अगर लिवइन में हैं आप

भारतीय समाज में विवाह के रिश्ते को जन्मजन्म का बंधन समझा जाता रहा  है. लेकिन, आज विवाह की जगह लिवइन रिलेशन दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं.  बड़े शहरों व  खुलीसोच वाले समाज में पश्चिमी सभ्यता अपना असर खूब दिखने लगा है.  युवा समाज इन रिश्तों को जहां ज्यादा सुविधाजनक समझ रहा है, वहीँ इन्हें अनैतिक समझने वाले लोग भी हैं. यह भी सच है कि अगर 2 इंसान एकदूसरे को प्यार करते हैं,  तो उन्हें सामाजिक, धार्मिक, कानूनी सैंक्शन की जरूरत क्यों हो,  लिवइन में रहने वालों की अलग सोच होती है.

लिवइन आज भले ही एक नया टर्म लगता हो, पर यह सदियों से होता रहा है. वेदों में 8 तरह के विवाह हैं. उन में से एक है गन्धर्व विवाह, जिस में पुरुष और स्त्री अपनी मरजी से विवाह कर लेते थे. ऐसे विवाह में न कोई फेमिली मेंबर शामिल होता था न कोई रस्मरिवाज.  यह सिर्फ मुंह से एक कमिटमेंट होता था और  उन्हें पति व पत्नी का दर्जा हासिल हो जाता था.

बौलीवुड का कौंसेप्ट समाज में बदलाव ले आता है. यह बदलाव चाहे अच्छा हो या बुरा, वास्तविक जीवन पर प्रभाव छोड़ता है.  इन में से ही एक बदलाव है,  लिवइन रिलेशन. बौलीवुड की एक नहीं , कई सेलिब्रिटीज हैं जो कभी न कभी अपनी लाइफ में खुल कर लिवइन में रही हैं, चाहे सुपरस्टार राजेश खन्ना हों या मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान हों , कइयों ने लिवइन रिलेशन को एंजौय किया.  इन में से कुछ रिश्ते टूट गए,  कुछ विवाह में भी बदले. जौन अब्राहम-बिपाशा बासु, रणबीर कपूर-कटरीना कैफ, अभय देओल-प्रीति देसाई, देव पटेल-फ्रीडा पिंटो, सुशांत सिंह-अंकिता लोखंडे, कुणाल खेमू-सोहा अली खान, राजेश खन्ना-अनीता आडवाणी आदि व अन्य की लिस्ट लंबी है जिन्होंने लिवइन में काफी समय बिताया. जौन अब्राहम और बिपाशा बासु  लगभग 10 दस साल एकदूसरे के साथ रहे.  पर अचानक सम्बंध खराब हो गए और दोनों अलग हो गए.

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं शक्ति मोहन

बिपाशा ने बाद में करण सिंह ग्रोवर से शादी की और जौन ने मौडल प्रिय रुंचाल से. रणबीर कपूर और कटरीना कैफ सालों लिवइन रिलेशनशिप में रहे.  दोनों बांद्रा में एक पौश अपार्टमेंट में रहते थे. पर फिर दोनों अलग हो गए.  ब्रेकअप के बाद रणबीर नए फ्लैट में चले गए तो कटरीना अपने पहले के घर में. देव पटेल और फ्रीडा पिंटो ‘स्लमडॉग मिलियनेर’ के समय करीब आए.  तब से दोनों साथ रह रहे हैं. आमिर खान और किरण राव ‘लगान’ के सेट पर मिले और एकदूसरे के करीब आते चले गए.  विवाह से पहले दोनों कई साल लिवइन रिलेशनशिप में रहे. लारा दत्ता और भूटानी एक्टर केलि दोरजी 10 साल से ज्यादा लिवइन रिलेशनशिप में रहे पर फिर अलग हो गए. लारा दत्ता ने टेनिस प्लेयर महेश भूपति से विवाह किया.  केलि सोशल सीन से गायब हैं. राजेश खन्ना की डैथ के बाद उन की लिवइन पार्टनर अनीता आडवाणी ने अपने रिश्ते को खुल कर स्वीकारा.  उन्होंने कहा कि वे तब से राजेश खन्ना के साथ रह रही थीं जब से उन का डिंपल कपाड़िया से तलाक हुआ था.

टीवी पर्सनैलिटीज़ गुरमीत और देबिना एक टैलेंट हंट कौन्टेस्ट में मिले थे. औनस्क्रीन राम-सीता जोड़ी ने विवाह करने से पहले 5 साल एकदूसरे को डेट किया.  एकदूसरे  को अच्छी तरह जानने के लिए लिवइन में भी रहे. कमेडियन कृष्णा अभिषेक और कश्मीरा 2013 में परिवार और दोस्तों की उपस्थिति में शादी करने से पहले लगभग 9 साल लिवइन में रहे. अचिन्त्य कौर और मोहन कपूर लगभग 16 साल लिवइन में रहे. फिर अलग हो गए. पर वे अभी भी अच्छे दोस्त हैं, और एक ही बिल्डिंग में रहते हैं. ‘पवित्र रिश्ता’ एक्टर्स सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे 6 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर अलग हो गए.

बौलीवुड और क्रिकेट कई प्लेटफौर्म्स पर एकसाथ नजर आते रहे हैं.  चाहे मूवी का प्रमोशन हो, आईपीएल हो या बौलीवुड एक्ट्रेसेस के साथ रिलेशनशिप की बात हो, क्रिकेट और बौलीवुड का  नाता हमेशा से रहा है और रहेगा. मोहम्मद अजहरुद्दीन और संगीता बिजलानी के रिश्ते ने समाचारपत्रों की खूब सुर्खियां बटोरी थीं. वे कई साल साथ रहे. 1996 में अजहरुद्दीन ने अपनी वाइफ नौरीन को तलाक दे कर  संगीता से विवाह किया पर दोनों 2010  में अलग हो गए. विवियन  रिचर्ड्स और नीना गुप्ता का लिवइन तो शायद सब से ज्यादा चर्चित लिवइन रिलेशनशिप रहा.  नीना गुप्ता के करीब आने के समय विव पहले से ही मैरिड थे.  दोनों काफी समय लिवइन में रहे. शादी नहीं की. विव और नीना गुप्ता की बेटी मसाबा एक फैशन डिजाइनर है.

जहीर खान और ईशा शेरवानी लगभग 10 साल तक लिवइन में रहे, फिर दोनों का ब्रेकअप हो गया. टीवी एक्ट्रेस नेहा फेंड्से ने हाल ही में पुणे के बिज़नेसमैन शार्दुल व्यास से विवाह किया है.  उन का कहना है कि लिवइन में रहने से वे एकदूसरे को अच्छी तरह से जान पाए.

नेताओं के लिवइन के किस्से भी खूब चर्चा में रहते हैं. राजनीति और विवाद साथसाथ चलते हैं. लव अफेयर्स हो या मनी स्कैम्स हों,  ये चर्चा में रहते ही हैं. कभी खुलेआम, कभी गुपचुप. कुछ किस्सों ने तो खूब सुर्खियां बटोरीं. चंद्र मोहन और अनुराधा बाली, एनटीआर और लक्ष्मी पार्वती.  1993 में एनटीआर ने 70 साल की उम्र में तेलुगू राइटर लक्ष्मी पार्वती से विवाह करने की बात कह कर सब को चौंका दिया था. एन डी तिवारी और उज्ज्ववला शर्मा, दिग्विजय सिंह-अमृता राय, यह लिस्ट भी बहुत लंबी है.

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: बेस्ट डैड नहीं, पिता बनने की करें कोशिश 

जब लिवइन की बात आती है, कुछ लोग इस के बहुत खिलाफ होते हैं. वहीँ, आजकल कुछ लोग यह भी कहने लगे हैं कि इस में कोई बुराई नहीं. कुछ लोग अंदाजा नहीं लगा पाते कि जब आप किसी को प्यार करते हैं तो उस के साथ लिवइन में रहना कैसा लगता है. जब 2 लोग लिवइन में रहने का फैसला लेते हैं तो दोनों की लाइफ में बहुत सारे परिवर्तन और प्लानिंग से सामना होता है. पार्टनर के साथ लिवइन में रहने पर आप न सिर्फ भावनात्मक बल्कि शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी बहुतकुछ सीखते हैं. आप किसी के साथ एडजस्ट करना और एकदूसरे के पेरेंट्स के साथ निभाना भी सीखते हैं.

पर, सब से महत्त्वपूर्ण बात जो आप लिवइन में सीखते हैं, वह है एकदूसरे की कमियां और खूबियां. इस दौरान आप एकदूसरे को रेस्पेक्ट देना भी सीखते हैं, साथ ही, आप ये सब चीजें भी सीखते चले जाते हैं –
1. रूम शेयर करने के साथसाथ आप घर साफ़ करना, बरतन धोना, घर का सामान लाना और अपने कपड़े धोना आदि  सब काम सीखने के साथ बहुत सारी जिम्मेदारियों को निभाना और समझौते करना सीखते हैं. जो चीजें, जो काम आप ने अपने घर पर कभी नहीं किए थे, अब वे सब काम आप करते हैं और उन की चिंता भी करते हैं. अब ज्यादातर आप के वीकेंड्स घर के काम, और महत्त्वपूर्ण चीजों को करने में बीत जाते हैं.

2. कभीकभी किसी से सिर्फ मिल कर ही उस के  बारे में सबकुछ पता नहीं चल पाता. पर जब आप उन के साथ रहना शुरू करते हैं तो आप सब समझते हैं कि वह कैसा इंसान है, उस की क्या आदतें हैं, वह मुश्किल स्थिति से कैसे निबटता है, वह आर्थिक और सामान्य जीवन के फैसले कैसे लेता है, एक सब से जरूरी बात जो आप सीखते हैं ,वह है उस की ईगो और खराब मूड के साथ प्राइवेसी व पर्सनल स्पेस के कौंसेप्ट का ध्यान रखना.

3. साथ रहने से एकदूसरे की पर्सनल हाइजीन और आदतों को समझने का मौका मिलता है. एकदूसरे की हाइजीन सम्बंधी प्रौब्लम्स को आप समझ पाते है और आप अपनी किसी भी तरह की प्रौब्लम उस से शेयर कर पाते हैं.

4. जब आप अपने पार्टनर के साथ रहना शुरू करते हैं तो आप के जीवन में ही बदलाव नहीं आते, बल्कि उस की फेमिली और उस के फ्रेंड्स के विचार भी आप के लिए बदलते हैं. यही आप की फेमिली के साथ भी होता है. तो, जब भी आप दोनों में से किसी की फेमिली या फ्रेंड्स मिलने आते हैं, आप ज्यादा मिलनसार हो जाते हैं. आप कैसे एकदूसरे की फेमिली और फ्रेंड्स के साथ व्यवहार करते हैं, इस बात पर आप दोनों का आपसी रिश्ता बहुत माने रखता है.

5. किसी के साथ रहना कम्पेटिबिलिटी टेस्ट ही नहीं है, यह एकदूसरे के गुस्से से निबटने का सेशन भी है. कभीकभी आप को अपने पार्टनर की कोई बात पसंद नहीं आएगी, उस के काम करने का तरीका पसंद नहीं आएगा. तो, आप थोड़ा शांत रहने की, सब्र से समझने की कोशिश करेंगे और उस के साथ आराम से बैठ कर बात करना पसंद करेंगे, चिल्लाने पर कंट्रोल रखेंगे.

6. मैं की जगह आप ‘हम’ का महत्त्व समझेंगे, साथ रह कर आप को समझ आ जाएगा कि यह रिश्ता कैसा चलेगा, कुछ महीने साथ रह कर आप की अपने रिश्ते से उम्मीदें भी बदलती हैं.

7. आरती सिंह, जिन्होंने  हाल ही में अपने बौयफ्रेंड के साथ रहना शुरू किया है, कहती हैं, ”लिवइन में आप को वैसे कौंप्रोमाइज़ नहीं करने पड़ते जैसे शादी में करने पड़ते हैं. आप अपने खर्चे आराम से शेयर कर सकते हैं. रिश्तेदारों और फेमिलीज़ को खुश रखने का प्रेशर नहीं होता. आप अपना पर्सनल स्पेस एंजौय कर सकते हैं. आप तो पहले से ही समाज का नियम तोड़ रहे होते हैं, ऐसे में आप पर कोई सोशल प्रेशर होता ही नहीं.”

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: पिता और पुत्र के रिश्तों में पनपती दोस्ती

8. आप लीगल कपल नहीं हैं तो आप काफी कानूनी चीजों से दूर हैं. तलाक किसी विवाह का दुखद अंत होता है, जो काफी कड़वे अनुभव दे जाता है. अंजू जैन, जो 3 साल से लिवइन में हैं, कहती हैं, ”लिवइन रिलेशनशिप से इमोशनल फ़ायदा होता है. मुझे लगता है कि ब्रेकअप से निबटना तलाक के ट्रॉमा को झेलने से ज्यादा आसान है.”

9. लिवइन रिलेशन में सब से अच्छा यह है कि दोनों अपनेअपने खर्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं. इस बाबत आलोक सिंह का कहना है, ”मुझे अपनी गर्लफ्रेंड पर खर्च करना पसंद है. पर वह मुझ से मेरे हर खर्च पर सवाल नहीं पूछती है. हम बिल्स शेयर करने में बहुत कम्फर्टेबल हैं. हम अपनी फिनांशियल फ्रीडम एंजौय करते हैं.

10. आजकल जिस तरह से तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, उस में लिवइन में रह कर यह देखना कि यह रिश्ता चलेगा या नहीं, बुरा आइडिया नहीं है. चौबीसों घंटे साथ रह कर अपने पार्टनर की सही पर्सनैलिटी पता चल जाती है. नीता पांडेय, जिन्होंने 2 साल लिवइन में रहने के बाद अपने पार्टनर से शादी की, कहती हैं, “साथ रह कर आप एकदूसरे को ज्यादा अच्छी तरह जान जाते हैं, जिस से शादी के बाद काफी फ़ायदा होता है.”

11. नेहा वर्मा, जो लिवइन में हैं, कहती हैं, ”लिवइन रिलेशनशिप में दोनों पार्टनर्स समान होते हैं. दोनों जानते हैं कि रिश्ता न रहा तो दरवाजे खुले हैं. इसलिए वे हमेशा इस रिश्ते को प्यार से संभाल कर चलते हैं.” नेहा का कहना सही है, दोनों पार्टनर्स आर्थिक रूप से, सामजिक और कानूनी रूप से एकदूसरे पर निर्भर नहीं हैं तो वे समान स्पेस एंजौय करते हैं और इस रिश्ते की रेस्पेक्ट करते हैं.

12. यदि आप इस रिश्ते से खुश नहीं हैं, तो आप तलाक की मुहर लगवाए बिना इस रिश्ते से बाहर आ सकते हैं. हमारे देश में आज भी तलाक एक टैबू है और तलाकशुदा स्त्रियों को सम्मान से नहीं देखा जाता. लिवइन रिलेशनशिप से बाहर निकलना ज्यादा आसान है. अगर आप खुश नहीं हैं तो आप को इस रिश्ते को जीवनभर ढोने की जरूरत नहीं है.

13. जो लोग लिवइन में रह रहे हैं, उन का मानना है कि उन की बौन्डिंग मैरिड कपल से ज्यादा स्ट्रांग है क्योंकि उन पर कमिटमेंट्स और जिम्मेदारियों का बोझ नहीं है. शादी के बाद सारे एफर्ट्स  फौर ग्रांटेड मान लिए जाते हैं. लिवइन में ऐसा नहीं है. पार्टनर्स एकदूसरे की रेस्पेक्ट करते हैं और इस रिश्ते को बनाए रखने के एफर्ट्स  की तारीफ भी करते हैं.

14. लिवइन रिलेशन में आप को शारीरिक सुख की चिंता भी नहीं करनी पड़ती. आप अपने घर की चारदीवारी में ख़ुशी से अपने पार्टनर के साथ मनचाहा समय बिता सकती हैं.

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: पिता नवजात से बढ़ाए लगाव ऐसे

तेल के खेल से खजाना भरने की जुगत

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कथन – अज्ञानता से ज़्यादा अगर कुछ ख़तरनाक है तो वह घमंड है – एकदम फिट है, कम से कम देश की मौजूदा सरकार पर तो है ही. अज्ञानता के चलते ही सरकार ने अपने अभी तक के 6 वर्षों के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था को गहरे गड्ढे में पहुंचा दिया है. देश का खजाना खाली हो गया है. सत्ता व विपक्ष के राजनेताओं ने ही नहीं, बल्कि देशीविदेशी अर्थविदों ने भी भारत की जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. लेकिन, सत्ता के घमंड में चूर सरकार अपनी अज्ञानता को स्वीकार करने के बजाय ‘सबकुछ ठीक है’ की दहाड़ करती नज़र आती है. हालांकि, खाली खजाने को ले कर सरकार के भीतर खलबली है.

दुनियाभर में तेल ने हमेशा खलबली ही मचाई है. कभी इस तेल ने लोगों को झुलसाया, कभी यह संगठित आतंक का कारण बना तो कभी पानी की तरह सस्ता हो गया. तेल के दाम बढ़ते हैं तो कुछ देशों की अर्थव्यवस्थाएं डांवांडोल हो जाती हैं, जब तेल सस्ता होता है तो उन्हें राहत मिलती है.

तेल की झुलसन :

भारत हमेशा ही तेल कीमतों में आग से झुलसता रहा है. भारत का सब से बड़ा बिल तेल आयात का ही है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है, इसलिए घटने पर भारत को फायदा होता है. यह भारत की अर्थव्यवस्था के वित्तीय घाटे और चालू खाते के घाटे के लिए फायदेमंद रहता है. भारत का व्यापार घाटा कम हो जाता है. वहीं, जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो भारतीय तेल कंपनियां फ़ौरन लोगों पर बोझ डाल देती हैं.

ये भी पढ़ें- तनाव के कोरोना से जूझती कामकाजी महिलाएं

हैरानी यह है कि दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है, जबकि हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है. भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में सरकार ने 16 जून को लगातार 10वें दिन बढ़ोतरी की है.

देश में तेल की कीमतों में सरकार द्वारा लगाई जा रही आग में देशवासी झुलसते जा रहे हैं. पहले ही से बेरोज़गारी बढ़ रही है, जो रोजगार से लगे हुए हैं उन की इनकम में कमी हो रही है, लौकडाउन ने देशवासियों की अलग कमर तोड़ राखी है. लेकिन सरकार को कुछ नहीं दिख रहा, उसे सिर्फ अपने खाली खजाने की चिंता है.

विपक्ष का चिट्ठी बम :

केंद्र सरकार के तेल के इस खेल से छुब्ध विपक्षी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी हुकूमत पर चिट्ठी बम फोड़ा है. उन्होंने कहा है कि उन्हें, उन की पार्टी को देश की जनता की चिंता है. कोरोना वायरस संकट के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से जनता की जेब पर पड़ रहा बोझ न्यायोचित नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि कोरोना महामारी के संकट में लोगों की हालत ख़राब है और सरकार है कि उन लोगों से मुनाफ़ा कमाने में लगी है. सोनिया गांधी की इस चिट्ठी को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है.

ट्वीट में लिखा गया है कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि तेल की बढ़ी हुई क़ीमतें तुरंत कम की जाएं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में आई कमी का लाभ नागरिकों को दिया जाए.

गिरते दाम, बढ़ती कीमत :

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में कमी आने के बावजूद देश में आज लगातार 10वें दिन पेट्रोल-डीजल की क़ीमतें बढ़ीं. दिल्ली में 16 जून को पेट्रोल का दाम बढ़ कर 76.73 रुपए प्रति लीटर हो गया और डीजल का दाम 75.19 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है. मुंबई में अब पेट्रोल 83.62 रुपए प्रति लीटर और डीजल 73.75 रुपए प्रति लीटर हो गया है. वहीं, चेन्नई में पेट्रोल 80.37, डीजल 73.17, कोलकाता में पेट्रोल 78.55 और डीजल 70.84 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया.

उधर, 15 जून को कच्चे तेल की क़ीमत इंटरनेशनल मार्केट में क़रीब 2 फ़ीसदी से ज़्यादा गिर गई. इस से कच्चा तेल 35 डौलर प्रति बैरल के क़रीब आ गया है. वहीं, ब्रेंट क्रूड भी 1.7 फ़ीसदी गिर कर 38.07 डौलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.

इन्हीं गिरावटों की तरफ़ संकेत कर सोनिया ने चिट्ठी में लिखा है, “मुझे इस में कोई तर्क नहीं दिखाई देता है कि सरकार ऐसे समय में इतनी क़ीमतवृद्धि पर विचार क्यों करेगी जब कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव लाखों लोगों को नौकरियों और आजीविका से वंचित कर रहा हो, व्यवसाय को तबाह कर रहा हो, मध्यवर्ग की आय को तेज़ी से घटा रहा हो, यहां तक कि किसान खरीफ सीजन की फ़सल बोने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.”

देशवासियों से खेल करती सरकार :

सोनिया ने लिखा, “यह देखते हुए कि पिछले हफ्ते की तुलना में कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत में लगभग 9 फीसदी की गिरावट आई है, सरकार अपने लोगों से मुनाफा कमाने में कोई कमी नहीं कर रही है, जबकि उन की स्थिति ख़राब है.”

कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ़साफ़ लिखा कि सरकार क़ीमतें बढ़ाने की अनैतिक हरकत कर करीब 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने लिखा कि लोगों पर एक अतिरिक्त बोझ डालना न तो तर्कसंगत है और न ही उचित.

सोनिया ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में तेल की क़ीमतों के ऐतिहासिक रूप से कम होने के बावजूद 12 अलगअलग अवसरों पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि से सरकार ने तकरीबन 18 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं.

ये भी पढ़ें- सावधान- कोविड-19 के नियमों का करेंगे उल्लंघन तो देना पड़ेगा जुर्माना

कम हुई खपत :

बता दें कि लौकडाउन की वजह से भारत में कच्चे तेल की ख़पत 70 प्रतिशत कम हो गई है. इस की वजह यह है कि परिवहन के सभी तरह के साधन और कई तरह की तेलआधारित आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत में कच्चे तेल की रोज़ाना खपत में 31 लाख बैरल की कमी आई है.

लौकडाउन के पहले ही कच्चे तेल की खपत में कमी होनी शुरू हो गई थी क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई थी, डीज़ल की मांग कम हो गई थी, जेट फ्यूल की मांग घट कर एकतिहाई हो गई थी और गैसोलीन की मांग में 17 प्रतिशत की कमी आ गई थी.

मालूम हो कि भारत सरकार ने लौकडाउन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम कम होने का फ़ायदा उठाते हुए अपनी  क्षमता से अधिक तेल स्टोर कर लिया था, लेकिन इस का फ़ायदा आम लोगों को नहीं दिया. वह तो अपनी अज्ञानता के चलते जो सरकारी खजाना खाली कर डाला था, उसे किसी भी तरह भरने की जुगत में लगी है. घमंड में डूबी सरकार को देशवासियों की कोई फ़िक्र नहीं है. सरकार का मुखिया अपने पांच ट्रिलियनी सपने के चक्कर में है, जो पूरा होना मुमकिन नहीं दिख रहा.

Hyundai #AllRoundAura: हर पल आपके साथ

हुंडई Aura के शानदार वारंटी के बारे में तो आप जानते ही हैं, मगर Aura के खजाने में सिर्फ इतना ही नहीं है. Aura स्टैंडर्ड के रूप में 3 साल के रोड-साइड असिसटेंस के साथ आती है. इसका मतलब ये कि सड़क पर आपातकाल की स्थिति में, कोई आपकी सहायता के लिए वहां मौजूद रहेगा, चाहे आप कहीं भी हों.

ये भी पढ़ें- Hyundai #AllRoundAura: भरोसे के साथ वारंटी भी

इस रोड साइड असिसटेंस के तहत गाड़ी के चक्के बदलना, 5 लीटर तक ईंधन पहुंचाना, टैक्सी का इंतज़ाम करना, चाभी लॉक-आउट की स्थिति में वाहन खोलना, बैटरी और फ्यूज से संबंधित इलैक्ट्रिकल समस्याओं को ठीक करना, कार दुर्घटना या टूटने के मामलों में ऑन-साइट मरम्मत करना, और नजदीकी वर्कशॉप तक गाड़ी को पहुंचाने जैसी सेवाएं शामिल हैं.

हुंडई Aura आपको एक टेंशन मुक्त और शांतिपूर्ण ओनरशिप का अनुभव देती है. #AllRoundAura 

50 Wish: अधूरे रह गए Sushant singh rajput के ये सपने, खुद बनाई थी लिस्ट

जब इंसान धीरे-धीरे बड़ा होता है तो उसके सपने भी धीरे- धीरे बड़े होने लगते हैं.कोई भी इंसान हो उसके कुछ न कुछ सपने या विश होती हैं कि मैं ये चीज करूं हालांकि उसके सारे सपने तो पूरे नहीं हो पाते हैं लेकिन फिर भी वो उसे पूरा करने की कोशिस करता है.अब भले ही सुशांत सिंह राजपूत के पास दौलत और शौहरत की कोई कमी नहीं थी लेकिन एक आम इंसान की तरह उनके भी कुछ सपने थे कुछ विशेज थीं जिन्हें वो पूरा करना चाहते थें.

सुशांत ने जो कदम उठाया, वे इसके ठीक उलट थे क्योंकि सुशांत ने अपने 50 सपनों और इच्छाओं की एक विशलिस्ट तैयार की थी जिसे कुछ समय पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी की थी.वो अपने उन सपनों को पूरा करना चाहते थें. सुशांत ने अपने जीवन में कुछ इच्छाओं की लिस्ट बनाई थी. उन्होंने अपने 50 ड्रीम्स बाकायदा लिखे थे. उनके दुनिया से चले जाने के बाद अब सोशल मीडिया पर यह लिस्ट शेयर की जा रही है.जो काफी तेजी से वायरल हो रही हैं.

पिछले साल सितम्बर में सुशांत ने 50 ख्वाबों की लिस्ट अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की थी. हालांकि, उन्होंने अपने ख्वाबों की लिस्ट बाद में डिलीट भी कर डाली थी लेकिन बाद में उन्होंने कई वीडियो पोस्ट किए और तस्वीरें पोस्ट की, जिसमें उन्होंने अपने कुछ ख्वाब पूरे भी किये थे. उन वीडियोज़ को भी इस वक्त सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.एक-एक करके अपने सपनों को पूरा करने की ख्वाहिश रखने वाले सुशांत ने सुसाइड क्यों किया पता नहीं लेकिन जरा देखिए कि उनकी विश लिस्ट क्या थी.

50-wish

ये भी पढ़ें- खुलासा: सुशांत को सुनाई देती थी अजीब सी आवाजें, डर गई थी गर्लफ्रेंड

विश लिस्ट में जो चीजें शामिल थीं उनमें जैसे- एक जानें ट्रेन से यूरोप तक यात्रा करें, एक दिन सीईआरएन जाना जो कि द यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च इसे सीईआरएन के नाम से जाना जाता है,यहां गॉड पॉर्टिकल से संबंधित लार्ज हेड्रोन कोलाइडर का परीक्षण चल रहा है.

उनकी लिस्ट में विमान उड़ाना, टेनिस खेलना जैसी चीज़ें शामिल थीं. प्लेन चलाना सीखना चाहते थें, बच्चों की मदद करना चाहते थें स्पेस के बारे में जानने के लिए, किसी टेनिस चैंपियन के साथ टेनिस खेलना चाहते थें, कैलाश पर मेडिटेट करना चाहते थें, एक हजार पेड़ लगाना चाहते थें, किताब लिखना चाहते थें, छह महीने में ही छह पैक ऐब बनाना चाहते थें,जंगलों में अपनी छुट्टियां बिताना चाहते थें, दस तरीके के डांस फार्म सिखना, और बच्चों को डांस सिखाना चहाते थें.

क्रिया योगा सिखना था, लंबरगिनी खरीदना चाहते थें, स्वामी विवेकानंद पर डाक्यूमेंट्री बनाना चाहते थें,यूरोप घूमना था लेकिन इन सब के अलावा और भी बहुत से सपने थें सुशांत की विशलिस्ट में जिन्हें उनको पूरा करना अभी बाकी था लेकिन वो इसे अधूरा ही छोड़ गए.काश सुशांत अपने इस विश लिस्ट को पूरा करके जाते काश! देखिए सुशांत के सारी विश की लिस्ट…

1.Learn how to fly a plane

2.Train for ironman triathion

3.Play a cricket match left-handed

4.Learn morse code

5.Help kids learn about space

6.Play tennis with a champion

7.Do a four clap push-up

8.Chart trajectories of moon, mars,jupiter and saturn for a week

9.Dive in a blue- hole

10.Perform the double slit experiment

11.Plant 1000 trees

12.Spend an evening in my delhi college of engineering hostel

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के घर पहुंची एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे, देखें वीडियो

13.Send 100 kids for workshop in isro/nasa

14.Meditate in kailash

15.Play poker with a champ

16.Write a book

17.Visit cern

18.Pain aurora borealis

19.Attend another NASA workshop

20. 6 pack abs in 6 months

21.Swim in cenotes

22.Teach coding to visually impaired

23.Spend a week in a jungle

24.Understand vedic astrology

25.Disneyland

26.Visit LIGO

27.Raise a horse

28.Learn at least 10 dance forms

29.Work for free education

30.Explore andromeda with powerful telescope

31.Learn kriya yoga

32.Visit antarctica

33.Help train women in self-defense

34.Shoot an active volcano

35.Learn how to farm

36.Teach dance to kids

37.Be an ambidextrous archer

38.Finish reading the entire resnick halliday physics book

39.Understand polynesian astronomy

40.Learn guitar chords of my fav 50 songs

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को ‘प्रोफेशनल रंजिश’ मान रही है मुंबई पुलिस, होम मिनिस्टर ने दिए जांच के आदेश

41.Play chess with a champion

42.Own a lamborghini

43.Visit st.stephen’s cathedral in vienna

44.Perform experiments of cymatics

45.Help prepare students for indian defence forces

46.Make a doucumentary on swami vivekananda

47.learn to surf

48.Work in al & exponential technologies

49.Learn capoeira

50.Travel through europe by train

खुलासा: सुशांत को सुनाई देती थी अजीब सी आवाजें, डर गई थी गर्लफ्रेंड

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड के बाद से इंडस्ट्री पर उनके फैंस का गुस्सा दिन पर दिन बढ़ रहा है. वहीं उनकी मौत से कई बड़े खुलासे भी हो रहे हैं. जहां एक तरफ पुलिस अपनी तहकिकात के चलते इंडस्ट्री के बड़े बड़े निर्माताओं से पूछताछ कर रही है तो वहीं कुछ स्टार्स आगे बढ़कर इंडस्ट्री का सच सामने ला रहे हैं. लेकिन मुकेश भट्ट के बाद अब उनके भाई की एसोसिएट ने सुशांत की हेल्थ को लेकर कई खुलासे किए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

परवीन बॉबी से की थी सुशांत की हालत की तुलना

माना जा रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) इंडस्ट्री के दोगलेपन से परेशान थे और उनकी निजी जिंदगी में भी कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो इस बात के बिल्कुल उलट बात कर रहे हैं. दरअसल बीते दिनों मुकेश भट्ट ने खुलासा किया था कि उन्हें सुशांत सिंह राजपूत के हावभाव से लगा था कि उनके साथ कुछ गड़बड़ है और ऐसा उन्होंने परवीन बॉबी के साथ देखा था.

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के घर पहुंची एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे, देखें वीडियो

एसोसिएट ने किया ये खुलासा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, मुकेश भट्ट के खुलासे के बाद अब उनके भाई महेश भट्ट से जुड़ी हुई एसोसिएट और लेखिका सुहित्रा सेनगुप्ता ने कहा है कि सुशांत को आवाजें सुनाई देने लगी थी और उन्हें ऐसा लग रहा था कि कोई उन्हें मार देगा. साथ ही कहा है कि ‘सुशांत सिंह राजपूत एक बार भट्ट साहब से सड़क 2 के सिलसिले में मिलने आए थे. वो बहुत बातूनी थे. वो किसी भी टॉपिक पर बात कर सकते थे. चाहे वो क्वाटंम फिजिक्स हो या सिनेमा…उनके पास बहुत सी बातें हुआ करती थी. इस दौरान भट्ट साहब को समझ में आ गया था कि सुशांत की हालत परवीन बॉबी जैसी हो चुकी है. अब केवल दवाइयां ही उन्हें ठीक कर सकती है. रिया ने जो कुछ वक्त से सुशांत के साथ थीं उन्होंने बहुत कोशिश की थी कि सुशांत वक्त पर दवाइयां लें, लेकिन सुशांत ने दवाइयां लेने से मना कर दिया था.’

सुशांत से दूर जाने की दी सलाह

लेखिका ने आगे कहा है कि, ‘लगभग एक साल से सुशांत सिंह राजपूत ने धीरे-धीरे बाहरी दुनिया से अपना संपर्क तोड़ लिया था. रिया चक्रवर्ती उनके साथ थीं, लेकिन वो भी ज्यादा वक्त तक नहीं रह सकती थीं. अब वो वक्त आ गया था जब सुशांत को अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी थीं. उन्हें ये महसूस होने लगा था कि लोग उन्हें मारने की कोशिश कर रहे हैं. एक दिन सुशांत अपने घर पर ही अनुराग कश्यप की फिल्म देख रहे थे. फिल्म देखते-देखते ही उन्होंने रिया से कहा कि मैंने अनुराग कश्यप की फिल्म को ना कह दिया, अब वो मुझे मार देगा. सुशांत की ये बाते सुनकर रिया काफी डर गई थी और जब ये बात रिया ने महेश भट्ट से शेयर की तो उन्होंने तुरंत उनको सुशांत से दूर हो जाने की सलाह दी.

रिया अलग होने का बना रही थीं मन

सुहित्रा सेनगुप्ता ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि, ‘महेश भट्ट ने रिया को समझाया कि वो अब कुछ भी नहीं कर सकती हैं और अगर वो उनके साथ रही तो उन पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा. रिया ने सुशांत से अलग होने का फैसला कर लिया था और सुशांत की बहन का आने का इंतजार कर रही थीं ताकि वो आए और उनको संभाले लेकिन सुशांत किसी की भी बात सुनने को राजी नहीं थे.’

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को ‘प्रोफेशनल रंजिश’ मान रही है मुंबई पुलिस, होम मिनिस्टर ने दिए जांच के आदेश

बता दें, सुशांत सिंह राजपूत ने बीते रविवार को अपने बांद्रा वाले घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद उनकी मौत को लेकर उनके पिता ने क्राइम ब्रांच से इन्वेस्टिगेशन की बात कही थी. साथ ही उनकी डिप्रेशन के कारण मौत को मानने से इंकार कर दिया था और इसे साजिश का नाम दिया था.

फैमिली को परोसें गरमागरम अचारी पनीर

आज हम आपको अचारी पनीर की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और फ्रेंडस को किसी होम पार्टी या किसी फेस्टिवल में परोस सकते हैं. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी डिश है.

हमें चाहिए

पनीर – 250 ग्राम

टमाटर – 3 (150 ग्राम)

हरी मिर्च – 2

अदरक – 1 इंच टुकड़ा

तेल – 2-3 टेबल स्पून

हरा धनियां – 2-3 टेबल स्पून

ये भी पढ़ें- फैमिली को खिलाएं टेस्टी शाही भिंडी

मेथी दाना – ¼ छोटी चम्मच

सरसों के दाने – ½ छोटी चम्मच

जीरा – ½ छोटी चम्मच

सौंफ – 1 छोटी चम्मच

धनियां पाउडर – 1 छोटी चम्मच

हींग – 1 पिंच

हल्दी पाउडर – ¼ छोटी चम्मच

गरम मसाला – ¼ छोटी चम्मच

लाल मिर्च पाउडर – ¼ छोटी चम्मच

क्रीम – ½ कप

नमक – 1 छोटी चम्मच या स्वादानुसार

बनाने का तरीका

टमाटर, हरी मिर्च और अदरक को धोकर, बड़ा बड़ा काट लीजिए, मिक्सर जार में डालिये और पीस कर बारीक पेस्ट बना लीजिये.

ये भी पढ़ें- Janmashtami Special: घर पर बनाएं टेस्टी पंजीरी लड्डू

पैन गरम करके इसमें मेथी दाना, सरसों के दाने और जीरा डालकर हल्का सा भून लीजिए. मसालों के ठंडा होने पर मिक्सी जार में डालिये सौंफ पाउडर या साबुत सोंफ और धनियां पाउडर या साबुत धनियां डाल कर सभी को हल्का दरदरा पीस लीजिए.

पैन गरम कीजिये, तेल डालिये, तेल गरम होने पर हींग, हल्दी पाउडर और पिसे हुए दरदरे मसाले डालकर हल्का सा भून लीजिये. टमाटर, हरी मिर्च, अदरक का पेस्ट डालिये, लाल मिर्च पाउडर भी डाल दीजिये और मसाले को तब तक भूनिये जब तक मसाले पर से तेल अलग होते न दिखाई देने लगे.

जब तक मसाला भूनता है तब तक पनीर को 1-1 इंच के टुकडो़ं में काट कर तैयार कर लीजिए. मसाले से तेल अलग होने पर, क्रीम डाल कर, चलाते हुये 2-3 मिनट भून लीजिए.

मसाला भून जाने पर, आधा कप पानी, नमक और गरम मसाला डाल दीजिये और थोडा सा हरा धनियां डाल कर मिला दीजिये. ग्रेवी में उबाल आने के बाद 2-3 मिनट और उबलने दीजिये, अब पनीर के टुकडे़ डाल दीजिए और ढककर 2 मिनट पकने दीजिए. अब इसे गरमागरम अपनी फैमिली या फ्रेंड्स को परोसें.

ये भी पढ़ें- फैमिली को खिलाएं टेस्टी पनीर कोल्हापुरी

अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई रेसिपी हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करें.

कोरोना काल में कैसे करें हाथों की देखभाल

लौकडाउन के दौरान घर का काम करते हुए हाथों और पैरों का इस्तेमाल सब से ज्यादा होता है. आजकल हमें ऐसे कई तरह के काम करने पड़ रहे हैं जो हाथों की त्वचा को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं. जैसे कपड़े धोते समय तरहतरह के डिटर्जेंट का उपयोग करना पड़ता है. उन में केमिकल्स कंपोनेंट काफी हाई होता है. यही नहीं कपड़े धोते समय कभी गर्म तो कभी ठंडे पानी का इस्तेमाल होता है. यह सब हमारे हाथों के लिए काफी परेशानी पैदा करते हैं. त्वचा पर रैशेज या फिर इरिटेशन हो जाती है.

इसी तरह बर्तन धोते समय भी हम कई बार जूना, हार्ड स्पंज वाले स्क्रबर या ब्रश का प्रयोग करते हैं. बर्तन की सफाई के लिए लिक्विड सोप या गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं. इस से नाखूनों के साथसाथ हथेलियों की आगे और पीछे की त्वचा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

झाड़ूपोछा लगाते समय भी कई मसल्स ऐसे होते हैं जिन पर खास जोर पड़ता है. कुछ खास मूवमेंट्स ऐसे होते हैं जिन से हाथों की पर त्वचा ज्यादा प्रभावित हो सकती है. सब्जियां काटते समय जैसे, मूली कद्दूकस करने के बाद कुछ लोगों को हाथों में इरिटेशन जलन या खुजली की समस्या हो सकती है. इसी तरह किसी को प्याज काटने से तो किसी को करैला या कटहल काटने से भी प्रॉब्लम होती है.

यही नहीं इस कोरोना काल में बारबार साबुन या हैंड वाश से हाथ धोने के कारण भी हाथों की त्वचा रूखी व मुरझाई हुई महसूस होने लगती है. दरअसल साबुन और पानी मिल कर गंदगी और कीटाणु तो भगा देते हैं लेकिन स्किन के प्राकृतिक तेलों को भी अपने साथ ही ले जाते हैं. जिस की वजह से ये रूखे हो जाते हैं.

पहले लोग हाथों और पैरों पर मेहंदी, अलता जैसी चीजें लगाते थे. मगर अब समय की कमी के कारण महीने में एक बार भी मेनीक्योर करा लें वही बहुत है. फिर आजकल कोरोना काल में वैसे भी सलून, स्पा जैसी जगह जाने से बचना चाहिए. ऐसे में लॉकडाउन में हाथपैरों की खूबसूरती न खो जाए इस बात इस बात का ख्याल रखना बहुत जरूरी है.

ये भी पढ़ें- जानें क्या है घर पर हेयर कलर करने का सही तरीका

हैंड क्रीम और मॉइश्चराइजर

इस समस्या का एक समाधान अच्छी हैंड क्रीम और मॉइश्चराइजर है जो न सिर्फ त्वचा को नमी देता है बल्कि उसे जरूरी पोषण भी दे सकता है. हाथों को पोंछने के बाद इस पर मॉइश्चराइज लगा लें. कोकम बटर, ऑर्गेनिक हनी, एलोवेरा, हल्दी, सेसम ऑयल, एप्रिकोट ऑयल जैसे इंग्रेडिएट्स युक्त मॉइश्चराइजिंग क्रीम उपयोग में लाएं जो त्वचा को मुलायम रखते हैं. हाथ जैसे ही सूखें तो इन पर ऑयल बेस्ड हैंड क्रीम लगाएं ताकि मॉइश्चर हाथों में लॉक हो सके.

मार्केट में मिलने वाली कुछ खास हैंड क्रीम आप जिन का इस्तेमाल कर सकते हैं उन के नाम ये हैं,

1. सैक्रेड साल्ट मिल्क प्रोटीन हैंड एंड फुट क्रीम

यह त्वचा को नमी और पोषण देता है. इस हैंड क्रीम में दूध और प्रोटीन के साथसाथ ग्लिसरीन, एसेंशियल ऑयल, शीया बटर और विटामिन-ई होता है जिस से रूखी त्वचा नरम और मुलायम बनती है.

2 . लॉक्सीटेन चेरी ब्लॉसम हैंड क्रीम

3 . खादी नैचुरल मिल्क एंड सैफ्रन हर्बल हैंड क्रीम

खादी नैचुरल की यह हर्बल हैंड क्रीम रूखे हाथों और नाखूनों के लिए काफी फायदेमंद है. इस क्रीम में प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है जो बेजान खुरदरी त्वचा और नाखूनों के क्यूटिकल्स को नरम करता है. इस के लैवेंडर और पीच एवाकोडो मॉइस्चराइजर भी बहुत फायदेमंद हैं.

4 . द फेस शॉप डेली परफ्यूम हैंड क्रीम

चेरी ब्लॉसम की मनमोहक खुशबू के साथ आने वाली यह क्रीम त्वचा पर बहुत नरम रहती है.

5 . वैसलीन हैंड क्रीम

यह क्रीम कैराटिन युक्त है. इस में वैसलीन जैली की शक्ति है जो त्वचा को नमी देती है. वैसलीन हैंड क्रीम चिकनाई रहित है.

6 . अरोमा मैजिक नरिशिंग हैंड क्रीम

7. द बॉडी शॉप आलमंड एंड हनी हैंड क्रीम

रात में देखभाल

बेड पर जाने से पहले अगर हाथों को मॉइश्चराज किया जाए तो सब से ज्यादा फायदा होता है. इस वक्त हाथों में वेसलिन या हैंड क्रीम लगाना काफी फायदेमन्द होता है. कोशिश करें कि क्रीम लगाने के बाद कॉटन के ग्लव्स भी पहन लें. अगर पूरी रात इन्हें नहीं पहन सकते हैं तो कुछ घंटों के लिए तो जरूर पहन लें.

नहाने से पहले त्वचा पर तेल से मसाज करें. इस से हाथ मुलायम बनेंगे. नहाने के तुरंत बाद लोशन या क्रीम लगाएं. इस से त्वचा में नमी बरकरार रहेगी.

एलोवेरा है फायदेमन्द

एलोवेरा से बनी कई क्रीम बाजार में मिलती हैं. लेकिन एलोवेरा से सीधे इस का जेल निकाल कर इस्तेमाल करना ज्यादा फायदा देता है. इस जेल को दिन में 2 बार हाथों में लगाए. आधे घंटे तक इसे ऐसे ही लगा रहने दें और धो लें.

सच तो कि हाथों की खूबसूरती घर में मौजूद चीजों से भी बढ़ाई जा सकती है और डलनेस दूर की जा सकती है. हाथों की त्वचा सुरक्षित रखने और डलनेस दूर करने के लिए मेकअप एक्सपर्ट और स्टार सलोन एंड अकादमी की डायरेक्टर आश्मीन मुंजाल द्वारा बताए गए निम्न घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं;

1. मलाई

हाथों की त्वचा की डलनेस दूर करने के लिए रात को सोते समय दूध में मौजूद मलाई की परत निकाल कर उस के अंदर के हिस्से को, जिस में लैक्टोएसिड्स होते हैं, हाथों पर लगाएं. यह हाथों को गोरा और चमकदार बनाने में काफी प्रभावी है. केवल रात में ही नहीं बल्कि सुबह में भी इसे हाथों पर सर्कुलर मोशन में मलें. हाथों में ड्राईनेस हो रही हो तो भी हाथों पर मलाई से मसाज करें. फिर कॉटन ग्लव्स पहन लें.

ये भी पढ़ें- ट्रेंडी आईशैडो से सजाएं आंखों को

 2. नींबू

नींबू का छिलका हाथों के लिए बहुत अच्छा है. नींबू के छिलके को पलट लें और उस पर थोड़ी चीनी बुरक दें. इसे पूरे हाथ पर 10 बार क्लॉकवाइज और फिर 10 बार एंटी क्लॉकवाइज घुमाएं. बाद में हाथ धो लें. नियमित रूप से ऐसा करने पर हाथ गोरे और चमकदार हो जाएंगे. कालापन कम होता जाएगा.

 3. फलसब्जियों के छिलके

आप जब कोई भी फल काटते हैं जैसे आम, खरबूज ,सेब आदि तो उस के छिलकों को फेंके नहीं. मान लीजिए आप ने आम काटा है तो इस के छिलके को उतार लें और अपने हाथों पर 5 मिनट तक मलें. फिर धो लें. जिस तरह फल अंदर से सेहत को अच्छा बनाते हैं वैसे ही इन के छिलके त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते हैं.

इसी तरह हरी सब्जियां जैसे घीया, खीरा या टमाटर आदि के छिलके भी त्वचा के लिए बहुत लाभकारी साबित होते हैं.

 4. तेल

रात को सोते समय हाथ और पैरों के तलवों की दोनों तरफ तेल लगाना न भूलें. आप इस के लिए सरसों या तिल के तेल का इस्तेमाल करें. 2 मिनट मसाज करें और फिर कॉटन ग्लव्स पहन कर सो जाएं.

तनाव के कोरोना से जूझती कामकाजी महिलाएं

विश्व में जब भी कोई आपदा या महामारी आती है, तो लोग उससे जूझते हैं, लड़ते हैं और फिर उससे पार पाकर बाहर आते हैं.  पर उसका दुष्प्रभाव सदियों तक रहता है, खासकर मनुष्य के शरीर पर और उससे ज्यादा मन पर.

ठीक वैसे ही जैसे आज हम कोरोना से लड़ रहे हैं. कल को इस महामारी की वैक्सीन बनने और उचित स्वास्थ विज्ञान के होने से हम निश्चित ही इस पर विजय प्राप्त कर लेंगे, पर इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव से हम कब और कैसे उबरेंगे, यह कह पाना फिलहाल तो बहुत ही कठिन है.

जहां आज इस वैश्विक बीमारी ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है, वहीं मौत का आंकड़ा भी कम नहीं है. एक और जहां इससे पुरुष, स्त्रियां, बच्चे सभी प्रभावित हो रहे हैं, पर इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव महिलाओं पर खासकर नौकरीपेशा महिलाओं पर अलग ही तरीके से पड़ रहा है. एकदम अदृश्य कोरोना वायरस की तरह.

यह डर बेवजह नहीं है. यूएन वीमेन एशिया पैसिफिक का मानना है कि आपदाएं हमेशा जेंडर इनइक्वालिटी को और भी खराब कर देती हैं. एक महिला के लिए तो यह एक दोहरी नहीं, बल्कि तिहरी जिम्मेदारी सी आई है. घर की जिम्मेदारियां, ऑफिस की जिम्मेदारीयां, और अब कोविड 19 संग आईं नई जिम्मेदारियों के संग तालमेल बिठाना अपने आप में जैसे एक सुपर स्पेशिएलिटी ही है.

स्कूलबंदी का तनाव

एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में सिर्फ प्राथमिक कक्षाओं में जाने लायक 5.88 करोड़ लड़कियां और 6.37 करोड़ लड़के हैं. लगभग हर घर में स्कूल जाते बच्चों के अनुसार ही घर के कामों की रूटीन बैठाई जाती है.अचानक ही कोरोना के कारण हुए इस स्कूलबंदी ने सामंजस्य घटक का कार्य किया है.

ये भी पढ़ें- सावधान- कोविड-19 के नियमों का करेंगे उल्लंघन तो देना पड़ेगा जुर्माना

अब सोचिए कि उन महिलाओं का क्या जिन्होंने बच्चों के स्कूल के हिसाब से घर के कार्यो को सेट किआ था? अब वही बच्चे न तो स्कूल ही जा पा रहे हैं, न ही कोचिंग, खेल के मैदान और पार्क की तो बात ही छोड़ दो. यहां तक कि बच्चो की संख्या अगर 2 या 2 से अधिक है तो घर को अखाड़ा बनते भी देर नही लगती. यह सिरदर्दी उन घरों में और ज्यादा बढ़ गई है जहां महिलाएं नौकरीपेशा हैं. नौकरी के साथ साथ बच्चों का मेलोड्रामा, उनके अपने साइकोलॉजिकल ट्रॉमा, बड़े बच्चो में पढ़ाई का प्रेशर और छोटे बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज… कामकाजी महिलाओं में तनाव बढ़ाने का आसान रास्ता.

गौर करने की बात है कि एक 5 वर्षीय बच्चे की मम्मी को कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी उसकी एलकेजी क्लास के लिए… ऑनलाइन स्क्रीन के सामने बिठाना, पढ़ाई करवाना और साथ ही साथ अपने दूसरे जरूरी काम भी करना.

वर्क फ्रॉम होम- समस्या या समाधान

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 27 प्रतिशत महिलाओं नौकरी करती हैं. इस कम आंकड़े की एक महत्वपूर्ण वजह घर में इसके अनुकूल वातावरण का न होना भी है. आज कोविड 19 से कारण बहुत सारी कंपनियों ने सितंबर महीने तक वर्क फ्रॉम होम दे रखा. घर में माहौल का न होना, घरेलू कार्य और बच्चे सब मिलकर इस सुविधा को असहज करते हैं.

टीसीएस में कार्यरत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कहना है कि बच्चों की धमाचौकड़ी की वजह से घर में ऑफिस के काम के प्रति एकाग्रता नहीं बन पा रही है जिस से काम में रुकावट पैदा हो रही है. कई बार तो उनके सोने के बाद काम करना पड़ता है जो बहुत ही थकाऊ प्रोसेस है.

आप जैसे ही काम करने के लिए बैठते हैं, बच्चो की फरमाइशों की लिस्ट आ जाती है. आप उन्हें पूरा करते हैं, तबतक वर्क फ्रंट से अलग ही प्रेशर बन चुका होता है.कई बार तो ऐसा होता है कि आपकी एक इम्पोर्टेन्ट क्लाइंट मीटिंग की वी सी चल रही होती और आपके बच्चे बीच में आकर अपनी शरारतें करने लगते हैं या कभी कभी आपस में ही इस कदर गुत्थमगुत्था हो जाते हैं कि आपको तब कैमरा ऑफ के साथ मीटिंग म्यूट करनी पड़ती है और उनके झगड़े सुलझाने होते हैं.वापस मीटिंग में आने के बाद आपके व्यवहार में चिड़चिड़ाहट आना भी स्वभाविक हो जाता है और एक अच्छी खासी मीटिंग का सत्यानाश हो जाता है.

घरेलू हिंसा की भयावता

कोरोना के कारण उपजे अवसाद और आर्थिक तंगी ने एक ऐसा कॉकटेल बना दिया है जो घरेलू हिंसा को बढ़ावा दे रहा है. यहां तक कि मुम्बई हाईकोर्ट भी इस बात को स्वीकारता है कि कोरोना काल के इस दौर में घरेलू हिंसा के मामले भी अपने आप मे एक रिकॉर्ड बना रहे हैं खासकर भारत जैसे विकासशील देश में जो कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार महिलाओं की सहभागिता (अर्थोपार्जन में) के अनुसार विश्व के 130 देशों के आगे 120वीं रैंक पर है.

कोविड 19 ने दुनिया का आयाम ही बदल दिया है. वर्क फ्रंट में काम की तंगी, व्यवसायों का ठप्प होना, करोड़ों अरबों रुपयों का नुकसान होना एक अवसाद तो उत्पन्न कर ही रहा है ऊपर से भविष्य की चिंता अलग ही विकराल रूप ले रही है और इन सबका एकमात्र शिकार होती हैं घर की महिलाएं जिन पर सारे तनाव घरेलू हिंसा के रूप में बेवजह रिलीज किए जाते हैं.

ऑफिस का तनाव

अब जबकि लोकडाउन तकरीबन खत्म हो चुका है, बहुत सारे कार्यलय खुल चुके हैं और लोगों को  ऑफिस बुलाया जाने लगा है, ऐसे वक्त में हॉउस हैल्पर का न होना (इसमें रिवर्स माइग्रेशन का भी एक अहम योगदान है), स्कूल और क्रेशेज का न खुलना जैसी समस्याएं और भी मुश्किलें पैदा कर रही हैं. ऐसे में महिलाओं का जॉब खोना और कई बार पूरी तल्लीनता से काम न कर पाने की वजह से वेतन कटौती का भी सामना करना पड़ रहा है.

ऐसी ही एक सिंगल मदर हैं जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी पोजिशन पर हैं. उनका 6 साल का बच्चा है. पहले जहां बच्चे को स्कूल छोड़ने के बाद वे ऑफिस आती थीं, स्कूल के बाद बच्चा वहीं क्रेश में उनके ऑफिस से लौटने तक रहता था. कोविड के कारण अब यह संभव नही है.घर पर फिर भी कुछ मुश्किलों से ही सही पर बच्चे की देखरेख के साथ ऑफिस का काम हो पाता था, पर चूंकि अब औफिस जाना ही है और स्कूल और क्रेश बंद हैं, तो यह एक अलग ही समस्या सामने खड़ी हो गई है.

फ्रंटलाइन वर्कर्स

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार स्वास्थ्य विभाग में 70 प्रतिशत सहभागिता महिलाओं की है. घर की दोहरी जिम्मेदारी तो उन्हें परेशान करती ही है, ऊपर से कार्यस्थल की परेशानियां अलग ही होती हैं. कितनी ही जगहों पर तो महिलाओं के साथ अभद्रता की भी रिपोर्ट आ रही हैं.वहीं पर महिलाओं को हाईजीन की भी परेशानी आ रही है, जो पीपीई किट के उपयोग के कारण 10-10 घंटे तक वाशरूम तक का भी प्रयोग नहीं करने के कारण हो रहा है.

कोविड 19 के रोगियों के साथ काम करने की वजह से खुद को परिवारों से आइसोलेट करके रखना भी एक समस्या है. परिवार से दूर रहना भी चिंता में एक इजाफा ही है. छोटे छोटे बच्चों को उनकी माँ से दूर बिलखते देख तो जैसे कलेजा ही फाड़ देता है. आंसुओं से भीगे अपने बच्चों के गालों को वीडियो कॉलिंग में देखना और पुचकार के साथ उन्हें पोंछ न पाने का मर्म सिर्फ एक मां ही समझ सकती है.

ये भी पढ़ें- विज्ञान और अनुसंधान के मामलों में क्यों पीछे हैं भारतीय महिलाएं

इन सारी परेशानियों के साथ साथ कोविड 19 के भयावह वातावरण का अवसाद, परिवार की चिंता यहां तक कि छोटे छोटे बच्चों की बढ़ती स्क्रीन टाइमिंग भी महिलाओं को परेशान कर रही है, पर इन सब मुसीबतों के बीच लोगों खासकर महिलाओं का मैगजीनों के प्रति बढ़ता रुझान बताता है कि सोशल डिस्टेनसिंग और परिवार और हाउस हेल्पर की अनुपस्थिति में उन्हें एक सच्चा साथी मिल पा रहा है, जो उन्हें उनके लिए वक्त दे रहा है.

अलविदा सुशांत सिंह राजपूत: चकाचौंध की जिंदगी के पीछे काली छाया 

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का अचानक आत्महत्या कर लेना हर सिनेमा प्रेमी के लिए एक चौकाने वाली घटना रही. हिंदी सिनेमा जगत के सारे लोग भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे है. आखिर क्यों एक सफल कलाकार ने आत्महत्या किया है ? क्यों वे अपनी ग्लैमरस जिंदगी को अच्छी तरह जी नहीं पाए? क्या समस्याएं थी? क्यों वे ऐसी कदम उठाने से पहले अपने परिवार और माता-पिता को याद नहीं कर पाए आदि न जाने कितने ही सवाल हर कलाकार के सुसाइड के बाद उनको चाहने वालों के जेहन में आती है, जिसके बारें में जानना और समझना जरुरी है. 

ये सही है कि आज एक सफल कलाकार का बनना बॉलीवुड में आसान नहीं होता, यहाँ प्रतिभा से अधिक भाई-भतीजावाद और बड़े-बड़े निर्माताओं की लॉबी पूरी तरह से हावी रहती है, ऐसे में इंडस्ट्री के बाहर से आकर अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत और धीरज की बहुत जरुरत होती है. खासकर मुंबई जैसे शहर में जहाँ ये आर्टिस्ट्स बहुत अधिक संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते है, ऐसे में एक सफल कलाकार का ऐसा कदम सबको चकित करता है, जबकि उन्हें आर्थिक तंगी भी नहीं थी.

 दरअसल सफल कलाकारों को इस चकाचौंध की जिंदगी जिसमें प्यार, पैसा और शोहरत सब शामिल होता है, जिसके लिए ये अपना शहर और घर छोड़कर कुछ हासिल करने के जज्बे से मुंबई चले आते है और काफी मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिलती है और वे ग्लैमरस जिंदगी जीने लगते है, लेकिन धीरे-धीरे जब इंडस्ट्री की हकीकत से परिचित होने लगते है, तो सब कुछ आईने की तरह साफ़ हो जाता है. जिसका सामना कलाकार कई बार करने में असमर्थ होते है और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है, जो आगे चलकर आत्महत्या का रूप ले लेती है. इसमें सुशांत सिंह राजपूत के अलावा जिया खान, प्रत्युषा बैनर्जी, दिव्या भारती, गुरुदत्त, परवीन बॉबी, मनमोहन देसाई आदि कई नाम है, जिन्होंने आत्महत्या की.

इस बारें में निमये हेल्थ केयर के मनोचिकित्सक डॉ. पारुल टांक कहती है कि सुइसाइड करने की वजह को समझना मुश्किल होता है, क्योंकि ये केवल सेलिब्रिटी ही नहीं कोई भी कर सकता है, यहाँ ये सेलिब्रिटी है, इसलिए हम जान पाते है. इसे करने के कई कारण हो सकते है.

  • जिन्हें उदासीनता की बीमारी हो, 
  • ड्रग और अधिक एल्कोहल लेने वाले लोग,
  • कुछ बड़ी बीमारी से पीड़ित लोग जैसे स्किजोफ्रिनिया, बाइपोलर आदि,  
  • डिप्रेशन की वजह से पहले कभी सुसाइड का अटेम्प्ट किया हो,
  • फॅमिली हिस्ट्री आत्महत्या की हो,ये सभी आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते है.

सेलिब्रिटी या नॉन सेलिब्रिटी पैसे से इसका कोई सम्बन्ध अधिक नहीं होता. गरीब और अमीर दोनों ही करते है. ये पैसे से भी अधिक ख़ुशी से सम्बंधित होता है. सूत्रों की माने तो सुशांत सिंह राजपूत का भी मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा था, पर उन्होंने ऐसा क्यों किया? कौन से कारण थे? ये अभी पता नहीं चल पाया है. ये सही है कि सेलिब्रिटी में मानसिक और सामाजिक दबाव अधिक होता है. ये सहजता से किसी बात को किसी से कहने में असमर्थ होते है. 

जब भी ऐसे हालत बनते हो, तो प्रोफेशनल मनोरोग चिकित्सक की मदद लेन ही सही होता है. दवा और काउंसलिंग से इसे कम किया जा सकता है. ये कोई स्टिग्मा नहीं है. प्रोफेशनल के पास जाने से शर्म महसूस नहीं करना चाहिए. इसके अलावा अपने परिवार और दोस्तों का सहारा लेना जरुरी होता है, जो आपको समझ पाएं. हर इंसान के पास एक या दो लोग होने चाहिए जो डिप्रेशन से आपको निकाल सके. इसके अलावा सही डाइट और व्यायाम भी डिप्रेशन से व्यक्ति को राहत दिलाती है, क्योंकि व्यायाम हैप्पी हार्मोन को इम्प्रूव करती है. आत्महत्या किसी भी चीज का समाधान नहीं होता, क्योंकि इससे माता-पिता, परिवार जन और आसपास के सभी आहत होते है. डिप्रेशन एक या दो दिन में नहीं आता, ये दो हफ्ते से महीने तक चलता है, इसके लक्षण निम्न  है…

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के घर पहुंची एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे, देखें वीडियो

  • उदासीनता, 
  • किसी बात में मन न लगना, 
  • नकारात्मक भाव का आना,
  • आत्मविशवास और आत्मसम्मान का कम हो जाना,
  • नींद न आना,
  • भूख नहीं आना, 
  • किसी चीज में मन नहीं लगना, बहुत रोना आदि अगर होने लगे, तो मनोरोग चिकित्सक की सलाह अवश्य लें. 

सूत्रों की माने तो सुशांत सिंह राजपूत भी किसी बड़ी प्रोडक्शन लॉबी के शिकार हुए थे और कुछ ही दिनों में उनके हाथ से कई बड़ी फिल्में जा चुकी थी, जिसका उन्हें मलाल था और इसे न सह पाने की स्थिति में उन्होंने आत्महत्या को अंजाम दिया. जिसकी छानबीन जारी है. ये सही है कि बॉलीवुड लॉबी माफिया के बारें में पहले कंगना रनौत ने भी खुलकर अपनी बात रखी थी और उसने डटकर सामना किया था, जो सुशांत सिंह राजपूत नहीं कर पाए और जिंदगी को ख़त्म कर दिया.

जीवन में आये इस उतार-चढ़ाव से गुजरना और डटकर सामना करना किसी भी कलाकार के लिए आसान नहीं होता, क्योंकि सफलता का स्वाद कलाकारों की मुरादों की लिस्ट को पूरा करती रहती है और जब ये उनके हाथ से निकलती जाती है तो अपने आपको सम्भाल पाना बहुत मुश्किल होता है, ऐसे ही कुछ कलाकारों ने अपने अनुभव शेयर किये,जब वे किसी न किसी वजह से तनाव के शिकार हुए और अपने आपको सम्हाला. आइये जानते है क्या कहते है सितारे, 

अमिताभ बच्चन 

लाइफ कभी भी आसान नहीं होती, मेरे पिता कहा करते थे कि जीवन हमेशा संघर्षमय होता है. जब तक आप जीवित रहते है, ये संघर्ष चलता रहता है, सभी को उससे गुजरना पड़ता है. जब साल 1969 में ‘साथ हिन्दुस्तानी’ फिल्म केवल 5 मिनट में मिली थी,तो बहुत ख़ुशी हुई. इसके बाद फिल्म ‘आनंद’ साल 1971 में आई,जो सफल रही. इसके बाद कई सालों का गैप मेरे कैरियर में आया, लोग मुझे भूलने लगे थे कि मैं एक परफ़ॉर्मर हूं. कई बार अकेलापन मेरी जिंदगी में आया, पर परिवार और दोस्तों ने सहारा दिया और मैं आगे बढ़ा. 

मिथुन चक्रवर्ती

मुझे रातोंरात सफलता नहीं मिली थी. मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा. मैं अपने शुरुआती पलों को याद करना भी अब नहीं चाहता, क्योंकि अब मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं. संघर्ष के बाद जब फिल्मों का मिलना शुरू हुआ, तो मेरी माँ ने मुझसे कही थी कि हमेशा नीचे की तरफ देखकर चलो, अगर ऊपर की तरफ देखकर चलोगे, तो ठोकर खाकर गिर जाओगे. इसी मन्त्र को लेकर मैं चला हूं और एक सुपर स्टार बना, लेकिन ये भी पता था कि ये चिरस्थायी नहीं है. इसे डाईजेस्ट करना मेरे लिए आसान नहीं था, इसलिए अब मैं अपना समय अपने डॉगी और प्लांट्स के साथ बिताता हूं.

रणवीर सिंह 

जब आप रैट रेस में होते है, तो अपनों के साथ समय बिताना भूल जाते है. सफलता के बाद मेरी दोस्तों की लिस्ट बहुत कम हो चुकी है, जिसे मैं अब समय देने लगा हूं. मैं काम और परिवार के बीच में सामंजस्य रखना जानता हूं. तनाव होने पर मैं एक लम्बी सांस लेकर जिम में चला जाता हूं और सारे तनाव को बाहर निकाल लेता हूं. सफलता और पैसा जिंदगी में उलझन लाती है. इसलिए जब भी शूटिंग नहीं होता, मैं फ़ोन को स्विच ऑफ कर परिवार के साथ समय बिताता हूं. 

अक्षय कुमार 

मेरा शुरूआती दौर बहुत संघर्षमय था, कई रिजेक्शन का सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने धीरज धरी और आगे बढ़ा. सफलता से आज मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि आज मेरे करोड़ो फैन फोलोवर्स है, जो मुझे अच्छा लगता है. मैं अपने फैन्स को कभी भी मायूस नहीं करना चाहता, पर कई बार फिल्में फ्लॉप हो जाती है. कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ता है. तनाव भी होता है, लेकिन ऐसे समय में मैं जिम में जाकर सारे तनाव को निकाल देता हूं.

सारा अली खान 

सारा कहती है कि सफल कलाकार जब सामने कुछ भी नकारात्मक चीज देखता है, तो उसे मानसिक तनाव होने लगता है, ऐसे में उसके आसपास के लोग ही उसे उस तनाव से निकाल सकते है, लेकिन सफलता की सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते कलाकार अधिकतर अपने आसपास के लोगों को भूलते जाते है, ऐसे में जब उन्हें किसी के सहारे की जरुरत होती है, तो वह अकेला होता है और कुछ भी गलत कदम वह उठा सकता है. मुझे भी इसका अनुभव है जब मुझे पहली फिल्म मिली और उसकी सफलता के लिए मैंने कितना इंतजार किया. डर भी था, पर मां ने मेरा साथ दिया था. 

दीपिका पादुकोण 

मानसिक दबाव में जीना बहुत मुश्किल होता है. कोई आपकी समस्या को समझ नहीं सकता. खुद को ही उससे निकलना पड़ता है, लेकिन इसमें मेरे परिवार और दोस्तों ने बहुत सहायता की. एक समय मैंने सबसे दूर और अकेले रहने को सोची थी, कई गलत ख्याल भी आये पर मैंने एक्सपर्ट का हेल्प लिया और आज मैं बहुत खुश हूं कि एक अच्छी जिंदगी बिता रही हूं.

ये भी पढ़ें- सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को ‘प्रोफेशनल रंजिश’ मान रही है मुंबई पुलिस, होम मिनिस्टर ने दिए जांच के आदेश

श्रध्दा कपूर 

जब मेरी शुरू की कई फिल्में फ्लॉप हुई तो बहुत बड़ा झटका लगा. कई बार ये सोचने पर मजबूर हुई कि मैं इस फील्ड के लिए ठीक नहीं, डिप्रेशन में चली गयी थी, लेकिन मेरे परिवार ने मुझे समझाया और मैं आगे बढ़ी. बहुत मुश्किल होता है, तनाव से निकलना. मुझे इसका बहुत बढ़ा अनुभव है और आज मैं इस परिस्थिति से निकलना जानती हूं. असफलता ने ही मुझे इसकी सीख दी है.

बेहतर सुरक्षा देने वाले मास्क पर चिपके नोवल कोरोना को कैसे नष्ट करें

आज सब की प्राथमिकता में स्वस्थ रहना है. किसी को कैंसर या उस जैसी जानलेवा दूसरी बीमारियों से डर नहीं है. डर है तो सिर्फ कोविड-19 बीमारी से, जो नोवल कोरोना वायरस के हमले से हो जाती है.

वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए जारी की गईं गाइडलाइन्स को सभी जानते हैं. इस में बेसिक 3 बातें अहम हैं- हैंडवाश, सोशल डिस्टेंसिंग और फेसमास्क. यह भी सभी को मालूम है. लेकिन इन में से सब से बेहतर बचाव फेसमास्क से होता है. पहले हाथ धोने और सामाजिक दूरी को ही अहमियत दी गई थी. फेसमास्क पर जोर नहीं था. रिसर्च हुई तो फिर फेसमास्क के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया. उस के बाद की रिसर्च के बाद फेसमास्क को कुछ देशों में अनिवार्य कर दिया गया. अब तकरीबन पूरे भारत में भी इसे जरूरी कर दिया गया है.

मास्क से बेहतर बचाव :

दुनिया के देशों में कोरोना पर रिसर्चें हो रही हैं. कम समय में जितनी रिसर्चें इस विषय पर हुईं और हो रही हैं, उतनी शायद किसी दूसरे विषय पर नहीं हुईं. एक ताजा रिसर्च सामने आई है जिस में कोरोना वायरस के इन्फैक्शन से बचाव के लिए फेसमास्क को हैंडवाश और सोशल डिस्टेंसिंग से बेहतर करार दिया गया है.

अमेरिका में की गई एक स्टडी से यह संकेत मिला है कि हैंडवाश और सोशल डिस्टेंसिंग की तुलना में फेसमास्क इंसानों को कोरोना वायरस से बचाने में अधिक कारगर हो रहे हैं. यह स्टडी अमेरिका के युद्धपोत थियोडोर रूजवेल्ट पर की गई. इस युद्धपोत पर करीब एक हजार लोग कोरोना से संक्रमित हो गए थे.

ये भी पढ़ें- सेहत भी बनाते हैं मसाले

मार्च में ही युद्धपोत थियोडोर रूजवेल्ट के 4,900 क्रू मेंबर्स में से 1,000 से अधिक कोरोना पौजिटिव हो गए थे. एक शख्स की मौत भी हो गई थी. बाद में
नेवी और अमेरिका के सेंटर फौर डिजीज कंट्रोल ने युद्धपोत के 382 क्रू मेंबर्स से सैंपल ले कर स्टडी की.

अमेरिका के एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने पाया कि मास्क पहनने और न पहनने वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने में 25 फीसदी का अंतर है. जबकि, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और न करने वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने में 15 फीसदी का अंतर था. वहीं, कोरोना संक्रमित होने को ले कर हैंडवाश करने और न करने वाले लोगों के बीच सिर्फ 3 फीसदी का अंतर था.

382 लोगों के सैंपल पर की गई स्टडी में पता चला था कि मास्क पहनने वाले 55 फीसदी लोग संक्रमित हो गए. जबकि नहीं पहनने वाले लोगों में संक्रमित होने वालों की संख्या 80 फीसदी थी. यानी, मास्क
पहनने से संक्रमण रोकने में 25 फीसदी की कमी
आई.

मास्क पर लगे वायरस को नष्ट करें :

अब जब दुनिया के अधिकतर देशों में लौकडाउन को ख़त्म किया जा रहा है और बाज़ार खुलने लगे हैं तो मास्क का प्रयोग लोगों की रोज़मर्रा की आदत बन गया है.

सवाल यह है कि जब मास्क को पाबंदी से इस्तेमाल करना है तो क्या तरीक़ा है कि मास्क पर संभावित रूप से लगे कोरोना वायरस को मारा जाए और मास्क को फिर से इस्तेमाल करने के लायक़ बनाया जाए?

उस मास्क की बात नहीं की जा रही है जो डाक्टर और चिकित्सा विभाग के स्टाफ़ के लोग प्रयोग करते हैं और जिसे एन-95 मास्क कहा जाता है. बात आम मास्क के बारे में है जो आमतौर पर लोग इस्तेमाल करते हैं.

यह मास्क पतला होता है. इसे धोना मुश्किल होता है. इस प्रकार के मास्क को इस्तेमाल करने के बाद अगर 72 घंटे के लिए किसी जगह पर रख दिया जाए, तो अगर उस पर कोरोना वायरस लगा भी है तो वह मर जाएगा. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि मास्क को एक सप्ताह के लिए छोड़ देना चाहिए, तब तक उस पर मौजूद वायरस ख़त्म हो जाएगा.

ऊपर 2 अलगअलग विचारों की वजह यह है कि कोरोना वायरस अलगअलग वातावरण में अधिक या कम अवधि में समाप्त हो जाता है. यदि तापमान कम है तो वायरस अधिक समय तक जीवित रहता है और यदि तापमान ज़्यादा है तो वह  जल्दी ख़त्म हो जाता है.

मैडिकल विशेषज्ञों की इस बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण अनुशंसाएं हैं, उन्हें आप भी जानिए.

* मास्क को जैविक ख़तरे के रूप में देखना चाहिए, जब भी उसे हाथ लगाएं तो अपने हाथ साबुन से 20 सैकंड तक ज़रूर धोएं.

* यदि मास्क गंदा हो जाए तो फिर उसे इस्तेमाल न करें.

* मास्क कहीं से भी फटा हुआ नहीं होना चाहिए.

* मास्क को प्रयोग करने के बाद काग़ज़ के लिफ़ाफ़े में डाल कर एक हफ़्ते तक छोड़ दें, उस के बाद उसे फिर इस्तेमाल करें.

* जिस लिफ़ाफ़े में मास्क रखा है, उसे बच्चों से दूर रखें.

* एक हफ़्ते के बाद लिफाफे से मास्क बाहर निकालें तो इसे वही व्यक्ति इस्तेमाल करे जिस ने पहले इस्तेमाल किया है, कोई दूसरा व्यक्ति नहीं.

ये भी पढ़ें- क्या आप भी अपने बच्चे को लोरी गाकर सुलाती हैं?

दुनिया ने अब जब मान लिया है कि कोरोना संग जीना है तो हर इंसान को सावधानियां तो बरतनी हो होंगी अन्यथा जीवन का समय गुजारना दुश्वार हो जाएगा. वायरस के दौर में स्वस्थ जिंदगी के लिए मास्क अनिवार्य और बहुत ही महत्त्वपूर्ण टूल है. सो, हमआप सभी इस का सुरक्षित इस्तेमाल करें वरना दिक्कत हो सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें