Lockdown की वजह से हुआ Rashami Desai को ये फायदा, वायरल हो रही है Photo

कोरोनावायरस के चलते लौकडाउन के कारण हर कोई घर पर अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ वक्त बिताने के लिए मजबूर है, लेकिन फैमिली के साथ वक्त बिताना किसी के लिए बेहद खास लग रहा है. दरअसल टीवी स्टार अपनी फैमिली के साथ बेहद कम समय बिता पाते हैं, जिनमें बिग बौस फेम रश्मि देसाई (Rashami Desai) भी हैं. हाल ही में लौकडाउन के बीच वह अपनी फैमिली के साथ समय बिता कर कितनी खुश हैं. इसका अंदाजा उनके हाल ही में शेयर किए पोस्ट से लगाया जा सकता है. आइए आपको दिखाते हैं रश्मि (Rashami Desai) के इंस्टाग्राम पोस्ट…

फैमिली के करीब आईं रश्मि देसाई

शो के दौरान रश्मि देसाई (Rashami Desai) ने खुद कुबूल किया था कि ‘उनकी मां और उनके रिश्ते में खटास आ गई है, जिसके कारण वह अपने परिवार के साथ नहीं रहती. वहीं कोरोना वायरस लौकडाउन के बीच वो परिवार के साथ खूब सारा वक्त बिता रही हैं.

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लौकडाउन के बीच Rashami ने शेयर की तस्वीरें

लौकडाउन के दौरान रश्मि देसाई (Rashami Desai) ने ताजा फोटोज शेयर करते हुए फैंस को सरप्राइज दिया है. लौकडाउन के कारण रश्मि देसाई (Rashami Desai) एकबार फिर अपनी फैमिली के करीब आ गई हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर फोटोज शेयर करते हुए दी है, जिसमें वह अपनी मां और फैमिली संग नजर आ रही हैं.

बता दें,  कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो के जरिए देवोलीना भट्टाचार्जी ने फैंस से कहा था कि उन्हें सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का गाना ‘भूला दूंगा’ कुछ खास नहीं लगा, जिसके बाद इन दिनों शहनाज गिल के फैंस और देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) के बीच काफी गहमागहमी देखने को मिल रही है.

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सपोर्ट में उतरी रश्मि देसाई


वहीं, रश्मि देसाई भी अपनी खास दोस्त देवोलीना भट्टाचार्जी के बचाव में उतरीं, जिसके बाद शहनाज गिल के फैंस ने उनका सोशल मीडिया पर खिल्ली उड़ाना शुरू कर दिया. इसी बीच, रश्मि देसाई (Rashami Desai) भी चुप नहीं बैठी और उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कहा कि शहनाज और सिद्धार्थ के इन फैंस को तो ब्लॉक ही कर देना चाहिए.

#lockdown: घर बैठे अपने मेकअप किट को फिक्स करें 

जिन लड़कियों का मेकअप का बहुत शौख होता है, या जिनको मेकअप से बहुत प्यार है वे लड़कियां अपना मेकअप पैलेट टूट जाने पर कितना दर्द होता है वे केवल पूरी दुनिया में सिर्फ वहीं समझ सकती है. आख़िरकार मेकअप ही तो है जिनकी मदद से लड़कियां अपने आप कोई कॉंफिडेंट महसूस करती हैं और अपने फेस फीचर्स को मेकअप की मदद से और ज्यादा एनहान्स और हाईलाइट करती है. जब आपका मनपसंदीदा मेकअप ब्रांड का प्रोडक्ट आपके हाथों से किसी कारण वर्ष गिर कर टूट जाता है तो आप अपने दिल पर पत्थर रख कर उन्हें कचरे के डब्बे में फेक देती है.  लेकिन यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आपको आपका मनपसंदीदा मेकअप फेंकने की बिलकुल ज़रूरत नहीं होगी क्यूंकि आज हमे मेकअप एक्सपर्ट – मैकेट्रेस बाई पारुल(पारुल बुद्धिराजा अरोड़ा) कुछ ऐसे यूनिक ट्रिप्स और ट्रिक्स बताएंगी जिससे की आप अपना टुटा हुआ मेकअप जोड़ सकती है और उनके वापस से अपने यूज़ में ला सकती है.

1. ब्लश पाउडर कॉम्पैक्ट

अगर आपका  ब्लश और पाउडर कॉम्पैक्ट टूट गया है तो उसको कचरे में न फेके, बल्कि इसको फिक्स करें प्लास्टिक रैप या फिर एल्युमीनियम रैप की मदद से.  सबसे पहले आप प्लास्टिक रैप लें और उसके  टुटा हुआ मेकअप  प्रोडक्ट को अच्छे से बिछाए और ऊपर से एक और लेयर प्लास्टिक रैप की लगाएं जिससे की आपका मेकअप प्रोडक्ट पूरी तरह कवर हो और किसी भरी वास्तु से उसके ऊपर वज़न डालकर ब्लश व पाउडर कॉम्पैक्ट को एक पतले पाउडर में चूर चूर कर दें. और  यह परिक्रिया आप लगभग 5 से 7 मींचे तक करे जिससे की वह एक दम महीन पाउडर में न बदल जाये.  उसके बाद पाउडर को अपने डब्बे में डालें और एक उंगली से उसको अच्छे से दबाएं ताकि वह पूरी तरह से सेट हो जाये और मेकअप के ऊपर हल्का एलकोहॉल स्प्रे करें आप देखंगे की वह पूरी तरह  से फिक्स हो चूका होगा.

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2. ड्राई मस्कारा

अगर आपका मस्कारा सुख गया है, तो आप गाबराए नहीं बल्कि आप उसे ऑय ड्राप की मदद से फिर उसे अपने यूज़ में ला सकते है.  ध्यान रखें की आप  रेगुलर ऑय ड्राप का ही इस्तेमाल करें जिससे की आपके आँखों को भी कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा.  आप अपने मस्कारा  टियूब में ऑय ड्राप की कुछ बुँदे डालें और उसे अच्छे से स्क्वाश करें जिसे ऑय ड्राप अच्छे से मिल जाये  और मस्कारा फिर से पहले की तरह रेडी तो यूज़ बन सके.

3. जेल लाइनर

अगर आपका लाइनर सुख गया है तो आप सीधा आपके किचन में जाये और वहां से ओलिव आयल लेकर आये और उसकी कुछ बुँदे आप अपने जेल लाइनर में डालकर टूथपिक की मदद से अच्छे से मिलाये, जिससे की वह पहले की तरह लिक्विड फॉर्म में बन सकें.

4. Eye शैडो

ऑय शैडो को फिक्स करने के लिए सबसे पहले आप  हुए कॉम्पैक्ट का पाउडर आप एक ट्रांसपेरेंट बैग  या थैली में डालें और उसके किसी भरी वास्तु से उसको थोक थोक कर एक महीन पाउडर में बना ले फिर उस पाउडर को आप कॉम्पैक्ट में डालकर साइड रख लें, और  अब आप अपने घर में कपडे प्रेस करने वाले प्रेस को मध्यम हीट पर गर्म करे, गर्म होने के बाद प्रेस को बंद करे और प्रेस की हीटिंग की मदद लेकर आप कॉम्पैक्ट पाउडर के ऊपर उसको  थोड़ी देर तक दबाएं रखे आप देखेंगे की लगभग 2 से 3 मिनट में आपका कॉम्पैक्ट बिलकुल पहले की तरह फिक्स हो जायेगा.

5. पैलेट ब्लश

ब्लश मेकअप के आखिर में लगाया जाता है, इसका इस्तेमाल हम अपने चीक्स को पिंक व ग्लोई दिखने के  लिए करते है. ब्लश को फिक्स करने के लिए आपको तीन चीज़े की ज़रूरत है- टूथपिक, वेट वाइप्स और हैंड सैनिटाइज़र.  ब्लश को फिक्स करने के लिए सबसे पहले यह सुनिचित करें की आपके  साफ़ हो जर्म्स फ्री, अगर नहीं तो आप सबसे पहले अपने हाथों को अच्छे से सैनिटाइज़ करे, उसके बाद टूथपिक की मदद से आप ब्लश को अच्छे से दरदरा करें, अंत में ब्लश कॉम्पैक्ट के ऊपर वेट वाइप रखे और अपने दोनों अंगूठो की मदद से ब्लश पाउडर को ज़ोर ज़ोर से दम लगाकर दबाएं जिससे की वह एक साथ जुड़ सके और आप देखेंगे की आप ब्लश कॉम्पैक्ट पहले की तरह ही बन चूका होगा, जिसे आप कभी भी इस्तेमाल कर सकते है किसी भी पार्टी व फंक्शन में जाने के लिए या फिर रोज़ाना ऑफिस के लिए.

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6. ब्रोकन लिपस्टिक

जब आपकी सबसे पसंदीदा शेड की लिपस्टिक टूट जाये तो इसका दर्द सिर्फ उस लिपस्टिक ओनर ही जान सकता है और आपको न चाहकर भी अपने संदीदा शेड की लिपस्टिक को बाहर कचरे में फेकना पड़ता है लेकिन आज जो हम आपको टिप्स बताने वाले है यकीं मानिये यह आपके लिए एक वरदान से कम नहीं होगा.  सबसे पहले आप टूटी हुई लिपस्टिक को आप चाकू या टूथपिक की मदद से एक छोटी सी कटोरी में डाल लें और लगभग 10 सेकंड के लिए इससे माइक्रोवेव में रख आप देखंगे की यह सॉलिड से पूरी तरह लिक्विड फॉर्म में बन चुकी होगी आप इस लिक्विड   लिपस्टिक को आप अपने किसी खली कॉम्पैक्ट या फिर खली लिप बाम के टियूब में डाल लें और उसे कुछ देर के लिए ठंडा होने के लिए छोड़ दे 2 से 3 घंटे में आप देखेंगे की वह पहले की ही तरह से बन चूका होगा जिसे आप जब मर्ज़ी इस्तेमाल कर सकते है.

इन टिप्स को यूज करके आसानी से करें फर्नीचर की सफाई

गरमी हो चाहे सरदी घर की क्लीनिंग जरूरी होती है. दीवारों पर पेंटिंग के साथ ही लोग घर के फर्नीचर की सफाई कर उसे ब्रैंड न्यू लुक देने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस कोशिश में वे अकसर अपने फर्नीचर की सूरत बिगाड़ देते हैं. वहीं अगर फर्नीचर की सही तरीके से सफाई की जाए तो यह आपके घर को एक नया लुक देने का काम करते हैं. इसीलिए आज हम आपको कैसे घर के फर्नीचर की क्लीनिंग करें और साथ ही कैसे घर को नया लुक दें…

1. लैदर फर्नीचर को इस तरह चमकाएं

लैदर फर्नीचर दिखने में जितना अच्छा लगता है, उस की देखभाल करना उतना ही कठिन होता है. खास बात यह है कि लैदर फर्नीचर की उचित देखभाल न करने से वह जगहजगह से क्रैक हो जाता है.

फर्नीचर पर किसी तरह का तरल पदार्थ गिर जाए तो उसे तुरंत साफ कर दें क्योंकि लैदर पर किसी भी चीज का दाग चढ़ते देर नहीं लगती. यहां तक कि पानी की 2 बूंद से भी लैदर पर सफेद निशान बन जाते हैं. फर्नीचर को किसी भी तरह के तेल के संपर्क में न आने दें, क्योंकि इस से फर्नीचर की चमक तो खत्म होती ही है, साथ ही उस में दरारें भी पड़ने लगती हैं.

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फर्नीचर की रोज डस्टिंग करें जिस से वह लंबे समय तक सहीसलामत रहे. फर्नीचर को सूर्य की रोशनी और एअरकंडीशनर से दूर रखें. इस से फर्नीचर फेडिंग और क्रैकिंग से बचा रहेगा. फर्नीचर को कभी भी बेबी वाइप्स से साफ न करें, इस से उस की चमक चली जाती है.

2. वुडन फर्नीचर की सफाई में न करें लापरवाही

वुडन फर्नीचर की साफ-सफाई में अकसर लोग लापरवाही बरतते हैं जिस से वह खराब हो जाता है. ध्यान से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई सी चमक आ जाती है. महीने में एक बार अगर नीबू के रस से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई चमक आ जाती है. पुराने फर्नीचर को आप मिनरल औयल से पेंट कर के भी नया बना सकते हैं और अगर चाहें तो पानी में हलका सा बरतन धोने वाला साबुन मिला कर उस से फर्नीचर को साफ कर सकते हैं.

लकड़ी के फर्नीचर में अकसर वैक्स जम जाता है जिसे साफ करने के लिए सब से अच्छा विकल्प है कि उसे स्टील के स्क्रबर से रगड़ें और मुलायम कपड़े से पोंछ दें. कई बार बच्चे लकड़ी पर के्रयोन कलर्स लगा देते हैं. इन रंगों का वैक्स तो स्टील के स्क्रबर से रगड़ने से मिट जाता है लेकिन रंग नहीं जाता. ऐसे में बाजार में उपलब्ध ड्राई लौंडरी स्टार्च को पानी में मिला कर पेंटब्रश से दाग लगे हुए स्थान पर लगाएं और सूखने के बाद गीले कपड़े से पोंछ दें.

3. माइक्रोफाइबर फर्नीचर की सफाई से पहले पढ़ें नियम

माइक्रोफाइबर फर्नीचर को साफ करने से पहले उस पर लगे देखभाल के नियमों के टैग को देखना बेहद जरूरी है. क्योंकि कुछ टैग्स पर डब्लू लिखा होता है. यदि टैग पर डब्लू लिखा है तो इस का मतलब है कि उसे पानी से साफ किया जा सकता है और जिस पर नहीं लिखा है उस का मतलब है कि अगर फर्नीचर को पानी से धोया गया तो उस पर पानी का दाग पड़ सकता है. सब से सौफ्ट ब्रश से माइक्रोफाइबर फर्नीचर की पहले डस्ंिटग करें.

इस के बाद ठंडे पानी में साबुन घोलें और तौलिए से फर्नीचर की सफाई करें. ध्यान रखें कि तौलिए को अच्छे से निचोड़ कर ही फर्नीचर की सफाई करें ताकि ज्यादा पानी से फर्नीचर गीला न हो. तौलिए से पोंछने के बाद तुरंत साफ किए गए स्थान को हेयरड्रायर से सुखा दें.सुखाने के बाद उस स्थान पर हलका ब्रश चलाएं ताकि वह पहली जैसी स्थिति में आ सके.बेकिंग सोडा में पानी मिला कर गाढ़ा सा घोल बना लें. अब इस घोल को दाग लगे हुए स्थान पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर उसे हलके से पोंछ दें.फर्नीचर पर लगे दाग को पानी से साफ करने के स्थान पर बेबी वाइप्स से साफ करें. ध्यान रखें कि दाग लगे स्थान को ज्यादा रगड़ें नहीं.

यदि फर्नीचर पर ग्रीस जैसा जिद्दी दाग लग जाए तो उसे हटाने के लिए बरतन धोने वाला साबुन और पानी का घोल बनाएं और दाग वाले स्थान पर स्प्रे करें. कुछ देर बाद गीले कपडे़ से उस स्थान को पोंछ दें.

4. प्लास्टिक फर्नीचर भी सजा सकता है आपका घर

अक्सर देखा गया है कि जब बात प्लास्टिक के फर्नीचर को साफ करने की आती है तो उसे या तो स्टोररूम का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर कबाड़ में बेच दिया जाता है. लेकिन वास्तव में अगर प्लास्टिक के फर्नीचर की सही तरह से सफाई की जाए तो उसे भी चमकाया जा सकता है. ब्लीच और पानी बराबरबराबर मिला कर एक बोतल में भर लें और फर्नीचर पर लगे दागों पर स्प्रे करें. स्प्रे करने के बाद फर्नीचर को 5 से 10 मिनट के लिए धूप में रख दें.

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ट्यूब और टाइल क्लीनर से भी प्लास्टिक का फर्नीचर चमकाया जा सकता है. इस के लिए ज्यादा कुछ नहीं, बस दाग लगी जगह पर स्प्रे कर के 5 मिनट बाद पानी से धो दें. दाग साफ हो जाएंगे.

बरतन धोने वाला डिटरजैंट भी प्लास्टिक के फर्नीचर में लगे दाग को छुड़ाने में सहायक होता है. इस के लिए 1:4 के अनुपात में डिटरजैंट और पानी का घोल बना लें. इस घोल को फर्नीचर पर स्प्रे कर के 5 से 10 मिनट के लिए छोड़ दें. इस के बाद कपड़े से फर्नीचर को पोंछें. नई चमक आ जाएगी.

प्लास्टिक पर लगे हलके दागों को बेकिंग सोडा से भी धोया जा सकता है. इस के लिए स्पंज को बेकिंग सोडा में डिप कर के दाग वाली जगह पर गोलाई में रगड़ें. दाग हलका हो जाएगा.

नौन जैल टूथपेस्ट से प्लास्टिक फर्नीचर पर पड़े स्क्रैच मार्क्स हटाए जा सकते हैं.

यह सच है कि घर की रंगाई-पुताई तब तक अधूरी ही लगती है जब तक घर के फर्नीचर साफसुथरे न दिखें. उपरोक्त तरीकों से घर के सभी प्रकार के फर्नीचर को चमका लिया जाए तो दीवाली की खुशियों का मजा कहीं ज्यादा हो जाएगा.

#lockdown: इन 5 टिप्स से घर पर खुद को रखें फिट

By Nutritionist Preeti Tyagi

फिट और स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. लेकिन लॉक डाउन के पीरियड में खुद को फिट रखना एक बड़ा चैलेंज बन गया है. क्योंकि बाहर निकलने पर पाबंदी होने के कारन हमारी फिजिकल एक्टिविटीज  न के बराबर हो गई हैं और हम हर समय एक ही जगह पर  बस बैठे  रहते हैं.  जिससे हमारी फिगर को  फैलने में देर नहीं लगेगी. ऐसे में संभल जाए और इस पीरियड को यूं ही बर्बाद न जाने दें बल्कि अपने रूटीन में बदलाव लाकर लॉक डाउन पीरियड में भी खुद को रखें हैल्थी.

कैसे लाएं सुधार

1. भले ही ये पीरियड आपके लिए काफी रिलैक्सिंग टाइम है लेकिन फिर भी अपने सोने व जागने के समय को निर्धारित करें. क्योंकि अगर पूरी नींद नहीं लेंगे और रात भर टीवी या कंप्यूटर के सामने नजरे गड़ाए बैठे रहेंगे तो इससे थकान फील होने से स्ट्रेस की  शिकायत हो सकती है. इसलिए इस समय अपने सोने व जागने के टाइम को एक रखें. इससे यकीन मानिए आप खुद को काफी पॉजिटिव मह्सूस करेंगे.

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2 प्रतिदिन शारीरिक व्यायाम करें.

अब आप सोच रहे होंगे कि बाहर जाए बिना घर पर व्यायाम कैसे हो पाएगा तो आपको बता दे कि आप घर पर भी  बड़ी आसानी से व्यायाम कर सकते हैं.  जैसे अगर आपके पास रस्सी है तो आप रस्सी कूद कर फुल बॉडी एक्सरसाइज कर सकते हैं. क्योंकि रस्सी कूदने से  शरीर में ऊर्जा का संचार होने के साथ साथ फिगर मैंटेन रहती है. आप रोज़ाना 10 मिनट इस एक्सरसाइज को करें. वहीं आप पुश अप  एक्सरसाइज से अपनी बॉडी को मजबूत बना सकते हैं. बॉडी को फिट रखने के लिए जंपिंग एक्सरसाइज भी बेस्ट है, जिसे आप कहीं भी कर सकते हैं. अगर आप योगा कर सकते  हैं तो इससे आपकी बॉडी फ्लेक्सिबल बनने के साथसाथ आपकी इम्युनिटी भी बूस्ट होगी.  साथ ही आप यूट्यूब पर फिटनेस चैनल्स की मदद लेकर भी खुद को घर पर फिट रख सकते  हैं.

आपको बता दें कि शारीरिक व्यायाम ऐसे हार्मोन्स व मस्तिष्क एंजाइमों को जारी करने के लिए जिम्मेदार होते हैं जो आपके मूड को ठीक रखकर आपको खुश रखने का काम करता है.

3. हाई फाइबर रिच डाइट लें।  क्योंकि हाई फाइबर रिच डाइट पोषक तत्वों से भरी होने के कारण दिल की सेहत को दुरूस्त रखने का काम करती है. साथ ही इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा होने के कारन यह वजन को नियंत्रित करने का काम करता है. इसके लिए आप अपने खाने में स्प्राउट्स, दाल, फल व सब्ज़ियों को शामिल करें. कोशिश करें कि ब्रेकफास्ट में स्प्राउट्स लेकर अपने दिन की  शुरुआत करें. इससे आप पूरे दिन खुद को ऊर्जा से भरपूर पाएंगे. उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ आमतौर पर विटामिन्स और खनिजों में भी उच्च होते हैं इसलिए इसके जरिये हमें विटामिन मिलते रहते हैं जो हमें स्वस्थ रखने का काम करते हैं.

4. घर में जब भी खाली हुए नहीं कि  चाय, कॉफ़ी पी  ली. आप अपनी इस आदत को छोड़ दें. वरना इनमें ज्यादा कैलोरीज होने के कारन आप को बाद में बड़े वजन को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए जब भी चाय. कॉफ़ी की ललक लगे तो आप उसकी जगह ग्रीन टी , एलो वरा जूस , आमला जूस या फिर निम्बू पानी  पी सकते हैं.  ये आपकी भूख को शांत करने के साथ साथ आपको फिट रखने का भी काम करेगा .

5. इस बात का ध्यान रखें कि घर पर ज्यादा वर्कआउट नहीं होने के कारण आप लंच व डिनर लाइट ही लें. जैसे दाल रोटी, ओट्स, खिचड़ी- दलिया , दही-छाछ , पनीर सब्ज़ी रोटी आदि. इससे आपके शरीर को जरूरी  पोषक तत्व भी मिल जाएंगे और वेट भी मेन्टेन रहेगा.

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6. अपनी भागदौड़ भरी ज़िंदगी के कारन अभी तक आप जो डाइट प्लान फॉलो नहीं कर पा रहे थे उसे फॉलो करने का यह बेस्ट टाइम है.  जैसे आप खाने में सब्ज़ियों का सूप ले सकते है,  जब भी भूख लगे तो चने को हेअल्थी स्नैक्स में शामिल कर सकते हैं .  हो सके तो शाम को  6 -7 बजे तक डिनर कर लें.

महायोग: धारावाहिक उपन्यास, भाग-5

अब तक की कथा :

नील ने दिया को पसंद कर लिया था. दिया को भी नील अच्छा ही लगा था. दादी कन्यादान करने के बाद मोक्षप्राप्ति के परमसुख की कल्पना से बहुत प्रसन्न थीं. दिया की मां कामिनी शिक्षित तथा सुलझे हुए विचारों की होने के बावजूद दिया के पत्रकार बनने के सपने को बिखरते हुए देखती रह गईं. विवाह के पश्चात नील जल्दी ही लंदन लौट गया और दिया अनछुई कली, मंगलसूत्र गले में लटकाए ‘कन्यादान’ के अर्थ को समझने की नाकाम कोशिश में उलझी रह गई.

अब आगे…

उन दिनों दिया का दिमाग न जाने किन बातों में घूमता रहता. इस बीच एक और घटना घटित हो गई जिस ने दिया को भीतर तक हिला कर रख दिया. दिया की एक सहेली थी-प्राची. दिया की सभी सहेलियां लगभग हमउम्र थीं परंतु प्राची 3 वर्ष बड़ी थी दिया से. पढ़ने में बहुत तेज थी वह, लेकिन बचपन में कोई बड़ी बीमारी हो जाने के कारण उस के 3 वर्ष खराब हो गए थे. पिता की मृत्यु हो गई, मां काम करती थीं परंतु 3 बच्चों का पालनपोषण करने में ही उन की आर्थिक स्थिति डांवांडोल हो गई थी.

मध्यवर्गीय यह परिवार अपनों द्वारा ही सताया गया था. प्राची व उस की बहनें जब छोटी थीं तब ही उस के पिता किसी दुर्घटना में चल बसे. बड़े ताऊजी ने उन के हिस्से का व्यवसाय ऐसे हड़प लिया मानो वे अपने भाई के जाने की ही प्रतीक्षा कर रहे थे. तभी प्राची बीमार पड़ी और सही इलाज न होने के कारण एक लंबे समय तक बीमारी का शिकार बनी रही. मां ने जवानी में पति खो दिया था, सो उन्हें 3 बच्चों का पालन करने के लिए नौकरी करनी पड़ी. प्राची घर में सब से बड़ी थी, उस के पीछे उस की 2 छोटी बहनें थीं. घरगृहस्थी की परेशानियों से जूझतेजूझते मां को बस अपनी बेटियों की चिंता बनी रहती. उन का सोचना था कि उन्होंने जिंदगी में सभी सगेसंबंधियों को अच्छी तरह परख लिया है. अब उन का स्वास्थ्य भी डांवांडोल ही रहता, सो उन को अपनी बेटियों के विवाह की चिंता सताती. प्राची की मां दिया के घर भी आयाजाया करती थीं. वे दिया की मां व दादी के पास बैठ कर अपने मन का बोझ हलका करतीं और बच्चियां दिया के साथ खेलतीं, गपशप मारतीं.

प्राची की मां की परेशानी से दिया के घर के सभी लोग वाकिफ थे. इसलिए  दादीजी ने अपने चहेते पंडितजी के कान में प्राची के लिए रिश्ता ढूंढ़ने की बात डाल रखी थी. पंडितजी प्राची के घर की स्थिति से वाकिफ थे. एक दिन पंडितजी एक रिश्ता ले कर आए थे. लड़के वाले भी साथ थे. लड़का व घर ठीकठाक ही था. प्राची की मां ने थोड़ीबहुत तैयारी तो कर ही रखी थी. प्राची ने कितने हाथपैर जोड़ कर मां को मनाना चाहा कि वे शादीवादी का चक्कर छोड़ेंऔर उसे नौकरी कर के हाथ बंटाने दें. परंतु मां अपना ढीला स्वास्थ्य देख कर बेटी की बात मानने के लिए तैयार ही नहीं हुईं.

खूबसूरत प्राची को देख कर लड़के वालों ने तुरंत हां कर दी. सब बातें साफ होने पर सगाई हो गई और तय हुआ कि सीधेसादे ढंग से विवाह संपन्न हो जाएगा. परंतु सगाई और विवाह के बीच स्थितियों में इतना बदलाव आया कि प्राची की मां ठगी रह गईं. सगाई और विवाह के बीच 4-5 माह का समय था. इस बीच न जाने पंडितजी ने लड़के वालों से मिल कर कितनी पूजा और अनुष्ठान करवा डाले कि प्राची की मां तो इसी सब में खाली होने लगीं. जब उन्होंने यह बात पंडितजी और लड़के वालों के समक्ष रखी तो पंडितजी ने कहा, ‘‘बहनजी, प्राची के ग्रह इस कदर भारी हैं कि ये सब अनुष्ठान और ग्रहपूजा आदि जरूरी हैं…’’

‘‘तो आप ने पहले क्यों नहीं ये सब देखा? अब जब हम लोग बीच भंवर में खड़े हैं तब…’’ हिचकिचाते हुए उन्होंने पंडितजी से पूछा.

‘‘आप ने तो जन्मपत्री दी नहीं थी. लड़के वालों ने भी उस समय मुझ से कुछ कहा नहीं पर सगाई के बाद जब लड़के के पिता को महीने में 4 बार बुखार आया तो उन का शक तो स्वाभाविक था न? उन्होंने मुझे ग्रह देखने को कहा. मैं ने… फिर आप को याद होगा, आप से जन्मपत्री मांगी. आप के पास मिली नहीं तो मैं ने आप से जन्म की तिथि और समय पूछ कर प्राची की जन्मपत्री बनवा कर मिलाई. तब पता चला उस के ग्रहों के बारे में. आप ही बताइए, कैसे कोई दूध में पड़ी मक्खी निगल ले?’’ पंडितजी ने अपने व्याख्यान से प्राची की मां को ही कठघरे में ला कर खड़ा कर दिया.

प्राची की मां को बहुत सदमा पहुंचा. इधर तो पूजा के नाम पर पंडित उन से पैसे ऐंठने आ पहुंचता, उधर वह लड़का प्राची से मिलने हर दूसरेतीसरे दिन घर में आ धमकता. इस मामले में लड़कियां बड़ी संवेदनशील होती हैं. एक बार प्राची का मन उस लड़के की ओर आकर्षित हुआ तो वह उस की ओर झुकती चली गई. मां ने इस डर से पूरी बात प्राची को खोल कर नहीं बताई कि प्राची कहीं रिश्ते से ही मना न कर दे. वैसे भी यदि किसी की सगाई टूटती है तो समाज के ठेकेदार ढेरों सवाल ले कर सामने आ खड़े हो जाते हैं.

फिर भी, एक दिन उस ने पंडितजी से पूछ ही लिया, ‘‘पंडितजी, अगर परेशानी लड़के वालों को है तो वे कराएं न उस का इलाज, वे खर्च करें पैसा. मुझ पर क्यों बोझ डाल रहे हैं आप?’’

‘‘बहनजी, कमी तो अपनी बेटी में है. है कि नहीं? फिर हमें अपनी बेटी की खुशी के लिए कुछ करना होगा कि नहीं? सारी जिंदगी वहीं काटनी है उसे. बेकार के तानेमलाने न सुनने पड़ें उसे.’’

जब प्राची की मां ने ये सब बातें जा कर दिया की दादी को बताईं तो वे पंडित की बलैयां ही लेने लगीं, ‘‘कितना अच्छा पंडित है, प्राची को दूसरे घर जा कर कोई परेशानी न उठानी पड़े, इसलिए सारे उपाय कर रहा है. और कोई होता तो छोड़ देता. भई, आप जानो आप का काम जाने.’’

प्राची की मां ने अपना सिर पीट लिया. क्या करें अब वे? कामिनी ने भी यह सब सुना था और वे असहज हो गई थीं.

कामिनी उस की चिंता से स्वयं परेशान हो रही थीं.

दिया भी अपनी मां की भांति ही बेचैनी के झूले में झूल रही थी. बड़ी शिद्दत से दिया सोच रही थी कि पंडितजी की ऐसी की तैसी कर डाले. उस का युवा मन यह बात मानने के लिए बिलकुल तैयार नहीं था कि इस कठिन परिस्थिति में प्राची की मां को इस प्रकार के अंधविश्वासों पर बेकार का खर्चा करना पड़े.

परंतु फिर वही हुआ जो होना था. कौन कुछ कर पाया? सामाजिक रीतिरिवाजों व परंपराओं में घिर कर प्राची की मां बिलकुल खाली हो गई थीं. उन्हें अपने इकलौते मकान को गिरवी रख कर प्राची के विवाह की व्यवस्था करनी पड़ी थी. दिया को जब इस का पता चला तब उस ने दादी से पूछा था, ‘‘दादीजी, पहली बात तो यह जो मेरे गले नहीं उतरती कि पंडितजी ने जो खर्च करवाया वह ठीक है. दूसरी, जब लड़के वालों को यह मालूम था कि प्राची की मम्मी बिलकुल अकेली व असहाय हैं और जब प्राची उन के घर की बहू बनने जा रही थी तो क्या उन का रिश्ता नहीं था प्राची के घर से? उन्हें पंडितजी से पता भी चल गया था कि प्राची की मां अपना घर गिरवी रख रही हैं तब भी वे लोग इन की कोई सहायता करने नहीं आए?’’

दादी मानो बड़ी बेबसी में बोली थीं, ‘‘क्या करें बेटा? बेटी को क्या घर में बिठा लेगी उस की मां? आगे और 2 बेटियां नहीं हैं क्या?’’

‘‘तो आप को तो सबकुछ मालूम था, आप ने उन को ऐसा रिश्ता क्यों बताया? ऊपर से पंडितजी के कर्मकांड. आप जानती हैं कितनी टूट गई हैं उस की मम्मी?’’

दिया को दादी पर क्रोध आ रहा था. ऐसे भी क्या कर्मकांड हैं कि एक विधवा स्त्री का जीवन ही कठिनाइयों के भंवर में फंसा दें. कर्मकांड जीवन को सही दिशा देने के लिए, जीवन को सुधारने के लिए होते हैं या बरबाद करने के लिए?

अगर प्राची की दोनों और बहनों को भी ऐसे ही घर मिल गए तो एक तो बेटियों की मां उस पर ये बेकार के दिखावे, क्या होगा उस की मां का? बेचारी बेमौत मर जाएगी. आखिर हम इस प्रकार के प्रपंच कर के दिखाते किस को हैं? समाज को? कौन से समाज को? जो कभी किसी की परेशानी या कमजोरी के समय में काम नहीं आता बल्कि खिल्ली उड़ाने में ही लगा रहता है? समाज तो हम से ही बनता है न? फिर हम क्यों समाज में परिवर्तन नहीं ला सकते? क्यों पुरानी लकीरों को ही पीटते रहते हैं?

दिया के मन में इस प्रकार के सैकड़ों सवाल उभरते रहते जिन का हल फिलहाल तो उसे सूझ नहीं रहा था. हां, उस के मन में कहीं कोई कठोर सी भावना पक्की होती जा रही थी कि उसे कैसे न कैसे इस सामाजिक व्यवस्था या फिर ओढ़ी हुई परंपराओं के आड़े आना है. अनमनी सी दिया घरभर में बेकार ही चक्कर लगाती हुई घूमती रहती. विवाह के बाद लड़कियों के पहननेओढ़ने, सजनेसंवर के चाव स्वत: ही बढ़ जाते हैं परंतु यहां उलटा ही हो रहा था. जिस पति के साथ वह एक रात भी नहीं रह पाई उसी के नाम का सिंदूर मांग में भर कर वह सब को दिखाती फिरे. यह क्या बात हुई. हां, यह सच है कि वह नील के प्रति आकर्षित हो गई थी परंतु आकर्षण मात्र से तो मन नहीं भर जाता.

एक और नई बात पता चली थी कि वास्तव में कम समय का तो बहाना बनाया गया था वरना यदि नील चाहता तो और भी एक सप्ताह उस के साथ बिता सकता था. यह बात स्वयं नील के मुंह से ही फोन पर सुन ली थी दिया ने. नील प्रतिदिन दिया को फोन करता था. लंदन पहुंचने के कुछ दिन बाद जब उस की नील से फोन पर बात हुई तब नील के मुंह से निकल गया कि वह 4 दिन बाद औफिस जौइन करेगा. तब दिया चौंकी थी, ‘नील, आप अभी तक घर पर ही हैं, फिर यहां से जल्दी क्यों चले गए थे?’ तब तक नील को लंदन वापस लौटे 25 दिन हो गए थे.

‘अरे, वो…मुझे वैसे तो जौइन तभी करना था, दिया, पर मेरे पैर में चोट लग गई थी तो हफ्तेभर की छुट्टी लेनी पड़ी मुझे,’ नील इतना हड़बड़ा कर बोले थे कि दिया का दिमाग ठनक गया था. कहीं न कहीं गड़बड़ तो जरूर है. बहाना भी नील ने पैर की चोट का बनाया. अगर नील को चोट लगी भी थी तो क्या इस घर में किसी को पता नहीं चलता? आखिर माजरा क्या है? फोन पर तो वह नील से ठीकठाक बात करती रही परंतु बात खत्म होते ही वह मां के पास जा पहुंची और बोली, ‘‘मम्मी, मुझे एक बात सचसच बताइए,’’ दिया ने कुछ ऐसे अंदाज में पूछा कि कामिनी भी असहज सी हो उठीं.

‘‘क्या बात है, बेटा? इतनी परेशान क्यों हो?’’

‘‘मम्मी, ये सब क्या है? क्या आप जानती हैं कि नील के पैर में चोट लगी है और उन्होंने अभी औफिस जौइन नहीं किया?’’

‘‘अरे, कैसे, कब?’’ कामिनी चौंकीं.

‘‘मैं कैसे बता सकती हूं, कैसे, कब?’’ दिया क्रोध व बेबसी से भर उठी.

अब तो कामिनी को भी यही महसूस होने लगा कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है वरना यहां से इतनी जल्दबाजी कर के जाने वाले नील ने लंदन जा कर अभी तक औफिस जाना क्यों शुरू नहीं किया और पैर में कब चोट लग गई? नील की मां से तो दिया की दादी की लगभग हर रोज बात होती ही रहती है.

कामिनी सास के पास पहुंचीं तो, परंतु बात कैसे शुरू करें? कुछ समझ नहीं पा रही थीं.

‘‘क्या बात है, कामिनी बहू? कुछ कहना चाहती हो?’’

‘‘जी, मैं नील के बारे में पूछना चाहती हूं,’’ उस ने हिम्मत कर के सास के सामने मुंह खोल ही दिया.

‘‘नील के बारे में? क्या पूछना चाहती हो? दिया के पास फोन तो आते ही होंगे नील के?’’

‘‘जी, कभीकभी आते तो हैं. नील के पैर में चोट लग गई है और हमें किसी ने कुछ बताया भी नहीं. दिया काफी परेशान हो रही है.’’

‘‘पैर में चोट लग गई है? हमें नहीं मालूम. अरे, कल ही तो बात हुई है हमारी नील की मम्मी से…’’

‘‘आप को नहीं लगता यह बात कुछ अजीब सी है,’’ कामिनी से रहा नहीं गया.

‘‘हां, पर हो सकता है उन्होंने इसलिए कुछ न बताया हो कि हम लोग बेकार में ही चिंता करेंगे,’’ उन्होंने कह तो दिया पर भीतर से वे भी असहज सी हो उठी थीं.

‘‘नहीं, मां, उन का तरीका ठीक नहीं है. आप ही सोचिए, पहले जल्दबाजी कर के ब्याह करवाया फिर जल्दबाजी कर के वापस भी चले गए. अभी तक दिया को ले जाने की कोई कार्यवाही कर रहे हैं वे लोग, मुझे तो नहीं लगता, तब तो जल्दी पड़ी थी. अब बच्ची बिलकुल गुमसुम होती जा रही है,’’ कामिनी की आंखें भर आई थीं.

दादी के मुख पर भी चिंता की लकीरें पसर गईं. यह बात ठीक है कि उन के खुद के पंडितजी ने भी उन्हें यही सलाह दी थी कि दिया को अभी न भेजें. मुहूर्त में कुछ गड़बड़ है.

पंडितजी ने चुपके से उन से कह दिया था कि अभी दिया को ससुराल भेजने का उचित समय नहीं है और वे मान गईं. बहाना तो था ही कि नील को जल्दी पहुंचना है अपने औफिस और वहां जा कर वह जल्दी ही दिया को अपने पास बुलाने की कार्यवाही शुरू कर देगा.

 

शैंपू करने से पहले बालों में नारियल तेल लगाना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 18 साल है. मेरे बाल बहुत औयली हैं. शैंपू करने के अगले ही दिन फिर औयली हो जाते हैं. शैंपू करने से पहले मैं बालों में नारियल तेल भी लगाती हूं. क्या मुझे तेल लगाना चाहिए?

 जवाब-

आप की समस्या का कारण यह हो सकता है कि बालों में शैंपू करने से आप के बालों का तेल अच्छी तरह से नहीं निकल पाता है. बालों को पोषण देने के लिए आप तेल की जगह हेयर टौनिक लगाएं. इस से बाल हैल्दी रहेंगे और औयल कंट्रोल में रहेगा. औयल कंट्रोल में करने के लिए आप अपने शैंपू में नीबू की कुछ बूंदें मिलाने के बाद उसे इस्तेमाल में लाएं. बाल धोने के बाद उन में कंडीशनर लगाएं. कंडीशनर लगाते समय स्कैल्प से 2-3 इंच छोड़ कर बालों में कंडीशनर लगाएं.

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हममें से कई लड़कियों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने बालों में शैंपू करते हैं और 2 दिन के भीतर ही बाल औयली औयली से हो जाते हैं. आप भी सोचती होंगी कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. शायद यह एक ऐसा सवाल है जिसे हर लड़की खुद से जरुर करती होगी. इससे पहले की आप बाल औयली होने का उपाय ढूढें, अच्‍छा होगा कि आप इसके पीछे छुपे हुए कारण को जान लें. ताकि उसके लिये कुछ बेहतर उपाय सोंच सकें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- क्यों हो जाते हैं बार बार आपके बाल औयली?

Summer में ऐसे पाएं बौलीवुड एक्ट्रेसेस जैसा लुक

गरमी में आप कोशिश करते हैं कि घर से बाहर न निकलें, लेकिन औफिस के लिए या आउटिंग के लिए घर से बाहर निकलना लाजमी है. हम कोशिश करते हैं की हल्के और कम्फरटेबल कपड़े पहनें. लेकिन क्या आपको पता है कि कलर से भी आप पर गरमी का इफेक्ट पड़ता है. आपने नोटिस किया होगा जब हम डार्क कलर के कपड़े पहनते है तो हमें गरमी ज्यादा लगती है. वहीं अगर आप हल्के कलर के कपड़े पहनती हैं तो आपको ठंडक महसूस होती होगी. इसीलिए आज ही गरमियों के लिए आप अपने वार्डरोब को हल्के कलर के कपड़ों से बदलें. आज हम आपको हल्के कलर के साथ कैसे फैशन को मेंटेन करें इसके बारे में बताएंगे.

1. लाइट वाइट कलर के साथ ट्राई करें ब्लू लौंग स्कर्ट

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वाइट कलर हर किसी को पसंद आता है लेकिन अगर वाइट को हल्के डार्क और ने की लौंग स्कर्ट के साथ मैच किया जाए तो यह आपके लुक को ट्रैंडी बना देगी.

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2. क्रीम कलर के साथ फ्रिल वाली स्कर्ट

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अगर आप क्रीम कलर को पर्पल यानी बैगनी कलर के साथ कौम्बिनेशन बना के पहनेंगी तो यह आपके फैशन के साथ-साथ गरमी से भी राहत देगा. आप चाहें तो जूड़ा बनाकर मार्केट या कहीं घूमने भी जा सकती हैं.

3. लाइट पिंक कलर के टौप के साथ डैनिम्स करें ट्राई

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पिंक कलर हर लड़की को पसंद होता है. वहीं अगर उसके साथ डैनिम्स का कौम्बिनेशन हो तो फैशन के क्या कहने… लाइट पिंक कौटन टौप के साथ डार्क ब्लू कलर की डैनिम जींस आपके औफिस और बाहर घूमने के लिए परफेक्ट है. कौलेज जाने वाली लड़कियों के लिए यह फैशन पौपुलर रहेगा.

4. लाइट ब्राउन लूज टौप के साथ वाइट लूज ट्राउर्ज

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लाइट ब्राउन लूज टौप के साथ वाइट लूज ट्राउर्ज के साथ आपका औफिस या फिर अगर कहीं घूमने का प्लान हो तो इस ड्रैस को बिल्कुल ट्राई कर सकती हैं.

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#lockdown: घर पर बनाएं मलाई मखाना सब्जी

अगर आप भी अपनी फैमिली का खाने से दिल जीतना चाहते हैं, तो यह नई रेसिपी आपके बहुत काम आएगी. मलाई मखाने की सब्जी बनाना आसान है. आप इसे चाहें तो डिनर में या किसी किटी पार्टी में अपने दोस्तों को बनाकर खिला सकते हैं. यह टेस्टी और हेल्दी है, जिससे आपकी हेल्थ पर कोई बुरा असर नही पड़ेगा.

हमें चाहिए

1 कप मखाने

1 कप ताजा मलाई

1 कप बारीक कटा प्याज

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2 हरीमिर्चें बारीक कटी

1 बड़ा चम्मच देगी मिर्च

1 बड़ा चम्मच धनिया पाउडर

1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

2 बड़े चम्मच तेल

1 बड़ा चम्मच जीरा

1 बड़ा चम्मच कसूरी मेथी

1 बड़ा चम्मच देशी घी

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक पैन में देशी घी गरम कर मखाने डाल कर सुनहरे होने तक भून लें. इन्हें एक ओर रख दें. इसी पैन में 1 चम्मच तेल गरम कर जीरा डाल कर भूनें.

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फिर प्याज व हरीमिर्च डाल कर प्याज के नर्म होने तक भूनें. सारे मसाले डालें और अच्छी तरह भूनें. 1/2 कप पानी डाल कर ढक कर प्याज के अच्छी तरह गलने तक पकाएं.

मलाई डाल कर लगातार हिलाते हुए घी छूटने तक पकाएं. जब मसाला घी छोड़ने लगे.

अब इस में मखाने डाल अच्छी तरह मिलाएं और 1 मिनट तक ढक कर पकाएं और आंच बंद कर दें. धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

Edited by Rosy

#coronavirus: कोरोनावायरस की ये 5 पहेलियां

सारी दुनिया में कोरोना वायरस आज बहस और शोध का मुख्य विषय है.  इससे जुड़ी बहुत सी जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं. इस वायरस के संबंध में पांच बिंदु ऐसे हैं जो अब तक सामने नहीं आ सके हैं.

1. अलग-अलग लोगों पर इस वायरस के असर में इतना अंतर क्यों है?

वैज्ञानिक इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि वायरस की चपेट में आने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षण दिखाई तक नहीं देते जबकि शेष लोगों पर वायरस का गहरा असर होता है, बल्कि लोग इसका मुक़ाबला करते करते दम तोड़ देते हैं.

हांगकांग के मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर लियोबोन का कहना है कि कोरोना वायरस की शिद्दत अलग अलग लोगों में बिल्कुल अलग अलग हो सकती है. चीन में देखा गया कि कुछ लोग वायरस की चपेट में आए मगर इस वायरस ने उन पर कोई असर नहीं दिखाया और कुछ लोगों की जान ले ली.

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2. क्या कोरोना वायरस हवा में भी फैल जाता है?

यह तो सब जानते हैं कि कोरोना वायरस छींक या खांसी के समय निकलने वाली बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है मगर क्या वह वायरस मौसमी इनफ़्लुएंज़ा की तरह हवा में भी फैल सकता है, इस सवाल का अभी निश्चित उत्तर नहीं मिल सका है.

न्यू इंगलैंड मेडिकल मैगज़ीन में छपे शोध के अनुसार, प्रयोगशाला में देखा गया कि वायरस तीन घंटे तक हवा में रह सकता है मगर यह नहीं पता चल सका कि हवा में बाक़ी रहने वाले पार्टिकल्स बीमारी को भी ट्रांस्फ़र करने की क्षमता रखते हैं या नहीं. पैरिस के सेंट अंतवान अस्पताल में संक्रामक रोग इकाई की प्रोफ़ेसर कारीन लाकोम्ब का कहना है कि हमें यह तो पता है कि हवा में मौजूद इस वायरस के टच में हम आते हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि हवा में मौजूद यह वायरस संक्रामक होता है या नहीं?

3. किसी देश में संक्रमित लोगों की असली संख्या क्या है?

जिस समय ब्रिटेन ने अपने यहां संक्रमितों की सरकारी संख्या 2000 से कम बताई थी उस समय पूरे देश में 55 हज़ार से अधिक संक्रमित मौजूद थे. इसलिए किसी भी देश के लिए सही आंकड़ा निर्धारित कर पाना कि कितने लोग संक्रमित हैं, बहुत कठिन काम है. इसके लिए शोध के नए चरण का इंतेज़ार करना होगा.

4. क्या गर्मी का मौसम कोरोना वायरस को ख़त्म कर देता है?

क्या तेज़ धूप से कोरोना वायरस बेअसर हो जाता है, इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संभावना से इंकार तो नहीं किया जा सकता लेकिन यक़ीन के साथ कुछ कह पाना भी संभव नहीं है. इंफ़्लुएंज़ा के दूसरे वायरस तो सर्द मौसम में ज़्यादा समय तक जीवित रहते हैं और फैलते हैं. मगर हारवर्ड युनिवर्सिटी के शोध में पता चला कि केवल तापमान बढ़ने से कोरोना वायरस नहीं मिटता.

5. क्या वजह है कि बच्चे बहुत कम ही वायरस की चपेट में आते हैं?

नेचर मैगज़ीन ने चीन में किया गया शोध प्रकाशित किया है जिसके अनुसार दस बच्चों का निरीक्षण किया गया जो कोरोना से संक्रमित थे ताकि यह देखा जाए कि उन पर वायरस का क्या असर होता है? नतीजा यह निकला कि कोरोना से केवल उन्हें हल्का सा गले का इंफ़ेक्शन हुआ, हल्की खांसी और हल्के बुख़ार के बाद वायरस ख़त्म हो गया.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि हमें यह नहीं पता चल सका कि बच्चों में कोरोना का असर इतना हल्का क्यों होता है? उम्मीद की जानी चाहिए कि वैज्ञानिक इन बिंदुओं का भी जवाब ढूंढ़ लेंगे.

#lockdown: मेरे सामने वाली खिड़की पे (भाग-3)

“लगता है बारिश होगी. हवाएँ भी कितनी ठंडी-ठंडी चल रही है” कह कर रचना उस रोज, जब दोनों एक ही छत पर साथ बैठे हुए थे,अपने आप में ही सिकुड़ने लगी, तभी अमन ने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और दोनों वहीं जमीन पर बैठ गए. कुछ देर तक दोनों एक-दूसरे कीआँखों में ऐसे डुबे रहे, जैसे उनके आसपास कोई हो ही न.शिखर हौले-हौले रचना के बालों में  उँगलियाँ फिराने लगा और वह मदहोश उसके बाहों सिकुड़ती चली गई. “अभी तो लोगों को डिस्टेन्स बनाकर कर चलने के लिए कहा जा रहा है और हम यहाँ एक साथ बैठे प्यार-मुहब्बत कर रहे हैं। अगर किसी ने देख लिया हमारा कोरोना प्यार तो?” हँसते हुए रचना बोली.

“हाँ, सही है यार……. किसी ने देख लिया तो ?पता है, पुलिस लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर डंडे बरसा रही है” कह कर शिखर हंसा तो रचना भी हंस पड़ी. “वैसे,क्यों न हम अपने प्यार का नाम ‘ कोरोना लव” रख दें. कैसा रहेगा ?”

तभी अचानक से शरीर पर पानी की बुँदे पड़ते देख दोनों चौंक पड़े. “ब बारिश, बारिश हो रही है शिखर ! ओ….. माँ, इस मार्च के महीने में बारिश ?’ बोलकर रचना एक बच्ची की तरह चिहुक उठी और अपनी हथेलियाँ फैलाकर गोल-गोल घूमने लगी. मज़ा आ रहा था उसे बारिश में भीगने में. लेकिन तबीयत बिगड़ने के डर से दोनों वापस में घर आ गए, क्योंकि यह बेमौसम की बारिश थी और वैसे, भी, अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, तो बारिश मे भिंगना ठीक नहीं.लेकिन दोनों की बातें अभी खत्म नहीं हुई थी. सो वे अपनी-अपनी खिड़की से ही इशारों मे बातें करने लगे.

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‘आँखों की गुस्ताखियाँ माफ हो………एकटक तुम्हें देखती है………….जो बात कहना चाहे जुंवा………..तुमसे वो कहती है’एक कागज पर ढेरों तारीफ लिखकर शिखर ने रचना की तरफ अभी फेंका ही था कि अमन आ गया और उनकाकलेजा धक्क कर गया.  खैर,  वह उस कागज के गोले को देख नहीं पाया, क्योंकि रचना ने झट से उसे अपने पैर के नीचे दबा दिया और जब अमन वहाँ से चला गया, तब वह उसे खोलकर पढ़ने लगी. अपनी तारीफ़ें पढ़कर रचना का गाल शर्म से लाल हो गया. जब उसने अपनी नजरें उठकर शिखर की तरफ देखा,तो उसने एक प्यारा सा  ‘फ्लाइंग किस’रचना को भेजा.बदले में रचना ने भी भी उसे फ्लाइंग किस भेजा और दोनों मोबाइल पर चैटिंग करने लगे. जहां कोरोना के डर से लोग हदसे हुए हैं. सड़के-गलियाँ सुनसान-वीरान पड़ी है. वहीं रचना और शिखर को अपनी ज़िंदगी पहले से भी हसीन लगने लगी है. उसे वीरान पड़ी दुनिया रंगीन नजर आ रही है.  साँय-साँय करती हवा, प्यार की धुन लग रही है. अपनी ज़िंदगी में यह नया बदलाव दोनों को भाने लगा है. लेकिन यही बातें अमन और शिखर की पत्नी को जरा भी नहीं भा रहा है. उन्हें खुश देख वह जल-भून रहे हैं.  लेकिन रचना और शिखर को इस बात की कोई परवाह नहीं है.

अमन और रचना ने लव-मैरेज किया था .  परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी की थी. वैसे, फिर बाद में सबने उनके रिश्ते को स्वीकार कर लिया. लेकिन अब वही अमन में वह बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी.रचना तो आज भी अमन को प्यार करती है, पर ताली तो दोनों हाथों से बजती है न ? अमन हमेशा उसे झिड़कते रहता है. उसकी कमियाँ निकालते रहता है, जैसे उसमें कोई अक्ल ही न हो. तो वह भी कब तक उसे बर्दाश्त करे भला ? सो निकल जाता है उसके भी मुझ से उल्टा-पुल्टा बात और इसी बात पर दोनों में लड़ाइयाँ शुरू हो जाती.शादी से पहले रचना को नहीं पता था कि अमन इतना शुष्क इंसान होगा.एक पत्नी अपने पति से क्या चाहती है ? प्यार के दो बोल ही न? झूठी ही सही, पर क्या वह रचना की तारीफ नहीं कर सकता जैसे पहले किया करता था ? ये बात तो विश्व प्रचलित है की तारीफ सुनना ब्रह्मांड की सभी स्त्रियॉं को पसंद है, तो अगर रचना ने ऐसा चाह लिया, तो क्या गलत हो गया?

रिश्ते के शुरुआती दिनों में हर वक़्त अमन  रचना की तारीफ किया करता था. जताता था कि वह बेहद खूबसूरत है, प्यारी है और वही उसके सपनों की रानी है. कहता अमन,‘ रचना, तुम्हारी आँखें बहुत खूबसूरत है.  तुम्हारे घने बालों में घिरे रहना चाहता हूँ हरदम.  उसकी बातों पर रचना इठला पड़ती. अच्छा लगता था उसे अपनी तारीफ़ें सुनना. लेकिन यही सब बातें अब अमन को बकवास लगने लगी है.  लेकिन वहीं जब कोई और रचना की खूबसूरती की तारीफ़ें करता है तो कैसे वह जल-भून जाता है और रचना से लड़ाई करने लगता है. जैसे रचना ने ही उसे उकसाया हो अपनी तारीफ़ें करने को.‘और क्यों न करें कोई उसकी तारीफ, जब सामने वाला इस काबिल हो तो’ रचना की इस बात पर वह और तिलमिला जाता है और पूरी रात उससे झगड़ता रहता है.शिखर, कहता है,‘ रचना अपनी उज्जवल मुस्कान से कैसे उसके दिन बना देती हैं.  और अमन कहता है, वह अपनी बातों से उसका दिन खराब कर देती है, इसलिए वह जानबूझकर ऑफिस से घर देर से आता है. लेकिन क्या वह जानती नहीं कि वह ऑफिस से घर देर से क्यों आता है ? क्योंकि वहाँ वह किंजल मैडम जो हैं उनकी, जिसके साथ वह उठता-बैठता, बोलता-हंसता, खाता-पीता हैं. घर आकर भी वह उससे ही बातें करता रहता है फोन पर. जैसे घर में कोई हो ही न. फिर शादी ही क्यों की उसने ? कर लेता उसी किंजल से.  क्या जरूरत थी रचना की ज़िंदगी बर्बाद करने की ? वह भी बेचारी किससे बात करे ? कोई है क्या यहाँ अपना ?  इस कोरोना की वजह से तो किसी दोस्त के घर भी नहीं जा सकती वह, फिर क्या करे, पागल हो जाए ? लेकिन अमन को यह बात समझ ही नहीं आती.  लगें रहते हैं अपने दोस्तों से बातें करने में. नहीं सोचते है कि रचना अकेला महसूस करती होगी.  तो ठीक है न,अब मिल गया है उसे भी एक नया दोस्त.  खुश है वह अब अपने नए दोस्त के साथ.   कोई परवाह नहीं उसे भी,की वह उसे वक़्त दे, की न दे.

शिखर भी अपनी बड़बोली पत्नी से परेशान रहता है. दिन भर बकर-बकर करती रहती है, कुछ बोलो तो लड़ने लग जाती है. शिखर के माँ-बाप ने पैसो की लालच में उसकी शादी एक ऐसी लड़की से कर दी, जो कहीं से भी उसके लायक नहीं है. लेकिन क्या करें, निभाना तो है. यह सोचकर शिखर चुप रह जाता है. लेकिन जब से रचना उसकी ज़िंदगी में आई है, उसे अपनी ज़िंदगी से प्यार होने लगा है.इधर से रचना को हमेशा खुश और हँसते-मुसकुराते देख अमन चिढ़ने लगा है और उधर शिखर को गुनगुनाते देख उसकी पत्नी ‘चुचु-चीची करती रहती है,लेकिन कोई परवाह नहीं उन्हें किसी के चिढ़ने-रूठने से.

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अमन को ऑफिस भेजकर जैसे ही रचना ऑफिस जाने के लिए घर से निकली, शिखर ने अपनी गाड़ी उसके सामने रोक दिया और खींच कर उसे अंदर बैठा लिया. हक्की-बक्की सी रचना उसे देखती रहा गई. वह अभी कुछ बोलती ही कि शिखर ने उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी और गाना लगा दिया.‘बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ………बैठ मेरे पास………..न तू कुछ कहे न मैं कुछ कहूँ…….. बैठ मेरे पास’  अचानक से माहौल एकदम रोमांटिक हो गया.  दोनों को लगने लगा,वक़्त यही ठहर जाए, आगे बढ़े ही न.  दोनों एकदूसरे की आँखों में झाँक रहे थे.  वह मंजर किसी फिल्म का भले लग रहा हो पर दोनों इस तजुर्बे से गुजर रहे थे.  उनकी नजरें चार हो रही थी और आसपास के माहौल धुंधले.

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