मां के साथ काम करने की इच्छा रखती हैं पूर्बी जोशी, पढ़ें खबर

‘ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो’ से चर्चित होने वाली कॉमेडियन, अभिनेत्री, एंकर पूर्बी जोशी को ‘वन ऑफ़ द हॉटेस्ट गर्ल ऑन टेलिवीजन’ का ख़िताब भी मिल चुका है. बचपन से उसने अपनी मां सरिता जोशी को एक स्ट्रोंग परफ़ॉर्मर के रूप में देखा है और मां ही उनकी प्रेरणा भी है. लॉक डाउन में पूर्बी अमेरिका में अपने अमेरिकन पति और बच्चे के साथ समय बिता रही है. 

कोरोना की महामारी के चलते हर कलाकार अपनी तरफ से कुछ न कुछ कर दर्शकों को करने में लगे हुए है. इसी कड़ी में कम बजट की शोर्ट और मिनी सीरीज का प्रचलन बढ़ा है. क्वारेंटाइन स्पेशल के अंतर्गत वेब शोर्ट सीरीज ‘मेट्रो पार्क’ रिलीज हो चुकी है. जिसमें कॉमेडी के साथ साथ मनोरंजन भी भरपूर है. लॉस एंजिलस से पूर्बी ने गृहशोभा के लिए बात की, पेश है कुछ अंश. 

सवाल-लॉक डाउन में क्या कर रही है?

मैं समय अपने बेटे और पति के साथ झाड़ू पोछा और खाना बनाते हुए बिता रही हूं. मेरा बेटा इस साल के अंत तक 2 साल का हो जायेगा. अभी छोटा है, इसलिए उसके पीछे बहुत भागना पड़ता है. समय बीतता जा रहा है.

ये भी पढ़ें- आर्थिक तंगी के कारण खुदखुशी करने वाले एक्टर्स के बारे में बोले Ronit Roy, किए कईं खुलासे

सवाल-इस शो को करने की खास वजह क्या है?

मेट्रो पार्क में मेरी भूमिका पायल पटेल की है, जो विदेश में रहने वाले एक गुजराती एनआरआई फॅमिली की कहानी है. कैसे वे वहां रहते है, उनके साथ क्या-क्या होता है आदि विषयों पर फोकस की गयी है, ऐसा चरित्र मैंने पहले कभी नहीं की है, काम करने में बहुत मज़ा आया. गुजराती एक्सेंट में एनआरआई का बात करना और रणवीर शौरी के साथ काम करने में मजा आया. ये कहानी इस समय की सबसे मजेदार है और लोग अपने परिवार के साथ घर पर देख सकते है. ये सब बातें मेरे लिए काफी थी.

सवाल-इस शो को हर किसी ने घर पर शूट किया, क्या ऐसे काम करना मुश्किल था?

मुश्किल था, क्योंकि हर कलाकार को सेट की आदत होती है, जहाँ कैमरामैन से लेकर मेकअप मैन सब होते है. एक लम्बी प्रोसेस से गुजरना पड़ता था. इसमें लेखक और निर्देशक स्क्रिप्ट भेजते थे, फिर मीटिंग होती थी. फिर सबके शॉट की एंगल और मूवमेंट को बताया जाता था, ताकि एडिटिंग में आसानी रहे. पहले मैंने ऐसी कभी की नहीं, बहुत मेहनत से एक-एक एपिसोड बना है. 

सवाल-इंडस्ट्री को बहुत लॉस सहनी पड़ रही है, कैसी बदलाव आगे करने की जरुरत है?

लॉस तो हुआ है, लेकिन बदलाव शुरू हो चुका है, छोटी-छोटी फिल्में और वेब सीरीज बनने लगी है. आगे शूट करने वाले को नियमित समय के बाद कोरोना टेस्ट करने की जरुरत होगी.  रेड जोन में शूट नहीं हो सकता. सेट को क्लोज और छोटा बनाने की जरुरत है, ताकि कोई भी कभी भी अंदर न आ सके. कोरोना वायरस ख़त्म हो जाने पर भी ऐसी एहतियात बरतने की जरुरत है. 

शूट के दौरान इंडिया में मैंने देखा है कि बाथरूम्स काफी गंदे होते है. मेरे लिए तो वैनिटी वैन होता है ,पर आम आदमी के लिए हायजिन और साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं देता. डेंगू में हर साल कितने लोग पीड़ित होते है और मारे जाते है. अब ऐसा समय आ गया है कि हम सब मिलकर इसकी दायित्व लें और पूरी यूनिट की भलाई के बारें में सोचें. भारत में हर जगह लोग इतना थूकते है कि किसी भी बिमारी को फैलने में देर नहीं लगती. इसके बारें में हर नागरिक को जागरूक होने की जरुरत है. 

सवाल-आपकी मां सरिता जोशी से आप कितना प्रेरित थी?

बचपन से ही मैं अपनी मां से बहुत प्रेरित थी. मैं जानती थी कि वह एक साधारण महिला नहीं. उनकी एक इमेज है, जिसे लोग पसंद और सम्मान करते है. मैंने उन्हें परफॉर्म करते हुए कई बार देखा है और जाना कि वह थिएटर जगत की क्वीन है, जिसे दर्शक देखना बहुत पसंद करते है. उनकी अदाकारी, कमांड को देखकर मैं भी वैसी ही बनने की कोशिश की है. रियल लाइफ में भी वह बहुत स्ट्रोंग और उदार चरित्र की है. मैंने उनके जैसा इतना मेहनती इंसान नहीं देखा है. 80 साल की उम्र में भी वह उतना ही काम कर सकती है, जितना उन्होंने 30 से 40 साल में किया है. 

सवाल-क्या मां की किसी फिल्म या शो को आप करना चाहती है? 

मैं क्लासिक को क्लासिक ही रहने देना चाहती हूं. मैं अपने हिसाब से कुछ ऐसा करना चाहती हूं, जिससे मेरी मां गर्व महसूस करें. मैं अच्छा काम हमेशा ही करना पसंद करती हूं. मेरा काम उन्हें बहुत पसंद आता है. उन्हें मेरी कॉमेडी अच्छी लगती है.

सवाल-क्या कॉमेडी आप अधिक पसंद करती है?

ऐसी बात नहीं है. जो भी कहानी मुझे अच्छी लगती है, मैं करती हूं. मैंने एक सीरियस अमेरिकन ड्रामा फिल्म ‘हाला’ की है. कॉमेडी मैंने तब शुरू किया था, जब सारी एक्ट्रेस डेली सास बहू वाली शो करती थी, पर मुझे उसे करने में मजा नहीं आता था. कॉमेडी लड़कियां कम करती है और मुझे उसी को करने में अधिक अच्छा लगता है. मैं एक परफ़ॉर्मर हूं और किसी भी भूमिका को करने में परहेज नहीं.

ये  भी पढ़ें- Body को लेकर कमेंट करने वाले ट्रोलर्स पर भड़की सुष्मिता सेन की भाभी Charu Asopa, कही ये बात

सवाल-हिंदी और अंग्रेजी फिल्म इंडस्ट्री में क्या अंतर पाती है?

अंतर अधिक नहीं है. अनुसाशन में कमी को अगर थोडा ठीक कर लिया जाय तो और अधिक अच्छा काम हो सकता है.

सवाल-क्या मेसेज देना चाहती है?

महिलाएं काफी स्ट्रोंग है और हर परिस्थिति में वे काम कर सकती है. अपने आप पर गर्व महसूस हमेशा करें. अपने आपको प्रेम करें, अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें. आप अद्भूत और अलौकिक शक्ति की मल्लिका है. 

Hyundai #AllRoundAura: हर तरह से शानदार है Interior

एक अच्छी डिजाइन वाली कार तभी पूरी होती है, जब उसका इंटिरियर भी उसके बाहर के लुक जितना ही आकर्षक हो. हुंडई Aura इस मामले में बिलकुल खड़ी उतरती है. इसका इंटिरियर भी इसके एक्सटिरियर जितना ही शानदार और आकर्षक है. गाड़ी में अंदर जाते ही इसका 20.25 सेमी का इंफोटेनमेंट आपका ध्यान आकर्षित करता है. यही इंफोटेनमेंट सिस्टम आपकी Aura के ऑडियो से लेकर उसके सैटेलाइट नेविगेशन तक हर चीज को आपकी नजरों के सामने दिखाता है. इसका मल्टी-फंक्शन स्टीयरिंग व्हील से आप इसके सभी जरूरी फंक्शन को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं, वो भी बिना हैंडल से हाथ हाटाए.

ये भी पढ़ें- Hyundai #AllRoundAura: डिजाइन

हुंडई औरा का इंटीरियर बेहद फंक्शनल है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह स्टाइलिश नहीं दिखता. 

बस एक नजर तस्वीर पर डालें और आप देख पाएंगे कि एसी वेंट्स से लेकर सीट फैब्रिक तक, Aura के अंदर सब कुछ जानबूझकर ऐसा चुना गया है, जो इसके इंटीरियर को खास बनाता है #AllRoundAura.

मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-1

‘‘कंबल ले लीजिए,’’ अलसाई सी सोने की कोशिश करती मीनाक्षी पर कंबल डालते हुए चेतन ने कहा. कंबल ओढ़ कर वह आराम से सो गई.

विधानसभा चुनाव सिर पर थे. दोनों एक प्रमुख राजनीतिक दल के कार्यकर्ता थे. चेतन सब से वरिष्ठ था. वह एक तरह से कर्ताधर्ता था. उस की हैसियत छोटेमोटे प्रभावशाली क्षेत्रीय नेता जैसी बन गई थी.

मीनाक्षी एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से थी. वह ग्रेजुएट थी. कई जगह कोशिश करने के बावजूद उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी. उस के एक परिचित ने उसे कुछ महिलाओं को इकट्ठा कर एक चुनावी सभा में लाने को कहा. इस काम के लिए उसे 5 हजार रुपए मिले थे. कुल 25 महिलाओं को वह सभा में ले गई थी. 100 रुपए हर महिला को देने के बाद उस के पास 2,500 रुपए बच गए थे. फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा.

इसी दौरान उस की मुलाकात चेतन से हुई थी. वह अधेड़ उम्र का छुटभैया नेता था. मीनाक्षी उम्र में उस से काफी छोटी थी. दोनों का परिचय हुआ फिर घनिष्ठता बढ़ी. देखते ही देखते यह घनिष्ठता सारी सीमाएं लांघ गई. मगर उन के संबंध ढकेछिपे ही रहे.

चुनावी दौर खत्म हुआ. चेतन और मीनाक्षी की पार्टी चुनाव जीत गई. सत्ता पक्ष की पार्टी का मुख्य कार्यकर्ता होने से चेतन की पूछ बढ़ गई. वह बड़ेबड़े लोगों के काम करवाने लगा. उन से वह खूब पैसा वसूलता.

इस तरह उस के आर्थिक हालात भी सुधरने लगे. साथ ही उस की खासमखास मीनाक्षी की भी पार्टी में अच्छी स्थिति हो गई और धीरेधीरे वह एक हस्ती बन गई. मीनाक्षी ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया हुआ था. एक पौश कालोनी के बड़े शौपिंग मौल में उस ने ब्यूटीपार्लर खोल लिया.

ये भी पढ़ें- Short Story: नई रोशनी की एक किरण

आर्थिक हालात और ज्यादा सुधरे तो चेतन ने एक पौश इलाके के एक अपार्टमैंट में अगलबगल 2 बड़े फ्लैट, एक अपने नाम से और एक अपनी प्रेमिका मीनाक्षी के नाम से खरीद लिए.

एक दक्ष कारीगर द्वारा चेतन ने दोनों अपार्टमैंट्स के बीच वार्डरोब के अंदर से ही एक गुप्त दरवाजा बनवा दिया. इस का पता चेतन और मीनाक्षी के सिवा किसी अन्य को नहीं था.

चेतन का राजनीतिक कैरियर धीरेधीरे चढ़ता गया. वह पहले नगर पार्षद, फिर विधानसभा सदस्य, फिर मंत्री और अब मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बन गया था.

साथ ही उस की खासमखास समझी जाने वाली मीनाक्षी का कद और रुतबा भी काफी ऊंचा हो चला था. राजनीतिक क्षेत्र में उस को कोई भी सौदा पटाने, लेनदेन की रकम पहुंचाने या विवाद निबटाने के लिए उपयुक्त समझा जाता था.

मीनाक्षी काफी सुंदर होने के साथसाथ चालाक भी थी. वह जानती थी कि पैसे के साथ हुस्न और शबाब का अपना रौब होता है. उस की अपनी पार्टी में उस पर जान छिड़कने वाले अनेक लोग थे. मगर वह बिना जांचेपरखे और उस की अहमियत समझे किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

चेतन अब मंत्री बन गया था. उस का स्थान मंत्रिमंडल में दूसरा था. वर्तमान मुख्यमंत्री उस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित थे.

‘‘चेतन पार्टी हाई कमान पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है,’’ मुख्यमंत्री कमला प्रसाद ने अपने सहयोगियों से बात करते हुए कहा.

‘‘सर, इस में उस की खासमखास मीनाक्षी का हाथ है,’’ मुख्यमंत्री के पीए ने कहा.

‘‘इस लड़की को क्या हम अपनी तरफ नहीं मिला सकते?’’

‘‘नामुमकिन है सर. यह चेतन के प्रति पूरी वफादार है.’’

‘‘इस का संबंध पार्टी मामलों से है या और कुछ भी है?’’

‘‘इन में सबकुछ है. यह चेतन की पत्नी से भी बढ़ कर है. पिछले यूरोप के दौरे के दौरान यह भी साथ गई थी. मंत्रीजी के खानेपीने, पहनने के कपड़ों का चुनाव, किस से मिलना है किस से नहीं, सब यही तय करती है.’’

‘‘इन दोनों में दूसरे के लिए सीढ़ी कौन है?’’ मुख्यमंत्री के इस सवाल पर उन के सहयोगी एकदूसरे की तरफ देखने लगे.

‘‘सर, कई लोग कहते हैं कि चेतन को ऊंचा उठाने में मीनाक्षी का हाथ है. कई कहते हैं मीनाक्षी चेतन का साथ हो जाने से रसूख वाली बनी है. सचाई जो भी हो, वे एकदूसरे के पूरक हैं,’’ पीए ने कहा.

‘‘मीनाक्षी हमारी तरफ नहीं आ सकती?’’

‘‘सर, आप को अपनी तरफ ला कर क्या करना है?’’ पवन, जो सीएम का खास सलाहकार था, के इस सवाल पर सब हंस पड़े. मुख्यमंत्री भी हंसने लगे.

‘एक खूबसूरत जवान औरत का मुख्यमंत्री ने क्या करना था?’ यह बात सीधी भी थी और मूर्खतापूर्ण भी.

ये भी पढ़ें- Short Story: दंश- क्या था श्रेया की जिंदगी से जुड़ा एक फैसला?

चेतन मुख्यमंत्री के मुकाबले कम उम्र का था. एक तरह से जवान था जबकि मुख्यमंत्री 60 पार कर चुके थे.

मुख्यमंत्री मंदमंद मुसकरा रहे थे. मीनाक्षी के खूबसूरत जवान शरीर से उन्हें क्या करना था. उन्हें तो अपने काम से मतलब था. असल में वे इस बात के कायल थे कि मीनाक्षी अपने रूपयौवन से बड़े नेताओं को लुभा कर अपने प्रेमी चेतन के लिए तरक्की के रास्ते बनाती थी.

मगर क्या किसी औरत के प्रेम को भी कोई दूसरा यों पा सकता था? मीनाक्षी ने अपने रिहायशी अपार्टमैंट में ही एक ब्यूटीपार्लर भी खोल रखा था. जिन को वह अपने ब्यूटीपार्लर में ट्रीटमैंट नहीं दे पाती थी या जो स्पैशल ट्रीटमैंट चाहते थे वे स्पैशल आवर में अपार्टमैंट में आ जाते थे. इस के लिए उन्हें फीस भी ज्यादा देनी पड़ती थी.

थोड़ेथोड़े अंतराल पर मंत्रीजी भी स्पैशल ट्रीटमैंट, जिस में बौडी मसाज, हैड मसाज और अन्य उपचार शामिल थे, के लिए मीनाक्षी के पास आते थे.

आज मंत्रीजी को आना था. मीनाक्षी अपनी नौकरानी, जो उस की औल इन औल थी, के साथ स्पैशल खाना बनवा रही थी.

कभी यही चेतन मीनाक्षी को साइकिल के कैरियर पर बिठा सभाओं व कार्यक्रमों में लाता ले जाता था. फिर साइकिल की जगह मोटरसाइकिल या स्कूटर आ गया था. और अब लावलश्कर के साथ मंत्रीजी विदेशी कार में आते थे.

मंत्रीजी आ गए. कमांडो दस्ता बाहर पहरे पर खड़ा हो गया. मंत्रीजी अकेले ब्यूटीपार्लर में चले गए. पहले मालिश से उन की थकावट और तनाव दूर करने का उपचार हुआ. फिर हर्बल स्नान, फिर डिं्रक्स का हलकाफुलका दौर चला. फिर खाना सर्व हुआ.

खाना खाने के बाद मंत्रीजी अपने अपार्टमैंट में रात्रिविश्राम के लिए चले गए. मंत्रीजी ज्यादातर अपने सरकारी आवास पर परिवार सहित रहते थे. लेकिन कभीकभी विशेष बैठक या विशेष चिंतन हेतु अपने अपार्टमैंट में अकेले विश्राम करने आ जाते थे.

आगे पढ़ें- मंत्रीजी के जाने के बाद नौकरानी भी चली गई. मीनाक्षी ने…

ये भी पढ़ें- Short Story: प्रश्नचिह्न- अंबिका के प्यार यश के बदले व्यवहार की क्या थी वजह?

मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-2

ऊपर से देख कर कोई पता नहीं लगा सकता था कि मीनाक्षी का अपार्टमैंट मंत्रीजी के अपार्टमैंट से गुप्त रास्ते से जुड़ा हुआ है.

मंत्रीजी के जाने के बाद नौकरानी भी चली गई. मीनाक्षी ने बजर दबाया. मंत्रीजी ने वार्डरोब में स्थित गुप्त दरवाजा खोल दिया.  मीनाक्षी मंत्रीजी के रूम में आ कर उन की बांहों में समा गई. फिर काफी देर तक उन के बीच प्रेमालाप का दौर चला. फिर दोनों संतुष्ट हो गंभीर मंत्रणा में खो गए.

‘‘आज एक नई बात सुनी है,’’ चेतन ने कहा.

‘‘क्या?’’

‘‘मुख्यमंत्री कामता प्रसाद तुम्हें अपने पाले में करना चाहता है.’’

‘‘फिर?’’

‘‘क्या इरादा है?’’ मीनाक्षी की आंखों में आंखें डालते हुए थोड़ी शरारत से मंत्रीजी ने पूछा.

‘‘उस के पाले में चली जाती हूं, अगर वह मुझे मंत्री या अपनी पत्नी बनाए तो,’’ उसी शोखी के साथ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘मंत्री बनना तो समझ आता है मगर पत्नी बनना कैसे?’’

‘‘सीएम की पत्नी सुपर सीएम होती है,’’ इस समझदारी वाले जवाब पर दोनों ही खिलखिला कर हंस पड़े.

‘‘आप की अपनी मंजिल भी तो मुख्यमंत्री की कुरसी है,’’ थोड़ी देर रुक कर मीनाक्षी ने कहा.

‘‘पार्टी में अभी मेरे समर्थक कम हैं. समर्थक बढ़ाने में अभी समय लगेगा. कामता प्रसाद काफी पुराना और घाघ है.’’

‘‘पार्टी के बड़े नेताओं को अपने समर्थन में करने के लिए आप को क्या करना होगा?’’

‘‘ढेर सारे रुपए जुटाने पड़ेंगे, मजबूत लौबिंग करनी पड़ेगी. साथ ही हुस्न और शबाब का जलवा दिखाना पड़ेगा.’’

‘‘पैसे की बात समझ आती है मगर यह लौबिंग क्या होती है?’’

‘‘राजनीति पैसे के बिना नहीं चलती. रुपए बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों से मिलते हैं और अफसरशाही के समर्थन के बिना कोई भी राजनेता सफल नहीं होता.’’

‘‘मगर आप को अफसरशाही पूरा समर्थन दे रही है. व्यापारी भी रुपएपैसे दे रहे हैं.’’

‘‘वह सब राज्य स्तर पर है. मुख्यमंत्री बनने के लिए केंद्र स्तर पर समर्थन जरूरी है.’’

ये भी पढ़ें- Short Story: एक युग- सुषमा और पंकज की लव मैरिज में किसने घोला जहर?

‘‘इस के लिए पहला कदम क्या है?’’

‘‘ये सब मिलनेजुलने से ही शुरू होता है. रुपए से ज्यादा हुस्न और शबाब का अपना असर है,’’ मंत्रीजी ने गहरी नजरों से अपने अंकपाश में समाई मीनाक्षी को देखते हुए कहा.

मीनाक्षी उन का इशारा समझ गई.

मंत्रीजी के साथ उन की विशेष सलाहकार ने राजधानी के विशेष दौरे शुरू कर दिए. मीनाक्षी के रूपयौवन से प्रभावित हो अनेक वरिष्ठ नेताओं ने चेतन के पक्ष में अपना मत बना लिया. उम्रदराज होते हुए भी अनेक वरिष्ठ नेताओं की भूख बरकरार थी. उन को मंत्रीजी की खासमखास ने बखूबी संतुष्ट किया.

व्यापारियों और उद्योगपतियों को उभरते नेता चेतन में अपना हित ज्यादा दिखा. अफसरशाही को भी चेतन में अपने हित ज्यादा सुरक्षित नजर आए.

पुराने मुख्यमंत्री पुराने विचारों के हैं उन के नेतृत्व में राज्य तरक्की नहीं कर सकता. उन को हटा कर नए विचारों का नेता लाना ही होगा.

मुख्यमंत्री या तो शक्तिपरीक्षण कर अपना बहुमत सिद्ध करे या त्यागपत्र दे. ऐसी मांग दिनप्रतिदिन की जाने लगी.

मजबूर हो कर वर्तमान मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी के विधायकों व हाईकमान की राय लेनी पड़ी. सभी ने उन्हें नकार दिया और चेतन को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया.

चेतन के साथ मीनाक्षी का रुतबा भी अपनेआप बढ़ गया. वह अब सुपर सीएम समझी जाती थी. उस के ब्यूटीपार्लर का क्रेज अपनेआप बढ़ गया था. अब वह मीनाक्षी से मीनाक्षी मैडम बन गई थी. साथ ही इज्जत में भी इजाफा हुआ था.

मैडम मीनाक्षी, अब ब्यूटीपार्लर में कम आती थी. मगर दक्षता से ग्राहकों को अरेंज किया जाता था. खास काम के लिए खास मैनेजर था. मैडम अब ‘मिस दस परसैंट’ थी. किसी भी काम को सुलझाने के लिए ली जाने वाली फीस का 10 प्रतिशत थी.

ऐसा काम आने पर मैडम के खास मैनेजर द्वारा पहले पार्टी को जांचापरखा जाता था. फिर उसे ‘सेफ’ समझ अपौइंटमैंट फिक्स होता. फिर मामला आगे बढ़ता. ‘स्पैशल ट्रीटमैंट’ के लिए पार्टी ऐडवांस फीस दे कर मैडम के अपार्टमैंट में स्थित विशेष ब्यूटीपार्लर आती.

मुख्यमंत्री भी थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए या एकांत चिंतन के लिए अपने अपार्टमैंट आते. उन की विशेष सलाहकार उन का तनाव दूर करती.

मीनाक्षी के परिवार की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह से सुधर गई थी. उस के दोनों भाई शहर के पौश इलाके में कोठियों में रहते थे. वे बड़े व्यापारी थे. बहनें व जीजा भी सब तरह से संपन्न थे.

ये भी पढ़ें- हैप्पी एंडिंग: ऐसा क्या हुआ रीवा और सुमित के साथ?

मगर मीनाक्षी खुद क्या थी? उस के पास अकूत पैसा था. अनेक नामीबेनामी संपत्तियां थीं. मगर उस का अपना वजूद क्या था?

हर कोई उस को एक ढकीछिपी  कौलगर्ल, वेश्या या दलाल ही समझता था. राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता.

मीनाक्षी कभीकभी अपने मातापिता से भी मिलने जाती थी.

‘‘तेरे पास सबकुछ है, तू अब अपना घर क्यों नहीं बसाती?’’ मां के इस सवाल पर मीनाक्षी सोच में पड़ गई. कौन करेगा उस से शादी? क्या मुख्यमंत्री चेतन, जो उस की देह को इतने सालों से भोग रहा था, उस से शादी कर सकता था?

कितने छोटेबड़े राजनेता उस को भोग चुके थे. मगर इस सब में चेतन का ही हित था. क्या वह उस से शादी कर सकता था? क्या कोई बड़ा राजनेता, उद्योगपति, व्यापारी, बड़ा अफसर उस को अपनी पुत्रवधू या पत्नी बना सकता था? कोई शरीफ खानदान या परिवार उस को अपनी बहू कबूल कर सकता था?

सवाल सीधा था, साधारण था. मुख्यमंत्री थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए मीनाक्षी के पार्लर में आते थे. कभीकभार विशेष सलाहकार के तौर पर मीनाक्षी को देश के कई भागों में या कभीकभी विदेशों में भी ले जाते थे.

मगर वह तो हर जगह विशेष नजरों से ही देखी जाती थी. मुख्यमंत्री की पत्नी साधारण शक्लसूरत की थी. मात्र मिडिल पास थी. मुख्यमंत्री 3 बच्चों के पिता थे.

साधारण मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती मुख्यमंत्री की पत्नी सहज बुद्धि की थी. कभीकभी किसी दौरे पर, विदेश यात्रा पर मुख्यमंत्रीजी का परिवार और विशेष सलाहकार मीनाक्षी भी साथ होती थी.

मगर जो सम्मान या प्रतिष्ठा कम पढ़ीलिखी आम शक्लसूरत की मुख्यमंत्री की पत्नी को मिलती वह ऊंची पढ़ीलिखी बेहद खूबसूरत मीनाक्षी को नहीं मिलती थी क्योंकि हर कोई इस सचाई से वाकिफ था कि वह सीएम की ‘वो’ थी.

एक शाम सीएम रात्रि विश्राम के लिए मीनाक्षी के पास अपार्टमैंट में आए और सुबहसवेरे वे चले गए. साथ ही उन का लावलश्कर भी चला गया. मीनाक्षी को भी दूर के शहर में रिश्तेदारी में जाना था. सुबहसुबह वह भी चली गई.

आगे पढ़ें- अपार्टमैंट के केयरटेकर ने सफाई के लिए पहले…

ये भी पढ़ें- Short Story: उपलब्धि- शादीशुदा होने के बावजूद क्यों अलग थे सुनयना और सुशांत?

मुख्यमंत्री की प्रेमिका: भाग-3

अपार्टमैंट के केयरटेकर ने सफाई के लिए पहले सीएम का अपार्टमैंट खोला और सफाई की. फिर वह मीनाक्षी का अपार्टमैंट खोल कर अंदर गया और चंद मिनटों बाद चीखता हुआ बाहर आ गया.

उस की आवाज सुनते ही हाउसिंग कौम्प्लैक्स का चौकीदार और अन्य कर्मचारी भी भागेभागे वहां आ गए.

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘अंदर मैडम की नौकरानी बैड पर मरी पड़ी है.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘पता नहीं.’’

सभी भागते हुए अंदर गए. बैड पर निर्वस्त्र हालत में मैडम की नौकरानी का शव पड़ा था. एक ने आगे बढ़ कर चादर उठा लाश पर डाल दी.

केयरटेकर ने मैडम के खास मोबाइल नंबर पर फोन किया. मैडम खबर सुन जड़ हो गईं. उन की खासमखास नौकरानी का कत्ल वह भी उन्हीं के फ्लैट में. किस ने किया? सुबह 5 बजे उस को जीताजागता छोड़ कर आई थी. उस रात वह वहीं सोई थी. सीएम भी खाना खा अपने अपार्टमैंट में चले गए थे.

इसी बीच पुलिस को भी खबर कर दी गई. चंद मिनटों में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सारे हाउसिंग कौम्प्लैक्स को अपने घेरे में ले लिया.

लाश का पंचनामा कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी.

तहकीकात का नतीजा चौंकाने वाला था. सारा शक सीधे सीएम की खासमखास या सुपर सीएम और खुद सीएम की तरफ था.

सभी पुलिस अधिकारियों का एक ही मत था कि सीएम और उन की खासमखास में विशेष संबंध है. इस का भेद खुल गया था. इसी को दबाने के लिए खुद सीएम और उन की प्रेमिका ने उस का कत्ल कर दिया था.

भूतपूर्व मुख्यमंत्री कामता प्रसाद और अन्य विरोधियों को बैठेबिठाए मुख्यमंत्री के खिलाफ एक मुद्दा मिल गया था. सब एकजुट हो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करने लगे. हाईकमान में वरिष्ठ नेताओं के समक्ष चेतन को एक ऐयाश मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किया जाने लगा. उन को हटा कर नया मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी.

ये भी पढ़ें- मेरा पति सिर्फ मेरा है: अनुषा ने कैसे ठिकाने लगाई पति की प्रेमिका की अक्ल?

मुख्यमंत्री स्वयं से चिंतित थे. वे अपने सहयोगियों से विचारविमर्श कर रहे थे. शक की सूई सीधे उन की और उन की प्रेमिका समझी जाने वाली मैडम मीनाक्षी की तरफ थी.

पुलिस के आला अधिकारी भी इस मामले पर विचार कर रहे थे. चेतन अनुभवी राजनेता था.

मुख्यमंत्री ने राजधानी के पुलिस कमिश्नर को फोन किया :

‘‘कमिश्नर साहब, क्या पोजिशन है?’’

‘‘सर, अभी जांचपड़ताल जारी है. प्रैस वाले शोर मचा रहे हैं.’’

‘‘क्या कहते हैं?’’

‘‘प्रैस विज्ञप्ति की मांग कर रहे हैं.’’

‘‘प्रैस कौन्फ्रैंस में क्या दिक्कत है?’’

इस पर पुलिस कमिश्नर खामोश हो गए.

‘‘हैलो.’’

‘‘सर, जांच कर रहे अधिकारी का कहना है कि आप से और मैडम से पूछताछ किए बिना, प्रैस कौन्फ्रैंस करना मुश्किल है.’’

‘‘वह क्यों?’’

‘‘मृतका मैडम की नौकरानी थी. उस का कत्ल उन के फ्लैट में ही हुआ था. आप और मैडम से पूछताछ जरूरी है.’’

मुख्यमंत्री खामोश हो गए. उन के पास गृहमंत्रालय का भी कार्यभार था.

‘‘ठीक है. जांचपड़ताल किस के जिम्मे है?’’

‘‘उपपुलिस अधीक्षक नाजर इस केस को देख रहे हैं.’’

‘‘ठीक है. उन से बोलो जब चाहे आ सकते हैं.’’

‘‘ओके सर.’’

मुख्यमंत्री ने फोन बंद कर अपने सहयोगियों की तरफ देखा. अपने कानूनी सलाहकार, उच्च न्यायालय के वकील विनोद से पूछा, ‘‘वकील साहब, हमें क्या करना चाहिए?’’

‘‘आप पुलिस से सहयोग करें. अगर आप या मैडम कातिल नहीं हैं तब आप को सबकुछ जो पुलिस पूछे बताना चाहिए,’’ वकील साहब ने कहा.

‘‘ठीक है.’’

तभी इंटरकौम बज उठा.

‘‘सर, डीएसपी नाजर आए हैं.’’

‘‘भेज दो.’’

सैल्यूट करने के बाद डीएसपी नाजर सामने रखी कुरसी पर बैठ गए. कभी यही चेतन उन के सामने थाने में किसी काम के लिए आने पर चुपचाप खड़ा रहता था. आज वक्त की मेहरबानी से मुख्यमंत्री था और गृहमंत्री भी था.

मुख्यमंत्री ने अपने सहयोगियों की तरफ देखा. सब इशारा समझ चले गए.

‘‘क्या मैडम को यहीं बुलाएं?’’ मुख्यमंत्री ने कहा.

‘‘नो सर, मैं उन से अकेले में पूछताछ करूंगा.’’

‘‘ठीक है. क्या पूछना चाहते हैं आप?’’

‘‘उस रात, मेरा मतलब जिस सुबह कत्ल हुआ आप अपने अपार्टमैंट में अकेले थे?’’

‘‘जी हां.’’

‘‘और मैडम कहां थीं?’’

‘‘वह भी अपने अपार्टमैंट में नौकरानी के साथ थी.’’

‘‘क्या हर रात या जब भी आप वहां होते थे नौकरानी मैडम के साथ ही होती थी?’’

‘‘नहीं. कभीकभी ही साथ होती थी. उस रात संयोग से वहीं थी.’’

‘‘आप ने अंतिम समय उस को यानी मृतक को कब देखा था?’’

‘‘रात 10 बजे जब खाना खा कर अपने अपार्टमैंट में आया था.’’

‘‘क्या आप के और मैडम के अपार्टमैंट में आनेजाने का कोई गुप्त रास्ता है?’’ डीएसपी ने यह सवाल धीमे स्वर में किया.

‘‘जब आप जांचपड़ताल के लिए मौका-ए-वारदात पर गए थे तब क्या आप को ऐसा कोई रास्ता या दरवाजा मिला था?’’

मुख्यमंत्री के इस प्रतिप्रश्न पर डीएसपी नाजर उन की तरफ देखने लगे.

ये भी पढ़ें- Short Story: प्रेरणा- क्या शादीशुदा गृहस्थी में डूबी अंकिता ने अपने सपनों को दोबारा पूरा किया?

‘‘प्रत्यक्ष ऐसा रास्ता नहीं दिखा था.’’

‘‘और अप्रत्यक्ष?’’

‘‘हमारा अंदाजा था कि बैडरूम में स्थित वार्डरोब के अंदर ही ऐसा रास्ता था.’’

‘‘फिर?’’

‘‘हमें वार्डरोब के अंदर भी ऐसा कुछ नहीं मिला.’’

इस पर मुख्यमंत्री थोड़ा मुसकराए. थोड़ी देर खामोशी छाई रही.

‘‘वहां ऐसा रास्ता है. वार्डरोब के अंदर ही है. और वह मेरी तरफ वाले वार्डरोब से खुलताबंद होता है. मगर उस रात क्योंकि मेड मैडम के यहां मौजूद थी इसलिए उस रात उस दरवाजे का इस्तेमाल नहीं हुआ था,’’ मुख्यमंत्री ने स्थिरता से कहा.

डीएसपी गंभीर हो सोचने लगे. इस रहस्योद्घाटन से साफ था सीएम कातिल नहीं थे. तब क्या मैडम कातिल थी?

‘‘मैडम ने मृतका को आखिरी बार कब देखा था?’’

‘‘यह तो मैडम ही बता सकती हैं.’’

अब और क्या पूछना था. अपनी डायरी बंद कर डीएसपी साहब उठ खड़े हुए, ‘‘ओके सर, जरूरत पड़ी तो फिर मिलेंगे,’’ कह कर डीएसपी साहब चले गए.

उन के जाते ही मुख्यमंत्री ने मीनाक्षी को फोन किया. उस को कहा, उन्होंने चोर दरवाजे के बारे में पुलिस को बता दिया है और उस को निर्देश दिया कि वह भी पुलिस से पूछताछ में सहयोग करे.

डीएसपी नाजर मीनाक्षी के ब्यूटीपार्लर में पहुंचे.

‘‘क्या आप की नौकरानी का किसी से अफेयर था?’’ नाजर ने मीनाक्षी से सवाल किया.

‘‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम.’’

‘‘वैसे उस का करैक्टर कैसा था?’’

इस पर वह खामोश हो गई. क्या जवाब दे? मैडम का अपना करैक्टर कैसा था? पुलिस का इशारा साफ था जैसी मालकिन है वैसी ही नौकरानी थी.

मैडम ने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. डीएसपी नाजर अभिवादन कर चले आए.

मुख्यमंत्री और मैडम से डीएसपी नाजर की मुलाकात के बाद मीनाक्षी से डीएसपी नाजर को कुछ खास बात मालूम नहीं हुई.

स्वयं पुलिस कमिश्नर ने प्रैस कौन्फ्रैंस बुलाई. उन्होंने चुस्ती से सब सवालों के जवाब दिए.

‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट क्या कहती है?’’

‘‘नौकरानी का कत्ल सुबह 5 से 6 बजे के बीच हुआ था और मृतका 4 महीने से गर्भवती थी.’’

इस रहस्योद्घाटन से काफी हल्ला मचा. मुख्यमंत्री ने केस को हल करने और कातिल को पकड़ने के लिए बारबार फोन किया.

डीएसपी नाजर अपने औफिस में बैठे सोचविचार कर ही रहे थे कि तभी उन का मुंहलगा हवलदार मानचंद्र आ गया. वह बुजुर्ग था. सारी उम्र पुलिस की नौकरी करने के बाद अब हवलदार रिटायर होने वाला था. उस को फील्ड का काफी अनुभव था.

‘‘साहब, सुना है कि मैडम की नौकरानी भी खूबसूरत और काफी दिलकश थी.’’

‘‘फिर?’’

‘‘4 महीने की प्रैग्नैंट बताते हैं. किस से ठहरा होगा गर्भ?’’

‘‘यही पता चल जाए तो केस ही हल हो जाएगा.’’

‘‘मौका-ए-वारदात से क्या बरामद हुआ था?’’https://audiodelhipress.s3.ap-south-1.amazonaws.com/Audible/ch_a119_000001/1155_ch_a119_000027_mukhya_mantri_ki_premika_gh.mp3

‘‘तलाशी में कूड़ेदान में इस्तेमाल हुए आपत्तिजनक सामान और बैडरूम की मेज पर ऐशट्रे में बीड़ी के टुकड़े और एक दीवार के नजदीक बीड़ी के बंडल का खाली पाउच.’’

‘‘क्या सीएम बीड़ी पीते हैं?’’

‘‘पता नहीं. उन के पीए से पूछते हैं.’’

पीए ने बताया मुख्यमंत्री स्मोक नहीं करते थे.

हवलदार मानचंद्र एक साथी को ले हाउसिंग कौम्प्लैक्स, जिस में दोनों अपार्टमैंट थे, पहुंचा. थोड़ी पूछताछ से पता चला नौकरानी का उसी के गांव के एक नौजवान से चक्कर था. वह मैडम की गैरहाजिरी में मेलमुलाकात के लिए आता था.

उस नौजवान का पता लगा कर पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया लेकिन जब उस को थर्ड डिगरी दी गई तो उस ने सबकुछ बक दिया. उस सुबह वह मैडम के जाते ही आया था. तब वह काफी रोमांटिक मूड में था और हमबिस्तर होना चाहता था. मगर नौकरानी ने बुखार होने की वजह से मना कर दिया. तब उन में झगड़ा हुआ था. तैश में उस ने चुन्नी से उस का गला दबा दिया.

कातिल पकड़ा गया. केस हल हो गया. मगर सीएम की छवि काफी प्रभावित हुई. उन्होंने मीनाक्षी से मिलनाजुलना कम कर दिया.

इस के बाद पहले मुख्यमंत्री ने और फिर मीनाक्षी ने अपनाअपना अपार्टमैंट बेच दिया. दोनों में मेलमुलाकात अब औपचारिक रह गई थी.

अपने ब्यूटीपार्लर के औफिस में बैठी मीनाक्षी सोच रही थी कि उसे पैसा और संपत्ति तो मिल गई मगर और क्या हासिल हुआ? चेतन उस को एक सीढ़ी बना कर मामूली कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री बन गया. उस का समाज में सम्मान था. मगर क्या उसे वास्तविक सम्मान मिल सका? उस को राजनेताओं, अफसरों ने मुख्यमंत्री के समान ही भोगा. क्या कोई उसे अपनी पत्नी या पुत्रवधू बना सकता था?

ये भी पढ़ें- Short Story: भूलना मत- नम्रता की जिंदगी में क्या था उस फोन कौल का राज?

आज वह जवान थी, कल बुढ़ापे में उस का भविष्य क्या होगा? उस के मन में कई तरह के सवाल उमड़ रहे थे. वह न तो किसी की पत्नी ही बन पाई और न ही अब वह मुख्यमंत्री की प्रेमिका थी.

पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए ये 5 सुपर फूड डाइट में करें शामिल

आमतौर पर लोग एसिडिटी, गैस, बदहजमी जैसी पेट से जुड़ी तमाम दिक्कतों से परेशान रहते हैं. इन समस्याओं को दूर करने के लिए संतुलित आहार की सलाह दी जाती है. कुछ खास फूड्स एसिडिटी और गैस की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार हो सकते हैं. ऐंटीऔक्सीडेंट्स से भरपूर फूडस गैस की समस्या को दूर तो करते ही हैं साथ ही शरीर के लिए जरूरी पोषण भी प्रदान करते हैं. तो आइए जानते हैं इन सुपरफूडस के बारे में विस्तार से.

1. तरबूज का सेवन

तरबूज में लाइकोपिन नामक तत्व पाया जाता है, जो त्वचा की चमक को बरकरार रखने में मदद करता है. तरबूज के सेवन से कब्ज की समस्या भी दूर होती है. तरबूज में 90 प्रतिशत पानी होता है, जो गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचाता है. तरबूज का लेप बना कर लगाने से सिरदर्द भी दूर होता है.

ये  भी पढ़ें- #lockdown: डिजिटल स्क्रीन का बढ़ा इस्तेमाल, रखें अपनी आंखों का ख्याल

2. ठंडा दूध

अगर आप एसिडिटी की समस्या से परेशान हैं तो ठंडे दूध का सेवन करें. ठंडा दूध पेट में होने वाली जलन को दूर करता है. दूध में पाए जाने वाला लेक्टिक एसिड एसिडिटी की समस्याओं में राहत पहुंचाता है.

3. केला का सेवन

अपच और गैस की समस्या से नजात पाने के लिए केला एक रामबाण औषधि की तरह इस्तेमाल में लाया जाता है. केले में पाए जाने वाला ऐंटीऔक्सीडेंट्स और पोटेशियम गैस की समस्या को दूर करते हैं. वहीं केले में मौजूद ट्राइप्टोफान एमिनो एसिड तनाव को कम करता है. केले के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है.

4. नारियल पानी

एसिडिटी की समस्या को दूर करने में नारियल पानी काफी कारगर साबित होता है. नारियल पानी पीने के तुरंत बाद ही इस समस्या में राहत मिलने लगती है। वहीं नारियल पानी में फाइबर की अधिक मात्रा होने से पाचनक्रिया भी दुरुस्त रहती है.

ये  भी पढ़ें- 5 टिप्स: बिना एक्साइज और डाइटिंग के आसानी से करें वजन कम

5. खीरे का सेवन

एसिडिटी और पेट से संबंधित बीमारियों में खीरा भी रामबाण की तरह काम करता है. खीरा जहां एक ओर आप को डिहाइड्रेशन से बचाता है, वहीं खाना पचाने में भी मदद करता है. खीरे के सेवन से एसिड बनना कम होता है.

मेकअप से लेकर फैशन तक हर मामले में मां श्वेता तिवारी को टक्कर देती हैं बेटी Palak, देखें फोटोज

टीवी सीरियल्स से ज्यादा पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) फेमस हैं. वहीं उनकी बेटी पलक तिवारी (Palak Tiwari) भी इन दिनों चर्चा में रहने लगी हैं. पलक तिवारी (Palak Tiwari) अक्सर सोशलमीडिया पर अपनी हौट फोटोज को लेकर तारीफें बटोरतीं रहती हैं. वहीं एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले ही उनके फैंस की लिस्ट लंबी होती जा रही हैं.

हाल ही में पलक तिवारी (Palak Tiwari)  के बारे में बात करते हुए श्वेता तिवारी ने खुलासा किया था कि वह फैशन और मेकअप पर कितना पैसा खर्च करती हैं. वहीं यह भी बताया था कि पलक तिवारी के 16वें जन्मदिन पर जब श्वेता उनके साथ गिफ्ट खरीदने मार्केट गई थीं तो पलक ने मेकअप किट खरीदने की जिद की थी. वहीं इस किट की कीमत 1 लाख 80 हजार रुपए थी. साथ ही पलक तिवारी के बार बार कहने पर श्वेता तिवारी को ये मेकअप किट तोहफे में खरीद कर देना पड़ गया था, जिसके बाद श्वेता तिवारी ने अपने घर फोन करके ये इच्छा तक जाहिर कर दी थी कि वह अब एक बेटा चाहती हैं. दूसरी बेटी के खर्चे संभालना उनके लिए मुसीबत का काम हो जाएगा.

ये भी पढ़ें- रील से लेकर रियल लाइफ तक, हर लड़की के लिए परफेक्ट है ‘नायरा’ के ये 10 अवतार

2. हल्दी सेरेमनी के लिए परफेक्ट है पलक का लुक

शादी की सेरेमनी में अगर आप कुछ खूबसूरत, लेकिन सिंपल आउटफिट ट्राय करना चाहते हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट है. सिंपल लौंग स्कर्ट के एम्ब्रौयडरी वाला ब्लाउज आपके लुक को खूबसूरत बनाने में मदद करेगा.

2. कौलेज के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

View this post on Instagram

 

Sun shift 🌞 Shot by the amazing @chrisrathore.photo

A post shared by Palak Tiwari (@palaktiwarii) on

अगर आप  बेटी या अपने लिए फैशन टिप्स ट्राय करना चाहती हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट हौ. सिंपल फुल स्लीव वाले क्राप टौप के साथ डेनिम शौट्स आपके लुक के लिए परफेक्ट है.

3. औफिस लुक के लिए परफेक्ट है पलक का लुक

अगर आप औफिस के लिए कुछ नया आउटफिट ढूंढ रही हैं तो चेक पैटर्न वाली स्कर्ट और कोट के साथ आप अपने लुक को फैशनेबल बना सकती हैं.

ये भी पढ़ें- ब्राइडल फोटोशूट में छाया इस भोजपुरी एक्ट्रेस का जलवा, बौलीवुड हसीनाओं को दे रही हैं मात

 

View this post on Instagram

 

Little bit of heaven

A post shared by Palak Tiwari (@palaktiwarii) on

आर्थिक तंगी के कारण खुदखुशी करने वाले एक्टर्स के बारे में बोले Ronit Roy, किए कईं खुलासे

बौलीवुड और टीवी की दुनिया में अपनी एक्टिंग से फैंस का दिल जीतने वाले एक्टर रोनित रॉय (Ronit Roy) ने दूसरे एक्टर्स की तरह इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मेहनत की है. शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (Kasautii Zindagii Kay) में मिस्टर बजाज का रोल निभाकर सुर्खियां बटेरने वाले रोनित रॉय (Ronit Roy) को भी लॉकडाउन के कारण आम लोगों की तरह दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. आइए आपको बताते हैं क्या रोनित रॉय की कहानी…

छोटा सा बिजनेस चलाते हैं रोनित

एक्टर रोनित रॉय ने हाल ही में इंटरव्यू में बताया कि लॉकडाउन के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रोनित रॉय ने कहा है कि, ‘जनवरी से मेरे पास कोई काम नहीं है. मेरा छोटा सा बिजनेस है, जोकि मार्च से ही बंद पड़ा है. जो भी लोग मुझ पर निर्भर हैं, उनकी मदद के लिए मैं चीजों को बेच-बेचकर मदद कर रहा हूं. रोनित रॉय ने आगे बताया है कि, ‘मैं अमीर आदमी नहीं हूं लेकिन मुझसे जो भी बन पड़ा रहा है कर रहा हूं. बड़े-बड़े ऑफिस वाले प्रोडक्शन हाउस को भी अब एक्टर्स की मदद के लिए सामने आना चाहिए.

ये  भी पढ़ें- Yeh Rishta फेम Rohan Mehra के गर्लफ्रेंड संग रिलेशनशिप को हुए 4 साल, देखें फोटोज

शुरुआती दिनों में मिली थी हार

लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक्टर्स की खुदखुशी के मामले में बात करते हुए रोनित रॉय ने कहा है कि, ‘मेरी पहली फिल्म जान तेरे नाम 1992 में रिलीज हुई थी जोकि ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी. ये सिल्वर जुबली जैसा ही था और उन दिनों सिल्बर जुबली का मतलब आज के फिल्मों की 100 करोड़ की कमाई है. मेरी डेब्यू फिल्म ऐसी थी. इसके बाद मुझे किसी का भी कॉल नहीं आया और अगले चार साल तक मैंने हर तरह का काम किया.’

प्रोडक्शन हाउसेस को समझनी चाहिए बात

एक्टर ने आगे कहा है कि, ‘मैंने भी अपने करियर में असफलता का सामना किया है और बुरे हालातों से गुजरा हूं लेकिन मैंने खुद को मारा नहीं. कई लोग इस समय मुश्किल वक्त से गुजर रहे है. प्रोडक्शन हाउसेस को भी ये बात समझनी चाहिए कि ये लोग उनके ही लोग है. इस समय हर किसी का काम ठप्प है. उन्हें आप भले ही अलग से कोई मदद ना दें लेकिन जिसका जितना हक है उन्हें उनका पैसा तो दीजिए.’

ये भी पढ़ें- Barrister Babu में नजर आ सकती हैं Devoleena Bhattacharjee, ये है वजह

बता दें, रोनित रॉय बौलीवुड की कईं फिल्मों में विलेन की भूमिका में नजर आ चुके हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं मिस्टर बजाज की भूमिका में भी आज भी फैंस उन्हें पसंद करते हैं.

Body को लेकर कमेंट करने वाले ट्रोलर्स पर भड़की सुष्मिता सेन की भाभी Charu Asopa, कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) भले ही अपनी प्रर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन उनकी भाभी भी उनसे पीछे नहीं हैं. सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) की भाभी चारु असोपा (Charu Asopa) शादी के बाद से अक्सर अपनी फोटोज को लेकर ट्रोल होती रहती हैं. हाल ही में चारु असोपा (Charu Asopa) ने अपनी कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर शेयर की थीं, जिसके बाद ट्रोलर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था. लेकिन चारु असोपा ने भी ट्रोलर्स को जवाब देना शुरू कर दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

ट्रोलर्स ने चारु की बौडी पर किया कमेंट

टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा (Charu Asopa) सोशल मीडिया अकाउंट पर अक्सर अपनी बोल्ड फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिन्हें उनके सच्चे फैन खूब पसंद करते हैं. लेकिन कुछ ट्रोलर्स को मौका चाहिए होता है कि वह एक्ट्रेसेस को ट्रोल करें. वहीं हाल ही में जब चारु असोपा (Charu Asopa) ने अपनी फोटोज शेयर की तो ट्रोलर्स ने कमेंट करके उनकी बौडी को लेकर कमेंट किया और लिखा कि बॉडी दिखाने का इतना शौक है तो पूरी ही बॉडी दिखा दो.

 

View this post on Instagram

 

Hai rooh ko samajhna bhi zaroori, mehaz haathon ko Thamana saath nahi hota. ❤️ #goodnight🌙

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu) on

चारु असोपा ने विवाद पर खोली जुबान

 

View this post on Instagram

 

Love ❤😘 * * #charusen #charuasopa #asopacharu @asopacharu

A post shared by Charu Asopa Sen ♡ (@charuasopagalaxy) on

चारु असोपा (Charu Asopa) ने ट्रोलर्स की इस बदतमीजी का जवाब देते हुए अपनी राय रखी और जवाब देते हुए कहा कि उन्हें ऐसी चीजों से फर्क नहीं पड़ता है. चारु असोपा ने ट्रोलर को जवाब देते हुए आगे कहा है कि मेरे पास अच्छी बॉडी है और मैं उसे फ्लॉन्ट कर सकती हूं.

इंटिमेट फोटोज को लेकर हुईं थीं ट्रोल

 

 

View this post on Instagram

 

in love with quarantined days 😘❤️ Ain’t you ? #stayhome

A post shared by Rajeev Sen (@rajeevsen9) on

कुछ समय पहले ही राजीव सेन ने अपनी कुछ निजी फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. इन फोटोज से कपल को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा और लोगों के भद्दे-भद्दे कमेंट्स का सामना करना पड़ा था. वहीं चारु असोपा (Charu Asopa) ने इस मामले में चुप्पी तोड़ने का फैसला करते हुए अपने एक इंटरव्यू में लोगों को करारा जवाब दिया था.

 

View this post on Instagram

 

Aaina jab bhi uthaya karo, pehle dekho, phir dhikhaya karo😊

A post shared by Charu Asopa Sen (@asopacharu) on

ये  भी पढ़ें- एक्टिंग की दुनिया में दोबारा कदम रखने जा रही हैं Sushmita Sen, शेयर किया Video

बता दें, एक्ट्रेस चारु असोपा से पहले कई बौलीवुड और टीवी एक्ट्रेसेस ट्रोलिंग का शिकार हो चुकी हैं. वहीं इन ट्रोलर्स का करारा जवाब देते हुए कुछ एक्ट्रेसेस ने ट्रोलर्स को लताड़ लगाते हुए सबकी बोलती बंद कर डाली है.

#coronavirus: ब्लैक डेथ ना बन जाए कोरोना !

14 वी शताब्दी शुरुआत में एशिया से खाद्य सामग्री यूरोप जाया करता था . इस समय सिसली का मसीना बंदरगाह प्रमुख व्यापारिक केंद्र था,  साल 1347 में अक्टूबर के समय एशिया से आए 12 जहाजों  बंदरगाह में लंगर डाला, हमेशा की तरह माल लाने के साथ-साथ इस बार यह जहाज़ अपने संग प्लेग भी लाया था. इसमें से लोग निकलते ही नहीं है, तो बंदरगाह पर उपस्थित लोग  जहाज के पास आते है और देखा कि उसमें सवार ज्यादातर लोग मरे हुए थे. जो बचे भी थे वे बेहद बीमार थे. उनके शरीर पर काले पड़ चुके थे,  जिससे मवाद बह रहा था. कुछ दिनों तक जहाज वही रहा , फिर वहां की सरकार ने इन जहाजों को वहां से हटाए जाने के आदेश दिए पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

यह बीमारी काले जहाज पर काले चूहो पर सवार हो कर आया था. इसे ग्रेट प्‍लेग, ब्‍लैक प्‍लेग या ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है. यह बीमारी एक तरह का प्लेग था. जब इसके कारण चूहें मरते तो उनकी लाशों पर मक्ख्यिां अपने अंडे दे देती व उनसे पैदा होने वाली मक्ख्यिां व वहां आने वाली मक्ख्यिों के पंजों में फंसे इसका वायरस स्वस्थ लोगों तक पहुंच जाता था.

इतिहासकारों बताते है कि उस समय इटली वासी को समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है, सिसली के बाद सीएना शहर के लोग, इस प्लेग की भेंट चढ़ रहे थे. दिन हो या रात, सैकड़ों मर रहे थे. द महीनों के अंदर ही पूरे यूरोप में मौत का काला साया मँडराने लगा. यह महामारी बड़ी तेज़ रफ्तार से उत्तर अफ्रीका, इटली, स्पेन, इंग्लैंड, फ्रांस, आस्ट्रिया, हंगरी, स्विट्‌ज़रलैंड, जर्मनी, स्कैन्डिनेविया और बॉल्टिक क्षेत्र में फैल गई. करीब तीन सालों में देखते-ही-देखते 2.5 करोड़ लोग यानी यूरोप की एक चौथाई आबादी इस बीमारी की भेंट चढ़ गई.

1. इस बीमारी का ईलाज था

जब यह बीमारी यूरोप में फैला तो कोई नहीं जनता था , इसका क्या ईलाज होगा . समाज के लोग तरह तरह की बाते करते थे .लेकिन सही ईलाज किसी के पास नहीं था . इस बीमारी से प्रभावित लोग रात भर में रोगी मर जाता था.

ये  भी पढ़ें- #coronavirus: हर 100 साल पर कोई न कोई बीमारी देती है दस्तक

2. अफवाहों का बाजार गर्म था

उस समय इस बीमारीं को लेकर अफवाहों का बाजार गरम था. कोई इसे दुष्ट आत्माओं के कारण फैली हुई बीमारी बतात था . तो कोई इसे यहूदियों द्वारा फैलाया गया बीमारी बता था . कहा जाता था कि जब इस बीमार से पीड़ित व्यक्ति को किसी को देखता है तो उसकी आंखों में बसी बुरी आत्मा दूसरे व्यक्ति के शरीर में चली जाती है. इससे निपटने के लिए लोग जादू टोना का सहारा लेने लगे . वही कई लोगों को लगने लगा कि ईश्वर लोगों को उनके पापों की सजा दे रहा है. तो कुछ लोग पश्चाताप करने के लिए खुद को चमड़े की पट्टियों से मरते थे. इस दौरान हजारों यहूदियों की हत्या कर दी गई थी.  लोग तो यह भी सोच बैठे थे कि यह बीमारी असल में कुत्ते-बिल्लियों की वज़ह से फैल रही है.इसलिए उन्होंने धड़ाधड़ सभी कुत्ते-बिल्लियों को मारना शुरू कर दिया. लेकिन वे एक बहुत बड़ी गलती कर रहे थे क्योंकि इस बीमारी की जड़ तो चूहे थे और कुत्ते-बिल्लियों के मरने से चूहों का राज हो गया और प्लेग हर जगह फैलने लगा .

3. बीमारी से लोग आतंकित थे

लोग इस बीमारी से आतंकित थे. इस बीमारी का आतंक इतना जबरदस्त था कि डॉक्टर लोग घबरा कर मरीजों को देखना तक बंद कर दिया था. पादरी अंतिम संस्कार में जाने से बचने लगे थे. कई जगह तो लोग अपने बीमार लोगों को छोड़ कर अपनी जान बचा कर भाग जाते थे .

4. बीमारी में फैलाया भुखमरी

 बाजार पूरी तरह बंद कर दिया गया था. खाने की जबरदस्त कमी हो गई थी .यूरोप में सर्दिया आ गई थी कई इलाकों में अन्न की बहुत कमी हो गईं थी . मानव के साथ साथ जानवर एवं पक्षी भी भूख में तड़प रहे थे .

5. पूरा विश्व प्रभावित हुआ

 मानवीय इतिहास में फैलने वाली यह सबसे बड़ी महामारी थी . इतिहास मानते है कि ‘यह एक ऐसी विपत्ति थी जो इतिहास में पहले कभी नहीं आयी.यूरोप और उत्तर अफ्रीका में और एशिया के कुछ भागों में 25 से 50 प्रतिशत लोग खत्म हो गए. ‘   इस बीमारी से उत्तर और दक्षिण अमरीका बच गए, क्योंकि वे बाकी दुनिया से कोसों दूर थे,लेकिन जल्द ही महासागर पार करनेवाले जहाज़ों ने इस दूरी को मिटा दिया। सोलहवीं सदी के दौरान, उत्तर और दक्षिण अमरीका में महामारियों का ऐसा दौर शुरू हो गया जो ब्लैक डेथ से भी कहीं ज़्यादा घातक साबित हुआ.

6. शुरुआत चीन से हुआ था

यह बीमारी  यूरोप में 1341 के बीच फैली चीन से ही पंहुचा था .

7. सामाजिक दुरी ने ख़त्म हुआ था फैलाव

लोग अलग थलग रहने लगे,सभी बाजार बंद थी, सामजिक दूरियां इतनी बढ़ गई की लोग एक दूसरे से मिलने से डरने लगे थे , करीब सात – आठ साल तबाही मचने के बाद 1350 के अंत तक यह बीमारी ख़त्म होने लगा और कुछ महीनो में यह बीमारी ख़त्म हो गया .  लेकिन इसका गहरा प्रभाव पुरे यूरोप पर देखा जा सकता है. इस बीमारों से उबरने में यूरोप को कई साल लग गए .

ये  भी पढ़ें- #coronavirus: आज के भोजन से अच्छा था आदिमानव का खानपान

8. होती रही पुनरावृत्ति 

कई सालो बाद पुनरावृत्ति प्लेग के रूप में देखने को मिलता है , 16 शातब्दी से लेकर 19 शाताब्दी तक प्लेग ने कितना कोहराम मचाया है. यह किसी से छुपा नहीं है . प्लेग का टीकाकरण आने के बाद इस बीमारी का अंत हो गया .

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें