प्लास्टिक के डिब्बों को साफ करने का ये है सबसे आसान तरीका

आज के समय में लोगों के रहन-सहन बदल चुका है. ज्यादातर लोग प्लास्ट‍िक के कंटेनर और टिफिन का ही इस्तेमाल करते हैं. एक ओर जहां इन प्लास्ट‍िक के कंटेनर्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना अपेक्षाकृत आसान है वहीं इन्हें आसानी से साफ भी किया जा सकता है. साथ ही साथ ये माइक्रोवेव फ्रेंडली भी होते हैं.

विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्ट‍िक के कंटेनर्स का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन जब प्लास्ट‍िक का रंग बदलना शुरू हो जाए उसे बदल देना चाहिए. ये वो पहला संकेत है जिसे देखकर आपको ये समझ लेना चाहिए कि कंटेनर बदलने का समय हो गया है. इसके साथ ही अगर कंटेनर में रखा खाना कुछ ही देर में बदबू देने लगे या फिर कंटेनर से ही बदबू आने लगे तो उसे फेंक देना ही बेहतर होगा.

एक ओर जहां हर चीज की तरह प्लास्ट‍िक कंटेनर्स के इस्तेमाल की भी एक समय-सीमा होती है वहीं ये भी सुनिश्च‍ित करना जरूरी है कि आप उनकी सही से सफाई करें. अगर आप प्लास्ट‍िक के कंटेनर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको उनकी देखरेख का सही तरीका भी पता होना चाहिए. ऐसा करने से आपके कंटेनर लंबे समय तक आपके साथ रहेंगे.

इन तरीकों को अपनाकर आप अपने प्लास्ट‍िक कंटेनर्स को लंबे समय तक खराब होने से बचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- हर महिला के स्मार्टफोन में होनी चाहिए ये 5 ऐप्स, जानें क्यों

प्लास्ट‍िक कंटेनर की बदबू

अगर आपको लग रहा है कि आपके कंटेनर से प्लास्ट‍िक की बदबू आ रही है तो एक बाल्टी में गर्म पानी भर लीजिए. इसमें तीन चम्मच बेकिंग सोडा डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए. अपने कंटेनर्स को बाल्टी में भरे पानी में डाल दीजिए.

ये जांच लीजिए कि कंटेनर्स अच्छी तरह से पानी में डूब जाएं. कंटेनर्स को लगभग आधे घंटे के लिए पानी में डुबोकर ही रखें. आधे घंटे बाद उन्हें बाहर निकालकर साफ पानी से धो लें. बावजूद इसके अगर कंटेनर्स में बदबू रह गई हो तो आप ये दूसरा तरीका अपना सकते हैं.

एक बाल्टी गर्म पानी लेकर उसमें दो नींबू का रस और सिरका मिला लें. अपने प्लास्ट‍िक कंटेनर्स को इस घोल में डाल दें. 10 मिनट बाद कंटेनर्स को बाहर निकालकर सुखा लीजिए.

खाने-पीने की दुर्गंध

अगर आपके प्लास्ट‍िक कंटेनर से खाने-पीने की चीजों की गंध आ रही है तो सबसे बेहतर होगा कि आप लिक्विड क्लोरीन ब्लीच का इस्तेमाल करें. आप इस घोल में कंटेनर को डुबोकर कुछ देर के लिए छोड़ दीजिए. इससे कंटेनर पर लगे दाग भी दूर हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें- Bedroom से लेकर Garden तक कुछ ऐसा है सोनम कपूर अहूजा का ससुराल, Photos Viral

आप चाहें तो गर्म पानी में सर्फ डालकर भी अपने प्लास्ट‍िक कंटेनर को साफ कर सकते हैं. आपके कंटेनर से बदबू न आए तो कोशिश कीजिए कि आप उनमें बहुत लंबे समय तक खाना बंद करके न रखें.

एक मीटर दूरी कोरोना की रोकथाम, लौकडाउन से जानमाल का नुकसान

भारत में नोवल कोरोनावायरस के संक्रमण का पहला मरीज 30 जनवरी को पता चला. 54 दिनों तक सरकार ने सीरियस जागरूकता अभियान नहीं चलाया. बस, 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ लगाया था. फिर अचानक, 24 मार्च को घोषणा कर रात 12बजे से देशव्यापी लौकडाउन थोप दिया.

संदेह नहीं है कि कोरोना चिंता का विषय है, लेकिन क्या यह ख़तरा इतना बड़ा है कि 135 करोड़ आबादी वाले देश में देशव्यापी लौकडाउन को सही ठहराया जाए? भारत में लोग विभिन्न बीमारियों से भी तो मर रहे हैं.

जब रोज यह कहा जाता है कि भारत में कोरोना के चलते अब तक (…….) लोगों की मृत्यु हो चुकी है, तो यह क्यों नहीं बताया जाता कि इसी समयावधि में टी.बी., फ्लू, मलेरिया, डेंगू, मधुमेह, दिल का दौरा व दूसरी कई चिकित्सा समस्याओं से कितने भारतीयों की मृत्यु हुई?

सवाल यह भी, क्या कोई गणना की गई है कि कितने लोग (मज़दूर, प्रवासी वगैरह) भूख, क्षमता से कहीं अधिक पैदल चलने, रास्ते में बीमार होने और सड़क व ट्रेन हादसों से मरेंगे क्योंकि बिना योजना के थोपे गए लौकडाउन ने उन्हें उनकी आजीविका से वंचित कर दिया है? यदि यह संख्या कोरोना के कारण होने वाली मौतों से अधिक है, तो क्या लौकडाउन उचित है?

ये भी पढ़ें- माइग्रेंट वर्कर्स ही चमकाते है, अर्थव्यवस्था को – शांति सिंह चौहान

कोरोना से संक्रमित होने वाले कितने प्रतिशत लोग इससे मर जाते हैं, और कितने ठीक हो जाते हैं? यदि केवल 2 फीसदी संक्रमित ही हैं जो इससे मर जाते हैं और बाक़ी ठीक हो जाते हैं, जैसा कि एक रिपोर्ट में कहा गया है, तो क्या लौकडाउन उचित है?

भारत में मृत्युदर लगभग 3 प्रतिशत है और स्वस्थ होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, देश में कोरोना वायरस के मामलों में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा रहा है और इससे संक्रमित होने वालों का आंकड़ा 1 लाख पार कर गया है. राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के संक्रमण की गति बढ़ती जा रही है.

लौकडाउन थोपे जाने के साथ ही प्रवासी मज़दूर काम ठप हो जाने और बुनियादी चीज़ें नहीं मिलने की दिक्क़तों से जूझ रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि भूख, बीमारी, ज़्यादा पैदल चलने की वजह से और सड़क हादसों में हजारों मज़दूर मर गए हैं और यह क्रम जारी है. हालांकि, इन गरीबों, बेसहारों के मरने की सही तादाद न तो केंद्र सरकार बताएगी और न ही राज्य सरकारें, क्योंकि इस पर उन्हें निकम्मा जो ठहराया जाएगा.

वहीं, यह नामुमकिन है कि सरकार के पास बड़े शहरों में मौजूद प्रवासी मज़दूरों की आबादी के बारे में आंकड़े न हों.

लौकडाउन को लेकर दूसरे देशों से तुलना करें तो भले ही वहां मैडिकल सुविधाओं, टैस्टिंग किट्स की कमी या दूसरी दिक्क़तें होंगी लेकिन उनके यहां भारत जैसी प्रवासी मज़दूरों की बड़ी तादाद नहीं है. हमारे शहरों में ऐसा एक बड़ा तबका है जो रोज़ाना की मज़दूरी पर जीवनयापन करता है.

2017 के इकोनौमिक सर्वे में कहा गया है कि 2011 से 2016 के बीच क़रीब 90 लाख लोग एक राज्य से दूसरे राज्य पैसे कमाने के लिए गए.

2011 की जनगणना के मुताबिक़, देश के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले प्रवासी मज़दूरों की संख्या क़रीब 1.39 करोड़ है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाले स्वायत्त संस्थान इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट औफ़ पौपुलेशन साइंसेज़ के मुताबिक़, प्रवासी मज़दूरों को सबसे ज़्यादा रोज़गार कंस्ट्रक्शन सैक्टर देता है. इसमें क़रीब 4 करोड़ मज़दूर लगे हुए हैं.

इसके बाद घरेलू कामकाज में क़रीब 2 करोड़ मज़दूर (आदमी-औरतें) काम करते हैं. टैक्सटाइल में यह आंकड़ा 1.1 करोड़ है जबकि ईंटभट्ठे के काम से एक करोड़ लोगों को नौकरी मिलती है.

इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन, खनन और खेतीबाड़ी में भी बड़ी तादाद में प्रवासी मज़दूर लगे हुए हैं.

पीएम मोदी की अचानक लौकडाउन घोषणा की तुलना 2016 की नोटबंदी से की जा रही है. तब अचानक से प्रधानमंत्री ने देश की 80 फ़ीसदी करेंसी को अमान्य बना दिया था और तब भी देशभर में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी.

बिना लौकडाउन के कोरोना कंट्रोल :

दक्षिण कोरिया अपने यहां कोविड-19 महामारी की चपेट में आने वालों की संख्या को कम करने में सफल रहा है और इसकी वजह ज़्यादा से ज़्यादा टैस्टिंग करना रही है, साथ ही, एक मीटर की सामाजिक दूरी बनाए रखने और हाथों को धोने या सैनिटाइज करने पर वहां जोर दिया गया.

यहां तक कि वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन यानी (डब्ल्यूएचओ) लगातार इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि इस महामारी को रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग व हाथों को सैनिटाइज करने के साथ सबसे अहम टैस्टिंग है.

लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति से तो यही समझ आता है कि भारत ने तो सिर्फ़ यही सबक लिया है कि सामाजिक दूरी और लौकडाउन के ज़रिए ही वायरस की चेन को तोड़ा जा सकता है. जबकि, मोदी की यह रणनीति फेल हो गई है.

लौकडाउन का उद्देश्य था कि लोगों को समूहों में जमा होने से रोका जा सके, लेकिन लाखों प्रवासी पैदल समूहों में पैदल चलते दिखे. सरकार और सिस्टम की आलोचना शुरू हुई तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दिल्ली में बसें भेज दीं और ये बसों में एकसाथ बैठकर गए. ऐसे में लौकडाउन को लेकर सोशल डिस्टेंस बनाए रखने का मामला भी ध्वस्त होता दिखा.

ये अपने गांव गए लेकिन गृहराज्य की सरकारों ने इनके साथ क्या सुलूक किया, यह भी जगज़ाहिर है. इन्हें क्वारंटीन में रहने की बात कही गई, लेकिन वहां बुनियादी सुविधाएं तक मुहैया नहीं थीं.

मालूम हो कि मार्च में वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन ने ऐलान किया कि कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है. इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और सेल्फआइसोलेशन को अपनाने की बात कही गई ताकि इसे फैलने से रोका जा सके.

हालांकि, इस मामले में दक्षिण कोरिया एक अपवाद रहा, जिसने बड़े पैमाने पर टैस्टिंग का सहारा लिया और कोरोना की चेन को तोड़ने में सफल रहा. दक्षिण कोरिया ने लौकडाउन जैसे कड़े उपायों को नहीं अपनाया.

ये भी पढ़ें- वर्चुअल वैडिंग : दकियानुसी परंपराओं का दौर खत्म

भारत में प्रधानमंत्री के कोविड-19 राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्यों के हवाले से एक न्यूज वैबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लौकडाउन अवैज्ञानिक तरीके से लागू किया गया.

“मेरे दिमाग में इसे लेकर कोई संदेह नहीं है कि लौकडाउन विफल हो गया है,” कार्यबल के एक महामारीविद सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर उक्त वैबसाइट को बताया, “शारीरिक दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना और हाथ साफ करना कारगर है. अभी तक ऐसे सुबूत नहीं मिले हैं जो यह बताते हों कि लौकडाउन से संक्रमण कम फैलता है.”

भारत सरकार के एजेंडे में बड़े पैमाने पर टैस्टिंग करना शामिल नहीं है. सरकार ने कहा है कि वह रैंडम सैंपलिंग करेगी. सिस्टमेटिक टैस्टिंग की ग़ैरमौजूदगी में यह नहीं पता चल पा रहा है कि यह महामारी कहां तक फैली है.

देश में केवल उन लोगों की टेस्टिंग की जा रही है जो कि या तो इस महामारी से प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे हैं या कोविड-19 के मरीजों के संपर्क‌ में आए हैं. इस बीच, आईसीएमआर ने सरकार को सलाह दी है कि टैस्टिंग क्राइटेरिया में लक्षणों के आधार पर हैल्थकेयर वर्कर्स और हाईरिस्क लोगों को भी शामिल किया जा सकता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, डब्ल्यूएचओ की हर 1,000 लोगों पर एक डाक्टर की सिफ़ारिश के उलट भारत में हर 10,000 लोगों पर एक डाक्टर है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत के पब्लिक सैक्टर के पास केवल 8,432 वैंटिलेटर हैं जबकि प्राइवेट सैक्टर के पास 40,000 वैंटिलेटर हैं. टाटा मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, हुंदई मोटर इंडिया, होंडा कार्स इंडिया और मारुति सुज़ुकी इंडिया से सरकार ने वैंटिलेटर बनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा है.

बता दें कि वैंटिलेटरों की ज़रूरत कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को लाइफ सपोर्ट देने में पड़ती है. एक्सपर्ट्स कह चुके हैं कि भारत को देश में वैंटिलेटरों की मौजूदा संख्या के मुक़ाबले 8-10 गुना ज्यादा तक वैंटिलेटरों की ज़रूरत पड़ेगी.

साफ है कि देश पर थोपे गए लौकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई, व्यापार बड़े घाटे में फंस गए, कितने ही लोग बेरोज़गार हो गए, हजारों गरीब-मजदूर मौत के गाल में समा गए. जबकि, कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. सो, बेहतर यह है कि इंसान से इंसान की एक मीटर दूरी रहने के साथ हाथ धोने/सैनिटाइज करने और मास्क पहनने को जारी रखकर नोवल कोरोनावायरस से जंग जीती जाए.

आखिर अच्छे लोग ही क्यों हमेशा रिश्तों में मात खाते हैं, जानें 5 कारण

एक बहुत अच्छे साइकायट्रिस्ट और लेखक ने कहा है कि दुनिया का सबसे खूबसूरत इंसान वह होता है जिसने हार,  मुश्किलें,  संघर्ष,  हानि और पीड़ा आदि सबको करीब से जाना है और फिर भी गहराई से बाहर निकलने के लिये रास्ता बनाया हो. इन लोगों में प्रशंसा,  नम्रता, संवेदनशीलता और जीवन को जीने की एक समझ होती है. वो लोग हर दिन अपनी जिंदगी एक नई लड़ाई के साथ शुरू करते हैं लेकिन फिर भी कभी शिकायत नहीं करते. अच्छे इंसान जन्म से ही अच्छे हो ऐसा नहीं है, उन्हें जिंदगी के उतार-चढ़ाव ऐसा बना देते हैं. अच्छे इंसान बाकी लोगों की जिंदगी में रोशनी लाते हैं क्योंकि वे खुद अंधेरों का मतलब समझते हैं. अक्सर ऐसा होता है कि जो इंसान अच्छे होते हैं, हमेशा दूसरों के बारे में सोचते हैं, लेकिन उन्हें ही सबसे ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़ती हैं. आखिर क्यों होता है ऐसा चलिए जानते हैं.

1. किस्मत की मार…

बहुत बार अच्छे लोग किस्मत के सामने हार जाते हैं. वो जो चाहते हैं उन्हें कभी नहीं मिलता. हालांकि, वो परेशानियों से लड़ना जानते हैं. सफलता कैसे मिलनी है उन्हें पता हैं और इस तरह की परेशानी से निकलना भी जानते हैं लेकिन उनकी भावनाएं कोई समझ नहीं पाता. उनमें ये हुनर होता है कि वे कुछ भी ना होने का बहाना नहीं बनाते बल्कि जो है उसका सम्मान करते हैं और इसलिए वो रास्ते बनने का इंतजार नहीं करते, बल्कि रास्ते बना लेते हैं.

ये भी पढ़ें- क्या आप की दोस्ती खतरे में है

2. उन्हें ‘ना’ बोलना नहीं आता है…

अच्छे इंसान आपको कभी किसी चीज़ के लिए ना नहीं बोलते हैं. चाहे उसके लिये उन्हें कितनी भी मेहनत करनी पड़े. वे हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं. इसी कारण लोग उनसे काम निकलवाने के लिये सोचते हैं. आप चाहे उनके काम आएं या न आएं वो आपके काम जरूर आते हैं. इससे ये होता है कि वो खुद भी कभी-कभी मुसीबत में पड़ जाते हैं.

3. किसी पर भी जल्दी भरोसा कर लेना…

जो इंसान किसी पर भी जल्दी भरोसा कर लेते हैं उन्हें हमेशा लोगों से धोखा ही मिलता है मगर फिर भी वो आपको धोखा देने के बारे में नहीं सोचते हैं. बल्कि धोखे के बावजूद भी वो आपकी हमेशा मदद करते हैं इसलिए आज के जमाने में इंसान को आंख बंद करके किसी पर भी भरोसा नहीं करनी चाहिए. वरना उन्हें दुख के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा.

4. दूसरों को कभी दुख नहीं पहुंचाते…

अच्छे लोग दुख का मतलब जानते हैं इसलिए वो सोचते हैं कि कभी किसी को हर्ट ना करें हालांकि उनके लिए भी लोग यही सोचे ऐसा जरुरी नहीं होता है. जो लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, वो दूसरो को हर्ट करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं. जो इंसान अच्छे होते हैं वो इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं की उनकी किसी बात का लोगों को बुरा न लग जाए. साफ दिल के इंसान अपनी खुशी से पहले दूसरों की खुशी के बारे में सोचते हैं. अपनी जरूरतों को पूरा करने से पहले दूसरों की जरूरतों को पूरा करते हैं. अच्छे इंसान हमेशा आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देते हैं.

5. अपनी भावनाओं को नहीं दिखाना…

जो अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचते हैं वो इंसान कभी भी अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी भावनाओं से शायद कोई परेशान न हो जाए या अपनी परेशानी से दूसरों को और परेशान नहीं करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- लौकडाउन में रिलेशनशिप की सच्चाई

#coronavirus: सितम्बर में डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाली थीं ये एक्ट्रेस, पढ़ें पूरी खबर

कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण टीवी से लेकर बौलीवुड के कई स्टार्स की शादी 2020 में टल गई हैं. वहीं अब एक्ट्रेस शमा सिकंदर (Shama Sikander) ने भी अपनी शादी की डेट पोस्टपोन कर दी है. हाल ही में एक इंटरव्यू में शमा सिकंदर ने अपने होने वाले पति के बारे में बताते हुए शादी के प्लान्स का भी खुलासा किया है. आइए आपके बताते हैं क्या कहना है शमा सिकंदर का…

डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाली थीं शमा

शमा सिकंदर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया है कि, ‘हम सितम्बर में डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाले थे और वेन्यू से लेकर लगभग हर एक चीज फाइनल भी हो गई थी. हम सारी चीजों के साथ तैयार ही थे कि फिर कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी. हम दोनों का परिवार तैयारियों में जुटा हुआ था. जेम्स का परिवार ट्रैवल नहीं करता है तो उनके पास पासपोर्ट नहीं था. हमने उन्हें जल्द से जल्द पेपरवर्क को पूरा करने के लिए कहा था. खैर, अभी हमारा सारा प्लान होल्ड पर है क्योंकि इस समय ट्रैवल करना ठीक नहीं है.’

ये भी पढ़ें- Bigg Boss फेम Shehnaaz Gill के पिता पर लगा यौन उत्पीड़न का आरोप, जानें पूरा मामला

लोगों की मदद कर रही हैं शमा

शमा सिकंदर ने आगे कहा है कि, ‘कोविड-19 के चलते हमारी जिंदगी में काफी बदलाव आ चुका है. हम इस वायरस से प्रभावित लोगों की मदद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. इससे हमें अंदरुनी खुशी मिल रही है और शादी का क्या है वो तो कभी भी हो सकती है.’ वहीं शमा सिकंदर इस समय मुंबई में अपने मंगेतर जेम्स मिलिरॉन के साथ ही हैं और क्वौलिटी टाइम बिता रही हैं. वहीं इस खास समय को लेकर उनका कहना है कि ‘मैं इमेजिन कर सकती हूं कि इस समय जो लोग अकेले है, उन पर क्या बीत रही होगी. मैं खुश हूं कि इस मुश्किल हालात में जेम्स मेरे साथ है. एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथ-साथ हम जिंदगी को नई तरह से जीना भी सीख रहे हैं.’

बता दें, एक्ट्रेस शमा सिकंदर कई सालों से यूएस बेस्ड बिजनेसमैन जेम्स मिलिरॉन को डेट कर रही हैं. वहीं साल 2016 में ही शमा सिकंदर और जेम्स ने सगाई कर ली थी,  जिसके बाद अब उनका शादी का प्लान था.

ये भी पढ़ें- Dipika Kakar के धर्म पर उठे सवाल, पति Shoaib Ibrahim ने दिया ये करारा

Beauty Tips: हर स्किन प्रौब्लम को दूर करने के लिए ट्राय करें उड़द दाल के ये 4 फेस पैक

अगर कोई एक चीज है जिसकी हर कोई इच्छा करता है, तो वह है साफ, मुंहासे रहित और चमकती स्किन. हम सभी ग्लोइंग और निखरी स्किन चाहते हैं. लेकिन हम चाह के भी अपनी  स्किन का उतना खयाल नहीं रख पाते. इसके लिए सबकी अपनी-अपनी वजहें हो सकती हैं…

हममे से अधिकतर लोग महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने में विश्वास करते है.ब्यूटी ट्रीटमेंट के नाम पर हम खूब पैसा भी लगा देते हैं, लेकिन कुछ समय बात स्किन का वही हाल होता है. लेकिन हम आपको बता रहे हैं ऐसे kitchen ingredient के बारे में जो हर घर में मिलता है और आपकी स्किन को दे सकता है नया ग्लो…

हम बात कर रहें उड़द की दाल की. जी हां,. उड़द की दाल आपकी स्किन के लिए कई कमाल कर सकती है. यह आपकी स्किन से जुड़ी कई समस्याओं का हल निकाल सकती है और स्किन को चमकदार, मुलायम और कोमल बनाती  है.

आइये जानते है की  ये हमारी स्किन से जुड़ी किन समस्याओं से निजात दिलाती है,और इसका उपयोग कैसे किया जाता है?

(a) मुहांसों को दूर करने के लिए-

उड़द दाल एक प्राकृतिक एंटिसेप्टिक है. जो मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से छुटकारा पाने में मदद करते हैं.यह स्किन से एक्स्ट्रा oil भी दूर करता है और पोर्स को साफ करता है.

आइये जानते है मुहांसों को दूर करने के लिए उरद की दाल का फेस पैक कैसे बनाये-

ये भी पढ़ें- 7 ब्यूटी हैक्स : सुबह समय बचाने में करें मदद

हमें चाहिए –

आधा कप उड़द की दाल

गुलाब जल-2 चम्मच

ग्लिसरीन-2  चम्मच

बादाम का तेल-2 चम्मच

बनाने का तरीका-

1-आधा कप उड़द की दाल को पूरी रात के लिए पानी में रख दें. सुबह इसका पेस्ट बना लें.

2-अब इस पेस्ट में 2-2 चम्मच गुलाबजल और ग्लिसरीन मिला कर तैयार करें. अब इसमें दो चम्मच बादाम का तेल मिलाएं.

3-इस पेस्ट को अपने चेहरे पर करीब 15 से 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. फिर  ठंडे पानी से धो लें.

4-बेहतर नतीजों के लिए हफ्ते में ये 3 से 4 बार लगायें.

(b) tanning और सनबर्न को ठीक करे-

उड़द की दाल में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और यह टैन से छुटकारा पाने और एक ही समय में स्किन को फिर से बनाने में मदद करता है.उड़द की दाल में कूलिंग इफेक्ट भी होते हैं जो सनबर्न को ठीक करने में मददगार हैं.

आइये जानते है tanning और सनबर्न को ठीक करने के लिए उरद की दाल का फेस पैक कैसे बनाये-

हमें चाहिए

उड़द दाल -1/4 कप

दही-2 चम्मच

बनाने का तरीका-

1 -एक चौथाई कप उड़द की दाल पूरी रात के लिए पानी में रख दें. सुबह इसका पेस्ट बना लें.

2-अब इसमें तीन चम्मच दही मिलाकर पेस्ट को तैयार करें.

3-इस पेस्ट को अपने चेहरे और उन हिस्सों पर लगाएं जहां सनबर्न या टैनिंग हो .

4-करीब 15 से 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें. बाद में ठंडे पानी से धो लें.

5-बेहतर नतीजों के लिए हफ्ते में 3 से 4 बार इस पैक का इस्तेमाल करें .

(c) चेहरे के अनचाहे बालों को हटाये-

उड़द की दाल के फेस पैक से चेहरे के अनचाहे बालों को भी हटाया जा सकता है .

आइये जानते है चेहरे से अनचाहे बालों को हटाने  के लिए उरद की दाल का फेस पैक कैसे बनाये-

ये  भी पढ़ें- चुकंदर के ये टिप्स देंगे स्किन प्रौब्लम से छुटकारा

हमें चाहिए-

उड़द दाल -1/4 कप

संतरे का रस -2 चम्मच

चन्दन पाउडर-2 चम्मच

गुलाब जल या दूध -2 चम्मच

बनाने का तरीका

1–एक चौथाई कप उड़द की दाल पूरी रात के लिए पानी में रख दें. सुबह इसका पेस्ट बना लें.

2-अब इसमें 2 चम्मच संतरे का रस और 2 चम्मच चन्दन पाउडर मिलकर पेस्ट तैयार कर लें.इस पेस्ट में आप गुलाब जल या दूध भी मिक्स कर सकते है.

3-अब इस फेस पैक को चेहरे पर लगाकर 10 मिनट के लिए छोड़ दें.10 मिनट बाद चेहरे को ठन्डे पानी से धो लें.

(d) दाग धब्बे दूर करने के लिए-

उड़द की दल चेहरे पर उभर आए दाग धब्बों को दूर करने में भी मददगार है.

आइये जानते है दाग धब्बे दूर करने के लिए उरद की दाल का फेस पैक कैसे बनाये-

हमें चाहिए-

1/4 कप- उड़द की दाल

1/2 चम्मच -चावल पाउडर

1 चम्मच- नींबू का रस

बनाने का तरीका-

1-एक चौथाई कप उड़द की दाल पूरी रात के लिए पानी में रख दें. सुबह इसका पेस्ट बना लें.

2-अब इसमें 1/2 चम्मच चावल पाउडर डालें और मिलाकर पेस्ट को तैयार करें.

3-अब इसमें 1 चम्मच  नींबू का रस डालें.

4-इस पेस्ट को अपने चेहरे पर करीब 15 से 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें.अब चेहरे को ठंडे पानी से धो लें.

क्या आप की दोस्ती खतरे में है

संभव है कि किन्हीं कारणों से आप की दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गई हो. आप के दोस्त के बरताव में आप कुछ बदलाव महसूस कर सकते हैं या आप में उस की दिलचस्पी अब न रही हो या कम हो गई हो. कुछ संकेतों से आप पता लगा सकते हैं कि अब यह दोस्ती ज्यादा दिन निभने वाली नहीं है और बेहतर है कि इस दोस्ती को भूल जाएं.

1. दोस्ती एकतरफा रह गई है

दोस्ती नौर्मल हो, प्लुटोनिक या रोमांटिक, किसी तरह की भी दोस्ती एकतरफा नहीं निभ सकती है. अगर आप का पार्टनर आप की दोस्ती का उत्तर नहीं दे रहा है तो इस का मतलब है कि उस की दिलचस्पी आप में नहीं रही. इस दोस्त को गुड बाय कहें.

2. आप के राज को राज न रखता हो

आप अपने फ्रैंड पर पूरा भरोसा कर उस से सभी बातें शेयर करते हों और उस से यह अपेक्षा करते हों कि वह आप के राज को किसी और को नहीं बताए पर यदि वह आप के राज को राज न रहने दे तो ऐसी दोस्ती से तोबा करें.

ये भी पढ़ें- लौकडाउन में रिलेशनशिप की सच्चाई

3. विश्वासघात

विश्वास मित्रता का स्तंभ है. कभी दोस्त की छोटीमोटी विश्वासघात की घटनाओं से आप आहत हो सकते हैं पर उसे विश्वास प्राप्त करने का एक और मौका दे सकते हैं. पर यदि वह जानबूझ कर चोरी करे, आप के निकटतम संबंधी या प्रेमी या प्रेमिका के मन में आप के विरुद्ध झूठी बातों से घृणा पैदा करे तो समझ लें अब और नहीं, बस, बहुत हुआ.

4. लंबी जुदाई

कभी आप घनिष्ठ मित्र रहे होंगे. ट्रांसफर या किसी अन्य कारण से आप का दोस्त बहुत दूर चला गया है और संभव है कि आप दोनों में पहले वाली समानता न रही हो. आप के प्रयास के बावजूद आप को समुचित उत्तर न मिले तो समझ लें अब वह आप में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे अलविदा कहने का समय आ गया है.

5. अगर वह आप के न कहने से आक्रामक हो

कभी ऐसा भी मौका आ सकता है जब आप उस की किसी बात या मांग से सहमत न हों और उसे ठुकरा दें. जैसे किसी झूठे मुकदमे में आप को अपने पक्ष से सहमत होने को कहे या झूठी गवाही देने को कहे और आप न कह दें. ऐसे में अगर वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आक्रामक रुख अपनाता है तो समझ लें कि इस दोस्ती से ब्रेक का समय आ गया है.

6. आपसी भावनाओं का सम्मान

मित्रता बनी रहे. इस के लिए जरूरी है कि दोनों भावनाओं का सम्मान करें. अगर आप की भावनाओं का सम्मान दूसरा मित्र न करे या आप की भावनाओं का निरादर कर लोगों के बीच उस का मजाक बनाए या अवांछित सीन पैदा करे तो समझ लें कि अब यह दोस्ती निभने वाली नहीं है.

7. जब आप की चिंता की अनदेखी करे

दोस्ती में जरूरी है कि दोनों एकदूसरे की चिंताओं या समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और उन के समाधान में अपने पार्टनर की सहायता करें. अगर आप की मित्रता में ऐसी बात नहीं है तो फिर यह अच्छा संकेत नहीं है.

ये भी पढ़ें- कैसे जानें बच्चा अंतर्मुखी है या शर्मीला

8. आप को नीचा दिखाने की कोशिश न हो 

कभी अन्य लोगों के बीच अगर आप का दोस्त आप को नीचा दिखा कर आप में हीनभावना पैदा करे या करने की कोशिश करे तो यह दोस्त दोस्ती के लायक नहीं रहा.

9. दोस्त से मिल कर कहीं आप नाखुश तो नहीं हैं

अकसर आप दोस्तों से मिल कर खुश होते हैं. अगर किसी दोस्त से मिलने के बाद आप प्रसन्न न हों और बारबार दुखी हो कर लौटते हैं, तो कट इट आउट.

ट्रैंड न बन जाए ट्रैश

लगभग हर दिन एक नया ट्रैंड आता है और लड़कियां अपना वार्डरोब नए ट्रैंडी कपड़ों से भरना शुरू कर देती हैं. हड़प्पा सभ्यता की बात लगती है जब चंद कपड़ों को ही स्टेटस सिंबल मान कर खुश रहा जाता था. आजकल तो एक से एक टौप, पैंट्स, शूज फैशन में हैं जिन के नाम भी किसी को जल्दी याद न हों, जैसे स्किनी जींस, बेल बौटम्स, बैगी पैंट्स, पंक पैंट्स, पेग लेग पैंट्स, कैमिसोल टौप, कार्डिगन, चोकर टौप, टैंक टौप इत्यादि. यह लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि बढ़ती ही जाती है. पर फैशन का मतलब सिर्फ ट्रैंडी कपड़े पहन लेना ही नहीं है बल्कि सही तरीके से पहनना भी है. बेतरतीब तरीके से पहने गए कपड़े लुक और इम्प्रैशन तो खराब करते ही हैं, कंफर्टेबल भी नहीं होते जिस से हर समय अनईजी फील होता है.

लड़कियों के साथ एक अलग परेशानी यह है कि उन का साइज चार्ट अब बेहद बदल चुका है. मार्केट में जितनी तरह के ब्रैंड्स हैं उतने ही उन के अलगअलग साइज चार्ट हैं. मसलन, यदि एक ब्रैंड का मीडियम साइज आप पहन रहे हैं तो दूसरे ब्रैंड का मीडियम आप को टाइट भी हो सकता है.

इस में एक और मुश्किल यह आती है कि सभी लड़कियां मौल से या औनलाइन साइट्स से शौपिंग नहीं करतीं. वे सरोजिनी या कमला नगर जैसे बड़े बाजारों से तुक्के मार कपड़े ले आती हैं और किसी तरह ऐडजस्ट कर पहन भी लेती हैं. इस एडजस्टमैंट के चलते कभी वे कमर पर लगातार चुभने वाली बैल्ट लगाए रखती हैं तो कभी गले पर कसते हुए स्ट्रैप्स.

सो, यहां कुछ हैक्स दिए जा रहे हैं जिन से आप अपने साइज के सही कपड़े चुन सकती हैं.

1. ब्लेजर

अगर आप अपने ब्लेजर को पहनने के बाद किसी से आसानी से गले न लग सकें तो समझ जाएं कि आप को बड़े साइज के ब्लेजर की जरूरत है. हमेशा ब्लेजर खरीदते समय उसे पहनें और पहन कर गले लगने की कोशिश करें ताकि जिस से आप को अंदाजा हो जाए कि आप का ब्लेजर राइट साइज का है या नहीं.

ये भी पढ़ें- समर में ये फुटवियर्स आएंगे आपके काम

2. शौर्ट्स

शौर्ट्स इस तरह के लें जिन्हें पहनने पर शौर्ट्स का हेम यानी निचला हिस्सा आप की जांघों पर नीचे की तरफ गिर रहा हो न कि ऊपर चढ़ रहा हो. ऊपर चढ़ रहे हेम का मतलब है शौर्ट्स छोटे हैं और आप को उन्हें बदलने की जरूरत है.

3. गैप इन शर्ट

फिटेड बटन अप शर्ट्स डी कप साइज या हैवी ब्रैस्ट गर्ल्स के लिए प्रौब्लम क्रिएट करते हैं. यह शर्ट अगर पूरी तरह से बौडीफिट होगी तो उठनेबैठने पर बटनों के बीच गैप नजर आएगा जो शर्मिंदगी का कारण भी बन सकता है. इसलिए शर्ट्स में एक साइज बड़ा लें जिस से वह चैस्ट पर पूरी तरह चिपके नहीं और उठनेबैठने पर बटनों के बीच गैप न बने. आप चाहें तो शर्ट के सभी बटन खोल कर अच्छे फ्लोविंग सिल्क ब्लाउज या टौप के साथ भी पहन सकती हैं.

4. फुटवियर

एक सर्वे के अनुसार, केवल 28 से 37 फीसदी लोग सही साइज यानी लंबाई व चौड़ाई के शूज पहनते हैं. फुटवियर यदि बहुत पतला या छोटा होगा तो आप के पैर का पूरा प्रैशर आप के पंजों व नाखूनों पर जाएगा. इस से इन्ग्रोन टोनेल्स की परेशानी हो सकती है और पैर इन्फैक्टेड हो सकता है. फुटवियर के गलत साइज के चलते आप गिर सकती हैं, स्थिरता खो सकती हैं, आप के पैर में अनेक तरह के इन्फैक्शन हो सकते हैं और इस से पैर को परमानैंट डैमेज भी हो सकता है. इसलिए फुटवियर लेते समय अपना साइज सही तरह से नापें खासकर औनलाइन शौपिंग करते समय इस का ध्यान रखें.

5. जींस

कई बार लड़कियां जींस ट्राई करने के बाद भी गलत साइज ले आती हैं जो अकसर टाइट निकलती है. इसलिए हमेशा जींस ट्राई करते समय 2 उंगलियां कमर में घुसा कर देखें. यदि वे आसानी से जा रही हैं तो जींस की फिटिंग ठीक है, नहीं तो वह आप को टाइट आएगी और बैठने पर आप के पेट पर कसेगी. जींस खरीदते समय यह भी ध्यान दें कि जींस का साइज उस के टाइप के अनुसार होता है. हाई वैस्ट, मिड वैस्ट और नौर्मल वैस्ट जींस का आप को एक ही साइज नहीं आ सकता. अगर आप का वैस्ट साइज 36 है तो आप का हाई वैस्ट साइज कम ही होगा. तो जींस के मामले में थोड़ा संभल कर ही शौपिंग करें.

ये भी पढ़ें- Alia Bhatt से लेकर Sonam Kapoor तक ये हेयरस्टाइल है समर के लिए परफेक्ट, देखें फोटोज

6. ओवरसाइज्ड

ओवरसाइज्ड कपड़ों को सही तरह से न पहना जाए तो वे फैशन ब्लंडर से ज्यादा कुछ नहीं लगते. इसलिए जब भी ओवरसाइज्ड स्वैटर पहनें तो उस के साथ लैगिंग्स या स्किनी जींस ही पहनें. इसी तरह जब आप पजामा स्टाइल ट्राउजर पहनें तो ऊपर टाइट शर्ट या जैकेट पहनें.

7. लेयर्स

लेयर्स यानी एक के ऊपर एक कई कपड़े साथ पहनना. लेयर्स पहनते समय केयरफुल रहना जरूरी है वरना आप क्लम्जी भी लग सकते हैं. आप को लूज और टाइट लेयर्स के बीच बैलेंस बनाना होता है. अगर किमोनो पहनें तो उस के अंदर टैंक टौप पहनें और इसी तरह लूज टौप के साथ फिट ब्लेजर स्टाइल करें.

8. पैंट्स

जब आप पैंट्स पहनती हैं तो चाहे आप का बौडी टाइप कुछ भी हो, आप की पैंट की पौकेट्स बाहर नहीं लटकनी चाहिए. अगर आप के बैठने से आप की पौकेट्स उलटी हो जाएं, लटक जाएं, उन के अंदर का हिस्सा लटकने लगे तो आप को यह पैंट बदल देनी चाहिए और एक साइज बड़ा लेना चाहिए. आप को लग सकता है कि यह पैंट कमर पर फिट है लेकिन असल में यह आप का परफैक्ट साइज नहीं है, होता तो पौकेट्स आप की जांघों पर सही बैठतीं.

9. बौडीकोन ड्रैस

यह बौडीफिट ड्रैस है जो आप के कर्व्स को कौंप्लीमैंट करती है. लेकिन, अगर बौडीकोन ड्रैस पहनने पर आप को ऐसा लगे कि आप की सांसें चढ़ रही हैं, आप को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और आप का शरीर दबादबा सा लग रहा है तो आप को ड्रैस का साइज बढ़ा लेना चाहिए या इस ड्रैस को नहीं पहनना चाहिए. सैक्सी आप तब लगेंगी जब ड्रैस आप पर सुंदर लगेगी. टाइट ड्रैस में आप टैंस्ड लगेंगी और हो सकता है भद्दी भी लगें.

10. मिक्सिंग प्रिंट्स

प्रिंट्स मिक्स करना फैशनेबल तो है लेकिन अगर प्रिंट्स गलत मैच कर लिए जाएं तो भद्दे भी लग सकते हैं. ऐसे में हमेशा किन्हीं 2-3 प्रिंट्स को स्टाइल करने से पहले औनलाइन सर्च कर लें और तभी पहनें. एक्सपैरिमैंट्स करना अच्छा है, लेकिन ध्यान से.

ये भी पढ़ें- Fashion Tips: कार्गो ट्राउजर में कंफर्ट के साथ दिखें स्टाइलिश

रश्मि देसाई बनीं बार्बी डाल, फैंस कर रहे तारीफ

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक एक्ट्रेस रश्मि देसाई (Rashami Desai) आए दिन सुर्खियों में बनी रहती हैं. वहीं इस बार भी वह सुर्खियों में छाई हुई हैं, लेकिन इस बार उनका बार्बी लुक फैंस के बीच काफी वायरल हो रहा है. हाल ही में रश्मि देसाई (Rashami Desai) की कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जो फैंस को काफी पसंद आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं रश्मि देसाई की वायरल फोटोज…

खूबसूरत लुक में नजर आईं रश्मि देसाई

रश्मि देसाई (Rashami Desai) की वायरल फोटोज में खूबसूरत सी ट्यूब ड्रेस में नजर आ रही हैं. इस सफेद रंग की ड्रेस में रश्मि देसाई इतनी खूबसूरत लग रही हैं कि फैंस उनकी तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं. इन फोटोज को शेयर करते हुए रश्मि देसाई ने कैप्शन में लिखा है कि, ‘अपने मजबूत पंखों से वो उड़ती है….’ इस तस्वीर को रश्मि देसाई ने #ItsAllMagical और #IAmMagic हैशटैग के साथ शेयर किया है.

 

View this post on Instagram

 

With brave wings she flies 🤍💝 #ItsAllMagical💫 #IAmMagic🧚🏻‍♀️ #RhythmicRashami💃🏻 #RashamiDesai 💝

A post shared by Rashami Desai (@imrashamidesai) on

रश्मि देसाई का दिखा कॉन्फिडेंस

 

View this post on Instagram

 

– S M I L E – #ItsAllMagical💫 #IAmMagic🧚🏻‍♀️ #RhythmicRashami💃🏻 #RashamiDesai 💝

A post shared by Rashami Desai (@imrashamidesai) on


रश्मि देसाई इससे पहले भी कई खूबसूरत ड्रेसेस में फोटोशूट करवा चुकी हैं और हर एक ड्रेस में रश्मि देसाई की खूबसूरती देखते ही बनती है और उनका कॉन्फिडेंस लेवल देखते ही बनता है.

ये भी पढ़ें- Dipika Kakar के धर्म पर उठे सवाल, पति Shoaib Ibrahim ने दिया ये करारा जवाब

अपना शो कर चुकीं हैं लौंच

 

View this post on Instagram

 

– G L O W – #ItsAllMagical💫 #IAmMagic🧚🏻‍♀️ #RhythmicRashami💃🏻 #RashamiDesai 💝

A post shared by Rashami Desai (@imrashamidesai) on

रश्मि देसाई ने हाल ही में अपना नया शो ‘द रश्मि देसाई शो’ लॉन्च किया. इस शो के दौरान रश्मि देसाई कई फील्ड से जुड़ी मशहूर शख्सियत का इंटरव्यू लेती थी और इस शो के दौरान वो अपने फैंस के सवालों के जवाब भी देती हैं. इस शो के आयोजन के लिए रश्मि देसाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चुना. रश्मि देसाई के फैंस कई दिनों से इस शो के दूसरे सीजन की भी मांग कर रहे है. अपने हालिया इंटरव्यू के दौरान रश्मि देसाई ने खुलासा किया था कि वो जल्द ही नए फॉर्मेट के साथ इस शो के साथ वापसी करेंगी.

बता दें, लॉकडाउन के दौरान रश्मि देसाई अपने फैंस को एंटरटेन करने में कोई मौका नहीं छोड़ रहीं हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर कई खुलासे कर चुकी हैं.

ये  भी पढ़ें- लॉकडाउन के बीच Sushmita Sen ने शेयर की अपनी ‘लव स्टोरी’, Video Viral

Bigg Boss फेम Shehnaaz Gill के पिता पर लगा यौन उत्पीड़न का आरोप, जानें पूरा मामला

कोरोनावायरस लॉकडाउन में कभी एक्टर्स की सुसाइड की खबर आ रही है तो कभी आर्थिक तंगी की मार झेल रहे स्टार्स के बयान सामने आ रहे हैं. इसी बीच बिग बौस 13 फेम शहनाज गिल (Shehnaaz Kaur Gill) की पर्सनल लाइफ से जुड़ी एक खबर ने हंगामा मचा दिया है. दरअसल, मामला शहनाज गिल (Shehnaaz Kaur Gill) के पिता का है. हाल ही में एक महिला ने शहनाज (Shehnaaz Kaur Gill) के पिता संतोक सिंह पर बलात्कार का आरोप लगाया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

पिता संतोक पर हुआ मामला दर्ज

खबरों की माने तो, महिला के साथ 14 मई के दिन यौन उत्पीड़न हुआ और पुलिस ने बीते मंगलवार को यह मामला दर्ज किया. महिला के अनुसार संतोक सिंह जालंधर के रहने वाले लकी संधू का पुराना दोस्त है. ये दोनों पिछले 12 साल से एक-दूसरे को जानते हैं. महिला की लकी संधू के साथ हाल में किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई थी और उसे पता चला कि लकी, संतोक सिंह के घर पर रह रहा है.

 

View this post on Instagram

 

Kaisa lagaa?

A post shared by Shehnaaz Gill (@shehnaazgill) on

ये भी पढ़ें- Dipika Kakar के धर्म पर उठे सवाल, पति Shoaib Ibrahim ने दिया ये करारा जवाब

जान से मारने की दी थी धमकी

14 मई की शाम 5:30 बजे जब महिला संतोक सिंह के घर अपने दोस्त लकी से मिलने कार से पहुंची, तो संतोक सिंह घर के बाहर ही उसका इंतजार कर रहा था. संतोक सिंह ने महिला के साथ कार में ही बात की और उसकी मुलाकात लकी से कराने का वादा किया. इसके बाद संतोक सिंह ने बंदूक की नोक पर उसके साथ रेप किया और जान से मारने की धमकी दी’ पुलिस अधिकारी हरप्रीत कौर के अनुसार, महिला की शिकायत पर संतोक सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और लगातार तहकीकात जारी है. शिकायत दर्ज करने के बाद जब पुलिस टीम आरोपी की तलाश में घर पहुंची तो वो वहां पर मौजूद नहीं था.

बता दें, पंजाब में शहनाज गिल (Shehnaaz Kaur Gill) एक पौपुलर नाम हैं. वहीं बिग बॉस 13 में नजर आने के बाद उनकी फैन फौलोइंग काफी बढ़ गई, जिसके बाद वह आए दिन सिद्धार्थ शुक्ला के साथ अपनी कैमिस्ट्री को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं इन दिनों शहनाज मुंबई के एक होटल में ठहरी हुई हैं, जहां से उनकी वीडियोज लगातार सामने आती रहती हैं. अब देखना ये है कि शहनाज  का इस मामले में क्या रिएक्शन आता है.

ये  भी पढ़ें- लॉकडाउन के बीच Sushmita Sen ने शेयर की अपनी ‘लव स्टोरी’, Video Viral

 माइग्रेंट वर्कर्स ही चमकाते है, अर्थव्यवस्था को – शांति सिंह चौहान

शांति सिंह चौहान (सोशल वर्कर, अंकुर फाउंडेशन)

कोरोना वायरस और लॉक डाउन की वजह से माइग्रेंट लेबर जिसे कोई सहयोग नहीं देता, जबकि इन मजदूरों की वजह से बड़े-बड़े शहरों की चमक और शानोशौकत देखने को मिलती है. बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ करोड़ों कमाती है, नेता इसकी आंच पर सत्ता की रोटियां सेंकते है, आखिर कब तक चलता रहेगा ये सब, कौन इनके मूल्य समझेंगे? कौन इन्हें सम्मान और इज्जत की रोटी दो जून की दे सकता है, ये किसी से भीख नही मांगते, बस थोड़ी इज्जत से मेहनत कर खाना और अपने परिवार का पेट पालना चाहते है.

अगर ये अपने शहर या गांव चले गए, तो उन बड़ी-बड़ी कंपनियों का क्या होगा, जिनके लिए ये काम करते है, इकॉनमी कैसे पटरी पर आएगी आदि कितने ही शब्द कहे जा रही थी, मुंबई की अंकुर फाउंडेशन की सोशल वर्कर शांति सिंह चौहान, जो इस लॉक डाउन के बाद से करीब 5 हजार माइग्रेंट लेबर और उनके परिवार को, अँधेरी से लेकर बोरीवली तक खाना खिला रही है, उनके राशन पानी की व्यवस्था कर रही है. उनकी दशा को नजदीक से देख रही है. हर दिन उनके लिए नयी चुनौती लेकर आती है और हर दिन वह उसका सामना करती है. 

माइग्रेंट वर्कर्स को खाना खिलाना मेरा पहला काम 

 शांति हैदराबाद से निकलकर मुंबई अपनी पति और बेटी के साथ नौकरी के सिलसिले में आई और यही रहने लगी. शांति होटल मैनेजमेंट कर चुकी है और पहले अपने बेटी की स्कूल में कुकरी पढ़ाते हुए, होटलों और रेस्तरां में मैनू बनाना, खाने की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए अलग-अलग होटलों में जाकर शेफ को ट्रेनिंग देना आदि करती रही. साथ ही ज्वेल्लरी की शौक होने की वजह से ज्वेलरी डिज़ाइनर बनी और अपना ब्रांड सात्विकी स्थापित की. इन सबके बावजूद भी उन्हें सामाजिक काम करना बहुत पसंद है. वह कहती है कि लॉक डाउन के समय मैं घर पर थी, पर हैदराबाद के एक दोस्त ने मुझे फ़ोन पर बताया कि तेलंगाना के कई वर्कर्स मुंबई में फंसे है और बिना भोजन के परेशान रह रहे है. उसने मुझसे मदद करने को कही और मैंने काम शुरू कर दिया. तक़रीबन 5 हज़ार माइग्रेंट मजदूर परिवारों  को राशन पहुंचाई है. इसमें मुझे विदेश के सारे दोस्तों ने फण्ड में पैसे दिए, जिससे एक अच्छी किट जरुरत के सामान, जो तक़रीबन 20 दिन तक चल सके. इसके साथ डिलीवरी हर जगह खुद जाकर किया है, क्योंकि दुकाने बंद होने, खाना न मिलने, सामानों की अधिक कीमत होने की वजह से लोग खाने पीने की चीजों पर झपटने लगते है. ये भूख के मारे ऐसा करने पर मजबूर है. मैं हर रोज करीब 2 हजार परिवारों के लिए ट्रक भरती थी. अँधेरी, कांदिवली, बोरीवली आदि सभी जगहों पर मैंने हर माइग्रेंट परिवार वालों के घर पर सामान पहुँचाया है. इस काम में मेरा पूरा परिवार और ड्राईवर का सहयोग है.

ये भी पढ़ें- 1 जून से चलने वाली ट्रेनों की टिकटों की बुकिंग शुरू, पढ़ें पूरी खबर

मजदूरों की भूमिका को नहीं कोई आंकता  

शांति को फण्ड की कमी इस काम में नहीं हुआ. समस्या परमिशन की थी, जो बीएमसी ने बाद में दे दिया. देश विदेशों से लोगों ने मानवता की खातिर भरपूर डोनेशन दिया है. इसलिए जितनी भी लिस्ट मजदूरों की शांति के पास आई, पूरा उन्होंने कवर कर लिया है. इसमें किसी धर्मं, जाति या राज्य को देखा नहीं गया है, जिसे भी खाने पीने के सामानों की जरुरत है, उन्हें दिया गया है. कोविड 19 ने लोगों को देश का सही आइना दिखाया है, जिससे आज तक पूरा देश अनजान था. शांति का आगे कहना है कि हम सभी किसी भी कंपनी की ब्रांड की तारीफ करते है, पर उसके पीछे जो टीम होती है, उसके बारें में कोई नहीं सोचता. मजदूर ही है, जो काम कर किसी ब्रांड को सफलता दिलाते है और वे कभी सामने नहीं आते. असल में ये मजदूर दूसरे राज्य से आकर मुंबई की आर्थिक व्यवस्था को सम्हाल रहे है. ये मेहमान है और देश की शक्ति है, पर इन्हें कोई मूल्य नहीं देता. ये लोग पेंटर, प्लम्बर, कारपेंटर इलेक्ट्रीशियन आदि ये सब माइग्रेंट वर्कर ही है, जिनकी वजह से हमारी जिंदगी सुखद हो रही है. इनकी सपोर्ट सिस्टम अनजाने में ही हमारा साथ दे रही है, जिसके बारें में किसी ने ध्यान नहीं दिया. कोविड 19 ने ऐसे लोगों की तरफ सबका ध्यान खीचा है. उन्हें रेस्पेक्ट और मदद चाहिए, भीख नहीं. वे इज्जत की रोटी खाना चाहते है. अपने घर जाने वाले ये वर्कर सिर्फ एक पोटली लेकर घर जा रहे है. इनकी 30 साल की जिंदगी बस एक पोटली ही है. सरकार को इनकी स्वास्थ्य, रहन सहन, हायजिन आदि विषयों पर ध्यान देने की जरुरत है, क्योंकि इनकी सपोर्ट सिस्टम से ही सबकुछ है, इन्हें निकाल देने पर आर्थिक अवस्था चरमरा जाएगी. मुझे भी इनका महत्व अब पता चला है.  

बदनसीब है माइग्रेंट वर्कर्स 

असल में ये माइग्रेंट वर्कर जब घर से निकले, तो किसी ने नोटिस नहीं की. जब इनको समस्या आई तो ये अपने घर जाने में भी असमर्थ हो गए, क्योंकि इनके साथ बीमारी उस राज्य में चली जाएगी और वहां का आंकड़ा बढ़ जायेगा, जिससे उस राज्य के शासक की किरकिरी हो जाएगी, उनका वोट बैंक खतरे में पड़ जायेगा, इस प्रश्न के जवाब में शांति का कहना है कि माइग्रेंट वर्कर आज तक देश का सबसे बदनसीब इंसान रहा है. उसने घर क्यों छोड़ा? क्योंकि उसके शहर में काम नहीं है और हर इंसान अपने परिवार को अच्छी परवरिश देने के लिए ही घर छोड़ता है. साल में एक बार वह अपने परिवार से मिलता है. आखिर क्यों वह ऐसा करता है. ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी या राजनेता के पास नहीं है. मुंबई की कांदिवली चाल में माइग्रेंट वर्कर्स 10 /10 के एक कमरे में खुले नाले के पास 10 लोग एक साथ रहते है. सुबह जब 5 लोग निकलते है तो 5 लोग अंदर आते है. लॉक डाउन में ये सभी 10 लोग एक कमरे में रहने पर मजबूर है. जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव है. मुंबई की झोपड़ पट्टी में रहने वालों की हालत हमेशा से ही बहुत ख़राब है. साथ ही वे अभी इस बात से भी डर रहे है कि उन्हें यहाँ अकेले मरना पड़ेगा. इसलिए जो भी रास्ता उन्हें मिलता है, वे चल पड़ते है. माइग्रेंट वर्कर का वोट राईट दूसरे राज्य में नहीं है,  इसलिए उनका नाम वहां किसी खाते में नहीं है, इसलिए लॉक डाउन से 5 दिन पहले उन्हें सूचित करना जरुरी था, ताकि वे लोग अपने घर चले जाते और ऐसी नौबत नहीं आती. अभी लोग बीमार हो रहे है और उन्हें देखने वाला कोई नहीं. 

ये भी पढ़ें- #coronavirus: ट्रंप के खब्ती नजरिए

शांति दुखी स्वर में कहती है कि मैं अब माइग्रेंट वर्कर्स के लिए सरकार को पिटिशन फाइल करने वाली हूँ, जिसमें इनलोगों के प्रोटेक्शन के लिए कुछ कानून होने के साथ-साथ हायजिन, स्वास्थ्य, रहन सहन आदि जरुरी विषयों पर ध्यान दिया जाय . उम्मीद है कुछ नतीजा निकलेगा. मैं मुंबई नार्थ सेंट्रल से आल इंडिया अनऑर्गनाइसड वर्कर कांग्रेस की प्रेसिडेंट भी हूँ. इसमें मेरे साथ मुंबई हेड जनार्दन सिंह भी बहुत सहायता कर रहे है. मैं इन मजदूरों को पुनर्स्थापन करने की इच्छा रखती हूँ. कोविड 19 ने लोगों को आज रैट रेस से दूर रहने और जीने की नयी तरीके को अपनाने की सलाह दी है जिसे सभी को पालन करने की जरूरत है.

परिवार का सहयोग जरुरी  

शांति के काम में उसका पूरा परिवार पति और दोनों बेटियां साथ देती है. शांति जब भी बाहर निकलती है, मास्क, ग्लव्स और हल्दी युक्त गरम पानी पीती है, हायजिन का पूरा ख्याल रखती है, ताकि वह स्वस्थ रहे और अधिक से अधिक लोगों की सेवा कर सकें. 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें