#lockdown: इन 5 तरीकों से घर पर ही करें अपर लिप्स और आइब्रो

लौकडाउन के चलते हम सब अपने घरों में कैद है. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 21 दिन के लौकडाउन की घोषणा के साथ ही हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे हम इस वायरस को हरा पाएं. लौकडाउन के चलते महिलाएं भी अपनी सौंदर्य समस्या को लेकर परेशान हैं कि घर में रहकर किस तरह वो अपनी फिटनेस और ब्यूटी का ख्याल रखें. अब बात करें लड़कियों की तो भले ही हर महीने फेशियल, क्लीनअप और वैक्स ना करवाएं लेकिन अपरलिप्स और आइब्रो  जरूर सेट करवाती हैं.

ऐसे में अगर आप भी अपनी आइब्रो और अपरलिफ्स की बढ़ती ग्रोथ को लेकर परेशान हैं तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिससे आप घर में ही आसनी से इस प्रौब्लम से छुटकारा पा सकती हैं. जिससे आप सिर्फ अपने पति ही नहीं अपनी नजरों में भी हिट बनी रहेगी. भई सेल्फ केयर भी तो जरूरी है.

अगर आपके चेहरे पर बाल रहेंगे तो खूबसूरती वैसे ही फीकी पड़ जाएगी और जहां तक सवाल आइब्रो और होठों के उपर के बालों की है तो ये हर 15 दिन में इनकी ग्रोथ हो जाती है और ये दिखने में भी गंदे लगते हैं. हम यहां आपको अपरलिप्स के बाल हटाने के लिए कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं जिससे नेचुरल तरीके से ये हट जाएंगे. खासियत ये है कि इनके कोई साइड इफैक्ट नहीं होते और ये सारी चीजें आपके किचन में भी मौजूद रहती हैं.

1. दूध और हल्दी

पहले के समय में जब पार्लर नहीं हुआ करते थे तो इन्हीं तरीकों से महिलाएं अपनी सुंदरता को निखारती थीं. आज पिर उसी जमाने के तरीकों के अपनाकर आप भी अपनी सुंदरता में चार चांद लगा सकती हैं , आपको करना ये है कि हल्दी को दूध में मिलाकर लेप तैयार करें और इसे अपने अपर लिप्स पर लगाएं फिर जब यह सूख जाए तो आधे घंटे बाद हाथों से धीरे-धीरे रगड़ते हुए छुड़ाएं और फिर सादे पानी से धो लें. कुछ दिनों बाद ही आपको फर्क नजर आने लगेगा.

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2. दही, बेसन और हल्दी

आपने कई बार दही और बेसन का नाम सुना हो और इसके स्किन बेनिफिट भी सुने होंगे. तो आपको बता दें कि यह अपरलिप्स के बालों के रिमूव करने का सबसे कारगर तरीका है. इसके लिए आपको सबसे पहले दही, बेसन और हल्दी का पेस्ट तैयार करना होगा और इसे अपने अपरलिफ्स पर अप्लाई करना होगा. हल्के हाथों से मसाज करें और 15-20 मिनट ऐसे ही छोड़ दें. इसके बाद हल्के हाथों से इसे रगड़ कर छुड़ा दें फिर सादे ठंडे पानी से चेहरा धो लें. ऐसा रोज या हफ्ते में 3-4 बार करें.

3. नींबू और चीनी का रस

नींबू नेचुरल ब्लीच का काम करता है. सबसे पहले नींबू का रस निकाल लें फिर चीनी मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उसे अपने होठों के उपर के बालों पर लगाएं. 15 मिनट बाद इसे पानी से धो लें. इससे भी आपके अपरलिप्स के बाल हट जाएंगे.

4. अंडे की मदद से

सबसे पहले अंडे को फोड़कर उसके पीले भाग को अलग कर दें. अब सफेद वाले भाग में कार्न फ्लोर और चीनी मिलाकर अच्छे से मिक्स करें, इससे एक चिपचिपा लेप तैयार होगे जिसे अपरलिफ्स पर लगाएं. इस 30 मिनट के लिए सूखने दें फिर कपड़े या वैक्सिंग स्ट्रिप की मदद से खींच दें. ऐसा सप्ताह में एक बार करें.

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5. आइब्रो के लिए क्या करें

इसके लिए आपके पास फेस रेजर, इलेक्ट्रिक ब्यूटी ट्रिमर, कैंची या प्लकर होना चाहिए. आसानी से ब्रो के बाल निकल जाएं इसलिए नहाने के तुरंत बाद या गर्म पानी में डुबोएं तौलिए से दो मिनट तक ढकने के बाद शेप करें. सही शेप देने के लिए आइब्रो ब्रश की मदद से बालों को उनकी ग्रोथ की दिशा में सेट करें. लंबे बाल दिखने पर कैंची की मदद से उन्हें काट लें और बालों को उनकी ग्रोथ की दिशा में ही प्लक करें. अगर आप रेजर का इस्तेमाल कर रही हैं तो पहले आइब्रो पेसिंल से शेप बना लें. आखिर में उस जगह पर आइस या एलोवेरा जेल लगाएं. अगर आफको आइब्रो के बाल पहले बिगड़े हुए हैं तो ज्यादा छेड़ें.

महायोग: धारावाहिक उपन्यास, भाग-19

अब तक की कथा :

एक ओर ग्रहों की शांति करवाई जा रही थी, विवाहिता पत्नी से मां अपने बेटे की रक्षा करना चाहती थीं, दूसरी ओर नैन्सी गर्भवती थी. दोहरे मापदंडों को तोलतेतोलते दिया थक चुकी थी. धर्म ने दिया के समक्ष बहुत सी बातों का खुलासा किया था और वह स्वयं भी इस चक्रव्यूह से निकलने का मार्ग तलाश रहा था. तभी अचानक धर्म का मोबाइल घनघना उठा.

अब आगे…

मोबाइल स्क्रीन पर नंबर देख कर धर्म बोला, ‘ओहो, ईश्वरानंद है,’ कहने के साथ ही उस का मुंह फक पड़ गया, ‘‘जी, कहिए.’’ ‘‘कहिए क्या, अगर खाना, पीना, घूमना हो गया हो तो आ जाओ, धर्म. ऐसे नहीं चलेगा. मेरी बात हो गई है रुचि से. उन्होंने दिया को रात में रुकने की इजाजत दे दी है,’’ आदेशात्मक स्वर में उन्होंने कहा. धर्म दिया को सबकुछ सुनाना चाहता था, इसलिए स्पीकर पहले ही औन कर दिया था.

‘‘जी, अभी वह मन से तैयार नहीं है कीर्तनभजन के लिए. और…’’

‘‘तो करो उसे तैयार. तुम्हारा काम है यह. तुम्हें उस के पीछे लगा रखा है. ले के तो आओ, फिर देखेंगे,’’ उन्होंने फोन बंद कर दिया. दिया रोने लगी.

‘‘देखो दिया, रोने से तो कुछ नहीं होगा. बहुत सोचसमझ कर, पेशेंस रख कर चलना होगा, तभी कोई रास्ता निकल पाएगा. मैं कितनी बार तुम्हें समझा चुका हूं.’’

‘‘तो मैं अपनेआप को उन की गोद में डाल दूं? मेरा अपना कुछ है ही नहीं? कोई अस्तित्व नहीं है मेरा?’’

‘‘नहीं, दिया, तुम्हारा अपना अस्तित्व क्यों नहीं है. पर तुम भी समझती हो इस जाल के बंधन को. निकलेंगे, बिलकुल सहीसलामत निकाल लूंगा मैं तुम्हें यहां से. पर अभी शांति से जैसा मैं कहता हूं वैसा करती चलो. मैं तुम पर आंच नहीं आने दूंगा. मुझ पर भरोसा करो, दिया.’’

‘‘भरोसे की बात नहीं है, धर्म. भरोसा सिर्फ तुम पर ही तो है. पर उन परिस्थितियों का क्या करेंगे जिन में हम घिरे हुए हैं. मुझे तो चारोें ओर अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा है.’’ ‘‘अंधेरे को चीर कर ही प्रकाश की किरण आती है. कोई न कोई किरण तो अपने नाम की भी होगी ही.’’ दिया के पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए उस ने अपनेआप को धर्म के सहारे छोड़ दिया. वह चुपचाप धर्म के साथ गाड़ी में बैठ कर ईश्वरानंद के एक अन्य ठिकाने की ओर चल दी. गाड़ी में बैठने के बाद धर्म ने कईकई बार दिया के हाथ पर हाथ रख कर उसे यह सांत्वना दी कि चिंता न करे, वह उस के साथ है.

वे दोनों किसी बड़े मकान में पहुंच गए थे. यह सुबह वाला स्थान नहीं था. यह स्थान इस दुनिया का था ही नहीं. यहां तो काले, सफेद, गेहुंए सब रंगों के लोग एक अजीब सी आनंद की मुद्रा में रंगे हुए दिखाई दे रहे थे. वे दोनों जा कर बैठे ही थे कि अचानक उन के सामने वाइन सर्व कर दी गई, साथ में भुने हुए काजू और दूसरे ड्राइफ्रूट्स भी.

दोचार मिनट बाद ही एक गोरी सुंदरी आ कर वहां खड़ी हो गई, ‘‘स्वामीजी इज कौलिंग यू बोथ.’’

‘‘ओके, वी विल कम,’’ धर्म ने कहा.

दिया फिर से घबरा उठी.

‘‘दिया, जाना तो पड़ेगा ही. अच्छा है, पहले ही चले जाएं.’’

एक और रहस्यमयी रास्ते से दोनों ईश्वरानंद के पर्सनल रूम में पहुंच गए. धर्म न चाहते हुए भी इन सब में भागीदारी करता रहा है. दिया के समक्ष वह बेशक नौर्मल रहने की कोशिश कर रहा था पर वास्तव में अंदर से तो बाहर भागने के रास्ते की खोज में ही घूम रहा था उस का दिमाग.

‘‘क्या बात है धर्म, दिया को भेजो बराबर वाले कमरे में. वहां सब वस्त्रादि तैयार हैं. और लोग भी तैयार हो रहे हैं. दिया को वे लोग सब समझा देंगे.’’

दिया ने वहां से चलने के लिए धर्म का हाथ दबाया जिसे ईश्वरानंद ने देख लिया.

‘‘क्या बात है? क्या हो रहा है, दिया?’’ उस ने थोड़ी ऊंची आवाज में दिया से पूछा मानो दिया उस की कोई खरीदी हुई बांदी हो.

‘‘गुरुजी, अभी दिया तैयार नहीं है,’’ उस ने धीरे से ईश्वरानंद के कान में कानाफूसी की. परंतु ईश्वरानंद तो बिगड़ ही गया. आंखें तरेरते हुए धर्म से कहने लगा, ‘‘पागल हो गए हो क्या, धर्म? मैं ने इसीलिए इतनी मेहनत की है?’’

धर्म बड़े विनम्र स्वर में बोला, ‘‘कैसी बात करते हैं आप? आप तो सब जानते हैं. फिर अभी वह बहुत घबराई हुई है. रुचिजी के यहां नील भी तो अभी तक इस से दूर ही रहा है… ग्रहव्रह के चक्करों में. थोड़ा टाइम दीजिए, अगली बार…’’ वह मानो ईश्वरानंद को भविष्य के लिए वचन दे रहा था और दिया का दिल था कि धकधक…

‘‘क्या साला…सब मूड खराब कर दिया…एक अफगानी पीछे पड़ा है, उसे अंगरेज लड़की नहीं चाहिए. पर जब तक इसे ढालोगे नहीं, यह तो तमाशा बना देगी. नहींनहीं, जाओ इसे तैयार करो,’’ वे तैश में आ रहे थे.

धर्म किसी भी प्रकार से दिया को यहां से बचा कर ले जाना चाहता था.

‘‘मैं इसे यहां से अभी ले जाता हूं. इसे रातभर घुमाफिरा कर कोशिश करता हूं कि अगले फंक्शन के लिए यह तैयार हो जाए.’’

‘‘तो क्या तुम इसे यहां से भी ले जाना चाहते हो?’’ ईश्वरानंद फिर भड़के.

‘‘मैं आप को बता रहा हूं. इस को अच्छी तरह स्टडी किया है मैं ने. आप आज इसे यहां से जाने दीजिए. अगले प्रोग्राम में मैं इसे यहां ले कर आप के बुलाने से पहले ही पहुंच जाऊंगा.’’ न जाने ईश्वरानंद के मन में क्या आया, ‘‘ठीक है, तुम इसे यहां से आज तो ले जाओ पर मेरी जबान तुम्हें रखनी होगी. मैं उस अफगानी को 1 महीने का टाइम देता हूं. तुम्हारी जिम्मेदारी है, अब तुम इसे 1 दिन में समझाओ या 1 हफ्ते में.’’

बाहर निकल कर गाड़ी में बैठने के बाद प्रश्न था कि कहां जाया जाए?

जब और कुछ समझ में नहीं आया तो धर्म चुपचाप दिया को अपने घर ले आया. दिया ने धर्म से पूछा भी नहीं कि वह उसे कहां ले कर जा रहा है. धर्म ने गाड़ी रोकी तो वह चुपचाप उतर गई और धर्म के पीछेपीछे चल दी. छोटा सा, 2 कमरों का घर था पर ठीकठाक, साफसुथरा. वह सिटिंगरूम में जा कर सोफे में धंस सी गई.

‘‘मुझे नील की मां को फोन कर के बताना तो होगा ही कि हम ‘परमानंद आश्रम’ में नहीं हैं वरना उन्हें जब पता चलेगा तो बखेड़ा खड़ा हो जाएगा,’’ कह कर धर्म ने नील की मां को फोन लगा दिया और हर बार की तरह स्पीकर औन कर दिया.

‘‘हां, कौन?’’ उनींदी आवाज आई.

‘‘मैं बोल रहा हूं, रुचिजी.’’

‘‘क्या बात है, इस समय?’’

‘‘घबराने की कोई बात नहीं है. मैं ने यह बताने के लिए फोन किया कि हम लोग आश्रम में नहीं हैं.’’

‘‘क्यों? मैं ने तो वहीं भेजा था दिया को, फिर?’’

‘‘जी, लेकिन दिया की तबीयत वहां कुछ खराब हो गई इसलिए मैं ने सोचा कि वहां से बाहर ले जाऊं कहीं.’’

‘‘फिर…ईश्वरानंदजी…?’’

‘‘उन्होंने ही परमिशन दी है. मैंटली तो तैयार हो दिया पहले. वह इस प्रकार कभी गई नहीं है कहीं.’’

‘‘हां, वह सब तो ठीक है पर…’’

‘‘आप चिंता क्यों करती हैं? मैं हूं न उस के साथ. उस के सब ग्रहव्रह ठीक कर के ही उस को आप के पास भेजेंगे.’’

‘‘तो क्या सुबह भी नहीं आओगे? अरे, उस के मांबाप के फोन लगातार आ रहे हैं. उधर, नील ने परेशान कर रखा है. नैन्सी का भूत ऐसा सवार है उस पर कि कहता है उसे नैन्सी के बच्चे को संभालना पड़ेगा. अब मैं इस उम्र में…कुछ करिए धर्मानंदजी, कोई गंडा, तावीज, अंगूठी जो भी हो. यह लड़का तो मुझे मारने पर तुला हुआ है. मैं ने सोचा था कि दिया के ग्रह ठीक हो जाएंगे तो बेशक यहां पड़ी रहेगी. पर…मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आता. उधर, नैन्सी भी शायद कुछ दिन यहां आ कर रहना चाहती है. कैसे करूंगी?’’

‘‘अब कुछ तो सोचना ही पड़ेगा, रुचिजी. आप चिंता मत करिए. मैं देखता हूं क्या हो सकता है.’’ ‘‘सोचो, कुछ करो, धर्म. मेरे अंदर तो न सोचने की शक्ति है न ही करने की. पता नहीं ईश्वरानंदजी ने इतने अमीर घराने की यह लड़की क्यों भिड़वा दी. यह तो हमारे बिलकुल भी काम की नहीं है. यह कहां से पाल लेगी नैन्सी के बच्चे को?’’

‘‘अभी फोन बंद करता हूं, रुचिजी. आप बिलकुल चिंता मत करिए. देखिए क्या होता है?’’

‘‘एक बात जरूर करना. दिया से उस की मां की बात करवा देना. उन के फोन यहां लगातार आ रहे हैं.’’ दिया को अपने सिर के ऊपर आसमान टूटता नजर आने लगा. यह क्या ऊटपटांग मामला है. कितना पेचीदा व उलझा हुआ एक ओर ईश्वरानंद ने अपनी खिचड़ी पकाने के लिए नील को उस के मत्थे मढ़ दिया तो दूसरी ओर नील की मां उसे अपने बेटे के बच्चे की आया बनाना चाहती है.

‘‘यह सब क्या है, धर्म?’’

‘‘बहुत पेचीदा मामला है, दिया. नील की मां समझती हैं कि ईश्वरानंद ने उन के लिए तुम को फंसाया है पर सच बता दूं, रहने दो वरना तुम घबरा जाओगी.’’

‘‘बोलिए न, धर्म…और क्या कर लूंगी मैं घबरा कर? बताइए…’’

‘‘ईश्वरानंद तुम्हें किसी अफगानी के हाथ बहुत अच्छे दामों में बेचना चाहते हैं. नील की मां अपने चने भुनाने की फिराक में थीं और वास्तव में ईश्वरानंद अपने चने भुनाने में लगे हैं.’’

‘‘क्या कमाल है, लड़की कोई ऐसी निष्प्राण चीज है जो उसे गुडि़या की तरह उठा कर खेल लो और फिर कहीं भी फेंक दो. पर जब मजबूरी और दुख किसी लड़की के गले पड़ जाएं तब वह एक चीज ही बन जाती है.

‘‘धर्मजी, बहुत हो गया है. मुझे अपने घर फोन कर देना चाहिए. आखिर मैं कब तक इस सब से जूझती रहूंगी?’’

‘‘दिया, मैं तुम्हें बताना नहीं चाहता था परंतु अब रुक नहीं पा रहा हूं. दरअसल, तुम्हारे पापा के पैर में ऊपर तक जहर फैल जाने से उन की पूरी टांग काट देनी पड़ी थी. उन्हें पिछले 6 महीने फिर से अस्पताल में रहना पड़ा है. इसीलिए तुम्हारे भाई अभी तक यहां नहीं आ पाए वरना…’’

‘‘क्या कह रहे हो, धर्म? किस ने बताया आप को? मैं यहां क्या कर रही हूं, मेरे पापा…’’ दिया का सब्र का बांध टूट गया. वह फिर से फूटफूट कर रोने लगी, ‘‘कितने नीच हैं ये लोग. इंसान तो हैं ही नहीं. न जाने कितनी लड़कियों का जीवन बरबाद कर दिया होगा. पंडित भगवान का एजेंट नहीं होता और न ही संन्यासी योगी. योगी के रूप में ऐसे भोगियों की कमी कहीं नहीं है. पूरे संसार भर में व्यापार फैला कर बैठे हैं ये लोग.’’

दिया बहुत ज्यादा असहज थी. धर्म को लग रहा था कि अब किसी की भी परवा किए बिना वह कुछ न कुछ कर ही बैठेगी. ‘‘सच, तुम ठीक कह रही हो, दिया. इन का व्यापार पूरे संसार में ही तो फैला हुआ है. वहां ईश्वरानंद नहीं होंगे तो कोई और बहुरुपिया होगा. मनुष्य मानवधर्म का पालन तो कर नहीं सकता जबकि बेहूदी चीजों में घुस कर अपना और दूसरों का जीवन बरबाद कर देता है. ‘‘दिया, अब पानी सिर के ऊपर से जा रहा है. अब अगर कुछ न सोचा तो कुछ नहीं कर सकेंगे. मैं अभी तुम्हें पासपोर्ट दिखाता हूं,’’ धर्म ने उठ कर अपनी अलमारी खोली. दिया को अलमारी में बड़ी सी ईश्वरानंद की तसवीर पीछे की ओर रखी हुई दिखाई दी.

अचानक वह चौंक उठा, ‘‘अरे, मैं ने तो ईश्वरानंद की तसवीर के पीछे रखा था तुम्हारा पासपोर्ट. यहां पर तो है ही नहीं, दिया,’’ धर्म पसीना पोंछने लगा था.

‘‘धर्म, आर यू श्योर, यहीं था मेरा पासपोर्ट?’’

धर्म की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा हो कैसे सकता है? घर उस का, रखा उस ने फिर कैसे गायब हो गया पासपोर्ट? उधर, दिया को फिर उस पर अविश्वास सा होने लगा. ऐसा तो नहीं कि धर्म उसे बेवकूफ बना रहा हो.

धर्म उस की मनोस्थिति को समझ रहा था परंतु उसे भी यह समझ नहीं आ रहा था कि दिया को क्या सफाई दे?

बेचारा धर्म रोने को हो आया. उसे खुद भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे हुआ होगा? उस ने तो खुद यहां पर संभाल कर रखा था दिया का पासपोर्ट. ‘‘देखो दिया, अब हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है. हमें अब पुलिस की मदद लेनी ही पड़ेगी. मुझे पूरा विश्वास है कि यह काम ईश्वरानंद का ही है. पर दिया, एक बात है, अब हमें खुल कर लड़ाई लड़नी पड़ेगी. हमें खुल कर सामने आना पड़ेगा. हो सकता है मुझे भी कुछ सजा भुगतनी पड़े. पर ठीक है, अब और नहीं.’’ आधी रात हो चुकी थी. सारे वातावरण में सन्नाटा पसरा हुआ था. कहीं से भी कोई आवाज नहीं. इतने गहरे सन्नाटे में दिया और धर्म की धड़कनेें तेजी से चढ़उतर रही थीं. दोनों का मन करे या न करे, डू और नाट डू के हिंडोले में ऊपरनीचे हो रहा था और पौ फटते ही दोनों के दिल ने स्वीकार कर लिया था कि और कोई चारा ही नहीं है. उन्हें ऐंबैसी में जा कर बात करनी ही चाहिए.

धर्म को भीतर से महसूस हुआ कि उसे दिया का साथ देना ही होगा और स्वयं को भी इस गंदगी से बाहर निकालना होगा.

-क्रमश:

#coronavirus: गिरती अर्थव्यवस्था से हारे नहीं, जीते जंग

जर्मनी के वित्त मंत्री थॉमस शेफर का अचानक सुइसाइड कर लेना पूरे विश्व के लिए दुःख का विषय है. 10 साल से उन्होंने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को सम्हाला था और उसे नयी ऊँचाई प्रदान की थी, ऐसे में कोविड 19 जैसे महामारी के सामने हार मान लेना क्या सही है? पूछे जाने पर ट्रस्ट वोर्दी फाइनेंसियल प्लानर के सर्टिफाइड फाइनेंसियल प्लानर सुजीत शाह कहते है कि आत्महत्या इसका समाधान नहीं है. उन्हें अगर अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता थी, तो वे किसी देश से सहायता के लिए गुहार लगा सकते थे. उनका इस तरह से आत्महत्या करने का निर्णय लेना वहां के देश वासियों के लिए भी दुखदायी है. उनका मनोबल भी इससे गिरता है. मुश्किल घड़ी में सबको साथ मिलकर काम करने की जरुरत है. ये सही है कि विश्व के कई विकसित देश कोविड 19 से जंग लड़ रहे है, लाखों की संख्या में इन देशों में संक्रमण और हजारों में मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है. जो चौकाने वाला है, क्योंकि विकसित देश में मेडिकल की पर्याप्त सुविधा होने के बावजूद भी उनके हजारों में लोग अपनी जान गवा रहे है. असल में इन देशों ने शुरू से इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया, उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए कारगर कदम नहीं उठाये. कई बड़े पद पर आसीन लोग इस बीमारी से पीड़ित मरीजों से मिले, उनसे हाथ मिलाया, जिसकी वजह से ये उनके लिए जान लेवा साबित हुई.

क्या हमारा देश इस बीमारी से ऊबर पायेगा और अर्थव्यवस्था पर इसका असर क्या होगा? इस बारें में सुजीत का कहना है कि हमारे देश ने उनसे शिक्षा ली है और लॉकडाउन कर काफी हद तक इसे रोकने में सफल हो रही है. ये और भी कम फ़ैल सकता था, पहले अगर यहाँ के देशवासी विदेश से आने के बाद अपने आप को तुरंत क्वारंटाइन कर लिया होता, तो भारत में इसकी संख्या और भी कम होती. कुछ लोगों के गलत आचरण से आज पूरा देश भुगत रहा है.

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इसके आगे सुजीत का कहना है कि विदेश में लोगों के खर्चे अधिक है, वहां प्रति व्यक्ति आय अधिक है, वहां के सरकार को बेरोजगारी भत्ता और वृद्धा अवस्था के पेंशन देने पड़ते है, जो उनके लिए बोझ है, अभी लॉकडाउन की वजह से वहां कारखाने बंद है, किसी भी प्रकार के काम-काज अब नहीं हो पा रहे है, ऐसे में देश को सम्हालने की समस्या केवल जर्मनी को ही नहीं, पूरे विश्व में सभी देश को आयेगी और भारत को भी इसका सामना करना पड़ेगा. गिरती अर्थवयवस्था को देखकर ही शायद जर्मनी के वित्तमंत्री ने ऐसा कदम उठाया है, जो करना उचित नहीं था. यहाँ एक बात और भी समझने की जरुरत है कि हमारे देश में लोगों की आय कम है, यहाँ लोग कम खर्चे में अपना जीवन गुजारने में समर्थ है, ऐसे में सरकार को द्वारा उठाये गए सभी कदम सराहनीय है. इतना ही नहीं होटल्स और ट्रेन में भी ऐसे मरीजों के लिए अलग से प्रावधान किया जा रहा है. दूसरे राज्यों से आने वाले गरीब मजदूरों के लिए टेंट और भोजन की व्यवस्था भी की गयी है, उन्हें कुछ राशि उनके अकाउंट में भी दिया जा रहा है, जो अच्छी बात है. इसके अलावा कोरोना वायरस की वजह से तेल के भाव कम हो गए है, जिसका फायदा हमारे देश में पेट्रोलियम से बनने वाले पदार्थों को होगा. इस तरह से हमारा देश जल्दी वित्तीय समस्या से उबर सकेगा. 6 महीने की समस्या है, इसके बाद सब ठीक हो सकेगा. ये बीमारी विदेश से आई है, पर अब सभी देशवासियों को सरकार द्वारा बताएं गए निर्देशों का पालन कर इस बीमारी को जल्द से जल्द कम करने की जरुरत है, ताकि एक बार फिर से काम शुरू हो सकें.

देश की अर्थव्यवस्था न चरमराएं इसके लिए कुछ कदम नागरिकों अवश्य उठाने है, जो निम्न है,

  • अभी कंट्रोल के करीब है, इसलिए सरकार के निर्देशों का पालन करें, दो महीने थोड़ी मुश्किल होगी, लेकिन इसके बाद सब ठीक हो जायेगा,
  • गरीब को थोड़ी अधिक तकलीफ होगी, उनको सरकार सहायता कर रही है, पर उनकी मजदूरी को देने से व्यवसायी न कतराएं, उन्हें नौकरी से न निकालें,
  • पेशेदार लोग अपने तरीके से जितना डोनेट कर सकते है, उतना अवश्य करें,
  • अपने आसपास काम करने वाले, चौकीदार, घर काम करने वाली महिलाओं आदि सभी के पैसों का भुगतान करें, ताकि उनका घर परिवार चलता रहे.

ये सही है कि इतने बड़े देश में कुछ खामियां हुई है, जिसकी वजह से काफी संख्या में मजदूरों को दिल्ली से अपने घर में पहुँचने में समस्या आई, लेकिन समाधान हो रहा है और धीरे-धीरे और भी अच्छा काम होगा.

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नेहा कक्कड़ की नई फोटो आई सामने, आदित्य को छोड़ इस शख्स के साथ कर रही है मस्ती

बौलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) के गाने हर किसी की जुबान पर रहते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा उनकी पर्सनल लाइफ को लेकर वह सुर्खियों में रहती हैं. कभी अपने ब्रेकअप तो कभी आदित्या नारायण (Aditya Narayan) से शादी को लेकर वह हाल ही में सुर्खियों में थीं, लेकिन अब नेहा (Neha Kakkar) की सोशल मीडिया पर फोटोज वायरल हो रही है, जिसमें वह आदित्य की जगह नए सिंगर के साथ नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं कौन है वो शख्स…

जानी के साथ नजर आईं नेहा कक्कड

हाल ही में नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की, जिसमें वह पौपुलर सौंग राइटर जानी (Jaani) के साथ नजर आ रही हैं. दरअसल नेहा जल्द ही ‘जिनके लिए’ नाम के एक एलबम में नजर आने वाली है, जिसे जानी ने लिखा है. वहीं नेहा ‘जिनके लिए’ में अपोजिट लीड के तौर जानी के साथ काम कर रही हैं. फोटोज की बात करें तो नेहा और जानी की बौन्डिंग बेहद खास लग रही है. हाल ही में नेहा कक्कड़ के नए पोस्टर को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लॉन्च कर दिया था, जिसके बाद उनके नए गाने की वीडियो भी रिलीज कर दी गई है.

 

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#JinkeLiye ? #NehaKakkar #Jaani @jaani777 #31stMarch

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आदित्य नारायण को लेकर रहीं थी सुर्खियों में

 

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#nehakishaadi ???

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नेहा कक्कड़ हाल ही में अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में हैं. इंडियन आइडल के सेट पर नेहा और आदित्य नारायण ने शो के जज और दर्शकों के बीच शादी की थी. हालांकि फैन्स इस शादी को लेकर कन्फ्यूज थे. आदित्य ने तो इस शादी पर अपनी बात रखी थी, लेकिन नेहा ने इस बारे में कोई कमेंट नहीं किया था. हालांकि नेहा ने भी इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी थी.

 

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#JinkeLiye Out Now! ❤️?? #Jaani #ArvinderKhaira #Bpraak #NehaKakkar ? @tseries.official @bhushankumar ?? #JaaniVe #SadSong

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बता दें, नेहा ने आदित्य से लेकर रिश्ते को कहा था कि, ‘विरल…कोई शादी नहीं है. मैं सिंगल हूं. आदि मुझसे शो में शादी के लिए पूछता रहता था और मैं हमेशा उसे मना करती थी. बाकी जो हुआ वो सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के लिए था. मैं बहुत खुशनसीब हूं कि लोगों को अपने गानों से एंटरटेन करती हूं.’, जिससे फैन्स को क्लियर हो गया है कि नेहा और आदित्य की शादी शो में सिर्फ़ टीआरपी के लिए थी.

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#lockdown: मेरे सामने वाली खिड़की पे (भाग-1)

अमन अभी घर में पैर रखने ही जा रहा था कि रचना चीख पड़ी. “बाहर…….. बाहर जूता खोलो. अभी मैंने पूरे घर में झाड़ू-पोंछा लगाया है और तुम हो की जूता पहनकर अंदर घुसे जा रहे हो.“

“अरे, तो क्या हो गया ? रोज तो आता हूँ” झल्लाते हुए अमन जूता बाहर ही खोलकरजैसे ही अंदर आने लगा, रचना ने फिर उसे टोका.

“नहीं, बैठना नहीं, जाओ पहले बाथरूम और अच्छे से हाथ-मुंह-पैर सब धोकर आओ और हाँ, अपना मोबाइल भी सेनीटाइज़ करना मत भूलना. वरना, यहाँ-वहाँ कहीं भी रख दोगे और फिरपूरे घर में इन्फेक्शन फैलाओगे” रचना की बात पर अमन ने उसे घूर कर देखा.‘हुम्म, घूर तो ऐसे रहे हैं जैसे खा ही जाएंगे. एक तो इस कोरोना की वजह से बाई नहीं आ रही है. सोसायटी वालों की तरफ से सख़्त मनाही है और ऊपर से इनकी नावाबी देखो.जैसे मैं इनके बाप की नौकर………..ये नहीं होता जरा की काम में मेरी थोड़ी हेल्प कर दें. नहीं, उल्टेकाम को और बढ़ा कर रख देते हैं. कहीं जूता खोल कर रख देंगे, कहीं भिंगा तौलिया फेंक आएंगे. कितनी बार कहा, हाथ धो कर फ्रिज या किचन का कोई समान छुआ करो.लेकिन नहीं, समझ ही नहीं आता इन्हें. बेवकूफ कहीं के.‘ अपने मन में ही भुनभुनाई रचना.

“हुं…..बड़ी आई साफसफाई पर लेक्चर देने वाली.समझती क्या है अपने आप को? जैसे इस घर की मालकिन यही हो. हाँ, करूंगा, जैसा मेरा मन होगा करूंगा.’ अमन भन्नाता हुआ अपने कमरे में घुस गया और दरवाजा भीडका दिया.

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‘वैसे, गलती इन मर्दों की भी नहीं है. गलती है उन माँओं की, जो बेटियों को तो सारी शिक्षा, संस्कार दे डालती है, पर अपने बेटों को कुछ नहीं सिखातीं, क्योंकि उन्हें तो कोई जरूरत ही नहीं है न सीखने की. बीबी तो मिल ही जाएगी बना कर खिलाने वाली’ अमन को भुनभुनाते देख, वह भी चुप नहीं रह पाई और बोल दिया जो मन में आया. बहुत गुस्सा आ रहा था उसे आज.कहा था अमन से, लॉकडाउन की वजह से बाई कुछ दिन काम पर नहीं आएगी, तो वह उसकी मदद कर दिया करे काम में, क्योंकि उसे और भी काम होते हैं. ऊपर से अभी ऑफिस का काम भी उसे घर से करना पड़ रहा है, तो समय नहीं मिल पाता है. लेकिन अमन ने ‘तुम्हारा काम है तुम जानो. मुझसे नहीं होगा’ कह कर बात वहीं खत्म कर दी,तो गुस्सा तो आयेगा ही न? क्या वह अकेली रहती है इस घर में ? जो सारे कामों की ज़िम्मेदारी उसकी ही है ?आखिर वह भी तो नौकरी करती है बाहर जाकर. यह बात अमन क्यों नहीं समझता.खाना खाते समय भी दोनों में घर के काम को लेकर बहस शुरू हो गई. रचना ने सिर्फ इतना कहा कि घर के कुछ समान लाने थे. अगर वह ले आता तो अच्छा होता. वह गई थी दुकान राशन का सामान लाने, पर वहाँ बड़ी लंबी लाइनें लगी थी इसलिए वापस चली आई.

“तो वापस क्यों आ गई ? क्या जरा देर खड़ी रह कर सामान खरीद नहीं सकती थी जो बार-बार मुझे फोन कर के परेशान कर रही थी ? एक तो मुझे इस लॉकडाउन में भी बैंक जाना पड़ रहा है, ऊपर से तुम चाहती हो कि मैं घर के कामों में भी तुम्हारी मदद कर दूँ? नहीं हो सकता है” चिढ़ते हुए अमन बोला.

“हाँ, पता है मुझे, तुम से तो कोई उम्मीद लगाना ही बेकार है.और क्या करती मैं, धूम में खड़ी-खड़ी पकती रहती ?फोन इसलिए कर रही थी कि तुम ऑफिस से आते हुए घर के सामान लेते आना? लेकिन नहीं,तुम तो फोन भी नहीं उठा रहे थे मेरा. वैसे, एक बात बताओ? अभी तो बैंक में पब्लिक डीलिंग हो नहीं रही है, फिर करते क्या हो, जो मेरा एक फोन नहीं उठा सकते या घर का कोई सामान खरीद कर नहीं ला सकते ? बोलो न ?घर-बाहर के सारे कामों की ज़िम्मेदारी मेरी ही हैक्या ? तुम्हें  कोई मतलब नहीं ?”

“पब्लिक डीलिंग नहीं  होती है तो क्या बैंक में काम नहीं होते हैं ? और ज्यादा सवाल मत करो मुझसे, जो करना है जैसे करना है समझो अपना, समझी. खुद तो आराम से ‘वर्क फ्रोम होम’ कर रही हो. जब मर्ज़ी आता है आराम कर लेती हो, दोस्तों से बातें कर लेती हो और दिखा रही हो कि कितना काम करती हो?” अमन की बातें सुनकर रचना दंग रह गई कि कैसा इंसान है ये ? जरा भी दर्द नहीं है ?क्या सोचता है वह घर में आराम करती रहती है?

“हाँ, बोलो न, क्या मुश्किल है, बताओ मुझे ? जब मन आए काम करो, जब मन आए आराम कर लो. इतना अच्छा तो है, फिर भी नाक-मुंहघुनती रहती हो. सच में, तुम औरतों को तो समझना ही मुश्किल है” अमन ने कहा तो रचना का पारा और चढ़ गया.अभी वह कुछ बोलती ही किउसकी दोस्त मानसी का फोन आ गया.

“हैलो, मानसी, बता,कैसा चल रहा है तेरा ? बच्चे-वच्चे सब ठीक तो हैं न ?” लेकिन मानसी बताने लगी कि बहुत मुश्किल हो रहा रहा है, घर-बच्चे और ऑफिस का काम संभालना. क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा है. “कोई चिंता मत कर. चलने दे जैसा चल रहा है. क्या कर सकती है तू ? लेकिन बच्चे और अपने स्वस्थ्य का ध्यान रख, वह जरूरी है अभी” थोड़ी देर और मानसी से बात कर रचना ने फोन रख दिया. फिर किचन का सारा काम समेट कर अपने टेबल पर जाकर बैठ गई.

उस दिन जब उसने मानसी से अपनी समस्या बताई थी कि घर में वह ऑफिस की तरह काम नहीं कर पा रही है और ऊपर से बॉस का प्रेशर बना रहता है हरदम, तब मानसी ने ही उसे सुझाया था कि बेडरूम या डायनिंग टेबल पर बैठकर काम करने के बजाय वह अपने घर के किसी कोने में ऑफिसजैसा बना ले और वहीं बैठकर काम करे, तो सही रहेगा.  जब ब्रेक लेने का मन हो तो अपनी सोसायटी के एक चक्कर लगा आए.  या पार्क में कुछ देर बैठ जाए. तो अच्छा लगेगा, क्योंकि वह भी  ऐसा ही करती है. “अरे, वाह ! क्या आइडिया दिया तूने मानसी. मैं ऐसा ही करती हूँ” कहते हुए चहक पड़ी थी रचना.लेकिन मानसी की स्थिति जानकर दुख भी हुआ.

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मानसी बताने लगी कि उसकेदो-दो बच्चे हैं ऊपर से बूढ़े सास-ससुर, घर के काम के साथ-साथ उनका भी बराबर ध्यान रखना होता है और अपने ऑफिस का काम भी करना पड़ता है. पति हैं की जहां हैं वहीं फँस चुके हैं आ नहीं सकते, तो उसपरही घर-बाहर सारे कामों की ज़िम्मेदारी पड़ गयी है. उस पर भी कोई तय शिफ्ट नहीं है कि उसे कितने घंटे काम करना पड़ता है. बताने लगी कि कल रात वह 3 बजे सोयी, क्योंकि दो बजे रात तक तो व्हाट्सऐप पर ग्रुप डिस्कशन ही चलता रहा  कि कैसे अगर वर्क फ्रोम होम लंबा चला तो, सबको इसकी ऐसी प्रैक्टिस करवाई जाए कि सब इसमें ढल जाएँ.  उसकी बातेंसुनकर रचना का तो दिमाग ही घूम गया. जानती है वह कि उसके बच्चे कितने शैतान हैं और सास-ससुर ओल्ड.‘कैसे बेचारी सब का ध्यान रख पाती होगी ?’ सोचकर ही उसे मानसी पर दया आ गई.लेकिन इस लॉकडाउन में वह उसकी कोई मदद भी तो नहीं कर सकती थी. सो फोन पर ही उसे ढाढ़स बँधाती रहती थी.

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तसवीर: भाग-3

औपरेशन होने के बाद केशवन ने पूछा, ‘अब आप क्या करना चाहेंगी? न्यूजर्सी अपनी भतीजी के पास रहेंगी या…’

‘और कहां जाऊंगी? मेरा तो और कोई ठौर नहीं है,’ मालविका ने कहा.

‘मेरा एक सुझाव है. यदि अन्यथा न समझें तो आप कुछ दिन मेरे यहां रह सकती हैं.’

‘आप के यहां?’ मालविका चौंक पड़ी, ‘लेकिन आप की पत्नी, आप का परिवार?’

केशवन हंस दिया, ‘मैं अकेला हूं. विश्वास कीजिए मुझे आप के रहने से कोई दिक्कत नहीं होगी बल्कि इस में मेरा भी एक स्वार्थ है. मैं कभीकभी अपने देश का खाना खाने को तरस जाता हूं. हो सके तो मेरे लिए एकाध डिश बना दिया करिए और कौफी का तो मैं बहुत ही शौकीन हूं. दिन में 5-6 प्याले पीता हूं. आप बना दिया करेंगी न?’

वह हंस पड़ी. वह उस से ढेरों सवाल करना चाहती थी. वह अकेला क्यों था? उस की बीवी कहां थी? लेकिन वह अभी उस के लिए नितांत अजनबी थी इसलिए उस ने चुप्पी साध ली.

केशवन के घर पर आ कर उसे ऐसा लगा था कि वह अपने मुकाम पर पहुंच गई है.

उसे एक फिल्मी गाना याद आया. ‘जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम, वो फिर नहीं आते…’

2 माह में ही वह ठीक हो कर चलने लगी. इतने दिन में केशवन के घर का चप्पाचप्पा उस का हो गया. उस ने बड़ी जतन से उसे ठीक कर दिया. वह डाक्टर का एहसान सेवा से चुकाना चाहती थी, उधर केशवन की बात ने उसे अंदर तक हिला दिया.

लेकिन मालविका ने सोचा, आज उस के जीवन में ये अनहोनी घटी थी. उस का गुजरा हुआ मुकाम फिर लौट आया था. जिस आदमी की तसवीर को देखदेख कर उस ने इतने साल गुजारे थे वह आज उस के सामने खड़ा था और उसे अपनाना चाह रहा था. ये एक चमत्कार नहीं तो क्या था. उस ने अपने लिए थोड़ी सी खुशी की कामना की थी. केशवन ने उस की झोली में दुनिया भर की खुशी उड़ेल दी थी.

भला ऐसा क्यों होता है कि इस भरी दुनिया में केवल एक व्यक्ति हमारे लिए अहम बन जाता है? उस ने सोचा. ऐसा क्यों लगता है कि हमारा जन्मजन्मांतर का साथ है, हम एकदूसरे के लिए ही बने हैं. एक चुंबकीय शक्ति हमें उस की ओर खींच ले जाती है. हर पल उस मनुष्य की शक्ल देखने को जी करता है, उस से बातें करने के लिए मन लालायित रहता है. उस की हर एक बात, हर एक आदत मन को भाती है. उस के बिना जीवन अधूरा लगता है, व्यर्थ लगता है. उस की छुअन शरीर में एक सिहरन पैदा करती है, तनमन में एक मादक एहसास होता है और हमारा रोमरोम पुकार उठता है- यही है मेरे मन का मीत, मेरा जीवनसाथी.

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इस मनुष्य की तसवीर के सहारे उस ने इतने साल गुजार दिए थे. आज वह उस के सामने प्रार्थी बन कर खड़ा था. उस से प्यार की याचना करते हुए. क्या वह इस मौके को गवां देगी?

नहीं, उस ने सहसा तय कर लिया कि वह केशवन का प्रस्ताव स्वीकार कर लेगी. अगर उस ने ये मौका हाथ से निकल जाने दिया तो वह जीवन भर पछताएगी. आज तक वह औरों के लिए जीती आई थी. अब वह अपने लिए जिएगी और रही उस के परिवार की बात तो चाहे उन्हें अच्छा लगे चाहे बुरा, उन्हें उस के निर्णय को स्वीकार करना ही होगा.

घड़ी का घंटा बज उठा तो उस की तंद्रा भंग हुई. ओह वह बीते दिनों की यादों में इतना खो गई थी कि उसे समय का ध्यान ही न रहा. वह उठी और उस ने एकएक कर के घर का काम निबटाना शुरू किया. उस ने कमरों की सफाई की. आज उसे इस घर में एक अपनापन महसूस हो रहा था. हर एक वस्तु पर प्यार आ रहा था. उस ने केशवन के कपड़े करीने से लगाए. बगीचे से फूल ला कर कमरों में सजाए.

उस की निगाहें घड़ी की ओर लगी रहीं. जैसे ही घड़ी में 10 बजे घर का मुख्य द्वार खुला और केशवन ने प्रवेश किया.

‘‘ओह,’’ वह एक कुरसी में पसर कर बोला, ‘‘आज मैं बहुत थक गया हूं. आज सुबह 3 औपरेशन करने पड़े.’’

मालविका के मन में केशवन पर ढेर सारा प्यार उमड़ आया. उस ने कौफी का प्याला आगे बढ़ाया.

‘‘ओह, थैंक्स.’’

वह कौफी के घूंट भरता रहा और उसे एकटक देखता रहा.

वह तनिक असहज हो गई, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हैं?’’

‘‘तुम्हें देख रहा हूं. आज तुम्हारे चेहरे पर एक नई आभा है, एक लुनाई है, एक अजब सलोनापन है. ये कायापलट क्यों हुई?’’

वह लजा गई, ‘‘क्या आप नहीं जानते?’’

‘‘शायद जानता हूं पर तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं.’’

उस के मुंह से बोल न निकला.

‘‘मालविका, कल मैं ने तुम से कुछ पूछा था. उस का जवाब क्या है बोलो, हां कि ना?’’

मालविका ने धीरे से कहा , ‘‘हां.’’

केशवन ने उठ कर उसे अपनी बांहों में ले लिया.

‘‘मालविका, आज मैं बहुत खुश हूं मुझे मालूम था कि तुम मेरा प्रस्ताव नहीं ठुकराओगी. तभी मैं ने तुम्हारे लिए ये अंगूठी पहले से ही खरीद कर रखी थी.’’

उस ने जेब से एक मखमली डब्बी निकाली और उस में से एक हीरे की अंगूठी निकाल कर उस की उंगली में पहना दी.

‘‘मैं तुम्हें एक और चीज दिखाना चाहता था.’’

‘‘वह क्या?’’

‘‘केशवन ने अपना हाथ आगे किया. मालविका चिंहुक उठी. उसे लगा वह रंगे हाथों पकड़ी गई है.’’

‘‘अरे,’’ वह हकलाने लगी, ‘‘ये तसवीर तो मेरे बक्से में थी. ये आप को कहां से मिली?’’

‘‘ये तसवीर मैं ने आप के बक्से से नहीं ली मैडम. ये तो मेरे मेज की दराज में पड़ी रहती है.’’

‘‘मालविका अवाक उस की ओर देखने लगी. शर्म से उस की कनपटियां लाल हो गईं.’’

मालविका की प्रतिक्रिया देख कर केशवन हंस पड़ा, ‘‘अरे पगली, जिस तरह तुम ने हमारी मंगनी के अवसर पर ली गई ये तसवीर संभाल कर रखी थी, उसी तरह मैं ने भी एक तसवीर मौका पा कर उड़ा ली थी. इसे जबतब देख कर तुम्हारी याद ताजा कर लिया करता था.’’

वह झेंप गई. ‘‘ओह, तो आप जान गए थे कि मैं कौन हूं.’’

‘‘और नहीं तो क्या. तुम ने क्या सोचा कि मुझे अनजान लोगों का मुफ्त इलाज करने का शौक है? उस दिन अस्पताल में तुम्हें मैं पहली नजर में ही पहचान गया था. तुम्हें भला कैसे भूल सकता था? आखिर तुम मेरा पहला प्यार थीं.’’

‘‘और आप ने यह बात मुझ से इतने दिनों तक बड़ी होशियारी से छिपाए रखी,’’ उस ने मीठा उलाहना दिया.

‘‘और करता भी क्या. तुम्हारा आगापीछा जाने बगैर मैं अपना मुंह न खोलना चाहता था. मैं तो यह भी न जानता था कि तुम शादीशुदा हो या नहीं, तुम्हारे बालबच्चे हैं या नहीं. तुम्हें अचानक अपने सामने देख कर मैं चकरा गया था. जब तुम्हें रोते हुए देखा तो कारण जान कर तुम्हारी मदद करने का फैसला कर लिया.

‘‘जब हमारी बातों के दौरान यह पता चला कि तुम्हारी शादी नहीं हुई है और न ही तुम्हारे जीवन में और कोई पुरुष आया है तो मैं ने तुम्हें अपना बनाने का निश्चय कर लिया. मेरा तुम्हें अपने घर बुलाने का भी यही मकसद था. मैं तुम्हारा मन टटोलना चाहता था. मैं चाहता था कि हम दोनों में नजदीकियां बढ़ें. हम एकदूसरे को जानें और परखें और जब मैं ने जान लिया कि तुम्हारे मन में मेरे प्रति कोई कड़वाहट नहीं है, कोई मनमुटाव नहीं है तो मेरी हिम्मत बढ़ी. मैं ने तुम से शादी करने की ठान ली.’’

मालविका की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई. इतने बड़े संयोग की वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी.

केशवन ने उसे बांहों में भींच लिया, ‘‘एक बार भारी गलती की कि अपने पिता का विरोध न कर तुम्हें खो दिया. शादी के बाद घर पहुंच कर मैं ने अपने पिता से बहुत बहस की पर वे यही कहते रहे कि उन्होंने मेरी पढ़ाई पर अपनी सारी पूंजी लगा दी है और ये रकम वे कन्या पक्ष से वसूल कर के ही रहेंगे. मैं ने भी गुस्से से भर कर अमेरिका जाने की ठान ली जहां से ढेर सारे डौलर कमा कर अपने पिता को भेज सकूं और उन की धनलोलुपता को शांत कर सकूं. उस के बाद नैन्सी मेरे जीवन में आई और मैं ने तुम्हें भुला देना चाहा.

‘‘मैं मानता हूं कि मैं ने तुम्हारे साथ बड़ा अन्याय किया. अब मैं तुम से शादी कर के इस का प्रतिकार करना चाहता हूं.

मालविका क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि हम दोनों का मिलन अवश्यंभावी था? किसी अज्ञात शक्ति ने हमें एकदूसरे से मिलाया है. नहीं तो न तुम अमेरिका आतीं और न हम यों अचानक मिलते.’’

उस ने मालविका के आंसू पोंछे, ‘‘यह समय इन आंसुओं का नहीं है. ये हमारी नई जिंदगी की शुरुआत है. मालविका, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. जो कुछ बीत गया उसे भुला दो और भावी जीवन की सोचो. हमें एकदूसरे का साथ मिला तो हम बाकी जिंदगी हंसतेखेलते गुजार देंगे, कल हम अपनी शादी के लिए रजिस्ट्रार औफिस जाएंगे.’’

‘‘ठीक है.’’

‘‘फिर भी शादी के लिए हमें 2-4 चीजों की जरूरत तो पड़ेगी ही. मसलन, नई साड़ी, मंगलसूत्र वगैरह…’’

‘‘मंगलसूत्र मेरे पास है.’’

‘‘अरे वह कैसे?’’

‘‘मैं आप का दिया हुआ ये मंगलसूत्र हमेशा अपने गले में पहने रहती हूं. यह 20 साल से एक कवच की तरह मेरे गले में पड़ा हुआ है.’’

‘‘सच?’’ केशवन हंस पड़ा. उस ने झुक कर मालविका का मुंह चूम लिया.

मालविका का सर्वांग सिहर उठा. उसे ऐसा लगा कि उस का शरीर एक फूल की तरह खिलता जा रहा है. वह केशवन के आगोश में सिमट गई. उसे अपनी मंजिल जो मिल गई थी.

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छोटे से गांव से मुंबई तक पहुंचने वाले Thyrocare की पीछे की कहानी

भारत की पहली पूरी तरह से Automated Diagnostic Laboratory Thyrocare टेक्नोलॉजीज लिमिटेड 2 दशक से दुनिया अपना अस्तित्व कायम किए हुए है, जिसके पीछे कई लोगों की मेहनत है. लेकिन जब भी बात इसे बनाने की आती है तो Dr. Arokiaswamy Velumani का नाम हर किसी की जबान पर होता है.  आइए आपको बताते हैं Thyrocare के निर्माण से जुड़े लोगों की कहानी..

मां की मेहनत और प्रेरणा है Thyrocare

Dr. Arokiaswamy Velumani “Thyrocare” के निर्माता और Thyrocare टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के संस्थापक हैं. तमिलनाडु के कोयम्बटूर के सुदूर गाँव अप्पनकेनपट्टी पुडूर से आने वाले Dr. Arokiaswamy Velumani ने Thyrocare का सफल निर्माण किया. उन्होंने पंचायत यूनियन स्कूल से पढ़ाई की और मद्रास विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. मेहनती Dr. Arokiaswamy Velumani की सबसे बड़ी प्रेरणा उनकी मां हैं, जो उनके साथ हर मुश्किल वक्त में साथ खड़ी रहीं. Dr. Arokiaswamy Velumani की मां हिम्मत और धैर्य ’का अवतार थी, जिन्होंने Dr. Arokiaswamy के बचपन के दिनों को आसानी से पार करने में मदद की.

रेलवे स्टेशन पर बितानी पड़ी थीं रातें

लंबे समय तक संघर्ष के बाद Dr. Arokiaswamy ने 1979 में एक कैप्सूल निर्माण कंपनी में अपने करियर की शुरुआत केवल 150 रुपए में की थी. हालांकि, वह कारखाना जल्द ही बंद हो गया था. Dr. Arokiaswamy ने इसे एक प्रभावी वरदान के रुप में माना. इसी के बाद उनकी  मुंबई पहुंचने के बाद असली परिक्षा शुरु हुई. मुंबई के वीटी रेलवे स्टेशन पर कई दिनों तक रहने के बाद Dr. Arokiaswamy की मुलाकात मुंबई के BARC से एक सरकारी प्रस्ताव मिला.

 Dr. Arokiaswamy ने उठाया जोखिम भरा कदम

कड़ी मेहनत और कुछ कर दिखाने की भावना ने Dr. Arokiaswamy को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर्स पूरा करके अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया. वहीं इसी ओर कदम बढ़ाते हुए Dr. Arokiaswamy ने थायराइड फिजियोलॉजी में पीएचडी की. उनकी इस मेहनत ने उन्हें बेजोड़ सफलता हासिल करने के लिए मजबूर किया और इसी के कारण अपने सपनों को पूरा करने की ओर आगे कदम बढ़ाया. इसके बाद 1995 में Dr. Arokiaswamy ने एक बड़ा जोखिम उठाया और अपने सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया.

150 वर्ग फुट के किराए के गैराज से हुई थी शुरुआत

1996 में मुंबई के बायकुला में एक छोटे से 150 वर्ग फुट के किराए के गैराज में Dr. Arokiaswamy ने Thyrocare की शुरुआत की, जिसके बाद Dr. Arokiaswamy ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसी कारण आज Thyrocare टेक्नोलॉजीज लिमिटेड सफलता की ऊंचाइयों को छू रहा है. 2017 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयरों की सार्वजनिक लिस्टिंग के साथ Thyrocare की शानदार प्रतिष्ठा को मजबूत किया गया था, जिसके बाद आज वह लोगों के भरोसे का कारण बन गया है.

Thyrocare के साथ बदलती दुनिया

बदलती लाइफस्टाइल के साथ लोगों की जिंदगी में कई बदलाव आए हैं, जिनके कारण कई बीमारियों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. लाइफस्टाइल बदलने से बीमारियों के बढने के साथ-साथ Diagnostic Laboratories की मांग भी बढ़ रही है. लेबोरेट्री में किए गए अच्छी क्वालिटी के टेस्ट के साथ विश्वसनीयता और अच्छी प्रौडक्टीब्लिटी के चलते संस्थानों पर शुरुआती इलाज का भरोसा दिलाती है.
25 साल पहले जहां एक शून्य औटेमेशन लेबोरेट्री थी, तो वहीं आज जैव प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के आने से विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण ऑटोमेशन हुआ है.

ऐसी ही कंपनी है Thyrocare टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, जो भारत की पहली पूरी तरह से Automated Diagnostic Laboratory है “.

क्या है Thyrocare

पूरी तरह से पहली यंत्रीकृत नैदानिक रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के रूप में, अपने आईटी सक्षम, नियंत्रित, निगरानी मंजिल और Logistics के साथ, यह पिछले 2 दशकों से भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली Diagnostic Laboratory है.

देश दुनिया में फैला है Thyrocare

Thyrocare द्वारा दी जाने वाली प्रभावी गुणवत्ता वाली सेवाएं देश भर के लाखों लोगों को की मदद कर रही हैं. भारत के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो 10 एशियाई देशों पर एक अलग छाप छोड़ रहा है. आज के समय में Thyrocare एक ब्रांड के भरोसा साबित हुआ है, जो अपने सभी कस्टमर्स को बेस्ट क्लास सेवाएं देने में विश्वास रखता है.

कस्टमर्स का भरोसा है Thyrocare

Thyrocare दुनिया भर में Standardized Laboratory सेवाओं के प्रावधान पर केंद्रित है. मुंबई में एक केंद्रीकृत प्रसंस्करण प्रयोगशाला (सीपीएल) के साथ काम कर रही कंपनी टेस्ट के लिए भारत और उसके प्रमुख मेट्रो शहरों और एशिया के अन्य हिस्सों में 15 क्षेत्रीय प्रसंस्करण प्रयोगशालाएं में भी काम कर रही है. Thyrocare की गुणात्मक प्रतिभा को आईएसओ 9001-2000 रेटिंग की प्रशंसा और मान्यता प्राप्त है. 2001 में, Thyrocare इस तरह की सम्मानित अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा और मान्यता प्राप्त करने वाली भारत की पहली प्रयोगशालाओं में से एक बन गई थी, जो अब आईएसओ 9001: 2008 प्रमाणन से सम्मानित है. वहीं इसकी सर्वोच्च गुणवत्ता Thyrocare Technologies द्वारा प्रतिष्ठित है.

Lockdown सिचुएशन और अकेली लड़की, लखनऊ से 260 Km स्कूटी चलाकर पहुंची घर

लॉकडाउन है हम सभी को अपने घर में रहना चाहिए, हमारी सुरक्षा के लिए यह एक जरूरी कदम है, इस बात से हम सहमत भी है. पुलिस और डॉक्टर दिन रात हमारे लिए काम कर रहे हैं और यह गर्व की बात है.

सब ठीक है और हमें यकीन है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा. कुछ लोग कुंकिंग कर रहे हैं तो कुछ पक्ष-विपक्ष की बातें कर रह हैं. कुछ लोग महाभारत-रामायण देख रहे हैं तो कुछ वेब सीरीज. कुल मिलाकर जिंदगी चल रही है…

रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं, कहीं वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही हैं वहीं कुछ लोग ठीक होकर अपने घर भी आ रहे हैं. मजदूरों की परेशानी सामने आई जिनमें कुछ जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे हैं तो कुछ के लिए रहने खाने की व्यवस्था की जा रही है. बहुत सारे सामाजिक संस्थान, नेता, अभिनेता और आम लोग भी मदद के लिए आगे आगे रहे हैं.

घरों से पुराने कैरम और लूडो निकल गए हैं. भाभी रोज नए-नए पकवान बनाकर खिला रही हैं तो पतिदेव भी बरतन साफ करने लगे हैं. कहीं नए रिश्तों में प्यार पनप रहा है तो कहीं फेसबुक पर लाइव गिटार बजाया जा रहा है. नॉनवेज के स्वाद में वेज सब्जियां बनाई जा रही हैं तो कहीं लता जी के गानों की मधुर संगीत सुनाई दे रही है. पड़ोसियों के चेहरे दिखने लगे हैं, रिश्तेदारों को फोन मिलाए जा रहे हैं. माने, यकीन पर दुनिया टिकी है.

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इन सब के बीच सोनम, यही नाम है इस हिम्मत वाली लड़की का. यह वह सोनम नहीं है जिसका नाम वायरल नोट पर लिखा था कि, सोनम गुप्ता बेवफा है. यह तो हमेशा दूसरों का साथ देने वाली 29-30 साल की सेल्फ डिपेंड लड़की है. जिसने अपने दम पर अपनी पहचान बनाई. वैसे तो सोनम के हिम्मत की कई कहानियां है. फिलहाल मैं इस कहानी के बारे में बता रही हूं.

सोनम जौनपुर की रहने वाली है और लखनऊ के एक बैंक में अच्छी पोजिशन पर है. सोनम के माता-पिता और भाई जौनपुर में ही रहते हैं जबकि ये अकेले लखनऊ में रहती हैं. मजदूरों की परेशानी सामने आई कुछ जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे हैं तो कुछ के लिए रहने खाने की व्यवस्था की जा रही है. बहुत सारे सामाजिक संस्थान, नेता, अभिनेता और आम लोग भी मदद के लिए आगे आगे रहे हैं.

हमसब की तरह सोनम ने भी लॉकडाउन की खबर सुनी, फिर ऑफिस से मेल भी आ गया कि 21 दिनों के लिए काम पर नहीं आना है. अब अकेली सोनम को कुछ समझ नहीं आया कि वो करे तो क्या करे. कुछ दिन सोशल मीडिया पर समय व्यतीत किया, एक-दो दिन पकवान भी बना लिए. वॉट्सऐप पर स्टेटस भी लगा लिए, लोगों को वीडियो कॉल भी कर लिया. धीरे-धीरे अकेलापन डिप्रेशन में बदलने लगा.

अब सोनम को घर की याद आने लगी, उपर से उसे अपनी मां की फिक्र थी जिनकी तबियत भी ठीक नहीं थी. सोनम ने अपने फेसबुक पर ये भी लिखा था कि कोई जौनपुर जाने वाला हो तो बताए. तीन-चार के कई प्रयास किए कि वह घर पहुंच जाए लेकिन सब फेल हो गया. अब सोनम अकेले पैदल तो जा नहीं सकती थी तो एक दिन सुबह पांच बजे अपनी स्कूटी निकाली और निकल पड़ी लखनऊ से जौनपुर की तरफ. रास्ते में पुलिस वालों ने रोका, कई जगह स्क्रीनिंग भी हुई लेकिन सौनम ने हार नहीं मानी और 5-6 घंटे स्कूटी चलाने के बाद दोपहर तक अपने घर पहुंच गई. इस दौरान उसे हल्की चोट भी लगी लेकिन घर जाने के अलावा उसे कुछ दिख ही नहीं रहा था.

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अगले दिन जब मैनें उसे वीडियो कॉल किया तो अपने घर पर थी और मुस्कुरा रही थी, मैंने पूछा क्या हाल, उसने बस इतना जबाव दिया घर पर हूं. मैंने पूछा कैसे, उसने बोला स्कूटी चलाकर. सच मैं उस वक्त हैरान रह गई थी, लेकिन उसके चेहरे की वो खुशी मैंने अपने दिल के कैमरे में कैद कर ली. सोनम की दाद इसलिए भी देनी चाहिए क्योंकि जब ससुराल वालों ने और दहेज की मांग की और घरवालों को परेशान किया तो उसने अपनी सगाई खुद तोड़ दी लेकिन अपने माता-पिता का सिर नहीं झुकने दिया.

गजब! सोनम वाकई तुम कुछ भी कर सकती हो…

नोट: आप इस सोनम की बातों में न आएं और ऐसा करने की सोचें भी नहीं. ऐसा करने के पीछे सोनम की अपनी कुछ जरूरी वजह थी. यह जोखिन भरा हो सकता है और बिना कर्फ्यू पास के आप कहीं आ-जा नहीं सकते, इसलिए घर में रहें इसी में आपकी भलाई है.

#coronavirus: Emotional मैसेज के साथ कार्तिक आर्यन ने दिए 1 करोड़, पढ़ें पूरी खबर

कोरोना वायरस से इस वक्त भारत सरकार और भारत वासी एकजुट होकर लड़ रहे है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा की घड़ी में लोगों से अपील की है कि वह अपने सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक तौर से सरकार का सहयोग करें. युवा सुपरस्टार कार्तिक आर्यन ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए प्रधानमंत्री केयर्स फंड में 1 करोड़ रुपये का योगदान करने का निर्णय लिया है.

कार्तिक का इस बारे में कहना है कि यह उनकी अपनी जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंदों के काम आ सकें. चूँकि कार्तिक साफ़ तौर पर मानते हैं कि आज वह जो कुछ भी हैं, वह आम लोगों की वजह से ही हैं. कार्तिक ने ट्विटर पर अपनी बात रखते हुए कहा, ” यह समय की मांग है कि हम सब एक देश के तौर पर साथ खड़े हो. जो भी आज मैं हूं, जो भी पैसे मैंने कमाए हैं, वो सब देश की जनता की वजह से कमाए हैं. और हमारे लिए मैं पीएम-केयर्स फंड में 1 करोड़ रुपये डोनेट कर रहा हूं.

kartik

मैं अपने सभी देशवासियों से निवेदन करता हूं वह इस विपदा के समय में ज्‍यादा से ज्‍यादा दान दें.” कार्तिक ने सभी लोगों से अपील की है कि वह भी इस नेक काम में आगे आयें और अपने सामर्थ्य के अनुसार जितना संभव हो सके, अपना योगदान दें. कार्तिक का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

 

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बता दें कि कार्तिक ने कोरोना वायरस को लेकर कुछ दिनों पहले अपने मोनोलॉग का एक बेहतरीन वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने अपने चितपरिचित अंदाज में लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की थी. वह वीडियो खूब वायरल भी हुआ. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्तिक के इस कदम की सराहना करते हुए अपने पेज पर शेयर किया था. अब कार्तिक ने देश की मदद के लिए इतनी बड़ी धनराशि डोनेट करते हुए युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रशंशनीय काम किया है.

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