा प्रत्येक छोटेबड़े परिवर्तन का प्रकट या अप्रकट रूप से विरोध करना आप की छवि को खराब करता है. क्या आप ऐसा चाहेंगे?

पढ़ाई और मनोरंजन के लिए मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों को नुकसान हो रहा है?

सवाल-

मेरी उम्र 22 साल है. कोविड-19 के कारण लगे लौकडाउन के दौरान मेरा कालेज हमें औनलाइन क्लासेज दे रहा है जिस के लिए मैं लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. इस के बाद मैं मनोरंजन के लिए भी मोबाइल और लैपटौप का इस्तेमाल करता हूं. अब मेरी आंखों में मुझे समस्या होने लगी है जैसे कि दर्द और जलन. मुझे बताएं ऐसा क्यों हो रहा है और इन से छुटकारा कैसे पाऊं?

जवाब-

आप के द्वारा बताई गई समस्या से पता चलता है कि आप को ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या है. लैपटौप की स्क्रीन का ज्यादा देर तक देखने से ड्राई आई यानी कि आंखों में सूखेपन की समस्या होती है.

इस सूखेपन के कारण ही आंखें में खुजली, दर्द और जलन का एहसास होता है. ऐसे में व्यक्ति खुजली दूर करने के लिए आंखों को तेजी से मलने लगता है, जिस से समस्या और अधिक बढ़ती है.

यदि आप को वाकई इस समस्या से छुटकारा पाना है तो सब से पहले तो मोबाइल या लैपटौप का इस्तेमाल कम कर दें. केवल जरूरत पड़ने पर ही इन का इस्तेमाल करें. लैपटौप को चलाते वक्त पलकों की जल्दीजल्दी झपकाएं. बीचबीच में ब्रैक लें और 20 फीट की दूरी पर रखें.

लैपटौप की ब्राइटनैस कम रखें और काम खत्म हो जाने के बाद आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें. इस के बाद कुछ देर आंखों को बंद करें. इस से आंखों को आराम मिलेगा. अपने खानपान पर ध्यान दें और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.

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वर्क फ्रौम होम यानी घर बैठे नौकरी करें. जी हां, कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें घर बैठे किया जा सकता है. आप दुनिया में कहीं भी हों, इंटरनैट और वाईफाई की सहायता से इन कामों को बखूबी कर सकती हैं. इस से काम देने वाले और काम करने वाले दोनों को लाभ है. खासकर ऐसी मांएं या पिता अथवा दोनों के लिए जो अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं. पहले यह सुविधा पश्चिमी विकसित देशों तक ही सीमित थी. मगर अब हमारे देश में इंटरनैट और वाईफाई के विस्तार के कारण वर्क फ्रौम होम यहां भी संभव है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वर्क फ्रौम होम के फायदे और नुकसान

कोरोनावायरस और प्रसव की चुनौतियां

अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि जिन गर्भवती महिलाओं को कोरोना संक्रमण होता है उन्हें स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में खतरा अधिक होता है. लेकिन यदि आपके लक्षण गंभीर है तो आपको विशेष देखभाल की आवश्यकता है.

लेकिन यह भी सच है कि डाक्टर दुनिया भर में कोविड – 19 संकट के मद्देनजर महिलाओं को गर्भावस्था को अभी स्थगित करने की सलाह दे रहे हैं , क्योंकि इस समय में गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क केटेगरी में आती हैं , इसलिए कई स्त्री रोग विशेषज कम से कम अगले दो से तीन महीनों के लिए परिवार नियोजन का परामर्श दे रहे हैं, ताकि भविष्य में जोखिम से बचा जा सके. इस सम्बंद में बता रही हैं गयनोकोलोजिस्ट डॉ पूजा चौधरी.

जो महिलाएं पहले ही गर्भधारण कर चुकी हैं , उन्हें सावधानी के तौर पर घर पर ही रहना चाहिए. जितना हो सके हास्पिटल जाने से बचें . हालांकि गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में वायरस के फैलने के कोई सबूत नहीं है लेकिन ऐतियाती उपायों से किसी भी जोखिम से बचने की सलाह दी जाती है.

जो महिलाएं गर्भघारण की कोशिश कर रही हैं यह एक वयक्तिगत और निजी फैसला है. आप अपने स्वास्थय और कोविद 19 के संभावित जोखिमों के आधार पर निर्णय ले सकती हैं. डाक्टर अभी भी शोध कर रहे हैं कि कोविद 19 गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है है या नहीं. गर्भवती महिलाओं में सामान्य लोगों की तुलना में लक्षण अधिक गंभीर नहीं होते हैं. लेकिन लो महिलाएँ डायबिटीज , अस्थमा, फेफड़े की बीमारी या हृदय रोग से ग्रसित हैं उन्हें कोविद 19 से खतरा अधिक है.

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वर्तमान शोध की माने तो यह कहा जा सकता है कि कोविद 19 गर्भावस्था या प्रसव के दौरान बच्चे में फैल सकता है. लेकिन इस पर और शोध की जरूरत है , क्योंकि जन्म के बाद अगर नवजात शिशु वायरस के संपर्क में है तो वायरस उसे संक्रमित कर देगा. कोविद 19 में अपनी और शिशु की देखभाल कैसे करनी है, इसके लिए गयनोकोलॉजिस्ट से जरूर बात करें.

गर्भावस्था के समय

कोरोना वायरस मुख्य रूप से व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है. गर्भवती महिलाएँ खुद को बचाने के लिए अन्य लोगों के समान कदम उठा सकती हैं , जैसे कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना, अल्कोहल युक्त sanitizer से हाथों को साफ करना, अपनी आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें , जितना संभव हो सके घर पर रहें , यदि बाहर जाना है तो अन्य लोगों से कम से कम 6 फीट दूर रहें , ऐसे लोगों से बचें जो बीमार हैं.

सीडीसी का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को कोविद 19 से बचने के लिए मास्क पहनना या फिर मुंह को ढकना अनिवार्य है,
क्योंकि अध्यनो से पता चला है कि संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने से पहले वायरस फैल सकता है. मास्क से चेहरे को ढकना उन जगहों पर सबसे महत्वपूर्ण है जहां लोगों की आवाजाही होती है, जैसे किराने की दुकानें , दवाई की दुकान आदि. इसलिए जब भी आप घर से निकले तो दूसरों से दूरी बना कर ही रखें.

इसके अलावा गर्भवस्था के दौरान सामान्य बातों का पालन करके गर्भवती महिलाएं स्वस्थ रह सकती हैं. जिसमें शामिल हैं ,

– सेहतमंद भोजन करें , जैसे दाल, रोटी, स्प्राउट्स.
– ताजे फल और सब्ज़ियां.
– प्रोटीन युक्त चीजें जैसे – अंडे, मटर, सोया, नट्स.
– दूध और दूध से बनी चीजें.

कोविड 19 के कारण कुछ महिलाओं को डर , तनाव या चिंता महसूस हो सकती है. ऐसे समय में दोस्तों और परिवार के लोगों से फ़ोन और ऑनलाइन चैटिंग लाभ पहुंचा सकती है. शारीरिक गतिविधि भी आपके मानसिक स्वास्थय में लाभ पहुंचा सकती है.

यदि वाटर ब्रेक हो जाए तो ऐसी स्थिति में क्या करें

यदि वाटर ब्रेक होने पर कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो इस स्थिति को अच्छे से संभाल सकते हैं.

– शांत रहें , जरूरी नहीं कि आप अपने बच्चे को तुरंत छोड़े. आपके पास अभी भी सांस लेने और अगले चरण के बारे में सोचने का समय है.
– अपने डाक्टर को सूचित करें.
– अपने हाथ में कुछ मैटरनिटी पैड्स रखें. एक बार जब वाटर ब्रेक होता है तो उसकी जरूरत होती है.

गर्भावस्था के बाद

प्रसव हो जाने के बाद महिलाओं के सामने कई चुनौतियों आती हैं. प्रसव के बाद महिलाओं में शारीरिक परिवर्तन होते हैं और इस समय जब कोरोना वायरस का प्रकोप हर जगह फैला हुआ है, ऐसे में सावधानी बरतने की आवश्यकता और बढ़ जाती है.

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शारीरिक परिवर्तन

– शरीर के तापमान में बदलाव

शरीर के तापमान में परिवर्तन होता है. पसीना आने लगता है, गर्मी लगती है और कुछ देर बाद ठंड का एहसास होता है. अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के बाद कई हफ्तों तक गर्म और ठंडा महसूस होता है.

– कब्ज

डिलीवरी चाहे सामान्य हो या आपरेशन द्वारा, महिलाओं को कब्ज होने की संभावना रहती है. यह मूलाधार में घाव होने की वजह से हो सकता है, जिससे महिलाएँ मलत्याग को लेकर आशंकित रहती हैं.

– खून का रिसाव या ब्लीडिंग होना

डिलीवरी के बाद बच्चेदानी पूर्व अवस्था में आती है, जिससे कई दिनों तक ब्लीडिंग होना स्वाभाविक है. इसके लिए वे पैड्स का इस्तेमाल करें और जितना हो सके आराम करें और किसी भी तरह का तनाव न लें.

– वजन घटना

कभी कभी ऐसा होता है कि प्रसव के बाद महिलाएं हलका महसूस करती हैं और हो सकता है कि थोड़ा वजन भी घट जाए इसलिए परेशान न हो. क्योंकि दूध पिलाने से कैलोरीज बर्न होने से वजन में कमी आती है.

गर्भावस्था के बाद की सावधानी

 पैड का उपयोग करें

गर्भावस्था के बाद गर्भाशय की परत झड़ना शुरू होती है, पीरियड्स की तरह ब्लीडिंग होती है. ऐसा 6 हफ्तों तक होता है, जिससे संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए इस दौरान पैड्स का इस्तेमाल करना सुरक्षित है, क्योंकि पैड्स संक्रमण की संभावना को कम कर देता है.

– स्वच्छता का रखें विशेष खयाल

गर्भावस्था के बाद महिलाओं को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. और कोरोना वायरस ने इसे और अधिक जरूरी बना दिया है.

– हलकी एक्सरसाइज करें

गर्भावस्था के बाद महिलाओं के शरीर में कमजोरी आ सकती है, जिससे तनाव और चिंता बढ़ सकती है, इसलिए थोड़ा बहुत मैडिटेशन जरूर करें.

– पोषणयुक्त आहार

अकसर देखा गया है कि महिलाएँ गर्भावस्था के बाद अपने भोजन पर ध्यान नहीं देती हैं , जो काफी जरूरी है. क्योंकि शिशु को स्तनपान भी करवाना होता है. इसलिए उन्हें पौष्टिक डाइट जरूर लेनी चाहिए.

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– पानी पीने में कमी न करें 

पानी शरीर के लिए क्या मायने रखता है, यह किसी से नहीं छिपा. पानी न सिर्फ शरीर को हाइड्रेट करने का काम करता है बल्कि शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालने में भी मददगार है. इसलिए खूब पानी पियें.

चीन को सबक सिखाना है…तो पकड़नी होगी उसकी गर्दन

भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा तब ब्रिगेडियर रैंक के थे. उन्होंने न सिर्फ उस युद्ध में आमने सामने के मोर्चे में हिस्सा लिया था बल्कि इस युद्ध की तमाम तैयारियों की प्लानिंग में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. जनरल अरोड़ा यूं तो अपनी उस तस्वीर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं, जिसमें पाकिस्तान के जनरल नियाजी उनके सामने लिखित युद्ध समर्पण पर दस्तखत करते हैं. लेकिन 1990 से 1998 के बीच जब वो राजधानी दिल्ली की न्यू फ्रेंडस कालोनी में रहते थे, मैंने उनसे कई बार इंटरव्यू किये.

मेरा उनसे किया गया एक ऐतिहासिक इंटरव्यू भारत की आजादी के 50 सालों पर अलग अलग क्षेत्रों की हस्तियों के साथ किये गये विशिष्ट संवाद की किताब ‘मुलाकात-50’ में संकलित है. इस इंटरव्यू में ज्यादातर सवाल 1962 के भारत-चीन युद्ध से संबंधित ही हैं. हालांकि जनरल अरोड़ा से ज्यादातर लोग 1971 के भारत-पाक के युद्ध पर ज्यादा बातें किया करते थे. लेकिन मैंने महसूस किया था कि वह हमेशा भारत-चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध के बारे में बात करने के ज्यादा इच्छुक होते थे.

शायद पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस की तरह वह भी हम भारतीयों को चीन के बारे में बहुत कुछ बताना चाह रहे थे. वे जब भी 1962 के भारत चीन युद्ध के बारे बात करते थे, हमेशा उनकी आवाज में एक कसक का कब्जा हो जाता था. उन्हें कई शिकायतें थीं, अपने राजनेताओं से, अपने  डिफेंस स्टेब्लिसमेंट से. लेकिन उनके पास चीनी सैनिकों और सैन्य अधिकारियों के बारे में बताने की भी बहुत बातें होती थीं. लगता था उन्होने युद्ध के दौरान चीनी सेना का बहुत गहराई से साइकोलाॅजिकल आब्जर्वेशन किया था और वह चाहते थे कि भारतीय इस बात को गहराई से समझें.

जनरल अरोड़ा चीन के चरित्र पर हमेशा एक बात कहा करते थे कि चीन एक ऐसा दुश्मन है, अगर उससे डरोगे तो वह आपको डराने में क्रूरता की इंतहा तक जायेगा. इसलिए उनके मन में हमेशा होता था कि हम चीन को ही अपना दुश्मन नंबर एक मानकर तैयारी करें और हमेशा चीन के साथ मुकाबले के लिए तैयार रहें. वो चाहते थे कि जब भी चीन कोई हरकत करे तो हम उसे सवा सेर होकर जवाब देने की कोशिश करें. हालांकि एक सैनिक का सोचना और सरकारों के सोचने में फर्क होता है. यही वजह है कि 1962 के बाद से चाहे अनचाहे चीन के साथ हमारे जितने भी राजनीतिक रिश्ते रहे, उनमें से एक झिझक, एक दब जाने की बार बार दोहरायी गई गलती हमेशा शामिल रही है.

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चीन इसी का फायदा उठाता रहा और अब वह इस स्थिति में आ गया है कि अपनी जरूरत के हिसाब से ही वह हमसे पंगे लेता है, पंगा न हो तो उसे पैदा कर लेता है और अपनी जरूरत का उनसे नतीजा निकाल लेता है. 5 मई 2020 को जब चीन की पीपुल्स आर्मी के 200 से ज्यादा जवान, पूर्वी लद्दाख स्थित पैगोंग झील के पास भारतीय सैनिकों से टकराये तो यह टकराहट न तो अंजाने में हुई थी और न ही यह कोई रूटीन टकराहट थी. वास्तव में चीनी सैनिक जानबूझकर भारतीय सैनिकों से टकराव मोल लिया था. शायद चीनी सैनिकों को यह लग रहा था कि भारतीय सैनिक उनके सामने में आने पर इधर उधर करके निकल जाएंगे,उनसे टकराएंगे नहीं और इस तरह चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों पर अपना मनौवैज्ञानिक दबदबा कायम कर लेंगे.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भारत के सैनिकों ने न सिर्फ चीन के सैनिकों के साथ आंखों में आंख डालकर सामना किया बल्कि उन्हें पूरी ताकत से पीछे हटने के लिए कहा. इस पर चीन के सैनिक खिसिया गये और जिद पर उतर आये. पूरी रात दोनो ही देशों के सैनिक आमने सामने रहे, पर चूंकि चीनी सैनिकों ने योजनाबद्ध ढंग से यह झड़प आयोजित की थी, इसलिए उन्होंने पीछे से अपनी सप्लाई लाइन बढ़ा दी. इसलिए सुबह होते होते चीन के सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई. बावजूद इसके भारत के सैनिक एक इंच भी टस से मस नहीं हुए. इस तरह पैगोंग झील के पास दोनो ही देशों के सैनिकों का बिना गोली बारूद वाला मोर्चा खुल गया. 1987 के बाद से भारत और चीन के बीच कभी किसी तरह का हथियार सहित सैन्य टकराव नहीं हुआ. साल 2017 में डोकलाम में लंबे समय तक दोनो देशों के सैनिक भयानक मुद्रा में आमने सामने जरूर रहे, लेकिन 1987 के बाद के सैन्य हथियारों का न इस्तेमाल करने का संयम दोनो तरफ से बना रहा.

लेकिन डोकलाम में भी चीन ने अंत में भारत से इसलिए चिढ़ी चिढ़ी कसक के साथ तनाव खत्म किया; क्योंकि उसे सपने में भी आशंका नहीं थी कि भारत भूटान के लिए चीन के सामने खड़ा हो जायेगा. इसीलिए 5 मई 2020 को चीन ने अकेले पैगोंग झील के पास की मुठभेड़ नहीं की बल्कि बड़े ही शातिर तरीके से 9 मई 2020 को उत्तरी सिक्किम में नाकू ला सेक्टर में एक और मोर्चा खोल दिया. यहां मोर्चा खोलना इतना आसान नहीं था; क्योंकि नाकू ला सेक्टर में जहां भारत और चीन की फौजें आमने सामने हैं, वह जगह समुद्र से 16000 फीट की ऊंचाई पर है. यहां पर भी चीन ने अपने षड़यंत्रपूर्ण तरीके से भारत के सैनिकों के साथ टकराव मोल लिया.

9 मई को जब दोनो ही देशों के सैनिक अपने अपने क्षेत्र में गस्त कर रहे थे, तभी कुछ चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों की तरफ लपके और उन पर मुक्के बरसाने लगे. यकायक के इस हमले से कुछ मिनटों के लिए तो भारतीय सैनिक अवाक रह गये. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि चीनी जानबूझकर टकराव मोल ले रहे हैं. बहरहाल कुछ ही देर में भारतीय सैनिकों ने उन्हें ईंट का जवाब पत्थर से दिया. इससे दोनो ही तरफ के कई सैनिक घायल हो गये. ठीक इसी दिन चीन ने लद्दाख के लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी में अपने हैलीकाफ्टर भेज दिये. हालांकि चीनी हैलीकाफ्टरों ने भारतीय सीमा पार नहीं की, लेकिन भारत ने चीन की इस हरकत के विरूद्ध लेह एयरबेस से अपने सुखोई-30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिये. चीन के लिए यह हैरानी का विषय था. चीन कल्पना ही नहीं कर रहा था कि उसकी हरकत का हिंदुस्तान इतना कड़ा प्रतिवाद करेगा.

भारत की इस तरह की प्रतिक्रिया पहली बार सामने आयी. इससे चीन बौखला गया है और 16 जून को जब दोनो ही देशों की सेनाएं आपस में हुए समझौते के चलते डी-एस्केलेशन कर रही थीं, तभी चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों पर पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से हमला कर दिया. इससे जो शुरुआती रिपोर्ट हिंदुस्तान आयी, उसके मुताबिक तीन भारतीय सैनिक शहीद हो गये, जिनमें एक कमांडिंग अफसर, एक हवलदार और एक सिपाही था. गौरतलब है कि उस जगह चीन ने धोखेबाजी दिखायी थी, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीय शहीद हुए थे.

1962 के बाद से पहला यह ऐसा मौका था जब दोनो देशों के बीच इतने बड़े पैमाने पर सैन्य झड़प हुई और सैनिक हताहत हुए. देर रात तक ये तीन भारतीय सैनिक बीस शहीद सैनिकों में बदल गये. अगर सेना द्वारा इंटरसेप्ट की गई बात की मानें तो चीन ने इस मुठभेड़ में 43 सैनिक गंवाये हैं. लेकिन चीन के लोग अपने मारे गये सैनिकों की वास्तविकता को कभी नहीं जान पाएंगे; क्योंकि चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है. इसलिए न कोई इस चुपी के विरूद्ध सवाल उठाने वाला और न ही किसी तरह की बैचेनी होने वाली है.

सवाल है चीन पर काबू करने के लिए भारत क्या करे? निश्चित रूप से हमें वही करना होगा जो जनरल अरोड़ा कभी साफ शब्दों में कभी इशारे के जरिये कहा करते थे कि चीन को झुकाना है तो उसकी गर्दन पकड़ लो. भारत आज इस स्थिति में है कि अगर हम यह जोखिम लें कि चीन की गर्दन उसके सतर्क होने के पहले ही पकड़ लें तो चीन काबू में आ जायेगा. चीन को हमें उसी की भाषा में जवाब देना होगा, जैसा कि हमेशा जार्ज फर्नांडिस कहा करते थे. जार्ज चाहते थे कि भारत हमेशा तिब्बत के मुद्दे को जिंदा बनाये रखे और समय समय पर उसके जरिये चीन को घेरने की कोशिश भी करे. चीन के खिलाफ इस समय जबरदस्त अंतर्राष्ट्रीय माहौल है.

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भारत अगर दो कदम आगे बढ़कर इस माहौल को एक सांगठनिक शक्ल देना चाहे तो दे सकता है. यह चीन को पिछले पांव में ला सकता है. भारत की नैवी चीन से बेहतर है और हिंद महासागर में भारत के साथी चीन से ज्यादा हैं. इसलिए अगर भारत नैवी के जरिये चीन को घेरे तो यह संभव है. एक और बड़ा विकल्प है कि भारत अब कमर कसकर चीन के साथ आर्थिक और कारोबारी रिश्तों को या तो अपने पक्ष में करे या तोड़ दे. निश्चित रूप से इसमें बहुत मुश्किलें आयेंगी, क्योंकि हमारा तात्कालिक तकनीकी ढांचा चीन की तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही टिका हुआ है. लेकिन अगर मोदी एक बार लालबहादुर शास्त्री की तरह देश में यह भावना भर दें कि उपवास कर लेंगे लेकिन अमरीका का पीएल 480 गेंहूं नहीं लेंगे, तो भारत एक झटके में चीन के विरूद्ध अपनी कमजोरियों से उबर जायेगा और फिर चीन की हिम्मत नहीं होगी कि वह हमें आंख दिखा दे.

Medela Flex Breast Pump: वाइफ को दें एक नया तोहफा

मेरी उम्र 38 साल है. मैं और मेरी वाइफ को शादी के 6 साल माता-पिता बनने का सुख मिला. हमारी जिंदगी में बच्चे के आने से हम बेहद खुश हुए, लेकिन बढ़ती उम्र में उसके लिए घर और बच्चे की जिम्मेदारियां संभालना मुश्किल हो रहा था.

मेरी वाइफ को रात-रातभर उठकर बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवानी पड़ती थी. वहीं दोपहर में भी उसका ज्यादात्तर वक्त बच्चे के साथ-साथ घर के कामकाज में निकल जाता था. बच्चे के 2 महीना पूरा होते-होते मेरी वाइफ बेहद परेशान और खोयी हुई रहने लगी थी.

एक दिन मैने एक मैग्जीन में Medela Flex Breast Pump के बारे में पढ़ा. मैग्जीन में मेडेला पंप के बारे में पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मेरी वाइफ की परेशानी और मुसीबत दूर करने के लिए यह एक अच्छा प्रौडक्ट है. इसीलिए मैने इस प्रौडक्ट के बारे में पूरी चीजें पता की कि यह प्रौडक्ट कितना सही और बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है.

पूरी रिसर्च करने के बाद मैने जाना कि Medela Flex Breast Pump और कनेक्टर स्विट्जरलैंड में बनाए जाते हैं. ये पूरी तरह से सुरक्षित और हाईजीनिक होते हैं. साथ ही Medela Flex Breast Pump खाद्य ग्रेड पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) और थर्माप्लास्टिक इलास्टोमर्स (टीपीई) से बने होते हैं, जो बच्चे की सेहत के लिए एकदम सेफ है.

Medela Flex Breast Pump के बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद मैनें अपनी वाइफ को तोहफा दिया, जिसे देखकर वह पहले हैरान हुई. लेकिन जब उसने इस प्रौडक्ट का इस्तेमाल किया तो वह कम परेशान रहने लगी. ब्रेस्ट पंप के इस्तेमाल से वह बच्चे घर के कामों में और अपनी पर्सनल लाइफ पर ध्यान देने लगी. इसी के साथ नींद पूरी होने से मेरी वाइफ का मूड सही रहने लगा, जिसके बाद मेरी वाइफ ने मुझे उसे यह तोहफा देने के लिए थैंक्यू कहा. इससे हमारी जिंदगी में बदलाव आ गया.

अगर आप भी अपनी वाइफ को आपकी जिंदगी को पूरा करने के लिए कोई तोहफा देने की सोच रहे हैं तो Medela Flex Breast Pump आपके लिए एक आसान और सुविधाजनक विकल्प हो सकता है. ये आपकी खुशहाल जिंदगी को पूरा करेगा.

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